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ईंट भट्ठा समिति की बैठक,सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए 30 जून तक करें भट्ठे बंद

बडोत,22 मई 2024  (यूटीएन)। एनसीआर क्षेत्र के ईंट भट्ठा व्यवसाय से जुड़े कारोबारियो ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए 30 जून तक सभी भट्ठे बंद करने तथा आगामी सत्र के लिए दिशा निर्देशों का पालन करने की बात कही।    नगर के दिल्ली रोड स्थित सेंट्रम होटल में मंगलवार को जनपद बागपत एनसीआर क्षेत्र के ईंट निर्माता समिति की बैठक संगठन के महामंत्री व बागपत जनपद जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह राणा की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसका संचालन जिला महामंत्री दीपक यादव ने किया । बैठक में भट्ठा मालिकों ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए 30 जून तक सभी भट्ठे बंद करने का निर्णय लिया तथा कहा गया कि, सभी भट्ठा मालिक 30 जून से पूर्व अपना काम समय पर समाप्त करें और आगामी सीजन में ही नए सत्र की शुरुआत की जाए।बैठक में संगठन के लोगों ने अतिथियों का सम्मान व स्वागत भी किया।    इस अवसर पर जिलाध्यक्ष विक्रम सिंह राणा ने कहा कि, हम सब लोगों को एकजुट होकर सर्वोच्च न्यायालय का पालन करना है। बैठक में सुरेंद्र चौहान रविंद्र तेवतिया योगेश सरोत केपी सिंह श्यामलाल चौधरी राजेश मिश्रा मनोज यादव राजेंद्र सिंह मुकेश शर्मा ओमवीर मलिक जसवंत सिंह जितेंद्र राठी विजेंद्र सिंह भारतपाल सिंह वेदपाल सिंह बृजपाल सिंह अजय जैन सत्येंद्र तरार के अलावा एनसीआर क्षेत्र के भट्ठा मालिकों ने कार्यक्रम को बारी-बारी से संबोधित करते हुए अपने-अपने विचार प्रकट किए ।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 22, 2024

ट्रांसफार्मर चालू करने में पांच घंटे बिजली कटौती में उबले लोग ,आधे कस्बे की आपूर्ति रही प्रभावित

खेकड़ा, 22 मई 2024  (यूटीएन)। पुर्जों की कमी की वजह से सफेद हाथी बने खड़े बिजली ट्रांसफार्मर को आखिर मंगलवार को चालू कर ही दिया गया। उसको चालू करने में पांच घंटे से अधिक का समय लग गया। इस दौरान भरी दोपहरी में प्रचंड गर्मी में एक हजार से अधिक परिवारों के लोग और व्यापारी बिलबिलाते रहे।   कस्बे में मुख्य बाजार, रेलवे रोड बाजार और मोहल्ला रामपुर को बिजली सप्लाई करने वाले विद्युत ट्रांसफार्मर ओवरलोड बनी हुई है, जिससे रोजाना लाइनों में फाल्ट बनने से घंटो घंटो तक बिजली आपूर्ति ठप्प रहती थी। पिछले सप्ताह ट्रांसफार्मर का लोड घटाने के लिए 250 केवीए का एक और नया ट्रांसफार्मर लगाया गया था, लेकिन कलपुर्जो की कमी के चलते उसे चालू नहीं किया जा रहा था।    विभागीय अधिकारियों ने सुबह 11 बजे संविदा कर्मी लाइनमैन को ट्रांसफार्मर को चालू करने में लगा दिया। उन्हें ट्रांसफार्मर को चालू करने और उसके लिए अलग लाइन बनाने में पांच घंटे से अधिक का समय लग गया। इस दौरान भरी दोपहरी में 1000 से अधिक परिवार के लोग और व्यापारी गर्मी में बिलबिलाते रहे। विभागीय जेई चंद्रप्रकाश का कहना है कि, कलपुर्जो को मंगाकर लगाया गया है। अब लोड बंट जाने से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 22, 2024

कमैटी के रुपयों को लेकर घर के बाहर की फायरिंग, घुसकर की मारपीट, महिला व एक मासूम को चोटें

अमीनगर सराय, 22 मई 2024  (यूटीएन)। क्षेत्र के डौला गांव में कमेटी के रुपयों को लेकर एक पक्ष ने लाठी डंडे से हमला कर दिया, जिसमें एक महिला व बच्चा घायल हो गए। पीड़िता ने थाने पहुंचकर कार्रवाई की मांग की।   डौला गांव निवासी समीना पत्नी मोमिन ने थाना सिंघावली अहीर में तहरीर देकर बताया कि मंगलवार को वह अपने परिवार के साथ बैठी थी। घर में उसकी दो बेटों की बहू, एक बेटी व छोटे बच्चे थे। इसी दौरान गांव के ही चार व्यक्ति लाठी डंडे व तमंचा लेकर वहां पहुंचे और घर के बाहर गाली गलौच करते हुए तमंचे से फायर किया।   जिसके बाद चारों लोग घर में घुस आए और उनके साथ मारपीट शुरू कर दी। उन्होंने आरोपितों से काफी मिन्नतें मांगी ,लेकिन आरोपितों ने उनकी पिटाई कर दी ,जिसमें समीना के हाथ में डंडा लगने के कारण हाथ टूट गया ,जबकि उसके छोटे से पौत्र सोफियान के हाथ मे भी चोट आई है।    बताया कि इस दौरान घर के सभी पुरुष काम करने के लिए बाहर गए हुए थे। कमेटी के रुपये का तगादा करने से आरोपित नाराज थे। पीड़िता ने गांव के ही आजाद, दानिश, माजिद व आदिल के खिलाफ तहरीर देकर कार्यवाई की मांग की। थाना प्रभारी एमएस गिल का कहना है कि, तहरीर मिली है जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |    

