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दिल्ली में हुआ पंजाबी फिल्म 'सुच्चा सूरमा' का प्रमोशन

नई दिल्ली, 21 सितंबर 2024 (यूटीएन)। हाल ही में आनेवाली पंजाबी फिल्म 'सुच्चा सूरमा' का प्रमोशन करने के लिए इसके कलाकार दिल्ली पहुंचे। यहां के कनॉट प्लेस स्थित(ड्रामा) सिंधिया हाउस में आयोजित प्रमोशनल कार्यक्रम में पंजाबी फिल्मों के लीजेंड अभिनेता बब्बू मान भी मौजूद थे। यह फिल्म 20 सितंबर को रिलीज होगी। हाल ही में रिलीज इसके ट्रेलर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जबरदस्त सराहना मिली है, क्योंकि 'सुच्चा सूरमा' के म्यूजिक एल्बम के ट्रेलर के तत्काल बाद रिलीज फिल्म का ट्रेलर अपने आप में एक रोमांचक सिनेमाई अनुभव का वादा करता है।    जिससे फिल्म की लोकप्रियता में भी इजाफा हुआ है। दरअसल, 'सुच्चा सूरमा' कोई साधारण फिल्म नहीं है। इसे पंजाब की साल की सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्म के रूप में सराहा जा रहा है। पंजाबी फिल्म उद्योग के लिए पहली बार इसके निर्माताओं ने यह भी घोषणा की है कि सागा स्टूडियो और सेवन कलर्स की इस संयुक्त प्रस्तुति, यानी इस फिल्म की एडवांस बुकिंग इसकी रिलीज से एक सप्ताह पहले खोली जाएगी, ताकि उत्साही प्रशंसकों को समय से पहले अपनी सीट सुरक्षित करने का मौका मिल सके। वैसे, इसमें संदेह नहीं कि इस लोककथा की भव्यता का वास्तविक और सर्वोत्तम अनुभव थिएटर में ही मिलेगा।    इस फिल्म में मुख्य भूमिका कोई और नहीं बल्कि बब्बू मान निभाएंगे। अन्य प्रमुख भूमिकाओं में समीक्षा ओसवाल, रवनीत कौर, सुविंदर विक्की, सरबजीत चीमा, महाबीर भुल्लर, गुरिंदर मकना, गुरप्रीत तोती, गुरप्रीत रतोल, जगजीत बाजवा आदि नजर आएंगे। बता दें कि इस फिल्म में सभी अलग-अलग अभिनेताओं, असामान्य और सामान्य चेहरों द्वारा शानदार प्रदर्शन किया जाएगा। एक उच्चस्तरीय विषय और महान अभिनेताओं द्वारा निभाई गई भूमिकाएं अपने आप में एक अनूठी घटना बनने जा रही हैं। फिल्म का निर्देशन अमितोज मान ने किया है और इंद्रजीत बंसल ने इस फिल्म में डीओपी के रूप में काम किया है। 'सुच्चा सूरमा' का संगीत सागा म्यूजिक के आधिकारिक हैंडल पर जारी किया गया है।     विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 21, 2024

जीरो प्रोजेक्ट, वियना के साथ मिलकर दिव्यांगता सशक्तिकरण में नवाचार और समावेशन को बढ़ावा देगा

