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दिल्ली में जल संकट को लेकर सड़क पर उतरी भाजपा

नई दिल्ली, 17 जून 2024 (यूटीएन)। देश की राजधानी दिल्ली में पानी की किल्लत को लेकर हाहाकार जारी है। दिल्ली की जनता बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही है, लेकिन पानी नहीं मिल रहा है। पानी की किल्लत को लेकर भाजपा ने रविवार को दिल्ली में जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन किया। दिल्ली के सदर बाजार में प्रवीण शंकर कपूर, पूर्व मेयर जयप्रकाश जेपी और तमाम भाजपा कार्यकर्ताओं ने दिल्ली सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं।   भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से जो बड़े-बड़े वादे किए थे, वो कहां हैं। दिल्ली की जनता पानी की समस्या से परेशान है, उन्हें पानी नहीं मिल रहा है। इस दौरान वह सदर बाजार के विधायक इमरान हुसैन पर भी हमलावर नजर आए। पूर्व मेयर जयप्रकाश जेपी ने कहा कि सदर बाजार में दिल्ली की जनता के पैसे से बोरिंग की पाइप लाइन बिछाई गई थी, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। बोरिंग की इस पाइप लाइन में भी बड़ा घोटाला किया गया है।   दिल्ली की जनता इस सरकार को माफ नहीं करेगी। संगम विहार के पास महरौली-बदरपुर रोड पर भी भाजपा नेताओं ने पानी की किल्लत को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया। इस मौके पर दक्षिणी दिल्ली के नवनिर्वाचित सांसद रामवीर बिधूड़ी भी मौजूद रहे। इस दौरान लोगों ने दिल्ली सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जल संकट के लिए भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आम आदमी पार्टी को निशाने पर लिया।   दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि पानी की समस्या को लेकर हम लोगों ने प्रदर्शन किया है। सोमवार को आम आदमी पार्टी के विधायकों के घर के बाहर प्रदर्शन करेंगे। दिल्ली की जनता अगर पानी के लिए तरस रही है तो इसके लिए आम आदमी पार्टी और उनकी सरकार जिम्मेदार है। इनके विधायक और मंत्री पानी की चोरी करते हैं, पानी की बर्बादी रोक नहीं पाए। लीकेज और चोरी रोक ली जाती तो दिल्ली की जनता को पानी के लिए तरसना नहीं पड़ता।   बता दें कि देश की राजधानी दिल्ली में पिछले कई दिनों से जल संकट बना हुआ है। दिल्ली के कई इलाकों में पानी की समस्या को लेकर हाहाकार मचा है। जल संकट के बीच भारतीय जनता पार्टी भी लगातार आम आदमी पार्टी पर हमलावर है और दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 17, 2024

साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2024 की घोषणा

नई दिल्ली, 17 जून 2024 (यूटीएन)। साहित्य अकादमी अध्यक्ष माधव कौशिक की अध्यक्षता में हुई कार्यकारी बोर्ड की बैठक में 23 लेखकों के चयन को मंजूरी दी। के वैशाली को उनके संस्मरण ‘होमलेस: ग्रोइंग अप लेस्बियन एंड डिस्लेक्सिक इन इंडिया’ के लिए, जबकि गौरव पांडे को उनके कविता संग्रह ‘स्मृतियों के बीच घिरी है पृथ्वी’ के लिए प्रतिष्ठित युवा पुरस्कार दिया जाएगा। युवा पुरस्कार 10 कविता पुस्तकों, सात कहानी संग्रहों, दो लेख और एक निबंध संग्रह, एक उपन्यास, एक गजल पुस्तक और एक संस्मरण के लिए प्रदान किया गया।     *इन्हें मिला युवा पुरस्कार*   युवा पुरस्कार जीतने वाले अन्य लेखक हैं नयनज्योति शर्मा (असमिया), सुतपा चक्रवर्ती (बंगाली), सेल्फ मेड रानी बारो (बोडो) और हीना चौधरी (डोगरी)। इनके अलावा रिंकू राठौड़ (गुजराती), श्रुति बी आर (कन्नड़), मोहम्मद अशरफ जिया (कश्मीरी), अद्वैत सालगांवकर (कोंकणी), रिंकी झा ऋषिका (मैथिली) और श्यामकृष्णन आर (मलयालम) भी विजेताओं में शामिल हैं। वाइखोम चिंगखिंगनबा (मणिपुरी), देवीदास सौदागर (मराठी), सूरज चपागैन (नेपाली), संजय कुमार पांडा (उड़िया), रणधीर (पंजाबी), सोनाली सुतार (राजस्थानी) को भी युवा पुरस्कार के लिए चुना गया है। अन्य विजेता अंजन करमाकर (संथाली), गीता प्रदीप रूपानी (सिंधी), लोकेश रघुरामन (तमिल), रमेश कार्तिक नायक (तेलुगु) और जावेद अंबर मिस्बाही (उर्दू) हैं।   *देवेंद्र व नंदिनी को बाल साहित्य पुरस्कार*   बाल साहित्य पुरस्कार के लिए अकादमी ने अंग्रेजी लेखिका नंदिनी सेनगुप्ता को उनके ऐतिहासिक उपन्यास ‘द ब्लू हॉर्स एंड अदर अमेजिंग एनिमल स्टोरीज फ्रॉम इंडियन हिस्ट्री’ और देवेंद्र कुमार को बच्चों की कहानियों के संग्रह ‘51 बाल कहानियां’ के लिए चुना है।   इसके अलावा रंजू हजारिका (असमिया), दीपनविता रॉय (बंगाली), बिरगिन जेकोवा मचाहारी (बोडो), बिशन सिंह ‘दर्दी’ (डोगरी), गिरा पिनाकिन भट्ट (गुजराती) और कृष्णमूर्ति बिलिगेरे (कन्नड़), मुजफ्फर हुसैन दिलबर (कश्मीरी), हर्ष सद्गुरु शेट्टी (कोंकणी), नारायणगी (मैथिली), उन्नी अम्मायम्बलम (मलयालम), क्षेत्रिमायुं सुबदानी (मणिपुरी), भारत सासाने (मराठी), बसंत थापा (नेपाली), मानस रंजन सामल (उड़िया), कुलदीप सिंह दीप (पंजाबी), प्रह्लाद सिंह ‘झोरड़ा’ (राजस्थानी), हर्षदेव माधव (संस्कृत), दुगल टुडू (संथाली), लाल होतचंदानी ‘लाचार’ (सिंधी), युवा वासुकी (तमिल), पी चंद्रशेखर आजाद (तेलुगु) और शम्सुल इस्लाम फारूकी (उर्दू)। बाल साहित्य पुरस्कार विजेताओं को एक तांबे की पट्टिका वाला एक छोटा संदूक व 50,000 रुपये का चेक मिलेगा।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 17, 2024

