Health

गर्मी में घट रही है रोग निरोधक क्षमता,बीमारियां बढ़ी, 11-3 बजे तक धूप से बचें बुजुर्ग व बच्चे : डॉ विजय कुमार

बडौत,26 मई 2024  (यूटीएन)। तहसील क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में लू या हीटवेव अधिक चलने व तापमान बढने से गर्मी में बच्चे और बुजुर्ग बीमारी की चपेट में अधिक आ रहे हैं। चिकित्सकों का मानना है कि,गर्मी के कारण उनमें रोग निरोधक क्षमता कम होने से बीमारी का अधिक खतरा रहता है।साथ ही अधिक पसीना आने से सोडियम की कमी होने लगती है, जिसके कारण चक्कर आने की भी समस्या बढ़ जाती है। इसलिए उनको सुबह 11 से 3 बजे तक विशेष रूप से धूप से बचने की सलाह दी जा रही है।   नगर में स्थित सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार का कहना है कि, धूप के कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे सिर दर्द तथा अधिक देर तक धूप में रहने से चक्कर आने की समस्या आ जाती है। इसके साथ ही गर्मी के कारण अस्पताल में डायरिया के मरीज बढ़ रहे हैं, इनमें सबसे अधिक मरीज बच्चे और बुजुर्ग हैं।इस दौरान लोगों को दवा के साथ गर्मी से बचाव की सलाह दी जा रही है।    सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार लोगों को सुबह 11 बजे से 3 बजे तक घर से बाहर न निकलने और जरूरी होने पर सिर को गमछा अथवा अन्य किसी कपड़े से ढककर ही घर से बाहर निकलने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि, सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक गर्मी चरम पर होती है ,जिससे बीमारी होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।    सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि, इस समय लू की चपेट मैं आने से बचें।बताया कि, गर्मी में डायरिया के मरीज बढ़े हैं, इनमें बच्चे और बुजुर्ग अधिक हैं। लोगों को गर्मी से बचाव के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 26, 2024

