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दिल्ली में मतदान समाप्त एग्जिट पोल्स के नतीजे आए, इनमें अधिकांश में भाजपा को बहुमत के आसार

नई दिल्ली, 06 फरवरी 2025 (यूटीएन)। दिल्ली में बुधवार को मतदान के साथ ही चुनाव संपन्न हो गए। यहां विधानसभा की 70 सीटों पर कराए गए एक चरण में 5 बजे तक 57.70% मतदान दर्ज किया गया। विधानसभा चुनावों के खत्म होने के बाद अलग-अलग सर्वे एजेंसियां कुछ ही देर में दिल्ली के लिए एग्जिट पोल के आंकड़े जारी करने शुरू कर दिए। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में कई पोलिंग एजेंसियों ने एग्जिट पोल्स जारी कर दिए हैं। इनमें से अब तक जिन सात एग्जिट पोल्स का एलान हुआ है, उन सभी में भाजपा को बहुमत मिलता दिख रहा है। मैट्रिज के एग्जिट पोल के मुताबिक, आप को 32-37 सीटें मिल सकती हैं। वहीं भाजपा को 35-40 सीट मिल सकती हैं। उधर कांग्रेस को 0-1 सीट मिलने की संभावना जताई गई है। जेवीसी के एग्जिट पोल के मुताबिक, आप को 22 से 31 सीटें मिलती दिखाई गई हैं। भाजपा को 39-45 सीटें और कांग्रेस को 0-2 सीटें मिल सकती हैं।   यानी भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल कर सकती है। चाणक्य के एग्जिट पोल के मुताबिक, भाजपा को 39 से 44 सीटें मिल सकती हैं। यानी भाजपा खुद बहुमत हासिल कर सकती है। वहीं आप को 25-28 सीटें मिलने की संभावना है। कांग्रेस को 2-3 सीटें मिलने की संभावना है। पीपल्स पल्स के एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी महज 10 से 19 सीटों पर सिमटती दिख रही है। वहीं, भाजपा 51-60 सीटों का बंपर आंकड़ा छू सकती है। इस सर्वे में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुलता दिख रहा। पीपल्स इनसाइट के मुताबिक, भाजपा को 40 से 44 सीटें मिल सकती हैं। आप को 25-29 सीटें मिलने की संभावना है। कांग्रेस को इसमें 0-1 सीट का आंकड़ा दर्शाया गया है। पोल डायरी के मुताबिक, भाजपा को 42-50 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत मिल सकता है। आप का आंकड़ा गिरकर 18-25 सीटों पर आ सकता है। कांग्रेस को यहां 0-2 सीटें मिलने की संभावना है।   *दिल्ली के लिए क्या हैं समीकरण?* दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं। इनके लिए 699 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां 5 फरवरी 2025 को सभी सीटों पर एक ही चरण में मतदान कराया गया। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के संदीप दीक्षित और भाजपा के प्रवेश वर्मा भी इसी सीट से उम्मीदवार हैं। दूसरी तरफ मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी मर्लेना पिछली बार की तरह ही इस बार भी कालकाजी सीट से चुनाव लड़ रही हैं। इसी सीट पर भाजपा से उन्हें रमेश बिधूड़ी टक्कर दे रहे हैं।    *2015 में कैसा था दिल्ली का एग्जिट पोल?* 2015 के विधानसभा चुनावों में छह सर्वे एजेंसियों के एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी को सीधा बहुमत मिलता दिखाया गया। हालांकि, किसी भी एग्जिट पोल में आप की प्रचंड जीत की संभावना नहीं दर्शाई गई थी। केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी को तब पोल ऑफ पोल्स में 45 सीटें मिलती दिख रही थीं। वहीं भाजपा को 24 और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट का अनुमान लगाया गया था। आप को तब सबसे ज्यादा 53 सीटें मिलने का अनुमान एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में लगाया गया था। वहीं, सबसे कम 35 सीटें मिलने का अनुमान इंडिया टीवी-सी वोटर के सर्वे में लगा था। हालांकि, नतीजों ने चुनावी विश्लेषकों को चौंका दिया। आप ने इस चुनाव में 67 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। वहीं भाजपा महज तीन सीटों पर सिमट गई। एग्जिट पोल के नतीजे कांग्रेस के  लिए काफी हद तक सही साबित हुए, जिसे एक भी सीट नसीब नहीं हुई।    *दिल्ली की किन सीटों पर सबकी नजर?* दिल्ली चुनाव में कई सीटें ऐसी हैं, जिनके नतीजे पर हर किसी की नजर है. अरविंद केजरीवाल, आतिशी, प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी और कैलाश गहलोत जैसे प्रमुख नेता दौड़ में हैं. नई दिल्ली सीट सबसे हाई-प्रोफाइल है. यहां आप संयोजक अरविंद केजरीवाल, बीजेपी के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित के बीच मुकाबला है. पटपड़गंज सीट पर आप से अवध ओझा, बीजेपी से रविंदर सिंह नेगी और कांग्रेस से अनिल चौधरी के बीच टक्कर है. उत्तर पश्चिमी इलाके की रोहिणी सीट पर आप से प्रदीप और बीजेपी से विजेंद्र गुप्ता के बीच मुकाबला हो रहा है. कालकाजी सीट पर दिल्ली की वर्तमान सीएम आतिशी, बीजेपी से पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस से अलका लांबा के बीच त्रिकोपणीय संघर्ष देखने को मिल रहा है. जंगपुरा सीट से आ से मनीष सिसोदिया, बीजेपी से सरदार तरविंदर सिंह मारवाह और कांग्रेस से फरहाद सूरी मैदान में हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |  

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Feb 6, 2025

प्रधानमंत्री मोदी ने प्रयागराज महाकुंभ में लगाई आस्था की डुबकी

नई दिल्ली, 05 फरवरी 2025 (यूटीएन)। पीएम मोदी ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर गंगा पूजन किया और सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवा वस्त्र धारण किए प्रधानमंत्री की यह आध्यात्मिक यात्रा आस्था और सनातन परंपराओं के साथ पूर्ण हुई। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ उपस्थित रहे। महाकुंभ में अब तक 38 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आ चुके हैं और श्रद्धा एवं भक्ति का यह दिव्य प्रवाह अनवरत जारी है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 5 फरवरी को माघ मास की गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। इस दिन का धार्मिक महत्व अत्यंत विशेष माना जाता है, क्योंकि इसे ध्यान, तप और साधना के लिए अत्यंत शुभ तिथि माना गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन पवित्र नदी में स्नान करता है और साधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसी दौरान केसरिया वस्त्र धारण कर प्रधानमनंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई।   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगम में डुबकी लगाई। इसके बाद उन्होंने मां गंगा पूजा की। त्रिवेणी संगम में प्रधानमंत्री ने रुद्राक्ष की माला पहनकर पूरे मंत्रोच्चार के साथ स्नान किया और परिक्रमा की।  अरैल क्षेत्र में उनकी सुरक्षा के लिए खास अलर्ट जारी किया गया है। पीएम के आगमन को लेकर पांच सेक्टर मजिस्ट्रटों की तैनाती की गई है। संगम तट पर श्रद्धालुओं का जन सैलाब होने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हनुमान मंदिर अक्षय वट दर्शन किए बिना ही लौटे। पीएमओ ने कहा कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने तीर्थ स्थलों पर बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए लगातार सक्रिय कदम उठाए हैं।    पीएम नरेंद्र मोदी ने संगम में डुबकी लगाने के बाद पूजा अर्चना की। इस दौरान वह भगवा कपड़े पहने हुए दिखाई दिए. इसके अलावा गले में नीला गमछा डाले हुए भी दिखाई दिए. पीएम मोदी गले में रुद्राक्ष की माला भी पहने हुए हैं. गंगा मैया में डुबकी लगाने के बाद उन्होंने अर्घ्य भी दिया. इस दौरान वह मंत्रोच्चार करते हुए भी दिखाई दिए. पीएम मोदी ने संगम स्नान के बाद गंगा मैया और भगवान भास्कर को नमस्कार भी किया. वह लगातार ध्यान करते हुए दिखाई दिए. संगम में स्नान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ध्यान भी किया. वह आंखें बंद कर रुद्राक्ष की माला फेरते भी दिखाई दिए. महाकुंभ में स्नान के बाद पीएम मोदी ने गंगा मैया की पूजा. उन्होंने गंगा मैया को कपड़ा, दूध और जल अर्पण किया.   इस दौरान उन्होंने काले रंग का स्वेटर पहना हुआ था और एक अलग तरह की टोपी लगाई हुई थी. इस दौरान सीएम योगी भी उनके साथ खड़े हुए दिखाई दिए. जब पीएम मोदी ने त्रिवेणी घाट पर स्नान किया, उस दौरान महाकुंभ में मौजूद लोग अपने प्रधानमंत्री को देखना चाहते थे. वह उन्हें लगातार देखने की कोशिश करते हुए दिखाई दिए. पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके कार्यक्रम के दौरान आम श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसका पूरा ख्याल रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगम स्नान के बाद मां गंगा की पूजा की।   मां गंगा की पूजा करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। इस दौरान मंत्र उच्चारण के बीच उन्हाेंने व्यवस्थित तरीके से पूजा की प्रक्रिया को पूरा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान मां गंगा को चुनरी अर्पित की। स्पेशल क्रूज पर सवार होकर संगम पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। संगम में स्नान से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम योगी के साथ नौका विहार भी किया था. इस दौरान दोनों नेताओं की बीच की ट्यूनिंग भी दिखाई दी. दोनों एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हुए दिखाई दिए.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Feb 5, 2025