स्पीकर पद पर घमासान! जेडीयू तैयार, लेकिन टीडीपी पर फंसा पेंच

नई दिल्ली, 17 जून 2024 (यूटीएन)। लोकसभा स्पीकर का चुनाव 26 जून को होना है. ऐसे में अभी से ही स्पीकर पद को लेकर एनडीए और इंडिया अलायंस में शामिल दलों के बीच जुबानी हमले तेज हो गए हैं. इंडिया अलायंस के नेताओं ने एनडीए के घटक दल टीडीपी को लोकसभा स्पीकर के पद पर समर्थन देने की बात कही है तो दूसरी ओर जेडीयू ने भी अपने इरादे साफ कर दिए हैं. *स्पीकर पद पर क्या है टीडीपी का रुख*   लोकसभा स्पीकर पर टीडीपी ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार खड़ा किया जाना चाहिए. टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने कहा, ''एनडीए के सहयोगी स्पीकर पद के चुनाव को लेकर एक साथ बैठेंगे और तय करेंगे कि स्पीकर के लिए उम्मीदवार कौन होगा. आम सहमति बन जाने के बाद हम उस उम्मीदवार को मैदान में उतारेंगे और टीडीपी समेत सभी सहयोगी उम्मीदवार का समर्थन करेंगे.   *क्यों महत्वपूर्ण है भाजपा के लिए स्पीकर पद*   हालांकि, टीडीपी ने स्पीकर की कुर्सी पर अपना दावा पेश करने के विकल्प को खारिज नहीं किया है. ऐसे में जेडीयू के रुख से बीजेपी की स्थिति मजबूत हुई है. बीजेपी सूत्रों की मानें तो पार्टी स्पीकर का पद अपने उम्मीदवार के लिए रखना चाहती है और उसने इस बारे में अपने सहयोगियों से बात भी कर ली है. क्योंकि 1999 में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता में थी और उस दौरान सरकार को विश्वास मत से गुजरना पड़ा था, जो वह संसद में नहीं बन पाई. उस समय टीडीपी सांसद जीएमसी बालयोगी स्पीकर थे.   *क्या हुआ था 1999 में?*   दरअसल, 1999 में जयललिता के नेतृत्व वाली एआईडीएमके ने वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, इसके बाद वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार एक वोट से गिर गई थी, क्योंकि अध्यक्ष के रूप में बालयोगी ने ओडिशा के तत्कालीन कांग्रेस के मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग को वोट देने की अनुमति दी. वह तीन महीने पहले ही सीएम बने थे, लेकिन उन्होंने तब तक सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिया था.   *कितनी है एनडीए की संख्या?*   एनडीए सरकार के लिए टीडीपी और जेडीयू का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अकेले 240 सीटें मिली हैं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से कम हैं. इसके अलावा टीडीपी को 16 सीटें मिलीं, जबकि जेडीयू को 12 सीटें मिलीं. इसी के बाद ही एनडीए को पूर्ण बहुमत मिल पाया.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 17, 2024

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला से मिले दीपांशु बंसल,लोकसभा चुनावों में किए गए कार्यों की दी विस्तृत रिपोर्ट

