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छोटा कार्यकाल बड़ी चुनौतियां, दिल्ली में आसान नहीं है 'आतिशी' की डगर

नई दिल्ली, 23 सितंबर 2024 (यूटीएन)। दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री आतिशी पूरे पांच साल के लिए नहीं, बल्कि महज पांच महीने के कार्यकाल के लिए पद संभालने के बाद चुनौतियों के अंबार से जूझने में लग गई हैं. मुख्यमंत्री कार्यलाय के सामने चुनौतियों के अग्निपथ को देखते हुए राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आतिशी के सिर पर कांटों भरा ताज रखा गया है. अरविंद केजरीवाल के बाद मुख्यमंत्री बनीं आतिशी का कार्यकाल भले ही छोटा रहे, लेकिन उनकी चुनौतियां बड़ी होंगी। उन्हें न सिर्फ विपक्षी पार्टियों की ओर से कई तरह के तंज झेलने होंगे, बल्कि उन्हें इस छोटे से कार्यकाल में ऐसे फैसले भी लेने होंगे, जिससे आगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की राह आसान बने।   यही नहीं, अगले विधानसभा चुनाव के नतीजे अगर उम्मीद के मुताबिक नहीं आए तो उसकी जिम्मेदारी भी उन पर ही होगी। हालांकि आम आदमी पार्टी ये लगातार दावा करती रही है कि जमानत देने के साथ ही कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल पर कामकाज के लिए कोई रोक नहीं लगाई, इसके बावजूद केजरीवाल ने एक रणनीति के तहत आतिशी को मुख्यमंत्री पद सौंप दिया। इसकी वजह ये थी कि केजरीवाल जानते थे कि चुनाव से ऐन पहले उनकी अगुवाई वाली कैबिनेट के फैसलों की वैधता को लेकर चुनौती दी जा सकती है, जिससे ऐसे फैसले लेना मुश्किल हो जाएगा, जो वे चुनाव से पहले लेना चाहते हैं। इसी वजह से आतिशी की अगुवाई में नई सरकार के गठन की तैयारी की गई।   *नाकाफी वक्त और केजरीवाल के साए में खुद को साबित करना* 10 साल बाद दिल्ली को मिली महिला मुख्यमंत्री आतिशी के पास काम करने और खुद को साबित करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होगा. ये उनके लिए सबसे अहम चैलेंज है. शायद यही वजह है कि आतिशी ने दिल्ली का मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद अपने पहले बयान में ही साफ कर दिया कि अरविंद केजरीवाल ने ही उन्हें विधायक बनाया, मंत्री बनाया और मुख्यमंत्री बनने की जिम्मेदारी दी. इसलिए दिल्ली का एक ही मुख्यमंत्री है और उसका नाम अरविंद केजरीवाल है.   *सरकार और पार्टी स्तर पर दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी* आतिशी के मंत्रिमंडल के साथी और आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता गोपाल राय ने साफ किया था कि उनकी पार्टी दिल्ली में समय से पहले अक्तूबर-नवंबर में चुनाव करवाना चाहती है. हरियाणा चुनाव में प्रचार से पहले जमानत पर बाहर निकले अरविंद केजरीवाल ने भी जंतर मंतर पर जनता दरबार में इसके स्पष्ट संकेत दिए. अगर ऐसा नहीं भी हुआ तो भी आतिशी के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती सीमित समय में विधानसभा चुनाव की तैयारी करने की है.    *आम आदमी पार्टी की इमेज को जल्दी दुरुस्त करने की चुनौती* आतिशी के सामने तीसरी सबसे बड़ी चुनौती के रूप में आम आदमी पार्टी की इमेज को दुरुस्त करने की है. क्योंकि दिल्ली शराब घोटाले में ईडी और सीबीआई की जांच के दौरान भ्रष्टाचार का मामला पार्टी की पूरी टॉप लीडरशिप पर भारी पड़ रही है. अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह समेत आम आदमी पार्टी के कई नेता जमानत पर जेल से बाहर निकले हैं. सतेंद्र जैन समेत कुछ नेता दूसरे मामले में जेल जा चुके हैं. पार्टी अंदर-बाहर दोनों ओर से सियासी संकट में है.   *भ्रष्टाचार के बाद महिला सुरक्षा पर भी करना होगा डैमेज कंट्रोल* शराब घोटाले में भले ही आतिशी का जिक्र नहीं है, लेकिन इसकी जांच उनकी सरकार और बतौर मुख्यमंत्री उनके निर्णय क्षमता पर जरूर असर डाल सकती है. इसके बाद आतिशी के सामने चौथी चुनौती महिला वोटर बैंक को साधना भी है. क्योंकि आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ सीएम आवास में मारपीट के केस के बाद पार्टी की महिला विरोधी छवि तो आतिशी को मुख्यमंत्री बनाए जाने से थोड़ा-बहुत कवर हो सकता है, लेकिन चुनाव से पहले डैमेज कंट्रोल की और भी कोशिशों की जरूरत होगी.    *दिल्ली की सबसे युवा मुख्यमंत्री आतिशी के सामने पेंडिग फाइल्स* राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल के लंबे समय तक जेल में रहने के कारण दिल्ली सरकार में काफी पेंडिंग कामकाज को निपटाना आतिशी की पांचवी बड़ी चुनौती होगी. पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 156 दिन जेल में और 21 दिन अंतरिम जमानत पर रहने यानी 178 दिन बाद रिहा हुए. इस अवधि के पेडिंग फाइल्स को निपटाकर आतिशी को दिखाना होगा कि दिल्ली की सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर वह तेज स्पीड से काम को अंजाम दे सकती है.   *मुख्यमंत्री नई एलजी वही कैसे होगा कामकाज* यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सीएम केजरीवाल और एलजी के बीच लगातार टकराव की खबरें सामने आती रही हैं. यह बात भी सही है कि आतिशी बहुत ही नजदीक से दिल्ली के प्राशसनिक मामलों को देखती आई हैं लेकिन अब उनके सामने नई चुनौती है. वैसे भी केजरीवाल और उपराज्यपाल के बीच लगातार तकरार की प्रमुख वजहें राज्य के अधिकारों और संवैधानिक जिम्मेदारियों के विभाजन से जुड़ी हुई थीं. क्या आगे भी वही होने वाला है, इस पर सभी की निगाहें होंगी।   *उप राज्यपाल और प्रशासन के साथ भरोसे की बहाली का टास्क* आतिशी को दिल्ली के उप राज्यपाल और प्रशासन में भरोसा बहाल करने का भी बड़ा टास्क पूरा करना होगा. चुनाव से पहले आतिशी को कुछ नई और बड़ी योजनाओं की घोषणा भी करनी होगी. अगर इन योजनाओं को एलजी ने रोका तो काम में देरी के अलावा लोगों के बीच ठीक संदेश भी नहीं जा पाएगा. ऐसे में आतिशी को केजरीवाल के सियासी स्टायल से अलग तरीके से उप राज्यपाल के साथ संबंध बेहतर करने होंगे. साथ ही दिल्ली प्रशासन में भी अपनी पैठ बनानी होगी.   *क्या दिल्ली की तकदीर बदल जाएगी?* यह बात सही है कि आतिशी की सरकार कुछ ही महीनों की मेहमान है क्योंकि चुनाव बाद फिर सरकार बदल जाएगी. इसका ऐलान खुद आतिशी ने ही किया है. इधर आतिशी के सामने जो पहली बड़ी चुनौती तो वही होगी, जो चुनौती केजरीवाल के सामने बनी रही. पिछले लंबे समय से दिल्ली के सीएम और उपराज्यपाल के बीच अक्सर टकराव की स्थिति बनी रही. तो आतिशी के सीएम बनने से क्या दिल्ली की तकदीर बदल जाएगी, ये बड़ा सवाल होगा.   *अब आतिशी पर पूरी निगाहें* अगर केजरीवाल सरकार पर नजर दौड़ाएं तो इसा कई बार हुआ कि केजरीवाल सरकार को कई फैसलों के लिए उपराज्यपाल की मंजूरी की जरूरत रही, जैसे कि कुछ कानून लागू करना, फंड्स का आवंटन, या नियुक्तियों के मुद्दे. इस प्रक्रिया में देरी या असहमति की वजह से बार-बार प्रशासनिक बाधाएं उत्पन्न होती रहीं, जिससे केजरीवाल और वीके सक्सेना के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी सामने आए. इन्हीं कारणों की वजह से केजरीवाल और उपराज्यपाल के बीच अक्सर टकराव की स्थिति बनी रही. अब आतिशी पर निगाहें रहेंगी कि क्या वे ऐसी स्थिति बदल पाएंगी.    *दिल्ली में रोजमर्रा के कामकाज में लोगों की मदद करने की चुनौती* दिल्ली में सार्वजनिक सेवाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर की खराब हालत किसी से छिपी नहीं है. ओल्ड राजेंद्र नगर में जलजमाव से सिविल सेवा की तैयारी करने वाले दो स्टूडेंट की मौत हुई. राजधानी में कई इलाके की खराब सड़कें, बिजली बिल माफी में शर्त, गंदे पानी की सप्लाई, स्वच्छता, मोहल्ला क्लिनिक की दुर्दशा जैसे मुद्दों पर आतिशी को आतिशी पारी खेलनी होगी. क्योंकि आम आदमी पार्टी के पास ही दिल्ली एमसीडी भी है. वहीं, आतिशी के पास वित्त,शिक्षा और लोक निर्माण समेत 14 अहम विभाग हैं.    *अफसरशाही के साथ तालमेल रहेगी चुनौती* दिल्ली में विधानसभा चुनाव में बेहद कम वक्त बचा है। ऐसे में आतिशी पर ये जिम्मेदारी होगी कि वे वही सब काम करें, जो अरविंद केजरीवाल बतौर मुख्यमंत्री करना चाहते थे। हालांकि कानूनी बाधाओं की वजह से वे नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में आतिशी के लिए ये जरूरी होगा कि वे न सिर्फ वो फैसले लें बल्कि अफसरशाही के साथ इस तरह से तालमेल बिठाएं कि उन फैसलों को चुनाव से पहले जमीन पर उतारा भी जाए ताकि चुनाव में पार्टी को फायदा मिल सके।   *उम्मीदों के मुताबिक काम करने की जिम्मेदारी* अब आतिशी के लिए केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की उम्मीदों के अनुरूप सरकार चलाने की जिम्मेदारी होगी। उन्हें न सिर्फ तेजी से फैसले लेने होंगे, बल्कि ये फैसले इस तरह से करने होंगे ताकि उन पर अमल करने में रोड़े न अटकाए जा सकें। खुद आम आदमी पार्टी आरोप लगाती रही है कि 'राजनिवास' बीजेपी के इशारे पर उन्हें काम नहीं करने दे रहा और अफसर भी उनकी राह में बाधा खड़ी करते हैं। इसके अलावा आने वाले दिनों में जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, आतिशी को विपक्षी पार्टियों के हमलों का भी सामना करना पड़ेगा।   *अरविंद केजरीवाल की ओर से किए वादों को पूरा करने का भी चैलेंज* आतिशी को अपने पूर्ववर्ती अरविंद केजरीवाल की ओर से दिल्ली की जनता से किए वादों को पूरा करने का भी एक टफ टास्क है. इनमें 2025 तक यमुना साफ करने, मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को 1,000 रुपये मानदेय देने, सार्वजनिक सेवाओं को घर-घर पहुंचाने,   दिल्ली इलेक्ट्रिक वीकल नीति 2.0 और सौर नीति लागू करने जैसे बड़े वादे शामिल हैं. इसके अलावा आतिशी को नई मुख्यमंत्री सड़क, जलापूर्ति, सीवरेज, प्रदूषण, सब्सिडी के वितरण और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के वेतन संशोधन से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के पेंडिंग काम को पूरा करने की चुनौती का भी सामना करना होगा.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 23, 2024

