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त्रिदेव', 'मोहरा', 'गुप्त' जैसी सुपर हिट फिल्मों के निर्माता-निर्देशक राजीव राय की बॉलीवुड में धमाकेदार वापसी

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। निर्माता-निर्देशक राजीव राय और उनके बैनर त्रिमूर्ति फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम की तूती बोलती थी! इस दौर में उन्होंने त्रिदेव, विश्वात्मा, मोहरा और गुप्त जैसी कई मसाला एंटरटेनर, सुपर हिट फिल्में बनायीं जिनका मधुर संगीत आज तक लोकप्रिय है। राजीव राय की फिल्मों का अपना एक अलग फॉर्मूला होता था-चटपटे डायलॉग्स, दो-तीन हीरो-हीरोइन्स, ज़बरदस्त गन फाइट्स, शानदार फोटोग्राफी... साउंड इफेक्ट्स, बड़े-बड़े तड़कीले-भड़कीले सेट्स, हेलिकॉप्टर शॉट्स और हिट गाने यानी आम दर्शकों के लिए मनोरंजन का भरपूर मसाला! यही वजह थी कि जब भी उनकी कोई फिल्म रिलीज़ होती थी, तो दर्शक उसे देखने के लिए टूट पड़ते थे! लेकिन फिर परिस्थितियों और कुछ व्यक्तिगत कारणों से राजीव ने एकाएक फिल्में बनाना बंद कर दिया. और विदेश में जा कर बस गये। मगर फिर देश के प्रति प्रेम, अपनी बेमिसाल क्रिएटिविटी और हिंदी फिल्मों के प्रति जुनून ने उन्हें भारत लौटने पर मजबूर कर दिया! और अब वे अपनी नयी फिल्म ज़ोरा के साथ एक बार फिर निर्माता-निर्देशक के रूप में बॉलीवुड में वापसी कर रहे हैं, लेकिन एक नये और अलग अंदाज़ में अपनी चिर-परिचित शैली के साथ, क्योंकि ज़ोरा भी एक तेज़ रफ्तार मर्डर थ्रिलर है और जिसे राजीव इस साल के अंत तक प्रदर्शित करने का इरादा रखते हैं! कहते हैं राजीव, "मैंने अपनी नयी फिल्म ज़ोरा की शूटिंग पूरी कर ली है और अब उसका पोस्ट- प्रॉडक्शन चल रहा है जो लगभग पूरा हो चुका है। लेकिन मेरी यह फिल्म अपनी पिछली फिल्मों से इस मायने में अलग है कि इस बार मेरी फिल्म में कोई भी बड़ा नाम या स्टार नहीं है। इसमें चालीस नये चेहरे हैं जिनका चुनाव मैंने उत्तर भारत से किया है। और सिर्फ एक गाना है जिसका संगीत विजू शाह ने दिया है। इस फिल्म को मैंने बहुत कम बजट में बनाया है। एक निर्माता-निर्देशक के रूप में एक तरह से मैंने अपनेआपको चुनौती दी है कि मामूली बजट होने के बावजूद मैं एक बेहद दिलचस्प फिल्म बनाऊँ जो मेरी अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म साबित हो। फिल्म का बजट भले ही कम है, लेकिन अपने कहानी कहने के अंदाज़ या उसके तकनीकी पहलुओं के साथ मैंने किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया है। मैंने अपनी यह फिल्म हमेशा की तरह आम दर्शकों के लिए बनायी है जिन्हें आज हमने 'सिंगल स्क्रीन सिनेमा के दर्शक' या 'मास ऑडिएंस' का नाम दे दिया है। मेरा मानना है कि आज भी मुख्य रूप से आम जनता ही सिनेमा देखने जाती है! लेकिन आखिर राजीव जैसे निर्माता-निर्देशक को छोटे बजट की फिल्म बनाने की क्या ज़रूरत थी जबकि हमेशा से ही उनकी फिल्में बड़े-बड़े सितारों, भव्य सेट्स और कम से कम पाँच-छह सुपर हिट गानों के लिए जानी जाती हैं? "अगर आप गौर करें तो पायेंगे कि मैंने कभी भी अपने दौर के टॉप स्टार्स (जैसे कि अमिताभ बच्चन) के साथ काम नहीं किया। जब मैंने त्रिदेव के लिए सनी देओल और जैकी श्रोफ को साइन किया था हालांकि तब वो नामी और कामयाब स्टार थे, पर तब उनकी पिछली कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास सफल नहीं रही थीं। नसीरुद्दीन शाह भी तब ज़्यादातर आर्ट फिल्मों का ही हिस्सा थे। इसके बावजूद फिल्म कामयाब रही। जब मैंने मोहरा के लिए अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी को कास्ट किया था, तब वो उभरते हुए सितारे थे। गुप्त के लिए मैंने बॉबी देओल को तभी साइन कर लिया था जब उनकी पहली फिल्म बरसात की शूटिंग चल रही थी। हालांकि ये सब कलाकार बाद में बड़े-बड़े स्टार बन गये! मैंने संगीता बिजलानी, अर्जुन रामपाल जैसे सितारों को खोजा और सोनम और दिव्या भारती जैसी उभरती हुई अभिनेत्रियों के कैरियर को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभायी। इनके अलावा और भी ऐसे कई कलाकार हैं जिन्हें मैंने अपनी फिल्मों से ब्रेक दिया और जिन्होंने बाद में फिल्म जगत में अपनी अलग जगह बनायी। नयी प्रतिभाएं हमेशा से मेरा ध्यान आकर्षित करती रही हैं और नये लोगों के साथ काम करने में मैंने कभी संकोच नहीं किया। ज़ोरा भी एक विशुद्ध कमर्शियल मास एंटरटेनर है। इसके स्क्रिप्ट में ज़्यादा गानों की गुंजाइश नहीं थी, इसलिए फिल्म की ज़रूरत के मुताबिक मैंने इसमें सिर्फ एक ही गाना शामिल किया। इस फिल्म की मेकिंग में मैंने किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया है। यह एक दमदार,स्टाइलिश और मनोरंजक फिल्म है। मुझे यकीन है, ज़ोरा दर्शकों को बहुत पसंद आएगी और फिल्म देखने के बाद वो ज़रूर यह कहेंगे कि इस फिल्म पर राजीव राय की चिर-परिचित छाप मौजूद है! विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

