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क्या फिर पाला बदलने वाले हैं नीतीश कुमार? नीति आयोग की बैठक में न पहुंचने के बाद लगने लगे कयास

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को नीति आयोग की दिल्ली में हुई बैठक में शामिल नहीं हुए. अधिकारियों ने बताया कि बैठक में राज्य का प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने किया. कुमार के इस महत्वपूर्ण बैठक से अनुपस्थित रहने का कारण अभी पता नहीं चल सका है.   यह पहली बार नहीं है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. शामिल नहीं हुए थे और बिहार का प्रतिनिधित्व तत्कालीन उपमुख्यमंत्री ने किया था. जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने बताया कि इस बार भी दोनों उपमुख्यमंत्री बैठक में शामिल होने गए थे. इसके अलावा, बिहार से चार केंद्रीय मंत्री भी आयोग के सदस्य हैं और वे बैठक में मौजूद रहेंगे.   *विकसित भारत पर हुई चर्चा*   उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बैठक में क्यों शामिल नहीं हुए इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. बता दें कि आयोग की नौवीं शासी परिषद की बैठक में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से की गई थी. बैठक में डॉक्युमेंट 'विकसित भारत@2047' पर सभी ने चर्चा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीति आयोग के अध्यक्ष हैं.   *बीच में ही बैठक छोड़कर निकलीं ममता बनर्जी*   नीतीश कुमार की अनुपस्थिति से अलग इस बैठक में ममता बनर्जी की उपस्थिति ने भी सबको चौंकाया. हालांकि, चर्चा है कि ममता बनर्जी बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर निकल गईं. इतना ही नहीं ममता ने इस दौरान कहा कि ये कैसे चल सकता है? ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने बैठक में अपना विरोध जताया. उन्हें बैठक में बोलने का मौका नहीं दिया जाता. ये कैसे चल सकता है? केंद्र सरकार मनमानी कर रही है.   मैंने कहा कि आपको (केंद्र सरकार को) राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए. मैं बोलना चाहती थी लेकिन मुझे सिर्फ 5 मिनट बोलने दिया गया. मुझसे पहले के लोगों ने 10-20 मिनट तक बात की. विपक्ष से मैं अकेली थी जो इस बैठक में भाग ले रही थी लेकिन फिर भी मुझे बोलने नहीं दिया गया. यह अपमानजनक है. यह सिर्फ बंगाल का ही नहीं, बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का अपमान है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

रणथंभौर की बाघिन मछली की चार पीढ़ियों पर लिखी किताब"वॉरियर क्वींस ऑफ रणथंभौर" का भव्य लॉन्च

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। सुप्रसिद्ध वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर मनीष कलानी द्वारा रणथंभौर चर्चित बाघिन मछली और उसकी चार पीढ़ियों का वर्णन करने वाली कॉफी टेबल बुक 'वॉरियर क्वीन्स ऑफ रणथंभौर' का लॉन्च दिल्ली केवर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) में हुआ। यह किताब वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर मनीष कलानी की 8 साल की फोटोग्राफिक यात्रा हैं । इस पुस्तक की तस्वीरें 8 वर्षों में क्लिक की गई हैं, जो रणथंभौर  की चर्चित बाघिन मछली के परिवार की यात्रा को दर्शाती है। किताब में बाघीन मछली की बेटी कृष्णा, पोती एरो हेड, परपोती रिद्धि और रिद्धि के शावक की कहानी बताई गयी हैं। दिल्ली के लोधी एस्टेट स्थित वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) इंडिया परिसर में आयोजित पुस्तक लॉन्च में पर्यावरण और संरक्षण क्षेत्र के अनेक नामचीन हस्तियां मौजूद थीं ।   मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे। यह पुस्तक भारत की पहली और एकमात्र वाइल्डलाइफ कॉफी टेबल बुक है जो रणथंभौर की बाघिनों की चार पीढ़ियों को समर्पित हैं। मनीष कलानी एकमात्र वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर हैं, जिन्होंने इन सभी बाघिनों की जीवन यात्रा को एक पुस्तक में संग्रहित किया है। पुस्तक और बाघिन मछली के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए फोटोग्राफर और लेखक मनीष कालानी ने बताया कि यह पुस्तक मछली की उल्लेखनीय विरासत को श्रद्धांजलि है, जिसमें उसके वंशजों सहित 52 बाघ शामिल हैं, और जटिल परिवार की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। उन्होंने बताया कि मछली शुरू से ही चमकती रही और अंततः उसे "दुनिया का सबसे प्रसिद्ध बाघिन" का खिताब दिया गया। कालानी ने बताया कि अपने प्रारंभिक वर्षों से, मछली ने प्रचंड स्वतंत्रता और कौशल का प्रदर्शन किया।   अपने दूसरे वर्ष तक, उसने पहले से ही अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया था, कुशलतापूर्वक शिकार करना और धीरे-धीरे अपनी माँ के क्षेत्र के एक हिस्से पर अपना दावा करना शुरू कर दिया था। उन्होंने बताया कि सावधानीपूर्वक तैयार की गई छवियों का एक संयोजन, यह क्यूरेटेड संग्रह 52 बाघों की गाथा को उजागर करता है, प्रत्येक फ्रेम रणथंभौर के विविध परिदृश्यों में बिताए गए अनगिनत घंटों का एक प्रमाण है। पाठकों को इन राजसी प्राणियों के गहन आख्यानों और दृश्य वैभव को गहराई से जानने के लिए आमंत्रित किया जाता है। मनीष कालानी के अनुसार तेज़-तर्रार दुनिया में, प्यार का यह श्रम वन्यजीव प्रेमियों की भावना को फिर से जगाने और पारखी लोगों के संग्रह में एक ईमानदार स्थान अर्जित करने की आकांक्षा रखता है। उन्होंने कहा कि एक मात्र संकलन से अधिक, इस पुस्तक का उद्देश्य बाघ संरक्षण पर एक अमिट छाप छोड़ना है।   इस उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्धता में, इसकी बिक्री से प्राप्त आय रीगल रोअर ट्रस्ट को समर्पित है - जो मछली की स्थायी विरासत के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है। कालानी ने बताया कि 2022 में इस पुस्तक की उत्पत्ति मछली की स्थायी भावना के लिए एक श्रद्धांजलि थी। दुनिया की सबसे मशहूर बाघिन की वंशावली पर कब्जा करने के आकर्षण के रूप में जो शुरू हुआ वह एक भव्य कथा में बदल गया, उसके वंशजों-रणथंभौर की योद्धा रानियों का जश्न मनाने वाली छवियों और कहानियों की एक समृद्ध टेपेस्ट्री। यह पुस्तक मछली नाम की बाघिन को भावभीनी श्रद्धांजलि है, जिसका नाम 'मछली' दर्शाता है, जो उसके राजसी आचरण से एकदम विपरीत है। उसने एक रानी की कृपा से शासन किया और एक देवता के समान विरासत छोड़ी। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश में अनेक बाघ अभयारण्य हैं लेकिन रणथंभौर राष्ट्रीय बाघ अभयारण्य ने विश्व स्तर पर अपनी एक विशेष पहचान कायम की है।   मछली की तीसरी पीढ़ी की सदस्य बाघिन झुमरी के हमले में बुरी तरह से जख्मी हुए तथा दो वर्षों तक अस्पताल में भर्ती रहे रणथंभौर के पूर्व जिला वनाधिकारी दौलत सिंह शेखावत ने अपने ऊपर हुए हमले और बाघ बाघिनों के स्वभाव और क्रिया कलापों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बाघिन मछली के बारे जानकारी देते हुए बताया कि आमतौर पर एक बाघिन तीन से चार साल तक जंगल के क्षेत्र में राज करती है लेकिन मछली बाघिन ने दस वर्षों से भी अधिक समय तक रणथंभौर के झील क्षेत्र में अपना साम्राज्य कायम रखा। बाघिन मछली के बारे में विशेष जानकारी देते हुए शेखावत ने बताया कि अपने प्रारंभिक वर्षों से, मछली ने प्रचंड स्वतंत्रता और कौशल का प्रदर्शन किया। अपने दूसरे वर्ष तक, उसने पहले से ही अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया था, कुशलतापूर्वक शिकार करना और धीरे-धीरे अपनी माँ के क्षेत्र के एक हिस्से पर अपना दावा करना शुरू कर दिया था। उन्होंने आगे बताया कि उसकी कुशलता सिर्फ शिकार करने में नहीं, बल्कि उसकी असाधारण ताकत में थी। इसका ज्वलंत प्रमाण 2003 में मिला, जब मछली ने 12 फुट के मगर मगरमच्छ के साथ भीषण युद्ध किया। प्रभावशाली और कुशल शिकारी, जिसे "झीलों की महिला" और "मगरमच्छ हत्यारा" के नाम से जाना जाता है। इस मुठभेड़ में, हालांकि उसके दो नुकीले दांतों की कीमत चुकानी पड़ी, इसने उसकी अदम्य भावना और धैर्य को रेखांकित किया। वह अपनी संतानों की रक्षा करने में भी उतनी ही उग्र थी।   नर बाघों सहित संभावित खतरों से उनकी रक्षा करती थी। वनाधिकारी ने बताया कि 1999 और 2006 के बीच, मछली की विरासत फली-फूली जब उसने पांच बच्चों को मां बनाया, जिससे ग्यारह शावक पैदा हुए - सात मादा और चार नर। बाघों के संरक्षण में उनकी भूमिका स्मारकीय थी। उनके शासनकाल में, रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो 2004 में 15 से बढ़कर 2014 तक प्रभावशाली 50 हो गई। उन्होंने बताया कि मछली ने बाघ जगत को शोभायमान किया। वह सबसे अधिक मुखर थीं। मछली का प्रभाव जंगल से बाहर तक फैला हुआ था। 2013 में, भारत सरकार ने पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था दोनों में उनके योगदान का जश्न मनाते हुए उन्हें एक स्मारक डाक कवर और टिकट से सम्मानित किया। दौलत सिंह शेखावत ने बताया कि  प्रसिद्ध बाघिन मछली ने 17 अगस्त 2016 को रणथंभौर के जंगलों को अलविदा कह दिया। 19 साल की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई, जो जंगली बाघों के सामान्य जीवनकाल से काफी अधिक थी। वह सम्मान और परंपरा की एक अनुठी मिशाल थी। उन्होंने बताया कि जनता के लिए खुले एक समारोह में हिंदू रीति-रिवाजों के बीच अंतिम संस्कार किया गया। सोशल मीडिया और स्थानीय गाइडों ने एक बाघिन की तस्वीर पेश करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसने न केवल पूरे देश को मंत्रमुग्ध कर दिया, बल्कि रणथंभौर की बाघ आबादी को पुनर्जीवित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

