Health

कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने डिस्लिपिडेमिया प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश जारी किए

नई दिल्ली, 05 जुलाई  2024 (यूटीएन)। एक ऐतिहासिक पहल करते हुए कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया सीएसआई ने डिस्लिपिडेमिया प्रबंधन के लिए भारत में पहली बार दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह महत्वपूर्ण पहल देश भर में डिस्लिपिडेमिया के प्रसार में अद्वितीय चुनौतियों और विविधताओं को संबोधित करने में एक मील का पत्थर साबित होगा। कुल कोलेस्ट्रॉल का अधिक स्तर, एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल खराब कोलेस्ट्रॉल का बढा होना, उच्च ट्राइग्लिसराइड्स और कम एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल अच्छा कोलेस्ट्रॉल की विशेषता वाला डिस्लिपिडेमिया, दिल के दौरे, स्ट्रोक और परिधीय धमनी रोग जैसे हृदय रोगों के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है।   भारत में डिस्लिपिडेमिया की व्यापकता चिंताजनक रूप से अधिक है, जिसमें महत्वपूर्ण अंतरराज्यीय विविधताएं और विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में उच्च दर है। डिस्लिपिडेमिया की गंभीरता के बारे में बोलते हुए, कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया सीएसआई के अध्यक्ष डॉ. प्रताप चंद्र रथ ने कहा, “उच्च रक्तचाप और मधुमेह के विपरीत, डिस्लिपिडेमिया एक साइलेंट किलर है, जिसमें अक्सर लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। उन्होंने सक्रिय प्रबंधन और शीघ्र पता लगाने के महत्व पर जोर दिया। नए दिशानिर्देश पारंपरिक खाली पेट से हटकर, जोखिम के आकलन और उपचार के लिए बिना खाली पेट लिपिड को मापने की सलाह देते हैं।   बढ़ा हुआ एलडीएल-सी प्राथमिक लक्ष्य बना हुआ है, लेकिन उच्च ट्राइग्लिसराइड्स 150 मिलीग्राम डीएल वाले मरीजों के लिए, गैर-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल केंद्रबिंदु है। डॉ. दुर्जति प्रसाद सिन्हा, मा. सीएसआई के महासचिव ने प्रकाश डालते हुए कहा, "बिना उपवास या खाली पेट लिपिड माप परीक्षण को अधिक सुविधाजनक और सुलभ बनाता है, जिससे अधिक लोगों को परीक्षण और उपचार के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। अगर हृदय रोग या हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया का पारिवारिक इतिहास है तो दिशानिर्देश 18 साल की उम्र में या उससे पहले ही लिपिड प्रोफ़ाइल की सलाह देते हैं। सामान्य आबादी और कम जोखिम वाले व्यक्तियों को एलडीएल-सी का स्तर 100 मिलीग्राम डीएल से नीचे और गैर-एचडीएल-सी का स्तर 130 मिलीग्राम डीएल से नीचे बनाए रखना चाहिए। उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों, जिन्हें मधुमेह या उच्च रक्तचाप है, उन्हें एलडीएल-सी को 70 मिलीग्राम डीएल से नीचे और गैर-एचडीएल को 100 मिलीग्राम डीएल से नीचे रखने का लक्ष्य रखना चाहिए।   