महिलाओं को अब पीरियड्स के लिए मिलेगी 6 छुट्टी! पैसा भी नहीं कटेगा

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। कर्नाटक सरकार प्राइवेट और पब्लिक दोनों सेक्टर में नौकरी करने वाली महिलाओं के लिए खुशखबरी देने जा रही है। सरकार महिलाओं को पीरियड्स के लिए साल में 6 दिनों की छुट्टी देने पर विचार कर रही है। इसको लेकर अब श्रम मंत्रालय की तरफ से गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है और महिलाओं के लिए 6 दिन की मासिक छुट्टी की सिफारिश की है। सरकार ने महिलाओं के पीरियड्स लीव और मासिक धर्म से जुड़े स्वास्थ्य उत्पादों तक मुफ्त पहुंच के अधिकार पर एक विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए 18 सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति की अध्यक्ष डॉ. सपना ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पेश की है। इसमें कहा जा रहा है महिलाओं को छह दिन की पेड छुट्टियां मिलेंगी और उसमें कोई पैसा नहीं कटेगा। *महिलाओं के पास होगा छुट्टियां चुनने का अधिकार*कर्नाटक सरकार के मंत्री संतोष लाड ने इस मामले में बताया, हम प्रस्ताव की समीक्षा कर रहे हैं और समिति के सदस्यों के साथ एक बैठक निर्धारित की है। इस पहल का उद्देश्य महिला कार्यबल का समर्थन करना है, क्योंकि महिलाओं को अपने पूरे जीवन में महत्वपूर्ण शारीरिक और भावनात्मक उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। श्रम मंत्री संतोष लाड ने आगे बताया, ''छुट्टियां काफी सही होंगी, जिससे महिलाओं को यह चुनने की अनुमति मिलेगी कि उन्हें कब छुट्टी चाहिए।' उन्होंने आगे ये भी कहा, समिति की बैठक आज होनी है और सरकार को इसे मंजूरी देनी होगी। *इन राज्यों में लागू हो चुका नियम*यदि इसे लागू किया जाता है, तो कर्नाटक बिहार, केरल और ओडिशा के बाद महिलाओं को पीरियड्स के दौरान छुट्टी देने वाला चौथा राज्य बन जाएगा।पिछले महीने, ओडिशा सरकार ने महिलाओं के लिए पीरियड्स की एक दिन की छुट्टी की घोषणा की थी। 1992 में, बिहार ने महिलाओं को प्रति माह दो दिन का मासिक अवकाश प्रदान करना शुरू किया। केरल ने 2023 में सभी राज्य विश्वविद्यालयों में महिला छात्रों को पीरियड्स की छुट्टी देना शुरू किया।यह पहली बार नहीं है जब पीरियड्स के लिए छुट्टी का प्रस्ताव किया गया है। दिसंबर 2023 में, पूर्व केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में इसी तरह की योजना का विरोध करते हुए कहा था कि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसे विशेष छुट्टी की आवश्यकता वाली विकलांगता के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

