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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मुजरा’ वाली टिप्पणी पर बवाल

नई दिल्ली, 25 मई 2024  (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव 2024 अपने आखिरी दौर से गुजर रहा है. आज शनिवार (25 मई) को छठे चरण की वोटिंग होने के बाद सातवें और आखिरी चरण की वोटिंग 1 जून को होगी. इससे पहले बयानों के बाणों की बौछार हो रही है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुजरा वाले बयान पर बवाल मच गया. विपक्षी दलों ने पीएम मोदी को घेरने की कोशिश की. प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “'आज मैंने प्रधानमंत्री के मुंह से 'मुजरा' शब्द सुना. मोदीजी, ये कैसी मनःस्थिति है? आप कुछ लेते क्यों नहीं? अमित शाह और जेपी नड्डा जी को तुरंत उनका इलाज कराना चाहिए. शायद सूरज के नीचे भाषण देने से उनके दिमाग पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है.   वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने भी पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा, "नारी शक्ति' से, आदमी अब 'मुजरा' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने पर उतर आया है." उन्होंने आगे कहा, “10 साल के पीआर और सावधानीपूर्वक तैयार की गई छवि के बाद, मोदी अब अपना असली रूप नहीं छिपा सकते. इतनी घटिया भाषा. यह सोच के भी डर लगता है कि प्रधानमंत्री के रूप में अपनी विदेश यात्राओं के दौरान वह क्या-क्या कहते होंगे.   *‘क्या ये एक प्रधानमंत्री की भाषा है?’* मनोज झा के हवाले ने कहा, ''वह (पीएम मोदी) जो कह रहे हैं उससे चिंतित हैं. मैं अब उसके बारे में चिंतित हूं. कल तक हम उनसे असहमत थे, अब हमें उनकी चिंता हो रही है. मैंने हाल ही में कहा था कि वह भव्यता के भ्रम का शिकार हो रहे हैं. 'मछली', मटन, मंगलसूत्र और 'मुजरा'... क्या यह एक पीएम की भाषा है?” उन्होंने आगे कहा, "मैं पहले प्रधानमंत्री से असहमत होता था. अब मुझे प्रधानमंत्री की चिंता हो रही है. वे मेरे देश के प्रधानमंत्री हैं, दुनिया में क्या सोचा जा रहा होगा कि मेरे देश के प्रधानमंत्री की राजनीतिक जुबान कैसी है. कौन सी फिल्में देख देख कर ये डायलॉग लिखे जा रहे हैं? अगर कोई ये कहने लगे कि मैं दैव्य रास्ते से आया हूं, मेरा जन्म बायोलॉजिकल तरीके से नहीं हुआ है, अगर हम और आप ये बात कहें तो लोग कहेंगे कि इसे डॉक्टर के पास ले चलो."   *क्या कहा था पीएम मोदी ने?* दरअसल, बिहार में काराकाट और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्रों में बैक-टू-बैक रैलियों को संबोधित करते हुए, पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “बिहार वह भूमि है जिसने सामाजिक न्याय की लड़ाई को एक नई दिशा दी है. मैं इसकी धरती पर घोषणा करना चाहता हूं कि मैं एससी, एसटी और ओबीसी को उनके अधिकारों से वंचित करने और उन्हें मुसलमानों की ओर मोड़ने की इंडिया ब्लॉक की योजनाओं को विफल कर दूंगा. गुलाम बने रह सकते हैं और अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए 'मुजरा' कर सकते हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 25, 2024

हाइपरटेंशन के शिकार डॉक्टरों ने बताया कैसे करें बचाव

नई दिल्ली, 25 मई 2024  (यूटीएन)। जब कभी आप डॉक्टर के पास किसी बीमारी के इलाज या परामर्श के लिए जाते हैं तो वह सबसे पहले आपका बीपी चेक करते हैं. क्योंकि आजकल ज्यादातर लोगों में हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) की परेशानी आम है. हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर माना जाता है जो व्यक्ति के शरीर को अंदर ही अंदर काफी नुकसान पहुंचाता है. हाइपरटेंशन से बचाव के लिए दिल्ली स्थित एम्स 17 मई से 25 मई तक हाइपरटेंशन सप्ताह मना रहा है. जिसके तहत अस्पताल में आए मरीज और उनके परिजनों को इस घातक बीमारी के बारे में जागरूक किया जा रहा है. एम्स की तरफ से हाइपरटेंशन को लेकर जागरूकता लाने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.   जिसमें डॉक्टरों ने इस बीमारी के कारण, लक्षण और इससे बचाव के बारे में काफी विस्तार से बताया. डॉक्टरों ने बताया कि देश में हाइपरटेंशन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसको ध्यान में रखते हुए एम्स कई योजनाएं बना रहा है. आने वाले समय में लोग आसानी से हाइपरटेंशन का इलाज करवा सकेंगे. उन्होंने कहा कि हाइपरटेंशन बीमारी का इलाज काफी कम दाम पर किया जा सकता है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में लगभग 22 करोड़ वयस्कों को उच्च रक्तचाप है और युवाओं में हाई बीपी की बढ़ती प्रवृत्ति देखने को मिल रही है.   मीडिया से बात करते हुए एम्स की डॉक्टर किरण गोस्वामी ने बताया कि आज युवाओं में हाइपरटेंशन की बीमारी ज्यादा देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, अपने खाने में अधिक नमक का सेवन, शारीरिक गतिविधि की कमी, अधिक वजन, तला भुना भोजन, फल और सब्जियों का कम सेवन और तनाव जैसे कई मुख्य कारण हैं. भोजन में हरी सब्जियों और फलों को शामिल कर, रूटीन में व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों को शामिल कर व तनाव से बचने जैसी आदतें अपनाकर हाइपरटेंशन से बचा जा सकता है.   *इस नई व्यवस्था से डॉक्टरों का दबाव होगा कम*   राजधानी के बड़े और नामी अस्पताल एम्स में जल्द ही फ्लेबोटोमिस्ट की नियुक्तियां की जाएंगी. ये नियुक्तियां डॉक्टरों के काम के दबाव को कम करने के उद्देश्य से की जा रही है. एम्स दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों के काम के दबाव को कम करने के लिए फ्लेबोटोमिस्ट नियुक्त किए जाएंगे. फ्लेबोटोमिस्ट उस स्टाफ को कहते हैं जो मरीजों को ग्लूकोज चढ़ाने और इंजेक्शन देने तक का कम करते हैं. इनकी अनुपस्थिति में ये काम रेजिडेंट डॉक्टरों को ही करना पड़ता है.   इन कार्यों के दबाव के कारण वो मरीजों के इलाज पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पाते हैं. इसलिए एम्स के कई रेजिडेंट डॉक्टरों, फैकल्टी और अन्य कर्मचारियों की ओर से लंबे समय से इन नियुक्तियों की मांग की जा रही थी. फ्लेबोटोमिस्ट की नियुक्ति के लिए एम्स के डायरेक्टर से कई बार मांग की गई, क्योंकि इससे डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों के लिए पर्याप्त समय की बचत हो सकती है. इसलिए एम्स दिल्ली में आउट सोर्सिंग के आधार पर फेलोबॉमी सेवा लेने के लिए खुली निविदा आमंत्रित किया गया है.   इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया गया है. इस आउटसोर्स सेवा प्रदाता कंपनी से अपेक्षा की जाएगी कि वे निर्धारित रोगी क्षेत्रों से दिन में कम से कम एक बार नियमित रक्त नमूना संग्रह के लिए पर्याप्त संख्या में फ्लेबोटोमिस्टों की नियुक्ति करें. आपातकालीन विभागों में चौबीस घंटे आधार पर फ़्लेबोटॉमी सेवाएं प्रदान करें.   *फ्लेबोटोमिस्ट की गैरमौजूदगी में रेजिडेंट डॉक्टर करेंगे ये काम*   बारकोड करना और एकत्र किए गए नमूनों को एम्स के भीतर संबंधित प्रयोगशालाओं तक पहुंचाना फ्लेबोटोमिस्ट की मुख्य जिम्मेदारी है. हालांकि, फ्लेबोटोमी की कला और विज्ञान सीखना रेजिडेंट डॉक्टर के कर्तव्यों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, फ़्लेबोटोमिस्टों को शामिल करने का इरादा केवल रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों पर भार कम करना है ताकि वे अन्य रोगी देखभाल पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकें.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 25, 2024

गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कर्मचारी कल्याण की दिशा में सक्रिय कदम

नई दिल्ली, 25 मई 2024  (यूटीएन)। कर्मचारी कल्याण को प्राथमिकता देने वाले एक सराहनीय कदम में, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय ने हील फाउंडेशन के सहयोग से अपने द्वारका परिसर में एक मुफ्त निवारक स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया। शिविर का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. महेश वर्मा ने किया। विश्वविद्यालय के लगभग 600 कर्मचारी अत्याधुनिक हेल्थ पॉड (एटीएम) का इस्तेमाल करके व्यापक स्वास्थ्य मूल्यांकन से गुजरेंगे। मोबाइल स्वास्थ्य जांच शिविर की सुविधा हील फाउंडेशन द्वारा की गई थी। निवारक स्वास्थ्य जांच शिविर का उद्घाटन करते हुए, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. महेश वर्मा ने कहा, “निवारक स्वास्थ्य सेवा सर्वोपरि है।   यह पहल हमारे मूल्यवान संकाय/विभाग और कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारी इस पहल की बहुत सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं,  और हम निकट भविष्य में इस कार्यक्रम को अपने अन्य परिसरों और कॉलेजों में विस्तारित करने की योजना बना रहे हैं। आज का निवारक स्वास्थ्य जांच शिविर हमारे कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। संभावित स्वास्थ्य समस्याओं का शीघ्र पता लगाने और उनकी रोकथाम के लिए चयापचय स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण बातों की नियमित निगरानी बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण है।   एटीएम जैसे दिखने वाले हेल्थ पॉड्स 20 महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों के लिए एक नान-इनवेलिव स्क्रीनिंग (बिना चार-फाड़ वाली जांच) प्रदान करते हैं, जिनमें एसपीओ2, रक्तदाब, बीएमआई, कमर और कूल्हे का अनुपात, हड्डियों में खनिज की मात्रा, नाड़ी, तापमान, विसेरल फैट (आंतों के आसपास जमा होने वाली वसा), शरीर की कोशिकाओं का द्रव्यमान, शरीर में वसा का प्रतिशत, वजन और ईसीजी शामिल हैं। शरीर से संबंधित ये बातें अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने और पुरानी बीमारियों को रोकने के लिए आवश्यक हैं।   हील फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. स्वदीप श्रीवास्तव ने निवारक स्क्रीनिंग के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “व्यापक निवारक स्वास्थ्य जांच की पेशकश करके, हम एक स्वस्थ कार्य वातावरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक सक्रिय कदम उठा रहे हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए जीजीएसआईपी विश्वविद्यालय के सभी परिसरों में इस सेवा का विस्तार करने के लिए तैयार हैं ताकि कोई भी कर्मचारी इसका लाभ उठाने से वंचित न रह जाए।   यह पहल ऐसे समय में आई है जब निवारक स्वास्थ्य उपायों को विश्व स्तर पर महत्व मिल रहा है। जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की बढ़ती घटनाओं के साथ, नियमित स्वास्थ्य जांच जरूरी हो गई है। हेल्थ पॉड्स द्वारा प्रदान की जाने वाली जांचे त्वरित और नान-इनवेसिव (बिना चार-फाड़ वाली) हैं और रिपोर्ट भी तुरंत मिल जाती है। इन विशेषताओं से यह व्यस्त पेशेवरों के लिए एक व्यावहारिक उपाय बन जाता है।   यह स्वास्थ्य जांच शिविर निवारक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य जागरूकता की संस्कृति के निर्माण के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप है। जब संस्थाएं स्वास्थ्य संरक्षकों की भूमिका निभाएंगी, तब  इसका प्रभाव स्वस्थ समुदायों और अधिक मजबूत कार्यबल में देखने को मिलेगा।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 25, 2024

