Health

दिल्ली एस्म में हार्ट और न्यूरो की ओपीडी के लिए बनेगा नया ब्लॉक

नई दिल्ली, 11 जुलाई  2024 (यूटीएन)। मरीजों के हित में एम्स ने एक और पहल की है, जिसके तहत अब हार्ट और न्यूरो की ओपीडी के लिए नया सुपर स्पेशिएलिटी ब्लॉक बनाया जाएगा। यहां पर कार्डियोलॉजी, कार्डिएक सर्जरी, न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी की ओपीडी होगी। मरीजों का एडमिशन कार्डिएक न्यूरो सेंटर में होगा।   नए ब्लॉक में सिर्फ ओपीडी होगी और पुराने ब्लॉक में सिर्फ एडमिशन और सर्जरी होंगी। एम्स के डायरेक्टर ने बताया कि हमारा मकसद मरीजों को बेहतर सुविधा देना है। इस कड़ी में नया ओपीडी ब्लॉक बनाने का फैसला किया गया है।   *मरीजों की सुविधा के लिए बड़ा फैसला* दरअसल, एम्स में ओपीडी में लगभग 12 से 13 हजार मरीज‌‌ रोज आते हैं। इनमें हर डिपार्टमेंट के मरीज शामिल होते हैं। सभी जनरल विभागों की ओपीडी नई बिल्डिंग में शुरू हो चुकी है, जो पूरी तरह से एयर कंडीशनिंग, लिफ्ट और एस्केलेटर जैसी सुविधाओं से लैस है। हार्ट और न्यूरो की बीमारियों के इलाज के लिए एम्स में कार्डिएक न्यूरो सेंटर है।   7 फ्लोर की इस बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर ओपीडी होती है। इसमें बारी-बारी से अलग-अलग दिन कार्डियोलॉजी, कार्डिएक सर्जरी, न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी की ओपीडी होती है।   *ज्यादा भीड़ के मद्देनजर उठाया गया कदम* जगह कम होने की वजह से यहां पर भीड़ ज्यादा होती है। मरीज के साथ अटेंडेंट भी होते हैं। सभी के बैठने के लिए जगह नहीं होती है, क्योंकि कुर्सियां लगाने तक के लिए स्पेस नहीं बचा है। इसी परेशानी को दूर करने के लिए एम्स प्रशासन ने ओपीडी का एक्सटेंशन प्लान बनाया है, जिसके काम की शुरुआत जल्द हो सकती है।   *क्या बोले एम्स के डायरेक्टर* इस बारे में एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम श्रीनिवास ने कहा कि नई ओपीडी के पास जगह तय हो गई है। यहीं पर नई बिल्डिंग बनेगी। यह ओपीडी के साथ एक सुपर स्पेशिएलिटी ब्लॉक होगा। इसका टेंडर अलॉट कर दिया गया है और जल्द इसके काम की शुरुआत होगी।    डॉ. श्रीनिवास ने कहा कि अभी जहां पर हार्ट और न्यूरो की ओपीडी चल रही है, वह पूरी तरह से नई बिल्डिंग में शिफ्ट हो जाएगी। इससे यहां पर मरीजों को स्पेस ज्यादा मिलेगा और सुविधाएं भी बेहतर होंगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में मेन एम्स परिसर से सभी ओपीडी मस्जिद मोठ एरिया में शिफ्ट की जा सकते हैं, जिसमें आरपी सेंटर भी हो सकता है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 11, 2024

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर चिकित्सा पेशेवरों का राष्ट्रीय गठबंधन बनाया