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May 22, 2024

10 दिन पहले आई आंधी व तेज हवा में गिरे बिजली के खंभे ठीक न हो के कारण आपुर्ति ठप्प, किसानों द्वारा हंगामा

बडौत, 22 मई 2024  (यूटीएन)। आंधी, तूफान व बारिश हुए 10 दिन बीतने के बाद भी विद्युत् सप्लाई सुचारू न होने से ग्रामीणों में रोष। अधिकारियों के दफ्तर पर किया हंगामा। सिंचाई के अभाव में सूख रही किसानों की उम्मीद की फसल। ऊर्जा विभाग के मैनेजिंग डायरेक्टर को भेजा शिकायती पत्र। लापरवाही बरतनी वाले अधिकारियों के खिलाफ की कार्रवाई की मांग।    तहसील क्षेत्र के बड़का गांव के जंगल में लगभग 10 दिन बीत जाने के बाद भी विद्युत विभाग द्वारा विद्युत लाइन सुचारू रूप से चालू नहीं होने पर ग्राम वासियों ने हिंदू जागरण मंच के प्रांतीय नेता मधुसूदन शास्त्री के नेतृत्व में विद्युत विभाग के खिलाफ मोर्चा खोला तथा जमकर हंगामा प्रदर्शन किया।   ग्रामवासियों ने कहा कि ,10 दिन पूर्व तूफान से लाइन क्षतिग्रस्त हुई थी , मगर लापरवाही के चलते अब तक विद्युत विभाग द्वारा लाइन को पूरी भी तरह चालू नहीं किया गया ,जिससे ग्रामीणों के खेतों में पानी नहीं आने के कारण किसानों के खेत सूख रहे हैं, साथ ही खेतों में खड़ी फसले भी झुलसने व नष्ट होने के किसान आर्थिक संकट के कगार पर आ गए हैं, खेतों में खड़ी गन्ने व ज्वार बाजरा मक्का अन्य छोटी-फसलोन में पानी में आने के कारण खत्म होती जा रही है.   अगर जल्द समस्या का समाधान नहीं किया गया तो विद्युत विभाग के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया जाएगा विद्युत विभाग के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों में विजयपाल चौहान उमेश चौहान अजय चौधरी अजय शास्त्री संजय चौहान जसवीर चौहान अरुण चौहान मधुसूदन शास्त्री वीरेंद्र सिंह रघुवीर सिंह के अलावा काफी संख्या में किसान मौजूद रहे.   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 22, 2024

सूखी पडी चौगामा नहर, किसानों और फसलों पर गर्मी का कहर

बडौत, 22 मई 2024  (यूटीएन)। गर्मी, सर्दी या हो बरसात, लेकिन सूखी पडी चौगामा नहर में पानी की आस ,किसानों को कर रही है निराश। संबंधित अधिकारियों की लापरवाही व नेताओं द्वारा सरकार से पुरजोर मांग न होने के चलते ,पानी के अभाव में नहर सूखी रहने से खेत और किसान के अरमानों पर जरूर पानी फिर रहा है।    बता दें कि, तहसील क्षेत्र के चौगामा क्षेत्र में नहर की शुरुआत लगभग 47 वर्ष पहले की गई थी । सन् 1977 में उत्तर प्रदेश सरकार में ठाकुर बलवीर सिंह सिंचाई मंत्री के पद पर कार्यरत थे उन्होंने अपने कार्यकाल में चौगामा क्षेत्र में नहर की खुदाई करवा कर उद्घाटन किया था। इससे पहले मुजफ्फरनगर जिले के बुढाना तहसील क्षेत्र के कुछ इलाके जनपद मेरठ में हुआ करते थे उस समय यह नहर बुढ़ाना कस्बे से गुजर रही थी तथा हिंडन नदी पर चेक डैम बनाकर पानी डालने की योजना बनी थी, लेकिन कुछ दिन बाद इस योजना में बदलाव हुआ और इसका विस्तार करते हुए इसको रेगुलर नहर बनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया.   और यह नहर सहारनपुर से वाटर लेवल ऊपर उठने के लिए प्लान तैयार करके नहर का कार्य लालू खेड़ी से जोला गांव से होते हुए पहुंची । जोला से इस नहर में कई माइनर निकल गए इसके बाद यह नहर चौगामा क्षेत्र से गुजरती हुई कुरालसी निरपुडा गांव होती हुई दोघट टीकरी आदि गांव से गुजर रही है। इस नहर को चोगामा क्षेत्र नहर का नाम बदलकर चौधरी चरण सिंह नहर कर दिया गया था ।    नहर में पानी छोड़े जाने की मांग को लेकर पिछले वर्ष लगातार धरना प्रदर्शन एक माह तक होता रात ,तब जाकर इस नहर में पानी दिन रात छोड़ा गया था। लेकिन इसके बाद से किसान इस नहर में पानी छोड़े जाने की मांग लगातार करते आ रहे हैं ,मगर यह नहर सूखी पड़ी है, जिससे किसान भी बेहद परेशान दिखाई दे रहे हैं। किसानों के खेत खलिहान सूखे पड़े हैं। चोगामा क्षेत्र के किसानों में नहर में पानी नहीं आने से आक्रोश पनपता जा रहा है।किसानों ने नहर की सफाई कराने ,नहर में पानी छोड़े जाने की मांग की है।    किसान नेता संजीव कुमार विकास चौधरी सत्येंद्र सिंह रामकुमार चौधरी धर्मपाल सिंह पप्पन राणा सुरेंद्र राणा बिजेंदर राना हरवीर सिंह गजेंद्र सिंह विक्रम सिंह राणा हरवीर सिंह दिलावर सिंह सुकरामपाल सिंह आदि किसानों ने कहा कि ,अगर एक सप्ताह के अंदर नहर में पूर्ण तरीके से पानी नहीं छोड़ा गया ,तो तहसील परिसर में किसान धरने पर बैठ जाएंगे और जब तक पानी नहर में नहीं छोड़ा जाएगा तब तक धरना जारी रहेगा ।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 22, 2024