एक बिहारी सब पर भारी'! 'भैया जी' के रोल में मनोज बाजपेयी ने जीता दिल

नई दिल्ली, 25 मई 2024  (यूटीएन)। बड़े बुजुर्गों के मुंह से एक कहावत तो आप सभी ने सुनी होगी कि जब शरीफ आदमी अपनी शराफत छोड़ता है तो बवाल ही मचाता है। वहीं, दूसरी कहावत ये भी सुनी होगी कि घायल शेर हमेशा ही ज्यादा खतरनाक होता है। अब आपको लग रहा होगा कि हम आपको ये कहावतें क्यों बता रहे हैं। दरअसल, मनोज बाजपेयी की फिल्म 'भैया जी' पर ये दोनों ही कहावतें एक दम सटीक बैठती हैं। हालांकि, पहली कहावत में थोड़ा सा बदलाव है।   क्योंकि मनोज फिल्म में पहले से शरीफ होते नहीं हैं, वो बाद में बनते हैं। वो हमेशा से ही शरीफों के लिए शरीफ और बदमाशों के लिए बदमाश होते हैं। उनकी फिल्म 'भैया जी' कुछ ऐसी ही है। इसमें दमदार एक्शन सीक्वेंस, इमोशन और रोंगटे खड़े कर देने वाले सीन्स हैं। इसे सिनेमाघरों में रिलीज कर दिया गया है। ऐसे में चलिए आपको उनकी इस मूवी के बारे में बताते हैं।   *कैसी है 'भैया जी' की कहानी?* 'भैया जी' की कहानी की शुरुआत बिहार से होती है, जहां रहते हैं राम चरण त्रिपाठी यानी कि भैया जी (मनोज बाजपेयी)। यहां मनोज का रौला तो गांव में ही नहीं बल्कि पूरे जिले और राज्य में होता है। उनका नाम सुनते ही लोग थर्र-थर्र कांपते हैं। यहां तक कि गुंडों और पुलिस अफसरों तक की पैंट गीली हो जाती है। शुरुआत में तो मनोज को फिल्म में काफी शरीफ दिखाया गया जाता है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है तो उनका रौला भी दिखता है और स्वैग भी। वो अपने परिवार, अपने लोगों और समाज के लिए जीते हैं।    लेकिन, बाद में कहानी कुछ ऐसा टर्न लेती है कि उन्हें अपने पुराने रूप में लौटना पड़ता है। एक प्रतिशोध की आग भभकती है और कहानी में ट्विस्ट लाती है। हालांकि, कहानी काफी कमजोर लगती है क्योंकि आप ऐसी कहानियों को पहले भी देख चुके हैं। जहां बदले की भावना को दिखाया गया हो। मगर, इसे दिखाने का तरीका जरा अलग है। कहानी में बिहारी टच है और दिल्ली-हरियाणा का भी टच दिखाया गया है। कमजोरा कहानी के साथ आपको दमदार एक्शन देखने के लिए मिलता है, जिसकी वजह से आप इसे इन्जॉय कर पाएंगे।   *मनोज बाजपेयी ने जीता दिल* इसके साथ ही बात की जाए 'भैया जी' में एक्टर्स की एक्टिंग की तो इसमें मनोज बाजपेयी ने 'भैया जी' के रोल में फैंस और दर्शकों का दिल जीत लिया। आपने एक कहावत और सुनी होगी 'एक बिहारी सब पर भारी'। अब ये कहावत फिल्म में मनोज पर एकदम फिट बैठती है। उनके इस किरदार को देखने के बाद आप ये कहने पर मजबूर हो जाएंगे कि उनके अलावा कोई और एक्टर इस रोल को प्ले नहीं कर सकता था। आपने देखा होगा कि हीरो के पास सिक्स पैक एब्स है और वो दमदार एक्शन कर रहा है लेकिन, यहां मनोज के पास ऐसा कुछ नहीं है।    उन्होंने बिहार के उस दबंग भैया जी का रोल प्ले किया है, जिसके पास सिक्स पैक एब्स और बॉडी नहीं बल्कि जिगर होता है। बिहारी होने और एक मंझे हुए कलाकार होने के नाते उन्होंने भैया जी के किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय किया है।वहीं, फिल्म में बाकी के किरदारों की बात की जाए तो एक्ट्रेस जोया हुसैन ने लाइमलाइट ही चुरा ली है।   वो इसमें मनोज बाजपेयी की लेडी लव बनी हैं मगर, एक्शन कर दर्शकों का दिल भी जीत लेती हैं। कहीं ना कहीं फिल्म में जोया का एक्शन मनोज के एक्शन सीन पर भारी पड़ता दिखता है। इसके साथ ही सुविंदर विक्की और जतिन गोस्वामी भी नेगेटिव भूमिका में खूब जंचते हैं। वहीं, विपिन शर्मा अपने किरदार से दर्शकों को गुदगुदाते हैं। स्क्रीन स्पेस उनका खास नहीं है लेकिन जितना भी है कमाल का है।   *फर्स्ट हाफ स्लो तो सेकंड हाफ में पलक भी नहीं झपका पाएंगे* अब अगर 'भैया जी' के डायरेक्शन की बात की जाए तो इसका निर्देशन अपूर्व सिंह कार्की ने किया है। वो मनोज के साथ फिल्म 'एक बंदा काफी है' में काम कर चुके हैं। 'भैया जी' के जरिए दोनों ने दूसरी बार साथ काम किया है। अपूर्व इसे दो घंटे में ही खत्म कर सकते थे। फिल्म की कुछ कड़ी ऐसी है, जिसे देखने के बाद लगता ही नहीं है कि उसकी ज्यादा जरूरत थी। इसके साथ ही फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी स्लो होता है। एक कड़ी ऐसी आती है, जिसमें लगता है कि इंटरवल हो गया लेकिन असल में वो होता नहीं है।   फर्स्ट हाफ में समझ नहीं आता है कि क्या, क्यों और कैसे हो गया। कहानी आगे बढ़ती है और सेकंड हाफ आता है तो मजा आना शुरू हो जाता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अपूर्व ने अच्छा निर्देशन किया है, मगर कुछ कमियों को भी नकारा नहीं जा सकता है।   *मनोज तिवारी ने फूंकी जान* अब आते हैं फिल्म 'भैया जी' के गाने और म्यूजिक पर। इसके गाने और म्यूजिक तो कमाल के हैं, जो आपको रिजनल सिनेमा से जोड़ता है। हिंदी के साथ भोजपुरी का टच कमाल का दिया हुआ है। फिल्म की शुरुआत में ही समा बंध जाता है। पहला ही आइटम सॉन्ग 'चक्का जाम हो जाई' आता है तो आप झूमने पर मजबूर हो जाते हैं। इसमें आपको बिहार के रीति-रिवाज भी देखने के लिए मिलते हैं, जो फिल्म की कहानी से आपको जोड़ने का काम करते हैं। वहीं, फिल्म में मनोज तिवारी ने जान ही फूंक दी है।   उनकी आवाज में दो गाने 'कौने जनम के बदला' और 'बाघ के करेजा' गाया है। 'कौने जनम के बदला' जहां इमोशनल गाना है और दिल को छूता है वहीं, 'बाघ के करेजा' रोम-रोम में जोश भर देता है और कहानी की कड़ी को मजबूत बनाता है। इसके साथ ही बैकग्राउंड म्यूजिक की बात की जाए तो ये भी कमाल का है, जो फिल्म से जोड़ता है। फिल्म की हर कड़ी से इसका म्यूजिक आपको कनेक्ट करता है। कुल मिलाकर आप बिना फिल्म देखे अपनी कुर्सी नहीं छोड़ पाएंगे।   *फिल्म देखनी चाहिए या नहीं* अंत में फिल्म 'भैया जी' की बात की जाए कि इसे देखना चाहिए या नहीं तो आपको बता दें कि आप इसे देख सकते हैं। फुल पैसा वसूल मूवी है। इसमें मनोज बाजपेयी का एक्शन अवतार है। साथ ही ये उनकी 100वीं फिल्म भी है। अगर आप मनोज की एक्टिंग के मुरीद हैं तो इस मूवी को जरूर पसंद करेंगे। साथ ही उनका एक्शन अवतार और बिहार की दबंगई आपको खूब पसंद आएगी। फिल्म फैमिली एंटरटेनर है। एक्शन है मगर खून-खराबे की भरमार नहीं है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 25, 2024

