Health

अब देश के सैनिकों को मिलेगा बेस्ट टेक्नोलॉजी आधारित इलाज

नई दिल्ली, 31 मई 2024  (यूटीएन)। भारतीय सेना के जवानों और अधिकारियों को जल्द ही दुनिया की बेस्ट टेक्नोलॉजी आधारित इलाज मिल सकेगा। इसमें ड्रोन-आधारित रोगी परिवहन, टेलीमेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और नैनो टेक्नोलॉजी शामिल हैं। इन सभी नई पहल, रिसर्च और ट्रेनिंग में सहयोग के उद्देश्य से सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) ने आईआईटी हैदराबाद के साथ एक समझौता किया है।   *सेना के जवानों को मिलेगा बेस्ट इलाज* इस एमओयू का उद्देश्य नए चिकित्सा उपकरणों के विकास में इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा देना है। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत सैनिकों के लिए विशिष्ट स्वास्थ्य सुविधाओं का समाधान के साथ विस्तार करना है। इसके अंतर्गत सशस्त्र बलों के सामने आने वाली विविध चिकित्सा चुनौतियों से निपटने के लिए आईआईटी हैदराबाद अपने जैव प्रौद्योगिकी, जैव चिकित्सा अभियांत्रिकी और जैव सूचना विज्ञान जैसे विभागों के साथ आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करेगा।   *आईआईटी हैदराबाद के साथ किया समझौता* रक्षा मंत्रालय ने कहा कि समझौते के अनुसार, सहयोग के जिन प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की गई है, उनमें ड्रोन-आधारित रोगी परिवहन, टेलीमेडिसिन इनोवेशन, चिकित्सा क्षेत्र में एआई का अनुप्रयोग और नैनो टेक्नोलॉजी में प्रगति कार्यक्रम शामिल हैं। इनके अलावा एमओयू के अंतर्गत विद्यार्थी विनिमय कार्यक्रमों, स्नातक विद्यार्थियों के लिए अल्पकालिक पाठ्यक्रम और फैकल्टी विनिमय गतिविधियों की सुविधा दी जाएगी। सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह और आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बीएस मूर्ति ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए।   लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह ने दूसरे और तीसरे स्तर की देखभाल यानी दोनों ही स्थितियों में सैनिकों को व्यापक चिकित्सा देखभाल देने के लिए सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा की प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि अपनी अत्याधुनिक तकनीक के लिए मशहूर आईआईटी हैदराबाद जैसे संस्थान के साथ साझेदारी करना रिसर्च और ट्रेनिंग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रोफेसर बीएस मूर्ति ने सशस्त्र बलों द्वारा बताई जाने वाली समस्याओं के निपटान के लिए आईआईटी हैदराबाद की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे उनके सामने आने वाली चुनौतियों का तत्काल और प्रभावी समाधान सुनिश्चित होगा। यह सहयोग सैन्य कर्मियों के स्वास्थ्य-कल्याण को बढ़ाने के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी और रिसर्च का लाभ उठाने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 31, 2024

खाइए मगर स्वादानुसार, 5 ग्राम नमक, 25 ग्राम चीनी भी ज्यादा, आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस

