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स्था मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल की ऊपरी मंजिल में भीषण आग , मरीज, प्रबंधन और स्टाफ की सूझबूझ से मरीज सुरक्षित

बडौत, 27 मई 2024  (यूटीएन)। नगर के आस्था मल्टीस्पेशलिटीढ हॉस्पिटल में लगी भीषण आग  जररूर। आग लगने से अस्पताल में अफरातफरी का बना माहौल।प्रबंधन और स्टाफ की सूझबूझ से आनन फानन में मरीजों को दूसरे अस्पताल में किया गया शिफ्ट। दूसरी ओर आग बुझाने में कम पड़ रही है फायर बिग्रेड की गाड़ियां। फिलहाल मरीजों को सुरक्षित निकाल कर अन्य अस्पताल में भेजा गया है‌   जनपद के सबसे बड़ा अस्पताल आस्था मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में मध्यरात्रि के बाद करीब 4.25 पर अचानक आग लग गई और एकाएक विकराल रूप धारण कर लिया। शुक्र है कि, उठते धुंए और आग का यह मंजर अस्पताल की ऊपरी मंजिल में होने के चलते प्रबंधन और स्टाफ को मरीजों को सुरक्षित निकालकर दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। एहतराम के तौर पर सावधानी बरतते हुए अपने संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए तत्काल फायर स्टेशन को भी सूचना दे दी गई तथा जब तक आग नीचे की मंजिल को अपनी चपेट में लेती, तब तक उसे पूरी तरह खाली भी कर दिया गया था, वरना अस्पताल में बच्चों की नर्सरी केयर की भी व्यवस्था है।    फिलहाल फायर ब्रिगेड की कई गाडियां आग बुझाने के लिए लगी हैं तथा कोई जनहानि की सूचना भी नहीं है। आग लगने के कारणों सहित आग से हुए नुकसान का आकलन भी अभी तक नही हो सका है।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 27, 2024

बेबी केयर हॉस्पिटल में कल देर रात लगी भीषण आग, 7 बच्चों की मौत

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। दिल्ली के विवेक विहार इलाके से बीती रात दिल दहला देने वाली खबर आई. जहां एक बेबी केयर सेंटर में आग लगने से 7 बच्चों की मौत हो गई और कुछ बच्चों को किसी तरह बचा लिया गया. बताया जा रहा है कि ये आग वहां पर रखे ऑक्सीजन सिलेंडर में हुए ब्लास्ट की वजह से बढ़ी. चश्मदीदों और अस्पताल के आस-पास रहने वाले लोगों के मुताबिक घटनास्थल पर एक के बाद एक करीब 6 धमाके हुए. जिसके कारण आस-पास के घर में भी आग फैल गई. दिल्ली फायर विभाग के मुताबिक 120 गज की बिल्डिंग में था केयर सेंटर. इसके 1st फ्लोर से 12 बच्चों को रेस्कयू कराया गया था. अस्पताल में 7 बच्चों ने दम तोड़ दिया 5 भर्ती हैं, उनका इलाज चल रहा है.    *अस्पताल बना बच्चों का काल* दिल्ली पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के मुबाबिक बीती रात करीब 11.30 बजे विवेक विहार थाने में आग लगने के संबंध में पीसीआर कॉल मिली. मौके पर पुलिस पहुंची तो सी-54, विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न हॉस्पिटल और उसके आसपास की इमारत में भीषण आग लगी थी. थोड़ी देर में थाना प्रभारी और एटीओ विवेक विहार और एसीपी विवेक विहार भी मौके पर पहुंचे. अस्पताल मालिक नवीन चींचीं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है. वो अभी फरार है. चींची की लोकेशन जयपुर में मिली है.   पुलिस की एक टीम वहां जा रही है. दिल्ली पुलिस ने बेबी केअर न्यू बॉर्न हॉस्पिटल के मालिक नवीन चींचीं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, आईपीसी की धारा 336, 304A और 34 में एफआईआर दर्ज की गई है. फायर की एनओसी हॉस्पिटल के पास थी या नहीं उसकी जांच की जा रही है.   *चश्मदीदों और पड़ोसियों ने खोली पोल पट्टी* बच्चों का रेस्क्यू करने में हाथ बटाने वाले लोगों में से एक जितेंद्र शंटी ने पत्रकारों को बताया कि ये हादसा क्यों और कैसे हुआ. चश्मदीदों ने बताया कि 125 गज पर बने इस अस्पताल में कई खामियां थीं. इसे बनाने में भी नियमों का उल्लंघन हुआ. मौके पर मौजूद लोगों ने यह भी कहा कि भला 125 गज में कौन सा अस्पताल बनता है? स्थानीय लोगों का कहना है कि ये कोई बेबी केयर सेंटर नहीं बल्कि ऑक्सीजन सिलेंडर का गोदाम था. यहां पर बड़ी संख्या में सिलेंडर आते थे और रिफिल भी किए जाते थे.   ऐसे में इस लापरवाही की जिम्मेदारी कौन लेगा? यानी अस्पताल परिसर में ही बड़े सिलेंडरों से छोटे-छोटे सिलेंडरों में गैस भरी जाती थी. रोजाना एक गाड़ी आती थी और उससे सिलेंडर उतरते थे. कहीं कोई रोक-टोक नहीं थी. इसी तरह कई लोगों ने छोटे से अस्पताल में इतने बड़े पैमाने पर सिलेंडर स्टोर करने पर भी सवाल उठाए.   उन्होंने रविवार सुबह अस्पताल के बाहर से पूरा इलाका दिखाते हुए, मौके पर पड़े ऑक्सीजन सिलेंडर दिखाते हुए अस्पताल परिसर में चल रही गतिविधियों की जानकारी दी. उन्होंने ये भी बताया कि हादसे के बाद अस्पताल के पिछली साइड से बच्चों को रेस्क्यू किया गया. क्योंकि आग वहां तक नहीं फैली थी. उसी दौरान अस्पताल में कई अन्य लापरवाही देखने को मिली.   *भर्ती थे कई नवजात* बच्चों के इस अस्पताल में कई नवजात शिशु भर्ती थे. इस जानलेवा लापरवाही से हुई दुर्घटना में कुछ नवजात शिशुओं को अन्य लोगों की मदद से बेबी केयर यानी अस्पताल परिसर से बचाया गया. फौरन सभी को बेहतर इलाज के लिए विवेक विहार स्थित एडवांस  अस्पताल ले जाया गया.    इसी बीच दमकल की कई गाड़ियां मौके पर पहुंची जिसके कुछ समय बाद आग पर काबू पा लिया गया. बताया जा रहा है कि एक बच्चे की मौत आग लगने से पहले हो गई थी. इस तरह कुल 7 बच्चों को मृत घोषित किया गया. सभी 7 शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेजा गया.   *राष्ट्रपति ने जताया शोक* राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस घटनाक्रम पर चिंता जताते हुए अफसोस जताया है. उन्होंने अपने एक्स अकाउटं पर लिखा- 'विवेक विहार, दिल्ली के एक अस्पताल में आग लगने से अनेक बच्चों की मृत्यु का समाचार हृदय विदारक है. ईश्वर शोक संतप्त माता-पिता एवं परिजनों को यह आघात सहने की शक्ति दें. मैं इस घटना में घायल हुए अन्य बच्चों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मंत्री सौरभ भारद्वाज समेत कई नेताओं ने इस दुर्घटना में मारे गए बच्चों के परिजनों से संवेदना जताई है. सभी ने दोषियों को कड़ी सजा दिलाने का भरोसा दिलाया है. अस्पताल से सटी एक बिल्डिंग तक भी आग की लपटें गई थीं पर वहां कोई अनहोनी नहीं हुई. कुल 16 दमकल गाड़ी मौके पर पहुंची थीं. रात 23.32 में आग लगी थी करीब 50 मिनट में आग पर काबू पा लिया था    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

