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चैंपियंस ट्रॉफी:पाकिस्तान नहीं जाएगी टीम इंडिया

नई दिल्ली, 11 जुलाई  2024 (यूटीएन)। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन पाकिस्तान में होना है. टीम इंडिया के इस टूर्नामेंट के लिए पाक जाने की संभावना नहीं है।  एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड इसको लेकर आईसीसी से बात करेगा।  इस बार चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन हाईब्रीड मॉडल के तहत हो सकता है।  टीम इंडिया के मैच दुबई या श्रीलंका में आयोजित हो सकते हैं।  इससे पहले एशिया कप में भी ऐसा ही हुआ था।    चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन अगले साल पाकिस्तान में होना है और इसके लिए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। इस बात पर सभी की नजरें है कि भारतीय टीम इस टूर्नाीमेंट के लिए पड़ोसी देश की यात्रा करेगी या नहीं? भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने आधिकारिक रूप से इस बारे में कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन बताया जा रहा है कि टीम चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान की यात्रा नहीं करेगी।    *श्रीलंका या दुबई में मैच कराने की मांग कर सकता है बीसीसीआई* भारतीय टीम के अगले साल होने वाले चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान जाने की संभावना बेहद कम है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड के सूत्रों के अनुसार, बीसीसीआई आईसीसी से मुकाबले दुबई या श्रीलंका में कराने के लिए कह सकता है। मालूम हो कि इससे पहले, पिछले साल एशिया कप का आयोजन भी हाईब्रिड मॉडल के तहत हुआ था जिसमे भारत के सभी मैच श्रीलंका में कराए गए थे। बीसीसीआई सूत्र ने कहा, इस बात की संभावना कम है कि भारतीय टीम चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान की यात्रा करेगी, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय सरकार लेगी।   ऐसे में हाईब्रिड मॉडल पर काम किया जाएगा। एशिया कप की तरह ही भारत अपने मुकाबले में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) या श्रीलंका में खेल सकता है। हालांकि, आईसीसी इस बारे में फैसले लेगी, लेकिन फिलहाल हम इस बारे में ही सोच रहे हैं। देखते हैं कि भविष्य में चीजें किस तरह से आगे बढ़ती है। फिलहाल लग रहा है कि यह हाईब्रिड मॉडल के आधार पर ही खेला जाएगा।   *पाकिस्तान ने शुरू कर दी है तैयारी* पीसीबी ने इस टूर्नामेंट के लिए तैयारियों शुरू कर दी है, जबकि आईसीसी ने इसके लिए विंडो तलाशना भी शुरू कर दिया है। पीसीबी ने कराची, लाहौर और रावलपिंडी में अपने स्टेडियमों की मरम्मत के लिए लगभग 17 अरब रुपए आवंटित किए हैं। पीसीबी के चेयरमैन मोहसिन नकवी ने बोर्ड के सदस्यों को बताया था कि चैंपियंस ट्रॉफी पूरी तरह से पाकिस्तान में आयोजित की जाएगी और इस महीने के अंत में कोलंबो में होने वाली आईसीसी की वार्षिक बोर्ड बैठक में इस पर आगे चर्चा की जाएगी।    *बीसीसीआई के फैसले पर टिकी नजर* 1996 के बाद पहली बार पाकिस्तान किसी बड़े आईसीसी टूर्नामेंट की मेजबानी करेगा, हालांकि उसने 2008 में पूरे एशिया कप की मेजबानी की थी और पिछले साल भी इसी टूर्नामेंट के कुछ मैच अपनी सरजमीं पर कराए थे। बीसीसीआई को अभी आधिकारिक रूप से पुष्टि करनी है कि वह राष्ट्रीय टीम को आईसीसी टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान भेजेगा या नहीं। बोर्ड के इस फैसले पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।   *भारत-पाकिस्तान के बीच नहीं हो रही द्विपक्षीय सीरीज* भारत और पाकिस्तान के बीच 2012-13 सीजन के बाद से अबतक द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेली गई है। भारतीय टीम 2008 के बाद से कभी पाकिस्तान के दौर पर भी नहीं गई है। पिछले साल तत्कालीन केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि भारत पाकिस्तान के साथ तब तक द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज शुरू नहीं करेगा जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद बंद नहीं कर देता।    *सिर्फ आईसीसी टूर्नामेंट में खेलती हैं दोनों टीमें* भारत और पाकिस्तान की टीमें सिर्फ आईसीसी टूर्नामेंट में ही एक दूसरे का सामना करती हैं। पिछले महीने न्यूयॉर्क में दोनों टीमों के बीच टी20 विश्व कप के ग्रुप चरण का मुकाबला खेला गया था जिसमे भारत ने जीत दर्ज की थी। इससे पहले, 2023 में भारत में हुए वनडे विश्व कप में भी भारत ने ग्रुप चरण के मुकाबले में पाकिस्तान को हराया था। पाकिस्तान ने 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भारतीय टीम को मात दी थी। पाकिस्तान इस टूर्नामेंट में खिताब का बचाव करने उतरेगा।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 11, 2024