कारगिल विजय दिवस: 25 साल पहले पिता ने पाकिस्तान को धूल चटाई और अब बेटा कमान संभाले बैठा है

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। कारगिल विजय दिवस भारत के 140 करोड़ लोगों को गर्व महसूस कराने वाला दिन है। हर साल 26 जुलाई को यह दिन पूरा देश सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन 1999 में कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को हराया था। यह युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला था। यह दिवस उन सभी वीर भारतीय सैनिकों को याद करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने इस युद्ध में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।   कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता दिखाने वाली 8 माउंटेन डिवीजन के लिए यह साल खास है। 25 साल पहले इस डिवीजन ने दुश्मनों को धूल चटाई थी। अब इसी डिवीजन की कमान मेजर जनरल सचिन मलिक संभाल रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि कारगिल युद्ध के वक्त उनके पिता पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक सेनाध्यक्ष थे। जनरल वीपी मलिक ने अपने करियर में 8 माउंटेन डिवीजन का नेतृत्व किया था।   *भारत का सबसे यादगार युद्ध*   कारगिल युद्ध भारत के लिए एक यादगार जीत थी। यह युद्ध दुनिया के सबसे कठिन ऊंचाई वाले युद्धों में से एक था। 8 माउंटेन डिवीजन ने इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जनरल वीपी मलिक के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ बाहर किया था। यह जीत भारतीय सेना की वीरता और साहस का प्रतीक है। मेजर जनरल सचिन मलिक के 8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभालने से इस डिवीजन का गौरव और बढ़ गया है। पिता और पुत्र, दोनों का इस डिवीजन से गहरा नाता रहा है।   *25वीं वर्षगांठ*   जनरल वीपी मलिक ने 25वीं वर्षगांठ पर युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उन्होंने कहा, 'यह 25वीं वर्षगांठ है, जो एक विशेष अवसर है। मैं हमेशा यहां युद्ध में शहीद हुए अधिकारियों और जवानों को श्रद्धांजलि देने और हमारी सेना द्वारा किए गए सभी अच्छे कार्यों को याद करने आता हूं।' इस बार यह मौका और भी खास बन गया क्योंकि सचिन भी इस मौके पर मौजूद थे। सचिन उसी डिवीजन की कमान संभाल रहे हैं जहां जनरल मलिक ने युद्ध लड़ा था। जनरल मलिक ने कहा, 'इस साल यह इसलिए भी खास हो गया है क्योंकि सचिन यहां है और वह उसी डिवीजन की कमान संभाल रहा है जहाँ मैंने युद्ध लड़ा था, उसी जगह पर जहाँ हमने युद्ध लड़ा था।'   8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभाला बड़ी चुनौती   मेजर जनरल सचिन मलिक ने 8 माउंटेन डिवीजन की कमान की चुनौतियों पर बात की। 8 माउंटेन डिवीजन नियंत्रण रेखा पर कठिन परिस्थितियों में काम करता है। मेजर जनरल मलिक इसे एक सौभाग्य और एक बड़ी जिम्मेदारी मानते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं इसे एक सौभाग्य के साथ-साथ एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में देखता हूं।' मेजर जनरल मलिक ने 8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभाली है। यह डिवीजन 1963 से हमेशा ऑपरेशन में रही है, इसलिए इसे 'फॉरएवर इन ऑपरेशन्स' कहा जाता है।   कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर, मेजर जनरल मलिक ने कहा कि उनकी डिवीजन के अधिकांश सैनिक नियंत्रण रेखा पर तैनात हैं। ऐसा इसलिए है ताकि दोबारा कारगिल जैसी कोई घटना न हो सके। उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इन चोटियों पर बहुत खून बहा है। हम कभी किसी को दोबारा ऐसा करने नहीं देंगे। हमें हमेशा सतर्क रहना होगा। कभी भी किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसा दोबारा कभी न हो।   ये चोटियां... इन पर बहुत खून बहाया गया है'   मेजर जनरल मलिक ने 8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभालने को एक बड़ा सम्मान बताया है। उन्होंने कहा, '8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभालना एक बहुत बड़ा सम्मान है, जिसे 'फॉरएवर इन ऑपरेशन्स' डिवीजन के रूप में जाना जाता है- यह अपनी स्थापना (1963 में) के समय से ही हमेशा ऑपरेशन में रही है।' उन्होंने आगे कहा, 'जब हम कारगिल युद्ध की रजत जयंती मना रहे हैं, तो हमें यह याद रखना होगा कि मेरे डिवीजन का बड़ा हिस्सा नियंत्रण रेखा पर तैनात है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसा कुछ दोबारा न हो।   ' उन्होंने इस जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण बताया। उनके अनुसार, 'पहली बात जो दिमाग में आती है वह है भारी जिम्मेदारी। ये चोटियां... इन पर बहुत खून बहाया गया है और ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे हम कभी भी किसी को दोबारा ऐसा करने दें। इसलिए हमें हमेशा पूरी तरह से सतर्क रहना होगा, हमें हर चीज के लिए तैयार रहना होगा और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उस प्रकृति का कुछ भी दोबारा न हो।' फरवरी में मेजर जनरल सचिन मलिक ने माउंटेन डिवीजन के 42वें जनरल ऑफिसर कमांडिंग का पद संभाला।   *पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े*   कारगिल युद्ध मई और जुलाई 1999 के बीच लड़ा गया था। पाकिस्तान से घुसपैठियों ने एल ओ सी के भारतीय हिस्से पर कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना और वायु सेना ने बहादुरी से उनसे मुकाबला किया और कई सामरिक चौकियों पर फिर से कब्जा कर लिया। इससे घुसपैठियों को बाकी चौकियों से पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदला

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। राष्ट्रपति भवन ने को दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदल दिया गया है. अब से दरबार हॉल को 'गणतंत्र मंडप' और अशोक हॉल को 'अशोक मंडप' के नाम से जाना जाएगा. मामले पर सियासत भी तेज हो गई है. इसको लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पीएम मोदी पर निशाना साधा.   प्रियंका गांधी ने कहा कि दरबार का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है, लेकिन 'शहंशाह' का कॉन्सेप्ट है. राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में इसकी जानकारी दी गई. पिछले साल ही केंद्र की मोदी सरकार ने राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया था. ‘दरबार हॉल’ राष्ट्रीय पुरस्कारों की प्रजेंटेंशन जैसे खास समारोहों और उत्सवों का स्थल है. 'दरबार' शब्द का अर्थ भारतीय शासकों और अंग्रेजों की कोर्ट और सभाओं से है.   *दरबार हॉल का हुआ नामकरण*   भारत के गणतंत्र बनने के बाद, यानी 'गणतंत्र' के बाद इसकी प्रासंगिकता खत्म हो गई. 'गणतंत्र' की अवधारणा प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में गहराई से निहित है, इसलिए 'गणतंत्र मंडप' इस आयोजन स्थल के लिए एक उचित नाम है.   अशोक हॉल' का नाम बदलकर हुआ अशोक मंडप'   राष्ट्रपति भवन में बना 'अशोक हॉल' मूल रूप से एक बॉलरूम था. 'अशोक' शब्द का अर्थ है वह शख्स जो "सभी कष्टों से मुक्त' हो. साथ ही, 'अशोक' सम्राट अशोक को प्रदर्शित करता है, जो एकता और शांति का प्रतीक है. भारत गणराज्य का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ से अशोक का सिंह सबसे ऊपर है. जिसका भारतीय धार्मिक परंपराओं के साथ-साथ कला और संस्कृति में भी गहरा महत्व है. ऐसे में 'अशोक हॉल' का नाम बदलकर 'अशोक मंडप' करने से ब्रिटिश हुकूमत के निशान मिट जाते हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में वृद्धि का मुख्य कारण: अजय टम्टा

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। एसोसिएट चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) द्वारा आयोजित "नवीन एवं सतत समाधानों के माध्यम से सुरक्षित पारिस्थितिकी तंत्र का भविष्य" विषय पर 8वें सड़क सुरक्षा सम्मेलन के एक सत्र को संबोधित करते हुए, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि सड़क सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार लाने के लिए सरकार सड़क सुरक्षा मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और ग्रामीण एवं शहरी सड़कों के डिजाइन में सुरक्षा से संबंधित मानकों की समीक्षा करने के लिए भी कदम उठा रही है। हाल ही में की गई पहलों में से एक ज्ञान और नवोन्मेषी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा आयोजित ज्ञान साझाकरण मंच शामिल है।  टम्टा ने कहा कि यह प्रयास प्राधिकरण को उन विशेषज्ञों और नागरिकों के साथ काम करने में सहायता करेगा जो सड़क डिजाइन, निर्माण, सड़क सुरक्षा, पर्यावरणीय स्थिरता और संबंधित क्षेत्रों सहित विषयों के बारे में ज्ञान और विचारों का आदान-प्रदान करना चाहते हैं।    उन्होंने विभिन्न परिस्थितियों और सड़क प्रकारों में विभिन्न प्रकार की दुर्घटनाओं पर चर्चा की, तथा दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य की सड़कों को डिजाइन करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने स्थायी क्षति और हताहतों सहित सड़क दुर्घटनाओं के वार्षिक प्रभाव पर भी बात की। मैं सम्मेलन के 8वें संस्करण के आयोजन और विशेषज्ञों तथा विविध हितधारकों, विशेष रूप से युवा बच्चों, जिन्हें मैं यहां देख रहा हूं, भविष्य के सड़क-उपयोगकर्ता, के ऐसे प्रतिष्ठित समूह को एक साथ लाने के लिए एसोचैम की सराहना करता हूं। टम्टा ने कहा कि मैं बीएमडब्ल्यू इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से स्कूलों में चल रही सड़क सुरक्षा पहल के लिए भी एसोचैम की सराहना करना चाहूंगा। दिल्ली पुलिस के पुलिस उपायुक्त (यातायात, मुख्यालय) शिव केशरी सिंह ने अपने विशेष संबोधन में बताया कि किस प्रकार दुर्घटनाएं मुख्य रूप से रात के समय होती हैं तथा लोगों से वाहन चलाते समय सुरक्षित रहने और सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूक रहने को कहा। उन्होंने युवाओं से शपथ लेने और सड़क सुरक्षा के मामले में सावधान और जागरूक रहने का आग्रह किया।    उन्होंने कहा कि लगभग 75% दुर्घटनाएं दोपहिया वाहनों और पैदल चलने वालों के कारण होती हैं। उन्होंने सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाई, जो इन दिनों एक प्रमुख चिंता का विषय है। स्वागत भाषण देते हुए, एसोचैम नेशनल सीएसआर काउंसिल के अध्यक्ष अनिल राजपूत ने कहा, “सड़क सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो हम सभी को प्रभावित करता है, और हर साल, सड़क दुर्घटनाओं के कारण लाखों लोगों की जान चली जाती है या पूरी तरह से बदल जाती है। मेरा मानना ​​है कि ड्राइविंग कौशल में सुधार, शराब पीकर गाड़ी चलाने के खतरों के बारे में अधिक जागरूकता और वाहन रखरखाव पर जानकारी का गहन प्रसार सड़क दुर्घटनाओं और परिणामी जटिलताओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार, विशेष रूप से पिछले 10 वर्षों में, सड़क सुरक्षा के विविध पहलुओं को पूरा करने के लिए कई समाधानों की शुरुआत के माध्यम से इस मुद्दे को सक्रिय रूप से संबोधित कर रही है- इनमें आम लोगों के बीच जागरूकता और शिक्षा बढ़ाना, अनुसंधान और विकास, सड़क बुनियादी ढांचे में नवाचार, एकीकृत परिवहन प्रणाली और पोस्ट-ट्रॉमा देखभाल शामिल हैं सड़क सुरक्षा एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं है, इसके लिए नीति निर्माताओं, कॉरपोरेट्स, ओईएम, एनजीओ, मीडिया, नागरिक समाज संगठनों, थिंक-टैंक, शोध समूहों, शैक्षणिक संस्थानों, वकालत समूहों और बड़े पैमाने पर समाज के निरंतर और ठोस प्रयासों की आवश्यकता होती है।   स्विगी के संचालन प्रमुख मिहिर शाह ने कहा, "सड़क सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है, जिसके लिए सरकारी निकायों, निगमों और जनता के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है। एसोचैम सड़क सुरक्षा सम्मेलन एक सुरक्षित सड़क पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में स्थायी समाधान, नवीन प्रौद्योगिकियों और प्रभावी नीतियों के महत्व को रेखांकित करता है। स्विगी में, हम अपने 'डिलीवरिंग सेफली चार्टर' के माध्यम से इस उद्देश्य के लिए समर्पित हैं, जिसमें हमारे डिलीवरी भागीदारों के लिए उन्नत सुरक्षा तकनीकें, व्यापक सड़क सुरक्षा प्रशिक्षण और मजबूत आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली शामिल हैं। जिम्मेदार ड्राइविंग और सुरक्षित व्यवहार की संस्कृति को सहयोग और बढ़ावा देकर, हम सभी के लिए सुरक्षित सड़कें सुनिश्चित करने की दिशा में सार्थक प्रगति कर सकते हैं।" उद्योग संबोधन के दौरान होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कॉर्पोरेट मामलों के संचालन अधिकारी प्रभु नागराज ने सड़क सुरक्षा और प्रशिक्षण में होंडा की पहलों को रेखांकित किया। उन्होंने चर्चा की कि किस तरह कंपनी समय के साथ सड़क सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए नई तकनीकों के साथ विकसित हुई है। भारत में होंडा की प्रतिबद्धता तीन प्रमुख बातों पर केंद्रित है: गतिशीलता प्रदर्शन, यातायात पारिस्थितिकी तंत्र और मानव क्षमता में सुधार। नागराज ने छात्रों के बीच सड़क सुरक्षा जागरूकता पैदा करने के लिए डिज़ाइन किए गए व्यापक कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिसमें भविष्य के ड्राइवरों को तैयार करने के महत्व पर जोर दिया गया।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