सर गंगाराम अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष और लिपिड दिशानिर्देशों के अध्यक्ष, डॉ. जे. पी. एस. साहने ने बताया, "बहुत अधिक जोखिम वाले मरीजों के लिए, जिनमें दिल का दौरा, एनजाइना, स्ट्रोक या क्रोनिक किडनी रोग का इतिहास शामिल है, कड़े लक्ष्य सुझाए गए हैं। इन मरीजों को एलडीएल-सी स्तर 55 मिलीग्राम डीएल से नीचे या गैर-एचडीएल स्तर 85 मिलीग्राम डीएल से नीचे रखने का लक्ष्य रखना चाहिए। डिस्लिपिडेमिया प्रबंधन की आधारशिला के रूप में जीवनशैली में बदलाव पर जोर दिया जाता है। भारत में आहार संबंधी आदतों को देखते हुए, चीनी और कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करने की सिफारिश की जाती है, क्योंकि ये कम मात्रा में वसा का  सेवन करने की तुलना में ब्लॉकेज में अधिक योगदान देते हैं। नियमित व्यायाम और योग, जो हृदय को सुरक्षा प्रदान करते हैं और सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक भी है, की सिफारिश की जाती है।   डॉ. एस. रामाकृष्णन, एम्स में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर ने कहा, "उच्च एलडीएल-सी और गैर-एचडीएल-सी को स्टैटिन और मुंह से खाई जाने वाली गैर-स्टेटिन दवाओं के संयोजन से नियंत्रित किया जा सकता है। यदि लक्ष्य प्राप्त नहीं होते हैं, तो पीसीएसके9 अवरोधक या इनक्लिसिरन जैसी इंजेक्टेबल लिपिड-कम करने वाली दवाओं की सिफारिश की जाती है। उच्च ट्राइग्लिसराइड्स 150 मिलीग्राम डीएल वाले मरीजों के लिए, गैर-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल लक्ष्य है। जीवनशैली में बदलाव, जैसे नियमित व्यायाम, शराब और तंबाकू छोड़ना और चीनी व कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करना महत्वपूर्ण हैं। हृदय रोग, स्ट्रोक या मधुमेह के मरीजों में स्टैटिन, गैर-स्टेटिन दवाएं और मछली के तेल ईपीए की सिफारिश की जाती है। 500 मिलीग्राम डीएल से ऊपर ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर के लिए फेनोफाइब्रेट, साराग्लिटाज़ोर और मछली के तेल के इस्तेमाल की आवश्यकता होती है।   सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ और लिपिड दिशानिर्देशों में सहायक की भूमिका निभाने वाले डॉ. अश्वनी मेहता ने जोर देकर कहा, "डिस्लिपिडेमिया के आनुवंशिक कारण, जैसे पारिवारिक हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया, विश्व के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में अधिक सामान्य हैं। परिवार के सदस्यों की कैस्केड स्क्रीनिंग के माध्यम से इन मामलों की जल्द पहचान करना और उनका इलाज करना आवश्यक है। इसके अलावा, दिशानिर्देश कम से कम एक बार लिपोप्रोटीन (ए) के स्तर का मूल्यांकन करने की सलाह देते हैं, क्योंकि ऊंचा स्तर 50 मिलीग्राम डीएल हृदय रोग से जुड़ा होता है। उन्नत लिपोप्रोटीन (ए) का प्रचलन पश्चिमी दुनिया (15-20 प्रतिशत) की तुलना में भारत में अधिक 25 प्रतिशत है।   सीएसआई के नए दिशानिर्देश स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को भारत में कोलेस्ट्रॉल को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने और हृदय रोग से लड़ने के लिए सशक्त बनाते हैं, जिससे अंततः सभी के लिए स्वस्थ जीवन को बढ़ावा मिलता है। लिपिड के वांछनीय स्तर निम्नलिखित हैं जिनका देश की सभी जैव रसायन प्रयोगशालाओं द्वारा समान रूप से पालन किया जाना चाहिए। किसी को जोखिम श्रेणी के आधार पर लिपिड लक्ष्यों की तलाश करनी चाहिए। ऐसा मरीजों के बीच भ्रम की स्थिति से बचने के लिए किया गया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 5, 2024

