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मोदी 3.0: मंत्रिमंडल के लिए अनेक नामों पर लगभग बन चुकी है सहमति

नई दिल्ली, 09 जून 2024 (यूटीएन)। मोदी की नई कैबिनेट में कौन-कौन से चेहरे शामिल होंगे, इसे लेकर सियासी गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चाएं हो रही हैं। सूत्रों की मानें तो एक बार फिर नरेंद्र मोदी अपने पुराने और बड़े चेहरों को अपनी कैबिनेट में जगह देने वाले हैं। इसके अलावा जिन राज्यों में अगले कुछ महीनों में विधानसभा के चुनाव हैं, वहां के सांसदों को भी मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है। वहीं दूसरी ओर बड़ा झटका उत्तर प्रदेश के लिए माना जा रहा है। सांसदों की संख्या के लिहाज से इस बार उनका कैबिनेट में प्रतिनिधित्व कम किए जाने की सबसे बड़ी सुगबुगाहट चल रही है। जबकि दिल्ली से लेकर हरियाणा और महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के लिहाज से सांसदों को मंत्रिमंडल जगह देकर सियासत थामी जा सकती है। वहीं, पार्टी अपने दक्षिण के विस्तार को तरजीह देते हुए वहां के राज्यों से जीते सांसदों की अपने कैबिनेट में जगह दे सकती है।   जानकारी के मुताबिक, 9 जून को नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट कैसी होगी, इसे लेकर भी पूरा खाका भारतीय जनता पार्टी की ओर से खींचा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, मोदी की इस नई कैबिनेट में भारतीय जनता पार्टी के कई कद्दावर चेहरों को दोबारा कैबिनेट में जगह दी जा रही है। जिसमें भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में शामिल राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, योगेंद्र यादव जैसे नाम शामिल हैं।   इसके अलावा चर्चा इस बात की भी हो रही है कि कुछ नेता जो चुनाव हार गए हैं, उन्हें भी मोदी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। सूत्रों की मानें तो इसमें एक महत्वपूर्ण नाम अमृतसर सीट से चुनाव हार गए अमेरिका में भारत के राजदूत रहे तरनजीत सिंह संधू का भी है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक इस बार मोदी कैबिनेट में उत्तर प्रदेश से मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या कम किए जाने की भी चर्चाएं हैं। सूत्रों की मानें तो इसकी प्रमुख वजहों में एक तो सदस्यों की कम संख्या भी है। दूसरी और महत्वपूर्ण वजह यह बताई जा रही है कि हाल फिलहाल वहां पर कोई चुनाव नहीं हैं, जिससे जातिगत समीकरणों को साधने के लिए मंत्रिमंडल में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जगह दी जाए। इसलिए फिलहाल पहले मंत्रिमंडल में ज्यादा सांसदों को कैबिनेट में जगह कम मिलने की बात सामने आ रही है। सूत्रों की मानें, तो पश्चिम से राष्ट्रीय लोकदल के हिस्से में पहली कैबिनेट में जगह बन सकती है।   जबकि आगरा से पिछड़े नेता एसपीएस बघेल को दोबारा कैबिनेट में जगह मिल सकती है। भाजपा के रणनीतिकारों के मुताबिक मोदी कैबिनेट में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की तैयारी है। इसी तरह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी कैबिनेट में जगह दिए जाने की पूरी संभावनाएं हैं। जबकि नॉर्थ ईस्ट से त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब को भी मोदी की कैबिनेट में जगह देने की बात चल रही है। सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा को मोदी कैबिनेट में जगह दी सकती है। सूत्रों का कहना है कि मोदी की नई कैबिनेट में उन राज्यों को प्राथमिकता में रखा जा रहा है, जहां अगले कुछ समय में विधानसभा के चुनाव हैं। इसमें दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र समेत बिहार और जम्मू और कश्मीर शामिल है। सूत्रों की मानें तो एक बार फिर से दिल्ली में सभी सातों सीटें भाजपा ने जीती हैं।   दिल्ली में अगले साल विधानसभा का चुनाव भी है। इसलिए दिल्ली से दो सांसदों को मोदी कैबिनेट में जगह मिलने की चर्चाएं हैं। इसमें एक नाम दिल्ली से तीसरी बार सांसद बने पूर्वांचल के बड़े चेहरे मनोज तिवारी हो सकते हैं। जबकि दूसरा नाम महिला चेहरे के तौर पर बांसुरी स्वराज का भी लिया जा रहा है। इसी तरह हरियाणा में इसी साल होने वाले चुनावों के चलते यहां पर भी कैबिनेट में सभी सियासी समीकरण साधते हुए कुछ नाम चर्चा में हैं। इसमें पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के अलावा कृष्ण पाल गुर्जर का नाम फिर से चर्चा में है। पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो भाजपा दक्षिण के भाजपा सांसदों भी कैबिनेट में जगह देकर सियासी समीकरण साधेगी। इसमें पार्टी उड़ीसा से लेकर तेलंगाना के सांसदों को कैबिनेट में जगह देने की तैयारी कर रही है। जबकि सूत्रों के मुताबिक इस बार केरल में एक सीट जीतने वाले सांसद सुरेश गोपी को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है।   पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी दक्षिण में विस्तार के तहत कर्नाटक से लेकर केरल और तेलंगाना से लेकर ओडिशा तक के जनप्रतिनिधियों को मोदी मंत्रिमंडल में जगह दे सकती है। चूंकि इस बार ओडिसा और तेलंगाना में 2019 की तुलना में सीटें ज्यादा आई हैं। केरल में भी पहली बार भाजपा को सीट मिली है। इसलिए भाजपा के पास दक्षिण के इन राज्यों में पहली बार विस्तार का और बड़ा मौका मिला है। सूत्रों की मानें तो इन सबका ध्यान रखते हुए ही मोदी कैबिनेट तैयार की जाएगी।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 9, 2024

राजस्थान से कौन बनेगा केंद्रीय मंत्री?

