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शैक्षणिक वर्ष 24-25 के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय ने जारी की यूजी एडमिशन पॉलिसी

नई दिल्ली, 01 जून 2024  (यूटीएन)। दिल्ली विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 24--25 के लिए अपनी स्नातक (यूजी) एडमिशन पॉलिसी लॉन्च कर दी है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यूजी एडमिशन पोर्टल “कॉमन सीट एलोकेशन सिस्टम (सीएसएएस)” की लॉन्चिंग के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक दाखिलों के पहले फेस की शुरुआत हो गई है। इसके साथ ही स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) और एनसीवेब के लिए भी दाखिला पॉलिसी जारी की गई। इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए डीयू रजिस्ट्रार डॉ.विकास गुप्ता ने बताया कि नए शैक्षणिक सत्र से सुपरन्यूमैरेरी कोटा के तहत सिंगल गर्ल चाइल्ड के लिए भी अब सभी कॉलेजों एवं विभागों की प्रत्येक कक्षा में एक--एक सीट आरक्षित रखी जाएगी ।  गौरतलब है कि पिछले वर्ष डीयू ने देश में पहली बार अनाथ विद्यार्थियों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की थी। प्रैस कॉन्फ्रेंस के पश्चात डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो. बलराम पाणी ने लैपटॉप पर बटन दबा कर सीएसएएस पोर्टल की विधिवत लांचिंग की। इस अवसर पर बुलेटिन ऑफ इन्फॉर्मेशन भी जारी किया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डीयू दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. प्रकाश सिंह, एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मागो और डीन एडमिशन प्रो. हनीत गांधी भी उपस्थित रहे।  रजिस्ट्रार डॉ विकास गुप्ता ने बताया कि सीयूईटी स्कोर के आधार पर स्नातक कक्षाओं में लगभग 71 हजार सीटों पर कुल 79 प्रोग्रामों में दाखिले किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि 69 कॉलेजों/ विभागों के बीए प्रोग्रामों में कुल 183 कंबिनेशन उपलब्ध हैं। रजिस्ट्रार ने यह बताया कि सीयूईटी रिजल्ट घोषित होने के बाद सीएसएएस के दूसरे फेज की शुरुआत की जाएगी। उन्होंने बताया कि एसओएल के लिए 3 जून से दाखिला प्रक्रिया शुरू होगी जबकि “नॉन कॉलेजिएट वूमेंस एजुकेशन बोर्ड (एनसीवेब)” के लिए दाखिला प्रक्रिया आज से ही शुरू हो रही है।   डॉ गुप्ता ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को लेकर अब तक की जानकारी साझा करते हुए बताया कि पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) प्रोग्रामों, बीटेक और पांच वर्षीय लॉ इंटीग्रेटेड प्रोग्रामों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया 25 अप्रैल से शुरू की गई थी। इन प्रोग्रामों की पहली आवंटन सूची 20 जून तक जारी हो सकती है। उन्होंने बताया कि 27 मई तक हुए पंजीकरणों के अनुसार पीजी में 80,346, बीटेक में 9052 और पांच वर्षीय लॉ इंटीग्रेटेड प्रोग्रामों में 7362 पंजीकरण हो चुके हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डीन एडमिशन प्रो. हनीत गांधी ने यूजी एडमिशन और सीएसएएस के बारे में तथा एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मागो ने एसओएल के दाखिलों के बारे में पीपीटी के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।    *दो चरणों में होगा सीएसएएस (यूजी) पंजीकरण* डीन एडमिशन प्रो. हनीत गांधी ने जानकारी देते हुए बताया कि सीएसएएस (यूजी) पंजीकरण दो चरणों में बांटा गया है। पहला चरण, 28 मई से शुरू हो गया है। यह एक सरल पंजीकरण प्रक्रिया है जिसमें प्रवेश पाने के इच्छुक उम्मीदवारों को अपने व्यक्तिगत विवरण और बारहवीं कक्षा में प्राप्त शैक्षणिक अंक भरने होंगे। सीयूईटी(यूजी)--2024 सीएसएएस(यूजी)-- 2024 में आवेदन करने के लिए आवेदन संख्या अनिवार्य होगी। उम्मीदवार का नाम, हस्ताक्षर और फोटो सीयूईटी (यूजी) - 2024 पोर्टल से स्वतः एकीकृत हो जाएगा। ये फ़ील्ड गैर-संपादन योग्य होंगे। उम्मीदवार की एक सक्रिय ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर दर्ज करने का प्रावधान होगा। दिल्ली विश्वविद्यालय से सभी संचार केवल सीएसएएस-2024 आवेदन पत्र में प्रस्तुत ईमेल आईडी पर किए जाएंगे। उसके पश्चात उम्मीदवार को अपना व्यक्तिगत विवरण जैसे कि माता-पिता का नाम, श्रेणी / उपश्रेणी / जाति / अधिसंख्य कोटा, लिंग आदि भरना होगा। एक बार भरा गया ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और बैंक खाता विवरण नहीं बदला जाएगा। इसलिए उम्मीदवारों को ये विवरण भरते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।   शैक्षणिक अनुभाग में, उम्मीदवारों को अपनी बारहवीं कक्षा में प्राप्त अंकों का विवरण भरना होगा। जिन छात्रों ने सीबीएसई से बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण की है, उनके लिए मार्कशीट उनके डिजीलॉकर के माध्यम से ऑटो-एकीकृत हो जाएगी। इसके बाद, उम्मीदवार अतिरिक्त श्रेणी, यदि कोई हो, का चयन करेंगे और अंत में पंजीकरण शुल्क का भुगतान करने के लिए आगे बढ़ेंगे। यूआर, ओबीसी-एनसीएल और ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों के लिए पंजीकरण शुल्क 250/- रुपये है, जबकि यह रु. एससी/एसटी/ और पीडब्ल्यूबीडी उम्मीदवारों के लिए 100 रुपए है। इस प्रक्रिया से सीएसएएस (यूजी) 2024 का पहला चरण पूरा होगा। सीएसएएस (यूजी) प्रक्रिया का दूसरा चरण सीयूईटी (यूजी) परिणामों की घोषणा के साथ शुरू होगा। दूसरे चरण में भाग लेने के लिए, उम्मीदवारों को अपने सीएसएएस डैशबोर्ड पर लॉग इन करना होगा और वरीयता भरने का कार्य पूरा करना होगा। दूसरे चरण में, उम्मीदवारों को बारहवीं कक्षा में उनके द्वारा पढ़े गए विषयों को उन विषयों से जोड़ना होगा जिनमें वे सीयूईटी (यूजी) में उपस्थित हुए हैं।   दिल्ली विश्वविद्यालय केवल उन्हीं सीयूईटी भाषा/डोमेन पेपरों पर विचार करेगा जो उम्मीदवार द्वारा बारहवीं कक्षा में पढ़े गए विषय के समान/समान हों। उम्मीदवार द्वारा प्रदान की गई विषय मैपिंग और कार्यक्रम-विशिष्ट पात्रता आवश्यकताओं के आधार पर, उम्मीदवार प्रत्येक कार्यक्रम के लिए अपने संचयी अंक देख पाएंगे जो वे प्रवेश के लिए पात्र हैं। विश्वविद्यालय उम्मीदवारों के योग्यता अंकों की गणना के लिए एनटीए द्वारा प्रदान किए गए अंकों पर विचार करेगा। सीएसएएस प्रवेश नीतियों का अधिकतम लाभ उठाने के लिए उम्मीदवार को सलाह दी जाती है कि वह अधिकतम संख्या में कार्यक्रम/ कॉलेजों का चयन करें। विश्वविद्यालय उम्मीदवारों को प्राथमिकताएँ भरने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करेगा। हालांकि, अंतिम समय की जल्दबाजी से बचने के लिए उम्मीदवारों को उन कार्यक्रमों और कॉलेजों को शॉर्टलिस्ट करना शुरू कर देना चाहिए जिनमें वे रुचि रखते हैं।   