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कांग्रेस में घमासान, लोकसभा प्रत्याशी ने पूर्व विधायक पर लगाया दगाबाजी करने का आरोप

नई दिल्ली, 29 मई 2024  (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के पहले ही कांग्रेस में घमासान मच गया है। पार्टी के चांदनी चौक लोकसभा सीट से प्रत्याशी जेपी अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल ने पार्टी के ही पूर्व विधायक हरिशंकर गुप्ता पर चुनाव के दौरान पार्टी से धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। मुदित अग्रवाल ने ट्वीट कर कहा है कि पार्टी के एक पूर्व विधायक (हरिशंकर गुप्ता) ने चुनाव के दौरान गुप्त रूप से पार्टी के खिलाफ चुनाव प्रचार किया। उन्होंने विधायक के समर्थकों पर अपनी बहन के साथ अभद्रता करने का भी आरोप लगाया है। मुदित अग्रवाल ने इस मामले को पार्टी के शीर्ष नेताओं के संज्ञान में लाकर विधायक पर कार्रवाई करने की मांग भी की है।    चांदनी चौक सीट से कांग्रेस प्रत्याशी जेपी अग्रवाल के चुनाव एजेंट मुदित अग्रवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान ही इस मामले की जानकारी पार्टी के नेताओं दीपक बाबरिया, जयराम रमेश, पवन खेड़ा और चतर सिंह सहित अन्य नेताओं को दी थी। पार्टी नेताओं ने उन्हें चुनाव को देखते हुए इस मामले पर आपसी सहमति से काम लेने और चुप  रहने की सलाह दी थी।  लेकिन मतदान होने के बाद ही हरिशंकर गुप्ता को पार्टी नेता पवन खेड़ा ने हिमाचल प्रदेश में एक लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बना दिया। इसके बाद कांग्रेस नेता मुदित अग्रवाल का धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने ट्वीट कर पवन खेड़ा से कहा कि वे कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वाले विधायक पर कार्रवाई करें, उन्हें धोखाधड़ी करने का इनाम न दें।         इसके बाद मुदित अग्रवाल और हरिशंकर गुप्ता के बीच ट्विटर पर युद्ध छिड़ गया। मुदित अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि हरिशंकर गुप्ता के समर्थकों ने उनकी बहन के साथ अभद्रता की है। वे उनके खिलाफ चुनाव प्रचार करने को बर्दाश्त कर सकते हैं, लेकिन उनकी बहन के साथ हुई अभद्रता को वे कतई स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने पार्टी नेताओं से इस मामले पर शीघ्र कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।   वहीं, हरिशंकर गुप्ता ने भी ट्वीट कर इस मामले पर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने इस पूरे मामले पर दुख जताया है। उन्होंने कहा है कि उक्त महिला के साथ चुनाव प्रचार के दौरा्न कार्यकर्ताओं के साथ कुछ कहासुनी हुई थी। इसे उन्होंने एक सामान्य बात बताते हुए कहा है कि इस मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है।    *कड़ी चुनौती दे रहे हैं जेपी अग्रवाल* कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के साथ हुए समझौते में दिल्ली में तीन सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर मिला था। इसमें चांदनी चौक सीट कांग्रेस के लिहाज से सबसे मजबूत बताई जा रही थी। चांदनी चौक से कांग्रेस प्रत्याशी जेपी अग्रवाल पहले भी इस सीट से सांसद चुने जा चुके हैं। वे यहीं पर जन्मे थे और उनके स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिता यहीं रहकर अपनी आंदोलन की गतिविधियां संचालित किया करते थे।    यही कारण है कि जेपी अग्रवाल को इस क्षेत्र में बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। उनका बहुत मृदु व्यवहार और मिलनसारिता भी व्यापारियों के बीच उनकी पहुंच को मजबूत बनाती है। माना जा रहा था कि वे भाजपा प्रत्याशी प्रवीण खंडेलवाल को कड़ी टक्कर दे रहे थे। लेकिन जिस तरह कांग्रेस के एक पूर्व विधायक हरिशंकर गुप्ता ने कथित तौर पर जेपी अग्रवाल को चुनाव में साथ नहीं दिया है, चुनाव परिणाम कुछ भी हो सकता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 29, 2024

भारत की मेजर राधिका सेन को किया जाएगा यूएन सैन्य पुरस्कार से सम्मानित

नई दिल्ली, 29 मई 2024  (यूटीएन)। कांगो में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) मिशन में सेवा दे चुकी भारतीय महिला शांति रक्षक मेजर राधिका सेन को सैन्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने उनकी तारीफ करते हुए उन्हें एक सच्चा और आदर्श नेता बताया। 30 मई को अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक दिवस के मौके पर मेजर राधिका सेन को 2023 यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड’ दिया जाएगा। यूएन के महासचिव गुटेरेस उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित करेंगे।    बता दें कि मेजर सेन भारतीय त्वरित तैनाती बटालियन की कमांडर के तौर पर मार्च 2023 से अप्रैल 2024 तक कांगो गणराज्य के पूर्व में तैनात थीं। वह मूल रूप से हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हैं। उनका जन्म 1993 में हुआ था और वह आठ साल पहले भारतीय सेना में भर्ती हुई थीं। मेजर राधिका सेन ने बायोटेक इंजीनियर में स्नातक किया, इसके बाद ही उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का फैसला किया था।   मेजर सुमन गवानी के बाद 2023 यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड पाने वाली वह दूसरी भारतीय शांति रक्षक हैं। मेजर गवानी ने संयुक्त राष्ट्र के मिशन में सेवा दी थी और उन्हें 2019 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।    गुटेरेस ने मेजर सेन को उनकी सेवा के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, "वह मेजर राधिका सेन एक सच्ची और आदर्श नेता हैं। उनकी सेवा समग्र रूप से संयुक्त राष्ट्र के लिए एक योगदान है।" इस पुरस्कार की घोषणा के बाद मेजर सेन ने कहा, "यह पुरस्कार मेरे लिए खास है क्योंकि यह कांगो गणराज्य के चुनौतीपूर्ण माहौल में काम कर रहे और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपना उत्कृष्ट योगदान दे रहे सभी शांतिरक्षकों की कड़ी मेहनत को पहचान देता है।"बता दें कि वर्तमान समय में भारत यूएन में महिला सैन्य शांति सैनिकों 11वां सबसे बड़ा योगदान देने वाले देशों में से एक है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 29, 2024