पिंजौर, 11 जून 2024 (यूटीएन)। नई दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद चौ० रणदीप सुरजेवाला से दीपांशु बंसल एडवोकेट ने मुलाकात करके लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों की हुई जीत में विजय बंसल और उनके साथियों द्वारा किए गए कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट दी गई और इसके साथ ही वर्तमान राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा कर आगामी चुनावो में कांग्रेस पार्टी की जीत निश्चित करने हेतु विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।   दीपांशु बंसल ने बताया कि लोकसभा चुनावों में रणदीप सुरजेवाला के निर्देशानुसार पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार प्रसार किया गया। फलस्वरूप सभी कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत से अम्बाला लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी की भारी बहुमत से जीत ही। इसके साथ ही दीपांशु बंसल ने आगामी चुनावो को लेकर भी रणदीप सुरजेवाला का मार्गदर्शन प्राप्त किया। दीपांशु बंसल ने बताया कि राज्यसभा सांसद और कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला द्वारा हर बार की तरह प्यार, स्नेह और आशीर्वाद दिया गया।   इसके साथ ही विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर कांग्रेस पार्टी की मजबूती के लिए चर्चा हुई। इसके साथ ही बताया कि वर्तमान राजनीतिक स्थिति के अनुसार हरियाणा के युवा अपना भविष्य रणदीप सुरजेवाल के हाथो में सुरक्षित समझते है।युवाओं को विश्वास है कि उनके हकों को सुरक्षित करने के लिए रणदीप सुरजेवाला ही एकमात्र ऐसे नेता है जो सड़क से लेकर संसद तक उनकी आवाज बुलंद करते है।   हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।  

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Jun 11, 2024

राइजिंग दीवास वेलफेयर फाउंडेशन के पदाधिकारियों के द्वारा दो दिवसीय समर कैंप समापन हुआ

 पिंजौर, 11 जून 2024 (यूटीएन)। राइजिंग दीवा वेलफेयर फाउंडेशन के पदाधिकारियों द्वारा कामधेनु गौशाला के आस पास रह रहे झुग्गी झोपड़ियों मे रहने वाले सेकडों बच्चों को राइजिंग दीवास वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा पिंजौर में दो दिवसीय समर कैंप का आयोजन किया गया जिसमें फाउंडेशन द्वारा गरीब व असहाय बच्चों को डांस क्लास सिखाई जा रही है अध्यक्ष प्रियंका राठौर ने बातचीत करते हुए बताया कि हमारी का मुख्य उद्देश्य गरीब व असहाय बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाना है तथा आजकल की युवा नशे की ओर जा रही है हमारे इस प्रयास के माध्यम से हमने बच्चों को नशे से दूर रहने के लिए और खेलकूद में व्यस्त रहने के साथ-साथ पढ़ने की और ध्यान लाने के लिए इस समर कैंप का आयोजन किया गया इस समर कैंप के द्वारा बच्चों नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित किया गया।   और कोरियोग्राफर रॉय के द्वारा बच्चों को डांस स्टेप सिखाए गए और बच्चों ने भी कोरियोग्राफर रॉय के द्वारा सिखाए गए डांस के स्टेप पर नाचते नजर आए बच्चों में खुशी का माहौल देखने को मिला वही बच्चों के माता-पिता के द्वारा इस संस्था के इस कार्य की प्रशंसा की और संस्था के सभी सदस्यों का आभार जताया आपको बता दें कि फाउंडेशन द्वारा पहले भी बहुत से सामाजिक कार्यो में बढ़ चढ़कर योगदान दिया जाता रहा है वो चाहे देश के त्योहारो के प्रति जागरुकता पैदा करने का काम हो या बच्चों को शिक्षित करने के अलावा हुनर को निखारने की पहल हो, जानकारी देते हुए बताया की भविष्य में जनहित और सामाजिक मुद्दों पर जागरुकता अभियान के माध्यम से अनेकों सराहनीय कार्य फाउंडेशन द्वारा किए जायेंगे।  इस मौके पर अध्यक्ष प्रियंका राठौर, जनरल सेक्रेटरी मिता सरकार, सलाहकार अमिता शर्मा, इवेंट मैनेजर सुरुचि चावला, मेंबर ज्योति, नमिता वाधवा,कोरियोग्राफर रॉय आदि सदस्य मौजूद रहे।   हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।  