सरकार 6 महीने में व्यापक समीक्षा के साथ संशोधित प्रत्यक्ष कर संहिता लाएगी: राजस्व सचिव

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। जय मल्होत्रा, सचिव राजस्व, वित्त मंत्रालय ने ‘संघीय बजट 2024-25 पर फिक्की के संवादात्मक सत्र’ को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार प्रत्यक्ष कर संहिता की व्यापक समीक्षा की दिशा में काम कर रही है, जिसे आंतरिक समिति द्वारा तैयार किया जाएगा और फिर अगले 6 महीनों के भीतर हितधारकों के परामर्श के लिए साझा किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारे पास परामर्श प्रक्रिया होगी और यह कैसे होगा, यह हम तय करेंगे। हम कार्यान्वयन के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहेंगे।” राजस्व सचिव ने आगे कहा कि सरकार करों के कार्यान्वयन के लिए परेशानी मुक्त, सरल और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रयास जारी रखेगी। “कराधान के प्रति हमारा दृष्टिकोण हमेशा सहयोग की शैली में रहा है और आगे भी रहेगा, टकराव की नहीं उन्होंने कहा कि नीतिगत और क्रियान्वयन दोनों ही दृष्टि से हमारे प्रस्तावों का उद्देश्य जहां से भी कर देय हैं।    वहां से कर एकत्र करना है, लेकिन ऐसा इस तरह से करना है कि करदाताओं को सम्मान और विश्वास मिले तथा उन्हें सहज और परेशानी रहित तरीके से एकत्र किया जा सके। केंद्रीय बजट के व्यापक विषयों पर प्रकाश डालते हुए मल्होत्रा ​​ने कहा कि बजट में पूरा प्रयास यह है कि करदाताओं के लिए कर प्रक्रिया को कैसे सरल बनाया जाए। अप्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर एंजल टैक्स को समाप्त करना, कानूनों को अपराधमुक्त करना, शुल्कों में कमी करना कुछ ऐसे बजट प्रस्ताव हैं, जिनसे उद्योग जगत को लाभ होगा। वित्त मंत्रालय के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने कहा कि नई स्लैब और दरों वाली नई कर व्यवस्था सभी के लिए फायदेमंद है और रिटर्न दाखिल करने वाले कुल करदाताओं में से लगभग 2/3 ने नई कर व्यवस्था को चुना है। उन्होंने पूंजीगत लाभ पर कराधान को युक्तिसंगत बनाने, टीडीएस दरों में कमी के साथ-साथ मुकदमेबाजी और अपील के लाभों पर भी प्रकाश डाला। वित्त मंत्रालय के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि।   केंद्रीय बजट 2024-25 में अप्रत्यक्ष करों पर दिए गए संकेत स्पष्ट हैं कि आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारा उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रहे, हमें सरलीकृत कराधान और युक्तिसंगत दरों की आवश्यकता है। फिक्की के पूर्व अध्यक्ष और जेके पेपर लिमिटेड के सीएमडी हर्ष पति सिंघानिया ने कहा, "दीर्घावधि पर नज़र रखते हुए, निकट अवधि की चुनौतियों का समाधान करते हुए, सरकार ने आश्वासन दिया है कि यह बजट विकासोन्मुखी, समावेशी है और समाज के सभी वर्गों के लिए अवसर पैदा करेगा।" उन्होंने आगे कहा कि अप्रत्यक्ष कर प्रस्ताव घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने, व्यापार बाधाओं को कम करने, मुकदमेबाजी पर अंकुश लगाने और व्यापार करने में आसानी में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उन्होंने कहा, "प्रत्यक्ष कर मामलों के संबंध में विवाद से विश्वास योजना की शुरूआत सही दिशा में एक कदम है, लेकिन हमारा मानना ​​है कि सीमा शुल्क के तहत लंबित विवादों को हल करने के लिए इसी तरह की योजना की बहुत आवश्यकता है और यह सीमा शुल्क मामलों पर मुकदमेबाजी को कम करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी।"   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

बजट समावेशी है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन और कौशल विकास पर जोर दिया गया है

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। केंद्रीय बजट 2024-25 पर टिप्पणी करते हुए, फिक्की के अध्यक्ष डॉ. अनीश शाह ने कहा, "फिक्की माननीय वित्त मंत्री को विकासोन्मुखी बजट पेश करने के लिए बधाई देता है, जिसमें अल्पकालिक मांग प्रोत्साहन और मध्यम से दीर्घकालिक विकास अनिवार्यताओं पर केंद्रित कार्रवाई दोनों शामिल हैं, जबकि राजकोषीय अनुशासन बनाए रखा गया है। बजट समावेशी है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन और कौशल विकास पर जोर दिया गया है। यह कृषि और विनिर्माण के बीच संतुलन बनाता है, जिसमें सेवाओं के तत्व भी शामिल हैं।" नीति घोषणाओं में निरंतरता है।   सरलीकरण और व्यापार करने में आसानी, विनिर्माण को बढ़ावा, अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान, सार्वजनिक पूंजीगत व्यय पर जोर, प्रौद्योगिकी का उपयोग, महिलाओं, किसानों और एमएसएमई को समर्थन और स्थिरता को बढ़ावा देना प्रमुख विषय हैं जो इस केंद्रीय बजट प्रस्तावों में एक बार फिर गूंजते हैं। उन्होंने कहा, "बजट के फोकस क्षेत्र उद्योग के लिए फिक्की की प्रमुख प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं और हमें यह जानकर खुशी हो रही है कि इस बजट में फिक्की के कई सुझावों पर विचार किया गया है, जैसा कि कृषि अनुसंधान में तेजी लाने, विनिर्माण में महिला कार्यबल की भागीदारी बढ़ाने, विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए कारक बाजार सुधारों के साथ-साथ हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उपायों के प्रस्तावों में देखा गया है।"   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