कालका की इनफॉर्मल मीटिंग सहायक मंडल अभियंता/शिमला के साथ शाखा सचिव विकास तलवाड़ की अध्यक्षता में संपन्न हुई

कालका, 22 मई 2024  (यूटीएन)। उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन, वर्कशॉप ब्रांच, कालका की इनफॉर्मल मीटिंग सहायक मंडल अभियंता/शिमला के साथ शाखा सचिव  विकास तलवाड़  की अध्यक्षता में संपन्न हुई। जिसमे विशेष तौर पर रेलवे आवासों में आ रही पानी की कमी को दूर करने पर जोर दिया गया व पानी की समस्या को जल्द से जल्द दूर करने का निर्देश दिया गया। शाखा सचिव  विकास तलवाड़ द्वारा पानी की कमी को देखते हुए प्रशासन से पूरी जानकारी ली गयी। इस मौके पर प्रशासन की तरफ से एसएसई/डब्ल्यू/केएलके और जेई/डब्ल्यू/केएलके और एसएसई/पावर/केएलके और यूनियन की तरफ से शाखा अध्यक्ष प्यारेलाल, सहायक मंडल सचिव (वर्कशॉप) रविन्द्र शर्मा, जैल सिंह, कपिल देव नेगी, अवतार सिंह पदाधिकारी मौजूद रहे। इस मीटिंग में निम्न बिंदुओं पर वार्तालाप हुआ। सभी रेलवे कॉलोनी में पानी की सप्लाई की सुचारूरूप से व्यवस्था करना। वाशिंग लाईन पर प्रयोग हो रहे पानी को 27 मई 2024 से 15 जुलाई 2024 तक बंद कर उस पानी की सप्लाई को रेलवे आवासों में देना। जोन वर्क में जो कार्य प्रसासन द्वारा करवाये जा रहे है । यूनियन द्वारा दिये गये एजेंडे में जिन कर्मचारियों की कार्य करवाने के लिए शिकायत आई हुई है उन कर्मचारियों के कार्य प्राथमिकता के आधार पर करवाना। स्पोर्टस ग्राउंड के चारों तरफ फुटपाथ बनाना।    लोअर ब्रॉड गेज के पार्क में बच्चों के लिए झूला लगाना। पानी की सप्लाई का समय वर्कशॉप की ड्यूटी को ध्यान में रखकर बनाना। रेलवे फाटक व आर्मी गेट के पास टूटे हुए रोड को ठीक करना। सभी रेलवे कॉलोनी में जितने भी टूटे हुए कूड़ेदान बने हुए है। उनको रिपेयर करवाना। सभी रेलवे कॉलोनी के सिवरेज हॉल जिनके ढक्कन टूटे हुए व खुले पड़े है सुरक्षा की दृष्टि से प्राथमिकता के आधार पर बंद करवाना। जिससे भविष्य में कोई भी दुर्घटना नही घट सके।   उपरोक्त बिंदुओ पर बहुत ही सकारात्मक माहौल में वार्तालाप हुआ। जिस पर सहायक मंडल अभियंता/शिमला द्वारा यूनियन द्वारा दिये गये एजेंडे पर तुरंत प्रभाव से कार्य करने के आदेश दिए गये। और जल्द से जल्द सभी समस्याओं को हल करने का आश्वासन दिया गया।    हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

