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○ लवकुश रामलीला: आकाश मार्ग में 200 फुट उंचाई से उडते हुए हनुमान जी लाये संजीवनी बूटी
○ झंडेवालान मंदिर: हरने वाली देवी माँ कालरात्रि जी की पूजा - अर्चना
○ सादगी और दरियादिली थी रतन टाटा की पहचान
○ सुबह की चाय, खाने की दाल से हवाई सफर तक, हर जगह है टाटा
○ स्थिरता सुधारों में कठोरता लाती है और विकास प्रक्रिया को बढ़ावा देती है: अमित शाह
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Breaking News
करंट की चपेट में आने से युवक की मौत, मुआवजे की मांग को लेकर ग्रामीणों ने किया एनएच 20 को जाम
गिरियक, 09 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। गिरियक थाना क्षेत्र के कालीबीघा गांव में करंट की चपेट में आने से युवक की मौत हो गई। मौत के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने मुआवजे की मांग को लेकर एनएच 20 को बख्तियारपुर रजौली मार्ग काली।बिगहा के समीप जाम कर दिया। मृतक की पहचान महेंद्र यादव के 35 वर्षीय पुत्र गया यादव उर्फ फुकनी यादव के रूप में की गई है। परिजनों ने बताया कि देर शाम वह मवेशी को लेकर घर लौट रहा था । इसी दौरान बारिश से बचने के लिए पेड़ के नीचे छिपा था। तभी अचानक पेड़ के ऊपर से गुजर रही तार के संपर्क में आने से पेड़ में करंट आ गया और इसकी चपेट में आने से मौके पर ही उसकी मौत हो गई । घटना की जानकारी मिलते ही परिवार में चीख पुकार मच गई। मृतक की तीन बेटी और दो पुत्र है। सड़क जाम की सूचना मिलते ही गिरियक थानाध्यक्ष मौके पर पहुंचकर आक्रोशित लोगों को समझाने बुझाने का प्रयास कर रहे हैं। स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |
admin
Oct 9, 2024
मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री पद तक... नरेंद्र मोदी के संवैधानिक पद पर 23 साल पूरे
नई दिल्ली, 07 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवैधानिक पद पर रहते हुए जनसेवा के 23 साल पूरे कर लिए. उन्होंने ही के दिन 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था. करीब 13 साल तक सफलतापूर्वक सीएम पद संभालने के बाद, पिछले 10 साल से ज्यादा समय से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इतने साल तक सत्ता के शीर्ष पदों पर रहने के बाद भी उनके ऊपर भ्रष्टाचार और घोटाले का एक भी आरोप नहीं लगा. उन्होंने जनता के बीच रहकर जनता के लिए काम किया. नरेंद्र मोदी के साथ जिन लोगों ने भी काम किया है, वो उनकी दूरदर्शी सोच की तारीफ करते हैं. अब वो देश को भी उसी दृष्टिकोण के साथ लगातार आगे बढ़ा रहे हैं. नरेंद्र मोदी अपने कई इंटरव्यू में कह चुके हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो गुजरात के मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन आज से ठीक 23 साल पहले 7 अक्टूबर 2001 को उन्होंने गुजरात की सत्ता संभाली. कुशल नेतृत्व के कारण गुजरात की जनता ने उन पर लगातार तीन बार भरोसा जताया. नरेंद्र मोदी यहीं नहीं रुके. अपनी कल्याणकारी योजनाओं और गुजरात मॉडल के दम पर उन्होंने 2014 में भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में जबरदस्त बहुमत से जीत दिलाई. केंद्र में सरकार का नेतृत्व करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में लगातार ऐसे बड़े फैसले हुए, जो उनकी उपलब्धियों को और आगे ले गए. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 का हटना, सीएए-एनआरसी लागू होना, तीन तलाक को असंवैधानिक बनाना और जीएसटी जैसे फैसले अहम हैं. इसके अलावा, पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक होना, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण उनके कार्यकाल की कुछ बड़ी उपलब्धियां हैं. अब नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए चुने गए हैं. ऐसे में चर्चा आम है कि वो देशहित में आगे और कई बड़े फैसले ले सकते हैं, जिनमें 'वन नेशन, वन इलेक्शन' भी शामिल है. 7 अक्टूबर 2001 से 2014 तक, वो लगातार चुनाव जीतकर गुजरात के मुख्यमंत्री बनते रहे. 2014 में लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री का पद छोड़कर देश के प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली. पार्टी के सदस्यों के बीच 'नमो' के नाम से पुकारे जाने वाले मोदी ने सालों तक भाजपा को गुजरात में एक मजबूत पार्टी के रूप में स्थापित करने के लिए मेहनत की. उस समय, गुजरात में कांग्रेस का दबदबा था और भाजपा की उपस्थिति बहुत कमजोर थी. 1984 में, गुजरात से भाजपा के केवल एक सांसद थे. मोदी की दूरदर्शिता, रणनीतिक योजना और कड़ी मेहनत ने बीजेपी को गुजरात में एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया. उनके नेतृत्व में, भाजपा ने न केवल कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्रों में जगह बनाई, बल्कि राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को भी पूरी तरह से बदल दिया. उन्होंने संगठनात्मक मजबूती के साथ पार्टी को उन क्षेत्रों में पैर जमाने में मदद की, जहां भाजपा का पहले कोई खास प्रभाव नहीं था. 