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पीएम मोदी ने जनजातीय संस्कृति से दुनिया को कराया रूबरू

नई दिल्ली, 16 नवंबर 2024 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री मोदी का भारत के जनजातीय समुदाय के साथ बेहद व्यक्तिगत संबंध है. फिर चाहे किसी आदिवासी के घर में चाय सांझा करना हो, उनके त्योहार मनाना हो या फिर गर्व के साथ उनकी पोशाक पहनना हो. वह ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो आदिवासी समुदाय के साथ इतने घनिष्ठ संबंध रखते हैं. उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आदिवासी समुदायों की आवाज और उनकी विरासत को आगे बढ़ाया है.    *पीएम मोदी ने विश्व नेताओं को भेंट किए जनजातीय तोहफे* पीएम मोदी ने झारखंड की सोहराई पेंटिंग रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भेंट की.  उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कुक आइलैंड्स और टोंगा के नेताओं को डोगरा कला में बनी कलाकृदितियां तोहफे के रूप में दी. मध्यप्रदेश की गोंड पेंटिंग उन्होंने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा को दी. उज्बेकिस्तान और कोमोरोस के नेताओं को पीएम मोदी ने महाराष्ट्र की वार्ली पेंटिंग उपाहर के रूप में दी. जनजातीय विरासत को बढ़ावा देने के लिए दिए गए जीआई टैग जनजातीय विरासत को बढ़ावा देने के लिए जीआई टैग दिए गए हैं.   वोकल फॉर लोकल पहल के तहत आदिवासियों कारिगरों को सशक्त बनाने की कोशिश की जा रही है. 75 से अधिक जनजातीय उत्पादों को आधिकारिक तौर पर टैग किया गया है. इनमें निम्न उत्पाद शामिल हैं - असम की जापी यानि बांस की टोपी. ओडिशा की डोंगरिया कोंध शॉल.अरुणाचल की याक चुरपी.ओडिशा में लाल बुनकर चींटियों से बनी सिमिलिपाल काई चटनी. बोडो समुदाय का पारंपरिक बुना हुआ कपड़ा बोडो अरोनई.   *15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस की पीएम मोदी ने की थी घोषणा* 300 से अधिक जनजाती विरासत संरक्षण केंद्र भी स्थापित किए गए हैं. पीएम मोदी ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित कर भगवान बिरसा मुंडा को सम्मानित किया है. वह झारखंड के उलीहातू में बिरसा मुंडा के जन्म स्थान का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री बनें. रांची में भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल पार्क और स्वतंत्रता संग्रहालय का निर्माण भी कराया गया.    *आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को किया सम्मानित* मोदी सरकार ने बिरसा मुंडा, रानी कमलापति और गोंड महारानी वीर दुर्गावती जैसे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया है. गारो खासी, मिजो और कोल विद्रोह जैसे आंदोलनों को भी मान्यता दी गई है. भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया है. मणिपुर के कैमाई रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी गाइदिन्ल्यू स्टेशन किया गया है.    *देशभर में विकसित किए जा रहे स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय* इतना ही नहीं पूरे देश में स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय भी विकसित किए जा रहे हैं. इसके अलावा आदि महोत्सव की शुरुआत 2017 में की गई. इसके तहत देशभर के अलग-अलग स्थानों में आदिवासी उद्यमिता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया गया है. जी 20 शिखर सम्मेलन में आदिवासी कारीगरों को उनके काम के लिए और भी अधिक अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली.    *जनजातीय प्रोडक्ट्स को दिया जा रहा बढ़ावा* जनजातीय और आदिवासी क्षेत्रिय प्रोडक्ट्स के निर्यात को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. अराकू कॉफी ने 2017 में पेरिस में अपनी पहली ऑर्गेनिक कॉफी शॉप खोली, जिससे वैश्विक बाजारों में उसका प्रवेश हुआ. इसी तरह छत्तीसगढ़ के निर्जलित महुआ फूलों ने फ्रांस समेत अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी जगह बनाई है. शॉल, पेंटिंग्स, लकड़ी के सामान, आभूषण और टोकरियां आदि सामान विदेशों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं.    *ट्राइफेड के जरिए कारीगर परिवारों को किया जा रहा सशक्त* सरकार, ट्राइफेड यानी ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के आउटलेट्स राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ई-कोमर्स प्लेटफॉर्म के साथ साझेदारी के माध्यम के साथ इन प्रयासों का समर्थन करती है. नवंबर 2024 तक ट्राइफेड ने 2,18,500 से अधिक कारीगर परिवारों को सशक्त बनाया है. ट्राइब्स इंडिया के माध्यम से 1 लाख से अधिक आदिवासी उत्पादों की बिक्री को सुविधा मिली है. भारत के जनजातीय समुदायों की विरासत को सही सम्मान देना, पीएम मोदी की प्रतिबद्धता है. यह उनकी सोच है जो आदिवासी समुदायों गहरी सांस्कृतिक जड़ों का सम्मान करती है, उन्हें सशक्त बनाती है और उनकी कहानियों को दुनिया के सामने ला रही है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Pradeep Jain