नई दिल्ली, 09 जून 2024 (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए को मिले बहुमत के बाद अब नई सरकार के गठन को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। एनडीए आज सरकार बनाने का दावा पेश करेगा। इस बीच खबर है कि नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। हालांकि इस बार नई सरकार के लिए परिस्थितियां पिछली दो बार से अलग हो सकती हैं। इसलिए केंद्रीय मंत्रिमंडल को लेकर भी माथापच्ची का दौर जारी है। हालांकि राजस्थान से इस बार मोदी सरकार 3.0 में कितने मंत्री होंगे? यह बड़ा सवाल बन गया है। 4 जून को आए परिणाम में भाजपा की प्रदेश से इस बार 11 सीटें कम हुई हैं। भाजपा को 14 सीटें और इंडिया गठबंधन को 11 सीट मिली हैं।   भाजपा के सूत्रों का कहना है कि भाजपा को इस बार पूर्ण बहुमत नहीं है। भाजपा को गठबंधन सहयोगियों को भी उनकी डिमांड के हिसाब से मंत्री पद देने पड़ेंगे। ऐसे में राजस्थान के सांसदों के लिए बहुत ज्यादा जगह नहीं बनेगी। ऐसे में प्रदेश से राजनीतिक और जातिगत समीकरण को साधने के लिए प्रदेश से कुछ चेहरों को फिर सरकार में मौका मिल सकता है। अर्जुन राम मेघवाल, भूपेंद्र यादव और गजेंद्र सिंह शेखावत मंत्री पद के लिए रिपीट हो सकते हैं। इसके अलावा हरियाणा, महाराष्ट्र में इस साल और कुछ राज्यों में अगले साल चुनाव प्रस्तावित हैं। इसलिए फिलहाल राजस्थान से दो के आसपास मंत्री बनाए जा सकते हैं।   इस बीच सबकी की नजरें मोदी सरकार 2.0 में लोकसभा अध्यक्ष रहे ओम बिरला पर टिकी हुई हैं। प्रदेश की कोटा-बूंदी लोकसभा सीट पर बिरला ने जीत हासिल की है। पहले भी लोकसभा स्पीकर रहे कई नेता मंत्री बने हैं। शिवराज पाटिल लोकसभा स्पीकर रहने के बाद यूपीए सरकार में मंत्री बने थे। प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार 3.0 में अर्जुन राम मेघवाल को रिपीट करने की संभावनाएं ज्यादा हैं। वे मारवाड़ और नहरी क्षेत्र के अकेले दलित चेहरे हैं। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की गुड बुक में आते हैं। दलित वर्ग को साधने के लिए मेघवाल की मंत्रिमंडल में वापसी हो सकती है।   अब तक राज्यसभा के जरिए संसद पहुंचने वाले भूपेंद्र यादव पहली बार अलवर लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे हैं। यादव की गिनती मोदी-शाह के करीबियों में होती है। यादव कुशल रणनीतिकार है। उनका पैतृक गांव हरियाणा के गुड़गांव में है। हरियाणा में चुनाव होने हैं। ऐसे में यादव को मंत्री बनाकर हरियाणा को भी साधा जा सकता है। ऐसे ही राजपूत समाज को साधने के लिए गजेंद्र सिंह शेखावत को भी मंत्री बनाया जा सकता है। शेखावत तीसरी बार जीत कर संसद पहुंचे हैं। शेखावत मोदी-शाह के नजदीक होने के साथ सीमावर्ती इलाकों में अच्छी पकड़ रखते हैं। पूर्व मंत्री कैलाश चौधरी के हराने के बाद मारवाड़ क्षेत्र के समीकरण को भी साधने के लिए उन्हें मौका दिया जा सकता है।   राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार 3.0 में शेखावत के बजाए किसी अन्य राजपूत चेहरे को भी मौका दिया जा सकता है। राजस्थान से राजपूत समाज के तीन भाजपा सांसद जीते हैं, सबकी अच्छी प्रोफाइल हैं। शेखावत को मंत्री नहीं बनाने की स्थिति में राव राजेंद्र सिंह, महिमा कुमारी मेवाड़ में से एक के नाम पर विचार किया जा सकता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 9, 2024

तीसरे कार्यकाल में पीएम मोदी के सामने होंगी बड़ी चुनौतियां, सहयोगियों को लेकर कैसे बढ़ेंगे आगे?