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Jun 11, 2024

मोदी 3.0: मंत्रिमंडल के लिए अनेक नामों पर लगभग बन चुकी है सहमति

नई दिल्ली, 09 जून 2024 (यूटीएन)। मोदी की नई कैबिनेट में कौन-कौन से चेहरे शामिल होंगे, इसे लेकर सियासी गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चाएं हो रही हैं। सूत्रों की मानें तो एक बार फिर नरेंद्र मोदी अपने पुराने और बड़े चेहरों को अपनी कैबिनेट में जगह देने वाले हैं। इसके अलावा जिन राज्यों में अगले कुछ महीनों में विधानसभा के चुनाव हैं, वहां के सांसदों को भी मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है। वहीं दूसरी ओर बड़ा झटका उत्तर प्रदेश के लिए माना जा रहा है। सांसदों की संख्या के लिहाज से इस बार उनका कैबिनेट में प्रतिनिधित्व कम किए जाने की सबसे बड़ी सुगबुगाहट चल रही है। जबकि दिल्ली से लेकर हरियाणा और महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के लिहाज से सांसदों को मंत्रिमंडल जगह देकर सियासत थामी जा सकती है। वहीं, पार्टी अपने दक्षिण के विस्तार को तरजीह देते हुए वहां के राज्यों से जीते सांसदों की अपने कैबिनेट में जगह दे सकती है।   जानकारी के मुताबिक, 9 जून को नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट कैसी होगी, इसे लेकर भी पूरा खाका भारतीय जनता पार्टी की ओर से खींचा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, मोदी की इस नई कैबिनेट में भारतीय जनता पार्टी के कई कद्दावर चेहरों को दोबारा कैबिनेट में जगह दी जा रही है। जिसमें भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में शामिल राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, योगेंद्र यादव जैसे नाम शामिल हैं।   इसके अलावा चर्चा इस बात की भी हो रही है कि कुछ नेता जो चुनाव हार गए हैं, उन्हें भी मोदी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। सूत्रों की मानें तो इसमें एक महत्वपूर्ण नाम अमृतसर सीट से चुनाव हार गए अमेरिका में भारत के राजदूत रहे तरनजीत सिंह संधू का भी है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक इस बार मोदी कैबिनेट में उत्तर प्रदेश से मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या कम किए जाने की भी चर्चाएं हैं। सूत्रों की मानें तो इसकी प्रमुख वजहों में एक तो सदस्यों की कम संख्या भी है। दूसरी और महत्वपूर्ण वजह यह बताई जा रही है कि हाल फिलहाल वहां पर कोई चुनाव नहीं हैं, जिससे जातिगत समीकरणों को साधने के लिए मंत्रिमंडल में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जगह दी जाए। इसलिए फिलहाल पहले मंत्रिमंडल में ज्यादा सांसदों को कैबिनेट में जगह कम मिलने की बात सामने आ रही है। सूत्रों की मानें, तो पश्चिम से राष्ट्रीय लोकदल के हिस्से में पहली कैबिनेट में जगह बन सकती है।   जबकि आगरा से पिछड़े नेता एसपीएस बघेल को दोबारा कैबिनेट में जगह मिल सकती है। भाजपा के रणनीतिकारों के मुताबिक मोदी कैबिनेट में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की तैयारी है। इसी तरह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी कैबिनेट में जगह दिए जाने की पूरी संभावनाएं हैं। जबकि नॉर्थ ईस्ट से त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देब को भी मोदी की कैबिनेट में जगह देने की बात चल रही है। सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा को मोदी कैबिनेट में जगह दी सकती है। सूत्रों का कहना है कि मोदी की नई कैबिनेट में उन राज्यों को प्राथमिकता में रखा जा रहा है, जहां अगले कुछ समय में विधानसभा के चुनाव हैं। इसमें दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र समेत बिहार और जम्मू और कश्मीर शामिल है। सूत्रों की मानें तो एक बार फिर से दिल्ली में सभी सातों सीटें भाजपा ने जीती हैं।   दिल्ली में अगले साल विधानसभा का चुनाव भी है। इसलिए दिल्ली से दो सांसदों को मोदी कैबिनेट में जगह मिलने की चर्चाएं हैं। इसमें एक नाम दिल्ली से तीसरी बार सांसद बने पूर्वांचल के बड़े चेहरे मनोज तिवारी हो सकते हैं। जबकि दूसरा नाम महिला चेहरे के तौर पर बांसुरी स्वराज का भी लिया जा रहा है। इसी तरह हरियाणा में इसी साल होने वाले चुनावों के चलते यहां पर भी कैबिनेट में सभी सियासी समीकरण साधते हुए कुछ नाम चर्चा में हैं। इसमें पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के अलावा कृष्ण पाल गुर्जर का नाम फिर से चर्चा में है। पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो भाजपा दक्षिण के भाजपा सांसदों भी कैबिनेट में जगह देकर सियासी समीकरण साधेगी। इसमें पार्टी उड़ीसा से लेकर तेलंगाना के सांसदों को कैबिनेट में जगह देने की तैयारी कर रही है। जबकि सूत्रों के मुताबिक इस बार केरल में एक सीट जीतने वाले सांसद सुरेश गोपी को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है।   पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी दक्षिण में विस्तार के तहत कर्नाटक से लेकर केरल और तेलंगाना से लेकर ओडिशा तक के जनप्रतिनिधियों को मोदी मंत्रिमंडल में जगह दे सकती है। चूंकि इस बार ओडिसा और तेलंगाना में 2019 की तुलना में सीटें ज्यादा आई हैं। केरल में भी पहली बार भाजपा को सीट मिली है। इसलिए भाजपा के पास दक्षिण के इन राज्यों में पहली बार विस्तार का और बड़ा मौका मिला है। सूत्रों की मानें तो इन सबका ध्यान रखते हुए ही मोदी कैबिनेट तैयार की जाएगी।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 9, 2024

राजस्थान से कौन बनेगा केंद्रीय मंत्री?