एम्स समेत कई मेडिकल संस्थानों में बन रहे 'चलने वाले अस्पताल

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आरोग्य मैत्री प्रोजेक्ट के तहत पहले पोर्टेबल अस्पताल को तैयार किया गया है ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में पीड़ितों का तुरंत इलाज शुरू हो सके। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अगले दो से तीन महीनों में देश के अलग- अलग हिस्सों में स्थित ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस समेत सभी बड़े मेडिकल संस्थानों में पोर्टेबल अस्पताल होंगे। प्रोजेक्ट भीष्म (सहयोग, हित और मैत्री के लिए भारत की स्वास्थ्य पहल) के साथ स्वदेशी रूप से इसे डिज़ाइन किया गया है। प्राकृतिक आपदाओं समेत किसी भी संकट की स्थिति में 200 पीड़ितों का इलाज किया जा सकता है।   72 क्यूब को जोड़कर एक पोर्टेबल अस्पताल तैयार किया जाता है, इसे हवाई, जल या फिर सड़क किसी भी मार्ग से ले जा सकते हैं। पहाड़ी इलाकों, दूर- दराज के इलाकों, नॉर्थ ईस्ट समेत ऐसे क्षेत्रों में अगर कोई आपदा आती है तो इन पोर्टेबल अस्पतालों को एम्स व दूसरे संस्थानों से तुरंत उन जगहों पर भेजा जाएगा और पीड़ितों का इलाज शुरू होगा। इस अस्पताल में बुलेट इंजरी, स्पाइनल, चेस्ट, इंजरी के साथ ही बर्न और स्नेक बाइट के मरीजों का भी इलाज हो सकता है।   *वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में दिखाया जाएगा मॉडल* देश में पिछले दस वर्षों में एम्स की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। हाल ही में एम्स राजकोट, एम्स बठिंडा, पश्चिम बंगाल में एम्स कल्याणी, आंध्र प्रदेश में एम्स मंगलागिरी और एम्स रायबरेली देशवासियों को समर्पित किया गया है। वहीं एम्स रायबरेली, एम्स बठिंडा भी तैयार हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जिनीवा में 27 मई से शुरू होने वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में भी भारत द्वारा तैयार किए गए पोर्टेबल अस्पताल के मॉडल को दिखाया जाएगा।   इससे जुड़ी वीडियो को एक सेशन में दिखाया जाएगा और अलग- अलग देशों को बताया जाएगा कि भारत ने आपात स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कैसे नए प्रयोग किए हैं। विभिन्न देशों को बताया जाएगा कि भारत ने सबसे कम दामों में, सबसे उपयुक्त आपातकालीन मेडिकल रिस्पांस सिस्टम-भिष्म तैयार कर लिया है। इससे दूसरे देश भी अपने यहां इस मॉडल को लागू कर सकते हैं। इस क्यूब अस्पताल में वेंटिलेटर, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड सहित सभी आवश्यक उपकरण शामिल हैं।   *कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स वाली स्टडी का मॉडल केवल फोन पर आधारित* स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स को लेकर की गई स्टडी केवल टेलिफोन पर की गई बातचीत पर आधारित थी और कोई साइंटिफिक आधार नहीं था। ऐसे में इस स्टडी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि किसी भी रिसर्च करने का एक तरीका होता है लेकिन इस रिसर्च की कार्यप्रणाली का कोई आधार ही नहीं था। बस लोगों से फोन किया गया और उसके आधार पर ही रिपोर्ट तय कर दी गई। इलाज के डॉक्युमेंट्स भी नहीं देखे गए। बीएचयू के रिसचर्स ने यह स्टडी की थी और एक विदेशी जर्नल में यह स्टडी (रिसर्च पेपर) प्रकाशित हुआ था। जिसके बाद आईसीएमआर ने इस स्टडी को भ्रामक और गलत तथ्यों पर आधारित बताया था।   दरअसल बीएचयू के रिसचर्स द्वारा जनवरी 2022 से अगस्त 2023 के बीच की गई इस स्टडी में दावा किया गया था कि 926 प्रतिभागियों में से लगभग 50 प्रतिशत ने संक्रमण की शिकायत की थी और स्ट्रोक और गुइलिन-बैरे सिंड्रोम के दुर्लभ जोखिम को बढ़ाया है। इस मुद्दे पर ICMR के डायरेक्टर जनरल ने बीएचयू में यह रिसर्च करने वाले लेखकों और न्यूजीलैंड स्थित ड्रग सेफ्टी जर्नल के संपादक को पत्र लिखा था। सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर रिसर्च करने वालों ने आईसीएमआर को जवाब भेजा है और सूत्रों का दावा है कि उन्होंने माफी भी मांगी है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