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर चिकित्सा पेशेवरों का राष्ट्रीय गठबंधन (एनएएमपी-एएमआर) बनाकर एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। यह अग्रणी पहल देश भर के 52 चिकित्सा विशेषज्ञ संगठनों/संघों के नेताओं और प्रतिनिधियों को एक साथ लाती है, जो इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संकट के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए एक साझा मंच पर एकजुट होते हैं।   भारतीय चिकित्सा संघ द्वारा एनएएमपी-एएमआर का गठन एएमआर की मूक महामारी से निपटने के लिए एक ठोस राष्ट्रीय प्रयास की शुरुआत है जो हमारे देश के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है। अकेले 2019 में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध 297,000 मौतों के लिए जिम्मेदार था और हमारे देश में 1,042,500 मौतों से जुड़ा था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेतृत्व में एनएएमपी-एएमआरका उद्देश्य इस संकट का सीधा समाधान करना है।     एनएएमपी-एएमआर के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र सैनी ने देश को खतरे में डालने वाली  की मूक महामारी को रेखांकित किया। "एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध हमारे राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। 2019 में, हमारे देश में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के कारण 297,000 मौतें हुईं और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से जुड़ी 1,042,500 मौतें हुईं।डॉ. सैनी ने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ द्वारा एनएएमपी-एएमआर का गठन इस संकट से सीधे निपटने के लिए एक ठोस राष्ट्रीय प्रयास की शुरुआत है।   नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल द्वारा प्रतिनिधित्व की गई सरकार ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को संबोधित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। डॉ. पॉल ने समृद्धि, जीडीपी और विभिन्न स्वास्थ्य पहलुओं सहित विकसित भारत पर एएम के संभावित प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने आईएमए की एनएएमपी-एएमआर पहल की सराहना की और इसे सही दिशा में उठाया गया सही कदम बताया। डॉ. पॉल ने इसे राष्ट्रीय आंदोलन बनाने के लिए सभी संगठनों को एक बैनर के तहत एकजुट करने की आवश्यकता पर जोर दिया।   डब्ल्यूएचओ इंडिया की उप प्रमुख सुश्री पेडेन ने एएमआर को संबोधित करने की वैश्विक तात्कालिकता पर जोर दिया और इसे 2050 तक मृत्यु का संभावित प्रमुख कारण बताया। उन्होंने इस वैश्विक खतरे के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया। डब्ल्यूएचओ के एएमआर और आईपीसी के लिए टीम फोकल प्वाइंट डॉ. अनुज शर्मा ने एनएएमपी-एएमआर के गठन के लिए एक साथ आए सभी 52 चिकित्सा संगठनों/संघों के प्रति आभार व्यक्त किया।   चिकित्सा पद्धति की गुणवत्ता में सुधार के लिए उन्नत चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने एंटीबायोटिक दवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग कब और कैसे किया जाए, यह समझने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला। बुनियादी बातों से शुरू करके और चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करके, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रथाओं में योगदान दे सकते हैं और एएमआर से लड़ सकते हैं।   एएमआर पर चिकित्सा पेशेवरों का राष्ट्रीय गठबंधन हमारे समय की सबसे गंभीर स्वास्थ्य आपात स्थितियों में से एक को संबोधित करने के लिए एक एकीकृत प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। सहयोगी प्रयासों, रणनीतिक योजना और सरकारी सहायता के माध्यम से, आईएमए की एनएएमपी-एएमआर पहल का उद्देश्य एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के प्रभाव को कम करने के वैश्विक प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभाना है।

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Jul 10, 2024

तैयारी: स्कूलों से होगी सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ टीकाकरण की शुरुआत, पीएम मोदी लॉन्च कर सकते हैं अभियान