भारत की जेलों में मासिक धर्म स्वास्थ्य प्रबंधन में सुधार के लिए व्यापक रणनीति प्रस्तावित की गई है: किरण बेदी

नई दिल्ली, 29 मई 2024  (यूटीएन)। अंतर्राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता दिवस पर, मुख्य अतिथि डॉ. किरण बेदी, पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल और इंडिया विजन फाउंडेशन की संस्थापक ने एसोचैम के तीसरे मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन सम्मेलन-सह-पुरस्कार में भारत में मासिक धर्म प्रबंधन के बारे में बात की, जिसमें महिलाओं और लड़कियों की भलाई को प्रभावित करने वाली कई चुनौतियों और स्थितियों का सामना करना पड़ता है। कई जेलों में पर्याप्त स्वच्छता सुविधाओं का अभाव है, जैसे कि साफ और निजी शौचालय, बहता पानी और मासिक धर्म अपशिष्ट के लिए उचित निपटान प्रणाली। मासिक धर्म अपशिष्ट से बचने के लिए अधिक भस्मक जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.   और सैनिटरी पैड के लिए अधिक मशीनों का उपयोग किया जाना चाहिए। जेलों में मासिक धर्म की आपूर्ति की उपलब्धता के बारे में, उन्होंने अपनी चिंताएँ व्यक्त कीं और त्वरित कार्रवाई की माँग की। भारत सरकार की मुद्रा योजना और भारत की मासिक धर्म स्वच्छता योजना के बारे में बात करते हुए चुनौतियों का मुकाबला करने और महिलाओं के लिए सुरक्षित पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए राज्य-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाने का एक प्रवेश द्वार है। उन्होंने कहा कि विभिन्न हितधारकों और गैर सरकारी संगठनों को मासिक धर्म के बारे में चुप्पी तोड़ने, समुदायों को शिक्षित करने और किफायती मासिक धर्म उत्पादों तक पहुँच प्रदान करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।   स्पार्क मिंडा फाउंडेशन, इंडिया विजन फाउंडेशन, भारत केयर्स और एसोचैम ने उत्तर प्रदेश की जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन परियोजना शक्ति शुरू की। यूनेस्को इंडिया की वरिष्ठ लिंग विशेषज्ञ डॉ. हुमा मसूद ने युवा और स्कूल जाने वाली लड़कियों तक पहुँचने पर ध्यान केंद्रित किया ताकि मासिक धर्म से जुड़ी शर्म, भारी कलंक और गलत धारणा को मिटाया जा सके। उन्होंने आगे बताया कि भारत में 5 में से 1 लड़की मासिक धर्म शिक्षा और सैनिटरी उत्पादों तक पहुँच की कमी के कारण स्कूल छोड़ देती है। स्कूलों, परिवारों और समुदायों से मासिक धर्म शिक्षा पर अध्याय गायब है, जिसके परिणामस्वरूप 71% लड़कियों को पहली बार मासिक धर्म के बारे में पता ही नहीं चलता।   नीति आयोग के उपाध्यक्ष कार्यालय की निदेशक सुश्री उर्वशी प्रसाद के अनुसार, ग्रामीण और दूरदराज के स्थानों में मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों की अक्सर कम आपूर्ति होती है और वितरण नेटवर्क अपर्याप्त हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पुरुषों को मासिक धर्म से जुड़ी शर्म के बारे में जागरूक होना चाहिए। अनौपचारिक कार्यस्थलों में महिलाओं को सुरक्षित महसूस करना चाहिए और अपने मौलिक अधिकारों का प्रयोग करने में सक्षम होना चाहिए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण में जागरूकता में 20% की वृद्धि की रिपोर्ट की गई है। श्रीमती नेहा जैन, आईएएस, विशेष सचिव, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स, उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने विशेष संबोधन में बताया कि सुलभता और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाने के लिए कम लागत वाले सैनिटरी पैड, मासिक धर्म कप और बायोडिग्रेडेबल विकल्पों के विकास और वितरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।   मासिक धर्म स्वास्थ्य प्रबंधन का समर्थन करने वाली और लैंगिक असमानताओं को दूर करने वाली नीतियों की निरंतर वकालत आवश्यक है। एसोचैम नेशनल सीएसआर काउंसिल के अध्यक्ष अनिल राजपूत ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि भारत के कई हिस्सों में मासिक धर्म को अक्सर वर्जित विषय माना जाता है। सांस्कृतिक मान्यताएँ और मिथक इस विषय पर चुप्पी और शर्म को बनाए रखते हैं, जिससे खुली चर्चा और शिक्षा को रोका जाता है। उन्होंने कहा कि मासिक धर्म वाली महिलाओं और लड़कियों को कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे अलगाव और भेदभाव की भावना पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि 22.7% महिलाएँ और लड़कियाँ उच्च लागत के कारण सैनिटरी उत्पादों का खर्च नहीं उठा सकती हैं, जिससे उन्हें पुराने कपड़ों जैसे अस्वास्थ्यकर विकल्पों का उपयोग करना पड़ता है।   रियल रिलीफ इंडिया की निदेशक सुश्री ट्राइन सिग ने कहा कि हर 4 में से 1 महिला सैनिटरी नैपकिन खरीदने से चूक जाती है। मासिक धर्म संबंधी स्वास्थ्य शिक्षा में एक महत्वपूर्ण अंतर है। कई लड़कियाँ मासिक धर्म के लिए तैयार नहीं होती हैं और उन्हें मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में बुनियादी जानकारी नहीं होती है। अपर्याप्त सुविधाओं और सामाजिक कलंक के कारण लड़कियाँ अपने मासिक धर्म के दौरान स्कूल नहीं जा पाती हैं, जिससे उनकी शिक्षा और भविष्य के अवसर प्रभावित होते हैं।    एसोचैम नेशनल एम्पावरमेंट काउंसिल की सह-अध्यक्ष सुश्री ज्ञान शाह ने कहा कि आर्थिक असमानताओं के कारण, निम्न आय वाले परिवारों की महिलाओं को सुरक्षित मासिक धर्म उत्पादों तक पहुँचने में अधिक संघर्ष करना पड़ता है। एसोचैम नेशनल वेलनेस काउंसिल की सह-अध्यक्ष डॉ. ब्लॉसम कोचर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और मासिक धर्म उत्पादों की सामर्थ्य और पहुँच के बारे में जागरूकता फैलाई। कार्यक्रम का समापन मुख्य अतिथि किरण बेदी द्वारा मासिक धर्म स्वच्छता में सर्वाधिक नवीन उत्पाद, मासिक धर्म स्वच्छता में सीएसआर पहल द्वारा अधिकतम प्रभाव-कॉर्पोरेट और सार्वजनिक उपक्रम; मासिक धर्म स्वच्छता में सीएसआर पहल द्वारा अधिकतम प्रभाव-एनजीओ; मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन चैंपियन ऑफ द ईयर (संगठन से) श्रेणियों में पुरस्कार वितरण समारोह के साथ हुआ।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 29, 2024

