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कम होंगी वक्फ बोर्ड की शक्तियां, संसद में जल्द संशोधन बिल पेश करेगी मोदी सरकार

नई दिल्ली, 05 अगस्त 2024 (यूटीएन)। केंद्र सरकार इस हफ्ते संसद में वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उसकी कार्यप्रणाली में संशोधन से संबधित बिल ला सकती है. सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है. सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार शाम कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है. प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, वक्फ बोर्ड की ओर से किए गए संपत्तियों पर दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन का प्रस्ताव दिया जाएगा. इसी तरह, वक्फ बोर्ड की विवादित संपत्तियों के लिए अनिवार्य सत्यापन का प्रस्ताव किया गया है. सूत्रों ने बताया कि वक्फ अधिनियम में संशोधन करने वाला विधेयक अगले सप्ताह संसद में पेश किए जाने की संभावना है.   *क्या होगा संशोधन का असर* जानकारों का मानना है कि इस संशोधन का सीधा असर उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में होगा, जहां वक्फ बोर्ड काफी सक्रिय है और उसके पास जमीन भी बहुत है. 2013 में यूपीए सरकार ने मूल अधिनियम में संशोधन लाकर वक्फ बोर्ड को और अधिक शक्तियां दी थीं. वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है. वक्फ अधिनियम, 1995 को वक्फ की ओर से 'औकाफ' (वक्फ के रूप में दान की गई और अधिसूचित संपत्ति) को विनियमित करने के लिए अधिनियमित किया गया था. वह व्यक्ति जो मुस्लिम कानून के जरिये पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए संपत्ति समर्पित करता है.   *अपील प्रक्रिया में खामियां भी जांच के दायरे में* इससे पहले सरकार ने राज्य वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति पर दावा करने के लिए व्यापक अधिकार दिए जाने और अधिकांश राज्यों में ऐसी संपत्ति के सर्वेक्षण में देरी का संज्ञान लिया था. सरकार ने वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों को निगरानी में शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया था. सूत्रों ने कहा कि अपील प्रक्रिया में खामियां भी जांच के दायरे में हैं. उदाहरण के लिए, बोर्ड के किसी निर्णय के खिलाफ अपील न्यायाधिकरण के पास होती है, लेकिन ऐसी अपीलों के निपटान के लिए कोई समयसीमा नहीं होती. न्यायाधिकरणों का निर्णय अंतिम होता है और उच्च न्यायालयों में रिट क्षेत्राधिकार के अलावा अपील का कोई प्रावधान नहीं है.   *इन संशोधन का प्रस्ताव ला सकती है सरकार* बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद में संशोधन से जुड़ा जो बिल पेश करने की तैयारी में है उसमें करीब 40 बदलावों का प्रस्ताव है. इन 40 बदलावों में कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं. विधेयक में वक्फ अधिनियम की धारा 9 और धारा 14 में संशोधन का प्रस्ताव. वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करना, बोर्ड की संरचना में परिवर्तन का प्रस्ताव, निकायों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव, बोर्ड की ओर से भूमि को वक्फ की संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन सुनिश्चित किया जाना चाहिए. राज्य वक्फ बोर्डों की ओर से दावा किए गए विवादित भूमि का नए सिरे से सत्यापन करने का प्रस्ताव.   *क्या है वक्फ बोर्ड?* वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है वक्फ को दान का एक रूप माना जाता है वक्फ मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए दी गई संपत्ति है संपत्ति और संपत्ति से हुए मुनाफे का हर राज्य के वक्फ बोर्ड प्रबंधन करते हैं 1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया सरकार ने 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की 1995 में प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन किया गया वक्फ बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि वक्फ संपत्ति से उत्पन्न आय का उपयोग मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए किया जाए बिहार जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड हैं वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है, देश भर में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 वक्फ बोर्ड हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Aug 5, 2024

मध्यस्थता लंबे समय से भारतीय संस्कृति का हिस्सा: कानून मंत्री

नई दिल्ली, 04 अगस्त 2024 (यूटीएन)। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने इस कार्यक्रम में कहा कि मध्यस्थता लंबे समय से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रही है। अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने महाभारत की कहानियों का सहारा लिया। मेघवाल ने कहा कि आत्म निरीक्षण विवादों को सुलझाने में मदद करती है। कानून मंत्री ने वैवाहिक मुद्दों को निपटाने में लोक अदालतों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जो पहले परिवार के बुजुर्गों द्वारा किया जाता था, उनका हल अब विवाद सुलझाने वाली प्रणालियों के जरिए किया जा रहा है।    मेघवाल ने कहा कि पहली लोक अदालत भगवान कृष्ण ने आयोजित की थी। उन्होंने पांडव और कौरवों का विवाद लोक अदालत के जरिए ही सुलझाने की कोशिश की थी। इसी के साथ उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की भी पंक्तियों का उदाहरण दिया। इन पंक्तियों के माध्यम से उन्होंने बताया कि कैसे श्रीकृष्ण ने शांतिपूर्ण तरीके से समाधान निकाला था।  सुप्रीम कोर्ट ने अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मुआवजा, भूमि अधिग्रहण, वैवाहिक मतभेदों से लेकर विवादों को निपटाने के लिए विशेष लोक अदालत सप्ताह का आयोजन किया है।  मेघवाल ने बताया कि हजार से ज्यादा मामले निपटाए गए हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Aug 4, 2024

