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कमल की कशमकश: भाजपा को आत्ममंथन की सलाह दे रहे चुनाव नतीजे

नई दिल्ली, 05 जून 2024 (यूटीएन)। एनडीए का आंकड़ा भले ही सरकार बनाने लायक बहुमत से आगे निकल गया हो, भाजपा भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो, लेकिन आंकडे़ बता रहे हैं कि जातीय गोलबंदी और मुस्लिम लामबंदी हिंदुत्व पर भारी पड़ी। मोदी की तीसरी बार सरकार बनने से संविधान और आरक्षण पर खतरे का विपक्ष का शोर भाजपा के लाभार्थी मतदाताओं के समूहों तथा सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास के नारे पर भारी पड़ा। अयोध्या में राममंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के बावजूद वहां भाजपा की हार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। हिंदी पट्टी में उत्तर प्रदेश सहित, राजस्थान, हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में आरक्षण बचाने के लिए पिछड़ों और दलितों की जातीय गोलबंदी के साथ मुस्लिमों ने लामबंद होकर भाजपा को अपने दम पर बहुमत के आंकड़े से ही दूर नहीं किया, इंडिया गठबंधन के पैर जमाने की कोशिश को भी आसान कर दिया। नतीजों का मुख्य संकेत यही है। पर, गणित बिगड़ने का कारण सिर्फ यही नहीं है। भाजपा के अति आत्मविश्वास और वर्तमान सांसदों को लेकर स्थानीय स्तर पर अलोकप्रियता, विपक्ष की तरफ से महंगाई, बेरोजगारी और किसानों के साथ नाइंसाफी जैसे आरोपाें ने भी भाजपा के समीकरणों को कमजोर किया।   आरोपों की काट में असफल........   सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद, भाजपा के लिए 370 और एनडीए के लिए 400 पार के भरोसे से लबरेज लक्ष्य के चौंकाने वाले फलितार्थ निश्चय ही भाजपा को आत्ममंथन की सलाह दे रहे हैं। मध्यप्रदेश, बिहार और दिल्ली में भाजपा के नतीजों के भी कुछ संकेत हैं। भाजपा की तीसरी बार सरकार बनने पर संविधान बदल देने, चुनाव न कराने और पिछड़ों-दलितों का आरक्षण समाप्त कर देने के विपक्षी गठबंधन के आरोपों की काट निकालने में भाजपा असफल रही।   विपक्ष ने जीता मुस्लिमों का भरोसा......   भाजपा के बड़े नेताओं के तमाम तर्कों के बावजूद स्थानीय स्तर पर, खासतौर पर उत्तर प्रदेश सहित हिंदी पट्टी के कुछ राज्यों में पार्टी कार्यकर्ता आरक्षण और संविधान खत्म करने के आरोपों की प्रभावी काट नहीं निकाल पाए। मुस्लिमों ने भाजपा के खिलाफ पिछड़ों व दलितों की गोलबंदी देखी, तो उन्हें भरोसा हो गया कि वे इनके साथ लामबंद होकर भाजपा का विजय अभियान रोक सकते हैं। उन्होंने वही कोशिश की। इंडिया गठबंधन अपने सरकार बनाने के दावे पर मुस्लिम मतदाताओं का भरोसा जीतने में कामयाब रहा। मुस्लिमों ने सहूलियत और विशिष्टता तथा सत्ता में हिस्सेदारी की आकांक्षा से इंडिया गठबंधन के पक्ष में मतदान किया।   बूथ-प्रबंधन हुआ ध्वस्त.......   भाजपा नेतृत्व की न जाने क्या मजबूरी थी कि जनता से संपर्क-संवाद न रखने वाले चेहरों को फिर मैदान में उतार दिया। वहीं, रिकॉर्ड जीत वालों के टिकट काट दिए गए। इससे नाराजगी पैदा हुई। आमतौर पर मुखर रहने वाला कार्यकर्ता चुप्पी साध गया। पहले चरण में, कम मतदान का कारण यही था। बूथ-प्रबंधन, जो भाजपा की पहचान थी, वह ध्वस्त था।   मोदी पर भरोसा, पर खुद बेअंदाज.......   प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे की बदौलत जीत के अति भरोसे से भरे उम्मीदवार अपनी ही रौ में चलते रहे। जनता की नाराजगी के बावजूद कुछ बेअंदाज सांसद खुद पसीना बहाने के बजाय पीएम मोदी के भरोसे बैठ गए। संगठन के अति आत्मविश्वास से जातीय गोलबंदी और मुस्लिम मतदाताओं की लामबंदी का असर ज्यादा व्यापक होता चला गया।   सांसदों की बेरुखी ने बढ़ाई दूरी........   मोदी ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद योजनाओं का लाभ सीधे लोगों तक पहुंचाकर बड़ा लाभार्थी मतदाता वर्ग तैयार किया, जो हर चुनाव में संकटमोचक बनता रहा है। इनसे निरंतर संवाद का काम पहले सांसदों-विधायकों को सौंपा गया। लेकिन, जब उनकी अरुचि दिखी, तो विकसित भारत संकल्प यात्रा के जरिये सरकारी तंत्र को सक्रिय करना पड़ा। विपक्षी गठबंधन ने इसका तोड़ निकाल लिया...राहुल गांधी गरीब महिला के खाते में 8,500 रुपये खटाखट-खटाखट पहुंचाने का वादा करते दिखे, तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पांच की जगह दस किलो अनाज का भरोसा देते नजर आए। यूपी, हरियाणा, राजस्थान में भाजपा की सीटों में कमी की बड़ी वजह स्थानीय स्तर पर उम्मीदवारों व नेताओं से लोगों की नाराजगी दूर करने में पार्टी की नाकामी भी है।   सरोकारों पर सक्रिय चेहरों की जरूरत.......   नतीजे यह भी बताते हैं कि भाजपा को जातीय अस्मिता पर और फोकस करना होगा। उत्तर प्रदेश से लेकर राजस्थान तक भाजपा को झटका और मध्य प्रदेश में उसे मिली एकतरफा जीत यह समझा रही है कि पिछड़ी और दलित जातियों में ऐसे चेहरों को आगे लाने की जरूरत है, जो जनाधार रखते हैं। विकास और कल्याणकारी योजनाएं आरक्षण की तरह अब हर सरकार की अपरिहार्यता हो गई हैं। सत्ता परिवर्तन के साथ इनमें बदलाव संभव नहीं रह गया...न ही जातीय आकांक्षाओं को पूरी तरह संतुष्ट कर सकती है। पिछड़ों और दलितों को सजावटी चेहरे नहीं, बल्कि सत्ता के शीर्ष में भागीदारी चाहिए। जो उनके सरोकारों पर सक्रिय दिखे।   राजस्थान में भी नाराजगी........   मध्य प्रदेश में मोहन यादव की ताजपोशी व शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बावजूद भाजपा पिछड़ों को बांधे रही, लेकिन राजस्थान में वसुंधरा राजे को पूरी तरह किनारे करना एक बड़े वर्ग को नाराज कर गया। भाजपा के पास पिछड़ी जातियों के कई चेहरे होते हुए जिस तरह उत्तर प्रदेश में पिछड़े और दलित वोट के उससे छिटकने के संकेत मिल रहे हैं, वह बताता है कि पार्टी नेता अपने समाज के लोगों के सरोकारों के साथ जु़ड़ने में नाकाम रहे हैं।   राहुल की छवि बदली पर चुनौती बाकी........   विपक्षी गठबंधन की अहम जीत से राहुल गांधी का ग्राफ बड़ा है। भारत जोड़ाे यात्राओं ने उनकी छवि बदली है। हालांकि नरेंद्र मोदी जैसा भरोसा हासिल करना उनके लिए अब भी चुनौती है। वे विपक्षी गठबंधन को राष्ट्रीय स्वरूप दे पाते और दो सौ से ज्यादा सीटों पर गठबंधन के दल आमने-सामने चुनाव लड़ते न दिखते, तो नतीजे और बेहतर हो सकते थे। अखिलेश यादव अधिक विश्वास और बेहतर राजनीतिक समीकरण के साथ मैदान में थे। दो बार की नाकामी के बाद इस बार उत्तर प्रदेश में इससे कांग्रेस को लाभ मिला। रोचक तथ्य देखिए, जिस अखिलेश सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण खारिज किए जाने के बाद 12 हजार से ज्यादा अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारियों, अधिकारियों को पदावनत किया, उन्हें ही मायावती का पूरा वोट बैंक स्थानांतरित हो गया। इसके चलते बसपा का वोट बैंक यूपी में 19.26 फीसदी से घटकर महज 2 फीसदी रह गया।   *पुराने मित्रों से दोस्ती से बढ़ी इज्जत........   वहीं, ओडिशा में मित्र दल बीजद से अलग होकर चुनाव लड़ना और आंध्र प्रदेश व बिहार में पुराने मित्रों से फिर दोस्ती से भाजपा की इज्जत बनी रही। हालांकि उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार और जातीय अस्मिता से जुड़े दलों के साथ गठबंधन के बावजूद उसे निराशा हाथ लगी है।     विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 5, 2024