कुछ लोग अर्बन नक्सलियों की भाषा बोल रहे: पीएम मोदी

नई दिल्ली, 05 फरवरी 2025 (यूटीएन)। लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा कि मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मुझे 14वीं बार आभार करने का मौका जनता ने दिया है. हम 2025 में हैं, एक प्रकार से 21वीं सदी का 25 फीसदी हिस्सा बीत चुका है. समय तय करेगा 20 सदी की आजादी के बाद, 21वीं सदी के 25 साल में क्या हुआ कैसा हुआ. लेकिन राष्ट्रपति जी के संबोधन में साफ नजर आता है कि उन्होंने देश के सामने भविष्य के 25 साल और विकसित भारत के लिए नया विश्वास जगाने का राष्ट्रपति का संबोधन विकसित भारत के लेकर जन सामान्य को प्रेरित करने वाला है. पीएम मोदी ने कहा, "अपने लिए तो सब करते हैं, दूसरों के लिए करने वाले चाहिए. जब सत्ता सेवा बन जाए तो राष्ट्र निर्माण होता. हम संविधान की भावना को लेकर चलते हैं. हम जहर की राजनीति नहीं करते. सरदार बल्लभभाई पटेल का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाते हैं. वो बीजेपी या जनसंघ के नहीं थे. ये देश का दुर्भाग्य है कि आजकल लोग अर्बन नक्सल की भाषा बोल रहे हैं.   *विदेश नीति को लेकर राहुल गांधी पर हमला* पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा, "कुछ लोगों को लगता है कि जब तक विदेश नीति पर चर्चा न करें तब तक मैच्योर नहीं लगते. ऐसे लोग एक किताब पढ़ें. किताब का जेएफके का भूला हुआ संकटनाम है. इस किताब में भारत के पहले प्रधान मंत्री की विदेश नीति को लेकर पीएम मोदी का राहुल गांधी पर हमला पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा, "कुछ लोगों को लगता है कि जब तक विदेश नीति पर चर्चा न करें तब तक मैच्योर नहीं लगते. ऐसे लोग एक किताब पढ़ें. किताब का नाम है- जेएफके का भूला हुआ संकट इस किताब में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू और अमेरिका के तब के राष्ट्रपति कैनेडी के बीच हुई चर्चाओं और निर्णयों का भी वर्णन है. जब देश ढेर सारी चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब विदेश नीति के नाम पर क्या खेल हो रहा था इस किताब के माध्यम से सामने आ रहा है."प्रधानमंत्री नेहरू और अमेरिका के तब के राष्ट्रपति कैनेडी के बीच हुई चर्चाओं और निर्णयों का भी वर्णन है. जब देश ढेर सारी चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब विदेश नीति के नाम पर क्या खेल हो रहा था इस किताब के माध्यम से सामने आ रहा है.   *समाज के हर वर्ग को फायदा मिलना चाहिए* पीएम मोदी ने कहा, "हर समाज हर वर्ग के लोगों को जो उसके हक का है, वो उसे मिलना चाहिए. ये संतुष्टिकरण है. जो लोग तुष्टिकरण करते हैं वो नहीं समझ सकते. आज कैंसर डे है. कुछ लोग हैं जो गरीब, बुजुर्गों को सेवा मिले उसमें अडंगे डाल रहे हैं. आयुष्मान कार्ड वालों को मुफ्त इलाज मिलता है लेकिन कुछ राजनीतिक दलों ने गरीबों के लिए अस्पताल के दरवाजे बंद कर दिए. वो भी सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने के लिए. इस बजट में भी कैंसर की दवाइयों की रकम कम करने के लिए कदम उठाया है.   *एससी-एसटी समाज के लिए मोदी सरकार ने क्या किया* पीएम मोदी ने कहा, "देश के सामने एक सवाल रखना चाहता हूं कि क्या कभी एससी वर्ग से एक ही परिवार के तीन सांसद हुए हैं क्या. एसटी वर्ग के तीन सांसद हुए हैं क्या. हम एससी एसटी समाज को सशक्त कर रहे हैं. उदाहरण देते हैं 2014 से पहले मेडिकल कॉलेज की संख्या 387 थी आज 780 मेडिकल कॉलेज हैं. अब सीटें भी बढ़ी हैं. इसलिए, 2014 से पहले देश में एससी छात्रों की एमबीबीएस छात्रों की 7 हजार के आसपास थी. 10 साल हमने काम किया आज संख्या बढ़कर 70 हजार हो गई है एससी समाज के डॉक्टरी पढ़ने वाले छात्रों की सीट. एसटी समाज की 3 हजार के आसपास थी जो अब बढ़कर 9 हजार हो गईं.   *एनडीए सरकार में बनाए गए कई मंत्रालय* पीएम मोदी ने कहा, "हमने ट्रिपल तलाक का खात्मा करके संविधान के मुताबिक मुस्लिम बेटियों को समानता से रहने का अधिकार दिया है. एनडीए की सरकार में एक विजन के तहत काम किया गया है. हमारी सोच कैसी है, हमारे लिए जो आखिरी है उसकी तरफ ज्यादा ध्यान है. अगर हम मंत्रालय की रचना करते हैं तो पूर्वोत्तर के लिए अलग मंत्रालय बनाते हैं. आदिवासियों के लिए अलग मंत्रालय एनडीए ने बनाया. दक्षिणी राज्य फिशरमैन से जुड़े हैं, उनका भी ध्यान रखना चाहिए. ये हमारी सरकार है इनके लिए भी अलग मंत्रालय बनाया.   *संविधान को लेकर विपक्ष पर जमकर बरसे प्रधानमंत्री* पीएम मोदी ने कहा, "हम वो लोग हैं जो संविधान को जीते हैं. जब गुजरात के 50 साल हुए तो उस समय मैं सीएम था तो हमने निर्णय लिया कि गोल्डन जुबली ईयर में गवर्नर के भाषण हुए हैं उन सभी को एक किताब के रूप में परिवर्तित किया जाए और वो आज सभी लाइब्रेरी में उपलब्ध है. हम तो बीजेपी वाले थे गुजरात में ज्यादातर तो कांग्रेस की सरकार रही, फिर भी हमने किया क्योंकि हम संविधान को जीना जानते हैं. 2014 में जब आए तो विपक्ष था ही नहीं. ये हमारा संविधान जीने का स्वभाव था कि हमने तय किया विपक्ष को मान्यता देंगे.   *देश ने पैसों की बचत की* प्रधानमंत्री ने कहा, "सरकारी खजाने में बचत हुई वो एक बात है, जनसामान्य को भी इसका लाभ मिल सके. आयुष्मान योजना, जिन लोगों ने फायदा लिया है उस कारण जो खर्चा जेब से करना पड़ता वैसे 1 लाख 20 हाजार करोड़ बचे हैं. जन औषधि केंद्र खोले हैं, 80 फीसदी डिस्काउंट होता है, 30 हजार करोड़ दवाई का खर्चा बचा है. यूनीसेफ का भी अनुमान है, जिसके घर में स्वच्छता है, शौचालय बना है, उस परिवार में 70 हाजर रू का फायदा होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि नल से जल के कारण, जो परिवारों में बीमारी में खर्च होते थे, उन परिवारों का 40 हजार रू बचे हैं, मुफ्त अनाज से भी हजारों रू मिलते हैं, मुफ्त बिजली योजना जहां लागू हुई 25-30 हजार रू बचत हुई. एलईडी बल्ब के कारण बिजली बचत हुई उससे देशवासियों के 20 हजार करोड़ रू बचे. मृदा स्वास्थ्य कार्ड से प्रति एकड़ 30हजार रू की बचत हुई.   *बैंडेज बाकी था वो भी हटा दिया'* पीएम मोदी ने कहा, "2014 से पहले बम के ऐसे गोले फेंके गए, ऐसी गोलियां चलाई गई कि देशवासियों के सीने को छलनी-छलनी कर दिया. हमने इसको बदलने की कोशिश की. आज हमने 12 लाख रुपये पर टैक्स से मुक्ति दे दी. बीच के कालखंड में भी हमने किया. घाव भरते-भरते बैंडेज बाकी था वो भी हटा दिया.   *एक पीएम कहते थे एक रुपया भेजो तो 15 पैसे नीचे तक पहुंचते हैं'* लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा, "हमारे देश में एक पीएम थे जिन्होंने एक समस्या की पहचान की और कहा कि जब दिल्ली से एक रुपया भेजा जाता है, तो केवल 15 पैसे नीचे तक पहुंचते हैं. 15 पैसे किसे मिलते थे, यह हर कोई समझ सकता है. उस समय पंचायत स्तर से लेकर केंद्र स्तर तक केवल पार्टी थी. हमने इसका समाधान खोजने की कोशिश की, और हमारा मॉडल है बचत भी विकास भी, जनता का जनता के काम हमने बनाया.   *हमने अपने लिए शीशमहल तैयार नहीं किए* पीएम मोदी ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा, "पहले की सरकारों में घोटाले की खबर हेडलाइन होती थी लेकिन आज इस सरकार ने कई लाख करोड़ रुपये की बजत कर सरकारी खजाने में भरे हैं. इतना ही नहीं देश की जनता की सेवा में पैसों को लगाया गया है, न कि हमने अपने लिए शीशमहल तैयार किए.   *10 करोड़ फर्जी लोग सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे* प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, "जब ज्यादा बुखार चढ़ जाता है तब लोग कुछ भी बोलते हैं. लेकिन इसके साथ साथ ज्यादा हताशा निराशा फैल जाती है, तब भी लोग कुछ भी बोलते हैं. जिनका जन्म नहीं हुआ था. जो भारत की धरती पर अवतरित नहीं हुए थे, ऐसे 10 करोड़ फर्जी लोग सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे. सही के साथ अन्याय न हो, राजनीतिक फायदे की परवाह किए बिना हमने 10 करोड़ लोगों के नामों को हटाया और असली लाभार्थियों को खोज खोज कर उनतक लाभ पहुंचाया.   *कुछ नेताओं का फोकस घरों में जकूजी पर* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि कुछ नेताओं का फोकस घरों में जकूजी पर, स्टाइलिश शॉवर पर. हमारा फोकस तो हर घर जल पहुंचाने का है. कुछ लोग गरीबों की छोपड़ियों में फोटो सेशन कराकर अपना मनोरंजन करते हैं, उनको संसद में गरीबों की बात बोरिंग ही लगेगी.   *गरीब को सिर्फ नारे नहीं दिए, विकास करके दिखाया* पीएम मोदी ने कहा, "हमने गरीब को झूठे नारे नहीं दिए, हमने सच्चा विकास दिया. गरीब का दुख, सामान्य मानवीय की तकलीफ, मिडिल क्लास के सपने ऐसे ही नहीं समझे जाते. इसके लिए जज्बा चाहिए. मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि कुछ लोगों में है ही नहीं. बारिश के दिनों में कच्ची छत, प्लास्टिक की चादर वाली छत, उससे नीचे जीवन गुजारना कितना मुश्किल होता है. पल पल सपने रौंद दिए जाते हैं. ये हर कोई नहीं समझ सकता. अब तक गरीबों को 4 करोड़ घर मिले हैं. जिसने जिंदगी को जिया है, उसे पता होता है कि पक्की छत वाला घर मिलने का मतलब क्या होता है. एक महिला खुले में शौंच जाने को मजबूर हो जाती है. वह या तो सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के बाद इसके लिए निकल सकती है. उसे क्या तकलीफ होती थी, ये लोग नहीं समझ सकते.   *25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं* पीएम मोदी ने कहा, "राष्ट्रपति का संबोधन विकसित भारत के लेकर जन सामान्य को प्रेरित करने वाला है. 25 करोड़ देशवासी गरीबी से बाहर आए हैं. 5 दशक तक गरीबी हटाओ के नारे सुने और अब 25 करोड़ लोग गरीबी को परास्त कर निकले हैं, ऐसे ही नहीं निकले हैं, पूरी संवेदनशीलता - योजनाबध तरीके से समय खपाते हैं तब ये हुआ है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

Feb 5, 2025

कराधान सुधार बजट की एक प्रमुख विशेषता है; पहली बार बजट के भाग-ए में शामिल: तुहिन कांता पांडे