केजरीवाल ने लैंडफिल साइट सफाई पर दिल्ली वालों को दिया धोखा: वीरेंद्र सचदेवा

नई दिल्ली, 23 सितंबर 2024 (यूटीएन)। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने एक पत्रकार सम्मेलन में कहा कि दिल्ली की तीनों बड़ी लैंडफिल साइट की सफाई की तारिख 2028 तक बढ़ा कर आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में नगर निगम में सत्ता में बने रहने का अधिकार खो दिया है. इस दौरान राजा इकबाल सिंह और प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि गत दो साल में दिल्ली नगर निगम जनसेवा करने की जगह "आप" नेताओं एवं पार्षदों के भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि 2016 से नवम्बर 2023 तक "आप" नेताओं खासकर खुद अरविंद केजरीवाल एवं दुर्गेश पाठक ने दिल्ली के लोगों से ना जाने कितनी बार नगर निगम में सत्ता में आते ही दिल्ली को कूड़ा मुक्त करने और लैंडफिल साइट साफ करने का वादा किया. दिल्ली नगर निगम चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 27 अक्टूबर 2022 को गाज़ीपुर लैंडफिल साइट गये और दिल्ली वालों से नगर निगम सत्ता में आते ही प्रमुखता से तीनों लैंडफिल साइट साफ करने का वादा किया. *बीजेपी ने दुर्गेश पाठक और शैली ओबेरॉय का मांगा इस्तीफा* दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि सत्ता के एक साल में लैंडफिल साइट सफाई करवाने का दावा करने वाले दुर्गेश पाठक एवं शैली ओबेरॉय के शासन में दिल्ली कूड़े की राजधानी बनी, दोनों इस्तीफा दें. उन्होंने कहा कि 2016 से 2022 के बीच के अगर हम अखबार निकाल कर देखें तो हमें याद आएगा की लगभग हर माह दुर्गेश पाठक एक पत्रकार सम्मेलन तीनों लैंडफिल साइट सफाई को लेकर करते थे. लेकिन पर आज जब सत्ताधारी आप ने नगर निगम लैंडफिल साइट सफाई की तारिख चुपचाप 2028 कर दी है. महापौर से ज्यादा आप के नगर निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक जवाबदेह हैं.   उन्होंने कहा कि आज दिल्ली के अंदर प्रदूषण की जो स्थिति है उसका प्रमुख कारण है कूड़े का पहाड़. वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, के साथ दिल्ली पूरी तरह से जहरीली बनती जा रही है और आम आमदी पार्टी साजिश के तहत दिल्ली में स्टैंडिंग कमेटी नहीं बनने दे रही है, जिससे विकास कार्य आगे सुचारू रूप से चल सके. भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि दिल्लीवासियों ने नवंबर 2022 के चुनाव में "आप" को सत्ता सौंपी, सोचकर कि इससे दिल्ली स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनेगी, लेकिन अब 22 महीने बाद जनता को दिल्ली की बर्बादी देखकर पछतावा हो रहा है। उन्होंने बताया कि भाजपा ने 2017 से 2022 के बीच योजनाबद्ध तरीके से लैंडफिल साइटों की सफाई की थी, लेकिन "आप" ने इसे रोक दिया।   दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि "आप" की सरकार के एक साल में लैंडफिल साइट सफाई का वादा पूरा नहीं हुआ और दिल्ली कूड़े की राजधानी बन गई। उन्होंने दुर्गेश पाठक और शेली ओबेरॉय से इस्तीफा देने की मांग की।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 23, 2024

भाजपा ने किया सदस्यता अभियान गीत लांच और पार्टी चलाएगी 25 सितम्बर को महा सदस्यता अभियान

नई दिल्ली, 23 सितंबर 2024 (यूटीएन)। भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता अभियान के संदर्भ में आज प्रदेश के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की विशाल "सदस्यता अभियान समीक्षा बैठक" नई दिल्ली स्थित तालकटोरा स्टेडियम में सम्पन्न हुई। राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम, राष्ट्रीय मंत्री एवं दिल्ली भाजपा की सह प्रभारी डा. अल्का गुर्जर, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, दिल्ली के संगठन महामंत्री पवन राणा, केन्द्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा, प्रदेश महामंत्री योगेन्द्र चांदोलिया, कमलजीत सहरावत एवं  विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सांसद मनोज तिवारी के साथ साथ अनेक पदाधिकारी एवं सैंकड़ों कार्यकर्ता इस अवसर पर मौजूद थे। मुख्य वक्ता विनोद तावड़े ने कहा कि इस बार सदस्यता अभियान का उपयोग इस तरह का होना चाहिए कि आम आदमी पार्टी को अपनी बोरिया बिस्तर लेकर मजबूरन यहां से भागना पड़े। आने वाले दिनों का प्रथम लक्ष्य सदस्यता बढ़ाना होना चाहिए।   उन्होंने कहा कि पदाधिकारी और दायित्व वाले कार्यकर्ता में एक बहुत छोटा अंतर है। दायित्व वान कार्यकर्ता प्रतिदिन सोचता है और विचार करता है कि हमने कितने लक्ष्य रखा था और उसमें कितना पूरा हो पाया। अपना लक्ष्य खुद के लिए होता है कि हमने उसमें से कितना बाकी रखा उसको जानना जरूरी है क्योंकि इसी से इंसान आगे बढ़ता है। तावड़े ने कहा कि सदस्यता मात्र सिर्फ चुनाव जीतने का लक्ष्य नहीं होता बल्कि इसमें युवा, महिलाएं और अन्य वर्ग सभी के साथ एक संपर्क बैठाने की जरूरत है क्योंकि उससे हमें हर वर्ग को जानने और उसकी नजदीक से देखने का मौका मिलता है, यहां तक कि जब हम अपने आस पास के लोगों से मिलते हैं तो उसमें कई प्रकार के लोगों से संपर्क होता है। कई धर्म वर्ग के लोगों का मिलना हमें काफी कुछ सिखाता है। इतना ही नहीं जब देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अलग अलग लोगों से मिलते हैं और उनकी बात करते हैं तो फिर हमें उनसे सीखते हुए उसी बातों का अमल करना चाहिए।    विनोद तावड़े ने कहा कि पिछले 10 सालों में भारत एक मजबूत राष्ट्र बनकर उभरा है और प्रधामंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जो विकसित भारत का एक रास्ता चुना है और उसमें हमें 50 करोड़ लोगों को जोड़ने का काम करना है। अपने अधक्षयीय सम्बोधन में वीरेन्द्र सचदेवा ने उपस्थित कार्यकर्ताओं से कहा की यह सदस्यता अभियान हमें विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी के एवं केन्द्र सरकार द्वारा दिल्ली में किये कार्यों को जनता के बीच ले जाने का मौका दे रहा है और इसका पूरा उपयोग करना चाहिए। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा की यह सदस्यता अभियान लगभग दो माह सक्रियता से चलेगा और हमें इसको आम जनता से जुड़ने का माध्यम बनाना है। हम पार्टी सदस्यता को जितना विस्तारित करेंगे उतना ही  आगामी विधानसभा में लाभ पार्टी प्रत्याशियों को मिलेगा और इसलिए जिसे भी सदस्य बनायें निजता के भाव के साथ बनायें।दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा की 25 सितम्बर को पं. दीन दयाल उपाध्याय की जयंती की दिन हम महा सदस्यता अभियान चलायेंगे। संगठन महामंत्री पवन राणा ने सदस्यता अभियान की समिति एवं जिलाध्यक्षों से सदस्यता अभियान के आंकड़ों पर चर्चा कर समीक्षा की।   डॉक्टर अलका गुर्जर ने कहा कि सभी कार्यकर्ताओं के पास पद है लेकिन उनका कद तभी बढ़ता है जब वह पार्टी की नीतियों को जन जन तक पहुंचाने का काम करता है। हम जितना लोगों से संपर्क करेंगे उतना ही अपने विचारों को किसी के सामने रख पाएंगे। डा. अल्का गुर्जर ने कहा किसी संगठन को तभी गति मिलती है जब उसके कार्यकर्ता अपनी सही दिशा में काम करते हैं। दिल्ली में भाजपा की मजबूती का प्रमाण इस बात से है की हम केजरीवाल को जेल में भेजने, जनता के सामने बेनकाब कर लोकसभा चुनाव हारने और अब इस्तीफा दिलवाने में सफल रहे। विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि आज दिल्ली में एक निक्कमी सरकार है जिसे हम हटाने के लिए पूरी दिल्ली में इसकी भ्रष्टाचारी रवैए से लोगों को लगातार परिचित करवाएंगे। 25 सितंबर को इसका विशेष सदस्यता अभियान को इस सरकार की पोल खोलने के काम को तेज़ करेंगे और उसके बाद 26 एवं 27 सितम्बर को केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के मामले को विधानसभा में भी उठाया जाएगा।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 23, 2024

युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का काम कर रही है लवकुश रामलीला: असरानी

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। दिल्ली की प्राचीन रामलीला कमेटी लवकुश रामलीला आज भी भारतीय संस्कृति को संजोए हुए है। यह विभिन्न तकनीकी का उपयोग कर युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का एक अनुकरणीय उदाहरण पेश कर रही है। इससे दूसरों को भी प्रेरणा लेकर भारतीय संस्कृति को बचाने और उससे युवाओं को जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। यह कहना था सुप्रसिद्ध हास्य अभिनेता और भारतीय सिनेमा के लीजेंड असरानी का। वे आज यहां लवकुश रामलीला द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में अपने किरदार के बारे में बता रहे थे। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध गायक शंकर साहनी, आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश महामंत्री ब्रजेश गोयल एवं सेना से सेवानिवृत्त मेजर शालू वर्मा भी मौजूद थे। यह सभी लवकुश रामलीला में किरदार निभा रहे हैं।   असरानी ने कहा कि सदियों से रामलीला हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। इसलिए भी कि रामलीलाएं सभी वर्गों, जातियों और धर्मों के लोगों को एक मंच पर साथ लाती रही हैं। उन्होंने कहा कि वे वर्षों से इस रामलीला में नारद का किरदार निभाते रहे हैं तथा इस बार राजा दशरथ के मंत्री का किरदार निभा रहे हैं। लव कुश रामलीला कमेटी के अध्यक्ष  अर्जुन कुमार ने बताया कि रामलीला मंचन इस वर्ष 3 से 13 अक्तूबर तक होगा एवं दशहरा पर्व 12 अक्तूबर को पूरे देश में घूम धाम से मनाया जायेगा। उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया कि जाने माने फिल्म स्टार, कामेडीयन, अग्रेजों के जमाने के जेलर असरानी राजा जनक के दरबार में सीता स्वयंवर के अवसर पर सभी राजाओं को अपने अनोखे हास्य स्टाइल से धनुष भंग करने लिए आमंत्रित करते नजर आयेंगे।   फेमस सिंगर शंकर साहनी केवट के रूप में रामलीला में प्रभु श्री राम को नईया पार कराते हुए प्रभु श्री राम का गुनगान भी करेंगे। आम आदमी पार्टी के नेता एवं सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल रावण के पराकमी इन्द्र विजयी पुत्र मेघनाद की भूमिका निभायेंगे। आर्मी की सेवा निवृत्त मेजर  शालू वर्मा महारानी  केकई का किरदार करेंगी। उन्होंने रामलीला में सुरक्षा व अन्य व्यवस्थाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली पुलिस के जवानों के साथ साथ निजी सुरक्षाकर्मी एवं हमारे स्वयं सेवक सुरक्षा की जिम्मेदारी सम्हालेंगे तथा लवकुश रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को अलग अलग व्यवस्था और जिम्मेदारी सौंपी गई है। असरानी ने मीडिया के सवालों का जबाव देते हुए कहा कि रामलीला में कोई भी किरदार निभाना मेरे लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि हास्य अभिनेता के रूप में मेरा कोई भी किरदार इतना प्रसिद्ध नहीं हुआ जितना कि लवकुश रामलीला में निभाया गया नारद जी का किरदार।   असरानी ने बताया कि मैं जब भी विदेश गया मुझे वहां पर मेरे प्रशंसाको ने नारद जी कह कर पुकारा क्योंकि मैंने लव कुश के मंच पर नारद मुनि का किरदार निभाया था, मुझे खुशी हुई की विदेश में भी लव कुश रामलीला का इतना प्रचार प्रसार है की वहां की युवा पीढ़ी में रामलीला के माध्यम से भारतीय संस्कृति एवं संस्कार आ रहे हैं| मैं इस वर्ष में राजा जनक के दरबार में प्रमुख मंत्री का किरदार निभा रहा हूँ जो सीताजी के स्वयंवर में आये सभी राजाओं को बाबा भोले का धनुष भंग करने के लिए आमंत्रित करूंगा। यह पूछे जाने पर कि उन्हें कोनसा किरदार ज्यादा पसंद है तो असरानी ने बेबाकी से जबाब दिया कि उन्हें नारदजी का किरदार ज्यादा पसंद है क्योंकि यह किरदार उनकी पहचान बन चुका है।   इस बार अपना किरदार बदलने पर उनका कहना है कि वे अपने जीवन में रामलीला के अधिक से अधिक किरदारों को जीना चाहते हैं। लवकुश रामलीला में केवट का किरदार निभाने वाले सुप्रसिद्ध गायक शंकर साहनी ने बताया कि मै एक गायक हूँ और मुझे खुशी है कि मैं केवट का किरदार निभा रहा हूँ जोकि प्रभु श्रीराम जी को गाते हुए गंगा पार कराएगा, इस किरदार के लिए मेरा चयन किया गया यह मेरे लिए गौरव की बात है तथा मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि।   आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता बृजेश गोयल ने बताया कि मैं लव कुश के मंच पर दशानन रावण पुत्र महा-बलशाली मेघनाद का किरदार निभाउंगा, यह किरदार चुनौती पूर्ण है इसके लिए मैं अभी से तैयारी कर रहा हूँ। उन्होंने बताया कि पहले वे लवकुश रामलीला में अंगद का किरदार निभाते रहे हैं लेकिन इस बार मेघनाथ का किरदार निभाएंगे क्यों कि उनके पिता जयपुर में 20 वर्षों से भी अधिक समय से मेघनाथ का किरदार निभाते रहे हैं.   इसलिए वे भी इस बार अपने पिता के किरदार को जीना चाहते हैं। वहीं आर्मी बेक ग्राउण्ड से आयी मेजर  शालू वर्मा ने पत्रकारों को बताया कि लीला में महाराज दशरथ की महारानी केकेई का महत्वपूर्ण किरदार निभाना यकीनन मेरे लिए बहुत अहम है। लव कुश रामलीला कमेटी महामंत्री सुभाष गोयल ने प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि लीला से पूर्व संत त्रिलोचन दास जी महाराज का प्रवचन कार्यक्रम, विख्यात भजन गायक कन्हैया मित्तल द्वारा खाटू श्याम की भजन संध्या होगी इसी के साथ महाराज श्री अनिरूद्वाचार्य जी के प्रवचन, भजन कार्यक्रम भी होगा।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