अनंत-राधिका की शादी के मेहमान बनेंगे पीएम मोदी

नई दिल्ली, 11 जुलाई  2024 (यूटीएन)। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और उद्योगपति मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट शुक्रवार को शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंबानी परिवार की शादी समारोह का हिस्सा भी होंगे. पीएम मोदी के संभावित दौरे के चलते बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं. ट्राइडेंट होटल के आसपास की इमारतों में भी सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाई जा रही है.   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जुलाई को मुंबई जा रहे हैं. 13 जुलाई को पीएम मोदी मुंबई में कई विकास कार्यों की शुरुआत करेंगे. इस दौरान पीएम मोदी बोरीवली-ठाणे लिंक रोड और गोरेगांव-मुलुंड लिंक रोड का भूमिपूजन करेंगे. दोनों परियजोनाओं की कीमत 14 हजार करोड़ से ज्यादा है.   *नेस्को सेंटर में कई नई परियोजनाओं का भूमि पूजन करेंगे मोदी* इसके अलावा पीएम मोदी दक्षिण मुंबई में ऑरेंज गेट से ग्रांट रोड तक एलिवेटेड रोड का भूमिपूजन भी करेंगे, जिसकी लागत 1170 करोड़ रुपये है. वहीं, 13 जुलाई को पीएम मोदी मुंबई के नेस्को सेंटर में कई नई परियोजनाओं का भूमि पूजन कार्यक्रम करेंगे. इसके बाद पीएम मोदी यहां पर एक सभा को संबोधित करेंगे.    *अंबानी परिवार की शादी में भी शामिल हो सकते हैं मोदी* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महाराष्ट्र दौरे को लेकर प्रशासन काफी चौकन्ना है. यहां सूबे के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस बैठक की तैयारियों पर नजर रखे हुए हैं. पीएम मोदी के दौरे को लेकर सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. ऐसे में उम्मीद है कि पीएम मोदी मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी की शादी में भी शामिल हो सकते हैं. पीएम मोदी के संभावित दौरे के चलते बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं.  इसके साथ ही ट्राइडेंट होटल के आसपास की इमारतों में भी सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं.   *जियो वर्ल्ड सेंटर में 7 फेरे लेंगे अनंत-राधिका* उद्योगपति मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट 12 जुलाई को शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं. दोनों मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के जियो वर्ल्ड सेंटर में सात फेरे लेंगे. इस शादी की रस्में भी चल रही हैं. इस खास शादी में शामिल होने के लिए देश और दुनिया की कई बड़ी हस्तियां मुंबई पहुंच रही है. इसमें फिल्म, बिजनेस, राजनीति आदि से जुड़े कई दिग्गज लोग शामिल हैं.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 11, 2024

पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली स्थित बुराड़ी में श्री केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास किया

नई दिल्ली, 11 जुलाई  2024 (यूटीएन)। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में बाबा केदार के मंदिर के निर्माण से सभी शिव भक्तों की मनोकामना पूर्ण होगी। बुराड़ी क्षेत्र का जिक्र हमारे पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। इस क्षेत्र का संबद्ध महाभारत काल से भी है। बुराड़ी की पावन धरती में उत्तराखण्ड और सनातन संस्कृति के मूल परिचायक बाबा केदारनाथ जी का धाम हमारी संस्कृति और आस्था का आधुनिक प्रतीक बनेगा। उन्होंने कहा कि इस मंदिर से शिव भक्तों और सनातन संस्कृति की आस्था को बल मिलेगा। यह मंदिर श्रद्धा को जीवन, मानव को महादेव, समाज को अध्यात्म, और वर्तमान पीढ़ी को प्राचीन संस्कृति से जोड़ने का कार्य करेगा।    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संपूर्ण विश्व में सनातन संस्कृति की ध्वजा फैल रही है।  प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में उज्जैन में महाकाल लोक का निर्माण, भव्य काशी कॉरिडोर का निर्माण, अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर का निर्माण हुआ है, इसके अतिरिक्त श्री केदारनाथ एवं श्री बदरीनाथ का पुनर्निर्माण कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि यह कालखंड भारत की सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान का कालखंड है। आज विदेशों से आने वाले मेहमानों का स्वागत श्रीमद् भगवत गीता भेंट करके होता है। मुख्यमंत्री ने कहा इस बार योग दिवस का आयोजन आदि कैलाश में किया गया था, जिसका उद्देश्य श्री केदारनाथ धाम, आदि कैलाश जैसे हमारे राज्य के पवित्र स्थलो को जन-जन तक पहुंचाना था।   उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण विश्व ने योग का स्वीकार किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सनातन संस्कृति के उत्थान के लिए निरंतर कार्य कर रही है। चार धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हर साल निरंतर बढ़ रही है। चार धामों के साथ अन्य धार्मिक स्थलों को भी तेजी से विकसित किया जा रहा है। चार धाम यात्रा के सुगम संचालन हेतु राज्य सरकार कृत संकल्पित है। मानसखंड यात्रा के अंतर्गत कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक मंदिरो का विकास कार्य जारी है। आगामी कावड़ मेले को लेकर भी प्रदेश सरकार द्वारा तैयारियाँ पूर्ण की जा रही हैं।    उन्होंने कहा सनातन संस्कृति भक्ति और श्रद्धा का पाठ पढ़ने के साथ ही हमारे भीतर दया करुणा मानवता एवं राष्ट्रसेवा का भाव पैदा करती है। उन्होंने कहा बुराड़ी क्षेत्र में बन रहे केदारनाथ धाम पूरी मानवता को प्रेरणा देने का काम करेगा। इस अवसर पर केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राज्यमंत्री अजय टम्टा, महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी जी महाराज, स्वामी राजेंद्रानंद, गोपाल मणि महाराज, विधायक महेश जीना , विधायक डॉ. प्रमोद नैनवाल, विधायक संदीप झा,सुरेंद्र रौतेला, जय नारायण अग्रवाल समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 11, 2024

महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा समान नागरिक संहिता कानून : पुष्कर सिंह धामी