Nov 16, 2024

आदिवासी समुदायों की प्रगति राष्ट्रीय प्राथमिकता: राष्ट्रपति

नई दिल्ली, 16 नवंबर 2024 (यूटीएन)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आदिवासी समुदायों की प्रगति और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि देश तभी सही मायने में विकसित होगा जब आदिवासी समुदाय भी विकास की मुख्यधारा में होंगे। इतना ही नहीं राष्ट्रपति मुर्मू ने आदिवासी समुदायों की प्रगति को राष्ट्रीय प्राथमिकता भी बताया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उनके लिए विकास के अवसर बढ़े। उन्होंने 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती से पहले आदिवासी गौरव दिवस को लेकर यह बातें कहीं। बता दें कि आज के दिन यानी 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी गौरव दिवस के तौर पर मनाया जाता है। बिरसा मुंडा को 'धरती आबा' के नाम से जाना जाता है और इस दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समुदायों के योगदान को सम्मानित किया जाता है।   *आदवासी समुदाय के इतिहास पर बोलीं मुर्मू* राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज ने सदियों से देश की सभ्यता और संस्कृति को समृद्ध किया है। इस संदर्भ में उन्होंने रामायण का उदाहरण दिया, जिसमें भगवान राम ने वनवासियों को अपनाया और वनवासियों ने भी भगवान राम को अपनाया। उन्होंने कहा आदिवासी समाज में पाई जाने वाली आत्मीयता और सद्भाव की भावना हमारी संस्कृति और सभ्यता का आधार है। राष्ट्रपति मुर्मू ने यह भी कहा कि आदिवासी समुदायों को अब बुनियादी सुविधाएं जैसे आवास, परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार मिल रहे हैं, जो पहले नहीं थे। उन्होंने बताया कि इसके परिणामस्वरूप आदिवासी लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है और उन्हें आर्थिक विकास के अवसर भी मिल रहे हैं।    *आदिवासी समुदायों के लिए चल रहे बड़े अभियान* राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान सरकार आदिवासी समुदायों के विकास के लिए कई बड़े अभियान चला रही है। उन्होंने कहा हमारा देश तभी सही मायने में विकसित बनेगा, जब हमारे आदिवासी भी विकसित होंगे। आदिवासी समुदाय के लोगों की प्रगति हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता है। हम चाहते हैं कि उनका पुराना रूप बरकरार रहे और वे साथ ही साथ आधुनिक विकास की दिशा में भी आगे बढ़ें। उन्होंने यह भी बताया कि आदिवासी समाज में एक नई चेतना फैल रही है जो उनके गौरव और संविधान के आदर्शों को मान्यता देती है।    *महिलाओं की बढ़ती आत्मनिर्भरता को सराहा* इसके साथ ही राष्ट्रपति ने आदिवासी महिलाओं की बढ़ती आत्मनिर्भरता की भी सराहना की। खासकर वे जो स्वयं सहायता समूहों और अन्य विकास योजनाओं के माध्यम से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की बात कही कि राष्ट्रीय योजनाओं का लाभ सभी आदिवासी लाभार्थियों तक समय पर पहुंचे।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Pradeep Jain

Nov 16, 2024

कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की अहम भूमिका होगी : सीआईआई पीएसई शिखर सम्मेलन