देश में जन्मे 17 शावकों में से 12 सुरक्षित, भारत ने दुनिया को चौंकाया

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। भारत में नए सिरे से चीतों की मौजूदगी को भले ही अभी सिर्फ दो साल हुए हैं लेकिन इस अवधि में देश ने चीतों के संरक्षण में ऐसी सफलता हासिल की है, जिससे न सिर्फ चीते देने वाले नामीबिया व दक्षिण अफ्रीका जैसे देश अचंभित हैं बल्कि दुनिया भर के वन्य विशेषज्ञ भी भौंचक्के हैं। यह सफलता देश में जन्मे 70 प्रतिशत से अधिक चीता शावकों को बचाने की है। *चीता प्रोजेक्ट को शुरुआत में कई बड़े झटके लगे*यह स्थिति तब है जब पूरी दुनिया में चीता शावकों की मृत्यु दर सबसे अधिक है। यानी जन्म लेने वाले सौ शावकों में से सिर्फ दस ही जीवित बचते हैं। इन दो सालों में देश में कुल 17 शावकों ने जन्म लिया जिनमें से 12 सुरक्षित हैं।चीता प्रोजेक्ट को शुरुआत में कई बड़े झटके लगे। एक-एक कर कई चीतों और शावकों की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई। इसके पीछे बड़ी वजह चीतों के रखरखाव को लेकर देश के पास अनुभव और शोध दोनों की कमी थी। भारतीय वन्यजीव संस्थानों व विशेषज्ञों ने इसे चुनौती के रूप में लिया। *चीतों के संरक्षण को लेकर रुचि दिखाई*चीता प्रोजेक्ट के दो साल पूरे होने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर जारी रिपोर्ट के मुताबिक जिस तरह से चीतों के संरक्षण को लेकर रुचि दिखाई गई उससे साफ है कि चीतों के संरक्षण में भी भारत महारत हासिल कर लेगा। *चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत सितंबर 2022 में हुई*रिपोर्ट के मुताबिक प्रोजेक्ट के दो साल के अनुभव के आधार पर अब चीतों के रखने वाले दूसरे ठिकानों को तैयार किया जा रहा है। दूसरे ठिकाने के रूप में तैयार हो रहे मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य में उन सभी बातों को ध्यान में रखा जा रहा है जिन पर कूनो में नहीं रखा गया था। देश में चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ चीते लाकर की गई थी। बाद में 12 चीतों की एक खेप फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाई गई थी। *भारत की सरजमीं पर जन्मे कई शावक हुए वयस्क*नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में से अब तक आठ चीतों की मौत भले चीता प्रोजेक्ट के लिए बड़ा झटका रहा है लेकिन दूसरी तरफ भारतीय जमीं पर जन्मे शावकों की अठखेलियां पूरे प्रोजेक्ट में एक नई रोशनी भी भर रही है। जिनकी संख्या मौजूदा समय में 12 है। इनमें से कई शावक तो अब वयस्क होने के करीब है। *मादा शावक डेढ़ साल में व्यस्क हो जाते है*वैसे भी चीता का नर शावक करीब एक साल में और मादा शावक डेढ़ साल में वयस्क हो जाते है। इन चीता शावकों को प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की उम्मीद के तौर पर भी देखा जा रहा है क्योंकि इन सभी के सामने नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों की तरह जलवायु अनुकूलता नहीं होने जैसी चुनौती का कोई खतरा नहीं है। वह यहां की जलवायु में पूरी तरह से रचे-बसे होने के साथ-साथ तेजी से बढ़ भी रहे है।केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और चीता प्रोजेक्ट से जुडे अधिकारियों की मानें तो चीता शावकों की इस प्रगति से न सिर्फ देश में इन्हें बसाने के प्रोजेक्ट को रोशनी मिल रही है, बल्कि दुनिया भर में इन वन्यजीवों को एक जगह से दूसरी जगह पर बसाने की उम्मीदें भी रोशन हो रही है। *पांच शावक अकेले मादा चीता ज्वाला के*मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में बसाए गए इन चीतों में मौजूदा समय में जो 12 शावक है, उनमें से आठ शावक नामीबिया से लाए गए दो मादा चीतों के है। इनमें पांच शावक अकेले मादा चीता ज्वाला के है, जबकि तीन मादा चीता आशा के हैं। वहीं दक्षिण अफ्रीका से लाए 12 चीतों में से मादा चीता गामिनी ने चार बच्चों को जन्म देकर इस प्रोजेक्ट में एक और नई खुशहाली लायी है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

8 हाई कोर्ट को मिले नए चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के एक दिन बाद केंद्र सरकार ने की नियुक्ति

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों को मानते हुए आठ हाई कोर्ट के लिए चीफ जस्टिस के नामों पर मुहर लगा दी है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्तियों में देरी पर सफाई मांगने के एक दिन बाद ही आया है। खास बात यह है कि झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति भी कर दी गई है, जिसके लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना का केस दायर किया था। राष्ट्रपति ने दिल्ली, मध्य प्रदेश, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, केरल, मद्रास, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख और झारखंड के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। *केंद्र सरकार ने किया त्वरित फैसला*सरकार के इस त्वरित फैसले से न्यायपालिका में नियुक्तियों के मुद्दे पर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच मतभेद बढ़ने की आशंका कम हो गई है। पिछले साल इसी मुद्दे पर न्यायिक कार्यवाही के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा कानून का पालन न करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम व्यवस्था देश का कानून है और केंद्र सरकार को इसका पालन करना ही होगा। अगर कॉलेजियम किसी नाम को दोबारा भेजता है तो सरकार के पास उसे स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। *किसे कहां बनाया गया चीफ जस्टिस?*सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है। दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस राजीव शकधर को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट के एक और जज जस्टिस सुरेश कैत मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का पदभार संभालेंगे। कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस इंद्र प्रसन्न मुखर्जी को मेघालय हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस नितिन मधुकर जमदार केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ताशी रबस्तान को उसी हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस श्रीराम कल्पाथी राजेंद्रन को मद्रास हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस और हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस एम एस रामचंद्रन राव को झारखंड हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया है। *सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछी थी देरी की वजह*शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह बताने को कहा था कि जजों के पदों के लिए सिफारिश किए गए कुछ नाम लंबित क्यों हैं और किस स्तर पर अटके हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल भी कुछ मुद्दे उठाए थे जिनका अभी तक समाधान नहीं हुआ है। इनमें कुछ हाई कोर्ट जजों का तबादला और हाई कोर्ट जजों के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गए नामों को मंजूरी देना शामिल है। नियुक्तियों में देरी और कॉलेजियम की सिफारिशों में से चुनिंदा नामों को मंजूरी देने की केंद्र की नीति भी दोनों संस्थाओं के बीच विवाद का एक बड़ा कारण है। कोर्ट ने अपनी न्यायिक कार्यवाही में बार-बार इस मुद्दे को उठाया है। *जजों की नियुक्ति के लिए क्या है गाइडलाइन*सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में जजों की समयबद्ध नियुक्ति के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए थे और इस प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों के लिए फैसला लेने की समय सीमा तय की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को हाई कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश केंद्र को भेजे जाने की तारीख से 4-6 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट/राय सौंप देनी चाहिए। केंद्र को राज्य सरकार और IB रिपोर्ट मिलने के 8-12 सप्ताह के भीतर फाइल सुप्रीम कोर्ट को भेज देनी चाहिए। इसके बाद सीजेआई को चार सप्ताह के भीतर कानून मंत्री को सिफारिशें/सलाह भेजनी होगी। केंद्र सरकार को तुरंत नियुक्ति करनी होगी या फिर पुनर्विचार के लिए सिफारिश वापस भेजनी होगी। अगर नामों को दोबारा भेजा जाता है तो 3-4 सप्ताह के भीतर नियुक्ति कर देनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया था कि सरकार कानून पारित करके एक नई प्रणाली ला सकती है लेकिन साथ ही कहा था कि कोई भी प्रणाली परफेक्ट नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा था कि नियुक्ति में देरी की मौजूदा स्थिति ठीक नहीं है और इससे मेधावी वकील जज बनने से हिचकिचाते हैं। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