पूजा खेडकर को यूपीएससी ने दिया बड़ा झटका, आईएएस की नौकरी रद्द

नई दिल्ली, 31 जुलाई  2024 (यूटीएन)। विवादों में फंसी प्रशिक्षु आईएएएस अधिकारी पूजा खेडकर को बड़ा झटका लगा है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने पूजा खेडकर की अस्थाई उम्मीदवारी को रद्द कर दिया है। इसके अलावा खेडकर पर भविष्य में होने वाली किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगाई गई है।   *यूपीएससी ने पहले ही दे दिए थे कार्रवाई के संकेत* आपको बता दें कि यूपीएससी ने इस बात के संकेत पहले ही दे दिए थे। यूपीएससी का कहना था कि अगर पूजा खेडकर पर लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। यूपीएससी ने भी पूजा खेडकर को इस बारे में कारण बताओ नोटिस जारी किया था।   नोटिस में पूछा गया था कि क्यों न पूजा खेडकर की सिविल सेवा परीक्षा-2022 की उम्मीदवारी को रद्द किया जाए। यूपीएससी ने दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी कि पूजा खेडकर ने अपना नाम, अपने माता-पिता का नाम, अपनी तस्वीर, हस्ताक्षर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर फर्जी पहचान पहचान पत्र बनवाए। शिकायत में कहा गया है कि खेडकर ने धोखाधड़ी से परीक्षा दी। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने खेडकर के खिलाफ मामला दर्ज किया था।   *पूजा खेडकर पर क्या हैं आरोप ?* आपको बता दें कि पूजा खेडकर का तबादला पुणे से वाशिम कर दिया गया था। उन्हें अतिरिक्त सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्ति मिली थी। इसके बाद जिलाधिकारी सुहास दिवसे ने वरिष्ठ अधिकारियों को खेडकर के आचरण के बारे में जानकारी दी थी। पूजा खेडकर पर आरोप लगाया गया कि प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी के रूप में उन सुविधाओं की मांग की,  जिनकी वे हकदार नहीं थीं। इसके अलावा उन पर एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर पर कब्जा करने का भी आरोप है। खेडकर पर अपने पद का बेजां दुरुपयोग करने का भी आरोप है। बताया गया है कि पूजा खेडकर ने अपनी निजी ऑडी कार में लाल बत्ती और ‘महाराष्ट्र सरकार’ के प्लेट लगवाई। इस निजी कार में पूजा खेडकर वाशिम की सड़कों पर घूमती नजर आईं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 31, 2024

धामी ने नीति आयोग की बैठक में हिमालयी राज्यों के लिए विशिष्ट नीतियां बनाने का किया अनुरोध

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को नई दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में प्रतिभाग करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य को पूर्ण करने की दिशा में उत्तराखण्ड भी निरंतर कार्य कर रहा है। उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील राज्य है, इस बार के केन्द्रीय बजट में इसको दृष्टिगत रखते हुए विशेष वित्तीय प्राविधान किये जाने पर उन्होंने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया।   उन्होंने कहा कि हाल ही में जारी सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स इंडेक्स रैंकिंग में उत्तराखण्ड ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जो राज्य के लिए गर्व का विषय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य ने ‘समान नागरिक संहिता’ विधेयक को उत्तराखण्ड में पारित किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के कई शहरों में पेयजल का गंभीर संकट दिखाई दिया है, इस समस्या के समाधान के के लिए भू जल स्तर बढ़ाने के साथ-साथ जल संरक्षण पर विशेष कार्य करने की आवश्यकता है।   उत्तराखण्ड में इसके लिए स्प्रिंग एंड रिवर रिज्यूविनेशन ऑथोरिटी का गठन किया है, जो जल संरक्षण और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने और हिम आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़े जाने की परियोजना पर कार्य कर रही है। उन्होंने इसके लिए केन्द्र सरकार से विशेष वित्तीय सहायता एवं तकनीकि सहयोग का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को और अधिक बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिसके लिए कलस्टर आधारित इंक्यूबेशन सेंटर तथा ग्रोथ सेंटर महत्वपूर्ण साबित होंगे। उत्तराखण्ड में पायलट प्रोजक्ट के रूप में दो रूरल इंक्यूबेशन सेंटर तथा 110 ग्रोथ सेंटर स्थापित किये गये हैं।   उन्होंने इंक्यूबेशन सेंटर्स स्थापित करने के लिए केन्द्र सरकार से तकनीकि और वित्तीय सहयोग के लिए अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा की कमी को पूरा करने के लिए राज्यों को 25 मेगावाट से कम क्षमता की जल विद्युत परियोजनाओं के अनुमोदन तथा क्रियान्वयन की अनुमति प्रदान करने तथा लघु जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए प्रस्तावित 24 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी के प्रस्ताव को पूर्वोत्तर राज्यों के साथ ही हिमालयी राज्यों में भी लागू करने का अनुरोध किया। ‘पी.एम कृषि सिंचाई योजना’ की गाईडलाइन्स में लिफ्ट इरिगेशन को शामिल करने के लिए भी मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया।    मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग तथा क्लाईमेट चेंज जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी हमें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके दृष्टिगत उत्तराखण्ड सरकार ईकोलॉजी और ईकॉनॉमी के समन्वय से विकास योजनाओं को संचालित करने पर विशेष ध्यान दे रही है। राज्य में जीडीपी की तर्ज पर जीईपी जारी करने की शुरूआत की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी विकसित राष्ट्र में उनके शहरी क्षेत्र ग्रोथ इंजन के रूप में विशेष योगदान देते हैं। रोजगार सृजन बड़े शहरों में अधिक होता है, जिस कारण इन शहरों में अत्यधिक जनसंख्या के कारण मूलभूत सुविधाएं देना कठिन हो जाता है। इस समस्या के समाधान के लिए देश के विभिन्न शहरों के बीच ‘काउंटर मैग्नेट एरियाज’ विकसित करने होंगे।   उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत की संकल्पना शोध विकास एवं नवाचार के लिए ए.आई रेडीनेस और क्वांटम रेडीनेस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष नीति आयोग की आठवीं बैठक में हिमालयी राज्यों के विकास संबंधित कुछ प्रस्ताव रखे गये थे, उन प्रस्तावों पर हिमालयी राज्यों के परिपेक्ष में विशिष्ट नीतियां बनाने का उन्होंने अनुरोध किया।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