नई दिल्ली, 09 जून 2024 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एनडीए ने अपना नेता चुन लिया है। प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों का एक होमवर्क रंग लाया। शुक्रवार को एनडीए के प्रमुख सहयोगी दलों ने प्रधानमंत्री में अटूट विश्वास का संदेश दिया। टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री की तारीफ की। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे बड़ा संदेश दिया। खुद को प्रधानमंत्री का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान हर मोड पर आगे बढ़-बढक़र संदेश दे रहे हैं। संदेश यही कि रविवार को शपथ ग्रहण के बाद तीसरा कार्यकाल शानदार होगा। भरोसा भी यही कि प्रधानमंत्री को चुनौतियों से निबटना आता है।     पहले बात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की। नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनोखी केमिस्ट्री दिखाई। प्रधानमंत्री की पिछली कैबिनेट में उनके सहयोगी ने इस ओर इशारा भी किया। मानो, नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ने के अपने पिछले अपराधों की क्षमा मांग ली हो। चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार ने जिस तरह से संसदीय दल का नेता चुने जाते समय संदेश दिया है, उससे साफ है कि सब तय है।   *मंत्रिमंडल में सहयोगियों को लेकर जारी है विमर्श*   भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर कल देर रात तक हलचल थी। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी काफी व्यस्त थे। देर शाम तक बैठकों का दौर चला। दोनों नेता आज भी व्यस्त हैं। अमित शाह की जेपी नड्डा के साथ व्यस्तता आज संसद के पुराने भवन के केंद्रीय कक्ष में एनडीए का नेता चुने जाने को लेकर भी थी। एनडीए के प्रमुख सहयोगियों से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संपर्क में हैं। अब माना जा रहा है कि जेपी नड्डा और अमित शाह की व्यस्तता प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह, उनकी कैबिनेट में शामिल होने वाले सहयोगियों को लेकर है। नए और पुराने साथियों के नाम पर मंथन, चयन का दौर चल रहा है। सहयोगी दलों के नेताओं से भी नामों की सूची मांग ली गई है।   इस बारे में पूछे जाने पर एनडीए के सहयोगी दल के एक नेता ने कहा कि अब समय ही कितना बचा है। अंतिम नामों की सूची प्रधानमंत्री के विशेषाधिकार से ही बनेगी। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल में इस बार नए चेहरे काफी होंगे। पुराने तमाम मंत्रिमंडल के सहयोगी चुनाव हार गए हैं। चुनाव हारने वाले मंत्रियों में राजीव चंद्रशेखर जैसे एकाध नाम ही नए मंत्रिमंडल में स्थान पा सकते हैं।   शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री जी-7 की बैठक में हिस्सा लेने इटली जाएंगे   9 जून को प्रधानमंत्री मोदी नए कार्यकाल के लिए शपथ लेंगे। 13-15 जून तक जी-7 देशों का शिखर सम्मेलन इटली में हो रहा है। इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मिलोनी ने पीएम को आमंत्रित किया है और प्रधानमंत्री ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। वहां अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, जर्मनी की चांसलर समेत अन्य से भेंट होगी। ऐसे में शपथ ग्रहण के बाद प्रधानमंत्री के पास समय कम है। उनकी इटली की प्रस्तावित यात्रा को देखते हुए शीर्ष नेता की व्यस्तता काफी है। इसके बीच में उनके सहयोगियों में कामकाज का बंटवारा समेत अन्य महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को पूरा करना है।   *क्या रहेंगी प्रधानमंत्री के सामने प्रमुख चुनौती?*   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले कार्यकाल की शुरुआत में जब भाजपा और एनडीए के नेता चुने गए थे तो उन्होंने संसद के केंद्रीय कक्ष में प्रवेश करने से पहले उसकी सीढ़ियों को चूमा था। इस बार उन्होंने भारतीय संविधान को नमन किया है। लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने संविधान में बदलाव को मुद्दा बनाया था। विपक्षी दल कांग्रेस के पास 99 लोकसभा सदस्य हैं। प्रधानमंत्री के नेता चुने जाने और शपथ ग्रहण के पहले ही कांग्रेस के नेता राहुल गांधी शेयर बाजार में घोटाला और इस पर जेपीसी की जांच की मांग कर दी है। मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने संसद भवन में महात्मा गांधी समेत अन्य महापुरुषों की मूर्ति विस्थापन का मुद्दा उठाया है। आशय यह कि विपक्ष आक्रामक, ऊर्जा से लबरेज, सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने का संदेश दे रहा है। राहुल गांधी भी कह रहे हैं कि अब उनके दल के पास ताकत आ गई है। प्रधानमंत्री को अगले कार्यकाल में इस चुनौती से निबटना होगा।   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार सहयोगी दलों के सहयोग से चलने वाली सरकार चलाएंगे। भाजपा के पास संसद में सरकार चलाने के लिए जरूरी संख्याबल नहीं है। निर्भरता सहयोगी दलों पर रहेगी। भाजपा के पास बहुमत के आंकड़े से 32 सांसद कम हैं। टीडीपी और जद(यू) केवल दो दलों के सांसदों को मिलाकर लोकसभा में 28 होंगे। इसलिए दोनों दलों को एनडीए में वजन रहेगा और प्रधानमंत्री को हमेशा ध्यान में रखना होगा कि सहयोगी दल के बिना नहीं चल सकते। तीसरा दल लोक जनशक्ति पार्टी(राम विलास पासवान) है। उसके पांच सदस्य हैं। इन दलों के नेताओं, मंत्रिमंडल में इनके सदस्यों को भी अहमियत देनी होगी।   केंद्रीय मंत्रिमंडल में गृह, वित्त, रक्षा, विदेश चार प्रमुख मंत्रालय हैं। सहयोगी दल इसमें से किसी विभाग की मांग कर सकते हैं। इसके अलावा कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, रेल, शिक्षा, स्वास्थ्य, वाणिज्य, ऊर्जा, सडक़ एवं परिवहन, दूर संचार, नागरिक उड्डयन जैसे महत्वपूर्ण मलाईदार विभागों के लिए सहयोगी दल दबाव बना सकते हैं। प्रधानमंत्री के सामने इसकी चुनौती खड़ी भी है। प्रधानमंत्री ने अपने दो कार्यकाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मंशा के अनुरुप हिन्दुत्व के मुद्दे को धार दी है। उन्होंने अगले 100 दिन के सरकार के कामकाज का एजेंडा तैयार कर लिया है, लेकिन इसे बदलना पड़ सकता है। अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री की पिच कमजोर रही है। तीसरे कार्यकाल में इसकी चुनौती काफी बड़ी है। टीडीपी के नेता चंद्र बाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह विषय महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री को संभलकर चलना पड़ सकता है। गठबंधन की सरकार चलानी पड़ सकती है। कॉमन सिविल कोड, एनआरसी समेत तमाम मुद्दों पर आम सहमति का सामना करना पड़ सकता है।   प्रधानमंत्री को किसान कल्याण और कृषि, ग्रामीण विकास, रोजगार पर विशेष ध्यान देना होगा। उ.प्र., महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार में राजनीतिक-सामाजिक समीकरण की भी चुनौती बढ़ी है। कुछ ही महीने बाद दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड समेत राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। प्रधानमंत्री को इसे भी साधना है। भारतीय सेना में अग्निवीर भर्ती योजना को प्रधानमंत्री ने परिवर्तनकारी बताया था, लेकिन इसको लेकर भारी विरोध हो रहा है। सहयोगी दल भी इसकी समीक्षा का दबाव बना रहे हैं।   प्रधानमंत्री को इस तरह के कठोर निर्णय लेने पड़ सकते हैं। इस्राइल-फलस्तीन की धरती पर युद्ध जैसे हालात हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध अभी जारी है। अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, व्यापार चुनौती के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में मंहगाई का लगातार दबाव बना हुआ है। अमेरिका, चीन से संबध, यूरोप, यूरेशिया, मध्य एशिया का संतुलन भी बड़ी चुनौती है। ऐसे में भारत की अर्थ व्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाने के साथ-साथ तमाम अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 9, 2024

जेडीयू ने ठोकी रेल और कृषि मंत्रालय पर दावेदारी साथ ही 4-5 मंत्री पद मांगे

नई दिल्ली, 09 जून 2024 (यूटीएन)। देश में एनडीए की नई सरकार बनने जा रही है. जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू की अहम भूमिका रहेगी, क्योंकि नीतीश कुमार के बिना केंद्र में सरकार बनना मुश्किल था. नीतीश कुमार ने भी एनडीए को अपने पूर्ण समर्थन की बात कह दी है. दिल्ली में हुई एनडीए की तमाम बैठकों में वो शामिल हुए और प्रधानंमत्री मरेंद्र मोदी को लोकसभा में एनडीए का नेता चुने जाने का समर्थन भी किया है.    *जेडीयू मंत्री मदन सहनी का बयान*   इस बीच नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री और जेडीयू नेता मदन सहनी ने शनिवार को बड़ी डिमांड की है. मदन सहनी ने कहा कि जेडीयू से चार-पांच मंत्री बनने चाहिए और रेल मंत्रालय भी जेडीयू को मिलना चाहिए. बिहार ने लोकसभा चुनाव में इतना अच्छा परिणाम दिया है तो ज्यादा से ज्यादा मंत्री भी बिहार के बनने चाहिए. ताकि बिहार का ज्यादा विकास हो.  बिहार सरकार में मंत्री मदन सहनी ने रेल के साथ-साथ कृषि मंत्रालय पर भी दावा ठोका है. उनका कहना है कि ये दोनों मंत्रालय जेडीयू के खाते में आने चाहिए.   *बिहार में एनडीए ने 40 में से 30 सीटें जीतीं*   दरअसल लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए ने 40 में से 30 सीटें जीती हैं. इनमें बीजेपी की 12, जदयू की 12, एलजेपीआर की 5 और हम की 1 सीट शामिल है. सूत्रों के मुताबिक लोकसभा में बीजेपी के जितने मंत्री बनेंगे उतने ही जेडीयू के भी बनेंगे, लेकिन जेडीयू के नोताओं और मंत्रियों का कहना है कि जेडीयू को 4 मंत्री पद और उसमें एक रेल मंत्रालय होना चाहिए, जबकि बीजेपी रेल मंत्रालय अपने पास ही रखना चाहती है. इधर बिहार के जेडीयू नेताओं का कहना है कि बिहार को रेल मंत्रालय हमेशा मिलता रहा है. अटल बिहारी वाजपयी की सरकार में भी नीतीश कुमार रेल मंत्री थे.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 9, 2024