Sep 22, 2024

त्रिदेव', 'मोहरा', 'गुप्त' जैसी सुपर हिट फिल्मों के निर्माता-निर्देशक राजीव राय की बॉलीवुड में धमाकेदार वापसी

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। निर्माता-निर्देशक राजीव राय और उनके बैनर त्रिमूर्ति फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम की तूती बोलती थी! इस दौर में उन्होंने त्रिदेव, विश्वात्मा, मोहरा और गुप्त जैसी कई मसाला एंटरटेनर, सुपर हिट फिल्में बनायीं जिनका मधुर संगीत आज तक लोकप्रिय है। राजीव राय की फिल्मों का अपना एक अलग फॉर्मूला होता था-चटपटे डायलॉग्स, दो-तीन हीरो-हीरोइन्स, ज़बरदस्त गन फाइट्स, शानदार फोटोग्राफी... साउंड इफेक्ट्स, बड़े-बड़े तड़कीले-भड़कीले सेट्स, हेलिकॉप्टर शॉट्स और हिट गाने यानी आम दर्शकों के लिए मनोरंजन का भरपूर मसाला! यही वजह थी कि जब भी उनकी कोई फिल्म रिलीज़ होती थी, तो दर्शक उसे देखने के लिए टूट पड़ते थे! लेकिन फिर परिस्थितियों और कुछ व्यक्तिगत कारणों से राजीव ने एकाएक फिल्में बनाना बंद कर दिया. और विदेश में जा कर बस गये। मगर फिर देश के प्रति प्रेम, अपनी बेमिसाल क्रिएटिविटी और हिंदी फिल्मों के प्रति जुनून ने उन्हें भारत लौटने पर मजबूर कर दिया! और अब वे अपनी नयी फिल्म ज़ोरा के साथ एक बार फिर निर्माता-निर्देशक के रूप में बॉलीवुड में वापसी कर रहे हैं, लेकिन एक नये और अलग अंदाज़ में अपनी चिर-परिचित शैली के साथ, क्योंकि ज़ोरा भी एक तेज़ रफ्तार मर्डर थ्रिलर है और जिसे राजीव इस साल के अंत तक प्रदर्शित करने का इरादा रखते हैं! कहते हैं राजीव, "मैंने अपनी नयी फिल्म ज़ोरा की शूटिंग पूरी कर ली है और अब उसका पोस्ट- प्रॉडक्शन चल रहा है जो लगभग पूरा हो चुका है। लेकिन मेरी यह फिल्म अपनी पिछली फिल्मों से इस मायने में अलग है कि इस बार मेरी फिल्म में कोई भी बड़ा नाम या स्टार नहीं है। इसमें चालीस नये चेहरे हैं जिनका चुनाव मैंने उत्तर भारत से किया है। और सिर्फ एक गाना है जिसका संगीत विजू शाह ने दिया है। इस फिल्म को मैंने बहुत कम बजट में बनाया है। एक निर्माता-निर्देशक के रूप में एक तरह से मैंने अपनेआपको चुनौती दी है कि मामूली बजट होने के बावजूद मैं एक बेहद दिलचस्प फिल्म बनाऊँ जो मेरी अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म साबित हो। फिल्म का बजट भले ही कम है, लेकिन अपने कहानी कहने के अंदाज़ या उसके तकनीकी पहलुओं के साथ मैंने किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया है। मैंने अपनी यह फिल्म हमेशा की तरह आम दर्शकों के लिए बनायी है जिन्हें आज हमने 'सिंगल स्क्रीन सिनेमा के दर्शक' या 'मास ऑडिएंस' का नाम दे दिया है। मेरा मानना है कि आज भी मुख्य रूप से आम जनता ही सिनेमा देखने जाती है! लेकिन आखिर राजीव जैसे निर्माता-निर्देशक को छोटे बजट की फिल्म बनाने की क्या ज़रूरत थी जबकि हमेशा से ही उनकी फिल्में बड़े-बड़े सितारों, भव्य सेट्स और कम से कम पाँच-छह सुपर हिट गानों के लिए जानी जाती हैं? "अगर आप गौर करें तो पायेंगे कि मैंने कभी भी अपने दौर के टॉप स्टार्स (जैसे कि अमिताभ बच्चन) के साथ काम नहीं किया। जब मैंने त्रिदेव के लिए सनी देओल और जैकी श्रोफ को साइन किया था हालांकि तब वो नामी और कामयाब स्टार थे, पर तब उनकी पिछली कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास सफल नहीं रही थीं। नसीरुद्दीन शाह भी तब ज़्यादातर आर्ट फिल्मों का ही हिस्सा थे। इसके बावजूद फिल्म कामयाब रही। जब मैंने मोहरा के लिए अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी को कास्ट किया था, तब वो उभरते हुए सितारे थे। गुप्त के लिए मैंने बॉबी देओल को तभी साइन कर लिया था जब उनकी पहली फिल्म बरसात की शूटिंग चल रही थी। हालांकि ये सब कलाकार बाद में बड़े-बड़े स्टार बन गये! मैंने संगीता बिजलानी, अर्जुन रामपाल जैसे सितारों को खोजा और सोनम और दिव्या भारती जैसी उभरती हुई अभिनेत्रियों के कैरियर को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभायी। इनके अलावा और भी ऐसे कई कलाकार हैं जिन्हें मैंने अपनी फिल्मों से ब्रेक दिया और जिन्होंने बाद में फिल्म जगत में अपनी अलग जगह बनायी। नयी प्रतिभाएं हमेशा से मेरा ध्यान आकर्षित करती रही हैं और नये लोगों के साथ काम करने में मैंने कभी संकोच नहीं किया। ज़ोरा भी एक विशुद्ध कमर्शियल मास एंटरटेनर है। इसके स्क्रिप्ट में ज़्यादा गानों की गुंजाइश नहीं थी, इसलिए फिल्म की ज़रूरत के मुताबिक मैंने इसमें सिर्फ एक ही गाना शामिल किया। इस फिल्म की मेकिंग में मैंने किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया है। यह एक दमदार,स्टाइलिश और मनोरंजक फिल्म है। मुझे यकीन है, ज़ोरा दर्शकों को बहुत पसंद आएगी और फिल्म देखने के बाद वो ज़रूर यह कहेंगे कि इस फिल्म पर राजीव राय की चिर-परिचित छाप मौजूद है! विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