नई दिल्ली, 31 मई 2024  (यूटीएन)। 5 ग्राम नमक, 10 ग्राम फैट और 25 ग्राम चीनी भी ज्यादा है। यह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की यह नई गाइडलाइंस हैं। अगर आप अपने खाने में नमक, चीनी, फैट को कंट्रोल कर लेते हैं, तो बहुत हद तक बीमारियों को टालने में सक्षम हो सकते हैं। वरना ज्यादा नमक, चीनी और फैट न केवल बीमारी की वजह बन सकते हैं, बल्कि यह मौत का भी कारण हो सकते हैं। इसी संदर्भ में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने हाल ही में गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसमें चीनी, नमक, फैट और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से होने वाले खतरे का संज्ञान लेते हुए रेगुलर खाने में 5 ग्राम नमक और 25 ग्राम चीनी को भी ज्यादा माना गया है।   भारतीयों के लिए खाने संबंधी जारी गाइडलाइंस के हिसाब से हर दूसरा व्यक्ति अधिक चीनी नमक और तेल को भोजन में शामिल कर रहा है, जो उसे भविष्य में बहुत बीमार कर सकता है। चीनी, नमक, तेल और संरक्षित डिब्बा बंद खाने और कोल्ड ड्रिंक के भी खतरे कम नहीं हैं। फिट रहना है तो खाने में चीनी, नमक और तेल की मात्रा कम ही रखें। इसके साथ ही अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड जैसे सॉफ्ट ड्रिंक, कुकीज, पेस्ट्री आदि भी सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। खाने की यह सभी चीजें आपको बीपी, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियां दे रही हैं।   *कितना नमक ज्यादा?* गाइडलाइंस में रेगुलर 5 ग्राम से अधिक नमक (2 ग्राम सोडियम) को भी ज्यादा बताया गया है। पैकेट बंद चिप्स, सॉस, स्नैक्स, नमकीन आदि मानक से कहीं अधिक नमक का प्रयोग करते हैं।   *हाई सॉल्ट वाले फूड* प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड में नमक की मात्रा अधिक होती है। इनमें चिप्स, सॉस, बिस्किट, बेकरी प्रोडक्ट्स और पका कर पैक किए जाने वाले फूड आइटम्स जैसे नमकीन, स्नैक्स, पापड़, अचार में नमक की मात्रा ज्यादा होती है। इन्हें अधिकतर लोग अपने घरों में तैयार करते हैं और अपने अनुसार नमक मिलाते हैं।   *ज्यादा चीनी खतरनाक* दिनभर में अगर दो हजार कैलरी ली जा रही है, तो उसमें 25 ग्राम कैलरी ही चीनी की होनी चाहिए। इससे अधिक चीनी नुकसानदेह हो सकती है। संभव हो तो एडेड शुगर (सिरप या तरल पेय के रूप में खाने में अलग से मिलाई जाने वाली शुगर) को खाने से बिल्कुल हटा दें। गाइडलाइंस के अनुसार, चीनी का सेवन, कुल एनर्जी के 5 पर्सेंट या 25 ग्राम प्रति दिन (2,000 किलो कैलरी प्रतिदिन के औसत सेवन के आधार पर) से अधिक होता है तो इसे हाई शुगर की श्रेणी में रखा जाता है।   *सॉलिड (ठोस) खाने के लिए* *चीनी की लिमिट:*  *5% एनर्जी एडेड शुगर से होती है, कुल चीनी से 10% से ज्यादा एनर्जी नहीं होना निर्धारित किया गया है।* *फैट की लिमिट:*  *15% एनर्जी एडेड फैट से होती है, कुल फैट से 30% से ज्यादा एनर्जी नहीं होना निर्धारित किया गया है।* *ड्रिंक्स (लिक्विड) के लिए:* *चीनी की लिमिट: 10% एनर्जी जोड़ी गई चीनी से और कुल चीनी (फलों के रस/दूध में मौजूद चीनी सहित) से 30% एनर्जी से अधिक नहीं होना निर्धारित किया गया है।* *फैट की लिमिट:*  *15% एनर्जी जोड़ी गई फैट से और कुल फैट से 30% ऊर्जा से अधिक नहीं हो, यह निर्धारित किया गया है।*   विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी सिफारिश को संशोधित करने पर विचार कर रहा है और चीनी से कैलरी को 5 पर्सेंट से कम करने की योजना बना रहा है। चीनी को 25 ग्राम तक रोजाना तक सीमित करना स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। अगर संभव हो, तो ऊपर से ली जाने वाली चीनी को पूरी तरह से अपने डाइट में खत्म कर सकते हैं। जो चीनी स्वाभाविक रूप से खाने-पीने की चीजों में होती है, उसे प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाले शुगर यानी चीनी कहा जाता है, जैसे मोनोसैकेराइड सिंपल शुगर है, जिसमें सिंगल शुगर मॉलीक्यूल होते हैं, जैसे फलों में ग्लूकोज या फ्रुक्टोज। डिसैकेराइड्स दो सिंपल शुगर मॉलीक्यूल होते हैं, जैसे सुक्रोज (चीनी) या दूध में लैक्टोज।   *अलग से मीठा नुकसानदायक* एडेड या अतिरिक्त शुगर उसे कहा जाता है, जिसमें एक्स्ट्रा मिलाया जाता है। इसका सोर्स टेबल शुगर भी है। इसके अलावा गुड़, शहद, ग्लूकोज, फ्रूटोज आदि का एडेड शुगर के तौर पर इस्तेमाल होता है। इससे कैलरी की मात्रा बढ़ जाती है। चिंता की बात यह है कि इनसे कैलरी के अलावा कोई न्यूट्रिशयन नहीं मिलता है। कैलरी केवल तभी हेल्दी होती है, जब उसके साथ विटामिन, खनिज और फाइबर भी हों।   रिसर्च के अनुसार, नियमित रूप से ली जाने वाले शुगर के विकल्प जैसे स्पाटम, सैकरीन, शुगर अल्कोहल आदि का भी लंबे समय तक प्रयोग से मोटापा, डायबिटीज और हाइपरटेंशन हो सकते हैं। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों को कृत्रिम शुगर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह पेट के लाभदायक वायरस फ्लोरा को डैमेज करती है।   *​खाने में तेल पर रखें नज़र* विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, खाने में कुल एनर्जी में फैट या वसा की मात्रा 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्राकृतिक रूप से खाने की सभी चीजों मे 15 प्रतिशत तेल मौजूद रहता है, जिसके कई तरह के लाभ होते हैं। इसके अतिरिक्त केवल 15 प्रतिशत वसा या तेल और प्रयोग किया जा सकता है, इससे अधिक नहीं।   *हाई इन फैट, सुगर एंड सॉल्ट क्या है* हाई इन फैट, सुगर एंड सॉल्ट हैं। इसलिए एच एफ एस एस ऐसे फूड प्रोडक्ट को कहा जाता है, जिनमें किसी भी खाना पकाने वाले वनस्पति तेल, घी, मक्खन (दिखाई देने वाली या जोड़ी गई तेल/ वसा) आदि से 15 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा मिलती है। दूसरे शब्दों में, वे खानपान, जो 2000 किलो कैलरी के आहार के लिए हर दिन 30 ग्राम से अधिक दिखाई देने वाली या ऐड की गई तेल या फैट होता है। हाई फैट वाले फूड प्रोडक्ट्स को सभी डीप-फ्राइड करके तैयार किया जाता है।   इनमें फ्रेंच फ्राइज, समोसा, कचौड़ी, पूरी, नमकीन, मिठाई, बिस्किट, कुकीज, केक, परांठे या यहां तक कि कुछ करी शामिल हैं। जब रोजाना 10 ग्राम से अधिक विजुअल सैचुरेटेड फैट (2000 किलो कैलरी आहार के लिए) घी, मक्खन के रूप में या स्नैक्स या मिठाई की तैयारी में ताड़ के तेल, नारियल तेल के अत्यधिक उपयोग के कारण सेवन किया जाता है, तो एस एफ का उपयोग उच्च माना जाता है।   *पैकेट वाला खाना भी ठीक नहीं* डिब्बाबंद खाने को अधिक दिन तक चलाने के लिए उसे अल्ट्रा प्रोसेस्ड किया जाता है। इसे कई तरह से प्रोसेस किया जाता है। प्राइमरी, सेकंडरी, मिनिमम प्रोसेस्ड और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड, प्राइमरी प्रोसेसिंग में बेसिक क्लिनिंग, ग्रेडिंग और पैकिंग को शामिल किया जाता है। सेकंडरी प्रोसेसिंग खाद्य पदार्थों के प्रयोग से ठीक पहले की अवस्था होती है। चावल के खेतों को सेकंडरी प्रोसेसिंग के तहत पैक किया जाता है। वहीं रेडी टु ईट खाने की चीजें टेरिटरी प्रोसेसिंग की श्रेणी में आती हैं।   बेकरी प्रोडक्ट्स, इंस्टेंट फूड और हेल्थ ड्रिंक इसी श्रेणी में आते हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को एक प्रक्रिया के तहत कई तरह के संरक्षित चीजों (कृत्रिम शुगर, रंग और फ्लेवर) के साथ पैक किया जाता है, ताकि अधिक दिन तक खराब न हों। इससे खाद्य पदार्थों की सेल्फ लाइफ को बढ़ जाती है, लेकिन वे सेहत के लिए हानिकारक हो जाते हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 31, 2024

एम्स में ट्विन स्पिन तकनीक के साथ बाइप्लेन फ्लैट पैनल डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी

नई दिल्ली, 31 मई 2024  (यूटीएन)। एम्स, नई दिल्ली के न्यूरोसाइंसेज सेंटर के न्यूरोइमेजिंग और इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजी विभाग ने ‘ट्विन स्पिन तकनीक के साथ बाइप्लेन फ्लैट पैनल डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी’ में सबसे उन्नत तकनीक स्थापित करके एक नया मानदंड स्थापित किया है। एम्स, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने इस नई सुविधा का उद्घाटन किया। वर्तमान में इसमें दोनों विमानों में 3डी रोटेशनल एंजियोग्राफी (ट्विन स्पिन) प्राप्त करने की एक अनूठी सुविधा है; यह तकनीक अन्य प्रतिस्पर्धियों के पास उपलब्ध नहीं है।    ट्विन स्पिन तकनीक के साथ, ऑपरेटर पार्श्व विमान को पार्क स्थिति में ले जाए बिना 2डी बाइप्लेनर इमेजिंग और 3डी इमेजिंग के बीच सहजता से स्विच कर सकते हैं। यह स्ट्रोक केंद्रों को अधिक रोगियों का तेजी से और अधिक सटीक रूप से इलाज करने की चुनौती से निपटने में मदद करता है।   इसके अलावा, यह सबसे उन्नत "कोन बीम सीटी तकनीक" से लैस है जो डायरेक्ट-टू-एंजियोग्राफी सूट वर्कफ़्लो के साथ तीव्र स्ट्रोक रोगियों की सबसे तेज़ ट्राइएजिंग की अनुमति देता है, जो देरी को काफी कम करता है और इस तरह मस्तिष्क को और अधिक नुकसान से बचाता है, जो "समय मस्तिष्क है" की अवधारणा का पूरी तरह से समर्थन करता है। इसे एक ही इंटरवेंशनल सूट में न्यूरो-इंटरवेंशनल प्रक्रियाओं की एक विस्तृत श्रृंखला की पेशकश करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।   यह नया उपकरण बेजोड़ छवि गुणवत्ता सुनिश्चित करता है जो सी-आर्म एंगुलेशन और रोगी के वजन की एक विस्तृत श्रृंखला में लगातार उच्च बनी रहती है, जो विकिरण खुराक में महत्वपूर्ण बचत की अनुमति देती है, जिससे रोगियों और ऑपरेटरों की सुरक्षा को लाभ होता है।   चूंकि पिक्सेल रिज़ॉल्यूशन सबसे अच्छा है, इसलिए यह सुविधा छोटी संरचनाओं के बेहतर विज़ुअलाइज़ेशन की सुविधा देती है जिन्हें अन्यथा चित्रित करना मुश्किल होता है। 2डी और 3Dडी इमेजिंग तकनीक में प्रगति के साथ, छवि गुणवत्ता और विकिरण खुराक में कमी अगले स्तर पर पहुंच गई है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

May 31, 2024

महिलाओं के हार्ट फेलियर प्रबंधन में अग्रणी प्रगति हेडलाइन ऐतिहासिक कार्डियो मेटाबोलिक सम्मेलन

नई दिल्ली, 30 मई 2024  (यूटीएन)। कोविड के बाद के युग में महिलाओं में हार्ट फेलियर के बढ़ते खतरे और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, मोटापे और मधुमेह के उच्च प्रसार से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवा में “कार्डियो रेनो मेटाबोलिक नेविगेशन द्वारा महिलाओं में हार्ट फेलियर के नैदानिक ​​प्रबंधन की संभावनाओं को बढ़ाने” पर प्रकाश डालने वाला ऐतिहासिक कार्डियो मेटाबोलिक सम्मेलन हाल ही में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, दिल्ली में आयोजित किया गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हेल्दी हार्ट सोसाइटी और मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के सहयोग से सम्मेलन की मेजबानी की।   सम्मेलन में विचार-विमर्श करते हुए, डॉ. एच.के. चोपड़ा, मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार, आईएमए, एनडीबी ने हृदयाघात के प्रभाव को कम करने के लिए संरचित तरीके से शीघ्र निदान और उपचार की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, "महिलाओं में चयापचय संबंधी कारणों से संरक्षित इजेक्शन अंश (एचएफपीईएफ) के साथ हृदयाघात होने की अधिक संभावना होती है, जिसके लिए एक विशेष दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। महिलाओं में हृदयाघात को जागरूकता बढ़ाने और समय पर उपचार के माध्यम से काफी हद तक रोका जा सकता है, प्रतिवर्ती किया जा सकता है और प्रबंधित किया जा सकता है।" इस सम्मेलन का उद्देश्य वजन और रक्तचाप प्रबंधन, नमक का सेवन कम करना, नींद को प्राथमिकता देना, धूम्रपान से बचना और तनाव प्रबंधन, व्यायाम, ध्यान, योग और मन लगाकर खाने को शामिल करने सहित हृदय स्वास्थ्य के लिए निवारक रणनीतियों के साथ व्यक्तियों को सशक्त बनाना है।   यह महिलाओं में हृदयाघात के प्रबंधन के लिए नवीन नैदानिक ​​दृष्टिकोणों का भी पता लगाएगा, विशेष रूप से उच्च रक्तचाप, मोटापा और मधुमेह जैसी चयापचय स्थितियों के कारण, और परिणामों को बेहतर बनाने और हृदय से संबंधित मौतों को कम करने के लिए हाल ही में हुई सफलताओं पर चर्चा करेगा। डॉ. चोपड़ा ने हार्ट फेलियर के निदान में इको, एमआरआई और एनटी प्रो बीएनपी जैसी उन्नत तकनीकों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया, "डेपाग्लिफ्लोज़िन, एआरएनआई, बीटा ब्लॉकर्स, एमआरए, वेरिसिग्वेट जैसी क्रांतिकारी दवाओं और इंक्लिसिरन और स्टैटिन के साथ पीसीएसके 9 अवरोधकों जैसे नए लिपिड-कम करने वाले एजेंटों के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता है।    इन दवाओं को हार्ट फेलियर थेरेपी के लिए स्वर्ण मानक माना जाता है। इसलिए, हर अस्पताल में 'हार्ट फेलियर क्लीनिक' की स्थापना और टेलीविजन और समाचार पत्रों के माध्यम से जनता को शिक्षित करने, जागरूकता बढ़ाने और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए 'मिशन हार्ट फेलियर केयर' पहल का प्रस्ताव करना इस गंभीर समस्या को दूर करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।" आईएमए एनडीबी के अध्यक्ष और मैक्स हार्ट एंड वैस्कुलर इंस्टीट्यूट में कैथ लैब्स के प्रमुख डॉ. विवेका कुमार ने ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (टीएवीआई) के प्रभाव पर प्रकाश डाला, जो एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है,   उन्होंने कहा, "टीएवीआई पारंपरिक सर्जरी के लिए अयोग्य गंभीर महाधमनी स्टेनोसिस वाले रोगियों के लिए जीवन रक्षक विकल्प प्रदान करता है, हृदय संबंधी देखभाल को बदलता है और उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है, जो चिकित्सा नवाचार की वैश्विक क्षमता को प्रदर्शित करता है। "आईएमए एनडीबी के सचिव डॉ. राजीव गर्ग कहते हैं, 'गैर-संचारी रोगों को रोकने में जीवनशैली में बदलाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अतिरिक्त, व्यापक पर्यावरणीय और व्यावसायिक स्वास्थ्य पहल आवश्यक हैं, क्योंकि वे समग्र स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।   सम्मेलन का समापन "महिलाओं के लिए वार्षिक सम्मान समारोह" के साथ हुआ, जिसमें उन्नत चिकित्सा देखभाल में उनके योगदान के लिए 150 से अधिक महिला डॉक्टरों को सम्मानित किया गया। इस सशक्तिकरण इशारे ने महिला चिकित्सा पेशेवरों के महत्वपूर्ण प्रभाव को उजागर किया। वैज्ञानिक विचार-विमर्श में 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जो महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 30, 2024