नई दिल्ली, 15 नवंबर 2024 (यूटीएन)।  शुद्ध शून्य के मामले में अग्रणी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसई) अपने व्यावसायिक संचालन को प्रभावी ढंग से कार्बन मुक्त करने और उत्सर्जन से निपटने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं, यह बात 14 नवंबर को नई दिल्ली में सीआईआई पीएसई शिखर सम्मेलन में ‘भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर मार्ग: विरासत से भविष्य को उत्प्रेरित करने तक पीएसई की भूमिका’ पर पूर्ण सत्र के दौरान ऑयल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ रंजीत रथ ने कही। उन्होंने कहा कि पीएसई की जिम्मेदारी न केवल व्यवसाय चलाने की है, बल्कि सामाजिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के इरादे से ऐसा करना है।   डॉ रथ ने कहा, “पीएसई की सामूहिक खरीद का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। चाहे वह तेल और गैस, स्टील, कोयला या बड़े पैमाने के उपकरण के लिए हो, पीएसई न केवल देश के विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को सुविधाजनक बनाते हैं, बल्कि युवा उद्यमियों को बड़ा सोचने और अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं।” गवर्नमेंट-ई-मार्केटप्लेस (जैम) के अतिरिक्त सीईओ अजीत बी चव्हाण ने कहा, "हमने 2016 से इस प्लेटफॉर्म पर जो 10 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया है, उसमें से लगभग 39 प्रतिशत एमएसई के पास गया है, जिससे घरेलू छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिला है।" उन्होंने कहा कि जैम पोर्टल से सरकार को कम से कम 10 प्रतिशत की बचत हुई है, जिसे अन्य सामाजिक विकास कार्यक्रमों में लगाया जा सकता है।   लगभग 1.6 लाख महिला-नेतृत्व वाले एमएसई और 27,000 स्टार्टअप जैम पोर्टल पर कारोबार कर रहे हैं और प्लेटफॉर्म का लक्ष्य इस संख्या को बढ़ाकर 1 लाख स्टार्टअप करना है। उन्होंने कहा कि सभी डीपीआईआईटी-पंजीकृत स्टार्टअप को प्लेटफॉर्म पर नामांकित किया जाएगा। चव्हाण ने कहा कि इस साल पोर्टल के जरिए 5-6 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी होने की उम्मीद है उन्होंने कहा कि हमें न केवल परिचालन संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए बल्कि अधिक शोध करने के लिए भी उद्योग-अकादमिक सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि ओएनजीसी ने 2038 तक शुद्ध शून्य परिचालन उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए 24 अरब अमेरिकी डॉलर का बजट रखा है।   सीआईआई पीएसई काउंसिल की सह-अध्यक्ष सुश्री वर्तिका शुक्ला ने पीएसई के लिए अपने निर्णय लेने, निवेश और परिवर्तन के हिस्से के रूप में स्थिरता और नवाचार को देखने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “पीएसई ने इस्पात, बिजली, परमाणु ऊर्जा और रक्षा आदि सहित हर क्षेत्र में धन और मूल्य जोड़ा है। उन्होंने न केवल तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध किया है, बल्कि सामाजिक रूप से भी योगदान दिया है।” और स्थिरता, एमएसएमई और प्रौद्योगिकी का समर्थन करने में पीएसई के योगदान पर प्रकाश डाला।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

Nov 15, 2024

घर सपना है, कभी ना टूटे... बुल्डोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने खींच दी लक्ष्मण रेखा

नई दिल्ली, 14 नवंबर 2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर अपना फैसला सुना दिया है. राज्यों के मनमाने बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर पर छत हर आदमी का सपना और मौलिक अधिकार है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने नई गाइडलाइंस भी जारी की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि बिना नोटिस दिए किसी का भी घर नहीं तोड़ सकते हैं। अदालत ने कहा है कि किसी व्यक्ति का घर केवल इसलिए नहीं गिराया जा सकता है कि उस पर कोई आरोप लगा है। अदालत ने कहा कि आरोपों पर फैसला न्यायपालिका का काम है कार्यपालिका का नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर से लोगों के घर गिराए जाने को असंवैधानिक बताया है। अदालत ने कहा कि यदि कार्यपालिका किसी व्यक्ति का मकान केवल इस आधार पर गिरा देती है कि वह अभियुक्त है, तो यह कानून के शासन का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की यहां तक कि गंभीर अपराधों के आरोपी और दोषी के खिलाफ भी बुलडोजर की कार्रवाई बिना नियम का पालन किए नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कानून का शासन,नागरिकों के अधिकार और प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत आवश्यक शर्त है। अगर किसी संपत्ति को केवल इसलिए ध्वस्त कर दिया जाता है क्योंकि व्यक्ति पर आरोप लगाया गया है तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक है।   * बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट सख्त टिप्पणी * किसी एक की गलती की सजा पूरे परिवार को नहीं दे सकते आरोपी एक तो पूरे परिवार को सजा क्यों?गलत तरीके से घर तोड़ने पर मुआवजा मिलेसत्ता का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जा सकताबुलडोजर ऐक्शन पक्षपातपूर्ण नहीं हो सकता हैबुलडोजर की मनमानी पर अधिकारियों को नहीं बख्शेंगेघर तोड़ने की हालत में संबंधित पक्ष को समय मिलेकिसी अपराध की सजा देने अदालत का काम है बिना फैसले के किसी को भी दोषी न माना जाए। रजिस्टर्ड पोस्ट से नोटिस भेजें, 15 दिन का वक्त मिले।     * सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा *  सुप्रीम कोर्ट के बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन के पीठ ने सुनाया फैसला.अपने फैसले में जस्टिस गवई ने कहा कि किसी का घर उसकी उम्मीद होती है। हर किसी का सपना होता है कि उसका आश्रय कभी न छिने. हर आदमी की उम्मीद होती है कि उसके पास आश्रय हो. हमारे सामने सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका किसी ऐसे व्यक्ति का आश्रय छीन सकती है जिस पर अपराध का आरोप है. अदालत ने कहा कि किसी आरोपी का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि उस पर किसी अपराध का आरोप है।उन्होंने कहा कि आरोपों पर सच्चाई का फैसला सिर्फ न्यायपालिका ही करेगी। अदालत ने कहा कि कानून का शासन लोकतांत्रिक शासन का मूल आधार है। यह मुद्दा आपराधिक न्याय प्रणाली में निष्पक्षता से संबंधित है। यह यह अनिवार्य करता है कि कानूनी प्रक्रिया को अभियुक्त के अपराध के बारे में पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं होना चाहिए.कोर्ट ने कहा कि ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो राज्य में कानून व्यस्था बनाए रखे।     * राज्य की मनमानी पर लगाई रोक * अदालत ने कहा कि सभी पक्षों सुनने के बाद ही हम आदेश जारी कर रहे है। अदालत ने कहा कि हमने संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकारों पर विचार किया है। यह व्यक्तियों को राज्य की मनमानी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करते हैं। अदालत ने कहा कि सत्ता के मनमाने प्रयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती है।     * इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर से हो रही कार्रवाई को लेकर अपनी गाइडलाइन जारी की * यदि ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए। बिना कारण बताओ नोटिस के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जाएगी। मालिक को पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और नोटिस को संरचना के बाहर चिपकाया भी जाएगा। नोटिस तामील होने के बाद अपना पक्ष रखने के लिए संरचना के मालिक को 15 दिन का समय दिया जाएगा। तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी। कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे। नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, निजी सुनवाई की तिथि और किसके समक्ष सुनवाई तय की गई है, निर्दिष्ट डिजिटल पोर्टल उपलब्ध कराया जाएगा, जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का विवरण उपलब्ध कराया जाएगा।   प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई सुनेगा और मिनटों को रिकॉर्ड किया जाएगा। उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा. इसमें यह उत्तर दिया जाना चाहिए कि क्या अनधिकृत संरचना समझौता योग्य है और यदि केवल एक भाग समझौता योग्य नहीं पाया जाता है और यह पता लगाना है कि विध्वंस का चरम कदम ही एकमात्र जवाब क्यों है। आदेश डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा। आदेश के 15 दिनों के भीतर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर दिया जाएगा और केवल तभी जब अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो विध्वंस के चरण होंगे। विध्वंस की कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जाएगी। वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए। उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए। सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए.इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना ​​और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा. सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |    

