National

हमारे द्वारा स्थापित मानक केवल तकनीकी मानक नहीं हैं, वे नैतिक दिशानिर्देश हैं: संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। पांचवीं वैश्विक मानक संगोष्ठी (जीएसएस-24) नई दिल्ली में संपन्न हुई। यह संगोष्ठी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पहली बार आयोजित की गई। अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) द्वारा आयोजित और भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की मेजबानी में हुई इस ऐतिहासिक संगोष्ठी में दुनिया भर के रिकॉर्ड 1500 अग्रणी नीति-निर्माता, नवोन्मेषक और विशेषज्ञ, डिजिटल परिवर्तन के भविष्य और उभरती प्रौद्योगिकी के अगले स्तर को सक्षम करने में अंतर्राष्ट्रीय मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए। समापन समारोह को संबोधित करते हुए संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अभूतपूर्व परिवर्तन हासिल किया है जिसे अब वैश्विक स्वीकृति मिली है।   उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों का विकास समावेशी और लोकतांत्रिक होना चाहिए जो सभी क्षेत्रों की आवश्यकताओं को प्रतिबिंबित करे और विकासशील देशों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करे। डॉ. पेम्मासानी ने कहा कि इस उल्लेखनीय संगोष्ठी के समापन पर उन्हें विश्वास है कि हम जो मानक स्थापित करते हैं, वे केवल तकनीकी मानक नहीं हैं, वे नैतिक दिशा-निर्देश भी हैं जो हमें साझा वैश्विक प्रगति के भविष्य की ओर ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत इस यात्रा को अकेले नहीं, बल्कि सभी के साथ भागीदार के रूप में आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। इस संगोष्ठी का विषय ‘अगली डिजिटल लहर की रूपरेखा तैयार करना: उभरती हुई तकनीक, नवाचार और अंतर्राष्ट्रीय मानक’ था। इसमें उभरती हुई तकनीक के प्रशासन और मानकीकरण के लिए एक सुसंगत और दूरदर्शी दृष्टिकोण की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर चर्चा हुई।   जीएसएस एक उच्च-स्तरीय मंच के रूप में कार्य करता है जो प्रौद्योगिकी और मानकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और समन्वय के लिए एक माध्यम प्रदान करता है। केंद्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने सुबह कार्यक्रम का उद्घाटन किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने दूरसंचार और डिजिटल नवाचार के वैश्विक केंद्र के रूप में भारत की भूमिका पर बल दिया और विज्ञान, नवाचार व नियमों की भूमि के रूप में भारत की भूमिका का उल्लेख किया जो दुनिया की समृद्धि में सहायक है। संगोष्ठी में एक उच्च-स्तरीय सत्र था जिसमें उद्योग जगत के नेताओं और मंत्रियों के बीच सहयोग को सुगम बनाया गया और नवाचार तथा डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के भविष्य पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस कार्यक्रम में एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) प्रशासन के लिए मजबूत अंतरराष्ट्रीय मानकों का आह्वान किया गया। संगोष्ठी में विकसित और विकासशील देशों के बीच मानकों के अंतर को पाटने की आवश्यकता पर बल दिया गया।   जिससे प्रौद्योगिकी तक सभी के लिए समान पहुंच सुनिश्चित हो सके। प्रमुख सत्रों में ओपन-सोर्स प्रौद्योगिकी, ब्लॉकचेन-आधारित प्रमाणीकरण और सार्वजनिक सेवाओं और उद्योग पर एआई और मेटावर्स के प्रभाव की भूमिका पर चर्चा की गई और अधिक समावेशी तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए डेवलपर्स के साथ सहयोग पर बल दिया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत एआई मानक शिखर सम्मेलन में इस बारे में भी चर्चा की गई कि कैसे आम सहमति-आधारित मानक विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं और तकनीकी विकास हो सकता है। सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. राजकुमार उपाध्याय ने जीएसएस 2024 की अध्यक्षता की। यह पहली बार है जब भारत ने इस संगोष्ठी का नेतृत्व किया है। संगोष्ठी के समापन पर एक दस्तावेज़ जारी किया गया जिसमें वैश्विक स्तर पर डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने में अंतर्राष्ट्रीय मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया गया। डॉ. उपाध्याय ने प्रमुख निष्कर्ष प्रस्तुत किए जो इस तरह से हैं।   *डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देना:* संगोष्ठी के समापन पर पारित दस्तावेज वैश्विक स्तर पर डिजिटल रूपांतरण के लिए आधारशिला के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मानकों को रेखांकित करता है। वैश्विक नेताओं को एकजुट करना: जीएसएस-24 ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिक पर मानकों के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए उद्योग जगत के दिग्गजों और नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाया।   *मानकों के माध्यम से नवाचार:* एआई मानक शिखर सम्मेलन ने दिखाया कि कैसे आम सहमति-आधारित मानक विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा दे सकते हैं। अंतर को कम करना: इस संगोष्ठी में विकसित और विकासशील देशों के बीच मानक अंतर को पाटने की आवश्यकता पर बल दिया गया जिससे प्रौद्योगिकी तक सभी की समान पहुंच सुनिश्चित हो सके।   *एआई और मेटावर्स का उपयोग:* जीएसएस-24 ने सार्वजनिक सेवाओं और शहरी नियोजन में एआई और मेटावर्स की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला तथा आईटीयू से वर्चुअल वर्ल्ड पर वैश्विक पहल जैसी पहलों को मजबूत करने का आग्रह किया।   *सतत विकास लक्ष्यों में तेजी लाना:* इस कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में अंतर्राष्ट्रीय मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया जिससे सतत डिजिटल रूपांतरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।   *उच्च स्तरीय संवाद:* एक अभूतपूर्व उच्च स्तरीय सत्र में उद्योग जगत के नेताओं और मंत्रियों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया गया जिसमें नवाचार और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के भविष्य पर ध्यान केंद्रित किया गया।   *एआई गवर्नेंस की स्थापना:* जीएसएस-24 ने एआई प्रशासन के लिए मजबूत अंतर्राष्ट्रीय मानकों का आह्वान किया तथा ‘एआई फॉर गुड’ और ‘एआई फॉर स्किल्स’ गठबंधन जैसी पहलों को भी प्रोत्साहित किया। ओपन सोर्स को सशक्त बनाना: इस संगोष्ठी में नवाचार को बढ़ावा देने में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी गई तथा अधिक समावेशी तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए डेवलपर्स के साथ सहयोग पर बल दिया गया।   *स्मार्ट शहरों की उपलब्धि:* जीएसएस-24 ने स्मार्ट और टिकाऊ पहलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले शहरों को मान्यता दी तथा आईटीयू, यूएनईसीई और यूएन-हैबिटेट के नेतृत्व में यूनाइटेड फॉर स्मार्ट सस्टेनेबल सिटीज (यू4एसएससी) पहल के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत किया। वैश्विक मानक संगोष्ठी 2024 ने उभरती प्रौद्योगिकी के भविष्य के लिए सफलतापूर्वक आधार तैयार किया। साथ ही यह भी दिखाया कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और मानकीकरण समावेशी विकास सुनिश्चित करते हुए नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं। संगोष्ठी के समापन पर पारित दस्तावेज़, 15 से 24 अक्टूबर तक नई दिल्ली में आयोजित हो रहे विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा (डब्ल्यूटीएसए-24) में चर्चा के लिए एक आधार तैयार करता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