नई दिल्ली, 21 सितंबर 2024 (यूटीएन)। जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस 2024, नवाचार के माध्यम से दिव्यांगता समावेशन को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम, 19-20 सितंबर को गुरुग्राम के लीला होटल में होने वाला है। यूथ4जॉब्स फाउंडेशन द्वारा वैश्विक जीरो प्रोजेक्ट के साथ आयोजित यह कॉन्फ्रेंस भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक - दिव्यांग लोगों - की जरूरतों को संबोधित करने के लिए अग्रणी समाधानों का प्रदर्शन करके और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देकर एक महत्वपूर्ण मंच का प्रतिनिधित्व करती है। जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस का यह दूसरा संस्करण उद्घाटन कार्यक्रम की सफलता पर आधारित है, जिसमें इस क्षेत्र में प्रणालीगत बदलाव लाने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है।   एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण से आईसीएमआर के प्रकाशन के अनुसार, भारत में लगभग 63.28 मिलियन लोग या आबादी का 4.52% दिव्यांग हैं। जनसंख्या का यह महत्वपूर्ण हिस्सा देश में सबसे बड़े अल्पसंख्यक का प्रतिनिधित्व करता है, जो उनकी अनूठी चुनौतियों का समाधान करने वाली समावेशी पहलों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है। जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस 2024 का उद्देश्य प्रौद्योगिकी, शिक्षा और नीति में नवाचारों को उजागर करके इस आवश्यकता को पूरा करना है जो लाखों लोगों के लिए पहुँच और समावेश को बदल सकता है। यूथ4जॉब्स फाउंडेशन की संस्थापक और सीईओ मीरा शेनॉय ने सम्मेलन के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस सिर्फ एक आयोजन से कहीं अधिक है; यह बदलाव का उत्प्रेरक है, जो समावेशी भविष्य बनाने के लिए विविध विचारों को एक साथ लाता है। यूथ4जॉब्स में, हम विकलांग लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध हैं।   जो भारत में सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं। यह सम्मेलन हमें बाधाओं को तोड़ने और एक ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए नवाचार और सहयोग का लाभ उठाने की अनुमति देता है, जहाँ हर कोई, क्षमता की परवाह किए बिना, फल-फूल सकता है। जमीनी स्तर के नवाचारों और विकलांग महिलाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करके, हम न केवल वर्तमान चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं, बल्कि अधिक न्यायसंगत भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त कर रहे हैं।" सम्मेलन का एजेंडा प्रभावशाली सत्रों से समृद्ध होगा, जिसमें भारतीय जमीनी स्तर के समाधानों की वैश्विक क्षमता पर चर्चा भी शामिल होगी। यह पैनल इस बात पर विचार करेगा कि समुदाय की जरूरतों से प्रेरित स्थानीय नवाचारों को वैश्विक प्रभाव बनाने के लिए कैसे बढ़ाया जा सकता है। विषयों में एआई से लेकर जमीनी स्तर, महिलाएं, सहायक तकनीक, शुरुआती हस्तक्षेप, अफ्रीका के साथ पुल बनाना आदि शामिल हैं।    इस कार्यक्रम में विकलांग महिला उद्यमियों पहल पर एक समर्पित सत्र भी होगा, जो एक महत्वपूर्ण यूथ4जॉब्स कार्यक्रम है जो महिलाओं को अपने समुदायों में नेता बनने के लिए सशक्त बनाता है। ये चर्चाएँ न केवल विकलांग लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए सम्मेलन की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं, बल्कि समाधान बनाने में नेतृत्व करने के लिए उन्हें सशक्त बनाती हैं। "जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस के साथ, हमारे पास विशेषज्ञों के हमारे व्यापक वैश्विक नेटवर्क और भारत और उससे आगे के अविश्वसनीय, घरेलू नवाचारों के बीच संबंध बनाने का एक अनूठा और शक्तिशाली अवसर है। यह मंच केवल ज्ञान साझा करने के बारे में नहीं है, बल्कि एक सहयोगी वातावरण को बढ़ावा देने के बारे में है जहाँ अंतर्राष्ट्रीय नेता और स्थानीय परिवर्तनकर्ता पहुँच, समावेश और सामाजिक विकास में कुछ सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। इन पुलों का निर्माण करके, हमारा लक्ष्य अग्रणी समाधानों के प्रभाव को बढ़ाना है जो वैश्विक स्तर पर समाजों को बदलने की क्षमता रखते हैं।"   जीरो प्रोजेक्ट के सीईओ माइकल फेमबेक ने कहा। इस सम्मेलन को हंस फाउंडेशन और एक्सिस बैंक फाउंडेशन का समर्थन प्राप्त है, दोनों ही भारत में विकलांगता समावेशन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी भागीदारी सार्थक परिवर्तन लाने में बहु-क्षेत्रीय सहयोग के महत्व को रेखांकित करती है। जैसे-जैसे भारत नवाचार के केंद्र के रूप में विकसित होता जा रहा है, जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस जैसी पहलों की भूमिका लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। वैश्विक और स्थानीय हितधारकों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देकर, इस आयोजन का उद्देश्य उन नवीन प्रथाओं को अपनाने में तेजी लाना है जो पूरे देश में विकलांग लोगों के जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार कर सकती हैं। यूथ4जॉब्स फाउंडेशन, अपने भागीदारों के साथ, इस मिशन का नेतृत्व कर रहा है, एक ऐसे भविष्य के लिए मंच तैयार कर रहा है जहाँ समावेशिता केवल एक आकांक्षा नहीं बल्कि एक वास्तविकता है। जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस 2024 एक अधिक समावेशी और सुलभ दुनिया की ओर चल रही यात्रा में एक ऐतिहासिक आयोजन बनने के लिए तैयार है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 21, 2024

डिजिटल टेक्नोलॉजी फोरम के लिए प्रभावशाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लाइनअप की घोषणा की