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। देश में जल्द ही सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू होगा। इसके तहत सबसे पहले स्कूलों में जाकर जिला स्वास्थ्य टीमें नौ से 14 साल की छात्राओं को टीका देंगी। स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालय ने संयुक्त रूप से इसकी रूपरेखा तैयार की है। सूत्रों का कहना है कि एक से दो सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पहले 100 दिन के कार्यकाल को लेकर समीक्षा बैठक होगी, जिसमें अभियान लॉन्च करने का दिन तय होगा।   संभावना है कि दिल्ली में एक स्कूल से पीएम मोदी इस अभियान को लॉन्च कर सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में सर्वाइकल कैंसर का टीका शामिल करने की तैयारी लगभग पूरी है। अंतिम घोषणा का इंतजार है। इसके टीके की एक खुराक असरदार है। देश के कुछ क्षेत्रों में स्वतंत्र तौर पर इसका टीकाकरण किया जा रहा है। यह स्वदेशी रूप से विकसित क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन सेरवावैक नाम से बाजार में उपलब्ध है।   *सिक्किम के मॉडल पर अभियान* स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि सिक्किम सरकार ने हाल ही में सर्वाइकल कैंसर को लेकर टीकाकरण अभियान चलाया है, जिसमें नौ से 13 साल की छात्राओं का टीकाकरण किया गया। कुल 25 हजार छात्राओं का लक्ष्य रखा गया, जिसमें लगभग 95 फीसदी सफलता हासिल हुई है। सिक्किम सरकार के मॉडल को बेहतर उदाहरण मानते हुए देशभर में सबसे पहले स्कूलों को लक्षित करने का फैसला लिया गया।   *हर सात मिनट में एक मौत* सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला विश्व में चौथा और भारत में दूसरा सबसे आम कैंसर है। जिसकी वजह से देश में हर सात मिनट में एक महिला रोगी दम तोड़ रही है। हर साल करीब एक लाख से भी ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं।   *सीरम ने तैयार किया है टीका*  इस जानलेवा बीमारी से महिलाओं को बचाने के लिए पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने नया टीका विकसित किया है, जिसे साल भर पहले लॉन्च किया गया। यह टीका भारतीय बाजार में करीब दो हजार रुपये प्रति खुराक की कीमत में उपलब्ध है, लेकिन सरकार इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करते हुए सभी राज्यों के सहयोग से देशभर में निशुल्क उपलब्ध कराना चाहती है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

दैनिक भोजन में मोटा अनाज खाओ... मधुमेह और एनीमिया भगाओ; मिलेंगे प्रचुर मात्रा में पोषण तत्व