अब सिर्फ 35 रुपये में करा सकेंगे टीबी की जांच; भारत ने खोजी विश्व में सबसे सस्ती जांच तकनीक

नई दिल्ली, 03 जुलाई 2024 (यूटीएन)। भारत ने विश्व में सबसे सस्ती टीबी जांच तकनीक की खोज की है। महज 35 रुपये में मरीज की लार से डीएनए लेकर टीबी वायरस का पता लगाया जा सकता है। यह तकनीक शुरुआती लक्षण में ही संक्रमण की पहचान कर सकती हैकरीब दो घंटे में 1500 से ज्यादा नमूनों की एक साथ जांच करने वाली यह तकनीक इतनी सरल है कि इसे किसी गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।   नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने क्रिस्पर आधारित दो तकनीक को खोजा है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस का पता लगाने में पूरी तरह सक्षम हैं। इनमें से एक ग्लो टीबी पीसीआर किट है जिसकी मदद से मरीज के नमूने से डीएनए को अलग किया जा सकता है। वहीं दूसरी तकनीक रैपिड ग्लो डिवाइस है जो एक इनक्यूबेटर है और डीएनए में मौजूद वायरस की पहचान करता है। आईसीएमआर ने इन दोनों तकनीक को बाजार में ले जाने के लिए प्राइवेट कंपनियों से प्रस्ताव मांगा है।   इसमें स्पष्ट किया है कि तकनीक पर मालिकाना अधिकार आईसीएमआर के पास सुरक्षित रहेगा। इन्हें पेटेंट कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इनके उत्पादन में सहयोग के लिए आईसीएमआर ने एक टीम का गठन भी किया है। आईसीएमआर के अनुसार, टीबी एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है जिसके प्रभावी रोग प्रबंधन के लिए सटीक और तीव्र जांच तकनीक होना बहुत जरूरी है। अभी भारत में पारंपरिक जांच तकनीक हैं जो कल्चर आधारित होने के साथ मरीज के लक्षण के 42 दिन में कराई जाती है।   इसमें माइक्रोस्कोपी और न्यूक्लिक एसिड-आधारित विधियों का सहयोग लिया जाता है जो काफी समय तेती है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए आईसीएमआर और आरएमआरसीएनई डिब्रूगढ़ के शोधकर्ताओं ने मिलकर क्रिस्पर आधारित टीबी जांच तकनीक खोजी है।   *एक बार में 1,500 नमूनों की जांच* आईसीएमआर ने बताया कि ग्लो टीबी पीसीआर किट काफी तेजी से काम करती है। करीब 1.5 से 2.5 घंटे के बीच यह मरीज की लार से डीएनए को अलग करने में सक्षम है। करीब 35 रुपये इसकी लागत है, जो तीन चरणीय डीएनए को अलग कर देती है। इसके बाद रैपिड ग्लो डिवाइस का काम रहता है, जो एक बार में 1,500 नमूने की जांच कर सकती है।    *चीन-अमेरिका में भी जांच कराना महंगा* आईसीएमआर ने बताया कि अभी तक दुनिया भर में टीबी जांच को लेकर जो तकनीक हैं उनमें सबसे सस्ती 35 रुपये वाली है। यहां तक कि चीन और अमेरिका में भी टीबी जांच कराना इससे काफी महंगा है। लागत के साथ यह समय को भी बचाती है और एक बार में हजार से ज्यादा संदिग्ध मरीजों में वायरस की पुष्टि करने की क्षमता रखती है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 3, 2024

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवतियों की हुई जांच

खेकड़ा,02 जुलाई 2024 (यूटीएन)। सीएचसी पर सोमवार को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत आयोजित विशेष शिविर में गर्भवतियों के स्वास्थ्य की जांच की गई व निशुल्क अल्ट्रासाउंड भी कराए गए। शिविर का शुभारम्भ सीएचसी अधीक्षक डा मसूद अनवर ने किया।   बताया कि ,जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जांच कराना आवश्यक है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गयी। साथ ही उच्च जोखिम गर्भधारण महिलाओं की पहचान कर उचित प्रबंधन सुनिश्चित किया गया।   बताया कि, अत्यधिक रक्तस्त्राव से महिला की जान जाने की संभावना सबसे अधिक होती है। प्रसव पूर्व जांच में यदि खून की कमी होती है ,तब ऐसी महिलाओं को आयरन की गोली के साथ पोषक पदार्थों के सेवन के विषय में सलाह भी दी जाती है। शिविर प्रभारी डा प्रियंका कंसाना, डा सम्बोला, स्टाफ आरिफा तबस्सुम आदि ने शिविर संचालन किया।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Jul 2, 2024