हाइपरटेंशन के शिकार डॉक्टरों ने बताया कैसे करें बचाव

नई दिल्ली, 25 मई 2024  (यूटीएन)। जब कभी आप डॉक्टर के पास किसी बीमारी के इलाज या परामर्श के लिए जाते हैं तो वह सबसे पहले आपका बीपी चेक करते हैं. क्योंकि आजकल ज्यादातर लोगों में हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) की परेशानी आम है. हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर माना जाता है जो व्यक्ति के शरीर को अंदर ही अंदर काफी नुकसान पहुंचाता है. हाइपरटेंशन से बचाव के लिए दिल्ली स्थित एम्स 17 मई से 25 मई तक हाइपरटेंशन सप्ताह मना रहा है. जिसके तहत अस्पताल में आए मरीज और उनके परिजनों को इस घातक बीमारी के बारे में जागरूक किया जा रहा है. एम्स की तरफ से हाइपरटेंशन को लेकर जागरूकता लाने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.   जिसमें डॉक्टरों ने इस बीमारी के कारण, लक्षण और इससे बचाव के बारे में काफी विस्तार से बताया. डॉक्टरों ने बताया कि देश में हाइपरटेंशन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसको ध्यान में रखते हुए एम्स कई योजनाएं बना रहा है. आने वाले समय में लोग आसानी से हाइपरटेंशन का इलाज करवा सकेंगे. उन्होंने कहा कि हाइपरटेंशन बीमारी का इलाज काफी कम दाम पर किया जा सकता है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में लगभग 22 करोड़ वयस्कों को उच्च रक्तचाप है और युवाओं में हाई बीपी की बढ़ती प्रवृत्ति देखने को मिल रही है.   मीडिया से बात करते हुए एम्स की डॉक्टर किरण गोस्वामी ने बताया कि आज युवाओं में हाइपरटेंशन की बीमारी ज्यादा देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, अपने खाने में अधिक नमक का सेवन, शारीरिक गतिविधि की कमी, अधिक वजन, तला भुना भोजन, फल और सब्जियों का कम सेवन और तनाव जैसे कई मुख्य कारण हैं. भोजन में हरी सब्जियों और फलों को शामिल कर, रूटीन में व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों को शामिल कर व तनाव से बचने जैसी आदतें अपनाकर हाइपरटेंशन से बचा जा सकता है.   *इस नई व्यवस्था से डॉक्टरों का दबाव होगा कम*   राजधानी के बड़े और नामी अस्पताल एम्स में जल्द ही फ्लेबोटोमिस्ट की नियुक्तियां की जाएंगी. ये नियुक्तियां डॉक्टरों के काम के दबाव को कम करने के उद्देश्य से की जा रही है. एम्स दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों के काम के दबाव को कम करने के लिए फ्लेबोटोमिस्ट नियुक्त किए जाएंगे. फ्लेबोटोमिस्ट उस स्टाफ को कहते हैं जो मरीजों को ग्लूकोज चढ़ाने और इंजेक्शन देने तक का कम करते हैं. इनकी अनुपस्थिति में ये काम रेजिडेंट डॉक्टरों को ही करना पड़ता है.   इन कार्यों के दबाव के कारण वो मरीजों के इलाज पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पाते हैं. इसलिए एम्स के कई रेजिडेंट डॉक्टरों, फैकल्टी और अन्य कर्मचारियों की ओर से लंबे समय से इन नियुक्तियों की मांग की जा रही थी. फ्लेबोटोमिस्ट की नियुक्ति के लिए एम्स के डायरेक्टर से कई बार मांग की गई, क्योंकि इससे डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों के लिए पर्याप्त समय की बचत हो सकती है. इसलिए एम्स दिल्ली में आउट सोर्सिंग के आधार पर फेलोबॉमी सेवा लेने के लिए खुली निविदा आमंत्रित किया गया है.   इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया गया है. इस आउटसोर्स सेवा प्रदाता कंपनी से अपेक्षा की जाएगी कि वे निर्धारित रोगी क्षेत्रों से दिन में कम से कम एक बार नियमित रक्त नमूना संग्रह के लिए पर्याप्त संख्या में फ्लेबोटोमिस्टों की नियुक्ति करें. आपातकालीन विभागों में चौबीस घंटे आधार पर फ़्लेबोटॉमी सेवाएं प्रदान करें.   *फ्लेबोटोमिस्ट की गैरमौजूदगी में रेजिडेंट डॉक्टर करेंगे ये काम*   बारकोड करना और एकत्र किए गए नमूनों को एम्स के भीतर संबंधित प्रयोगशालाओं तक पहुंचाना फ्लेबोटोमिस्ट की मुख्य जिम्मेदारी है. हालांकि, फ्लेबोटोमी की कला और विज्ञान सीखना रेजिडेंट डॉक्टर के कर्तव्यों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, फ़्लेबोटोमिस्टों को शामिल करने का इरादा केवल रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों पर भार कम करना है ताकि वे अन्य रोगी देखभाल पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकें.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 25, 2024

आयुष्मान कार्ड धारक मरीज से अतिरिक्त धन वसूली का आरोप, नोडल अधिकारी ने दिए जांच के आदेश

