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सीआईआई ने स्टार्ट-अप के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस चार्टर लॉन्च किया
नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। भारतीय उद्योग परिसंघ ने स्टार्ट-अप्स के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस चार्टर लॉन्च किया। सीआईआई चार्टर स्टार्टअप्स को संचालित करने की अनूठी बारीकियों को ध्यान में रखते हुए स्टार्टअप्स के लिए कॉरपोरेट गवर्नेंस पर स्वैच्छिक सिफारिशें सूचीबद्ध करता है और स्टार्टअप्स के जीवन चक्र के विशिष्ट चरणों के आधार पर स्टार्टअप्स के लिए उपयुक्त दिशानिर्देश निर्धारित करता है, जिनका उपयोग स्टार्टअप्स द्वारा रेडी रेकनर के रूप में किया जाता है। वे सुशासन के पथ पर आगे बढ़ते हैं। यह चार्टर केवल कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत निगमित संस्थाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है, और इसलिए 'स्टार्टअप' शब्द, हालांकि, ऐसी संस्थाएं जो एकल स्वामित्व, सीमित देयता भागीदारी, भागीदारी की प्रकृति में हैं, कॉर्पोरेट प्रशासन के लिए समान संरचनाओं/दिशानिर्देशों को अपना सकती हैं। चार्टर स्टार्टअप्स के लिए उनकी अनुपालन यात्रा में एक स्वशासी कोड के रूप में काम कर सकता है जिसका वे सर्वोत्तम प्रयास के आधार पर पालन कर सकते हैं। इस चार्टर का उद्देश्य स्टार्टअप्स को जिम्मेदार कॉर्पोरेट नागरिक बनने में मदद करना है और उन्हें खुद को सुशासित होने के लिए स्थापित करने के लिए इसे अपने हितधारकों के साथ साझा करने में सक्षम बनाना है। चार्टर के बाद एक ऑनलाइन स्व-मूल्यांकन शासन स्कोरकार्ड होता है जिसे एक स्टार्टअप शासन के वर्तमान स्तर और इसकी प्रगति को समझने के लिए आंतरिक रूप से अपना सकता है। स्टार्टअप इसे अपनी शासन यात्रा में की गई प्रगति को मापने के लिए एक बेंचमार्क के रूप में उपयोग कर सकते हैं, जो बदलते स्कोर में दिखाई देगा क्योंकि समय-समय पर स्कोरकार्ड के आधार पर शासन प्रथाओं का मूल्यांकन किया जाता है। चार्टर को स्टार्टअप्स को उनके जीवन चक्र के दौरान चार चरणों में विभाजित मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है, अर्थात शुरुआत, प्रगति, विकास और सार्वजनिक होना। प्रत्येक चरण के दौरान, शासन के सिद्धांतों की पहचान की गई है जिन पर अतिरिक्त ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। 'इंसेप्शन' चरण में, स्टार्टअप गवर्नेंस को बोर्ड के गठन, शीर्ष पर टोन सेट करने, अनुपालन निगरानी, लेखांकन, वित्त, बाहरी ऑडिट, संबंधित पार्टी लेनदेन के लिए नीतियों और संघर्ष समाधान तंत्र पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। 'प्रगति' चरण में, स्टार्टअप अतिरिक्त रूप से बोर्ड निरीक्षण के विस्तार, प्रमुख व्यवसाय मेट्रिक्स की निगरानी, आंतरिक नियंत्रण बनाए रखने, निर्णय लेने के पदानुक्रम को परिभाषित करने, वित्त, खातों और बाहरी ऑडिट के केंद्रित अवलोकन, ऑडिट समिति की स्थापना और जोखिम और संकट पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। जब कोई स्टार्टअप 'विकास' चरण में पहुंचता है, तो यह दृष्टिकोण, मिशन, आचार संहिता, संस्कृति, संगठन की नैतिकता, कार्यात्मक नीतियों और प्रक्रियाओं के प्रति हितधारक जागरूकता बनाने, बोर्ड समितियों का गठन करने, बोर्ड पर डीई और आई को सुनिश्चित करने, वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने पर भी ध्यान केंद्रित कर सकता है। कंपनी अधिनियम 2013 और अन्य सभी लागू कानूनों और विनियमों के अनुसार, फंड के उपयोग, निगरानी और समीक्षा पर ध्यान केंद्रित करें, सीएसआर और ईएसजी मानदंडों का अनुपालन करें, रणनीतिक प्रगति और मानव संसाधन से संबंधित पहलुओं की निगरानी करें। 