संचारी रोग नियंत्रण अभियान की शुरुआत पर स्वास्थ्यकर्मियों ने ली शपथ

खेकड़ा,02 जुलाई 2024 (यूटीएन)। संचारी रोग नियंत्रण अभियान की शुरुआत सोमवार से हो गई। यह अभियान पूरे एक माह चलेगा। वहीं सीएचसी पर स्वास्थ्यकर्मियों ने रोगों से बचाव अभियान में जुटने की शपथ ली। जलजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए सोमवार को संचारी रोग नियंत्रण अभियान का शुभारंभ पूरे प्रदेश मेंं शुरू हो गया है। यह अभियान पूरे जुलाई महीने चलेगा। इस दौरान स्वास्थ्य टीम घर घर जाकर लोगों को जागरुक करेंगी। सीएचसी पर अभियान की सफलता के लिए स्वास्थ्यकर्मियों का शपथ दिलाई गई।    संचारी रोग नियंत्रण अभियान का शुभारंभ करते हुए अधीक्षक डा मसूद अनवर ने बताया कि, जल जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए लोगों को खुद सजग रहने की आवश्यकता है। इसके लिए अपने घरों के आसपास जलभराव न होने दें। पानी भरे हुए स्थान पर मिट्टी डाल दें, जिससे मच्छरों को पनपने का मौका नहीं मिलेगा व इस रोग को नियंत्रित करने में मदद मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके लिए विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है।    *11 से 31 तक चलेगा दस्तक अभियान*   डा मसूद अनवर ने बताया कि, 11 से 31 जुलाई तक दस्तक अभियान भी चलाया जाएगा। दस्तक अभियान के तहत क्षय रोगियों को भी खोजा जाएगा, जिसमें आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर टीबी के संभावित रोगियों की पहचान करेंगी। इसके अलावा लंबे समय से बुखार, खांसी जैसे लक्षणों वाले मरीजों के बारे में भी जानकारी लेंगी। उनका नाम, पता, मोबाइल नंबर सहित पूरा विवरण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भेजा जाएगा।   आशा कार्यकर्ता मौसमी बीमारियों से बचाव और उसके इलाज के बारे में भी जानकारी देंगी। दस्तक अभियान के दौरान घर-घर टीबी के संभावित मरीजों की भी स्क्रीनिंग की जाएगी। क्षय रोग के लक्षण वाले किसी व्यक्ति की सूचना प्राप्त होने पर उस व्यक्ति का नाम पता एवं मोबाइल नंबर सहित संपूर्ण विवरण क्षेत्रीय एएनएम के माध्यम से उपलब्ध कराएंगी।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Jul 2, 2024

सीएचसी बागपत से जिलाधिकारी द्वारा हरी झंडी दिखाते ही शुरू हुआ संचारी रोग नियंत्रण अभियान