नई दिल्ली, 05 फरवरी 2025 (यूटीएन)। कराधान सुधार इस बजट की एक प्रमुख विशेषता है, क्योंकि इसका अर्थव्यवस्था के बाकी हिस्सों पर प्रभाव पड़ता है और पहली बार इसे बजट के भाग-ए में शामिल किया गया है। बजट बनाना वास्तव में विभिन्न अनिवार्यताओं को संतुलित करना है और कभी भी खंडों में अभ्यास नहीं करना है। पिछले तीन वर्षों में हमारे व्यक्तिगत आयकर में 20-25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हम वास्तव में एक ही करदाताओं पर बहुत अधिक कर नहीं लगाते हैं। हमें आय सृजन और स्वैच्छिक अनुपालन के माहौल के लिए एक व्यापक मार्ग बनाने की आवश्यकता है। कराधान का उच्च स्तर प्रतिकूल है, और हमने करों में वृद्धि न करने का साहसिक कदम उठाया है। हमारी दिशा स्पष्ट है, कर आधार का विस्तार करें, अर्थव्यवस्था का विस्तार करें और कर भी प्रवाहित होंगे।'' एसोचैम पोस्ट बजट कॉन्फ्रेंस में वित्त सचिव और राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय के सचिव तुहिन कांता पांडे ने कहा। उन्होंने कहा, "बजट में घोषित भारत ट्रेड नेट सभी हितधारकों को जोड़ेगा और सीमा शुल्क प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा तथा इसमें यूपीआई से कहीं अधिक की क्षमता है। अब यह मानकों का पालन करने का सवाल नहीं है; जीएसटी की हमारी अवधारणा की दुनिया में कोई मिसाल नहीं है और हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हमने क्या हासिल किया है।" सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्रालय के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने कहा, "समय के साथ कर विभाग का दृष्टिकोण बदल गया है। मार्गदर्शक दर्शन यह है कि यह केवल कर एकत्र करने के बारे में नहीं है और कर मूल रूप से आय के एक हिस्से का व्युत्पन्न है, आप आय उत्पन्न करते हैं और फिर स्वचालित रूप से कर आते हैं। प्रत्यक्ष कर अधिनियम में संशोधन, कर स्लैब और छूट में बदलाव को इसी दृष्टिकोण से देखा गया है। टीडीएस, टीसीएस प्रावधानों को तर्कसंगत बनाना और उन प्रावधानों को गैर-अपराधीकरण करना तथा बजट में शामिल अद्यतन रिटर्न की अवधारणा का उद्देश्य व्यापार करने में आसानी को सुविधाजनक बनाना है। हम सक्रिय, नियम-आधारित, उपयोगकर्ता-अनुकूल, डेटाबेस, डेटा-संचालित, गैर-हस्तक्षेपकारी, सक्षम वातावरण और प्रौद्योगिकी-संचालित, पारदर्शी कर प्रशासन के विवेकपूर्ण दृष्टिकोण को अपना रहे हैं। वित्त मंत्रालय के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा, "औद्योगिक वस्तुओं से संबंधित 12,500 टैरिफ लाइनों में से 8,500 टैरिफ लाइनों के संबंध में सीमा शुल्क दर को युक्तिसंगत बनाया गया है। कृषि वस्तुओं और वस्त्रों को उनकी अत्यधिक संवेदनशील प्रकृति के कारण छुआ नहीं गया है। ये दरें लगभग दो दशकों से अपरिवर्तित बनी हुई हैं और ऐसी धारणा है कि भारत में दरें बहुत अधिक हैं। दरों को अब 20% तक युक्तिसंगत बनाया गया है जो 70 से 20% के बीच थीं और जो 70% से ऊपर थीं उन्हें 70% तक लाया गया है। प्रभावी शुल्क घटनाओं को उसी दर या थोड़ी कम दर पर रखने के लिए ईआईडीसी की समतुल्य राशि लगाई गई है। इसलिए, उस झटके को धीरे-धीरे अवशोषित किया जाता है।" 'कर-संबंधी प्रस्तावों के विश्लेषण' पर केंद्रित स्वागत भाषण देते हुए एसोचैम के महासचिव मनीष सिंघल ने राजकोषीय विवेक सुनिश्चित करते हुए केंद्रीय बजट 2025 को जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप बनाने के लिए सरकार की सराहना की। मध्यम वर्ग के लिए महत्वपूर्ण कर राहत की शुरूआत से बचत और खपत को बढ़ाकर आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने व्यापार करने में आसानी की पहल और वित्तीय विनियमन के माध्यम से व्यापार के अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया, जो निरंतर व्यापार विस्तार का समर्थन करेगा। एसोचैम के राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर परिषद के अध्यक्ष संदीप चौफला ने भारत के लिए विजन 2047 की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए 8% वार्षिक जीडीपी विकास दर हासिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए मध्यम वर्ग के लिए शुरू किए गए कर सुधारों की सराहना की। कर स्लैब के युक्तिकरण और बढ़ी हुई छूट से खपत को बढ़ावा मिलने और प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Pradeep Jain

Feb 5, 2025

पिछले 6 सालों में देश में बेरोजगारी दर करीब 50 फीसदी कम हुई

नई दिल्ली, 05 फरवरी 2025 (यूटीएन)। लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सोमवार को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की तरफ से जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 6 सालों में देश में बेरोजगारी दर करीब 50 फीसदी कम हुई है. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की तरफ से लोकसभा में बताया कि रोजगार और बेरोजगारी पर आधिकारिक आंकड़ा आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के माध्यम से एकत्र किया जाता है. सर्वेक्षण की अवधि हर साल जुलाई से जून होती है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति पर अनुमानित बेरोजगारी दर (यूआर) 2017-18 में 6.0% से घटकर 2023- 24 में 3.2% हो गई है. मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि बेरोजगारी दर कम करने के लिए सरकार की रोजगार सृजन के साथ-साथ रोजगार क्षमता में सुधार सरकार करना ही प्राथमिकता है.   इसी को ध्यान में रखते हुए विभिन्न रोजगार सृजन योजनाओं/कार्यक्रमों के माध्यम से नौकरी के अवसरों पैदा करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. मंत्रालय द्वारा बताया गया कि प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस), दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयूजीकेवाई), ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई), स्टैंडअप इंडिया, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई), प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई), मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया का मकसद रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है. लोकसभा में सरकार ने बता दिया आंकड़ा देश में अभी कितनी बेरोजगारी? लोकसभा में सरकार ने बता दिया आंकड़ा लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सोमवार (3 फरवरी, 2025) को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की तरफ से जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 6 सालों में देश में बेरोजगारी दर करीब 50 फीसदी कम हुई है.   लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सोमवार (3 फरवरी, 2025) को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की तरफ से जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 6 सालों में देश में बेरोजगारी दर करीब 50 फीसदी कम हुई है. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की तरफ से लोकसभा में बताया कि रोजगार और बेरोजगारी पर आधिकारिक आंकड़ा आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के माध्यम से एकत्र किया जाता है. सर्वेक्षण की अवधि हर साल जुलाई से जून होती है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति पर अनुमानित बेरोजगारी दर (यूआर) 2017-18 में 6.0% से घटकर 2023- 24 में 3.2% हो गई है. मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि बेरोजगारी दर कम करने के लिए सरकार की रोजगार सृजन के साथ-साथ रोजगार क्षमता में सुधार सरकार करना ही प्राथमिकता है. इसी को ध्यान में रखते हुए विभिन्न रोजगार सृजन योजनाओं/कार्यक्रमों के माध्यम से नौकरी के अवसरों पैदा करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं.   मंत्रालय द्वारा बताया गया कि प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस), दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयूजीकेवाई), ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई), स्टैंडअप इंडिया, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), प्रधान मंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई), प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई), मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया का मकसद रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है. सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कौशल विकास केंद्रों, स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों आदि के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से कौशल, पुन: कौशल और अप-कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए कौशल भारत मिशन (सिम) लागू कर रही है.   आईटीआई के माध्यम से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, जन शिक्षण संस्थान और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) चलाई जा रही है. सिम का उद्देश्य भारत के युवाओं को उद्योग के लिए जरूरत कौशल के साथ तैयार कर उनको भविष्य के लिए सक्षम बनाना है. इसके अलावा, सरकार ने बजट 2024-25 में 5 साल की अवधि में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा के लिए 5 योजनाओं की घोषणा की है, जिसमें 2 लाख करोड़ रुपये का केंद्रीय परिव्यय शामिल है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Feb 5, 2025

