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○ सिरसली के जंगल में शिकारियों के खटके में फंसा तेंदुआ, 4 घंटे के बाद किया गया रेस्क्यू
○ होली चाइल्ड एकेडमी में हुआ मातृ पितृ पूजन
○ भाजपा ओबीसी के प्रदेश उपाध्यक्ष द्वारा नगरपालिका के सफाई ठेके व विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायत
○ विद्या भवन में मोदी हाऊस बना चैम्पियन
○ कोणार्क के तीन दिवसीय खेलों के समापन अवसर खिलाड़ी किए पुरस्कृत, बढाया हौसला
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बाल विवाह मुक्त भारत" हेतु जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन, अभियान को ग्रामीण समाज विकास केंद्र का समर्थन
बागपत, 01 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विज्ञान भवन, नई दिल्ली से ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान का शुभारंभ किया गया। इसके तहत बागपत जिले में ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ एलायंस के सहयोग से ग्रामीण समाज विकास केंद्र द्वारा कार्यक्रम आयोजित कर बाल विवाह मुक्त बागपत की दिशा में जागरूकता फैलाई गई। इस क्रम में गोल्डन गेट इंटरनेशनल स्कूल में एक जागरूकता संगोष्ठी आयोजित हुई। मुख्य अतिथि सीडीओ नीरज कुमार श्रीवास्तव ने युवाओं से कहा कि, बाल विवाह मुक्त बागपत के मिशन के एंबेसडर बनकर गांव-गांव में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। उन्होंने अभियान के प्रति युवाओं को प्रेरित करते हुए शपथ भी दिलाई। इस अवसर पर 500 से अधिक युवाओं ने बाल विवाह मुक्त बागपत के विजन को साकार करने का संकल्प लिया। जिला युवा अधिकारी अरुण तिवारी ने युवाओं को 'विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग' और 'मेरा युवा भारत' पोर्टल की जानकारी देते हुए इस पहल से जुड़ने का आह्वान किया। ग्रामीण समाज विकास केंद्र के अधिकारी गजेंद्र सिंह ने बताया कि ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस’ देशभर के 400 से अधिक जिलों में बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कार्यरत है, जिसमें 250 से अधिक गैर-सरकारी संगठन शामिल हैं। बताया कि ,जल्द ही बागपत के सभी विकासखंडों में टीम गठित कर विशेष अभियान संचालित किए जाएंगे, जो बाल विवाह मुक्त भारत अभियान पर केंद्रित होंगे। इस अवसर पर स्कूल प्रबंधक सुधीर कुमार, निदेशक सन्नी दहिया, और प्रधानाचार्य सुमित चौहान छात्रों को जागरूक करते हुए सामाजिक विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। डीएसपी अनिल कपरवान, लेबर इंस्पेक्टर अरविंद कुमार, एसएचओ दीक्षित त्यागी ने साइबर अपराध और महिलाओं के विरुद्ध अपराधों से संबंधित जानकारी साझा की और युवाओं को बालसशक्तिकरण का एंबेसडर बनने का आह्वान किया।कार्यक्रम में सुषमा त्यागी,दानिश मलिक ,पंकज, यशपाल सिंह, सरिता सिंह, रमा वर्मा मौजूद रहे। स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |
admin
Dec 1, 2024
भारत में स्ट्रोक एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या बन गया है
नई दिल्ली,01 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। भारत में स्ट्रोक एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या बन गया है, जिसमें हर साल 18 लाख से अधिक नए मामले दर्ज किए जाते हैं। यह स्थिति देश में विकलांगता और मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक है। स्ट्रोक न केवल मरीजों और उनके परिवारों पर भावनात्मक और वित्तीय बोझ डालता है, बल्कि यह स्वास्थ्य ढांचे, जागरूकता और समय पर उपचार में मौजूद महत्वपूर्ण खामियों को भी उजागर करता है। इन चुनौतियों के समाधान की आवश्यकता को समझते हुए, वॉयस ऑफ हेल्थकेयर द्वारा आयोजित और इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन के सहयोग से समर्थित नेशनल स्ट्रोक कॉन्क्लेव और अवॉर्ड्स के दूसरे संस्करण का आयोजन किया गया। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम भारत के शीर्ष न्यूरोलॉजिस्ट, नीति-निर्माताओं, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और इनोवेटर्स को एक मंच पर लाएगा ताकि स्ट्रोक की रोकथाम, तीव्र देखभाल और पुनर्वास में सुधार के लिए सहयोग किया जा सके। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण स्ट्रोक इनोवेशन और एक्सीलेंस अवॉर्ड्स है, जिसमें उन व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित किया जाएगा, जो भारत में स्ट्रोक देखभाल में बदलाव के लिए नेतृत्व कर रहे हैं। कार्यक्रम की शुरुआत उद्घाटन सत्र से हुई, जिसमें वॉयस ऑफ हेल्थकेयर के संस्थापक अध्यक्ष और मेडो-डॉक्सपर और सिग्नस हॉस्पिटल्स के सह-संस्थापक डॉ. नवीन निशचल ने कहा: "स्ट्रोक भारत में सबसे गंभीर लेकिन रोके जा सकने वाले स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। हर साल 12 लाख से अधिक मौतों के साथ, जागरूकता, समय पर उपचार और रोकथाम विशेष रूप से हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। शिक्षा, ढांचे और नीति में सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से हम स्ट्रोक देखभाल में सुधार कर सकते हैं और एक स्थायी प्रभाव पैदा कर सकते हैं।" इसके बाद वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष डॉ. जयराज पांडियन ने कहा, "यह यहां वॉयस ऑफ हैल्थ स्ट्रोक कॉन्क्लेव के दूसरे संस्करण में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों के लिए एक महान क्षण है। जबकि हम स्ट्रोक के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए सीमित संसाधनों का सामना कर रहे हैं, हमें यह पूछना चाहिए कि हम कैसे समान सेवाओं को सुनिश्चित कर सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन स्ट्रोक निगरानी को प्राथमिकता के रूप में मान्यता देता है, लेकिन विश्वसनीय डेटा और क्षेत्रीय असमानताओं को संबोधित करना एक बड़ी चुनौती है। पुनर्वास और व्यापक कार्यक्रमों को शामिल करना न केवल स्थानीय बल्कि वैश्विक स्तर पर स्ट्रोक देखभाल और परिणामों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। एन एच आर सी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के सलाहकार डॉ. के. मदन गोपाल ने कहा, "भारत में स्ट्रोक देखभाल को संबोधित करने के लिए रोकथाम, समय पर निदान और मजबूत स्वास्थ्य ढांचे का एकीकृत दृष्टिकोण आवश्यक है। जबकि हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ स्क्रीनिंग जैसे कार्यक्रम महत्वपूर्ण हैं, असली चुनौती न्यूरोलॉजिस्ट की संख्या बढ़ाने से लेकर टेलीमेडिसिन जैसे डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों का लाभ उठाने तक है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के सामूहिक प्रयास ही इन अंतरालों को पाट सकते हैं और स्ट्रोक की रोकथाम और प्रबंधन पर स्थायी प्रभाव डाल सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न सत्रों और पैनल चर्चाओं का आयोजन किया गया। इन चर्चाओं में स्ट्रोक रोकथाम, नीति निर्माण, गुणवत्ता-आधारित देखभाल और पुनर्वास में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा की गई। सत्रों में डिजिटल स्वास्थ्य, एआई और उन्नत इमेजिंग तकनीकों जैसी नई प्रौद्योगिकियों की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला गया। दोपहर में एक विशेष सत्र "वॉयसेज़ ऑफ रिकवरी" आयोजित किया गया, जहां स्ट्रोक सर्वाइवर्स और उनके समर्थन समूहों ने अपनी प्रेरणादायक कहानियां साझा कीं। कार्यक्रम का समापन स्ट्रोक इनोवेशन और एक्सीलेंस अवॉर्ड्स के साथ हुआ, जिसमें उन पथप्रदर्शकों और संस्थानों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने भारत में स्ट्रोक देखभाल में क्रांतिकारी योगदान दिया है। यह आयोजन भारत में स्ट्रोक महामारी से निपटने के लिए सहयोग, नवाचार और कार्रवाई को प्रेरित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं और इनोवेटर्स को एक साथ लाकर एक ऐसा भविष्य तैयार करना है, जहां हर स्ट्रोक मरीज को समय पर, प्रभावी और समान देखभाल मिले। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 1, 2024