नई दिल्ली, 21 सितंबर 2024 (यूटीएन)। दूरसंचार विभाग (डीओटी) और सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) की सह-मेज़बानी में नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 15-18 अक्टूबर तक होने वाली एशिया की प्रमुख डिजिटल टेक्नोलॉजी प्रदर्शनी इंडिया मोबाइल कांग्रेस ने अपने आठवें संस्करण में एआई और जेन एआई पर केंद्रित शोकेस, प्रदर्शनी और परिचर्चा के प्रभावशाली लाइनअप की घोषणा की। आईएमसी 2024 के लिए वर्ष की थीम 'द फ्यूचर इज़ नाउ' है और हाल ही में जुलाई 2024 में माननीय संचार और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्री, ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया द्वारा इसका अनावरण किया गया था। विषय यह दर्शाता है कि भारत तकनीकी विकास के केंद्र में कैसे खड़ा है। इस वर्ष आईएमसी 2024 का प्रमुख रूप से ध्यान एआई और जेन एआई आधारित परिचर्चा और शोकेस पर रहेगा और एआई इन नेटवर्क्स, एआई इन चिपसेट्स, एथिकल एआई जैसी थीम्स में गहन चर्चा की जाएगी। इंडिया मोबाइल कांग्रेस और इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (आईटीयू) ‘एआई फॉर गुड’ पर एक विशेष दिनभर का सत्र भी आयोजित करेंगी।   जिसमें दुनिया भर से विशेषज्ञ और प्रतिनिधि इस विषय पर बातचीत करेंगे। इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 में इस आयोजन के चार दिनों में 11 से अधिक विविध परिचर्चा सत्रों में एआई और जेन एआई के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के लिए 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय एवं भारतीय वक्ताओं के शामिल होने की संभावना है। दूरसंचार विभाग के सचिव डॉ नीरज मित्तल ने कहा, “वैश्विक स्तर पर एआई और जेन एआई तेजी से उभर रहा है और विश्व में इसकी भारी संभावना देखी जा रही है. भारत सामाजिक और आर्थिक प्रगति में तेजी लाने के लिए एआई के उपयोग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा इस वर्ष भारत, नई दिल्ली में इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 के साथ ही प्रतिष्ठित वर्ल्ड टेलीकॉम स्टैंडर्डाइजेशन असेंबली  की मेजबानी कर रहा है जहां डब्ल्यू टी एस ए-2024 एआई सहित उभरती प्रौद्योगिकियों के मानकीकरण की व्यवस्था को आकार देने में एक अहम भूमिका अदा करेगा आईएमसी 2024 मैं कई सत्रों का आयोजन होगा जिससे इस विषय पर इस राष्ट्र की आकांक्षाओं की झलक देखने को मिलेगी हम विश्व भर के वक्ताओं के साथ उत्साह पूर्ण बातचीत की आशा करते हैं।   और उम्मीद करते हैं कि यह बातचीत भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी एशिया का सबसे बड़ा टेक्नोलॉजी फोरम इंडिया मोबाइल कांग्रेस उद्योग, सरकारों, अकादमिक संस्थानों, स्टार्टअप्स एवं टेक्नोलॉजी पारितंत्र में अन्य प्रमुख भागीदारों के लिए अनूठे सॉल्यूशंस, सेवाएं और अत्याधुनिक यूज़ केसेस प्रदर्शित करने का दुनियाभर में एक प्रख्यात मंच बन गया है। इस वर्ष के आयोजन में क्वांटम टेक्नोलॉजी और सर्कुलर इकोनॉमी जैसे विषय रेखांकित किए जाएंगे और साथ ही 6जी, 5जी यूज़ केस शोकेस, क्लाउड एवं एज कंप्यूटिंग, आईओटी, सेमीकंडक्टर, साइबर सुरक्षा, ग्रीन टेक, सैटकॉम और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर ज़ोर रहेगा। पिछले संस्करण में प्रारंभ अग्रणी स्टार्टअप प्रोग्राम एस्पायर का आकार इस बार और भी बड़ा रहेगा। एस्पायर प्रोग्राम विभिन्न उद्योगों में एआई आधारित एप्लीकेशंस पर केंद्रित रहने के साथ इसमें 140 से अधिक स्टार्टअप्स हिस्सा लेंगे। उद्योग की भागीदारी के अलावा, आईएमसी 2024 में 15 से अधिक मंत्रालयों की भागीदारी होगी जहां उनके बूथ नजर आएंगे और वे यह भी प्रदर्शित करेंगे कि कैसे उनके विभागों में एआई को एकीकृत किया जा रहा है।    इंडिया मोबाइल कांग्रेस के सीईओ रामकृष्ण पी. ने कहा, “एआई और जेन एआई आज एक अग्रणी अंतरराष्ट्रीय घटना है और दुनिया ने इसकी संभावना और इसके प्रभाव के क्षेत्र को महसूस करना शुरू ही किया है। भारत टेक्नोलॉजी के उद्भव के केंद्र में है और एक अहम भूमिका निभा रहा है। आईएमसी 2024 में हम सही मायने में इस नेतृत्वकारी भूमिका को परिलक्षित कर रहे हैं और कुछ आकर्षक परिचर्चा और इस वृहद विषय पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को ला रहे हैं। हमारा लक्ष्य ना केवल इस विविध दृष्टिकोण को सुगम बनाना है, बल्कि इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 इस विषय पर ‘विचार पत्र/रिपोर्ट’ पेश करने की भी संभावना तलाशेगा। हम इस वर्ष व्यापक स्तर पर प्रतिनिधियों और आगंतुकों के आने और हमारे सभी साझीदारों से सहयोग की उम्मीद करते हैं।” आईएमसी 2024 के साथ साथ भारत इसी प्रगति मैदान में 14 से 24 अक्टूबर तक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों- वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन स्टैंडर्डाजेशन असेंबली नई दिल्ली 2024 (डब्लूटीएसए 2024) और ग्लोबल स्टैंडर्ड्स सिंपोजियम (जीएसएस 2024) की भी मेजबानी कर रहा है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 21, 2024

उपराष्ट्रपति की नसीहत:आईएएस-आईपीएस बनने का 'मोह' छोड़ दीजिए

नई दिल्ली, 16 अगस्त 2024 (यूटीएन)। अखबारों के पन्ने कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों से भरे रहते हैं. हर पन्ने पर वही चेहरे नजर आते हैं. अलग-अलग कोचिंग सेंटर एक ही चेहरे को अपने विज्ञापनों में दिखाते हैं. इन विज्ञापनों का खर्च तो उन युवाओं और युवतियों के पास से आया है जो कड़ी मेहनत से तैयारी कर रहे हैं... सिविल सर्विस की नौकरियों के मोह से बाहर आइए. अन्य क्षेत्रों में 'आकर्षक' मौके हैं, वहां प्रयास कीजिए.' युवाओं को यह नसीहत दी है उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने. वह दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पीजी बैच के 'इंडक्शन' में स्टूडेंट्स से मुखातिब थे.   समाचार पत्रों में 'कोचिंग सेंटर के विज्ञापनों की भरमार' की ओर इशारा करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने शुक्रवार को सिविल सेवाओं के प्रति छात्रों के 'मोह' पर चिंता जताई. उन्होंने कहा, '... अब, मुझे समाचार पत्रों में कुल मिलाकर कोचिंग सेंटर के विज्ञापनों की भरमार मिलती है ... पेज एक, पेज दो, पेज तीन... उन लड़कों और लड़कियों के चेहरों से भरे हुए रहते हैं जिन्होंने सफलता हासिल की होती है. एक ही चेहरे का उपयोग कई संस्थानों द्वारा किया जा रहा है.   *सिविल सेवा के मोह से बाहर निकलें'* धनखड़ ने कहा, 'इन विज्ञापनों की भरमार को देखें लागत और एक-एक पैसा उन युवा लड़कों और लड़कियों के पास से आया है, जो अपने लिए भविष्य सुरक्षित करने की कोशिश में हैं.' उपराष्ट्रपति ने युवाओं से कहा कि वे अन्य क्षेत्रों में भी अवसरों की तलाश करें. उन्होंने कहा, 'समय आ गया है, आइए, हम सिविल सेवा की नौकरियों के मोह से बाहर आएं. हम जानते हैं कि अवसर सीमित हैं, हमें दूसरी आरे भी देखना होगा और यह खोजना होगा कि अवसरों के विशाल परिदृश्य कहीं अधिक आकर्षक हैं जो आपको बड़े पैमाने पर (राष्ट्र के लिए) योगदान करने में सक्षम बनाते हैं.   उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे स्वार्थ को देश के हित से ऊपर रखने वाली ताकतों को किनारे लगाएं और उन्हें निष्प्रभावी करें. वह यूनिवर्सिटी में बौद्धिक संपदा कानून और प्रबंधन में संयुक्त स्नातकोत्तर व एलएलएम डिग्री के पहले बैच के ‘इंडक्शन’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Aug 16, 2024