वक्फ की जमीन पर 15 लाख किराएदार! जिन्हें सता रहा डर

नई दिल्ली, 05 फरवरी 2025 (यूटीएन)। वक्फ संशोधन बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति ने वक्फ संपत्तियों में वर्षों से रह रहे किरायेदारों के अधिकारों पर अपनी रिपोर्ट में एक बड़ी चिंता जताई है. रिपोर्ट के पेज 407 और 408 में बताया गया कि दिल्ली वक्फ किरायेदार कल्याण संघ ने संसदीय समिति के सामने अपनी गंभीर परेशानियां रखी थी और उनका कहना था कि वे पिछले 75 सालों से वक्फ बोर्ड की दुकानों में अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं, लेकिन अब वक्फ उनके साथ अतिक्रमणकारी जैसा बर्ताव कर रहा है, जो पूरी तरह गलत और मनमाना है. रिपोर्ट में बताया गया कि की देशभर में वक्फ की संपत्तियों पर 10 से 15 लाख किरायेदार हैं और अकेले दिल्ली के ही 2600 किरायेदार वक्फ की संपत्ति पर हैं. रिपोर्ट में दिल्ली के किरायेदारों के हवाले से लिखा गया कि ये किरायेदार तीन पीढ़ियों से वक्फ संपत्तियों में रह रहे हैं और कई बार अपनी दुकानों की मरम्मत भी की है, लेकिन इसके बदले उन्हें कभी कोई मुआवजा नहीं मिला. इसके अलावा वक्फ बोर्ड ने समय-समय पर इनसे बड़ी राशि दान के रूप में ली है और किराया भी बढ़ाया है, लेकिन अब उन्हीं किरायेदारों को संपत्तियों की नीलामी का सामना करना पड़ रहा है.    *वक्फ किरायेदारों ने जताई चिंता* संसदीय समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि उसके पास पेश दिल्ली में वक्फ किरायेदारों ने चिंता जताई कि जब एक किरायेदार की मौत होती है तो उनके उत्तराधिकारी को अधिकार नहीं दिया जाता है और वक्फ बोर्ड उनसे फीस वसूलने की कोशिश करता है, जो पूरी तरह से अनुचित है.   *‘दोनों पक्षों का हो भला’* संसदीय समिति ने इन सभी चिंताओं को गंभीरता से लिया है और सरकार से सख्त कदम उठाने की अपील की है. समिति का कहना है कि वक्फ बोर्ड और किरायेदारों के बीच विश्वास और सहयोग की स्थिति बननी चाहिए, जिससे दोनों पक्षों का भला हो सके. अब सरकार पर दबाव बढ़ गया है कि वह वक्फ किरायेदारों के अधिकारों को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाए और उनका भविष्य सुरक्षित करें.   *‘रक्षा करने के लिए कानूनी कदम उठाए सरकार’* समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की है कि वक्फ किरायेदारों के बीच डर को खत्म करने के लिए वक्फ संपत्तियों का किराया बढ़ने और बेदखली से बचने के लिए लंबी अवधि के पट्टे दिए जाएं, जिससे किरायेदारों का भविष्य सुरक्षित रहेगा और वक्फ संपत्तियों की स्थिति भी बेहतर होगी. समिति ने मंत्रालय से अपील की है कि वे पूरे देश में वक्फ किरायेदारों की समस्याओं पर विचार करें और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए कानूनी कदम उठाए.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