88.3% पुरुष पत्नी को माहवारी में राहत के लिए नहीं बँटाते घरेलू कामों में हाथ: ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। दुनिया मासिक धर्म संबंधी वैश्विक आंदोलन मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे मना रही है, ऐसे में भारत के जानेमाने फेमनिन हाइजीन ब्रांड ऐवरटीन ने अपने 9वें वार्षिक मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे के परिणाम जारी किए हैं। इस वर्ष के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे की थीम है ’पीरियड फ्रैंडली वर्ल्ड’, इसी के मुताबिक ऐवरटीन ने अपनी पहुंच का विस्तार करते हुए पुरुषों को भी इसमें शामिल किया और मेंस्ट्रुअल हाइजीन के बारे में उनकी जागरुकता को मापा। इस सर्वे में 18 से 35 वर्ष के 7800 से अधिक लोगों की प्रतिक्रियाएं शामिल की गईं। इन लोगों में तकरीबन 1000 पुरुष थे जिनमें ज्यादातर स्नातक या उससे से ज्यादा शिक्षित थे।   ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे 2024 में भाग लेने वाले 60.2 प्रतिशत पुरुषों ने बताया कि वे अपनी पार्टनर से पीरियड्स के बारे में बहुत खुल कर बात करते हैं। यद्यपि, आधे से अधिक (52.2 प्रतिशत) पुरुषों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अब तक कि जिंदगी में अपनी पार्टनर के लिए कभी मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट नहीं खरीदा। केवल 11.7 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि जब उनकी पत्नी को माहवारी होती है तो वे उसके बोझ को कम करने के लिए घरेलू कामों की अतिरिक्त  जिम्मेदारी उठाते हैं। मासिक धर्म के दौरान अपनी पार्टनर के अनुभव को बेहतर ढंग से समझने की बात करें तो 77.7 प्रतिशत पुरुषों का कहना था उन्होंने इस विषय पर स्वयं को शिक्षित करने के लिए कोई रिसर्च नहीं की या फिर बेहद कम रिसर्च की।   69.8 प्रतिशत पुरुष महसूस करते हैं कि मासिक धर्म को लेकर समाज में जो संकोच है, जो हिचक है उसके चलते उनके लिए यह मुश्किल हो जाता है कि वे इस विषय पर अपनी पार्टनर से बात करें। 65.3 पुरुषों ने इस बात पर सहमति जताई की मासिक धर्म के बारे में पुरुषों को शिक्षित किया जाना चाहिए। मेंस्ट्रुएशन को लेकर हुए इस सर्वे में पुरुषों को शामिल किया जाना पहला कदम था और इससे धारणाओं में कुछ परिवर्तन में मदद मिली है क्योंकि 41.3 प्रतिशत पुरुषों ने वादा किया इस सर्वे में शामिल होने के बाद वे मासिक धर्म के बारे में स्वयं को शिक्षित करेंगे। जबकि 27.7 प्रतिशत ने कहा कि वे अपनी पार्टनर की जरूरतों को सुनेंगे और पीरियड्स के दौरान उन्हें सहयोग देंगे।   21.2 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वे अपनी पार्टनर से इस विषय पर ज्यादा खुल कर बात करेंगे। पैन हैल्थकेयर के सीईओ चिराग पैन इस सर्वे पर कहते हैं, ’’यदि हम पीरियड-फ्रैंडली दुनिया के सपने को हकीकत बनाना चाहते हैं पुरुषों को भी इसमें स्पष्ट रूप से भागीदारी निभानी होगी।     77.7% पुरुषों ने माहवारी में जीवनसंगिनी के अनुभव को समझने के लिए कोई रिसर्च नहीं की रिसर्च की   सामाजिक संकोच के चलते 69.8% पुरुषों को महिला पार्टनर से मासिक धर्म संबंधी विषय पर चर्चा करने में होती है मुश्किल   चार में से तीन महिलाएं पति से पीरियड्स पर बात करने में असहज महसूस करती हैं     अगर दुनिया की आधी आबादी मासिक धर्म के विषय पर बेपरवाह या अशिक्षित बनी रहेगी तो माहवारी के अनुकूल दुनिया बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकेगा। भारतीय समाज की वर्जनाएं पुरुषों के लिए इसे कठिन बना देती हैं कि वे मासिक धर्म को एक सामान्य घटना तौर पर स्वीकार कर सकें। हमने इस साल अपने ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे में पुरुषों की भागीदारी शामिल कर के एक विनम्र कोशिश की है और इस विषय पर उनसे संवाद आरंभ किया है। मुझे यह देख कर खुशी हुई है कि इतने सारे पुरुष सहभागियों पर इसका सकारात्मक प्रभाव हुआ है और उन्होंने पीरियड्स के दौरान अपनी महिला पार्टनरों को अतिरिक्त सहयोग देने का वादा किया है।   