केन्‍द्रीय बजट 2024-25 की प्रमुख बातें

नई दिल्ली, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘केन्‍द्रीय बजट 2024-25’ पेश की। इस बजट की प्रमुख बातें निम्‍नलिखित हैं : *बजट अनुमान 2024-25:* o  ऋण को छोड़कर कुल प्राप्तियां: 32.07 लाख करोड़ रुपये  o  कुल व्‍यय: 48.21 लाख करोड़ रुपये o  सकल कर प्राप्ति: 25.83 लाख करोड़ o  वित्‍तीय घाटा: जीडीपी का 4.9 प्रतिशत। •  सरकार का लक्ष्‍य घाटे को अगले साल 4.5 प्रतिशत से नीचे लाना है। •  मुद्रास्‍फीति कम, स्‍थायी और 4 प्रतिशत के लक्ष्‍य की ओर जारी है। •  कोर मुद्रास्‍फीति (गैर-खाद्य, गैर-ईंधन) 3.1 प्रतिशत। •  बजट में रोजगार, कौशल, एमएसएमई और मध्‍य वर्ग पर विशेष ध्‍यान है.   *रोजगार और कौशल पर प्रधानमंत्री की पांच योजनाएं* •  4.1 करोड़ युवाओं के लिए पांच साल में रोजगार-कौशल और अन्य अवसरों के लिए प्रधानमंत्री की पांच योजनाएं और पहल। 1. योजना क- पहली बार वालों के लिए : ईपीएफओ में पंजीकृत पहली बार रोजगार पाने वाले कर्मचारियों को 15 हजार रुपये तक के एक महीने का वेतन जिसे तीन किस्तों में दिया जाएगा। 2. योजना ख- विनिर्माण में रोजगार सृजन : कर्मचारी और नियोक्‍ता दोनों को सीधे विनिर्दिष्‍ट स्‍केल पर प्रोत्‍साहन राशि उपलब्‍ध कराना जो नौकरी के पहले चार साल में दोनों के ईपीएफओ योगदान पर निर्भर है। 3. योजना ग- नौकरी देने वाले को मदद : सरकार नियोक्‍ता को उसके ईपीएफओ योगदान के लिए दो साल तक हर अतिरिक्‍त कर्मचारी पर 3000 हजार रुपये प्रत्‍येक महीना भुगतान करेगी। 4. कौशल के लिए नई केन्‍द्र प्रायोजित योजना •  अगले पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं का कौशल बढ़ाया जाएगा। •  1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थानों का उन्‍नयन किया जाएगा। 5. पांच साल में एक करोड़ युवाओं को पांच सौ टॉप कंपनियों में इंटर्नशिप के लिए  नई योजना।   *‘विकसित भारत’ की दिशा में नौ बजट प्राथमिकताएं :* 1. कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता 2. रोजगार और कौशल प्रशिक्षण 3. समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय 4. विनिर्माण और सेवाएं 5. शहरी विकास 6. ऊर्जा सुरक्षा 7. अवसंरचना 8. नवाचार, अनुसंधान और विकास, और 9. अगली पीढ़ी के सुधार  *प्राथमिकता 1: कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता* •  कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का आवंटन।  •  किसानों की खेतीबाड़ी के लिए 32 कृषि और बागवानी फसलों की नई 109 उच्च पैदावार वाली और जलवायु अनुकूल किस्में जारी की जाएंगी। •  प्रमाण-पत्र और ब्रांडिंग व्यवस्था के साथ अगले दो वर्षों में पूरे देश में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक कृषि से जोड़ा जाएगा। •  प्राकृतिक खेती के लिए 10,000 आवश्यकता आधारित जैव-आदान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। •  तीन साल में किसानों और उनकी जमीन को शामिल करने हेतु कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को लागू किया जाएगा।   *प्राथमिकता 2: रोजगार और कौशल प्रशिक्षण* •  प्रधानमंत्री पैकेज के भाग के रूप में ‘रोजगार संबद्ध प्रोत्साहन’ के लिए निम्नलिखित 3 योजनाओं योजना क- पहली बार रोजगार पाने वाले, योजना ख- विनिर्माण  में रोजगार सृजन,  योजना ग- नियोक्‍ताओं को मदद। •  कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए o  औद्योगिक सहयोग से महिला छात्रावास और क्रेचों की स्‍थापना।  o  महिला केन्द्रित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन o  महिला स्‍वयं सहायता समूह उद्यम को बाजार तक पहुंच को बढ़ाना *कौशल विकास* o  प्रधानमंत्री के पैकेज के तहत पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं के कौशल विकास के लिए केन्‍द्र प्रायोजित नई योजना। o  7.5 लाख रुपये तक के ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मॉडल कौशल ऋण योजना। o  सरकार की योजनाओं और नीतियों के तहत किसी लाभ के लिए पात्र नहीं होने वाले युवाओं को घरेलू संस्थानों में उच्चतर शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण हेतु वित्तीय सहायता। *प्राथमिकता 3: समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय* *पूर्वोदय* •  अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के साथ गया में औद्योगिक केंद्र का विकास। •  21,400 करोड़ रुपये की लागत से विद्युत परियोजनाएं आरंभ की जाएंगी जिसमें पिरपैंती में 2400 मेगावाट का नया विद्युत संयंत्र शामिल। *आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम* •  बहुपक्षीय विकास एजेंसियों के माध्यम से मौजूदा वित्त वर्ष में 15,000 करोड़ रुपये की  विशेष वित्तीय सहायता। •  विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे में कोप्पार्थी क्षेत्र और हैदराबाद–बेंगलुरु औद्योगिक गलियारे में ओरवाकल क्षेत्र में औद्योगिक केन्‍द्र। *महिलाओं के नेतृत्‍व विकास* महिलाओं और लड़कियों को फायदा पहुंचाने वाली योजनाओं के लिए कुल तीन लाख करोड़ रुपये का आवंटन। प्रधानमंत्री जनजातीय उन्‍नत ग्राम अभियान •  जनजातीय-बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में जनजातीय परिवारों का सामाजिक-आर्थिक विकास, इसमें 63,000 गांवों के 5 करोड़ जनजातीय लोग लाभार्थी होंगे।  *उत्‍तर-पूर्वी क्षेत्र में बैंक शाखाएं* उत्‍तर-पूर्वी क्षेत्र में इंडिया पोस्‍ट पेमेंट बैंक की 100 शाखाएं खोलना। प्राथमिकता 4: विनिर्माण और सेवाएं *विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना* •  गिरवी या तृतीय पक्ष गारंटी के बिना मशीनरी और उपकरण की खरीद के लिए एमएसएमई को आवधिक ऋण की सुविधा देने के लिए ऋण गारंटी योजना। *संकट की अवधि के दौरान एमएसएमई को ऋण सहायता* • एमएसएमई को उनके संकट अवधि के दौरान बैंक ऋण जारी रखने की सुविधा के लिए एक नई व्यवस्था। *मुद्रा लोन* •  ‘तरुण’ श्रेणी के अंतर्गत मुद्रा ऋणों की सीमा को उन उद्यमियों के लिए मौजूदा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया जाएगा जिन्होंने पहले के ऋणों को सफलतापूर्वक चुका दिया है। *ट्रेड्स में अनिवार्य रूप से शामिल होने के लिए और अधिक संभावना* •  खरीददारों को ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए कारोबार की सीमा को 500 करोड़ रुपये से घटाकर 250 करोड़ रुपये कर दिया गया।  *फूड इरेडिएशन, गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण के लिए एमएसएमई इकाइयां* •  एमएसएमई क्षेत्र में 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इरेडिएशन इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। *ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र* •  एमएसएमई तथा पारंपरिक कारीगरों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित किए जाएंगे। *महत्वपूर्ण खनिज मिशन* •  घरेलू उत्पादन, महत्वपूर्ण खनिजों की रिसाइक्लिंग और विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज संपदा का अधिग्रहण करने के लिए महत्वपूर्ण खनिज मिशन की स्थापना होगी। *खनिजों का अपतटीय खनन* •  पहले से किये गए खोज के आधार पर खनन के लिए अपतटीय ब्लॉकों के पहले भाग की नीलामी शुरू होगी। *डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) अनुप्रयोग* •  ऋण, ई-कॉमर्स, शिक्षा, स्वास्थ्य, विधि और न्याय, लॉजिस्टिक्स, एमएसएमई, सेवा प्रदायगी और शहरी शासन के क्षेत्र में डीपीआई अनुप्रयोगों का विकास। *प्राथमिकता 5: शहरी विकास* *आवागमन उन्मुखी विकास* •  30 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 14 बड़े शहरों के लिए कार्यान्वयन और वित्तपोषण रणनीति के साथ आवागमन उन्मुखी विकास योजनाएं तैयार की जाएंगी। *शहरी आवास* •  प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 2.0 के अंतर्गत, 2.2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता सहित 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश से अगले पांच वर्ष में 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की आवास जरूरतों का समाधान किया जाएगा।  *स्ट्रीट मार्केट* •  अगले पांच वर्षों में प्रत्येक वर्ष चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक ‘हाट’ या स्ट्रीट फूड हब के विकास में सहायता के लिए नई योजना। *प्राथमिकता 6: ऊर्जा सुरक्षा* *ऊर्जा परिवर्तन* •  रोजगार, विकास और पर्यावरण स्थायित्व की आवश्यकता के बीच संतुलन कायम करने के लिए समुचित ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में एक नीतिगत दस्तावेज। *पम्प्ड स्टोरेज पॉलिसी* •  विद्युत भंडारण के लिए पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं को बढ़ावा देने की एक नीति। *छोटे तथा मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों का अनुसंधान और विकास* •  भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर के अनुसंधान एवं विकास तथा परमाणु ऊर्जा के लिए और भारत स्मॉल रिएक्टर की स्थापना के लिए नई प्रौद्योगिकियों के लिए सरकार निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करेगी। *उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट* •  उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल (एयूएससी) प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके परिपूर्ण 800 मेगावाट का वाणिज्यिक संयंत्र स्थापित करने के लिए एनटीपीसी और बीएचईएल के बीच एक संयुक्त उद्यम प्रस्‍तावित। ‘हार्ड टू एबेट’ उद्योगों के लिए रोडमैप • ‘हार्ड टू एबेट’ उद्योगों को वर्तमान के ‘परफॉर्म, एचीव एंड ट्रेड’ पद्धति से ‘इंडियन कार्बन मार्केट' पद्धति में परिवर्तित करने के लिए उपयुक्त विनियम। *प्राथमिकताः 7 अवसंरचना* *केंद्र सरकार द्वारा अवसंरचना में निवेश* पूंजीगत व्यय के लिए `11,11,111 करोड़ रुपये (जीडीपी का 3.4 प्रतिशत) का प्रावधान। राज्य सरकारों द्वारा अवसंरचना में निवेश •  राज्यों को उनके संसाधन आवंटन में सहायता करने के लिए इस वर्ष भी 1.5 लाख करोड़ रुपये के ब्याज रहित दीर्घावधि ऋण का प्रावधान। *प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना* (पीएमजीएसवाई) • 25,000 ग्रामीण बसावटों के लिए बारहमासी सड़क संपर्क उपलब्ध कराने हेतु पीएमजीएसवाई का चरण IV आरंभ किया जाएगा। *सिंचाई और बाढ़ उपशमन* • बिहार में कोसी-मेची अंतर्राज्यीय लिंक और अन्‍य योजनाओं जैसी परियोजनाओं के लिए 11,500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता। सरकार बाढ़, भूस्‍खलन और अन्‍य संबंधित परियोजनाओं के लिए असम, हिमाचल प्रदेश, उत्‍तराखंड और सिक्किम को सहायता प्रदान करेगी।  *पर्यटन* विष्णुपद मंदिर गलियारा, महाबोधि मंदिर गलियारा और राजगीर का व्‍यापक विकास।  •  ओडिशा के मंदिरों, स्मारक, शिल्प, वन्य जीव अभयारण्य, प्राकृतिक भू-दृश्य और प्राचीन समुद्री तट के विकास हेतु सहायता। *प्राथमिकता 8: नवाचार, अनुसंधान और विकास* • मूलभूत अनुसंधान और प्रोटोटाइप विकास के लिए अनुसंधान नेशनल रिसर्च फंड।  • वाणिज्यिक स्तर पर निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के वित्तीय पूल व्यवस्था। *अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था* • अगले 10 वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 5 गुणा बढ़ाने पर निरन्तर जोर देते हुए 1,000 करोड़ रुपये की उद्यम पूंजी निधि। *प्राथमिकता 9: अगली पीढ़ी के सुधार* *ग्रामीण भूमि संबंधी कार्य* • सभी भू-खण्डों के लिए अनन्य भूखंड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) अथवा भू-आधार • संवर्गीय मानचित्रों का डिजिटलीकरण, • वर्तमान स्वामित्व के अनुसार मानचित्र उप-प्रभागों का सर्वेक्षण • भू-रजिस्ट्री की स्थापना, और • कृषक रजिस्ट्री से जोड़ना। *शहरी भूमि संबंधी कार्य* • शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों को जीआईएस मैपिंग के साथ अंकीकृत किया जाएगा। *श्रमिकों के लिए सेवाएं* • ऐसे वन स्‍टॉप समाधान के लिए ई-श्रम पोर्टल को अन्‍य पोर्टलों से जोड़ना। • तेजी से बदलते श्रमिक बाजार,  कौशल संबंधी जरूरतों और उपलब्‍ध रोजगार की भूमिकाओं के लिए मुक्‍त आर्किटेक्‍चर डाटाबेस। • रोजगार के इच्‍छुक लोगों को संभावित नियोक्‍ताओं और कौशल प्रदाताओं के साथ जोड़ने के लिए प्रणाली। *एनपीएस वात्‍सल्‍य* • नाबालिगों के लिए माता-पिता और अभिभावकों द्वारा योगदान हेतु एक योजना के रूप में एनपीएस वात्‍सल्‍य। *अप्रत्‍यक्ष कर* *जीएसटी* • जीएसटी की सफलता से उत्‍साहित होकर, जीएसटी के शेष क्षेत्रों तक विस्‍तार हेतु सरलीकृत एवं तर्कसंगत कर संरचना। क्षेत्र विशेष के लिए सीमा शुल्‍क के प्रस्‍ताव *औषधियां एवं चिकित्‍सा उपकरण* • कैंसर की तीन दवाइयां- ट्रेस्‍टुजुमाब डिरूक्‍सटीकेन, ओसिमर्टिनिब और डुर्वालुमैब को सीमा शुक्‍ल से पूरी तरह छूट। • चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम के तहत एक्‍सरे ट्यूब और मेडिकल एक्‍सरे मशीनों में इस्‍तेमाल हेतु फलैट पैनल डिडेक्‍टरों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क में बदलाव। *मोबाइल फोन और संबंधित पुर्जे* • मोबाइल फोन, मोबाइल प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेम्‍बली (पीसीबीए) और मोबाइल चार्जर पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को घटाकर 15 प्रतिशत किया गया। *कीमती धातु* • सोने और चांदी पर सीमा शुल्‍क घटाकर 6 प्रतिशत किया गया और प्‍लेटिनम पर 6.4 प्रतिशत किया गया। *अन्‍य धातु* • लौह, निकेल और ब्लिस्‍टर तांबे पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया। • लौह स्क्रैप और निकेल कैथोड पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया। • तांबा स्‍क्रैप पर 2.5 प्रतिशत रियायती मूलभूत सीमा शुल्‍क। *इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स* • रेजिस्‍टरों के विनिर्माण हेतु ऑक्‍सीजन मुक्‍त तांबे पर कुछ शर्तों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया। *रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स* • अमोनियम नाइट्रेट पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया गया। *प्‍लास्टिक* पीवीसी फ्लैक्‍स बैनरों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया। दूरसंचार उपकरण • विनिर्दिष्ट दूरसंचार उपकरण के पी.