सबमिट करने से पहले, उम्मीदवार को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्राथमिकताओं का क्रम उसकी पसंद के अनुसार है। वरीयता-भरने के चरण की समय सीमा के बाद कार्यक्रम + कॉलेज संयोजन वरीयता सूची को संपादित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, यानी, उम्मीदवार अपनी प्राथमिकताओं के क्रम को नहीं बदल सकता है या कोई और कार्यक्रम/कार्यक्रम और/या कॉलेज/जोड़/हटा नहीं सकता है। सीएसएएस नीति के अनुसार, विश्वविद्यालय उस समय उपलब्ध डेटा के आधार पर वरीयता-भरने के चरण के समापन पर एक सिम्युलेटेड रैंक की भी घोषणा करेगा। उम्मीदवार सिम्युलेटेड रैंक के आधार पर अपनी प्राथमिकताओं को फिर से जोड़/हटा/पुनः व्यवस्थित कर सकते हैं।    उन्होंने यह भी बताया है कि एक बार किसी विशेष दौर में सीट आवंटित हो जाने के बाद, उम्मीदवार को दिए गए आवंटन दौर के लिए निर्दिष्ट अंतिम तिथि/समय से पहले आवंटित सीट को 'स्वीकार' करना होगा। किसी विशेष आवंटित सीट की स्वीकृति का प्रावधान केवल उस दौर के लिए मान्य होगा जिसमें सीट उम्मीदवार को आवंटित की गई थी। निष्क्रियता/कोई कार्रवाई न करने को आवंटित सीट की गैर-स्वीकृति के रूप में माना जाएगा। यदि किसी उम्मीदवार को किसी विशेष दौर में कई सीटों की पेशकश की जाती है, तो उसे "स्वीकार" करना होगा और केवल एक आवंटित सीट पर प्रवेश लेना होगा। एक बार जब उम्मीदवार अंतिम रूप से आवंटित सीट को "स्वीकार" कर लेता है, तो संबंधित कॉलेज उम्मीदवार द्वारा अपलोड किए गए दस्तावेजों की पात्रता और वैधता की जांच करेगा। कॉलेज दस्तावेजों का सत्यापन करेगा और अपनी मंजूरी देगा।   अनुमोदन प्राप्त होने पर, उम्मीदवारों को निर्धारित समय के भीतर प्रवेश शुल्क का भुगतान करना होगा। विश्वविद्यालय ने यह भी जानकारी दी है कि प्रत्येक आवंटन दौर के समापन के बाद, दिल्ली विश्वविद्यालय सभी कॉलेजों में प्रत्येक कार्यक्रम में रिक्त सीटों का विवरण प्रकाशित करेगा। सभी प्रवेशित उम्मीदवारों के पास इस स्तर पर "अपग्रेड" या "फ्रिज" चुनने का विकल्प होगा। जिन अभ्यर्थियों ने अपना प्रवेश सुरक्षित कर लिया है, वे उन प्राथमिकताओं को पुनः क्रमित करने में सक्षम होंगे जो उस प्राथमिकता से अधिक हैं जिसमें उन्होंने प्रवेश लिया है। जो उम्मीदवार 'अपग्रेड' का विकल्प चुनते हैं, उन्हें उनके द्वारा प्रस्तुत उच्च प्राथमिकता पर अपग्रेड करने पर विचार किया जाएगा। अपग्रेड होने वाले उम्मीदवार को अपग्रेड की गई सीट को 'स्वीकार' करना होगा और अपग्रेड की गई आवंटित सीट पर प्रवेश प्रक्रिया पूरी करनी होगी। एक उम्मीदवार जिसने आवंटित सीट पर प्रवेश ले लिया है और इसे जारी रखना चाहता है, उसे अपने डैशबोर्ड के माध्यम से 'फ्रीज' अनुरोध प्रस्तुत करना चाहिए। 'फ्रिज' का चयन करने पर, ऐसे उम्मीदवार को कभी भी "अपग्रेडेशन" का विकल्प चुनने की अनुमति नहीं दी जाएगी।     *मिड एंट्री प्रावधान* विश्वविद्यालय ने उन उम्मीदवारों को समायोजित करने का भी प्रावधान किया है जो निर्धारित पंजीकरण अवधि के भीतर खुद को पंजीकृत करने में विफल रहते हैं। मिड एंट्री प्रावधान के तहत विश्वविद्यालय उन उम्मीदवारों को अवसर देने के लिए एक मिड एंट्री चरण खोलेगा जो सीएसएएस (यूजी)-2024 के लिए आवेदन करने में असफल रहे और सीएसएएस (यूजी)--2024 में भाग लेने के इच्छुक हैं। ऐसा उम्मीदवार 1000 रुपये (गैर-वापसी योग्य) के शुल्क का भुगतान करके मिड एंट्री में प्रवेश कर सकता है। हालाँकि, मिड एंट्री वालों को प्रारंभिक आवेदन चरण के दौरान सीएसएएस (यूजी) -2024 के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को आवंटित सीटों पर दावा करने का कोई अधिकार नहीं होगा।   नियमित सीएसएएस (यूजी)-2024 राउंड पूरे करने के बाद, यदि सीटें खाली रहती हैं तो विश्वविद्यालय प्रवेश के स्पॉट राउंड की घोषणा कर सकता है। इष्टतम सीट आवंटन प्राप्त करने के लिए और ड्रॉप आउट के कारण सीटें खाली होने की स्थिति से बचने के लिए, आवंटन के पहले दौर में सभी कॉलेज में सभी प्रोग्रामों के लिए यूआर, ओबीसी-एनसीएल, ईडब्ल्यूएस श्रेणियों में 20% और एससी, एसटी और पीडब्ल्यूबीडी श्रेणियों में 30% अतिरिक्त आवंटन में किया जाएगा। हालांकि, जिन कॉलेजों में पिछले साल निकासी स्वीकृत सीटों के 5% से कम थी वहाँ यूआर/ ओबीसी -एनसीएल/ ईडब्ल्यूएस के लिए 10% और एससी/ एसटी/ पीडब्ल्यूबीडी श्रेणियों में 15% अतिरिक्त आवंटन किया जा सकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा उम्मीदवारों को सलाह दी गई है कि वे नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइट को देखते रहें। सीएसएएस एकमात्र ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिसके जरिए सभी कॉलेजों में सभी प्रोग्रामों में प्रवेश दिया जाएगा। विश्वविद्यालय केवल उन्हीं उम्मीदवारों को मान्यता देगा जिन्हें विश्वविद्यालय की सामान्य सीट आवंटन प्रणाली के माध्यम से प्रवेश दिया जाता है।   *यूजी में ईसीए और स्पोर्ट्स और अन्य सुपरन्यूमैरेरी कोटा में प्रवेश* दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने स्पोर्ट्स सुपरन्यूमैरेरी कोटा के तहत 26 गेम्स/स्पोर्ट्स और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज सुपरन्यूमैरेरी कोटा के तहत 14 श्रेणियों (एनएसएस और एनसीसी सहित) की पहचान की है। विश्वविद्यालय द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि कॉलेज की कुल स्वीकृत संख्या का 5% ईसीए और स्पोर्ट्स सुपरन्यूमैरेरी कोटा के लिए आवंटित किया जाएगा। कॉलेज ईसीए और स्पोर्ट्स के लिए 1% से 4% के बीच आवंटन कर सकता है, जो कॉलेज में अधिकतम 5% प्रवेश के अधीन है। इसके अलावा, किसी भी कार्यक्रम के लिए कोटा की निर्धारित सीटों में से 20% से अधिक सीटें आवंटित नहीं की जाएंगी। उदाहरण के लिए , मान लें कि एक कॉलेज की क्षमता 1000 है, तो 50 सीटें कॉलेज के ईसीए और स्पोर्ट्स  सुपरन्यूमैरेरी कोटा के लिए होंगी। यदि कॉलेज खेल को 3% और ईसीए को 2% देने का निर्णय लेता है, तो खेल के लिए 30 सीटें और ईसीए के लिए 20 सीटें निर्धारित की जा सकती हैं।   ऐसे मामले में, किसी विशेष कार्यक्रम में खेल कोटा के लिए 6 से अधिक सीटें आवंटित नहीं की जा सकतीं; इसी तरह, एक कार्यक्रम में ईसीए कोटा के लिए 4 से अधिक सीटें आवंटित नहीं की जा सकती हैं। विश्वविद्यालय का यह भी कहना है कि स्पोर्ट्स  सुपरन्यूमैरेरी कोटा के आधार पर प्रवेश पाने के इच्छुक उम्मीदवार अधिकतम तीन खेलों के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्हें केवल 01 मई 2021 से 30 अप्रैल 2024 के बीच जारी पिछले तीन (03) वर्षों के अधिकतम तीन मेरिट/भागीदारी खेल प्रमाणपत्रों की स्व-सत्यापित प्रतियां अपलोड करनी होंगी। इसी प्रकार, ईसीए  सुपरन्यूमैरेरी कोटा के आधार पर प्रवेश पाने के इच्छुक उम्मीदवार अधिकतम तीन ईसीए श्रेणियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।   