Feb 5, 2025

वक्फ संशोधन बिल: जेपीसी ने की रिपोर्ट जारी कर बड़े बदलाव की सिफारिश

नई दिल्ली, 04 फरवरी 2025 (यूटीएन)। वक्फ संशोधित बिल की जांच के लिए बनाई गई ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी ने इस एक्ट का नया नाम रखने की सलाह दी है. जेपीसी ने इसका नाम यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट रखने के लिए सहमति दी है, ताकि वक्फ प्रबंधन को आधुनिक जरूरतों और व्यावहारिक व्यवस्थाओं के अनुरूप बनाया जा सके. इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संचालन और निगरानी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तावित किए गए हैं. इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के उपयोग में सुधार लाना है. जेपीसी ने विधेयक के बारे में विस्तृत चर्चा की और इस पर विभिन्न पक्षों से साक्ष्य प्राप्त किए. अब यह रिपोर्ट लोकसभा में पेश की जाएगी और आगे की विधायी प्रक्रिया को गति मिलेगी. वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में वक्फ अधिनियम, 1995 में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं. हाल ही में संयुक्त संसदीय समिति  ने इस विधेयक में 14 संशोधनों को मंजूरी दी है.    *बिल में अहम बदलाव :–* 1. जेपीसी ने सलाह दी है कि संशोधित वक्फ एक्ट के क्लॉज 3(9) में एक नया क्लॉज और जोड़ा जाए कि अगर कोई प्रॉपर्टी वक्फ संशोधन एक्ट के लागू होने से पहले वक्फ संपत्ति घोषित है तो वो वक्फ बाय यूजर वक्फ संपत्ति ही रहेगी और सिवाय ऐसी संपत्तियां, जिन पर या तो पहले से ही विवाद है या फिर सरकारी संपत्तियां हैं. वक्फ पर बनी जेपीसी को एएसआई, डीडीए, एल एण्डी ओ जैसी सरकारी संस्थाओं ने बताया था कि उनकी कई संपत्तियों पर वक्फ का दावा है, जिससे उन्हें समस्याएं आ रही हैं. 2. संशोधित वक्फ एक्ट में जहां कलेक्टर के पास किसी भी सरकारी संपत्ति को गलत तरीके से वक्फ घोषित करने की जांच करने का अधिकार था तो जेपीसी ने सलाह दी है कि एक्ट के सेक्शन 3सी (1),(2),(3) और (4) में संशोधन करने जांच का अधिकार कलेक्टर रैंक से ऊपर के किसी अधिकारी को दिया जाए, जिसे राज्य सरकार नामित करे. 3. जहां वक्फ संशोधन एक्ट में वक्फ संपत्तियों को एक्ट के लागू होने के बाद 6 महीने में पोर्टल पर दर्ज करवाने की समय सीमा लागू की गई थी तो जेपीसी ने सलाह दी है कि इस 6 महीने की समय सीमा में छूट मिलनी चाहिए और संशोधित सलाह के मुताबिक एक्ट में प्रावधान करना चाहिए कि मुक्तावली के आवेदन पर वक्फ ट्रिब्यूनल इस 6 महीने की समय सीमा की मियाद को वाजिब कारण होने पर अपने अनुसार बढ़ा सकता है. 4. जहां केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन बिल में सेक्शन 5 के सब सेक्शन 2 में नियम बनाया गया था कि राज्य सरकार की ओर से औकाफ की सूची नोटिफाई करने के 15 दिन के भीतर इस सूची को पोर्टल पर अपलोड करना होगा. इस पर जेपीसी ने सलाह दी है कि सेक्शन 5 के सब सेक्शन 2(ए) जोड़ा जाए और इस समय सीमा को बढ़ाकर 15 दिन की जगह 90 दिन किया जाए. 5. केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन एक्ट में कानून रखा था कि संशोधित एक्ट के लागू होने के बाद और औकाफ संपत्तियों की सूची नोटिफिकेशन द्वारा जारी होने के 2 साल के भीतर ही कोई व्यक्ति इसे ट्रिब्यूनल में चैलेंज कर सकता था, लेकिन जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि क्लॉज 7(ए) (iv) में संशोधन करके इस समय सीमा को बढ़ाने का अधिकार ट्रिब्यूनल को दिया जाए. यानी कोई व्यक्ति अगर 2 साल के बाद भी ट्रिब्यूनल जाता है चैलेंज करने और ट्रिब्यूनल को अगर संतुष्ठ करता है कि वो 2 साल तक इस वजह से नहीं आया तो ट्रिब्यूनल उसे स्वीकार कर सकता है. 6. केंद्र सरकार की ओर से संशोधित वक्फ एक्ट में नियम रखा गया था कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल में कुल 8 से 11 सदस्य होंगे और इसका प्रमुख अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री एक्स ऑफिशियो होगा. साथ ही अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय या फिर विभाग का एक जॉइंट सेक्रेटरी या फिर एडिशनल सेक्रेटरी लेवल का अधिकारी भी एक्स ऑफिशियो सदस्य होगा, लेकिन जेपीसी ने इस वक्फ संशोधित एक्ट के क्लॉज 9 में संशोधन की सलाह दी है कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल में एक्स ऑफिशियो सदस्यों के अलावा 2 गैर मुस्लिम सदस्य होने चाहिए. उदाहरण- यानी सरकार के संशोधित बिल में अगर सेंट्रल वक्फ काउंसिल में अध्यक्ष यानी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय या विभाग का अधिकारी गैर मुस्लिम होंगे तो 2 गैर मुस्लिमों की नियमतः गिनती पूरी हो जाएगी, लेकिन जेपीसी ने सलाह दी है कि एक्स ऑफिशियो के अलावा 2 गैर मुस्लिम होने चाहिए, यानी अगर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय या विभाग का अधिकारी गैर मुस्लिम है तो भी 2 और गैर मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं. 7. जेपीसी ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि जहां वक्फ एक्ट से ख्वाजा चिश्ती को बाहर रखा गया था. ऐसे में दाऊदी बोहरा समाज भी अलग तरह से अल दाई अल मुलतक सिस्टम चलता है. ऐसे में मूल एक्ट में संशोधन किया जाए कि यह कानून किसी भी ऐसे ट्रस्ट पर लागू नहीं होगा, जिसे किसी मुस्लिम व्यक्ति द्वारा वक्फ जैसे उद्देश्यों के लिए बनाया गया हो, चाहे वह ट्रस्ट इस कानून के लागू होने से पहले या बाद में बनाया गया हो या पहले से ही किसी अन्य कानून के तहत नियंत्रित हो, इस पर इस कानून का कोई असर नहीं पड़ेगा, भले ही किसी अदालत ने कोई फैसला दिया हो. 