कोविड के नए वैरिएंट को लेकर रैंडम सैंपल सर्वे का आदेश जारी

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। कोविड के जिस नए स्वरूप के सिंगापुर समेत दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में मामले सामने आए हैं, उसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जताई है। इसके आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में देश में मिले ऐसे मामलों के बाद कई महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश और आदेश जारी किए हैं। फिलहाल अब देश के अलग-अलग राज्यों में एक सप्ताह तक रेंडम सैंपल लेकर सर्वे किया जाएगा। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड का यह बदला स्वरूप, न तो खतरनाक है और ना ही चिंता की बात है।   फिलहाल जून के दूसरे हफ्ते में रेंडम सैंपल सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में कोविड के बदले स्वरूप से प्रभावित हुए मरीज और राज्यों की पूरी जानकारी महत्वपूर्ण बैठक में रखी गई। जानकारी के मुताबिक, केपी.1 और केपी.2 के तकरीबन सवा तीन सौ मामलों की जानकारी सामने आई है। इसमें केपी.1 के 34 मामले देश के अलग-अलग राज्यों में पाए गए हैं। इसमें सबसे ज्यादा 23 मामले पश्चिम बंगाल में मिले हैं। जबकि महाराष्ट्र में इस वैरिएंट के चार मामले सामने  आए हैं।   इसी तरह गुजरात और राजस्थान में भी दो-दो मरीज मिले हैं। जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक गोवा और हरियाणा समेत उत्तराखंड में भी एक-एक मरीज इसी नए वैरिएंट का मिला है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक़ अब तक देश में केपी.2 के तकरीबन 290 मामलों की जानकारी मिली है। जिसमें महाराष्ट्र से 148 मामले शामिल हैं। पश्चिम बंगाल में 36,  राजस्थान में 21, गुजरात में 23, उत्तराखंड में 16, गोवा में 12, ओडिशा में 17, उत्तर प्रदेश में 8 और कर्नाटक में 4 समेत हरियाणा में 3, मध्यप्रदेश और दिल्ली में एक एक  मामला मिला है। देश के अलग-अलग राज्यों में नए वैरिएंट और सब वैरिएंट के मामलों पर नजर रखने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेंडम सैंपल सर्वे के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों के मुताबिक जिन राज्यों में ऐसे मामले सामने आए हैं वहां पर सघन निगरानी के साथ-साथ अगले दो सप्ताह तक सैंपलिंग करने को कहा गया है।   केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि हालांकि यह मामले बिल्कुल खतरनाक नहीं है बावजूद इसके केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय प्रत्येक गतिविधि पर करीब से नजर बनाए हुए है। कोविड मामलों पर नजर रखने वाली कमेटी से जुड़े डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि पहली बात तो यही है कि जो मामले सामने आ रहे हैं वह बिल्कुल सामान्य है। यानी कि कोविड के बदले स्वरूप की न तो कोई भयावहता है और न ही उससे कोई डरने की आवश्यकता है।   डॉ अरोड़ा कहते हैं कि फिर भी देश के अलग-अलग हिस्सों में मिल रहे मामलों को संज्ञान में लेकर रेंडम सैंपल सर्वे के आदेश दिए जा चुके हैं। वह कहते हैं कि जिन इलाकों में यह मामले आए हैं, वहां पर सघनता से मॉनिटरिंग की जा रही है। उनका कहना है क्योंकि इनमें से कई मामले काफी पहले के हैं और सभी लोग स्वस्थ हैं। ऐसे मामलों में देखा यही जा रहा है कि क्या किसी को अस्पताल में दाखिल होने की आवश्यकता पड़ रही है या नहीं। डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि किसी भी मरीज को किसी तरह से अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत नहीं पड़ रही है। इसलिए इस वैरिएंट से बिल्कुल घबराने की आवश्यकता नहीं है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

बिजली विभाग: हटाए गए लाइनमैनों को फिर से ड्यूटी पर लेने के नाम पर अवैध वसूली का आरोप