आज की ये विजय दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की जीत: नरेन्द्र मोदी

नई दिल्ली, 05 जून 2024 (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की. चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद पीएम मोदी दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय पहुंचे. जहां पीएम मोदी विजय चिन्ह दिखाते नजर आए. बीजेपी मुख्यलय में पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते ही बनता था. पीएम मोदी के चेहरे पर भी मुस्कान नजर आई. पीएम मोदी की बगल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बैठे नजर आए. इस दौरान दोनों नेता किसी मुद्दे पर बातचीत करते नजर आए, इस दौरान दोनों काफी खुश दिखाई दिए.   ' मै सभी देशवासियों की ऋणी '   पीएम मोदी ने अपने विजय भाषण में कहा कि, आपका ये स्नेह आपका ये प्यार इस आशीर्वाद के लिए मैं सभी देशवासियों की ऋणी हूं. आज बड़ा मंगल है और इस पावन दिन एनडीए की लगातार तीसरी बार सरकार बननी तय है. पीएम मोदी ने कहा कि हम सभी जनता जनार्दन के बहुत आभारी है. देशवासियों ने भाजपा पर एनडीए पर पूर्ण विश्वास जताया है. आज की ये विजय दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की जीत है. ये भारत के संविधान पर अटूट निष्ठा की जीत है. ये विकसित भारत के प्रण की जीत है. ये सबका साथ सबका विकास इस मंत्र की जीत है. ये 140 करोड़ भारतीयों की जीत है.   ' चुनाव प्रक्रिया की क्रेडिबिलिटी पर हर भारतीय को गर्व '   पीएम मोदी ने कहा कि मैं आज देश के चुनाव आयोग का भी अभिनंदन करूंगा. चुनाव आयोग ने दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव इतनी कुशलता से संपन्न कराया. करीब 100 करोड़ मतदाता, 11 लाख पोलिंग स्टेशन 1.5 करोड़ मतदान कर्मी, 55 लाख वोटिंग मशीनें, हर कर्मचारी ने इतनी प्रचंड गर्मी में अपने दायित्व को बखूभी निभाया. हमारे सुरक्षा कर्मियों ने अपने शानदार कर्तव्य का परिचय दिया. पीएम मोदी ने कहा कि भारत के चुनाव के इस पूरी सिस्टम और चुनाव प्रक्रिया की क्रेडिबिलिटी पर हर भारतीय को गर्व है. मोदी ने कहा कि, मैं देशवासियों को कहूंगा, मैं इंफ्लूएंसर्स को कहूंगा, मैं ओपिनियन मेकर्स को कहूंगा कि भारत के लोकतंत्र में ये चुनाव प्रक्रिया की ताकत है, ये अपने आप में बहुत बड़ा गौरव का विषय है, भारत की पहचान को चार चांद लगाने की वाली बात है. ऐसे जो भी लोग हैं जो दुनिया में अपनी बात पहुंचा सकते हैं. उन सबसे मैं आग्रह करूंगा कि भारत की लोकतंत्र की समार्थ को विश्व के सामने बड़े गर्व के साथ हमें प्रस्तुत करना चाहिए. इस बार भी भारत में जितने लोगों ने मतदान किया, वो अनेक बड़े लोकतांत्रिक देशों की कुल आबादी से भी ज्यादा है. जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं ने इस चुनाव में रिकॉर्ड वोटिंग कर अभूतपूर्व उत्साह दिखाया है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 5, 2024

