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प्रियंका गांधी का चुनावी डेब्यू कांग्रेस को क्या फायदा देने वाला है?

नई दिल्ली, 19 जून 2024 (यूटीएन)। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी अपना चुनावी डेब्यू करने जा रही हैं, जिस पल का इंतजार पार्टी कई सालों से कर रही थी, जिस बात की चर्चा सभी की जुबान पर थी, अब प्रियंका गांधी सक्रिय रूप से चुनावी राजनीति में एक्टिव दिखेंगी। वायनाड से उनका उपचुनाव लड़ना बड़े संदेश दे गया है। अगर प्रियंका वायनाड से यह चुनाव जीत जाती हैं, कांग्रेस के लिए हर मायने से फायदे की स्थिति रहने वाली है। यहां आपको बताते हैं 5 बड़े फायदे जो प्रियंका के चुनावी डेब्यू से कांग्रेस हासिल कर सकती है।   *दक्षिण में कांग्रेस होगी और ज्यादा मजबूत* कांग्रेस के लिए दक्षिण भारत काफी अहम है। चुनावी नजरिए से समझें तो पार्टी वर्तमान में भी सबसे ज्यादा सीटें दक्षिण के राज्यों से हासिल करती है। लेकिन अभी तक राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस के पास कोई दूसरा बड़ा या कहना चाहिए गांधी परिवार का चेहरा यहां मौजूद नहीं था। लेकिन अगर प्रियंका वायनाड से चुनाव जीत जाती हैं, उस स्थिति में पूरे केरल के साथ-साथ दक्षिण भारत में इसका असर देखने को मिलेगा। वायनाड को सिर्फ कांग्रेस की सुरक्षित सीट नहीं कहा जा सकता है, इसके ऊपर यहां की जनता के मन में एक भावनात्मक रिश्ता भी चलता है। इसी वजह से प्रियंका गांधी को भी वायनाड से अपार समर्थन मिल सकता है। वो समर्थन फिर कांग्रेस को खड़ा करने में मदद कर सकता है।    प्रियंका की इस बार की 2024 के चुनाव में मेहनत किसी से छिपी नहीं है, उनके प्रचार ने पार्टी को काफी फायदा पहुंचाया है। इसके ऊपर अगर दक्षिण भारत में कांग्रेस का प्रदर्शन देख लिया जाए, कहना गलत नहीं होगा यहां पर पार्टी का प्रदर्शन शानदार है। इस बार के चुनाव में 42 सीटें दक्षिण से निकली हैं, पिछली बार भी 29 सीटें जीती थीं और 2014 में 19। ऐसे में दक्षिण को बचाए रखना कांग्रेस के लिए जरूरी है और अभी के लिए पार्टी के लिए गांधी परिवार का ही कोई सदस्य यह टास्क कर सकता है।   *केरल में कांग्रेस को फायदा* केरल में कांग्रेस पार्टी इस समय काफी ताकतवर हो गई है। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में केरल की 20 सीटों में से 17 पर सीटों पर कांग्रेस-यूडीएफ ने जीत का परचम लहराया था। अब 2026 में फिर केरल में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जानकार मानते हैं कि लेफ्ट के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी हावी रहने वाली है, ऐसे में कांग्रेस के पास कमबैक करने का शानदार मौका है। वो मौका ज्यादा इसलिए बन सकता है क्योंकि प्रियंका गांधी वहां पर एक एक्स फैक्टर के रूप में उभर सकती हैं।   कांग्रेस के प्रचार को एक दिशा चाहिए होगी और वो दिशा प्रियंका देने में सक्षम हैं।यूपी जहां पर कांग्रेस पूरी तरह पस्त हो चुकी थी, वहां पर अपनी चुनावी मैनेजमेंट से प्रियंका ने काफी स्थिति बदली है, अब जब केरल की राजनीति में वे सक्रिय होने जा रही हैं, ऐसे में वहां भी उनका प्रचार कांग्रेस को सीधा फायदा पहुंचा सकता है।   *सशक्त महिला चेहरा* कांग्रेस पार्टी को एक महिला चेहरे की तलाश लंबे समय से है। यह वही पार्टी है जिसने इंदिरा गांधी जैसी नेता देखी है, जिसने सोनिया गांधी की लीडरशिप में जीत का स्वाद भी चखा है। लेकिन पिछले कुछ सालों में चुनावी राजनीति में कांग्रेस की तरफ से कोई बड़ा महिला चेहरा नहीं दिखा है।   लेकिन अब अगर प्रियंका गांधी वायनाड से जीत जाती हैं, कांग्रेस को एक मजबूत महिला चेहरा मिलने वाला है। यह नहीं भूलना चाहिए कि यूपी के चुनाव के वक्त प्रियंका ने ही नारा दिया था- लड़की हूं लड़ सकती हूं। अब कांग्रेस ने उस नारे को साकार करने का काम कर दिया है। प्रियंका का चुनावी डेब्यू महिला वोटरों के बीच में भी तगड़ा मैसेज लेकर जाएगा।   *राहुल गांधी पर कम होगी निर्भरता* राजनीतिक जानकार ऐसा मानते हैं कि प्रियंका के चुनावी डेब्यू में इतना समय इसलिए लग गया क्योंकि पहले राहुल गांधी को सियासी रूप से स्थापित करना जरूरी था।कांग्रेस पार्टी के अंदर में भी एक धड़ा ऐसा मानता है कि राहुल की तुलना में प्रियंका गांधी ज्यादा आक्रमक अंदाज में राजनीति कर सकती हैं। ऐसे में पूरी संभावना थी कि राहुल की राजनीति पर प्रियंका की सियासत हावी हो जाती। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। राहुल गांधी ने खुद को साबित कर दिया है, हाल ही में चुनाव में उनके उठाए मुद्दों ने जनता के साथ कनेक्ट बैठाया है, उनका अपना अंदाज चर्चा में रहा है।ऐसे में अब प्रियंका गांधी का वक्त आ चुका है, वे भी चुनावी राजनीति में कूद सकती हैं।   उस स्थिति में उनकी और राहुल गांधी की ताकत एक समान हो जाएगी। तब राहुल पर निर्भरता कम होगी और कई मामलों में प्रियंका ही अहम रोल निभाती दिख सकती हैं। पार्टी में उनका कद पहले की तुलना में बढ़ सकता है। वैसे भी बताया जाता है कि कांग्रेस को कई बार मुश्किल स्थिति से निकालने में प्रियंका ने अहम योगदान दिया है। बात चाहे हाल में यूपी में अखिलेश संग गठबंधन पर सहमति करना हो या फिर कई राज्यों में कांग्रेस की सरकार को गिराने से बचाना हो, प्रियंका ने आगे से लीड किया है।   *लोकसभा में राहुल-प्रियंका की केमिस्ट्री* अगर प्रियंका गांधी चुनावी डेब्यू में ही जीत हासिल कर लेती हैं, कांग्रेस पार्टी के लिए लोकसभा में स्थिति काफी मजबूत बन जाएगी। आगामी चुनाव में पहले ही मजबूत प्रदर्शन कर खुद की उपस्थिति जोरदार तरीके से सदन में पार्टी महसूस करवाने वाली है, उसके ऊपर अगर प्रियंका गांधी का भी साथ मिल गया तो बीजेपी की राह इस बार आसान नहीं रहने वाली है। पिछले कुछ सालों में राहुल गांधी ही अकेले पीएम मोदी को निशाने पर लेने का काम कर रहे थे, अडानी-अंबानी का लगातार मुद्दा उठाते।   लेकिन प्रियंका के साथ आ जान से कई दूसरे मुद्दों पर भी बहस होती दिख सकती है।प्रियंका एक अच्छी वक्ता हैं, यह चुनावी प्रचार के दौरान साबित हो चुका है, इसके ऊपर ठीक समय पर ठीक मुद्दे उठाने को लेकर भी वे जानी जाती हैं। कुछ लोग तो मानते हैं कि राहुल गांधी की तुलना में ज्यादा बेहतर मुद्दे और बेहतर अंदाज में प्रियंका उठाती हैं। ऐसे में अगर सदन में दोनों भाई-बहन एकजुट हो गए तो तीखे प्रहार के लिए मोदी सरकार को तैयार रहना पड़ेगा।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 19, 2024