बागपत,02 जुलाई 2024 (यूटीएन)। विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान पूरे प्रदेश में आज से 31 जुलाई तक शुरू हो गया है। जिले में उक्त अभियान का शुभारंभ जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बागपत से हरी झंडी दिखाकर शुरू किया। जिलाधिकारी ने विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान रैली को सीएचसी बागपत से हरी झंडी दिखाकर शुरू किया साथ ही आमजन से अपील की कि  मच्छर जनित बीमारियों से बचाव हेतु गमलोन व क्यारियों की नियमित सफाई करें, पुराने टायर व कबाड़ आदि में पानी का जमाव न होने दें, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें, पानी की टंकी को ढक कर रखें, नालियों की सफाई रखें, हैंडपंप के पास पानी न जमने दें, कूलर फ्रिज की ट्रे की साप्ताहिक सफाई करें, साथ ही कचरेदानी को ढक कर रखें।     उन्होंने कहा कि, इस अभियान के तहत विभिन्न विभागों के समन्वय से नालियों के साफ सफाई, एंटी लार्वा फागिंग व अन्य संबंधित गतिविधियां तहसीलों, ब्लाकों व गांवों में कराई जाएंगी।इस अभियान के दौरान आशा, आंगनवाड़ी भी घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करेंगी। जनपद में संचारी रोग नियंत्रण अभियान आज से 31 जुलाई तक चलेगा। वहीं दस्तक अभियान उत्तर प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता प्राप्त कार्यक्रम में से है। बताया कि, इसी अभियान के अंतर्गत 11 जुलाई से 31 जुलाई के मध्य दस्तक अभियान चलाया जाएगा।   संचारी रोग नियंत्रण अभियान विभिन्न विभागों के समन्वय एवं सहयोग से चलाया जा रहा है जिसमें ग्राम विकास विभाग, नगर विकाश दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग और बाल एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा विभिन्न प्रकार की गतिविधियां संपादित की जाएंगी। इस अभियान के अंतर्गत पूरे माह नालियों की सफाई झाड़ियां की कटाई जल भराव का निस्तारण मच्छरों को पनपने से रोकने के उपाय सभी विभागों द्वारा किए जाएंगे।    संचारी रोग नियंत्रण अभियान 2024 के अंतर्गत इस बार खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को भी जोड़ा गया है। अभियान के अंतर्गत खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा जगह-जगह खाद्य पदार्थों की नमूने लिए जाएंगे और यह देखा जाएगा कि, खाद्य पदार्थ मानक के अनुसार बिक रहे हैं या नहीं।    11 जुलाई से चलाए जा रहे दस्तक अभियान के अंतर्गत फ्रंटलाइन वर्कर्स घर-घर जाकर वेक्टर जनित रोगों एवं जल जनित रोगों के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे तथा उनसे बचने के उपाय बताएंगे, यदि उन्हें कोई रोगी मिलता है, तो वह उसे निकटतम सरकारी अस्पताल जाने के लिए प्रेरित करेंगे।     इस वर्ष 1 जुलाई से लेकर 31 अगस्त के मध्य डायरिया रोको अभियान भी चलाया जा रहा है,जिसके अंतर्गत 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों वाले घरों में आशा द्वारा ओआरएस और जिंक का वितरण किया जाएगा। वहीं स्वास्थ्य सुविधाओं और आंगनबाड़ी स्तरों पर ओआरएस जिंक कॉर्नर की स्थापना की जाएगी व डायरिया रोकथाम के लिए व्यापक प्रचार प्रसार और जागरूकता संबंधित समस्त गतिविधियां कराई जाएगी।    इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ महावीर कुमार, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक डॉ विभास राजपूत, डिप्टी कलेक्टर अधिशासी अधिकारी बागपत मनीष यादव अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ गजेंद्र, जिला मलेरिया अधिकारी सावित्री कुमारी, भाजपा जिलाध्यक्ष वेदपाल उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।    स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