नई दिल्ली, 11 जुलाई  2024 (यूटीएन)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बुधवार को डीपीएमआई सभागार न्यू अशोक नगर नई दिल्ली में म्येरू पहाड़ फाउण्डेशन द्वारा उत्तराखण्ड में सर्वप्रथम समान नागरिक संहिता विधेयक विधान सभा से पारित होने पर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम में बडी संख्या में बुद्धिजीवियों, जनप्रतिनिधियों एवं अन्य गणमान्य लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया। उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता लागू किये जाने के लिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों की सभी ने प्रशंसा की। मुख्यमंत्री ने राज्य विधान सभा में नागरिक संहिता विधेयक पास होने के पीछे उत्तराखण्ड की जनता का आशीर्वाद बताते हुये कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह कानून मील का पत्थर साबित होगा। मुख्यमंत्री ने इसके लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्र सरकार तथा प्रदेश की देवतुल्य जनता का भी आभार व्यक्त किया।   मुख्यमंत्री ने संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर एवं पं. दीन दयाल उपाध्याय को नमन करते हुए कहा कि देश में सभी के लिये सभी के लिये समान कानून लागू करने का हमारा संकल्प रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ने समान नागरिक संहिता पर देवभूमि की सवा करोड़ जनता से किये गए अपने वादे को निभाया है। हमने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ’’एक भारत और श्रेष्ठ भारत’’ मन्त्र को साकार करने के लिए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। प्रदेश की देवतुल्य जनता ने हमें इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना आशीर्वाद देकर पुनः सरकार बनाने का मौका दिया। सरकार गठन के तुरंत बाद, जनता जर्नादन के आदेश को सिर माथे पर रखते हुए हमने अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीमती रंजना प्रकाश देसाई जी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की।     मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिये 43 जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर समिति को विभिन्न माध्यमों से लगभग 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए। प्राप्त सुझावों का अध्ययन कर समिति ने उनका रिकॉर्ड समय में विश्लेषण कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट 02 फरवरी को सरकार को सौंपी तथा 7 फरवरी को विधान सभा द्वारा पारित कर 11 मार्च को राष्ट्रपति महोदया द्वारा इसे स्वीकृति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि इसकी नियमावली बनाने के लिये समिति का गठन किया गया है। समिति की रिपोर्ट प्राप्त होते ही इस वर्ष अक्टूबर तक इसे प्रदेश में लागू कर दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है उसी प्रकार राज्य विधान सभा से पारित समान नागरिक संहिता के रूप में निकलने वाली समान अधिकारों की संहिता रूपी ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।   मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून की बात संविधान स्वयं करता है, क्योंकि हमारा संविधान एक पंथनिरपेक्ष संविधान है। यह एक आदर्श धारणा है, जो हमारे समाज की विषमताओं को दूर करके, हमारे सामाजिक ढांचे को और अधिक मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि माँ गंगा-यमुना का यह प्रदेश, भगवान बद्री विशाल, बाबा केदार, आदि कैलाश, ऋषि-मुनियों-तपस्वियों, वीर बलिदानियों की इस पावन धरती ने एक आदर्श स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में उल्लिखित होने के बावजूद अब तक इसे दबाये रखा गया। धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से माताओं-बहनों और बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों को रोका जाए। हमारी माताओं-बहन-बेटियों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त किया जाए। हमारी आधी आबादी को सच्चे अर्थों में बराबरी का दर्जा देकर हमारी मातृशक्ति को संपूर्ण न्याय दिया जाए।    मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश में बीते दश वर्षों में शक्तिशाली समाज एवं देश के विकास में अनेक महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। विकसित भारत का सपना देखने के साथ भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर अग्रसर है। उनके नेतृत्व में सैंकड़ों वर्षों के बाद अयोध्या में रामलला अपने जन्मस्थान पर विराजमान हुए हैं, और मातृशक्ति को सशक्त करने के लिए विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता में लिव इन संबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हुए कहा कि एक वयस्क पुरुष जो 21 वर्ष या अधिक का हो और वयस्क महिला जो 18 वर्ष या उससे अधिक की हो, वे तभी लिव इन रिलेशनशिप में रह सकेंगे, जब वो पहले से विवाहित या किसी अन्य के साथ लिव इन रिलेशनशिप में न हों और कानूनन प्रतिबंधित संबंधों की श्रेणी में न आते हों। लिव-इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को लिव-इन में रहने हेतु केवल पंजीकरण कराना होगा।    जिससे भविष्य में हो सकने वाले किसी भी प्रकार के विवाद या अपराध को रोका जा सके। मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले जम्मू कश्मीर में शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि के साथ वीर भूमि भी है। यहां लगभग हर परिवार से कोई न कोई सेना, अर्द्ध सैन्य आदि बलों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य देश दुनिया के लोगों को आकर्षित का केंद्र रहा है। देवभूमि उत्तराख्ण्ड के मूल स्वरूप को बनाये रखने के लिये राज्य में हमने जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कठोर कानून बनाया गया है। हमारी सरकार लैंड जिहाद को जड़ से खत्म करने के लिए लगातार कार्यवाही कर रही है। अब तक 5 हजार हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया गया है।    दंगा करने वाले दंगाइयों से ही सारे नुकसान की भरपाई का नियम लागू किया गया है। हमारी सरकार सरलीकरण, समाधान, संतुष्टि के साथ-साथ विकल्प रहित संकल्प की मूल भावना को साकार करने की दिशा में अग्रसर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता का अभाव था, परन्तु हमने भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने का कार्य किया तथा राज्य में देश के सबसे कठोर “नकल विरोधी कानून बनने के बाद पारदर्शिता के साथ ही अब समयबद्ध तरीके से परीक्षाएं संपन्न हो रही है। उन्होंने कहा कि यह नकल विरोधी कानून का ही प्रतिफल है कि हम हर रोज अलग अलग विभागों में योग्य युवाओं को नियुक्ति पत्र प्रदान कर उन्हें रोजगार देने का कार्य कर रहे हैं।   अब तक 15 हजार से अधिक युवाओं को पारदर्शिता के साथ सरकार नौकरी दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर आगे बढ़ कर जनहित के कार्य किए जा रहे हैं। आज उत्तराखंड विकास और विश्वास के अभूतपूर्व माहौल में, जन आकांक्षाओं को पूरा करते हुए आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका सम्मान उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता का सम्मान है। म्येरू पहाड फाउण्डेशन के अध्यक्ष प्रो. दयाल सिंह पंवार, एडवोकेट सतीश टम्टा, पूर्व आईएएस कुलानंद जोशी, देवेन्द्र जोशी आदि ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर आपदा प्रबंधन सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष विनय रोहिला, प्रो ललिता गांधी, डॉ धर्मा रावत आदि उपस्थित थे।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 11, 2024