ऐवरटीन की निर्माता कंपनी वैट् एंड ड्राई पर्सनल केयर के सीईओ  हरिओम त्यागी ने कहा, ’’हमारे ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे में शामिल महिलाओं ने भी इस पर जोर दिया कि मासिक धर्म के विषय पर पुरुषों के बीच ज्यादा जागरुकता जगाने की जरूरत है। तकरीबन 90 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि अपने पिता या भाई से पीरियड्स के बारे में बात करने में वे सहज महसूस नहीं करतीं, जबकि हर चार में से तीन महिलाआंे (77.4 प्रतिशत) को अपने पति के साथ भी इस पर बात करना असहज करता है। केवल 8.4 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थीं जो कार्यस्थल पर अपने पुरुष सहकर्मियों के साथ मासिक धर्म संबंधी मुद्दों पर बात करने में सहज थीं।   ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे में यह भी सामने आया कि 7.1 प्रतिशत महिलाएं अब भी अपने परिवार में पीरियड्स को लेकर किसी से बात नहीं करतीं। 56.8 प्रतिशत महिलाएं किराने या दवा की दुकान से सैनिटरी नैपकीन खरीदने में अब भी झिझकती हैं, खासकर तब जब वहां कोई ग्राहक मौजूद हो। 51.8 प्रतिशत महिलाएं पीरियड के पहले दो दिनों में ठीक से सो नहीं पातीं, जबकि 79.6 प्रतिशत महिलाएं रात को नींद में दाग लगने को लेकर चिंतित रहती हैं। 64.7 प्रतिशत महिलाओं ने मध्यम से लेकर गंभीर मेंस्ट्रुअल क्रैम्प अनुभव किए हैं। 53.1 प्रतिशत महिलाएं पीरियड्स के दौरान बाहर जाने से परहेज करती हैं। चार में से एक महिला (25.8 प्रतिशत) को नहीं मालूम था कि श्वेत स्त्राव होने पर क्या किया जाए और सिर्फ 32.8 प्रतिशत महिलाओं ने इस मुद्दे पर डॉक्टर से सलाह की।   87.1 प्रतिशत महिलाओं की राय थी कि माहवारी की छुट्टियां देने की बजाय कंपनियों को मेंस्ट्रुअल फ्रैंडली कार्यस्थल तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए। 91.1 प्रतिशत महिलाओं का मानना था कि जो कंपनियां इस कॉन्सेप्ट को बढ़ावा देंगी वे ज्यादा महिलाओं को अपनी कंपनी जॉइन करने के लिए आकर्षित करेंगी। हर साल ऐवरटीन भारत में महिलाओं से बड़े पैमाने पर जुड़ने का अभियान चलाता है और उन्हें प्रोत्साहित करता है कि वे खुल कर मेंस्ट्रुएशन के मुद्दे पर अपनी बात रखें। फेमनिन इंटीमेट हाइजीन हेतु संपूर्ण उत्पादों की रेंज बनाने वाले अग्रगामी ब्रांड ऐवरटीन ने  कैम्पेन के जरिए ज़नाना एवं मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर निरंतर जागरुकता का प्रसार किया है।   आज, ब्रांड ऐवरटीन महिलाओं के लिए 35 भिन्न हाइजीन और वैलनेस उत्पाद प्रस्तुत करता है जिनमें पीरियड केयर सैनिटरी पैड, रिलैक्स नाइट्स अल्ट्रा ओवरनाईट सैनिटरी पैड, सिलिकॉन मेंस्ट्रुअल कप, मेंस्ट्रुअल कप क्लीन्ज़र, टैम्पून, पैन्टी लाइनर, बिकिनी लाइन हेयर रिमूवर क्रीम, पीएच बैलेंस्ड इंटीमेट वॉश, टॉयलेट सीट सैनिटाइज़र, फेमनिन सिरम, जैल आदि बहुत कुछ शामिल हैं। वर्ष 2013 में स्थापित वैट् एंड ड्राई पर्सनल केयर प्राइवेट लिमिटेड पैन हैल्थ की पहल है जो हैल्थ, हाइजीन व पर्सनल केयर उत्पाद पेश करती है।   नई दिल्ली मुख्यालय वाली यह कंपनी चार ब्रांडों की स्वामी है जो हैं- ऐवरटीन (फेमनिन हाइजीन), न्यूड (प्रीमियम पर्सनल केयर प्रोडक्ट), नेचर श्योर (नैचुरल वैलनेस प्रोडक्ट) और मैनश्योर (पुरुषों के लिए प्रीमियम हैल्थ प्रोडक्ट)। अमेजन, फ्लिपकार्ट, नायका, पर्पल, मिंत्रा, जियोमार्ट, मीशो आदि ऑनलाइन मार्केटप्लेसिस पर ये उत्पाद खूब बिकते हैं। भारत में बिक्री के अलावा हमारे उत्पाद दुनिया भर के ग्राहकों तक पहुंचाए जाते हैं जिनमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, फिजी, फ्रांस, फिनलैंड, घाना, हांग कांग, आयरलैंड, कीनिया, मलेशिया, नामिबिया, नाइजीरिया, ओमान, कतर, सउदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, श्री लंका, स्विटजरलैंड, यूएस, यूके, युगांडा, वियतनाम आदि देश शामिल हैं।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