भारत में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है स्ट्रोक: डॉ अरविन्द शर्मा
नई दिल्ली,01 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन के सचिव डॉ. अरविंद शर्मा ने सीधे शब्दों में कहा: "स्ट्रोक देखभाल के लिए बहु-हितधारक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है," और वह सही हैं। वास्तविकता यह है कि भारत में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक होने के बावजूद, स्ट्रोक पर बहुत कम चर्चा होती है, खासकर जब रोकथाम और समय पर उपचार की बात आती है। कहते हैं कि इसकी कल्पना करें: आपको अचानक चक्कर आ रहा है, आपकी वाणी धीमी हो गई है, और आपके चेहरे का एक तरफ का हिस्सा झुकने लगा है। क्या यह स्ट्रोक है? और क्या ये कुछ और हो सकता है? दुर्भाग्य से, भारत में बहुत से लोग अंतर नहीं बता सकते हैं, और यह भ्रम विनाशकारी परिणाम दे सकता है। लेकिन विशेषज्ञ इसे बदलने की उम्मीद कर रहे हैं। हाल ही में, देश भर से शीर्ष न्यूरोलॉजिस्टों का एक समूह भारत में स्ट्रोक देखभाल के भविष्य के बारे में तत्काल चर्चा के लिए दिल्ली में एकत्र हुआ। उनका संदेश स्पष्ट था: हमें स्ट्रोक के बारे में और अधिक बात करने की ज़रूरत है। जैसे हम कैंसर के बारे में बात करते हैं. डॉ. शर्मा ने प्रभावी स्ट्रोक देखभाल में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक पर प्रकाश डाला: जागरूकता की कमी। उन्होंने कहा, "कई मामलों में, स्ट्रोक के मरीज सिर्फ इसलिए इलाज से चूक जाते हैं क्योंकि उन्हें पता नहीं होता कि क्या देखना है। कुछ लोग स्ट्रोक को फेफड़े या गुर्दे की समस्या भी समझ लेते हैं!" यह वह समय है जब आप जागरूक हो कर बदलाव ला सकते हैं। स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों को पहचानने से किसी की जान बचाई जा सकती है, और यह संक्षिप्त शब्द 'बीई फास्ट' को याद रखने जितना आसान है। संतुलन संबंधी समस्याएं, अचानक दृष्टि संबंधी समस्याएं, चेहरे का एक तरफ झुकना, बांह में कमजोरी और बोलने में कठिनाई ये सभी स्ट्रोक के लक्षण हैं। यदि आप खुद में या किसी और में ये लक्षण देखते हैं, तो इंतजार न करें- तुरंत चिकित्सा सहायता लें। डॉ. शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि यदि अधिक लोग इन संकेतों को जानें, तो हम बड़ी संख्या में स्ट्रोक और मौतों को रोक सकते हैं। ठीक उसी तरह जैसे तंबाकू और कैंसर जागरूकता विज्ञापन हर जगह देखे जाते हैं - टीवी पर, सिनेमाघरों में, सोशल मीडिया पर - स्ट्रोक के बारे में जागरूकता भी हर जगह होनी चाहिए। स्ट्रोक कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे रहस्य बना दिया जाए; यह हमारी नियमित स्वास्थ्य संबंधी बातचीत का हिस्सा होना चाहिए। प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. कुणाल बहरानी ने स्थिति की तात्कालिकता को परिप्रेक्ष्य में रखा: “स्ट्रोक के इलाज के लिए स्वर्णिम समय साढ़े चार घंटे है। लेकिन कई मरीज स्ट्रोक के 10 से 12 घंटे बाद अस्पताल पहुंचते हैं। यह भी काफी देरी से है।" जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, ठीक होने की संभावना उतनी ही बेहतर होगी। डॉ. बहरानी ने बताया, "जब स्ट्रोक होता है, तो यह समय के विपरीत दौड़ है। हमें मरीजों को सीटी स्कैन से सुसज्जित अस्पतालों में ले जाने की आवश्यकता है ताकि हम स्थिति का आकलन कर सकें और यदि आवश्यक हो, तो इंजेक्शन या मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी जैसे जीवन रक्षक उपचार दे सकें। मानते हैं कि हालाँकि इसके लिए जागरूकता और त्वरित उपचार महत्वपूर्ण हैं, लेकिन रोकथाम ही सर्वोत्तम उपाय है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक डॉ. गणेश कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना स्ट्रोक को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है। डॉ. कुमार