'गोइंग पब्लिक' चरण में, स्टार्टअप विभिन्न समितियों के कामकाज की निगरानी, धोखाधड़ी की रोकथाम और पता लगाने, शिकायत निवारण तंत्र पर ध्यान केंद्रित करने, सूचना विषमता को कम करने, प्रभावी हितधारक प्रबंधन, उत्तराधिकार योजना, बोर्ड प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा के संदर्भ में अपने शासन का विस्तार कर सकता है। कंपनी अधिनियम 2013, सेबी एलओडीआर और स्टॉक एक्सचेंज नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने और समय पर वैधानिक फाइलिंग और प्रकटीकरण सुनिश्चित करने के लिए शासन नीतियों, आंतरिक नियंत्रण, सोशल मीडिया नीति, अनुपालन कार्यक्रम। लॉन्च पर बोलते हुए, सीआईआई के अध्यक्ष आर दिनेश ने कहा कि सुशासन प्रथाओं को जल्दी अपनाने से स्टार्टअप को दीर्घकालिक मूल्य निर्माण, हितधारकों के विश्वास, बेहतर पहुंच सहित ठोस और अमूर्त लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है। निवेशकों और बैंकों से वित्त, प्रमोटरों पर कम निर्भरता, प्रभावी संगठनात्मक संरचना और व्यवसाय के दीर्घकालिक अस्तित्व की संभावनाओं में सुधार। उन्होंने आशा व्यक्त की कि स्टार्टअप्स के लिए गवर्नेंस चार्टर स्टार्टअप्स के बीच सुशासन प्रथाओं को शीघ्र अपनाने में सक्षम बनाएगा और उन्हें भविष्य के नेताओं के रूप में विकसित होने में मदद करेगा। संजीव बजाज, तत्काल पूर्व अध्यक्ष, सीआईआई एवं अध्यक्ष, सीआईआई कॉरपोरेट गवर्नेंस काउंसिल ने कहा कि स्टार्टअप्स को अपने संसाधनों और ऊर्जा का उपयोग सभी हितधारकों के लिए मूल्य बढ़ाने में करना चाहिए जो एक वृहद स्तर, दूरदर्शी है। लाभप्रदता के बजाय निरंतर सफलता के लिए दृष्टिकोण जो कि अल्पकालिक सफलता के लिए एक त्वरित दृष्टिकोण है। उन्होंने स्टार्टअप्स के लिए जिम्मेदार प्रशासन और आत्म-नियमन के माध्यम से जवाबदेही, निष्पक्षता और अखंडता के साथ नैतिक आचरण के साथ व्यावसायिक प्राथमिकताओं को पूरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि स्टार्टअप भारतीय अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग बन गए हैं और उन्होंने नवाचार, प्रौद्योगिकी, बाजार और व्यापार रणनीति के मामले में भारतीय उद्योग को आगे बढ़ाया है और स्टार्टअप के लिए कॉर्पोरेट प्रशासन प्रथाओं पर एक चार्टर का समर्थन किया जा सकता है। स्टार्टअप अपनी शासन यात्रा में आगे हैं। उन्होंने बताया कि चार्टर में शासन और भविष्योन्मुखी अवधारणाओं के संदर्भ में स्टार्टअप्स के लिए फोकस क्षेत्र शामिल हैं - जिसका उद्देश्य चार्टर के अक्षरशः और मूल भाव से स्वैच्छिक पालन को प्रोत्साहित करके भारत में स्टार्टअप्स के समग्र शासन मानकों को बढ़ाना है। सीआईआई नेशनल स्टार्टअप काउंसिल के अध्यक्ष कुणाल बहल ने कहा, "जहां स्टार्ट-अप नवाचार, व्यवधान और विकास के अवसरों की तेजी से खोज पर आगे बढ़ते हैं, वहीं मजबूत कॉर्पोरेट प्रशासन गुणवत्ता में सुधार करता है।" उनके निर्णय और दीर्घकालिक रणनीतिक सोच को बढ़ावा देते हैं, किसी स्टार्टअप के शुरुआती दिनों से ही अच्छे कॉर्पोरेट प्रशासन के सिद्धांतों को शामिल करना महत्वपूर्ण है ताकि समय के साथ, वे संगठन के डीएनए का हिस्सा बन जाएं और स्टार्टअप को मार्गदर्शन और संचालन करने में मदद करें। इसके विकास और विकास के विभिन्न चरणों के माध्यम से इसके हितधारकों को सीआईआई चार्टर को स्टार्टअप्स को शासन की आवश्यकताओं को समझने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिनका वे शुरुआत से लेकर सार्वजनिक कंपनी बनने तक विभिन्न चरणों में पालन कर सकते हैं। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Ujjwal Times News