नई दिल्ली, 09 जून 2024 (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए को मिले बहुमत के बाद अब नई सरकार के गठन को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। एनडीए आज सरकार बनाने का दावा पेश करेगा। इस बीच खबर है कि नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। हालांकि इस बार नई सरकार के लिए परिस्थितियां पिछली दो बार से अलग हो सकती हैं। इसलिए केंद्रीय मंत्रिमंडल को लेकर भी माथापच्ची का दौर जारी है। हालांकि राजस्थान से इस बार मोदी सरकार 3.0 में कितने मंत्री होंगे? यह बड़ा सवाल बन गया है। 4 जून को आए परिणाम में भाजपा की प्रदेश से इस बार 11 सीटें कम हुई हैं। भाजपा को 14 सीटें और इंडिया गठबंधन को 11 सीट मिली हैं।   भाजपा के सूत्रों का कहना है कि भाजपा को इस बार पूर्ण बहुमत नहीं है। भाजपा को गठबंधन सहयोगियों को भी उनकी डिमांड के हिसाब से मंत्री पद देने पड़ेंगे। ऐसे में राजस्थान के सांसदों के लिए बहुत ज्यादा जगह नहीं बनेगी। ऐसे में प्रदेश से राजनीतिक और जातिगत समीकरण को साधने के लिए प्रदेश से कुछ चेहरों को फिर सरकार में मौका मिल सकता है। अर्जुन राम मेघवाल, भूपेंद्र यादव और गजेंद्र सिंह शेखावत मंत्री पद के लिए रिपीट हो सकते हैं। इसके अलावा हरियाणा, महाराष्ट्र में इस साल और कुछ राज्यों में अगले साल चुनाव प्रस्तावित हैं। इसलिए फिलहाल राजस्थान से दो के आसपास मंत्री बनाए जा सकते हैं।   इस बीच सबकी की नजरें मोदी सरकार 2.0 में लोकसभा अध्यक्ष रहे ओम बिरला पर टिकी हुई हैं। प्रदेश की कोटा-बूंदी लोकसभा सीट पर बिरला ने जीत हासिल की है। पहले भी लोकसभा स्पीकर रहे कई नेता मंत्री बने हैं। शिवराज पाटिल लोकसभा स्पीकर रहने के बाद यूपीए सरकार में मंत्री बने थे। प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार 3.0 में अर्जुन राम मेघवाल को रिपीट करने की संभावनाएं ज्यादा हैं। वे मारवाड़ और नहरी क्षेत्र के अकेले दलित चेहरे हैं। पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की गुड बुक में आते हैं। दलित वर्ग को साधने के लिए मेघवाल की मंत्रिमंडल में वापसी हो सकती है।   अब तक राज्यसभा के जरिए संसद पहुंचने वाले भूपेंद्र यादव पहली बार अलवर लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे हैं। यादव की गिनती मोदी-शाह के करीबियों में होती है। यादव कुशल रणनीतिकार है। उनका पैतृक गांव हरियाणा के गुड़गांव में है। हरियाणा में चुनाव होने हैं। ऐसे में यादव को मंत्री बनाकर हरियाणा को भी साधा जा सकता है। ऐसे ही राजपूत समाज को साधने के लिए गजेंद्र सिंह शेखावत को भी मंत्री बनाया जा सकता है। शेखावत तीसरी बार जीत कर संसद पहुंचे हैं। शेखावत मोदी-शाह के नजदीक होने के साथ सीमावर्ती इलाकों में अच्छी पकड़ रखते हैं। पूर्व मंत्री कैलाश चौधरी के हराने के बाद मारवाड़ क्षेत्र के समीकरण को भी साधने के लिए उन्हें मौका दिया जा सकता है।   राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार 3.0 में शेखावत के बजाए किसी अन्य राजपूत चेहरे को भी मौका दिया जा सकता है। राजस्थान से राजपूत समाज के तीन भाजपा सांसद जीते हैं, सबकी अच्छी प्रोफाइल हैं। शेखावत को मंत्री नहीं बनाने की स्थिति में राव राजेंद्र सिंह, महिमा कुमारी मेवाड़ में से एक के नाम पर विचार किया जा सकता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 9, 2024

तीसरे कार्यकाल में पीएम मोदी के सामने होंगी बड़ी चुनौतियां, सहयोगियों को लेकर कैसे बढ़ेंगे आगे?

