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मुस्लिम महिला पति से कर सकती है गुजारा भत्ता की मांग', सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने अहम निर्णय में फिर साफ किया है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत एक मुस्लिम महिला पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है. एक मुस्लिम शख्श ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये अहम फैसला दिया है. मोहम्मद अब्दुल समद नाम के शख्स ने याचिका दायर की थी.   जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश के खिलाफ मोहम्मद अब्दुल समद के जरिए दायर याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने माना कि 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986' धर्मनिरपेश कानून पर हावी नहीं हो सकता है. जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस मसीह ने अलग-अलग, लेकिन सहमति वाले फैसले दिए. हाईकोर्ट ने मोहम्मद समद को 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था.   *सभी महिलाओं पर लागू होती है धारा 125* जस्टिस नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, "हम इस निष्कर्ष के साथ आपराधिक अपील खारिज कर रहे हैं कि सीआरपीसी की धारा 125 सभी महिलाओं पर लागू होती है, न कि सिर्फ शादीशुदा महिला पर. कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि अगर सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आवेदन के लंबित रहने के दौरान संबंधित मुस्लिम महिला का तलाक होता है तो वह 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019' का सहारा ले सकती है. कोर्ट ने कहा कि 'मुस्लिम अधिनियम 2019' सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उपाय के अलावा अन्य समाधान भी मुहैया कराता है.    *क्या है सीआरपीसी की धारा 125?* सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि सीआरपीसी की धारा 125 एक धर्मनिरपेक्ष प्रावधान है, जो मुस्लिम महिलाओं पर भी लागू होती है. हालांकि, इसे 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986' के जरिए रद्द कर दिया गया था. इसके बाद 2001 में कानून की वैधता को बरकरार रखा गया. सीआरपीसी की धारा 125 पत्नी, बच्चे और माता-पिता को भरष-पोषण का प्रावधान करती है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर चिकित्सा पेशेवरों का राष्ट्रीय गठबंधन बनाया

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर चिकित्सा पेशेवरों का राष्ट्रीय गठबंधन (एनएएमपी-एएमआर) बनाकर एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। यह अग्रणी पहल देश भर के 52 चिकित्सा विशेषज्ञ संगठनों/संघों के नेताओं और प्रतिनिधियों को एक साथ लाती है, जो इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संकट के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए एक साझा मंच पर एकजुट होते हैं।   भारतीय चिकित्सा संघ द्वारा एनएएमपी-एएमआर का गठन एएमआर की मूक महामारी से निपटने के लिए एक ठोस राष्ट्रीय प्रयास की शुरुआत है जो हमारे देश के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा है। अकेले 2019 में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध 297,000 मौतों के लिए जिम्मेदार था और हमारे देश में 1,042,500 मौतों से जुड़ा था। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेतृत्व में एनएएमपी-एएमआरका उद्देश्य इस संकट का सीधा समाधान करना है।     एनएएमपी-एएमआर के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र सैनी ने देश को खतरे में डालने वाली  की मूक महामारी को रेखांकित किया। "एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध हमारे राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है। 2019 में, हमारे देश में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के कारण 297,000 मौतें हुईं और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध से जुड़ी 1,042,500 मौतें हुईं।डॉ. सैनी ने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ द्वारा एनएएमपी-एएमआर का गठन इस संकट से सीधे निपटने के लिए एक ठोस राष्ट्रीय प्रयास की शुरुआत है।   नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल द्वारा प्रतिनिधित्व की गई सरकार ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध को संबोधित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। डॉ. पॉल ने समृद्धि, जीडीपी और विभिन्न स्वास्थ्य पहलुओं सहित विकसित भारत पर एएम के संभावित प्रभाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने आईएमए की एनएएमपी-एएमआर पहल की सराहना की और इसे सही दिशा में उठाया गया सही कदम बताया। डॉ. पॉल ने इसे राष्ट्रीय आंदोलन बनाने के लिए सभी संगठनों को एक बैनर के तहत एकजुट करने की आवश्यकता पर जोर दिया।   डब्ल्यूएचओ इंडिया की उप प्रमुख सुश्री पेडेन ने एएमआर को संबोधित करने की वैश्विक तात्कालिकता पर जोर दिया और इसे 2050 तक मृत्यु का संभावित प्रमुख कारण बताया। उन्होंने इस वैश्विक खतरे के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया। डब्ल्यूएचओ के एएमआर और आईपीसी के लिए टीम फोकल प्वाइंट डॉ. अनुज शर्मा ने एनएएमपी-एएमआर के गठन के लिए एक साथ आए सभी 52 चिकित्सा संगठनों/संघों के प्रति आभार व्यक्त किया।   चिकित्सा पद्धति की गुणवत्ता में सुधार के लिए उन्नत चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने एंटीबायोटिक दवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग कब और कैसे किया जाए, यह समझने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला। बुनियादी बातों से शुरू करके और चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करके, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रथाओं में योगदान दे सकते हैं और एएमआर से लड़ सकते हैं।   एएमआर पर चिकित्सा पेशेवरों का राष्ट्रीय गठबंधन हमारे समय की सबसे गंभीर स्वास्थ्य आपात स्थितियों में से एक को संबोधित करने के लिए एक एकीकृत प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। सहयोगी प्रयासों, रणनीतिक योजना और सरकारी सहायता के माध्यम से, आईएमए की एनएएमपी-एएमआर पहल का उद्देश्य एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के प्रभाव को कम करने के वैश्विक प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभाना है।