8. केंद्र सरकार के संशोधित एक्ट में प्रावधान था कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के वक्फ बोर्ड में कुल 2 ही गैर मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं तो यहां भी जेपीसी ने सलाह दी कि संशोधित एक्ट में बदलाव किया जाए कि राज्य या यूटी का जॉइंट सेक्रेटरी या उसके ऊपर का अधिकारी एक्स ऑफिशियो सदस्य होगा और उसके अलावा राज्य के वक्फ बोर्ड में 2 गैर मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं. 9. वक्फ एक्ट के क्लॉज 16 (ए) में प्रावधान था कि किसी व्यक्ति को वक्फ बोर्ड से हटाया जा सकता है, अगर वो मुस्लिम ना हो और 21 साल से कम उम्र का हो. जेपीसी ने सुझाव दिया है कि यह क्लॉज संशोधित एक्ट के नियमों के खिलाफ है. ऐसे में मुस्लिम ना होने पर बोर्ड से हटाने वाले नियम को हटाया जाए और सिर्फ 21 साल की उम्र की ही सीमा रखी जाए. 10. केंद्र सरकार ने प्रावधान रखा था कि वक्फ संशोधन एक्ट के लागू होने के 6 महीने के भीतर ही कोई व्यक्ति वक्फ की ओर से किसी ऐसी संपत्ति पर वक्फ से जुड़े अधिकार लागू करने के लिए लिए कानूनी कार्यवाही कर सकता है. अगर वो संपत्ति वक्फ के रूप में दर्ज नहीं है. जेपीसी ने सपने सुझाव में इस समय सीमा को कोर्ट पर छोड़ने का सुझाव दिया है और संशोधित सुझाव दिया है कि यदि कोई व्यक्ति कोर्ट में यह साबित कर सके कि वह उचित कारणों से छह महीने की समय-सीमा के भीतर आवेदन दाखिल नहीं कर सका तो न्यायालय इस समय-सीमा के बाद भी उसका आवेदन स्वीकार कर सकता है. 11. जहां पुराने वक्फ एक्ट में प्रावधान था कि वक्फ संपत्ति की देखभाल को लेकर वक्फ बोर्ड का आदेश आखिरी होगा और कोई व्यक्ति 60 दिन में ट्रिब्यूनल जाकर अपील कर सकता है, लेकिन ट्रिब्यूनल सुनवाई के दौरान बोर्ड के आदेश पर रोक नहीं लगा सकता है. नए वक्फ संशोधन एक्ट में बोर्ड का आदेश से आखिरी शब्द हटाया गया और 60 दिन तक अपील की समय सीमा ही रखी थी साथ ही आदेश पर रोक का नियम भी हटा दिया गया था. JPC ने सुझाव दिया है कि अपील की समय सीमा 60 से 90 दिन की जाए. 12. जहां पुराने एक्ट में प्रावधान था कि वक्फ की संपत्ति, जिसे कम से कम 5 हजार रुपए सालाना किराए या अन्य कदम से आ रहे हैं, वहां का मुक्तावली कम से 5 प्रतिशत रकम वक्फ को कार्य के लिए वापस दान देगा. केंद्र सरकार ने इसे संशोधित एक्ट में 7 प्रतिशत किया था, जिसे जेपीसी ने फिर से 5 प्रतिशत करने का सुझाव दिया है. 13. जहां पुराने वक्फ कानून के तहत वक्फ ट्रिब्यूनल के 3 सदस्य होंगे, जिसमें एक जिला जज या उससे ऊपर का अधिकारी, एक एडीएम या उससे ऊपर का अधिकारी और तीसरा मुस्लिम कानून का जानकार. केंद्र सरकार ने संशोधित कानून में मुस्लिम कानून के जानकार को हटा कर सिर्फ 2 सदस्यी ट्रिब्यूनल को रखा था, लेकिन जेपीसी ने देश भर में 19 हजार से ज्यादा मामले वक्फ ट्रिब्यूनल में लंबित होने के कारण सलाह दी है कि वक्फ संशोधित एक्ट में पहले के जैसे तीन सदस्य ट्रिब्यूनल में रहें जिसमें तीसरा सदस्य इस्लामिक कानून का जानकार हो. 14. जहां पुराने वक्फ कानून में ट्रिब्यूनल की ओर से किसी केस पर फैसला देने की समय सीमा नहीं निर्धारित थी तो नए वक्फ संशोधन एक्ट में केंद्र सरकार ने प्रावधान किया था कि 6 महीने में वक्फ ट्रिब्यूनल को केस पर फैसला देना है और अगर नहीं दिया तो समय 6 महीने और बढ़ा सकता है, लेकिन ट्रिब्यूनल को पक्षों को लिखित में देना होगा कि क्यों 6 महीने में फैसला नहीं दे पाया. यानी संशोधित कानून में सरकार ने कुल 12 महीने की अधिकतम सीमा रखी थी, जिसमें ट्रिब्यूनल को फैसला देना ही था, लेकिन जेपीसी ने अपने सुझाव में इस समय सीमा को हटाने की सिफारिश की है. 15. जहां पुराने वक्फ एक्ट में नियम था कि अगर वक्फ की कोई जमीन भूमि अधिग्रहण नियम के तहत ली जाएगी तो कलेक्टर को वक्फ बोर्ड को सूचना देनी होगी और बोर्ड के पास कलेक्टर के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए 3 महीने का अधिकतम समय होगा, लेकिन नए कानून में केंद्र ने यह समय सीमा घटाकर 1 महीने कर दी थी, जिसे जेपीसी ने बढ़ाकर 3 महीने करने की सिफारिश की है. 16. पुराने वक्फ कानून के तहत वक्फ की संपत्ति लिमिटेशन एक्ट 1963 के तहत नहीं आती थी, यानी वक्फ बोर्ड जब चाहे तब अपनी किसी भी संपत्ति को हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता था और उसे यह अधिकार पुराने वक्फ कानून की धारा 107,108,108ए के तहत मिला था, जिसे केंद्र सरकार ने संशोधित वक्फ एक्ट से हटा दिया था. जेपीसी ने सलाह दी है कि संशोधित वक्फ एक्ट में सेक्शन 40 (ए) जोड़ा जाए और नियम बनाया जाए कि जिस दिन से वक्फ संशोधन एक्ट 2025 लागू होगा उस दिन से इस पर लिमिटेशन एक्ट भी लागू होगा. उदाहरण: एएसआई, रेलवे समेत कि कई संपत्तियों पर वक्फ का दावा है, जो कई वर्ष से वक्फ के पास नहीं है. तमिलनाडु के जिस गांव पर वक्फ ने दावा किया था वो भी इसका उदाहरण है, लेकिन क्योंकि वक्फ संपत्ति पर लिमिटेशन एक्ट 1963 नहीं लागू था तो वो वक्फ जब चाहे तब कब्जा वापस लेने की मांग और कानूनी दाव पेंच शुरू कर सकता था. 100 साल, हजारों साल बाद भी, लेकिन लिमिटेशन एक्ट 1963 लागू होने के बाद वक्फ दूसरे के कब्जे में अपनी कथित संपत्ति पर दावा सिर्फ कब्जे के 30 साल के अंतराल में ही कर सकता है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Feb 4, 2025