नई दिल्ली, 09 जून 2024 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एनडीए ने अपना नेता चुन लिया है। प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों का एक होमवर्क रंग लाया। शुक्रवार को एनडीए के प्रमुख सहयोगी दलों ने प्रधानमंत्री में अटूट विश्वास का संदेश दिया। टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री की तारीफ की। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे बड़ा संदेश दिया। खुद को प्रधानमंत्री का हनुमान कहने वाले चिराग पासवान हर मोड पर आगे बढ़-बढक़र संदेश दे रहे हैं। संदेश यही कि रविवार को शपथ ग्रहण के बाद तीसरा कार्यकाल शानदार होगा। भरोसा भी यही कि प्रधानमंत्री को चुनौतियों से निबटना आता है।     पहले बात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की। नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनोखी केमिस्ट्री दिखाई। प्रधानमंत्री की पिछली कैबिनेट में उनके सहयोगी ने इस ओर इशारा भी किया। मानो, नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ने के अपने पिछले अपराधों की क्षमा मांग ली हो। चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार ने जिस तरह से संसदीय दल का नेता चुने जाते समय संदेश दिया है, उससे साफ है कि सब तय है।   *मंत्रिमंडल में सहयोगियों को लेकर जारी है विमर्श*   भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर कल देर रात तक हलचल थी। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी काफी व्यस्त थे। देर शाम तक बैठकों का दौर चला। दोनों नेता आज भी व्यस्त हैं। अमित शाह की जेपी नड्डा के साथ व्यस्तता आज संसद के पुराने भवन के केंद्रीय कक्ष में एनडीए का नेता चुने जाने को लेकर भी थी। एनडीए के प्रमुख सहयोगियों से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संपर्क में हैं। अब माना जा रहा है कि जेपी नड्डा और अमित शाह की व्यस्तता प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह, उनकी कैबिनेट में शामिल होने वाले सहयोगियों को लेकर है। नए और पुराने साथियों के नाम पर मंथन, चयन का दौर चल रहा है। सहयोगी दलों के नेताओं से भी नामों की सूची मांग ली गई है।   इस बारे में पूछे जाने पर एनडीए के सहयोगी दल के एक नेता ने कहा कि अब समय ही कितना बचा है। अंतिम नामों की सूची प्रधानमंत्री के विशेषाधिकार से ही बनेगी। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल में इस बार नए चेहरे काफी होंगे। पुराने तमाम मंत्रिमंडल के सहयोगी चुनाव हार गए हैं। चुनाव हारने वाले मंत्रियों में राजीव चंद्रशेखर जैसे एकाध नाम ही नए मंत्रिमंडल में स्थान पा सकते हैं।   शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री जी-7 की बैठक में हिस्सा लेने इटली जाएंगे   9 जून को प्रधानमंत्री मोदी नए कार्यकाल के लिए शपथ लेंगे। 13-15 जून तक जी-7 देशों का शिखर सम्मेलन इटली में हो रहा है। इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मिलोनी ने पीएम को आमंत्रित किया है और प्रधानमंत्री ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। वहां अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, जर्मनी की चांसलर समेत अन्य से भेंट होगी। ऐसे में शपथ ग्रहण के बाद प्रधानमंत्री के पास समय कम है। उनकी इटली की प्रस्तावित यात्रा को देखते हुए शीर्ष नेता की व्यस्तता काफी है। इसके बीच में उनके सहयोगियों में कामकाज का बंटवारा समेत अन्य महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को पूरा करना है।   *क्या रहेंगी प्रधानमंत्री के सामने प्रमुख चुनौती?*   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले कार्यकाल की शुरुआत में जब भाजपा और एनडीए के नेता चुने गए थे तो उन्होंने संसद के केंद्रीय कक्ष में प्रवेश करने से पहले उसकी सीढ़ियों को चूमा था। इस बार उन्होंने भारतीय संविधान को नमन किया है। लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने संविधान में बदलाव को मुद्दा बनाया था। विपक्षी दल कांग्रेस के पास 99 लोकसभा सदस्य हैं। प्रधानमंत्री के नेता चुने जाने और शपथ ग्रहण के पहले ही कांग्रेस के नेता राहुल गांधी शेयर बाजार में घोटाला और इस पर जेपीसी की जांच की मांग कर दी है। मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने संसद भवन में महात्मा गांधी समेत अन्य महापुरुषों की मूर्ति विस्थापन का मुद्दा उठाया है। आशय यह कि विपक्ष आक्रामक, ऊर्जा से लबरेज, सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने का संदेश दे रहा है। राहुल गांधी भी कह रहे हैं कि अब उनके दल के पास ताकत आ गई है। प्रधानमंत्री को अगले कार्यकाल में इस चुनौती से निबटना होगा।   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार सहयोगी दलों के सहयोग से चलने वाली सरकार चलाएंगे। भाजपा के पास संसद में सरकार चलाने के लिए जरूरी संख्याबल नहीं है। निर्भरता सहयोगी दलों पर रहेगी। भाजपा के पास बहुमत के आंकड़े से 32 सांसद कम हैं। टीडीपी और जद(यू) केवल दो दलों के सांसदों को मिलाकर लोकसभा में 28 होंगे। इसलिए दोनों दलों को एनडीए में वजन रहेगा और प्रधानमंत्री को हमेशा ध्यान में रखना होगा कि सहयोगी दल के बिना नहीं चल सकते। तीसरा दल लोक जनशक्ति पार्टी(राम विलास पासवान) है। उसके पांच सदस्य हैं। इन दलों के नेताओं, मंत्रिमंडल में इनके सदस्यों को भी अहमियत देनी होगी।   केंद्रीय मंत्रिमंडल में गृह, वित्त, रक्षा, विदेश चार प्रमुख मंत्रालय हैं। सहयोगी दल इसमें से किसी विभाग की मांग कर सकते हैं। इसके अलावा कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, रेल, शिक्षा, स्वास्थ्य, वाणिज्य, ऊर्जा, सडक़ एवं परिवहन, दूर संचार, नागरिक उड्डयन जैसे महत्वपूर्ण मलाईदार विभागों के लिए सहयोगी दल दबाव बना सकते हैं। प्रधानमंत्री के सामने इसकी चुनौती खड़ी भी है। प्रधानमंत्री ने अपने दो कार्यकाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मंशा के अनुरुप हिन्दुत्व के मुद्दे को धार दी है। उन्होंने अगले 100 दिन के सरकार के कामकाज का एजेंडा तैयार कर लिया है, लेकिन इसे बदलना पड़ सकता है। अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री की पिच कमजोर रही है। तीसरे कार्यकाल में इसकी चुनौती काफी बड़ी है। टीडीपी के नेता चंद्र बाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह विषय महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री को संभलकर चलना पड़ सकता है। गठबंधन की सरकार चलानी पड़ सकती है। कॉमन सिविल कोड, एनआरसी समेत तमाम मुद्दों पर आम सहमति का सामना करना पड़ सकता है।   प्रधानमंत्री को किसान कल्याण और कृषि, ग्रामीण विकास, रोजगार पर विशेष ध्यान देना होगा। उ.प्र., महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार में राजनीतिक-सामाजिक समीकरण की भी चुनौती बढ़ी है। कुछ ही महीने बाद दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड समेत राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। प्रधानमंत्री को इसे भी साधना है। भारतीय सेना में अग्निवीर भर्ती योजना को प्रधानमंत्री ने परिवर्तनकारी बताया था, लेकिन इसको लेकर भारी विरोध हो रहा है। सहयोगी दल भी इसकी समीक्षा का दबाव बना रहे हैं।   प्रधानमंत्री को इस तरह के कठोर निर्णय लेने पड़ सकते हैं। इस्राइल-फलस्तीन की धरती पर युद्ध जैसे हालात हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध अभी जारी है। अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, व्यापार चुनौती के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में मंहगाई का लगातार दबाव बना हुआ है। अमेरिका, चीन से संबध, यूरोप, यूरेशिया, मध्य एशिया का संतुलन भी बड़ी चुनौती है। ऐसे में भारत की अर्थ व्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जाने के साथ-साथ तमाम अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 9, 2024