Oct 15, 2024

देश पहले से 6 गुना ज्यादा मोबाइल बना रहा है, इंडिया मोबाइल कांग्रेस में बोले पीएम मोदी

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 का उद्घाटन किया। इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ - विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा 2024 का उद्घाटन भी किया गया.  इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि देश पहले से 6 गुना ज्यादा मोबाइल बना रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि देश क्वालिटी सर्विस पर ध्यान दे रहा है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में स्पेस मिशन के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि देश का स्पेस मिशन भी तेजी से काम कर रहा है।   पीएम मोदी ने बताया कि देश में सभी जिले 5जी सर्विस से जुड़ गए हैं। नेशनल मोबाइल कांग्रेस एक टेक इवेंट है। इस बार इसका 6वां आयोजन हो रहा है। इसका आयोजन 18 अक्टूबर तक होगा। इस इवेंट में दुनियाभर के 120 से ज्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं। साथ ही इसमें 400 से ज्यादा एग्जीबिटर और करीब 900 स्टार्टअप भी मौजूद हैं। साथ ही इसमें 190 से ज्यादा देशों के तीन हजार से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। इस इवेंट के उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी के साथ केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद रहे।   ऑप्टिकल फाइबर में बनाई अलग पहचान पीएम मोदी ने देश में ऑप्टिकल फाइबर को लेकर भी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 10 साल में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि 2 साल पहले मोबाइल कांग्रेस में ही हमने 5जी लॉन्च किया था, आज भारत का करीब-करीब हर जिला 5जी सर्विस से जुड़ चुका है। पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा 5जी मार्केट बन चुका है और अब हम 6जी टेक्नॉलजी पर भी तेजी से काम कर रहे हैं।   *एआई के सही इस्तेमाल की अपील* पीएम मोदी ने आगे कहा कि जिस तरह विमानन क्षेत्र के लिए वैश्विक समुदाय ने एक व्यापक रूपरेखा तैयार की है, उसी तरह डिजिटल दुनिया को भी नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाओं को एक साथ मिलकर यह तय करना चाहिए कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। मोदी ने सुरक्षा, सम्मान और समानता को केंद्र में रखते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के नैतिक इस्तेमाल पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दशक में भारत मोबाइल फोन का आयातक से निर्यातक बन गया है। उसने पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से आठ गुना अधिक दूरी का ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क बिछाया है। उन्होंने कहा कि 2014 में प्रस्तुत भारत का डिजिटल विजन चार स्तंभों…. उपकरणों को सस्ता बनाना, सभी तक संपर्क सुविधा देना, किफायती डेटा और डिजिटल-फर्स्ट पर आधारित है।   मोदी ने कहा,‘‘ हमने डिजिटल संपर्क को अंतिम छोर तक आपूर्ति के लिए एक प्रभावी साधन बना दिया ’’ उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के सफल निर्माण के अपने अनुभव को शेष विश्व के साथ साझा करने का इच्छुक है। आईटीयू-डब्ल्यूटीएसए पहली बार भारत और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आयोजित किया जा रहा है. 190 से अधिक देशों के 3,000 उद्योग नेता, नीति-निर्माता और तकनीकी विशेषज्ञ आईटीयू-डब्ल्यूटीएसए में भाग ले रहे हैं. पीएम ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ और विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा का एक साथ होना भी महत्वपूर्ण हैं. विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा का लक्ष्य ग्लोबल स्टैंडर्ड  पर काम कर रहा है. केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, "पहले जमाने में मोबाइल और टेलीकॉम को केवल दूरभाष का साधन समझा जाता था और पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के आधार आज ये एक-एक व्यक्ति को विश्व के साथ और भारत में एक-एक व्यक्ति को दूसरे के दिलों के साथ जोड़ने का संसाधन बन चुका है. भारत में टेलीकॉम का महत्व केवल टीवी, इंटरनेट और फोन के साथ जोड़ने का नहीं है   लेकिन भारत में अगर एक परिवार को मोबाइल और इंटरनेट की सेवा मिल जाता है तो वह बैंकिंग, वेलफेयर स्कीम और संपूर्ण विश्व के साथ जुड़ गया है." आईटीयू-जीएसएस 15 से 24 अक्टूबर 2024 के दौरान भारत के नई दिल्ली में होने वाली विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा (डब्ल्यूटीएसए) के लिए मंच तैयार करेगा. सिंधिया ने कहा, “यह ऐतिहासिक सभा भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतीक है. हम वैश्विक मानकों के भविष्य को आगे बढ़ाएंगे, सभी के लिए कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेंगे और अपनी तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करेंगे.” रिलायंस जियो के चेयरमैन आकाश अंबानी भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहें. इस दौरान उन्होंने कहा कि इंडिया मोबाइल कांग्रेस आज ग्लोबल स्टैंडर्ड पर है. प्रधानमंत्री ने इनोवेशन पर फोकस किया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व से बड़े बदलाव हुए. जियो ने बड़े रिफॉर्म में अहम भूमिका निभाई है. जियो ने हर सोसायटी के लिए बेहतर कदम उठाए हैं. हेल्थ सेक्टर, शिक्षा सेक्टर पर फोकस किया. 'विकसित भारत 2047' मिशन पर फोकस बना हुआ है.   डाटा सेंटर पॉलिसी पर भरोसेमंद फैसले लिए गए. भारत को ग्लोबल एआई लीडर बनाने पर फोकस है. भारत मोबाइल इनोवेशन के साथ एआई में भी अग्रसर. भारत का डेटा भारतीय डेटा सेंटर में ही रहना चाहिए: आकाश अंबानी उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि डेटा सेंटर नीति 2020 के मसौदे को जल्द अपडेट करें. प्रधानमंत्री की विजनरी लीडरशिप की प्रशंसा करते हुए आकाश अंबानी ने कहा कि आज भारतीय मोबाइल कंपनियां और फलते-फूलते स्टार्ट-अप इकोसिस्टम की वजह से भारत विकसित देशों सहित दुनिया भर को एआई सॉल्युशन दे सकता है. सरकार द्वारा उद्योग और इनोवेशन को आगे बढ़ाने के कारण भारत में सबसे बड़ी डिजिटल क्रांति आई है. नए भारत में कारोबार अब पूरी तरह बदल गया है. 145 करोड़ भारतीयों की जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार और इंडस्ट्री तालमेल के साथ काम कर रहे हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