जम्मू-कश्मीर में चुनावी हलचल तेज, दिल्ली में फैसला, 20 अगस्त को हो सकता है ऐलान

नई दिल्ली, 14 अगस्त 2024 (यूटीएन)। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का इंतजार खत्म होने वाला है और तारीखों का ऐलान 20 से अगस्त तक हो सकता है. निर्वाचन आयोग की टीम ने 9 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था और चुनावी तैयारियों की जायजा लिया था. इसके बाद चुनाव आयोग केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला के साथ बैठक करेगा और सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेगा.    बैठक में सुरक्षा बलों की उपलब्धता सहित तैयारियों को अंतिम रूप देने पर चर्चा हो सकती है. इसके बाद से ही अंदेशा लगाया जा रहा है कि जल्द चुनाव कार्यक्रम का ऐलान हो सकता है. आमतौर पर चुनाव आयोग की टीम के दौरे के 15-20 दिनों के बाद चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाता है. बता दें कि साल 2019 में धारा 370 हटने के बाद यह जम्मू-कश्मीर में पहला चुनाव होगा.   *19 अगस्त के बाद क्यों होगा चुनाव का ऐलान* निर्वाचन आयोग ने इस महीने में कभी भी चुनाव का ऐलान करने के संकेत दिए है. संभावना है कि चुनाव की घोषणा 19 अगस्त के बाद की जा सकती है. दरअसल, जम्मू-कश्मीर में अभी जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा चल रही है और 19 अगस्त को खत्म हो रही है. अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं और इसके खत्म होने के बाद चुनाव का ऐलान हो सकता है.   *6 चरणों में हो सकता है चुनाव* जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव अक्टूबर से नवंबर के बीच कराए जा सकते हैं. इसके लिए 6 फेज में वोटिंग होगी. चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान 20 से 25 अगस्त के बीच कर सकता है.   *जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव* बता दें कि जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे. आखिरी बार यहां साल 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे. इसके बाद 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म कर दिया था और राज्य को 2 हिस्सों में बांट दिया था. मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बांट दिया था और दोनों को ही केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था. इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं हुए हैं.   *2014 विधानसभा चुनाव के नतीजे* साल 2014 में जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने सबसे ज्यादा 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि, भारतीय जनता पार्टी (BJP) दूसरे नंबर पर रही थी और 25 सीटों पर कब्जा किया था. इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15, कांग्रेस ने 12, अन्य ने 4 और निर्दलीय ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी. चुनाव के बाद बीजेपी और पीडीपी ने गठबंधन में सरकार बनाई और महबूबा मुफ्ती राज्य की मुख्यमंत्री बनी थीं. लेकिन, 2018 में बीजेपी ने गठबंधन तोड़ लिया, जिसके बाद महबूबा मुफ्ती सरकार गिर गई.   *सुप्रीम कोर्ट ने दिया था 30 सितंबर तक चुनाव कराने का निर्देश* जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जा खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2023 को चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया था. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को जल्द राज्य का दर्जा दिया जाए और चुनाव कराए जाएं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला बरकरार रखा था.   *हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में भी होंगे चुनाव* जम्म-कश्मीर के साथ ही हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है. चुनाव आयोग की टीम हाल ही में जम्मू-कश्मीर के अलावा हरियाणा के दौरे पर गई थी और चुनावी तैयारियों का जायजा लिया था. टीम को महाराष्ट्र और झारखंड का दौरा करना अभी बाकी है. बता दें कि हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर, महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर और झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी को खत्म हो रहा है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 में जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का आदेश जारी किया था.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Aug 14, 2024