कुबेर टीले पर लगाए जाएंगे रामायण कालीन पौधे, सितंबर तक पूरा हो जाएगा सातों मंदिरों का निर्माण : नृपेंद्र मिश्रा

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बड़ी जानकारी साझा करते हुए कहा कि कुबेर टीले पर रामायण कालीन पौधे लगाए जाएंगे। राम मंदिर के बगल में बनने वाले सात मंदिरों का निर्माण कार्य सितंबर तक पूरा हो जाएगा।   राम मंदिर निर्माण समिति की बैठक में शामिल होने पहुंचे निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने आगे कहा कि ट्रस्ट का प्रयास है कि राम मंदिर के साथ-साथ परिसर में बन रहे अन्य मंदिरों का काम जल्द पूरा हो जाएगा। उसके बाद श्रद्धालु आसानी से दर्शन कर सकेंगे। उम्मीद है कि सितंबर महीने तक सात मंदिरों का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।   उन्होंने कहा कि शेषावतार मंदिर भी जल्द बनकर पूरा हो जाएगा। कुबेर टीले का कार्य लगभग पूरा हो गया है। जटायु महाराज भी स्थापित हो चुके हैं, जो श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने आते हैं, वह कुबेर टीले में भी जाएं, कुबेर टीले पर रामायण कालीन पौधे लगाए जाएंगे, उद्यान विभाग उस पर काम कर रहा है।   उन्होंने कहा कि नेशनल बॉटनी गार्डन लखनऊ इस पर शोध कर चुका है कि रामायण में कौन-कौन से पौधों का उल्लेख है, 150 से ज्यादा रामायण कालीन पौधों का उल्लेख है, उन्ही में से ही चयन करके कुबेर टीले पर पौधे लगाए जाएंगे।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

बेबी केयर हॉस्पिटल में कल देर रात लगी भीषण आग, 7 बच्चों की मौत

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। दिल्ली के विवेक विहार इलाके से बीती रात दिल दहला देने वाली खबर आई. जहां एक बेबी केयर सेंटर में आग लगने से 7 बच्चों की मौत हो गई और कुछ बच्चों को किसी तरह बचा लिया गया. बताया जा रहा है कि ये आग वहां पर रखे ऑक्सीजन सिलेंडर में हुए ब्लास्ट की वजह से बढ़ी. चश्मदीदों और अस्पताल के आस-पास रहने वाले लोगों के मुताबिक घटनास्थल पर एक के बाद एक करीब 6 धमाके हुए. जिसके कारण आस-पास के घर में भी आग फैल गई. दिल्ली फायर विभाग के मुताबिक 120 गज की बिल्डिंग में था केयर सेंटर. इसके 1st फ्लोर से 12 बच्चों को रेस्कयू कराया गया था. अस्पताल में 7 बच्चों ने दम तोड़ दिया 5 भर्ती हैं, उनका इलाज चल रहा है.    *अस्पताल बना बच्चों का काल* दिल्ली पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के मुबाबिक बीती रात करीब 11.30 बजे विवेक विहार थाने में आग लगने के संबंध में पीसीआर कॉल मिली. मौके पर पुलिस पहुंची तो सी-54, विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न हॉस्पिटल और उसके आसपास की इमारत में भीषण आग लगी थी. थोड़ी देर में थाना प्रभारी और एटीओ विवेक विहार और एसीपी विवेक विहार भी मौके पर पहुंचे. अस्पताल मालिक नवीन चींचीं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है. वो अभी फरार है. चींची की लोकेशन जयपुर में मिली है.   पुलिस की एक टीम वहां जा रही है. दिल्ली पुलिस ने बेबी केअर न्यू बॉर्न हॉस्पिटल के मालिक नवीन चींचीं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, आईपीसी की धारा 336, 304A और 34 में एफआईआर दर्ज की गई है. फायर की एनओसी हॉस्पिटल के पास थी या नहीं उसकी जांच की जा रही है.   *चश्मदीदों और पड़ोसियों ने खोली पोल पट्टी* बच्चों का रेस्क्यू करने में हाथ बटाने वाले लोगों में से एक जितेंद्र शंटी ने पत्रकारों को बताया कि ये हादसा क्यों और कैसे हुआ. चश्मदीदों ने बताया कि 125 गज पर बने इस अस्पताल में कई खामियां थीं. इसे बनाने में भी नियमों का उल्लंघन हुआ. मौके पर मौजूद लोगों ने यह भी कहा कि भला 125 गज में कौन सा अस्पताल बनता है? स्थानीय लोगों का कहना है कि ये कोई बेबी केयर सेंटर नहीं बल्कि ऑक्सीजन सिलेंडर का गोदाम था. यहां पर बड़ी संख्या में सिलेंडर आते थे और रिफिल भी किए जाते थे.   ऐसे में इस लापरवाही की जिम्मेदारी कौन लेगा? यानी अस्पताल परिसर में ही बड़े सिलेंडरों से छोटे-छोटे सिलेंडरों में गैस भरी जाती थी. रोजाना एक गाड़ी आती थी और उससे सिलेंडर उतरते थे. कहीं कोई रोक-टोक नहीं थी. इसी तरह कई लोगों ने छोटे से अस्पताल में इतने बड़े पैमाने पर सिलेंडर स्टोर करने पर भी सवाल उठाए.   उन्होंने रविवार सुबह अस्पताल के बाहर से पूरा इलाका दिखाते हुए, मौके पर पड़े ऑक्सीजन सिलेंडर दिखाते हुए अस्पताल परिसर में चल रही गतिविधियों की जानकारी दी. उन्होंने ये भी बताया कि हादसे के बाद अस्पताल के पिछली साइड से बच्चों को रेस्क्यू किया गया. क्योंकि आग वहां तक नहीं फैली थी. उसी दौरान अस्पताल में कई अन्य लापरवाही देखने को मिली.   *भर्ती थे कई नवजात* बच्चों के इस अस्पताल में कई नवजात शिशु भर्ती थे. इस जानलेवा लापरवाही से हुई दुर्घटना में कुछ नवजात शिशुओं को अन्य लोगों की मदद से बेबी केयर यानी अस्पताल परिसर से बचाया गया. फौरन सभी को बेहतर इलाज के लिए विवेक विहार स्थित एडवांस  अस्पताल ले जाया गया.    इसी बीच दमकल की कई गाड़ियां मौके पर पहुंची जिसके कुछ समय बाद आग पर काबू पा लिया गया. बताया जा रहा है कि एक बच्चे की मौत आग लगने से पहले हो गई थी. इस तरह कुल 7 बच्चों को मृत घोषित किया गया. सभी 7 शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेजा गया.   *राष्ट्रपति ने जताया शोक* राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस घटनाक्रम पर चिंता जताते हुए अफसोस जताया है. उन्होंने अपने एक्स अकाउटं पर लिखा- 'विवेक विहार, दिल्ली के एक अस्पताल में आग लगने से अनेक बच्चों की मृत्यु का समाचार हृदय विदारक है. ईश्वर शोक संतप्त माता-पिता एवं परिजनों को यह आघात सहने की शक्ति दें. मैं इस घटना में घायल हुए अन्य बच्चों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करती हूं. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मंत्री सौरभ भारद्वाज समेत कई नेताओं ने इस दुर्घटना में मारे गए बच्चों के परिजनों से संवेदना जताई है. सभी ने दोषियों को कड़ी सजा दिलाने का भरोसा दिलाया है. अस्पताल से सटी एक बिल्डिंग तक भी आग की लपटें गई थीं पर वहां कोई अनहोनी नहीं हुई. कुल 16 दमकल गाड़ी मौके पर पहुंची थीं. रात 23.32 में आग लगी थी करीब 50 मिनट में आग पर काबू पा लिया था    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