Ujjwal Times News

Jul 2, 2024

सतर्कता: मोबाइल देकर बहलाना...बच्चों का बिगाड़ सकता है भविष्य

नई दिल्ली, 29 जून 2024 (यूटीएन)। बच्चों के नखरों से परेशान होकर बहलाने-फुसलाने के लिए उन्हें डिजिटल डिवाइस थमाना सीधे तौर पर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है। यह उनमें भावनात्मक कमजोरी की वजह बन सकता है। एक सर्वे की मानें तो भारत में 12 साल से कम उम्र के 47 फीसदी बच्चे हर दिन दो से चार घंटे मोबाइल फोन या टैबलेट से चिपके रहते हैं। माता-पिता की समस्या यह है कि जैसे ही बच्चों से फोन लेंगे, तो वह रोना-धोना शुरू कर देते हैं।   मजबूरन माता-पिता को उन्हें चुप कराने के लिए डिजिटल डिवाइस देना ही पड़ता है। शोध से पता चला कि आगे चलकर ऐसे बच्चों का भावनात्मक संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे उनके लिए अपने गुस्से पर काबू रख पाना मुश्किल होगा।  हंगरी और कनाडा के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक से पांच वर्ष तक के बच्चों पर अध्ययन में पाया कि जो बच्चे जितने ज्यादा नखरे दिखा रहे थे, उनके माता-पिता उन्हें डिजिटल उपकरण थमाने में उतने ही आगे थे। दूसरे शब्दों में कहें तो अध्ययन यह साबित करता है कि जो माता-पिता अपने बच्चों को शांत रखने के लिए जितनी आसानी से जल्दी फोन-टैबलेट उन्हें दे देते हैं वो इसे पाने के लिए उतनी ही ज्यादा हाय-तौबा मचाते हैं।   *बच्चों को शांत करने के दूसरे तरीके ढूंढ़ें* हंगरी के ईटवोस लोरैंड यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता वेरोनिका कोनोक कहती हैं कि माता-पिता को यह समझना जरूरी है कि बच्चों की तरफ से कोई भी नकारात्मक भावना व्यक्त किए जाने को डिजिटल डिवाइस के सहारे दूर नहीं किया जा सकता। रोते-धोते या आक्रामकता दर्शाते बच्चे को शांत करने के लिए उन्हें दूसरे तरीके अपनाने होंगे।   *बचपन में ही विकसित होता है आत्मनियंत्रण* शोधकर्ता कहते हैं कि यह तथ्य जगजाहिर है कि बचपन के शुरुआती पड़ाव में ही बच्चे आत्म-नियंत्रण के बारे में बहुत कुछ सीखते हैं। यही आगे चलकर उन्हें अपनी भावनाओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने और चुनौतियों से जूझने में सक्षम बनाता है। सीखने-समझने की इस प्रक्रिया के दौरान उन्हें माता-पिता की मदद होती है न कि डिजिटल डिवाइस के सहारे की।   *जरूरत पड़े तो स्वास्थ्य पेशेवरों की सहायता लें* शोधकर्ताओं की सलाह है कि बच्चों को ऐसी निराशाजनक स्थितियों से बाहर लाने के लिए माता-पिता भावनात्मक तौर पर उनका सहारा बनें। उन्हें अपनी भावनाओं को पहचानना सिखाएं। यह उनके मानसिक विकास के लिए बेहद अहम है। अगर बच्चे को समझाना-बुझाना मुश्किल होता जा रहा हो तो स्वास्थ्य पेशेवरों की सहायता लेने में न हिचकिचाएं।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 29, 2024

एम्स में प्रतिनियुक्ति पर नर्सिंग प्रमुख की नियुक्ति की जाएगी

नई दिल्ली, 28 जून 2024 (यूटीएन)। पहली बार एम्स ने संस्थान के बाहर से चीफ नर्सिंग ऑफिसर (सीएनओ) नियुक्त करने का फैसला किया है, जो प्रतिनियुक्ति के आधार पर इस पद पर काम करेंगे। संस्थान ने एक विज्ञापन जारी किया है, जिसमें केंद्र के विभिन्न स्वास्थ्य सेवा सेट-अप और विश्वविद्यालयों में काम करने वाले उम्मीदवारों से आवेदन मांगे गए हैं। विज्ञापन के अनुसार, पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की अधिकतम आयु सीमा 56 वर्ष रखी गई है और प्रतिनियुक्ति की अवधि 3 वर्ष तय की गई है। इस कदम से संस्थान के मौजूदा नर्सिंग कैडर में खलबली मच गई है, क्योंकि सीएनओ का पद संस्थान में सेवारत नर्सिंग अधिकारी को दिया जाने वाला एक पदोन्नति वाला पद है। नर्सों ने कहा कि बाहरी व्यक्ति को नियुक्त करने से मौजूदा कर्मचारियों से पदोन्नति का पद छिन जाएगा। एम्स नर्स यूनियन ने कहा कि प्रशासन के "प्रतिकूल निर्णय" ने पूरे नर्सिंग कैडर और हितधारकों के बीच अशांति पैदा कर दी है। एसोसिएशन ने संस्थान से विज्ञापन वापस लेने को भी कहा है। "एम्स में अत्यधिक अनुभवी और योग्य नर्सिंग पेशेवरों का एक समूह है, जिन्होंने इस संस्थान को कई वर्षों तक सेवा दी है। प्रतिनियुक्ति के आधार पर आवेदन आमंत्रित करना हमारे आंतरिक कर्मचारियों की क्षमताओं और करियर विकास के अवसरों को कमजोर करता है, जो संस्थागत संस्कृति, मूल्यों और परिचालन प्रक्रियाओं से अच्छी तरह परिचित हैं, "यूनियन ने एम्स निदेशक को संबोधित एक विरोध पत्र में कहा। नर्सिंग निकाय ने कहा कि सीएनओ पद के लिए एक आंतरिक उम्मीदवार विभाग के भीतर निरंतरता और स्थिरता सुनिश्चित करेगा। "प्रतिनियुक्ति पर एक बाहरी उम्मीदवार को हमारे संस्थान की विशिष्ट आवश्यकताओं और बारीकियों के अनुकूल होने के लिए काफी समय की आवश्यकता हो सकती है, जो संभावित रूप से नर्सिंग विभाग और रोगी देखभाल सेवाओं के सुचारू संचालन को बाधित कर सकती है," इसने कहा। "विज्ञापन में उल्लिखित आवश्यक योग्यताएं बताती हैं कि मानदंड बिना किसी अनुभव के एक विशिष्ट बाहरी उम्मीदवार के पक्ष में तैयार किए गए हैं, जो हमारे आंतरिक कर्मचारियों की योग्यता और अनुभव को दरकिनार करते हैं।" नर्सिंग स्टाफ परेशान इस कदम ने संस्थान के मौजूदा नर्सिंग कैडर को परेशान कर दिया है क्योंकि सीएनओ का पद संस्थान में सेवारत नर्सिंग अधिकारी को दिया जाने वाला एक पदोन्नति वाला पद है। नर्सों ने कहा कि बाहरी व्यक्ति को काम पर रखने से मौजूदा कर्मचारियों से पदोन्नति का पद छिन जाएगा। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 28, 2024