बड़ौत, 26 मई 2024  (यूटीएन)। एक तरफ जनपद में बिजली संकट गहराया हुआ है और लोग सड़कों पर उतरकर बिजली विभाग के खिलाफ हंगामा-प्रदर्शन करने में लगे हैं, वहीं बिजली विभाग के अधिकारी, बिजली आपूर्ति को दुरस्त करने की बजाए लाइनमैनों को हटाने व लगाने की कार्रवाई में जुटे हैं।    आरोप है कि, शिकायतों के बाद हटाएं गए छह लाइनमैनों मेें से दो लाइनमैनों से मोटी रकम वसूलकर फिर से ड्यूटी पर बुला लिया गया है। बता दें कि, मुख्य शिकायत केंद्र पर तैनात अवर अभियंता गुलशन कन्नौजिया ने कुछ महीने पहले छह संविदा कर्मियों को उपभोक्ताओं से अवैध वसूली करने, ड्यूटी में लापरवाही व अनियमितता बरतने पर हटा दिया था।   अब फिर से उन 6 में से ही 2 लाइनमैनों को ड्यूटी पर रख लिया गया है।इस संबंध में उपभोक्ता बबलू मलिक, सोनू तोमर, हिमांशु, योगेश तोमर, विकास आदि का आरोप है कि, विभागीय अधिकारियों का बिजली आपूर्ति पर कोई ध्यान के बदले संविदा कार्मिको की नियुक्ति और निष्कासन में ध्यान ज्यादा है।    आरोप है कि,पहले लाइनमैनों को हटाया जाता है और फिर मोटी रकम वसूलकर ड्यूटी पर लगा दिया जाता है। पूरे शहर में इस समय बिजली संकट गहराया हुआ है। स्थानीय अधिकारी बिजली आपूर्ति को दुरस्त करने की बजाएं इस कार्रवाई में जुटे हैं। उन्होंने डीएम से मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई की मांग की है।    उधर इस संबंध में अवर अभियंता गुलशन कन्नौजिया ने बताया कि, उपभोक्ताओं से अवैध वसूली करने, ड्यूटी में लापरवाही करने व अन्य कारणों पर 6 लाइनमैनों को मेरे द्वारा हटाया गया था। अब फिर से बिना मेरी सहमति के 2 लाइनमैन ड्यूटी पर बुलाए गए हैं। यह किसका आदेश है, उनकी जानकारी में नहीं है।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 26, 2024

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मुजरा’ वाली टिप्पणी पर बवाल

नई दिल्ली, 25 मई 2024  (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव 2024 अपने आखिरी दौर से गुजर रहा है. आज शनिवार (25 मई) को छठे चरण की वोटिंग होने के बाद सातवें और आखिरी चरण की वोटिंग 1 जून को होगी. इससे पहले बयानों के बाणों की बौछार हो रही है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुजरा वाले बयान पर बवाल मच गया. विपक्षी दलों ने पीएम मोदी को घेरने की कोशिश की. प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “'आज मैंने प्रधानमंत्री के मुंह से 'मुजरा' शब्द सुना. मोदीजी, ये कैसी मनःस्थिति है? आप कुछ लेते क्यों नहीं? अमित शाह और जेपी नड्डा जी को तुरंत उनका इलाज कराना चाहिए. शायद सूरज के नीचे भाषण देने से उनके दिमाग पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है.   वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने भी पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा, "नारी शक्ति' से, आदमी अब 'मुजरा' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने पर उतर आया है." उन्होंने आगे कहा, “10 साल के पीआर और सावधानीपूर्वक तैयार की गई छवि के बाद, मोदी अब अपना असली रूप नहीं छिपा सकते. इतनी घटिया भाषा. यह सोच के भी डर लगता है कि प्रधानमंत्री के रूप में अपनी विदेश यात्राओं के दौरान वह क्या-क्या कहते होंगे.   *‘क्या ये एक प्रधानमंत्री की भाषा है?’* मनोज झा के हवाले ने कहा, ''वह (पीएम मोदी) जो कह रहे हैं उससे चिंतित हैं. मैं अब उसके बारे में चिंतित हूं. कल तक हम उनसे असहमत थे, अब हमें उनकी चिंता हो रही है. मैंने हाल ही में कहा था कि वह भव्यता के भ्रम का शिकार हो रहे हैं. 'मछली', मटन, मंगलसूत्र और 'मुजरा'... क्या यह एक पीएम की भाषा है?” उन्होंने आगे कहा, "मैं पहले प्रधानमंत्री से असहमत होता था. अब मुझे प्रधानमंत्री की चिंता हो रही है. वे मेरे देश के प्रधानमंत्री हैं, दुनिया में क्या सोचा जा रहा होगा कि मेरे देश के प्रधानमंत्री की राजनीतिक जुबान कैसी है. कौन सी फिल्में देख देख कर ये डायलॉग लिखे जा रहे हैं? अगर कोई ये कहने लगे कि मैं दैव्य रास्ते से आया हूं, मेरा जन्म बायोलॉजिकल तरीके से नहीं हुआ है, अगर हम और आप ये बात कहें तो लोग कहेंगे कि इसे डॉक्टर के पास ले चलो."   *क्या कहा था पीएम मोदी ने?* दरअसल, बिहार में काराकाट और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्रों में बैक-टू-बैक रैलियों को संबोधित करते हुए, पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “बिहार वह भूमि है जिसने सामाजिक न्याय की लड़ाई को एक नई दिशा दी है. मैं इसकी धरती पर घोषणा करना चाहता हूं कि मैं एससी, एसटी और ओबीसी को उनके अधिकारों से वंचित करने और उन्हें मुसलमानों की ओर मोड़ने की इंडिया ब्लॉक की योजनाओं को विफल कर दूंगा. गुलाम बने रह सकते हैं और अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए 'मुजरा' कर सकते हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 25, 2024

बलिदान और शौर्य संग मन में कई सवाल लिए जब संसद भवन से विदा हुए भावुक सीआरपीएफ जांबाज