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Jul 10, 2024

तैयारी: स्कूलों से होगी सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ टीकाकरण की शुरुआत, पीएम मोदी लॉन्च कर सकते हैं अभियान

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। देश में जल्द ही सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू होगा। इसके तहत सबसे पहले स्कूलों में जाकर जिला स्वास्थ्य टीमें नौ से 14 साल की छात्राओं को टीका देंगी। स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालय ने संयुक्त रूप से इसकी रूपरेखा तैयार की है। सूत्रों का कहना है कि एक से दो सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पहले 100 दिन के कार्यकाल को लेकर समीक्षा बैठक होगी, जिसमें अभियान लॉन्च करने का दिन तय होगा।   संभावना है कि दिल्ली में एक स्कूल से पीएम मोदी इस अभियान को लॉन्च कर सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में सर्वाइकल कैंसर का टीका शामिल करने की तैयारी लगभग पूरी है। अंतिम घोषणा का इंतजार है। इसके टीके की एक खुराक असरदार है। देश के कुछ क्षेत्रों में स्वतंत्र तौर पर इसका टीकाकरण किया जा रहा है। यह स्वदेशी रूप से विकसित क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन सेरवावैक नाम से बाजार में उपलब्ध है।   *सिक्किम के मॉडल पर अभियान* स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि सिक्किम सरकार ने हाल ही में सर्वाइकल कैंसर को लेकर टीकाकरण अभियान चलाया है, जिसमें नौ से 13 साल की छात्राओं का टीकाकरण किया गया। कुल 25 हजार छात्राओं का लक्ष्य रखा गया, जिसमें लगभग 95 फीसदी सफलता हासिल हुई है। सिक्किम सरकार के मॉडल को बेहतर उदाहरण मानते हुए देशभर में सबसे पहले स्कूलों को लक्षित करने का फैसला लिया गया।   *हर सात मिनट में एक मौत* सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला विश्व में चौथा और भारत में दूसरा सबसे आम कैंसर है। जिसकी वजह से देश में हर सात मिनट में एक महिला रोगी दम तोड़ रही है। हर साल करीब एक लाख से भी ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं।   *सीरम ने तैयार किया है टीका*  इस जानलेवा बीमारी से महिलाओं को बचाने के लिए पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने नया टीका विकसित किया है, जिसे साल भर पहले लॉन्च किया गया। यह टीका भारतीय बाजार में करीब दो हजार रुपये प्रति खुराक की कीमत में उपलब्ध है, लेकिन सरकार इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करते हुए सभी राज्यों के सहयोग से देशभर में निशुल्क उपलब्ध कराना चाहती है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

किडनी कांड: 500 लोगों की बदली गई, सबसे एक बात कहकर बांग्लादेश से लाते; नोएडा के दो अस्पताल में हुए अधिक 'पाप'

