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कैसी होगी 'मोदी बजट' की पहली चाय? कड़वे घूंट में दिखेगा अमृतकाल का विजन!

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। रूस यात्रा से लौटने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहली बैठक अर्थव्यवस्था के शीर्ष जानकार लोगों के साथ की है। 23 जुलाई को बजट पेश करने से पूर्व हुई इस सबसे महत्वपूर्ण बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और नीति आयोग के वाइस चेयरमैन सुमन बेरी के अलावा राव इंद्रजीत सिंह, मुख्य आर्थिक सलाहकार वीए नागेश्वरन और बैंकिंग क्षेत्र के प्रमुख लोग भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के शीर्ष अर्थशास्त्रियों की बैठक में सबके विचार सुने और कुछ बिंदुओं पर अपने महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की आर्थिक बेहतरी के लिए कड़े कदम उठाने के पक्षधर रहे हैं।   वे लोगों को तात्कालिक लाभ वाली 'मीठी गोली' देने की बजाय दूरगामी बेहतरी के लिए 'कड़वे काढ़े' को बेहतर बताते रहे हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद सत्र की शुरुआत में ही इस बात का संकेत दिया था कि आने वाले बजट में देश के शताब्दी वर्ष तक की उपलब्धियों का खाका खींचा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं अपने इस तीसरे कार्यकाल में देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की बात कहते रहे हैं। वे आजादी के शताब्दी वर्ष यानी 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने की बात भी करते रहे थे। ऐसे में माना यही जा रहा है कि केंद्र सरकार आज़ादी के 75वें वर्ष में देश को विकसित देश बनाने के लिए बजट में अहम कदमों की घोषणा की जा सकती है।    *क्या होंगे उपाय?* केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए मूलभूत ढांचे में निवेश को अपना मूलमंत्र बना रखा है। रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने और प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र में मांग को बनाए रखने के लिए सरकार एक बार फिर मूलभूत ढांचे में निवेश को अपनी प्राथमिकता बनाए रख सकती है। इसके साथ ही विदेशी निवेश और निजी निवेशकों के द्वारा सौर ऊर्जा, वाहनों के निर्माण, मोबाइल उद्योग सहित प्रमुख क्षेत्रों में निवेश करवा कर वह देश की अर्थव्यवस्था को तेज गति देने की कोशिश कर सकती है। अहम क्षेत्रों में निवेश करने पर औद्योगिक इकाइयों को विशेष छूट दिए जाने का विकल्प भी आजमाया जा सकता है।   *राजनीतिक स्थिति का असर* केंद्र सरकार की राजनीतिक स्थिति पिछली बार की तरह संसद में उतनी मजबूत नहीं रह गई है। अब तक अनुमान यही जताया जा रहा था कि बजट में कठोर कदम उठाने पर उसे सहयोगी दलों का दबाव झेलना पड़ सकता है। अगले डेढ़ साल के बीच भाजपा को छह प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव का सामना भी करना है। लेकिन सरकार से जुड़े सूत्रों का दावा है कि देश की अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए वह कड़े कदम उठाना जारी रखेगी।     वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट निर्माण की प्रक्रिया में अब तक लगभग हर क्षेत्रों के प्रमुख स्टेक होल्डर्स से मुलाकात कर चुकी हैं। कुछ प्रतिनिधियों ने आज की महंगाई के दौर से उपभोक्ताओं के हाथों में खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा छोड़ने के उद्देश्य से आयकर सीमा बढाने की मांग की थी। लेकिन जिस तरह सरकार पर आर्थिक दबाव हैं, माना यही जा रहा है कि आयकर में छूट मिलने के कोई आसार नहीं हैं। हालांकि, बजट में गरीबों, किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष योजनाओं में खर्च बढ़ाया जा सकता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

