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कैसी होगी 'मोदी बजट' की पहली चाय? कड़वे घूंट में दिखेगा अमृतकाल का विजन!

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। रूस यात्रा से लौटने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहली बैठक अर्थव्यवस्था के शीर्ष जानकार लोगों के साथ की है। 23 जुलाई को बजट पेश करने से पूर्व हुई इस सबसे महत्वपूर्ण बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और नीति आयोग के वाइस चेयरमैन सुमन बेरी के अलावा राव इंद्रजीत सिंह, मुख्य आर्थिक सलाहकार वीए नागेश्वरन और बैंकिंग क्षेत्र के प्रमुख लोग भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के शीर्ष अर्थशास्त्रियों की बैठक में सबके विचार सुने और कुछ बिंदुओं पर अपने महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की आर्थिक बेहतरी के लिए कड़े कदम उठाने के पक्षधर रहे हैं।   वे लोगों को तात्कालिक लाभ वाली 'मीठी गोली' देने की बजाय दूरगामी बेहतरी के लिए 'कड़वे काढ़े' को बेहतर बताते रहे हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद सत्र की शुरुआत में ही इस बात का संकेत दिया था कि आने वाले बजट में देश के शताब्दी वर्ष तक की उपलब्धियों का खाका खींचा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं अपने इस तीसरे कार्यकाल में देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की बात कहते रहे हैं। वे आजादी के शताब्दी वर्ष यानी 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने की बात भी करते रहे थे। ऐसे में माना यही जा रहा है कि केंद्र सरकार आज़ादी के 75वें वर्ष में देश को विकसित देश बनाने के लिए बजट में अहम कदमों की घोषणा की जा सकती है।    *क्या होंगे उपाय?* केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए मूलभूत ढांचे में निवेश को अपना मूलमंत्र बना रखा है। रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने और प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र में मांग को बनाए रखने के लिए सरकार एक बार फिर मूलभूत ढांचे में निवेश को अपनी प्राथमिकता बनाए रख सकती है। इसके साथ ही विदेशी निवेश और निजी निवेशकों के द्वारा सौर ऊर्जा, वाहनों के निर्माण, मोबाइल उद्योग सहित प्रमुख क्षेत्रों में निवेश करवा कर वह देश की अर्थव्यवस्था को तेज गति देने की कोशिश कर सकती है। अहम क्षेत्रों में निवेश करने पर औद्योगिक इकाइयों को विशेष छूट दिए जाने का विकल्प भी आजमाया जा सकता है।   *राजनीतिक स्थिति का असर* केंद्र सरकार की राजनीतिक स्थिति पिछली बार की तरह संसद में उतनी मजबूत नहीं रह गई है। अब तक अनुमान यही जताया जा रहा था कि बजट में कठोर कदम उठाने पर उसे सहयोगी दलों का दबाव झेलना पड़ सकता है। अगले डेढ़ साल के बीच भाजपा को छह प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव का सामना भी करना है। लेकिन सरकार से जुड़े सूत्रों का दावा है कि देश की अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए वह कड़े कदम उठाना जारी रखेगी।     वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट निर्माण की प्रक्रिया में अब तक लगभग हर क्षेत्रों के प्रमुख स्टेक होल्डर्स से मुलाकात कर चुकी हैं। कुछ प्रतिनिधियों ने आज की महंगाई के दौर से उपभोक्ताओं के हाथों में खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा छोड़ने के उद्देश्य से आयकर सीमा बढाने की मांग की थी। लेकिन जिस तरह सरकार पर आर्थिक दबाव हैं, माना यही जा रहा है कि आयकर में छूट मिलने के कोई आसार नहीं हैं। हालांकि, बजट में गरीबों, किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष योजनाओं में खर्च बढ़ाया जा सकता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

आठ हाईकोर्ट्स में नए मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने देश के आठ अलग-अलग हाईकोर्ट में नए चीफ जस्टिसों की नियुक्ति की सिफारिश की है। दिल्ली, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, मध्य प्रदेश, केरल मेघालय और मद्रास हाईकोर्ट में नए चीफ जस्टिसों की नियुक्ति की नियुक्ति की सिफारिश की गई है। केंद्र सरकार की मंजूरी मिलते ही चीफ जस्टिसों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो जाएगा।   सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, और जस्टिस बीआर गवई की कॉलेजियम ने इस प्रस्ताव को पारित किया। जस्टिस मनमोहन को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया। वे अभी दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस हैं। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस एमएस रामचंद्र राव के नाम का प्रस्ताव रखा गया है। उन्हें वर्तमान चीफ जस्टिस बीआर सारंगी के सेवानिवृत्त होने के बाद इस पद पर ट्रांसफर किया जाएगा।   वर्तमान समय में दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस राजीव शकधर को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की गई है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज जस्टिस गुरमीत सिंह संधावलिया को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस नितिन जामदार को केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जस्टिस आर श्रीराम को मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की गई है। बता दें कि जस्टिस श्रीराम भी बॉम्बे हाईकोर्ट के ही जज हैं। जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस ताशी रबस्तान को मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की गई है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