ने कहा, "भारत में स्ट्रोक का नंबर एक कारण उच्च रक्तचाप है। यह कुछ ऐसा है जिसे हम नियंत्रित कर सकते हैं। लेकिन बहुत से लोग अपनी दवाएँ लगातार नहीं लेते हैं या जोखिमों से अनजान होते हैं।" वास्तव में, अध्ययनों से पता चलता है कि कई भारतीय अनुशंसित से अधिक नमक का सेवन करते हैं, जिससे उन्हें उच्च रक्तचाप और अंततः स्ट्रोक का खतरा और भी अधिक हो जाता है। लेकिन जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलावों से - जैसे नमक का सेवन कम करना और रक्तचाप को नियंत्रित करना - स्ट्रोक को अक्सर रोका जा सकता है। डॉक्टर देश भर के अस्पतालों में स्ट्रोक की देखभाल के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि स्ट्रोक के इलाज के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों अस्पतालों को मान्यता दी जानी चाहिए। क्यों? क्योंकि इस आधिकारिक मान्यता के होने से यह सुनिश्चित हो जाएगा कि अस्पताल स्ट्रोक के मामलों को प्रभावी ढंग से संभालने के लिए सही उपकरण, ज्ञान और संसाधनों से लैस हैं। इसकी कल्पना करें: यदि स्ट्रोक मान्यता वाला प्रत्येक अस्पताल स्ट्रोक के लक्षणों को तुरंत पहचान सके और आवश्यक उपचार प्रदान कर सके, तो हम इतने सारे स्ट्रोक को अक्षम होने से रोक सकते हैं। यह न केवल स्ट्रोक से संबंधित मौतों की संख्या को कम करेगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि मरीजों को समय पर और उचित देखभाल मिले, जबकि हर मिनट मायने रखता है। यह मान्यता इस बात की गारंटी के रूप में काम कर सकती है कि ये अस्पताल स्ट्रोक के मामलों की जटिलताओं का प्रबंधन करने के लिए तैयार हैं, जिससे देश भर में स्ट्रोक के रोगियों के इलाज में वास्तविक अंतर आएगा। भारत के प्रमुख न्यूरोलॉजिस्ट का संदेश स्पष्ट और स्पष्ट है: हमें स्ट्रोक के बारे में इस तरह से बात करना शुरू करना होगा जो ध्यान खींचे - ठीक उसी तरह जैसे हम कैंसर, तंबाकू और हृदय रोग के बारे में बात करते हैं। जागरूकता फैलाकर, लक्षणों को जल्दी पहचानकर और तेजी से कार्रवाई करके, हम भारत में स्ट्रोक देखभाल की दिशा बदल सकते हैं। लेकिन यह सब आपके साथ शुरू होता है - यह जानना कि क्या देखना है, बात फैलाना, और जब आप या आपका कोई परिचित जोखिम में हो तो कार्रवाई करना। स्ट्रोक जागरूकता केवल स्वास्थ्य देखभाल का मुद्दा नहीं है; यह एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है. और समय के साथ, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को पता हो कि स्ट्रोक का पता कैसे लगाया जाए और समय पर सहायता कैसे प्राप्त की जाए, जिससे संभावित रूप से इस प्रक्रिया में लाखों लोगों की जान बचाई जा सके। तो, आइए अब बातचीत शुरू करें- क्योंकि हर मिनट मायने रखता है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 1, 2024
सीआईआई - डिजिटल परिवर्तन केंद्र ने डीएक्स पुरस्कारों के माध्यम से डिजिटल क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं को मान्यता दी
नई दिल्ली,01 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। भारतीय उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के उद्देश्य से प्रतिबद्ध, सीआईआई डिजिटल परिवर्तन केंद्र (सीडीटी) ने अपने प्रमुख कार्यक्रम डिजिटल परिवर्तन सर्वोत्तम प्रथाओं पुरस्कारों के 6वें संस्करण का आयोजन किया, जो डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से किए जा रहे कुछ अभिनव पहलों को मान्यता देकर उद्योग के साथ गहन जुड़ाव बनाता है। डीएक्स पुरस्कार भारत में डिजिटल परिवर्तन (डीएक्स) में उत्कृष्टता को मान्यता देते हैं और सर्वोत्तम प्रथाओं और प्रौद्योगिकियों पर जानकारी साझा करने की सुविधा प्रदान करते हैं। डीएक्स पुरस्कारों ने उन क्षेत्रों की प्रेरणादायक डिजिटल विकास कहानी का जश्न मनाया, जिन्होंने डिजिटल का लाभ उठाया है और डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने और उपयोग के माध्यम से अभूतपूर्व लाभ देखा है। विशिष्ट अतिथि अभिषेक