अमेरिका ने लौटाई भारत की 297 प्राचीन धरोहर

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान 297 प्राचीन वस्तुएं (कलाकृतियां) भारत को सौंपी है। देश की संस्कृति के बारे में जानकारी देने वाली इन प्राचीन वस्तुओं को तस्करी कर देश से बाहर ले जाया गया था। एक बयान में बताया गया है कि 2014 से अब तक पिछले दस वर्षों में भारत को कुल 640 प्राचीन वस्तुएं वापस मिली हैं, जिसमें से अकेले अमेरिका ने 578 वस्तुएं लौटाई हैं। यह किसी देश द्वारा भारत को लौटायी गई सबसे अधिक सांस्कृतिक कलाकृतियां हैं। *पीएम ने ट्वीट कर दी जानकारी*प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए इन 297 अमूल्य कलाकृतियों को लौटाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का धन्यवाद किया है। पीएम ने कुछ तस्वीरें भी पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘सांस्कृतिक जुड़ाव को गहराते और सांस्कृतिक संपत्तियों की अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करते हुए। मैं भारत को 297 अमूल्य कलाकृतियां लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन और अमेरिकी सरकार का अत्यधिक आभारी हूं। *राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद*अधिकारियों का कहना है कि पीएम ने इन प्राचीन वस्तुओं को लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ये वस्तुएं न केवल भारत की ऐतिहासिक संस्कृति का हिस्सा हैं बल्कि इसकी सभ्यता और चेतना का आंतरिक आधार भी हैं। इस उपलब्धि को भारत द्वारा अपनी सांस्कृतिक विरासत को कायम रखने के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका के अलावा दूसरे कई देशों ने भी भारत को प्राचीन वस्तुएं वापस की है, जिसमें 16 कलाकृतियां ब्रिटेन से, 40 ऑस्ट्रेलिया और अन्य जगहों से वापस की गई हैं। वहीं 2004-2013 के बीच भारत को केवल एक कलाकृति वापस की गई थी। *10-11वीं शताब्दी ईसा पूर्व की कलाकृतियां*भारत को लौटाई गई कुछ विशेष कलाकृतियों में 10-11वीं शताब्दी ईसा पूर्व की मध्य भारत की बलुआ पत्थर से निर्मित एक ‘अप्सरा’, तीसरी-चौथी शताब्दी ईसा पूर्व का पूर्वी भारत का टेराकोटा का एक फूलदान तथा पहली शताब्दी ईसा पूर्व की दक्षिण भारत की पत्थर की एक मूर्ति शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि पीएम मोदी की 2021 में अमेरिकी यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार ने 157 कलाकृतियां लौटाई थी, जिसमें 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व की नटराज की कांसे की प्रतिमा शामिल थी। 2023 में पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के कुछ दिन बाद भारत को 105 कलाकृतियां लौटाई गई थी। *प्राचीन वस्तुएं तस्करी के जरिये गई थीं बाहर*सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी एक पुराना मुद्दा है जिसने पूरे इतिहास में कई संस्कृतियों और देशों को प्रभावित किया है। भारत इस मुद्दे से विशेष रूप से प्रभावित हुआ है और बड़ी संख्या में प्राचीन वस्तुएं तस्करी कर देश से बाहर ले जाई गई हैं। जुलाई 2024 में दिल्ली में 46वीं विश्व धरोहर समिति के अवसर पर भारत और अमेरिका ने भारत से अमेरिका में कलाकृतियों की तस्करी को रोकने और उस पर अंकुश लगाने के लिए पहले 'सांस्कृतिक संपत्ति समझौते' पर हस्ताक्षर किए थे।*महत्वपूर्ण कलाकृतियों की वापसी*अधिकारियों का कहना है कि ऐसे में यह शानदार उपलब्धि भारत के चुराए गए खजाने को प्राप्त करने और भावी पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के संकल्प को दर्शाती है। वैश्विक नेताओं के साथ पीएम मोदी के व्यक्तिगत संबंधों की वजह से ये काफी हद तक मुमकिन हुआ है। ये भारत के लिए हर्ष का विषय है कि उसकी सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी प्रतिष्ठित मूर्तियों और महत्वपूर्ण कलाकृतियों की वापसी हो रही है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