प्रत्येक ईसीए श्रेणी के लिए जिसमें उम्मीदवार आवेदन कर रहा है, उसे केवल 01 मई 2021 से 30 अप्रैल 2024 के बीच जारी किए गए पिछले तीन (03) वर्षों के अधिकतम सर्वश्रेष्ठ पांच (05) स्व-सत्यापित प्रमाण पत्र अपलोड करने होंगे। ईसीए और स्पोर्ट्स  सुपरन्यूमैरेरी कोटा में प्रवेश के लिए, संयुक्त ईसीए मेरिट (सीईएम) और संयुक्त स्पोर्ट्स मेरिट (सीएसएम) सीट आवंटन का आधार होंगे। ईसीए/स्पोर्ट्स  सुपरन्यूमैरेरी कोटा के लिए आवेदन करने पर प्रत्येक के लिए 100/- रुपये का अतिरिक्त शुल्क (गैर-वापसी योग्य) होगा। ईसीए और खेल के अलावा, विश्वविद्यालय ने कुछ अन्य अतिरिक्त कोटा भी निर्धारित किए हैं। इनमें बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्ति (पीडब्ल्यूबीडी, सशस्त्र बलों (सीडब्ल्यू) के कार्मिकों के बच्चे/विधवाएं), कश्मीरी प्रवासी (केएम), जम्मू-कश्मीर के छात्रों के लिए प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना (पीएमएसएसएस), सिक्किम के छात्रों के लिए सीटों का नामांकन और अनाथ शामिल हैं।    *एसओएल और एनसीवेब में प्रवेश प्रक्रिया* विश्वविद्यालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया है कि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) और नॉन कॉलेजिएट वूमेंस एजुकेशन बोर्ड (एनसीवेब) के स्नातक प्रोग्रामों में प्रवेश के लिए सीयूईटी की बाध्यता नहीं है। इन संस्थानों में प्रवेश बारहवीं कक्षा में प्राप्त अंकों की योग्यता के आधार पर होता है। प्रो. पायल मागो ने बताया कि स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के 8 पीजी प्रोग्रामों और 9 यूजी प्रोग्रामों सहित पीजी डिप्लोमा इन आटोमेटेड एंड डिजिटल लाइब्रेरी मैनेजमेंट में प्रवेश 3 जून से शुरू हो रहा है।   उन्होंने बताया कि सीयूईटी की घोषणा के बाद प्रवेश लेने वाले उम्मीदवारों को किसी भी कठिनाई से बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि एसओएल उन उम्मीदवारों की पूरी फीस वापस कर देगा, जो विश्वविद्यालय के प्रवेश बंद होने की अंतिम तिथि से पहले अपना प्रवेश वापस ले लेंगे। इसके लिए मात्र 500 रुपए ही प्रशासनिक शुल्क के रूप में फीस से काटे जाएंगे। गौरतलब है कि एनसीवेब स्नातक कार्यक्रम पेश करता है जहां दिल्ली एनसीटी की छात्राएं ही आवेदन कर सकती हैं। एनसीवेब के दो स्नातक कार्यक्रम बी.ए. और बी.कॉम. में दिल्ली विश्वविद्यालय के 26 संबद्ध कॉलेजों में लगभग 15,000 सीटें हैं।    *एडमिशन सपोर्ट सिस्टम करेगा भावी विद्यार्थियों की सहायता* भावी विद्यार्थियों की मदद के लिए विश्वविद्यालय ने एक एडमिशन सपोर्ट सिस्टम भी स्थापित किया है।  इस पर सूचना के बुलेटिन, दृश्य पात्रता को दर्शाने वाले इन्फोग्राफिक्स और फ़्लोचार्ट एवं वीडियो, वेबिनार और फॉर्म भरने की वीडियो रिकॉर्डिंग आदि जैसे जानकारी सभी प्रारूपों में उपलब्ध है। चैट बोट्स और ईमेल के माध्यम से ऑनलाइन सपोर्ट प्रदान की जा रही है। स्नातक प्रवेश से संबंधित जानकारी के लिए उम्मीदवार पर, स्नातकोत्तर प्रवेश से संबंधित जानकारी के लिए पर और पीएचडी प्रवेश से संबंधित जानकारी के लिए ईमेल पर लिख सकते हैं। अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) की एक सूची विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर पहले से ही उपलब्ध है। उम्मीदवारों के लिए प्रवेश शाखा में हेल्पडेस्क की सुविधा भी स्थापित की गई है। वे जो चाहें, किसी भी मदद के लिए कॉल कर सकते हैं।    *शिकायतों का होगा निपटारा* विश्वविद्यालय प्रवेश से संबंधित शिकायतों को संभालने और उनके हल के आसान और कुशल तरीके के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल स्थापित करने की भी योजना बना रहा है। प्रवेश शाखा ने यह भी घोषणा की है कि वे एक श्रृंखला आयोजित करेंगे जिसमें सीएसएएस फॉर्म भरने, सही प्रमाण पत्र/दस्तावेज़ अपलोड करने, आरक्षण नीतियों और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं से संबंधित पहलुओं को शामिल किया जाएगा जिन्हें उम्मीदवारों को कार्यक्रम चुनने से पहले ध्यान में रखना चाहिए।    *भावी विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण सलाह* दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा सभी भावी विद्यार्थियों को सलाह दी जाती है कि वे प्रवेश से संबंधित सभी अपडेट, प्रोग्राम और दिशा निर्देशों के लिए नियमित रूप से विश्वविद्यालय की एडमिशन वेबसाइट और उनके डैशबोर्ड की जाँच करते रहें। आवंटित सीट को स्वीकार करने, प्रवेश शुल्क का भुगतान करने और कॉलेज द्वारा उठाए गए प्रश्नों का उत्तर देने में विफल रहने पर आवंटित सीट को अस्वीकार कर दिया जाएगा। उम्मीदवारों को सतर्क रहना चाहिए और केवल दिल्ली विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित जानकारी पर ही भरोसा करना चाहिए। सभी प्रामाणिक सूचनाओं, घोषणाओं और प्रोग्रामों के लिए उम्मीदवारों को केवल दिल्ली विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ही जाना चाहिए।  फोरम ऑफ एकेडमिक्स फार सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में शैक्षिक सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों को जो जानकारी दी है उसका स्वागत किया है साथ ही यह चिंता भी व्यक्त की है कि हर साल आरक्षित वर्ग की सीटें खाली रह जाती है ।   उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि दाखिला प्रक्रिया शुरू करने से पहलेे कॉलेजों से अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति ,अन्य पिछडा वर्ग , पीड़ब्ल्यूड़ी की कितनी सीटें बनती है उनकी सीटों का ब्यौरा विश्वविद्यालय प्रशासन को भेजें , साथ ही कॉलेज़ अपनी वेबसाइट पर भी डाले ताकि पता चल सके कि आरक्षित वर्गों की कितनी सीटें है । उन्होंने यह भी मांग की है कि कॉलेज यह भी वेबसाइट पर जारी करें कि गत वर्ष कॉलेज़ ने इन वर्गों का कोटा कितना भरा था ।     डॉ. हंसराज सुमन यह विश्वविद्यालय यह भी मांग की है कि आरक्षिट वर्गो के दाखिला प्रक्रिया को देखने के लिए अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति दाखिला समिति व ग्रीवेन्स कमेटी भी गठित की जाए । इस कमेटी में कॉलेजों के शिक्षकों को रखा जाए । कमेटी को यह पावर दी जाए कि वह हर वर्गो  की सीटों को भरवाने में मदद करें । उन्होंने विश्वविद्यालय से यह भी मांग की है कॉलेजों में बनने वाली हर कमेटी का बोर्ड बनाकर सूचना पट पर लगवाया जाए व कमेटी के सदस्यों की सूची वेबसाईट पर भी जारी की जाए । इसके अलावा आरक्षित वर्ग के छात्रों के जाति प्रमाण पत्र संबंधित जानकारी को भी वेबसाईट्स पर सूचित करे । उनका यह भी कहना है कि हर साल अक्टूबर / नवंबर तक दाखिला प्रक्रिया चलती है जिसके कारण पहले सैमेस्टर में ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाते इसलिए विश्वविद्यालय को एक समय सीमा के अंदर दाखिले की प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए ।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 1, 2024