आप का भाजपा पर आरोप: देश के हर न्यायालय ने भाजपा के षड्यंत्र का पर्दाफाश किया

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाले से जुड़े ईडी वाले मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी है। वहीं इस पर आम आदमी पार्टी की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि इस देश के एक के बाद एक हर न्यायालय ने आपके भाजपा षड्यंत्र का पर्दाफाश किया है। अरविंद केजरीवाल की ये जमानत आज पूरे देश के सामने ये साफ कर देती है कि अरविंद केजरीवाल सत्य के साथ खड़े थे, खड़े हैं और खड़े रहेंगे।   दिल्ली सरकार में मंत्री अतिशी ने कहा, 'भाजपा को पता था कि अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिल गई है। और सुप्रीम कोर्ट से भी जमानत मिल जाएगी इसलिए उन्होंने एक और षड्यंत्र रचा और सुप्रीम कोर्ट में जिस दिन अरविंद केजरीवाल की जमानत का केस आना था उससे पिछले दिन अपने एक और राजनीतिक हथियार सीबीआई से अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करवा दिया। इस देश के एक के बाद एक हर न्यायालय ने आपके भाजपा षड्यंत्र का पर्दाफाश किया है। अरविंद केजरीवाल की ये जमानत आज पूरे देश के सामने ये साफ कर देती है कि अरविंद केजरीवाल सत्य के साथ खड़े थे, खड़े हैं और खड़े रहेंगे।   आतिशी ने कहा कि राउज एवेन्यू कोर्ट ने भी सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा था कि ईडी के पास कोई सुबूत नहीं है, ईडी पक्षपात से काम कर रही है। आज सुप्रीम कोर्ट ने भी सीएम को जमानत देते हुए, राउज एवेन्यू कोर्ट के जमानत के फ़ैसले पर मोहर लगा दी है। आप नेता संदीप पाठक ने कहा, 'आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला ऐतिहासिक है। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा द्वारा रचित तथाकथित शराब घोटाले को ध्वस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी जमानत देते वक्त कई महत्वपूर्ण बातें कही थी कि कोई भी सुबूत नहीं मिला है और ईडी पक्षपाती है। क्या अरविंद केजरीवाल जी की गिरफ़्तारी गैर कानूनी है, इसे सुप्रीम कोर्ट ने ऊपर की बेंच को भेज दिया है।    हर सरकार की कोई ना कोई उपलब्धि होती है। मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि मोदी और अमित शाह अगर किसी को चुनाव में हरा नहीं सकते तो उसे फर्जी केस में जेल में डाल देते हैं। मैं मोदी और अमित शाह से यही कहना चाहता हूँ कि वो इस गंदी राजनीति को बंद कर दिल्ली और देश का समय बर्बाद ना करें। ईडी की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शुक्रवार को सुनवाई हुई। याचिका में दिल्ली में कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने इस याचिका को बड़ी पीठ के पास भेज दिया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