यह जनादेश किसकी जीत, किसकी हार ? 10 साल बाद लौट रहा गठबंधन सरकार का दौर

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े चुनाव में जनता ने एक बार फिर चौंका दिया। लोकसभा चुनाव में आए जनादेश ने सारे अनुमानों को ध्वस्त कर दिया। रुझानों में भाजपा 250 तक भी नहीं पहुंच पा रही। अंतिम नतीजे आने तक वह एनडीए के सहयोगी दलों की मदद से 290 से ऊपर जा सकती है। इस जनादेश में कई सवाल छुपे हैं।   इस जनादेश के क्या मायने हैं ?   - एनडीए को 400 पार और पार्टी को 370 पार ले जाने की भाजपा की रणनीति कामयाब नहीं हो पाई।  - जनादेश ने साफ कर दिया कि सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के भरोसे रहने से भाजपा का काम नहीं चलेगा। उसके निर्वाचित सांसदों और राज्य के नेतृत्व को भी अच्छा प्रदर्शन करना होगा।  - जनादेश बताता है कि गठबंधन की अहमियत का दौर 10 साल बाद फिर लौट आया है। भाजपा के पास अकेले के बूते अब वह आंकड़ा नहीं है, जिसके सहारे वह अपना एजेंडा आगे बढ़ा सके। - एग्जिट पोल्स की भी हवा निकल गई। 11 एग्जिट पोल्स में एनडीए को 340 से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। तीन सर्वेक्षणों में तो एनडीए को 400 लोकसभा सीटें मिलने का अनुमान था। रुझानों/नतीजों में एनडीए उससे तकरीबन 100 सीट पीछे है।    क्या इसे सत्ता विरोधी लहर कहेंगे ?   1999 में 182 सीटें जीतने वाली भाजपा जब 2004 में 138 सीटों पर आ गई तो उसने सत्ता गंवा दी। उसके पास स्पष्ट बहुमत 1999 में भी नहीं था और उससे पहले भी नहीं था। फिर भी यह माना गया कि जनादेश भाजपा के 'फील गुड फैक्टर' के विरोध में था।  वहीं, 2004 में भाजपा से महज सात सीटें ज्यादा यानी 145 सीटें जीतकर कांग्रेस ने यूपीए की सरकार बना ली। 2009 में कांग्रेस इससे बढ़कर 206 सीटों पर पहुंच गई, लेकिन 2014 में 44 पर सिमट गई। इसे स्पष्ट तौर पर यूपीए के लिए सत्ता विरोधी लहर माना गया। हालांकि, जब उत्तर प्रदेश जैसे सबसे अहम राज्य के नतीजे देखते हैं तो तस्वीर इस बार अलग नजर आती है। यहां भाजपा 34-35 सीटों पर सिमटती दिख रही है, जबकि 2014 में यहां भाजपा ने 71 और 2019 में 62 सीटें जीती थीं। सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को इसी राज्य से हुआ है।   क्या कम मतदान ने भाजपा की सीटें घटा दीं और कांग्रेस-सपा की बढ़ा दीं ?   वैसे तो इस बार लोकसभा चुनाव के शुरुआती छह चरण में ही पिछली बार के मुकाबले ढाई करोड़ से ज्यादा वोटरों ने मतदान किया था। फिर भी मतदान का प्रतिशत कम रहा। इसके ये मायने निकाले जा रहे हैं कि भाजपा अबकी पार 400 पार के नारे में खुद ही उलझ गई। उसके वोट इसलिए नहीं बढ़े क्योंकि भाजपा को पसंद करने वाले वोटरों ने तेज गर्मी के बीच संभवत: खुद ही यह मान लिया कि इस बार भाजपा की जीत आसान रहने वाली है। इसलिए वोटरों का एक बड़ा तबका वोट देने के लिए निकला ही नहीं।    तो यह किसकी जीत, किसकी हार ?    यह भाजपा की स्पष्ट जीत नहीं है। यह एनडीए की जीत ज्यादा है। आंकड़ों की दोपहर तक की स्थिति को देखें तो यह माना जा सकता है कि पूरे पांच साल भाजपा गठबंधन के सहयोगियों खासकर जदयू और तेदेपा के भरोसे रहेगी। इन दोनों दलों के बारे में यह कहना मुश्किल है कि ये भाजपा के साथ पूरे पांच साल बने रहेंगे या नहीं। राज्य के लिए विशेष पैकेज और केंद्र और प्रदेश की सत्ता में भागीदारी के मुद्दे पर इनके भाजपा से मतभेद के आसार ज्यादा रहेंगे। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू, दोनों ही अतीत में एनडीए से अलग हो चुके हैं। इंडी गठबंधन की बात करें तो यह उसकी स्पष्ट जीत कम और बड़ी कामयाबी ज्यादा है। यह गठबंधन 200 का आंकड़ा आसानी से पार कर रहा है। इसके ये सीधे तौर पर मायने हैं कि अगले पांच साल विपक्ष केंद्र की राजनीति में मजबूती से बना रहेगा। क्षेत्रीय दल देश की राजनीति में अपरिहार्य बने रहेंगे।    मुकाबला भाजपा बनाम विपक्ष था या मोदी बनाम मोदी ?   आंकड़ों की मानें तो इसका जवाब है हां, लेकिन इसका दूसरा जवाब यह भी है कि यह मुकाबला 2014 और 2019 में मोदी की लोकप्रियता बनाम 2024 में मोदी की लोकप्रियता का रहा। भाजपा ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर पहली बार 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। पहली बार में ही वह अकेले के बूते 282 सीटों पर पहुंची। 2019 में भाजपा ने 303 सीटें जीतीं। इस बार भाजपा की अपनी सीटें 240 के आसपास हैं। यानी वह 2014 से 40 सीटें और 2019 से 60 सीटें पीछे है।   तो क्या गठबंधन की राजनीति लौट रही है ?    बिल्कुल, भाजपा को भले ही पांच साल तक आसानी से सरकार चला लेने का भरोसा हो, लेकिन उसकी निर्भरता जदयू और तेदेपा जैसे दलों पर रहेगी। भाजपा ने 10 साल स्पष्ट बहुमत से सरकार चलाई, लेकिन अब गठबंधन सरकार का दौर लौटेगा।    पिछली गठबंधन सरकारों के मुकाबले भाजपा किस स्थिति में रहेगी ?     डॉ. मनमोहन सिंह के समय कांग्रेस ने इससे भी कम सीटें लाकर गठबंधन की सरकार चलाई। अटल-आडवाणी भी भाजपा को अधिकतम 182 सीटों पर पहुंचा सके थे, लेकिन सरकार चला पाए। भाजपा की 2024 की स्थिति इससे बेहतर है।    यह जनादेश कबकी याद दिलाता है ?   नतीजे 1991 के लोकसभा चुनाव जैसे हैं। तब कांग्रेस ने 232 सीटें जीतीं और पीवी नरसिंहा राव प्रधानमंत्री बने। उन्होंने पूरे पांच साल अन्य दलों के समर्थन से सरकार चलाई। इस बार भाजपा भी 240 के आसपास है। गठबंधन अब उसकी मजबूरी है।   यह चुनाव किसके लिए उत्साहजनक हैं ?   इसके पीछे कई चेहरे हैं। जैसे राहुल गांधी। कांग्रेस 2014 में 44 और 2019 में 52 सीटों पर थी तो उन्हें जिम्मेदार माना गया। इस बार वह 100 सीटों के करीब है। यानी पिछली बार के मुकाबले लगभग दोगुनी सीटों पर वह जीत रही है। दूसरा बड़ा नाम है अखिलेश यादव। देशभर में भाजपा को सबसे बड़ा झटका सपा ने ही दिया है। सपा ने पिछली बार बसपा के साथ गठबंधन किया। बसपा को 10 सीटें मिली थीं, लेकिन सपा पांच ही सीटें जीत पाई थी। इस बार सपा ने कांग्रेस से हाथ मिलाया। वह 34 से ज्यादा सीटों पर जीत रही है। यह लोकसभा चुनावों में वोट शेयर के लिहाज से सपा का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन हो सकता है। 2004 के लोकसभा चुनाव में उसे 35 सीटें मिली थीं। वहीं, वोट शेयर के लिहाज  पार्टी का सबसे बेहतर प्रदर्शन 1998 में था जब उसे करीब 29 फीसदी वोट मिले थे। इस बार यह आंकड़ा 33 फीसदी से ज्यादा हो सकता है। तीसरा बड़ा नाम हैं चंद्रबाबू नायडू। उनकी तेदेपा आंध्र प्रदेश में सरकार बनने के करीब है और एनडीए के सबसे अहम घटक दलों में से एक रहेगी। ऐसा ही एक नाम उद्धव ठाकरे का है। यह उनके लिए अस्तित्व की लड़ाई थी। शिंदे गुट से ज्यादा सीटें जीतकर उद्धव ठाकरे यह कहने की स्थिति में होंगे कि उनकी शिवसेना ही असली शिवसेना है।   इस बार क्या रिकॉर्ड बन सकते हैं ?   इस बार का लोकसभा चुनाव भले ही सुस्त नजर आया, लेकिन जनादेश ऐतिहासिक हो सकता है। अगर भाजपा ही सरकार बनाती है तो यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैट्रिक होगी। पीएम मोदी पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद वे ऐसे दूसरे नेता होंगे, जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। 1947 में पंडित नेहरू पहली बार प्रधानमंत्री जरूर बने, लेकिन चुनावी राजनीति शुरू होने के बाद उन्होंने 1951-52, 1957, 1962 का चुनाव जीता और लगातार प्रधानमंत्री रहे। वहीं, शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी अटलजी की भी बराबरी कर लेंगे। अटलजी का कार्यकाल कम रहा, लेकिन उन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 5, 2024