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May 22, 2024

भाजपा की स्टार प्रचारक वानती श्रीनिवासन ने कालका में निकाला भव्य रोड शो

पंचकूला, 22 मई 2024  (यूटीएन)। भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को कालका में रोड शो करके शक्ति प्रदर्शन किया। भाजपा की स्टार प्रचारक एवं महिला मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष  वानती श्रीनिवासन ने कालका में अंबाला लोकसभा प्रत्याशी बंतो कटारिया के समर्थन में भव्य रोड शो निकाला और लोगों से कमल के फूल पर वोट देने की अपील की। इस रोड शो में महिला मोर्चा ने जोश और उत्साह के साथ हिस्सा लेते हुए जमकर भारत माता की जय, मोदी जिंदाबाद, जय भाजपा तय भाजपा के नारे लगाए।   युवाओं, महिलाओं और हज़ारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने भी रोड शो में भाजपा के झंडे लहराते हुए जय श्रीराम के नारे लगाए। रोड शो के दौरान स्टार प्रचारक वानाथी श्रीनिवासन ने युवाओं और महिलाओं में जोश भरते हुए कहा कि यह चुनाव युवाओं का उल्लवल भविष्य तय करेगा।   श्रीनिवासन ने ऑस्कर रिजोर्ट से काली माता मंदिर तक रोड शो निकाला। इस दौरान उनके साथ भाजपा उम्मीदवार बंतो कटारिया, जिलाध्यक्ष दीपक शर्मा, पूर्व विधायक लतिका शर्मा, कालका विधानसभा चुनाव प्रभारी विशाल सेठ, विधानसभा संयोजक विनोद सावर्णी मौजूद रहे। भीषण गर्मी के बीच रोड शो के दौरान जगह-जगह फूल मालाओं और फूल बरसाकर रोड शो में श्रीनिवासन का स्वागत किया गया।     हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

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May 22, 2024

राजकीय माॅडल स्कूल के 1000 विद्यार्थियों ने हाथों में स्लोगन व पेंटिंग लेकर जागरूकता के नारे लगाते हुए रैली से मतदान के प्रति किया जागरूक

पंचकूला, 22 मई 2024  (यूटीएन)।  उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डा. यश गर्ग के मार्गदर्शन में लोकसभा आम चुनाव-2024 के लिए 01-कालका विधानसभा में सब्जी मंडी कालका में मतदाताओं को जागरूक करने के लिए स्वीप के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्वीप नोडल अधिकारी एवं अतिरिक्त उपायुक्त सचिन गुप्ता के नेतृत्व में राजकीय माॅडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल कालका के विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटक किया व जागरूकता रैली निकाली।    सब्जी मंडी में वोटिंग का प्रतीक उंगली की प्रतिमा बनाई गई। जहां पर बुधवार सुबह राजकीय माॅडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल के करीब 1000 विद्यार्थी इकट्ठा हुए। यहां पर जागरूकता का संदेश देने वाला नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा ‘वाइस आॅफ कालका‘ काॅमिक का विमोचन किया गया।   इसके उपरांत 1000 विद्यार्थियों ने सब्जी मंडी से शुरू होकर गांधी चैक से होते हुए राजकीय माॅडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल तक रैली में हिस्सा लिया। इस दौरान हाथों में स्लोगन व पेंटिंग लेकर मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए जागरूकता नारे लगाए।   अतिरिक्त उपायुक्त एवं स्वीप नोडल अधिकारी सचिन गुप्ता ने कहा कि एआरओ कालका ने आज स्वीप कार्यक्रम के तहत जागरूकता रैली निकाली है। बच्चों से चुनाव पर पेंटिंग भी बनवाई गई थी। बच्चों से अपील है कि वो अपने माता-पिता को वोट डालने के लिए जरूर भेजें। साथ में अपने पड़ोसियों को भी मतदान केन्द्र पर मतदान के लिए लेकर जाएं।   उन्होंने कहा कि हर नागरिक को वोट के अधिकार के प्रति जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बच्चों से अपील की कि वो अपने माता-पिता के मतदान के बाद उंगली के स्याही के निशान वाली फोटो लेकर एप पर अपलोड करें। ड्रा के माध्यम से बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा।   एसडीएम एवं एआरओ कालका लक्षित सरीन ने बताया कि चुनाव में समाज के हर वर्ग को हिस्सा लेना चाहिए। चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की कोई समस्या या शिकायत को प्रशासन तक फोन काॅल, एप व स्वयं प्रस्तुत होकर पहुंचा सकते हैं। प्रशासन द्वारा गठित टीमें समय रहते उनकी शिकायतों पर एक्शन लेंगी और उनका समाधान करेंगे।   उन्होंने कालका के लोगों से 25 मई का मतदान करने की अपील की। इस कार्यक्रम में एसीपी जोगिन्द्र शर्मा, तहसीलदार कालका विवेक, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी पिंजौर विनय प्रताप, राजकीय माॅडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल राजकुमार आर्य, नायब तहसीलदार कालका साहिल, नायब तहसीलदार मोरनी राकेश खुराना समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।   हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

Ujjwal Times News

May 22, 2024

बलिदान और शौर्य संग मन में कई सवाल लिए जब संसद भवन से विदा हुए भावुक सीआरपीएफ जांबाज