शरीर में पानी की कमी होने पर डब्ल्यूएचओ द्वारा सुझाए गए ओआरएस का ही उपयोग करें: विशेषज्ञ

नई दिल्ली, 29 मई 2024  (यूटीएन)। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मियों में दस्त बच्चों के जीवन के लिए खतरा बनता है, इसलिए सुरक्षित ओआरएस का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है। चिलचिलाती गर्मी के कारण भारत को निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) से निपटने की गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ता है, खासकर बच्चों में, जहां डायरिया मृत्यु दर का तीसरा प्रमुख कारण है। हाल के एनएफएचएस-5 डेटा से पता चलता है ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ओआरएस) एक आवश्यक दवा होने के बावजूद डायरिया से पीड़ित केवल 60.6% बच्चों को मिलता है, जो जागरूकता बढ़ाने और उचित उपयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।   डॉ. पंकज गर्ग, प्रेजिडेंट इलेक्ट, इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स, दिल्ली चैप्टर और सीनियर कंसल्टेंट, नियोनेटोलॉजी बच्चों में दस्त और पानी की कमी के प्रबंधन में ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करते हुए बताते हैं, “दस्त से तेजी से तरल पदार्थ की कमी, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और पानी की कमी होता है। ओआरएस इन खोए हुए तरल पदार्थों और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करने का एक सरल लेकिन अत्यधिक प्रभावी तरीका है, जो कॉम्प्लीकेशन्स को रोकता है और विशेष रूप से छोटे बच्चों में तेजी से सुधार में मदद करता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि ओआरएस सुरक्षित और प्रभावी दोनों है।   *मुख्य बातें:* · डायरिया से पीड़ित केवल 60.6% भारतीय बच्चों को जीवन रक्षक ओआरएस मिल पाता है।   · डायरिया बाल मृत्यु दर में तीसरे स्थान पर है; ओआरएस के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।   · ओआरएस: निर्जलित बच्चों में तेजी से रिकवरी के लिए सरल, शक्तिशाली समाधान।   · गर्मियों में हाइड्रेटेड रहें; प्रोलाइट ओआरएस, वैलाइट ओआरएस आदि जैसे डब्ल्यूएचओ-अनुमोदित ओआरएस चुनें।     गलत नमक या चीनी के मिश्रण का उपयोग हानिकारक हो सकता है। पानी की कमी के उचित प्रबंधन के लिए पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का सटीक संतुलन आवश्यक है। गलत घरेलू समाधान या मिठे पेय से संतुलन खराब हो सकता है। इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि बड़ी मात्रा में पानी की कमी या गंभीर मामलों में मृत्यु।    गर्मी के मौसम के दौरान उचित हाइड्रेशन सुनिश्चित करने के लिए, एक जन जागरूकता अभियान डब्ल्यूएचओ-अनुमोदित ओआरएस समाधानों के महत्व पर प्रकाश डालता है। प्रोलाइट ओआरएस, डॉ. मोरपेन ओआरएस, या ओआरएस वाल्यटे ओआरएस जैसे जाने-माने ब्रांड इन मानकों का पालन करते हैं, जो निर्जलीकरण से निपटने के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका पेश करते हैं। पद्म श्री डॉ. मोहसिन वली कंसलटैंट फिजिशियन, सर गंगा राम अस्पताल, बढ़ते तापमान के साथ उचित ओआरएस का चयन करने की आवश्यकता को उजागर करते हैं, कहते हैं, “दस्त और पानी की कमी को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए सही ओआरएस का चयन करना महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से गर्मी के महीनों में।   ओआरएस और व्यापारिक रूप से उपलब्ध मीठे पेय के बीच भेद करना महत्वपूर्ण है। हालांकि ये पेय पदार्थ कुछ इलेक्ट्रोलाइट्स और तरल पदार्थ प्रदान कर सकते हैं, लेकिन उनमें तेजी से और प्रभावी हाइड्रेशन के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण ग्लूकोज-सोडियम और पोटेशियम संतुलन की कमी होती है। । मीठे पेय कुछ समय के लिए राहत दे सकते हैं, लेकिन ये पानी की कमी की मूल समस्या का समाधान नहीं करते। इसलिए, डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त ओआरएस का उपयोग करना समग्र स्वास्थ्य बनाए रखने और जल्दी ठीक होने के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर बच्चों जैसी संवेदनशील जनसंख्या में।   जानकारीपूर्ण विकल्प चुनना महत्वपूर्ण है। जब निर्जलीकरण का सामना करना पड़े, तो निर्जलीकरण के इलाज के लिए अनुपयुक्त अन्य चीनी युक्त पेय पदार्थों की तुलना में डब्ल्यूएचओ-अनुमोदित ओआरएस समाधान को प्राथमिकता दें। ओआरएस के लाभों और इसके उचित उपयोग को समझकर, हम व्यक्तियों और परिवारों को अपने स्वयं के स्वास्थ्य के नायक बनने के लिए सशक्त बना सकते हैं, खासकर गर्मी के महीनों के दौरान। यह ज्ञान हर साल हजारों बच्चों की जान बचाने में मदद कर सकता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |      

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May 29, 2024

भारत की जेलों में मासिक धर्म स्वास्थ्य प्रबंधन में सुधार के लिए व्यापक रणनीति प्रस्तावित की गई है: किरण बेदी