गुणवत्ता तीन आवश्यक स्तंभों - बाजार, रोगी और पड़ोसी पर खड़ी है: अरुणिश चावला

नई दिल्ली, 28 जून 2024 (यूटीएन)। भारतीय फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) द्वारा आयोजित ग्लोबल फार्मास्युटिकल क्वालिटी समिट का उद्घाटन करते हुए फार्मास्युटिकल विभाग के सचिव डॉ अरुणिश चावला ने कहा कि गुणवत्ता सर्वोपरि है, जो तीन आवश्यक स्तंभों - बाजार, रोगी और पड़ोसी पर खड़ी है। बाजार की गुणवत्ता प्रीमियम की मांग करती है और प्रतिष्ठा बनाती है। शिखर सम्मेलन का विषय था, 'विनिर्माण और गुणवत्ता में प्रगति - रोगी केंद्रितता'। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन उद्योग के नेताओं, वैश्विक नियामकों, गुणवत्ता विशेषज्ञों और हितधारकों को ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और भारत में फार्मास्युटिकल परिदृश्य को आकार देने में महत्व के क्षेत्रों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ लाता है। फार्मास्युटिकल विभाग के सचिव डॉ अरुणिश चावला ने मुख्य भाषण दिया।   और अच्छे इंजीनियरिंग प्रथाओं और प्रक्रिया विश्लेषणात्मक उपकरणों पर आईपीए सर्वोत्तम अभ्यास दिशानिर्देश जारी किया। उन्होंने कहा कि हमने ड्रग एंड कॉस्मेटिक रूल्स की अनुसूची एम को अपग्रेड किया है, जो कुछ क्षेत्रों में डब्ल्यूएचओ जीएमपी मानकों से आगे निकल गया है। जुलाई 2024 में शुरू होने वाले ऑडिट के साथ, हमारा लक्ष्य विश्व स्तरीय उत्पादों का उत्पादन करना है, जैसा कि प्रधानमंत्री के 'शून्य दोष और शून्य प्रभाव' के दृष्टिकोण पर जोर दिया गया है। गुणवत्ता के लिए निवेश की आवश्यकता होती है, और हम सुधार पहलों के माध्यम से मध्यम और छोटे संयंत्रों का समर्थन करते हैं। भारतीय उद्योग की अखंडता हर खिलाड़ी के उच्चतम मानकों के पालन पर निर्भर करती है। जब कोई विफल होता है, तो यह पूरे उद्योग को प्रभावित करता है। इसलिए, हमें अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा करने और हर पहलू में उत्कृष्टता सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से गुणवत्ता को बनाए रखना चाहिए।"   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Jun 28, 2024