राजनाथ सिंह के घर एनडीए की बैठक, स्पीकर चुनाव और इंडिया गठबंधन के खिलाफ बनी रणनीति

नई दिल्ली, 19 जून 2024 (यूटीएन)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर एनडीए की एक अहम बैठक हुई है। उस बैठक में लोकसभा स्पीकर के चुनाव को लेकर गहन मंथन हुआ है। असल में 26 जून को लोकसभा स्पीकार का चुनाव होने वाला है, माना जा रहा है कि बीजेपी अपना ही उम्मीदवार उतारने वाली है। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन ने भी खेल करते हुए एनडीए से डिप्टी स्पीकर का पद मांग लिया है। यहां तक कहा गया है कि अगर बात नहीं मानी गई तो स्पीकर पद के लिए भी विपक्ष अपना उम्मीदवार उतार देगा।   *किन मुद्दों पर हुआ मंथन?* अब इस बदली हुई स्थिति में ही तमाम समीकरण साधने के लिए राजनाथ सिंह के घर पर यह बैठक की गई है। बैठक में चिराग पासवान, जेपी नड्डा, अश्विनी वैष्णव जैसे कई बड़े नेता शामिल हुए। बैठक के दौरान चर्चा हुई कि आखिर किस तरह से अपने उम्मीदवार के लिए ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटाया जाए। वैसे बीजेपी के लिए राहत की बात यह है कि जेडीयू और टीडीपी ने अपना समर्थन पार्टी को दे दिया है। पहले जरूर कहा जा रहा था कि जेडीयू और टीडीपी स्पीकर पद पर दावा ठोक सकते हैं, लेकिन अब वो दोनों दल भी बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में वहां से बीजेपी के लिए राहत की खबर है।   *इंडिया गठबंधन की क्या रणनीति?* विपक्ष जरूर अभी भी टीडीपी को कह रहा है कि उन्हें स्पीकर पद पर दावा ठोकना चाहिए। संजय राउत ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर टीडीपी अपना उम्मीदवार उतारेगी, इंडिया गठबंधन उसका समर्थन कर देगा। पूरी कोशिश हो रही है कि स्पीकर चुनाव में बीजेपी को आइसोलेट कर दिया जाए। अब उसी आइसोलेशन से बचने के लिए बीजेपी ने यह बैठक की है। बैठक सदन की कार्यवाही को लेकर भी बातचीत हुई है, कई दूसरे मुद्दों का भी जिक्र रहा है।   *उम्मीदवार कौन हो सकता है?* बीजेपी की तरफ से अगर स्पीकर चुनाव के लिए दावेदारों की बात करें तो बीजेपी के 7 बार के सांसद राधा मोहन सिंह का नाम भी स्पीकर पद के लिए है। तो वहीं पिछले लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का नाम भी सुर्खियों में है और वह भी दोबारा स्पीकर बन सकते हैं। वहीं तीसरा नाम जो सुर्खियों में छाया हुआ है वह भाजपा की आंध्र प्रदेश अध्यक्ष दग्गुबाती पुरंदेश्वरी का है। वह सांसद बनी हैं और चंद्रबाबू नायडू की पत्नी की बहन हैं। माना जा रहा है कि उन्हें टीडीपी भी आसानी से स्वीकार कर लेगी।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |      

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Jun 19, 2024

केंद्र की आदतन लेटलतीफ कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी

नई दिल्ली, 18 जून 2024 (यूटीएन)। केंद्र सरकार ने लेटलतीफी करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। केंद्र ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि देर से कार्यालय आकर जल्दी जाने जाने वाले कर्मचारियों के मामलों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।  दरअसल इस बात की शिकायत मिली है कि कई कर्मचारी बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीएएस) में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कर रहे। इसके अलावा यह भी शिकायत मिली थी कि कुछ कर्मचारी नियमित आधार पर देरी से आ रहे हैं।   *कार्मिक मंत्रालय ने जारी किया आदेश*    कार्मिक मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर मोबाइल फोन-आधारित प्रमाणीकरण प्रणाली का उपयोग करने का सुझाव दिया है। आदेश में बताया गया है कि एईबीएएस के सख्त कार्यान्वयन के मामले की समीक्षा की गई। मंत्रालय ने पाया कि एईबीएएस के कार्यान्वयन में ढिलाई बरती जा रही है। इसे गंभीरता से लेते हुए मंत्रालय ने कहा कि सभी विभाग नियमित रूप से उपस्थिति रिपोर्ट की निगरानी करेंगे।   *लेटलतीफी करने वाले कर्मचारियों की लगेगी आधे दिन की छुट्टी*   आदेश में आगे कहा गया ‘आदतन देर से आने और जल्दी कार्यालय छोड़ने वाले कर्मचारियों के मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ अनिवार्य रूप से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।’ कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि देर से आने पर कर्मचारियों की आधे दिन की आकस्मिक छुट्टी (सीएल) लगनी चाहिए यानी ऐसे कर्मचारियों की आधे दिन की छुट्टी लगनी चाहिए। यह भी कहा गया है कि एक महीने में एक या बार उचित कारणों से देरी की वजह से उपस्थिति को अधिकारियों द्वारा माफ किया जा सकता है।   सभी विभागों को निर्देश दिया गया है कि कर्मचारियों की उपस्थिति एईबीएएस पर हर हाल में दर्ज होनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कौन कर्मचारी कार्यलय पहंचने में लगातार लेटलतीफी कर रहा है। सभी विभागों के अपने कर्मचारियों को कार्यालय समय और देर से उपस्थिति से संबंधित निर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 18, 2024