Ujjwal Times News

Nov 14, 2024

जल्द खराब होने वाले खाद्य पदार्थ अब नहीं भेज सकेंगीं ई-कॉमर्स कंपनियां

नई दिल्ली, 14 नवंबर 2024 (यूटीएन)। अब खाद्य पदार्थों की डिलीवरी करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियां जल्द खराब होने वाले खाद्य पदार्थ नहीं भेज सकेंगीं। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने खाद्य पदार्थों की सीमा तय की है। प्राधिकरण ने ई-कॉमर्स कंपनियों से कहा है कि वह ऐसे खाद्य पदार्थों की आपूर्ति न करें जिनकी एक्सपायरी डेट नजदीक हो। ग्राहकों को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थों की एक्सपायरी डेट कम से कम 45 दिन होनी चाहिए। साथ ही लंबे समय तक न चलने वाले खाद्य पदार्थों की भी शेल्फ लाइफ कम से कम 30 फीसदी होनी चाहिए। ऑनलाइन खाद्य पदार्थों की डिलीवरी कर रहीं ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर लगातार एफएसएसएआई को शिकायतें मिल रही थीं।    इसे लेकर खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने सभी ई-कॉमर्स खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) की बैठक बुलाई। इसमें सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को सख्त निर्देश दिए गए। बैठक में एफएसएसएआई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी गंजी कमला वी राव ने ई-कॉमर्स एफबीओ ऐसे व्यवहार अपनाने को कहा जिसके तहत उपभोक्ताओं को डिलीवरी के समय खाद्य उत्पाद की न्यूनतम शेल्क लाइफ का ध्यान रखने के लिए कहा गया। बैठक में राव ने स्पष्ट किया कि ई-कॉमर्स से बेचे किसी भी उत्पाद के दावे उत्पाद लेबल पर दी गई जानकारी के अनुरूप होने चाहिए और एफएसएसएआई के लेबलिंग और प्रदर्शन विनियमों का पालन करना चाहिए।   उन्होंने एफबीओ को ऑनलाइन बिना समर्थन वाले दावे करने के खिलाफ भी आगाह किया। नियामक ने कहा, इससे भ्रामक जानकारी को रोका जा सकेगा और उपभोक्ताओं के सटीक उत्पाद विवरण प्राप्त करने के अधिकार की रक्षा होगी। उन्होंने उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की रक्षा और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में ऑनलाइन प्लेटफार्म की भूमिका भी बताई। उन्होंने कहा कि कोई भी एफबीओ वैध एफएसएसएआई लाइसेंस या पंजीकरण के बिना किसी भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर काम नहीं कर सकता है। उन्होंने एफबीओ को खाद्य उत्पादों की समय पर डिलीवरी देने के लिए कर्मियों को उचित प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

Nov 14, 2024

पहले से जो करते आए हैं अब नहीं चलेगा', सीजेआई बनते ही जस्टिस संजीव खन्ना ने वकीलों को दे दी खास हिदायत