नई दिल्ली, 22 मई 2024  (यूटीएन)। देश का सबसे बड़ा केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ', जिसकी स्थापना आजादी से पहले 1939 में हो गई थी। सीआरपीएफ के पूर्व आईजी कमलकांत शर्मा, इस फोर्स को सभी बलों की 'गंगोत्री' बताते हैं। इसी बल का एक समूह, जिसे पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप (पीडीजी) कहा जाता है, इसके जवान और अधिकारी, पिछले सप्ताह उदास हो गए। बलिदान और शौर्य के संग जब संसद भवन से पीडीजी जांबाजों की विदाई हुई, तो वे भावुक हो उठे। किसी का मन उदास था तो कुछ जवानों की आंखें भर आई थीं।   करीब डेढ़ दशक से संसद भवन की अचूक सुरक्षा करने वाले 'पीडीजी' को यूं अपनी विदाई रास नहीं आई। यहां बात 'पीस पोस्टिंग' की कतई नहीं है। सीआरपीएफ को हटाकर सीआईएसएफ को संसद की सुरक्षा सौंपना, ये भी एतराज की बात नहीं थी। भावुक पीडीजी के मन में कई सवाल उठ रहे थे कि 'बलिदान और शौर्य' के बावजूद, उन्हें इस तरह से क्यों हटाया गया। आखिर हमारी ड्यूटी में कहां पर कमी रह गई।   *संसद भवन की सुरक्षा से क्यों हटाया गया?*   पीडीजी के लिए पिछला सप्ताह बहुत अहम रहा। हालांकि उन्हें संसद भवन से विदाई का मैसेज कई दिन पहले ही मिल चुका था। पीडीजी के सभी जवानों और अधिकारियों ने संसद भवन के पुराने परिसर के सामने खड़े होकर आखिरी फोटो खिंचवाई। लंबे समय से इस बल का हिस्सा रहे एक जवान से जब पूछा गया, तो वह भावुक हो उठा। कुछ लोग, यह कह रहे हैं कि सीआरपीएफ के लिए ये 'पीस पोस्टिंग' थी, अब वह सहूलियत छीन गई है। ऐसा तो कतई नहीं है। ये बल तो कश्मीर, नक्सल प्रभावित क्षेत्र और उत्तर पूर्व में दशकों से तैनात है। ऐसे में ये बात तो कहीं से भी जायज नहीं है। हम दो तीन दिन से सो नहीं पा रहे थे। मन में एक ही सवाल था। आखिर हमें एकाएक संसद भवन की सुरक्षा से क्यों हटाया गया।   गत वर्ष 13 दिसंबर को संसद भवन की सुरक्षा में बड़ी चूक सामने आई थी। उस दिन संसद भवन पर हुए हमले की 22वीं बरसी थी। कुछ लोग संसद में घुस गए थे। उसमें पीडीजी की क्या चूक थी, ये किसी ने नहीं बताया। घटना की जांच के लिए जो कमेटी बनी थी, उसमें सामने आया था कि फ्रिस्किंग/चेकिंग का काम तो दिल्ली पुलिस का था। पास वेरिफिकेशन भी दिल्ली पुलिस के नियंत्रण में था। जांच रिपोर्ट में सीआरपीएफ की कोई कमी नहीं मिली। इसके बावजूद सरकार ने पीडीजी को हटाने का निर्णय ले लिया।   *सभी फोर्स की गंगोत्री है सीआरपीएफ*   बल के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, ये सीआरपीएफ के जवानों और अफसरों के लिए निराशाजनक फैसला था। फोर्स के उत्साह को कमजोर करने वाला था। खास बात है कि पीडीजी को हटाने का फैसला, जिस कमेटी की रिपोर्ट पर हुआ है, उसके अध्यक्ष तो खुद सीआरपीएफ डीजी थे। सीआरपीएफ के पूर्व आईजी कमलकांत शर्मा के मुताबिक, देखिये वैसे तो सभी फोर्स की नेचर ऑफ ड्यूटी अलग रहती है। हर कोई अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता रखता है। लौह पुरुष सदार पटेल, इस फोर्स के जनक हैं। जब हम कहते हैं कि 1939 में स्थापित हुई सीआरपीएफ, सभी फोर्स की गंगोत्री है, तो उसमें कुछ गलत नहीं है। इस बल की अधिकांश नफरी तो पूरी तरह से ऑपरेशनल एरिया में रहती है।   लॉ एंड ऑर्डर में भी ये फोर्स अग्रणी है। कहीं भी कोई आपदा आती है तो सिर्फ यह कहा जाता है कि प्लेन तैयार है, आपके पास तीस मिनट हैं। किसी भी जगह पर जवान/अफसर को, तीन साल स्थायित्व के नहीं मिल पाते। 2001 के संसद हमले में इन जवानों ने आतंकियों को करारा जवाब दिया था। लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा की थी। ऐसे में अब बिना किसी वजह के पीडीजी को हटाना, कई सवाल खड़े करता है। इस ड्यूटी के लिए अगर सीआरपीएफ और सीआईएसएफ का मर्जर करते तो ठीक रहता। दोनों बलों के पास अपनी एक विशेषता है। स्थायित्व और अनुभव, यह मेल एक बेहतर सुरक्षा दायरा स्थापित कर सकता था।   *हारी टीम बदली जाती है, जीती हुई नहीं* सीआरपीएफ के पूर्व सहायक कमांडेंट सर्वेश त्रिपाठी कहते हैं, हर फोर्स में जवान बहादुर ही होते हैं। सभी बलों की अपने क्षेत्र में एक विशेज्ञता होती है। ऐसी कोई ड्यूटी नहीं होगी, जहां इस बल ने खुद को स्थापित न किया हो। श्रीनगर एयरपोर्ट से हटाया, इस बल को कोई दिक्कत नहीं हुई। संसद भवन की सुरक्षा से हटाना, ये बात कष्ट प्रदायक है। जांबाजों के मनोबल को कमजोर करने वाली है। अब 'राम मंदिर' की सुरक्षा से सीआरपीएफ को हटाने की चर्चा है। ऐसी जगहों की सुरक्षा के लिए इस बल ने शहादत दी है। असीम शौर्य का प्रदर्शन किया है। संसद भवन से क्यों हटाया जा रहा है, इसका कोई कारण तो बताएं। जवानों के मन में सवाल उठना लाजमी है।   आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर इस बल की कामयाबी किसी से छिपी नहीं है। हारी हुई टीम को बदला जाता है, जीती हुई को नहीं। पीडीजी के मामले में यह बात उलट हो रही है। पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप की ट्रेनिंग एवं उपकरणों पर पैसा खर्च हुआ है। ये एक स्पेशल फोर्स थी। ऐसे में यहां से पीडीजी को हटाए जाना, जवानों के लिए एक भावुक पल तो है ही। साल 2012 से लेकर अब तक पीडीजी, 16 सितंबर को बतौर स्थापना दिवस मनाता रहा है।   *संसद को किसी भी तरह के हमले से बचाना* पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप, जिसकी नफरी करीब डेढ़ हजार बताई गई है, उसका एक ही मकसद था, किसी भी तरह के हमले से संसद को बचाना। पीडीजी के गठन से पहले भी सीआरपीएफ ने लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा की है। 