1985 में जब आरएसएस ने नरेंद्र मोदी को भाजपा के साथ काम करने का निर्देश दिया, तब उनके राजनीतिक कौशल और दूरदर्शिता ने भाजपा को कांग्रेस के खिलाफ एक गंभीर चुनौती देने वाली पार्टी के रूप में उभरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बाद में पार्टी नेतृत्व ने नरेंद्र मोदी को राज्य का मुख्यमंत्री नियुक्त किया, और 7 अक्टूबर 2001 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने विकास के नए आयाम देखे, और उनकी यही नेतृत्व क्षमता बाद में उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनने तक लेकर गई. इस तरह, 23 साल पहले की ये घटना एक मील का पत्थर साबित हुई थी, जिसने भारत की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभावशाली नेतृत्व को स्थापित किया. भाजपा के कार्यकर्ताओं से लेकर तमाम दिग्गज नेता और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे प्रतिष्ठित व्यक्ति भी इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए उन्हें बधाई दे रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा- आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सार्वजनिक जीवन में मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के रूप में 23 वर्ष पूरे हुए हैं। एक व्यक्ति अपना पूरा जीवन राष्ट्रहित और जनसेवा को कैसे समर्पित कर सकता है, यह 23 वर्ष की साधना उस अद्वितीय समर्पण की प्रतीक है। यह 23 वर्षीय यात्रा, सामाजिक जीवन जीने वालों के लिए जीवंत प्रेरणा है। मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि मैं उनकी इस यात्रा का साक्षी रहा हूं. प्रधानमंत्री मोदी ने यह दिखाया कि कैसे गरीब कल्याण, विकास, देश की सुरक्षा व वैश्विक पहचान को मजबूती देने के कार्य समानांतर किए जा सकते हैं। उन्होंने समस्याओं को टुकड़ों में देखने की जगह, समग्र समाधान का विजन देश के सामने रखा। बिना रुके, बिना थके, बिना अपनी परवाह किये देश और देशवासियों के लिए समर्पित ऐसे राष्ट्रसाधक मोदी जी को सेवा और समर्पण के 23 वर्ष पूर्ण करने पर बधाई देता हूं। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में बिना थके. बिना रुके, बिना डिगे आपकी 23 वर्षों की लोक साधना में आस्था, अस्मिता, आधुनिकता, अंत्योदय और अर्थव्यवस्था को संरक्षण और संवर्धन मिलने के साथ ही हर स्तर पर वंचित को वरीयता हासिल हुई है. प्रधानमंत्री की प्रत्येक नीति और हर योजना ने वंचितों और गरीबों के समग्र उत्थान को नए आयाम प्रदान किए हैं. वे सच्चे अर्थों में आधुनिक भारत में 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' के वास्तुकार हैं. उनका जीवन लोकतंत्र की जीवंत पाठशाला है. प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में ‘नया भारत' आज वैश्विक महाशक्ति बनने के मार्ग पर सतत अग्रसर है. उत्तराखंड सीएम धामी ने कहा कि 23 सालों की इस समयावधि के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में उनके दृष्टिकोण और प्रधानमंत्री के रूप में जन कल्याणकारी निर्णयों से करोड़ों देशवासियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है. आपके सशक्त नेतृत्व में हमने न केवल आर्थिक विकास के नए आयाम देखे हैं अपितु सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में राष्ट्र ने नए सोपान गढ़े हैं. मुझे विश्वास है कि आपके दिखाए मार्ग पर चलते हुए हमारा देश 'विकसित राष्ट्र' की संकल्पना को अवश्य साकार करेगा. नरेंद्र मोदी के सार्वजनिक पद पर 23 साल पूरे होने पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि मोदी जी ने हमारे सामने मूल्य आधारित राजनीति का उदाहरण पेश किया है. मुझे लगता है कि सभी नेताओं को, चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ये सीखना चाहिए कि कैसे उन्होंने इन सभी वर्षों में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में स्वच्छ छवि के साथ काम किया. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Oct 7, 2024
दुखद: सड़क हादसों में रोजाना मर रहे 461 लोग पूर्व राष्ट्रपति-केंद्रीय मंत्री भी हुए शिकार
नई दिल्ली, 25 सितंबर 2024 (यूटीएन)। देश में सड़क हादसे थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। वजह, ओवर स्पीड हो या रोड इंजीनियरिंग का फॉल्ट, सड़क हादसों में रोजाना औसतन 461 व्यक्ति मारे जा रहे हैं। दो दिन पहले ही वैशाली से लोजपा (आर) की सांसद वीणा देवी के बेटे की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। यह पहला मामला नहीं है, जब किसी सियासतदान के परिवार का कोई व्यक्ति सड़क हादसे मारा गया है। यह फेहरिस्त बहुत लंबी है। इसमें पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, कद्दावर नेता, सांसद पुत्र और कई दूसरी नामचीन हस्तियां शामिल हैं। सड़क हादसों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या के मामले में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, चीन, जर्मनी और जापान सहित कई देशों को पीछे छोड़ दिया है। भारत में हर रोज औसतन 1263 सड़क हादसे हो रहे हैं। प्रतिवर्ष होने वाले सड़क हादसों की बात करें तो यह संख्या चार लाख के पार चली जाती है। 75 सौ रुपये के बॉन्ड व निबंध की सजा पिछले दिनों महाराष्ट्र में पुणे के कल्याणीनगर में हुई सड़क दुर्घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का जबरदस्त गुस्सा देखने को मिला था। ढाई करोड़ रुपये की महंगी कार से हुए सड़क हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी। कार को एक नाबालिग चला रहा था। उस वक्त आम लोगों का गुस्सा फूट पड़ा, जब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी को 75 सौ रुपये के बॉन्ड और सड़क सुरक्षा पर एक निबंध लिखने की सजा देते हुए जमानत दे दी थी। जब यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो आरोपी और उसके पिता पर कार्रवाई की गई। देश में नया मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद यह उम्मीद बंधी थी कि अब सड़क हादसों में कमी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। दूसरी