नई दिल्ली, 29 मई 2024  (यूटीएन)। अंतर्राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर, मुख्य अतिथि डॉ. किरण बेदी, पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल और इंडिया विजन फाउंडेशन की संस्थापक ने एसोचैम के तीसरे मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन सम्मेलन-सह-पुरस्कार में भारत में मासिक धर्म प्रबंधन के बारे में बात की, जिसमें महिलाओं और लड़कियों की भलाई को प्रभावित करने वाली कई चुनौतियों और स्थितियों का सामना करना पड़ता है। कई जेलों में पर्याप्त स्वच्छता सुविधाओं का अभाव है, जैसे कि साफ और निजी शौचालय, बहता पानी और मासिक धर्म अपशिष्ट के लिए उचित निपटान प्रणाली। मासिक धर्म अपशिष्ट से बचने के लिए अधिक भस्मक जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.   और सैनिटरी पैड के लिए अधिक मशीनों का उपयोग किया जाना चाहिए। जेलों में मासिक धर्म की आपूर्ति की उपलब्धता के बारे में, उन्होंने अपनी चिंताएँ व्यक्त कीं और त्वरित कार्रवाई की माँग की। भारत सरकार की मुद्रा योजना और भारत की मासिक धर्म स्वच्छता योजना के बारे में बात करते हुए चुनौतियों का मुकाबला करने और महिलाओं के लिए सुरक्षित पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए राज्य-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाने का एक प्रवेश द्वार है। उन्होंने कहा कि विभिन्न हितधारकों और गैर सरकारी संगठनों को मासिक धर्म के बारे में चुप्पी तोड़ने, समुदायों को शिक्षित करने और किफायती मासिक धर्म उत्पादों तक पहुँच प्रदान करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।   स्पार्क मिंडा फाउंडेशन, इंडिया विजन फाउंडेशन, भारत केयर्स और एसोचैम ने उत्तर प्रदेश की जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन परियोजना शक्ति शुरू की। यूनेस्को इंडिया की वरिष्ठ लिंग विशेषज्ञ डॉ. हुमा मसूद ने युवा और स्कूल जाने वाली लड़कियों तक पहुँचने पर ध्यान केंद्रित किया ताकि मासिक धर्म से जुड़ी शर्म, भारी कलंक और गलत धारणा को मिटाया जा सके। उन्होंने आगे बताया कि भारत में 5 में से 1 लड़की मासिक धर्म शिक्षा और सैनिटरी उत्पादों तक पहुँच की कमी के कारण स्कूल छोड़ देती है। स्कूलों, परिवारों और समुदायों से मासिक धर्म शिक्षा पर अध्याय गायब है, जिसके परिणामस्वरूप 71% लड़कियों को पहली बार मासिक धर्म के बारे में पता ही नहीं चलता।   नीति आयोग के उपाध्यक्ष कार्यालय की निदेशक सुश्री उर्वशी प्रसाद के अनुसार, ग्रामीण और दूरदराज के स्थानों में मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों की अक्सर कम आपूर्ति होती है और वितरण नेटवर्क अपर्याप्त हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पुरुषों को मासिक धर्म से जुड़ी शर्म के बारे में जागरूक होना चाहिए। अनौपचारिक कार्यस्थलों में महिलाओं को सुरक्षित महसूस करना चाहिए और अपने मौलिक अधिकारों का प्रयोग करने में सक्षम होना चाहिए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण में जागरूकता में 20% की वृद्धि की रिपोर्ट की गई है। श्रीमती नेहा जैन, आईएएस, विशेष सचिव, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने विशेष संबोधन में बताया कि सुलभता और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाने के लिए कम लागत वाले सैनिटरी पैड, मासिक धर्म कप और बायोडिग्रेडेबल विकल्पों के विकास और वितरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।   मासिक धर्म स्वास्थ्य प्रबंधन का समर्थन करने वाली और लैंगिक असमानताओं को दूर करने वाली नीतियों की निरंतर वकालत आवश्यक है। एसोचैम नेशनल सीएसआर काउंसिल के अध्यक्ष अनिल राजपूत ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि भारत के कई हिस्सों में मासिक धर्म को अक्सर वर्जित विषय माना जाता है। सांस्कृतिक मान्यताएँ और मिथक इस विषय पर चुप्पी और शर्म को बनाए रखते हैं, जिससे खुली चर्चा और शिक्षा को रोका जाता है। उन्होंने कहा कि मासिक धर्म वाली महिलाओं और लड़कियों को कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे अलगाव और भेदभाव की भावना पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि 22.7% महिलाएँ और लड़कियाँ उच्च लागत के कारण सैनिटरी उत्पादों का खर्च नहीं उठा सकती हैं, जिससे उन्हें पुराने कपड़ों जैसे अस्वास्थ्यकर विकल्पों का उपयोग करना पड़ता है।   रियल रिलीफ इंडिया की निदेशक सुश्री ट्राइन सिग ने कहा कि हर 4 में से 1 महिला सैनिटरी नैपकिन खरीदने से चूक जाती है। मासिक धर्म संबंधी स्वास्थ्य शिक्षा में एक महत्वपूर्ण अंतर है। कई लड़कियाँ मासिक धर्म के लिए तैयार नहीं होती हैं और उन्हें मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में बुनियादी जानकारी नहीं होती है। अपर्याप्त सुविधाओं और सामाजिक कलंक के कारण लड़कियाँ अपने मासिक धर्म के दौरान स्कूल नहीं जा पाती हैं, जिससे उनकी शिक्षा और भविष्य के अवसर प्रभावित होते हैं।    एसोचैम नेशनल एम्पावरमेंट काउंसिल की सह-अध्यक्ष सुश्री ज्ञान शाह ने कहा कि आर्थिक असमानताओं के कारण, निम्न आय वाले परिवारों की महिलाओं को सुरक्षित मासिक धर्म उत्पादों तक पहुँचने में अधिक संघर्ष करना पड़ता है। एसोचैम नेशनल वेलनेस काउंसिल की सह-अध्यक्ष डॉ. ब्लॉसम कोचर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और मासिक धर्म उत्पादों की सामर्थ्य और पहुँच के बारे में जागरूकता फैलाई। कार्यक्रम का समापन मुख्य अतिथि किरण बेदी द्वारा मासिक धर्म स्वच्छता में सर्वाधिक नवीन उत्पाद, मासिक धर्म स्वच्छता में सीएसआर पहल द्वारा अधिकतम प्रभाव-कॉर्पोरेट और सार्वजनिक उपक्रम; मासिक धर्म स्वच्छता में सीएसआर पहल द्वारा अधिकतम प्रभाव-एनजीओ; मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन चैंपियन ऑफ द ईयर (संगठन से) श्रेणियों में पुरस्कार वितरण समारोह के साथ हुआ।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 29, 2024