सर्वाधिक रक्तदान शिविरों के आयोजन तथा 273 यूनिट ब्लड दिलाने के लिए अभिमन्यु गुप्ता सम्मानित

बागपत, 27 जून 2024 (यूटीएन)। जिला संयुक्त अस्पताल के सभागार में जिला रक्त बैंक की ओर से आयोजित समारोह में सीएमएस डॉ एस के चौधरी, रक्त बैंक की प्रभारी डॉ ऐश्वर्या चौधरी व डॉ शुक्ल द्वारा जनपद में वर्ष 2023- 24 में रक्तदान हेतु सर्वाधिक शिविरों के माध्यम से विशेष सहयोग देने के लिए इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के सचिव तथा लायंस क्लब अग्रवाल मंडी के मुख्य संयोजक तथा वरिष्ठ समाजसेवी अभिमन्यु गुप्ता को किया गया सम्मानित।    बता दें कि, उन्हें यह सम्मान जनपद में सबसे ज्यादा 07 रक्तदान शिविरों का आयोजन करने के साथ ही सबसे ज्यादा यूनिट 273 रक्त एकत्र करने में सहयोग देने के लिए इंडियन रेड क्रॉस समिति बागपत के सचिव एवं लायंस क्लब अग्रवाल मंडी के मुख्य संयोजक ला अभिमन्यु गुप्ता एवं ला पंकज गुप्ता को स्मृति चिन्ह एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ एसके चौधरी ने कहा कि, जब भी जिला चिकित्सालय को रक्त की जरूरत होती है।   अभिमन्यु गुप्ता उसकी पूर्ति कराने के लिए रक्तदान शिविर का आयोजन कर देते हैं। इस अवसर पर अमित कुमार को सबसे ज्यादा रक्तदान करने एवं दूसरे स्थान पर रणवीर चौधरी एड तथा तीसरे स्थान पर अग्रवाल मंडी के राज किशोर गोयल को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बागपत व्यापार संघ के अध्यक्ष ला मनोज गोयल, आशीष गोयल अग्रवाल मंडी, राजपाल शर्मा लायंस क्लब बागपत, संजीव शर्मा रोटरी क्लब अग्रवाल मंडी को भी सम्मानित किया गया।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Jun 27, 2024

जिलाधिकारी द्वारा टटीरी की पीएचसी का औचक निरीक्षण, मरीजों से लिया फीडबैक, हाजिरी की चैक

बागपत, 26 जून 2024 (यूटीएन)। जनपद में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति गंभीरता बरतने के क्रम में जिलाधिलारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने आज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टटीरी का निरीक्षण किया तथा उपस्थित पंजिका देखी जिसमें सेवा देने के लिए 9 स्वास्थ्य कर्मियों की उपस्थिति शतप्रतिशत मिली।   उन्होंने पीएचसी पर स्वास्थ्य उपचार कराने के लिए आये मरीजों से उनका हाल चाल जाना और सम्बंधित चिकित्सकों के बारे में मरीजो से फीडबैक भी लिया। इसपर मरीजो ने सही सेवाएं व सुविधाएं मिलना बतायाकि, पीएचसी पर प्रति दिन 40 से 45 ओपीडी की जाती हैं ।   उन्होंने सभी स्टाफ से अस्पताल के बारे में जानकारी ली और कहा, परिसर में साफ सफाई रहनी चाहिए साथ ही चिकित्सक प्रॉपर ड्रेस में रहें। उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में बने आवासीय परिसर का निरीक्षण किया तथा तथा जर्जर हुए भवनों की मरम्मत कराए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार किये जाने व रोस्टर के अनुसार चिकित्सा सेवा देने व रोस्टर उपस्थिति पंजिका पर अवश्य होना चाहिए।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Jun 26, 2024