नई दिल्ली, 14 नवंबर 2024 (यूटीएन)। मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालते ही जस्टिस संजीव खन्ना ने वकीलों को खास हिदायत दे दी है. उन्होंने कहा कि मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने और उन पर सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. वकीलों से इसके लिए ईमेल या लिखित पत्र भेजने का आग्रह किया है. आमतौर पर वकील दिन की कार्यवाही की शुरुआत में मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच के सामने अपने मामलों पर तत्काल सुनवाई के लिए उनका उल्लेख करते हैं. सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, 'अब कोई मौखिक उल्लेख नहीं होगा. केवल ईमेल या लिखित पर्ची/पत्र में ही होगा. बस, तत्काल सुनवाई की आवश्यकता के कारण बताएं.' सीजेआई संजीव खन्ना ने न्यायिक सुधारों के लिए नागरिक-केंद्रित एजेंडे की रूपरेखा तैयार की है और कहा है कि न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना और नागरिकों के साथ उनकी स्थिति की परवाह किए बिना समान व्यवहार करना न्यायपालिका का संवैधानिक कर्तव्य है.   राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में 51वें सीजेआई के तौर पर जस्टिस संजीव खन्ना को शपथ दिलाई थी. जस्टिस खन्ना ने लोकतंत्र के तीसरे स्तंभ न्यायपालिका का नेतृत्व करने पर अत्यधिक सम्मान महसूस होने की बात कही. मुख्य न्यायाधीश ने सोमवार को अपने पहले बयान में कहा, 'न्यायपालिका शासन प्रणाली का अभिन्न, फिर भी अलग और स्वतंत्र हिस्सा है. संविधान हमें संवैधानिक संरक्षक, मौलिक अधिकारों के रक्षक और न्याय के सेवा प्रदाता होने के महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपता है.उन्होंने कहा, 'समान व्यवहार के मामले में न्याय वितरण ढांचे में सभी को सफल होने का उचित अवसर प्रदान करना आवश्यक है, चाहे उनकी स्थिति, धन या शक्ति कुछ भी हो, और ये न्यायपूर्ण और निष्पक्ष निर्णय हो. ये हमारे मूल सिद्धांतों को चिह्नित करते हैं.' मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'हमें सौंपी गई जिम्मेदारी नागरिकों के अधिकारों के रक्षक और विवाद समाधानकर्ता के रूप में हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है. हमारे महान राष्ट्र के सभी नागरिकों के लिए न्याय तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना हमारा संवैधानिक कर्तव्य है.   जस्टिस संजीव खन्ना ने न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों का उल्लेख किया जिनमें लंबित मामलों की संख्या कम करना, मुकदमेबाजी को किफायती बनाना और जटिल कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की आवश्यकता शामिल है. उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली को सभी नागरिकों की जरूरतों को पूरा करना चाहिए. उन्होंने अदालतों को अधिक सुलभ और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने के लिए एक दृष्टिकोण की रूपरेखा भी प्रस्तुत की. सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान में कहा कि मुख्य न्यायाधीश का उद्देश्य एक आत्म-मूल्यांकन दृष्टिकोण अपनाना है जो अपने कामकाज में फीडबैक के प्रति ग्रहणशील और उत्तरदायी हो. इसमें कहा गया है, 'नागरिकों के लिए फैसलों को समझने योग्य बनाना और मध्यस्थता को बढ़ावा देना भी प्राथमिकता में होगा.' आपराधिक मामलों के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, सीजेआई संजीव खन्ना ने मुकदमे की अवधि को कम करने, एक व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाने और यह सुनिश्चित करने को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया कि नागरिकों के लिए कानूनी प्रक्रियाएं कठिन न हों. उन्होंने विवादों का प्रभावी तरीके से समाधान निकालने और समय पर न्याय प्रदान करने के लिए मध्यस्थता को बढ़ावा देने के महत्व पर भी प्रकाश डाला.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 14, 2024