शिक्षक संघ का ग्रीष्मकालीन शिविर शुक्रताल में 10 से 12 जून तक, नेताओं द्वारा सफलता हेतु अभियान

बडौत, 22 मई 2024  (यूटीएन)। शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए जून माह में त्रिदिवसीय ग्रीष्मकालीन शैक्षिक गोष्ठी व चिंतन शिविर। माध्यमिक शिक्षक संघ के चेतनारायण गुट द्वारा प्रदेश स्तरीय शिविर शुक्रताल के स्वामी कल्याण देव इंटर कॉलेज में होगा आयोजित।    ग्रीष्मकालीन शैक्षिक गोष्ठी एवं चिन्तन शिविर की सफलता तथा वार्षिक सदस्यता अभियान में तेजी लाने के लिए पिछले तीन दिन से जनपद के विभिन्न स्कूलों में सम्पर्क अभियान के माध्यम से समस्याओं का संकलन तथा जिला, मंडल व प्रदेश स्तर के आधार पर श्रेणीबद्ध कर रहा है। शिविर में इन समस्याओं के समाधान के लिए रणनीति तैयार की जाएगी।    विद्यालयों में संपर्क के दौरान स्वराज पाल दुहूण, राजबीर सिंह तोमर पूर्व प्रधानाचार्य एवं जिलाध्यक्ष, जितेन्द्र तोमर पूर्व जिलामंत्री, सुभाष दुहूण कोषाध्यक्ष, ओमबीर तोमर पूर्व प्रधानाचार्य पूर्व जिलाध्यक्ष, जिला मंत्री हरिन्द्र नाथ सहाय प्रमुख रहे।बताया गया कि, ग्रीष्मकालीन शिविर शुक्रताल में 10-11-12 जून को  होगा। शिविर का उद्घाटन प्रदेश अध्यक्ष चेतनारायण सिंह द्वारा किया जाएगा। शिविर में संगठन के प्रदेश संरक्षक राजबहादुर चंदेल,प्रदेश महामंत्री पूर्व एमएलसी राम बाबू शास्त्री आदि अनेक शिक्षक नेता उपस्थित रहेंगे।   *समस्याओं का किया संकलन*   विद्यालयों में शिक्षकों से संपर्क के दौरान बताया गया कि, जनपद में सबसे बडी समस्या वर्ष 2023 व 24 में सेवानिवृत्त हुए प्रधानाचार्य प्रवक्ताओं एवं शिक्षकों तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को उनके जीपीएफ का अभी तक भुगतान न होना,इस वर्ष जीपीएफ से लोन लेने वाले शिक्षकों को लोन नहीं मिलने की है। ऐसी 45 से अधिक समस्या सामने आई। इसी के साथ ही जनता इंटर कालेज पलडडी के शिक्षकों की पिछले तीन साल से एनपीएस कटौती का पैसा उनके एकाउंट में अपडेट न होने की भी प्रमुख रूप से उठाई गई।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 22, 2024

विरासत में नाम दर्ज कराने हेतु अभियान में 1029 ने किया आवेदन 871 का आदेश हुआ पारित

