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केजरीवाल से गठबंधन और कन्हैया कुमार और उदित राज को टिकट देने से खफा लवली ने दिया स्तीफा

नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में मचा घमासान अंततः सड़क पर आ गया। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस पार्टी ने जब से उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से उदित राज और उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया था, उसी समय से पार्टी के अंदर घमासान मच गया था। पार्टी नेता बाहरी लोगों को लोकसभा उम्मीदवार बनाए जाने के सख्त खिलाफ थे, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं को अनसुना करते हुए बाहरी चेहरों को टिकट दे दिया गया। कांग्रेस को यह फैसला भारी पड़ गया और अंततः दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अपना इस्तीफा देकर अपनी नाराजगी जता दी। दरअसल, अरविंदर सिंह लवली खुद भी उत्तर पूर्वी दिल्ली से मनोज तिवारी के सामने लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनकी इच्छाओं को दरकिनार करते हुए पार्टी ने दूसरे चेहरे को लोकसभा चुनाव में उतारने की योजना बनाई। स्वयं जयराम रमेश ने कन्हैया कुमार को उत्तर पूर्वी दिल्ली से टिकट दिलाने के लिए खूंटा गाड़ दिया। इसे देखते हुए लवली ने खुद चुनाव में न उतरने की बात कह दी, लेकिन पार्टी के नेता जानते हैं कि लवली इस फैसले से बिल्कुल भी खुश नहीं थे।          कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी के खिलाफ संदीप दीक्षित भी थे, जो स्वयं उत्तर पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे।       एक बैठक के दौरान कन्हैया कुमार और उनके बीच बहस भी हो गई थी। लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी को ही सही ठहराया। इसी प्रकार, उदित राज को उत्तर पश्चिम दिल्ली से उम्मीदवार बनाए जाने का राजकुमार चौहान लगातार विरोध कर रहे थे। जिस दिन उम्मीदवारों का मीडिया के सामने परिचय सम्मेलन करवाया जा रहा था, उस दिन भी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय के सामने कार्यकर्ता लगातार उदित राज और कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे। इससे यह साफ था कि कार्यकर्ताओं का इन उम्मीदवारों को सहयोग नहीं मिलने वाला था। इसका असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिलना तय था।          केजरीवाल से समझौते का विरोध *     अरविंदर सिंह लवली शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस से समझौते के सख्त खिलाफ थे। उनका कहना था कि जिस केजरीवाल ने तमाम झूठे आरोप लगाकर कांग्रेस को बदनाम करने का काम किया और उसे सत्ता से बाहर करने में अपनी बड़ी भूमिका निभाई, आज उसी केजरीवाल के साथ में समझौता करना पार्टी के लिए किसी भी तरह से ठीक नहीं है। उच्च स्तर पर बैठे नेताओं ने भी इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाई थी। निचले स्तर के कार्यकर्ता भी इस निर्णय से खुश नहीं थे।        दिल्ली कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, अरविंदर सिंह लवली ने पार्टी आला कमान के सामने यह प्रस्ताव रखा था कि जिस तरह पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं, उसी तरीके से दिल्ली में भी दोनों पार्टियों को अलग-अलग चुनाव लड़ना चाहिए। एक बार तो उन्होंने घोषणा भी कर दी थी कि कांग्रेस दिल्ली में अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगी लेकिन आलाकमान के दबाव पर उन्हें अपना बयान वापस लेना पड़ा था।आम आदमी पार्टी के इंडिया गठबंधन में रहने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन उनके साथ चुनावी मैदान में जाना उन्हें घाटे का सौदा लग रहा था। उन्होंने कहा था कि यदि केजरीवाल के साथ दिल्ली का चुनाव लड़ा जाएगा तो विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को मजबूत करना कठिन हो जाएगा क्योंकि पार्टी उस समय केजरीवाल के खिलाफ कोई मजबूत स्टैंड नहीं ले सकेगी। इस बात की जानकारी उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं को भी दे दी थी, लेकिन उनकी नाराजगी को दरकिनार करते हुए पार्टी ने केजरीवाल के साथ चुनाव में जाने का फैसला कर लिया।        लवली ने आरोप लगाया है कि पार्टी के उच्च पदों पर बैठे शीर्ष नेताओं (कांग्रेस महासचिव और दिल्ली प्रभारी) ने उनके काम करने के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी थी। उनकी हर फैसले में टांग अड़ाई जा रही थी। यहां तक कि लवली अपनी चहेते कार्यकर्ता को पार्टी के मीडिया सेल का प्रमुख तक नहीं बना सके थे। इससे भी लवली की पार्टी वाला कमान से नाराजगी बढ़ती चली गई। अरविंदर सिंह लवली ने अपने इस्तीफे में भी कहा है कि लगभग आठ महीने पहले जब उनको अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई थी, पार्टी बहुत संकट से गुजर रही थी। पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम तक नहीं हो रहा था, कार्यकर्ता बिखरे हुए थे। लेकिन पार्टी की जिम्मेदारी संभालते ही उन्होंने सब को एक साथ जोड़ने की कोशिश की। लेकिन पार्टी के महासचिव और दिल्ली प्रभारी उनके काम में लगातार टांग अड़ाते रहे। अभी तक डेढ़ सौ से ज्यादा ब्लॉक स्तर पर कार्यकर्ताओं को उनके पदों पर नियुक्त नहीं किया जा सका है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Apr 30, 2024