नई दिल्ली, 22 मई 2024  (यूटीएन)। देश का सबसे बड़ा केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ', जिसकी स्थापना आजादी से पहले 1939 में हो गई थी। सीआरपीएफ के पूर्व आईजी कमलकांत शर्मा, इस फोर्स को सभी बलों की 'गंगोत्री' बताते हैं। इसी बल का एक समूह, जिसे पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप (पीडीजी) कहा जाता है, इसके जवान और अधिकारी, पिछले सप्ताह उदास हो गए। बलिदान और शौर्य के संग जब संसद भवन से पीडीजी जांबाजों की विदाई हुई, तो वे भावुक हो उठे। किसी का मन उदास था तो कुछ जवानों की आंखें भर आई थीं।   करीब डेढ़ दशक से संसद भवन की अचूक सुरक्षा करने वाले 'पीडीजी' को यूं अपनी विदाई रास नहीं आई। यहां बात 'पीस पोस्टिंग' की कतई नहीं है। सीआरपीएफ को हटाकर सीआईएसएफ को संसद की सुरक्षा सौंपना, ये भी एतराज की बात नहीं थी। भावुक पीडीजी के मन में कई सवाल उठ रहे थे कि 'बलिदान और शौर्य' के बावजूद, उन्हें इस तरह से क्यों हटाया गया। आखिर हमारी ड्यूटी में कहां पर कमी रह गई।   *संसद भवन की सुरक्षा से क्यों हटाया गया?*   पीडीजी के लिए पिछला सप्ताह बहुत अहम रहा। हालांकि उन्हें संसद भवन से विदाई का मैसेज कई दिन पहले ही मिल चुका था। पीडीजी के सभी जवानों और अधिकारियों ने संसद भवन के पुराने परिसर के सामने खड़े होकर आखिरी फोटो खिंचवाई। लंबे समय से इस बल का हिस्सा रहे एक जवान से जब पूछा गया, तो वह भावुक हो उठा। कुछ लोग, यह कह रहे हैं कि सीआरपीएफ के लिए ये 'पीस पोस्टिंग' थी, अब वह सहूलियत छीन गई है। ऐसा तो कतई नहीं है। ये बल तो कश्मीर, नक्सल प्रभावित क्षेत्र और उत्तर पूर्व में दशकों से तैनात है। ऐसे में ये बात तो कहीं से भी जायज नहीं है। हम दो तीन दिन से सो नहीं पा रहे थे। मन में एक ही सवाल था। आखिर हमें एकाएक संसद भवन की सुरक्षा से क्यों हटाया गया।   गत वर्ष 13 दिसंबर को संसद भवन की सुरक्षा में बड़ी चूक सामने आई थी। उस दिन संसद भवन पर हुए हमले की 22वीं बरसी थी। कुछ लोग संसद में घुस गए थे। उसमें पीडीजी की क्या चूक थी, ये किसी ने नहीं बताया। घटना की जांच के लिए जो कमेटी बनी थी, उसमें सामने आया था कि फ्रिस्किंग/चेकिंग का काम तो दिल्ली पुलिस का था। पास वेरिफिकेशन भी दिल्ली पुलिस के नियंत्रण में था। जांच रिपोर्ट में सीआरपीएफ की कोई कमी नहीं मिली। इसके बावजूद सरकार ने पीडीजी को हटाने का निर्णय ले लिया।   *सभी फोर्स की गंगोत्री है सीआरपीएफ*   बल के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, ये सीआरपीएफ के जवानों और अफसरों के लिए निराशाजनक फैसला था। फोर्स के उत्साह को कमजोर करने वाला था। खास बात है कि पीडीजी को हटाने का फैसला, जिस कमेटी की रिपोर्ट पर हुआ है, उसके अध्यक्ष तो खुद सीआरपीएफ डीजी थे। सीआरपीएफ के पूर्व आईजी कमलकांत शर्मा के मुताबिक, देखिये वैसे तो सभी फोर्स की नेचर ऑफ ड्यूटी अलग रहती है। हर कोई अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता रखता है। लौह पुरुष सदार पटेल, इस फोर्स के जनक हैं। जब हम कहते हैं कि 1939 में स्थापित हुई सीआरपीएफ, सभी फोर्स की गंगोत्री है, तो उसमें कुछ गलत नहीं है। इस बल की अधिकांश नफरी तो पूरी तरह से ऑपरेशनल एरिया में रहती है।   लॉ एंड ऑर्डर में भी ये फोर्स अग्रणी है। कहीं भी कोई आपदा आती है तो सिर्फ यह कहा जाता है कि प्लेन तैयार है, आपके पास तीस मिनट हैं। किसी भी जगह पर जवान/अफसर को, तीन साल स्थायित्व के नहीं मिल पाते। 2001 के संसद हमले में इन जवानों ने आतंकियों को करारा जवाब दिया था। लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा की थी। ऐसे में अब बिना किसी वजह के पीडीजी को हटाना, कई सवाल खड़े करता है। इस ड्यूटी के लिए अगर सीआरपीएफ और सीआईएसएफ का मर्जर करते तो ठीक रहता। दोनों बलों के पास अपनी एक विशेषता है। स्थायित्व और अनुभव, यह मेल एक बेहतर सुरक्षा दायरा स्थापित कर सकता था।   *हारी टीम बदली जाती है, जीती हुई नहीं* सीआरपीएफ के पूर्व सहायक कमांडेंट सर्वेश त्रिपाठी कहते हैं, हर फोर्स में जवान बहादुर ही होते हैं। सभी बलों की अपने क्षेत्र में एक विशेज्ञता होती है। ऐसी कोई ड्यूटी नहीं होगी, जहां इस बल ने खुद को स्थापित न किया हो। श्रीनगर एयरपोर्ट से हटाया, इस बल को कोई दिक्कत नहीं हुई। संसद भवन की सुरक्षा से हटाना, ये बात कष्ट प्रदायक है। जांबाजों के मनोबल को कमजोर करने वाली है। अब 'राम मंदिर' की सुरक्षा से सीआरपीएफ को हटाने की चर्चा है। ऐसी जगहों की सुरक्षा के लिए इस बल ने शहादत दी है। असीम शौर्य का प्रदर्शन किया है। संसद भवन से क्यों हटाया जा रहा है, इसका कोई कारण तो बताएं। जवानों के मन में सवाल उठना लाजमी है।   आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर इस बल की कामयाबी किसी से छिपी नहीं है। हारी हुई टीम को बदला जाता है, जीती हुई को नहीं। पीडीजी के मामले में यह बात उलट हो रही है। पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप की ट्रेनिंग एवं उपकरणों पर पैसा खर्च हुआ है। ये एक स्पेशल फोर्स थी। ऐसे में यहां से पीडीजी को हटाए जाना, जवानों के लिए एक भावुक पल तो है ही। साल 2012 से लेकर अब तक पीडीजी, 16 सितंबर को बतौर स्थापना दिवस मनाता रहा है।   *संसद को किसी भी तरह के हमले से बचाना* पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप, जिसकी नफरी करीब डेढ़ हजार बताई गई है, उसका एक ही मकसद था, किसी भी तरह के हमले से संसद को बचाना। पीडीजी के गठन से पहले भी सीआरपीएफ ने लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा की है। 