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दैनिक भोजन में मोटा अनाज शामिल करने से एनीमिया के साथ मधुमेह होने की आशंका कम होती है। साथ ही जिन्हें यह रोग हैं उनमें भी सुधार देखा गया है। एम्स ने अपने विश्लेषण के बाद यह दावा किया है। एम्स ने तीन स्तर पर मोटे अनाज का इस्तेमाल शुरू किया। सबसे पहले डॉक्टरों की कैंटीन में मोटे अनाज को शामिल किया गया। इसके बाद एम्स में भर्ती होने वाले मरीजों को भी मोटा अनाज देना शुरू हुआ।   साथ ही एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों को खाने में मोटा अनाज शामिल करने की सलाह दी गई। तीन स्तर पर मोटे अनाज के इस्तेमाल के बाद यह पाया गया है कि केवल गेहूं और चावल खाने वाले लोगों के मुकाबले मोटा अनाज खाने वाले लोगों में पोषण तत्व ज्यादा मिले। ऐसे लोगों में मधुमेह और एनीमिया के मामले कम हुए हैं। एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग में प्रोफेसर और एनीमिया नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता एवं उन्नत अनुसंधान केंद्र में प्रमुख अन्वेषक डॉ. कपिल यादव ने एम्स ने तीन स्तर पर मोटे अनाज के इस्तेमाल को बढ़ाया। इसके शुरुआती परिणाम बेहतर दिख रहे हैं।    मोटा अनाज भारत का पारंपरिक खाना है। इसमें प्रचुर मात्रा में पोषण तत्व हैं। यह हमारे शरीर की संरचना के आधार बने हुए हैं। इससे एलर्जी नहीं होती। यही कारण है कि इसकी मदद से मधुमेह, एनीमिया के साथ दूसरे रोगों की रोकथाम संभव हो सकेगी। बता दें कि देश की 50 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। वहीं मधुमेह के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।   *गेहूं के इस्तेमाल से बढ़ीं समस्याएं* एम्स के पूर्व प्रोफेसर डॉ. चंद्रकांत एस. पांडव ने कहा कि हजारों साल से भारतीय लोग मोटा अनाज खा रहे थे। ब्रिटिश काल में दैनिक भोजन में गेहूं को शामिल करने से आंत में सूजन की समस्या बढ़ी। इसके कारण शरीर में कई रोगों ने जन्म लिया। इसमें मधुमेह, मानसिक रोग सहित दूसरे विकार शामिल हैं।   यदि हम दैनिक खाने में मोटा अनाज शामिल करते हैं तो खाने का पोषक फिर से शरीर को मिलेगा। यह प्राकृतिक भोजन है। इससे शरीर को कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटिन सहित दूसरे तत्व आसानी से मिलते हैं। शरीर और मस्तिष्क को बैलेंस न्यूट्रिशन मिलने से  होता है।   *जठरांत्र के अच्छे बैक्टीरिया के लिए फायदेमंद* सूजन का समाधान विषय पर दिल्ली में मोटे अनाज को लेकर हुए कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि मोटा अनाज हमारे जठरांत्र (आंत का हिस्सा) के अच्छे बैक्टीरिया के लिए फायदेमंद है। बैक्टीरिया जठरांत्र के अलावा त्वचा और नाक में भी रहते हैं। हमारा शरीर इन बैक्टीरिया को खाना और पनाह देता है। इन बैक्टीरिया की मदद से उन फाइबर को डाइजेस्ट कर पाते हैं जिनके लिए शरीर सक्षम नहीं है। इसके अलावा ये बैक्टीरिया शरीर में ऐसे एंजाइम को तैयार करते हैं जिनकी मदद से शरीर को विटामिन मिलते हैं।   इसमें बी 1, बी 12, बी फोलिक एसिड सहित अन्य शामिल हैं। यदि शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की हानि होती है तो शरीर में कुपोषण के साथ, मोटाबॉलिक डिसऑर्डर, मानसिक रोग सहित जीवन शैली से जुड़े दूसरे रोग हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मोटा अनाज शरीर को ऐसे पोषक तत्व देता है जो हमारे अच्छे बैक्टीरिया के लिए फायदेमंद हैं।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

मासिक धर्म अवकाश पर सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी, कहा- महिलाओं के अवसर कम हो सकते हैं

नई दिल्ली, 09 जुलाई  2024 (यूटीएन)। मासिक धर्म अवकाश को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ सलाह करके मासिक धर्म अवकाश पर एक आदर्श नीति तैयार करे। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा नीति से जुड़ा है। यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जिस पर अदालतों को गौर करना चाहिए। इसके अलावा, पीठ ने यह भी कहा कि अगर महिलाओं के लिए ऐसी छुट्टी दिए जाने का फैसला अदालत करती है, तो इसका असर गलत भी पड़ सकता है क्योंकि कंपनी उन्हें काम देने से बच सकती है।    *महिलाओं पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव* अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अवकाश अधिक महिलाओं को कार्यबल का हिस्सा बनने के लिए कैसे प्रोत्साहित करेगी। साथ ही पीठ ने कहा कि इस तरह की छुट्टी अनिवार्य करने से महिलाओं को कार्यबल से दूर किया जा सकेगा। हम ऐसा नहीं चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा, 'यह वास्तव में सरकार की नीति का पहलू है। इस पर अदालतों को गौर करने की जरूरत नहीं है।   *साल 2023 का मामला* याचिकाकर्ता का कहना है कि मई 2023 में केंद्र को एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत किया गया था। चूंकि मुद्दे राज्य की नीति के विविध उद्देश्यों को उठाते हैं, इसलिए इस अदालत के लिए हमारे पिछले आदेश के आलोक में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ता और वकील शैलेंद्र त्रिपाठी की ओर से पेश वकील राकेश खन्ना को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के समक्ष पेश होने की अनुमति दे दी।   पीठ ने आदेश में कहा, 'हम सचिव से नीतिगत स्तर पर मामले को देखने और सभी हितधारकों से सलाह करने के बाद फैसला लेने का अनुरोध करते हैं। साथ ही यह देख सकते हैं कि क्या मासिक धर्म अवकाश पर एक आदर्श नीति तैयार की जा सकती है।    इसके अलावा, अदालत ने साफ कर दिया कि अगर राज्य इस मामले में कोई कदम उठाता है तो केंद्र सरकार इसके आड़े नहीं आएगी। शीर्ष अदालत ने इससे पहले देश भर में महिलाओं, छात्रों और कामकाजी महिलाओं के लिए मासिक धर्म अवकाश की मांग करने वाली याचिका का निपटारा किया था। न्यायालय ने तब कहा था कि चूंकि यह मामला नीतिगत दायरे में आता है, इसलिए केंद्र को प्रतिवेदन दिया जा सकता है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि आज तक केंद्र की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 9, 2024