तरफ अमेरिका में 365 दिन में 19 लाख सड़क हादसे हो जाते हैं, लेकिन उनमें मारे जाने वाले लोगों की संख्या 36560 रहती है। *विकसित देशों में भारत के मुकाबले कठोर कानून* पांच साल पहले लागू हुए नए मोटर वाहन अधिनियम के तहत चालान राशि में कई गुना बढ़ोतरी की गई थी। मकसद था, सड़क हादसों में कमी लाना। देश में प्रतिवर्ष 4 लाख से ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं। सड़क हादसों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या के मामले में भारत ने कई विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, चीन, जर्मनी और जापान सहित 19 देश शामिल हैं। सड़क हादसों को लेकर विकसित देशों में भारत के मुकाबले कानून कठोर हैं। साथ ही इन देशों में वाहन से लेकर रोड इंजीनियरिंग तक, इन सभी बातों पर गहराई से काम होता है। 2022 में मारे गए 1,68,491 लोग सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 'भारत में सड़क दुर्घटनाएं-2022' शीर्षक से जारी वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में 4,61,312 सड़क हादसे हुए थे। इन हादसों में 1,68,491 लोगों की जान गई थी, जबकि 4,43,366 लोग घायल हुए थे। पिछले वर्ष की तुलना में सड़क हादसों में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इन हादसों में होने वाली मौतों में 9.4 प्रतिशत और घायलों की संख्या में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एक्सप्रेस वे सहित राष्ट्रीय राजमार्गों पर 1,51,997 (32.9 प्रतिशत) सड़क हादसे हुए। राज्य मार्गों पर 1,06,682 (23.1 प्रतिशत) हादसे और अन्य मार्गों पर 2,02,633 (43.9 प्रतिशत) सड़क दुर्घटनाएं देखने को मिली। साल 2022 के दौरान सड़क हादसों के 66.5 प्रतिशत पीड़ितों की आयु 18 से 45 वर्ष के बीच थी। अधिकांश पीड़ित युवा थे। लगभग 68 प्रतिशत मौतें, ग्रामीण क्षेत्रों में हुईं थी, जबकि शहरी क्षेत्रों में 32 प्रतिशत मौतें हुईं। उत्तर प्रदेश में मारे गए 22,595 लोग 2022 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं, तमिलनाडु में दर्ज की गई हैं। इस प्रदेश में 64,105 सड़क हादसे हुए थे। इसके बाद मध्य प्रदेश का नंबर आता है। यहां 54,432 सड़क दुर्घटनाएं हुई। अगर सड़क-उपयोगकर्ता श्रेणी की बात करें तो 2022 में हुई मौतों में दुपहिया सवार सबसे ज्यादा रहे। यह प्रतिशत 44.5प्रतिशत था। इसके बाद पैदल यात्रियों का नंबर आता है। यह प्रतिशत 19.5 रहा है। सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों की सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश में रही है। इस राज्य में 22,595 लोगों की सड़क हादसों में मौत हो गई। तमिलनाडु में यह आंकड़ा 17,884 रहा है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2021 के दौरान हुए 412432 सड़क हादसों में 153972 लोग मारे गए थे। इसके अलावा 384448 लोग घायल हुए थे। *पूर्व राष्ट्रपति सहित इन नेताओं ने गंवाई जान ...* पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता राजेश पायलट और केंद्रीय मंत्री रहे गोपीनाथ मुंडे भी सड़क हादसे का शिकार हुए थे। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा भी सड़क हादसे में मारे गए थे। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री का निधन एक सड़क हादसे में हुआ। राजस्थान में बाड़मेर से पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह की पत्नी चित्रा सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई। हादसे में खुद मानवेंद्र सिंह, उनका बेटा और ड्राइवर घायल हो गया था। लोजपा के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद सूरज भान के बेटे की मौत भी रोड एक्सीडेंट में हुई। यूपी के इलाहाबाद में लोजपा के तत्कालीन सांसद और बाहुबली नेता राम किशोर उर्फ रामा सिंह के बेटे राजीव कुमार सिंह उर्फ राहुल की मौत रोड एक्सीडेंट में हो जाती है। *नए कानून लागू, मगर सड़क हादसों में कमी नहीं ...* देश में सितंबर 2019 से लागू हुए नए मोटर वाहन अधिनियम में चालान राशि में कई गुना इजाफा किया गया था। इसके बाद उम्मीद बंधी थी कि अब वाहन चालक संभल कर चलेंगे और सड़क हादसों में कमी आ जाएगी। हालांकि व्यवहार में ऐसा कुछ नहीं हो सका। सड़क सुरक्षा पर काम कर रहे 'सेव लाइफ फाउंडेशन' के अध्यक्ष पीयूष तिवारी कहते हैं, सड़क हादसे होने की कई वजह होती हैं। इसमें यह प्वाइंट भी बहुत अहम है कि देश में यातायात के नियमों को लेकर लोगों का व्यवहार क्या है। रिसर्च बताती है कि सड़क हादसे के लिए जिम्मेदार कारणों में 25 प्रतिशत हिस्सा, चालकों के यातायात व्यवहार से जुड़ा होता है। इसके बाद सड़क इंजीनियरिंग का नंबर आता है। *वाहन सेफ्टी भी एक अहम प्वाइंट* इस तरह के हादसों में रोड इंजीनियरिंग भी जिम्मेदार होती है। इसमें रोड की बनावट कैसी है, टर्न किस तरह बने हैं, सरफेस कैसा है, आदि बातें देखी जाती हैं। वाहन की सेफ्टी का स्टैंडर्ड क्या है, ये भी समझना जरुरी है। ओवरआल एनवायरनमेंट कैसा है, ये भी देखना है। जुर्माना राशि बढ़ने से भी हादसे नहीं थम रहे हैं अभी राज्यों में चालान का प्रतिशत 35 है। इसकी भी रिक्वरी नहीं हो पा रही। रिक्वरी का प्रतिशत बेहद कम है। ऐसे यातायात उल्लंघन, जिनमें उसी वक्त चालान इश्यू कर सकते हैं, उसका प्रावधान भी बहुत कम है। इस सिस्टम का वाहन और सारथी के साथ जुड़ाव नहीं हुआ है। ये तय है कि चालान राशि की रिक्वरी जैसे बढ़ेगी तो चालकों के व्यवहार में बदलाव आएगा। रोड इंजीनियरिंग की कमियां दूर करने के लिए जिला/राज्य स्तर पर एक स्टेंडिंग कमेटी गठित की जाए। वह लगातार इस काम पर