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। किडनी का गैरकानूनी धंधा बांग्लादेश व भारत में बड़े पैमाने पर फैला हुआ है। गिरोह चार साल में करीब 500 लोगों की किडनी गैरकानूनी तरीके से प्रत्यारोपित कर चुके हैं। इसका खुलासा किडनी रैकेट के पर्दाफाश के बाद हुआ। किडनी बदलने के दौरान चार लोगों की जान भी जा चुकी है। किडनी प्रत्यारोपण अधिकतर नोएडा के यथार्थ व अपोलो में अस्पताल हुए हैं। दिल्ली के एक बड़े प्रतिष्ठित अस्पताल में केवल टेस्ट व जांच होती थीं।   अपराध शाखा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरोह बांग्लादेश में ज्यादा सक्रिय था। गिरोह के सदस्य गरीब लोगों को भारत में नौकरी दिलाने के बहाने दिल्ली ले आते थे। भारत में उन्हें जसोला में किराए पर मकान लेकर या फिर गेस्ट हाउस में रखते थे। इसके बाद ये उन लोगों का पासपोर्ट जब्त कर लेते थे। इसके बाद गरीब बांग्लादेशियों पर किडनी डोनेट करने का दबाव बनाते थे। उनसे कहा जाता था कि नौकरी तभी मिलेगी जब आप किडनी बेचोगे।   इसकी एवज में उन्हें पैसे का भी लालच दिया जाता था। मजबूरन पीड़ित किडनी देने को तैयार हो जाता था। दूसरी तरफ ये बांग्लादेशियों के डायलिसिस अस्पतालों पर नजर रखते थे। वहां जरूरतमंदों से संपर्क साधते थे। ये किडनी प्राप्तकर्ता को भारत ले आते थे।   *मकान में ही नकली कागजात तैयार किए जाते थे* गिरोह के सदस्य किडनी डोनर व प्राप्तकर्ता के नकली कागजात किराये के मकान में तैयार करते थे। ये किडनी डोनर व प्राप्तकर्ता के बीच आपस में रिश्तेदार होने के कागजात बनाते थे। कागजात तैयार होने के बाद किडनी डोनर व प्राप्तकर्ता के दिल्ली के प्रतिष्ठित प्राइवेट अस्पताल में टेस्ट होते थे। टेस्ट होने के बाद ये नोएडा के अस्पतालों में प्रत्यारोपण कराते थे। किडनी प्रत्यारोपण के करीब-करीब सभी ऑपरेशन इन्हीं दोनों अस्पतालों में हुए हैं।   * डॉ. डी विजय कुमारी ने किए हैं सभी ऑपरेशन * अपराध शाखा के पुलिस अधिकारियों के अनुसार नोएडा के इन दोनों की अस्पतालों में किडनी प्रत्यारोपण डॉ. डी विजया कुमारी ने किए हैं। वह अपने सहायक विक्रम के जरिए ही इस गिरोह के संपर्क में आई थीं। वह पिछले चार सालों से इस गिरोह के लिए काम कर रहे हैं।   *बांग्लादेश उच्चायोग की सहायता ली जा रही* दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के अनुसार इस गिरोह ने तीन से चार लोगों की जान ली है। किडनी लेने व प्राप्तकर्ता की ऑपरेशन के तीन से चार दिन बाद मौत हो गई। ऐसे में पुलिस ने मृत लोगों की पहचान करने के लिए बांग्लादेश उच्चायोग की सहायता ली है। दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार बांग्लादेशियों के बारे में बांग्लादेश उच्चायोग को सूचना दे दी है।   *पैसे का खेल ऐसे चलता था* 4.5 लाख टका गिरोह के सदस्य किडनी देने वाले को देते थे। 20 से 22 लाख प्राप्तकर्ता से लेते थे। 4 लाख डॉ. डी विजया कुमारी की पूरी टीम को मिलते थे। 1 लाख डॉ. डी विजया कुमारी अपने हिस्से के रूप में लेती थी। 4 लाख उस अस्पताल को दिए जाते थे जिनमें किडनी बदली जाती थी। 10 लाख गिरोह के लोग अपने पास रख लेते थे।   *मरीज से खुद पैसे लेती थी डॉ. विजया* दिल्ली के एक नामचीन निजी अस्पताल में कंस्लटेंट रही डॉ. डी विजया कुमारी का पैसे लेने का तरीका भी अलग था। पुलिस ने उसके दो बैंक खातों का पता लगा है। पीएनबी के खाते में 10 लाख रुपये से ज्यादा और दूसरे खाते में दो लाख रुपये से ज्यादा मिले हैं। दिल्ली पुलिस डॉ. डी विजया कुमारी के दोनों बैंक खातों की पिछले कई सालों की डिटेल खंगाल रही है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार नोएडा के एक अस्पताल से उसके सहायक विक्रम के बैंक खाते में पैसे आते थे। डॉक्टर के बैंक खाते में 90 हजार से एक लाख रुपये आते थे, जबकि नोएडा के ही दूसरे अस्पताल में वह मरीज से खुद पैसे लेती थी। इसके बाद वह सभी को पैसे बांटती थी। वह अपनी पूरी टीम के साढ़े तीन लाख से चार लाख रुपये रख लेती थी। अस्पताल को एक किडनी प्रत्यारोपण का चार लाख रुपये दिया जाता था।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

दैनिक भोजन में मोटा अनाज खाओ... मधुमेह और एनीमिया भगाओ; मिलेंगे प्रचुर मात्रा में पोषण तत्व