सरकार 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है: पीयूष गोयल

नई दिल्ली, 11 जुलाई  2024 (यूटीएन)। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि सरकार अपने पहले दो कार्यकालों के परिणामों को प्राप्त करने और भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए तीन गुना अधिक गति, तीन गुना अधिक कार्य और तीन गुना अधिक प्रयास लाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जोर देकर कहा, “तेजी से बढ़ते स्टार्ट-अप इंडिया पहल, बढ़ते बुनियादी ढांचे के निवेश, विनिर्माण में निवेश से व्यापार, व्यवसाय, नौकरियों और निर्यात के लिए बहुत सारे अवसर पैदा हो रहे हैं। हम अगले 3-4 वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे।   ‘फिक्की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक’ को संबोधित करते हुए गोयल ने आगे कहा कि भारत जिस दिशा में आगे बढ़ रहा है, वह उद्योग जगत की इच्छाओं से गहराई से मेल खाता है। भारत में अभी भी बहुत संभावनाएं हैं, क्योंकि हम भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बना रहे हैं, भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में शामिल कर रहे हैं, भारत से काम करने वाले अधिक से अधिक वैश्विक क्षमता केंद्र बना रहे हैं, ताकि हम सेवा निर्यात बढ़ा सकें। गोयल ने कहा, “सरकार उद्योग के साथ मिलकर 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह संभव है, इसे हासिल किया जा सकता है, बशर्ते इसके लिए सही आधार मौजूद हों और साथ ही मजबूत मैक्रो इकोनॉमी भी इसका समर्थन करे।   गोयल ने जोर देकर कहा कि ‘विकसित भारत’ के विजन को हासिल करने के लिए उद्योग को सहयोग करने और अनुसंधान एवं विकास, नवाचार और स्थिरता में अधिक निवेश करने के लिए आगे आना होगा। उन्होंने उद्योग से सरकार को सुझाव देने में अधिक मांग करने और सक्रिय होने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार ‘जन विश्वास 2.0’ को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। “हम उद्योग के हितों को राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ कैसे जोड़ सकते हैं।   उन्होंने कहा कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, लेकिन हमें आपसे (उद्योग जगत से) आगे आकर इस बात पर संतुलित दृष्टिकोण रखने की आवश्यकता है कि क्या आवश्यक है, साथ ही गैर-अपराधीकरण और अनुपालन बोझ को कम करने से संबंधित समस्याओं पर भी विचार करना चाहिए। फिक्की के अध्यक्ष डॉ. अनीश शाह ने भारत को विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि व्यापार करने की लागत को कम करने और व्यापार करने की आसानी में सुधार करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। फिक्की के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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Jul 11, 2024

इलेक्ट्रॉनिक्स भारतीय अर्थव्यवस्था के संरचनात्मक परिवर्तन में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा: एस कृष्णन