बागपत, 22 मई 2024  (यूटीएन)। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के निर्देशन में तहसीलों में 1 मई से 10 मई तक विरासत खतौनी दर्ज  अभियान कार्यक्रम चलाया गया। इस दौरान जिनकी विरासत,खतौनी में दर्ज नहीं हुई है, उनके नाम दर्ज कराए जाने के लिए यह विशेष अभियान जिलाधिकारी की पहल पर चलाया गया ,जिसमें समस्त लेखपालों, सभी एसडीएम सहित तहसीलदारों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अभियान को सफलता मिली।     इस दौरान रिकॉर्ड के अनुसार 1333 में से कुल 1029 ने आवेदन किया था जिसमें 27 प्रकरण विवादित श्रेणी मेंं मिले, जबकि 871 काश्तकारों की विरासत, खतौनी में दर्ज की गई। बता दें कि,विरासत का कार्य जिलाधिकारी की मुख्य प्राथमिकताओं में से एक है। इसके तहत 871 किसानों को अभियान के अंतर्गत अपनी खतौनी प्राप्त हुई, जिसमें कोई भी समय नही लगा तथा नाम आसानी से चढ़ गए हैं और काश्तकारों को इसके लिए बेवजह चक्कर काटने से मुक्ति मिल गई।    जिलाधिकारी ने समस्त राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि, विरासत संबंधित किसी भी कार्य में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए तथा जनता को इसका लाभ मिले। जनता को अनावश्यक रूप से सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाने ना पड़ें।   उन्होंने किसानों से यह अपील की है कि, अभी भी अगर किसी की विरासत दर्ज नहीं हुई है वह कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करा सकते हैं या अपने संबंधित लेखपाल को मृत्यु प्रमाण पत्र, वारिशों के आधार कार्ड, फर्द आदि उपलब्ध करा सकते हैं। राजस्व विभाग की टीम को सख्त निर्देश दिए हैं कि, निर्विवाद स्थिति में मृतक के परिजन का नाम खतौनी में 10 दिन के अंदर दर्ज हो जाना चाहिए,जिससे कि किसी को खतौनी का नाम चढ़ाए जाने के लिए परेशान नहीं होना पड़े।उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि लेखपाल गांव में पैनी नजर बनाए रखें ,जिसका जो मामला है ,उसे त्वरित गति से नियम संगत दर्ज करें ।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |    

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May 22, 2024

बलिदान और शौर्य संग मन में कई सवाल लिए जब संसद भवन से विदा हुए भावुक सीआरपीएफ जांबाज