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दैनिक भोजन में मोटा अनाज शामिल करने से एनीमिया के साथ मधुमेह होने की आशंका कम होती है। साथ ही जिन्हें यह रोग हैं उनमें भी सुधार देखा गया है। एम्स ने अपने विश्लेषण के बाद यह दावा किया है। एम्स ने तीन स्तर पर मोटे अनाज का इस्तेमाल शुरू किया। सबसे पहले डॉक्टरों की कैंटीन में मोटे अनाज को शामिल किया गया। इसके बाद एम्स में भर्ती होने वाले मरीजों को भी मोटा अनाज देना शुरू हुआ।   साथ ही एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों को खाने में मोटा अनाज शामिल करने की सलाह दी गई। तीन स्तर पर मोटे अनाज के इस्तेमाल के बाद यह पाया गया है कि केवल गेहूं और चावल खाने वाले लोगों के मुकाबले मोटा अनाज खाने वाले लोगों में पोषण तत्व ज्यादा मिले। ऐसे लोगों में मधुमेह और एनीमिया के मामले कम हुए हैं। एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग में प्रोफेसर और एनीमिया नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता एवं उन्नत अनुसंधान केंद्र में प्रमुख अन्वेषक डॉ. कपिल यादव ने एम्स ने तीन स्तर पर मोटे अनाज के इस्तेमाल को बढ़ाया। इसके शुरुआती परिणाम बेहतर दिख रहे हैं।    मोटा अनाज भारत का पारंपरिक खाना है। इसमें प्रचुर मात्रा में पोषण तत्व हैं। यह हमारे शरीर की संरचना के आधार बने हुए हैं। इससे एलर्जी नहीं होती। यही कारण है कि इसकी मदद से मधुमेह, एनीमिया के साथ दूसरे रोगों की रोकथाम संभव हो सकेगी। बता दें कि देश की 50 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। वहीं मधुमेह के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।   *गेहूं के इस्तेमाल से बढ़ीं समस्याएं* एम्स के पूर्व प्रोफेसर डॉ. चंद्रकांत एस. पांडव ने कहा कि हजारों साल से भारतीय लोग मोटा अनाज खा रहे थे। ब्रिटिश काल में दैनिक भोजन में गेहूं को शामिल करने से आंत में सूजन की समस्या बढ़ी। इसके कारण शरीर में कई रोगों ने जन्म लिया। इसमें मधुमेह, मानसिक रोग सहित दूसरे विकार शामिल हैं।   यदि हम दैनिक खाने में मोटा अनाज शामिल करते हैं तो खाने का पोषक फिर से शरीर को मिलेगा। यह प्राकृतिक भोजन है। इससे शरीर को कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटिन सहित दूसरे तत्व आसानी से मिलते हैं। शरीर और मस्तिष्क को बैलेंस न्यूट्रिशन मिलने से  होता है।   *जठरांत्र के अच्छे बैक्टीरिया के लिए फायदेमंद* सूजन का समाधान विषय पर दिल्ली में मोटे अनाज को लेकर हुए कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि मोटा अनाज हमारे जठरांत्र (आंत का हिस्सा) के अच्छे बैक्टीरिया के लिए फायदेमंद है। बैक्टीरिया जठरांत्र के अलावा त्वचा और नाक में भी रहते हैं। हमारा शरीर इन बैक्टीरिया को खाना और पनाह देता है। इन बैक्टीरिया की मदद से उन फाइबर को डाइजेस्ट कर पाते हैं जिनके लिए शरीर सक्षम नहीं है। इसके अलावा ये बैक्टीरिया शरीर में ऐसे एंजाइम को तैयार करते हैं जिनकी मदद से शरीर को विटामिन मिलते हैं।   इसमें बी 1, बी 12, बी फोलिक एसिड सहित अन्य शामिल हैं। यदि शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की हानि होती है तो शरीर में कुपोषण के साथ, मोटाबॉलिक डिसऑर्डर, मानसिक रोग सहित जीवन शैली से जुड़े दूसरे रोग हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मोटा अनाज शरीर को ऐसे पोषक तत्व देता है जो हमारे अच्छे बैक्टीरिया के लिए फायदेमंद हैं।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

सहायक उपकरणों के लिए भारत एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है: राजेश अग्रवाल