मैतई-कुकी के बीच विश्वास को बहाल करने का काम कर रही सरकार: गृहमंत्री

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से विवाद जारी है। इस पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में स्थायी शांति लाने के लिए सरकार मैतई और कुकी समुदाय के बीच विश्वास की कमी को दूर करने का काम कर रही है। लोकसभा चुनाव के बाद प्रक्रिया को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ तेज किया जाएगा।   *वह दंगा नहीं है बल्कि नस्लीय संघर्ष है* कुछ पत्रकारों के साथ चाय पर आयोजित एक साक्षात्कार में ‘क्या सरकार को पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा के चक्र को समाप्त करने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने की जरूरत है’ के सवाल पर शाह ने कहा कि मणिपुर में जो हो रहा है वह दंगा नहीं है और न ही कोई आतंकी हिंसा। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष नस्लीय प्रकृति का है। इसे बल के माध्यम से हल नहीं किया जा सकता। हिंसा दो समुदायों के बीच विचार-विमर्श और विश्वास की कमी के कारण हुई है।    *भविष्य में कोई हिंसा नहीं होगी* शाह ने कहा कि हमें दोनों समुदायों के बीच भरोसे को बहाल करना है। इसमें समय लगता है। हम इस पर तेजी से काम कर रहे थे लेकिन तभी चुनाव आ गया। इसके कारण देरी हुई है। दोनों समुदायों के नेता अपने-अपने समुदाय के हितों या अपने स्वयं के राजनीतिक मुद्दों के बारे में बात करते हैं। लेकिन मतगणना के बाद सरकार इस पर बहुत प्राथमिकता के साथ काम करेगी। मुझे विश्वास है कि भविष्य में कोई हिंसा नहीं होगी।    *मणिपुर में हुई हिंसा का यह है कारण* राज्य में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या करीब 60 प्रतिशत है। ये समुदाय इंफाल घाटी और उसके आसपास के इलाकों में बसा हुआ है। समुदाय का कहना रहा है कि राज्य में म्यांमार और बांग्लादेश के अवैध घुसपैठियों की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, मौजूदा कानून के तहत उन्हें राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है। यही वजह है कि मैतेई समुदाय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें जनजातीय वर्ग में शामिल करने की गुहार लगाई थी।   अदालत में याचिकाकर्ता ने कहा कि 1949 में मणिपुर की रियासत के भारत संघ में विलय से पहले मैतेई समुदाय को एक जनजाति के रूप में मान्यता थी। इसी याचिका पर बीती 19 अप्रैल को हाईकोर्ट ने अपना फैसले सुनाया। इसमें कहा गया कि सरकार को मैतेई समुदाय को जनजातीय वर्ग में शामिल करने पर विचार करना चाहिए। साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया। अब इसी फैसले के विरोध में मणिपुर में हिंसा हो रही है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 26, 2024