आयकर में कटौती के लिए नौकरशाहों को समझाने में समय लगा: सीतारमण

नई दिल्ली, 04 फरवरी 2025 (यूटीएन)। नई कर व्यवस्था में 12 लाख तक की आय कर मुक्त होने के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह से थे, लेकिन नौकरशाहों ने को समझाने में काफी ज्यादा समय लग गया। बजट पेश करने के बाद अपने पहले साक्षात्कार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बड़ा खुलासा किया है।  एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि यह ऐसी बड़ी घोषणा है जो न केवल अर्थव्यवस्था की नैया पार लगा सकती है, बल्कि आम लोगों के एक बड़े वर्ग को भी राहत दे सकती है।   *हमने जनता की आवाज सुनी'* साक्षात्कार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बजट 2025 जनता द्वारा, जनता के लिए जनता का बजट है। हमने मध्य वर्ग की आवाज सुनी है जो ईमानदार करदाता होने के बावजूद अपनी आकांक्षाएं पूरी नहीं होने की शिकायत कर रहे थे। ईमानदार और गौरवान्वित करदाता चाहते थे कि सरकार महंगाई जैसे कारकों के प्रभाव को सीमित करने के लिए और अधिक प्रयास करे। इसके बाद प्रधानमंत्री ने राहत देने के तरीकों पर विचार करने का काम सौंपा। हालांकि पीएम मोदी कर राहत के लिए तुरंत सहमत हो गए, लेकिन वित्त मंत्रालय और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अधिकारियों को शामिल करने के लिए उन्हें थोड़ा समझाने की जरूरत पड़ी। इन लोगों को कल्याण और अन्य योजनाओं को पूरा करने के लिए राजस्व संग्रह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है। कर कटौती की बड़ी घोषणा के पीछे की सोच पर कुछ समय से काम चल रहा था।   *घरेलू खपत, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा* सीतारमण ने कहा, नई दरों से मध्य वर्ग के करों में काफी कमी आएगी। उनके हाथों में अधिक पैसा बचेगा, जिससे घरेलू खपत, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। यह वह बजट है जो लोग चाहते थे। *प्रत्यक्ष कर को सरल बनाने पर भी जोर था* वित्त मंत्री ने कहा, एक विचार प्रत्यक्ष कर को सरल और अनुपालन में आसान बनाना था। जुलाई, 2024 के बजट में इस पर काम शुरू हुआ और अब एक नया कानून आने वाला है, जो भाषा को सरल बनाएगा। अनुपालन बोझ को कम करेगा और थोड़ा अधिक यूजर्स अनुकूल होगा। कई वर्षों से हम उन तरीकों पर विचार कर रहे हैं, जिनसे दरें करदाताओं के लिए अधिक अनुकूल हो सकती हैं।   *मध्य वर्ग की आवाज को हमने सुना* जुलाई के बजट के बाद मध्य वर्ग की यह आवाज थी कि उन्हें ऐसा नहीं लगता है उनकी समस्याओं के निवारण के लिए बहुत कुछ किया गया। यह भी भावना थी कि सरकार अत्यंत गरीब और कमजोर वर्गों की देखभाल करने में बहुत समावेशी है। मैं जहां भी गई, वहां से यही आवाज आई कि हम गौरवान्वित करदाता हैं। हम ईमानदार करदाता हैं। हम अच्छे करदाता बनकर देश की सेवा करना जारी रखना चाहते हैं। लेकिन उनका सवाल यह था कि आप हमारे लिए किस तरह की चीजें कर सकते हैं, इसके बारे में आप क्या सोचते हैं?   *पीएम के साथ की चर्चा* करदाताओं के इन सवालों के बाद मेरी यह चर्चा प्रधानमंत्री के साथ भी हुई। उन्होंने मुझे यह कार्यभार सौंपा कि आप बजट में क्या लेकर आ सकते हैं। आंकड़ों पर काम किया गया और प्रधानमंत्री को दिखाया गया। यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री को अपने साथ लाने में कितना प्रयास करना पड़ा, सीतारमण ने कहा, ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री बहुत स्पष्ट थे कि वह कुछ करना चाहते हैं। यह मंत्रालय पर निर्भर करता है कि वह विचार करे और फिर प्रस्ताव के साथ आगे बढ़े।   *करदाताओं की आवाज सुनी जानी चाहिए* इसलिए, जितना अधिक काम करने की जरूरत थी, बोर्ड को यह समझाने की जरूरत थी कि कर संग्रह में ईमानदार करदाताओं की आवाज सुनी जानी चाहिए। मंत्रालय और सीबीडीटी को आश्वस्त करने की जरूरत है, क्योंकि उन्हें राजस्व सृजन के बारे में सुनिश्चित होना होगा। तो, वे मुझे समय-समय पर यह याद दिलाने में गलत नहीं थे कि इसका क्या मतलब होगा? लेकिन आखिरकार, हर कोई एक साथ आ गया। प्रधानमंत्री विभिन्न क्षेत्रों के लोगों और उद्योग जगत के नेताओं से मिलते हैं और उनकी आवाज सुनते हैं और उनकी जरूरतों पर प्रतिक्रिया देते हैं।   *निरंतर प्रक्रिया है* सीतारमण ने कहा, टैक्स का दायरा बढ़ाने का प्रयास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। बहुत से लोग जो कर की सीमा से बाहर हैं, उन्हें अंदर आने के लिए प्रेरित करना चाहिए। जो कभी करदाता नहीं रहे हैं या जो अब आय के उस स्तर तक पहुंच गए हैं, या यहां तक कि जो लोग कर भुगतान से बचते हैं, उन सभी को इसमें लाना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोग कर भुगतान को समझें। अगले वित्त वर्ष में पूंजीगत खर्च में मामूली वृद्धि पर उन्होंने कहा, खर्च की गुणवत्ता भी देखनी होगी। आंकड़ों पर जाने की जरूरत नहीं है।   *डॉलर की मजबूती से कमजोर हुआ रुपया* सीतारमण ने रुपये की गिरावट पर आलोचना खारिज करते हुए कहा, यह केवल मजबूत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है, लेकिन अन्य सभी मुद्राओं के मुकाबले स्थिर बना हुआ है। पिछले कुछ महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपये में 3 प्रतिशत की गिरावट चिंता का विषय है क्योंकि इससे आयात महंगा हो गया है। मुझे चिंता है लेकिन मैं यह आलोचना स्वीकार नहीं करूंगी कि रुपया कमजोर हो रहा है। हमारे व्यापक आर्थिक बुनियादी सिद्धांत मजबूत हैं। यदि बुनियादी बातें कमजोर होतीं तो रुपया सभी मुद्राओं के मुकाबले स्थिर नहीं होता।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Feb 4, 2025