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दिव्यांगजनों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए मुद्दों और चुनौतियों को संबोधित करते हुए, एसोचैम के 6वें सम्मेलन में दिव्यांगजनों को सुलभ और सहायक प्रौद्योगिकी के माध्यम से सशक्त बनाने पर, मुख्य अतिथि श्री राजेश अग्रवाल आईएएस, सचिव, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार ने मानवता की प्रकृति के साथ इसे विकलांगता के बजाय विविधता कहने पर जोर दिया। उन्होंने 3 प्रचलित मुद्दों के बारे में बात की जो दिव्यांगजनों के लिए सुलभ बुनियादी ढाँचा, रोजगार के अवसर और शिक्षा हैं।   उन्होंने श्रोताओं को प्रेरित किया कि वे दिव्यांगजनों की मदद दान के उद्देश्यों से न करें बल्कि उन्हें कोटा के बजाय निर्दिष्ट नौकरी प्रोफाइल में शामिल करें। शिक्षा को बढ़ाने के लिए, उन्होंने ब्रेल डिस्प्ले, स्पीच-टू-टेक्स्ट सॉफ़्टवेयर और सीखने की सुविधा के लिए अनुकूलित शिक्षण उपकरणों जैसे उपकरणों के उपयोग के उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि उत्पादकता बढ़ाने के लिए एर्गोनोमिक कुर्सियाँ, विशेष कीबोर्ड और सॉफ़्टवेयर समाधान जैसी आवश्यक कार्यस्थल सुविधाएँ प्रदान करना।   'समान अवसरों के लिए नवाचार और सतत समाधान' विषय पर केंद्रित इस कार्यक्रम का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना और अधिक समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है। यह सम्मेलन विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो भारत को वैश्विक AT हब के रूप में स्थापित करने की आकांक्षा रखता है। प्रतिस्पर्धी विनिर्माण लागतों से प्रेरित होकर, मेक इन इंडिया जैसी सरकारी नीतियों का समर्थन करते हुए, भारत वैश्विक बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित कर सकता है।   एसोचैम नेशनल सीएसआर काउंसिल के अध्यक्ष अनिल राजपूत ने कहा, "डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया की 16% आबादी, जो एक अरब से अधिक है, किसी न किसी रूप में विकलांगता से ग्रस्त है, और इनमें से 80% विकासशील देशों में रहते हैं, जिसमें दिव्यांगों के जीवन में गतिशीलता एक महत्वपूर्ण कारक है- इस संदर्भ में, मैं भारत में ऑटोमोबाइल निर्माताओं से अपील करता हूं कि वे दिव्यांगों के लिए वाहनों में नवीनतम तकनीकें लाएं, जिनका उपयोग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किया जा रहा है- इससे भारत में दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन में परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ सकता है। मैं मीडिया से भी आग्रह करता हूं कि वे न केवल दिव्यांगों के सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करें, बल्कि उनकी सफलता की कहानियों को भी प्रदर्शित करें, इससे कई और लोगों को उत्कृष्टता प्राप्त करने की प्रेरणा मिलेगी, साथ ही बड़े दर्शकों के सामने उनकी अनूठी क्षमताओं को भी सामने लाया जा सकेगा।   ईवाई के पार्टनर अमित सिंह ने नागरिक समाज के लिए स्थायी समाधान बनाने और भागीदारी में बाधाओं को कम करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग पर जोर दिया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सहायक उपकरणों की क्षमताओं को बढ़ाकर, अनुभवों को वैयक्तिकृत करके उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में क्रांति ला रहा है। सुलभता को बढ़ावा देना। देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा विकलांग है, जिस पर तत्काल ध्यान देने और समाधान की आवश्यकता है। सीबीएम इंडिया की मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. सारा वरुघी ने बताया कि भारत में विकलांगता एक गंभीर मुद्दा है, जिसके लिए सामाजिक रूप से समावेशी और सार्वभौमिक रूप से सुलभ बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए ठोस प्रयास की आवश्यकता है।   सामाजिक कलंक और भेदभाव ऐसे मुद्दे हैं जिनका सामना भारत में अभी भी किया जाता है, जिससे आर्थिक कमजोरी होती है। डेज़ी फोरम ऑफ इंडिया के अध्यक्ष दीपेंद्र मनोचा ने सरकार की नीतियों पर प्रकाश डाला, जो सब्सिडी, कर प्रोत्साहन और अनुसंधान और विकास के लिए अनुदान के माध्यम से सहायक उपकरणों के बड़े पैमाने पर उत्पादन को प्रोत्साहित कर सकती हैं। इस तरह के हस्तक्षेप से उत्पादन लागत कम हो सकती है, आपूर्ति बढ़ सकती है और नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है।   जिससे कम कीमतों पर बड़ी आबादी को उपलब्धता सुनिश्चित हो सकती है। कार्यक्रम का समापन एसोचैम नेशनल सीएसआर एंड एम्पावरमेंट काउंसिल के सह-अध्यक्ष और रेकिट के दक्षिण एशिया के बाहरी मामलों और भागीदारी के निदेशक रवि भटनागर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत में भी लोगों के लिए संसाधनों को अधिक सुलभ बनाया जाना चाहिए, और उन्होंने चर्चा की कि कैसे निगम विकलांग कार्यबल के लिए एक समावेशी संरचना का समर्थन कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में एसोचैम और ईवाई द्वारा एक संयुक्त ज्ञान रिपोर्ट का अनावरण किया गया जिसका शीर्षक था ''सभी के लिए सुलभता: सार्वभौमिक डिजाइन के साथ डिजिटल परिवर्तन को अपनाना।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