हेमंत सोरेन चुनाव प्रचार के लिए जेल से नहीं आ पाएंगे बाहर

नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और ईडी की कार्रवाई के खिलाफ उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. जमीन घोटाला मामले में बंद हेमंत सोरेन का कहना है कि अपनी पार्टी के प्रचार के लिए चुनाव के दौरान उनका बाहर आना जरूरी है. हेमंत सोरेन ने मामले की सूनवाई के दौरान यह भी कहा है कि हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका पर पिछले 2 महीने से फैसला सुरक्षित रखा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट फैसला देने पर विचार करे. मामले में 6 मई को अगली सुनवाई होगी. दरअसल, हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी के बाद झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, इसपर 28 फरवरी को एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं आया है.  *सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने का दिया था निर्देश* ईडी ने सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था. इसके खिलाफ सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का दरजवाजा खटखटाया था, लेकिन जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने हेमंत सोरेन को पहले झारखंड हाईकोर्ट जाने को कहा था. वहीं पूरे मामले को लेकर विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' में शामिल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी राजनीतिक एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शराब नीति से जुड़े मामले में गिरफ्तारी और हेमंत सोरेन को अरेस्ट करना लोकसभा चुनाव को देखते हुए किया गया है. लोग इसका लोकसभा चुनाव में जवाब देंगे. इसको लेकर बीजेपी ने पलटवार किया है कि जांच एजेंसी अपना काम कर रही है और जो भी गलत काम करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Apr 30, 2024

सीआईआई ने स्टार्ट-अप के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस चार्टर लॉन्च किया

नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। भारतीय उद्योग परिसंघ ने स्टार्ट-अप्स के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस चार्टर लॉन्च किया। सीआईआई चार्टर स्टार्टअप्स को संचालित करने की अनूठी बारीकियों को ध्यान में रखते हुए स्टार्टअप्स के लिए कॉरपोरेट गवर्नेंस पर स्वैच्छिक सिफारिशें सूचीबद्ध करता है और स्टार्टअप्स के जीवन चक्र के विशिष्ट चरणों के आधार पर स्टार्टअप्स के लिए उपयुक्त दिशानिर्देश निर्धारित करता है, जिनका उपयोग स्टार्टअप्स द्वारा रेडी रेकनर के रूप में किया जाता है। वे सुशासन के पथ पर आगे बढ़ते हैं। यह चार्टर केवल कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत निगमित संस्थाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है, और इसलिए 'स्टार्टअप' शब्द, हालांकि, ऐसी संस्थाएं जो एकल स्वामित्व, सीमित देयता भागीदारी, भागीदारी की प्रकृति में हैं, कॉर्पोरेट प्रशासन के लिए समान संरचनाओं/दिशानिर्देशों को अपना सकती हैं।   चार्टर स्टार्टअप्स के लिए उनकी अनुपालन यात्रा में एक स्वशासी कोड के रूप में काम कर सकता है जिसका वे सर्वोत्तम प्रयास के आधार पर पालन कर सकते हैं। इस चार्टर का उद्देश्य स्टार्टअप्स को जिम्मेदार कॉर्पोरेट नागरिक बनने में मदद करना है और उन्हें खुद को सुशासित होने के लिए स्थापित करने के लिए इसे अपने हितधारकों के साथ साझा करने में सक्षम बनाना है। चार्टर के बाद एक ऑनलाइन स्व-मूल्यांकन शासन स्कोरकार्ड होता है जिसे एक स्टार्टअप शासन के वर्तमान स्तर और इसकी प्रगति को समझने के लिए आंतरिक रूप से अपना सकता है। स्टार्टअप इसे अपनी शासन यात्रा में की गई प्रगति को मापने के लिए एक बेंचमार्क के रूप में उपयोग कर सकते हैं, जो बदलते स्कोर में दिखाई देगा क्योंकि समय-समय पर स्कोरकार्ड के आधार पर शासन प्रथाओं का मूल्यांकन किया जाता है।   चार्टर को स्टार्टअप्स को उनके जीवन चक्र के दौरान चार चरणों में विभाजित मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है, अर्थात शुरुआत, प्रगति, विकास और सार्वजनिक होना। प्रत्येक चरण के दौरान, शासन के सिद्धांतों की पहचान की गई है जिन पर अतिरिक्त ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। 'इंसेप्शन' चरण में, स्टार्टअप गवर्नेंस को बोर्ड के गठन, शीर्ष पर टोन सेट करने, अनुपालन निगरानी, लेखांकन, वित्त, बाहरी ऑडिट, संबंधित पार्टी लेनदेन के लिए नीतियों और संघर्ष समाधान तंत्र पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। 'प्रगति' चरण में, स्टार्टअप अतिरिक्त रूप से बोर्ड निरीक्षण के विस्तार, प्रमुख व्यवसाय मेट्रिक्स की निगरानी, ​​आंतरिक नियंत्रण बनाए रखने, निर्णय लेने के पदानुक्रम को परिभाषित करने, वित्त, खातों और बाहरी ऑडिट के केंद्रित अवलोकन, ऑडिट समिति की स्थापना और जोखिम और संकट पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।   जब कोई स्टार्टअप 'विकास' चरण में पहुंचता है, तो यह दृष्टिकोण, मिशन, आचार संहिता, संस्कृति, संगठन की नैतिकता, कार्यात्मक नीतियों और प्रक्रियाओं के प्रति हितधारक जागरूकता बनाने, बोर्ड समितियों का गठन करने, बोर्ड पर डीई और आई को सुनिश्चित करने, वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने पर भी ध्यान केंद्रित कर सकता है। कंपनी अधिनियम 2013 और अन्य सभी लागू कानूनों और विनियमों के अनुसार, फंड के उपयोग, निगरानी और समीक्षा पर ध्यान केंद्रित करें, सीएसआर और ईएसजी मानदंडों का अनुपालन करें, रणनीतिक प्रगति और मानव संसाधन से संबंधित पहलुओं की निगरानी करें। 'गोइंग पब्लिक' चरण में, स्टार्टअप विभिन्न समितियों के कामकाज की निगरानी, धोखाधड़ी की रोकथाम और पता लगाने, शिकायत निवारण तंत्र पर ध्यान केंद्रित करने, सूचना विषमता को कम करने, प्रभावी हितधारक प्रबंधन, उत्तराधिकार योजना, बोर्ड प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा के संदर्भ में अपने शासन का विस्तार कर सकता है। कंपनी अधिनियम 2013, सेबी एलओडीआर और स्टॉक एक्सचेंज नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने और समय पर वैधानिक फाइलिंग और प्रकटीकरण सुनिश्चित करने के लिए शासन नीतियों, आंतरिक नियंत्रण, सोशल मीडिया नीति, अनुपालन कार्यक्रम।   लॉन्च पर बोलते हुए, सीआईआई के अध्यक्ष आर दिनेश ने कहा कि सुशासन प्रथाओं को जल्दी अपनाने से स्टार्टअप को दीर्घकालिक मूल्य निर्माण, हितधारकों के विश्वास, बेहतर पहुंच सहित ठोस और अमूर्त लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है। निवेशकों और बैंकों से वित्त, प्रमोटरों पर कम निर्भरता, प्रभावी संगठनात्मक संरचना और व्यवसाय के दीर्घकालिक अस्तित्व की संभावनाओं में सुधार। उन्होंने आशा व्यक्त की कि स्टार्टअप्स के लिए गवर्नेंस चार्टर स्टार्टअप्स के बीच सुशासन प्रथाओं को शीघ्र अपनाने में सक्षम बनाएगा और उन्हें भविष्य के नेताओं के रूप में विकसित होने में मदद करेगा। संजीव बजाज, तत्काल पूर्व अध्यक्ष, सीआईआई एवं अध्यक्ष, सीआईआई कॉरपोरेट गवर्नेंस काउंसिल ने कहा कि स्टार्टअप्स को अपने संसाधनों और ऊर्जा का उपयोग सभी हितधारकों के लिए मूल्य बढ़ाने में करना चाहिए जो एक वृहद स्तर, दूरदर्शी है। लाभप्रदता के बजाय निरंतर सफलता के लिए दृष्टिकोण जो कि अल्पकालिक सफलता के लिए एक त्वरित दृष्टिकोण है। उन्होंने स्टार्टअप्स के लिए जिम्मेदार प्रशासन और आत्म-नियमन के माध्यम से जवाबदेही, निष्पक्षता और अखंडता के साथ नैतिक आचरण के साथ व्यावसायिक प्राथमिकताओं को पूरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया।   भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि स्टार्टअप भारतीय अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग बन गए हैं और उन्होंने नवाचार, प्रौद्योगिकी, बाजार और व्यापार रणनीति के मामले में भारतीय उद्योग को आगे बढ़ाया है और स्टार्टअप के लिए कॉर्पोरेट प्रशासन प्रथाओं पर एक चार्टर का समर्थन किया जा सकता है। स्टार्टअप अपनी शासन यात्रा में आगे हैं। उन्होंने बताया कि चार्टर में शासन और भविष्योन्मुखी अवधारणाओं के संदर्भ में स्टार्टअप्स के लिए फोकस क्षेत्र शामिल हैं - जिसका उद्देश्य चार्टर के अक्षरशः और मूल भाव से स्वैच्छिक पालन को प्रोत्साहित करके भारत में स्टार्टअप्स के समग्र शासन मानकों को बढ़ाना है।   सीआईआई नेशनल स्टार्टअप काउंसिल के अध्यक्ष कुणाल बहल ने कहा, "जहां स्टार्ट-अप नवाचार, व्यवधान और विकास के अवसरों की तेजी से खोज पर आगे बढ़ते हैं, वहीं मजबूत कॉर्पोरेट प्रशासन गुणवत्ता में सुधार करता है।" उनके निर्णय और दीर्घकालिक रणनीतिक सोच को बढ़ावा देते हैं, किसी स्टार्टअप के शुरुआती दिनों से ही अच्छे कॉर्पोरेट प्रशासन के सिद्धांतों को शामिल करना महत्वपूर्ण है ताकि समय के साथ, वे संगठन के डीएनए का हिस्सा बन जाएं और स्टार्टअप को मार्गदर्शन और संचालन करने में मदद करें। इसके विकास और विकास के विभिन्न चरणों के माध्यम से इसके हितधारकों को सीआईआई चार्टर को स्टार्टअप्स को शासन की आवश्यकताओं को समझने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिनका वे शुरुआत से लेकर सार्वजनिक कंपनी बनने तक विभिन्न चरणों में पालन कर सकते हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Apr 30, 2024