हरिश्चंद्र अग्रवाल के व्यापारी हितो के लिए दी गई शहादत को नमन करते हुए लगाया निशुल्क नेत्र चिकित्सा कैंप

बागपत, 27 मई 2024  (यूटीएन)। लायंस नेत्र चिकित्सा केंद्र अग्रवाल मंडी टटीरी में उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल  बागपत की ओर से शहीद दिवस के अवसर पर निशुल्क नेत्र जांच एवं मोतियाबिंद ऑपरेशन कैंप का आयोजन किया गया। शिविर में 98 नेत्ररोगियों की जांच की गई, जिनमें जांच उपरांत 24 नेत्र रोगियों को लेंस युक्त मोतियाबिंद ऑपरेशन हेतु चयनित किया गया।    इस दौरान आपरेशन के लिए चयनित नेत्र रोगियों को वाहन द्वारा लायंस नेत्र  हॉस्पिटल फ्रेंड्स कॉलोनी फ्रेंड्स कॉलोनी नई दिल्ली भेजा गया, जहां उद्योग व्यापार मंडल बागपत की ओर से सभी सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी ।    इस अवसर पर जिला अध्यक्ष अभिमन्यु गुप्ता ने शहीदों को नमन करते हुए कहा कि, हरिश्चंद्र अग्रवाल ने लखनऊ में व्यापारी हितों के लिए संघर्ष करते हुए पुलिस की गोलियां खाकर अपनी शहादत दी थी, ऊनकी कुर्बानी हमें सदैव प्रेरणा देती रहेगी । जिला महामंत्री पंकज गुप्ता अंकित जिंदल, डॉ मयंक गोयल, विभोर जिंदल, सलीम खान, विजय कश्यप, हिमांशु गोयल, हंसराज गुप्ता जिला कोषाध्यक्ष ईश्वर अग्रवाल सहित अनेक गणमान्य व्यापारी उपस्थित रहे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 27, 2024

तनीषा मुखर्जी ने पिलेट्स वर्कआउट करते हुए एक प्रेरणादायक फिटनेस वीडियो किया साझा, जिसमें 'स्वस्थ' को नई सेक्सी और सुंदर बनाने के बारे में की गई हैं बात

मुंबई, 27 मई 2024 (UTN)। तनीषा मुखर्जी भारतीय मनोरंजन उद्योग की सबसे ग्लैमरस और खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक हैं।  जबकि फिटनेस एक मंत्र है जिसका पालन अधिकांश भारतीय अभिनेत्रियाँ करती हैं, एक चीज़ जो तनीषा को बाकियों से अलग करती है और अद्वितीय बनाती है वह है उनकी सरासर निरंतरता और समर्पण स्तर।  चाहे वह व्यस्त और कठिन शूटिंग शेड्यूल या छुट्टियों के दौरान हो, तनीषा वह व्यक्ति है जो वास्तव में अपने वर्कआउट से कभी नहीं चूकती क्योंकि वह 'बहाने' में बिल्कुल भी विश्वास नहीं करती है।   जिस तरह से वह अपने दैनिक जीवन की भागदौड़ के बीच हमेशा वर्कआउट और व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करती हैं वह वास्तव में अनुकरणीय है जिस पर न केवल प्रशंसकों बल्कि कई अन्य भारतीय अभिनेत्रियों को भी ध्यान देना चाहिए। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उनके लगातार और अनुशासित वर्कआउट रूटीन के साथ-साथ उनके स्वस्थ आहार ने यह सुनिश्चित किया है कि वह रिवर्स एजिंग के फॉर्मूले को क्रैक कर लें और यही कारण है कि वह सुंदरता और फिटनेस के मामले में किसी भी आधुनिक किशोर को भी कड़ी टक्कर दे सकती हैं। जब भी तनीषा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर फिटनेस वीडियो साझा किए हैं, वे हमेशा एक अच्छा प्रभाव पैदा करने में कामयाब रहे हैं और टिप्पणियाँ खुद ही बोलती हैं।  जहां तक ​​उनकी फिटनेस दिनचर्या का सवाल है, एक चीज जो हमेशा स्थिर रहती है वह है पिलेट्स के प्रति उनका प्यार।    खैर, उनके हालिया वीडियो में से एक में भी, वह पिलेट्स करती नजर आ रही हैं और हम इस पर काबू नहीं पा सकते हैं।  उसकी ऊर्जा के स्तर से लेकर उसके संतुलन और वर्कआउट के रूप तक सब कुछ सही है और यह किसी भी व्यक्ति के लिए एकदम सही 'क्विक-टाइम' ट्यूटोरियल वीडियो के रूप में कार्य करता है जो वर्कआउट में महारत हासिल करना चाहता है।    उनका ऑरेंज को-ऑर्ड वर्कआउट आउटफिट भी कुछ ऐसा है जो बहुत से लोगों का ध्यान खींच रहा है और संदेश जोरदार और स्पष्ट है, 'स्वस्थ' को नए सेक्सी और सुंदर बनाएं।  क्या आप इस प्रेरणादायक वर्कआउट वीडियो को देखना चाहते हैं और कुछ फिटनेस युक्तियाँ प्राप्त करना चाहते हैं?  हेयर यू गो - ख़ैर, बिल्कुल सुंदर और अद्भुत, है ना?  यहां आशा और कामना है कि तनीषा अपने वर्कआउट रूटीन में निरंतरता बनाए रखें और युवाओं को सही दिशा में प्रेरित करती रहें।  काम के मोर्चे पर, तनीषा मुखर्जी कई अन्य दिलचस्प परियोजनाओं के साथ आगामी फिल्म मुरारबाजी में मुख्य भूमिका निभाती नजर आएंगी और हम बेहद उत्साहित हैं।  अधिक अपडेट के लिए बने रहें।   मुंबई-रिपोर्टर,(हितेश जैन)।