शपथग्रहण समारोह में ट्रांसजेंडरों और सफाई कर्मचारियों को भी न्योता

नई दिल्ली, 07 जून 2024 (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव की रैलियों में महिलाओं के आगे सर झुकाकर नमन, अयोध्या में राम मंदिर बनाने वाले कारीगरों पर पुष्प वर्षा या फिर प्रयागराज में कुंभ आयोजन को सफल बनाने वाले कर्मचारियों का पैर धुलना हो, पीएम मोदी हमेशा लोगों और अपने विरोधियों को चौंकाते आए हैं। लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले नरेंद्र मोदी ने इस बार भी कुछ नया किया है। मोदी 3.0 के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में सेंट्रल विस्टा परियोजना पर काम करने वाले मजदूरों, ट्रांसजेंडरों, सफाई कर्मचारियों को भी न्योता भेजा गया है। साथ ही साथ सुरक्षा व्यवस्था भी काफी टाइट होने वाली है। सिक्योरिटी ऐसी रहेगी जिसके बाद एक परिंद भी पर नहीं मार पाएगा।   *कैसी होगी सुरक्षा जानिए* सूत्रों ने बताया कि 9 जून को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के लिए जी-20 शिखर सम्मेलन जैसी ही सुरक्षा व्यवस्था होगी। मध्य दिल्ली की सुरक्षा के लिए खुफिया एजेंसियों और सशस्त्र बलों के साथ समन्वय में जमीन से हवा तक निगरानी की व्यवस्था की जा रही है। किसी भी खतरे से निपटने के लिए हर तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं। यह सुरक्षा इसलिए भी इतनी टाइट रखी जा रही है, क्योंकि इस शपथ ग्रहण समारोह में कई देशों के हुक्मरान शामिल होंगे। इसमें बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका दक्षिण एशियाई देशों के शासनाध्यक्षों को आमंत्रित किया गया है।   *वीवीआईपी की सुरक्षा के ये इंतजाम* सुरक्षा के दो अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे हैं उनके काफिले की आवाजाही और होटल तथा कार्यक्रम स्थल के बीच मार्ग की सुरक्षा। प्रत्येक गणमान्य व्यक्ति को एक कॉल साइन दिया जाएगा, जिसे समारोह की सुबह बताया जाएहा। इसका उपयोग काफिले की आवाजाही और राष्ट्रपति भवन तथा कर्तव्य पथ तक उनके मार्ग के समन्वय के लिए किया जाएगा। गुरुवार दोपहर दिल्ली पुलिस मुख्यालय में व्यवस्थाओं की बारीकियों पर चर्चा के लिए एक विस्तृत विचार-विमर्श सत्र आयोजित किया गया। चर्चाओं से अवगत एक डीसीपी रैंक के अधिकारी के अनुसार, बैठक के दौरान जी-20 के दौरान अपनाए गए उपायों को दोहराने का निर्णय लिया गया। अधिकारी ने कहा, 'इसका मतलब है कि प्रत्येक होटल में डीसीपी रैंक के स्थल कमांडर होंगे, जहां विदेशी राष्ट्राध्यक्ष ठहरेंगे। वे विशेष आयुक्त रैंक के जोनल/वर्टिकल कमांडरों को रिपोर्ट करेंगे।   खुफिया एजेंसियां अपने विदेशी समकक्षों के साथ समन्वय कर रही हैं, जो अपने-अपने गणमान्य व्यक्तियों की तत्काल सुरक्षा घेरे का निर्माण करेंगे। दिल्ली पुलिस आयोजन स्थलों और मार्गों को सुरक्षित बनाने के लिए उसे दी गई जानकारी पर काम कर रही है। प्रत्येक विदेशी नेता की खतरे की धारणा का व्यक्तिगत रूप से अध्ययन किया जा रहा है। घुसपैठ चेतावनी प्रणाली और मुद्रा पहचान से पुलिस को संदिग्ध गतिविधियों को पहचानने में मदद मिलेगी। एक अधिकारी ने बताया, 'अगर कोई पुरुष या महिला दीवार फांदते हुए पकड़ा जाता है या असामान्य शारीरिक हरकतें जैसे रेंगना या लंगड़ाकर चलना या पीठ झुकाकर चलना आदि दिखाता है, तो एडवांस एआई-आधारित कैमरे और सॉफ्टवेयर अलार्म बजाएंगे और सुरक्षा को सचेत करेंगे।   *परिंदा पर भी नहीं मार पाएगा* होटल के कर्मचारियों की जांच और पृष्ठभूमि की जांच विशेष शाखा और सुरक्षा इकाई द्वारा की जा रही है और जी-20 के दौरान तैयार की गई सत्यापन रिपोर्टों का भी फिर से अध्ययन किया जा रहा है। प्रत्येक मंजिल के लिए कर्मचारियों का अलग-अलग समूह होगा और उनकी आवाजाही हर समय होटल की उसी मंजिल तक सीमित रहेगी। पुलिस और सुरक्षा कर्मियों के पास कम से कम दो कमरे होंगे जो नियंत्रण कक्ष के रूप में काम करेंगे। समारोह के दौरान राज्य की सीमाएँ सील रहेंगी, लेकिन मॉल, बाज़ार, स्मारकों और पूजा स्थलों पर त्वरित प्रतिक्रिया दल, कमांडो इकाइयाँ और विशेष वाहनों के साथ स्ट्राइक बलों द्वारा अतिरिक्त निगरानी रखी जाएगी।   *बिंदुवार समझिए पूरा सुरक्षा घेरा* > जी 20 सम्मेलन की तरह ही सुरक्षा व्यवस्था बनाई जा रही है। > विदेशी मेहमानों के ठहरने वाले होटलों की सुरक्षा दिल्ली पुलिस की सबसे बड़ी चिंता है। > कारों का आवागमन और रास्तों की सुरक्षा अहम ज़िम्मेदारी होगी। > ताज, मौर्य, लीला और ओबेरॉय - ये चार बड़े होटल कड़ी सुरक्षा के घेरे में होंगे। > हर होटल में डीसीपी रैंक के वरिष्ठ अधिकारी तैनात किए जाएंगे। > चारों स्पेशल कमिश्नरों को कुल मिलाकर जिम्मेदारी दी जाएगी। ये अधिकारी इंटेलिजेंस ब्यूरो और सेना की यूनिटों के साथ मिलकर काम करेंगे। *जांच-पड़ताल और पहचान * >हर मंजिल के लिए अलग-अलग कर्मचारी होंगे। इन्हें हर समय उसी मंजिल पर रहना होगा, दूसरी मंजिलों पर जाने की इजाजत नहीं होगी। >सम्मेलन के दौरान होटल के कर्मचारियों के आने-जाने के लिए खास तरह से प्रोग्राम किए गए कार्ड इस्तेमाल किए जाएंगे। >होटल के सभी कर्मचारियों की जांच की जाएगी। इसके लिए जी20 सम्मेलन के लिए बने विशेष जांच फॉर्म और रिपोर्ट का इस्तेमाल किया जाएगा। *चील जैसी पैनी निगरानी* >हर होटल में कम से कम एक कमरा सुरक्षा विभाग ले सकता है। इस कमरे को कंट्रोल रूम बना दिया जाएगा। >होटल के इस कंट्रोल रूम को पुलिस की केंद्रीय निगरानी प्रणाली सी4आई (कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटिंग और इंटेलिजेंस) से जोड़ा जाएगा। >होटल की छतों और आसपास की ऊंची इमारतों पर रात में देखने वाले दूरबीन से लैस स्नाइपर तैनात किए जाएंगे। ये स्नाइपर हर गतिविधि पर पैनी नजर रखेंगे। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 7, 2024