एम्स की नेत्र विशेषज्ञ की डॉ. देवांग को मिला बड़ा सम्‍मान, काला मोतिया के इलाज पर की है रिसर्च

नई दिल्ली, 18 जून 2024 (यूटीएन)। ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्‍ली के डॉ. आरपी सेंटर फॉर ऑप्‍थेल्मिक साइंसेज की प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. देवांग एंग्‍मो को एशिया पैसिफिक ग्‍लूकोमा सोसायटी की ओर से एपीजीएस यंग इन्‍वेस्टिगेटर अवॉर्ड 2024 से सम्‍मानित किया गया है. यह अवॉर्ड डॉ. देवांग को आंखों को अंधा बना देने वाली बीमारी ग्‍लूकोमा को लेकर पिछले 14 साल से की जा रहीं मल्‍टीपल सर्जिकल रिसर्च के लिए दिया गया है.   बता दें कि एम्‍स का आरपी सेंटर देश के सबसे अच्‍छे आंखों के अस्‍पताल कम रिसर्च सेंटर में से एक है जहां मरीजों के इलाज के साथ-साथ बीमारियों और उनके इलाज पर रिसर्च और स्‍टडीज लगातार जारी रहते हैं. इस सम्‍मान को हासिल करने वाली डॉ. देवांग बताती हैं कि भारत में ग्‍लूकोमा पर सर्जिकल रिसर्च और मेडिकल मैनेजमेंट में रिसर्च लगातार हो रहे हैं. भारत में सबसे कॉमन काला मोतिया एंगल क्‍लोजर ग्‍लूकोमा है. ग्‍लूकोमा के इलाज में काम आ रही नई तकनीक और नई-नई मशीनों पर किए गए सर्जिकल रिसर्च में ग्‍लूकोमा के अन्‍य कारणों का भी पता चल रहा है, जबकि कुछ साल पहले तक सिर्फ किताबों में लिखे कारणों को ही मान लिया जाता था.   इन रिसर्च का फायदा ये हुआ है कि अब अलग-अलग कारणों से ग्‍लूकोमा के शिकार हुए मरीजों में अलग-अलग सर्जरी करने का रास्‍ता मिल गया है. यही वजह है कि अब ग्‍लूकोमा का बेहतर इलाज मिल पा रहा है. डॉ. कहती हैं कि मेडिकेशन, लेजर और सर्जरी को लेकर हो रहीं रिसर्च मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होने जा रही हैं. पुरस्‍कार से सम्‍मानित होने पर डॉ. देवांग कहती हैं, ‘2010 से मैं ग्‍लूकोमा यानि काला मोतिया पर रिसर्च कर रही हूं. ये अभी तक की गईं रिसर्च को लेकर दिया गया है. इतना ही नहीं ग्‍लूकोमा को लेकर की जा रही जागरुकता भी इसमें शामिल है. लोगों को इस बीमारी से बचने और सही समय पर इलाज लेने के लिए प्रेरित करना भी इसमें शामिल हैं.   ग्‍लूकोमा एक इरिवर्सिवल ब्‍लाइंडनेस वाली बीमारी है. अगर यह एक बार बीमारी हो जाए तो इससे होने वाले नुकसान को ठीक करना असंभव है लेकिन दवाओं के माध्‍यम से आने वाले समय में होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है. सफेद मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद रोशनी वापस आ जाती है लेकिन काला मोतिया में ऐसा संभव नहीं हो पाता. यही वजह है कि भारत ही नहीं पूरी दुनिया में यह अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 18, 2024