एमओसी ने सामुदायिक-आधारित कैंसर देखभाल और अनुसंधान के लिए एचओसी-वेदांता के साथ विलय की घोषणा की

नई दिल्ली, 09 जुलाई  2024 (यूटीएन)। एम ओ सी और एचओसी-वेदांता के विलय से 22,000 से अधिक लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ेगा और सालाना 60,000 से अधिक कीमोथेरेपी दी जाएगी, जिससे पश्चिमी भारत में अनगिनत लोगों के जीवन में बदलाव आएगा गुणवत्तापूर्ण कैंसर देखभाल के लिए राष्ट्रव्यापी विस्तार यह इकाई महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में रणनीतिक रूप से स्थित 22 सामुदायिक कैंसर देखभाल केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से पूरे भारत में अपनी पहुंच बढ़ाने की तैयारी कर रही है.   एम ओ सी कैंसर देखभाल और अनुसंधान केंद्र और हेमेटो ऑन्कोलॉजी क्लिनिक- वेदांता एचओसी ने 8 जुलाई  को अपने विलय की घोषणा की, जिससे पश्चिमी भारत में उन्नत कैंसर उपचार तक पहुंच में महत्वपूर्ण विस्तार हुआ। विलय से एम ओ सी एचओसी-वेदांता बना, जो कैंसर देखभाल और अनुसंधान के लिए समर्पित देश के सबसे बड़े भौगोलिक नेटवर्क में से एक है, जो रोगियों को समय पर अत्याधुनिक उपचार और संधारणीय लागत पर दयालु देखभाल प्रदान करने का वादा करता है।   "यह विलय केवल बिस्तर बढ़ाने के बारे में नहीं है; यह पश्चिमी भारत में कैंसर देखभाल के लिए एक पावरहाउस बनाने के बारे में है। एचओसी-वेदांता के साथ मिलकर हम उत्कृष्टता के एक नए स्तर के लिए मंच तैयार कर रहे हैं। हम अपने सभी केंद्रों में देखभाल को मानकीकृत करेंगे, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक रोगी को उच्चतम गुणवत्ता, साक्ष्य-आधारित उपचार उपलब्ध हो," एम ओ सी के प्रमोटर, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. आशीष जोशी कहते हैं।   कैंसर के खिलाफ लड़ाई को अभी एक बड़ा बढ़ावा मिला है। एम ओ सी के साथ मिलकर हम नवाचार के लिए एक पावरहाउस बना रहे हैं। बड़े पैमाने पर नैदानिक ​​परीक्षणों की कल्पना करें, नई क्रांतिकारी चिकित्सा की खोज करें और मौजूदा लोगों की क्षमता को अधिकतम करें। यह सहयोग भारत और उसके बाहर कैंसर देखभाल के लिए एक गेम-चेंजर होगा,"एचओसी-वेदांता के एक प्रतिनिधि ने कहा। अपनी संयुक्त विशेषज्ञता और संसाधनों के साथ, एम ओ सी एचओसी-वेदांता पश्चिमी भारत में अनगिनत रोगियों और परिवारों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालने के लिए तैयार है। व्यापक देखभाल पर उनका ध्यान, वित्तीय सहायता के साथ, न केवल उपचार, बल्कि आशा, उपचार और बेहतर भविष्य का वादा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस विलय ने भारत में एक ही छत के नीचे कैंसर विशेषज्ञों का सबसे बड़ा समूह स्थापित किया है।   जिसमें 40 मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और हेमेटोलॉजिस्ट की संयुक्त टीम है। यह शक्तिशाली टीम महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में रणनीतिक रूप से स्थित 22 सामुदायिक कैंसर देखभाल केंद्रों के नेटवर्क में 22,000 से अधिक कैंसर रोगियों की सेवा करने और सालाना 60,000 से अधिक कीमोथेरेपी उपचार देने के लिए तैयार है। संयुक्त इकाई भारत के अन्य हिस्सों में अपने परिचालन का विस्तार करने की योजना बना रही है, जिसका लक्ष्य पूरे भारत में रोगियों को सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली कैंसर देखभाल तक पहुँच प्रदान करना है।    कैल्टियस वेंचर्स (अहमदाबाद) और जेएसए ने विलय प्रक्रिया के दौरान एचओसी-वेदांता को महत्वपूर्ण सलाह और कानूनी परामर्श प्रदान किया। इसी तरह, एफ्लुएंस एडवाइजर्स मुंबई और एजेडबी ने एम ओ सी को विशेषज्ञ मार्गदर्शन और कानूनी सहायता प्रदान की। एम ओ सी एचओसी-वेदांता विलय भारतीय कैंसर देखभाल में एक महत्वपूर्ण छलांग है। अपनी संयुक्त विशेषज्ञता, व्यापक नेटवर्क और पहुंच के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ, वे देश भर में अनगिनत रोगियों और परिवारों के जीवन को बदलने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। हाल ही में, एम | ओ | सी ने जनवरी 2023 में टाटा कैपिटल हेल्थकेयर फंड से 10 मिलियन डॉलर का महत्वपूर्ण निवेश हासिल किया, जो स्थान या वित्तीय स्थिति की परवाह किए बिना सभी के लिए विश्व स्तरीय कैंसर देखभाल सुलभ बनाने के उनके महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 9, 2024