सुप्रीम कोर्ट: ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। अहम बात यह है कि केजरीवाल को यह राहत ईडी से जुड़े मामले में दी गई है और फिलहाल वे सीबीआई की हिरासत में हैं। ऐसे में उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा। इससे पहले पीठ ने 17 मई को केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। दरअसल, ईडी की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शुक्रवार को सुनवाई हुई। याचिका में दिल्ली में कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने इस याचिका को बड़ी पीठ के पास भेज दिया है।   कोर्ट ने ईडी की ओर से दायर आबकारी नीति मामले में अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि हम धारा 19 के प्रश्न पर विचार कर रहे हैं। हमने धारा 19 और 45 के बीच अंतर साफ कर दिया है। धारा 19 जांच अधिकारी की व्यक्तिपरक राय है। धारा 45 न्यायालय की ओर से किया गया प्रयोग है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि न्यायालय की शक्ति अधिकारी की शक्ति से अलग होती है। हमने गिरफ्तारी की आवश्यकता, अनिवार्यता को आधार बनाया है। विशेष रूप से आनुपातिकता के सिद्धांत के मद्देनजर, जिसे हमने बड़ी पीठ के पास भेजा है। तो गिरफ्तारी की नीति क्या है, इसका आधार क्या है, हमने संदर्भित किया है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि क्या गिरफ्तारी की आवश्यकता, अनिवार्यता गिरफ्तारी के औपचारिक मापदंडों की संतुष्टि को संदर्भित करती है।   हमने माना है कि केवल पूछताछ से गिरफ्तारी की अनुमति नहीं मिलती। अरविंद केजरीवाल ने 90 दिनों की कैद झेली है। हम निर्देश देते हैं कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए। हमें पता है कि वह एक निर्वाचित नेता हैं। हम स्पष्ट नहीं हैं कि क्या हम एक निर्वाचित नेता को पद छोड़ने और सीएम के रूप में काम न करने का निर्देश दे सकते हैं। हम इसे उन पर छोड़ते हैं। जस्टिस खन्ना ने कहा कि हमने चुनाव फंडिंग के बारे में एक प्रश्न भी उठाया है। हाल ही में संविधान पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। एक तरह से यह मामला भी चुनावों में फंडिंग से जुड़ा हुआ है। जिसकी गहराई से जांच की गई।   *किस मामले में आया फैसला?*   शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल को धनशोधन मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर ईडी से जवाब मांगा था।आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक ने दिल्ली हाईकोर्ट के नौ अप्रैल के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।   *हाईकोर्ट ने क्या कहा था?*   हाईकोर्ट ने मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कोई अवैधता नहीं है और जांच में उनके शामिल होने से बार-बार इनकार करने के बाद ईडी के पास कोई विकल्प नहीं बचा था।   *यहां जानिए पूरा घटनाक्रम*   मुख्यमंत्री को ईडी ने धनशोधन मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। उन्हें एक निचली अदालत ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर मामले में 20 जून को जमानत दी थी। हालांकि, ईडी ने अगले दिन दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था। ईडी ने दलील दी थी कि केजरीवाल को जमानत देने का निचली अदालत का आदेश एकतरफा और गलत था। केजरीवाल को कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में 26 जून को सीबीआई ने भी गिरफ्तार किया था।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

इमरजेंसी की याद में 25 जून को मनाया जाएगा 'संविधान हत्या दिवस' केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लते हुए 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है. इसे लेकर सरकार ने अधिसूचना जारी किया है. 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लागू किया गया और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अगले दिन 26 जून को रेडियो पर देश की जनता को इस बात की जानकारी दी. गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट पर जारी अधिसूचना को शेयर कर यह जानकारी दी.   *गृह मंत्री अमित शाह ने क्या कहा?*   गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था. लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया. भारत सरकार ने हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया है. यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था.   उन्होंने आगे लिखा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं व उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया। ‘संविधान हत्या दिवस’ हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा, ताकि कांग्रेस जैसी कोई भी तानाशाही मानसिकता भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए।'   *पीएम मोदी ने भी किया ट्वीट*   25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने के सरकार के निर्णय पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को रौंदा गया था, तब क्या हुआ था। यह प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले, जो भारतीय इतिहास का एक काला दौर था।   *भारतीय इतिहास का विवादास्पद फैसला*   पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का यह फैसला भारत के इतिहास में काफी विवादास्पद रहा है. इसे लागू करने की कई वजहों में से एक राजनीतिक अस्थिरता बताई जाती है. इमरजेंसी के दौरान कई चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. प्रेस पर सेंशरशिप लागू करने के साथ-साथ नागरिकों की स्वतंत्रता को भी सीमित कर दिया गया था.   *इमरजेंसी के बाद इंदिरा की हार*   आपातकाल के दौरान विपक्ष के बड़े नेता जेल में थे, लेकिन उन्होंने एकता दिखाई. विपक्षी के कई नेता सड़क पर उतरे और राष्ट्रपति भवन का घेराव किया, जिनपर कार्रवाई भी हुई. आपातकाल हटने बाद 1977 में चुनाव कराए गए, जिसमें इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा था. उस समय खुद इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव हार गईं थी.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

मनीष सिसोदिया की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में जज ने खुद को सुनवाई से कर लिया अलग