बडौत,22 मई 2024  (यूटीएन)। आयुष्मान कार्ड के नाम पर बड़े अस्पतालों मे भारी घोटाला।उक्त कार्ड होने के बावजूद भी मरीज के तीमारदारों से वसूली जाती है मोटी रकम।अस्पताल के संचालको की तानाशाही के आगे मरीज और तीमारदार हो जाते हैं बेबस।कभी कहा जाता है कि,दो दिन अस्पताल मे भर्ती मरीज को उक्त कार्ड का नहीं मिलेगा लाभ ।लाभ पाने के लिए पांच दिन मरीज को भर्ती रखने पर देते हैं जोर। इसी तरह का एक सनसनीखेज मामला जनपद के पुराने और विश्वसनीय अस्पताल आस्था का सामने आने पर नोडल अधिकारी डा यशवीर सिंह ने जांच के बाद कार्य की बात कही है।   बता दें कि, सरूरपुर गाँव के विपिन की पुत्री को ब्रोंकाइटिस के कारण सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिसे वे आस्था अस्पताल में लाए। भर्ती करने के लिए उनसे 4 हजार रुपये जमा कराए गए तथा दो दिन बाद युवती के स्वस्थ होने पर छुट्टी के लिए कहा गया, जिसपर प्रबंधन की ओर से आयुष्मान कार्ड के लाभ के लिए कम से कम 5 दिन भर्ती रहने की बात कही गई, तथा दो दिन भर्ती रखने के लिए 18 हजार रुपये जमा कराए जाने का आरोप भी संबंधित तीमारदार द्वारा लगाया गया।    आरोपों के मद्देनजर आस्था अस्पताल के संस्थापक व निदेशक डा अनिल जैन ने आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि, युवती अथवा उनके तीमारदारों से कोई अतिरिक्त धन वसूली नहीं की गई। दूसरी बार भी उसे अस्पताल में लाया गया और बेहतर ट्रीटमेंट दिया गया। डा अनिल जैन ने किसी भी रोगी से अतिरिक्त धन वसूली की बात को तथ्यों के विपरीत बताया तथा कहा कि, जनपद के लोगों का विश्वास और मरीजों की सेवा उनका एकमात्र उद्देश्य है, जिसमें उन्हें सफलता और सम्मान दोनों मिल रहे हैं।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

Ujjwal Times News

May 22, 2024

एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया के तत्वाधान में वर्ल्ड फैमिली डॉक्टर डे मनाया गया

नई दिल्ली, 22 मई 2024  (यूटीएन)। इस बार पूरे भारत में एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया के तत्वाधान में समस्त भारत में  वर्ल्ड फैमिली डॉक्टर डे मनाया गया।  दिल्ली में इस अवसर पर  महाराजा अग्रसेन अस्पताल पंजाबी बाग दिल्ली में एक दिवस कॉन्फ्रेंस का आयोजन फैमिली डॉक्टर के स्वास्थ व्यवस्था में महत्व पर आयोजित किया गया। समारोह का उद्घाटन करते हुए महाराजा अग्रसेन अस्पताल ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री सुभाष गुप्ता ने कहा की सुपर स्पेशलिटी के इस दौर में फैमिली डॉक्टर की तरफ लौटना चाहिए। आपका फैमिली डॉक्टर हमेशा सच्ची सलाह देता है।      एकेडमी ऑफ़ फैमिली फिजिशियन ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष डॉक्टर रमन कुमार ने बताया कि भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के द्वारा कैसे फैमिली डॉक्टर की चिकित्सा विधि फैमिली मेडिसिन को बढ़ावा दिया जा रहा है। कई राज्यों में फैमिली डॉक्टर की नियुक्ति सरकारी अस्पतालों में किया जा रहा है। नेशनल मेडिकल कमीशन कानून 2019 में फैमिली मेडिसिन को विशेष महत्व दिया गया है। समारोह की आयोजक डाक्टर वंदना बूबना अग्रवाल ने पूरे भारत से आए फैमिली डॉक्टर का स्वागत किया।      उन्होंने कहा की कोविड काल में फैमिली डॉक्टर के महत्व को समझा गया जब सरकार ने घर में ही चिकित्सा की नीति बनाई। सभी फेमिली डाक्टर ने अपने आस पास के लोगों की जान बचाई। फैमिली डॉक्टर के बिना किसी स्वास्थ्य वव्यस्था की कल्पना नहीं को जा सकती है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 22, 2024