Apr 30, 2024
हेमंत सोरेन चुनाव प्रचार के लिए जेल से नहीं आ पाएंगे बाहर
नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और ईडी की कार्रवाई के खिलाफ उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. जमीन घोटाला मामले में बंद हेमंत सोरेन का कहना है कि अपनी पार्टी के प्रचार के लिए चुनाव के दौरान उनका बाहर आना जरूरी है. हेमंत सोरेन ने मामले की सूनवाई के दौरान यह भी कहा है कि हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका पर पिछले 2 महीने से फैसला सुरक्षित रखा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट फैसला देने पर विचार करे. मामले में 6 मई को अगली सुनवाई होगी. दरअसल, हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी के बाद झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, इसपर 28 फरवरी को एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं आया है. *सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने का दिया था निर्देश* ईडी ने सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था. इसके खिलाफ सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का दरजवाजा खटखटाया था, लेकिन जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने हेमंत सोरेन को पहले झारखंड हाईकोर्ट जाने को कहा था. वहीं पूरे मामले को लेकर विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' में शामिल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी राजनीतिक एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब नीति से जुड़े मामले में गिरफ्तारी और हेमंत सोरेन को अरेस्ट करना लोकसभा चुनाव को देखते हुए किया गया है. लोग इसका लोकसभा चुनाव में जवाब देंगे. इसको लेकर बीजेपी ने पलटवार किया है कि जांच एजेंसी अपना काम कर रही है और जो भी गलत काम करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Ujjwal Times News
Apr 30, 2024
केजरीवाल से गठबंधन और कन्हैया कुमार और उदित राज को टिकट देने से खफा लवली ने दिया स्तीफा
नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में मचा घमासान अंततः सड़क पर आ गया। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस पार्टी ने जब से उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से उदित राज और उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया था, उसी समय से पार्टी के अंदर घमासान मच गया था। पार्टी नेता बाहरी लोगों को लोकसभा उम्मीदवार बनाए जाने के सख्त खिलाफ थे, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं को अनसुना करते हुए बाहरी चेहरों को टिकट दे दिया गया। कांग्रेस को यह फैसला भारी पड़ गया और अंततः दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अपना इस्तीफा देकर अपनी नाराजगी जता दी। दरअसल, अरविंदर सिंह लवली खुद भी उत्तर पूर्वी दिल्ली से मनोज तिवारी के सामने लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनकी इच्छाओं को दरकिनार करते हुए पार्टी ने दूसरे चेहरे को लोकसभा चुनाव में उतारने की योजना बनाई। स्वयं जयराम रमेश ने कन्हैया कुमार को उत्तर पूर्वी दिल्ली से टिकट दिलाने के लिए खूंटा गाड़ दिया। इसे देखते हुए लवली ने खुद चुनाव में न उतरने की बात कह दी, लेकिन पार्टी के नेता जानते हैं कि लवली इस फैसले से बिल्कुल भी खुश नहीं थे। कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी के खिलाफ संदीप दीक्षित भी थे, जो स्वयं उत्तर पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। एक बैठक के