देश को विकसित बनाने में राज्यों की भूमिका अहम: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि साल 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाना हर भारतीय की महत्वाकांक्षा है. उन्होंने कहा कि हरेक राज्य इस लक्ष्य को हासिल करने में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी का कहना था कि राज्यों की भूमिका इसलिए अहम है कि वे लोगों से सीधे जुड़े हुए हैं. राज्यों की जनता का हित राज्य सरकारों का सरोकार का हिस्सा है. केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को हर संभव मदद दी जाती है और राज्य सरकार उसे जनता तक पहुंचाती हैं. इस अहम मीटिंग में पीएम मोदी ने कहा कि विकसित भारत 2047 हर भारतीय की महत्वाकांक्षा है. राज्य इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि वे सीधे लोगों से जुड़े हुए हैं. नीति आयोग की बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि ये दशक बदलावों, तकनीकी और भू-राजनीतिक और अवसरों का भी है.    प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को इन अवसरों का लाभ उठाना चाहिए और अपनी नीतियों को अंतर्राष्ट्रीय निवेश के अनुकूल बनाना चाहिए. यह भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में प्रगति की सीढ़ी है. पीएम ने कहा कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. हमने 100 साल में एक बार आने वाली महामारी को हराया है. हमारे लोग उत्साह और आत्मविश्वास से भरे हुए हैं. हम सभी राज्यों के संयुक्त प्रयास से विकसित भारत 2047 के अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं.नीति आयोग की मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत एक युवा देश है. यह अपने कार्यबल के कारण पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा आकर्षण है. हमें अपने युवाओं को एक कुशल और रोजगार योग्य कार्यबल बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए. विकसित भारत बनाने के लिए स्किल, रिसर्च, इनोवेशन और नौकरी आधारित ज्ञान पर जोर देना जरूरी है.    नीति आयोग की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर की गई एक पोस्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में विकसित भारत में खुशहाल जनता के लिए बड़ी लकीर खींची है और इसे साकार बनाने में राज्यों की भूमिका को काफी अहम करार दिया है. राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित इस बैठक में अनेक राज्यों के मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल, केंद्रीय मंत्री और नीति आयोग के सदस्य शामिल हुए.   *केंद्र राज्य के बीच सहयोग बढ़ाने पर विमर्श* इस बैठक का मकसद केंद्र और राज्य सरकारों के बीच जन कल्याण से जुड़ी सरकारी परियोजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने पर विचार विमर्श करना, सरकारी तंत्र को मजबूती प्रदान करना, साथ ही ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्र की आबादी के जीवन स्तर को बढ़ाना था.   *गैर भाजपा राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बनाई दूरी* हालांकि इस बैठक का गैर-भाजपा शासित कई राज्य सरकारों ने बहिष्कार करने का फैसला किया, और इन राज्यों के मुख्यमंत्री इस बैठक में नहीं आए. तीन कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री मसलन कर्नाटक के सिद्धारमैया, हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के रेवंत रेड्डी ने इस बैठक में आने से पहले ही इनकार कर दिया था. इनके अलावा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और पंजाब और दिल्ली की आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकारों ने भी बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया था. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस बैठक में नहीं आए लेकिन बिहार के दोनों डिप्टी सीएम ने बैठक में शिरकत की.   *ममता बनर्जी ने लगाया माइक बंद करने का आरोप* नीति आयोग की बैठक को बीच में छोड़कर निकलीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा आरोप लगा दिया. उन्होंने कहा कि उनको बोलने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया. उनका माइक बंद कर दिया गया. इससे नाराज होकर वो बैठक बीच में ही छोड़कर निकल आईं. हालांकि बैठक में शामिल केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि ममता बनर्जी को बोलने का पूरा समय दिया गया. समय से पहले उनका माइक बंद नहीं किया गया था. उनका समय खत्म हो गया था.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

कारगिल विजय दिवस: 25 साल पहले पिता ने पाकिस्तान को धूल चटाई और अब बेटा कमान संभाले बैठा है