मुबारिकपुर के आयुष्मान आरोग्य मंदिर लम्बे समय से बंद ,मरीज परेशान, ग्रामीण द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था की मांग

खेकड़ा, 19 मई 2024  (यूटीएन)। निकट के गाँव मुबारिकपुर का आयुष्मान आरोग्य मंदिर सीएचओ के मातृत्व अवकाश पर जाने के कारण लम्बे समय से बंद है, लेकिन इसके बावजूद विभाग वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करा पाया है । ग्रामीणो ने उच्च अधिकारियो शीघ्र ही वैकल्पिक व्यवस्था कराने की मांग की है।    बता दें कि, प्रदेश सरकार ने गांवो में स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर बनाए है। इनमें कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर यानि सीएचओ की तैनाती की गई है, लेकिन मुबारिकपुर के आरोग्य मंदिर में तैनात सीएचओ लम्बे समय से मातृत्व अवकाश पर है, जिस वजह से केन्द्र बंद रहता है और मरीज चक्कर काट कर वापस चले आते हैं। ग्रामीणो ने उच्च अधिकारियों से सीएचओ के अवकाश से लौटने तक वैकल्पिक व्यवस्था कराने की मांग की है।   एसडीएम ज्योति शर्मा ने बताया कि, स्वास्थ्य अधिकारियों से वार्ता कर व्यवस्था करा दी जाएगी।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 19, 2024

बढ़ती उम्र के साथ होने वाले बदलाव पर एम्स रखेगा नजर

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। बढ़ती उम्र के साथ शरीर में होने वाले बदलाव सहित दूसरे कारणों का पता लगाने के लिए एम्स शोध शुरू करेगा। इस शोध के लिए 10 साल से 80 साल की उम्र के लोगों का चयन किया जाएगा। शोध के दौरान इन चयनित लोगों के दिल, दिमाग, मन समेत शरीर के दूसरे अंगों की बनावट और उसमें होने वाले बदलाव का सूक्ष्म स्तर पर अध्ययन किया जाएगा। इसमें देखा जाएगा कि उम्र बढ़ने के साथ इनमें क्या बदलाव होता है।   शोध के लिए कुल 200 लोगों का चयन होगा। इन 200 लोगों को उम्र के आधार पर पांच अलग-अलग ग्रुप में बांटा जाएगा। ग्रुप बनाने के दौरान एक ही परिवार के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि अध्ययन के दौरान पूरी पीढ़ी के कारकों का अध्ययन किया जा सके। यह अध्ययन तीन साल तक चलेगा। अध्ययन के बाद पता चलेगा कि बुजुर्ग होने के साथ शरीर की बनावट व दूसरे हिस्सों में क्या बदलाव आते हैं। इससे भविष्य में होने वाले रोग की पहले ही पहचान हो सकेगी। साथ ही उक्त रोग के कारणों का भी पता चल सकेगा।    विशेषज्ञ बताते हैं कि हर पीढ़ी में कोई न कोई कारण होते हैं जो उम्र बढ़ने के साथ शरीर को कमजोर बनाते हैं। साथ ही शरीर को रोगी भी बनाता है। कारण पता चलने पर उक्त कारकों को पहले ही सुधारा जा सकेगा। राष्ट्रीय वृद्धावस्था केंद्र के अतिरिक्त प्रो. डॉक्टर प्रसून चटर्जी ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ पीढ़ी में होने वाली जटिलताओं को सुलझाने में मदद मिलेगी। शोध के लिए अत्याधुनिक तकनीकों और बहु-विषयक दृष्टिकोण को चुना गया है। शोध के बाद कारणों का पता चल जाएगा। भविष्य में उन कारणों के आधार पर जांच की सुविधा विकसित की जाएगी। साथ ही वैज्ञानिक और स्वास्थ्य देखभाल को भी तैयार किया जा सकेगा।     *शोध में मिलेगा अंतर*    तीन साल तक चलने वाले शोध के दौरान जवान और बुजुर्ग के जीन में बदलाव को देखा जाएगा। साथ ही पता लगाया जाएगा कि किन जीन के कारण भविष्य में रोग हुए हैं और इन रोग के लिए क्या कारक जिम्मेदार हैं। इनका पता चलने के बाद युवावस्था में ही उसका इलाज किया जा सकेगा।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 17, 2024