कोरोना में बढ़ा एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग से बढ़ा बैक्टीरियल इन्फेक्शन का खतरा

नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि कोरोना के दौरान इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं का भारी दुरुपयोग किया गया। इससे मरीजों की स्थिति में कोई खास सुधार तो नहीं हुआ, लेकिन रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के मूक प्रसार और उससे जुड़े खतरे जरूर बढ़ गए हैं।  रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक ऐसी स्थिति है, जिसमें एंटीबायोटिक दवाएं कई तरह के संक्रमण को रोकने में बेअसर साबित होती हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती मरीजों में से महज आठ फीसदी को बैक्टीरिया के कारण होने वाला संक्रमण था। इस संक्रमण का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से मुमकिन है, मगर इसके बावजूद कोरोना के हर चार में से तीन मरीज यानी 75 फीसदी को सिर्फ इस उम्मीद में एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं कि शायद वो फायदेमंद होंगी।   *जिन्हें बैक्टीरियल इनफेक्शन नहीं था उन्हें नुकसान हुआ*   डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, कोरोना से पीड़ित मरीजों में एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से स्थिति में कोई सुधार तो नहीं आया, लेकिन उन लोगों में जिन्हें बैक्टीरियल इन्फेक्शन नहीं था, उन्हें इन दवाओं से नुकसान जरूर हुआ। यह निष्कर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कोविड-19 के लिए बनाए वैश्विक प्लेटफार्म से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित हैं। यह आंकड़े जनवरी 2020 से मार्च 2023 के बीच 65 देशों में साढ़े चार लाख मरीजों से हासिल किए गए थे।   जरूरत न होने पर मदद की जगह नुकसान...सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत केवल बैक्टीरिया के कारण होने वाले कुछ विशेष संक्रमणों के इलाज के लिए पड़ती है, जबकि बैक्टीरिया से होने वाले कुछ संक्रमण एंटीबायोटिक दवाओं के बिना भी ठीक हो जाते हैं। यह एंटीबायोटिक दवाएं सर्दी, फ्लू या कोविड-19 जैसे वायरसों पर काम नहीं करतीं। ऐसे में जब एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं होती तो वे मदद करने की जगह स्वास्थ्य को ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Apr 30, 2024