सिंह, अतिरिक्त सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), ने अपने विशेष संबोधन में भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में जवाबदेही और नवाचार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “डिजिटल परिवर्तन केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक रणनीति है। नई तकनीकों के लिए निवेश और समर्थन हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन डीएक्स अवार्ड्स जैसे पुरस्कारों के माध्यम से मान्यता गति को बनाए रखने में मदद करती है। उन्होंने आगे जोर दिया कि, "जैसे-जैसे एआई को अपनाया जा रहा है, कौशल पहल महत्वपूर्ण हैं, और मजबूत साइबर सुरक्षा हमारे डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। सिंह ने उद्योगों से नवाचार को अपनाने और प्रतिस्पर्धी बने रहने और विकास और लचीलेपन के नए अवसरों को खोलने के लिए निरंतर सीखने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के संयुक्त सचिव विनय कुमार कनौजिया ने अपने विशेष संबोधन में आधुनिक शासन में साइबर सुरक्षा और डिजिटल परिवर्तन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "साइबर सुरक्षा अब केवल एक आईटी चिंता नहीं है; यह एक राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकता बन गई है, जिसके लिए सभी क्षेत्रों में सहयोग की आवश्यकता है। डिजिटल परिवर्तन अधिक कुशल, पारदर्शी और समावेशी सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने, जनता के विश्वास को बढ़ावा देने और हमारी तेजी से डिजिटल होती दुनिया में नागरिकों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।" कनौजिया ने सुरक्षित और लचीला भविष्य बनाने के लिए आवश्यक तत्वों के रूप में मजबूत साइबर सुरक्षा और डिजिटल उपकरणों तक समान पहुंच की आवश्यकता को रेखांकित किया। विजय थडानी, सह-अध्यक्ष, सेंटर फॉर डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, चेयरमैन डीएक्स अवार्ड्स ने इस बात पर जोर दिया कि "डिजिटल परिवर्तन अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा है, जो नवाचार, लचीलापन और परिवर्तन को अपनाने के साहस से संचालित होती है। यह अब एक विकल्प नहीं है - संगठनों को प्रासंगिक बने रहने के लिए विकसित होना चाहिए। भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के 7.3% की दर से बढ़ने का अनुमान है, उद्योगों, स्टार्टअप्स, शिक्षाविदों और दूरदर्शी सरकार के बीच सहयोग से हमारी प्रगति को और बढ़ावा मिलेगा। यह एकजुट प्रयास परिवर्तनकारी विकास द्वारा चिह्नित भविष्य को आकार देगा।" उन्होंने आगे कहा कि "जनरेटिव एआई का उदय दिखाता है कि कैसे सादगी परिवर्तनकारी परिवर्तन को बढ़ावा देती है। अमित सिन्हा रॉय, सह-अध्यक्ष, आईओटी वर्किंग ग्रुप, सेंटर फॉर डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन (सीडीटी) ने अपने स्वागत भाषण में डिजिटल समाधानों के माध्यम से नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देने वाले संगठनों को मान्यता देने में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवार्ड्स के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने उल्लेख किया कि "डिजिटल परिवर्तन पुरस्कार उन संगठनों और व्यक्तियों का सम्मान करते हैं जो चुनौतियों का समाधान करने, उत्पादकता बढ़ाने और विभिन्न क्षेत्रों में मूल्य सृजन करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हैं। अग्रणी प्रयासों का सम्मान करके, ये पुरस्कार दूसरों को परिवर्तनकारी रणनीतियाँ अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे अधिक जुड़े और लचीले भविष्य में योगदान मिलता है। कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण आकर्षण गणमान्य व्यक्तियों द्वारा 'डिजिटल परिवर्तन में सर्वोत्तम प्रथाओं का संग्रह' का विमोचन था। यह संग्रह एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करता है, जो डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में बेंचमार्क के रूप में उभरे अनुकरणीय सर्वोत्तम प्रथाओं को समाहित करता है।