Oct 15, 2024

ऐसे थे अपने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम: राष्ट्रपति होकर भी मेहमानों का खर्च उठाया, 24 बच्चों की जिंदगी भी बचाई

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। देश के 11वें राष्‍ट्रप‍ति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 15 अक्टूबर को 93वीं जयंती है। कलाम के जन्‍मदिन को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसलिए आज हम आपको बताते हैं अपने कलाम साहब से जुड़े के जीवन से जुड़े रोचक किस्‍से जिनसे उनकी सादगी सौम्‍यता समर्पण और ईमानदारी की मिसाल दी जाती है। देश के 11वें राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 15 अक्टूबर यानी कल जयंती है। सादगी, सौम्‍यता, समर्पण और ईमानदारी की मिसाल रहे डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित धनुषकोडी में हुआ था।   देश के युवाओं के दिलों पर राज करने वाले मिसाइलमैन और पूर्व राष्ट्रपति  आज देश में हर कोई उन्हें याद कर रहा है। कलाम का व्यक्तित्व सिखाता है कि इंसान की सबसे बड़ी खूबसूरती उसकी विनम्रता है। सिर से पांव तक लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत रहे कलाम साहब की हर एक बात निराली थी, महात्मा गांधी के बाद लोगों के लिए पूज्यनीय बने कलाम के बारे में कहा जाता है कि वे कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे। इसी की वजह से उनके कर्मों में गीता का असर और बोली में कुरान की मिठास दिखती थी। सादा जीवन उच्च विचार को मानने वाले कलाम साहब के जीवन से जुड़े ऐसे बहुत सारे किस्से हैं, जो आपको हर पल नई बातों को सोचने के लिए प्रेरित करते है। ऐसा ही एक रोचक किस्सा है, उनके राष्ट्रपति भवन जाने का।   *धरोहर के नाम पर थे सिर्फ दो सूटकेस* दरअसल डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को जब राष्ट्रपति चुना गया, तो उनके स्वागत में राष्ट्रपति भवन को जमकर सजाया गया। तमाम तैयारियां यह सोचकर की गईं कि नये राष्ट्रपति का सामान ठीक ढंग से रखा जायेगा। क्योंकि हर किसी को उम्मीद थी कि देश के राष्ट्रपति के पास कम से कम ट्रक भरकर सामान तो होगा ही लेकिन हुआ इससे ठीक उलट क्योंकि कलाम साहब राष्ट्रपति भवन महज दो सूटकेस लेकर पहुंचे थे और यही उनकी पूरी जिंदगी की धरोहर थी। डॉ. कलाम ने देश के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएलवी-3 को विकसित करने के लिए निदेशक के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।   वैज्ञानिक से लेकर राष्ट्रपति तक का सफर तय करने के बाद भी कलाम ने एक भी संपत्त‍ि अपने नाम पर नहीं जोड़ी। जो था वो सब दान कर दिया। जिंदगी भर कलाम साहब ने जहां भी नौकरी की, वहीं के गेस्ट-हाउस या फिर सरकारी आवासों में जीवन व्यतीत किया। पूरी जिंदगी शिक्षा और देश के नाम करने वाले कलाम साहब को बच्चों से बहुत प्रेम था और ये संयोग ही था कि जब उन्होंने अंतिम सांस ली तो उससे पहले भी वो बच्चों को ही ज्ञान का पाठ पढ़ा रहे थे। कलाम की जयंती पर आइए हम आपको बताते हैं, उनकी निजी जिंदगी से जुड़े कुछ बेहद अहम और सीख देने वाले किस्से।   *किस्सा नंबर-1:  ऐसे बना 'कलाम सूट'* बात उन दिनों की है, जब  25 जुलाई 2002 डॉ. कलाम राष्ट्रपति बने थे। दर्जी कलाम के लिए बंद गले के सूट लेकर आए थे, लेकिन कलाम को ये सूट पसंद नहीं आए। कलाम ने कहा- मैं तो इसको पहनकर सांस ही नहीं ले सकता। दर्जी परेशान होकर सोचने लगे कि क्या किया जाए। तब कलाम ने सलाह दी-  आप इसे गर्दन के पास से थोड़ा काट दीजिए। इसके बाद दर्जी ने वैसा ही किया। फिर क्‍या था कलाम के इस कट सूट को 'कलाम सूट' कहा जाने लगा।   *किस्सा नंबर-2: जब अटल ने लगाया गले, दिया मंत्री बनने का प्रस्ताव* पत्रकार राज चेंगप्पा ने अपनी किताब 'वेपंस ऑफ पीस' जिक्र किया है। यह किस्सा भी डॉ कलाम से जुड़ा है। दरअसल, एक बैठक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब कलाम का अटल बिहारी वाजपेयी से परिचय कराया तो उन्होंने कलाम से हाथ मिलाने की बजाए उन्हें गले लगा लिया था। इसके बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने कलाम को अपने मंत्रिमंडल में शामिल होने का न्योता दिया था, लेकिन डॉ. कलाम ने विनम्रतापूर्वक इस पद को अस्वीकार कर दिया था। कलाम ने कहा था- 'रक्षा शोध और परमाणु परीक्षण कार्यक्रम अपने अंतिम चरण में पहुंच रहा है। वो अपनी वर्तमान जिम्मेदारियों को निभाकर देश की बेहतर सेवा कर सकते हैं।'   *किस्सा नंबर-3: राष्ट्रपति भवन में रखा परिवार के खर्च हिसाब* डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सचिव रहे पीएम नायर ने एक एक इंटरव्यू में बताया था- मई 2006 की बात है।  कलाम राष्ट्रपति थे, उन्होंने अपने परिवार के करीब 52 लोगों को राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया था। ये लोग आठ दिन तक राष्ट्रपति भवन में रुके थे। इस दौरान कलाम ने उनके राष्ट्रपति भवन में रुकने का किराया तक अपनी जेब से चुकाया था।    *किस्सा नंबर-4: तंजानिया के बच्चों की बचाई जिंदगी* सितंबर 2000 की बात है। कलाम तंजानिया की यात्रा पर गए थे। इस दौरान उनको पता चला कि वहां जन्मजात दिल की बीमारी से पीड़ित बच्चों की इलाज की कमी के चलते मौत हो रही हैं। कलाम ने तत्कालीन एयर इंडिया के अध्यक्ष वी तुलसीदास से इन बच्चों को दारेसलाम से हैदराबाद लाने को कहा। कलाम के कहने पर करीब 24 बच्चों को भारत लाया गया। यहां उनका ऑपरेशन हुआ। कलाम ने 15 अक्टूबर 2005 को अपने 74 वें जन्मदिन की शुरुआत हृदय रोग से पीड़ित तंजानिया के बच्चों से मिलकर की। उन्होंने हर बच्चे के सिर पर हाथ फेरा और उन्हें टॉफी का एक एक डिब्बा दिया, जिन्हें वो दिल्ली से लेकर आए थे।   *भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन*' स्वभाव से बेहद ही हंसमुख और कविताओं के शौकीन 1962 में 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में आये थे। डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था जिसके बाद ही भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया।   *विज्ञान सलाहकार* इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। डॉक्टर कलाम ने भारत के विकासस्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की।   *भारत रत्न' से सम्मानित किया गया* यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान 'गाइडेड मिसाइल' के विकास पर केन्द्रित किया। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ। कलाम को 1989 में प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। डाक्टर कलाम को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से 1997 में सम्मानित किया गया।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