पांच साल के अंदर देशभर में लागू होगा यूसीसी:अमित शाह

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि मोदी सरकार के अगले कार्यकाल में ही देशभर में समान नागरिक संहिता लागू कर दी जाएगी। शाह ने कहा कि अगर भाजपा की सत्ता में वापसी होती है तो सभी हितधारकों से व्यापक चर्चा के बाद यूसीसी को लाया जाएगा। एक इंटरव्यू के दौरान अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार का अगला कार्यकाल कई मायनों में अहम होगा क्योंकि इसी दौरान एक देश-एक चुनाव को भी लागू किया जाएगा। शाह ने कहा कि अब समय आ गया है, जब देशभर में एक साथ चुनाव हों।    *यूसीसी लागू करना हमारी जिम्मेदारी* शाह ने कहा 'समान नागरिक संहिता हम पर एक जिम्मेदारी है, जिसे हमारे संविधान निर्माता हम पर, हमारी संसद पर और राज्य विधानसभाओं पर छोड़कर गए हैं। संविधान सभा ने हमारे लिए जो मार्गदर्शक सिद्धांत तय किए थे, उनमें समान नागरिक संहिता भी शामिल है। यहां तक कि उस समय भी कानूनी विद्वानों जैसे केएम मुंशी, राजेंद्र बाबू, आंबेडकर जी ने कहा था कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर कानून नहीं होने चाहिए। समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।'   शाह ने कहा 'समान नागरिक संहिता हम पर एक जिम्मेदारी है, जिसे हमारे संविधान निर्माता हम पर, हमारी संसद पर और राज्य विधानसभाओं पर छोड़कर गए हैं। संविधान सभा ने हमारे लिए जो मार्गदर्शक सिद्धांत तय किए थे, उनमें समान नागरिक संहिता भी शामिल है। यहां तक कि उस समय भी कानूनी विशेषज्ञों जैसे केएम मुंशी, राजेंद्र बाबू, अंबेडकर जी ने कहा था कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर कानून नहीं होने चाहिए। समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।   *'हमारे एजेंडे में 1950 से ही है समान नागरिक संहिता'* गृह मंत्री ने कहा कि 'भाजपा ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करके एक प्रयोग किया है क्योंकि यह राज्यों और केंद्र दोनों का विषय है। समान नागरिक संहिता हमारे एजेंडे में साल 1950 से ही है और हाल ही में भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड में इसे लागू भी कर दिया गया है।' अमित शाह ने कहा 'मुझे लगता है कि समान नागरिक संहिता एक बड़ा सामाजिक, कानूनी और धार्मिक सुधार होगा। उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाए कानून की भी सामाजिक और कानूनी जांच भी होनी चाहिए और धार्मिक नेताओं से भी सलाह ली जानी चाहिए।   उन्होंने कहा 'मेरा मतलब है कि इस मुद्दे पर व्यापक बहस होनी चाहिए और अगर कुछ भी बदलाव की जरूरत महसूस होती है तो उत्तराखंड सरकार को वह बदलाव करना चाहिए। यह मामला कोर्ट में भी जरूर जाएगा और न्यायपालिका भी इस पर अपना विचार देगी। इसके बाद राज्य विधानसभाओं और संसद को भी इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और कानून को लागू करना चाहिए। यही वजह है कि हमने अपने संकल्प पत्र में भी लिखा है कि भाजपा पूरे देश में समान नागिरक संहिता लागू करेगी। क्या देश में अगले पांच वर्षों में समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी? इसके जवाब में अमित शाह ने कहा 'यह अगले कार्यकाल में हो सकता है। पांच साल इसके लिए पर्याप्त समय है।   *'एक देश एक चुनाव' भी अगले कार्यकाल से ही लागू करने की तैयारी* एक देश एक चुनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर अमित शाह ने कहा 'पीएम मोदी ने रामनाथ कोविंद समिति का गठन किया था। मैं भी उसका सदस्य था। यह रिपोर्ट जमा कर दी गई है और अब समय भी आ गया है, जब देश में चुनाव एक साथ कराए जाएं।' उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में ही इसे लागू करने की कोशिश की जाएगी।   केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा एक साथ चुनाव कराने से चुनाव की लागत भी कम होगी। इन आम चुनाव में मतदाता भीषण गर्मी से परेशान हैं और इसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ा है। ऐसे में क्या चुनाव गर्मी के बजाय सर्दियों के मौसम में कराए जा सकते हैं? इसके जवाब में शाह ने कहा कि हम इस पर विचार कर सकते हैं। ऐसा हो सकता है। अभी स्कूली छात्रों की छुट्टियां चल रही हैं, जिसके चलते काफी परेशानी होती है। समय के साथ चुनाव होते होते गर्मियों के मौसम में होने लगे हैं।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