जबकि डीएक्स पुरस्कारों ने उद्योग के बीच प्रेरणादायक, नवीन डिजिटल रणनीतियों और सर्वोत्तम प्रथाओं का जश्न मनाया जो व्यवसाय मॉडल को बदलने और नए और मौजूदा बाजारों में विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, डीएक्स एन्सेम्बल ने प्रौद्योगिकी और डिजिटल रुझानों से संबंधित अपने प्रासंगिक विषयगत सत्रों के साथ एक मंच के रूप में लोकप्रियता हासिल की, उत्पादन उत्कृष्टता और स्मार्ट विनिर्माण के लिए डिजिटल रणनीतियों को लागू करना; मजबूत ग्राहक संबंध बनाने और कर्मचारी संतुष्टि को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करना और उन कंपनियों से कुछ प्रेरक केस स्टडीज को साझा करना जिन्होंने डिजिटल रणनीतियों का सफलतापूर्वक लाभ उठाया है। उद्योग जगत की नब्ज को प्रतिबिंबित करने वाले विषयों पर चर्चा की गई, तथा ऐसी अंतर्दृष्टि साझा की गई, जो सतत परिवर्तन और विकास में तेजी लाने के लिए डिजिटल का लाभ उठाने की दिशा में मूल्यवान सुझाव प्रदान करती हैं। डीएक्स पुरस्कार प्रतियोगिता में 291 से अधिक प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं, जिनमें से 95 प्रविष्टियाँ शॉर्टलिस्ट की गईं, जिन्होंने इनोवेटिव और मोस्ट इनोवेटिव श्रेणियों में शीर्ष सम्मान के लिए प्रतिस्पर्धा की। जिन संगठनों को उनके अभिनव और सर्वाधिक अभिनव सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए डीएक्स पुरस्कार प्रदान किए गए और मान्यता दी गई, वे हैं, अशोक लीलैंड लिमिटेड, बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस कंपनी, जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड, लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड, कैपजेमिनी टेक्नोलॉजी सर्विसेज इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कनेक्ट बिजनेस सॉल्यूशंस, निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड, एसटीएल ग्लोबल सर्विसेज बिजनेस, ऐस्प्री ट्यूटर प्राइवेट लिमिटेड, अपोलो टेलीहेल्थ, बेबी मेमोरियल हॉस्पिटल, सीईएससी लिमिटेड, एलानको, पीपीएपी ऑटोमोटिव लिमिटेड, भारत फ्रिट्ज वर्नर लिमिटेड, इंफोसिस लिमिटेड, रैमको सीमेंट्स लिमिटेड, तमारा लीजर एक्सपीरियंस प्राइवेट लिमिटेड, टाटा मोटर्स लिमिटेड, सेंचुरी एंका लिमिटेड, जीफोरएस सिक्योर सॉल्यूशंस (इंडिया) प्राइवेट। लिमिटेड, हेल्थनेट ग्लोबल लिमिटेड, माई होम कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, बॉश इंडिया, नाइनस्टार मोटरसाइकिल बैंगलोर प्राइवेट लिमिटेड, नोवो नॉर्डिस्क, पिडिलाइट इंडस्ट्रीज लिमिटेड, आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया, डेल इंटरनेशनल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस (एचजीएस), पॉलीकैब इंडिया लिमिटेड, वेदांता लिमिटेड और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड। सीआईआई डीएक्स अवार्ड्स ने पिछले कुछ वर्षों में लोकप्रियता हासिल की है और यह बहुप्रतीक्षित मंच के रूप में उभरा है, जहां डिजिटल परिवर्तन की आशाजनक पहलों को मान्यता मिलने के अलावा, कार्यक्रम में विचार-विमर्श के भविष्य के विषय ने कंपनियों के लिए बहुत कुछ सीखने में सक्षम बनाया है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 1, 2024
कई बार हम खुद बन जाते हैं अपने सबसे बड़े दुश्मन:मल्लिकार्जुन खरगे