संचारी रोगों की रोकथाम हेतु छात्र छात्राओं ने निकाली जागरूकता रैली

बिनौली, 07 जुलाई 2024 (यूटीएन)। तेड़ा के आर्य विद्यालय इंटर कालेज में शनिवार को सरकार के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा संचालित विशेष संचारी रोग नियंत्रण एवं डायरिया रोको अभियान के तहत छात्र-छात्राओं ने रैली निकाली। रैली का शुभारंभ प्रधानाचार्या डा मनीषा मिश्रा ने विद्यालय परिसर से हरी झंडी दिखाकर किया।    तेड़ा गांव में रैली के दौरान छात्र छात्राओं ने सौ रोगों की एक दवाई, घर में रखो साफ सफाई, स्वस्थ रहेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया आदि नारों के द्वारा जागरूक किया। पूरे गांव में घूमते हुए छात्र छात्राओं ने लोगों को बरसात में होने वाली इन संक्रामक बीमारियों के विषय में जागरूक किया तथा संक्रमित रोगों से बचने के उपाय भी बताये। इस दौरान  अनिरुद्ध सिंह, अंकिता सिंह, हेमंत कुमार, मिथिलेश कुमार, पलटूराम, लेखराज, सोनू आदि मौजूद रहे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Jul 7, 2024

सेडभर गांव के चार एथलीट डोपिंग टेस्ट में मिले पॉजिटिव , चार साल के लिए निलंबन की तैयारी