आईसीसी अवॉर्ड्स में भारत का डबल धमाका; जसप्रीत बुमराह-स्मृति मंधाना बने जून महीने के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। टी20 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करने वाले भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने कप्तान रोहित शर्मा को पछाड़ते हुए जून महीने के आईसीसी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार जीत लिया। रोहित ने इस मामले में ना सिर्फ रोहत, बल्कि अफगानिस्तान के रहमानुल्लाह गुरबाज को भी पीछे छोड़ा। वहीं, महिला वर्ग में भारतीय उपकप्तान स्मृति मंधाना विजेता बनकर उभरीं।    *टी20 विश्व कप में किया था दमदार प्रदर्शन* बुमराह ने हाल ही में संपन्न हुए टी20 विश्व कप में 15 विकेट झटके थे और उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था। इस 30 वर्षीय गेंदबाज ने वैश्विक टूर्नामेंट में दमदार प्रदर्शन किया था और 8.26 के औसत तथा 4.17 की इकॉनोमी रेट से गेंदबाजी की थी। भारत पहली टीम बनी थी जिसने टूर्नामेंट में बिना कोई मैच गंवाए टी20 विश्व कप का खिताब जीता था। भारतीय टीम का कनाडा के खिलाफ ग्रुप चरण का मुकाबला बारिश की भेंट चढ़ा था, लेकिन रोहित शर्मा की अगुआई वाली टीम ने सभी आठ मुकाबले जीते थे।   यह मेरे लिए विशेष उपलब्धि' बुमराह ने आईसीसी के हवाले से कहा, मैं जून महीने का आईसीसी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का अवॉर्ड जीतकर काफी अभिभूत हूं। अमेरिका और वेस्टइंडीज में यादगार दिनों के बाद यह मेरे लिए विशेष उपलब्धि है। एक टीम के रूप में हमारे पास जश्न मनाने के लिए बहुत कुछ है और मुझे इस व्यक्तिगत उपलब्धि पर काफी खुशी हो रही है। प्रदर्शन करना और साथ ही ट्रॉफी जीतना यह काफी विशेष है और मैं इस पल को हमेशा याद रखूंगा। मैं अपने कप्तान रोहित शर्मा और गुरबाज को भी इस दौरान शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई देता हूं। मुझे खुशी है कि मैं विजेता चुना गया।    *मंधाना ने पहली बार जीता पुरस्कार* यह मंधाना का पहला महीने के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार है। उन्होंने पिछले महीने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में दमदार प्रदर्शन किया था और तीन मैचों में दो शतक तथा एक अर्धशतक जड़े थे। मंधाना ने इस दौड़ में इंग्लैंड की माएया बाउचियर और श्रीलंका की विशमी गुनारत्ने को पीछे छोड़ा।   मंधाना ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले वनडे में 117 रन बनाए थे। इसके अलावा दूसरे मैच में लगातार एक और शतक जड़ते हुए 120 गेंदों पर 136 रन की पारी खेली थी। मंधाना तीसरे मैच में भी शतक की ओर बढ़ रही थीं, लेकिन 90 रन बनाकर आउट हो गई थीं। इस दौरान मंधाना ने 100 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट से 343 रन बनाए थे। मंधाना ने कहा, मुझे जून महीने का आईसीसी के महिला वर्ग का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार जीतने पर गर्व महसूस हो रहा है। जिस तरह से टीम ने प्रदर्शन किया और उसमे मेरा जो योगदान रहा, उससे मैं काफी खुश हूं। हमने वनडे और टेस्ट सीरीज जीती और मुझे उम्मीद है कि हम आगे भी इस लय को बरकरार रखेंगे तथा मैं भारत की जीत में आगे भी योगदान देती रहूंगी।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

सुप्रीम कोर्ट:एक शख्स को बचाने में क्यों जुटा शासन', संदेशखाली केस में सीबीआई जांच के खिलाफ बंगाल सरकार की याचिका खारिज