13 दिसंबर 2001 को संसद पर आतंकवादी हमला हुआ। पाकिस्तान के आतंकी संगठन 'लश्कर-ए-तैयबा' और 'जैश-ए-मोहम्मद' के पांच दहशतगर्द, संसद भवन परिसर में घुस गए थे। सीआरपीएफ की सिपाही कमलेश कुमारी ने आतंकियों की गाड़ी को रोकने का प्रयास किया।   उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। संसद भवन के दरवाजे बंद होने के बाद सीआरपीएफ जवानों ने मोर्चा संभाला। सभी आतंकवादी मारे गए। महिला सिपाही के अलावा दिल्ली पुलिस और पार्लियामेंट में तैनात दूसरी सेवाओं के कई लोग मारे गए थे। कांस्टेबल कमलेश कुमारी को अशोक चक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया गया। हवलदार यम बहादुर थापा, कांस्टेबल डी संतोष कुमार, कांस्टेबल सुखविंदर सिंह और सिपाही श्याबीर सिंह को शौर्य चक्र से नवाजा गया।   *आतंकियों को संसद भवन में नहीं घुसने दिया* आतंकियों की गोली से लहूलुहान हुए सीआरपीएफ के हवलदार वाईबी थापा और सिपाही सुखविंद्र सिंह ने मानव बम को संसद में प्रवेश नहीं करने दिया। आतंकियों में शामिल मानव बम, जो संसद के गेट नंबर एक से अंदर पहुंचने के प्रयास में था, को पहले ही ढेर कर दिया। अगर मानव बम बने आतंकी को तीस सेकेंड का समय मिल जाता, तो उसका संसद भवन के भीतर पहुंचना तय था। सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर कमलेश कुमारी संसद भवन परिसर के गेट नंबर 12 के स्कैनर पर तैनात थी। उसने देखा कि विजय चौक से एक कार, जिस पर गृह मंत्रालय और संसद भवन का स्टीकर लगा हुआ था, गेट नंबर 12 की तरफ आ रही है। जैसे ही वह कार निकट पहुंची, तो उसमें से चार आतंकी बाहर निकले।   वह गेट बंद करने के लिए दौड़ी। हालांकि इस दौरान वह वायरलेस सेट पर कंट्रोल रूम को सूचना भी दे रही थी। दोबारा से अपनी पिकेट पर पहुंचने के बाद कमलेश ने आसपास के जवानों को चेताया। तभी उसकी नजर मानव बम पर पड़ी। जैसे ही उसने यह सूचना कंट्रोल रूम को दी, उसी वक्त गेट नंबर 11 की ओर से कई आतंकी उसकी तरफ आ रहे थे। हाथ में वायरलेस सेट लिए वह पिकेट से बाहर निकली। उसी दौरान आतंकियों ने उस पर लगातार गोलियों बौछार कर दी। उसकी सूचना पर ही सीआरपीएफ ने सारा घटना क्रम समझकर आतंकियों को ढेर किया था।   *इससे जवानों के मनोबल पर क्या असर पड़ेगा* सीआरपीएफ के मौजूदा एवं पूर्व अधिकारियों का कहना है, संसद भवन से पीडीजी को हटाने के बारे में तर्क आधारित विचार विमर्श नहीं किया गया। न तो अतीत देखा गया और न ही भविष्य की सुरक्षा। सीआरपीएफ ने सुरक्षा के मोर्चे पर कितना कुछ किया है, मगर उसे एक झटके में किनारे कर दिया गया। इससे जवानों के मनोबल पर क्या असर पड़ेगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। श्रीनगर एयरपोर्ट की सुरक्षा करने में इस बल ने कोई कसर बाकी नहीं रखी। वहां से भी हटा दिया गया।   जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने 5 जुलाई 2005 को अयोध्या के राम मंदिर परिसर में हथगोलों व राकेट लांचर से ताबड़तोड़ हमला किया था। मंदिर परिसर की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ जवानों ने पांचों आतंकियों को मुख्य स्थल तक पहुंचने से पहले ही ढेर कर दिया था। अब वहां की सुरक्षा की समीक्षा चल रही है। सूत्रों का कहना है कि मंदिर परिसर से सीआरपीएफ को हटाया जा रहा है।   *जांबाजी के बारे में नहीं सोचा गया* संसद भवन में गत वर्ष जो कुछ हुआ, कुछ हुआ उसके लिए सीआरपीएफ की तकनीकी तौर पर कोई जिम्मेवारी ही नही थी। जांच और रिव्यू कमेटी के मुखिया तो सीआरपीएफ के ही मौजूदा डीजी रहे हैं। जम्मू के रघुनाथ मंदिर या अयोध्या मंदिर का हमला हो, सीआरपीएफ ने अपना लोहा मनवाया है। कृष्ण जन्मभूमि मथुरा, बाबा विश्वनाथ वाराणसी जैसे कई बड़े धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सीआरपीएफ करती रही है।   बनिहाल-काजीकुंड टनल के बनने से पूर्व तक और अब भी भारत के शेष हिस्से को कश्मीर से जोड़ने वाली जवाहर टनल की सुरक्षा, सीआरपीएफ जवान कर रहे हैं। वीआईपी सुरक्षा मुहैया कराने वाला यह बल एक विशेष फोर्स का दर्जा पा चुका है। संसद भवन की सुरक्षा से हटाते वक्त इस बल की जांबाजी के बारे में नहीं सोचा गया।   *दो बटालियनों में विभाजित होगा पीडीजी दस्ता* संसद भवन की पुख्ता सुरक्षा के लिए 'पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप' (पीडीजी) का गठन किया गया था। इस विशेष बल में लगभग 1600 जवानों को रखा गया। इसके अलावा एक डीआईजी, एक कमांडेंट, एक टूआईसी, छह डिप्टी कमांडेंट और 14 सहायक कमांडेंट को पीडीजी का हिस्सा बनाया गया।   अब पीडीजी दस्ते को दो बटालियनों में विभाजित कर उसे सीआरपीएफ की वीआईपी सुरक्षा में शामिल किया जाएगा। बल के सूत्रों का कहना है कि संसद भवन हो या राम मंदिर की सुरक्षा, यह बल तय सुरक्षा मानकों पर सदैव खरा उतरा है। इस तरह का निर्णय केंद्रीय गृह मंत्रालय के स्तर पर होता है।   *पीडीजी, कोई सामान्य बल नहीं था* 13 दिसंबर 2023 की घटना के बाद उच्च स्तरीय बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए थे। सीआरपीएफ डीजी अनीश दयाल सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी भी गठित की गई थी। इन सबके बाद ही यह निर्णय लिया गया कि संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंप दी जाए। पीडीजी, कोई सामान्य बल नहीं था। इसे सुरक्षा के कड़े एवं उच्च मानकों के आधार पर प्रशिक्षित किया गया था। अब लगभग 1600 जवानों और अफसरों को यहां से हटाया जा रहा है।   भले ही ये पॉलिसी मैटर हो, लेकिन वर्षों से संसद भवन की सुरक्षा कर रहे पीडीजी को हटाने का औचित्य नजर नहीं आता। आतंकियों और नक्सलियों को खात्मा करने और सुरक्षा के अन्य मोर्चों पर अपना दमखम दिखाने वाले बल के अधिकारी एवं जवान, पीडीजी को हटाने के निर्णय से खुश नहीं हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 22, 2024