मधुमेह, दिल, लिवर व एलर्जी की दवाएं सस्ती

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। मधुमेह, दर्द, दिल, लिवर, इन्फेक्शन व एलर्जी की दवाएं सस्ती हो गई हैं। केंद्र सरकार ने इनकी नई कीमतें तय कर दी हैं। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने 123वीं बैठक में 41 दवाओं तथा सात फॉर्मूलेशन की कीमतें घटाने का फैसला किया। इसके तहत अलग-अलग कंपनियों की दवाओं के खुदरा मूल्य तय किए गए। इनमें मल्टीविटामिन व एंटीबायोटिक दवाएं भी शामिल हैं। एनपीपीए ने अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी।   आमतौर पर इन्फेक्शन, एलर्जी के अलावा मल्टीविटामिन व एंटीबायोटिक दवाओं की कीमतें अधिक होती हैं। इससे सामान्य इलाज का खर्च भी अधिक हो जाता है। इसलिए दवाएं सस्ती होने से लोगों को राहत मिलेगी। फरवरी में एनपीपीए ने शुगर और बीपी सहित 69 दवाओं के दामों में संशोधन करते हुए नई कीमतें लागू की थीं, जिसमें 31 फॉर्मूलेशन वाली दवाएं भी हैं। आदेश में विटामिन डी3, पेंटाप्राजोल, टेल्मिसर्टन, आइसोनियाजिड के अलावा मेटफॉर्मिन, सीटाग्लिप्टिन, बिसोप्रोलोल जैसी दवाएं और फॉर्मूलेशन शामिल हैं।    *30 करोड़ से ज्यादा लोगों को मिलेगी राहत*    देश में 10 करोड़ से ज्यादा शुगर और आठ करोड़ से ज्यादा लोग बीपी से ग्रस्त हैं। इनके अलावा गैस, विटामिन डी या फिर अन्य विटामिन की कमी से इनकी दवाओं का कारोबार भी हर साल तेजी से बढ़ रहा है। अनुमान के मुताबिक, एनपीपीए के इस फैसले से 30 करोड़ से ज्यादा लोगों को सीधे तौर पर राहत मिलेगी।    *थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर किया संशोधन*   एनपीपीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दवाओं को लेकर सीमा मूल्य और खुदरा मूल्य में यह संशोधन थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर तय हुआ है। इसके तहत हाल ही में कोरोनरी स्टेंट की कीमत में बदलाव किया गया था। वर्ष 2013 में थोक मूल्य सूचकांक में 0.00551 फीसदी की वृद्धि हुई। उन्होंने यह भी बताया कि दवा और चिकित्सा उपकरणों की मूल्य निर्धारण सुधारों की देखरेख के लिए जिम्मेदार समिति के विस्तार का फैसला भी लिया है। सरकार पहली बार इस समिति में उद्योग क्षेत्र के प्रतिनिधियों को भी शामिल करेगी।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 17, 2024

अब आभा कार्ड से मिल जाएगी पूरी हेल्थ कुंडली ,एएनएम व आशा कार्यकर्त्री गांवों में कार्ड बनाने में जुटी