जेडीयू ने ठोकी रेल और कृषि मंत्रालय पर दावेदारी साथ ही 4-5 मंत्री पद मांगे

नई दिल्ली, 09 जून 2024 (यूटीएन)। देश में एनडीए की नई सरकार बनने जा रही है. जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू की अहम भूमिका रहेगी, क्योंकि नीतीश कुमार के बिना केंद्र में सरकार बनना मुश्किल था. नीतीश कुमार ने भी एनडीए को अपने पूर्ण समर्थन की बात कह दी है. दिल्ली में हुई एनडीए की तमाम बैठकों में वो शामिल हुए और प्रधानंमत्री मरेंद्र मोदी को लोकसभा में एनडीए का नेता चुने जाने का समर्थन भी किया है.    *जेडीयू मंत्री मदन सहनी का बयान*   इस बीच नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री और जेडीयू नेता मदन सहनी ने शनिवार को बड़ी डिमांड की है. मदन सहनी ने कहा कि जेडीयू से चार-पांच मंत्री बनने चाहिए और रेल मंत्रालय भी जेडीयू को मिलना चाहिए. बिहार ने लोकसभा चुनाव में इतना अच्छा परिणाम दिया है तो ज्यादा से ज्यादा मंत्री भी बिहार के बनने चाहिए. ताकि बिहार का ज्यादा विकास हो.  बिहार सरकार में मंत्री मदन सहनी ने रेल के साथ-साथ कृषि मंत्रालय पर भी दावा ठोका है. उनका कहना है कि ये दोनों मंत्रालय जेडीयू के खाते में आने चाहिए.   *बिहार में एनडीए ने 40 में से 30 सीटें जीतीं*   दरअसल लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए ने 40 में से 30 सीटें जीती हैं. इनमें बीजेपी की 12, जदयू की 12, एलजेपीआर की 5 और हम की 1 सीट शामिल है. सूत्रों के मुताबिक लोकसभा में बीजेपी के जितने मंत्री बनेंगे उतने ही जेडीयू के भी बनेंगे, लेकिन जेडीयू के नोताओं और मंत्रियों का कहना है कि जेडीयू को 4 मंत्री पद और उसमें एक रेल मंत्रालय होना चाहिए, जबकि बीजेपी रेल मंत्रालय अपने पास ही रखना चाहती है. इधर बिहार के जेडीयू नेताओं का कहना है कि बिहार को रेल मंत्रालय हमेशा मिलता रहा है. अटल बिहारी वाजपयी की सरकार में भी नीतीश कुमार रेल मंत्री थे.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 9, 2024