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May 27, 2024

88.3% पुरुष पत्नी को माहवारी में राहत के लिए नहीं बँटाते घरेलू कामों में हाथ: ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। दुनिया मासिक धर्म संबंधी वैश्विक आंदोलन मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे मना रही है, ऐसे में भारत के जानेमाने फेमनिन हाइजीन ब्रांड ऐवरटीन ने अपने 9वें वार्षिक मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे के परिणाम जारी किए हैं। इस वर्ष के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे की थीम है ’पीरियड फ्रैंडली वर्ल्ड’, इसी के मुताबिक ऐवरटीन ने अपनी पहुंच का विस्तार करते हुए पुरुषों को भी इसमें शामिल किया और मेंस्ट्रुअल हाइजीन के बारे में उनकी जागरुकता को मापा। इस सर्वे में 18 से 35 वर्ष के 7800 से अधिक लोगों की प्रतिक्रियाएं शामिल की गईं। इन लोगों में तकरीबन 1000 पुरुष थे जिनमें ज्यादातर स्नातक या उससे से ज्यादा शिक्षित थे।   ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे 2024 में भाग लेने वाले 60.2 प्रतिशत पुरुषों ने बताया कि वे अपनी पार्टनर से पीरियड्स के बारे में बहुत खुल कर बात करते हैं। यद्यपि, आधे से अधिक (52.2 प्रतिशत) पुरुषों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अब तक कि जिंदगी में अपनी पार्टनर के लिए कभी मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट नहीं खरीदा। केवल 11.7 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि जब उनकी पत्नी को माहवारी होती है तो वे उसके बोझ को कम करने के लिए घरेलू कामों की अतिरिक्त  जिम्मेदारी उठाते हैं। मासिक धर्म के दौरान अपनी पार्टनर के अनुभव को बेहतर ढंग से समझने की बात करें तो 77.7 प्रतिशत पुरुषों का कहना था उन्होंने इस विषय पर स्वयं को शिक्षित करने के लिए कोई रिसर्च नहीं की या फिर बेहद कम रिसर्च की।   69.8 प्रतिशत पुरुष महसूस करते हैं कि मासिक धर्म को लेकर समाज में जो संकोच है, जो हिचक है उसके चलते उनके लिए यह मुश्किल हो जाता है कि वे इस विषय पर अपनी पार्टनर से बात करें। 65.3 पुरुषों ने इस बात पर सहमति जताई की मासिक धर्म के बारे में पुरुषों को शिक्षित किया जाना चाहिए। मेंस्ट्रुएशन को लेकर हुए इस सर्वे में पुरुषों को शामिल किया जाना पहला कदम था और इससे धारणाओं में कुछ परिवर्तन में मदद मिली है क्योंकि 41.3 प्रतिशत पुरुषों ने वादा किया इस सर्वे में शामिल होने के बाद वे मासिक धर्म के बारे में स्वयं को शिक्षित करेंगे। जबकि 27.7 प्रतिशत ने कहा कि वे अपनी पार्टनर की जरूरतों को सुनेंगे और पीरियड्स के दौरान उन्हें सहयोग देंगे।   21.2 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वे अपनी पार्टनर से इस विषय पर ज्यादा खुल कर बात करेंगे। पैन हैल्थकेयर के सीईओ चिराग पैन इस सर्वे पर कहते हैं, ’’यदि हम पीरियड-फ्रैंडली दुनिया के सपने को हकीकत बनाना चाहते हैं पुरुषों को भी इसमें स्पष्ट रूप से भागीदारी निभानी होगी।     77.7% पुरुषों ने माहवारी में जीवनसंगिनी के अनुभव को समझने के लिए कोई रिसर्च नहीं की रिसर्च की   सामाजिक संकोच के चलते 69.8% पुरुषों को महिला पार्टनर से मासिक धर्म संबंधी विषय पर चर्चा करने में होती है मुश्किल   चार में से तीन महिलाएं पति से पीरियड्स पर बात करने में असहज महसूस करती हैं     अगर दुनिया की आधी आबादी मासिक धर्म के विषय पर बेपरवाह या अशिक्षित बनी रहेगी तो माहवारी के अनुकूल दुनिया बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकेगा। भारतीय समाज की वर्जनाएं पुरुषों के लिए इसे कठिन बना देती हैं कि वे मासिक धर्म को एक सामान्य घटना तौर पर स्वीकार कर सकें। हमने इस साल अपने ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे में पुरुषों की भागीदारी शामिल कर के एक विनम्र कोशिश की है और इस विषय पर उनसे संवाद आरंभ किया है। मुझे यह देख कर खुशी हुई है कि इतने सारे पुरुष सहभागियों पर इसका सकारात्मक प्रभाव हुआ है और उन्होंने पीरियड्स के दौरान अपनी महिला पार्टनरों को अतिरिक्त सहयोग देने का वादा किया है।   ऐवरटीन की निर्माता कंपनी वैट् एंड ड्राई पर्सनल केयर के सीईओ  हरिओम त्यागी ने कहा, ’’हमारे ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे में शामिल महिलाओं ने भी इस पर जोर दिया कि मासिक धर्म के विषय पर पुरुषों के बीच ज्यादा जागरुकता जगाने की जरूरत है। तकरीबन 90 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि अपने पिता या भाई से पीरियड्स के बारे में बात करने में वे सहज महसूस नहीं करतीं, जबकि हर चार में से तीन महिलाआंे (77.4 प्रतिशत) को अपने पति के साथ भी इस पर बात करना असहज करता है। केवल 8.4 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थीं जो कार्यस्थल पर अपने पुरुष सहकर्मियों के साथ मासिक धर्म संबंधी मुद्दों पर बात करने में सहज थीं।   ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे में यह भी सामने आया कि 7.1 प्रतिशत महिलाएं अब भी अपने परिवार में पीरियड्स को लेकर किसी से बात नहीं करतीं। 56.8 प्रतिशत महिलाएं किराने या दवा की दुकान से सैनिटरी नैपकीन खरीदने में अब भी झिझकती हैं, खासकर तब जब वहां कोई ग्राहक मौजूद हो। 51.8 प्रतिशत महिलाएं पीरियड के पहले दो दिनों में ठीक से सो नहीं पातीं, जबकि 79.6 प्रतिशत महिलाएं रात को नींद में दाग लगने को लेकर चिंतित रहती हैं। 64.7 प्रतिशत महिलाओं ने मध्यम से लेकर गंभीर मेंस्ट्रुअल क्रैम्प अनुभव किए हैं। 53.1 प्रतिशत महिलाएं पीरियड्स के दौरान बाहर जाने से परहेज करती हैं। चार में से एक महिला (25.8 प्रतिशत) को नहीं मालूम था कि श्वेत स्त्राव होने पर क्या किया जाए और सिर्फ 32.8 प्रतिशत महिलाओं ने इस मुद्दे पर डॉक्टर से सलाह की।   87.1 प्रतिशत महिलाओं की राय थी कि माहवारी की छुट्टियां देने की बजाय कंपनियों को मेंस्ट्रुअल फ्रैंडली कार्यस्थल तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए। 91.1 प्रतिशत महिलाओं का मानना था कि जो कंपनियां इस कॉन्सेप्ट को बढ़ावा देंगी वे ज्यादा महिलाओं को अपनी कंपनी जॉइन करने के लिए आकर्षित करेंगी। हर साल ऐवरटीन भारत में महिलाओं से बड़े पैमाने पर जुड़ने का अभियान चलाता है और उन्हें प्रोत्साहित करता है कि वे खुल कर मेंस्ट्रुएशन के मुद्दे पर अपनी बात रखें। फेमनिन इंटीमेट हाइजीन हेतु संपूर्ण उत्पादों की रेंज बनाने वाले अग्रगामी ब्रांड ऐवरटीन ने  कैम्पेन के जरिए ज़नाना एवं मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर निरंतर जागरुकता का प्रसार किया है।   आज, ब्रांड ऐवरटीन महिलाओं के लिए 35 भिन्न हाइजीन और वैलनेस उत्पाद प्रस्तुत करता है जिनमें पीरियड केयर सैनिटरी पैड, रिलैक्स नाइट्स अल्ट्रा ओवरनाईट सैनिटरी पैड, सिलिकॉन मेंस्ट्रुअल कप, मेंस्ट्रुअल कप क्लीन्ज़र, टैम्पून, पैन्टी लाइनर, बिकिनी लाइन हेयर रिमूवर क्रीम, पीएच बैलेंस्ड इंटीमेट वॉश, टॉयलेट सीट सैनिटाइज़र, फेमनिन सिरम, जैल आदि बहुत कुछ शामिल हैं। वर्ष 2013 में स्थापित वैट् एंड ड्राई पर्सनल केयर प्राइवेट लिमिटेड पैन हैल्थ की पहल है जो हैल्थ, हाइजीन व पर्सनल केयर उत्पाद पेश करती है।   नई दिल्ली मुख्यालय वाली यह कंपनी चार ब्रांडों की स्वामी है जो हैं- ऐवरटीन (फेमनिन हाइजीन), न्यूड (प्रीमियम पर्सनल केयर प्रोडक्ट), नेचर श्योर (नैचुरल वैलनेस प्रोडक्ट) और मैनश्योर (पुरुषों के लिए प्रीमियम हैल्थ प्रोडक्ट)। अमेजन, फ्लिपकार्ट, नायका, पर्पल, मिंत्रा, जियोमार्ट, मीशो आदि ऑनलाइन मार्केटप्लेसिस पर ये उत्पाद खूब बिकते हैं। भारत में बिक्री के अलावा हमारे उत्पाद दुनिया भर के ग्राहकों तक पहुंचाए जाते हैं जिनमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, फिजी, फ्रांस, फिनलैंड, घाना, हांग कांग, आयरलैंड, कीनिया, मलेशिया, नामिबिया, नाइजीरिया, ओमान, कतर, सउदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, श्री लंका, स्विटजरलैंड, यूएस, यूके, युगांडा, वियतनाम आदि देश शामिल हैं।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