इमारतों में दफन कर देंगे', दिल्ली- एनसीआर के 100 स्कूलों में बम की धमकी

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। दिल्ली-एनसीआर के करीब 100 स्कूलों में बम होने की धमकी दी गई है. ईमेल के जरिए भेजी गई धमकी में कहा गया है कि हम लोगों को इमारतों में दफन कर देंगे. वहीं, इस धमकी को जिस ईमेल के जरिए भेजा गया है, उसका सर्वर विदेश में मौजूद होने की जानकारी सामने आ रही है. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कहा है कि आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा.   जिन स्कूलों को धमकी भरे ईमेल मिले हैं, उन्हें लेकर दिल्ली पुलिस की अलग-अलग टीमों ने जांच की है. अधिकतर स्कूलों में जांच के दौरान कुछ नहीं पाया गया. इसके बाद पुलिस ने इन्हें आउट ऑफ डेंजर बताया है. स्कूलों में धमकी मिलने के बाद गुरुवार को स्कूल खुलेंगे या नहीं, यही अभिभावकों की सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है. अभी तक स्कूलों की ओर से इसे लेकर कुछ नहीं कहा गया है. हालांकि, बुधवार शाम तक इस पर स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है.    *ईमेल का विदेशी आईपी एड्रेस*   जांच एजेंसियों को शक है कि ईमेल भेजने के लिए जिस आईपी एड्रेस का इस्तेमाल हुआ है, उसका सर्वर विदेश में मौजूद है. कुल मिलाकर 97 स्कूलों को मिली धमकी के मामले में नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली पुलिस कॉर्डिनेशनल के साथ तफ्तीश कर रही है. इस बात की आशंका जताई जा रही है कि ईमेल भेजने के लिए एक ही आईपी एड्रेस का इस्तेमाल किया गया था. दिल्ली पुलिस इस मामले में हर एंगल से जांच कर रही है. जवानों को स्कूलों के बाहर तैनात कर दिया गया है, ताकि किसी भी अनहोनी से निपटा जा सके.   *इंटरपोल की ली जा रही मदद*   वहीं, एजेंसियों को इस बात का भी शक है कि स्कूलों को धमकी भरे ईमेल भेजने में किसी एक शख्स का नहीं, बल्कि किसी संगठन का हाथ हो सकता है. इस साजिश के तार विदेश से जुड़े हो सकते हैं. साजिश के तहत आज का दिन और वक्त सुनिश्चित किया गया था. इसके पीछे आधार है कि सभी स्कूलों को एक साथ और एक वक्त पर करीब-करीब एक जैसा ईमेल मिला. आईपी एड्रेस विदेश में मौजूद एक ही सर्वर का निकला. साजिश की तह तक जाने के लिए इंटरपोल की मदद ली जा रही है.   *पुलिस कमिश्नर से मांगी गई डिटेल रिपोर्ट*   वहीं, बम कॉल पर दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से इस पर डिटेल रिपोर्ट मांगी है. उपराज्यपाल ने ट्वीट कर कहा, "पुलिस कमिश्नर से बात की और दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों में बम की धमकी पर डिटेल रिपोर्ट मांगी है. दिल्ली पुलिस को स्कूल परिसर में तलाशी लेने, दोषियों की पहचान करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि मामले में किसी तरह की कोई चूक न हो.   *दिल्ली एलजी ने की पैरेंट्स से सहयोग करने की अपील*   उपराज्यपाल ने पैरेंट्स से गुजारिश की है कि वे घबराएं नहीं और सहयोग करें. उन्होंने कहा, "मैं पैरेंट्स से अनुरोध करता हूं कि वे घबराएं नहीं और स्कूलों और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में प्रशासन का सहयोग करें. उपद्रवियों और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा." फिलहाल जिन स्कूलों को धमकी भरे ईमेल मिले हैं, उनके बाहर दिल्ली फायर सर्विस की गाड़ियां खड़ी हुई नजर आ रही हैं.    *गृह मंत्रालय और पुलिस ने कहा- घबराएं नहीं*   केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. मंत्रालय ने कहा, "घबराने की जरूरत नहीं है. ऐसा लगता है कि यह फर्जी ईमेल था. दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां ​​प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं. दिल्ली पुलिस ने कहा, "दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ईमेल मिले हैं. पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की है. कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है. ऐसा मालूम होता है कि ये ईमेल फर्जी हैं. हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें. अधिकारियों ने बताया कि सभी स्कूलों को खाली करा लिया गया और स्थानीय पुलिस को ईमेल के बारे में जानकारी दे दी गई है. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बम का पता लगाने वाली टीम, बम निरोधक दस्ता और दिल्ली दमकल सेवा के अधिकारी तुरंत दिल्ली के स्कूलों में पहुंच गए.   स्कूलों को मिली धमकी में क्या कहा गया?   दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकी भरे ईमेल मिले हैं, उसमें कहा गया है, "हमारे हाथों में जो लोहा है, वो हमारे दिल से जुड़ा हुआ है. हम उसे हवा के जरिए भेजकर तुम्हें उड़ा देंगे. हम तुम्हें फाड़ देंगे और आग की लपटों में जलाएंगे. हम तुम्हारी इमारतों को दफन कर देंगे. हम इमारतों की छतों को उड़ा देंगे. हम उन्हें तोड़ देंगे और उसके भीतर दफन कर देंगे. हम तुम लोगों के पैरों के नीचे से जमीन खिसका देंगे और आग में ले जाएंगे, जो तुम्हारा आखिरी ठिकाना होगा.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 1, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए प्रमुख को फटकार: आप कैसे तय करेंगे कि अदालत क्या करेगी

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद ने अपने माफीनामे में सह-संस्थापक बाबा रामदेव का नाम लेकर "सुधार" किया है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से जारी किए गए सार्वजनिक माफीनामे की जांच के बाद कहा, 'एक उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पहले सिर्फ पतंजलि का नाम था, अब नाम हैं। हम इसकी सराहना करते हैं। उन्होंने समझ लिया है।' इस दौरान कोर्ट ने इंडियन मेडिकल असोसिएशन के अध्यक्ष आर. वी. अशोकन के एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में दिए गए बयानों पर सख्त टिप्पणियां भी की। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि गंभीर नतीजों के लिए तैयार रहिए।   बेंच ने इंडियन मेडिकल असोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आर.वी. अशोकन के न्यूज एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में की गई टिप्पणियों पर भी कड़ी आपत्ति जताई। पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर ऐडवोकेट मुकुल रोहतगी ने इंटरव्यू में की गईं अशोकन की टिप्पणियों को अदालत में उठाया। रोहतगी ने कहा, 'वह (आईएमए अध्यक्ष) कहते हैं कि अदालत ने हम पर उंगली क्यों उठाई, अदालत की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है।' उन्होंने कहा कि यह अदालत की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप है। रोहतगी ने यह भी कहा कि वह आईएमए अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना की मांग करते हुए एक आवेदन दायर करेंगे।   इस पर बेंच ने मुकुल रोहतगी को एजेंसी के साथ आईएमए निदेशक के इंटरव्यू को रिकॉर्ड में लाने के लिए कहा। जस्टिस अमानुल्ला ने कहा, 'इसे रिकॉर्ड में लाइए। यह अब तक हो रही चीजों से ज्यादा गंभीर होगा। अधिक गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहें।' बेंच ने आईएमए के वकील से कहा, 'आपने कोई अच्छा काम नहीं किया और आप कैसे तय कर सकते हैं कि अदालत क्या करेगी, अगर यह सही है।   दरअसल समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में आईएमए प्रमुख ने कहा था कि यह 'दुर्भाग्यपूर्ण' है कि सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए और निजी डॉक्टरों के तौर-तरीकों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ‘अस्पष्ट और अति सामान्य बयानों’ ने निजी डॉक्टरों को हतोत्साहित किया है। डॉक्टर अशोकन ने इंटरव्यू में कहा था, 'हम ईमानदारी से मानते हैं कि उन्हें यह देखने की जरूरत है कि उनके सामने क्या सामग्री रखी गई है। उन्होंने शायद इस बात पर विचार नहीं किया कि यह वह मुद्दा नहीं है जो अदालत में उनके सामने था। कोर्ट ने शायद इस बात पर गौर नहीं किया कि उनका असल मुद्दा पतंजलि के विज्ञापनों से जुड़ा था, न कि पूरे मेडिकल क्षेत्र से।   आईएमए प्रमुख ने ये भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को पूरे देश के डॉक्टरों की तारीफ करनी चाहिए थी जिन्होंने कोविड के दौरान बहुत त्याग किया। अशोकन ने इंटरव्यू में कहा था, 'आप कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन अधिकतर डॉक्टर कर्तव्यनिष्ठ हैं...नैतिकता और सिद्धांतों के अनुसार काम करते हैं। देश के चिकित्सा पेशे के खिलाफ तल्ख रुख अपनाना न्यायालय को शोभा नहीं देता, जिसने कोविड युद्ध में इतनी कुर्बानी दी।' डॉ. अशोकन 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का जवाब दे रहे थे कि "पतंजलि की तरफ एक उंगली उठाने पर बाकी चार उंगलियां आईएमए की तरफ इशारा करती हैं।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 1, 2024

दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी एडमिशन में आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का कोटा पूरा न भरने पर एससी/एसटी कमीशन में याचिका दायर

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के अर्थशास्त्र विभाग में एससी/एसटी के उम्मीदवारों को पीएचडी एडमिशन में यूजीसी व भारत सरकार की आरक्षण नीति की सरेआम उल्लंघन किए जाने पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग , अनुसूचित जाति के कल्याणार्थ संसदीय समिति व राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में एक विशेष याचिका दायर कर पीएचडी एडमिशन में हुई अनियमितताओं की उच्च स्तरीय कमेटी से जाँच कराने की मांग की है । फोरम के चेयरमैन डॉ.हंसराज सुमन ने आयोग व संसदीय समिति में दायर याचिका में बताया है कि अर्थशास्त्र विभाग ने अपने यहाँ पीएचडी में एडमिशन के लिए उम्मीदवारों से आवेदन मांगे । विभाग की अधिसूचना के अनुसार अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 11 सीटें , एससी 04 , एसटी --02 सीटें व ओबीसी कोटे  08 आरक्षित रखी गई थीं ।   लेकिन विभाग ने आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को पीएचडी एडमिशन में रोकने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमों को दरकिनार करते हुए अर्थशास्त्र विभाग ने अपने नियम बनाते हुए पीएचडी एडमिशन के लिए सीयूईटी में प्राप्त कटऑफ मार्क्स अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 55 प्रतिशत और एससी /एसटी के उम्मीदवारों के लिए 50 प्रतिशत कटऑफ रखी गई जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमानुसार पीएचडी एडमिशन के मानदंड  अनारक्षित उम्मीदवारों के लिए 50 प्रतिशत  और आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 45 प्रतिशत कटऑफ रखी गई है । डॉ.सुमन ने बताया है कि अर्थशास्त्र विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय ,यूजीसी व भारत सरकार की आरक्षण नीति का सरेआम उल्लंघन करते हुए पीएचडी एडमिशन में आरक्षित श्रेणी का कोटा पूरा न देते हुए पीएचडी एडमिशन का परिणाम घोषित कर दिया गया जिसमें अनारक्षित श्रेणी के 14 उम्मीदवारों को रखा गया जबकि एससी 01 व एसटी  01   सीट को खाली छोड़ दिया गया । उनका कहना है कि विभाग ने किस आधार पर अनारक्षित उम्मीदवारों को 03 अतिरिक्त सीटें दी ।    इतना ही नहीं विभाग ने आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों की सीटों को अनारक्षित में बदल दिया गया । जबकि होना यह चाहिए था कि एसटी उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है तो उसे एससी उम्मीदवार को वह सीट दे दी जाती है  लेकिन अर्थशास्त्र विभाग ने अनारक्षित श्रेणी की 11 सीटों के स्थान पर 14 सीटें किस नियम के तहत यह सीट दी है । उनका यह भी कहना है कि विभाग ने आरक्षित सीटों को अनारक्षित सीटों में बदल दिया गया ।   इतना ही नहीं विभाग में  एससी /एसटी सीटों को जानबूझकर खाली रखा जाता है । बाद में यह कह दिया जाता है कि योग्य उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हुए ? डॉ.हंसराज सुमन ने यह भी  चिंता जताई है कि दिल्ली  विश्वविद्यालय के 102 साल के इतिहास में और देश की आजादी के 76 साल से अधिक समय के बाद भी  समाज के कमजोर वर्गों के प्रति अभी तक दृष्टिकोण नहीं बदला है ? उन्होंने कहा है कि दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में यदि एससी/एसटी के छात्रों को  उच्च शिक्षा की अनुमति नहीं है  तो अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए उच्च विकास की सीढ़ी पर आगे बढ़ने का मार्ग कैसे प्रशस्त होगा यह सोचनीय विषय है ?  फोरम की  मांग हैं कि एससी/एसटी कमीशन डीयू के अर्थशास्त्र विभाग में पीएचडी एडमिशन में हुई अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जाँच तुरंत कराए और आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को न्याय दिलाए ।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 1, 2024