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। कारगिल विजय दिवस भारत के 140 करोड़ लोगों को गर्व महसूस कराने वाला दिन है। हर साल 26 जुलाई को यह दिन पूरा देश सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन 1999 में कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को हराया था। यह युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला था। यह दिवस उन सभी वीर भारतीय सैनिकों को याद करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने इस युद्ध में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।   कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता दिखाने वाली 8 माउंटेन डिवीजन के लिए यह साल खास है। 25 साल पहले इस डिवीजन ने दुश्मनों को धूल चटाई थी। अब इसी डिवीजन की कमान मेजर जनरल सचिन मलिक संभाल रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि कारगिल युद्ध के वक्त उनके पिता पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक सेनाध्यक्ष थे। जनरल वीपी मलिक ने अपने करियर में 8 माउंटेन डिवीजन का नेतृत्व किया था।   *भारत का सबसे यादगार युद्ध*   कारगिल युद्ध भारत के लिए एक यादगार जीत थी। यह युद्ध दुनिया के सबसे कठिन ऊंचाई वाले युद्धों में से एक था। 8 माउंटेन डिवीजन ने इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जनरल वीपी मलिक के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ बाहर किया था। यह जीत भारतीय सेना की वीरता और साहस का प्रतीक है। मेजर जनरल सचिन मलिक के 8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभालने से इस डिवीजन का गौरव और बढ़ गया है। पिता और पुत्र, दोनों का इस डिवीजन से गहरा नाता रहा है।   *25वीं वर्षगांठ*   जनरल वीपी मलिक ने 25वीं वर्षगांठ पर युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उन्होंने कहा, 'यह 25वीं वर्षगांठ है, जो एक विशेष अवसर है। मैं हमेशा यहां युद्ध में शहीद हुए अधिकारियों और जवानों को श्रद्धांजलि देने और हमारी सेना द्वारा किए गए सभी अच्छे कार्यों को याद करने आता हूं।' इस बार यह मौका और भी खास बन गया क्योंकि सचिन भी इस मौके पर मौजूद थे। सचिन उसी डिवीजन की कमान संभाल रहे हैं जहां जनरल मलिक ने युद्ध लड़ा था। जनरल मलिक ने कहा, 'इस साल यह इसलिए भी खास हो गया है क्योंकि सचिन यहां है और वह उसी डिवीजन की कमान संभाल रहा है जहाँ मैंने युद्ध लड़ा था, उसी जगह पर जहाँ हमने युद्ध लड़ा था।'   8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभाला बड़ी चुनौती   मेजर जनरल सचिन मलिक ने 8 माउंटेन डिवीजन की कमान की चुनौतियों पर बात की। 8 माउंटेन डिवीजन नियंत्रण रेखा पर कठिन परिस्थितियों में काम करता है। मेजर जनरल मलिक इसे एक सौभाग्य और एक बड़ी जिम्मेदारी मानते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं इसे एक सौभाग्य के साथ-साथ एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में देखता हूं।' मेजर जनरल मलिक ने 8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभाली है। यह डिवीजन 1963 से हमेशा ऑपरेशन में रही है, इसलिए इसे 'फॉरएवर इन ऑपरेशन्स' कहा जाता है।   कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर, मेजर जनरल मलिक ने कहा कि उनकी डिवीजन के अधिकांश सैनिक नियंत्रण रेखा पर तैनात हैं। ऐसा इसलिए है ताकि दोबारा कारगिल जैसी कोई घटना न हो सके। उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इन चोटियों पर बहुत खून बहा है। हम कभी किसी को दोबारा ऐसा करने नहीं देंगे। हमें हमेशा सतर्क रहना होगा। कभी भी किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसा दोबारा कभी न हो।   ये चोटियां... इन पर बहुत खून बहाया गया है'   मेजर जनरल मलिक ने 8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभालने को एक बड़ा सम्मान बताया है। उन्होंने कहा, '8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभालना एक बहुत बड़ा सम्मान है, जिसे 'फॉरएवर इन ऑपरेशन्स' डिवीजन के रूप में जाना जाता है- यह अपनी स्थापना (1963 में) के समय से ही हमेशा ऑपरेशन में रही है।' उन्होंने आगे कहा, 'जब हम कारगिल युद्ध की रजत जयंती मना रहे हैं, तो हमें यह याद रखना होगा कि मेरे डिवीजन का बड़ा हिस्सा नियंत्रण रेखा पर तैनात है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसा कुछ दोबारा न हो।   ' उन्होंने इस जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण बताया। उनके अनुसार, 'पहली बात जो दिमाग में आती है वह है भारी जिम्मेदारी। ये चोटियां... इन पर बहुत खून बहाया गया है और ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे हम कभी भी किसी को दोबारा ऐसा करने दें। इसलिए हमें हमेशा पूरी तरह से सतर्क रहना होगा, हमें हर चीज के लिए तैयार रहना होगा और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उस प्रकृति का कुछ भी दोबारा न हो।' फरवरी में मेजर जनरल सचिन मलिक ने माउंटेन डिवीजन के 42वें जनरल ऑफिसर कमांडिंग का पद संभाला।   *पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े*   कारगिल युद्ध मई और जुलाई 1999 के बीच लड़ा गया था। पाकिस्तान से घुसपैठियों ने एल ओ सी के भारतीय हिस्से पर कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना और वायु सेना ने बहादुरी से उनसे मुकाबला किया और कई सामरिक चौकियों पर फिर से कब्जा कर लिया। इससे घुसपैठियों को बाकी चौकियों से पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