नजर रखे। हर माह समीक्षा हो। *भारत में स्पीड बढ़ी तो हादसों की भयावहता भी बढ़ी* हमारे देश में वाहनों की रफ्तार बढ़ रही है। इसके साथ ही हादसों की भयावहता में भी वृद्धि हो रही है। देश में इमरजेंसी केयर जैसी सुविधाओं में सुधार की बहुत ज्यादा जरुरत है। पहले सड़क हादसों में चोट गंभीर नहीं होती थी, लेकिन अस्पताल तक पहुंचने में देरी की वजह से मौत हो जाती थी। अब चोट ज्यादा गंभीर हो गई है। ऐसे में जान बचाना एक बड़ी चुनौती है। अस्पतालों में जान बचाने की पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। सरकार को ट्रॉमा केयर पर फोकस करना होगा। सड़क हादसे तो हर देश में होते हैं, लेकिन मौते उतनी नहीं होती। अमेरिका में भारत से कई गुणा ज्यादा हादसे होते हैं, लेकिन मौत एक चौथाई भी नहीं होती। *यह है भारत सहित कई देशों में हादसों की स्थिति* भारत में 2020 के दौरान 432957 सड़क हादसे हुए थे। इनमें 151417 लोग मारे गए थे। चीन में 244937 हादसों में 63194 लोग मारे गए। रूसी फेडरेशन में 168099 सड़क हादसे हुए थे, जिनमें 18214 लोग मारे गए। दक्षिण अफ्रीका में 146773 सड़क हादसे हुए। इनमें 14500 लोगों की मौत हो गई। इरान में हुए 337891 सड़क हादसों में 16540 लोग मारे गए। तुर्की में 186532 सड़क हादसों में 6675 लोगों की मौत हुई। अमेरिका में 1927654 सड़क हादसे हुए थे, जिनमें 36560 लोगों की मौत हुई। जर्मनी में 308721 सड़क हादसे हुए। इनमें 3275 लोग मारे गए। जापान में 430601 सड़क हादसे हुए थे, जिनमें 4166 लोगों की जान चली गई। *इस वजह से बढ़ी सड़क हादसों की रफ्तार ...* साल 2021 के दौरान हुए सड़क हादसों में 133025 (86.4 प्रतिशत) पुरुष और 20947 (13.6 प्रतिशत) महिलाओं की जान गई है। दुपहिया वाहन पर बिना हेलमेट वाले 46593 (30.6 प्रतिशत) चालक सड़क हादसों का शिकार हुए हैं। ऐसे 16397 कार सवार, जिन्होंने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी, सड़क हादसों में मारे गए। ओवरलोड वाहनों की वजह से जो हादसे हुए, उनमें 11011 लोग मारे गए। हिट एंड रन के 57415 केस हुए थे, जिनमें 25938 लोगों की मौत हो गई और 45355 लोग घायल हुए। कुल सड़क हादसों में से 13.7 प्रतिशत घटनाएं ऐसी थी, जिनमें वाहन चालक के पास वैद्य लाइसेंस नहीं था। कुछ चालक ऐसे भी थे, जिनके पास लर्नर लाइसेंस था। 2021 में सड़क पर बने गड्ढों के चलते 1481 हादसे हुए हैं। ऐसे वाहन जो दस साल पुराने हैं, उनका भी सड़क हादसों में 25.8 प्रतिशत हिस्सा रहा है।शहरी क्षेत्रों में हुए सड़क हादसों में 47235 लोग मारे गए, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 106737 लोगों की जान गई है। *नए एक्ट में था भारी जुर्माने का प्रावधान* संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में अगर शराब पीकर ड्राइविंग करने का मामला साबित होता है, तो चालक पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगता है। एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पीसीआर का रास्ता रोकने पर भी 10 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। बिना हेलमेट पकड़े जाने पर तीन माह के लिए लाइसेंस सस्पेंड होता है। ओवर स्पीड और बिना बीमा पॉलिसी के गाड़ी चलाने पर भी दो हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। नाबालिग, गाड़ी चलाता हुआ पकड़ा गया, तो वाहन मालिक और अभिभावक, दोनों को कसूरवार ठहराया जाता है। इसमें तीन साल की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है। गाड़ी का रजिस्ट्रेशन रद्द होने का भी प्रावधान है। ट्रैफिक सिग्नल के उल्लंघन पर 500 रुपये जुर्माना होगा। दोबारा यह उल्लंघन होने पर जुर्माना राशि दो हजार रुपये तक पहुंच सकती है। हिट एंड रन केस में पीड़ित परिवारों को दो लाख रुपये तक की मदद देने का प्रावधान किया गया है। बिना सीट बेल्ट के वाहन चलाना, यह जुर्माना भी 100 रुपये से बढ़ा कर 1000 रुपये कर दिया गया है। ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन पर बात करना, इस उल्लंघन पर 5000 रुपये जुर्माना देना पड़ता है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Sep 25, 2024
दिल्ली सरकार का 'युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध' अभियान शुरू
नई दिल्ली, 25 सितंबर 2024 (यूटीएन)। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सरकार ने विंटर एक्शन प्लान तैयार किया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, 'एनसीआर के राज्यों में बढ़ने वाले प्रदूषण स्तर का प्रभाव दिल्ली पर पड़ता है। प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए केंद्र सरकार की भी जरूरत हमें पड़ती है। उन्होंने आगे कहा कि जब सभी एजेंसियां और सरकारें मिलकर काम करेंगी, तभी प्रभावी तरीके से प्रदूषण से लड़ा जा सकता है। इसीलिए हमारी सरकार 'मिलकर चलें, प्रदूषण से लड़ें' थीम पर चलकर हमारी सरकार विंटर एक्शन प्लान पर काम करेगी। हमारे सामूहिक प्रयासों का परिणाम है कि दिल्ली में लगातार प्रदूषण का स्तर कम हो रहा है। गोपाल राय ने बताया कि सर्दियों में प्रदूषण स्तर नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार आज से 'युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध' अभियान शुरू कर रही है। इस साल अभियान का थीम होगा, “मिलकर चलें, प्रदूषण से लड़ें”। *दिल्ली में 7 अक्तूबर से धूल विरोधी अभियान शुरू* गोपाल राय ने बताया, 'इस बार हमने 21 सूत्री विंटर एक्शन प्लान बनाया है जिसके आधार पर हम काम करना शुरू करेंगे। दिल्ली में पहली बार हॉट स्पॉट की ड्रोन से निगरानी कराने का फैसला लिया गया है। इससे प्रदूषण के कारण का वास्तविक समय में पता लगाया जा सकेगा। धूल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली में 7 अक्तूबर से धूल विरोधी अभियान शुरू होगा। *85 रोड स्वीपिंग मशीनें लगाई जा रही* गोपाल राय ने कहा कि प्राइवेट और सरकारी सभी एजेंसियों के पास 7 अक्टूबर तक का समय है। अगर वे तब तक मापदंडों पर खरे नहीं उतरे तो उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो जाएगी। इसके लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। 