शीर्ष चार मंत्रालय हाथ से नहीं जाने देना चाहेगी बीजेपी

नई दिल्ली, 07 जून 2024 (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव के फाइनल नतीजों में जिस तरह से बीजेपी बहुमत से दूर रह गई, एनडीए में शामिल सहयोगी दलों ने मंत्रालयों को लेकर डिमांड तेज कर दी है। टीडीपी, जेडीयू और एनडीए के अन्य सहयोगी केंद्रीय मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण पदों पर नजर गड़ाए हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, शुरुआती चर्चा में बीजेपी ने रक्षा मंत्रालय, वित्त विभाग, गृह और विदेश मंत्रालय पर अपनी दावेदारी जताई है। टीडीपी और जेडीयू दोनों ही दलों ने स्पीकर पद मांगा है, लेकिन कथित तौर पर बीजेपी इसके तैयार नजर नहीं आ रही।   *जेडीयू-टीडीपी ने रख दी अपनी डिमांड* चुनाव नतीजों में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू एनडीए में प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। इसी का फायदा उठाते हुए उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण पदों की डिमांड रख दी है। उधर मोदी के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार अपने सहयोगियों को अहम मंत्रालय आसानी से नहीं देना चाहेगा। टीडीपी और जेडीयू जिनके पास क्रमशः लोकसभा की 16 और 12 सीटें हैं, सूत्रों के अनुसार, उन्होंने अपने पसंदीदा मंत्रालयों की डिमांड बीजेपी आलाकमान के सामने रख दी है। यही नहीं उनकी निगाहें अपने पसंदीदा मंत्रालयों पर बनी हुई है। शुरुआती चर्चा के आधार पर सहयोगी दल हर चार सांसदों पर एक मंत्री की मांग कर रहे हैं।   *कैसे सभी को साधेंगे नरेंद्र मोदी* कथित तौर पर, टीडीपी चार कैबिनेट पदों की मांग कर रही है, जबकि जेडीयू तीन मंत्रियों की मांग कर रही है। इसके अतिरिक्त, 7 सीटों के साथ एकनाथ शिंदे की शिवसेना और पांच सीटों के साथ चिराग पासवान की एलजेपी को दो-दो मंत्रालय मिलने की उम्मीद है। चंद्रबाबू नायडू भी लोकसभा अध्यक्ष पद पर नजर गड़ाए हुए हैं, लेकिन बीजेपी इस मांग को स्वीकार करने को तैयार नहीं दिख रही है। टीडीपी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भी मांग कर सकती है।   *रक्षा, वित्त, गृह और विदेश मामलों अपने हाथ में रखेगी बीजेपी!* बीजेपी को 240 सीटें मिली हैं, जो बहुमत से 32 सीटें कम हैं, मोदी 3.0 के लिए इन सहयोगियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। टीडीपी, जेडीयू, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के पास कुल मिलाकर 40 सांसद हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले दो मंत्रिमंडलों में, जहां बीजेपी ने अकेले ही बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया था, एनडीए के सहयोगी प्रमुख कैबिनेट पदों पर कब्जा नहीं कर सके थे। हालांकि, 2024 के रिजल्ट में बीजेपी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इसी के परिणामस्वरूप मंत्रिपरिषद में बीजेपी कोटे के मंत्रियों की संख्या कम हो सकती है और सहयोगी दलों के मंत्रियों की संख्या बढ़ जाएगी। हालांकि, यह संभावना कम ही है कि बीजेपी मुख्य मंत्रालयों पर समझौता करेगी। रक्षा, वित्त, गृह और विदेश मामलों के अलावा भाजपा बुनियादी ढांचा विकास, कल्याण, युवा मामले और कृषि से संबंधित मंत्रालय भी अपने पास रखना चाहेगी।   *रेल-सड़क भी अपने पास ही रखने की कोशिश* इसके अतिरिक्त, बीजेपी का दावा है कि पिछली एनडीए सरकारों के तहत रेलवे और सड़क परिवहन आदि में बड़े सुधार किए गए हैं। पार्टी इन्हें सहयोगियों को देकर सुधारों की गति को धीमा नहीं करना चाहती है। सूत्रों ने बताया कि रेलवे परंपरागत रूप से सहयोगी दलों के पास रहा है और बीजेपी ने काफी प्रयास के बाद इसे वापस अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया। बीजेपी पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्रालय जेडीयू को देने पर विचार कर सकती है, जबकि नागरिक उड्डयन और इस्पात जैसे विभाग टीडीपी को दिए जा सकते हैं। भारी उद्योग का प्रभार शिवसेना को दिया जा सकता है।   *टीडीपी-जेडीयू को मिल सकते हैं ये मंत्रालय* चर्चा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि एनडीए के सहयोगियों को वित्त और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में राज्य मंत्री नियुक्त किया जा सकता है। पर्यटन, एमएसएमई, कौशल विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और सामाजिक न्याय और अधिकारिता जैसे अन्य मंत्रालय भी सहयोगी दलों को सौंपे जाने की संभावना है। चंद्रबाबू नायडू लोकसभा अध्यक्ष पद पर जोर देते रहेंगे तो बीजेपी उन्हें उपसभापति पद की पेशकश कर उन्हें मनाने की कोशिश कर सकती है। फिलहाल आखिरी फैसला जल्द होने के आसार हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