इस बार आईएमए की खड़ी होगी खाट? सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को दी मानहानि का मुकदमा करने की मंजूरी

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। इंडियन मेडिकल असोसिएशन के साथ कुछ ऐसा ही दिख रहा है। उसने पतंजली आयुर्वेद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आदेश की अवहेलना की याचिका डाली जिस पर फैसला आ गया। सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल दो जजों जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने मामले की सुनवाई के दौरान आईएमए को भी कुछ नसीहतें दीं।   पतंजलि आयुर्वेद को सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगी तो आईएमए को अच्छा लगा, लेकिन उसी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी कमियों की तरफ इशारा किया तो आईएमए तिलमिला उठा। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने तो एक इंटरव्यू में यहां तक कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने तो बेवजह ही नसीहत दे डाली क्योंकि उसके सामने यह मामला ही नहीं था।    पतंजलि आयुर्वेद का पक्ष रख रहे वकील ने जब सुप्रीम कोर्ट के आईएमए अध्यक्ष का यह बयान बताया तो शीर्ष अदालत ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और इसके लिए आईएमए को भुगतना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद से आईएमए अध्यक्ष के बयान को रिकॉर्ड पर रखने का आदेश देते हुए अदालत की अवमानना की याचिका दाखिल करने की भी मंजूरी दे दी। आईएमए प्रेसिडेंट डॉ. ने कहा कि आईएम और डॉक्टरों के तौर-तरीकों की आलोचना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने असल मुद्दा पतंजलि के विज्ञापनों से जुड़ा था, न कि पूरे चिकित्सा क्षेत्र से।   उन्होंने यहां तक कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह शोभा नहीं देता। डॉ. अशोकन ने कहा, 'आप कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन अधिकतर डॉक्टर कर्तव्यनिष्ठ हैं... नैतिकता और सिद्धांतों के अनुसार काम करते हैं।    देश के चिकित्सा पेशे के खिलाफ तल्ख रुख अपनाना न्यायालय को शोभा नहीं देता, जिसने कोविड युद्ध में इतनी कुर्बानी दी।' आईएमए अध्यक्ष के इस बयान को सुप्रीम कोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है। जस्टिस अमानुल्लाह ने तो आईएमए से कहा कि वह गंभीर नतीजों के लिए तैयार रहे। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने आईएमए के वकील से कहा, 'आपने कोई अच्छा काम नहीं किया और आप कैसे तय कर सकते हैं कि अदालत क्या करेगी, अगर यह सही है।   उधर, पतंजलि आयुर्वेद के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि आईएमए अध्यक्ष का बयान अदालत की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप है। रोहतगी ने जब आईएमए अध्यक्ष के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की मांग की तो सुप्रीम कोर्ट बेंच ने इसकी इजाजत दे दी। बेंच का रुख देखकर लगता है कि आईएमए अध्यक्ष को पतंजलि आयुर्वेद के बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से ज्यादा ही लताड़ लगने वाली है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 1, 2024