भारत के हथियारों की दुनिया में धूम मची

नई दिल्ली, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। हथियारों को निर्यात करने में भारत तेजी से आगे बढ़ा है. पहले भारत सबसे ज्यादा हथियार आयात करता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है. इकोनॉमिक सर्वे 2024 में पता चला कि भारत ने 85 देशों को ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर पिनाका रॉकेट और तोपें बेची हैं. हथियार खरीदने वालों में आर्मेनिया और फिलीपीन्‍स, इटली, मालदीव, रूस, श्रीलंका, यूएई, सऊदी अरब, पोलैंड, मिस्र, इजरायल और स्‍पेन चिली शामिल हैं. इन देशों में तोप के गोले भी भेज रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 के वित्तीय वर्ष में भारत का डिफेंस प्रॉडक्शन 74,054 करोड़ रुपये का था, जो 2023 में बढ़कर 1,08,684 करोड़ पहुंच गया है. 2015 से 2019 के बीच में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार खरीदने वाला देश था, लेकिन वह अब टॉप 25 हथियार निर्यातक देशों में शामिल हो गया है.    *सरकार ने इन योजनाओं का मिल रहा फायदा* दरअसल, भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कई स्कीम लॉन्च कीं, जिनमें पीएलआई समेत कई सारे इंसेंटिव दिए जा रहे हैं. हाल ही में सरकार ने कई हथियार निर्यात करने को भी मंजूरी दी. आंकड़ों की मानें तो अभी 100 से अधिक कंपनियां हथियार और उपकरण निर्यात कर रही हैं. इनमें डोर्नियर 228 विमान, तोपें, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल, पिनाका रॉकेट सिस्‍टम, बॉडी आर्मर, हेलमेट, गोला बारूद, रडार, तोप के गोले समेत कई तरह के उपकरण हैं. सबसे ज्यादा HAL कंपनी विमानों की सप्लाई कर रही है, जिसका फायदा भी मिल रहा है.   *चीन को भी दिया संदेश* वहीं, भारत में निर्मित फाइटर जेट तेजस भी विदेशों में सप्लाई होने वाला है, जिसको लेकर कई देशों ने रुचि दिखाई है. इसके अलावा भारत की कंपनी एचएएल कई हेलीकॉप्टर भी निर्यात कर चुकी है. भारत आर्मेनिया और फिलीपीन्‍स जैसे देशों को हथियार दे रहा है. फिलीपीन्‍स को भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल देकर चीन को भी एक संदेश दे दिया है.          

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Jul 24, 2024

जन-केंद्रित बजट:संजीव पुरी, अध्यक्ष, सीआईआई

नई दिल्ली, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। नई सरकार के पहले बजट ने नौकरियों के सृजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए सतत और न्यायसंगत विकास के लिए एक व्यापक रोडमैप तैयार किया है। बजट 2025-26 समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए एक व्यापक रोडमैप प्रदान करता है ताकि प्रत्येक भारतीय नए और प्रगतिशील भारत की विकास आकांक्षाओं में एक इक्विटी धारक बन सके। विकसित भारत के लिए बजट में अनावरण की गई नौ प्रमुख प्राथमिकताएँ एक समावेशी लचीले, समृद्ध, पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और तकनीकी रूप से उन्नत भारत के लिए एक व्यापक खाका प्रदान करती हैं, जो 2047 में विकसित भारत की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।   बजट में रोजगार, कौशल विकास, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया गया है, साथ ही कृषि, शहरी विकास, राज्यों को अगली पीढ़ी के सुधारों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित करने, उपभोग, निवेश और मांग के चक्र को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने, स्टार्ट-अप और महिलाओं को समर्थन देने आदि पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह समय के साथ लिया गया कदम है और लोगों को सशक्त बनाने और उपभोग और विकास को गति प्रदान करते हुए विकास को समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। ऐसा करने में, वित्त मंत्री को चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को उम्मीद से बेहतर जीडीपी के 4.9 प्रतिशत पर लाकर चतुर वित्तीय प्रबंधन का प्रदर्शन करने के लिए श्रेय दिया जाना चाहिए, जबकि पूंजीगत व्यय पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा, जो कि चुनौतीपूर्ण बाहरी परिवेश और भारत पर इसके प्रभाव को देखते हुए कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।   वहीं सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी का कहना है कि केंद्रीय बजट समावेशन के साथ विकास को आगे बढ़ाने के लिए भारत की सफल समग्र आर्थिक रणनीति को निरंतरता प्रदान करता है केंद्रीय बजट 2024-25 निवेश और सुधारों के नेतृत्व में सरकार की पिछली दो कार्यकालों की सफल आर्थिक रणनीति को आगे बढ़ाता है और समावेशन और सशक्तिकरण पर केंद्रित है। रोजगार सृजन और विकास के दोहरे उद्देश्यों के साथ अगली पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए राज्यों के साथ सहयोग की घोषणा एक स्वागत योग्य कदम है। 5 वर्षों की अवधि में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान, भारत के युवाओं को भारत की विकास कहानी में भाग लेने के लिए सशक्त बनाने में मदद करेगा।   महिलाओं और लड़कियों के लिए योजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ, महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास एक उच्च प्राथमिकता बनी हुई है। रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन (ईएलआई) के तहत घोषित तीन योजनाएं वास्तव में स्वागत योग्य हैं और सीआईआई की सिफारिशों के अनुरूप हैं।   सब्जी क्लस्टर स्थापित करना, कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को बढ़ावा देना और सहकारी समितियों को बढ़ावा देना जैसी पहल भारतीय किसानों को सशक्त बनाएगी और उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगी। बजट में सभी के लिए अवसर पैदा करने के उद्देश्य से घोषित नौ प्राथमिकताओं ने भारत को निरंतर उच्च विकास पथ पर अग्रसर होने के लिए मंच तैयार किया है, जो कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 24, 2024