भारत बना रहा डेंगू की स्वदेशी वैक्सीन, फेज 3 के क्लिनिकल ट्रायल की हुई शुरुआत

नई दिल्ली, 14 अगस्त 2024 (यूटीएन)। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और पैनेसिया बायोटेक ने भारत में पहली डेंगू वैक्सीन के लिए फेज 3 के क्लिनिकल ट्रायल की शुरुआत कर दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि यह ऐतिहासिक ट्रायल पैनेसिया बायोटेक द्वारा विकसित भारत की स्वदेशी टेट्रावेलेंट डेंगू वैक्सीन डेंगी आल की प्रभावकारिता का मूल्यांकन करेगा। इस ट्रायल से पता चलेगा कि इस वैक्सीन का कितना असर होता है, उसके बाद ही इस टीके को मार्केट में लाए जाने पर फैसला होगा। इस ट्रायल में भाग लेने वाले पहले व्यक्ति को आज पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज रोहतक में टीका लगाया गया। ‘सीरोटाइप 1, 2, 3, 4’ यानी चारों स्वरूपों के लिए प्रभावी बनाने के मकसद के साथ टीका तैयार किया जा रहा है।   *फेज 3 का क्लिनिकल ट्रायल शुरू* केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा कि भारत की पहली स्वदेशी डेंगू वैक्सीन के लिए फेज 3 का क्लिनिकल ट्रायल डेंगू के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। यह हमारे नागरिकों को इस व्यापक बीमारी से बचाने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और वैक्सीन रिसर्च और विकास में भारत की क्षमताओं को भी दिखाता है। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर और पैनेसिया बायोटेक के बीच इस सहयोग के माध्यम से हम न केवल अपने लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम उठा रहे हैं बल्कि हेल्थकेयर सेक्टर में आत्मनिर्भर भारत के अपने दृष्टिकोण को भी मजबूत कर रहे हैं। वर्तमान में भारत में डेंगू के खिलाफ कोई एंटीवायरल उपचार या लाइसेंस प्राप्त वैक्सीन नहीं है। डेंगू के सभी चार सीरोटाइप के लिए एक प्रभावी वैक्सीन बनाना बड़ी चुनौती है, भारत में डेंगू वायरस के सभी चार सीरोटाइप कई क्षेत्रों में होते हैं।   *दो ट्रायल 2019 तक हो गए थे पूरे* टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन स्ट्रेन जिसे मूल रूप से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ यूएसए द्वारा विकसित किया गया था, इस वैक्सीन ने दुनिया भर में प्रीक्लिनिकल और क्लिनिकल ट्रायल में अच्छे रिजल्ट दिखाए हैं। स्ट्रेन हासिल करने वाली तीन भारतीय कंपनियों में से एक पैनेसिया बायोटेक वैक्सीन विकास के सबसे एडवांस स्टेज में है। कंपनी ने एक पूर्ण विकसित वैक्सीन फॉर्मूलेशन विकसित करने के लिए इन स्ट्रेन पर बड़े पैमाने पर काम किया है और इस काम के लिए एक प्रक्रिया पेटेंट रखती है। भारतीय वैक्सीन फॉर्मूलेशन के चरण 1 और 2 क्लिनिकल परीक्षण 2018-19 में पूरे हो गए, जिससे अच्छे रिजल्ट मिले। आईसीएमआर के सहयोग से,  पैनेसिया बायोटेक भारत के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 19 साइटों पर फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल करेगा, जिसमें 10,335 से अधिक स्वस्थ वयस्क प्रतिभागी शामिल होंगे।   भारत में डेंगू चिंता का विषय है, जो इस बीमारी के सबसे अधिक मामलों वाले शीर्ष 30 देशों में शुमार है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पिछले दो दशकों में डेंगू की वैश्विक घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हुई है। 2023 के अंत तक 129 से अधिक देशों में डेंगू वायरल बीमारी की रिपोर्ट की गई है। ‘सीरोटाइप 1, 2, 3, 4’ यानी चारों स्वरूपों के लिए प्रभावी बनाने के मकसद के साथ टीका तैयार किया जा रहा है और अगर तीसरे चरण के ट्रायल भी कामयाब रहते हैं तो अगले साल डेंगू का टीका आ सकता है। भारत समेत अलग- अलग देशों में डेंगू के मामले लगातार सामने आते हैं। डेंगू जानलेवा भी साबित होता है और ऐसे में डेंगू का टीका लोगों के लिए बड़ी राहत साबित होगा। आईसीएमआर के एक सीनियर वैज्ञानिक का कहना है कि अभी इस बात के पुख्ता वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है कि डेंगू का कौन सा स्वरूप ज्यादा खतरनाक साबित होता है। सीरोटाइप 2 और 4 को खतरनाक माना जाता है लेकिन डेंगू का टीका तैयार करते वक्त यह ध्यान में रखा जा रहा है कि ऐसा टीका बनाया जाए तो डेंगू बीमारी की गंभीरता को कम करें और किसी भी स्वरूप के खिलाफ कारगर साबित हो।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Aug 14, 2024

1906 से 1947 तक तिरंगे में हुए कई बदलाव, आखिर कब मिला देश के राष्ट्रीय ध्वज को अंतिम स्वरूप