अरविंद केजरीवाल को बहुत गंभीर बीमारी है - झूठ बोलने की बीमारी :वीरेन्द्र सचदेवा

नई दिल्ली, 01 जून 2024  (यूटीएन)। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने आज अरविंद केजरीवाल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हां अरविंद केजरीवाल को बहुत गंभीर बीमारी है झूठ बोलने की गंभीर बीमारी। जितने टेस्ट उन्होंने कहा है उसमें सिर्फ एक टेस्ट है जिसके लिए रात की फास्टिंग चाहिए और अन्य बाकी सभी टेस्ट आधे दिन में खत्म हो जाएंगे और शाम तक उसके रिजल्ट आ जाएंगे। बीमारीयों का बहाना बनाकर झूठी सहानुभूति लेना यह उनके स्वभाव में है और इसे दिल्ली एवं पंजाब की जनता समझ चुकी है।    वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल अगर इतने ही बीमार थे तो आखिर वह राजनीतिक पर्यटन और चुनावी प्रचार में क्यों गए थे और यूरीन में जिस कीटोन बढ़ने की बात केजरीवाल कह रहे हैं दरअसल वह गर्मी एवं पानी कम पीने  के कारण होता है तो ऐसा लगता है कि वह खुद बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं ताकि मेडिकल बोर्ड में अपनी बीमारी को दिखा सके। उन्होंने कहा कि कोर्ट अपना काम कर रहा है और वहां भी मेडिकल टीम है जो इनको चेक करेगी।    दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि केजरीवाल को शर्म होनी चाहिए कि उन्होंने दिल्ली को लूटने का काम किया है, उन्हें शर्म होनी चाहिए कि उन्होंने दिल्ली को शराब नगरी बनाने के काम किया है और उन्हें शर्म होनी चाहिए कि उन्होंने शराब की काली कमाई की दलाली खाई है, अस्पतालों में नकली दवाइयां दी है, मोहल्ला क्लीनिक में नकली और फर्जी टेस्ट करा कर उसके पैसे खाए हैं, शिक्षा क्रांति के नाम पर उन्होंने कमरे बनाने में भी चोरी की, दिल्ली जल बोर्ड को लूट और पैनिक बटन घोटाला किया इसकी भी केजरीवाल को शर्म होना चाहिए।   वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि इससे पहले भी अरविंद केजरीवाल की सरकार पानी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से फटकार खा चुकी है और दिल्ली में 24 घंटे पानी देने वाले केजरीवाल बताए कि आखिर आज दिल्ली की जनता सड़कों पर पानी के लिए भाग रहे हैं तो उसका कसूरवार कौन है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली की जनता से पैसा लेकर आम आदमी पार्टी के विधायकों टैंकर माफियाओं के साथ भ्रष्टाचार कर रहे हैं।    भाजपा द्वारा जनता की आवाज को उठाने पर मंत्री अतिशि की आपत्ति करना चौंकने वाला है; प्रवीण शंकर कपूर   दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने दिल्ली सरकार की मंत्री मिस अतिशि द्वारा अपनी निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के कारण उत्पन्न कृत्रिम पानी की कमी के खिलाफ भाजपा को प्रदर्शन करने से रोकने के लिए कड़ी निंदा की है। दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता ने कहा है कि मिस अतिशि को यह पता होना चाहिए कि मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में जनता के मुद्दों को उठाने का दिल्ली भाजपा का कर्तव्य है और कृत्रिम पानी की कमी और बिजली की कटौती दो ऐसे मुद्दे हैं।   कपूर ने कहा है कि मिस अतिशि भाजपा को पानी की कमी पर प्रदर्शन करने के लिए आलोचना कर रही हैं, लेकिन उनकी खुद की पार्टी "आप" ने आज भाजपा मुख्यालय पर दो बार प्रदर्शन की घोषणा की, लेकिन अंत में वे प्रदर्शन रद्द करने पर मजबूर हो गईं क्योंकि प्रदर्शन के लिए मुठ्ठी भर कार्यकर्ता भी नही जुटा पाई।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 1, 2024

कल्कि 2898 एडी की 6-टन वाली बुज्जी कार पूरे भारत में नेशनल टूर पर निकली

नई दिल्ली, 01 जून 2024  (यूटीएन)। क्या आपको वह रोमांचक क्षण याद है जब भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार प्रभास ने बुज्जी नामक भविष्य के तीन पहियों वाले वाहन में भव्य प्रवेश किया था? वह सिर्फ आगामी फिल्म कल्कि 2898 एडी  का एक दृश्य नहीं था  यह बुज्जी के लिए एक राष्ट्रव्यापी यात्रा की शुरुआत थी। बुज्जी, भारतीय इंजीनियरिंग का एक नमूना, 6 टन का इलेक्ट्रिक दिग्गज है जो सुर्खियां बटोर रहा है। हाल ही में, बुज्जी को चेन्नई की सड़कों पर घूमते हुए देखा गया, जिससे प्रशंसक आश्चर्यचकित रह गए, लेकिन चेन्नई सिर्फ पहला पड़ाव है।   यह नवोन्वेषी वाहन राष्ट्रव्यापी दौरे पर निकल रहा है, जिसके यात्रा कार्यक्रम में अगला स्थान मुंबई और दिल्ली का है। इसके बाद यह बेंगलुरु, पुणे, अहमदाबाद, इंदौर, जयपुर, आगरा, कानपुर, विजाग और विजयवाड़ा सहित शहरों को कवर करेगा।   राष्ट्रव्यापी दौरा प्रशंसकों को इस आश्चर्य को करीब से अनुभव करने का मौका देता है, जिससे कल्कि 2898 एडी  के लिए उत्साह और बढ़ जाता है। बुज्जी सिर्फ एक भविष्योन्मुखी वाहन नहीं है; यह महान रचना का 5वां नायक है। प्रशंसकों को फिल्म की दुनिया का स्वाद चखाने के लिए, निर्माताओं ने एक विचित्र एनिमेटेड प्रस्तावना, B&B: बुज्जी और भैरवा जारी की। प्राइम वीडियो पर 31 मई को रिलीज़ हुई यह 2-एपिसोड श्रृंखला दर्शकों को भैरव और उसके साथी, बुज्जी से परिचित कराती है।   उत्साह की बात करें तो, फिल्म में कई शानदार कलाकार हैं जिनमें अमिताभ बच्चन, कमल हासन, प्रभास, दीपिका पादुकोण और दिशा पटानी शामिल हैं। नाग अश्विन द्वारा निर्देशित, फिल्म एक डिस्टॉपियन भविष्य पर आधारित एक दृश्य तमाशा का वादा करती है। कल्कि 2898 एडी किसी अन्य फिल्म से अलग एक सिनेमाई अनुभव बनने के लिए तैयार है। अपने कैलेंडर चिह्नित करें - बुज्जी का दौरा जल्द ही आपके शहर में शुरू हो सकता है, और फिल्म 27 जून को दुनिया भर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी।

Ujjwal Times News

Jun 1, 2024

दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोबेशन काल में महिला शिक्षिकाओं को मिलेगा मातृत्व अवकाश

नई दिल्ली, 01 जून 2024  (यूटीएन)। दिल्ली विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार ने  सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यो , संस्थानों के निदेशक को एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि जो कॉलेज /संस्थान प्रोबेशन अवधि के विस्तार की स्थिति के संबंध में स्पष्टीकरण मांग रहे हैं  जिन महिलाओं को उनके प्रोबेशन अवधि के दौरान मातृत्व अवकाश दिया गया है । बता दें कि हाल ही में विभिन्न विभागों / कॉलेजों में स्थायी हुई सहायक प्रोफेसर के पदों पर महिला शिक्षिकाओं द्वारा प्रोबेशन अवधि के दौरान मातृत्व अवकाश लेने को लेकर कॉलेजों व विश्वविद्यालय के बीच पत्राचार चल रहा था जिसे विश्वविद्यालय ने सर्कुलर जारी कर विराम लगा दिया है और कहा है कि मातृत्व अवकाश में प्रोबेशन अवधि पर कोई असर नहीं पड़ेगा , मातृत्व अवकाश के समय प्रोबेशन अवधि के समय को भी सर्विस में जोड़ा जाएगा तथा प्रमोशन के समय वह अवधि जुड़ेगी ।   फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने महिला शिक्षिकाओं को प्रोबेशन अवधि में दिया जा रहा मातृत्व अवकाश पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय का यह स्वागत योग्य कदम है । फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि  विश्वविद्यालय द्वारा जारी कॉलेजों को सर्कुलर में कहा गया है कि दो से कम जीवित बच्चों वाली स्थायी महिला शिक्षिका और गैर -शिक्षण कर्मचारियों को चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर 180 दिनों से अधिक की अवधि के लिए पूर्ण वेतन पर मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है । यह भी स्पष्ट किया है कि पूरे कैरियर में दो बार इसका लाभ दिया जाएगा । साथ ही इस संबंध में निर्धारित नियमों के अनुसार छुट्टी खाते से डेबिट नहीं किया जाएगा । उन्होंने बताया है कि विश्वविद्यालय ने सर्कुलर में  कहा है कि प्रोबेशन के दौरान मातृत्व अवकाश प्राप्त शिक्षण व गैर शिक्षण कर्मचारियों को पूर्ण वेतन का भुगतान किया जा सकता है इसलिए प्रोबेशन अवधि के विस्तार का सवाल ही नहीं उठता , यदि वह सफलता पूर्वक प्रोबेशन अवधि पूरी कर लेती है ।   डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एक दशक बाद विभागों / कॉलेजों में लगभग 4600 स्थायी सहायक प्रोफेसर शिक्षकों की नियुक्ति हुई है । इन नियुक्तियों में अधिकतर महिला शिक्षिकाओं की हुई है । स्थायी नियुक्ति के पश्चात कुछ महिला शिक्षिकाओं की ओर से मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया तो उनकी छुट्टी को प्रोबेशन अवधि में न जोड़े जाने पर दिल्ली विश्वविद्यालय में शिकायत की थी । महिला शिक्षिकाओं की शिकायत को गम्भीरता से लेते हुए उसके उत्तर में डीयू के डिप्टी रजिस्ट्रार (कॉलेजिज ) ने कॉलेज प्राचार्यो , संस्थानों , निदेशक को सर्कुलर जारी कर कहा है कि स्थायी महिला शिक्षिकाओं के लिए प्रोबेशन के दौरान मातृत्व अवकाश का समय प्रोबेशन अवधि में जुड़ेगा ।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 1, 2024