नई दिल्ली,01 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। कांग्रेस कार्यसमिति की अहम बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आगामी चुनावों के लिए सख्त दिशा-निर्देश देते हुए पार्टी की एकता और अनुशासन को सर्वोपरि बताया. खड़गे ने पार्टी की हालिया चुनावी विफलताओं पर आत्ममंथन करते हुए कहा कि "हम आपसी मतभेदों और कमजोरियों को सुधारने में ही जीत हासिल करेंगे." खरगे ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, "कई बार हम खुद अपने सबसे बड़े शत्रु बन जाते हैं. हम खुद अपने बारे में नकारात्मक और हताशापूर्ण बातें करेंगे और ये कहेंगे कि हमारा कोई नैरेटिव नहीं है तो मैं पूछता हूं कि नैरेटिव बनाना और उसको जनता तक पहुंचाना किसकी जिम्मेदारी है? ये हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है. जो नैरेटिव हमने राष्ट्रीय स्तर पर सेट किया था, वो अभी भी लागू है. *'राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ स्थानीय मुद्दे भी अहम'* पार्टी अध्यक्ष खरगे ने कहा, "साथियों 2024 के लोक सभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस पार्टी ने नए जोश-खरोश के साथ वापसी की थी. लेकिन उसके बाद हुए, 3 राज्यों के चुनावी नतीजे हमारी उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे. इंडिया ने 4 में से 2 राज्यों में सरकार बनाई. लेकिन हमारा प्रदर्शन उम्मीद से नीचे रहा. भविष्य के लिहाज से यह हमारे लिए चुनौती है. खरगे ने प्रियंका गांधी वायनाड और रवींद्र वसंतराव चव्हाण को नांदेड़ में लोकसभा उपचुनाव में जीत की बधाई देते हुए कहा कि लोकसभा में उत्साहजनक नतीजों के बाद विधानसभा चुनावों में अपेक्षित प्रदर्शन न कर पाना पार्टी के लिए आत्ममंथन का विषय है. कांग्रेस अध्यक्ष बोले, "हम चुनाव भले ही हारे हो, पर इसमें कोई शक नहीं कि बेरोज़गारी, महंगाई, आर्थिक असमानता, इस देश के ज्वलंत मुद्दे हैं. जाति जनगणना भी आज का एक अहम मसला है. संविधान, सामाजिक न्याय और सौहार्द जैसे मसलों जन-जन के मुद्दे है. पर इसका मतलब ये नहीं की हम चुनावी राज्यों में वहां के जरूरी स्थानीय मुद्दों को भूल जाए. राज्यों के अलग-अलग मुद्दों को समय रहते बारीकी से समझना और उसके इर्द-गिर्द ठोस रणनीति बनाना भी जरूरी है. *संगठनात्मक मजबूती पर विशेष जोर* कांग्रेस अध्यक्ष ने संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि "हमारी तैयारियां मतदाता सूची से लेकर मतगणना तक ठोस होनी चाहिए." उन्होंने स्पष्ट किया कि अनुशासनहीनता पर सख्त कार्रवाई होगी लेकिन साथ ही यह भी कहा कि कांग्रेस की जीत में ही सबकी जीत है. खरगे ने माना कि विरोधियों के "प्रोपेगेंडा और गलत सूचनाओं" से निपटने के लिए कांग्रेस को अपनी माइक्रो-कम्युनिकेशन रणनीति को सुधारना होगा. उन्होंने कहा, "हम पुराने ढर्रे पर चलते हुए सफलता नहीं पा सकते. हमें समय के साथ रणनीति बदलनी होगी. *ईवीएम और चुनाव आयोग पर उठाए सवाल* बैठक में ईवीएम पर भी सवाल उठाए गए. खरगे ने कहा, "चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठना चिंता का विषय है, लेकिन हमें यह ध्यान रखना होगा कि हमारे मुद्दे देश की जनता के मुद्दे हैं. मल्लिकार्जुन ने कहा, मैं मानता हूं कि ईवीएम ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है इसलिए इसे लेकर जितना कम कहा जाए उतना अच्छा. लेकिन देश में फ्री एंड फेयर चुनाव सुनिश्चित करवाना चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है. बार-बार ये सवाल उठ रहे हैं कि किस हद तक ये दायित्व निभाया जा रहा है. सिर्फ़ 6 महीने पहले जिस तरह के नतीज़े लोक सभा में एमवीए के पक्ष में आए थे उसके बाद विधान सभा का नतीज़ा राजनीतिक पंडितों के भी समझ से परे है. जैसे परिणाम आए हैं कि कोई भी अंकगणित इसे जस्टिफाई करने में असमर्थ है. मल्लिकार्जुन खरगे ने आखिर में पार्टी कार्यकर्ताओं को निराश न होने की अपील की और कहा कि "हमने पहले भी चुनौतियों का सामना किया है और इस बार भी विजय हमारी होगी. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 1, 2024
देशभर की अदालतों में न्यायाधीशों के 5000 से ज्यादा पद खाली: कानून मंत्री