Oct 15, 2024

ट्रूडो सरकार पर भरोसा नहीं, भारत ने कनाडा से वापस बुलाया उच्चायुक्त

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। भारत ने कनाडा को लेकर और सख्त कदम उठा लिया है. अपने कनाडा के उच्चायुक्त को वापस बुला लिया है. इसके साथ ही भारत ने ‘निशाना बनाए जा रहे अन्य राजनयिकों तथा अधिकारियों' को भी वापस बुलाने का फैसला किया है.   इससे पहले भारत में कनाडा के उच्चायुक्त को समन भेजकर तलब किया गया है. दिन में भी भारत ने कनाडा को जमकर सुनाया था. जाहिर है इससे भारत-कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों के समाप्त होने का भी अंदेशा बढ़ गया है.   दरअसल, कनाडा ने कल भारत को एक ‘‘राजनयिक संचार भेजा, जिसमें कहा गया था कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक उस देश में जांच से संबंधित मामले में ‘निगरानी वाले व्यक्ति' हैं.'' इससे भारत स्तब्ध रह गया.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

Oct 15, 2024

प्रधानमंत्री विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा और इंडिया मोबाइल कांग्रेस का उद्घाटन करेंगे

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। डब्ल्यूटीएसए, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ, डिजिटल प्रौद्योगिकियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के मानकीकरण कार्य के लिए शासी सम्मेलन है, जो हर चार साल में आयोजित किया जाता है। यह पहली बार है कि आईटीयू-डब्ल्यूटीएसए भारत और एशिया-प्रशांत में आयोजित किया जाएगा। यह एक महत्वपूर्ण वैश्विक कार्यक्रम है, जिसमें दूरसंचार, डिजिटल और आईसीटी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 190 से अधिक देशों के 3,000 से अधिक उद्योग के नेता, नीति-निर्माता और तकनीकी विशेषज्ञ एक साथ आएंगे।   डब्ल्यूटीएसए 2024 देशों को 6जी, एआई, आईओटी, बिग डेटा, साइबर सुरक्षा आदि जैसी अगली पीढ़ी की महत्वपूर्ण तकनीकों के मानकों के भविष्य पर चर्चा करने और निर्णय लेने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। भारत में इस कार्यक्रम की मेजबानी करने से देश को वैश्विक दूरसंचार एजेंडे को आकार देने और भविष्य की तकनीकों के लिए दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा। भारतीय स्टार्टअप और शोध संस्थान बौद्धिक संपदा अधिकार और मानक आवश्यक पेटेंट विकसित करने में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।   दूरसंचार विभाग समर्थित इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 का आठवां संस्करण भी डब्ल्यूटीएसए 2024 के साथ-साथ आयोजित किया जाएगा। कई देशों, प्रदर्शकों, स्टार्टअप आदि की भागीदारी के मामले में वार्षिक इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) का आकार पिछले साल से लगभग दोगुना हो गया है।  वहीं इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को प्रदर्शित करेगा, जहाँ अग्रणी दूरसंचार कंपनियाँ और इनोवेटर क्वांटम तकनीक और सर्कुलर इकोनॉमी में प्रगति को उजागर करेंगे, साथ ही 6जी, 5जी यूज़-केस शोकेस, क्लाउड और एज कंप्यूटिंग, आईओटी, सेमीकंडक्टर, साइबर सुरक्षा, ग्रीन टेक, सैटकॉम और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर भी प्रकाश डालेंगे।   एशिया का सबसे बड़ा डिजिटल प्रौद्योगिकी मंच, इंडिया मोबाइल कांग्रेस, उद्योग, सरकार, शिक्षाविदों, स्टार्टअप और प्रौद्योगिकी और दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य प्रमुख हितधारकों के लिए अभिनव समाधान, सेवाओं और अत्याधुनिक उपयोग के मामलों को प्रदर्शित करने के लिए दुनिया भर में एक प्रसिद्ध मंच बन गया है। इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 में 400 से अधिक प्रदर्शक, लगभग 900 स्टार्टअप और 120 से अधिक देशों की भागीदारी दिखाई जाएगी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 900 से अधिक प्रौद्योगिकी उपयोग के परिदृश्यों को प्रदर्शित करना, 100 से अधिक सत्रों की मेजबानी करना और 600 से अधिक वैश्विक और भारतीय वक्ताओं के साथ चर्चा करना है।   आईएमसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रामकृष्ण पी ने बयान में कहा, “इस बार आईएमसी बड़ा और बेहतर होने वाला है, क्योंकि वैश्विक भागीदारी पिछले साल से लगभग दोगुनी हो गई है। इस बार 120 से अधिक देशों के भाग लेने की उम्मीद है, जिससे एशिया के सबसे बड़े प्रौद्योगिकी एक्सपो और वैश्विक डिजिटल परिवर्तन में एक प्रमुख शक्ति के रूप में आईएमसी की स्थिति मजबूत होगी। हम आगामी संस्करण में ब्रिटेन, जापान, स्वीडन, फ़िनलैंड और अन्य देशों से बढ़ती भागीदारी देख रहे हैं।” आईएमसी 2024 में 400 से अधिक प्रदर्शकों, लगभग 900 स्टार्टअप्स और 120 से अधिक देशों की भागीदारी की उम्मीद है। पिछले साल आईएमसी ने 230 से अधिक प्रदर्शकों, 400 स्टार्टअप्स और लगभग 67 देशों की भागीदारी दर्ज की थी।   *6जी पर आएगा बड़ा अपडेट* यह कार्यक्रम   ‘द फ्यूचर इज नाउ’ पर केंद्रित है और इसमें कई बड़ी घोषणाएं होने की संभावनाएं हैं. इस कार्यक्रम के तहत साल 2022 में 1 अक्टूबर 2022 को पीएम मोदी ने देश को 5जी की सौगात दी थी. इसके अलावा, भारत का सबसे सस्ता 5जी फोन भी इसी इवेंट में लॉन्च किया गया था. इस साल भी इस इवेंट से काफी उम्मीदें जताई जा रही हैं। इस इवेंट की थीम 'द फ्यूचर इज नाउ' पर आधारित है. इस इवेंट में क्वांटम टेक्नोलॉजी, सर्कुलर इकोनॉमी और 6जी-5जी टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ-साथ क्लाउड और एज कंप्यूटिंग, आईओटी, अर्धचालक, सैटेलाइट कम्युनिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को लेकर अपडेट आ सकता है.    *जियाओमी लॉन्च कर सकती है स्मार्टफोन* उम्मीद है कि जियाओमी 16 अक्टूबर को स्नैपड्रैगन 4एस जेन 2 प्रोसेसर से लैस स्मार्टफोन लॉन्च करेगी. इसके अलावा, ग्लोबल स्पीकर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और जनरेटिव एआई से जुड़ी चर्चा भी हो सकती है.  इस कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, मोबिलिटी और कंज्यूमर टेक शोकेस भी हो सकते हैं. दुनियाभर की निगाहें इस टेक इवेंट पर होगी.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