महिलाओं को अब पीरियड्स के लिए मिलेगी 6 छुट्टी! पैसा भी नहीं कटेगा

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। कर्नाटक सरकार प्राइवेट और पब्लिक दोनों सेक्टर में नौकरी करने वाली महिलाओं के लिए खुशखबरी देने जा रही है। सरकार महिलाओं को पीरियड्स के लिए साल में 6 दिनों की छुट्टी देने पर विचार कर रही है। इसको लेकर अब श्रम मंत्रालय की तरफ से गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है और महिलाओं के लिए 6 दिन की मासिक छुट्टी की सिफारिश की है। सरकार ने महिलाओं के पीरियड्स लीव और मासिक धर्म से जुड़े स्वास्थ्य उत्पादों तक मुफ्त पहुंच के अधिकार पर एक विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए 18 सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति की अध्यक्ष डॉ. सपना ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पेश की है। इसमें कहा जा रहा है महिलाओं को छह दिन की पेड छुट्टियां मिलेंगी और उसमें कोई पैसा नहीं कटेगा। *महिलाओं के पास होगा छुट्टियां चुनने का अधिकार*कर्नाटक सरकार के मंत्री संतोष लाड ने इस मामले में बताया, हम प्रस्ताव की समीक्षा कर रहे हैं और समिति के सदस्यों के साथ एक बैठक निर्धारित की है। इस पहल का उद्देश्य महिला कार्यबल का समर्थन करना है, क्योंकि महिलाओं को अपने पूरे जीवन में महत्वपूर्ण शारीरिक और भावनात्मक उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। श्रम मंत्री संतोष लाड ने आगे बताया, ''छुट्टियां काफी सही होंगी, जिससे महिलाओं को यह चुनने की अनुमति मिलेगी कि उन्हें कब छुट्टी चाहिए।' उन्होंने आगे ये भी कहा, समिति की बैठक आज होनी है और सरकार को इसे मंजूरी देनी होगी। *इन राज्यों में लागू हो चुका नियम*यदि इसे लागू किया जाता है, तो कर्नाटक बिहार, केरल और ओडिशा के बाद महिलाओं को पीरियड्स के दौरान छुट्टी देने वाला चौथा राज्य बन जाएगा।पिछले महीने, ओडिशा सरकार ने महिलाओं के लिए पीरियड्स की एक दिन की छुट्टी की घोषणा की थी। 1992 में, बिहार ने महिलाओं को प्रति माह दो दिन का मासिक अवकाश प्रदान करना शुरू किया। केरल ने 2023 में सभी राज्य विश्वविद्यालयों में महिला छात्रों को पीरियड्स की छुट्टी देना शुरू किया।यह पहली बार नहीं है जब पीरियड्स के लिए छुट्टी का प्रस्ताव किया गया है। दिसंबर 2023 में, पूर्व केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में इसी तरह की योजना का विरोध करते हुए कहा था कि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसे विशेष छुट्टी की आवश्यकता वाली विकलांगता के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

देश में जन्मे 17 शावकों में से 12 सुरक्षित, भारत ने दुनिया को चौंकाया

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। भारत में नए सिरे से चीतों की मौजूदगी को भले ही अभी सिर्फ दो साल हुए हैं लेकिन इस अवधि में देश ने चीतों के संरक्षण में ऐसी सफलता हासिल की है, जिससे न सिर्फ चीते देने वाले नामीबिया व दक्षिण अफ्रीका जैसे देश अचंभित हैं बल्कि दुनिया भर के वन्य विशेषज्ञ भी भौंचक्के हैं। यह सफलता देश में जन्मे 70 प्रतिशत से अधिक चीता शावकों को बचाने की है। *चीता प्रोजेक्ट को शुरुआत में कई बड़े झटके लगे*यह स्थिति तब है जब पूरी दुनिया में चीता शावकों की मृत्यु दर सबसे अधिक है। यानी जन्म लेने वाले सौ शावकों में से सिर्फ दस ही जीवित बचते हैं। इन दो सालों में देश में कुल 17 शावकों ने जन्म लिया जिनमें से 12 सुरक्षित हैं।चीता प्रोजेक्ट को शुरुआत में कई बड़े झटके लगे। एक-एक कर कई चीतों और शावकों की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई। इसके पीछे बड़ी वजह चीतों के रखरखाव को लेकर देश के पास अनुभव और शोध दोनों की कमी थी। भारतीय वन्यजीव संस्थानों व विशेषज्ञों ने इसे चुनौती के रूप में लिया। *चीतों के संरक्षण को लेकर रुचि दिखाई*चीता प्रोजेक्ट के दो साल पूरे होने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर जारी रिपोर्ट के मुताबिक जिस तरह से चीतों के संरक्षण को लेकर रुचि दिखाई गई उससे साफ है कि चीतों के संरक्षण में भी भारत महारत हासिल कर लेगा। *चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत सितंबर 2022 में हुई*रिपोर्ट के मुताबिक प्रोजेक्ट के दो साल के अनुभव के आधार पर अब चीतों के रखने वाले दूसरे ठिकानों को तैयार किया जा रहा है। दूसरे ठिकाने के रूप में तैयार हो रहे मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य में उन सभी बातों को ध्यान में रखा जा रहा है जिन पर कूनो में नहीं रखा गया था। देश में चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ चीते लाकर की गई थी। बाद में 12 चीतों की एक खेप फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाई गई थी। *भारत की सरजमीं पर जन्मे कई शावक हुए वयस्क*नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में से अब तक आठ चीतों की मौत भले चीता प्रोजेक्ट के लिए बड़ा झटका रहा है लेकिन दूसरी तरफ भारतीय जमीं पर जन्मे शावकों की अठखेलियां पूरे प्रोजेक्ट में एक नई रोशनी भी भर रही है। जिनकी संख्या मौजूदा समय में 12 है। इनमें से कई शावक तो अब वयस्क होने के करीब है। *मादा शावक डेढ़ साल में व्यस्क हो जाते है*वैसे भी चीता का नर शावक करीब एक साल में और मादा शावक डेढ़ साल में वयस्क हो जाते है। इन चीता शावकों को प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की उम्मीद के तौर पर भी देखा जा रहा है क्योंकि इन सभी के सामने नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों की तरह जलवायु अनुकूलता नहीं होने जैसी चुनौती का कोई खतरा नहीं है। वह यहां की जलवायु में पूरी तरह से रचे-बसे होने के साथ-साथ तेजी से बढ़ भी रहे है।केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और चीता प्रोजेक्ट से जुडे अधिकारियों की मानें तो चीता शावकों की इस प्रगति से न सिर्फ देश में इन्हें बसाने के प्रोजेक्ट को रोशनी मिल रही है, बल्कि दुनिया भर में इन वन्यजीवों को एक जगह से दूसरी जगह पर बसाने की उम्मीदें भी रोशन हो रही है। *पांच शावक अकेले मादा चीता ज्वाला के*मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में बसाए गए इन चीतों में मौजूदा समय में जो 12 शावक है, उनमें से आठ शावक नामीबिया से लाए गए दो मादा चीतों के है। इनमें पांच शावक अकेले मादा चीता ज्वाला के है, जबकि तीन मादा चीता आशा के हैं। वहीं दक्षिण अफ्रीका से लाए 12 चीतों में से मादा चीता गामिनी ने चार बच्चों को जन्म देकर इस प्रोजेक्ट में एक और नई खुशहाली लायी है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