नई दिल्ली, 11 जुलाई  2024 (यूटीएन)। विनिर्माण भारतीय अर्थव्यवस्था के संरचनात्मक परिवर्तन में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा और इलेक्ट्रॉनिक्स इस परिवर्तन को आगे बढ़ाने वाला एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा। हमें अगले पांच वर्षों के भीतर इलेक्ट्रॉनिक्स में घरेलू मूल्य-वर्धन को 18-20% से बढ़ाकर 35-40% करना चाहिए। एमएसएमई इस प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों के विनिर्माण में उनकी बड़ी भूमिका होगी” एस कृष्णन, सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने नई दिल्ली में सीआईआई एमएसएमई ग्रोथ समिट में अपने संबोधन के दौरान कहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटलीकरण एमएसएमई सेगमेंट के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है।   क्लस्टर-आधारित सुविधाओं के माध्यम से छोटे खिलाड़ियों द्वारा प्रौद्योगिकी को अपनाना और मौजूदा सुविधाओं को फिर से तैयार करना इस सेगमेंट के लिए डिजिटल होने के लिए लागत प्रभावी तरीके हैं। डिजिटल अर्थव्यवस्था के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था के आकार का आकलन करने के लिए काम कर रहा है। एमएसएमई मंत्रालय की अतिरिक्त विकास आयुक्त डॉ. इशिता गांगुली त्रिपाठी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पंजीकृत एमएसएमई में महिलाओं की भागीदारी को 39% से बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए "7 ए" का लाभ उठाने पर जोर दिया।   उपलब्धता, पहुंच, सामर्थ्य, जागरूकता, जवाबदेही, गठबंधन और उपलब्धि। इसके अलावा उन्होंने कहा कि एमएसएमई को नियामक आवश्यकताओं और ईएसजी अनुपालन के बारे में शिक्षित करना उनके सतत विकास के लिए आवश्यक है। इसमें सरकार और बड़े उद्यम एमएसएमई का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स के प्रबंध निदेशक और सीईओ टी कोशी ने कहा, "हमें एमएसएमई को डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाने में मदद करने की आवश्यकता है। ओएनडीसी नेटवर्क छोटे खुदरा विक्रेताओं को समान अवसर प्रदान करता है और ऋण, बाजार तक पहुंच और कौशल तक पहुंच प्रदान करता है।   सीआईआई छोटे, असेवित और कम सेवा वाले व्यवसायों को शामिल करने और एक समग्र डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में एक महत्वपूर्ण भागीदार हो सकता है। नेटवर्क एक नए घटक के रूप में बीमा भी जोड़ रहा है, जो जल्द ही दिखाई देगा। सीआईआई नेशनल एमएसएमई काउंसिल के अध्यक्ष समीर गुप्ता ने कहा, "एसएमई को सशक्त बनाना सिर्फ एक व्यावसायिक रणनीति से कहीं अधिक है; यह आर्थिक जीवन शक्ति, रोजगार सृजन और सतत विकास का मार्ग है। अभिनव वित्तपोषण तंत्र शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकते हैं, एसएमई की अप्रयुक्त क्षमता को अनलॉक कर सकते हैं और उन्हें उल्लेखनीय विकास और सफलता की ओर ले जा सकते हैं।   सीआईआई नेशनल एमएसएमई काउंसिल के सह-अध्यक्ष एम पोन्नुस्वामी ने कहा कि सरकार एमएसएमई को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करके, सहायक नीतियां तैयार करके और एमएसएमई के लिए एक आरएंडडी फंड स्थापित करके प्रौद्योगिकी अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। मास्टरकार्ड के दक्षिण एशिया के मुख्य परिचालन अधिकारी विकास वर्मा ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र में सतत विकास को बाधित करने वाली तीन प्रमुख चुनौतियां हैं  'भुगतान प्राप्त करें, पूंजी प्राप्त करें, डिजिटल बनें'।   डिजिटलीकरण एमएसएमई को औपचारिक ऋण तक पहुंच, असामयिक भुगतान को सुव्यवस्थित करने और बाजार पहुंच का विस्तार करने में मदद कर सकता है। सीआईआई राष्ट्रीय एमएसएमई परिषद के सह-अध्यक्ष अशोक सैगल ने कहा कि एमएसएमई के लिए व्यापार करने में आसानी ईओडीबी को बढ़ाने के लिए सरकार की पहल, सभी हितधारकों के समर्थन के साथ, भारत के एमएसएमई क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण विनिर्माण और मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता हासिल करने में मदद करेगी।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 11, 2024

रियल एस्टेट विकास के लिए ऋण दरों को तर्कसंगत बनाना जरूरी: संजीव कुमार अरोड़ा