नई दिल्ली, 09 जुलाई  2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका खारिज कर दिया, जिसमें संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने और जमीन हड़पने के आरोपों की सीबीआई जांच कराने का निर्देश देने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पहले ही राज्य ने इस मामले में महीनों तक कुछ नहीं कर रहा। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर शासन एक शख्स को बचाने में क्यों जुटा है।    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा, ‘‘किसी को बचाने में राज्य की रूचि क्यों होनी चाहिए?’’ बेंच ने कहा कि पिछली सुनवाई में जब शीर्ष अदालत ने यह विशेष प्रश्न पूछा था तो राज्य सरकार के वकील ने कहा था कि मामले को स्थगित किया जाए। जजों ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘धन्यवाद।   याचिका खारिज की जाती है। इससे पहले 29 अप्रैल को याचिका पर सुनवाई करते हुए भी सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा था कि निजी क्षेत्र के कुछ लोगों के हितों को बचाने के लिए राज्य को एक याचिकाकर्ता के रूप में क्यों आना चाहिए?   *बंगाल सरकार ने याचिका में क्या कहा था?* पश्चिम बंगाल सरकार ने शीर्ष अदालत में अपनी याचिका में कहा था कि उच्च न्यायालय के आदेश ने पुलिस बल समेत राज्य के संपूर्ण तंत्र का मनोबल कमजोर कर दिया। संदेशखाली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों पर हमले के मामले की जांच पहले से ही सीबीआई कर रही है और उसने पांच जनवरी की घटनाओं से संबंधित तीन प्राथमिकी दर्ज की हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 9, 2024

मासिक धर्म अवकाश पर सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी, कहा- महिलाओं के अवसर कम हो सकते हैं

नई दिल्ली, 09 जुलाई  2024 (यूटीएन)। मासिक धर्म अवकाश को लेकर लंबे समय से बहस छिड़ी हुई है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ सलाह करके मासिक धर्म अवकाश पर एक आदर्श नीति तैयार करे। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा नीति से जुड़ा है। यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, जिस पर अदालतों को गौर करना चाहिए। इसके अलावा, पीठ ने यह भी कहा कि अगर महिलाओं के लिए ऐसी छुट्टी दिए जाने का फैसला अदालत करती है, तो इसका असर गलत भी पड़ सकता है क्योंकि कंपनी उन्हें काम देने से बच सकती है।    *महिलाओं पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव* अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अवकाश अधिक महिलाओं को कार्यबल का हिस्सा बनने के लिए कैसे प्रोत्साहित करेगी। साथ ही पीठ ने कहा कि इस तरह की छुट्टी अनिवार्य करने से महिलाओं को कार्यबल से दूर किया जा सकेगा। हम ऐसा नहीं चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा, 'यह वास्तव में सरकार की नीति का पहलू है। इस पर अदालतों को गौर करने की जरूरत नहीं है।   *साल 2023 का मामला* याचिकाकर्ता का कहना है कि मई 2023 में केंद्र को एक प्रतिनिधित्व प्रस्तुत किया गया था। चूंकि मुद्दे राज्य की नीति के विविध उद्देश्यों को उठाते हैं, इसलिए इस अदालत के लिए हमारे पिछले आदेश के आलोक में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है। पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ता और वकील शैलेंद्र त्रिपाठी की ओर से पेश वकील राकेश खन्ना को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के समक्ष पेश होने की अनुमति दे दी।   पीठ ने आदेश में कहा, 'हम सचिव से नीतिगत स्तर पर मामले को देखने और सभी हितधारकों से सलाह करने के बाद फैसला लेने का अनुरोध करते हैं। साथ ही यह देख सकते हैं कि क्या मासिक धर्म अवकाश पर एक आदर्श नीति तैयार की जा सकती है।    इसके अलावा, अदालत ने साफ कर दिया कि अगर राज्य इस मामले में कोई कदम उठाता है तो केंद्र सरकार इसके आड़े नहीं आएगी। शीर्ष अदालत ने इससे पहले देश भर में महिलाओं, छात्रों और कामकाजी महिलाओं के लिए मासिक धर्म अवकाश की मांग करने वाली याचिका का निपटारा किया था। न्यायालय ने तब कहा था कि चूंकि यह मामला नीतिगत दायरे में आता है, इसलिए केंद्र को प्रतिवेदन दिया जा सकता है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि आज तक केंद्र की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 9, 2024

एमओसी ने सामुदायिक-आधारित कैंसर देखभाल और अनुसंधान के लिए एचओसी-वेदांता के साथ विलय की घोषणा की