खेकड़ा,16 मई 2024  (यूटीएन)। अब आभा कार्ड की मदद से रोगी के स्वास्थ्य से जुड़ी सारी जानकारी डॉक्टर के सामने होगी, जिसकी मदद से इलाज करने वाले चिकित्सक जान जाएंगे कि, आपको कौन सी बीमारी है और आपने किस दवा का सेवन किया है। एएनएम और आशा गांव गांव भ्रमण कर आभा कार्ड बनाने में जुट गई हैं।   अब आभा कार्ड की वजह से रोगी की केस हिस्ट्री जानने में चिकित्सक को देर नहीं लगेगी। आमजन को इसका लाभ दिलाने के लिए अपना आभा कार्ड बनाए जा रहे हैं। उसके बाद हर नागरिक के पास एक नम्बर रहेगा। इसके बाद जब कभी उस नंबर को लेकर अस्पताल आएंगे ,तो उसके आधार पर इलाज शुरू हो जाएगा।    पहले चरण में यह सुविधा सिर्फ सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध होगी। उसके बाद इस सिस्टम से रजिस्टर्ड अस्पताल, जांच-घर, एक्सरे केंद्र, निजी अस्पताल, चिकित्सक, एएनएम भी जुड़ेंगे। यहां तक कि ,इलाज करने वाले चिकित्सक का नम्बर भी इस कार्ड से जुड़ेगा। रेफर करने की स्थिति में हायर सेंटर पर पता चल जाएगा कि, किस चिकित्सक ने इलाज किया और कौन सी दवा चली थी। अब यह अभियान चला कर गांवों में आभा कार्ड बनाए जा रहे हैं।   *आखिर क्या है यह आभा कार्ड?*   आभा हेल्थ कार्ड का पूरा नाम आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट है। यह एक डिजिटल कार्ड है। इसमें आपकी सारी मेडिकल हिस्ट्री और रिकॉर्ड सुरक्षित दर्ज रहेगा। जब आभा कार्ड लेकर चिकित्सक के पास जाएंगे, तो ज्यादा चेकअप नहीं करवाने होंगे। नए चिकित्सक या अस्पताल में जाने पर भी मेडिकल रिपोर्ट्स और चिकित्सक की पर्चियां आदि भी ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।   *क्या बोले सीएचसी अधीक्षक*   सीएचसी अधीक्षक डॉ मसूद अजहर ने बताया कि ब्लड ग्रुप क्या है, कौन कौन सी बीमारी है, अब तक किस-किस चिकित्सक को दिखा चुके हैं; यह सब जानकारी इस कार्ड के माध्यम से ऑनलाइन उपलब्ध रहेंगी। सभी मेडिकल रिपोर्ट और लैब रिपोर्ट की जानकारी इस आभा कार्ड में दर्ज रहेगी। इसका सबसे ज्यादा फायदा ऑनलाइन इलाज करवाने वालों लोगों को होगा। बताया कि, धीरे-धीरे चिकित्सक व अन्य मेडिकल सेवा देने वाली संस्थाएं भी आभा के दायरे में आ जाएंगे।    स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 16, 2024

भारत के स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण 2047 को प्राप्त करने के लिए 30 लाख अस्पताल बिस्तरों की जरूरत