बजट में रणनीतिक आर्थिक सुधार में भारत की जीडीपी वृद्धि में योगदान देंगे: पीएचडीसीसीआई

नई दिल्ली, 04 फरवरी 2025 (यूटीएन)। उद्योग निकाय पीएचडीसीसीआई ने कहा कि केंद्रीय बजट 2025-26 उद्यमिता, नवाचार और निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ राज्य परियोजनाओं के लिए 50 साल के ब्याज मुक्त ऋण से न केवल भारत की जीडीपी को बढ़ावा मिलेगा बल्कि राज्यों की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। 2025-26 में 1.5 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक उच्च स्तर के साथ, 2025-26 में 1.5 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक उच्च स्तर के साथ, पीएचडीसीसीआई ने आज जारी एक प्रेस बयान में कहा कि बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ राज्य परियोजनाओं के लिए 50 साल के ब्याज मुक्त ऋण से न केवल भारत की जीडीपी को बढ़ावा मिलेगा बल्कि राज्यों की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। 50.65 लाख करोड़ रुपये के केंद्रीय बजट में कृषि, मध्यम वर्ग, विनिर्माण, एमएसएमई, महिला सशक्तिकरण और रोजगार सृजन को प्राथमिकता दी गई है‌।   पीएचडी सीसीआई  का अनुमान है कि बजट का रणनीतिक फोकस 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि में 1% (100 बीपीएस) से अधिक का योगदान देगा, जिससे देश में लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे यह केंद्रीय बजट पीएचडीसीसीआई  की अपेक्षाओं के अनुरूप है, बजट ने पहली बार 50 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार किया है। बढ़े हुए बजट आवंटन से विभिन्न क्षेत्रों में पर्याप्त वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, उन्होंने कहा जैन ने कहा कि आयकर में एक महत्वपूर्ण सुधार, जिसमें 12 लाख रुपये तक की आय पर छूट और 24 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% कर दर शामिल है, उपभोग मांग को बढ़ावा देगा और औद्योगिक उत्पादन का विस्तार करेगा डिस्पोजेबल आय में वृद्धि उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देगी, जिसके परिणामस्वरूप व्यवसायों को परिचालन बढ़ाने, निवेश बढ़ाने और उत्पादन का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।   जैन ने कहा कि 100 जिलों में 1.7 करोड़ किसानों को लाभ पहुँचाने वाली धन धान्य कृषि योजना से ग्रामीण विकास, कृषि उत्पादकता और कृषि आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसके अलावा, दालों में आत्मनिर्भरता के लिए मिशन खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए तैयार है, जबकि बिहार में एक समर्पित मखाना बोर्ड प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन को बढ़ाएगा, जिससे किसानों को और अधिक लाभ होगा।  हेमंत जैन ने कहा कि एमएसएमई को सशक्त बनाने और मेक इन इंडिया विनिर्माण मिशन को बढ़ावा देने के लिए परिवर्तनकारी पहल की गई है। एमएसएमई पर अधिक ध्यान देने से रोजगार पैदा होगा, आर्थिक विकास में तेजी आएगी और भारत की विकसित भारत की यात्रा को मजबूती मिलेगी।  हेमंत जैन ने कहा कि भारत तेजी से खुद को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित कर रहा है, चल रहे सुधारों और पहलों से निवेश आकर्षित हो रहे हैं और नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

Feb 4, 2025

बजट में रेलवे: 100 नई अमृत भारत,1300 नए रेलवे स्टेशनअश्विनी वैष्णव का प्लान

नई दिल्ली, 03 फरवरी 2025 (यूटीएन)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से शनिवार को पेश किए बजट में मध्य वर्ग को राहत दी गई है. बजट के तुरंत बाद रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे के सुरक्षा और विकास को लेकर महत्वपूर्ण घोषणा की. उन्होंने रेलवे के आधुनिकीकरण और डिजिटल सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए नए कदम उठाने की बात की. उन्होंने कहा, "यह ड्रीम बजट है. इसमें भविष्य के ग्रोथ का फाउंडेशन भी है, आज की जरूरतों के हिसाब से रिलीफ भी है. टेक्नोलॉजी के बारे में बहुत क्लियर थॉट प्रोसेस है.   *बजट में रेलवे की हिस्सेदारी पर बोले रेल मंत्री* बजट 2025 में रेलवे को लेकर खास अनाउंसमेंट नहीं की गई. लगभग सिर्फ 52 करोड़ रुपया एक्सट्रा रेल मंत्रालय के बजट में जोड़ा गया है. इसे लेकर रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे के ऊपर भी बहुत ध्यान दिया गया है. उन्होंने कहा, "रेलवे के ऊपर 2.5 लाख करोड़ रुपये का ग्रॉस बजेट्री सपोर्ट है. पिछले 10 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत ही फोकस्ड तरीके से रेलवे में इलेक्ट्रिफिकेशन करना, नये रेलवे ट्रैक बिछाना, स्टेशन को बेहतर करना, नये तरह की टेक्नोलॉजी लेके आना, सेफ्टी पर ध्यान देना कुल मिलाकर 360 डिग्री काम किया. रेलवे को दिया गया बजट उसी मोमेंटम को मेंटेन करता है.   *100 नई अमृत भारत ट्रेनें चलेगी* केंद्रीय मंत्री ने कहा, "इसके अलावा 4.60 लाख करोड़ रुपये के नये प्रोजेक्ट इस बजट में सैंक्शन हुए, जिसमें न्यू लाइंस है, डबलिंग है, वर्कशॉप का इंप्रूवमेंट है, मैंटेनेंस की प्रैक्टिसेस का इंप्रूवमेंट शामिल है. शेफ्टी पर 1.16 लाख करोड़ का एलोकेशन है. 50 नये नमो भारत ट्रेन चलाई जाएगी, जो छोटी दूरियों को कवर करेगी, जैसे कानपुर से लखनऊ, बेंगलुरु-मैसूर. 100 नई अमृत भारत ट्रेन चलेगी. अमृत भारत ट्रेन से लंबी दूरी की यात्रा करने वाले श्रमिक वर्ग और लो इनकम के वर्ग हैं, उन सब के लिए अमृत भारत ट्रेन 1000 किलोमीटर 450 रुपये में और इसमें वंदे भारत जैसी फैसिलिटी होगी. 200 नई वंदे भारत ट्रेन का प्रोविजन है, 1000 अंडर पास और फ्लाई ओवर्स का प्रोविजन है. देश में 1300 नये स्टेशन का काम चल रहा है.   *बुलेट ट्रेन और डीपसीक पर बोले केंद्रीय मंत्री* बुलेट ट्रेन को लेकर रेल मंत्री ने कहा, "अभी ब्रिज का काम चल रहा है. जल्द से जल्द बुलेट ट्रेन शरू होगी. मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल लाइन को लेकर 340 किलोमीटर तक काम पूरा हो गया है." उन्होंने कहा कि प्लेटफॉर्म पर भी अच्छे तरीके के काम हो रहा है, जिसके लिए एआई की भी मदद ली जा रही है. चीन के एआई मॉडल डीपसीक पर दुनिया भर सवाल उठ रहे हैं. डेटा सेफ्टी से जुड़े सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, "डीपसीक की डिटेल में जांच हो रही है. इसके मूल्यांकन और टेक्नोलॉजी पर काम चल रहा है. जो हमारे एक्सपर्ट कहेंगे वो हम करेंगे. भारत का इकोनॉमी तेजी से बढ़ रहा है. 2026 में यह मार्क क्रॉस हो जाएगा.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Feb 3, 2025