अब तो बड़ी कंपनियों के सीइओ को भी नहीं छोड़ रहे साइबर क्रिमिनल

नई दिल्ली, 18 जून 2024 (यूटीएन)। हाल ही में पुणे स्थित एक रियल एस्टेट फर्म को ₹4 करोड़ का चूना लगा, जब साइबर अपराधियों ने कंपनी के चेयरमैन के रूप में एक अकाउंट अधिकारी को धोखा देकर कंपनी के फंड को फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी की लोकल यूनिट में में फाइनेंस कंट्रोलर करोड़ों रुपये के इसी तरह के घोटाले का शिकार हो गया, जब चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर छुट्टी पर थे।   *एडवांस हुए फिशिंग अटैक*   फिशिंग हमले अधिक एडवांस हो गए हैं। साइबर अपराधी ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए बड़े लोगों पर नजर रख रहे हैं। एक्सपर्ट्स ने कहा कि पिछले एक साल में, उन्होंने तथाकथित व्हेलिंग अटैक या सीईओ धोखाधड़ी की घटनाओं में कम से कम दो से तीन गुना वृद्धि देखी है। इसमें घोटालेबाज सोशल इंजीनियरिंग का यूज करके टॉप कॉर्पोरेट अधिकारी बन जाते हैं। इसके बाद वे कर्मचारियों को पैसे भेजने, संवेदनशील डेटा प्रदान करने, गिफ्ट कार्ड खरीदने या नेटवर्क एक्सेस की अनुमति देने के लिए धोखा देते हैं। इन घटनाओं से अक्सर वित्तीय नुकसान, डेटा ब्रीच और कुछ मामलों में कंपनियों के लिए ऑर्गनाइजेशन रेपुटेशन को नुकसान होता है।   *सीइओ लेवल अधिकारियों के साथ बढ़ी घटनाएं*   ईवाई इंडिया के फोरेंसिक एंड इंटीग्रिटी सर्विसेज के पार्टनर रंजीत बेल्लारी ने कहा कि यह एक बड़ा नेक्सस है; संगठित आपराधिक गिरोह इसमें सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि हम पिछले सात-आठ सालों से सोशल इंजीनियरिंग धोखाधड़ी की जांच कर रहे हैं, लेकिन सीईओ/सीएक्सओ-स्तर के अधिकारियों को निशाना बनाने वालों की संख्या में हाल ही में बढ़ोतरी हुई है। बेल्लारी का कहना है कि धोखेबाज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे बॉट-आधारित अटैक कर रहे हैं। इसमें अधिकारियों के सोशल मीडिया प्रोफाइल और अन्य उपलब्ध कंटेंट की स्टडी करके बहुत ही विश्वसनीय मेल तैयार कर रहे हैं जो वैलिड लगते हैं।   *किसी पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं*   बेल्लारी ने कहा कि ये हमले आंशिक रूप से कम अवेयरनेस के कारण प्रभावी हैं। इसलिए भी क्योंकि धोखेबाजों को एहसास हो गया है कि सीनियर अधिकारियों से मिले ईमेल पर कर्मचारियों से ऐक्शन करवाना आसान है। धोखे से बचने की पहली लाइन है कि आपको किसी व्यक्ति पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। कंपनियां अब कर्मचारियों के लिए अवेयरनेस सेशन भी करवा रही हैं। हालांकि, अधिकत मामलों में, यह रिएक्विट होने के बजाय प्रोएक्टिव होता है।   *अधिकांश मामलों की रिपोर्ट नहीं*   कई मामलों में, कंपनियां और व्यक्ति इस फैक्ट को छिपाने की कोशिश करते हैं कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है। इसका अर्थ है कि मामलों की वास्तविक संख्या रिपोर्ट की गई संख्या से कई गुना अधिक होने की संभावना है। केवल कॉर्पोरेट कर्मचारी ही नहीं, बल्कि आईआईएम जैसे इंस्टीट्यूट के फैकल्टी को भी हैकर्स से निदेशक या शीर्ष अधिकारियों के रूप में ईमेल या व्हाट्सएप मैसेज मिले। एक आईआईएम निदेशक ने को बताया कि कथित तौर पर उनकी तरफ से भेजे गए मेल कई फैकल्टी मेंबर्स को भेजे गए थे। इसमें गिफ्ट कार्ड खरीदने और डिटेल भेजने के लिए कहा गया था। निदेशक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि यह एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ है। हमने अब और अधिक सख्त सिस्टम लागू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे फिर से निशाना बनाए जाने की आशंका है। उन्होंने बताया कि अन्य संस्थानों में उनके कई साथियों को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ा है।   *ब्रांड की बदनामी नहीं चाहते*   ग्रांट थॉर्नटन भारत में पार्टनर और लीडर-साइबर अक्षय गार्केल के अनुसार, कभी-कभी किसी बड़ी कंपनी (जिसका सालाना रेवेन्यू 50,000-100,000 करोड़ रुपये होता है) के लिए यह सोचना बेहतर होता है कि नियोक्ता ब्रांड को नुकसान पहुंचाने के बजाय छोटी रकम, जैसे कि 3-4 करोड़ रुपये तक, को राइटऑफ कर देना बेहतर है। उन्होंने कहा कि ऐसा कहने के बाद, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सभी मामलों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।   गार्केल ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे विशुद्ध रूप से फाइनेंशियल मोटिव छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने आने वाले मामलों में सुरक्षा जागरूकता के स्तर में सुधार की आवश्यकता है। ऐसी घटनाओं की निगरानी और उन्हें रोकने में और अधिक बेहतर तरीके से काम करने की आवश्यकता है।   *साइबर अटैक का खतरा*   लगभग हर कोई साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील है। इसकी वजह है कि ऐप्स और वेब साइट्स की तरफ से जुटाई गई पर्सनल जानकारी लीक हो सकती है। इससे घोटालेबाजों को कॉन्फिडेंशियल जानकारी तक एक्ससे मिल सकता है। धोखाधड़ी का पता लगाने वाली कंपनी आईडीएफवाई के सीईओ अशोक हरिहरन ने कहा कि उनकी कंपनी को भी निशाना बनाया गया था। एक महीने पहले ही, कंपनी के 650 कर्मचारियों में से 50-60 को हरिहरन से एक ईमेल मिला था। उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी का पता लगाने के बिजनेस में होने के कारण, कोई भी इसके झांसे में नहीं आया, लेकिन ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।   हरिहरन कहते हैं कि पर्सनल डिटेल आसानी से उपलब्ध है। यह ऐप या डेटा ब्रोकर से हो सकता है जो इसे बेच रहे हैं। यह डार्क वेब पर सिर्फ 100-200 रुपये में उपलब्ध है। इसके अलावा, फैक्ट यह है कि यूपीआई के माध्यम से पैसे का ट्रांसफर बेहद आसान हो गया है। इसने, इसे अधिकांश धोखाधड़ी का आधार बना दिया है।   