आठ हाईकोर्ट्स में नए मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने देश के आठ अलग-अलग हाईकोर्ट में नए चीफ जस्टिसों की नियुक्ति की सिफारिश की है। दिल्ली, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, मध्य प्रदेश, केरल मेघालय और मद्रास हाईकोर्ट में नए चीफ जस्टिसों की नियुक्ति की नियुक्ति की सिफारिश की गई है। केंद्र सरकार की मंजूरी मिलते ही चीफ जस्टिसों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो जाएगा।   सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, और जस्टिस बीआर गवई की कॉलेजियम ने इस प्रस्ताव को पारित किया। जस्टिस मनमोहन को दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया। वे अभी दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस हैं। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस एमएस रामचंद्र राव के नाम का प्रस्ताव रखा गया है। उन्हें वर्तमान चीफ जस्टिस बीआर सारंगी के सेवानिवृत्त होने के बाद इस पद पर ट्रांसफर किया जाएगा।   वर्तमान समय में दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस राजीव शकधर को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की गई है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज जस्टिस गुरमीत सिंह संधावलिया को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस नितिन जामदार को केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जस्टिस आर श्रीराम को मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की गई है। बता दें कि जस्टिस श्रीराम भी बॉम्बे हाईकोर्ट के ही जज हैं। जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस ताशी रबस्तान को मेघालय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की गई है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

आप का भाजपा पर आरोप: देश के हर न्यायालय ने भाजपा के षड्यंत्र का पर्दाफाश किया

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाले से जुड़े ईडी वाले मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी है। वहीं इस पर आम आदमी पार्टी की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि इस देश के एक के बाद एक हर न्यायालय ने आपके भाजपा षड्यंत्र का पर्दाफाश किया है। अरविंद केजरीवाल की ये जमानत आज पूरे देश के सामने ये साफ कर देती है कि अरविंद केजरीवाल सत्य के साथ खड़े थे, खड़े हैं और खड़े रहेंगे।   दिल्ली सरकार में मंत्री अतिशी ने कहा, 'भाजपा को पता था कि अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिल गई है। और सुप्रीम कोर्ट से भी जमानत मिल जाएगी इसलिए उन्होंने एक और षड्यंत्र रचा और सुप्रीम कोर्ट में जिस दिन अरविंद केजरीवाल की जमानत का केस आना था उससे पिछले दिन अपने एक और राजनीतिक हथियार सीबीआई से अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करवा दिया। इस देश के एक के बाद एक हर न्यायालय ने आपके भाजपा षड्यंत्र का पर्दाफाश किया है। अरविंद केजरीवाल की ये जमानत आज पूरे देश के सामने ये साफ कर देती है कि अरविंद केजरीवाल सत्य के साथ खड़े थे, खड़े हैं और खड़े रहेंगे।   आतिशी ने कहा कि राउज एवेन्यू कोर्ट ने भी सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा था कि ईडी के पास कोई सुबूत नहीं है, ईडी पक्षपात से काम कर रही है। आज सुप्रीम कोर्ट ने भी सीएम को जमानत देते हुए, राउज एवेन्यू कोर्ट के जमानत के फ़ैसले पर मोहर लगा दी है। आप नेता संदीप पाठक ने कहा, 'आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला ऐतिहासिक है। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा द्वारा रचित तथाकथित शराब घोटाले को ध्वस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी जमानत देते वक्त कई महत्वपूर्ण बातें कही थी कि कोई भी सुबूत नहीं मिला है और ईडी पक्षपाती है। क्या अरविंद केजरीवाल जी की गिरफ़्तारी गैर कानूनी है, इसे सुप्रीम कोर्ट ने ऊपर की बेंच को भेज दिया है।    हर सरकार की कोई ना कोई उपलब्धि होती है। मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि मोदी और अमित शाह अगर किसी को चुनाव में हरा नहीं सकते तो उसे फर्जी केस में जेल में डाल देते हैं। मैं मोदी और अमित शाह से यही कहना चाहता हूँ कि वो इस गंदी राजनीति को बंद कर दिल्ली और देश का समय बर्बाद ना करें। ईडी की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शुक्रवार को सुनवाई हुई। याचिका में दिल्ली में कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने इस याचिका को बड़ी पीठ के पास भेज दिया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