नई दिल्ली, 22 मई 2024  (यूटीएन)। देश का सबसे बड़ा केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ', जिसकी स्थापना आजादी से पहले 1939 में हो गई थी। सीआरपीएफ के पूर्व आईजी कमलकांत शर्मा, इस फोर्स को सभी बलों की 'गंगोत्री' बताते हैं। इसी बल का एक समूह, जिसे पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप (पीडीजी) कहा जाता है, इसके जवान और अधिकारी, पिछले सप्ताह उदास हो गए। बलिदान और शौर्य के संग जब संसद भवन से पीडीजी जांबाजों की विदाई हुई, तो वे भावुक हो उठे। किसी का मन उदास था तो कुछ जवानों की आंखें भर आई थीं।   करीब डेढ़ दशक से संसद भवन की अचूक सुरक्षा करने वाले 'पीडीजी' को यूं अपनी विदाई रास नहीं आई। यहां बात 'पीस पोस्टिंग' की कतई नहीं है। सीआरपीएफ को हटाकर सीआईएसएफ को संसद की सुरक्षा सौंपना, ये भी एतराज की बात नहीं थी। भावुक पीडीजी के मन में कई सवाल उठ रहे थे कि 'बलिदान और शौर्य' के बावजूद, उन्हें इस तरह से क्यों हटाया गया। आखिर हमारी ड्यूटी में कहां पर कमी रह गई।   *संसद भवन की सुरक्षा से क्यों हटाया गया?*   पीडीजी के लिए पिछला सप्ताह बहुत अहम रहा। हालांकि उन्हें संसद भवन से विदाई का मैसेज कई दिन पहले ही मिल चुका था। पीडीजी के सभी जवानों और अधिकारियों ने संसद भवन के पुराने परिसर के सामने खड़े होकर आखिरी फोटो खिंचवाई। लंबे समय से इस बल का हिस्सा रहे एक जवान से जब पूछा गया, तो वह भावुक हो उठा। कुछ लोग, यह कह रहे हैं कि सीआरपीएफ के लिए ये 'पीस पोस्टिंग' थी, अब वह सहूलियत छीन गई है। ऐसा तो कतई नहीं है। ये बल तो कश्मीर, नक्सल प्रभावित क्षेत्र और उत्तर पूर्व में दशकों से तैनात है। ऐसे में ये बात तो कहीं से भी जायज नहीं है। हम दो तीन दिन से सो नहीं पा रहे थे। मन में एक ही सवाल था। आखिर हमें एकाएक संसद भवन की सुरक्षा से क्यों हटाया गया।   गत वर्ष 13 दिसंबर को संसद भवन की सुरक्षा में बड़ी चूक सामने आई थी। उस दिन संसद भवन पर हुए हमले की 22वीं बरसी थी। कुछ लोग संसद में घुस गए थे। उसमें पीडीजी की क्या चूक थी, ये किसी ने नहीं बताया। घटना की जांच के लिए जो कमेटी बनी थी, उसमें सामने आया था कि फ्रिस्किंग/चेकिंग का काम तो दिल्ली पुलिस का था। पास वेरिफिकेशन भी दिल्ली पुलिस के नियंत्रण में था। जांच रिपोर्ट में सीआरपीएफ की कोई कमी नहीं मिली। इसके बावजूद सरकार ने पीडीजी को हटाने का निर्णय ले लिया।   *सभी फोर्स की गंगोत्री है सीआरपीएफ*   बल के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, ये सीआरपीएफ के जवानों और अफसरों के लिए निराशाजनक फैसला था। फोर्स के उत्साह को कमजोर करने वाला था। खास बात है कि पीडीजी को हटाने का फैसला, जिस कमेटी की रिपोर्ट पर हुआ है, उसके अध्यक्ष तो खुद सीआरपीएफ डीजी थे। सीआरपीएफ के पूर्व आईजी कमलकांत शर्मा के मुताबिक, देखिये वैसे तो सभी फोर्स की नेचर ऑफ ड्यूटी अलग रहती है। हर कोई अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता रखता है। लौह पुरुष सदार पटेल, इस फोर्स के जनक हैं। जब हम कहते हैं कि 1939 में स्थापित हुई सीआरपीएफ, सभी फोर्स की गंगोत्री है, तो उसमें कुछ गलत नहीं है। इस बल की अधिकांश नफरी तो पूरी तरह से ऑपरेशनल एरिया में रहती है।   लॉ एंड ऑर्डर में भी ये फोर्स अग्रणी है। कहीं भी कोई आपदा आती है तो सिर्फ यह कहा जाता है कि प्लेन तैयार है, आपके पास तीस मिनट हैं। किसी भी जगह पर जवान/अफसर को, तीन साल स्थायित्व के नहीं मिल पाते। 2001 के संसद हमले में इन जवानों ने आतंकियों को करारा जवाब दिया था। लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा की थी। ऐसे में अब बिना किसी वजह के पीडीजी को हटाना, कई सवाल खड़े करता है। इस ड्यूटी के लिए अगर सीआरपीएफ और सीआईएसएफ का मर्जर करते तो ठीक रहता। दोनों बलों के पास अपनी एक विशेषता है। स्थायित्व और अनुभव, यह मेल एक बेहतर सुरक्षा दायरा स्थापित कर सकता था।   *हारी टीम बदली जाती है, जीती हुई नहीं* सीआरपीएफ के पूर्व सहायक कमांडेंट सर्वेश त्रिपाठी कहते हैं, हर फोर्स में जवान बहादुर ही होते हैं। सभी बलों की अपने क्षेत्र में एक विशेज्ञता होती है। ऐसी कोई ड्यूटी नहीं होगी, जहां इस बल ने खुद को स्थापित न किया हो। श्रीनगर एयरपोर्ट से हटाया, इस बल को कोई दिक्कत नहीं हुई। संसद भवन की सुरक्षा से हटाना, ये बात कष्ट प्रदायक है। जांबाजों के मनोबल को कमजोर करने वाली है। अब 'राम मंदिर' की सुरक्षा से सीआरपीएफ को हटाने की चर्चा है। ऐसी जगहों की सुरक्षा के लिए इस बल ने शहादत दी है। असीम शौर्य का प्रदर्शन किया है। संसद भवन से क्यों हटाया जा रहा है, इसका कोई कारण तो बताएं। जवानों के मन में सवाल उठना लाजमी है।   आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर इस बल की कामयाबी किसी से छिपी नहीं है। हारी हुई टीम को बदला जाता है, जीती हुई को नहीं। पीडीजी के मामले में यह बात उलट हो रही है। पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप की ट्रेनिंग एवं उपकरणों पर पैसा खर्च हुआ है। ये एक स्पेशल फोर्स थी। ऐसे में यहां से पीडीजी को हटाए जाना, जवानों के लिए एक भावुक पल तो है ही। साल 2012 से लेकर अब तक पीडीजी, 16 सितंबर को बतौर स्थापना दिवस मनाता रहा है।   *संसद को किसी भी तरह के हमले से बचाना* पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप, जिसकी नफरी करीब डेढ़ हजार बताई गई है, उसका एक ही मकसद था, किसी भी तरह के हमले से संसद को बचाना। पीडीजी के गठन से पहले भी सीआरपीएफ ने लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा की है। 