इसे बड़े पैमाने पर चलाना बहुत आसान है। हाल ही में पुणे स्थित एक रियल एस्टेट फर्म को ₹4 करोड़ का चूना लगा, जब साइबर अपराधियों ने कंपनी के चेयरमैन के रूप में एक अकाउंट अधिकारी को धोखा देकर कंपनी के फंड को फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी की लोकल यूनिट में में फाइनेंस कंट्रोलर करोड़ों रुपये के इसी तरह के घोटाले का शिकार हो गया, जब चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर छुट्टी पर थे।   *एडवांस हुए फिशिंग अटैक*   फिशिंग हमले अधिक एडवांस हो गए हैं। साइबर अपराधी ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए बड़े लोगों पर नजर रख रहे हैं। एक्सपर्ट्स ने कहा कि पिछले एक साल में, उन्होंने तथाकथित व्हेलिंग अटैक या सीईओ धोखाधड़ी की घटनाओं में कम से कम दो से तीन गुना वृद्धि देखी है। इसमें घोटालेबाज सोशल इंजीनियरिंग का यूज करके टॉप कॉर्पोरेट अधिकारी बन जाते हैं। इसके बाद वे कर्मचारियों को पैसे भेजने, संवेदनशील डेटा प्रदान करने, गिफ्ट कार्ड खरीदने या नेटवर्क एक्सेस की अनुमति देने के लिए धोखा देते हैं। इन घटनाओं से अक्सर वित्तीय नुकसान, डेटा ब्रीच और कुछ मामलों में कंपनियों के लिए ऑर्गनाइजेशन रेपुटेशन को नुकसान होता है।   *सीइओ लेवल अधिकारियों के साथ बढ़ी घटनाएं*   ईवाई इंडिया के फोरेंसिक एंड इंटीग्रिटी सर्विसेज के पार्टनर रंजीत बेल्लारी ने कहा कि यह एक बड़ा नेक्सस है; संगठित आपराधिक गिरोह इसमें सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि हम पिछले सात-आठ सालों से सोशल इंजीनियरिंग धोखाधड़ी की जांच कर रहे हैं, लेकिन सीईओ/सीएक्सओ-स्तर के अधिकारियों को निशाना बनाने वालों की संख्या में हाल ही में बढ़ोतरी हुई है। बेल्लारी का कहना है कि धोखेबाज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे बॉट-आधारित अटैक कर रहे हैं। इसमें अधिकारियों के सोशल मीडिया प्रोफाइल और अन्य उपलब्ध कंटेंट की स्टडी करके बहुत ही विश्वसनीय मेल तैयार कर रहे हैं जो वैलिड लगते हैं।   *किसी पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं*   बेल्लारी ने कहा कि ये हमले आंशिक रूप से कम अवेयरनेस के कारण प्रभावी हैं। इसलिए भी क्योंकि धोखेबाजों को एहसास हो गया है कि सीनियर अधिकारियों से मिले ईमेल पर कर्मचारियों से ऐक्शन करवाना आसान है। धोखे से बचने की पहली लाइन है कि आपको किसी व्यक्ति पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। कंपनियां अब कर्मचारियों के लिए अवेयरनेस सेशन भी करवा रही हैं। हालांकि, अधिकत मामलों में, यह रिएक्विट होने के बजाय प्रोएक्टिव होता है।   *अधिकांश मामलों की रिपोर्ट नहीं*   कई मामलों में, कंपनियां और व्यक्ति इस फैक्ट को छिपाने की कोशिश करते हैं कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है। इसका अर्थ है कि मामलों की वास्तविक संख्या रिपोर्ट की गई संख्या से कई गुना अधिक होने की संभावना है। केवल कॉर्पोरेट कर्मचारी ही नहीं, बल्कि आईआईएम जैसे इंस्टीट्यूट के फैकल्टी को भी हैकर्स से निदेशक या शीर्ष अधिकारियों के रूप में ईमेल या व्हाट्सएप मैसेज मिले। एक आईआईएम निदेशक ने को बताया कि कथित तौर पर उनकी तरफ से भेजे गए मेल कई फैकल्टी मेंबर्स को भेजे गए थे। इसमें गिफ्ट कार्ड खरीदने और डिटेल भेजने के लिए कहा गया था। निदेशक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि यह एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ है। हमने अब और अधिक सख्त सिस्टम लागू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे फिर से निशाना बनाए जाने की आशंका है। उन्होंने बताया कि अन्य संस्थानों में उनके कई साथियों को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ा है।   *ब्रांड की बदनामी नहीं चाहते*   ग्रांट थॉर्नटन भारत में पार्टनर और लीडर-साइबर अक्षय गार्केल के अनुसार, कभी-कभी किसी बड़ी कंपनी (जिसका सालाना रेवेन्यू 50,000-100,000 करोड़ रुपये होता है) के लिए यह सोचना बेहतर होता है कि नियोक्ता ब्रांड को नुकसान पहुंचाने के बजाय छोटी रकम, जैसे कि 3-4 करोड़ रुपये तक, को राइटऑफ कर देना बेहतर है। उन्होंने कहा कि ऐसा कहने के बाद, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सभी मामलों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।   गार्केल ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे विशुद्ध रूप से फाइनेंशियल मोटिव छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने आने वाले मामलों में सुरक्षा जागरूकता के स्तर में सुधार की आवश्यकता है। ऐसी घटनाओं की निगरानी और उन्हें रोकने में और अधिक बेहतर तरीके से काम करने की आवश्यकता है।   *साइबर अटैक का खतरा*   लगभग हर कोई साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील है। इसकी वजह है कि ऐप्स और वेब साइट्स की तरफ से जुटाई गई पर्सनल जानकारी लीक हो सकती है। इससे घोटालेबाजों को कॉन्फिडेंशियल जानकारी तक एक्ससे मिल सकता है। धोखाधड़ी का पता लगाने वाली कंपनी आईडीएफवाई के सीईओ अशोक हरिहरन ने कहा कि उनकी कंपनी को भी निशाना बनाया गया था। एक महीने पहले ही, कंपनी के 650 कर्मचारियों में से 50-60 को हरिहरन से एक ईमेल मिला था। उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी का पता लगाने के बिजनेस में होने के कारण, कोई भी इसके झांसे में नहीं आया, लेकिन ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।   हरिहरन कहते हैं कि पर्सनल डिटेल आसानी से उपलब्ध है। यह ऐप या डेटा ब्रोकर से हो सकता है जो इसे बेच रहे हैं। यह डार्क वेब पर सिर्फ 100-200 रुपये में उपलब्ध है। इसके अलावा, फैक्ट यह है कि यूपीआई के माध्यम से पैसे का ट्रांसफर बेहद आसान हो गया है। इसने, इसे अधिकांश धोखाधड़ी का आधार बना दिया है। इसे बड़े पैमाने पर चलाना बहुत आसान है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 18, 2024