मिस्टर एंड मिसेज माही: कमजोर कहानी पर भारी पड़ी राजकुमार-जाह्नवी की जोड़ी

नई दिल्ली, 01 जून 2024  (यूटीएन)। इमोशन, प्यार, तकरार... और बहुत कुछ, राजकुमार राव और जाह्नवी कपूर की केमिस्ट्री आपको पसंद आने वाली है. फिल्म अच्छी है, कहानी भी ठीक है, सभी की एक्टिंग भी जबरदस्त है... बस नया कुछ नहीं है. बॉलीवुड के दो टैलेंटेड स्टार राजकुमार राव और जाह्नवी कपूर एक बार फिर बड़े पर्दे पर साथ नजर आ रहे हैं. दोनों की फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. एक बार फिर फिल्ममेकर करण जौहर ने जाह्नवी पर भरोसा जताया है. अब देखना ये होगा कि जाह्नवी करण की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती हैं. शरण शर्मा के निर्देशन में बनी यह एक रोमांटिक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है, जिसे एक बार सिनेमाघरों में देखना तो बनता है.   मेरा बेटा बड़ा होकर इंजीनियर बनेगा...मेरी बेटी पढ़-लिखकर डॉक्टर बनेगी.' अक्सर आपने पेरेंट्स को अपने बच्चों से ये कहते सुना ही होगा. कुछ बच्चे अपने पेरेंट्स के सपनों को ही अपना सपना बनाकर उसके लिए मेहनत करने लगते हैं. तो कुछ बच्चे इस लीक से हटकर अपना सपना बुनने की कोशिश करते हैं. कभी-कभी इन सपनों को बुनते हुए वो मंजिल पा जाते हैं. तो वहीं कई इस कोशिश में फेल हो जाते हैं और निराशा मे अपना जीवन बिताते हुए नकारा कहलाते हैं. लेकिन कई बार इंसान इस निराशा में भी अपनी खुशी खोज ही लेता है, जो नहीं खोज पाता वो 'मिसेज माही का मिस्टर माही' बन जाता है. राजकुमार राव और जाह्नवी कपूर स्टारर 'मिस्टर एंड मिसेज माही' ऐसी ही एक कहानी है. आइये आपको बताते हैं कैसी है 'मिस्टर एंड मिसेज माही' फिल्म, जिसे डायरेक्ट किया है शरण शर्मा ने. उन्होंने ही इसे निखिल मेहरोत्रा के साथ मिलकर लिखा भी है.   अब कहानी की बात की जाए, तो इसमें कुछ नयापन देखने को नहीं मिलता. इसलिए यह कह पाना कि यह फिल्म आप लोगों को काफी पसंद आएगी फिर भी एक्टिंग के साथ-साथ डायरेक्शन की वजह से आप इसे एक बार तो देख ही सकते हैं. बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म का क्या असर पड़ने वाला है, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिल्म में राजकुमार के साथ जाह्नवी की जोड़ी आपको बेहद पसंद आने वाली है. दोनों की केमिस्ट्री आपका दिल जीत लेगी. मिस्टर एंड मिसेज माही' कहानी है- महेंद्र अग्रवाल (राजकुमार राव) और महिमा अग्रवाल (जाह्नवी कपूर) की. दोनों एक जैसे हैं, माही नाम से लेकर क्रिकेट के लिए अटूट जोश तक, दोनों में बहुत कुछ कॉमन है.    महेंद्र बचपन से क्रिकेटर बनना चाहता था, लेकिन पिता (कुमुद मिश्रा) के दबाव में ज्यादा कोशिश नहीं कर पाया. आखिर में उसे दुकान पर बैठना पड़ा और इज्जत के अभाव में जिंदगी सिर्फ काट रहा है. उसके अंदर एक सनक है किसी भी तरह से स्टार बनने की. वहीं दूसरी तरफ महिमा है, जो बचपन में क्रिकेटर बनना चाहती थी, लेकिन पिता के दबाव में डॉक्टर बन गई.   अब वो सिर्फ क्रिकेट देखकर ही खुश हो जाती है. कैसे इन दो अलग-अलग मगर एक जैसे लोगों की शादी होती है और कैसे इनके अंदर का क्रिकेटर जागकर, फील्ड पर चौकों-छक्कों की बरसात करता है, ये आपको फिल्म देखने पर पता चलेगा. वैसे, फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा स्लो है, जिससे आपको थोड़ी बोरियत जरूर महसूस होगी, लेकिन सेकंड हाफ आते-आते फिल्म की कहानी अच्छी स्पीड में चलने लगती है. इंटरवल के बाद की कहानी काफी सॉलिड है.   *फिल्म में है इमोशन्स का अंबार* 'मिस्टर एंड मिसेज माही' फिल्म को स्पोर्ट्स-ड्रामा जॉनर में ना डाल कर अगर सिर्फ ड्रामा-ड्रामा कहा जाता तो बेहतर होता. कोई ऐसा इमोशन बचा नहीं, जो इस फिल्म में ना हो. रोमांस, लड़ाई, जलन, गुस्सा, रोना-धोना, धोखा, प्रेरणा, सेलिब्रेशन, मेकर्स ने हर भावना का फिल्म में कूट-कूट कर इस्तेमाल किया है. चाहे पिता का पलभर में बेटे को नकारा साबित करना और उसका सेल्समैन बन जाना हो. या फिर बेटे का खुद को बेस्ट क्रिकेटर मानने से लेकर हारा हुआ महसूस करना, और पत्नी के कंधे पर बंदूक रखकर अपना उल्लू सीधा करना हो. फिर उस पत्नी का खुद के खेल पर भरोसा होने के बाद भी, अपने खेल का सारा दारोमदार पति पर छोड़ देना हो. फिल्म हर पल भावनात्मक उथल-पुथल से जूझती है.    बस जो नहीं दिखता है वो है क्रिकेट का खेल, जिसकी उम्मीद से शायद आप थियेटर जाने की सोचें. इसलिए हमने कहा कि अगर फिल्म को ड्रामा कहा जाता तो बेहतर होता. फिल्म कहीं भी आपको सरप्राइज नहीं करती है, लेकिन अच्छी बात ये है कि जिस ट्रैक से शुरू हुई उससे भटकती भी नहीं है. मिस्टर एंड मिसेज माही को देखने के लिए आपको ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, पर परिवार के साथ एक एंजॉयमेंट तो मिल ही जाएगा. हां, अगर आप हद से ज्यादा सेंसिटिव इंसान हैं तो साथ में रुमाल जरूर रख लीजिएगा.      *एक्टिंग* जाह्नवी कपूर और राजकुमार राव का काम अच्छा है. राजकुमार बेहद सधे हुए लगते हैं, लेकिन जब रोते हैं तो आपको 'लूडो' फिल्म के कबीर सागर की याद दिला जाएंगे. वहीं जाह्ववी जो फिल्म दर फिल्म बेहतर हो रही हैं, उनका हुलिया, डायलॉग डिलीवरी सब 'बवाल' फिल्म से लगते हैं. मन पर छाप छोड़ने वाला काम किया है कुमुद मिश्रा ने. अपने रोल में एकदम फिट कुमुद, कब एक खड़ूस बाप से मौकापरस्त और टॉप के सेल्समैन बन जाते हैं, आपको पता ही नहीं चलेगा. यकीन मानिए, आप उनके कैरेक्टर को गाली दे बैठेंगे कि 'कैसा बाप है यार.' वहीं राजकुमार राव की मां का रोल निभा रहीं जरीना वहाब के ज्यादा सीन नहीं हैं, लेकिन राजकुमार के साथ 5 मिनट के एक वन-टू-वन सीन में उन्होंने जैसे जान ही डाल दी. क्रिकेट कोच के रोल में राजेश शर्मा भी सही आइना दिखा जाते हैं.    *संगीत* संगीत की बात करें तो आदेश श्रीवास्तव, विशाल मिश्रा, तनिष्क बागची निश्चित रूप से आपको सुकून पहुंचाएंगे. कुल मिलाकर कहा जाए तो यह वन टाइम वॉचेबल फिल्म है.   *अंत में* क्रिकेट प्रेमियों को बता दें, 'मिस्टर एंड मिसेज माही' का महेंद्र सिंह धोनी से कोई कनेक्शन नहीं है. मिसेज माही ने बल्ला सिर्फ शॉट मारने के लिए उठाया है. उनका क्रिकेट खेलने से कोई लेना देना नहीं है. हां वो शॉट्स मारने के पोज करते हुए अच्छी लगी हैं. फिल्म में गाने ज्यादा नहीं हैं लेकिन जितने हैं वो सूटेबल हैं.   सुनने में अच्छे लगेंगे. पिक्चराइजेशन और स्क्रीनप्ले भी ठीक है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 1, 2024