एम्स समेत कई मेडिकल संस्थानों में बन रहे 'चलने वाले अस्पताल

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आरोग्य मैत्री प्रोजेक्ट के तहत पहले पोर्टेबल अस्पताल को तैयार किया गया है ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में पीड़ितों का तुरंत इलाज शुरू हो सके। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अगले दो से तीन महीनों में देश के अलग- अलग हिस्सों में स्थित ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस समेत सभी बड़े मेडिकल संस्थानों में पोर्टेबल अस्पताल होंगे। प्रोजेक्ट भीष्म (सहयोग, हित और मैत्री के लिए भारत की स्वास्थ्य पहल) के साथ स्वदेशी रूप से इसे डिज़ाइन किया गया है। प्राकृतिक आपदाओं समेत किसी भी संकट की स्थिति में 200 पीड़ितों का इलाज किया जा सकता है।   72 क्यूब को जोड़कर एक पोर्टेबल अस्पताल तैयार किया जाता है, इसे हवाई, जल या फिर सड़क किसी भी मार्ग से ले जा सकते हैं। पहाड़ी इलाकों, दूर- दराज के इलाकों, नॉर्थ ईस्ट समेत ऐसे क्षेत्रों में अगर कोई आपदा आती है तो इन पोर्टेबल अस्पतालों को एम्स व दूसरे संस्थानों से तुरंत उन जगहों पर भेजा जाएगा और पीड़ितों का इलाज शुरू होगा। इस अस्पताल में बुलेट इंजरी, स्पाइनल, चेस्ट, इंजरी के साथ ही बर्न और स्नेक बाइट के मरीजों का भी इलाज हो सकता है।   *वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में दिखाया जाएगा मॉडल* देश में पिछले दस वर्षों में एम्स की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। हाल ही में एम्स राजकोट, एम्स बठिंडा, पश्चिम बंगाल में एम्स कल्याणी, आंध्र प्रदेश में एम्स मंगलागिरी और एम्स रायबरेली देशवासियों को समर्पित किया गया है। वहीं एम्स रायबरेली, एम्स बठिंडा भी तैयार हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जिनीवा में 27 मई से शुरू होने वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में भी भारत द्वारा तैयार किए गए पोर्टेबल अस्पताल के मॉडल को दिखाया जाएगा।   इससे जुड़ी वीडियो को एक सेशन में दिखाया जाएगा और अलग- अलग देशों को बताया जाएगा कि भारत ने आपात स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कैसे नए प्रयोग किए हैं। विभिन्न देशों को बताया जाएगा कि भारत ने सबसे कम दामों में, सबसे उपयुक्त आपातकालीन मेडिकल रिस्पांस सिस्टम-भिष्म तैयार कर लिया है। इससे दूसरे देश भी अपने यहां इस मॉडल को लागू कर सकते हैं। इस क्यूब अस्पताल में वेंटिलेटर, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड सहित सभी आवश्यक उपकरण शामिल हैं।   *कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स वाली स्टडी का मॉडल केवल फोन पर आधारित* स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स को लेकर की गई स्टडी केवल टेलिफोन पर की गई बातचीत पर आधारित थी और कोई साइंटिफिक आधार नहीं था। ऐसे में इस स्टडी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि किसी भी रिसर्च करने का एक तरीका होता है लेकिन इस रिसर्च की कार्यप्रणाली का कोई आधार ही नहीं था। बस लोगों से फोन किया गया और उसके आधार पर ही रिपोर्ट तय कर दी गई। इलाज के डॉक्युमेंट्स भी नहीं देखे गए। बीएचयू के रिसचर्स ने यह स्टडी की थी और एक विदेशी जर्नल में यह स्टडी (रिसर्च पेपर) प्रकाशित हुआ था। जिसके बाद आईसीएमआर ने इस स्टडी को भ्रामक और गलत तथ्यों पर आधारित बताया था।   दरअसल बीएचयू के रिसचर्स द्वारा जनवरी 2022 से अगस्त 2023 के बीच की गई इस स्टडी में दावा किया गया था कि 926 प्रतिभागियों में से लगभग 50 प्रतिशत ने संक्रमण की शिकायत की थी और स्ट्रोक और गुइलिन-बैरे सिंड्रोम के दुर्लभ जोखिम को बढ़ाया है। इस मुद्दे पर ICMR के डायरेक्टर जनरल ने बीएचयू में यह रिसर्च करने वाले लेखकों और न्यूजीलैंड स्थित ड्रग सेफ्टी जर्नल के संपादक को पत्र लिखा था। सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर रिसर्च करने वालों ने आईसीएमआर को जवाब भेजा है और सूत्रों का दावा है कि उन्होंने माफी भी मांगी है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

खत्म हुआ 'दिल्ली का दंगल' 54.32 फीसदी मतदान

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शनिवार को सभी 7 लोकसभा सीटों पर मतदान समाप्त हो गया. दिल्ली में शाम 6 बजे तक सभी सात सीटों पर औसत मतदान 54.32 फीसदी दर्ज किया गया. शाम 6 बजे तक दिल्ली की चांदनी चौक सीट पर 53.27 फीसदी, ईस्ट दिल्ली में 54.37 प्रतिशत जबकि न्यू दिल्ली लोकसभा सीट पर 51.05 फीसदी मतदान हुआ. इसके साथ ही नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली लोकसभा 58.30 फीसदी, नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट पर 53.81 प्रतिशत मतदान, साउथ दिल्ली सीट पर 52.83 फीसदी और वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट पर 54.90 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.   *दिल्ली में शाम 5 बजे तक कितना मतदान?* दिल्ली में शाम पांच बजे तक सभी सात सीटों पर औसत मतदान 53.73 फीसदी दर्ज किया गया. शाम पांच बजे तक दिल्ली की चांदनी चौक सीट पर 53.27 फीसदी, ईस्ट दिल्ली में 53.69 प्रतिशत जबकि न्यू दिल्ली लोकसभा सीट पर 50.44 फीसदी मतदान हुआ. इसके साथ ही नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली लोकसभा 57.97 फीसदी, नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट पर 53.17 प्रतिशत मतदान, वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट पर 54.15 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.   *दिल्ली में दोपहर 3 बजे तक कितना मतदान?* दिल्ली में दोपहर तीन बजे तक 44.58 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के ऑफिस ने कहा कि सबसे अधिक मतदान उत्तर पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में 47.85 प्रतिशत दर्ज किया गया, जबकि नई दिल्ली सीट पर सबसे कम मतदान प्रतिशत 42.17 था. पूर्वी दिल्ली में मतदान प्रतिशत 44.70 प्रतिशत था, चांदनी चौक पर 43.24 प्रतिशत, उत्तर पश्चिम दिल्ली में 44.78 प्रतिशत, दक्षिणी दिल्ली में 42.96 प्रतिशत और पश्चिमी दिल्ली में 44.91 प्रतिशत मतदान हुआ.   चुनाव अधिकारियों ने कहा कि किसी भी मतदान केंद्र पर तकनीकी खराबी या मतदान शुरू होने में देरी की कोई रिपोर्ट नहीं है. नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के सेंट कोलंबा स्कूल में वोट डालने गईं सीपीआई (एम) नेता बृंदा करात ने आरोप लगाया कि उन्हें अपना वोट डालने के लिए लगभग एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा क्योंकि ईवीएम कंट्रोल यूनिट की बैटरी खराब हो गई थी. दिल्ली की मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया कि गवर्नमेंट स्कूल नंबर 3 कालकाजी में अभी एक चुनाव अधिकारी ने आकर निर्देश दिए हैं कि पोलिंग एजेंट कोई भी डेटा नोट नहीं कर सकते.   *दिल्ली में कई दिग्गज नेताओं ने डाला वोट* केंद्रीय मंत्री एस जयशंकर और हरदीप सिंह पुरी, आप नेता और मंत्री आतिशी, निवर्तमान पूर्वी दिल्ली सांसद गौतम गंभीर और अलग-अलग दलों के उम्मीदवारों ने सुबह-सुबह वोट डाला. अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में अपना वोट डाला. मतदान केंद्रों पर वोटर्स के लिए चिलचिलाती गर्मी से बचने के लिए कई इंतजाम किए गए थे.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024