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। विकासशील भारत के लिए रियल एस्टेट की बदलती गतिशीलता पर एसोचैम राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए संजीव कुमार अरोड़ा, सदस्य, हरियाणा रेरा ने कहा कि यह क्षेत्र किस तरह लोगों की सेवा कर रहा है और रियल एस्टेट और निर्माण में शामिल होकर, यह बड़े स्तर पर सामाजिक संतुष्टि में योगदान दे रहा है। घर खरीदारों को सपनों का घर उपलब्ध कराना और पैसे का पूरा मूल्य प्रदान करना इस उद्योग को महत्वपूर्ण बनाता है। रियल एस्टेट क्षेत्र अर्थव्यवस्था के निर्माण में प्रमुख चालक के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है, जो भारत की आबादी का 4% है। तेजी से शहरीकरण और स्मार्ट शहरों की शुरूआत, सभी के लिए आवास, एफडीआई नियमों में ढील से भी इस क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि 2025 तक कुल एफडीआई निवेश 20% की दर से बढ़ रहा है।   हरियाणा रेरा के सदस्य अरोड़ा ने बताया कि सरकार ने रेरा अधिनियम 2016 कैसे पेश किया, जिसका उद्देश्य अनुशासित विकास और स्थिरता समाधानों के साथ क्षेत्र की पारदर्शिता है। अधिनियमन के बाद से पूरे भारत में रेरा के तहत लगभग 1,25,000 परियोजनाएं पंजीकृत की गईं। शिकायतों में उल्लेखनीय कमी आई है। एक पीपीपी मॉडल पेश किया गया है जो अधिक अनुशासित और दीर्घकालिक विकास के लिए अधिक से अधिक परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। ऋण दरों को युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता है ताकि अधिक लोग आगे आ सकें और बिल्डर कम से कम संभव लागत पर देने में प्रसन्न हों। अपने स्वागत भाषण में प्रदीप अग्रवाल, अध्यक्ष, राष्ट्रीय रियल एस्टेट, आवास और शहरी विकास परिषद, एसोचैम ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, आवास और रियल एस्टेट क्षेत्र को निरंतर बढ़ावा और काम की आवश्यकता है जिससे रोजगार भी मिलेगा।   विजन यह है कि प्रत्येक परिवार के पास घर और नौकरी का अवसर होगा क्योंकि यह क्षेत्र भारत को शीर्ष अर्थव्यवस्था बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट 24 लाख करोड़ का बाजार है और इसका जीडीपी में योगदान करीब 13.8% है। पीएम आवास योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में 3 करोड़ घर बनाए गए हैं और क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी, जीएसटी, रेरा व्यवस्था जैसे सरकारी सुधारों के साथ। उन्होंने कहा कि 2017 के बाद रेरा के तहत 86% प्रोजेक्ट लॉन्च किए गए और समय पर डिलीवर किए गए। इसने प्रतिबद्धता और गुणवत्ता दिखाने में नियामकों की भूमिका की शुरुआत की। अर्बनब्रिक डेवलपमेंट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक श्री विनीत रेलिया ने रियल एस्टेट सेक्टर में बदलती गतिशीलता और कीमतों में बड़ी उछाल के बारे में बात की। एक समय था जब रियल एस्टेट सेक्टर जरूरत के आधार पर फलता-फूलता था, लेकिन अब यह अपग्रेडेशन और लाइफस्टाइल विकल्पों की ओर बढ़ गया है।    इसने डेवलपर्स पर उच्च गुणवत्ता के साथ मांग को पूरा करने और डिलीवरी के समय के लिए तैयार होने का बहुत बड़ा प्रभाव डाला। अगर सरकार आने वाले वर्षों में सामर्थ्य के संबंध में इस क्षेत्र का समर्थन नहीं करती है तो यह एक डाउनसाइकिल होगा। सुश्री सोनल मेहता, सीनियर वीपी-स्ट्रेटेजी एंड अलायंस, रिसर्जेंट इंडिया लिमिटेड ने सेक्टर के विकास के परिप्रेक्ष्य पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की और बताया कि आने वाले वर्षों में सही नीतियों और सुधारों के साथ इस क्षेत्र की चुनौतियों का कैसे समाधान किया जा सकता है।   बरसात के मौसम में दिल्ली एनसीआर और मुंबई जैसे प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों में मौसम की स्थिति के बारे में बढ़ती चिंताओं को इंफ्राकॉर्प (बहरीन) में इंडिया प्रोजेक्ट्स के सीईओ गौरव जैन ने उठाया। उन्होंने यह भी चर्चा की कि कैसे उचित जल निकासी प्रणालियों के साथ इन परिदृश्यों को कम करने में बुनियादी ढांचे का विकास महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बुनियादी ढांचा कम महत्वपूर्ण हो गया है, और बाजार मानकों और इंजीनियरिंग नींव को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। एसोचैम और रिसर्जेंट इंडिया लिमिटेड द्वारा ‘विकसित भारत के लिए रियल एस्टेट की बदलती गतिशीलता- अवसर और चुनौतियां’ शीर्षक से एक संयुक्त ज्ञान रिपोर्ट का अनावरण किया गया।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