शाह, राजनाथ, शिवराज से गडकरी तक... बजट में किस मंत्री को मिला सबसे ज्यादा पैसा

नई दिल्ली, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट पेश कर दिया. सीतारमण के मुताबिक, बजट में गरीब, किसान, महिलाओं और युवाओं पर फोकस रखा गया है. हर बार की तरह इस बार भी आम बजट में मंत्रालय के लिए भी पैसा आवंटित किया गया है. आइए जानते हैं कि मोदी सरकार ने मंत्रालयों के लिए कितने पैसों का प्रावधान किया गया है. बजट 2024-25 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सबसे ज्यादा पैसा मिला है. यह मंत्रालय नितिन गडकरी के पास है. बजट में नितिन गडकरी के परिवहन मंत्रालय के लिए 544128 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.    *रक्षा मंत्रालय को 454773 करोड़ रु* इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर रक्षा मंत्रालय है, जो राजनाथ सिंह के पास है. बजट में रक्षा मंत्रालय के लिए 454773 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा अमित शाह के गृह मंत्रालय के लिए 150983 करोड़ का प्रावधान किया गया है.    *कृषि के लिए 151851 करोड़ का प्रावधान* वहीं, शिवराज सिंह चौहान के कृषि मंत्रालय के लिए बजट में 151851 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा हेल्थ मिनिस्ट्री के लिए 89287 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. यह मंत्रालय जेपी नड्डा के पास है.इसके अलावा धर्मेंद्र प्रधान के शिक्षा मंत्रालय के लिए 125638 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. वहीं, विदेश मंत्रालय के लिए 22155 करोड़ का प्रावधान किया गया है. शहरी विकास के लिए बजट में 82577 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इसके अलावा ऊर्जा मंत्रालय को 68769 करोड़ रुपये, आईटी और दूरसंचार मंत्रालय के लिए 116342 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. वहीं, ग्रामीण विकास के लिए 265808 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. वित्त मंत्री सीतारमण ने लोकसभा में 2024-25 के लिए बजट पेश करते हुए कहा, इस साल मैंने ग्रामीण अवसंरचना सहित ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.    *4 साल में सबसे कम हुआ साइज, वित्त मंत्री ने रक्षा बजट में की 1.67 लाख करोड़ की कटौती* बजट में उन्होंने कृषि से लेकर युवाओं के कौशल विकास तक कई सेक्टरों के लिए ऐलान किए. वहीं दूसरी ओर इस बजट में रेलवे और डिफेंस जैसे सेक्टरों को निराशा हाथ लगी. वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में जहां रेलवे का एक ही बार जिक्र किया, वहीं रक्षा क्षेत्र के बजट में भारी-भरकम कटौती कर दी गई.   *अंतरिम बजट की तुलना में इतनी बड़ी कटौती* वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 4.54 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इससे पहले फरवरी में आए अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र को 6.21 लाख करोड़ रुपये देने का ऐलान किया गया था. यानी चार महीने पहले आए अंतरिम बजट की तुलना में अब पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र का आवंटन 1.67 लाख करोड़ रुपये कम हो गया है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब डिफेंस सेक्टर के बजट में इस तरह की कटौती हुई है.   इस तरह बढ़ रहा था रक्षा क्षेत्र पर खर्च इससे पहले मोदी सरकार के कार्यकाल में रक्षा क्षेत्र का बजट लगातार बढ़ता गया था. इस बार के बजट से पहले पिछले चार साल में रक्षा बजट का आकार लगभग 30 फीसदी बढ़ा था. साल 2020 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए सरकार ने 4.71 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. उसके बाद 2021 के बजट में रक्षा क्षेत्र के खर्च को बढ़ाकर 4.78 लाख करोड़ रुपये किया गया था. *4 साल में सबसे कम हुआ रक्षा बजट* साल 2022 के बजट में पहली बार रक्षा बजट का आकर 5 लाख करोड़ रुपये के पार निकला था और 5.25 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. वहीं पिछले साल यानी 2023 के बजट में रक्षा क्षेत्र को मोदी सरकार ने 5.94 लाख करोड़ रुपये दिया था. चार महीने पहले आए अंतरिम बजट में तो रक्षा बजट का साइज बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गया था. हालांकि इस बार रक्षा क्षेत्र को 4.54 लाख करोड़ रुपये मिले हैं, जो 4 साल में सबसे कम हैं. साल 2019 में रक्षा क्षेत्र को इससे भी कम 3.19 लाख करोड़ रुपये मिले थे.   *6 लाख करोड़ से ज्यादा की थी उम्मीद* पिछले साल आए बजट तक देखें तो बीते 4 साल के दौरान रक्षा क्षेत्र के बजट में 6.5 फीसदी की सालाना दर (सीएजीआर) से बढ़ोतरी हो रही थी. मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की महात्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है. सरकार चाहती है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों का ज्यादा से ज्यादा सामान खुद तैयार करे और आयात पर निर्भरता कम हो. इसके साथ ही सरकार का जोर सेनाओं के आधुनिकीकरण पर है. ऐसे में लोग रक्षा क्षेत्र का बजट 6 लाख करोड़ रुपये से तो ऊपर ही रहने की उम्मीद कर रहे थे.   *रेलवे सेक्टर हो गया इग्नोर, वित्त मंत्री के भाषण में सिर्फ एक बार आया जिक्र* वित्त वर्ष 2024-25 के बजट से उम्मीद लगाए बैठे रेल यात्रियों के हाथ एक बार फिर निराशा आई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मंगलवार को संसद में नया बजट पेश किया. उनके बजट भाषण में रेलवे सेक्टर पूरी तरह से हााशिए पर खिसक गया और करीब डेढ़ घंटे के भाषण में सिर्फ एक बार रेलवे का जिक्र आया.   *साल 2016 में आया था आखिरी रेल बजट* कुछ साल पहले तक बजट के सीजन में रेल बड़ा आकर्षण हुआ करता था. अभी बहुत समय नहीं बीता है, जब अलग से रेल बजट आया करता था और उसे खूब सुर्खियां मिली करती थीं. हालांकि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान सितंबर 2016 में रेल बजट को आम बजट में शामिल करने की मंजूरी दे दी गई. उसके बाद 2017 में जब बजट पेश हुआ तो रेल बजट उसका एक हिस्सा बन चुका था.   *आंध्र प्रदेश के बहाने हुआ एक बार जिक्र* हालांकि अलग से रेल बजट समाप्त होने के बाद संयुक्त बजट में भी रेलवे की अच्छी-खासी हिस्सेदारी होती थी. बजट में रेलवे को लेकर कई बड़ी योजनाओं का ऐलान किया जाता था. ऐसा पहली बार हुआ है, जब बजट में रेलवे इस तरह से हाशिए पर खिसका हो और पूरे बजट भाषण में उसके हिस्से में सिर्फ एक बार का जिक्र आया हो. दिलचस्प है कि वह एक जिक्र भी सीधे-सीधे रेलवे के कारण नहीं हुआ. वित्त मंत्री ने वह एकमात्र जिक्र आंध्र प्रदेश में इंफ्रा प्रोजेक्ट के बारे में बोलने के दौरान किया.   *इन उम्मीदों पर बजट में फिरा पानी* बजट से पहले लोग रेलवे को लेकर काफी उम्मीद लगाए हुए थे. मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में रेलवे पर काफी काम भी किया है. हाल-फिलहाल में एक के बाद एक कई रेल दुर्घटनाएं सामने आई हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि बजट में रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने संबंधी उपायों का ऐलान किया जा सकता है. वहीं रेल यात्रा से जुड़ी सालों पुरानी टिकट नहीं मिलने की समस्या के समाधान की भी उम्मीद की जा रही थी. ऐसा माना जा रहा था को मोदी सरकार बजट में नई व आधुनिक ट्रेनों की सौगात रेल यात्रियों को दे सकती है.   *वरिष्ठ नागरिकों-महिलाओं को रियायत नहीं* रेल यात्रियों में वरिष्ठ नागरिकों को महिलाओं को कोविड के बाद से समाप्त रियायत बहाल होने की भी उम्मीद थी. कोविड से पहले तक वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को रेल टिकट पर विशेष रियायत मिलती थी. लॉकडाउन के बाद जब दोबारा ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ तो इस रियायत को समाप्त कर दिया गया. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस बजट में रियायतें दोबारा चालू हो सकती हैं. हालांकि सरकार ने इस मुद्दे पर अपना रुख हमेशा साफ रखा था कि उसका इरादा इन रियायतों को फिर से शुरू करने का नहीं है.   *जानिए किसे-कितनी राशि आवंटित की गई?* मंत्रालय। ** राशि (करोड़ रुपए में) वित्त मंत्रालय 1858158.52 रक्षा मंत्रालय 621940.85 सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय 278000.00 रेल मंत्रालय 255393.00 उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय 223323.36 गृह मंत्रालय 219643.31 ग्रामीण विकास मंत्रालय 180233.43 रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय 168499.87 संचार मंत्रालय 137293.90 कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय 132469.86 शिक्षा मंत्रालय 120627.87 जल शक्ति मंत्रालय 98713.78 स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय 90958.63 आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय 82576.57 महिला एवं बाल विकास मंत्रालय 26092.19 परमाणु ऊर्जा विभाग 24968.98 श्रम और रोजगार मंत्रालय 22531.47 विदेश मंत्रालय 22154.67 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय 22137.95 इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 21936.90 ऊर्जा मंत्रालय 20502.00 नवीन और नवीकरणीय मंत्रालय ऊर्जा 19100.00 विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय 16628.12 पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय 15930.26 सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता 14225.47 अंतरिक्ष विभाग 13042.75 आदिवासी मामलों का मंत्रालय 13000.00 वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय 11469.14 भारी उद्योग मंत्रालय 7242.00 मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय 7137.68 कानून और न्याय मंत्रालय 6788.33 पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय 5900.00 सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय 5453.83 कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय 4520.00 वस्त्र मंत्रालय 4417.03 सूचना और प्रसारण मंत्रालय 4342.55 आयुष मंत्रालय 3712.49 युवा मामले एवं खेल मंत्रालय 3442.32 पर्यावरण, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय जलवायु परिवर्तन 3330.37 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय 3290.00 संस्कृति मंत्रालय 3260.93 अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय 3183.24 पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय 3064.80 कॉर्पोरेट मामले मंत्रालय 2667.06 पर्यटन मंत्रालय 2479.62 कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय 2379.87 बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय 2377.49 नागरिक उड्डयन मंत्रालय 2357.14 खान मंत्रालय 1941.06 राष्ट्रपति, संसद, संघ लोक सेवा आयोग और उपराष्ट्रपति का सचिवालय 1884.92 पंचायती राज मंत्रालय 1183.64 सहकारिता मंत्रालय 1183.39 योजना मंत्रालय 837.26 इस्पात मंत्रालय 325.66 कोयला मंत्रालय 192.55 संसदीय मामलों का मंत्रालय 64.00 कुल योग 4820512.08.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 24, 2024