नई दिल्ली, 15 मई 2024  (यूटीएन)। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव, अपूर्व चंद्रा ने आज फिक्की-ईवाई रिपोर्ट - 'डिकोडिंग इंडियाज़ हेल्थकेयर लैंडस्केप' जारी की। रिपोर्ट पिछले दशकों में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डालती है, पहुंच, गुणवत्ता और नवाचार को बढ़ाने के ठोस प्रयासों पर जोर देती है, जिससे सभी के लिए एक स्वस्थ और अधिक समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त होता है। *मुख्य सफलतायें:* *स्वास्थ्य देखभाल व्यय:*  भारत के सकल घरेलू उत्पाद के % के रूप में स्वास्थ्य देखभाल व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो स्वास्थ्य देखभाल निवेश के महत्व की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है। 2003-04 में 0.9% से शुरू होकर 2014-15 तक बढ़कर 1.2% हो गया, 2022-23 का नवीनतम डेटा सकल घरेलू उत्पाद के 2.1% तक की पर्याप्त वृद्धि दर्शाता है। आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (ओओपीई) में 2013-14 में 64.2% से 2018-19 में 48.2% तक लगातार कमी स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और सामर्थ्य में सुधार का संकेत देती है। *स्वास्थ्य संकेतक:* भारत ने शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और नवजात मृत्यु दर जैसे प्रमुख स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। *क्रांतिकारी बदलाव:*  देश में सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे की संख्या में वृद्धि देखी गई है। यह विस्तार आबादी की बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल मांगों को समायोजित करने में महत्वपूर्ण रहा है। नतीजतन, ओपीडी और आईपीडी दोनों में सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों की हिस्सेदारी 2014 से बढ़ी है। पिछले दो दशकों में, मेडिकल कॉलेजों की संख्या लगभग तीन गुना हो गई है। 2014 के बाद से, मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 5.9% की सीएजीआर से वृद्धि हुई है। पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल कॉलेजों और एमबीबीएस सीटों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि भारत में स्वास्थ्य पेशेवरों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए एक ठोस प्रयास को दर्शाती है। *हेल्थकेयर कार्यबल का विस्तार:* भारत में हेल्थकेयर पेशेवरों की बढ़ती मांग को देखते हुए मेडिकल कॉलेजों और एमबीबीएस सीटों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के उपयोग में वृद्धि हुई है, साथ ही पंजीकृत नर्सों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टरों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो 2005 में 6,60,801 से बढ़कर 2022 में 13,08,009 हो गई। *फार्मास्युटिकल उद्योग:*  भारत मात्रा के हिसाब से फार्मास्युटिकल उत्पादन में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है, जो अपनी जेनेरिक दवाओं और कम लागत वाले टीकों के लिए जाना जाता है। देश आवश्यक टीकों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, जो वैश्विक मांग के एक महत्वपूर्ण हिस्से को पूरा करता है। फिक्की की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग का कुल बाजार आकार 2030 तक 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। वैश्विक वैक्सीन उत्पादन और फार्मास्युटिकल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 60% है, जो आयात से 3 गुना अधिक है। बढ़ती चिकित्सा मूल्य यात्रा: भारत चिकित्सा मूल्य यात्रा के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना हुआ है। चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप के कार्यान्वयन से भारत आने वाले चिकित्सा पर्यटकों में पर्याप्त वृद्धि हुई है (2012 से 2022 तक चिकित्सा पर्यटकों में 10.8% की वृद्धि)। यह वृद्धि भारत को एक स्वास्थ्य सेवा गंतव्य के रूप में ब्रांड करने और चिकित्सा यात्रियों के लिए पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से की गई पहल की सफलता को रेखांकित करती है.   *डिजिटल स्वास्थ्य क्रांति:* डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, कोविन ऐप, आरोग्य सेतु, ई-संजीवनी और ई-हॉस्पिटल जैसी पहलों ने देश के हर हिस्से में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया है। इन प्रयासों के माध्यम से, डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके स्वास्थ्य देखभाल पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न हितधारकों के बीच मौजूदा अंतर को प्रभावी ढंग से कम किया गया है। बढ़ती बिस्तर क्षमता: भारत भर के सरकारी अस्पतालों में बिस्तर की क्षमता लगातार 2005 में 4.7 लाख बिस्तरों से बढ़कर 2021 में 8.5 लाख बिस्तरों तक पहुंच गई है।   *भारत के स्वास्थ्य सेवा दृष्टिकोण 2047 को प्राप्त करने के लिए प्रमुख अनिवार्यताएँ:* · प्रति 10,000 जनसंख्या पर 16 डॉक्टरों के मौजूदा वैश्विक औसत को दोगुना करने और विकसित देशों के औसत के करीब पहुंचने के लिए योग्य डॉक्टरों की संख्या 50 लाख से अधिक बढ़ाएं। · विकसित देशों के औसत के करीब पहुंचने के लिए नर्सों की संख्या बढ़ाकर 1.25 से 1.5 करोड़ से अधिक करें · विकसित देशों के औसत के करीब पहुंचने के लिए 30 लाख और अस्पताल बिस्तर जोड़ें · स्वास्थ्य बीमा कवरेज के साथ 100% आबादी का लक्ष्य हासिल करना · भारत के प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना · अपनी जेब से होने वाले खर्च में दवा की लागत का हिस्सा कम करना · एबीडीएम हेल्थकेयर पेशेवर की रजिस्ट्री पर स्वास्थ्य पेशेवरों का 100% पंजीकरण प्राप्त करके, डिजिटल रूप से सक्षम स्वास्थ्य सेवा पहुंच में तेजी लाएं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 15, 2024