आपकी थाली तक पहुंच रहा जानवरों की चर्बी वाला खाना, अब तक भनक भी नहीं लगी

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। अब आशीर्वाद, आस्था, शुद्धता, भरोसा सबकुछ झूठ है, क्योंकि प्रसाद के नाम पर महापाप किया जा रहा था. तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा था. ये महापाप है, लेकिन ये हो रहा था और शायद आगे भी होता रहता, अगर प्रसाद का लैब टेस्ट नहीं किया जाता. जब लैब टेस्ट हुआ तो चौंकाने वाली बातें सामने आई. रिपोर्ट के मुताबिक, तिरुपति मंदिर के प्रसाद में सूअर की चर्बी, बीफ और मछली के तेल के मिले होने की पुष्टि हुई. प्रसाद में इतने बड़े मिलावट का जैसे ही खुलासा हुआ. लोगों की आस्था के साथ हो रहे इतने बड़े खिलवाड़ के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन होने लगा है. राजनीति आरोप-प्रत्यारोप लगने लगे और केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश सरकार से इसपर रिपोर्ट मांगी.   *आपकी थाली तक पहुंच रहा जानवरों की चर्बी वाला खाना* इसके बाद सवाल उठने लगा है कि क्या हम जो घी घर में पूजा के लिए ला रहे हैं. जिसका इस्तेमाल करके खाना बना रहे हैं क्या वो शुद्ध है? या घर-घर जानवर की चर्बी वाला घी पहुंच चुका है. आपके घर में जो घी आ रहा है वो कितना शुद्ध है और उसकी शुद्धता की कैसे जांच करें. आपकी ताली तक जानवरों की चर्बी वाला खाना पहुंच चुका है और आपको भनक तक नहीं लगी होगी. जानवरों की चर्बी घी के अलावा मार्केट में मिलने वाली मिठाइयों में भी हो सकता है.   *कैसे करें नकली घी की पहचान?* आपका घी मिलावटी है अगर हथेली पर रखने के बाद ना पिघले. पानी में डालने पर नीचे बैठ जाए. हथेली पर रगड़ने पर खुशबू चली जाए. गर्म करने के बाद रंग बदल जाए. नकली घी देर से पिघलेगा और पीला रहेगा. आयोडीन मिलाने पर रंग बैंगनी हो जाए. अगर घी दानेदार ना हो तो नकली है. अगर आप भी मार्केट से घी खरीद रहे हैं तो तुरंत सावधान हो जाएं.   *नकली घी में क्या-क्या मिलावट ?* एनिमल फैट खराब तेल डालडा बिघला बटर हाइड्रोजेनेटेड तेल मसला हुआ आलू शकरकंद नारियल ऑयल *नकली घी से क्या नुकसान?*   1- हार्ट अटैक की समस्या 2- हाई रक्त चाप हो सकती है 3- लिवर खराब हो सकता है 4- गर्भपात की हो सकता है 5- दिमाग में सूजन की समस्या 6- अपच और गैस की समस्या 7- कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है   *कैसे जांचें शुद्ध घी?* *नमक की मदद से:* बर्तन में एक चम्मच घी लें. आधा चम्मच नमक मिलाएं. हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाएं और 20 मिनट के लिए छोड़ दें. अगर घी नकली होगा तो घी का रंग बदल जाएगा.   *पानी की मदद से:* एक ग्लास पानी लें. उसमें एक चम्मच घी डालें. घी ऊपर तैरने लगे तो असली है और अगर पानी में डूब जाए तो घी नकली है.   *हथेली पर रखकर:* थोड़ा सा घी हथेली पर रखें. असली घी पिघलने लगे तो समझ जाएं कि आपका घी असली है. और हथेली पर रखने के बाद घी जस का तस रहे तो फिर ये नकली है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

जंतर मंतर से अरविंद केजरीवाल ने भागवत से पूछे 5 सवाल

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जंतर मंतर पर 'जनता की अदालत' को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी और केंद्र की एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा. अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी 5 सवाल पूछे. उन्होंने पूछा कि जिस तरह से पीएम मोदी सीबीआई का डर दिखाकर सरकारें गिरा रहे हैं क्या आर एस एस उससे सहमत है? ** अरविंद केजरीवाल ने संघ प्रमुख से पूछे ये 5 सवाल- 1- जिस तरह मोदी जी ईडी सीबीआई का डर दिखाकर सरकारें गिरा रहे हैं क्या RSS उससे सहमत है?2- मोदी जी ने सबसे भ्रष्ट नेताओं को भाजपा में शामिल कराया. क्या आर एस एस मोदी जी से सहमत है?3- जेपी नड्डा के बयान से आर एस एस दुखी हुआ या नहीं?4-  75 साल वाला रूल मोदी जी पर लागू होगा या नहीं?5- बीजेपी आरएसएस की कोख से पैदा हुई है. कहा जाता है कि ये देखना आर एस एस की जिम्मेदारी है कि भाजपा पथभ्रष्ट न हो. क्या आप आज की बीजेपी के कदमों से सहमत हैंय़ क्या आपने कभी मोदी जी से ये सब न करने के लिए कहा ? *हमने ईमानदारी से चुनाव लड़कर दिखाया*आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, अन्ना आंदोलन 4 अप्रेल 2011 को जंतर मंतर से शुरू हुआ था. तब सरकार ने हमें चैलेंज किया था चुनाव लड़कर दिखाओ, जीतकर दिखाओ. हम भी चुनाव लड़ लिये. देश के अंदर साबित कर दिया कि ईमानदारी से चुनाव लड़ा जा सकता है और ईमानदारी से चुनाव जीता भी जा सकता है. हमने सरकार चलाई. बिजली पानी फ्री कर दिया. बसों में महिलाओं का सफर फ्री कर दिया. इलाज फ्री कर दिया. शानदार अस्पताल और स्कूल बना दिए. ये देखकर मोदी जी घबरा गए और हमारे ऊपर झूठे आरोप लगा दिये और जेल भेज दिया. केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति घोटाले का जिक्र करते हुए कहा, वकीलों ने कहा कि यह केस दस साल भी चल सकता है. मैं इस दाग के साथ नहीं जी सकता. इसलिए सोचा कि जनता की अदालत में जाऊंगा. अगर मैं बेईमान होता तो बिजली फ्री करने के तीन हजार करोड़ खा जाता, महिलाओं के किराया फ्री नहीं करता, बच्चों के लिए स्कूल नहीं बनवाता. दरअसल, अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से इस केस में जमानत मिली है, इसके बाद उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