दौरान कन्हैया कुमार और उनके बीच बहस भी हो गई थी। लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी को ही सही ठहराया। इसी प्रकार, उदित राज को उत्तर पश्चिम दिल्ली से उम्मीदवार बनाए जाने का राजकुमार चौहान लगातार विरोध कर रहे थे। जिस दिन उम्मीदवारों का मीडिया के सामने परिचय सम्मेलन करवाया जा रहा था, उस दिन भी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय के सामने कार्यकर्ता लगातार उदित राज और कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे। इससे यह साफ था कि कार्यकर्ताओं का इन उम्मीदवारों को सहयोग नहीं मिलने वाला था। इसका असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिलना तय था। केजरीवाल से समझौते का विरोध * अरविंदर सिंह लवली शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस से समझौते के सख्त खिलाफ थे। उनका कहना था कि जिस केजरीवाल ने तमाम झूठे आरोप लगाकर कांग्रेस को बदनाम करने का काम किया और उसे सत्ता से बाहर करने में अपनी बड़ी भूमिका निभाई, आज उसी केजरीवाल के साथ में समझौता करना पार्टी के लिए किसी भी तरह से ठीक नहीं है। उच्च स्तर पर बैठे नेताओं ने भी इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाई थी। निचले स्तर के कार्यकर्ता भी इस निर्णय से खुश नहीं थे। दिल्ली कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, अरविंदर सिंह लवली ने पार्टी आला कमान के सामने यह प्रस्ताव रखा था कि जिस तरह पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं, उसी तरीके से दिल्ली में भी दोनों पार्टियों को अलग-अलग चुनाव लड़ना चाहिए। एक बार तो उन्होंने घोषणा भी कर दी थी कि कांग्रेस दिल्ली में अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगी लेकिन आलाकमान के दबाव पर उन्हें अपना बयान वापस लेना पड़ा था।आम आदमी पार्टी के इंडिया गठबंधन में रहने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन उनके साथ चुनावी मैदान में जाना उन्हें घाटे का सौदा लग रहा था। उन्होंने कहा था कि यदि केजरीवाल के साथ दिल्ली का चुनाव लड़ा जाएगा तो विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को मजबूत करना कठिन हो जाएगा क्योंकि पार्टी उस समय केजरीवाल के खिलाफ कोई मजबूत स्टैंड नहीं ले सकेगी। इस बात की जानकारी उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं को भी दे दी थी, लेकिन उनकी नाराजगी को दरकिनार करते हुए पार्टी ने केजरीवाल के साथ चुनाव में जाने का फैसला कर लिया। लवली ने आरोप लगाया है कि पार्टी के उच्च पदों पर बैठे शीर्ष नेताओं (कांग्रेस महासचिव और दिल्ली प्रभारी) ने उनके काम करने के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी थी। उनकी हर फैसले में टांग अड़ाई जा रही थी। यहां तक कि लवली अपनी चहेते कार्यकर्ता को पार्टी के मीडिया सेल का प्रमुख तक नहीं बना सके थे। इससे भी लवली की पार्टी वाला कमान से नाराजगी बढ़ती चली गई। अरविंदर सिंह लवली ने अपने इस्तीफे में भी कहा है कि लगभग आठ महीने पहले जब उनको अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई थी, पार्टी बहुत संकट से गुजर रही थी। पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम तक नहीं हो रहा था, कार्यकर्ता बिखरे हुए थे। लेकिन पार्टी की जिम्मेदारी संभालते ही उन्होंने सब को एक साथ जोड़ने की कोशिश की। लेकिन पार्टी के महासचिव और दिल्ली प्रभारी उनके काम में लगातार टांग अड़ाते रहे। अभी तक डेढ़ सौ से ज्यादा ब्लॉक स्तर पर कार्यकर्ताओं को उनके पदों पर नियुक्त नहीं किया जा सका है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Apr 30, 2024