अमीनगर सराय,06 जुलाई 2024 (यूटीएन)। लखनऊ मे एक प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे सेडभर गांव के चार एथलीट डोपिंग टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए है। ये भावी एथलीट सेडभर गांव की वेदीराम मेमोरियल वेटलिफ्टिंग अकादमी के  एथलीट रहे हैं। अब चारों एथलीट को सस्पेंड कर डोपिंग की जांच की जाएंगे।    सेडभर गांव स्थित वेदीराम मेमोरियल वेटलिफ्टिंग अकादमी से प्रशिक्षण  प्राप्त कर लखनऊ पहुंचे अकादमी के चार एथलीट डोपिंग टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए। उत्तर प्रदेश वेटलिफ्टिंग एसोसिएसन एनसीओई प्रशिक्षण केंद्र द्वारा आयोजित प्रतियोगिता के पूर्व डोपिंग टेस्ट हुआ था,जिसमे सेडभर गांव के चार एथलीट सुहेल पुत्र सहमोदीन, निर्णय यादव पुत्र मुकेश कुमार,  हर्षवर्धन पुत्र सर्वशांति व सनीर पुत्र शमशाद, पॉजिटिव पाए गए।    उत्तर प्रदेश वेट लिफ्टिंग एसोसिएशन की अध्यक्षा सबीना यादव ने बताया कि, डोपिंग सभी स्तरों पर अस्वीकार्य है। यह केवल व्यक्ति को ही नहींं,बल्कि पूरे समुदाय व समाज की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है। बताया कि, चारो एथलीटों को उनके खिलाफ मामले की कार्यवाही पूरी होने के बाद राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी दिल्ली द्वारा चार साल के लिए निलंबित किया जाएगा तथा निलंबन अवधि तक सभी खेल गतिविधियों से प्रतिबंधित भी कर दिया जाएगा।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Jul 6, 2024

सांसद डॉ सांगवान द्वारा जिला अस्पताल का निरीक्षण व पुलिस लाइन में पौधारोपण

बागपत,06 जुलाई 2024 (यूटीएन)। रालोद सांसद डॉ राजकुमार सांगवान ने जिला संयुक्त चिकित्सालय का निरीक्षण किया तथा चिकित्सालय की व्यवस्थाएं व साफ सफाई देख मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसके चौधरी की सराहना की।    सांसद ने कहा कि, मरीज का उपचार अच्छे से करना चाहिए, सभी डॉक्टर नियमित रूप से व समय से आएं, किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। इस दौरान उन्होंने महिला अस्पताल के बाथरूम का मेंटेनेंस कराए जाने के निर्देश दिए और कहा जो टूट है ,उसे ठीक कराया जाए।   जिन चिकित्सकों के रिटायरमेंट हैं उसके लिए अग्रिम डिमांड तैयार करें जिसकेआधार पर और चिकित्सक जनपद को उपलब्ध हो सकें। उन्होंने अस्पताल में आए मरीजों से भी उनका हाल-चाल लिया और चिकित्सालय का फीडबैक लिया।   सांसद ने हाई मास्क सोलर लाइट व  सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट उपलब्ध कराए जाने के लिए कहा कि,जो भी आवश्यकता होगी अस्पताल के लिए ,उन्हें वे समय से उपलब्ध कराएंगे। स्वास्थ्य सेवा देना डॉक्टर का  काम है, जबकि उपकरण उपलब्ध कराना हमारा काम है। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ महावीर कुमार, डिप्टी सीएमओ डॉ यशवीर सहित आदि उपस्थित रहे।   दूसरी ओर सांसद ने जनपद की पुलिस लाइन में पौधारोपण किया तथा कहा कि, एक पेड माँ के नाम लगाकर हर किसी को पुण्य का भागीदार बनना चाहिए। इस दौरान एसपी अर्पित विजयवर्गीय सहित रालोद जिलाध्यक्ष रामपाल धामा, लोक चेतना कल्याण मंच के देवेंद्र धामा आदि बड़ी संख्या में राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Jul 6, 2024