डीयू में शिक्षकों के वरिष्ठता क्रममें एकरूपता न होने पर वीसी ने कमेटी गठित की

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों व उससे संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों की सीनियरिटी को लेकर वाइस चांसलर के निर्देश पर कुलसचिव ने एक कमेटी गठित की है । डीन ऑफ कॉलेजिज को कमेटी का चेयरपर्सन बनाया गया है । इसके अलावा प्रोफेसर श्रीप्रकाश सिंह (निदेशक दक्षिणी परिसर )  प्रो.रमा शर्मा ( प्रिंसिपल हंसराज कॉलेज )  प्रो.अरुण कुमार अत्री ( प्रिंसिपल भगतसिंह कॉलेज ) प्रो.अजय अरोड़ा , ( प्रिंसिपल रामजस कॉलेज ) व डिप्टी रजिस्ट्रार , कॉलेजिज ( मेम्बर सेक्रेटरी ) बनाए गए है । कमेटी का कार्य हाल ही में सहायक प्रोफेसर के पदों पर हुई  लगभग 4600 स्थायी  नियुक्ति के बाद कॉलेजों में सीनियरिटी को लेकर विवाद हो रहा था ।   एससी, एसटी व ओबीसी के शिक्षकों को जहाँ बैकलॉग व शार्टफाल के पदों को भरने के बाद सीनियर माना जाना चाहिए था कॉलेज उन्हें जूनियर बना रहे थें , शिक्षकों की सीनियरिटी लिस्ट कैसे बनाया जाए , यह कमेटी गठित की गई है जो अपनी रिपोर्ट 31 जुलाई 2024 तक देगी । फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने  दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गठित कमेटी में एससी, एसटी व ओबीसी कोटे के शिक्षकों को प्रतिनिधित्व न दिए जाने पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए कमेटी में आरक्षित श्रेणी के सदस्यों को रखे जाने की मांग की है ताकि इन वर्गो के साथ सही से सामाजिक न्याय हो । उन्होंने कमेटी में संसदीय समिति , डीओपीटी व एससी/एसटी कमीशन , ओबीसी कमीशन से भी सदस्यों को रखे जाने की मांग की । फोरम के चेयरमैन डॉ.हंसराज सुमन ने कमेटी को सुझाव दिए है और कहा है कि कमेटी जब भी सीनियरिटी लिस्ट तैयार करे तो यह देखें कि रोस्टर में यह पद किस वर्ष आया तथा पद बैकलॉग का है या शॉटफाल है । क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय में एक दशक बाद स्थायी प्रोफेसर पदों पर नियुक्ति हुई है ।   इनमें एससी/एसटी व ओबीसी के ज्यादातर उन लोगों की सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई है जो पिछले एक दशक से अस्थाई तौर पर पढ़ा रहे थे। इनमें कुछ नियुक्तियाँ कॉलेजों के रोस्टर रजिस्टर में बैकलॉग पद आने पर विज्ञापित करके की गई हैं। विभिन्न विभागों और कॉलेजों में ये नियुक्तियाँ विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई चयन समिति के माध्यम से की गई थीं । लेकिन चयन समिति ने मिनट्स बनाते समय भारत सरकार की आरक्षण नीति के अंतर्गत भर्ती नीति व कॉलेजों द्वारा बनाए गए रोस्टर के अंतर्गत श्रेणीवार चयनित अभ्यर्थियों का नाम नहीं रखा। परिणामस्वरूप कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों के वरिष्ठता क्रम (Seniority) को लेकर एकरूपता नहीं है । बता दे कि वरिष्ठता क्रम को लेकर कॉलेजों में वाद-विवाद खड़ा हो गया था । शिक्षकों में तनाव की स्थिति बन गई है। इसमें आरक्षित वर्ग के शिक्षकों के साथ अधिक भेदभाव किया जा रहा है।   जूनियर शिक्षकों को वरीयता देकर वरिष्ठ बनाया जा रहा है। आरक्षित वर्गो के सहायक प्रोफेसरों के साथ हो रहे इस भेदभाव को लेकर फोरम आफ एकेडमिक फॉर सोशल जस्टिस ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, एससी/एसटी के कल्याणार्थ संसदीय समिति, शिक्षा मंत्रालय व यूजीसी व विश्वविद्यालय प्रशासन से गुहार लगाई थीं तथा अनियमितता की जाँच कराने की मांग की थीं । इस अनियमितता को देखकर ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने कमेटी गठित की है । डॉ. हंसराज सुमन ने कमेटी सदस्यों को बताया है कि कॉलेजों द्वारा  सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति करते समय चयन समिति में बतौर सदस्य एससी/एसटी व ओबीसी के ऑब्जर्वर को चयन समिति के मिनट्स बनाते समय रोस्टर रजिस्टर देखना चाहिए था तथा बैकलॉग पदों की क्रमवार वास्तविक स्थिति देखनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जिसके कारण यह समस्या पैदा हुई है ।    यदि एससी/एसटी के पदों का बैकलॉग था तो चयन समिति को मिनट्स बनाते समय नियमानुसार पहले एससी /एसटी के चयनित प्राध्यापक को क्रम में रखना चाहिए था। उसके बाद तीसरे स्थान पर ओबीसी के चयनित प्राध्यापकों को रखा जाता है। ज्ञात हो कि ओबीसी आरक्षण विश्वविद्यालयों / उच्च शिक्षण संस्थानों / कॉलेजों में सन् 2007 से लागू हुआ था । कॉलेजों को पहले ट्रांच के इन पदों को 2010 में भर लेना चाहिए था लेकिन इन पदों को नहीं भरने के कारण ओबीसी का बैकलॉग बढ़ता रहा। सन् 2010 के बाद अब जाकर इन पदों पर नियुक्ति की गई, इसलिए वरिष्ठता क्रम में उन्हें पहले रखा जाएगा। वरिष्ठता की सूची में भी उन्हें वरिष्ठ ही माना जाएगा।   लेकिन कॉलेजों में चयन समिति ने मिनट्स बनाते समय नियमों की अनदेखी की और सामान्य वर्ग को वरिष्ठता क्रम में पहले रखा, उसके बाद ओबीसी, एससी, एसटी, पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस को क्रमवार सूची में रखा गया । जबकि होना यह चाहिए था जिन कॉलेजों में एससी/एसटी का बैकलॉग है वहाँ पहले एससी/एसटी वरिष्ठता में आएंगे। जहाँ ओबीसी का बैकलॉग है, यानि 2010 के बाद कॉलेजों ने पदों को विज्ञापित कर नियुक्ति की है वहाँ ओबीसी के प्राध्यापकों को वरिष्ठतम माना जाएगा। उसके बाद एससी/एसटी, सामान्य वर्ग, पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस को रखा जाएगा। अब देखना यह है कि कमेटी किस तरह से सीनियरिटी लिस्ट बनाती है क्योंकि इसमें कोई भी सदस्य आरक्षित श्रेणी से नहीं है ।    डॉ. हंसराज सुमन ने कमेटी के सदस्यों को यह भी बताया कि चयन समिति ने  वरीयता देने में आरक्षित वर्गों के प्राध्यापकों के साथ घोर अन्याय किया है। उन्होंने आगे बताया है कि सहायक प्रोफेसर की चयन समिति ने मिनट्स बनाते समय पहले सामान्य वर्ग को रखा है उसके बाद ओबीसी फिर एससी/एसटी, पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस को क्रम में रखा है। जब की वैधानिक रूप से यह गलत है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार की आरक्षण नीति के अनुसार किसी भी चयन समिति को मिनट्स बनाते समय रोस्टर रजिस्टर व बैकलॉग पदों को चिन्हित कर पहले एससी/एसटी फिर ओबीसी के चयनित प्राध्यापकों को क्रमशः रखा जाता है, उसके बाद सामान्य वर्ग और अन्य श्रेणी के प्राध्यापकों को रखा जाता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तय किए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अगले पांच वर्षों के रोड मैप पर मंथन शुरू