Jun 7, 2024

शपथ से पहले ही मोदी ने चीन की दुखती रग दबा दी, भड़क गया ड्रैगन.. तो अमेरिका ने समझा दिया

नई दिल्ली, 07 जून 2024 (यूटीएन)। मदर ऑफ डेमोक्रेसी यानि कि भारत. दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र भारत पर इस समय दुनियाभर की नजर है. लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को जीत मिली है. इसके बाद से ही दुनियाभर के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई भेज रहे हैं. फोन पर, ट्विटर पर या अन्य आधिकारिक संदेशों के जरिए पीएम मोदी को बधाई मिल रही है. खुद पीएम मोदी भी लगातार इस बात की पुष्टि अपने ट्विटर पर कर रहे हैं और वहीं पर भी कई राष्ट्राध्यक्षों का शुक्रिया कर रहे हैं. इसी बीच एक ऐसा गजब का वाकया हो गया कि चीन को मिर्ची लग गई. वह भी ताइवान के चक्कर में चीन का सिर चकरा गया.   *चीन चिढ़ गया.. अमेरिका ने समझा दिया* यह तब हुआ जब मोदी की जीत पर दुनियाभर के अन्य नेताओं की ही तरह ताइवान के राष्ट्रपति ने भी बधाई संदेश भेजा. सोशल मीडिया पर भेजे इस संदेश का शुक्रिया करते हुए मोदी ने रिप्लाई भी किया. मोदी ने लिखा कि वह भी ताइवान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए उत्सुक हैं. बस फिर क्या था. चीन भड़क गया. भारत को अपनी वन चाइना पॉलिसी समझाने लगा. मामला बढ़ गया. अमेरिका भी इस बहस में कूद गया.   *क्या बातचीत हुई मोदी और ताइवानी नेता के बीच* असल में चिंग ते लाई पिछले महीने ही ताइवान के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा चुनाव में जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मेरी हार्दिक बधाई. हम तेजी से बढ़ती ताइवान-भारत साझेदारी को बढ़ाने, व्यापार, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में अपने सहयोग का विस्तार करने के लिए तत्पर हैं ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि में योगदान दिया जा सके. इस पोस्ट पर मोदी ने रिप्लाई किया. मोदी ने लिखा चिंग ते लाई आपके गर्मजोशी भरे संदेश के लिए धन्यवाद. मैं पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक और तकनीकी साझेदारी की दिशा में काम करते हुए और भी घनिष्ठ संबंधों की आशा करता हूं.   *चीन ने आपत्ति में क्या कहा?* इसके बाद चीन ने इस पर आपत्ति जता दी. चीन ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा भारत को ताइवान के अधिकारियों की ‘‘राजनीतिक चालों’’ का विरोध करना चाहिए. चीन के मुताबिक ताइवान उसका एक विद्रोही किंतु अभिन्न प्रांत है और इसे चीन के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए भले ही इसके लिए बल प्रयोग क्यों न करना पड़े. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इन संदेशों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि चीन ने इस पर भारत के समक्ष विरोध दर्ज कराया है.   *बहस में अमेरिका ने चीन को समझा दिया..* उधर मामले पर भारत ने तो कोई अन्य प्रतिक्रिया नहीं दी. लेकिन अमेरिका ने चीन को जरूर समझा दिया. एक सवाल के जवाब में चीन की आपत्ति पर अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो विदेशी नेताओं का एक दूसरे को इस प्रकार के बधाई संदेश देना राजनयिक शिष्टाचार का हिस्सा है. विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैं कहूंगा कि इस तरह के बधाई संदेश राजनयिक शिष्टाचार का हिस्सा हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 7, 2024

अगले 10 साल एनडीए की सरकार रहेगी: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 07 जून 2024 (यूटीएन)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता नरेंद्र मोदी को शुक्रवार को सर्वसम्मति से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) संसदीय दल का नेता चुन लिया गया। इस दौरान उन्होंने बैठक में मौजूद सभी गणमान्य जनों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ''मैं बहुत जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं, एनडीए सरकार में हम अगले 10 साल में सुशासन, विकास, जीवन की गुणवत्ता और मेरा व्यक्तिगत सपना है। मैं लोकतंत्र की समृद्धि के बारे में सोचता हूं तो मानता हूं कि मध्यम वर्ग के जीवन में सरकार की दखल जितनी कम हो, उतना अच्छा है। आज के तकनीक के दौर में हम यह कर सकते हैं। हम विकसित भारत के सपने को साकार करके रहेंगे।   विस्तार से कहूं तो सदन में किसी भी दल का कोई भी प्रतिनिधि होगा, मेरे लिए सब बराबर हैं। जब मैं सबका प्रयास करता हूं तो सदन में भी सब बराबर हैं। यह भी भाव है, जिसके कारण 30 साल से एनडीए आगे बढ़ा है। सबको गले लगाने में हमने कोई कमी नहीं रखी है। हमने 2024 में जिस टीम भावना से काम किया है और जमीनी स्तर पर किया है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ तस्वीरों के लिए नेताओं ने हाथ हिलाए और फिर तुम तुम्हारे रास्ते और हम हमारे रास्ते। हमने वाकई एकदूसरे का सहयोग किया है। हर किसी ने यही सोचा कि जहां कम, वहां हम। मैं कह सकता हूं कि हमारा 10 साल का अनुभव है। भारत के हर क्षेत्र और हर नागरिक की आकांक्षा और राष्ट्र की आकांक्षाओं के बीच अटूट नाता होना चाहिए। बीच से हवा न गुजर सके, ऐसा जुड़ाव होना चाहिए।   *दक्षिण और जय जगन्नाथ का जिक्र करना नहीं भूले कहा- ओडिशा में 25 साल विकास यात्रा चलेगी* पीएम मोदी ने कहा, ''दक्षिण भारत में एनडीए ने एक नई राजनीति की नींव मजबूत की है। कर्नाटक और तेलंगाना को देखिए। अभी-अभी तो वहां सरकारें बनी थीं। पलभर में ही लोगों का भम्र टूट गया और एनडीए को गले लगा लिया। तमिलनाडु की टीम को भी बधाई देना चाहता हूं। वहां हमारा एनडीए समूह बढ़ा भी है। कइयों को पता था कि शायद सीटें न जीत पाएं, लेकिन फिर कहते रहे कि हम साथ रहेंगे। आज तमिलनाडु में भले ही हम सीट नहीं जीत पाए, लेकिन जिस तेजी से एनडीए का वोट शेयर बढ़ा है, वह साफ-साफ कह रहा है कि कल में क्या लिखा हुआ है। केरल में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने बलिदान किया है। इतना जुल्म विचारधारा रखने वालों पर हुआ होगा, तो वह केरल में हुआ है।   लेकिन हम परिश्रम की पराकाष्ठा में पीछे नहीं रहे। पीढ़ियां खपा दीं। और आज केरल से संसद में हमारा पहला प्रतिनिधि आ गया। अरुणाचल में लगातार हमारी सरकार बनती रही है। आंध्र में ऐतिहासिक रूप में सर्वोच्च सीटें मिली हैं... और ये पवन, ये पवन नहीं आंधी है। आंध्र ने इतना बड़ा जनमत हमारे लिए दिया है। महाप्रभु जगन्नाथ जी को याद करता हूं तो हमेशा याद करता हूं कि ये गरीबों के देवता हैं। वहां जो क्रांति-रूप परिणाम आया है, उसे देखकर कह सकता हूं कि विकसित भारत का जो सपना है, आने वाले 25 साल महाप्रभु जगन्नाथ जी की कृपा से ओडिशा देश की विकास यात्रा के ग्रोथ इंजन में से एक होगा।   *'महिलाओं के नेतृत्व में विकास'* उन्होंने कहा कि नारी शक्ति की भागीदारी हमारा कमिटमेंट है। वह दिन दूर नहीं होगा, जब सदन में माताएं-बहनें ज्यादा संख्या में नेतृत्व करती दिखाई देंगे। हमने महिलाओं को सबसे ज्यादा टिकट देने वाल पार्टी रहे हैं। हम जी-20 समिट से भी इस बात को आगे बढ़ा रहे हैं- महिलाओं के नेतृत्व में विकास।   *'एनडीए का यह कार्यकाल बड़े फैसलों और तेज विकास का'* पीएम ने कहा कि एनडीए का यह कार्यकाल बड़े फैसलों और तेज विकास का है। हम समय नहीं गंवाना चाहते। हम पांच नंबर से तीन नंबर की अर्थव्यवस्था पर पहुंच रहे हैं। यह खाली पांच-तीन का आंकड़ा नहीं है। इससे अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा, उससे सरलता बढ़ेगी, देश की जरूरतें पूरी करने का सामर्थ्य बढ़ेगा। राज्यों का सहयोग भी इसमें उतना ही महत्वपूर्ण रहेगा। मेरा आग्रह है कि प्रतिस्पर्धी सहयोगात्मक संघवाद। हम अच्छा करने की स्पर्धा करें। जी-20 समिट हम एक जगह से कर सकते हैं, लेकिन हिंदुस्तान के अनेक शहरों में बैठकें हुईं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 7, 2024