नई दिल्ली, 14 अगस्त 2024 (यूटीएन)। इस साल देश 15 अगस्त 2024 को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इसके साथ ही गुरुवार को औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन से आजादी के 77 साल पूरे हो जाएंगे। इस साल के स्वतंत्रता दिवस समारोह की थीम 'राष्ट्र प्रथम, हमेशा प्रथम है', जो आजादी का अमृत महोत्सव समारोह का एक हिस्सा है।    15 अगस्त 1947 से ही भारत का हर प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराता आया है। लाल किले से पहली बार तिरंगा देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने फहराया था और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से 15 अगस्त 2024 लगातार 11वीं बार तिरंगा फहराएंगे।   *तिरंगे का हरेक रंग अर्थपूर्ण* हमारे तिरंगे में खास बात यह है की इसका हरेक रंग अर्थपूर्ण है और इसके साथ ही अपने आप में आजादी के लड़ाई का इतिहास समेटे हुए है। हर देश के लिए उसका राष्ट्रीय ध्वज सर्वोपरि होता है और हमारा तिरंगा भी लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के लिए आत्मसम्मान का प्रतीक रहा है। यहां तक की हमारे तिरंगे के डिजाइन की कहानी ऐसे ही एक आजादी के मतवाले के आत्मसम्मान से जुड़ी हुई है।   *भारतीय स्वतंत्रता यात्रा का प्रतीक है तिरंगा* हमारा राष्ट्रीय झंडा यानी तिरंगा भारतीय स्वतंत्रता यात्रा का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। तिरंगे में खास बात यह है की इसका हरेक रंग अर्थपूर्ण है और इसके साथ ही यह अपने आप में आजादी के लड़ाई का इतिहास समेटे हुए है। हर देश के लिए उसका राष्ट्रीय ध्वज सर्वोपरि होता है और हमारा तिरंगा भी लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के लिए आत्मसम्मान का प्रतीक रहा है। तिरंगा तीन रंगों- केसरिया, सफेद और हरे रंग से बना है और इसके केंद्र में नीले रंग से बना अशोक चक्र है। यहां हम आपको बताएंगे कि तिरंगे का वर्तमान स्वरूप कैसे विकसित हुआ। साथ ही हम इसके इतिहास के बारे में भी जानेंगे।   *साल 1906 में की गई थी राष्ट्रीय ध्वज की कल्पना* भारत के राष्ट्रीय ध्वज की कल्पना साल 1906 में की गई थी। भारत का पहला गैर आधिकारिक ध्वज 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पास बागान चौक में कांग्रेस के अधिवेशन में फहराया गया था। यह ध्वज स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा तैयार किया गया था। इस ध्वज में हरे, पीले व लाल रंग की तीन आड़ी पट्टियां थीं।   *1917 में एनी बेसेंट और तिलक ने नया फहराया झंडा* साल 1917 में होम रूल मूवमेंट के दौरान एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने एक और झंडा फहराया। इस झंडे में चार बारी-बारी से लाल और हरे रंग की पट्टियां थीं और सप्तऋषि के आकार में सात सितारे थे। ऊपरी दाएं कोने में एक सफेद अर्धचंद्र और सितारा था, जबकि बाएं कोने में यूनियन जैक था।   *पिंगली वैंकेया ने महात्मा गांधी को नया डिजाइन दिखाया* असहयोग आंदोलन के दौरान एक बार फिर राष्ट्रीय ध्वज पर विचार की जरूरत महसूस की गई। साल 1921 के कांग्रेस के विजयवाड़ा अधिवेशन में आंध्र प्रदेश के पिंगली वैंकेया ने महात्मा गांधी के सामने एक नए ध्वज का डिजाइन पेश किया। इस झंडे में लाल सफेद और हरे रंग की दो पट्टियां थीं, जोकि हिन्दू-मुस्लिम एकता की प्रतीक मानी गईं। झंडे के बीच में एक चरखा रखा गया था, जो स्वराज और आत्मनिर्भरता के विचार का प्रतीक था।   *1947 में संविधान सभा ने वर्तमान झंडा अपनाया* साल 1931 में पिंगली वेकैंया के झंडे में बदलाव किया और लाल रंग की जगह झंडे में केसरिया रंग ने ले ली। इसके साथ ही झंडे में कई बार बदलाव होने के बाद जुलाई 1947 में संविधान सभा ने औपचारिक रूप से स्वतंत्र भारत का नया झंडा अपना लिया। पिंगली वेकैया के 1931 के झंडे में बदलाव किया गया, जिसमें चरखे की जगह चक्र को शामिल किया गया। इसी झंडे का नाम तिरंगा रखा गया।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Aug 14, 2024