दिल्ली की सुप्रसिद्ध एवं सबसे पुरानी लव कुश रामलीला कमेटी का भूमि पूजन संपन्न

नई दिल्ली, 21 सितंबर 2024 (यूटीएन)। देश की सुप्रसिद्ध एवं सबसे पुरानी रामलीलाओं में शुमार लव कुश रामलीला कमेटी का भूमि पूजन समारोह लालकिला मैदान पर संपन्न हुआ कमेटी के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने बताया कि लीला मंचन समारोह 3  से 13 अक्टूबर 2024 तक होगा दशहरा पर्व 12 अक्टूबर 2024 को पूरे  देश में मनाया जाएगा । भूमि पूजन समारोह अर्जुन राम मेघवाल केंद्रीय कानून राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार एवं हर्ष मल्होत्रा सड़क परिवहन राज्य मंत्री के कर कमलो से संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अर्जुन राम मेघवाल केंद्रीय कानून राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार ने  कहा कि लव कुश रामलीला कमेटी  हमारी भारतीय संस्कृति परंपराओं को जीवित रखे हुए हैं, प्रभु श्री राम की लीला के साथ-साथ मानव सेवा और सामाजिक हित के कार्यों में संलग्न है, हर्ष मल्होत्रा केंद्रीय सड़क परिवहन राज्यमंत्री ने कहा कि देश विदेश में प्रख्यात रामलीला कमेटी प्रभु श्री राम का संदेश जन-जन, युवा पीढ़ी जागृत करने के उद्देश्य से रामलीला करती है यह इसके लिए बधाई के पात्र हैं। भूमि पूजन के अवसर पर वृंदावन, मथुरा एवं दिल्ली के प्रसिद्ध ब्राह्मणों द्वारा मंत्रों के साथ विधिवत तरीके से पूजा अर्चना हुई |    कमेटी के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने आए हुए सभी अतिथियों का  पटका, स्मृति चिन्ह, शक्ति की प्रतीक गदा भेंट कर सम्मान किया गया। उल्लेखनीय है कि लव-कुश रामलीला कमेटी देश की सबसे प्राचीन एवं प्रसिद्ध रामलीला कमेटी है |कमेटी में व्यापारी, धार्मिक, पत्रकार, समाज सेवी एवं सभी संप्रदाय के व्यक्ति लीला कमेटी का नेतृत्व करते हैं | हर वर्ष आश्विन नवरात्रि के अवसर पर लाल किले की प्राचीर के नीचे लीला मंचन किया जाता है | प्रभु श्री राम के लोक कल्याणकारी कार्य, प्रेरणा, शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने एवं युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से अवगत कराने के उद्देश्य से लीला मंचन समारोह किया जाता है | श्री राम जी की कथा सभी के लिए संजीवनी है । रामलीला समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार बताते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान है | बल्कि पहचान ही नहीं वे तो उसकी आत्मा है, प्राण शक्ति हैं | प्रभु श्री राम चरित्र जन-जन को जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करता है | कठिन से कठिन समस्या का सहज समाधान प्रस्तुत करता है | अभिशापों को हम वरदान में कैसे परिवर्तित कर सकते हैं | जन-मानस के लिए दृढ़ मनोबल, संकल्प शक्ति प्रदान करता है |    इसी कारण लोक में रामलीला का मंचन आरंभ ऋषि-मुनियों की प्रेरणा से ही हुआ । लवकुश रामलीला को प्रति वर्ष आकर्षक, लोकलुभावनी एवं अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रामचरितमानस को युवा पीढ़ी और लोगों के मन तक पहुंचाने के कृत संकल्पित लवकुश रामलीला समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार कहते हैं कि यदि हम रामलीला को अत्याधुनिक तकनीक और संसाधनों का उपयोग कर आकर्षक नहीं बनाएंगे तो युवा पीढ़ी को भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति से जोड़ने का हमारा यह महायज्ञ अधूरा ही रह जाएगा। वे कहते हैं कि अपनी युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति एवं प्रभु श्री राम की लीलाओं की ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से लीला में नए-नए आयाम जोड़े जाते हैं लीला हाईटेक हो इसके लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है | जिसमें फिल्मी दुनिया के कलाकारों द्वारा लीला मंचन किया जाता है | विशेष रूप से मुंबई से स्टंट, ड्रेस, ज्वैलरी, 3डी-मेपिंग, क्रेन, मेकअप, इफेक्ट, एलईडी लाइट आदि लगाए गए हैं । अर्जुन कुमार बताते हैं कि हर वर्ष राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री उपराज्यपाल, जगद्गुरु शंकराचार्य सभी संप्रदाय के धर्माचार्य, सभी दलों के नेता, फिल्मी दुनिया के कलाकार, अभिनेत्री, संगीतकार, सामाजिक एवं गणमान्य व्यक्तियों सहित लीला स्थल पर पधार कर।   श्री राम की पूजा अर्चना कर प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद लेते रहे हैं तथा लव कुश रामलीला कमेटी को प्रोत्साहित करते रहे हैं | वे कहते हैं कि लीला का लाइव टेलीकास्ट भी विभिन्न चैनलों के माध्यम से किया जाता है| लव कुश रामलीला कमेटी लीला मंचन के साथ-साथ पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम भी करती है। अर्जुन कुमार यह भी बताया इस बार रामलीला हाईटेक डिजिटल तरीके से होगी लगभग 100 देश के टीवी चैनलों पर इसका लाइव टेलीकास्ट होगा । उन्होंने बताया कि इस बार लीला श्री रामेश्वर धाम मंदिर की थीम पर तीन मंजिला मंच पर बॉलीवुड के लगभग 40 फिल्म स्टार लीला का मंचन करेंगे कमेटी के महासचिव सुभाष गोयल ने बताया कि सागर सिंह कलसी संयुक्त आयुक्त दिल्ली पुलिस, मनोज कुमार मीणा  डीसीपी नॉर्थ दिल्ली पुलिस, मोहित बंसल, डिप्टी कमिश्नर एमसीडी, संदीप दीक्षित पूर्व सांसद, देवेंद्र यादव अध्यक्ष  दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी, विधायक पहलाद सिंह साहनी, अलका लांबा कांग्रेस नेता, अनिल भारद्वाज, राजेश जैन, संजय शर्मा  व अन्य अतिथियों का इस अवसर पर  स्मृति चिन्ह दुपट्टा पहना कर सम्मान किया गया व बहुत  ही सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी संपन्न हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर को लवकुश रामलीला कमेटी के द्वारा एक विशाल मेडिकल कैंप का आयोजन भी किया जा रहा है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 21, 2024