सुप्रीम कोर्ट: ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। अहम बात यह है कि केजरीवाल को यह राहत ईडी से जुड़े मामले में दी गई है और फिलहाल वे सीबीआई की हिरासत में हैं। ऐसे में उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा। इससे पहले पीठ ने 17 मई को केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। दरअसल, ईडी की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शुक्रवार को सुनवाई हुई। याचिका में दिल्ली में कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने इस याचिका को बड़ी पीठ के पास भेज दिया है।   कोर्ट ने ईडी की ओर से दायर आबकारी नीति मामले में अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि हम धारा 19 के प्रश्न पर विचार कर रहे हैं। हमने धारा 19 और 45 के बीच अंतर साफ कर दिया है। धारा 19 जांच अधिकारी की व्यक्तिपरक राय है। धारा 45 न्यायालय की ओर से किया गया प्रयोग है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि न्यायालय की शक्ति अधिकारी की शक्ति से अलग होती है। हमने गिरफ्तारी की आवश्यकता, अनिवार्यता को आधार बनाया है। विशेष रूप से आनुपातिकता के सिद्धांत के मद्देनजर, जिसे हमने बड़ी पीठ के पास भेजा है। तो गिरफ्तारी की नीति क्या है, इसका आधार क्या है, हमने संदर्भित किया है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि क्या गिरफ्तारी की आवश्यकता, अनिवार्यता गिरफ्तारी के औपचारिक मापदंडों की संतुष्टि को संदर्भित करती है।   हमने माना है कि केवल पूछताछ से गिरफ्तारी की अनुमति नहीं मिलती। अरविंद केजरीवाल ने 90 दिनों की कैद झेली है। हम निर्देश देते हैं कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए। हमें पता है कि वह एक निर्वाचित नेता हैं। हम स्पष्ट नहीं हैं कि क्या हम एक निर्वाचित नेता को पद छोड़ने और सीएम के रूप में काम न करने का निर्देश दे सकते हैं। हम इसे उन पर छोड़ते हैं। जस्टिस खन्ना ने कहा कि हमने चुनाव फंडिंग के बारे में एक प्रश्न भी उठाया है। हाल ही में संविधान पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। एक तरह से यह मामला भी चुनावों में फंडिंग से जुड़ा हुआ है। जिसकी गहराई से जांच की गई।   *किस मामले में आया फैसला?*   शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल को धनशोधन मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर ईडी से जवाब मांगा था।आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक ने दिल्ली हाईकोर्ट के नौ अप्रैल के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।   *हाईकोर्ट ने क्या कहा था?*   हाईकोर्ट ने मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कोई अवैधता नहीं है और जांच में उनके शामिल होने से बार-बार इनकार करने के बाद ईडी के पास कोई विकल्प नहीं बचा था।   *यहां जानिए पूरा घटनाक्रम*   मुख्यमंत्री को ईडी ने धनशोधन मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। उन्हें एक निचली अदालत ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर मामले में 20 जून को जमानत दी थी। हालांकि, ईडी ने अगले दिन दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था। ईडी ने दलील दी थी कि केजरीवाल को जमानत देने का निचली अदालत का आदेश एकतरफा और गलत था। केजरीवाल को कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में 26 जून को सीबीआई ने भी गिरफ्तार किया था।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

पिंजौर रत्तपुर कॉलोनी भाजपा नेता की जनसभा में लोगो ने बताई समस्याएं

पिंजौर, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। आगामी 17 जुलाई को मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा एप्पल मंडी के उदघाटन कार्यक्रम का निमंत्रण देने के लिए स्थानीय रत्तपुर कॉलोनी नजदीक न्यू इंडिया स्कूल एक जनसभा का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य तौर पर पहुंचे सन्तराम शर्मा भाजपा नेता वाइट हाउस पिंजौर पहुंचे, उन्हें स्थानीय लोगो ने कॉलोनी के अंदर जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जा रही पानी की सप्लाई प्रभावित होने की समस्या से अवगत करवाते हुए कहा कि यहा पर सैंकड़ो घर है पानी की सप्लाई बहुत कम समय के लिए आती है वो भी काफी लो प्रेशर में होती है जिसे मुश्किल से पीने के लिए ही एकत्रित किया जाता है जबकि बाकी कार्यो के लिए पानी के टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है कहा कि इस बारे में कई बार विभाग के अधिकारियों को शिकायत भी कर दी, लोगो ने बताया कि कॉलोनी में करीब ढेड़ बिस्वा से ज्यादा जमीन पड़ी है जिसमें कबाड़ व गन्दगी पड़ी है।    जिससे कॉलोनी वासियो को परेशानी हो रही है, लोगो ने कहा कि उक्त जमीन पर अंबेडकर समुदाय केंद्र बनवाया जाए ताकि यहा के मध्य वर्गीय लोग जो पैलेस में शादी जैसे कार्यक्रम नही कर सकते वो समुदाय केंद्र में कर सके। कहा कि यहा पर लोगो के टहलने व बच्चों के खेलने के लिए पार्क बनवाया जाए, लोगो ने रत्तपुर कॉलोनी रेलवे लाइन के साथ साथ जर्जर हालत सड़क को ठीक करवाने के लिए भी मांग की, भाजपा नेता सन्तराम शर्मा ने कहा कि आगामी 17 जुलाई मुख्यमंत्री नायब सैनी एप्पल मंडी का उदघाटन करने पिंजौर में आ रहे जिसमे ज्यादा से ज्यादा लोग पहुंचकर उनका स्वागत करे और उनके विचार सुने। लोगो की समस्याएं सुनते ही शर्मा ने जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को मौके से फोन किया जिस पर विभाग के जेई ने कहा कि वो जल्द इसका समाधान करवाएंगे, उधर गलियो की जर्जर हालत को लेकर नगर परिषद जेई अजय से बात करने पर उन्होंने कहा कि उक्त सड़क का टेंडर 17 जुलाई को खुलने के बाद जल्द उसका काम शुरू हो जाएगा।   हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