सऊदी अरब, कुवैत, ओमान समेत कई देशों से आप को हुई फंडिंग

नई दिल्ली, 22 मई 2024  (यूटीएन)। दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से चार्जशीट में आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाया गया है. इस चार्जशीट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी नाम शामिल है. इस बीच आप और सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं. दरअसल, ईडी ने अगस्त 2022 में गृह मंत्रालय को बताया था कि आम आदमी पार्टी को साल 2014 से 2022 के दौरान एफसीआरए, आरपीए का उल्लंघन करते हुए विदेशों से फंडिंग मिली. गौरतलब है कि राजनीतिक दल विदेशी चंदा नहीं ले सकते हैं.   आम आदमी पार्टी को कनाडा, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, ओमान और कई दूसरे देशों से फंडिंग मिली है. ईडी ने गृह मंत्रालय को बताया कि सियासी दलों पर विदेशी चंदे पर लगे प्रतिबंधों से बचने के लिए आम आदमी पार्टी ने अपने अकाउंट में पैसा देने वालों की पहचान को छुपाया. ये विदेशी फंडिंग सीधा आम आदमी पार्टी के आईडीबीआई बैंक में खुले अकाउंट में आया था.   *आप विधायक के खाते में ट्रांसफर हुए पैसे* ईडी के मुताबिक आम आदमी पार्टी के नेताओं में शामिल विधायक दुर्गेश पाठक का भी नाम शामिल है, जिन्होंने इस विदेशी फंडिंग को अपने पर्सनल अकाउंट में ट्रांसफर किया. विदेशों से फंड भेजने वाले अलग-अलग लोगों ने एक ही पासपोर्ट नंबर, क्रेडिट कार्ड, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया था. बता दें कि फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट और रिप्रेसेंटशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत सियासी दलों के लिए विदेशी फंडिंग लेने पर प्रतिबंध है और ये एक अपराध का श्रेणी में आता है.    *कनाडा में इवेंट के जरिए इकट्ठा की फंडिंग* प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में पाया कि साल 2016 में आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक ने कनाडा में हुए एक इवेंट के जरिए फंडिंग इकठ्ठा की और इन पैसों का निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया.    *कैसे हुआ था ये खुलासा?* दरअसल ये सभी खुलासे पंजाब के फाजिल्का में दर्ज स्मगलिंग के एक मामले के दौरान हुए थे. इस मामले में पाकिस्तान से भारत में ड्रग्स तस्करी करने वाले ड्रग कार्टेल पर एजेंसीज काम कर रही थी. इस मामले में फाजिल्का की स्पेशल कोर्ट ने पंजाब के भोलानाथ से आप एमएलए सुखपाल सिंह खैरा को आरोपी बनाते हुए समन किया था. ईडी ने जांच के दौरान खैरा और उसके एसोसिएट्स के यहां जब सर्च ऑपरेशन चलाया था तो खैरा और उसके साथियों के यहां से कई संदिग्ध कागज़ात मिले थे, जिनमें आम आदमी पार्टी को विदेशी फंडिंग कि पूरी जानकारी थी. बरामद कागज़ातों में 4 टाइप रिटेन पेपर और 8 हाथ से लिखे डायरी के पेज थे, जिनमें अमेरिका के डोनर की पूरी जानकारी थी. इन कागज़ों कि जांच के दौरान ईडी को यूएसए से आम आदमी पार्टी को 1 लाख 19 हजार डॉलर की फंडिंग का पता चला था. खैरा ने भी अपने बयान में बताया था कि 2017 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने यूएसए में फंड रेजिंग कैंपेन चलाकर चंदा इकट्ठा किया था.    *पासपोर्ट नंबर से 404 बार किया पैसा ट्रांसफर* इस मामले में ईडी ने आम आदमी पार्टी के नेशनल सेक्रेटरी पंकज गुप्ता को समन किया था, जिन्होंने कबूल किया था कि आम आदमी पार्टी चेक और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए विदेशी फंडिंग ले रही है. जो डेटा पंकज गुप्ता ने ईडी को उपलब्ध कराया था, उसकी पड़ताल से पता चला कि फॉरेन डोनेशन लेने में एफसीआरए का उल्लंघन किया गया था.  उस दौरान ईडी को पता चला था कि विदेश में बैठे 155 लोगों ने 55 पासपोर्ट नंबर इस्तेमाल कर 404 बार में 1.02 करोड़ रुपये डोनेट किए गए थे. 71 डोनर ने 21 मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर 256 बार में कुल 9990870 रुपये डोनेट किए. 75 डोनर ने 15 क्रेडिट कार्ड के जरिए 148 बार में 19,92,123 रुपये डोनेट किए. जिससे साफ है कि डोनर की आइडेंटिटी और नेशनलिटी को छुपाया गया, जो एफसीआरए का उल्लंघन है.   *विदेशी फंड के लिए आप ने बनाया ओवरसीज संगठन* ईडी को जांच के दौरान पता चला कि आम आदमी पार्टी की तरफ से आप ओवरसीज इंडिया का गठन किया गया था. आम आदमी पार्टी ओवरसीज इंडिया को वॉलिंटियर्स यूएसए, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे अलग-अलग देश में चलाते थे. जिनका काम आम आदमी पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करना था. इस बात का भी खुलासा हुआ कि साल 2016 में इन वालंटियर्स को 50 करोड़ रुपए की डोनेशन इकट्ठी करने का टारगेट दिया गया था.    कनाडा नागरिकता के 19 मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी का इस्तेमाल करके 51 लाख 15 हजार 44 रुपये की फंडिंग प्राप्त की गई. ईडी जांच के दौरान पता चला कि इन कनाडा नेशनल के नाम और उनकी नागरिकता को छुपाने की कोशिश की गई, जिन्हें रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं किया गया. वहीं इस डोनेशन के बदले में अलग-अलग नाम लिख दिए गए और यह सब जानबूझकर फॉरेन नेशनल की नागरिकता को छुपाने के लिए किया गया, जो सीधा-सीधा एफसीआरए 2010 के कनेक्शन 3 और आरपीए के सेक्शन 298 का उल्लंघन है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 22, 2024