नई दिल्ली, 11 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई. वह करीब 16 महीने से जेल में बंद हैं और जमानत के लिए कई बार अर्जी लगा चुके हैं. दरअसल, दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई कर रहे जज ने खुद को इससे अलग कर लिया है.    सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय कुमार ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया है. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम के खिलाफ शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के केस में मुकदमा दर्ज किया गया है. सिसोदिया ने इस केस में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना, संजय करोल और संजय कुमार को करनी थी, लेकिन कुमार ने खुद को इससे अलग कर लिया.   *वकील ने की थी तत्काल सुनवाई की मांग* शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि मनीष सिसोदिया की याचिका पर एक अन्य पीठ सुनवाई करेगी, जिसका जस्टिस संजय कुमार हिस्सा नहीं होंगे. जैसे ही अदालत में मामले की सुनवाई हुई, वैसे ही जस्टिस खन्ना ने कहा, "हमारे भाई को कुछ परेशानी है. वह निजी कारणों से इस मामले को नहीं सुनना चाहते हैं." इस पर आम आदमी पार्टी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ से गुजारिश की कि इस मामले पर तत्काल सुनवाई की जाए.    *15 जुलाई को होगी मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई* मनीष सिसोदिया के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ईडी और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन सीबीआई दोनों ने शराब नीति मामले में केस दर्ज किया है. इसका जिक्र करते हुए सिंघवी ने कहा कि दोनों ही मामलों में अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक अन्य पीठ 15 जुलाई को जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी. इस तरह अब मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सोमवार 15 जुलाई को सुनवाई होने वाली है.    *मनीष सिसोदिया की पिछले साल हुई गिरफ्तारी* आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति मामले में कथित भूमिका के लिए सीबीआई ने 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था. इसके बाद शराब नीति मामले की जांच कर रही ईडी ने मनीष सिसोदिया को मनी लॉन्ड्रिंग केस में 9 मार्च, 2023 को सिसोदिया को गिरफ्तार किया. सिसोदिया ने सीबीआई की गिरफ्तारी के दो दिन बाद ही यानी 28 फरवरी, 2023 को ही दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 11, 2024

महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा समान नागरिक संहिता कानून : पुष्कर सिंह धामी

नई दिल्ली, 11 जुलाई  2024 (यूटीएन)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बुधवार को डीपीएमआई सभागार न्यू अशोक नगर नई दिल्ली में म्येरू पहाड़ फाउण्डेशन द्वारा उत्तराखण्ड में सर्वप्रथम समान नागरिक संहिता विधेयक विधान सभा से पारित होने पर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में बडी संख्या में बुद्धिजीवियों, जनप्रतिनिधियों एवं अन्य गणमान्य लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया। उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता लागू किये जाने के लिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों की सभी ने प्रशंसा की। मुख्यमंत्री ने राज्य विधान सभा में नागरिक संहिता विधेयक पास होने के पीछे उत्तराखण्ड की जनता का आशीर्वाद बताते हुये कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह कानून मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री ने इसके लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्र सरकार तथा प्रदेश की देवतुल्य जनता का भी आभार व्यक्त किया।   मुख्यमंत्री ने संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर एवं पं. दीन दयाल उपाध्याय को नमन करते हुए कहा कि देश में सभी के लिये सभी के लिये समान कानून लागू करने का हमारा संकल्प रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ने समान नागरिक संहिता पर देवभूमि की सवा करोड़ जनता से किये गए अपने वादे को निभाया है। हमने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ’’एक भारत और श्रेष्ठ भारत’’ मन्त्र को साकार करने के लिए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना आशीर्वाद देकर पुनः सरकार बनाने का मौका दिया। सरकार गठन के तुरंत बाद, जनता जर्नादन के आदेश को सिर माथे पर रखते हुए हमने अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीमती रंजना प्रकाश देसाई जी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की।     मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिये 43 जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर समिति को विभिन्न माध्यमों से लगभग 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए। प्राप्त सुझावों का अध्ययन कर समिति ने उनका रिकॉर्ड समय में विश्लेषण कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट 02 फरवरी को सरकार को सौंपी तथा 7 फरवरी को विधान सभा द्वारा पारित कर 11 मार्च को राष्ट्रपति महोदया द्वारा इसे स्वीकृति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि इसकी नियमावली बनाने के लिये समिति का गठन किया गया है। समिति की रिपोर्ट प्राप्त होते ही इस वर्ष अक्टूबर तक इसे प्रदेश में लागू कर दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है उसी प्रकार राज्य विधान सभा से पारित समान नागरिक संहिता के रूप में निकलने वाली समान अधिकारों की संहिता रूपी ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।   मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात संविधान स्वयं करता है, क्योंकि हमारा संविधान एक पंथनिरपेक्ष संविधान है। यह एक आदर्श धारणा है, जो हमारे समाज की विषमताओं को दूर करके, हमारे सामाजिक ढांचे को और अधिक मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि माँ गंगा-यमुना का यह प्रदेश, भगवान बद्री विशाल, बाबा केदार, आदि कैलाश, ऋषि-मुनियों-तपस्वियों, वीर बलिदानियों की इस पावन धरती ने एक आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लिखित होने के बावजूद अब तक इसे दबाये रखा गया। धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से माताओं-बहनों और बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों को रोका जाए। हमारी माताओं-बहन-बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जाए। हमारी आधी आबादी को सच्चे अर्थों में बराबरी का दर्जा देकर हमारी मातृशक्ति को संपूर्ण न्याय दिया जाए।    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में बीते दश वर्षों में शक्तिशाली समाज एवं देश के विकास में अनेक महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। विकसित भारत का सपना देखने के साथ भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में सैंकड़ों वर्षों के बाद अयोध्या में रामलला अपने जन्मस्थान पर विराजमान हुए हैं, और मातृशक्ति को सशक्त करने के लिए विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता में लिव इन संबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हुए कहा कि एक वयस्क पुरुष जो 21 वर्ष या अधिक का हो और वयस्क महिला जो 18 वर्ष या उससे अधिक की हो, वे तभी लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे, जब वो पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में न हों और कानूनन प्रतिबंधित संबंधों की श्रेणी में न आते हों। लिव-इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लिव-इन में रहने हेतु केवल पंजीकरण कराना होगा।    जिससे भविष्य में हो सकने वाले किसी भी प्रकार के विवाद या अपराध को रोका जा सके। मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले जम्मू कश्मीर में शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि के साथ वीर भूमि भी है। यहां लगभग हर परिवार से कोई न कोई सेना, अर्द्ध सैन्य आदि बलों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य देश दुनिया के लोगों को आकर्षित का केंद्र रहा है। देवभूमि उत्तराख्ण्ड के मूल स्वरूप को बनाये रखने के लिये राज्य में हमने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कठोर कानून बनाया गया है। हमारी सरकार लैंड जिहाद को जड़ से खत्म करने के लिए लगातार कार्यवाही कर रही है। अब तक 5 हजार हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया गया है।    दंगा करने वाले दंगाइयों से ही सारे नुकसान की भरपाई का नियम लागू किया गया है। हमारी सरकार सरलीकरण, समाधान, संतुष्टि के साथ-साथ विकल्प रहित संकल्प की मूल भावना को साकार करने की दिशा में अग्रसर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता का अभाव था, परन्तु हमने भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने का कार्य किया तथा राज्य में देश के सबसे कठोर “नकल विरोधी कानून बनने के बाद पारदर्शिता के साथ ही अब समयबद्ध तरीके से परीक्षाएं संपन्न हो रही है। उन्होंने कहा कि यह नकल विरोधी कानून का ही प्रतिफल है कि हम हर रोज अलग अलग विभागों में योग्य युवाओं को नियुक्ति पत्र प्रदान कर उन्हें रोजगार देने का कार्य कर रहे हैं।   अब तक 15 हजार से अधिक युवाओं को पारदर्शिता के साथ सरकार नौकरी दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर आगे बढ़ कर जनहित के कार्य किए जा रहे हैं। आज उत्तराखंड विकास और विश्वास के अभूतपूर्व माहौल में, जन आकांक्षाओं को पूरा करते हुए आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका सम्मान उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता का सम्मान है। म्येरू पहाड फाउण्डेशन के अध्यक्ष प्रो. दयाल सिंह पंवार, एडवोकेट सतीश टम्टा, पूर्व आईएएस कुलानंद जोशी, देवेन्द्र जोशी आदि ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर आपदा प्रबंधन सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष विनय रोहिला, प्रो ललिता गांधी, डॉ धर्मा रावत आदि उपस्थित थे।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 11, 2024