Oct 15, 2024

डीजल में 15% इथेनॉल मिलाने पर शोध उन्नत चरणों में: नितिन गडकरी

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। डीजल में 15% इथेनॉल मिलाने पर शोध उन्नत चरणों में है, और सरकार ठोस सबूतों के आधार पर इसे प्राथमिकता देने की संभावनाओं की तलाश कर रही है, यह बात नई दिल्ली में 12वें सीआईआई बायोएनर्जी शिखर सम्मेलन 2024 “भविष्य को ईंधन देना - भारत के हरित विकास लक्ष्यों को सुरक्षित करना” में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कही। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में इथेनॉल मिश्रण 2014 में 1.53% से बढ़कर 2024 में 15% हो गया है। इस प्रगति से प्रेरित होकर, सरकार ने 2025 तक पेट्रोल में 20% मिश्रण तक पहुँचने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। मंत्री ने संकेत दिया कि इथेनॉल इकोसिस्टम बनाने की प्रगति - जहाँ इथेनॉल पंप इथेनॉल उत्पादन को पूरक बना सकते हैं और इथेनॉल से चलने वाले वाहनों को लॉन्च करने की दिशा में चार राज्यों - कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में तेज़ी से काम हो रहा है। "इंडियन ऑयल ने 400 इथेनॉल पंप स्टेशन लगाने का फैसला किया है। हम जल्द ही इस पर हितधारकों के साथ बैठक कर रहे हैं। हम सुजुकी, टाटा और टोयोटा सहित ऑटोमेकर्स से भी मिल रहे हैं। इन ऑटोमेकर्स ने फ्लेक्स-इंजन वाली कारें लॉन्च करने का फैसला किया है।   टीवीएस, बजाज, होंडा जैसे अन्य वाहन निर्माता इथेनॉल बाइक के साथ तैयार हैं और अपनी बाइक लॉन्च करने के लिए इथेनॉल पंप आने का इंतज़ार कर रहे हैं। वे अपनी बाइक लॉन्च करने के लिए इथेनॉल पंप का इंतज़ार कर रहे हैं। मैं इन चार राज्यों में इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूँ जहाँ पंपों की घोषणा की गई है - कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र" मंत्री ने कहा। उन्होंने कहा कि देश ‘ज्ञान से धन’ के युग से ‘अपशिष्ट से धन’ के युग में पहुंच गया है। सीएनजी के बारे में मंत्री ने कहा, "सीएनजी में 475 से अधिक परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं, और पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी, कर्नाटक सहित अन्य जगहों पर 40 से अधिक परियोजनाएं पहले ही शुरू हो चुकी हैं। उनमें से अधिकांश ने चावल के भूसे के उपयोग के कारण व्यवहार्यता पाई है। वर्तमान में चावल के भूसे से सीएनजी में रूपांतरण अनुपात लगभग 5:1 (टन में) है। हमें गहराई से अध्ययन करने की आवश्यकता है कि कौन सा बायोमास हमें अधिक कुशलता से सीएनजी दे सकता है। हमें नगरपालिका के ठोस कचरे को बायो-सीएनजी में बदलने की आगे की तकनीकों का भी पता लगाने की आवश्यकता है, जहां कच्चे माल की लागत शून्य हो जाती है। इस क्षेत्र में एक पायलट परियोजना भी चल रही है"।   उद्योग से बायोमास के सबसे कुशल स्रोतों पर शोध पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह करते हुए- साथ ही किफायती लागत पर उन बायोमास के कुशल परिवहन पर भी, गडकरी ने कहा, "हम जानते हैं कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना (स्टबल बर्निंग) कितनी बड़ी समस्या है और यह दिल्ली सहित पड़ोसी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का कारण कैसे बनता है। इंडियन ऑयल ने इसका उपयोग करके उस समस्या का कुछ समाधान करने के लिए पानीपत में एक संयंत्र शुरू किया है। बायोमास के रूप में। हम वर्तमान में पराली का पाँचवाँ हिस्सा उपयोग करने में सक्षम हैं, लेकिन अगर हम ठीक से योजना बनाते हैं, तो अगले कुछ वर्षों में हम पराली से निकलने वाले मौसमी वायु-प्रदूषण की समस्या को हल कर सकते हैं"। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान इस बात पर शोध कर रहा है कि कैसे जैव-बिटुमेन का उत्पादन हमारे बिटुमेन आयात को कम कर सकता है, मंत्री ने कहा। ऐसे समय में जब दुनिया के कुछ हिस्से आपस में युद्ध कर रहे हैं, और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं व्याप्त हैं, भारत का वार्षिक जीवाश्म ईंधन आयात बिल 22 लाख करोड़ रुपये है जो अच्छा संकेत नहीं है, मंत्री ने कहा। उन्होंने कहा कि हमें ईंधन में आत्मनिर्भरता, कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और हमारे किसानों को समृद्ध बनाने के लिए जैव ईंधन का लाभ उठाने की आवश्यकता है।   अगर हम सही मायने में और पूरी तरह से जैव ईंधन क्षेत्र के मूल्य को महसूस कर सकते हैं, और कृषि अर्थव्यवस्था को इसमें पूरी तरह से एकीकृत कर सकते हैं, तो हमारे सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान मौजूदा 14-15% से बढ़कर 20% को पार कर सकता है। गडकरी ने कहा, "हमारे किसान अन्नदाता से आगे बढ़कर ऊर्जादाता, ईंधनदाता और हाइड्रोजनदाता बनेंगे।" इससे पहले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि ईंधन की आपूर्ति के लिए ईंधन जलाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा, "पीएम गति शक्ति का उपयोग करके आपूर्ति श्रृंखला या मार्ग अनुकूलन के माध्यम से, हमने अनाज में प्रति वर्ष 250 करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है।  इसी तरह की चीज हम इथेनॉल में कर रहे हैं।" अगले साल 20% मिश्रण के लिए, हमें 1700 करोड़ लीटर इथेनॉल क्षमता की आवश्यकता है। इसमें से 1650 लीटर करोड़ क्षमता का निर्माण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि 20% मिश्रण तुरंत संभव है। इथेनॉल मिश्रण में भारत की प्रगति ने वैश्विक प्लेटफार्मों को चकित कर दिया है, क्योंकि हम अगले साल तक 20% मिश्रण प्राप्त करने की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, जो 2013-14 में सिर्फ 1.5% था। सितंबर 2024 तक, हम उल्लेखनीय 15% मिश्रण तक पहुँच चुके हैं। यह उपलब्धि हमारे विकसित होते जैव ऊर्जा क्षेत्र और पीएम गति शक्ति योजना का लाभ उठाते हुए।   आपूर्ति श्रृंखलाओं के हमारे अनुकूलन का प्रमाण है। श्री चोपड़ा ने कहा कि जैसे-जैसे मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य आत्मनिर्भर बनते जा रहे हैं, हम मानव उपभोग को प्राथमिकता देते हुए फीडस्टॉक विविधीकरण पर जोर देते हुए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करना जारी रख रहे हैं। अपने संबोधन में, सीआईआई के अध्यक्ष संजीव पुरी ने कहा, "जैव ईंधन क्षेत्र में त्वरित गति न केवल सतत विकास को सक्षम कर रही है, बल्कि कई अन्य के अलावा कृषि मूल्य श्रृंखलाओं, ग्रामीण भारत में उद्यमशीलता उपक्रमों में अवसर पैदा करते हुए समावेशी विकास भी कर रही है। जैव ईंधन पहलों के माध्यम से उत्पन्न आर्थिक गुणक जबरदस्त हैं और यह जो सामाजिक परिवर्तन का वादा करता है वह अभूतपूर्व है। सीआईआई एयरोस्पेस समिति के अध्यक्ष सलिल गुप्ते ने कहा, "भारत वास्तविक समय विश्लेषण और परिचालन प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है जो उड़ान दक्षता को बढ़ाते हैं और ईंधन की खपत को कम करते हैं।" उन्होंने कहा कि टिकाऊ विमानन ईंधन (एसएएफ) से विमानन के लिए 2050 तक अपने शुद्ध-शून्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक डीकार्बोनाइजेशन का 50-65% योगदान करने का अनुमान है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण फोकस बन गया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