8 हाई कोर्ट को मिले नए चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के एक दिन बाद केंद्र सरकार ने की नियुक्ति

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों को मानते हुए आठ हाई कोर्ट के लिए चीफ जस्टिस के नामों पर मुहर लगा दी है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्तियों में देरी पर सफाई मांगने के एक दिन बाद ही आया है। खास बात यह है कि झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति भी कर दी गई है, जिसके लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना का केस दायर किया था। राष्ट्रपति ने दिल्ली, मध्य प्रदेश, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, केरल, मद्रास, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख और झारखंड के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। *केंद्र सरकार ने किया त्वरित फैसला*सरकार के इस त्वरित फैसले से न्यायपालिका में नियुक्तियों के मुद्दे पर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच मतभेद बढ़ने की आशंका कम हो गई है। पिछले साल इसी मुद्दे पर न्यायिक कार्यवाही के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा कानून का पालन न करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम व्यवस्था देश का कानून है और केंद्र सरकार को इसका पालन करना ही होगा। अगर कॉलेजियम किसी नाम को दोबारा भेजता है तो सरकार के पास उसे स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। *किसे कहां बनाया गया चीफ जस्टिस?*सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है। दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस राजीव शकधर को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट के एक और जज जस्टिस सुरेश कैत मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का पदभार संभालेंगे। कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस इंद्र प्रसन्न मुखर्जी को मेघालय हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस नितिन मधुकर जमदार केरल हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ताशी रबस्तान को उसी हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस श्रीराम कल्पाथी राजेंद्रन को मद्रास हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस और हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस एम एस रामचंद्रन राव को झारखंड हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया है। *सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछी थी देरी की वजह*शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह बताने को कहा था कि जजों के पदों के लिए सिफारिश किए गए कुछ नाम लंबित क्यों हैं और किस स्तर पर अटके हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल भी कुछ मुद्दे उठाए थे जिनका अभी तक समाधान नहीं हुआ है। इनमें कुछ हाई कोर्ट जजों का तबादला और हाई कोर्ट जजों के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गए नामों को मंजूरी देना शामिल है। नियुक्तियों में देरी और कॉलेजियम की सिफारिशों में से चुनिंदा नामों को मंजूरी देने की केंद्र की नीति भी दोनों संस्थाओं के बीच विवाद का एक बड़ा कारण है। कोर्ट ने अपनी न्यायिक कार्यवाही में बार-बार इस मुद्दे को उठाया है। *जजों की नियुक्ति के लिए क्या है गाइडलाइन*सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में जजों की समयबद्ध नियुक्ति के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए थे और इस प्रक्रिया में शामिल सभी अधिकारियों के लिए फैसला लेने की समय सीमा तय की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को हाई कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश केंद्र को भेजे जाने की तारीख से 4-6 सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट/राय सौंप देनी चाहिए। केंद्र को राज्य सरकार और IB रिपोर्ट मिलने के 8-12 सप्ताह के भीतर फाइल सुप्रीम कोर्ट को भेज देनी चाहिए। इसके बाद सीजेआई को चार सप्ताह के भीतर कानून मंत्री को सिफारिशें/सलाह भेजनी होगी। केंद्र सरकार को तुरंत नियुक्ति करनी होगी या फिर पुनर्विचार के लिए सिफारिश वापस भेजनी होगी। अगर नामों को दोबारा भेजा जाता है तो 3-4 सप्ताह के भीतर नियुक्ति कर देनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया था कि सरकार कानून पारित करके एक नई प्रणाली ला सकती है लेकिन साथ ही कहा था कि कोई भी प्रणाली परफेक्ट नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा था कि नियुक्ति में देरी की मौजूदा स्थिति ठीक नहीं है और इससे मेधावी वकील जज बनने से हिचकिचाते हैं। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