सावी में सावित्री बन छा गई दिव्या खोसला, अनिल कपूर ने जमाई धाक

नई दिल्ली, 01 जून 2024  (यूटीएन)। अभिनय देव द्वारा निर्देशित दिव्या खोसला, अनिल कपूर और हर्षवर्धन राणे अभिनीत नवीनतम फिल्म सावी अब सिनेमाघरों में है, जिसे समीक्षकों और दर्शकों दोनों से अच्छी समीक्षा मिली है। पहले कभी न देखे गए अवतार में खोसला ने एक सफल प्रदर्शन किया है जिसने दर्शकों और आलोचकों को समान रूप से मंत्रमुग्ध कर दिया है। एक पत्नी क्या कर सकती है, सावित्री ने अपनी सत्यवान को यमराज तक से बचा लिया था लेकिन एक मॉडर्न सावित्री क्या कर सकती है, ये आपको इस फिल्म में देखने को मिलता है. सावित्री मॉडर्न है तो नाम सावी कर दिया गया है और दिव्या खोसला ने यारियां 2 के बाद फिर से दिखा दिया है कि वो अच्छी एक्ट्रेस बन चुकी हैं और बॉलीवुड को उन्हें अब सीरियसली लेना शुरू कर देना चाहिए. इन्हें अगर अच्छे रोल ऑफर किए जाएं तो ये आज की कई हीरोइनों से बेहतर एक्टिंग कर सकती हैं.   *कहानी* इस फिल्म की कहानी अमेरिकन एक्शन थ्रिलर द नेक्स्ट थ्री डेज से ली गई है जो साल 2010 में आई थी और ये फिल्म भी 2008 में आई एक फ्रेंच थ्रिलर पोर एले की रीमेक थी. कहानी है लंदन के लिवरपुल शहर में रहने वाली सावी यानि दिव्या खोसला की जो अपने पति नकुल सचदेवा और बेटे के साथ रहती हैं. जिंदगी अच्छी चल रही होती लेकिन एक दिन सावी के पति को पुलिस पकड़कर ले जाती है और फिर ये मॉडर्न सावित्री जुट जाती है अपने पति के बेगुनाह साबित करने में. इसमें सावी की मदद करते हैं मिस्टर पॉल यानि अनिल कपूर, किस तरह से सावी अपने पति को बचाती है वो आपको फिल्म देखकर समझ आएगा.   *कैसी है फिल्म* एक लाइन में कहें तो फिल्म अच्छी है, फिल्म आपको बांधे रखती है. जेल तोड़ने का सीन हो या फिर बीच में आए कई सारे ट्विस्ट और टर्न, आपको फिल्म से जुड़े रहते हैं और सावी की इस लड़ाई में उसके साथ हो लेते हैं. फिल्म कहीं ढीली नहीं पड़ती, जल्द मुद्दे पर आती है और आपको अच्छे से एंटरटेन करती है.   *एक्टिंग* दिव्या खोसला ने इस फिल्म से खुद को अच्छे से साबित किया है, यारियां 2 में मुझे उनकी एक्टिंग अच्छी लगती थी और यहां कमाल लगती हैं. अब वक्त आ गया है उन्हें एक अच्छी अभिनेत्री के तौर पर देखा जाए और उन्हें अच्छे रोल दिए जाएं. अनिल कपूर का काम जबरदस्त है, वो फिल्म में एक नई जान डालते हैं. हर्षवर्धन राणे ने भी कमाल का काम किया है.   *डायरेक्शन*  अभिनय देव ने फिल्म को अच्छे से डायरेक्ट किया है. वो वैसे भी कहानियों को जरा अलग अंदाज में पेश करते हैं और यहां भी वैसा ही किया गया है. सही जगह पर ऐसे ट्विस्ट डाले गए हैं कि आप नजरें हटा नहीं पाते. फिल्म को लेकर प्रबल प्रत्याशा और सकारात्मक चर्चा को दर्शाते हुए, सावी को पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर लगभग ₹2 करोड़ की ओपनिंग मिलने की उम्मीद है। 31 मई को विश्व सिनेमा दिवस के साथ उत्साह और भी बढ़ गया है। यह उत्सव मूवी टिकटों की कीमत मात्र ₹99 है, जो सिनेमा प्रेमियों के लिए अतिरिक्त लाभ प्रदान करती है और दर्शकों को सिनेमाघरों में लौटने के लिए प्रोत्साहित करती है।   एक जटिल और स्तरित चरित्र को चित्रित करते हुए, दिव्या खोसला ने अपने सम्मोहक प्रदर्शन से एक नया मानक स्थापित किया है। आलोचकों ने उनकी भूमिका में गहराई और प्रामाणिकता लाने की उनकी क्षमता की प्रशंसा की है, दिव्या खोसला ने खुद को भूमिका में डुबो दिया है, एक ऐसा प्रदर्शन दिया है जो कच्चा और दिलचस्प दोनों है। दर्शकों की प्रतिक्रिया भी उतनी ही उत्साहपूर्ण रही है। सोशल मीडिया पर प्रशंसकों द्वारा खोसला के चित्रण की प्रशंसा की जा रही है और इसे उनके करियर में गेम-चेंजर बताया जा रहा है। फिल्म की भावनात्मक गहराई और आकर्षक कथा गहराई से गूंजती है, जिससे सावी को अवश्य देखना चाहिए।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 1, 2024