Oct 15, 2024

सरकार के सहयोग से भारत में जैव ऊर्जा इकोसिस्टम में बदलाव को बढ़ावा मिला: हरदीप सिंह पुरी

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज सीआईआई बायोएनर्जी शिखर सम्मेलन के 12वें संस्करण में शिखर सम्मेलन की थीम "भविष्य को बढ़ावा देना - भारत के हरित विकास लक्ष्यों को सुरक्षित करना" के अनुरूप जैव ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित किया। पुरी ने भारत की इथेनॉल मिश्रण पहल की सफलता पर रोशनी डाली, जिसके तहत मिश्रण प्रतिशत 2014 में 1.53 प्रतिशत से बढ़कर 2024 तक अनुमानित 15 प्रतिशत हो गया है। इन परिणामों से उत्साहित होकर, सरकार ने 20 प्रतिशत मिश्रण के अपने लक्ष्य को 2025 तक आगे बढ़ा दिया है, जिससे सतत ऊर्जा के प्रति उसकी कटिबद्धता मजबूत हुई है। हरदीप सिंह पुरी ने आगे बताया कि 20 प्रतिशत मिश्रण लक्ष्य की प्राप्ति के बाद भविष्य के लिए रोडमैप विकसित करने के लिए विचार-विमर्श शुरू हो चुका है। यह रोडमैप ऊर्जा स्थिरता और आत्मनिर्भरता की दिशा में देश के अगले कदमों का मार्गदर्शन करेगा। हरदीप सिंह पुरी ने 2014 से भारत के जैव ऊर्जा इकोसिस्टम को बदलने में प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की। उन्होंने इस परिवर्तन को आगे बढ़ाने और ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ाने में बाजार की गतिशीलता, प्रौद्योगिकी में प्रगति और समर्थन करने वाली सरकारी नीतियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर  बल दिया।   मंत्री ने इथेनॉल कार्यक्रम के शानदार परिणामों को साझा किया, जिसमें बताया गया कि 2014 से अगस्त 2024 तक, इसने 1,06,072 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत की है, सीओ2 उत्सर्जन में 544 लाख मीट्रिक टन की कमी की है और 181 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल का प्रतिस्थापन प्राप्त किया है। ऑयल मार्केटिंग कंनियों (ओएमसी) द्वारा डिस्टिलर्स को भुगतान 1,50,097 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। इसके अलावा, उन्होंने कहा, किसानों को 90,059 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जिससे वे अन्नदाता से ऊर्जादाता बन गए हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने सतत विमानन ईंधन (एसएएफ) के लिए सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के बारे में उल्लेख किया, जिसका लक्ष्य 2027 में एक प्रतिशत और 2028 में दो प्रतिशत मिश्रण करना है, जिससे भारत जैव-गतिशीलता में अग्रणी देश बन जाएगा। इस कार्यक्रम में हरदीप सिंह पुरी ने भारत के मजबूत आर्थिक विकास पर बल देते हुए भविष्यवाणी की कि यह अगले दो दशकों में वैश्विक ऊर्जा मांग का 25 प्रतिशत पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि जलवायु लक्ष्यों और ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाते हुए इस मांग को पूरा करने में जैव ऊर्जा महत्वपूर्ण होगी। वर्तमान में इसका मूल्य 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वुड मैकेंजी के अनुसार) है।   हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि 2050 तक जैव ऊर्जा बाजार के 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। यदि वैश्विक स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्‍सर्जन को शून्य स्तर पर ले आया जाए तो ये आंकड़ा बढ़कर 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक जा सकता है। भारत की कृषि शक्ति और इसकी विशाल बायोमास क्षमता को देश के स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण तत्वों के रूप में रेखांकित करते हुए पुरी ने कहा कि कृषि महाशक्ति के रूप में पहचाना जाने वाला देश चावल, गेहूं, कपास, चीनी और विभिन्न बागवानी और डेयरी उत्पादों का अग्रणी उत्पादक है। हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि देश में 750 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक बायोमास उपलब्ध है, जिसमें से लगभग दो-तिहाई का उपयोग घरेलू उद्देश्यों जैसे कि पशु चारा और कम्पोस्ट खाद के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल प्राथमिक ऊर्जा खपत का 32 प्रतिशत बायोमास से प्राप्त होता है, और 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय मूल्य श्रृंखला में ऊर्जा के लिए इस पर निर्भर हैं। हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि समन्वित नीतियों, राजनीतिक समर्थन और प्रचुर मात्रा में फीडस्टॉक के जरिए भारत की स्थिति एक प्रमुख जैव ईंधन उत्पादक और उपभोक्ता के रूप में मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने नेट ज़ीरो लक्ष्यों के कारण 2050 तक जैव ईंधन के लिए 3.5 से 5 गुना की वृद्धि क्षमता का अनुमान लगाया है, जो भारत के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है।   ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस (जीबीए) का उद्देश्य ज्ञान को साझा करने, तकनीकी उन्नति और नीतिगत विकास को सुगम बनाना, जैव ईंधन में 500 बिलियन डॉलर के निवेश के अवसर को खोलना और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से वैश्विक तरिको को अपनाने में तेजी लाना है। उन्होंने कहा कि भारतीय सौर गठबंधन (आईएसए) और जीबीए जैसी सरकारी पहलों का उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन को तेज करना, आयात निर्भरता को कम करना, विदेशी मुद्रा बचाना, एक चक्रिए अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और एक आत्मनिर्भर ऊर्जा भविष्य की ओर बढ़ना है। हरदीप सिंह पुरी ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न प्रोत्साहनों का भी उल्लेख किया। हरदीप सिंह पुरी ने ब्राजील के साथ भारत के सहयोग पर भी प्रकाश डाला तथा ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सतत जैव ऊर्जा और जैव ईंधन में संयुक्त प्रयासों के महत्व पर बल दिया, विशेष रूप से विमानन और शिपिंग जैसे इन हार्ड-टू-डीकार्नोनाइज्ड क्षेत्रों में। हरदीप सिंह पुरी ने, अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि भारत के हरित विकास को बढ़ावा देने का उत्तरदायित्व सरकार से आगे बढ़कर उद्योगपतियों, शोधकर्ताओं, नवप्रवर्तकों और नागरिकों तक जाता है। उन्होंने सभी हितधारकों से एक स्थायी जैव ऊर्जा क्षेत्र स्थापित करने के लिए साहसपूर्वक सहयोग करने का आग्रह किया, जो ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करता है और एक वैश्विक मानक स्थापित करता है।   केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत दूरदर्शी, उत्तरदायी नीतियों के कारण अपने मिश्रण लक्ष्यों को संशोधित कर रहा है, जिससे उद्योग को निर्धारित समय से पाँच महीने पहले 10% मिश्रण के अपने पिछले लक्ष्य को पार करने में मदद मिली है। पुरी ने विश्वास व्यक्त किया कि “भारत संशोधित समय सीमा से पहले ही अपने 20% इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा। ” मूल रूप से 2030 के लिए निर्धारित समय सीमा को अब अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दिया गया है, जिसके बाद इस क्षेत्र के भविष्य के दृष्टिकोण को रेखांकित करने के लिए एक रोडमैप विकसित किया जाएगा। पुरी ने यह भी कहा कि भारतीय ऊर्जा बाजार “उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता की त्रिविधता” का सामना कर रहा है। हालांकि, खाद्य-स्टॉक की कीमतों को बढ़ाने वाली मजबूत बाजार ताकतों के साथ, मिश्रण एक अधिक व्यवहार्य विकल्प बना रहेगा। महत्वपूर्ण अपडेट का हवाला देते हुए, पुरी ने साझा किया कि 2014 और 2024 के बीच विदेशी मुद्रा बचत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जबकि इसी अवधि के दौरान कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। मिश्रण के माध्यम से कच्चे तेल के प्रतिस्थापन से भी समय के साथ किसानों की आय में वृद्धि हुई है। सम्मेलन में भारत में ब्राजील के संघीय गणराज्य के राजदूत महामहिम केनेथ फेलिक्स हैकिंस्की दा नोब्रेगा भी शामिल हुए। महामहिम ने जलवायु परिवर्तन के कारण भारत और ब्राजील के सामने आने वाली साझा चुनौतियों को रेखांकित किया, जिसके कारण बाढ़ जैसी मौसमी असामान्यताएं अक्सर होती रहती हैं, जिससे दोनों देशों में खाद्य सुरक्षा प्रभावित होती है। मंत्री की टिप्पणियों को दोहराते हुए, राजदूत ने उल्लेख किया कि।   ग्लोबल बायोएनर्जी एलायंस ने ब्राजील में अपनी जी-20 मंत्रिस्तरीय बैठकों के दौरान समावेशी ऊर्जा परिवर्तन का आह्वान किया है। इस परिणाम का जी20 देशों के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव है, जिसमें 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना और औसत वार्षिक वृद्धि दर को दोगुना करने का लक्ष्य शामिल है। सीआईआई राष्ट्रीय जैव ऊर्जा समिति के सह-अध्यक्ष शिशिर जोशीपुरा ने इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं पर जोर दिया, न केवल बायोएथेनॉल में बल्कि बायोगैस, बायो-पॉलिमर और बायोमास में भी। ये तेजी से विस्तार करने वाले क्षेत्र की शुरुआत मात्र हैं। अपने उद्घाटन भाषण में जोशीपुरा ने कहा कि जैव ऊर्जा क्षेत्र में भारत में 1 मिलियन से अधिक रोजगार सृजित करने की क्षमता है, मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। सीआईआई जैव ऊर्जा समिति के सह-अध्यक्ष तरुण साहनी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि हाल के वर्षों में जैव ऊर्जा क्षेत्र में तकनीकी प्रगति महत्वपूर्ण रही है, इस क्षेत्र ने भारत के कृषि परिदृश्य के साथ तेजी से एकीकरण किया है और अभूतपूर्व मूल्य जोड़ा है। उन्होंने भविष्यवाणी की कि कृषि और वन अवशेषों का लाभ उठाते हुए 2030 तक नई प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियाँ पाँच गुना बढ़ जाएँगी। सत्र, जिसमें सहयोग के माध्यम से जैव ऊर्जा क्षेत्र के क्षितिज का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, इस बात पर चर्चा की गई कि कैसे उद्योग, सरकारें, थिंक टैंक और शिक्षाविद वैश्विक दक्षिण और वैश्विक उत्तर के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर वैश्विक तापमान को कम करने के लिए समान वैश्विक लक्ष्यों की दिशा में एक साथ काम कर सकते हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

Oct 15, 2024

धान फसल अवशेषो का प्रबंधन करने वाले किसानो को मिलेगें एक हजार रू0 प्रति एकड

पंचकूला, 15 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। उपायुक्त डाॅ यश गर्ग ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, पंचकूला द्वारा पिछले वर्षो के भांति स्टेट प्लान फसल अवशेष प्रबंधन (SB-82) के अंतर्गत वर्ष 2024-25 के दौरान फसल धान अवशेषो को खेत में मिलाने या बेलर द्वारा गांठ बनाने वाले किसानो को प्रति एकड 1000/- रू0 की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। श्री गर्ग ने कहा कि फसल धान अवशेषों को जलाने से पर्यावरण दूषित होता है।    इस संबंध में जानकारी देते हुए सहायक कृषि अभियन्ता, गोपीराम सांगवान द्वारा स्कीम की जानकारी देते हुए बताया है कि किसानों इस स्कीम हेतू विभागीय वैबसाईट पर 30 नवंबर तक आवेदन करना होगा। इसके लिए किसानों का मेरा फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त किसानों को बेलर द्वारा गांठ बनाने का प्रमाणपत्र भी देना होगा। किसान धान के खेत में हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, हैरो, रोटावेटर, रिवर्सिबल एम0 बी0 प्लो एवं जीरो टिल सीड ड्रिल की मदद से फसल अवशेषो को मिट्टी में मिलाकर अथवा बेलर द्वारा गांठे बनवाकर इस स्कीम का लाभ ले सकते है।   किसानों फसल अवशेष प्रबंधन करते समय जी0पी0एस0 लोकेशन की फोटो भी लेनी होगी। प्रोत्सहान राशि के सत्यापन हेतूू ग्राम स्तरीय कमेटी के सत्यापन उपरान्त किसानों के खातो प्रोत्सहान राशि डी0बी0टी के माध्यम से दी जाएगी।  उन्होने बताया कि किसान अधिक जानकारी के लिए उप-निदेशक, कृषि तथा किसान कल्याण विभाग, पंचकूला कार्यालय तथा सहायक कृषि अभियन्ता, पंचकुला, कृषि भवन, सैक्टर-21, पंचकुला कार्यालय से संपर्क कर सकते है।   हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