13 दिसंबर 2001 को संसद पर आतंकवादी हमला हुआ। पाकिस्तान के आतंकी संगठन 'लश्कर-ए-तैयबा' और 'जैश-ए-मोहम्मद' के पांच दहशतगर्द, संसद भवन परिसर में घुस गए थे। सीआरपीएफ की सिपाही कमलेश कुमारी ने आतंकियों की गाड़ी को रोकने का प्रयास किया।   उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। संसद भवन के दरवाजे बंद होने के बाद सीआरपीएफ जवानों ने मोर्चा संभाला। सभी आतंकवादी मारे गए। महिला सिपाही के अलावा दिल्ली पुलिस और पार्लियामेंट में तैनात दूसरी सेवाओं के कई लोग मारे गए थे। कांस्टेबल कमलेश कुमारी को अशोक चक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया गया। हवलदार यम बहादुर थापा, कांस्टेबल डी संतोष कुमार, कांस्टेबल सुखविंदर सिंह और सिपाही श्याबीर सिंह को शौर्य चक्र से नवाजा गया।   *आतंकियों को संसद भवन में नहीं घुसने दिया* आतंकियों की गोली से लहूलुहान हुए सीआरपीएफ के हवलदार वाईबी थापा और सिपाही सुखविंद्र सिंह ने मानव बम को संसद में प्रवेश नहीं करने दिया। आतंकियों में शामिल मानव बम, जो संसद के गेट नंबर एक से अंदर पहुंचने के प्रयास में था, को पहले ही ढेर कर दिया। अगर मानव बम बने आतंकी को तीस सेकेंड का समय मिल जाता, तो उसका संसद भवन के भीतर पहुंचना तय था। सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर कमलेश कुमारी संसद भवन परिसर के गेट नंबर 12 के स्कैनर पर तैनात थी। उसने देखा कि विजय चौक से एक कार, जिस पर गृह मंत्रालय और संसद भवन का स्टीकर लगा हुआ था, गेट नंबर 12 की तरफ आ रही है। जैसे ही वह कार निकट पहुंची, तो उसमें से चार आतंकी बाहर निकले।   वह गेट बंद करने के लिए दौड़ी। हालांकि इस दौरान वह वायरलेस सेट पर कंट्रोल रूम को सूचना भी दे रही थी। दोबारा से अपनी पिकेट पर पहुंचने के बाद कमलेश ने आसपास के जवानों को चेताया। तभी उसकी नजर मानव बम पर पड़ी। जैसे ही उसने यह सूचना कंट्रोल रूम को दी, उसी वक्त गेट नंबर 11 की ओर से कई आतंकी उसकी तरफ आ रहे थे। हाथ में वायरलेस सेट लिए वह पिकेट से बाहर निकली। उसी दौरान आतंकियों ने उस पर लगातार गोलियों बौछार कर दी। उसकी सूचना पर ही सीआरपीएफ ने सारा घटना क्रम समझकर आतंकियों को ढेर किया था।   *इससे जवानों के मनोबल पर क्या असर पड़ेगा* सीआरपीएफ के मौजूदा एवं पूर्व अधिकारियों का कहना है, संसद भवन से पीडीजी को हटाने के बारे में तर्क आधारित विचार विमर्श नहीं किया गया। न तो अतीत देखा गया और न ही भविष्य की सुरक्षा। सीआरपीएफ ने सुरक्षा के मोर्चे पर कितना कुछ किया है, मगर उसे एक झटके में किनारे कर दिया गया। इससे जवानों के मनोबल पर क्या असर पड़ेगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। श्रीनगर एयरपोर्ट की सुरक्षा करने में इस बल ने कोई कसर बाकी नहीं रखी। वहां से भी हटा दिया गया।   जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने 5 जुलाई 2005 को अयोध्या के राम मंदिर परिसर में हथगोलों व राकेट लांचर से ताबड़तोड़ हमला किया था। मंदिर परिसर की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ जवानों ने पांचों आतंकियों को मुख्य स्थल तक पहुंचने से पहले ही ढेर कर दिया था। अब वहां की सुरक्षा की समीक्षा चल रही है। सूत्रों का कहना है कि मंदिर परिसर से सीआरपीएफ को हटाया जा रहा है।   *जांबाजी के बारे में नहीं सोचा गया* संसद भवन में गत वर्ष जो कुछ हुआ, कुछ हुआ उसके लिए सीआरपीएफ की तकनीकी तौर पर कोई जिम्मेवारी ही नही थी। जांच और रिव्यू कमेटी के मुखिया तो सीआरपीएफ के ही मौजूदा डीजी रहे हैं। जम्मू के रघुनाथ मंदिर या अयोध्या मंदिर का हमला हो, सीआरपीएफ ने अपना लोहा मनवाया है। कृष्ण जन्मभूमि मथुरा, बाबा विश्वनाथ वाराणसी जैसे कई बड़े धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सीआरपीएफ करती रही है।   बनिहाल-काजीकुंड टनल के बनने से पूर्व तक और अब भी भारत के शेष हिस्से को कश्मीर से जोड़ने वाली जवाहर टनल की सुरक्षा, सीआरपीएफ जवान कर रहे हैं। वीआईपी सुरक्षा मुहैया कराने वाला यह बल एक विशेष फोर्स का दर्जा पा चुका है। संसद भवन की सुरक्षा से हटाते वक्त इस बल की जांबाजी के बारे में नहीं सोचा गया।   *दो बटालियनों में विभाजित होगा पीडीजी दस्ता* संसद भवन की पुख्ता सुरक्षा के लिए 'पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप' (पीडीजी) का गठन किया गया था। इस विशेष बल में लगभग 1600 जवानों को रखा गया। इसके अलावा एक डीआईजी, एक कमांडेंट, एक टूआईसी, छह डिप्टी कमांडेंट और 14 सहायक कमांडेंट को पीडीजी का हिस्सा बनाया गया।   अब पीडीजी दस्ते को दो बटालियनों में विभाजित कर उसे सीआरपीएफ की वीआईपी सुरक्षा में शामिल किया जाएगा। बल के सूत्रों का कहना है कि संसद भवन हो या राम मंदिर की सुरक्षा, यह बल तय सुरक्षा मानकों पर सदैव खरा उतरा है। इस तरह का निर्णय केंद्रीय गृह मंत्रालय के स्तर पर होता है।   *पीडीजी, कोई सामान्य बल नहीं था* 13 दिसंबर 2023 की घटना के बाद उच्च स्तरीय बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए थे। सीआरपीएफ डीजी अनीश दयाल सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी भी गठित की गई थी। इन सबके बाद ही यह निर्णय लिया गया कि संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंप दी जाए। पीडीजी, कोई सामान्य बल नहीं था। इसे सुरक्षा के कड़े एवं उच्च मानकों के आधार पर प्रशिक्षित किया गया था। अब लगभग 1600 जवानों और अफसरों को यहां से हटाया जा रहा है।   भले ही ये पॉलिसी मैटर हो, लेकिन वर्षों से संसद भवन की सुरक्षा कर रहे पीडीजी को हटाने का औचित्य नजर नहीं आता। आतंकियों और नक्सलियों को खात्मा करने और सुरक्षा के अन्य मोर्चों पर अपना दमखम दिखाने वाले बल के अधिकारी एवं जवान, पीडीजी को हटाने के निर्णय से खुश नहीं हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 22, 2024

एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया के तत्वाधान में वर्ल्ड फैमिली डॉक्टर डे मनाया गया

नई दिल्ली, 22 मई 2024  (यूटीएन)। इस बार पूरे भारत में एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया के तत्वाधान में समस्त भारत में  वर्ल्ड फैमिली डॉक्टर डे मनाया गया।  दिल्ली में इस अवसर पर  महाराजा अग्रसेन अस्पताल पंजाबी बाग दिल्ली में एक दिवस कॉन्फ्रेंस का आयोजन फैमिली डॉक्टर के स्वास्थ व्यवस्था में महत्व पर आयोजित किया गया। समारोह का उद्घाटन करते हुए महाराजा अग्रसेन अस्पताल ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री सुभाष गुप्ता ने कहा की सुपर स्पेशलिटी के इस दौर में फैमिली डॉक्टर की तरफ लौटना चाहिए। आपका फैमिली डॉक्टर हमेशा सच्ची सलाह देता है।      एकेडमी ऑफ़ फैमिली फिजिशियन ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष डॉक्टर रमन कुमार ने बताया कि भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के द्वारा कैसे फैमिली डॉक्टर की चिकित्सा विधि फैमिली मेडिसिन को बढ़ावा दिया जा रहा है। कई राज्यों में फैमिली डॉक्टर की नियुक्ति सरकारी अस्पतालों में किया जा रहा है। नेशनल मेडिकल कमीशन कानून 2019 में फैमिली मेडिसिन को विशेष महत्व दिया गया है। समारोह की आयोजक डाक्टर वंदना बूबना अग्रवाल ने पूरे भारत से आए फैमिली डॉक्टर का स्वागत किया।      उन्होंने कहा की कोविड काल में फैमिली डॉक्टर के महत्व को समझा गया जब सरकार ने घर में ही चिकित्सा की नीति बनाई। सभी फेमिली डाक्टर ने अपने आस पास के लोगों की जान बचाई। फैमिली डॉक्टर के बिना किसी स्वास्थ्य वव्यस्था की कल्पना नहीं को जा सकती है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 22, 2024

मैडॉक फिल्म्स ने भारत के पहले सीजीआई अभिनेता 'मुंज्या' का दिलचस्प टीज़र जारी किया

नई दिल्ली, 22 मई 2024  (यूटीएन)। स्त्री की सफलता के बाद, मैडॉक फिल्म्स सभी के लिए, खासकर अगली पीढ़ी और बच्चों के लिए गर्मी से बचने के लिए एक बेहतरीन फिल्म के साथ मानक बढ़ाने के लिए तैयार है, जिसमें भारत के पहले सीजीआई अभिनेता 'मुंज्या' को दिखाया गया है, जो किसी भी अन्य की तुलना में एक रोमांचकारी अनुभव का वादा करता है।   फिल्म का अनावरण किया गया टीज़र 'मुंज्या' की दुनिया की एक झलक पेश करता है, जो दर्शकों को रहस्यमयी 'मुन्नी' की निरंतर खोज के बारे में उत्सुक बनाता है। यह डरावनी लेकिन हास्यपूर्ण झलक दर्शकों को इस अनोखे प्राणी और उसकी खोज के पीछे के रहस्यों को जानने के लिए उत्सुक बनाती है।   स्त्री, पुरुषों को परेशान करने वाली चुड़ैल और भेड़िया, भयानक वेयरवोल्फ जैसे आकर्षक पात्रों के साथ भारतीय सिनेमा को पेश करने के बाद, मैडॉक फिल्म्स अब हमें एक अलग तरह का राक्षस दे रहा है।  मुंज्या न केवल बात कर सकता है और चल-फिर सकता है, बल्कि दर्शकों के दिलों में डर पैदा करने में भी कामयाब होता है, जो इस शैली में एक अनूठा मोड़ जोड़ता है।   यह फिल्म अत्याधुनिक तकनीक के प्रति दिनेश विजन की प्रतिबद्धता को एक कदम आगे ले जाती है, यह पहली भारतीय फीचर फिल्म बन गई है, जिसमें पूरे रनटाइम में एक पूर्ण विकसित सीजीआई प्राणी है। ट्रेलर 24 मई को जारी किया जाएगा।   शरवरी, मोना सिंह, अभय वर्मा और सत्यराज अभिनीत, आदित्य सरपोतदार द्वारा निर्देशित यह फिल्म ‘मुंज्या’ के इर्द-गिर्द घूमती है, जो भारतीय विश्वास और सांस्कृतिक व्यवस्था की दुनिया से एक निहित मिथक है। मुंज्या 7 जून 2024 को बड़े पर्दे पर आने वाली है, इसलिए चीखने-चिल्लाने के लिए तैयार हो जाइए।   आदित्य सरपोतदार द्वारा निर्देशित “मुंज्या” और दिनेश विजन और अमर कौशिक द्वारा निर्मित – मैडॉक फिल्म्स प्रोडक्शन 7 जून को सिनेमाघरों में।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 22, 2024