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ब्रेन ट्यूमर से लड़ने के लिए जागरूकता और शीघ्र जांच महत्वपूर्ण है

नई दिल्ली, 09 जून 2024 (यूटीएन)। ब्रेन ट्यूमर का मरीजों और उनके परिवारों पर प्रभाव और प्रभावित लोगों के लिए अनुसंधान और सहायता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल ब्रेन ट्यूमर डे के रूप में मनाया जाता है। ग्लोबोकैन 2020 डेटा का अनुमान है कि भारत में मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के ट्यूमर के कारण 2,51,329 मौतें हुई। हालांकि, स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीमित पहुंच, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों तथा कैंसर के सभी मामलों को दर्ज करने की उचित व्यवस्था न होने के कारण यह अनुमान है कि यह संख्या वास्तविक संख्या से काफी कम है।   मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली में न्यूरोसर्जरी के वरिष्ठ निदेशक डॉ. मनीष वैश्य जोर देकर कहते हैं, “ब्रेन ट्यूमर बिना कोई स्पष्ट लक्षणों के भी मस्तिष्क में पनप सकता है। शुरुआती संकेत अक्सर रोजमर्रा की समस्याओं की तरह महसूस होते हैं जिन्हें आप नजरअंदाज कर सकते हैं। सिरदर्द शुरू होना या अगर मरीज पहले से सिरदर्द की समस्या से ग्रस्त है तो उसका गंभीर हो जाना। खासतौर पर सुबह-सुबह सिर में तेज दर्द होने के साथ जी मचलाना या उल्टी होना, खतरे का संकेत हो सकते हैं।    ध्यान केंद्रित करने, स्पष्ट रूप से बोलने या दूसरों को समझने में कठिनाई किसी समस्या का संकेत हो सकती है। व्यक्तित्व में बदलाव, शरीर के एक तरफ कमजोरी महसूस होना, या दृष्टि धुंधली होना जैसे लक्षण दिखाई दें तो उसे गंभीरता से लें। मामूली चक्कर आना या संतुलन संबंधी समस्याओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का लगातार अनुभव करते हैं, तो डॉक्टर को दिखाने में संकोच न करें। सफल उपचार की बेहतर संभावना के लिए ब्रेन ट्यूमर का शीघ्र पता लगाना महत्वपूर्ण है।   याद रखें, थोड़ी सी जागरूकता बड़ा बदलाव ला सकती है। नई दिल्ली स्थित सुश्रुत ब्रेन एंड स्पाइन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. यशपाल सिंह बुंदेला कहते हैं, “जांच में यह पता चलना कि आपको ब्रेन ट्यूमर है, एक भयावह अनुभव हो सकता है, लेकिन शुरुआती स्तर पर पता चलने से उपचार के परिणाम बहुत बेहतर होते हैं। जितनी जल्दी ट्यूमर की पहचान हो जाएगी, उपचार के उतने ही अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे। शीघ्र निदान के साथ, सर्जरी अधिक सटीक हो सकती है, और दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं।   इसके अतिरिक्त, जब ट्यूमर छोटा होता है तो रेडिएशन और दवाएं अक्सर अधिक प्रभावी होती हैं। जबकि उपचार से थकान, कमजोरी या सोच में बदलाव हो सकता है, पुनर्वास और सहायता समूह उन्हें प्रबंधित करने में आपकी सहायता कर सकते हैं। आपको अपनी दैनिक दिनचर्या या काम में थोड़ा बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन परिवार के लोगों और नियोक्ताओं (जहां आप काम करते हैं) के साथ खुलकर बात करना आपको इस स्थिति से निपटने में सहायता कर सकता है। स्वस्थ आदतें अपनाकर, भावनात्मक रूप से मजबूत रहकर और अपने परिवार तथा करीबी लोगों से जुड़े रहकर, आपके लिए एक सामान्य और खुशहाल जीवन जीना संभव हो सकता है।   ब्रेन ट्यूमर डे ब्रेन ट्यूमर से प्रभावित लोगों के लिए जागरूकता, बीमारी का शीघ्र पता लगाना और जो इस बीमारी से प्रभावित हैं उनकी सहायता के महत्व को याद दिलाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। लक्षणों के बारे में जानकारी प्राप्त करके और समय पर चिकित्सा सलाह लेकर, हम उपचार परिणामों में सुधार कर सकते हैं और कई लोगों को आशा प्रदान कर सकते हैं। बीमारी का शीघ्र पता लगने से न केवल सफल उपचार की संभावना बढ़ जाती है बल्कि मरीजों को जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनाए रखने में भी सहायता मिलती है। आइए हम इस दिन का इस्तेमाल बेहतर स्वास्थ्य देखभाल पहुंच का समर्थन करने, अनुसंधान पहलों का समर्थन करने और ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहे लोगों के प्रति अपनी एकजुटता बढ़ाने के लिए करें। साथ मिलकर, हम इस घातक बीमारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 9, 2024