सी.बी.ए. पर बीसीडी को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। *व्यापार सुविधा* • घरेलू विमानन और नाव तथा जलयान के एमआरओ उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से मरम्मत के लिए आयात की गई वस्‍तुओं के निर्यात के लिए समयावधि को छह महीनों से बढ़ाकर एक वर्ष करने का प्रस्ताव। • वारंटी वाली वस्‍तुओं को मरम्मत के लिए पुनः आयात करने की समय-सीमा को 3 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष करने का प्रस्ताव। *महत्वपूर्ण खनिज* • 25 महत्वपूर्ण खनिजों को सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट। • 2 महत्वपूर्ण खनिजों पर बीसीडी को कम करने का प्रस्ताव। *सौर ऊर्जा* • सोलर सैल और पैनलों के विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाली पूंजीगत वस्तुएं सीमा शुल्‍क के दायरे से बाहर। *समुद्री उत्पाद* • कुछ ब्रूडस्टॉक, पॉलीकीट वॉर्म्स, श्रिम्प और फिश फीड पर बीसीडी को घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। • श्रिम्प और फिश फीड के विनिर्माण में इस्‍तेमाल होने वाले विभिन्‍न कच्‍चे माल को भी सीमा शुल्क से छूट देने का प्रस्ताव। *चमड़ा और कपड़ा* • बत्तख या हंस से मिलने वाले रियल डाउन फिलिंग मैटेरियल पर बीसीडी को कम करने का प्रस्ताव। • स्पैन्डेक्स यार्न के विनिर्माण के लिए मिथाइलेन डाईफिनाइल डाईआईसोसाएनेट (एमडीआई) पर बीसीडी को कुछ शर्तों के साथ 7.5 से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। *प्रत्यक्ष कर* • करों को सरल बनाने, करदाता सेवाओं में सुधार करने, कर निश्चितता प्रदान करने और मुकदमेबाजी को कम करने के प्रयासों जारी रहेंगे। • सरकार की विकास और कल्याणकारी योजनाओं के वित्तपोषण के लिए राजस्व बढ़ाने पर जोर। • वित्त वर्ष 2022-23 में 58 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स सरलीकृत कर व्यवस्था द्वारा जमा हुआ। वित्त वर्ष 2023-24 में दो तिहाई से अधिक करदाताओं ने सरलीकृत कर व्‍यवस्‍था का लाभ उठाया। *धर्मार्थ संस्थाओं और टीडीएस का सरलीकरण* • धर्मार्थ संस्थाओं के लिए कर में छूट की दो व्यवस्थाओं को मिलाकर एक करने का प्रस्ताव। • विभिन्‍न भुगतानों पर 5 प्रतिशत टीडीएस दर को घटा कर 2 प्रतिशत टीडीएस दर किया जाएगा। • म्युचुअल फंडों या यूटीआई द्वारा यूनिटों की पुनः खरीद पर 20 प्रतिशत टीडीएस दर को समाप्त करने का प्रस्‍ताव। • ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर टीडीएस दर को 1 प्रतिशत से घटाकर 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। • टीडीएस के भुगतान में विलम्ब को टीडीएस के लिए विवरणी फाइल करने की नियत तारीख तक डिक्रिमिनलाईज करने का प्रस्ताव। *पुनः निर्धारण का सरलीकरण* किसी कर निर्धारण वर्ष के समाप्त होने के तीन से पांच वर्षों के बाद किसी कर निर्धारण को नए सिरे से केवल तभी खोला जा सकेगा जब कर से छूट प्राप्त आय 50 लाख या उससे अधिक हो। सर्च मामलों में समय सीमा को दस वर्षों की मौजूदा समय सीमा के स्थान पर सर्च के वर्ष से पहले छह वर्ष की समय सीमा करने का प्रस्ताव। कैपिटल गेन का सरलीकरण और युक्तिकरण • कुछ वित्तीय परिसंपत्तियों के संबंध में लघु अवधि के लाभ पर 20 प्रतिशत कर लगेगा। • सभी वित्तीय और गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर दीर्घ अवधि के लाभों पर 12.5 प्रतिशत की दर से कर लगेगा। • परिसंपत्तियों पर कैपिटल गेन के छूट की सीमा को बढ़ाकर 1.25 लाख प्रतिवर्ष करने का प्रस्ताव। *करदाता सेवाएं* • सीमा शुल्क और आयकर की सभी शेष सेवाओं जिनमें ऑर्डर गिविंग इफेक्ट व रैक्टिफिकेशन सम्मिलित हैं, को अगले दो वर्षों के दौरान डिजिटलीकरण किया जाएगा। *मुकदमेबाजी और अपील* • अपील में लंबित कतिपय आयकर विवादों के समाधान के लिए विवाद से विश्वास योजना, 2024 का प्रस्ताव। • टैक्स अधिकरणों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में प्रत्यक्ष करों, उत्पाद शुल्क और सेवा कर से संबंधित अपीलों को दायर करने के लिए मौद्रिक सीमाओं को क्रमशः 60 लाख रुपये, 2 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव। • अंतरराष्ट्रीय कराधान में मुकदमेबाजी को कम करने और निश्चितता प्रदान करने के लिए सेफ हार्बर नियमों के दायरे का विस्तार। *रोजगार और निवेश* • स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को प्रोत्साहित करने के लिए सभी वर्गों निवेशकों के लिए एंजेल टैक्स को समाप्त करने का प्रस्ताव। • भारत में क्रूज पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए घरेलू क्रूज का संचालन करने वाली विदेशी शिपिंग कंपनियों के लिए कर व्यवस्था को सरल करने का प्रस्ताव। देश में अपरिष्कृत हीरा बेचने वाली विदेशी खनन कंपनियों के लिए सेफ हार्बर दरों का प्रावधान। •  विदेशी कंपनियों पर कारपोरेट कर दर को 40 प्रतिशत से घटाकर 35 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। *कर आधार का विस्तार* •  फ्यूचर्स और ऑप्सन्स के विकल्पों पर सिक्यूरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को बढ़ाकर क्रमशः 0.02 प्रतिशत और 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। • प्राप्तकर्ता के द्वारा शेयरों की पुनः खरीद पर प्राप्त आय पर कर लगेगा। *सामाजिक सुरक्षा लाभ* एनपीएस में नियोजनकर्ता द्वारा किए जा रहे योगदान को कर्मचारी के वेतन के 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। •  20 लाख रूपये तक की चल परिसंपत्तियों की सूचना न देने को गैर-दांडिक बनाने का प्रस्ताव। *वित्त विधेयक के अन्य प्रमुख प्रस्ताव* • 2 प्रतिशत के इक्वलाइजेशन लेवी को वापस। *नई कर व्‍यवस्‍था के तहत व्यक्तिगत आयकर में बदलाव* • वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रूपये से बढ़ाकर 75,000 रूपये करने का प्रस्ताव। • पेंशनभोगियों के लिए पारिवारिक पेंशन पर कटौती को 15,000 रूपये से बढ़ाकर 25,000 रूपये करने का प्रस्ताव। *कर दरों का संशोधित संरचना:* 0-3 लाख रूपये   शून्य   3-7 लाख रूपये   5 प्रतिशत   7-10 लाख रूपये   10 प्रतिशत   10-12 लाख रूपये   15 प्रतिशत   12-15 लाख रूपये   20 प्रतिशत   15 लाख रूपये से अधिक   30 प्रतिशत   नई कर व्यवस्था में वेतनभोगी कर्मचारी को आयकर में ₹ 17,500/- तक की बचत होगी।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 24, 2024