पिता बनने में दिक्‍कतें झेल रहे पुरुषों पर एम्स ने की स्‍टडी, योग से गूंजेगी किलकारीv

नई दिल्ली, 17 जून 2024 (यूटीएन)। योग के रूप में भारत के पास कितना अनमोल खजाना है, यह बात अब मॉडर्न साइंस भी मानने लगी है. ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्‍ली में योग को लेकर हुई यह स्‍टडी इस बात की गवाह है कि योग हर मर्ज की दवा है. एम्‍स के गायनेकोलॉजी और एनोटॉमी विभाग ने किन्‍हीं कारणों से पिता नहीं बन पा रहे 239 पुरुषों पर किए रिसर्च और फिर उनमें से 60 लोगों को कराए गए योग के बाद ऐसा रिजल्‍ट देखने को मिला कि खुद डॉक्‍टर्स भी हैरान रह गए.   एम्‍स नई दिल्‍ली के एनाटॉमी विभाग में प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा ने बताया कि आमतौर पर योग को लेकर लोगों की ये मानसिकता है कि मानसिक बीमारियों में योग असरदार है और फायदा पहुंचाता है लेकिन एम्‍स की हालिया स्‍टडी के नतीजे चौंकाने वाले हैं. योग करने से स्‍टडी में शामिल पुरुषों के स्‍पर्म के डीएनए की क्‍वालिटी में सुधार देखा गया है. स्‍टडी में शामिल योग इंटरवेंशन लेने वाले कुछ लोग जहां साधारण रूप से पिता बन पाने में सक्षम हुए वहीं जो लोग आईवीएफ की तरफ गए, उनमें भी सफलता की दर बढ़ गई.   *ऐसे शुरू हुई स्‍टडी*   डॉ. रीमा दादा ने बताया, ‘एम्‍स के गायनेकोलॉजी विभाग में कंसीव न कर पाने, बार-बार बच्‍चे गिरने या मिसकैरेज, पेट में ही भ्रूण के मर जाने की समस्‍या या आईवीएफ के लिए आने वाली फीमेल्‍स की सभी जांचें की गईं लेकिन महिलाओं में प्रेग्‍नेंसी, बच्‍चा बार बार गिरने या कंसीव न होने को लेकर कोई भी कमी सामने नहीं आई. लिहाजा इन केसेज को गायनी विभाग की एचओडी डॉ. नीना मल्‍होत्रा, डॉ. नीता सिंह और डॉ. वत्‍सला की ओर से हमारे विभाग में आगे की जांच के लिए भेजा गया.   ऐसे में सबसे पहले हमने 239 मेल्‍स पर स्‍टडी कर यह जांच की कि आखिर प्रेग्‍नेंसी और कंसीविंग में पिता का क्‍या रोल होता है. क्‍या इनका डीएनए खराब है, क्‍या इनके शुक्राणु का डीएनए नष्‍ट हो जाता है. क्‍या वजहें हैं कि उनकी पत्नियां कंसीव नहीं कर पा रही थीं और वे बाप नहीं बन पा रहे थे. इन सभी में स्‍पर्म फैक्‍टर एनालाइज किया गया. जिसमें इनके स्‍पर्म जीनोमिक इंटीग्रिटी, स्‍पर्म के डीएनए की क्‍वालिटी, जीन एक्‍सप्रेशन, टेलोमेयर की लंबाई, स्‍पर्म काउंट, तनाव आदि की स्‍टडी की गई.’   *60 लोगों को कराया योग*   डॉ. रीमा दादा बताती हैं, ‘239 मेल्‍स के स्‍पर्म, डीएनए और आरएनए की स्‍टडी के बाद हमने 60 लोगों को योग कराने के लिए चुना और लगातार 6 हफ्ते तक उन्‍हें योग कराया. इस दौरान रोजाना 2 घंटे का सेशन होता था जिसमें उन मेल्‍स की काउंसलिंग के अलावा योगासन, प्राणायाम और ध्‍यान क्रियाएं शामिल थीं. इन लोगों को सूर्य नमस्‍कार भी कराया गया. फिर 6 हफ्ते बाद हमने उन्‍हीं पैरामीटर के आधार पर देखा कि इन लोगों के स्‍पर्म की डीएनए क्‍वालिटी पहले से बेहतर हुई.   उनका आरएनए एक्‍सप्रेशन लेवल नॉर्मलाइज हुआ, डीएनए डैमेज कम हुआ, जीन के एक्‍सप्रेशंस में, टेलोमीयर लेंथ में भी सुधार आया. क्‍योंकि स्‍पर्म शरीर का एकमात्र ऐसा सेल है जिसमें अपने डीएनए को इंप्रूव करने या बचाने की क्षमता बहुत कम होती है, लेकिन योग से इसमें इंप्रूवमेंट देखा गया.   *कौन कौन से योग कराए गए*   डॉ. दादा कहती हैं कि इन लोगों को योगासनों के साथ ही प्राणायाम और ध्‍यान कराया गया. सूर्य नमस्‍कार कराया, त्रिकोण आसन, पेल्विक फ्लोर के लिए जरूरी योगासन कराए गए. इससे न केवल इनका तनाव का स्‍तर घटा बल्कि डीएनए की क्‍वालिटी में भी सुधार आया.   योगा से होगा, सच है कहावत..   डॉ. दादा कहती हैं कि इस स्‍टडी का निचोड़ यह है कि बच्‍चे पैदा करने में सिर्फ मां नहीं बल्कि पिता का भी अहम रोल है. बच्‍चा बार बार गिर रहा है तो वह मां की वजह से नहीं पिता के कमजोर डीएनए या स्‍पर्म की क्‍वालिटी के खराब होने की वजह से भी हो सकता है. ऐसे में जो लोग आईवीएफ या टेस्‍ट ट्यूब बेबी के लाखों खर्च करते हैं, इतना तनाव और कष्‍ट झेलते हैं, अगर वे योग, प्राणायाम और ध्‍यान करें तो उनके स्‍पर्म की डीएनए की क्‍वालिटी बेहतर होती है और वे नॉर्मली भी कंसीव कर सकते हैं. या फिर अगर वे टेस्‍ट ट्यूब बेबी के लिए जाते हैं तो उसका सक्‍सेज रेट भी बेहतर होगा. इसके अलावा जो बच्‍चा पैदा होगा, उसमें जेनेटिक बीमारियां कम होंगी और वह स्‍वस्‍थ होगा.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 17, 2024

दिल्ली जल संकट पर आतिशी बोल रहीं झूठ: योगेंद्र चंदोलिया

नई दिल्ली, 17 जून 2024 (यूटीएन)। दिल्ली में भीषण गर्मी पड़ रही है। ऐसे में पानी की मांग आम दिनों की तुलना में ज्यादा है। लेकिन दिल्ली पानी की किल्लतों का भी सामना कर रहा है। लोगों को टैंकरों का पानी पाने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है और लड़ झगड़ कर पानी लेना पड़ रहा है।   दिल्ली सरकार में जल मंत्री आतिशी कई बार यूपी और हरियाणा की सरकार से पानी छोड़ने की मांग कर चुकी हैं। इस बीच उत्तर पश्चिम दिल्ली के भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि आतिशी का काम केवल झूठ बोलना हैं और जलबोर्ड का पूरा पैसा पावरफुल लोगों तक पहुंच रहा है।   *योगेंद्र चंदोलिया ने दिल्ली सरकार पर साधा निशाना*   योगेंद्र चंदोलिया ने कहा, "890 क्यूसेक पानी छोड़ने का एग्रीमेंट हरियाणा सरकार और दिल्ली सरकार के बीच है। हरियाणा द्वारा 1049 क्यूसेक पानी हरियाणा लगातार दिल्ली के देता है। टैंकर माफिया यहां से पानी भरते थे। वीरेंद्र सचदेवा और मैंने इसकी शिकायत पुलिस से की। पुलिस अब यहां बैठती है।   1049 क्यूसेक पानी का इस्तेमाल दिल्ली की जनता के लिए होना था। दिल्ली सरकार के 5 वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट है। एक ट्रीटमेंट प्लांट का उदाहरण देता हूं। वजीराबाद के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में 250 एमजीडी पानी को साफ करके स्टोर करने की क्षमता है। 2013 के अंदर दिल्ली सरकार ने टेंडर निकाला कि उसमें से गाद निकाला जाए।   *आतिशी केवल झूठ बोलने का काम करती हैं*   आज 11 साल हो गए हैं। हाईकोर्ट के कहने के बाद भी काम शुरू नहीं हुआ। 94 फीसदी गाद वहां पर है। मात्रत्र 15 फीसदी पानी वहां पर आता है। भ्रष्टाचार के चलते जिस व्यक्ति को टेंडर देना चाहते थे, तो उसको इन्होंने नहीं दिया। दूसरी पार्टी को दे दिया। ये कोर्ट चले गए। कोर्ट ने इनके ऑर्डर को रद्द कर दिया लेकिन फिर भी काम शुरू नहीं हो सका।     10 साल से दिल्ली के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी केवल झूठ बोलने का काम करती हैं। 2013 तक दिल्ली का जलबोर्ड फायदे में होता था। आज 82 हजार करोड़ रुपये के घाटे में चल रहा है। सारा पैसा टैंकर माफियाओं के जरिए शक्तिशाली लोगों तक पहुंच गया है। आतिशी हरियाणा को बदनाम करना छोड़ दें।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

Jun 17, 2024

इसे कहते हैं चमत्‍कार! गर्भ में मरने वाला था बच्‍चा, अचानक जापान से आया खून और फिर हो गया कमाल