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Jul 12, 2024

इमरजेंसी की याद में 25 जून को मनाया जाएगा 'संविधान हत्या दिवस' केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लते हुए 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है. इसे लेकर सरकार ने अधिसूचना जारी किया है. 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लागू किया गया और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अगले दिन 26 जून को रेडियो पर देश की जनता को इस बात की जानकारी दी. गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट पर जारी अधिसूचना को शेयर कर यह जानकारी दी.   *गृह मंत्री अमित शाह ने क्या कहा?*   गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था. लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया. भारत सरकार ने हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया है. यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था.   उन्होंने आगे लिखा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं व उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया। ‘संविधान हत्या दिवस’ हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा, ताकि कांग्रेस जैसी कोई भी तानाशाही मानसिकता भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए।'   *पीएम मोदी ने भी किया ट्वीट*   25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने के सरकार के निर्णय पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को रौंदा गया था, तब क्या हुआ था। यह प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले, जो भारतीय इतिहास का एक काला दौर था।   *भारतीय इतिहास का विवादास्पद फैसला*   पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का यह फैसला भारत के इतिहास में काफी विवादास्पद रहा है. इसे लागू करने की कई वजहों में से एक राजनीतिक अस्थिरता बताई जाती है. इमरजेंसी के दौरान कई चीजों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. प्रेस पर सेंशरशिप लागू करने के साथ-साथ नागरिकों की स्वतंत्रता को भी सीमित कर दिया गया था.   *इमरजेंसी के बाद इंदिरा की हार*   आपातकाल के दौरान विपक्ष के बड़े नेता जेल में थे, लेकिन उन्होंने एकता दिखाई. विपक्षी के कई नेता सड़क पर उतरे और राष्ट्रपति भवन का घेराव किया, जिनपर कार्रवाई भी हुई. आपातकाल हटने बाद 1977 में चुनाव कराए गए, जिसमें इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा था. उस समय खुद इंदिरा गांधी रायबरेली से चुनाव हार गईं थी.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

दिल्ली में बिजली के बढ़े बिलों पर भाजपा का हल्ला बोल अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को पुलिस ने किया अरेस्ट