भारत के हथियारों की दुनिया में धूम मची

नई दिल्ली, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। हथियारों को निर्यात करने में भारत तेजी से आगे बढ़ा है. पहले भारत सबसे ज्यादा हथियार आयात करता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है. इकोनॉमिक सर्वे 2024 में पता चला कि भारत ने 85 देशों को ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर पिनाका रॉकेट और तोपें बेची हैं. हथियार खरीदने वालों में आर्मेनिया और फिलीपीन्‍स, इटली, मालदीव, रूस, श्रीलंका, यूएई, सऊदी अरब, पोलैंड, मिस्र, इजरायल और स्‍पेन चिली शामिल हैं. इन देशों में तोप के गोले भी भेज रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 के वित्तीय वर्ष में भारत का डिफेंस प्रॉडक्शन 74,054 करोड़ रुपये का था, जो 2023 में बढ़कर 1,08,684 करोड़ पहुंच गया है. 2015 से 2019 के बीच में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार खरीदने वाला देश था, लेकिन वह अब टॉप 25 हथियार निर्यातक देशों में शामिल हो गया है.    *सरकार ने इन योजनाओं का मिल रहा फायदा* दरअसल, भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कई स्कीम लॉन्च कीं, जिनमें पीएलआई समेत कई सारे इंसेंटिव दिए जा रहे हैं. हाल ही में सरकार ने कई हथियार निर्यात करने को भी मंजूरी दी. आंकड़ों की मानें तो अभी 100 से अधिक कंपनियां हथियार और उपकरण निर्यात कर रही हैं. इनमें डोर्नियर 228 विमान, तोपें, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल, पिनाका रॉकेट सिस्‍टम, बॉडी आर्मर, हेलमेट, गोला बारूद, रडार, तोप के गोले समेत कई तरह के उपकरण हैं. सबसे ज्यादा HAL कंपनी विमानों की सप्लाई कर रही है, जिसका फायदा भी मिल रहा है.   *चीन को भी दिया संदेश* वहीं, भारत में निर्मित फाइटर जेट तेजस भी विदेशों में सप्लाई होने वाला है, जिसको लेकर कई देशों ने रुचि दिखाई है. इसके अलावा भारत की कंपनी एचएएल कई हेलीकॉप्टर भी निर्यात कर चुकी है. भारत आर्मेनिया और फिलीपीन्‍स जैसे देशों को हथियार दे रहा है. फिलीपीन्‍स को भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल देकर चीन को भी एक संदेश दे दिया है.          

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Jul 24, 2024

जन-केंद्रित बजट:संजीव पुरी, अध्यक्ष, सीआईआई

नई दिल्ली, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। नई सरकार के पहले बजट ने नौकरियों के सृजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए सतत और न्यायसंगत विकास के लिए एक व्यापक रोडमैप तैयार किया है। बजट 2025-26 समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए एक व्यापक रोडमैप प्रदान करता है ताकि प्रत्येक भारतीय नए और प्रगतिशील भारत की विकास आकांक्षाओं में एक इक्विटी धारक बन सके। विकसित भारत के लिए बजट में अनावरण की गई नौ प्रमुख प्राथमिकताएँ एक समावेशी लचीले, समृद्ध, पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और तकनीकी रूप से उन्नत भारत के लिए एक व्यापक खाका प्रदान करती हैं, जो 2047 में विकसित भारत की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।   बजट में रोजगार, कौशल विकास, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर ध्यान केंद्रित किया गया है, साथ ही कृषि, शहरी विकास, राज्यों को अगली पीढ़ी के सुधारों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित करने, उपभोग, निवेश और मांग के चक्र को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने, स्टार्ट-अप और महिलाओं को समर्थन देने आदि पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह समय के साथ लिया गया कदम है और लोगों को सशक्त बनाने और उपभोग और विकास को गति प्रदान करते हुए विकास को समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। ऐसा करने में, वित्त मंत्री को चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को उम्मीद से बेहतर जीडीपी के 4.9 प्रतिशत पर लाकर चतुर वित्तीय प्रबंधन का प्रदर्शन करने के लिए श्रेय दिया जाना चाहिए, जबकि पूंजीगत व्यय पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा, जो कि चुनौतीपूर्ण बाहरी परिवेश और भारत पर इसके प्रभाव को देखते हुए कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।   वहीं सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी का कहना है कि केंद्रीय बजट समावेशन के साथ विकास को आगे बढ़ाने के लिए भारत की सफल समग्र आर्थिक रणनीति को निरंतरता प्रदान करता है केंद्रीय बजट 2024-25 निवेश और सुधारों के नेतृत्व में सरकार की पिछली दो कार्यकालों की सफल आर्थिक रणनीति को आगे बढ़ाता है और समावेशन और सशक्तिकरण पर केंद्रित है। रोजगार सृजन और विकास के दोहरे उद्देश्यों के साथ अगली पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए राज्यों के साथ सहयोग की घोषणा एक स्वागत योग्य कदम है। 5 वर्षों की अवधि में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान, भारत के युवाओं को भारत की विकास कहानी में भाग लेने के लिए सशक्त बनाने में मदद करेगा।   महिलाओं और लड़कियों के लिए योजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के साथ, महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास एक उच्च प्राथमिकता बनी हुई है। रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन (ईएलआई) के तहत घोषित तीन योजनाएं वास्तव में स्वागत योग्य हैं और सीआईआई की सिफारिशों के अनुरूप हैं।   सब्जी क्लस्टर स्थापित करना, कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को बढ़ावा देना और सहकारी समितियों को बढ़ावा देना जैसी पहल भारतीय किसानों को सशक्त बनाएगी और उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगी। बजट में सभी के लिए अवसर पैदा करने के उद्देश्य से घोषित नौ प्राथमिकताओं ने भारत को निरंतर उच्च विकास पथ पर अग्रसर होने के लिए मंच तैयार किया है, जो कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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