आप को कुचलने के लिए इन लोगों ने ऑपरेशन झाड़ू शुरू किया

नई दिल्ली, 19 मई 2024  (यूटीएन)। आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट के मामले में अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार की गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आम आदमी पार्टी के दफ्तर में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। दफ्तर में आप विधायक और पार्षद भी मौजूद रहे। इस दौरान केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इन लोगों ने ऑपरेशन झाड़ू शुरू किया है। ये आम आदमी पार्टी को कुचलने की कोशिश में हैं। हमारे नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है। आने वाले दिनों में आप का बैंक अकाउंट सीज किया जाएगा। इसके बाद हमारी पार्टी का ऑफिस खाली किया जाएगा।   केजीवाल ने कहा कि पिछले 2 साल से इन्होंने(भाजपा) हमारे नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। इन्होंने मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार कर लिया, कल मेरे PA तक को गिरफ्तार कर लिया। मैं प्रधानमंत्री को कहना चाहता हूं कि आप एक-एक करके गिरफ्तार कर रहे हैं, आज हम सब साथ ही आ रहे हैं आप गिरफ्तार कर लो, हम डरने वाले नहीं है। केजरीवाल ने कहा कि यह पार्टी एक विचार है। नेताओं को गिरफ्तार किया जा सकता है, लेकिन विचार को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।   प्रधानमंत्री एक नेता को गिरफ्तार करोगे, ऐसे में 100 नेता पैदा होंगे। केजरीवाल पर आरोप लगाते हैं वह भ्रष्टाचारी है, लेकिन जानता पूछ रही है शराब घोटाले का पैसा कहां है। लेकिन यहां कोई एक पैसा नहीं मिला। फर्जी केसों को बना रहे हैं। भाजपा ने कहा था कि केजरीवाल खलिस्तान बनाकर वहां का पीएम बनना चाहता है। यह किसी भी हद तक जा सकते हैं। आप लोग स्तर्क रहना। अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'उन्हें(भाजपा) लगता है कि वे इस तरह से आम आदमी पार्टी को खत्म कर देंगे, पार्टी का विनाश कर देंगे। मैं उन्हें कहना चाहता हूं कि ये आम आदमी पार्टी चंद लोगों की पार्टी नहीं है। ये 'आप' 140 करोड़ लोगों के सपनों की पार्टी है।   जिस तरह के काम हमने दिल्ली और पंजाब में किए हैं, 75 सालों में इस देश के लोगों ने कभी नहीं देखे। दिल्ली और पंजाब में हमने सरकारी स्कूल ठीक करने शुरू कर दिए, गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलने लगी। ये पीएम मोदी नहीं कर पा रहे तो उन्होंने तय किया कि इन्हें रोको और गिरफ्तार कर लो। अब हम महिलाओं को हजार-हजार रुपये देने जा रहे हैं। आप एक विचार है। इसके नेताओं को तो गिरफ्तार कर लोगे, इसके विचार को कैसे गिरफ्तार करोगे।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 19, 2024