सीआईएसएफ को मिलेगी पहली महिला बटालियन, गृह मंत्रालय ने दी मंजूरी

नई दिल्ली, 14 नवंबर 2024 (यूटीएन)। महिलाओं को सशक्त बनाने और राष्ट्रीय सुरक्षा में उनकी भूमिका बढ़ाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक निर्णय में गृह मंत्रालय ने सीआईएसएफ की पहली पूर्ण महिला बटालियन की स्थापना को मंजूरी दे दी है. सीआईएसएफ उन महिलाओं के लिए एक पसंदीदा विकल्प रहा है, जो केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल में देश की सेवा करना चाहती हैं, जो वर्तमान में बल का 7 फीसदी से अधिक है. महिला बटालियन के जुड़ने से देश भर में अधिक महत्वाकांक्षी युवा महिलाओं को सीआईएसएफ में शामिल होने और देश की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. सीआईएसएफ मुख्यालय ने नई बटालियन के मुख्यालय के लिए शीघ्र भर्ती, प्रशिक्षण और स्थान के चयन की तैयारी शुरू कर दी है.    *शुरू हुई प्रशिक्षण और चयन प्रक्रिया* प्रशिक्षण को विशेष रूप से वीआईपी सुरक्षा में कमांडो के रूप में विविध भूमिका निभाने में सक्षम एक विशिष्ट बटालियन बनाने और हवाई अड्डों, दिल्ली मेट्रो रेल कर्तव्यों की सुरक्षा के लिए डिजाइन किया जा रहा है. 53वें सीआईएसएफ दिवस समारोह के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश के बाद महिला बटालियनों को तैयार करने का काम शुरू किया गया था. अभी सिर्फ मंजूरी मिली है. भारतीय प्रशिक्षण और चयन की प्रक्रिया ही शुरू हुई है.   *1969 में स्थापित हुआ था सीआईएसएफ* सीआईएसएफ वर्तमान में 12 रिजर्व बटालियन संचालित करता है, जिन्हें अक्सर अस्थायी और स्थायी दोनों तरह के कामों के लिए सुदृढीकरण के रूप में तैनात किया जाता है, जैसे चुनाव ड्यूटी या हाल ही में कवर किए गए संसद भवन परिसर जैसे प्रमुख स्थानों की रखवाली. 1969 में स्थापित सीआईएसएफ में लंबे समय से महिला कर्मियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही है, खासकर 68 नागरिक हवाई अड्डों, दिल्ली मेट्रो और ताजमहल और लाल किला जैसी ऐतिहासिक जगहों पर.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 14, 2024

तिरुपति लड्डू विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका

नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू विवाद की सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। दरअसल, याचिका में पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान तिरुमाला तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के संबंध में टीडीपी वाली आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच कराने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन 'ग्लोबल पीस इनीशिएटिव' के अध्यक्ष केए पॉल की याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा, 'आपकी प्रार्थना के अनुसार हमें सभी मंदिरों, गुरुद्वारों आदि के लिए अलग-अलग राज्य बनाना होगा। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि किसी विशेष धर्म के लिए एक अलग राज्य बनाया जाए। इसलिए हम इस याचिका को खारिज करते हैं।'पॉल ने अपनी याचिका में लड्डू प्रसादम की खरीद और इसकी तैयारी में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से व्यापक जांच कराने की मांग की थी।   *इससे पहले शीर्ष अदालत ने दिया था यह आदेश* शीर्ष अदालत ने करोड़ों लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए तिरुपति के लड्डू बनाने में इस्तेमाल किए गए पशुओं की चर्बी के आरोपों की जांच के लिए चार अक्तूबर को पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। पीठ ने निर्देश दिया था कि स्वतंत्र एसआईटी में सीबीआई और आंध्र प्रदेश पुलिस के दो-दो अधिकारी तथा भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।   *प्रसाद की पवित्रता धूमिल हुई: याचिकाकर्ता* पॉल ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा लगाए गए आरोपों से श्रद्धालुओं में गंभीर चिंता पैदा हो गई है और इस प्रसाद की पवित्रता धूमिल हुई है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और मौलिक धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन पर प्रकाश डाला गया है, जो धर्म का अभ्यास और प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। उन्होंने कहा, 'इसकी पवित्रता के साथ कोई भी समझौता न केवल लाखों भक्तों को प्रभावित करता है, बल्कि इस संस्थान की प्रतिष्ठा को भी धूमिल करता है। मैंने श्रद्धालुओं के हित में और यह सुनिश्चित करने के लिए याचिका दायर की है कि राजनीतिक जोड़तोड़ और भ्रष्टाचार हमारी पवित्र परंपराओं को कमजोर न करे।'    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 8, 2024

दिल्ली में जुटेंगे दुनियाभर के दंत विशेषज्ञ -दंत चिकित्सा में परिवर्तनकारी उपलब्धियों पर करेंगे चर्चा

नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। राजधानी के द लीला एम्बियंस कन्वेंशन हाल में आयोजित छठें जीएए आईडी ग्लोबल अमेरिकन एकेडमी ऑफ इम्प्लांट डेंटिस्ट्री और 12वें र्वड कांग्रेस फॉर ओरल इम्प्लांटोलॉजी कांफ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन के चेयरमैन एवं गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विविद्यालय के कुलपति प्रो. महेश वर्मा और आयोजन सचिव डा. वृज सभरवाल ने इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में हुई महत्वपूर्ण प्रगति और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। ग्लोबल अमेरिकन एकेडमी ऑफ इम्प्लांट डेंटिस्ट्री सम्मेलन एवं ओरल इम्प्लांटोलॉजी विश्व कांग्रेस के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए डॉ महेश वर्मा ने बताया कि इस सम्मेलन में 14 देशों के आठ सौ से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे तथा 65 भारतीय दंत चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ साथ 70 स्टूडेंट जो दंत चिकित्सा में विशेषज्ञता हासिल कर रहे हैं भी भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में 45 विशेषज्ञ अपने शौध पत्र प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा विश्व की 60 से भी अधिक जानी मानी कंपनियां अपने उत्पादों का प्रदर्शन भी करेंगी। डॉ महेश वर्मा ने बताया कि सम्मेलन के दौरान अनेक वर्कशॉप एवं शैक्षणिक सैशन भी आयोजित किए जाएंगे तथा वर्कशॉप व शैक्षणिक सैशनों को सफलता पूर्वक पूरे करने वाले विद्यार्थियों को डिप्लोमा सर्टिफिकेट भी दिए जाएंगे।   सम्मेलन के अध्यक्ष ने बताया कि यह आयोजन दुनिया भर के इम्प्लांटोलॉजी विशेषज्ञों और इनोवेटर्स को एक मंच पर एकसाथ मिलने का एक एतिहासिक अवसर है। उन्होंने बताया कि इसमें व्यावहारिक कार्यशालाएँ, लाइव सर्जरी और व्यापार प्रदर्शनी में इम्प्लांट तकनीक की नवीनतम जानकारी शामिल होगी। साथ ही शीर्ष वैश्विक इम्प्लांटोलॉजिस्ट के साथ नई नई जानकारी एवं खोज को साझा करने का एक सुनहरा अवसर भी मिलेगा। सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. महेश वर्मा के अनुसार, यह कार्यक्रम अद्वितीय है क्योंकि यह इम्प्लांट दंत चिकित्सा में ज्ञान और जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए पूर्व और पश्चिम के शीर्ष विशेषज्ञों को एक साथ लाने का एक एतिहासिक एवं अद्भुत प्रयास है। उन्होंने इस आयोजन के व्यावहारिक, साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण पर जोर दिया, खासकर दक्षिण एशिया जैसे उभरते बाजारों में चिकित्सकों के लिए। आयोजन सचिव डॉ. बृज सभरवाल ने सुनिश्चित किया कि सम्मेलन सभी विशेषज्ञता स्तरों के पेशेवरों को पूरा करेगा, जिसमें सभी के लिए शैक्षिक ट्रैक होंगे। डॉ वर्मा ने बताया कि सम्मेलन के दौरान अत्याधुनिक तकनीकें: डिजिटल इम्प्लांट प्लानिंग, 3डी इमेजिंग और न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों के बारे में इम्प्लांटोलॉजी के वैश्विक नेताओं से सीखने का मौका मिलेगा। डॉ. महेश वर्मा ने कहा कि यह सम्मेलन सहयोग के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में काम करेगा, जिसमें दुनिया भर के विशेषज्ञ, शोधकर्ता और चिकित्सक विचारों और अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिए एक साथ आएंगे।   यह मौखिक सर्जरी, प्रोस्थोडोन्टिक्स और पीरियोडोंटोलॉजी को मिलाकर एक अंतःविषय दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, जो जटिल मुद्दों से निपटने और रोगी के परिणामों को बेहतर बनाने में मदद करेगा। व्यावहारिक सत्रों, विशेषज्ञ व्याख्यानों और कार्यशालाओं के माध्यम से, उपस्थित लोग अपने नैदानिक ​​कौशल को निखारने और नवीनतम तकनीकों पर अपडेट रहने में सक्षम होंगे। यह कार्यक्रम भविष्य के शोध और विकास को भी बढ़ावा देगा, प्रतिभागियों को मौजूदा चुनौतियों के नए समाधान तलाशने के लिए प्रोत्साहित करेगा। यह सम्मेलन डिजिटल इंप्रेशन से लेकर सामग्री के चुनाव तक चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि उपस्थित लोग इम्प्लांट देखभाल के भविष्य के लिए सुसज्जित हैं। डॉ. महेश वर्मा कहते हैं कि एएआईडी और  डब्ल्यूओसीआई का संयुक्त सम्मेलन वास्तव में एक अनूठा आयोजन है, जहाँ पूरब और पश्चिम का मिलन होगा। यह सम्मेलन दशकों के अनुभव और इम्प्लांटोलॉजी में नवीनतम नवाचारों को एक साथ लाने का एक प्रयास है, जो प्रतिभागियों को नवीनतम प्रगति में खुद को डुबोने का अवसर प्रदान करता है।   उन्होंने बताया कि दंत चिकित्सा में डिजिटाइजेशन और एआई का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। पहले दंत चिकित्सा काफी तकलीफ देय और दर्द भरी होती थी वहीं अब ऐसी अत्याधुनिक तकनीक आ गई है कि जैसे कि थ्री डी,स्टैमसैल, लेजर एवं नैनोटैक्चर आदि के माध्यम से दंत चिकित्सा काफी आरामदायक और सुगम हो गई है। वे कहते हैं कि दंत प्रत्यारोपण में टाईटेनियम मैटल का इस्तेमाल होने के कारण दांतों को ताकत मिलती है जिससे वे लंबे समय तक काम करते हैं। पहले जहां दंत प्रत्यारोपण के बाद रोगी को कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता था वहीं अब ऐसी अत्याधुनिक तकनीक आ गई है जिसके चलते दंत प्रत्यारोपण के बाद रोगी तुरंत घर जा सकता है। सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. ब्रिज सब्बरवाल ने कहा कि ग्लोबल एएआईडी और डब्ल्यूसीओआई सम्मेलन के लिए हमारा दृष्टिकोण अत्याधुनिक शिक्षा प्रदान करना, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना और सार्थक नेटवर्किंग अवसर बनाना है।   मुख्य आकर्षणों में नवीनतम रुझानों को साझा करने वाले मुख्य वक्ता, नई तकनीकों में महारत हासिल करने के लिए व्यावहारिक कार्यशालाएँ, शोध प्रस्तुतियाँ, विविध पैनल चर्चाएँ, प्रदर्शनी हॉल में नवीनतम उपकरणों और तकनीकों का प्रदर्शन और पेशेवर संबंध बनाने के लिए नेटवर्किंग कार्यक्रम शामिल हैं। हमने सभी उपस्थित लोगों के लिए समावेशिता और प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विशेषज्ञता स्तरों के लिए शैक्षिक ट्रैक तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों संगठनों की ताकतों को मिलाकर और ज्ञान-साझाकरण के लिए एक वैश्विक मंच बनाकर सीखने के अनुभव को समृद्ध किया है। यह साझेदारी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक विविध श्रेणी को एक साथ लाती है, जो अद्वितीय अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण प्रदान करती है।   पश्चिम में एएआईडी का प्रभाव, पूर्व में डब्ल्यूसीओआई के प्रभाव के साथ मिलकर एक गतिशील वातावरण बनाता है जहाँ प्रतिभागी सर्वश्रेष्ठ से सीख सकते हैं। मेजबान के रूप में भारत की भूमिका इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में देश की बढ़ती प्रमुखता को उजागर करती है, और डिप्लोमैट और मास्टर फ़ेलोशिप परीक्षाओं के लिए भारी प्रतिक्रिया युवा चिकित्सकों के समर्पण को दर्शाती है। यह सहयोग सुनिश्चित करता है कि उपस्थित लोगों को अत्याधुनिक ज्ञान, कार्रवाई योग्य रणनीतियाँ और नेटवर्किंग के अवसर मिलें, जिससे वे इम्प्लांटोलॉजी में चुनौतियों का आत्मविश्वास के साथ सामना कर सकें।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 8, 2024