भारत नामीबिया में उद्यमिता विकास केंद्र स्थापित करेगा

नई दिल्ली, 14 अगस्त 2024 (यूटीएन)। भारत नामीबिया में अपना अगला उद्यमिता विकास केंद्र स्थापित करने के लिए तैयार है, जो अफ्रीकी देशों के साथ अपने शैक्षिक सहयोग में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह घोषणा पुनीत आर. कुंडल, अतिरिक्त सचिव (पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका प्रभाग) द्वारा अफ्रीकी मिशन प्रमुखों के साथ “आईआईटी-मद्रास सहयोग के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुंच का विस्तार” विषय पर आयोजित फिक्की संवाद में की गई। यह पहल 2022 में रवांडा में भारत द्वारा उद्यमिता विकास केंद्र के सफल कार्यान्वयन पर आधारित है, जिसका उद्देश्य उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देना और नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी प्रदाता बनाना है।    "हम अब नामीबिया में अगला उद्यमिता विकास केंद्र बनाने के लगभग अंतिम चरण में हैं। "हमें जल्द ही समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने चाहिए।" यह विकास अफ्रीका में अपने शैक्षिक पदचिह्न का विस्तार करने के लिए भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जो अफ्रीकी संघ द्वारा 2024 को शिक्षा वर्ष के रूप में नामित करने के साथ संरेखित है। भारत विभिन्न पहलों के माध्यम से पूरे महाद्वीप में शिक्षा का सक्रिय रूप से समर्थन कर रहा है, जिसमें भारतीय विश्वविद्यालयों में 25,000 से अधिक अफ्रीकी छात्रों की मेजबानी करना और ई-विद्या भारती मंच के माध्यम से लगभग 27,000 छात्रों को दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करना शामिल है। अफ्रीका में भारत की शैक्षिक पहुंच पारंपरिक शैक्षणिक कार्यक्रमों से परे है।   देश ने विशेष संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जैसे कि युगांडा में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय परिसर, अफ्रीका में खुद को स्थापित करने वाला पहला भारतीय सार्वजनिक विश्वविद्यालय। इसके अतिरिक्त, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास ने तंजानिया के ज़ांज़ीबार में एक परिसर खोला है। अतिरिक्त सचिव ने केन्या के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान इग्नू और केन्या के मुक्त विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता ज्ञापन का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया, "हम केन्या भर में अध्ययन केंद्र स्थापित करके उस समझौता ज्ञापन को साकार करने की प्रक्रिया में हैं, और हम अन्य इसमें शामिल देश।" उन्होंने सहयोग बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला, जिसमें त्रिपक्षीय सहयोग समझौते के हिस्से के रूप में केन्या भर में अध्ययन केंद्रों को वित्तपोषित करने के लिए यूएसएआईडी और यूएसडीएफसी के साथ चर्चा शामिल है।   ये पहल एक महत्वपूर्ण समय पर आई है, क्योंकि वैश्विक मंच पर अफ्रीका का जनसांख्यिकीय महत्व नाटकीय रूप से बढ़ने वाला है। श्री कुंडल ने कहा, "1950 में, दुनिया की 10% आबादी अफ्रीका में रहती थी। 2050 में, यह संख्या बढ़कर 25% हो जाएगी," उन्होंने महाद्वीप पर मजबूत शैक्षिक बुनियादी ढांचे की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया। भारत-अफ्रीका संबंधों को मजबूत करने में शिक्षा के महत्व पर भारत में मोजाम्बिक गणराज्य के उच्चायुक्त और भारत में अफ्रीकी समूह प्रमुखों के डीन महामहिम एर्मिंडो ऑगस्टो फेरेरा ने और जोर दिया। अपने संबोधन में, फेरेरा ने शिक्षा को एक परिवर्तनकारी शक्ति और भारत और अफ्रीका के बीच एक मजबूत पुल के रूप में उजागर किया। फेरेरा ने कहा, "शिक्षा में निवेश करके और अपने शैक्षिक संबंधों को मजबूत करके, हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं, जहाँ अफ्रीका और भारत एक साथ साझेदार के रूप में खड़े हों और साझा लक्ष्यों और साझा समृद्धि की दिशा में काम करें।"    उन्होंने क्षमता निर्माण, छात्र गतिशीलता, सहयोगी अनुसंधान और डिजिटल शिक्षा में सहयोग की संभावना को रेखांकित किया, इन्हें साझा चुनौतियों का समाधान करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण माना। तंजानिया के जंजीबार में आईआईटी मद्रास की स्थापना को भारत में संयुक्त गणराज्य तंजानिया की उच्चायुक्त महामहिम अनीसा कपुफी मबेगा ने भारत-अफ्रीका शैक्षिक सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। मबेगा ने कहा, "तंजानिया सरकार एक बार फिर भारत सरकार और आईआईटी मद्रास के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त करना चाहती है, जिन्होंने तंजानिया को मेजबान के रूप में चुना है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संस्थान तंजानिया, अफ्रीका और अन्य जगहों के छात्रों को डेटा विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में किफायती, विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करेगा। तंजानिया सरकार ने स्थायी परिसर के निर्माण के लिए लगभग 14.8 मिलियन अमरीकी डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है, जो इस सहयोगी उद्यम के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अपने स्वागत भाषण में, फिक्की अफ्रीका परिषद के अध्यक्ष आर. गणपति ने भारत-अफ्रीका सहयोग में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।    उन्होंने भारत के शैक्षिक परिदृश्य और अर्थव्यवस्था को बदलने में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) की सफलता पर प्रकाश डाला। गणपति ने तंजानिया के ज़ांज़ीबार में आईआईटी मद्रास के अपतटीय परिसर की हाल ही में स्थापना को अफ्रीका में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के विस्तार में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की पहल अफ्रीका के एजेंडा 2063 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी में तृतीयक शिक्षा को बढ़ाना है। गणपति ने अफ्रीका में आईआईटी की उद्यमिता को बढ़ावा देने, कुशल कार्यबल तैयार करने और महाद्वीप के आर्थिक विकास में योगदान देने की क्षमता को रेखांकित किया, तथा अफ्रीकी देशों में आईआईटी की उपस्थिति का और विस्तार करने का आग्रह किया। प्रो. रघुनाथन रेंगस्वामी, डीन (ग्लोबल एंगेजमेंट), आईआईटी मद्रास, भारत; प्रो. प्रीति अघालयम, डीन और प्रभारी निदेशक, आईआईटी मद्रास, ज़ांज़ीबार परिसर; और  मनब मजूमदार, वरिष्ठ सलाहकार, फिक्की ने भी इस अवसर पर बात की।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Aug 14, 2024

प्रमुखता से एचएमटी फैक्ट्री को दोबारा चलाये जाने की मांग की गई

कालका, 13 अगस्त 2024 (यूटीएन)। कालका पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में पहुंचने पर कांग्रेस अंबाला लोकसभा सांसद वरुण मुलाना को फुल बुके देते हुए हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस महासचिव पवन कुमारी शर्मा ने उनका भव्य स्वागत किया । वहीं इस मौके पर उन्होंने स्थानीय समस्याओं के बारे में सांसद को अवगत करवाया और प्रमुखता से एचएमटी फैक्ट्री को दोबारा चलाये जाने की मांग की गई। शर्मा ने बताया कि पार्षदों द्वारा कालका में पीने के पानी की समस्या स्ट्रीट लाइट और गार्बेज की समस्या के साथ साथ टूटी हुई मेन रोड बारे में बताया गया। शर्मा ने बताया कि वरुण मुलाना ने आश्वासन दिया है कि वह सभी समस्याओं को जल्द से जल्द हल करवाएंगे। पवन कुमारी शर्मा ने कहा कि वरुण मुलाना हमारे पहले ऐसे सांसद हैं जो लोगों के बीच जा जाकर उनकी समस्याओं को जान रहे हैं आज से पहले कभी भी कोई भी संसद इस तरह से लोगों की समस्याएं जानने के लिए यहां पर नहीं पहुंचा।  उन्होंने कहा कि सांसद वरुण मुलाना द्वारा लोगों की आवाज को उठाने का काम किया जा रहा है । वही पवन कुमारी शर्मा ने कहा कि एचएमटी फैक्ट्री को दोबारा से चालू करने के मुद्दे को भी सांसद में उनके द्वारा उठाया गया और यदि एचएमटी फैक्ट्री को दोबारा चालू किया जाएगा तो पिंजौर कालका क्षेत्र की सबसे बड़ी बेरोजगारी की समस्या को खत्म किया जा सकता है। पवन कुमारी शर्मा ने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी अपनी जीत का परचम लहराएगी क्योंकि मौजूदा सरकार के शासनकाल में हर वर्ग अब परेशान हो चुका है लोगों ने बदलाव का मन बना लिया है जिसके नतीजे विधानसभा चुनावों में देखने को मिल जाएंगे। इस मौके पर सुरजीत कौर, पूर्व सरपंच गुरचरण, हर्ष कुमार, पार्षद अश्विनी, पार्षद दर्शन, पार्षद उजाला बक्शी, हरदेव चांदला, राजेश बेनीवाल, सोनू, संजय, रघुवीर सोढ़ी सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।  हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