नई दिल्ली, 17 जून 2024 (यूटीएन)। ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज नई दिल्‍ली ऐसे ही देश का सबसे अच्‍छा अस्‍पताल नहीं है. यहां के डॉक्‍टर्स मरीजों के लिए भगवान हैं. तभी जिस महिला के 7 बच्‍चे गर्भ में ही मर चुके थे और आठवां बच्‍चा भी मौत के मुंह में समाने जा रहा था, एम्‍स उसके लिए किसी देव स्‍थान की तरह सामने आया और फिर जो चमत्‍कार हुआ, वह आश्‍चर्यचकित करने वाला है. हरियाणा के एक गांव की गरीब महिला जब एम्‍स में आई तो उसके 7 बच्‍चे गर्भ में ही मर चुके थे.   आसपास के दर्जनों डॉक्‍टर उसे कह चुके थे कि वह मां नहीं बन पाएगी, हालांकि पांच साल की शादी में उसने एक बार फिर गर्भवती होने का फैसला किया. इस बार वह आठवीं बार मां बनने जा रही थी लेकिन उसके साथ फिर वही होने वाला था कि उसके शरीर में बनी एंटीबॉडीज उसके बच्‍चे को पेट के अंदर-अंदर ही खत्‍म किए दे रही थीं. एम्‍स के गायनेकोलॉजी एंड ओबीएस विभाग की एचओडी डॉ. नीना मल्‍होत्रा बताती हैं कि हिस्‍ट्री देखने के बाद एम्‍स में आई इस महिला की सभी जांचें की गईं.   हालांकि इस ब्‍लड ग्रुप को ही डायग्‍नोस करना काफी क्रिटिकल था लेकिन एम्‍स के हेमेटोलॉजी विभाग ने सिर्फ ब्‍लड ही नहीं बल्कि जीन की भी जांच की, जिसमें पता चला कि इस महिला का आर-एच नेगेटिव ब्‍लड ग्रुप था, जो बच्‍चे को नहीं चढ़ पा रहा था. साथ ही इस महिला में एंटीबॉडीज थीं जो इस बच्‍चे को भी खत्‍म कर देंगी, ऐसे में इस बच्‍चे को बचाने का एक ही तरीका था कि मां के पेट के अंदर ही बच्‍चे को ये ब्‍लड चढ़ाया जाए.   *भारत में नहीं मिला ब्‍लड*   डॉ. नीना कहती हैं कि आरएच नेगेटिव ब्‍लड ग्रुप रेयर ऑफ द रेयरेस्‍ट है और एक लाख लोगों में किसी एक का ही होता है. ऐसे में बच्‍चे को बचाने के लिए भारत के सभी बड़े अस्‍पतालों और ब्‍लड बैंकों में इस ब्‍लड का पता लगाया गया तो यहां यह ब्‍लड नहीं मिला. हालांकि अंतर्राष्‍ट्रीय दुर्लभ ब्‍लड पैनल में एक भारतीय व्‍यक्ति इस ब्‍लड ब्‍लड ग्रुप का मिल गया लेकिन उसने खून देने से मना कर दिया. इसके बाद इस रेयर ब्‍लड की मांग इंटरनेशनल ब्‍लड रजिस्‍ट्री के सामने की गई, जिसमें जापान की रेड क्रॉस सोसायटी ने इस खून के उपलब्‍ध होने की बात कही.   *48 घंटे में भारत पहुंचा खून*   उसके बाद जापान से इस ब्‍लड की 4 यूनिट तत्‍काल भारत भेजी गईं. 48 घंटे में यह ब्‍लड भारत के एम्‍स पहुंच गया और महिला के पेट के अंदर ही बच्‍चे को चढ़ाया गया. इसके बाद महिला की डिलिवरी हुई और स्‍वस्‍थ बच्‍ची पैदा हुई.   *एम्‍स में आए कई केस, लेकिन ये पहली तरह का*   डॉ. नीना बताती हैं कि आमतौर पर खून की जरूरत किसी एक्‍सीडेंटल केस, सर्जरी या गर्भावस्‍था के दौरान ही पड़ती है. एम्‍स में हफ्ते में 5 या 6 केस ऐसे आते हैं जिनमें मां से बच्‍चे को खून नहीं चढ़ता और महिला व बच्‍चे को ब्‍लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है, लेकिन यह पहला मामला था जब आरएच नेगेटिव मदर और बच्‍चे के अलग जीन की पहचान कर, बाहर से रेयर ब्‍लड मंगवाकर, पेट में बच्‍चे को चढ़ाकर बचाया गया.   *डॉक्‍टर्स ही नहीं सोशल सपोर्ट सिस्‍टम भी जरूरी*   डॉ. नीना कहती हैं कि इस केस में जितनी मेहनत एम्‍स के डॉक्‍टरों ने की, उतनी ही एम्‍स के ब्‍लड बैंक, एनजीओ, सोशल सपोर्ट सिस्‍टम ने भी की, यही वजह थी कि भारत में कई जगह अनुमति लेने के बाद अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर ब्‍लड की मांग किए जाने के बाद इतनी जल्‍दी जापान से खून मंगाया जा सका और बच्‍चे की जान बच गई.   *पिछले साल का है मामला, अब जर्नल में छपा*   डॉ. नीना कहती हैं कि दरअसल ये मामला पिछले साल का है, जब एम्‍स में यह महिला आई थी. चूंकि यह भारत का पहला मामला था जब जीन की पहचान कर, रेयरेस्‍ट ब्‍लड विदेश से मंगाकर बच्‍चे को बचाया जा सका. इसलिए इसे इंटरनेशनल जर्नल में भेजा गया. जहां यह अभी पब्लिश हुआ है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 17, 2024

डेटा सुरक्षा कानून के तहत नियमों का मसौदा अंतिम चरण में

नई दिल्ली, 17 जून 2024 (यूटीएन)। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि डेटा सुरक्षा कानून के तहत नियमों का मसौदा तैयार करने का काम अंतिम चरण में है. उन्होंने आगे कहा कि उद्योग जगत से व्यापक परामर्श की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है. उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को दोगुना करने और नौकरियों के अवसर बढ़ाने की कोशिश करेगा. इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री ने भरोसा दिया कि विनियामक कार्य में निरंतरता देखने को मिलेगी.   माइक्रोन और टाटा समूह के सेमीकंडक्टर संयंत्र भी तय समयसीमा के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं. डिजिटल निजी डेटा संरक्षण डीपीडीपी अधिनियम को लागू करने की प्रक्रिया 'डिजाइन के द्वारा डिजिटल' के सिद्धांत पर आधारित होगी. इससे काम करने के नए तरीके का रास्ता खुलेगा.   वैष्णव ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''हमने दिसंबर के आसपास नियमों का मसौदा तैयार करने का काम शुरू कर दिया था. डीपीडीपी नियमों का मसौदा काफी हद तक तैयार हो चुका है. हम अब उद्योग से परामर्श शुरू करेंगे और जितना संभव हो उतना व्यापक रूप से आगे बढ़ेंगे.   उन्होंने कहा कि दूरसंचार अधिनियम और डीपीडीपी अधिनियम दोनों में व्यापक परामर्श की जरूरत है. उन्होंने वादा किया कि डीपीडीपी के नियमों को भी जल्दबाजी में नहीं बनाया जाएगा. इस सप्ताह की शुरुआत में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने वाले वैष्णव ने कहा कि उन्होंने डेटा सुरक्षा नियमों पर चल रहे कार्य की समीक्षा की और वह परिणामों से खुश हैं. उन्होंने कहा कि उद्योग और हितधारकों के विचारों के आधार पर इसमें बदलाव किए जाएंगे.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 17, 2024