आइएनडीआइए सरकार बनाएगी या नहीं ? राहुल गांधी ने दिया सीधा जवाब

नई दिल्ली, 05 जून 2024 (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव की मतगणना के बीच कांग्रेस नेताओं ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी मौजूद थे। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि चुनाव के जो रिजल्ट आए हैं वो जनता का रिजल्ट है। ये जनता की जीत है। ये लड़ाई मोदी बनाम जनता है।   ये लोकतंत्र की जीत है: खरगे   खरगे ने आगे कहा कि 18वीं लोकसभा चुनाव में हम विनम्रता से रिजल्ट स्वीकार करते हैं। यह स्पष्ट हो चुका है कि ये मैंडेट पीएम मोदी के खिलाफ है। ये मोदी जी की नैतिक हार है। हमारे खाते फ्रीज किए गए। सरकारी एजेंसियों ने कदम-कदम पर बाधाएं डाली।   ये लड़ाई संविधान को बचाने की थी: राहुल गांधी   संवाददाताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि ये चुनाव कांग्रेस और आई.एन.डी.आई. गठबंधन ने सिर्फ एक राजनीतिक दल के लिए नहीं लड़ी। विपक्ष ने सरकार एजेंसियों के खिलाफ भी चुनाव लड़ी। इन संस्थानों को मोदी सरकार ने डराया और धमकाया है। ये चुनाव ईडी, सीबीआई के खिलाफ था। ये लड़ाई संविधान को बचाने की थी। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन पर राहुल गांधी ने कहा कि ये मेरी बहन की मेहनत की जीत है, जो इस प्रेस कॉन्फेंस में हमारे पीछे छुपी हुई है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 5, 2024