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। देश की राजधानी दिल्ली में पानी कि किल्लत पर बवाल शांत नहीं हुआ कि अब एक और नया मामला सामने आ गया है। अब दिल्ली में बढ़े हुए विजली बिल के दामों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। बीजेपी को दिल्ली सरकार का विरोध प्रदर्शन कर ही रही है लेकिन कांग्रेस भी पीछे नहीं है। वो भी आप सरकार को आड़े हाथ लिया है। आज शुक्रवार को बीजेपी ने दिल्ली सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। जिसमें बीजेपी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के अलावा पार्टी के नवनिर्वाचित सांसदों ने हिस्सा लिया। इस दौरान बीजेपी नेता और कार्यकर्ताओं ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।   दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा के नेतृत्व में दिल्ली सचिवालय के समीप भाजपा ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ बढ़ी हुई बिजली के पी.पी.ए.सी. शुल्क को लेकर केजरीवाल सराकर के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रचंड विरोध प्रदर्शन किया और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। इस विरोध प्रदर्शन में दिल्ली की आर.डब्लू.ए. प्रतिनिधि एवं भाजपा कार्यकर्ता अपने घरों से बिजली बिल लेकर आए और उन्हे सामूहिक रूप से जला कर केजरीवाल सरकार के खिलाफ इस मुहिम से जुड़े। विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा लगाये बैरिगेट्स को प्रदर्शनकारी तोड़कर आईटीओ की ओर बढ़े इस बीच दूसरे बैरिगेट्स के पास पुलिस ने अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा को डिटेन कर आई.पी. स्टेट थाने ले गई जहाँ से कुछ समय बाद चेतावनी देकर छोड़ दिया। वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि पी.पी.ए.सी. का पदार्पण ही दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के कारण हुआ।   2011 में तत्कालीन नागरिक संगठन "ऊर्जा" एवं केजरीवाल के नये आंदोलन के दबाव में शीला दीक्षित सरकार ने बिजली दरें बढ़ाने की जगह 1.5% पी.पी.ए.सी. लगाया। सचदेवा ने कहा कि भाजपा ने इसका जम कर विरोध किया, कुछ नागरिक संगठन कोर्ट भी गये। 2014 में जब दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा था तब तत्कालीन दिल्ली भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय के साथ आर.डब्ल्यू.ए. का प्रतिनिधिमंडल तत्कालीन पावर मिनिस्टर पीयूष गोयल के पास गए जिन्होंने पावर डिस्कॉम से बात करके पी.पी.ए.सी. वसूली पर रोक लगाई। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि अगस्त 2014 से सितम्बर 2015 तक दिल्ली में बिजली बिलों में पी.पी.ए.सी. नहीं लगा लेकिन अरविंद केजरीवाल सरकार ने फिर से पी.पी.ए.सी. लागू किया। पावर डिस्कॉम बार-बार बिजली दरों को बढ़ाने की मांग करती थी। राजनीतिक लाभ के लिए केजरीवाल ने कभी बिजली के प्रति यूनिट रेट नहीं बढ़ने दिये पर पी.