नई दिल्ली, 09 जुलाई  2024 (यूटीएन)। एम ओ सी और एचओसी-वेदांता के विलय से 22,000 से अधिक लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ेगा और सालाना 60,000 से अधिक कीमोथेरेपी दी जाएगी, जिससे पश्चिमी भारत में अनगिनत लोगों के जीवन में बदलाव आएगा गुणवत्तापूर्ण कैंसर देखभाल के लिए राष्ट्रव्यापी विस्तार यह इकाई महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में रणनीतिक रूप से स्थित 22 सामुदायिक कैंसर देखभाल केंद्रों के नेटवर्क के माध्यम से पूरे भारत में अपनी पहुंच बढ़ाने की तैयारी कर रही है.   एम ओ सी कैंसर देखभाल और अनुसंधान केंद्र और हेमेटो ऑन्कोलॉजी क्लिनिक- वेदांता एचओसी ने 8 जुलाई  को अपने विलय की घोषणा की, जिससे पश्चिमी भारत में उन्नत कैंसर उपचार तक पहुंच में महत्वपूर्ण विस्तार हुआ। विलय से एम ओ सी एचओसी-वेदांता बना, जो कैंसर देखभाल और अनुसंधान के लिए समर्पित देश के सबसे बड़े भौगोलिक नेटवर्क में से एक है, जो रोगियों को समय पर अत्याधुनिक उपचार और संधारणीय लागत पर दयालु देखभाल प्रदान करने का वादा करता है।   "यह विलय केवल बिस्तर बढ़ाने के बारे में नहीं है; यह पश्चिमी भारत में कैंसर देखभाल के लिए एक पावरहाउस बनाने के बारे में है। एचओसी-वेदांता के साथ मिलकर हम उत्कृष्टता के एक नए स्तर के लिए मंच तैयार कर रहे हैं। हम अपने सभी केंद्रों में देखभाल को मानकीकृत करेंगे, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक रोगी को उच्चतम गुणवत्ता, साक्ष्य-आधारित उपचार उपलब्ध हो," एम ओ सी के प्रमोटर, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. आशीष जोशी कहते हैं।   कैंसर के खिलाफ लड़ाई को अभी एक बड़ा बढ़ावा मिला है। एम ओ सी के साथ मिलकर हम नवाचार के लिए एक पावरहाउस बना रहे हैं। बड़े पैमाने पर नैदानिक ​​परीक्षणों की कल्पना करें, नई क्रांतिकारी चिकित्सा की खोज करें और मौजूदा लोगों की क्षमता को अधिकतम करें। यह सहयोग भारत और उसके बाहर कैंसर देखभाल के लिए एक गेम-चेंजर होगा,"एचओसी-वेदांता के एक प्रतिनिधि ने कहा। अपनी संयुक्त विशेषज्ञता और संसाधनों के साथ, एम ओ सी एचओसी-वेदांता पश्चिमी भारत में अनगिनत रोगियों और परिवारों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालने के लिए तैयार है। व्यापक देखभाल पर उनका ध्यान, वित्तीय सहायता के साथ, न केवल उपचार, बल्कि आशा, उपचार और बेहतर भविष्य का वादा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस विलय ने भारत में एक ही छत के नीचे कैंसर विशेषज्ञों का सबसे बड़ा समूह स्थापित किया है।   जिसमें 40 मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और हेमेटोलॉजिस्ट की संयुक्त टीम है। यह शक्तिशाली टीम महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में रणनीतिक रूप से स्थित 22 सामुदायिक कैंसर देखभाल केंद्रों के नेटवर्क में 22,000 से अधिक कैंसर रोगियों की सेवा करने और सालाना 60,000 से अधिक कीमोथेरेपी उपचार देने के लिए तैयार है। संयुक्त इकाई भारत के अन्य हिस्सों में अपने परिचालन का विस्तार करने की योजना बना रही है, जिसका लक्ष्य पूरे भारत में रोगियों को सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली कैंसर देखभाल तक पहुँच प्रदान करना है।    कैल्टियस वेंचर्स (अहमदाबाद) और जेएसए ने विलय प्रक्रिया के दौरान एचओसी-वेदांता को महत्वपूर्ण सलाह और कानूनी परामर्श प्रदान किया। इसी तरह, एफ्लुएंस एडवाइजर्स मुंबई और एजेडबी ने एम ओ सी को विशेषज्ञ मार्गदर्शन और कानूनी सहायता प्रदान की। एम ओ सी एचओसी-वेदांता विलय भारतीय कैंसर देखभाल में एक महत्वपूर्ण छलांग है। अपनी संयुक्त विशेषज्ञता, व्यापक नेटवर्क और पहुंच के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ, वे देश भर में अनगिनत रोगियों और परिवारों के जीवन को बदलने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। हाल ही में, एम | ओ | सी ने जनवरी 2023 में टाटा कैपिटल हेल्थकेयर फंड से 10 मिलियन डॉलर का महत्वपूर्ण निवेश हासिल किया, जो स्थान या वित्तीय स्थिति की परवाह किए बिना सभी के लिए विश्व स्तरीय कैंसर देखभाल सुलभ बनाने के उनके महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 9, 2024