मुस्लिम महिला पति से कर सकती है गुजारा भत्ता की मांग', सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने अहम निर्णय में फिर साफ किया है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत एक मुस्लिम महिला पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है. एक मुस्लिम शख्श ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये अहम फैसला दिया है. मोहम्मद अब्दुल समद नाम के शख्स ने याचिका दायर की थी.   जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश के खिलाफ मोहम्मद अब्दुल समद के जरिए दायर याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने माना कि 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986' धर्मनिरपेश कानून पर हावी नहीं हो सकता है. जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस मसीह ने अलग-अलग, लेकिन सहमति वाले फैसले दिए. हाईकोर्ट ने मोहम्मद समद को 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था.   *सभी महिलाओं पर लागू होती है धारा 125* जस्टिस नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, "हम इस निष्कर्ष के साथ आपराधिक अपील खारिज कर रहे हैं कि सीआरपीसी की धारा 125 सभी महिलाओं पर लागू होती है, न कि सिर्फ शादीशुदा महिला पर. कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि अगर सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आवेदन के लंबित रहने के दौरान संबंधित मुस्लिम महिला का तलाक होता है तो वह 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019' का सहारा ले सकती है. कोर्ट ने कहा कि 'मुस्लिम अधिनियम 2019' सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उपाय के अलावा अन्य समाधान भी मुहैया कराता है.    *क्या है सीआरपीसी की धारा 125?* सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि सीआरपीसी की धारा 125 एक धर्मनिरपेक्ष प्रावधान है, जो मुस्लिम महिलाओं पर भी लागू होती है. हालांकि, इसे 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986' के जरिए रद्द कर दिया गया था. इसके बाद 2001 में कानून की वैधता को बरकरार रखा गया. सीआरपीसी की धारा 125 पत्नी, बच्चे और माता-पिता को भरष-पोषण का प्रावधान करती है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