पी.ए.सी. जो 2015 में मात्र 1.7% था को 37% तक लागू कर दिया और अब बी.एस.इ.एस. राजधानी के प्रस्तावित 8.75 के लागू होते ही लगभग 46% हो जायेगा।   वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि केजरीवाल ने पी.पी.ए.सी. ने दिल्ली में पावर ट्रैफिक कैल्कुलेट के लिए बिजनेस रेग्यूलेशन प्लान का हिस्सा बना कर इसको लीगल सैंकटीटी दे दी। इसी तरह पेंशन सरचार्ज जो 2015 में एक फीसदी था  7.5% है। मीटर चार्ज एवं लोड अधिभार केजरीवाल के 10 साल में तीन गुना तक बढ़े हैं। सचदेवा ने केजरीवाल सरकार के समय पर प्री पेमेंट कर पॉवर ग्रीड से एडवांस बिजली खरीदने का प्लान ना बनाने की कीमत दिल्ली वाले चुका रहे हैं। यदि समय पर एडवांस पॉवर खरीदी गई होती तो कोई पी.पी.ए.सी. ना लगाना पड़ता केजरीवाल और सुश्री आतिशी जवाब दें पी.पी.ए.सी. 1.5% से 46% तक ले आये कभी वापस क्यों नही हुआ - जब बिजली सस्ती होती है तो वापस क्यों नही लेते। कमलजीत सहरावत ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जब राजनीति में आए तो उन्होने कहा था कि मैं तो सिर्फ दो कमरों के फ्लैट में रहूंगा, सिक्योरिटी नहीं लूंगा, पानी फ्री देने और भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर पार्टी से निकालने की बात कहने वाले केजरीवाल आज पंजाब और दिल्ली पुलिस की दो से 3 लेयर की सिक्योरिटी लेकर चलते हैं और तो और पानी को लेकर दिल्ली की जनता दो तरफ से मार झेल रही है।   एक तरफ पीने का पानी मिलता नहीं और अगर बारिश का पानी दिल्ली में बढ़ जाए तो पूरी दिल्ली डूब जाती है। बिजली को लेकर भी केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की जनता पर सीधे डाका डाला है। मंच का संचालन कर रहे सांसद योगेन्द्र चंदोलिया ने कहा कि बिजली के दामों में लगातार बढोत्तरी ने दिल्ली की जनता को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली की जनता ने एक ओर पानी के कारण दिल्ली में परेशानी का सामना कर रहा है तो दूसरी ओर केजरीवाल ने मुप्त बिजली का झांसा देकर दिल्ली कीजनता को धोखा दिया है लेकिन भाजपा इस धोखेबाज सरकार को नहीं छोड़ेगी और दिल्लीवालों के हक की लड़ाई लड़ती रहेगी। रमेश बिधूड़ी ने कहा कि जो केजरीवाल आज बिजली के नाम पर दिल्लीवालों को लूटने का काम कर रहे हैं, उसने कहा था कि मैं सरकार में आऊंगा बिजली हाफ पानी माफ करूंगा लेकिन आज गरीब लोगों के घर में अगर एक छोटी सी दुकान खोले बैठे हैं तो उनका बिजली का बिल लगातार हजारों में आ रहा है।  ऐसे गरीब लोगों को लूटा जा रहा है वहीं दूसरी बार वह 100% बिजली के दाम पिछले चार-पांच साल में बढाने का काम किया है। विजेन्द्र गुप्ता ने कहा की पी.पी.ए.सी. चार्ज का लगना एवं लगातार बढ़ना अरविंद केजरीवाल सरकार एवं पावर डिस्कॉम के अनैतिक गठबंधन का प्रमाण है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