मोदी के जन्मदिन पर लाल किला ग्राउंड में हेल्थ मेला

नई दिल्ली, 21 सितंबर 2024 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर लव कुश रामलीला कमेटी एवम सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय द्वारा लीला स्थल लाल किला ग्राउंड में दिव्यांगजन को भारत सरकार की एडिप योजना के अंतर्गत सांसद प्रवीन खंडेलवाल और लव कुश लीला के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने चार सौ मोटरराइजड ट्राइसाइकिल बेसखिया, दिव्यंगजन के लिए स्पेशल मोबाइल, कानो की मशीन, नजर के चश्मे, आदि निशुल्क प्रदान किए। इस अवसर पर सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने कहा हम नर सेवा नारायण सेवा के सिद्धांत को मानते हैं इसी के अंतर्गत मोदी जी के जन्मदिन पर दिव्यांगजन, बुजुर्गों, महिलाओं, स्कूली छात्रों को लाभान्वित किया गया, उन्होंने लीला कमेटी का आभार व्यक्त किया कि के दिन लीला आयोजकों ने ऐसा भव्य कार्यक्रम आयोजित किया ।    लव कुश लीला कमेटी के प्रेसीडेंट अर्जुन कुमार ने कहा हम लीला आयोजन के साथ  साथ पूरे साल सामाजिक सेवा से जुड़े अनेक कार्यक्रम करते है, उन्होंने बताया महाराजा अग्रसेन अस्पताल रोहिणी, तारा संस्थान, एलप्स के सहयोग से आंखों की जांच, नजर के चश्मे, कानो की मशीन का वितरण किया गया। सांसद प्रवीन खंडेलवाल के साथ अर्जुन कुमार व्हीलचेयर, स्कूली बच्चों को स्कूल बैग, किताबे कापिया और एक हजार महिलाओं को साड़ी वितरण किया। इस शिविर में सहयोग और अपनी सेवाए प्रदान करने वाले सभी डॉक्टर्स, नर्स, सहयोगी संस्थाओं का कमेटी की और से पवन गुप्ता, सुभाष गोयल और सत्य भूषण जैन स्वागत किया और सभी को लीला कमेटी का प्रतीक चिन्ह भेंट प्रदान करके सम्मानित किया गया इस मौके पर पर एक रंगारंग कल्चरल कार्यक्रम और विशाल भंडार का आयोजन भी किया गया।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 21, 2024

पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और समानता स्थिरता की तीन चिंताएँ हैं: भूपेंद्र यादव