दिल्ली में फिर नहीं खुला किसी तीसरे दल का खाता

नई दिल्ली, 05 जून 2024 (यूटीएन)। राष्ट्रीय राजधानी में इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा और आईएनडीआईए (कांग्रेस व आम आदमी पार्टी) के प्रत्याशियों के बीच जोरदार मुकाबला हुआ। इस मुकाबले में भाजपा न सिर्फ भारी पड़ी बल्कि राष्ट्रीय राजधानी में लगातार तीसरी बार क्लीन स्वीप किया। भाजपा और प्रतिद्वंदी आईएनडीआईए प्रत्याशियों के अलावा अन्य दलों के एक भी उम्मीदवार और निर्दलीय अपनी जमानत नहीं बचा पाए। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के सातों उम्मीदवारों सहित 148 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। खास बात यह कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ( आप ) के बीच गठबंधन होने के बावजूद इस बार भी दिल्ली में किसी तीसरे दल का खाता नहीं खुल पाया।   35 वर्षों में किसी तीसरे दल को नहीं मिली सीट.........   दिल्ली में पिछले 35 वर्षों में किसी तीसरे दल को एक भी सीट नहीं मिली। इस दौरान पिछले दस वर्षों में दिल्ली की सात लोकसभा सीटों के लिए हुए तीन चुनावों का परिणाम एकतरफा ही रहा है। बाकी चुनावों में भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशी ही चुनाव जीत पाए थे। दिल्ली में आखिरी बार वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में तीसरे दल के रूप में जनता दल ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी। तब बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से जनता दल के प्रत्याशी तारीफ सिंह चुनाव जीते थे। इसके बाद अब तक नौ चुनाव हो चुके हैं लेकिन दिल्ली में किसी तीसरे दल को सीट नहीं मिली।   इस बार 162 उम्मीदवार थे मैदान में...........   इस लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सात लोकसभा सीटों के लिए 162 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। भाजपा और आईएनडीआई गठबंधन के प्रत्याशियों के अलावा बीएसपी ने भी सातों सीटों पर अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे। लेकिन हाथी की चाल बेहद कमजोर रही। इस वजह से बीएसपी के दो उम्मीदवारों को छोड़कर बीएसपी के अन्य उम्मीदवार दस हजार मत भी नहीं पा सके। सिर्फ दो उम्मीदवार ही दस हजार से थोड़ा अधिक मत पा सके। दिल्ली की आप सरकार से इस्तीफा देखकर नई दिल्ली से बीएसपी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद को भी छह हजार से कम वोट मिले। इस वजह से उनकी भी जमानत जब्त हो गई। भाजपा, कांग्रेस, आप और बीएसपी के अलावा 141 अन्य उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में थे। जिसमें करीब चार दर्जन पंजीकृत गौर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रत्याशी व निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं। इन सब की जमानत जब्त हो गई।   जमानत बचाने के लिए 16.5 प्रतिशत मत लाना जरूरी.............   पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सात लोकसभा सीटों से 164 उम्मीदवार थे। तब विजेता व प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों को छोड़कर तीन अन्य प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे थे। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जमानत बचाने के लिए लोकसभा क्षेत्र में कुल हुए मतदान का छठा हिस्सा ( करीब 16.5 प्रतिशत ) वोट लेना होता है। इससे कम वोट मिलने पर प्रत्याशी की जमानत जब्त हो जाती है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 5, 2024

तारीख, जगह और एक खास कार्यक्रम; 'मोदी सरकार की हुई वापसी तो इस बार शपथ ग्रहण होगा खास

नई दिल्ली, 05 जून 2024  (यूटीएन)। नतीजों से पहले ही दिल्ली में सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी के बड़े नेताओं की बैठक हो रही है। वहीं यह खबर सामने आ रही है कि एग्जिट पोल के नतीजों से उत्साहित बीजेपी नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के अलावा एक बड़े राजनीतिक कार्यक्रम की योजना बना रही है। यह कार्यक्रम राजधानी दिल्ली में इस वीकेंड आयोजित हो सकता है। यह 'राजनीतिक कार्यक्रम' आधिकारिक शपथ ग्रहण के दिन ही भारत मंडपम या कर्तव्य पथ पर आयोजित होने की संभावना है। इसे 'भारत की सांस्कृतिक विरासत' के प्रदर्शन के रूप में आयोजित करने की तैयारी है जिसमें संभवतः साउंड और लाइट शो भी शामिल होगा। इसमें विदेशी सरकारों के प्रतिनिधियों सहित 8 से 10 हजार लोगों के शामिल होने की संभावना है।   एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, शपथ ग्रहण समारोह के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम की योजना को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन यह 9 जून को हो सकता है। 2019 में, सरकार ने परिणाम घोषित होने के एक सप्ताह बाद 30 मई को शपथ ली। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 'राजनीतिक कार्यक्रम' पर चर्चा की गई है साथ ही 'बड़ी सभा' की मेजबानी की व्यवस्था पर भी चर्चा की गई, खास तौर पर मौजूदा मौसम की स्थिति को देखते हुए। पार्टी नेता ने कहा, 'माना जाता है कि इस कार्यक्रम पर वरिष्ठ नेतृत्व ने चर्चा की है और रामलीला मैदान, लाल किला से लेकर भारत मंडपम और यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर तक कई जगहों को विकल्प के तौर पर चुना गया है।   गर्मी को देखते हुए यह कार्यक्रम भारत मंडपम या यशोभूमि में आयोजित किए जाने की संभावना है। भारत मंडपम पिछले साल सफल जी20 शिखर सम्मेलन और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का आयोजन स्थल था। 4 जून यानी कल होने वाली मतगणना से पहले राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से 28 मई को राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों के लिए सजावटी इनडोर और सजावटी पौधों को लेकर टेंडर जारी किया जा चुका है। यह टेंडर आज खुलेगा और ठेकेदार के पास ऑर्डर पूरा करने के लिए पांच दिन का समय होगा। सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां पिछले सप्ताह ही शुरू हो गई थीं। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) इस आयोजन पर 'पहले से ही काम कर रहा है। वहीं लोकसभा सचिवालय देशभर से नवनिर्वाचित सांसदों की यात्रा, हवाईअड्डे और रेलवे स्टेशनों पर उनके आगमन और राजधानी में उनके ठहरने की सुविधा के लिए तैयारियां कर रहा है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 5, 2024