फिल्म सरफिरा: आम आदमी की ऊंची उड़ान में सपनों का पंख लगाते अक्षय

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। 2021 से अक्षय कुमार लगातार कई फिल्मों में नजर आ रहे हैं, लेकिन इस बीच फिल्म ‘ओएमजी 2’ को छोड़कर उनकी बाकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कोई जादू नहीं चला पाईं. अब जो अक्षय की फिल्म 12 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है, वो आपकी उम्मीदों से कहीं बेहतर होगी. जी हां, अक्षय ने फिल्म ‘सरफिरा’ से बड़े पर्दे पर धमाकेदार वापसी है. वह एक शानदार और कमाल की फिल्म लेकर दर्शकों के बीच आए हैं. वैसे, इस बार जब मैं ‘सरफिरा’ को लेकर दर्शकों के दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि कहीं अक्षय फिर निराश तो नहीं करेंगे, लेकिन नहीं ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ. फिल्म ने शुरुआत से जो रफ्तार पकड़ी, वह क्लाइमैक्स तक जारी रही. यह फिल्म एक परफेक्ट एंटरटेनमेंट कॉम्बो है. फिल्म आपको अपनी सीट से हिलने नहीं देगी.   फिल्म इमोशन से भरपूर है और अक्षय ने उन इमोशन के साथ इतना जबरदस्त अभिनय किया है कि यह देखने लायक है. फिल्म की कहानी एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है जो अपनी खुद की एयरलाइंस खोलना चाहते है जिसके जरिए वह आम लोगों को आधे दामों पर हवाई टिकट उपलब्ध करा सके और उसकी भूमिका में आपको अक्षय कुमार नजर आएंगे. इस फिल्म की कहानी कैप्टन गोपीनाथ की किताब ‘सिंपल फ्लाई: ए डेक्कन ओडिसी’ पर आधारित है. फिल्म में अक्षय के साथ आपको राधिका मदान मुख्य अभिनेत्री के तौर पर नजर आएंगी, जिन्होंने इस बार अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है और यह उनके करियर की बेस्ट फिल्म होने वाली है. फिल्म में वीर अपनी एयरफोर्स की नौकरी छोड़कर एक ऐसे मिशन पर निकलता है जिसमें जीत की संभावना शायद नामुमकिन है. वीर अपनी खुद की एयरलाइन खोलना चाहता है,    लेकिन जिसके पास भी वो अपना प्रस्ताव लेकर जाता है, उसे वहां से निराशा ही मिलती है. कोई भी बिजनेसमैन उसकी मदद के लिए आगे नहीं आता. वीर हार नहीं मानता और इसमें उसकी पत्नी रानी (राधिका मदान) उसकी बहुत मदद करती है. रानी हर मुश्किल में उसकी साथी बनी रहती है. रानी की अपनी बेकरी की दुकान है. वीर फिर कई एयरलाइंस के मालिकों से मिलने की कोशिश करता है, लेकिन कोई भी उसे समय देने से मना कर देता है. फिर एक बार उसकी मुलाकात परेश गोस्वामी (परेश रावल) से होती है, जो एक एयरलाइंस का मालिक होता है. परेश से मुलाकात के बाद वीर की जिंदगी कैसे बदलने लगती है? ये जानने के लिए आपको खुद सिनेमाघर जाकर पूरी फिल्म देखनी होगी, जहां आपको इस सवाल का जवाब भी मिल जाएगा कि वीर अपने मकसद में कामयाब होता है या नहीं.   एक्टिंग की बात की जाए तो अक्षय कुमार और राधिका मदान के अलावा परेश रावल और सीमा बिस्वास सहित तमाम सितारों ने अपने-अपने किरदारों के साथ इंसाफ किया है. सभी की एक्टिंग आपको परफेक्ट लगेगी. फिल्म का फर्स्ट हाफ आपको इतना उत्साहित कर देगा कि आप सेकंड हाफ का इंतजार करने लगेंगे और सेकंड हाफ आते-आते आप काफी इमोशनल भी हो जाएंगे. फिल्म खत्म हो जाएगी, लेकिन आपको ऐसा महसूस होगा कि कहानी चलती और आप सिर्फ देखते रहें. सुधा कोंगरा ने क्या कमाल का निर्देशन किया है. उनके निर्देशन में बनी इस फिल्म को आप अपने पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं. इमोशन के अलावा भी इस फिल्म में और भी बहुत कुछ है, जो आपका मनोबल बढ़ाएगा. कहते हैं सिनेमा संचार का सबसे बड़ा माध्यम है और अगर ‘सरफिरा’ जैसी फिल्में बनने लगेंगी तो लोगों तक बहुत अच्छा संदेश पहुंचेगा. फिल्म में जीवी प्रकाश कुमार, तनिष्क बागची और सुहित अभ्यंकर के संगीत भी काफी अच्छे हैं.   *बायोपिक के खिलाड़ी का नया खेल*   अक्षय कुमार काबिल अभिनेता हैं, इसमें संदेह नहीं है। इसके पहले भी वह असल जिंदगी से प्रेरित फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। ‘पैडमैन’, ‘सम्राट पृथ्वीराज’, ‘मिशन रानीगंज’, ‘केसरी’ और ‘एयरलिफ्ट’ जैसी उनकी फिल्में असल जिंदगी की कहानियों को ही परदे पर मनोरंजन का जरिया बनाने की कोशिशें रही हैं और इनके नतीजों से स्पष्ट होता है कि अक्षय कुमार बायोपिक फिल्मों के लिए फिट कलाकार नहीं है। सिनेमा में अपना खास तरह का मैनरिज्म स्थापित कर अपनी आभा विकसित करने वाले कलाकारों के सामने यही मैनरिज्म उनकी सबसे बडी बाधा भी बन जाता है। अक्षय कुमार का एक खास अंदाज में चलना, उनके हाथों की हरकतें और रोते समय का उनका अभिनय, एक फरमे में फंस चुका है। अक्षय को इससे बाहर निकालने का दुस्साहस अब कोई बिल्कुल नया निर्देशक ही कर सकता है, जिसे उनके आभामंडल से कोई लेना देना न हो।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