अमेरिका ने लौटाई भारत की 297 प्राचीन धरोहर

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान 297 प्राचीन वस्तुएं (कलाकृतियां) भारत को सौंपी है। देश की संस्कृति के बारे में जानकारी देने वाली इन प्राचीन वस्तुओं को तस्करी कर देश से बाहर ले जाया गया था। एक बयान में बताया गया है कि 2014 से अब तक पिछले दस वर्षों में भारत को कुल 640 प्राचीन वस्तुएं वापस मिली हैं, जिसमें से अकेले अमेरिका ने 578 वस्तुएं लौटाई हैं। यह किसी देश द्वारा भारत को लौटायी गई सबसे अधिक सांस्कृतिक कलाकृतियां हैं। *पीएम ने ट्वीट कर दी जानकारी*प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए इन 297 अमूल्य कलाकृतियों को लौटाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का धन्यवाद किया है। पीएम ने कुछ तस्वीरें भी पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘सांस्कृतिक जुड़ाव को गहराते और सांस्कृतिक संपत्तियों की अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करते हुए। मैं भारत को 297 अमूल्य कलाकृतियां लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन और अमेरिकी सरकार का अत्यधिक आभारी हूं। *राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद*अधिकारियों का कहना है कि पीएम ने इन प्राचीन वस्तुओं को लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ये वस्तुएं न केवल भारत की ऐतिहासिक संस्कृति का हिस्सा हैं बल्कि इसकी सभ्यता और चेतना का आंतरिक आधार भी हैं। इस उपलब्धि को भारत द्वारा अपनी सांस्कृतिक विरासत को कायम रखने के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका के अलावा दूसरे कई देशों ने भी भारत को प्राचीन वस्तुएं वापस की है, जिसमें 16 कलाकृतियां ब्रिटेन से, 40 ऑस्ट्रेलिया और अन्य जगहों से वापस की गई हैं। वहीं 2004-2013 के बीच भारत को केवल एक कलाकृति वापस की गई थी। *10-11वीं शताब्दी ईसा पूर्व की कलाकृतियां*भारत को लौटाई गई कुछ विशेष कलाकृतियों में 10-11वीं शताब्दी ईसा पूर्व की मध्य भारत की बलुआ पत्थर से निर्मित एक ‘अप्सरा’, तीसरी-चौथी शताब्दी ईसा पूर्व का पूर्वी भारत का टेराकोटा का एक फूलदान तथा पहली शताब्दी ईसा पूर्व की दक्षिण भारत की पत्थर की एक मूर्ति शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि पीएम मोदी की 2021 में अमेरिकी यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार ने 157 कलाकृतियां लौटाई थी, जिसमें 12वीं शताब्दी ईसा पूर्व की नटराज की कांसे की प्रतिमा शामिल थी। 2023 में पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के कुछ दिन बाद भारत को 105 कलाकृतियां लौटाई गई थी। *प्राचीन वस्तुएं तस्करी के जरिये गई थीं बाहर*सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी एक पुराना मुद्दा है जिसने पूरे इतिहास में कई संस्कृतियों और देशों को प्रभावित किया है। भारत इस मुद्दे से विशेष रूप से प्रभावित हुआ है और बड़ी संख्या में प्राचीन वस्तुएं तस्करी कर देश से बाहर ले जाई गई हैं। जुलाई 2024 में दिल्ली में 46वीं विश्व धरोहर समिति के अवसर पर भारत और अमेरिका ने भारत से अमेरिका में कलाकृतियों की तस्करी को रोकने और उस पर अंकुश लगाने के लिए पहले 'सांस्कृतिक संपत्ति समझौते' पर हस्ताक्षर किए थे।*महत्वपूर्ण कलाकृतियों की वापसी*अधिकारियों का कहना है कि ऐसे में यह शानदार उपलब्धि भारत के चुराए गए खजाने को प्राप्त करने और भावी पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के संकल्प को दर्शाती है। वैश्विक नेताओं के साथ पीएम मोदी के व्यक्तिगत संबंधों की वजह से ये काफी हद तक मुमकिन हुआ है। ये भारत के लिए हर्ष का विषय है कि उसकी सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी प्रतिष्ठित मूर्तियों और महत्वपूर्ण कलाकृतियों की वापसी हो रही है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024

आपकी थाली तक पहुंच रहा जानवरों की चर्बी वाला खाना, अब तक भनक भी नहीं लगी

नई दिल्ली, 22 सितंबर 2024 (यूटीएन)। अब आशीर्वाद, आस्था, शुद्धता, भरोसा सबकुछ झूठ है, क्योंकि प्रसाद के नाम पर महापाप किया जा रहा था. तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा था. ये महापाप है, लेकिन ये हो रहा था और शायद आगे भी होता रहता, अगर प्रसाद का लैब टेस्ट नहीं किया जाता. जब लैब टेस्ट हुआ तो चौंकाने वाली बातें सामने आई. रिपोर्ट के मुताबिक, तिरुपति मंदिर के प्रसाद में सूअर की चर्बी, बीफ और मछली के तेल के मिले होने की पुष्टि हुई. प्रसाद में इतने बड़े मिलावट का जैसे ही खुलासा हुआ. लोगों की आस्था के साथ हो रहे इतने बड़े खिलवाड़ के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन होने लगा है. राजनीति आरोप-प्रत्यारोप लगने लगे और केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश सरकार से इसपर रिपोर्ट मांगी.   *आपकी थाली तक पहुंच रहा जानवरों की चर्बी वाला खाना* इसके बाद सवाल उठने लगा है कि क्या हम जो घी घर में पूजा के लिए ला रहे हैं. जिसका इस्तेमाल करके खाना बना रहे हैं क्या वो शुद्ध है? या घर-घर जानवर की चर्बी वाला घी पहुंच चुका है. आपके घर में जो घी आ रहा है वो कितना शुद्ध है और उसकी शुद्धता की कैसे जांच करें. आपकी ताली तक जानवरों की चर्बी वाला खाना पहुंच चुका है और आपको भनक तक नहीं लगी होगी. जानवरों की चर्बी घी के अलावा मार्केट में मिलने वाली मिठाइयों में भी हो सकता है.   *कैसे करें नकली घी की पहचान?* आपका घी मिलावटी है अगर हथेली पर रखने के बाद ना पिघले. पानी में डालने पर नीचे बैठ जाए. हथेली पर रगड़ने पर खुशबू चली जाए. गर्म करने के बाद रंग बदल जाए. नकली घी देर से पिघलेगा और पीला रहेगा. आयोडीन मिलाने पर रंग बैंगनी हो जाए. अगर घी दानेदार ना हो तो नकली है. अगर आप भी मार्केट से घी खरीद रहे हैं तो तुरंत सावधान हो जाएं.   *नकली घी में क्या-क्या मिलावट ?* एनिमल फैट खराब तेल डालडा बिघला बटर हाइड्रोजेनेटेड तेल मसला हुआ आलू शकरकंद नारियल ऑयल *नकली घी से क्या नुकसान?*   1- हार्ट अटैक की समस्या 2- हाई रक्त चाप हो सकती है 3- लिवर खराब हो सकता है 4- गर्भपात की हो सकता है 5- दिमाग में सूजन की समस्या 6- अपच और गैस की समस्या 7- कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है   *कैसे जांचें शुद्ध घी?* *नमक की मदद से:* बर्तन में एक चम्मच घी लें. आधा चम्मच नमक मिलाएं. हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाएं और 20 मिनट के लिए छोड़ दें. अगर घी नकली होगा तो घी का रंग बदल जाएगा.   *पानी की मदद से:* एक ग्लास पानी लें. उसमें एक चम्मच घी डालें. घी ऊपर तैरने लगे तो असली है और अगर पानी में डूब जाए तो घी नकली है.   *हथेली पर रखकर:* थोड़ा सा घी हथेली पर रखें. असली घी पिघलने लगे तो समझ जाएं कि आपका घी असली है. और हथेली पर रखने के बाद घी जस का तस रहे तो फिर ये नकली है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 22, 2024