बुलेट ट्रेन, एशिया-यूरोप कोरिडोर और मेलोनी से क्या डील?इटली से क्या-क्या लेकर लौटे मोदी

नई दिल्ली, 17 जून 2024 (यूटीएन)। जी-7 शिखर सम्मेलन ने पीएम मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में भारत की छवि को और मजबूत कर दिया है. इटली के अपुलीया में आयोजित ग्रुप ऑफ सेवन जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत का दबदबा साफ नजर आया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापानी प्रधानमंत्री फूमिओ किशिदा और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सहित कई विश्व नेताओं से मुलाकात की.    इस दौरान कई मुद्दों पर बातचीत हुई. कई देश महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताते हुए नजर आए. वहीं, यूरोप की ओर से ठोस बुनियादी ढांचे के प्रस्तावों को आगे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई. आइए आपको बताते हैं कि कहां किससे बात बनी और जानिए इटली से क्या-क्या लाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.   *कनाडा से खास रही मुलाकात, ये हुई बात*   भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ समय से रिश्‍तों में तनाव चल रहा है. ऐसे में पीएम मोदी की कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात बेहद खास रही. कई देशों की नजर इस मुलाकात पर टिकी हुई थीं. जस्टिन ट्रूडो ने शनिवार को कहा कि जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी से उनकी मुलाकात के बाद कुछ ‘बहुत महत्वपूर्ण मुद्दों' से निपटने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता है.   जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन पर मीडिया से कहा, "मैं इस महत्वपूर्ण, संवेदनशील मुद्दे के विवरण में नहीं जाऊंगा, जिस पर हमें आगे काम करने की आवश्यकता है. लेकिन यह आने वाले समय में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए एक साथ काम करने की प्रतिबद्धता है." भारत का कहना रहा है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा अपने भू-भाग से संचालित हो रहे खालिस्तान समर्थक तत्वों को जगह दे रहा है. भारत ने कनाडा को बार-बार अपनी ‘‘गहरी चिंताओं'' से अवगत कराया है और नयी दिल्ली को उम्मीद है कि ओटावा उन तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा.   *प्रधानमंत्री मोदी और मेलोनी ने भारत-इटली रणनीतिक साझेदारी पर बात*     प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी इतालवी समकक्ष जॉर्जिया मेलोनी ने द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा की और भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे सहित वैश्विक मंचों तथा बहुपक्षीय प्रस्तावों में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की.   पीएम मोदी की दक्षिणी इटली के अपुलिया की एक दिवसीय यात्रा के अंत में शुक्रवार को दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हुई. इस दौरान मोदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करने के लिए इटली की प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया.   विदेश मंत्रालय ने बैठक के बारे में जारी विज्ञप्ति में कहा कि नेताओं ने खुले एवं मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपने साझा दृष्टिकोण को पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई तथा भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे पर भी चर्चा की.      क्षेत्र में चीन की आक्रामक गतिविधियों के बीच विदेश मंत्रालय ने कहा, "दोनों नेता मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपने साझा दृष्टिकोण को पूरा करने की खातिर तैयार रूपरेखा के तहत क्रियान्वित की जाने वाली संयुक्त गतिविधियों के लिए तत्पर हैं.   *भारत-जापान  द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति*   प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इटली के अपुलीया में जी-7 शिखर सम्मेलन के मौके पर जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ द्विपक्षीय बैठक की. इस दौरान प्रधानमंत्री ने लगातार तीसरी बार पदभार संभालने पर दी गई बधाई के लिए प्रधानमंत्री किशिदा को धन्यवाद दिया. उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि उनके तीसरे कार्यकाल में भी जापान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को प्राथमिकता मिलती रहेगी. दोनों नेताओं ने कहा कि भारत-जापान विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी अपने 10वें वर्ष में है और द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया. दोनों नेताओं ने पारस्परिक सहयोग को और मजबूत करने, नए एवं उभरते क्षेत्रों को जोड़ने तथा बी2बी एवं पी2पी सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की.   भारत और जापान कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं, जिसमें ऐतिहासिक मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना बुलेट ट्रेन भी शामिल है. यह परियोजना भारत में आवागमन के क्षेत्र में अगले चरण की शुरुआत करेगी. वर्ष 2022-2027 की अवधि में भारत में 5 ट्रिलियन येन मूल्य के जापानी निवेश का लक्ष्य है और भारत-जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता साझेदारी का उद्देश्य हमारे मैन्यूफैक्चरिंग संबंधी सहयोग में परिवर्तन लाना है. दोनों नेताओं ने अगले भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में अपनी चर्चा जारी रखने के प्रति उत्सुकता दिखाई.   *भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे से खुलेंगी की तरक्‍की की राह*   जी-7 शिखर सम्मेलन के अंत में औद्योगिक देशों के समूह ने भारत-पश्चिम-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) जैसे ठोस बुनियादी ढांचे के प्रस्तावों को आगे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई. भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा आईएमईसी परियोजना के तहत सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक विशाल सड़क, रेलमार्ग और पोत परिवहन तंत्र की परिकल्पना की गई है ताकि एशिया, पश्चिम एशिया और पश्चिम के बीच जुड़ाव सुनिश्चित किया जा सके.   जी-7 समिट के आखिर में कहा गया, "हम गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना और निवेश की खातिर परिवर्तनकारी आर्थिक गलियारे विकसित करने के लिए जी-7 पीजीआईआई वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिए साझेदार के ठोस प्रस्ताव, प्रमुख परियोजनाओं और पूरक प्रस्तावों को बढ़ावा देंगे, जैसे कि लोबिटो कॉरिडोर, लुजोन कॉरिडोर, मिडिल कॉरिडोर और भारत-पश्चिम एथिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर के लिए हमारे समन्वय तथा वित्तपोषण कार्यक्रम को मजबूत करना, इसके साथ ही ईयू ग्लोबल गेटवे, ग्रेट ग्रीन वॉल पहल और अफ्रीका के लिए इटली द्वारा शुरू की गई मैटेई योजना को तैयार करना..   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 17, 2024