500 मीटर से अधिक के सभी निर्माण स्थलों को पोर्टल पर पंजीकृत कराना होगा। 85 रोड स्वीपिंग मशीनें लगाई जा रही हैं, 500 पानी छिड़कने वाली मशीनें भी इस्तेमाल की जा रही हैं। इस बार 200 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन लॉन्च की जाएंगी। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Sep 25, 2024
देश में जन्मे 17 शावकों में से 12 सुरक्षित, भारत ने दुनिया को चौंकाया
नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। भारत में नए सिरे से चीतों की मौजूदगी को भले ही अभी सिर्फ दो साल हुए हैं लेकिन इस अवधि में देश ने चीतों के संरक्षण में ऐसी सफलता हासिल की है, जिससे न सिर्फ चीते देने वाले नामीबिया व दक्षिण अफ्रीका जैसे देश अचंभित हैं बल्कि दुनिया भर के वन्य विशेषज्ञ भी भौंचक्के हैं। यह सफलता देश में जन्मे 70 प्रतिशत से अधिक चीता शावकों को बचाने की है। *चीता प्रोजेक्ट को शुरुआत में कई बड़े झटके लगे*यह स्थिति तब है जब पूरी दुनिया में चीता शावकों की मृत्यु दर सबसे अधिक है। यानी जन्म लेने वाले सौ शावकों में से सिर्फ दस ही जीवित बचते हैं। इन दो सालों में देश में कुल 17 शावकों ने जन्म लिया जिनमें से 12 सुरक्षित हैं।चीता प्रोजेक्ट को शुरुआत में कई बड़े झटके लगे। एक-एक कर कई चीतों और शावकों की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई। इसके पीछे बड़ी वजह चीतों के रखरखाव को लेकर देश के पास अनुभव और शोध दोनों की कमी थी। भारतीय वन्यजीव संस्थानों व विशेषज्ञों ने इसे चुनौती के रूप में लिया। *चीतों के संरक्षण को लेकर रुचि दिखाई*चीता प्रोजेक्ट के दो साल पूरे होने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर जारी रिपोर्ट के मुताबिक जिस तरह से चीतों के संरक्षण को लेकर रुचि दिखाई गई उससे साफ है कि चीतों के संरक्षण में भी भारत महारत हासिल कर लेगा। *चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत सितंबर 2022 में हुई*रिपोर्ट के मुताबिक प्रोजेक्ट के दो साल के अनुभव के आधार पर अब चीतों के रखने वाले दूसरे ठिकानों को तैयार किया जा रहा है। दूसरे ठिकाने के रूप में तैयार हो रहे मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य में उन सभी बातों को ध्यान में रखा जा रहा है जिन पर कूनो में नहीं रखा गया था। देश में चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ चीते लाकर की गई थी। बाद में 12 चीतों की एक खेप फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाई गई थी। *भारत की सरजमीं पर जन्मे कई शावक हुए वयस्क*नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में से अब तक आठ चीतों की मौत भले चीता प्रोजेक्ट के लिए बड़ा झटका रहा है लेकिन दूसरी तरफ भारतीय जमीं पर जन्मे शावकों की अठखेलियां पूरे प्रोजेक्ट में एक नई रोशनी भी भर रही है। जिनकी संख्या मौजूदा समय में 12 है। इनमें से कई शावक तो अब वयस्क होने के करीब है। *मादा शावक डेढ़ साल में व्यस्क हो जाते है*वैसे भी चीता का नर शावक करीब एक साल में और मादा शावक डेढ़ साल में वयस्क हो जाते है। इन चीता शावकों को प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की उम्मीद के तौर पर भी देखा जा रहा है क्योंकि इन सभी के सामने नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों की तरह जलवायु अनुकूलता नहीं होने जैसी चुनौती का कोई खतरा नहीं है। वह यहां की जलवायु में पूरी तरह से रचे-बसे होने के साथ-साथ तेजी से बढ़ भी रहे है।केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और चीता प्रोजेक्ट से जुडे अधिकारियों की मानें तो चीता शावकों की इस प्रगति से न सिर्फ देश में इन्हें बसाने के प्रोजेक्ट को रोशनी मिल रही है, बल्कि दुनिया भर में इन वन्यजीवों को एक जगह से दूसरी जगह पर बसाने की उम्मीदें भी रोशन हो रही है। *पांच शावक अकेले मादा चीता ज्वाला के*मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में बसाए गए इन चीतों में मौजूदा समय में जो 12 शावक है, उनमें से आठ शावक नामीबिया से लाए गए दो मादा चीतों के है। इनमें पांच शावक अकेले मादा चीता ज्वाला के है, जबकि तीन मादा चीता आशा के हैं। वहीं दक्षिण अफ्रीका से लाए 12 चीतों में से मादा चीता गामिनी ने चार बच्चों को जन्म देकर इस प्रोजेक्ट में एक और नई खुशहाली लायी है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Sep 22, 2024
8 हाई कोर्ट को मिले नए चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के एक दिन बाद केंद्र सरकार ने की नियुक्ति
नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों को मानते हुए आठ हाई कोर्ट के लिए चीफ जस्टिस के नामों पर मुहर लगा दी है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्तियों में देरी पर सफाई मांगने के एक दिन बाद ही आया है। खास बात यह है कि झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति भी कर दी गई है, जिसके लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना का केस दायर किया था। राष्ट्रपति ने दिल्ली, मध्य प्रदेश, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, केरल, मद्रास, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख और झारखंड के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। *केंद्र सरकार ने किया त्वरित फैसला*सरकार के इस त्वरित फैसले से न्यायपालिका में नियुक्तियों के मुद्दे पर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच मतभेद बढ़ने की आशंका कम हो गई है। पिछले साल इसी मुद्दे पर न्यायिक कार्यवाही के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा कानून का पालन न करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम व्यवस्था देश का कानून है और केंद्र सरकार को इसका पालन करना ही होगा। अगर कॉलेजियम किसी नाम को दोबारा भेजता है तो सरकार के पास उसे स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। *किसे कहां बनाया गया चीफ जस्टिस?*सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है। दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस राजीव शकधर को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट के एक और जज जस्टिस सुरेश कैत मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का पदभार संभालेंगे। कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस इंद्र प्रसन्न मुखर्जी को मेघालय हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस नितिन मधुकर जमदार केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ताशी रबस्तान को उसी हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस श्रीराम कल्पाथी राजेंद्रन को मद्रास हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस और हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस एम एस रामचंद्रन राव को झारखंड हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया है। *सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछी थी देरी की वजह*शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह बताने को कहा था कि जजों के पदों के लिए सिफारिश किए गए कुछ नाम लंबित क्यों हैं और किस स्तर पर अटके हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल भी कुछ मुद्दे उठाए थे जिनका अभी तक समाधान नहीं हुआ है। इनमें कुछ हाई कोर्ट जजों का तबादला और हाई कोर्ट जजों के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गए नामों को मंजूरी देना शामिल है। नियुक्तियों में देरी और कॉलेजियम की सिफारिशों में से चुनिंदा नामों को मंजूरी देने की केंद्र की नीति भी दोनों संस्थाओं के बीच विवाद का एक बड़ा कारण है। कोर्ट ने अपनी न्यायिक कार्यवाही में बार-बार इस मुद्दे को उठाया है। *जजों की नियुक्ति के लिए क्या है गाइडलाइन*सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में जजों की समयबद्ध नियुक्ति के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए थे और इस प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों के लिए फैसला लेने की समय सीमा तय की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को हाई कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश केंद्र को भेजे जाने की तारीख से 4-6 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट/राय सौंप देनी चाहिए। केंद्र को राज्य सरकार और IB रिपोर्ट मिलने के 8-12 सप्ताह के भीतर फाइल सुप्रीम कोर्ट को भेज देनी चाहिए। इसके बाद सीजेआई को चार सप्ताह के भीतर कानून मंत्री को सिफारिशें/सलाह भेजनी होगी। केंद्र सरकार को तुरंत नियुक्ति करनी होगी या फिर पुनर्विचार के लिए सिफारिश वापस भेजनी होगी। अगर नामों को दोबारा भेजा जाता है तो 3-4 सप्ताह के भीतर नियुक्ति कर देनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया था कि सरकार कानून पारित करके एक नई प्रणाली ला सकती है लेकिन साथ ही कहा था कि कोई भी प्रणाली परफेक्ट नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा था कि नियुक्ति में देरी की मौजूदा स्थिति ठीक नहीं है और इससे मेधावी वकील जज बनने से हिचकिचाते हैं। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Sep 22, 2024
वोट देने से पहले पिछली सरकार से 10 वर्षों के कार्य का हिसाब जरूर मांगे-चन्द्रमोहन
पंचकूला,22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चन्द्रमोहन लोगों ने जनसभा के दौरान लोगों को कहा कि वोट देने से पहले वह सरकार के पिछले 10 वषों के काम को जरूर देखें। भाजपा सरकार से उन्हें द्वारा किए कार्यों का हिसाब किताब जरूर मांगे। भाजपा ने झूठे वादे कर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ किया है। भाजपा विधायक के साथ सरोकार कितने पूरे हुए यह पंचकूला की जनता के सामने है। चंद्रमोहन ने कहा कि उनसे पंचकूला में विकास कार्यों पर किए गए करोड़ों का हिसाब जरूर मांगे , कि यदि इतने रूपए खर्च हुए हैं तो विकास में नाम पर पंचकूला में कुछ भी दिखाई नहीं देता। भाजपा के पास इसका कोई जवाब नहीं है। भाजपा लगातार जनता में अपना विश्वास खो रही है। जनता बेसर्बी से 5 अक्टूबर मतदान के दिन का इंतजार कर रही है ताकि भाजपा को सबक सिखा सके। इसके साथ सेक्टर 19 के पूर्व पार्षद रमेश सिंह बर्तवाल, बरवाला से 40 साल से भाजपा के साथ जुड़े वरिष्ठ नेता विनोद कुमार बंसल तथा उनके पुत्र भूपेश बंसल पूर्व मंत्री किसान मोर्चा बरवाला, भरोली के सरपंच अमन राणा ने भाजपा से अपना सालों पुराना नाता तोड़ कांग्रेस से जुड़े। सेक्टर 10 से गुरप्रीत सिंह, गुरप्रीत सिंह बाजवा, साहिल सिंह, प्रिंस, सनीष गुर्जर, आयुष