नई दिल्ली, 21 सितंबर 2024 (यूटीएन)। भारतीय उद्योग के लिए जलवायु लचीलापन निर्माण पर सीआईआई की रिपोर्ट का विमोचन करते हुए कहा कि  यह बहुत गर्व की बात है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पेरिस समझौते के 3 मात्रात्मक एनडीसी लक्ष्यों में से 2 को निर्धारित समय से 9 साल पहले हासिल कर लिया है, यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित 19वें स्थिरता शिखर सम्मेलन में बोलते हुए दी। इस विषय पर विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि स्थिरता का मूल विचार यह है।     कि संसाधनों का उपयोग कैसे किया जाए और उन्होंने कहा कि ऊर्जा वैश्विक स्तर पर अपनाए जा रहे विकास मॉडल की नींव है और इस रास्ते से पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं है। मंत्री ने कहा कि सभी के लिए सम्मानजनक जीवन प्राप्त करने के लिए ऊर्जा तक पहुंच बुनियादी है और आज बहस उत्सर्जन प्रबंधन पर नहीं बल्कि प्रति व्यक्ति उत्सर्जन की लागत पर होनी चाहिए; इसलिए स्थिरता एक सामाजिक लक्ष्य है। स्थिरता में पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और समानता की तीन चिंताएँ शामिल हैं, और सभी सरकारी नीतियों, योजनाओं, कार्यक्रमों और पहलों को इन तीनों के प्रति संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए तैयार किया जाना चाहिए।   जनसांख्यिकी और उपभोग के बदलते स्वरूप के बारे में बात करते हुए, मंत्री ने साझा किया कि बिना सोचे-समझे उपयोग के बजाय सोच-समझकर उपभोग करने की आवश्यकता है। सरकार छात्रों से भोजन बचाओ; पानी बचाओ; ऊर्जा बचाओ; अपशिष्ट से मूल्य प्राप्त करो; ई-कचरे का प्रबंधन करो; स्वस्थ जीवन शैली और एसयूपी पर पूर्ण प्रतिबंध जैसे प्रमुख विषयों पर लाईफ पर विचार ले रही है। ये विचार स्टार्ट-अप के लिए नए व्यवसाय मॉडल और नवाचारों का बीजारोपण करेंगे। अर्थव्यवस्था की स्थिरता के बारे में बात करते हुए, मंत्री ने साझा किया कि कई अपशिष्ट प्रबंधन नियम पहले ही ईपीआर के माध्यम से उद्योग के साथ साझा किए जा चुके हैं, लेकिन क्षेत्र-विशिष्ट अनुसंधान सहित परिपत्र अर्थव्यवस्था के संबंध में और अधिक काम करने की आवश्यकता है।    पुनर्चक्रण योग्य बाजार में वृद्धि, प्रौद्योगिकियों तक पहुंच और कौशल निर्माण। मंत्री ने सीआईआई से इन उभरते क्षेत्रों में अपने काम को और गहन करने का आह्वान किया। विशेष पूर्ण सत्र के दौरान मंत्री ने भारतीय उद्योग के लिए जलवायु लचीलापन निर्माण पर सीआईआई रिपोर्ट भी लॉन्च की। रिपोर्ट में भौतिक जलवायु जोखिम आकलन ढांचा शामिल है, जो भारतीय उद्योग को विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न क्षेत्रों में उपयुक्त अनुकूलन कार्यों को प्राथमिकता देने में मदद करने के लिए एक आवश्यक उपकरण है। रिपोर्ट में सरकार के लिए इस तरह की कार्रवाइयों की सिफारिश की गई है: खुली पहुंच वाली जलवायु और चरम मौसम घटना डैशबोर्ड; हरित और जलवायु-लचीले औद्योगिक पार्क और देश में अनुकूलन परियोजना के वित्तपोषण में वृद्धि।    सीआईआई के अध्यक्ष संजीव पुरी ने टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने, परिपत्र अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने, समय पर नीति जुड़ाव के माध्यम से पर्यावरण समर्थक व्यवहार परिवर्तन को प्रेरित करने के उद्देश्य से अनूठी पहल करने के लिए मंत्री को बधाई दी। भारतीय उद्योग के लिए जलवायु लचीलापन निर्माण पर रिपोर्ट के माध्यम से सीआईआई के शोध कार्य के बारे में साझा करते हुए, उन्होंने सुझाव दिया कि मौजूदा और पिछले डेटा के माध्यम से जोखिम मूल्यांकन की आवश्यकता है; एक परिष्कृत एआई-आधारित उपकरण जो पूर्वानुमान लगा सकता है, और एक सार्वजनिक उपयोगिता जो इस सभी डेटा को कैप्चर करती है और पूर्वानुमानों को साझा करती है। उन्होंने सुझाव दिया कि इसे आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों से जुड़े जोखिमों का आकलन और समझ हो सके।   पर्यावरण स्थिरता के प्रति उपभोक्ता व्यवहार को प्रेरित करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के हालिया प्रयासों के बारे में बोलते हुए सीआईआई के महानिदेशक  चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि भारत स्थिरता में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया है, जिसे सरकार की अद्वितीय, अभिनव और पथ-प्रदर्शक पहलों, कार्यक्रमों और योजनाओं द्वारा उत्प्रेरित किया गया है। सीआईआई द्वारा 2006 में स्थिरता शिखर सम्मेलन की शुरुआत की गई थी ताकि वैश्विक विनियमन और नीति सुधारों पर विचार-विमर्श के लिए एक सक्षम मंच बनाया जा सके और स्थिरता के क्षेत्र में अनुकरणीय प्रथाओं और प्रदर्शनों को उजागर किया जा सके। 19वां स्थिरता शिखर सम्मेलन: स्थिरता के प्रति जागरूक दुनिया के लिए परिवर्तन लाना, स्थायी परिवर्तन को आगे बढ़ाने में ठोस कार्यों पर विचार-विमर्श करेगा।   *भारतीय उद्योग के लिए जलवायु लचीलापन निर्माण* “भारतीय उद्योग के लिए जलवायु लचीलापन निर्माण” पर अध्ययन ने भारतीय व्यवसायों और उनकी मूल्य श्रृंखलाओं के लिए जलवायु जोखिमों का आकलन और मात्रा निर्धारित करने के लिए एक भौतिक जलवायु जोखिम मूल्यांकन ढांचा (पीसीआरएएफ) विकसित किया है। पीसीआरएएफ को उद्यमों को बाढ़, सूखे, हीटवेव, चक्रवात और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली अन्य घटनाओं से होने वाले जोखिमों की पहचान करने और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न क्षेत्रों में उचित अनुकूलन कार्यों को प्राथमिकता देने में मार्गदर्शन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 21, 2024