हम हारे कहां से भाई, ये एनडीए की महाविजय; जीत पचाना जानते हैं: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 07 जून 2024 (यूटीएन)। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का नेता चुने जाने के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संसदीय दल को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने एनडीए सरकार को सबसे सफल गठबंधन बताया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष और उनके इंडी गठबंधन को जमकर घेरा। उन्होंने ईवीएम को लेकर भी विपक्षी गठबंधन को जमकर खरी-खोटी सुनाई।   *ये लोग ईवीएम की अर्थी निकालने की तैयारी में थे* पीएम मोदी ने कहा, ''जब चार जून के नतीजे आए तो मैं काम में व्यस्त था। बाद में फोन आना शुरू हुए। मैंने कहा कि ये आंकड़े तो ठीक हैं, ये बताओ कि  ईवीएम जिंदा है या मर गया? क्योंकि ये लोग तय करके बैठे थे कि भारत के लोकतंत्र और लोकतंत्र की प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा दिया जाए। ये लगातार ईवीएम को गाली देते रहे। ये ईवीएम की अर्थी निकालने की तैयारी में थे। शाम आते-आते उनकी जुबान में ताले लग गए और ईवीएम ने उन्हें चुप करा दिया। यह ताकत लोकतंत्र और चुनाव आयोग की है।   आशा करता हूं कि पांच साल ईवीएम नहीं सुनाई देगा, लेकिन 2029 में हम जाएं तो शायद ये फिर ईवीएम कहने लगेंगे। चुनाव में हर तीसरे दिन सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए गए ताकि चुनाव आयोग के काम में रुकावट आए। कैसे रुकावट डालें, इसका प्रयास करते रहे। चुनाव जब चरम पर थे, तब चुनाव आयोग की ताकत का बड़ा हिस्सा अदालतों में जा रहा था। कितनी निराशा था उन लोगों में। देश उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।   *ये विदेश में जाकर कहते हैं कि यहां लोकतंत्र नहीं है* उन्होंने कहा, ''इंडी गठबंधन वाले जब ईवीएम का जिक्र करते थे तो मैं इसे चुनाव के रूप में नहीं देखता। मैं मानता हूं कि ये तीसरी शताब्दी के लोग हैं। ये तकनीक को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। जब हम यूपीआई लेकर आए, तब ये मानने को तैयार नहीं हुए। आधार देश की पहचान है, कई देश ऐसी व्यवस्था चाहते हैं। इन्होंने इसका भी विरोध किया। इंडी गठबंधन तकनीक का विरोधी है। विश्व में भारत के लोकतंत्र की ताकत को कम आंकने की प्रयास होते हैं। मैं ढिंढोरा पीटता हूं कि हमारे यहां लोकतंत्र है, ये विदेश में जाकर कहते हैं कि यहां लोकतंत्र नहीं है, मोदी आकर बैठ गया है। ये लोग भारत को बदनाम करने का षड्यंत्र करते हैं। अब लगता है कि दुनिया भी हमारे लोकतंत्र की ओर आकर्षित होगी।   *ये नतीजे एनडीए की महाविजय है* पीएम मोदी ने कहा, ''जब 1 जून को मतदान प्रक्रिया पूरी हुई और 4 जून को नतीजे आए। उसके बीच योजनाबद्ध तरीके से देश को हिंसा की आग में झोंकने का काम हुआ। आप पहले भारत की लोकतंत्र व्यवस्था का अनादर करते हैं, फिर आग लगाने की बात करते हैं। उन्होंने लगातार देश को बांटने का प्रयास किया। ये नतीजे एनडीए की महाविजय है। आपने देखा कि दो दिन सब कैसे चला। जैसे हम हार चुके हैं, हम तो गए। उन्हें असल में अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना था तो काल्पनिक बातें कीं।   गठबंधन के इतिहास में आंकड़ों के हिसाब से देखें तो यह गठबंधन की सबसे मजबूत सरकार है। देशवासी जानते हैं कि न हम हारे थे, न हारे हैं, लेकिन 4 जून के बाद हमारा जो व्यवहार रहा है, वह हमारी पहचान बताता है कि हम विजय को पचाना जानते हैं। हम जानते हैं कि विजय की गोद में उन्माद पैदा नहीं होता और न ही पराजित लोगों का उपहास करने के हमारे संस्कार हैं।   *हम हारे कहां से भाई, कांग्रेस की तीन चुनाव में कुल सीटें भी हमसे कम * उन्होंने कहा, ''किसी भी बच्चे से पूछो कि लोकसभा चुनाव से पहले किसकी सरकार थी, वह कहेगा एनडीए। नतीजों के बाद किसकी सरकार बनी, वह कहेगा एनडीए। तो हारे कहां से भाई? पहले भी एनडीए, आज भी एनडीए, कल भी एनडीए। 10 साल बाद भी कांग्रेस सौ के आंकड़े को पार नहीं कर पाई। अगर मैं 2014, 2019, 2024 के तीन चुनाव को जोड़ू तो उन्हें जितनी कुल सीटें इन चुनावों में मिली हैं, उससे ज्यादा सीटें हमें इस चुनाव में मिली हैं। इंडी गठबंधन वालों को अंदाज नहीं है। वे पहले तो डूब रहे थे, अब वे तेज गति से गर्त में जाने वाले हैं।   *उनमें संस्कार आएं, इसके लिए हमें और इंतजार करना पड़ेगा* उन्होंने कहा, ''इंडी गठबंधन वाले देश के सामान्य नागरिकों की समझ को नहीं समझना चाहते। भारत के सामान्य व्यक्ति की भी एक समझ है। जो जमीन से जुड़ा रहता है, वह समझ को पहचानता है। ये लोग वहां नहीं हैं। इन लोगों का 4 जून के बाद जो व्यवहार रहा है, मैं आशा करता था कि वे लोकतंत्र का सम्मान करेंगे, लेकिन शायद उनमें यह संस्कार आएं, इसके लिए हमें और इंतजार करना पड़ेगा। ये वो लोग हैं, जो अपने प्रधानमंत्री का सम्मान नहीं करते थे, कागज फाड़ देते थे। मैं क्वालिटी डिबेट को मिस कर रहा था, लगता है कि अब वह कमी नहीं खलेगी। भले ही वो विपक्ष में हैं, लेकिन वे राष्ट्र के विपक्ष नहीं हैं। वे हमारे विपक्ष में हैं। राष्ट्र में हमारा कोई पक्ष-विपक्ष नहीं है। ये 2024 का जनादेश एक बात को बार-बार मजबूती दे रहा है कि देश को आज के वातावरण में सिर्फ और सिर्फ एनडीए पर ही भरोसा है।   *नाम बदल लिया, लेकिन उनकी पहचान घोटालों की है* पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए ने अपनी छवि सुधारने के लिए नाम बदल दिया, लेकिन पहचान घोटालों की है। नाम बदलने के बाद भी देश उनके घोटालों को नहीं भूला, उन्हें नकारा है। इंडी गठबंधन के एक व्यक्ति का विरोध करने के एक सूत्रीय एजेंडे के कारण जनता ने उन्हें फिर से विपक्ष में बैठा दिया है। एनडीए विकसित भारत के संकल्प और सकारात्मक सोच को लेकर चुनाव में गया था, जबकि हमारे सामने जो लोग थे, वे भम्र फैलाने, झूठ फैलाने का काम करता था।   नामांकन में जाएंगे तो भी देखेंगे कि हमारा एक-एक दृश्य देखिए और उनका एक-एक दृश्य देखिए। तस्वीरें खींचने आ गए, गठबंधन का एलान कर दिया, लेकिन कितने राज्यों में आपस में लड़ते रहे। अब कह रहे हैं कि गठबंधन तो सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था। बिखराव शुरू हो चुका है। वे सिर्फ सत्ता-सुख के लिए एकदूसरे का साथ देने की कोशिश कर रहे थे।   *कांग्रेस के दफ्तरों पर लोग कतार लगाकर खड़े हैं* उन्होंने कहा, ''ये लोग झूठ बोलते रहे हैं। चुनाव के समय उन्होंने नागरिकों को गुमराह करने के लिए पर्चियां बांटीं। दो दिन से देख रहा हूं कि कांग्रेस के दफ्तरों पर लोग कतार लगाकर खड़े हैं कि ये पर्ची है, एक लाख रुपया लाओ। यानी आपने जनता की आंखों में कैसे धूल झोंकी? अब उन्हें धक्का मारा जा रहा है। यह देश के गरीबों का अपमान है। देश ऐसी हरकतों को न भूलता है, न माफ करता है। हमारे लिए यह संतोष की बात है कि हमने कमिटमेंट से काम किया। 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 7, 2024