दिल्ली में पानी की किल्लत को लेकर बीजेपी ने सरकार को घेरा

नई दिल्ली, 31 मई 2024  (यूटीएन)। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा के नेतृत्व में आज आई.टी,ओ, स्थिति शहीदी पार्क के सामने भाजपा कार्यकर्ताओं ने अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार के कारण पैदा हुए दिल्ली में पानी संकट को लेकर केजरीवाल सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और अरविंद केजरीवाल एवं जलमंत्री सुश्री आतिशी के इस्तीफे की मांग की। धारा 144 लगी होने के कारण वीरेन्द्र सचदेवा एवं लगभग 100 कार्यकर्ताओं को आई.पी. स्टेट थाने ले गई जहां से उन्हे कुछ देर बाद चेतावनी दे कर छोड़ दिया। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली का जल संकट प्राकृतिक नही है यह अरविंद केजरीवाल द्वारा किए गए भ्रष्टाचार एवं अक्रमणयता से उत्पन्न हुआ है और  इस बात को दिल्ली की जनता समझ चुकी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता आज अगर एक-एक बूंद पानी के लिए तड़प रही है तो उसके इकलौते जिम्मेदार अरविंद केजरीवाल हैं।     वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि 2014 के बाद हरियाणा सरकार द्वारा सीएलसी का निर्माण किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य पानी की बर्बादी को रोकना था और पानी एक कैनल के माध्यम से होते हुए लोगों तक पहुंचे और उस वक्त मुनक नहर से 1049 क्यूसेक पानी हरियाणा सरकार द्वारा दिल्ली को दिया गया।   दिल्ली सरकार द्वारा फिर उसे बवाना, हैदरपुर, द्वारका अलग अलग चैनल की तरफ डाइवर्ट किया जाता था और यही से शुरू हुआ भ्रष्टाचार का खेल। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि 1 मई से 29 मई तक प्रतिदिन 1049 क्यूसेक पानी हरियाणा सरकार ने दिल्ली को दिया है। जलमंत्री सुश्री आतिशी कोर्ट जाने की बात कह रही है लेकिन यह पहली बार नहीं है जब पानी की कमी को लेकर दिल्ली सरकार कोर्ट जाएगी।    केजरीवाल सरकार इससे पहले भी 2021 में कोर्ट जा चुकी है जहां कोर्ट द्वारा फटकार लगाते हुए कहा गया कि पानी दिल्ली सरकार को पूरा मिल रहा है लेकिन केजरीवाल सरकार सिर्फ पानी की बर्बादी को रोकने मे असफल रही है। सचदेवा ने कहा कि दिल्ली का  53% पानी सप्लाई के दौरान चोरी हो जाता है या बर्बाद हो जाता है। अगर उस पूरे पानी को बर्बाद होने से रोक लिया जाता तो ही दिल्ली वालों को काफी पानी मिलेगा।   सचदेवा ने आप विधायकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि टैंकर के माध्यम से आम आदमी पार्टी के विधायक पानी को बेचते हैं और पानी चोरी कर अपनी जेबे भरते हैं। मंच का संचालन कर रहे प्रदेश महामंत्री योगेंद्र चंदोलिया ने कहा कि वजीराबाद बैराज में पानी स्टोर किया जाता है पर उसमें 94% सिर्फ गाद होती है। 10 साल से वहाँ से गाद नही निकाली गई है। अगर वहाँ पूरी स्टोरेज हो पाती तो दिल्ली की आधी आबादी को पानी मिल सकता था लेकिन केजरीवाल सरकार ने ऐसा नहीं किया।    उन्होंने कहा कि अब तो जल बोर्ड के अधिकारी भी कह रहे हैं कि जल बोर्ड में घोटाला हुआ है और इसकी जांच होनी चाहिए जो व्यक्ति दिल्ली को पानी नहीं दे सकता है उसे सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है। 2 दिन बाद वैसे भी केजरीवाल अपने होम टाऊन जाने वाले है। इसलिए अब केजरीवाल को कुछ करने की जरूरत नहीं है। बांसुरी स्वराज ने कहा कि इस झुलसती हुई गर्मी में दिल्ली पानी के लिए त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है। पानी की बूंद बूंद के लिए तरस रही है और यह पूरे का पूरा पानी का संकट सिर्फ केजरीवाल द्वारा बनाया गया है।  वह दिल्ली जल बोर्ड जो 2013 में 600 करोड़ रुपए के मुनाफे में था आज 73000 करोड़ रुपए के घाटे में है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को इस बात का जवाब देना चाहिए क्योंकि यह इतनी निकम्मी सरकार है जो सिर्फ प्रचार और प्रचार के अलावा भ्रष्टाचार में लिप्त रहती है और पानी की किल्लत कराकर प्रोत्साहन देना चाहती है टैंकर माफियाओं को।   यह तानाशाही नहीं चलेगी और भाजपा का एक एक कार्यकर्ता तब तक लड़ता रहेगा जब तक केजरीवाल इसका जवाब नहीं दे देते। आज अगर मार्च महीने में ऑल पार्टी मीटिंग बुलाकर जल वितरण एक्शन प्लान पर काम किया होता तो शायद आज दिल्ली बूंद बूंद पानी के लिए नहीं तड़पती। प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली के अंदर पानी संकट सिर्फ केजरीवाल की नाकामी और भ्रष्टाचार का प्रमाण है। जेल के अंदर से पानी की चिंता दिखाने वाले केजरीवाल लोगों को गुमराह करने के लिए वह चिट्ठी तक लिखा करते थे लेकिन जेल से बाहर आने के बाद वह पानी की संकट का समाधान करने की जगह वे चुनाव प्रचार में निकल गए। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सिर्फ झूठ बोलते हैं दिल्ली की जनता उनके इस छलावे में नहीं आने वाली है क्योंकि दिल्ली के अंदर गर्मियों में हमेशा जल संकट का सामना करना पड़ रहा है लेकिन पिछले 10 सालों से केजरीवाल सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 31, 2024

जल संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार

नई दिल्ली, 31 मई 2024  (यूटीएन)। जल संकट से जूझ रही दिल्ली के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। शुक्रवार को दाखिल की गई याचिका में केजरीवाल सरकार ने अपील की है कि कोर्ट हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से एक महीने के लिए एक्स्ट्रा पानी देने के लिए निर्देश दे। दिल्ली सरकार ने कहा है कि गर्मी की वजह से शहर में पानी की मांग काफी बढ़ गई है और पड़ोसी राज्यों को एक महीने के लिए और ज्यादा पानी देने का निर्देश दिया जाना चाहिए।   राजधानी में पानी की बहुत ज्यादा कमी है और जल मंत्री आतिशी ने हरियाणा पर दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं देने का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी भाजपा से अपील की है कि वह हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अपनी सरकारों से एक महीने के लिए पानी देने के लिए कहे।   *केजरीवाल ने लिखा- इस वक्त राजनीति न करें* केजरीवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि भीषण गर्मी में पानी की डिमांड बहुत बढ़ गई है। जो पानी दिल्ली को पड़ोसी राज्यों से मिलता था, उसमें भी कमी कर दी गई है। यानी सप्लाई कम हो गई है। हम सबको मिलकर इसका निवारण करना है। मैं देख रहा हूं कि बीजेपी के साथी हमारे खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।   इससे समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। यदि बीजेपी हरियाणा और उत्तर प्रदेश की अपनी सरकारों से बात करके एक महीने के लिए दिल्ली को कुछ पानी दिलवा दे तो दिल्ली वाले बीजेपी के इस कदम की खूब सराहना करेंगे। इतनी भीषण गर्मी किसी के हाथ की बात नहीं, लेकिन हम सब मिलकर।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) | 

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May 31, 2024

अब देश के सैनिकों को मिलेगा बेस्ट टेक्नोलॉजी आधारित इलाज

नई दिल्ली, 31 मई 2024  (यूटीएन)। भारतीय सेना के जवानों और अधिकारियों को जल्द ही दुनिया की बेस्ट टेक्नोलॉजी आधारित इलाज मिल सकेगा। इसमें ड्रोन-आधारित रोगी परिवहन, टेलीमेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और नैनो टेक्नोलॉजी शामिल हैं। इन सभी नई पहल, रिसर्च और ट्रेनिंग में सहयोग के उद्देश्य से सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) ने आईआईटी हैदराबाद के साथ एक समझौता किया है।   *सेना के जवानों को मिलेगा बेस्ट इलाज* इस एमओयू का उद्देश्य नए चिकित्सा उपकरणों के विकास में इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा देना है। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत सैनिकों के लिए विशिष्ट स्वास्थ्य सुविधाओं का समाधान के साथ विस्तार करना है। इसके अंतर्गत सशस्त्र बलों के सामने आने वाली विविध चिकित्सा चुनौतियों से निपटने के लिए आईआईटी हैदराबाद अपने जैव प्रौद्योगिकी, जैव चिकित्सा अभियांत्रिकी और जैव सूचना विज्ञान जैसे विभागों के साथ आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करेगा।   *आईआईटी हैदराबाद के साथ किया समझौता* रक्षा मंत्रालय ने कहा कि समझौते के अनुसार, सहयोग के जिन प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की गई है, उनमें ड्रोन-आधारित रोगी परिवहन, टेलीमेडिसिन इनोवेशन, चिकित्सा क्षेत्र में एआई का अनुप्रयोग और नैनो टेक्नोलॉजी में प्रगति कार्यक्रम शामिल हैं। इनके अलावा एमओयू के अंतर्गत विद्यार्थी विनिमय कार्यक्रमों, स्नातक विद्यार्थियों के लिए अल्पकालिक पाठ्यक्रम और फैकल्टी विनिमय गतिविधियों की सुविधा दी जाएगी। सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह और आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बीएस मूर्ति ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए।   लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह ने दूसरे और तीसरे स्तर की देखभाल यानी दोनों ही स्थितियों में सैनिकों को व्यापक चिकित्सा देखभाल देने के लिए सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा की प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि अपनी अत्याधुनिक तकनीक के लिए मशहूर आईआईटी हैदराबाद जैसे संस्थान के साथ साझेदारी करना रिसर्च और ट्रेनिंग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रोफेसर बीएस मूर्ति ने सशस्त्र बलों द्वारा बताई जाने वाली समस्याओं के निपटान के लिए आईआईटी हैदराबाद की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे उनके सामने आने वाली चुनौतियों का तत्काल और प्रभावी समाधान सुनिश्चित होगा। यह सहयोग सैन्य कर्मियों के स्वास्थ्य-कल्याण को बढ़ाने के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी और रिसर्च का लाभ उठाने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 31, 2024

खाइए मगर स्वादानुसार, 5 ग्राम नमक, 25 ग्राम चीनी भी ज्यादा, आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस

नई दिल्ली, 31 मई 2024  (यूटीएन)। 5 ग्राम नमक, 10 ग्राम फैट और 25 ग्राम चीनी भी ज्यादा है। यह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की यह नई गाइडलाइंस हैं। अगर आप अपने खाने में नमक, चीनी, फैट को कंट्रोल कर लेते हैं, तो बहुत हद तक बीमारियों को टालने में सक्षम हो सकते हैं। वरना ज्यादा नमक, चीनी और फैट न केवल बीमारी की वजह बन सकते हैं, बल्कि यह मौत का भी कारण हो सकते हैं। इसी संदर्भ में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने हाल ही में गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसमें चीनी, नमक, फैट और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से होने वाले खतरे का संज्ञान लेते हुए रेगुलर खाने में 5 ग्राम नमक और 25 ग्राम चीनी को भी ज्यादा माना गया है।   भारतीयों के लिए खाने संबंधी जारी गाइडलाइंस के हिसाब से हर दूसरा व्यक्ति अधिक चीनी नमक और तेल को भोजन में शामिल कर रहा है, जो उसे भविष्य में बहुत बीमार कर सकता है। चीनी, नमक, तेल और संरक्षित डिब्बा बंद खाने और कोल्ड ड्रिंक के भी खतरे कम नहीं हैं। फिट रहना है तो खाने में चीनी, नमक और तेल की मात्रा कम ही रखें। इसके साथ ही अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड जैसे सॉफ्ट ड्रिंक, कुकीज, पेस्ट्री आदि भी सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। खाने की यह सभी चीजें आपको बीपी, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियां दे रही हैं।   *कितना नमक ज्यादा?* गाइडलाइंस में रेगुलर 5 ग्राम से अधिक नमक (2 ग्राम सोडियम) को भी ज्यादा बताया गया है। पैकेट बंद चिप्स, सॉस, स्नैक्स, नमकीन आदि मानक से कहीं अधिक नमक का प्रयोग करते हैं।   *हाई सॉल्ट वाले फूड* प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड में नमक की मात्रा अधिक होती है। इनमें चिप्स, सॉस, बिस्किट, बेकरी प्रोडक्ट्स और पका कर पैक किए जाने वाले फूड आइटम्स जैसे नमकीन, स्नैक्स, पापड़, अचार में नमक की मात्रा ज्यादा होती है। इन्हें अधिकतर लोग अपने घरों में तैयार करते हैं और अपने अनुसार नमक मिलाते हैं।   *ज्यादा चीनी खतरनाक* दिनभर में अगर दो हजार कैलरी ली जा रही है, तो उसमें 25 ग्राम कैलरी ही चीनी की होनी चाहिए। इससे अधिक चीनी नुकसानदेह हो सकती है। संभव हो तो एडेड शुगर (सिरप या तरल पेय के रूप में खाने में अलग से मिलाई जाने वाली शुगर) को खाने से बिल्कुल हटा दें। गाइडलाइंस के अनुसार, चीनी का सेवन, कुल एनर्जी के 5 पर्सेंट या 25 ग्राम प्रति दिन (2,000 किलो कैलरी प्रतिदिन के औसत सेवन के आधार पर) से अधिक होता है तो इसे हाई शुगर की श्रेणी में रखा जाता है।   *सॉलिड (ठोस) खाने के लिए* *चीनी की लिमिट:*  *5% एनर्जी एडेड शुगर से होती है, कुल चीनी से 10% से ज्यादा एनर्जी नहीं होना निर्धारित किया गया है।* *फैट की लिमिट:*  *15% एनर्जी एडेड फैट से होती है, कुल फैट से 30% से ज्यादा एनर्जी नहीं होना निर्धारित किया गया है।* *ड्रिंक्स (लिक्विड) के लिए:* *चीनी की लिमिट: 10% एनर्जी जोड़ी गई चीनी से और कुल चीनी (फलों के रस/दूध में मौजूद चीनी सहित) से 30% एनर्जी से अधिक नहीं होना निर्धारित किया गया है।* *फैट की लिमिट:*  *15% एनर्जी जोड़ी गई फैट से और कुल फैट से 30% ऊर्जा से अधिक नहीं हो, यह निर्धारित किया गया है।*   विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी सिफारिश को संशोधित करने पर विचार कर रहा है और चीनी से कैलरी को 5 पर्सेंट से कम करने की योजना बना रहा है। चीनी को 25 ग्राम तक रोजाना तक सीमित करना स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। अगर संभव हो, तो ऊपर से ली जाने वाली चीनी को पूरी तरह से अपने डाइट में खत्म कर सकते हैं। जो चीनी स्वाभाविक रूप से खाने-पीने की चीजों में होती है, उसे प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाले शुगर यानी चीनी कहा जाता है, जैसे मोनोसैकेराइड सिंपल शुगर है, जिसमें सिंगल शुगर मॉलीक्यूल होते हैं, जैसे फलों में ग्लूकोज या फ्रुक्टोज। डिसैकेराइड्स दो सिंपल शुगर मॉलीक्यूल होते हैं, जैसे सुक्रोज (चीनी) या दूध में लैक्टोज।   *अलग से मीठा नुकसानदायक* एडेड या अतिरिक्त शुगर उसे कहा जाता है, जिसमें एक्स्ट्रा मिलाया जाता है। इसका सोर्स टेबल शुगर भी है। इसके अलावा गुड़, शहद, ग्लूकोज, फ्रूटोज आदि का एडेड शुगर के तौर पर इस्तेमाल होता है। इससे कैलरी की मात्रा बढ़ जाती है। चिंता की बात यह है कि इनसे कैलरी के अलावा कोई न्यूट्रिशयन नहीं मिलता है। कैलरी केवल तभी हेल्दी होती है, जब उसके साथ विटामिन, खनिज और फाइबर भी हों।   रिसर्च के अनुसार, नियमित रूप से ली जाने वाले शुगर के विकल्प जैसे स्पाटम, सैकरीन, शुगर अल्कोहल आदि का भी लंबे समय तक प्रयोग से मोटापा, डायबिटीज और हाइपरटेंशन हो सकते हैं। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों को कृत्रिम शुगर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह पेट के लाभदायक वायरस फ्लोरा को डैमेज करती है।   *​खाने में तेल पर रखें नज़र* विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, खाने में कुल एनर्जी में फैट या वसा की मात्रा 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्राकृतिक रूप से खाने की सभी चीजों मे 15 प्रतिशत तेल मौजूद रहता है, जिसके कई तरह के लाभ होते हैं। इसके अतिरिक्त केवल 15 प्रतिशत वसा या तेल और प्रयोग किया जा सकता है, इससे अधिक नहीं।   *हाई इन फैट, सुगर एंड सॉल्ट क्या है* हाई इन फैट, सुगर एंड सॉल्ट हैं। इसलिए एच एफ एस एस ऐसे फूड प्रोडक्ट को कहा जाता है, जिनमें किसी भी खाना पकाने वाले वनस्पति तेल, घी, मक्खन (दिखाई देने वाली या जोड़ी गई तेल/ वसा) आदि से 15 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा मिलती है। दूसरे शब्दों में, वे खानपान, जो 2000 किलो कैलरी के आहार के लिए हर दिन 30 ग्राम से अधिक दिखाई देने वाली या ऐड की गई तेल या फैट होता है। हाई फैट वाले फूड प्रोडक्ट्स को सभी डीप-फ्राइड करके तैयार किया जाता है।   इनमें फ्रेंच फ्राइज, समोसा, कचौड़ी, पूरी, नमकीन, मिठाई, बिस्किट, कुकीज, केक, परांठे या यहां तक कि कुछ करी शामिल हैं। जब रोजाना 10 ग्राम से अधिक विजुअल सैचुरेटेड फैट (2000 किलो कैलरी आहार के लिए) घी, मक्खन के रूप में या स्नैक्स या मिठाई की तैयारी में ताड़ के तेल, नारियल तेल के अत्यधिक उपयोग के कारण सेवन किया जाता है, तो एस एफ का उपयोग उच्च माना जाता है।   *पैकेट वाला खाना भी ठीक नहीं* डिब्बाबंद खाने को अधिक दिन तक चलाने के लिए उसे अल्ट्रा प्रोसेस्ड किया जाता है। इसे कई तरह से प्रोसेस किया जाता है। प्राइमरी, सेकंडरी, मिनिमम प्रोसेस्ड और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड, प्राइमरी प्रोसेसिंग में बेसिक क्लिनिंग, ग्रेडिंग और पैकिंग को शामिल किया जाता है। सेकंडरी प्रोसेसिंग खाद्य पदार्थों के प्रयोग से ठीक पहले की अवस्था होती है। चावल के खेतों को सेकंडरी प्रोसेसिंग के तहत पैक किया जाता है। वहीं रेडी टु ईट खाने की चीजें टेरिटरी प्रोसेसिंग की श्रेणी में आती हैं।   बेकरी प्रोडक्ट्स, इंस्टेंट फूड और हेल्थ ड्रिंक इसी श्रेणी में आते हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को एक प्रक्रिया के तहत कई तरह के संरक्षित चीजों (कृत्रिम शुगर, रंग और फ्लेवर) के साथ पैक किया जाता है, ताकि अधिक दिन तक खराब न हों। इससे खाद्य पदार्थों की सेल्फ लाइफ को बढ़ जाती है, लेकिन वे सेहत के लिए हानिकारक हो जाते हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 31, 2024