मतगणना से पहले विपक्ष ने उठाया पोस्टल बैलेट पर सवाल तो चुनाव आयोग ने बता दिया पूरा कानून

नई दिल्ली, 05 जून 2024 (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव में वोटों की गिनती शुरू होने में कम समय बचा है। वोटों की गिनती से पहले विपक्षी धड़े वाले इंडिया गठबंधन ने चुनाव आयोग से मुलाकात की। इंडिया गठबंधन की तरफ से पोस्टल बैलेट की गिनती से जुड़ा मुद्दा चुनाव आयोग के समक्ष रखा गया। निर्वाचन आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि 4 जून को ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन’ के नतीजों से पहले डाक मत पत्रों की गिनती कर उनके परिणाम घोषित किए जाएं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि निर्वाचन आयोग को मतगणना प्रक्रिया पर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करना चाहिए और उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। इस पर चुनाव आयोग की तरफ से सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की तरफ से जवाब दिया गया।   पोस्टल बैलेट की गिनती पहले होगी   मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि पोस्टल बैलेट की जो स्कीम है उसका रूल है 54ए जिसे 1954 में लाया गया था। उस समय में बहुत अधिक पोस्टल बैलेट नहीं होते थे। पोस्टल बैलेट में सीनियर सिटीजन नहीं, विक्लांग लोग शामिल नहीं थे। धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ रही है। समग्र चुनाव के लिए यह जरूरी है कि हम इस सुविधा को बढ़ाएं। राजीव कुमार ने कहा कि पत्रकारों के लिए भी पोस्टल बैलेट की सुविधा दी गई। जरूरी सेवा वालों को भी पोस्टल बैलेट की सुविधा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में रूल है वो स्पष्ट रूप से कहता है कि पोस्टल बैलेट की गणना पहले होगी। इसलिए पूरे देश में सभी केंद्रों पर इसकी गणना पहले ही होगी। इस बारे में कोई शंका नहीं है। इसके आधे घंटे के बाद ईवीएम की काउंटिंग शुरू होगी। उन्होंने कहा कि 2019 के आम चुनाव में भी यही हुआ। उसके बाद हुए विधानसभा के चुनाव और यहां तक कि रविवार को अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के चुनाव में भी यही हुआ।   यह प्रक्रिया 70 साल से चल रही है   कुमार ने रविवार को आयोग से मुलाकात करने वाले बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल की सभी मांगों को स्वीकार कर लिया था और कहा था कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे सात दशकों से चली आ रही चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा हैं। कुमार ने कहा कि कुछ मांग बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा की गई थीं। हमनें उनकी सभी मांगें मान लीं। उन्होंने संकेत दिया कि बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा उठाए गए अधिकांश मुद्दे चुनाव नियमावली का हिस्सा थे। कुमार ने कहा कि यह प्रक्रिया 70 सालों से चल रही है। हमने हर निर्वाचन अधिकारी/सहायक निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिए हैं। ये हमारे आदेश हैं और ये कोई मजाक नहीं है... सभी को हैंडबुक/नियमावली का पालन करने का निर्देश दिया गया है।   64.2 करोड़ लोगों ने वोट डाल बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड   मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने भारत ने लोकसभा चुनाव में 31.2 करोड़ महिलाओं समेत 64.2 करोड़ मतदाताओं की भागीदारी के साथ विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। दुनिया की सबसे बड़ी मतदान प्रक्रिया में 68,000 से अधिक निगरानी दल और डेढ़ करोड़ से अधिक मतदान तथा सुरक्षा कर्मी शामिल रहे। जम्मू-कश्मीर में चार दशकों में सबसे अधिक मतदान हुआ- कुल मिलाकर 58.58 प्रतिशत और घाटी में 51.05 प्रतिशत वोटिंग हुई।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 5, 2024