दिल्ली एस्म में हार्ट और न्यूरो की ओपीडी के लिए बनेगा नया ब्लॉक

नई दिल्ली, 11 जुलाई  2024 (यूटीएन)। मरीजों के हित में एम्स ने एक और पहल की है, जिसके तहत अब हार्ट और न्यूरो की ओपीडी के लिए नया सुपर स्पेशिएलिटी ब्लॉक बनाया जाएगा। यहां पर कार्डियोलॉजी, कार्डिएक सर्जरी, न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी की ओपीडी होगी। मरीजों का एडमिशन कार्डिएक न्यूरो सेंटर में होगा।   नए ब्लॉक में सिर्फ ओपीडी होगी और पुराने ब्लॉक में सिर्फ एडमिशन और सर्जरी होंगी। एम्स के डायरेक्टर ने बताया कि हमारा मकसद मरीजों को बेहतर सुविधा देना है। इस कड़ी में नया ओपीडी ब्लॉक बनाने का फैसला किया गया है।   *मरीजों की सुविधा के लिए बड़ा फैसला* दरअसल, एम्स में ओपीडी में लगभग 12 से 13 हजार मरीज‌‌ रोज आते हैं। इनमें हर डिपार्टमेंट के मरीज शामिल होते हैं। सभी जनरल विभागों की ओपीडी नई बिल्डिंग में शुरू हो चुकी है, जो पूरी तरह से एयर कंडीशनिंग, लिफ्ट और एस्केलेटर जैसी सुविधाओं से लैस है। हार्ट और न्यूरो की बीमारियों के इलाज के लिए एम्स में कार्डिएक न्यूरो सेंटर है।   7 फ्लोर की इस बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर ओपीडी होती है। इसमें बारी-बारी से अलग-अलग दिन कार्डियोलॉजी, कार्डिएक सर्जरी, न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी की ओपीडी होती है।   *ज्यादा भीड़ के मद्देनजर उठाया गया कदम* जगह कम होने की वजह से यहां पर भीड़ ज्यादा होती है। मरीज के साथ अटेंडेंट भी होते हैं। सभी के बैठने के लिए जगह नहीं होती है, क्योंकि कुर्सियां लगाने तक के लिए स्पेस नहीं बचा है। इसी परेशानी को दूर करने के लिए एम्स प्रशासन ने ओपीडी का एक्सटेंशन प्लान बनाया है, जिसके काम की शुरुआत जल्द हो सकती है।   *क्या बोले एम्स के डायरेक्टर* इस बारे में एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम श्रीनिवास ने कहा कि नई ओपीडी के पास जगह तय हो गई है। यहीं पर नई बिल्डिंग बनेगी। यह ओपीडी के साथ एक सुपर स्पेशिएलिटी ब्लॉक होगा। इसका टेंडर अलॉट कर दिया गया है और जल्द इसके काम की शुरुआत होगी।    डॉ. श्रीनिवास ने कहा कि अभी जहां पर हार्ट और न्यूरो की ओपीडी चल रही है, वह पूरी तरह से नई बिल्डिंग में शिफ्ट हो जाएगी। इससे यहां पर मरीजों को स्पेस ज्यादा मिलेगा और सुविधाएं भी बेहतर होंगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में मेन एम्स परिसर से सभी ओपीडी मस्जिद मोठ एरिया में शिफ्ट की जा सकते हैं, जिसमें आरपी सेंटर भी हो सकता है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 11, 2024

मनीष सिसोदिया की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में जज ने खुद को सुनवाई से कर लिया अलग

नई दिल्ली, 11 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई. वह करीब 16 महीने से जेल में बंद हैं और जमानत के लिए कई बार अर्जी लगा चुके हैं. दरअसल, दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई कर रहे जज ने खुद को इससे अलग कर लिया है.    सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय कुमार ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया है. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम के खिलाफ शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के केस में मुकदमा दर्ज किया गया है. सिसोदिया ने इस केस में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना, संजय करोल और संजय कुमार को करनी थी, लेकिन कुमार ने खुद को इससे अलग कर लिया.   *वकील ने की थी तत्काल सुनवाई की मांग* शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि मनीष सिसोदिया की याचिका पर एक अन्य पीठ सुनवाई करेगी, जिसका जस्टिस संजय कुमार हिस्सा नहीं होंगे. जैसे ही अदालत में मामले की सुनवाई हुई, वैसे ही जस्टिस खन्ना ने कहा, "हमारे भाई को कुछ परेशानी है. वह निजी कारणों से इस मामले को नहीं सुनना चाहते हैं." इस पर आम आदमी पार्टी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ से गुजारिश की कि इस मामले पर तत्काल सुनवाई की जाए.    *15 जुलाई को होगी मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई* मनीष सिसोदिया के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ईडी और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन सीबीआई दोनों ने शराब नीति मामले में केस दर्ज किया है. इसका जिक्र करते हुए सिंघवी ने कहा कि दोनों ही मामलों में अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक अन्य पीठ 15 जुलाई को जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी. इस तरह अब मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सोमवार 15 जुलाई को सुनवाई होने वाली है.    *मनीष सिसोदिया की पिछले साल हुई गिरफ्तारी* आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति मामले में कथित भूमिका के लिए सीबीआई ने 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था. इसके बाद शराब नीति मामले की जांच कर रही ईडी ने मनीष सिसोदिया को मनी लॉन्ड्रिंग केस में 9 मार्च, 2023 को सिसोदिया को गिरफ्तार किया. सिसोदिया ने सीबीआई की गिरफ्तारी के दो दिन बाद ही यानी 28 फरवरी, 2023 को ही दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 11, 2024