13 दिसंबर 2001 को संसद पर आतंकवादी हमला हुआ। पाकिस्तान के आतंकी संगठन 'लश्कर-ए-तैयबा' और 'जैश-ए-मोहम्मद' के पांच दहशतगर्द, संसद भवन परिसर में घुस गए थे। सीआरपीएफ की सिपाही कमलेश कुमारी ने आतंकियों की गाड़ी को रोकने का प्रयास किया।   उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। संसद भवन के दरवाजे बंद होने के बाद सीआरपीएफ जवानों ने मोर्चा संभाला। सभी आतंकवादी मारे गए। महिला सिपाही के अलावा दिल्ली पुलिस और पार्लियामेंट में तैनात दूसरी सेवाओं के कई लोग मारे गए थे। कांस्टेबल कमलेश कुमारी को अशोक चक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया गया। हवलदार यम बहादुर थापा, कांस्टेबल डी संतोष कुमार, कांस्टेबल सुखविंदर सिंह और सिपाही श्याबीर सिंह को शौर्य चक्र से नवाजा गया।   *आतंकियों को संसद भवन में नहीं घुसने दिया* आतंकियों की गोली से लहूलुहान हुए सीआरपीएफ के हवलदार वाईबी थापा और सिपाही सुखविंद्र सिंह ने मानव बम को संसद में प्रवेश नहीं करने दिया। आतंकियों में शामिल मानव बम, जो संसद के गेट नंबर एक से अंदर पहुंचने के प्रयास में था, को पहले ही ढेर कर दिया। अगर मानव बम बने आतंकी को तीस सेकेंड का समय मिल जाता, तो उसका संसद भवन के भीतर पहुंचना तय था। सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर कमलेश कुमारी संसद भवन परिसर के गेट नंबर 12 के स्कैनर पर तैनात थी। उसने देखा कि विजय चौक से एक कार, जिस पर गृह मंत्रालय और संसद भवन का स्टीकर लगा हुआ था, गेट नंबर 12 की तरफ आ रही है। जैसे ही वह कार निकट पहुंची, तो उसमें से चार आतंकी बाहर निकले।   वह गेट बंद करने के लिए दौड़ी। हालांकि इस दौरान वह वायरलेस सेट पर कंट्रोल रूम को सूचना भी दे रही थी। दोबारा से अपनी पिकेट पर पहुंचने के बाद कमलेश ने आसपास के जवानों को चेताया। तभी उसकी नजर मानव बम पर पड़ी। जैसे ही उसने यह सूचना कंट्रोल रूम को दी, उसी वक्त गेट नंबर 11 की ओर से कई आतंकी उसकी तरफ आ रहे थे। हाथ में वायरलेस सेट लिए वह पिकेट से बाहर निकली। उसी दौरान आतंकियों ने उस पर लगातार गोलियों बौछार कर दी। उसकी सूचना पर ही सीआरपीएफ ने सारा घटना क्रम समझकर आतंकियों को ढेर किया था।   *इससे जवानों के मनोबल पर क्या असर पड़ेगा* सीआरपीएफ के मौजूदा एवं पूर्व अधिकारियों का कहना है, संसद भवन से पीडीजी को हटाने के बारे में तर्क आधारित विचार विमर्श नहीं किया गया। न तो अतीत देखा गया और न ही भविष्य की सुरक्षा। सीआरपीएफ ने सुरक्षा के मोर्चे पर कितना कुछ किया है, मगर उसे एक झटके में किनारे कर दिया गया। इससे जवानों के मनोबल पर क्या असर पड़ेगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। श्रीनगर एयरपोर्ट की सुरक्षा करने में इस बल ने कोई कसर बाकी नहीं रखी। वहां से भी हटा दिया गया।   जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने 5 जुलाई 2005 को अयोध्या के राम मंदिर परिसर में हथगोलों व राकेट लांचर से ताबड़तोड़ हमला किया था। मंदिर परिसर की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ जवानों ने पांचों आतंकियों को मुख्य स्थल तक पहुंचने से पहले ही ढेर कर दिया था। अब वहां की सुरक्षा की समीक्षा चल रही है। सूत्रों का कहना है कि मंदिर परिसर से सीआरपीएफ को हटाया जा रहा है।   *जांबाजी के बारे में नहीं सोचा गया* संसद भवन में गत वर्ष जो कुछ हुआ, कुछ हुआ उसके लिए सीआरपीएफ की तकनीकी तौर पर कोई जिम्मेवारी ही नही थी। जांच और रिव्यू कमेटी के मुखिया तो सीआरपीएफ के ही मौजूदा डीजी रहे हैं। जम्मू के रघुनाथ मंदिर या अयोध्या मंदिर का हमला हो, सीआरपीएफ ने अपना लोहा मनवाया है। कृष्ण जन्मभूमि मथुरा, बाबा विश्वनाथ वाराणसी जैसे कई बड़े धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सीआरपीएफ करती रही है।   बनिहाल-काजीकुंड टनल के बनने से पूर्व तक और अब भी भारत के शेष हिस्से को कश्मीर से जोड़ने वाली जवाहर टनल की सुरक्षा, सीआरपीएफ जवान कर रहे हैं। वीआईपी सुरक्षा मुहैया कराने वाला यह बल एक विशेष फोर्स का दर्जा पा चुका है। संसद भवन की सुरक्षा से हटाते वक्त इस बल की जांबाजी के बारे में नहीं सोचा गया।   *दो बटालियनों में विभाजित होगा पीडीजी दस्ता* संसद भवन की पुख्ता सुरक्षा के लिए 'पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप' (पीडीजी) का गठन किया गया था। इस विशेष बल में लगभग 1600 जवानों को रखा गया। इसके अलावा एक डीआईजी, एक कमांडेंट, एक टूआईसी, छह डिप्टी कमांडेंट और 14 सहायक कमांडेंट को पीडीजी का हिस्सा बनाया गया।   अब पीडीजी दस्ते को दो बटालियनों में विभाजित कर उसे सीआरपीएफ की वीआईपी सुरक्षा में शामिल किया जाएगा। बल के सूत्रों का कहना है कि संसद भवन हो या राम मंदिर की सुरक्षा, यह बल तय सुरक्षा मानकों पर सदैव खरा उतरा है। इस तरह का निर्णय केंद्रीय गृह मंत्रालय के स्तर पर होता है।   *पीडीजी, कोई सामान्य बल नहीं था* 13 दिसंबर 2023 की घटना के बाद उच्च स्तरीय बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए थे। सीआरपीएफ डीजी अनीश दयाल सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी भी गठित की गई थी। इन सबके बाद ही यह निर्णय लिया गया कि संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंप दी जाए। पीडीजी, कोई सामान्य बल नहीं था। इसे सुरक्षा के कड़े एवं उच्च मानकों के आधार पर प्रशिक्षित किया गया था। अब लगभग 1600 जवानों और अफसरों को यहां से हटाया जा रहा है।   भले ही ये पॉलिसी मैटर हो, लेकिन वर्षों से संसद भवन की सुरक्षा कर रहे पीडीजी को हटाने का औचित्य नजर नहीं आता। आतंकियों और नक्सलियों को खात्मा करने और सुरक्षा के अन्य मोर्चों पर अपना दमखम दिखाने वाले बल के अधिकारी एवं जवान, पीडीजी को हटाने के निर्णय से खुश नहीं हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 22, 2024