उत्तराखंड: पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री के रूप में 3 साल पूरे.. कड़े फैसलों के कारण चर्चा में रहे

उत्तराखंड,10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी सरकार के तीन साल पूरे कर लिए हैं। धामी सरकार ने आज तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। इन तीन सालों में मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड में समान नागरिक सहिंता को लागू करने सहित नकल विरोधी कानून, धर्मांतरण कानून जैसे कई बड़े फैसले लिए तो ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से प्रदेश में बड़े निवेश को भी आकर्षित करने में सफल रहे।    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को 4 जुलाई 2021 को पहली बार बीजेपी हाईकमान ने राज्य का सीएम बनाया था। युवा धामी के चयन और नेतृत्व क्षमता को लेकर तब तमाम तरह की अटकलों और चर्चाएं हुए लेकिन दृढ़ इरादों के पक्के धामी ने अपने छोटे से कार्यकाल से ही तब दर्शा दिया था कि वे लंबी रेस के लिए पूरी तरीके से तैयार हैं। नतीजा, सीएम धामी के नेतृत्व में पहली बार ऐसा हुआ जब राज्य की सत्ता में लगातार दूसरी बार कोई दल ने वापसी की।   सीएम धामी ने अपनी दूसरी इनिंग की शुरुआत करने से पहले ही जनता जनार्दन से सत्ता में आने पर समान नागरिक सहिंता को लागू करने का वादा किया और इस साल सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों से पहले धामी ने इस फैसले को धरातल पर उतारते हुए देश में वो कर दिखाया जो आज तक किसी राज्य ने नहीं किया है। यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया। आज मुख्यमंत्री धामी ने सीएम के रूप में तीन साल पूरे किये तो सुबह से ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर समान नागरिक संहिता सहित तमाम ऐतिहासिक निर्णय  एक्स पर ट्रेंड करते रहे।   *धामी के वे निर्णय जो बन गए नज़ीर* समान नागरिक संहिता को लागू करने वाला देश का पहला राज्य उत्तराखंड बना। प्रदेश में देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून बनाया गया और लागू भी किया गया। उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए धर्मांतरण कानून लागू। प्रदेश में दंगारोधी कानून। लैंड जेहाद पर एक्शन देवभूमि उत्तराखंड में सुख, शांति और अमन-चैन सुनिश्चित किया गया। लैंड जिहाद के तहत की गई कार्यवाही के दौरान प्रदेश में करीब 5 हजार एकड़ सरकारी भूमि को कब्जामुक्त कराया गया है। सरकारी नौकरी में महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण। राज्य आंदोलनकारियों और उनके सभी आश्रित पात्रों के लिए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का फैसला।    राज्य में फ्री जांच योजना के तहत मरीजों को 207 प्रकार की पैथेलॉजिकल जांचों की निःशुल्क सुविधा दी जा रही है। आयुष्मान योजना के अनुसार उत्तराखंड में इस योजना के तहत 55 लाख से अधिक लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाएं जा चुके हैं, जिसमें से 9 लाख 11 हजार मरीजों का फ्री उपचार हो रहा है। उत्तराखंड नई शिक्षा नीति को सबसे पहले लागू करने वाला राज्य बना। नारी सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रोजेक्ट कॉस्ट का 30 प्रतिशत या एक लाख रुपए की सब्सिडी दी जा रही है। उत्तराखंड ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में विभिन्न देशों के उद्योगपतियों द्वारा 3.56 लाख करोड़ के 1,779 एमओयू हस्ताक्षरित हुए हैं। राज्य सरकार 20 फीसदी करार को धरातल पर उतार चुकी है।   *राज्य गठन से चला आ रहा मिथक टूटा:* मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल के दौरान हुए विधानसभा चुनाव 2022 में सबसे बड़ा मिथक टूटा. क्योंकि, उत्तराखंड राज्य में एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस के सत्ता पर काबिज होने की परिपाटी राज्य गठन से ही चली आ रही थी. लेकिन पहली बार साल 2022 में भाजपा दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई. हालांकि, इतना जरूर रहा कि साल 2017 के दौरान भाजपा को मिले परिणामों के मुकाबले साल 2022 में उतनी सीटें हासिल करने में भाजपा कामयाब नहीं हो पाई. इसके बाद साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर हैट्रिक लगाते हुए भाजपा ने पांचों लोकसभा सीटों पर तीसरी बार जीत दर्ज की.   *आगामी चुनाव सरकार के लिए बड़ी चुनौती:* साल 2022 विधानसभा चुनाव और साल 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली बड़ी जीत के बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए आगामी प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव को जीतने की बड़ी चुनौती है. इसके साथ ही आगामी नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव भी होने हैं. ऐसे में धामी सरकार इन चुनाव में भी विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तरह कमाल दिखा पाएगी या नहीं यह एक बड़ा सवाल है. लेकिन इन चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन करना, सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.   *चारधाम, आपदा और कांवड़ यात्रा चुनौती:*  उत्तराखंड चारधाम की यात्रा चल रही है. हालांकि, मॉनसून सीजन के चलते धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बेहद कम हो गई है. लेकिन इन मॉनसून सीजन के दौरान भी चारधाम की यात्रा सही ढंग से संचालित हो और सकुशल श्रद्धालु दर्शन कर अपने गंतव्य को वापस लौट जाए, यह सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. मॉनसून सीजन के दौरान प्रदेश की स्थितियां बद से बदतर हो जाती है. क्योंकि अत्यधिक भारी बारिश के चलते प्रदेश की तमाम स्थानों पर आपदा जैसे हालात बन जाते हैं और इन्हीं आपदाओं के चलते काफी जान- माल का नुकसान होता है. इस आपदा सीजन में जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए क्विक रिस्पांस और पुनर्वानुमान की बड़ी चुनौती है. यही नहीं, इसी महीने कांवड़ की यात्रा भी शुरू होने जा रही है. ऐसे में चारधाम यात्रा और आपदा सीजन के बीच कांवड़ यात्रा का बेहतर प्रबंधन सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है.   *यूसीसी विधेयक पास करने वाली पहली विधानसभा:* मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की दिशा में अंतिम चरण में काम कर रही है. दरअसल, साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता पर काबिज हुए सीएम धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का निर्णय लिया था. जिसके लिए पांच सदस्य विशेषज्ञ समिति ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार किया. इसके बाद सारी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए फिर राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति भवन भेजा गया. जिस पर मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार ने गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था.   लेकिन अभी तक राज्य में उच्च लागू नहीं हो पाई है कि इसे लागू करने के लिए नियम तैयार करने की जरूरत थी. लिहाजा, यूसीसी के नियम और पोर्टल को तैयार करने के समितियां का गठन किया गया. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर महीने तक उत्तराखंड राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाएगा.   *तमाम कानूनों को लेकर चर्चाओं में आए सीएम धामी:* राज्य की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने इन तीन सालों के कार्यकाल के दौरान कई बड़े निर्णय के तहत कई ऐसे कानूनों को धरातल पर उतारा जो एक नजीर बन गए हैं. इन बड़े कानूनों में नकल विरोधी कानून, धर्मांतरण कानून, दंगारोधी कानून, लैंड जिहाद के खिलाफ कार्रवाई, भ्रष्टाचार रोकने के लिए 1064 बनाया गया, हाउस ऑफ हिमालयन ब्रांड तैयार किया. प्रदेश की महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने का प्रावधान किया गया. इसके साथ ही तमाम अन्य योजनाएं जैसे कि वात्सल्य योजना, लखपति दीदी योजना, नई खेल नीति, घर-घर प्रमाण पत्र पहुंचने की व्यवस्था, सरकारी अस्पतालों में 207 निशुल्क जांच की सुविधा के साथ ही तमाम अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. इन्हीं निर्णयों के चलते सीएम धामी चर्चाओं में आए. इसके साथ ही राज्य आंदोलनकारी को 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने का प्रावधान भी किया गया.   *चारधाम यात्रा और वनाग्नि कांड पर झेलनी पड़ी फजीहत:* उत्तराखंड चारधाम यात्रा शुरू होने के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालू धामों के दर्शन करने पहुंचे थे. जिसके चलते धामों में की गई व्यवस्थाएं चरमरा गई थी. अत्यधिक भीड़ होने के कारण शुरुआती दौर में श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. चारधाम यात्रा के दौरान पर्याप्त व्यवस्था न होने के चलते सरकार को फजीहत झेलनी पड़ी थी. इसके बाद सीएम धामी ने खुद यात्रा की कमान संभाली और वीवीआईपी दर्शन पर रोक लगाने के साथ ही श्रद्धालुओं को संख्या सीमित कर दी थी.   इसके अलावा, हालही में हुए वनाग्नि कांड के दौरान वन विभाग के कई कर्मचारियों की मौत हो गई थी. जिस दौरान भी सीएम धामी को काफी फजीहत झेलनी पड़ी. हालांकि, सरकार इस घटना पर बड़ा एक्शन लेते हुए कई अधिकारियों पर कार्रवाई की.   *विधानसभा भर्ती घोटाले में हुई फजीहत:* मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल के दौरान जुलाई 2022 में विधानसभा भर्ती घोटाला का मामला सामने आया था. साथ ही अगस्त 2022 में विधानसभा में हुई भर्तियों की सूची वायरल हुई. इसके बाद सीएम धामी के निर्देश पर मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति का गठन किया गया. फिर रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर साल 2016 में की गई 150 तदर्थ नियुक्तियां, साल 2020 में हुईं 6 तदर्थ नियुक्तियां, साल 2021 में हुईं.    72 तदर्थ नियुक्तियों के साथ ही उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द की गई थी.वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह ने तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर प्रदेश की जनता, पीएम मोदी और भाजपा के आलाकमान का धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्हें देवभूमि उत्तराखंड में मुख्य सेवक के रूप में काम करने का अवसर मिला. इन तीन सालों में ऐतिहासिक निर्णय लिए गए. साथ ही कहा कि राज्य गठन के बाद पहली बार किसी पार्टी पर जनता ने लगातार दूसरी बार भरोसा जताया. जिसके चलते पार्टी के मूल सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए कामों को आगे बढ़ाया है. इन तीन सालों में 14 हजार 800 पदों पर भर्तियां की गई. स्वरोजगार के क्षेत्र में काम किया. महिला उत्थान के लिए काम किया. इसके साथ ही इन तीन सालों में तमाम महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर चिकित्सा पेशेवरों का राष्ट्रीय गठबंधन बनाया