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तय किए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अगले पांच वर्षों के रोड मैप पर मंथन शुरू किया है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को हुई समीक्षा बैठक में कहा कि राज्यों और केंद्र दोनों को ही शिक्षा इकोसिस्‍टम को मजबूत बनाने और एक- दूसरे राज्यों में बेस्ट प्रैक्टिस को आगे बढ़ाने के लिए एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने पूरे देश में स्कूली शिक्षा के समग्र विकास के लिए अगले पांच वर्षों के रोडमैप के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के विजन का एक प्रमुख स्तंभ है और राज्यों को इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के करीब चार वर्षों में देश में शिक्षा इकोसिस्‍टम ने तेजी से प्रगति की है। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी भी मौजूद रहे।   *शिक्षा मंत्री ने की राज्यों के साथ समीक्षा बैठक* शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत एक युवा देश है। हमारी चुनौती 21वीं सदी की दुनिया के लिए वैश्विक नागरिक तैयार करना है, जो तेजी से बदल रही हैं क्‍योंकि यह सदी प्रौद्योगिकी की ओर से संचालित हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि एक ऐसी शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित की जाए, जो जमीनी और आधुनिक दोनों ही हो। स्कूलों में टेक्नोलोजी पर ध्यान देना होगा। हमें रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी कौशल क्षमताओं को भी बढ़ाना चाहिए। राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि एनईपी 2020 सबसे महत्वाकांक्षी और प्रगतिशील नीति दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को शत-प्रतिशत तक ले जाना होगा।   *पांच साल के एक्शन प्लान पर मंथन* शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने कहा कि समीक्षा बैठक का मुख्य उद्देश्य एनईपी 2020 की समीक्षा करना और इसका राज्यों में कार्यान्वयन करने के साथ-साथ मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं की प्रगति को देखना भी है। समग्र शिक्षा, पीएम श्री, पीएम पोषण, उल्लास जैसी योजनाओं को नीति के साथ समायोजन करना होगा। बैठक के दौरान पांच साल के एक्शन प्लान, 100 दिन के एक्शन प्लान, सभी राज्यों के लिए समग्र शिक्षा के तहत बुनियादी ढांचे पर चर्चा होगी। स्मार्ट क्लासेज समय की जरूरत हैं। स्कूलों परिसर को तंबाकू मुक्त बनाने की दिशा में मिलकर काम करना होगा।   *स्कूलों में बैगलैस डेज को लेकर तैयार गाइडलाइंस की समीक्षा* केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों में बिना स्कूल बैग को लेकर तैयार की गई गाइडलाइंस की समीक्षा की है। स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने एनसीईआरटी की यूनिट की ओर से तैयार गाइडलाइंस पर सीबीएसई, एनसीईआरटी, केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय संगठन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। यह तय किया गया है कि समीक्षा के बाद अब जल्द ही इन दिशा- निर्देशों को अंतिम रूप दिया जाएगा।   *जल्द फाइनल होंगी गाइडलाइंस* स्कूली शिक्षा के लिए जारी किए गए नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि क्लासरूम टीचिंग केवल किताबों की दुनिया ही नहीं है बल्कि छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स से भी मिलवाना चाहिए। स्कूलों के वार्षिक कैलेंडर में 10 दिन वगैर बैग होंगे यानी इन दस दिन छात्र बिना बैग और किताबों के स्कूल जाएंगे। इन दिनों में छात्रों को फील्ड विजिट करवाई जाएगी। यह सिफारिश की गई है कि इन दस दिनों में छात्रों को स्थानीय पारिस्थितिकी के बारे में जागरूक करने, उन्हें पानी की शुद्धता की जांच करना सिखाने, स्थानीय वनस्पतियों और जीवों को पहचानने और स्थानीय स्मारकों का दौरा करवाया जाए।   *शिक्षा के लिए तय लक्ष्यों को हासिल करने पर दिया जोर* शिक्षा नीति में यह कहा गया है कि कक्षा 6-8 के सभी छात्रों के लिए दस दिन बिना बैग के स्कूल जाना जरूरी होगा। इस दौरान छात्र लोकल स्किल एक्सपर्ट्स के साथ इंटर्नशिप करेंगे और पारंपरिक स्कूल व्यवस्था से बाहर की गतिविधियों में भाग लेंगे। बैगलेस डेज़ के दौरान कला, क्विज़, खेल और कौशल-आधारित शिक्षा जैसी विभिन्न गतिविधियां शामिल होंगी। छात्रों को कक्षा के बाहर की गतिविधियों से समय-समय पर अवगत कराया जाएगा, जिसमें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन स्थलों की यात्रा, स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों के साथ बातचीत और स्थानीय कौशल आवश्यकताओं के अनुसार उनके गांव, तहसील, जिले या राज्य के भीतर विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों का दौरा शामिल है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

मुस्लिम महिला पति से कर सकती है गुजारा भत्ता की मांग', सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने अहम निर्णय में फिर साफ किया है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत एक मुस्लिम महिला पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है. एक मुस्लिम शख्श ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये अहम फैसला दिया है. मोहम्मद अब्दुल समद नाम के शख्स ने याचिका दायर की थी.   जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश के खिलाफ मोहम्मद अब्दुल समद के जरिए दायर याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने माना कि 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986' धर्मनिरपेश कानून पर हावी नहीं हो सकता है. जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस मसीह ने अलग-अलग, लेकिन सहमति वाले फैसले दिए. हाईकोर्ट ने मोहम्मद समद को 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था.   *सभी महिलाओं पर लागू होती है धारा 125* जस्टिस नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, "हम इस निष्कर्ष के साथ आपराधिक अपील खारिज कर रहे हैं कि सीआरपीसी की धारा 125 सभी महिलाओं पर लागू होती है, न कि सिर्फ शादीशुदा महिला पर. कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि अगर सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आवेदन के लंबित रहने के दौरान संबंधित मुस्लिम महिला का तलाक होता है तो वह 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019' का सहारा ले सकती है. कोर्ट ने कहा कि 'मुस्लिम अधिनियम 2019' सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उपाय के अलावा अन्य समाधान भी मुहैया कराता है.    *क्या है सीआरपीसी की धारा 125?* सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि सीआरपीसी की धारा 125 एक धर्मनिरपेक्ष प्रावधान है, जो मुस्लिम महिलाओं पर भी लागू होती है. हालांकि, इसे 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986' के जरिए रद्द कर दिया गया था. इसके बाद 2001 में कानून की वैधता को बरकरार रखा गया. सीआरपीसी की धारा 125 पत्नी, बच्चे और माता-पिता को भरष-पोषण का प्रावधान करती है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024