मेरे भीतर असीम ऊर्जा अगले 25 साल देश को समर्पित करे जनता; कन्याकुमारी प्रवास के बाद प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 05 जून 2024 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 की राजनीतिक व्यस्तताओं के बाद आध्यात्मिक यात्रा पर तमिलनाडु के कन्याकुमारी में प्रवास किया। विवेकानंद मेमोरियल में 45 घंटे के ध्यान के बाद प्रधानमंत्री ने भारत के भावी विकास और देश की वास्तविक ताकत का उल्लेख करते हुए खास संदेश दिया है। पीएम मोदी ने कहा, हमें प्राचीन मूल्यों को आधुनिक स्वरूप में अपनाकर विरासतों को आधुनिक ढंग से दोबारा परिभाषित करना होगा। उन्होंने कहा, हमें पुरानी पड़ चुकी सोच और मान्यताओं का परिमार्जन करना होगा। समाज को पेशेवर निराशावादियों के दबाव से बाहर निकालने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नकारात्मकता से मुक्ति सफलता की सिद्धि तक पहुंचने की पहली जड़ी-बूटी है। सफलता सकारात्मकता की गोद में ही पलती है। इस संदेश के साथ उन्होंने देशवासियों से अगले 25 वर्ष केवल और केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करने का आह्वान भी किया।   स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा........   प्रधानमंत्री ने कहा, 'मेरे मन में विरक्ति का भाव और तीव्र हो गया...मेरा मन बाह्य जगत से पूरी तरह अलिप्त हो गया। इतने बड़े दायित्वों के बीच ऐसी साधना कठिन होती है, पर कन्याकुमारी की भूमि और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा ने इसे सहज बना दिया। मैं सांसद के तौर पर अपना चुनाव भी काशी के मतदाताओं के चरणों में छोड़कर यहां आया था। इस विरक्ति के बीच, शांति और नीरवता के बीच, मेरे मन में भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए, भारत के लक्ष्यों के लिए निरंतर विचार उमड़ रहे थे।   कन्याकुमारी में भारत का वैचारिक संगम; समुद्रों में मिलती हैं देश की पवित्र नदियां.......   पीएम मोदी ने कहा, कन्याकुमारी का यह स्थान हमेशा से मेरे मन के अत्यंत करीब रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी...यह हर देशवासी के अंतर्मन में रची-बसी हमारी साझी पहचान है। कन्याकुमारी संगमों के संगम की धरती है। हमारे देश की पवित्र नदियां अलग-अलग समुद्रों में जाकर मिलती हैं और यहां उन समुद्रों का संगम होता है। और यहां एक और महान संगम दिखता है-भारत का वैचारिक संगम! यहां विवेकानंद शिला स्मारक के साथ ही संत तिरुवल्लूवर की विशाल प्रतिमा, गांधी मंडपम और कामराजर मणि मंडपम हैं।    भारत की ताकत एक अवसर है..........   एक जून को कन्याकुमारी से दिल्ली लौटते समय शाम 4.15 बजे से सात बजे के बीच नोट लिखा। उन्होंने इसकी शुरुआत में लिखा, 'कन्याकुमारी में तीन दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा के बाद मैं अभी दिल्ली के विमान में सवार हुआ हूं। बकौल प्रधानमंत्री मोदी, 'आज के वैश्विक परिदृश्य में, एक युवा राष्ट्र के रूप में भारत की ताकत एक अवसर है, ऐसे समय में हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।   भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के कई देशों के लिए मिसाल............   तीन दिवसीय ध्यान के दौरान अपने विचारों के बारे में बताते हुए पीएम ने लिखा, 'वैराग्य, शांति और मौन के बीच, मेरा मन निरंतर भारत के उज्ज्वल भविष्य के बारे में, भारत के लक्ष्यों के बारे में सोच रहा था।' उन्होंने कहा कि भारत हजारों वर्षों से विचारों का उद्गम स्थल रहा है। हमने जो अर्जित किया उसे कभी निजी संपत्ति नहीं माना। हमने इसे कभी आर्थिक या भौतिक मापदंडों से नहीं मापा, इसलिए 'इदं न मम' यानी यह मेरा नहीं है, भारत के चरित्र का अंतर्निहित और स्वाभाविक हिस्सा बन चुका है। भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के कई देशों के लिए मिसाल बन चुका है।   ध्यान की अवस्था में पहुंचते ही राजनीति और बाहरी दुनिया से अलगाव की भावना महसूस हुई.........   प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का विकास पथ हमें गौरवान्वित करता है। साथ ही 140 करोड़ नागरिकों को यह जिम्मेदारियों की याद भी दिलाता है। उन्होंने कहा कि हमें एक भी पल बर्बाद किए बिना अधिक कर्तव्यों और बड़े लक्ष्यों की तरफ बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें नए ख्वाब देखने होंगे, इन सपनों को हकीकत में बदलने के लिए सपने को जीना शुरू करना होगा।   आध्यात्मिक अनुभव का जिक्र कर बोले प्रधानमंत्री,राजनीतिक बहस शून्य में विलीन........   प्रधानमंत्री ने अपने लेख में लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम दौर में मतदान का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव अमृत काल का पहला चुनाव है। उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा के बाद जब मैं अभी-अभी दिल्ली के लिए विमान में सवार हुआ हूं। पूरे दिन काशी और अन्य सीटों पर मतदान की चर्चा रही। उन्होंने अपने आध्यात्मिक अनुभव का जिक्र करते हुए कहा, जैसे ही वे ध्यान की अवस्था में पहुंचे, सभी गरमागरम राजनीतिक बहसें, जवाबी हमले और आरोप-प्रत्यारोप शून्य में विलीन हो गए। उन्होंने कहा कि उन्हें बाहरी दुनिया से अलगाव की भावना महसूस हुई।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 5, 2024