admin

Oct 15, 2024

उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच के चेयरमैन एवं सदस्य मंच की कार्यवाही पंचकूला में 15 अक्तूबर को की जाएगी

पंचकूला, 15 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली की आपूर्ति उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। उपभोक्ताओं की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए निगम द्वारा अनेक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम सर्कल फोरम पंचकूला के उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच के चेयरमैन एवं सदस्य मंच की कार्यवाही 15 अक्तूबर को सुबह 11.30 बजे से अधीक्षण अभियंता, पंचकूला के कार्यालय, एससीओ नंबर-96, पहली मंजिल, सेक्टर-5, पंचकूला में की जाएगी। इस संबंध में जानकारी देते हुए बिजली विभाग के एक प्रवक्कता ने बताया कि।   मंच के सदस्य, पंचकूला जिले के उपभोक्ताओं की सभी प्रकार की समस्याओं की सुनवाई करेंगे  जिनमें मुख्यतः बिलिंग, वोल्टेज, मीटरिंग से सम्बंधित शिकायतें, कनैक्शन काटने और जोड़ने बिजली आपूर्ति में बाधाएं, कार्यकुशलता, सुरक्षा, विश्वसनीयता में कमी और हरियाणा बिजली विनियामक आयोग के आदेशों की अवहेलना आदि शामिल हैं। बहरहाल, मंच द्वारा बिजली अधिनियम की धारा 126 तथा धारा 135 से 139 के अन्तर्गत बिजली चोरी और बिजली के अनधिकृत उपयोग के मामलों में दंड तथा जुर्माना और धारा 161 के अन्तर्गत जांच एवं दुर्घटनाओं से सम्बंधित मामलों की सुनवाई नहीं की जाएगी। सभी उपभोक्ताओं से अनुरोध किया जाता है कि अपनी शिकायतों के निवारण के लिए इस अवसर का लाभ उठाएं।   हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

admin

Oct 15, 2024

मेंटल हेल्‍थ पर एम्‍स ला रहा ऐसा ऐप, सुनेगा आपका हर सवाल

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। देश ही नहीं दुनियाभर में शारीरिक बीमारियों की तरह ही मानसिक परेशानियां काफी बड़ी समस्‍या बन चुकी हैं. लेकिन सबसे बड़ी दिक्‍कत है कि बहुत से लोगों को पता ही नहीं है कि वे मेंटल हेल्‍थ इश्‍यूज से जूझ रहे हैं. वहीं अगर किसी को इसका अंदाजा हो भी जाता है कि वह मेंटल हेल्‍थ संबंधी परेशानियों से जूझ रहा है, तब भी ऐसे लोगों की संख्‍या बहुत ज्‍यादा है जो इलाज के लिए ही नहीं पहुंचते. हालांकि ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्‍ली अब एक ऐसा एप्लिकेशन लेकर आ रहा है, जो घर बैठे ही आपकी मेंटल हेल्‍थ की परेशानियां बताने के साथ ही इलाज भी बताएगा. एम्‍स नई दिल्‍ली में एआई डिजिटल दीपक एप आने वाला है.    जिस पर आपकी सभी समस्‍याओं के जवाब जाने माने मोट‍िवेशनल स्‍पीकर और वेलनेस एक्‍सपर्ट व डिपार्टमेंट ऑफ साइकेट्री एम्‍स के डॉ. दीपक चोपड़ा देंगे. इस बारे में साइकेट्री विभाग के प्रोफेसर डॉ. नंद कुमार ने बताया कि मेंटल हेल्‍थ की समस्‍याएं बढ़ रही हैं, आत्‍महत्‍याएं बढ़ रही हैं. मरीज बढ़ रहे हैं, डॉक्‍टर और साइकोलॉजिस्‍ट भी बढ़ रहे हैं लेकिन कहीं न कहीं कुछ परेशानी है, जिसे हम लोग ठीक नहीं कर पा रहे हैं. एक्‍सपर्ट का ऐसा नजरिया है कि हमें कुछ अलग करने की जरूरत है. डॉक्‍टर की जरूरत है लेकिन समझ के अनुसार इसे बदलना पड़ेगा. हमें लगता है कि आध्‍यात्मिकता की भूमिका मेंटल हेल्‍थ को ठीक करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है लेकिन अभी तक इस बात को इग्‍नोर किया जाता रहा है. अक्‍सर हम लोग डिजिटल वर्ल्‍ड, जिसमें सोशल साइट्स, व्‍हाट्सएप आदि की नकारात्‍मक आलोचला करते हैं कि.   ये सब खराब हैं लेकिन डॉ. दीपक चोपड़ा की किताब डिजिटल धर्म में पाएंगे कि यह एक पॉज‍िट‍िव चीज है. इसमें बताया है कि कैसे डिज‍िटल कंटेट को पर्सनल ग्रोथ के लिए इस्‍तेमाल किया जा सकता है. हमें ड‍िज‍िटल में से क्‍या लेना है, यह महत्‍वपूर्ण है. जो एआई डिजिटल दीपक ऐप है, यह जल्‍दी ही हमारे पास उपलब्‍ध होगा. एम्‍स की वेबसाइट पर होगा. उससे बहुत सारी वे छोटी-छोटी समस्‍याएं जो हम समझ नहीं पाते हैं, उनको समझने में आसानी होगी. वहीं डॉ. दीपक ने कहा कि अक्‍सर हम लोग अपनी बीमारियों का इलाज ऑनलाइन सर्च इंजनों पर खोजते हैं, लेकिन वहां सही जानकारी नहीं मिलती, बल्कि वहां कन्फ्यूज कर देते हैं. लेकिन जो यह ऐप होगा, यहां एक्‍सपर्ट एडवाइज मिलेगी. यहां ऑडियो या टैक्‍स्‍ट किसी भी रूप में कन्‍वर्जेशन की जा सकेगी. यह हिंदी, अंग्रेजी, स्‍पेनिश और अरबी भाषाओं में जवाब दे सकेगा.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

Oct 13, 2024