संजीव पुरी सीआईआई के नए अध्यक्ष चुने गए

नई दिल्ली, 19 मई 2024  (यूटीएन)।  भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय परिषद ने आज आयोजित बैठक में वर्ष 2024-25 के लिए नए पदाधिकारियों का चुनाव किया। आईटीसी लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजीव पुरी ने 24-25 के लिए सीआईआई के अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया है। वे टीवीएस सप्लाई चेन सॉल्यूशंस के अध्यक्ष आर दिनेश से पदभार ग्रहण करेंगे। संजीव आईटीसी लिमिटेड के अध्यक्ष और एमडी हैं, जो एफएमसीजी, होटल, पेपरबोर्ड और पैकेजिंग, कृषि व्यवसाय और आईटी में कारोबार करने वाला एक समूह है। वह आईटीसी इन्फोटेक इंडिया लिमिटेड, यूके और यूएसए में इसकी सहायक कंपनियों और सूर्या नेपाल प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष भी हैं।   आईटीसी नेक्स्ट विजन का नेतृत्व करते हुए, संजीव ने भविष्य की तकनीक, जलवायु सकारात्मक, अभिनव और समावेशी उद्यम बनाने के लिए एक व्यापक रणनीति रीसेट की है। संजीव ने 2024 में बिजनेस टुडे द्वारा 'बेस्ट सीईओ अवार्ड', एशियन सेंटर फॉर कॉरपोरेट गवर्नेंस एंड सस्टेनेबिलिटी द्वारा 'ट्रांसफॉर्मेशनल लीडर अवार्ड 2022-23' सहित कई पुरस्कार जीते हैं। उन्हें एक्सचेंज4मीडिया द्वारा 'इम्पैक्ट पर्सन ऑफ द ईयर, 2020' से भी सम्मानित किया गया। उन्हें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर द्वारा 'वर्ष 2018 का प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार' प्रदान किया गया और एक्सआईएम विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया।   राजीव मेमानी ने वर्ष 24-25 के लिए सीआईआई के अध्यक्ष-पदनाम का पदभार संभाला तथा वे 25-26 के लिए सीआईआई के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे। वे अर्नस्ट एंड यंग के भारत क्षेत्र के अध्यक्ष हैं, जो एक अग्रणी वैश्विक पेशेवर सेवा संगठन है। वे अर्नस्ट एंड यंग के वैश्विक प्रबंधन निकाय के सदस्य भी हैं, तथा इसके वैश्विक उभरते बाजार समिति के अध्यक्ष भी हैं। राजीव बड़ी भारतीय कंपनियों, निजी इक्विटी फंडों और बहुराष्ट्रीय संगठनों के एक विश्वसनीय सलाहकार हैं, जो मुख्य रूप से उन्हें विश्वास निर्माण, विलय और अधिग्रहण, प्रौद्योगिकी और स्मार्ट पूंजी आवंटन रणनीतियों पर सलाह देते हैं।   आर मुकुंदन ने वर्ष 24-25 के लिए सीआईआई के उपाध्यक्ष का पदभार संभाला। आर मुकुंदन टाटा केमिकल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ हैं। वे आईआईटी रुड़की के एक प्रतिष्ठित पूर्व छात्र, भारतीय केमिकल सोसाइटी के फेलो और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र हैं। टाटा समूह के साथ अपने 33 वर्षों के करियर के दौरान मुकुंदन ने टाटा समूह के केमिकल, ऑटोमोटिव और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्रों में विभिन्न जिम्मेदारियाँ निभाई हैं। वे कई उद्योग मंचों और प्रभावशाली संगठनों में काम करते हैं। *सीआईआई के नए पदाधिकारी* * संजीव पुरी, अध्यक्ष * राजीव मेमानी, अध्यक्ष-पदनामित * आर मुकुंदन, उपाध्यक्ष .    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 19, 2024

चुनाव आयोग ने अब तक जब्त किए 8889 करोड़!

नई दिल्ली, 19 मई 2024  (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव 2024 के पांचवे चरण का चुनाव में 2 दिन बचे हैं. इस बीच चुनाव आयोग इलेक्शन के दौरान वोटरों को लुभाने के लिए होने वाले धनबल को रोकने के लिए सख्ती से निपट रहा है. इसी कड़ी में चुनाव आयोग ने आम चुनाव के दौरान अवैध धन, नशीले पदार्थों को जब्त करने का रिकॉर्ड बनाया है. आयोग ने बताया के अब तक चुनाव के समय जब्त की गई चीजों का आंकड़ा 8889 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जिसमें 45% जब्ती दवाओं की है. दरअसल, धनबल के खिलाफ चुनाव आयोग की कार्रवाई में 8889 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं. जिसमें चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव के समय जब्ती का आंकड़ा जल्द ही 9,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा. गौरतलब है कि 45 फीसदी जब्ती ड्रग्स और नशीले पदार्थों की है. जिन पर आयोग का विशेष ध्यान है.   *जब्त की गई चीजों में 45% नशीली दवाएं शामिल* चुनाव आयोग के मुताबिक, इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने लोकसभा चुनावों के प्रलोभन देने वालों पर सख्त से सख्त एक्शन ले रहा है. इस दौरान चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव अवैध धन, नशीले पदार्थ, फ्री बीज और बेशकीमती धातुओं को जब्त करने का रिकॉर्ड जब्ती की है. चुनाव आयोग ने इलेक्शन में काले धन और धनबल के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए आज 8889 करोड़ रुपए किए, जिसमें 45% जब्ती में नशीली दवाओं की मात्रा शामिल है.   *चुनाव आयोग करता रहेगा ऐसी कार्रवाई* चुनाव आयोग ने बताया कि लोकसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद से यानी पांचवे चरण का मतदान शुरू होने से पहले ही 8889 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं. गौरतलब है कि ये रकम 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान हुई कुल जब्ती से भी काफी ज्यादा है. आयोग के मुताबिक, स्थानीय लोग, आयकर, आयकर खुफिया निगरानी विभाग, कस्टम, आबकारी, लोकल पुलिस, पैरामिलेट्री फोर्स के अधिकारियों के सतर्क और तालमेल से ही चुनाव आयोग आगे भी ऐसी ही कार्रवाई सख्ती के साथ करता रहेगा.   *धनबल से होता है चुनाव प्रभावित* पिछले कुछ सालों में गुजरात, पंजाब, मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम में चुनावों के दौरान बड़ी मात्रा में जब्ती की गई है. आयोग ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पिछले महीने आम चुनाव की घोषणा करते हुए धन बल को एक प्रमुख चुनौती बताया था. उस दौरान चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार में राजनीतिक नेताओं की मदद करने वाले लगभग 106 सरकारी अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया गया है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 19, 2024