नीट पीजी के एग्जाम में अब नहीं होगी कोई गड़बड़ी, 11 अगस्त के लिए हुए कड़े इंतजाम

नई दिल्ली, 06 जुलाई  2024 (यूटीएन)। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार नीट पीजी परीक्षा की तारीख जारी हो गई है. नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशंस इन मेडिकल साइंसेंस ने जानकारी दी है कि इस बार नीट पीजी परीक्षा का आयोजन 11 अगस्त 2024 के दिन किया जाएगा. एक ही दिन में, दो शिफ्टों में परीक्षा आयोजित होगी. पिछली बार एग्जाम में गड़बड़ी की आशंका से परीक्षा से करीब 12 घंटे पहले ही इसे कैंसिल कर दिया गया था. इस बार कोई समस्या न आए इसलिए होम मिनिस्ट्री साइबर सेल के साथ मिलकर तगड़े इंतजाम करेगी.   *शिफ्ट के बारे में बाद में दी जाएगी जानकारी* नीट पीजी परीक्षा शिफ्ट के बारे में बाद में जानकारी दी जाएगी. वे कैंडिडे्स जो इस साल की परीक्षा में शामिल हो रहे हों, वे ताजा अपडेट्स के लिए विजिट करते रहें. कट-ऑफ डेट में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है और ये 15 अगस्त 2024 ही है.   *होम मिनिस्ट्री की निगरानी में होगा एग्जाम* इस बार का नेशनल एलिजबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट फॉर पीजी एग्जाम अब होम मिनिस्ट्री की निगरानी में आयोजित होगा. पेपर लीक जैसी समस्याओं से बचने के लिए परीक्षा से दो घंटे पहले क्वैश्चन पेपर बनाया जाएगा. इसके अलावा बहुत सी गवर्नमेंट एजेंसी इस काम में लगेंगी कि कहीं कोई गलती की गुंजाइश न हो. साइबर सेल और टाटा कंसल्टेंसी के साथ होम मिनिस्ट्री की मीटिंग इस बाबत हो चुकी है और परीक्षा की सुरक्षा के लिए तगड़े इंतजाम किए गए हैं.   *इस बार बदला पेपर पैटर्न भी* इस बार नीट पीजी परीक्षा का पेपर पैटर्न भी बदल दिया गया था. एग्जाम से कुछ दिन पहले ही ये फैसला आया था. परीक्षा को समय-सीमा में भी बांधा गया है और ये भी सुरक्षा के लिहाज से ही किया गया है. सेक्शन में बंटा होगा. जैसे पांच सेक्शन हैं तो हर सेक्शन के लिए 42 मिनट दिए जाएंगे जिसमें 40 सवाल आएंगे. नये नियम के तहत जब तक एक सेक्शन पूरा नहीं हो जाता यानी उसको दिया टाइम पूरा नहीं हो जाता आप दूसरे सेक्शन में नहीं जा सकते.   एक बार दिया गया समय पूरा हो जाता है तो कैंडिडेट अपने पुराने उत्तरों को न तो फिर से देख सकते हैं और न ही बदल सकते हैं. एक बारे में और दिए गए समय में वो जिस सेक्शन में जिस भी एमसीक्यू का जो उत्तर देना चाहते हैं, वे दे सकते हैं.   *एग्जाम डे गाइडलाइन* परीक्षा शुरू होने से कम से कम डेढ़ घंटे पहले केंद्र पहुंच जाएं. पहले परीक्षा की टाइमिंग सुबह 9 से दोपहर 12.30 बजे तक थी. ऐसे में आपको 8 बजे सेंटर पहुंचना था. इस बार की शिफ्ट की टाइमिंग कुछ दिन में जारी होगी. किसी भी तरह की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइज अपने साथ न ले जाएं. साथ ही किसी भी तरह की कॉपी-किताब भी कैरी न करें. अपने साथ एमडिट कार्ड और वैलिड फोटो आईडी जरूर ले जाएं. नये एडमिट कार्ड फिर से जारी हो सकते हैं. अपडेट्स जानने के लिए वेबसाइट देखते रहें.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 6, 2024