लापता जेंटलमेन' के सवाल पर बोले चुनाव आयुक्त हम हमेशा यहीं थे

नई दिल्ली, 04 जून 2024  (यूटीएन)। चुनाव आयोग की एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। ऐसा पहली बार है जब जब इलेक्शन बीत जाने के बाद बाद चुनाव आयोग की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा इस बार का चुनाव कई मायनों में खास रहा। कई मामलों में नए रिकॉर्ड बने हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि यह पहला मौका है जब हमने इलेक्शन में 100 प्रेस नोट जारी किए। राजीव कुमार ने कहा कि हमने 4 एम की बात की थी। किसी भी नेता के मुंह से कोई ऐसी बात न निकले जिससे महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचे। इसका पूरा ध्यान रखा गया और किसी ने ऐसा किया तो सख्त एक्शन लिया। 31 करोड़ महिला वोटर्स हैं, यह आंकड़ा दुनिया में सबसे अधिक है। हमें इन महिला मतदाताओं का खड़े होकर सम्मान करना चाहिए। निर्वाचन आयुक्तों को सोशल मीडिया पर कुछ लोगों द्वारा 'लापता जेंटलमेन' नाम दिए जाने के संदर्भ में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि हम हमेशा यहीं थे, कभी नदारद नहीं रहे। उन्होंने कहा कि कोई ऐसा नहीं बचा जिसका हेलीकॉप्टर चेक न हुआ हो। यह संदेश था कि जो टीम काम कर रही है वह डरेगी नहीं। इसका नतीजा है कि इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान नकदी, मुफ्त उपहारों, मादक पदार्थ और शराब समेत 10,000 करोड़ रुपये मूल्य की जब्ती की गयी जबकि 2019 में 3,500 करोड़ रुपये की जब्ती की गयी थी। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए करीब चार लाख वाहनों, 135 विशेष ट्रेनों और 1,692 उड़ानों का इस्तेमाल किया गया।   कई दलों के प्रतिनिधिमंडलों द्वारा उठाए सभी मुद्दों को हल किया गया। इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता की 495 शिकायतों में से 90 प्रतिशत से अधिक का निस्तारण किया गया। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के दौरान सभी विकास कार्य रुक जाते थे, निर्वाचन आयोग ने 95-98 फीसदी परियोजनाओं में अर्जियां मिलने के 48 घंटे के भीतर अनुमति दी। 2024 के आम चुनाव में केवल 39 पुन: मतदान हुए जबकि 2019 में 540 पुन: मतदान कराए गए थे जम्मू कश्मीर में चार दशकों में सर्वाधिक 58.58 प्रतिशत मतदान और घाटी में 51.05 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।   भारत ने लोकसभा चुनाव में 31.2 करोड़ महिलाओं समेत 64.2 करोड़ मतदाताओं की भागीदारी के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने यह बात कही। राजीव कुमार ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी मतदान प्रक्रिया में 68,000 से अधिक निगरानी दल और डेढ़ करोड़ से अधिक मतदान तथा सुरक्षा कर्मी शामिल रहे। लोकसभा चुनाव सात चरण में आयोजित किए गए थे, जो 19 अप्रैल से शुरू हुए थे और एक जून को संपन्न हुए।   ऐसा पहली बार है जब चुनाव आयोग ने मतदान समाप्त होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इससे पहले रविवार दिन में विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ से मुलाकात की और चार जून को लोकसभा चुनाव की मतगणना के दौरान सभी दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। इन दिशानिर्देशों में, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के नतीजों से पहले डाक मत पत्रों के परिणामों की घोषणा करना भी शामिल है। आयोग से मुलाकात करने वाले नेताओं में कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी भी शामिल थे। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 4, 2024

यह एग्जिट पोल नहीं, बल्कि मोदी पोल है: राहुल गांधी

नई दिल्ली, 03 जून 2024  (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल में तीसरी बार भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनने का अनुमान है। एग्जिट पोल के आंकड़ों को इंडिया ब्लॉक के नेता ने मानने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस ने एग्जिट पोल के नतीजों को एक मनोवैज्ञानिक खेल बताया। इन्हीं सब को लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने आज एक बैठक की। बैठक के तुरंत बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पत्रकारों से बात की। उन्होंने इस दौरान सिद्धू मूसेवाला के एक गाने की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि यह मोदी मीडिया पोल है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पार्टी के लोकसभा उम्मीदवारों, कांग्रेस विधायक दल के नेताओं और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों के साथ बैठक की।    बैठक में कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'ये एग्जिट पोल झूठे हैं। इंडिया गठबंधन को 295 सीटों से कम सीटें नहीं मिलने जा रही हैं। ये एग्जिट पोल फर्जी हैं क्योंकि पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मनोवैज्ञानिक खेल खेल रहे हैं।  विपक्षी दलों, चुनाव आयोग, मतगणना एजेंटों, रिटर्निंग अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसा माहौल बना रहे हैं कि वे वापस आ रहे हैं लेकिन वास्तविकता पूरी तरह से अलग है।   राहुल गांधी ने पत्रकारों से कहा, 'यह एग्जिट पोल नहीं है। यह मोदी मीडिया पोल है। यह मोदी जी का पोल है। उनका फैंटेसी पोल है।' इंडिया अलायंस के लिए सीटों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा, 'क्या आपने सिद्धू मूसे वाला का गाना 295 सुना है? 295।' एग्जिट पोल पर कर्नाटक के डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा, 'हमें विश्वास है कि कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में दो तिहाई सीटें जीतेगी। इस देश के लोग बदलाव चाहते हैं।   सभी कार्यकर्ता आश्वस्त हैं और मुझे नहीं लगता कि हम कर्नाटक में हारने जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल पर गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने कहा, 'पहले भाजपा कहती थी कि हम सभी 26 सीटें पांच लाख वोटों के अंतर से जीतेंगे, लेकिन अब वो ऐसा नहीं कह रहे हैं। 12 सीटों पर हम भाजपा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं और कांग्रेस 4-5 सीटें जीतेगी।   पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, 'सभी सर्वेक्षणों में कांग्रेस पार्टी को सात से नौ सीटें दी गई हैं। हम नौ सीटों पर आगे हैं, एक सीट आप के खाते में जाएगी और तीन सीटें ऐसे उम्मीदवारों को मिलेंगी जो किसी भी तरह से एनडीए या पीएम मोदी की मदद नहीं करेंगे। मेरा मानना है कि इंडिया गठबंधन को कम से कम 10 सीटें मिलेंगी... पंजाब में एनडीए को एक भी सीट नहीं मिलने जा रही है।    राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, 'राजस्थान में इंडिया गठबंधन 11-12 सीटें जीतने जा रहा है और आठ सीटों पर एक करीबी मुकाबला है। वे (एनडीए) राज्य में सात सीटों तक सीमित हैं। हमें किसी भी कीमत पर भाजपा से एक सीट ज्यादा मिलने वाली है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 3, 2024