सऊदी अरब, कुवैत, ओमान समेत कई देशों से आप को हुई फंडिंग

नई दिल्ली, 22 मई 2024  (यूटीएन)। दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से चार्जशीट में आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाया गया है. इस चार्जशीट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी नाम शामिल है. इस बीच आप और सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं. दरअसल, ईडी ने अगस्त 2022 में गृह मंत्रालय को बताया था कि आम आदमी पार्टी को साल 2014 से 2022 के दौरान एफसीआरए, आरपीए का उल्लंघन करते हुए विदेशों से फंडिंग मिली. गौरतलब है कि राजनीतिक दल विदेशी चंदा नहीं ले सकते हैं.   आम आदमी पार्टी को कनाडा, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, ओमान और कई दूसरे देशों से फंडिंग मिली है. ईडी ने गृह मंत्रालय को बताया कि सियासी दलों पर विदेशी चंदे पर लगे प्रतिबंधों से बचने के लिए आम आदमी पार्टी ने अपने अकाउंट में पैसा देने वालों की पहचान को छुपाया. ये विदेशी फंडिंग सीधा आम आदमी पार्टी के आईडीबीआई बैंक में खुले अकाउंट में आया था.   *आप विधायक के खाते में ट्रांसफर हुए पैसे* ईडी के मुताबिक आम आदमी पार्टी के नेताओं में शामिल विधायक दुर्गेश पाठक का भी नाम शामिल है, जिन्होंने इस विदेशी फंडिंग को अपने पर्सनल अकाउंट में ट्रांसफर किया. विदेशों से फंड भेजने वाले अलग-अलग लोगों ने एक ही पासपोर्ट नंबर, क्रेडिट कार्ड, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया था. बता दें कि फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट और रिप्रेसेंटशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत सियासी दलों के लिए विदेशी फंडिंग लेने पर प्रतिबंध है और ये एक अपराध का श्रेणी में आता है.    *कनाडा में इवेंट के जरिए इकट्ठा की फंडिंग* प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में पाया कि साल 2016 में आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक ने कनाडा में हुए एक इवेंट के जरिए फंडिंग इकठ्ठा की और इन पैसों का निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया.    *कैसे हुआ था ये खुलासा?* दरअसल ये सभी खुलासे पंजाब के फाजिल्का में दर्ज स्मगलिंग के एक मामले के दौरान हुए थे. इस मामले में पाकिस्तान से भारत में ड्रग्स तस्करी करने वाले ड्रग कार्टेल पर एजेंसीज काम कर रही थी. इस मामले में फाजिल्का की स्पेशल कोर्ट ने पंजाब के भोलानाथ से आप एमएलए सुखपाल सिंह खैरा को आरोपी बनाते हुए समन किया था. ईडी ने जांच के दौरान खैरा और उसके एसोसिएट्स के यहां जब सर्च ऑपरेशन चलाया था तो खैरा और उसके साथियों के यहां से कई संदिग्ध कागज़ात मिले थे, जिनमें आम आदमी पार्टी को विदेशी फंडिंग कि पूरी जानकारी थी. बरामद कागज़ातों में 4 टाइप रिटेन पेपर और 8 हाथ से लिखे डायरी के पेज थे, जिनमें अमेरिका के डोनर की पूरी जानकारी थी. इन कागज़ों कि जांच के दौरान ईडी को यूएसए से आम आदमी पार्टी को 1 लाख 19 हजार डॉलर की फंडिंग का पता चला था. खैरा ने भी अपने बयान में बताया था कि 2017 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने यूएसए में फंड रेजिंग कैंपेन चलाकर चंदा इकट्ठा किया था.    *पासपोर्ट नंबर से 404 बार किया पैसा ट्रांसफर* इस मामले में ईडी ने आम आदमी पार्टी के नेशनल सेक्रेटरी पंकज गुप्ता को समन किया था, जिन्होंने कबूल किया था कि आम आदमी पार्टी चेक और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए विदेशी फंडिंग ले रही है. जो डेटा पंकज गुप्ता ने ईडी को उपलब्ध कराया था, उसकी पड़ताल से पता चला कि फॉरेन डोनेशन लेने में एफसीआरए का उल्लंघन किया गया था.  उस दौरान ईडी को पता चला था कि विदेश में बैठे 155 लोगों ने 55 पासपोर्ट नंबर इस्तेमाल कर 404 बार में 1.02 करोड़ रुपये डोनेट किए गए थे. 71 डोनर ने 21 मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर 256 बार में कुल 9990870 रुपये डोनेट किए. 75 डोनर ने 15 क्रेडिट कार्ड के जरिए 148 बार में 19,92,123 रुपये डोनेट किए. जिससे साफ है कि डोनर की आइडेंटिटी और नेशनलिटी को छुपाया गया, जो एफसीआरए का उल्लंघन है.   *विदेशी फंड के लिए आप ने बनाया ओवरसीज संगठन* ईडी को जांच के दौरान पता चला कि आम आदमी पार्टी की तरफ से आप ओवरसीज इंडिया का गठन किया गया था. आम आदमी पार्टी ओवरसीज इंडिया को वॉलिंटियर्स यूएसए, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे अलग-अलग देश में चलाते थे. जिनका काम आम आदमी पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करना था. इस बात का भी खुलासा हुआ कि साल 2016 में इन वालंटियर्स को 50 करोड़ रुपए की डोनेशन इकट्ठी करने का टारगेट दिया गया था.    कनाडा नागरिकता के 19 मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी का इस्तेमाल करके 51 लाख 15 हजार 44 रुपये की फंडिंग प्राप्त की गई. ईडी जांच के दौरान पता चला कि इन कनाडा नेशनल के नाम और उनकी नागरिकता को छुपाने की कोशिश की गई, जिन्हें रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं किया गया. वहीं इस डोनेशन के बदले में अलग-अलग नाम लिख दिए गए और यह सब जानबूझकर फॉरेन नेशनल की नागरिकता को छुपाने के लिए किया गया, जो सीधा-सीधा एफसीआरए 2010 के कनेक्शन 3 और आरपीए के सेक्शन 298 का उल्लंघन है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 22, 2024