गुर्जर, सूरज हर्ष शर्मा, मनीष गुर्जर, सुखविन्द्र सिंह, भजन सिंह, प्रथम सिंह, निषू कुमार, बिट्टू, करन शाह, विकास यादव, राहुल, प्रदीप, परमिन्द्र, संजू तथा धर्मपाल मलिक तथा विनोद कुमार, महिनद्र शास्त्री, ऋषि अरोड़ा, दिपांषु, बलविन्द्र, रवि प्रकाष, सार्थक गिल, विक्रम, बरूण सरोता, शुभम, धून सिंह, वरिन्द्र हुड्डा, उर्मिला देवी, नीतू, सिमरन कौ, कुसुम अग्रवाल, तृप्ति खट्टर, रेखा खट्टर, सुष्मा देवी, सुनीता हुड्डा नैन भी कांग्रेस में शामिल हुए। चन्द्रमोहन की जनसभा व चुनाव प्रचार के दौरान पंचकूला ब्राह्यण समाज के प्रतिनिधियों राजेन्द्र शर्मा, जितेंद्र शर्मा, सीता राम शर्मा, वीरेश शाण्डिल, नवीन शर्मा मिंकू, विजय शर्मा, सतीश शर्मा व शशी शर्मा ने कांग्रेस प्रत्याषी चन्द्रमोंहन का समर्थन करते हुए कांग्रेस को भारी बहुमत से विजयी दिलाने का भरोसा दिलाया। पंचकूला विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी चंद्र मोहन को पंचकूला व आस पास के क्षेत्रों से भारी समर्थन मिल रहा है। इसे देखते हुए लगता है कि इन विधान सभा चुनावों में भाजपा को बहुत करारी हार का सामना करना पड़ेगा। 22 सितम्बर को चन्द्रमोहन ने पंचकूला सेक्टर 17, बरवाला, सेक्टर 27, सेक्टर 10, सेक्टर 9, सेक्टर 21, सेक्टर 15, सेक्टर 25, चंडीकोटला, खड़ग मंगेली, सेक्टर 14, में एक के बाद एक कई जनसभाएं की। वहीं उनकी पत्नी सीमा ने सेक्टर 18, सेक्टर 21, राजीव कालोनी, सेक्टर 8 तथा सेक्टर 10 में तथा पुत्र सिद्धार्थ ने बरवाला, माणकया, सेक्टर 26, सेक्टर 28 में जनसभा तथा चुनाव प्रचार किया। हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।
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Sep 22, 2024
अमेरिका ने लौटाई भारत की 297 प्राचीन धरोहर
नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान 297 प्राचीन वस्तुएं (कलाकृतियां) भारत को सौंपी है। देश की संस्कृति के बारे में जानकारी देने वाली इन प्राचीन वस्तुओं को तस्करी कर देश से बाहर ले जाया गया था। एक बयान में बताया गया है कि 2014 से अब तक पिछले दस वर्षों में भारत को कुल 640 प्राचीन वस्तुएं वापस मिली हैं, जिसमें से अकेले अमेरिका ने 578 वस्तुएं लौटाई हैं। यह किसी देश द्वारा भारत को लौटायी गई सबसे अधिक सांस्कृतिक कलाकृतियां हैं। *पीएम ने ट्वीट कर दी जानकारी*प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए इन 297 अमूल्य कलाकृतियों को लौटाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का धन्यवाद किया है। पीएम ने कुछ तस्वीरें भी पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘सांस्कृतिक जुड़ाव को गहराते और सांस्कृतिक संपत्तियों की अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करते हुए। मैं भारत को 297 अमूल्य कलाकृतियां लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन और अमेरिकी सरकार का अत्यधिक आभारी हूं। *राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद*अधिकारियों का कहना है कि पीएम ने इन प्राचीन वस्तुओं को लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ये वस्तुएं न केवल भारत की ऐतिहासिक संस्कृति का हिस्सा हैं बल्कि इसकी सभ्यता और चेतना का आंतरिक आधार भी हैं। इस उपलब्धि को भारत द्वारा अपनी सांस्कृतिक विरासत को कायम रखने के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका के अलावा दूसरे कई देशों ने भी भारत को प्राचीन वस्तुएं वापस की है, जिसमें 16 कलाकृतियां ब्रिटेन से, 40 ऑस्ट्रेलिया और अन्य जगहों से वापस की गई हैं। वहीं 2004-2013 के बीच भारत को केवल एक कलाकृति वापस की गई थी। *10-11वीं शताब्दी ईसा पूर्व की कलाकृतियां*भारत को लौटाई गई कुछ विशेष कलाकृतियों में 10-11वीं शताब्दी ईसा पूर्व की मध्य भारत की बलुआ पत्थर से निर्मित एक ‘अप्सरा’, तीसरी-चौथी शताब्दी ईसा पूर्व का पूर्वी भारत का टेराकोटा का एक फूलदान तथा पहली शताब्दी ईसा पूर्व की दक्षिण भारत की पत्थर की एक मूर्ति शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि पीएम मोदी की 2021 में अमेरिकी यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार ने 157 कलाकृतियां लौटाई थी, जिसमें 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व की नटराज की कांसे की प्रतिमा शामिल थी। 2023 में पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के कुछ दिन बाद भारत को 105 कलाकृतियां लौटाई गई थी। *प्राचीन वस्तुएं तस्करी के जरिये गई थीं बाहर*सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी एक पुराना मुद्दा है जिसने पूरे इतिहास में कई संस्कृतियों और देशों को प्रभावित किया है। भारत इस मुद्दे से विशेष रूप से प्रभावित हुआ है और बड़ी संख्या में प्राचीन वस्तुएं तस्करी कर देश से बाहर ले जाई गई हैं। जुलाई 2024 में दिल्ली में 46वीं विश्व धरोहर समिति के अवसर पर भारत और अमेरिका ने भारत से अमेरिका में कलाकृतियों की तस्करी को रोकने और उस पर अंकुश लगाने के लिए पहले 'सांस्कृतिक संपत्ति समझौते' पर हस्ताक्षर किए थे।*महत्वपूर्ण कलाकृतियों की वापसी*अधिकारियों का कहना है कि ऐसे में यह शानदार उपलब्धि भारत के चुराए गए खजाने को प्राप्त करने और भावी पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के संकल्प को दर्शाती है। वैश्विक नेताओं के साथ पीएम मोदी के व्यक्तिगत संबंधों की वजह से ये काफी हद तक मुमकिन हुआ है। ये भारत के लिए हर्ष का विषय है कि उसकी सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी प्रतिष्ठित मूर्तियों और महत्वपूर्ण कलाकृतियों की वापसी हो रही है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Sep 22, 2024