कांग्रेस का वार: 'खुशी है कि वित्त मंत्री ने हमारा घोषणापत्र पढ़ा

नई दिल्ली, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। बजट पेश होते ही कांग्रेस ने चुटकी ली। कहा कि खुशी है कि वित्त मंत्री ने लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस का 2024 का घोषणापत्र पढ़ा है। वहीं, सबसे पुरानी पार्टी ने यह भी कहा कि बजट भाषण दिखावे पर ज्यादा केंद्रित रहा है। दरअसल, वित्त मंत्री सीतारमण ने केंद्रीय बजट-2024-25 में प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना की घोषणा की है, जिसके तहत युवाओं को इंटर्नशिप के साथ पांच हजार रुपये का मासिक भत्ता मिलेगा।   *पहली नौकरी पक्की...* पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने जिस इंटर्नशिप योजना की घोषणा की है वह इस लोकसभा चुनाव के कांग्रेस के घोषणापत्र में किए गए प्रशिक्षुता के अधिकार के वादे पर आधारित है, जिसके तहत उसने डिप्लोमा एवं डिग्रीधारक बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण के साथ एक साल तक हर महीने 8500 रुपये देने का वादा किया था। कांग्रेस ने इस कार्यक्रम को ‘पहली नौकरी पक्की’ नाम भी दिया था।   *सरकार ने कांग्रेस का घोषणापत्र पढ़ा* पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, ‘मुझे यह जानकर खुशी हुई कि वित्त मंत्री ने चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस का लोकसभा 2024 का घोषणापत्र पढ़ा है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि उन्होंने कांग्रेस घोषणापत्र के पृष्ठ 30 पर उल्लिखित रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन (ईएलआई) को अपना लिया है।’ उन्होंने आगे कहा, 'मुझे इस बात की भी खुशी है कि उन्होंने कांग्रेस घोषणापत्र के पृष्ठ 11 पर उल्लिखित प्रत्येक प्रशिक्षु के लिए भत्ते के साथ-साथ प्रशिक्षुता योजना भी शुरू की है। काश, वित्त मंत्री ने कांग्रेस घोषणापत्र में कुछ अन्य विचारों की नकल की होती। मैं शीघ्र ही छूटे हुए बिंदुओं की सूची बनाऊंगा।   *सरकार ने माना कि बेरोजगारी राष्ट्रीय संकट* कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण दिखावे पर ज्यादा केंद्रित रहा है तथा केंद्र सरकार ने 10 साल के इनकार के बाद स्वीकार किया है कि बेरोजगारी राष्ट्रीय संकट है जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार नौकरी बाजार में प्रवेश करने वाले 30 लाख युवाओं को एक महीने का पीएफ (भविष्य निधि) योगदान देकर प्रोत्साहन देगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना के तहत 5,000 रुपये का मासिक भत्ता मिलेगा।   *वित्त मंत्री ने कांग्रेस के न्याय पत्र-2024 से सीख ली* रमेश ने सोशल मीडिया मंच पर कहा, ‘वित्त मंत्री ने कांग्रेस के न्याय पत्र-2024 से सीख ली है, जिसमें इसका इंटर्नशिप कार्यक्रम स्पष्ट रूप से कांग्रेस के प्रस्तावित प्रशिक्षुता कार्यक्रम पर आधारित है, जिसे पहली नौकरी पक्की कहा गया था। हालाकि, अपनी चिरपरिचित शैली में योजना को सभी डिप्लोमा धारकों और स्नातकों के लिए गारंटी के बजाय मनमाने लक्ष्य (एक करोड़ इंटर्नशिप) के साथ, सुर्खियां बटोरने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने दावा किया, ‘10 साल के इनकार के बाद ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार अंततः चुपचाप स्वीकार करने के लिए आगे आई है कि बड़े पैमाने पर बेरोजगारी एक राष्ट्रीय संकट है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। रमेश ने कहा कि अब तक बहुत देर हो चुकी है और लगता है कि बजट भाषण कदम उठाने की तुलना में दिखावे पर अधिक केंद्रित है।    *राहुल ने इसे कुर्सी बचाओ बजट बताया* मोदी 3.0 के पहले बजट को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता जमकर तारीफ कर रहे हैं. वहीं इस बजट को लेकर लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के कद्दावर नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. राहुल ने इसे कुर्सी बचाओ बजट बताया. राहुल गांधी ने इस बजट को सहयोगियों को खुश करने वाला बताया है. उन्होंने कहा, बजट में अन्य राज्यों की कीमत पर उनसे (सहयोगियों) खोखले वादे किए गए. राहुल ने कहा, ये बजट अपने मित्रों को खुश करने के लिए लाया गया है. इससे अडानी अंबानी को लाभ होगा और आम भारतीय को कोई राहत नहीं मिलेगी. इतना ही नहीं राहुल गांधी ने इस बजट को कॉपी पेस्ट करार दिया. राहुल ने दावा किया कि बजट कांग्रेस के घोषणा पत्र और पिछले बजट से कॉपी किया गया है.    *बजट पर क्या बोले खरगे?* उधर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी इसे कॉपी पेस्ट बजट करार दिया. खरगे ने ट्वीट कर कहा, कांग्रेस के न्याय के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पाया मोदी सरकार का नकलची बजट. मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी रेवड़ियां बांट रहा है, ताकि एनडीए बची रहे. ये देश की तरक्की का नहीं मोदी सरकार बचाओ बजट है.    *बजट पर क्या बोलीं मायावती?* बसपा अध्यक्ष मायावती ने संसद में पेश केन्द्रीय बजट को अच्छे दिन की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा बताया है. मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कहा कि संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर व धन्ना सेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों व उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति हेतु अच्छे दिन की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा है.   मायावती ने कहा, देश में छाई जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन तथा यहां के 125 करोड़ से अधिक कमजोर तबकों के उत्थान व उनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के प्रति इस नई सरकार में भी अपेक्षित सुधारवादी नीति व नीयत का अभाव है.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) | 

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Jul 24, 2024