इंडिया इंक ने उद्योग में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और बिजनेस काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया (बीसीए) ने नई दिल्ली, भारत में भारत-ऑस्ट्रेलिया महिला नेतृत्व फोरम लॉन्च किया है। भारत-ऑस्ट्रेलिया महिला नेतृत्व फोरम की सह-अध्यक्षता टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के स्केलअप बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन के प्रमुख विजी मुरुगेसन और डीकिन यूनिवर्सिटी के एशिया सीईओ रवनीत पावहा द्वारा की जाएगी। भारत-ऑस्ट्रेलिया सीईओ फोरम में भागीदार के रूप में, सीआईआई और बीसीए का लक्ष्य संबंधों को मजबूत करने, अंतर्दृष्टि साझा करने और कंपनियों और नेताओं के बीच आगे के जुड़ाव के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए साझेदारी में महिला नेताओं की भागीदारी बढ़ाना है। "जैसा कि हम ऑस्ट्रेलिया के साथ लोगों के बीच संबंधों को गहरा करने पर जोर दे रहे हैं, यह मंच हमारे आर्थिक और सामाजिक संबंधों को प्रसारित करने में एक रणनीतिक भूमिका निभाएगा" सुश्री परिमिता त्रिपाठी, संयुक्त सचिव - ओशिनिया, विदेश मंत्रालय ने कहा।   “इस साल की शुरुआत में दावोस में घोषित वैश्विक भलाई-लैंगिक समानता और समानता गठबंधन को आगे बढ़ाते हुए, सीआईआई को भारत-ऑस्ट्रेलिया महिला नेतृत्व फोरम लॉन्च करते हुए खुशी हो रही है। यह पहला मंच है जो विशेष रूप से द्विपक्षीय संबंधों में महिलाओं की ताकत का उपयोग करने पर केंद्रित है। भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में महिला नेताओं का समर्थन करना सीआईआई के लिए प्राथमिकता है।  बनर्जी ने कहा, "कार्यस्थल पर महिलाएं बढ़ती अर्थव्यवस्था के पीछे प्रेरक शक्ति हैं और भारत-ऑस्ट्रेलिया महिला नेतृत्व मंच के माध्यम से, हम एक ऐसे माहौल की वकालत कर रहे हैं जो भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों में महिलाओं के लिए महिला नेतृत्व और बेहतर आर्थिक अवसरों को बढ़ावा दे।   बिजनेस काउंसिल के मुख्य कार्यकारी ब्रैन ब्लैक ने कहा कि लैंगिक समानता को ऑस्ट्रेलिया-भारत सीईओ फोरम के ढांचे का हिस्सा बनाने की जरूरत है और यह दोनों सरकारों को सिफारिशें देगा। श्री ब्लैक ने कहा, "बीसीए को ऑस्ट्रेलिया-भारत महिला नेतृत्व फोरम की स्थापना का समर्थन करने पर गर्व है, और हमारे सदस्य अपनी कंपनियों और आपूर्ति श्रृंखलाओं के भीतर लैंगिक समानता में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं।" "जैसे-जैसे यह साझेदारी बढ़ती है, महिलाओं को नेतृत्व की स्थिति में प्रोत्साहित करना प्राथमिकता होनी चाहिए और इससे ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय दोनों अर्थव्यवस्थाओं की उत्पादकता में सहायता मिलेगी।   सीआईआई का भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने पर एक सक्रिय एजेंडा है। 29 दिसंबर 2022 को लागू हुए ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) ने इस महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदारी को आवश्यक प्रोत्साहन दिया है। भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई कंपनियां लगभग नगण्य से शून्य टैरिफ शुल्क पर व्यापार करके इस व्यापार समझौते का लाभ उठाने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई आर्थिक परिदृश्य के बीच बहुत सारी पूरकताएँ मौजूद हैं और दोनों पक्षों के व्यवसाय व्यापार समझौते द्वारा सक्षम इस अवसर का लाभ उठा रहे हैं।   इस एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए, यह महसूस किया गया है कि महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है और भारत-ऑस्ट्रेलिया गलियारे में उनके आर्थिक योगदान को बढ़ावा देने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता है। विशिष्ट भारत-ऑस्ट्रेलिया महिला नेतृत्व मंच को बाद में दोनों देशों के प्रमुख नियोक्ताओं और सबसे बड़े व्यवसायों के समर्थन से स्थापित किया गया है। फोरम का उद्देश्य संबंधों को मजबूत करने, अंतर्दृष्टि साझा करने और ऑस्ट्रेलिया-भारत गलियारे में भविष्य की महिला नेताओं के मार्गदर्शन के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों की महिला नेताओं को एक साथ लाना है। फोरम के सदस्य पूरे गलियारे में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए विचार-विमर्श करेंगे और रणनीति तैयार करेंगे। ये बड़े पैमाने पर कार्यशालाओं, परामर्श कार्यक्रमों, सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने और सरकार की नीति निर्माण प्रक्रिया में भागीदारी के माध्यम से हो सकता है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 1, 2024

फिक्की-बिजनेस काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने व्यापार और निवेश को मजबूत करने के लिए समझौता किया

नई दिल्ली, 03 मई 2024  (यूटीएन)। फिक्की और बिजनेस काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने आज दोनों देशों के बीच अधिक व्यावसायिक अवसरों की पहचान करने और बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। एमओयू का उद्देश्य लाभ के साझा क्षेत्रों पर सहयोग करके और उभरते बाजारों में विकास के नए क्षेत्रों की पहचान करके द्विपक्षीय व्यापार और निवेश साझेदारी को मजबूत करना होगा।   इंटरैक्टिव सत्र को संबोधित करते हुए, फिक्की के महासचिव एसके पाठक ने कहा, "भारत और ऑस्ट्रेलिया का वस्तुओं और सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार 45 बिलियन डॉलर से अधिक है, और हम अगले पांच वर्षों में इसे दोगुना करने की दिशा में काम कर रहे हैं।   बिजनेस काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी  ब्रैन ब्लैक ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने और निवेश के अवसरों की खोज करने की दिशा में काम करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "ऑस्ट्रेलिया-भारत संबंधों का विकास व्यवसाय आधारित है क्योंकि व्यवसाय विकास के लिए पारस्परिक अवसरों की पहचान करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में हैं, विशेष रूप से शिक्षा और कौशल, नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल के क्षेत्रों में।   भारत ऑस्ट्रेलिया का पांचवां सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, और भारत में निर्यात (विशेषकर संसाधन, शिक्षा और कृषि उत्पाद) की अत्यधिक मांग है। 2022-23 में भारत को ऑस्ट्रेलियाई निर्यात 32.5 बिलियन डॉलर था, जबकि आयात 12.6 बिलियन डॉलर था। रक्षा, अंतरिक्ष, फार्मा, इस्पात, विनिर्माण, बुनियादी ढांचे, समुद्री, कृषि और आईटी क्षेत्र के फिक्की उद्योग प्रतिनिधियों ने भी बातचीत की और भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापार में सुधार पर अपने दृष्टिकोण साझा किए।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 3, 2024