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Aug 13, 2024

एनआईआरएफ रैंकिंग में प्रबंधन संस्थान में आईआईएम बंगलूरू, मेडिकल श्रेणी में एम्स नई दिल्ली रहा आगे

नई दिल्ली, 13 अगस्त 2024 (यूटीएन)। राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क 2024 के तहत कॉलेज श्रेणी की रैंकिंग 2017 में शुरू की गई थी। सोमवार को शिक्षा मंत्रालय से केंद्रीय शिक्षा मंत्री द्वारा इसकी घोषणा कर आधिकारिक वेबसाइट पर रैंकिंग जारी की गई। इसमें प्रबंधन श्रेणी में शीर्ष स्थान पर अहमदाबाद रहा। उधर मेडिकल श्रेणी में एम्स नई दिल्ली आगे रहा।   एनआईआरएफ रैंकिंग में प्रबंधन संस्थानों में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद ने शीर्ष स्थान बरकरार रखा है। राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ), 2024 में प्रबंधन श्रेणी में अहमदाबाद के बाद आईआईएम बंगलूरू और आईआईएम कोझिकोड का स्थान है। दो आईआईटी बॉम्बे और दिल्ली भी प्रबंधन पाठ्यक्रमों के लिए शीर्ष दस सूची में शामिल हैं। '   वहीं मेडिकल कॉलेजों की श्रेणी में एम्स नई दिल्ली शीर्ष पर है। वहीं पीजीआईएमई चंडीगढ़ तथा सीएमसी वेल्लोर दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे हैं। रैंकिंग में फार्मेसी में जामिया हमदर्द पिछले साल के दूसरे स्थान से ऊपर उठकर शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है, जबकि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, हैदराबाद दूसरे स्थान पर खिसक गया है।    बिट्स पिलानी ने इस श्रेणी में अपना तीसरा स्थान बरकरार रखा है। विधि संस्थानों में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बंगलूरू शीर्ष पर, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली दूसरे स्थान पर और नलसार यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ हैदराबाद तीसरे स्थान पर रहे हैं। अनुसंधान के क्षेत्र में आईआईएससी बंगलूरू को शीर्ष पर रखा गया है, वहीं आईआईटी मद्रास और आईआईटी दिल्ली क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे हैं।   *16 श्रेणियों में बांटा गया*   इस साल इन 16 श्रेणियों में रैंकिंग जारी की गई है-समग्र, यूनिवर्सिटी, मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, लॉ, आर्किटेक्चर, कॉलेज, रिसर्च इंस्टीट्यूट, फार्मेसी, डेंटल, एग्रीकल्चर एवं संबंधित क्षेत्र और इनोवेशन। इस साल तीन नई श्रेणियां ओपन यूनिवर्सिटी, स्किल यूनिवर्सिटी और राज्य से वित्तपोषित सरकारी विश्वविद्यालय शामिल हैं। *डेंटल में चेन्नई का सविता इंस्टीट्यूट भी* डेंटल कॉलेजों में सविता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज, चेन्नई और मणिपाल कॉलेज ऑफ डेंटल साइंसेज ने शीर्ष दो स्थान बरकरार रखे हैं, जबकि मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज, नई दिल्ली ने तीसरा स्थान हासिल किया है।   *जामिया ने लगातार तीसरे वर्ष विश्वविद्यालय की श्रेणी में तृतीय स्थान पाया* एनआईआरएफ 2024 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने तृतीय स्थान हासिल किया है। यह लगातार तीसरी बार है जब विश्वविद्यालय ने एनआईआरएफ रैंकिंग में देश के शीर्ष तीन विश्वविद्यालयों में स्थान प्राप्त किया है। जामिया के कार्यवाहक कुलसचिव एम नसीम हैदर ने मंत्रालय द्वारा आयोजित समारोह में विश्वविद्यालय की ओर से इस पुरस्कार को प्राप्त किया। जामिया के कार्यवाहक कुलपति प्रो. मोहम्मद शकील ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि एनआईआरएफ रैंकिंग में लगातार तीसरे वर्ष तीसरा स्थान बरकरार रखने पर खुशी है।   इसका श्रेय शिक्षकों की कड़ी मेहनत व छात्रों के अनुशासन को जाता है। विश्वविद्यालय के मानक को बनाए रखने में गैर-शैक्षिक कर्मचारी भी सम्मान के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि शीर्ष स्थान पर पहुंचना आसान है, लेकिन उसे कायम रखना कठिन है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों और शोधार्थियों ने गुणवत्तापूर्ण शोध द्वारा इस उपलब्धि को हासिल करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बता दें कि वर्ष 2016 में एनआईआरएफ रैंकिंग में 83वें स्थान पर रहने वाला विश्वविद्यालय वर्ष 2022 में तीसरे स्थान पर पहुंच गया और विगत दो वर्षों से यह अपना तीसरा स्थान कायम रखे हुए है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Aug 13, 2024