पीएम विद्यालक्ष्मी योजना:स्टूडेंट्स को बिना गारंटर के मिलेगा 10 लाख तक का लोन

नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। अब पैसों की कमी के चलते देश के होनहार छात्रों को अपनी पढ़ाई बीच में नहीं छोड़नी पड़ेगी. दरअसल, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में एक नई योजना पीएम विद्यालक्ष्मी को मंजूरी दे दी गई है, जिसका उद्देश्य मेधावी छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है. इस योजना के जरिए योग्य छात्रों को 10 लाख रुपये तक का लोन आसानी से उपलब्ध कराया जाएगा. इस योजना के तहत सालाना 8 लाख से कम आय वाले परिवारों के छात्रों को 10 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन दिया जाएगा. कैबिनेट मीटिंग में लिए गए इस फैसले की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विणी वैष्णव द्वारा दी गई है. उन्होंने बताया कि सरकार इस पर 3 फीसदी ब्याज की सब्सिडी भी उपलब्ध कराएगी. अश्विणी वैष्णव ने बताया कि इस योचना का लाभ हायर एजुकेशन के लिए एडमिशन लेने वाले कई स्टूडेंट्स को मिलेगा. साथ ही इस योजना के तहत लोन लेने के लिए छात्रों को किसी गारंटर की भी जरूरत नहीं है.    *प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना की योग्यता* हायर स्टडीज के लिए छात्र को जिस इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेना है वो एनआरआईएफ रैंकिंग में ऑल इंडिया 100 और स्टेट में 200 में आना चाहिए और वो सरकारी इंस्टीट्यूट होना चाहिए.  छात्र के परिवार की आय सालाना 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए. हर साल 1 लाख स्टूडेंट्स को इस योजना का लाभ मिलेगा. भारत सरकार 7.5 लाख रुपये तक के लोन के लिए 75 प्रतिशत की क्रेडिट गारंटी देगी.    इस तरह से कर सकेंगे आवेदन प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना के लिए स्टूडेंट्स ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. अश्विणी वैष्णव ने बताया कि इस लोन प्रक्रिया के लिए डिजीलॉकर जैसे माध्यम से किया जाएगा. उन्होंने कहा कि 1 लाख स्टूडेंट्स इस योजना के तहत एजुकेशन लोन ले पाएंगे. इसके लिए https://www.vidyalakshmi.co.in/ पर अप्लाई करना होगा.    *22 लाख छात्र इसके दायरे में आएंगे* प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना के दायरे में प्रमुख 860 हायर इंस्टीट्यूट के 22 लाख से ज्यादा स्टूडेंटस आएंगे. इस योजना के तहत 4.5 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले परिवार के छात्रों को पूर्ण ब्याज अनुदान भी मिलेगा. पीएम विद्यालक्ष्मी योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीती 2020 का ही विस्तार है.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 8, 2024