कोविड के नए वैरिएंट को लेकर रैंडम सैंपल सर्वे का आदेश जारी

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। कोविड के जिस नए स्वरूप के सिंगापुर समेत दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में मामले सामने आए हैं, उसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जताई है। इसके आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में देश में मिले ऐसे मामलों के बाद कई महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश और आदेश जारी किए हैं। फिलहाल अब देश के अलग-अलग राज्यों में एक सप्ताह तक रेंडम सैंपल लेकर सर्वे किया जाएगा। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड का यह बदला स्वरूप, न तो खतरनाक है और ना ही चिंता की बात है।   फिलहाल जून के दूसरे हफ्ते में रेंडम सैंपल सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में कोविड के बदले स्वरूप से प्रभावित हुए मरीज और राज्यों की पूरी जानकारी महत्वपूर्ण बैठक में रखी गई। जानकारी के मुताबिक, केपी.1 और केपी.2 के तकरीबन सवा तीन सौ मामलों की जानकारी सामने आई है। इसमें केपी.1 के 34 मामले देश के अलग-अलग राज्यों में पाए गए हैं। इसमें सबसे ज्यादा 23 मामले पश्चिम बंगाल में मिले हैं। जबकि महाराष्ट्र में इस वैरिएंट के चार मामले सामने  आए हैं।   इसी तरह गुजरात और राजस्थान में भी दो-दो मरीज मिले हैं। जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक गोवा और हरियाणा समेत उत्तराखंड में भी एक-एक मरीज इसी नए वैरिएंट का मिला है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक़ अब तक देश में केपी.2 के तकरीबन 290 मामलों की जानकारी मिली है। जिसमें महाराष्ट्र से 148 मामले शामिल हैं। पश्चिम बंगाल में 36,  राजस्थान में 21, गुजरात में 23, उत्तराखंड में 16, गोवा में 12, ओडिशा में 17, उत्तर प्रदेश में 8 और कर्नाटक में 4 समेत हरियाणा में 3, मध्यप्रदेश और दिल्ली में एक एक  मामला मिला है। देश के अलग-अलग राज्यों में नए वैरिएंट और सब वैरिएंट के मामलों पर नजर रखने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेंडम सैंपल सर्वे के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों के मुताबिक जिन राज्यों में ऐसे मामले सामने आए हैं वहां पर सघन निगरानी के साथ-साथ अगले दो सप्ताह तक सैंपलिंग करने को कहा गया है।   केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि हालांकि यह मामले बिल्कुल खतरनाक नहीं है बावजूद इसके केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय प्रत्येक गतिविधि पर करीब से नजर बनाए हुए है। कोविड मामलों पर नजर रखने वाली कमेटी से जुड़े डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि पहली बात तो यही है कि जो मामले सामने आ रहे हैं वह बिल्कुल सामान्य है। यानी कि कोविड के बदले स्वरूप की न तो कोई भयावहता है और न ही उससे कोई डरने की आवश्यकता है।   डॉ अरोड़ा कहते हैं कि फिर भी देश के अलग-अलग हिस्सों में मिल रहे मामलों को संज्ञान में लेकर रेंडम सैंपल सर्वे के आदेश दिए जा चुके हैं। वह कहते हैं कि जिन इलाकों में यह मामले आए हैं, वहां पर सघनता से मॉनिटरिंग की जा रही है। उनका कहना है क्योंकि इनमें से कई मामले काफी पहले के हैं और सभी लोग स्वस्थ हैं। ऐसे मामलों में देखा यही जा रहा है कि क्या किसी को अस्पताल में दाखिल होने की आवश्यकता पड़ रही है या नहीं। डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि किसी भी मरीज को किसी तरह से अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत नहीं पड़ रही है। इसलिए इस वैरिएंट से बिल्कुल घबराने की आवश्यकता नहीं है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024