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर चिकित्सा पेशेवरों का राष्ट्रीय गठबंधन (एनएएमपी-एएमआर) बनाकर एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। यह अग्रणी पहल देश भर के 52 चिकित्सा विशेषज्ञ संगठनों/संघों के नेताओं और प्रतिनिधियों को एक साथ लाती है, जो इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संकट के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए एक साझा मंच पर एकजुट होते हैं।   भारतीय चिकित्सा संघ द्वारा एनएएमपी-एएमआर का गठन एएमआर की मूक महामारी से निपटने के लिए एक ठोस राष्ट्रीय प्रयास की शुरुआत है जो हमारे देश के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है। अकेले 2019 में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध 297,000 मौतों के लिए जिम्मेदार था और हमारे देश में 1,042,500 मौतों से जुड़ा था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेतृत्व में एनएएमपी-एएमआरका उद्देश्य इस संकट का सीधा समाधान करना है।     एनएएमपी-एएमआर के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र सैनी ने देश को खतरे में डालने वाली  की मूक महामारी को रेखांकित किया। "एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध हमारे राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। 2019 में, हमारे देश में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के कारण 297,000 मौतें हुईं और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से जुड़ी 1,042,500 मौतें हुईं।डॉ. सैनी ने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ द्वारा एनएएमपी-एएमआर का गठन इस संकट से सीधे निपटने के लिए एक ठोस राष्ट्रीय प्रयास की शुरुआत है।   नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल द्वारा प्रतिनिधित्व की गई सरकार ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को संबोधित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। डॉ. पॉल ने समृद्धि, जीडीपी और विभिन्न स्वास्थ्य पहलुओं सहित विकसित भारत पर एएम के संभावित प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने आईएमए की एनएएमपी-एएमआर पहल की सराहना की और इसे सही दिशा में उठाया गया सही कदम बताया। डॉ. पॉल ने इसे राष्ट्रीय आंदोलन बनाने के लिए सभी संगठनों को एक बैनर के तहत एकजुट करने की आवश्यकता पर जोर दिया।   डब्ल्यूएचओ इंडिया की उप प्रमुख सुश्री पेडेन ने एएमआर को संबोधित करने की वैश्विक तात्कालिकता पर जोर दिया और इसे 2050 तक मृत्यु का संभावित प्रमुख कारण बताया। उन्होंने इस वैश्विक खतरे के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया। डब्ल्यूएचओ के एएमआर और आईपीसी के लिए टीम फोकल प्वाइंट डॉ. अनुज शर्मा ने एनएएमपी-एएमआर के गठन के लिए एक साथ आए सभी 52 चिकित्सा संगठनों/संघों के प्रति आभार व्यक्त किया।   चिकित्सा पद्धति की गुणवत्ता में सुधार के लिए उन्नत चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने एंटीबायोटिक दवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग कब और कैसे किया जाए, यह समझने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला। बुनियादी बातों से शुरू करके और चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करके, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रथाओं में योगदान दे सकते हैं और एएमआर से लड़ सकते हैं।   एएमआर पर चिकित्सा पेशेवरों का राष्ट्रीय गठबंधन हमारे समय की सबसे गंभीर स्वास्थ्य आपात स्थितियों में से एक को संबोधित करने के लिए एक एकीकृत प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। सहयोगी प्रयासों, रणनीतिक योजना और सरकारी सहायता के माध्यम से, आईएमए की एनएएमपी-एएमआर पहल का उद्देश्य एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के प्रभाव को कम करने के वैश्विक प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभाना है।

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Jul 10, 2024