आपकी थाली तक पहुंच रहा जानवरों की चर्बी वाला खाना, अब तक भनक भी नहीं लगी
नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। अब आशीर्वाद, आस्था, शुद्धता, भरोसा सबकुछ झूठ है, क्योंकि प्रसाद के नाम पर महापाप किया जा रहा था. तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा था. ये महापाप है, लेकिन ये हो रहा था और शायद आगे भी होता रहता, अगर प्रसाद का लैब टेस्ट नहीं किया जाता. जब लैब टेस्ट हुआ तो चौंकाने वाली बातें सामने आई. रिपोर्ट के मुताबिक, तिरुपति मंदिर के प्रसाद में सूअर की चर्बी, बीफ और मछली के तेल के मिले होने की पुष्टि हुई. प्रसाद में इतने बड़े मिलावट का जैसे ही खुलासा हुआ. लोगों की आस्था के साथ हो रहे इतने बड़े खिलवाड़ के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन होने लगा है. राजनीति आरोप-प्रत्यारोप लगने लगे और केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश सरकार से इसपर रिपोर्ट मांगी. *आपकी थाली तक पहुंच रहा जानवरों की चर्बी वाला खाना* इसके बाद सवाल उठने लगा है कि क्या हम जो घी घर में पूजा के लिए ला रहे हैं. जिसका इस्तेमाल करके खाना बना रहे हैं क्या वो शुद्ध है? या घर-घर जानवर की चर्बी वाला घी पहुंच चुका है. आपके घर में जो घी आ रहा है वो कितना शुद्ध है और उसकी शुद्धता की कैसे जांच करें. आपकी ताली तक जानवरों की चर्बी वाला खाना पहुंच चुका है और आपको भनक तक नहीं लगी होगी. जानवरों की चर्बी घी के अलावा मार्केट में मिलने वाली मिठाइयों में भी हो सकता है. *कैसे करें नकली घी की पहचान?* आपका घी मिलावटी है अगर हथेली पर रखने के बाद ना पिघले. पानी में डालने पर नीचे बैठ जाए. हथेली पर रगड़ने पर खुशबू चली जाए. गर्म करने के बाद रंग बदल जाए. नकली घी देर से पिघलेगा और पीला रहेगा. आयोडीन मिलाने पर रंग बैंगनी हो जाए. अगर घी दानेदार ना हो तो नकली है. अगर आप भी मार्केट से घी खरीद रहे हैं तो तुरंत सावधान हो जाएं. *नकली घी में क्या-क्या मिलावट ?* एनिमल फैट खराब तेल डालडा बिघला बटर हाइड्रोजेनेटेड तेल मसला हुआ आलू शकरकंद नारियल ऑयल *नकली घी से क्या नुकसान?* 1- हार्ट अटैक की समस्या 2- हाई रक्त चाप हो सकती है 3- लिवर खराब हो सकता है 4- गर्भपात की हो सकता है 5- दिमाग में सूजन की समस्या 6- अपच और गैस की समस्या 7- कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है *कैसे जांचें शुद्ध घी?* *नमक की मदद से:* बर्तन में एक चम्मच घी लें. आधा चम्मच नमक मिलाएं. हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाएं और 20 मिनट के लिए छोड़ दें. अगर घी नकली होगा तो घी का रंग बदल जाएगा. *पानी की मदद से:* एक ग्लास पानी लें. उसमें एक चम्मच घी डालें. घी ऊपर तैरने लगे तो असली है और अगर पानी में डूब जाए तो घी नकली है. *हथेली पर रखकर:* थोड़ा सा घी हथेली पर रखें. असली घी पिघलने लगे तो समझ जाएं कि आपका घी असली है. और हथेली पर रखने के बाद घी जस का तस रहे तो फिर ये नकली है. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Sep 22, 2024
जंतर मंतर से अरविंद केजरीवाल ने भागवत से पूछे 5 सवाल
नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जंतर मंतर पर 'जनता की अदालत' को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी और केंद्र की एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा. अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी 5 सवाल पूछे. उन्होंने पूछा कि जिस तरह से पीएम मोदी सीबीआई का डर दिखाकर सरकारें गिरा रहे हैं क्या आर एस एस उससे सहमत है? ** अरविंद केजरीवाल ने संघ प्रमुख से पूछे ये 5 सवाल- 1- जिस तरह मोदी जी ईडी सीबीआई का डर दिखाकर सरकारें गिरा रहे हैं क्या RSS उससे सहमत है?2- मोदी जी ने सबसे भ्रष्ट नेताओं को भाजपा में शामिल कराया. क्या आर एस एस मोदी जी से सहमत है?3- जेपी नड्डा के बयान से आर एस एस दुखी हुआ या नहीं?4- 75 साल वाला रूल मोदी जी पर लागू होगा या नहीं?5- बीजेपी आरएसएस की कोख से पैदा हुई है. कहा जाता है कि ये देखना आर एस एस की जिम्मेदारी है कि भाजपा पथभ्रष्ट न हो. क्या आप आज की बीजेपी के कदमों से सहमत हैंय़ क्या आपने कभी मोदी जी से ये सब न करने के लिए कहा ? *हमने ईमानदारी से चुनाव लड़कर दिखाया*आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, अन्ना आंदोलन 4 अप्रेल 2011 को जंतर मंतर से शुरू हुआ था. तब सरकार ने हमें चैलेंज किया था चुनाव लड़कर दिखाओ, जीतकर दिखाओ. हम भी चुनाव लड़ लिये. देश के अंदर साबित कर दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़ा जा सकता है और ईमानदारी से चुनाव जीता भी जा सकता है. हमने सरकार चलाई. बिजली पानी फ्री कर दिया. बसों में महिलाओं का सफर फ्री कर दिया. इलाज फ्री कर दिया. शानदार अस्पताल और स्कूल बना दिए. ये देखकर मोदी जी घबरा गए और हमारे ऊपर झूठे आरोप लगा दिये और जेल भेज दिया. केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति घोटाले का जिक्र करते हुए कहा, वकीलों ने कहा कि यह केस दस साल भी चल सकता है. मैं इस दाग के साथ नहीं जी सकता. इसलिए सोचा कि जनता की अदालत में जाऊंगा. अगर मैं बेईमान होता तो बिजली फ्री करने के तीन हजार करोड़ खा जाता, महिलाओं के किराया फ्री नहीं करता, बच्चों के लिए स्कूल नहीं बनवाता. दरअसल, अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से इस केस में जमानत मिली है, इसके बाद उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Sep 22, 2024