कांग्रेस नेत्री पवन कुमारी शर्मा ने कहा बिजली कटौती और पानी की कम सप्लाई से गर्मियों के मौसम में जनता हो रही परेशान

पिंजौर,19 मई 2024  (यूटीएन)। हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस की महासचिव पवन कुमारी शर्मा ने कहा कि पिंजौर, कालका क्षेत्र में आजकल बढ़ती हुई बिजली कटौती के कारण इस गर्मी के मौसम में लोगों का पूरा हाल है। बिजली सुबह से रात तक कब चली जाए और कब तक बंद रहे किसी को यह जानकारी पहले से नहीं दी जाती, इतना ही नहीं थोड़ी सी तेज हवा चले तो कई कई घंटे तक बिजली को बंद रखा जाता है जबकि गर्मिया आने से पहले ही सर्दियों में बिजली के कट लगाकर बिजली विभाग ने गर्मियों में बिजली कटौती ना लगे इसके इंतजाम भी करने के दावे किए थे लेकिन सारे इंतजाम धरे के धरे रह गए। भीषण गर्मी में अचानक बिजली बंद होने से लोगों का विशेष कर बच्चों का बुरा हाल हो रहा है।    कांग्रेस नेत्री पवन कुमारी शर्मा ने कहा कि इतना ही नहीं पिंजौर, कालका में पीने के पानी की सप्लाई भी नाम मात्र की जा रही है। कई जगहों पर तो इस गर्मी के मौसम में पानी की सप्लाई कई कई दिनों तक बंद रहती है। लोगों द्वारा बिजली और जलापूर्ति विभाग के विरुद्ध रोष प्रदर्शन करने की खबरें अखबारों में पढ़ने को मिल रही हैं।   जबकि सरकार ने दावा किया था कि उन्होंने बहुत विकास किया है लेकिन जमीन पर कहीं विकास नजर नहीं आ रहा है। लोग टूटी फूटी सड़कों और गलियों से परेशान है, सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है, स्ट्रीट लाइट खराब पड़ी है।    इसके अलावा लोग बढ़ती हुई महंगाई और बेरोजगारी से परेशान है। दुखी लोग भाजपा सरकार को कोस रहे हैं।   अब भाजपा की विदाई का समय आ गया है इसलिए लोग कहने लगे हैं 25 मई बीजेपी गई। पवन कुमारी शर्मा ने दावा किया है कि हरियाणा प्रदेश और देश में कांग्रेस की सरकार बनना लगभग तय हो चुका है। इसलिए लोग बड़ी उत्सुकता से 25 मई को वोट डालने का इंतजार कर रहे हैं।   हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

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May 19, 2024