प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में जुटेंगे दुनियाभर के नेता

नई दिल्ली, 07 जून 2024 (यूटीएन)। कार्यवाहक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हफ्ते के आखिर में प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। साल 2014 की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में दुनियाभर के नेता जुटेंगे। इनमें श्रीलंका, नेपाल, मॉरिशस आदि के राष्ट्र प्रमुख शामिल हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने शपथ ग्रहण समारोह का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया है।   *श्रीलंका के राष्ट्रपति होंगे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल*   श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमासिंघे ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में बताया कि उन्होंने नरेंद्र मोदी को बुधवार को लोकसभा चुनाव में भाजपा नीत एनडीए की जीत की बधाई दी। सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा गया कि 'इस जीत से पता चलता है कि भारत के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में तरक्की और समृद्धि में विश्वास जताया है। सबसे करीबी पड़ोसी होने के नाते श्रीलंका की सरकार भारत के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ करने की तरफ देख रही है।   श्रीलंकाई राष्ट्रपति के मीडिया विभाग ने एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि 'दोनों देशों के नेताओं के बीच बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति विक्रमासिंघे को शपथ ग्रहण समारोह के लिए आमंत्रित किया, जिसे राष्ट्रपति विक्रमासिंघे ने स्वीकार कर लिया।   *नेपाली पीएम प्रचंड भी हो सकते हैं शामिल*   नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो सकते हैं। नेपाल के विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की दिल्ली यात्रा का कार्यक्रम बनाने में व्यस्त है, जहां वे प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। हालांकि मंत्रालय ने बताया कि अभी तक दौरे की पुष्टि होनी बाकी है। जैसे ही तारीख तय हो जाएगी तो औपचारिक एलान कर दिया जाएगा।    नेपाल के प्रधानमंत्री ने मंगलवार को फोन करके पीएम मोदी को लोकसभा चुनाव में जीत की बधाई भी दी थी। दोनों नेताओं के बीच टेलीफोन पर बातचीत भी हुई। साल 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में दुनियाभर के नेताओं को आमंत्रित किया  गया था, तो नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री सुशीला कोइराला भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।    *इन नेताओं को भी किया गया आमंत्रित*   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह के लिए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ को भी आमंत्रित किया गया है। हालांकि अभी तक दोनों नेताओं के भारत दौरे की पुष्टि नहीं हुई है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 7, 2024