नई दिल्ली,01 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। देश में सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक न्यायाधीशों के 5,611 पद रिक्त हैं। इनमें सबसे कम सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के दो पद रिक्त हैं। शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों के स्वीकृत पद 34 हैं। इसके अलावा, 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 364 पद खाली हैं, जबकि उनकी स्वीकृत संख्या 1,114 है। इस क्रम में जिला न्यायालयों में सबसे ज्यादा 5,245 पद रिक्त हैं। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार को संसद में प्रश्नकाल के दौरान एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। एक पूरक प्रश्न के जवाब में कानून मंत्री ने बताया कि हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के लिए संविधान के अनुच्छेद 217 और 224 में नियुक्तियों का प्रावधान किया गया है। यहां पदों के खाली होने की वजह सेवानिवृत्ति, इस्तीफे, न्यायाधीशों की पदोन्नति और स्वीकृत संख्या में बदलाव होता है। इन्हें भरने के लिए त्वरित कार्यवाही जारी है, जबकि जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में पदों को भरने की जिम्मेदारी न्यायालय और राज्य सरकार की होती है। इसके लिए सांविधानिक तौर पर राज्य सरकारों को संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से संविधान के अनुच्छेद 309 में और अनुच्छेद 233 और 234 में प्रावधान किए गए हैं। इसके अनुसार राज्य को अधिकार दिया गया है कि वह राज्य न्यायिक सेवा में नियुक्ति के लिए भर्ती के नियम बना सकता है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जनवरी 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में एक विशेष समय सीमा तय की थी, जिसका पालन राजकीय, उच्च न्यायालयों द्वारा जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायाधीशों की भर्ती प्रक्रिया में किया जाना चाहिए। *अखिल भारतीय न्यायिक सेवा को लेकर नहीं बन पाई आम सहमति* अखिल भारतीय न्यायिक सेवा को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री ने संसद को बताया कि मतभेद के कारण इस पर आम सहमति नहीं बन पाई है। 30 अप्रैल, 2022 को मुख्यमंत्रियों व उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के एजेंडे में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के मुद्दे को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था, पर इसे सम्मेलन के एजेंडे में शामिल नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा कि विभिन्न हितधारकों के बीच मतभेदों को देखते हुए अभी अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना के प्रस्ताव पर कोई सहमति नहीं है। *जजों के तबादले पर कॉलेजियम की 5 सिफारिशें लंबित* एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में कानून मंत्री ने लोकसभा में बताया कि हाईकोर्ट के जजों के स्थानांतरण के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से की गई पांच सिफारिशें सरकार के पास छह महीने से अधिक समय से लंबित हैं। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 1, 2024
दिल्ली बम ब्लास्ट: जांच में बड़ा खुलासा;कोई शरारत नहीं धमाकों में संदेश है
नई दिल्ली,01 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। प्रशांत विहार में बंसीवाला स्वीट्स और सीआरपीएफ स्कूल के पास हुए धमाके की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। धमाके में बेंजोइल पेरोक्साइड यानी ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल करने की बात सामने आई है। पाउडर के साथ कुछ और रसायन भी मिलाए गए थे, लेकिन रसायन कौन-कौन से थे इनका रोहिणी स्थित विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) भी अभी तक पता नहीं लगा पाई है। उधर, अधिकारियों का कहना है कि ब्लीचिंग पाउडर आज तक आतंकी वारदात या फिर बम धमाकों में इस्तेमाल नहीं किया गया है। ऐसे में या तो कोई वेस्ट सामान फेंक रहा है या फिर शरारत की जा रही है। *बेंजोइल पेरोक्साइड बम धमाकों के लिए इस्तेमाल नहीं होता* लैब के अफसरों के अनुसार बेंजोइल पेरोक्साइड बम धमाकों के लिए इस्तेमाल नहीं होता। मौके से पुलिस को बम धमाके के लिए इस्तेमाल करने वाली कोई डिवाइस आदि नहीं मिली है। *क्या है बेंजोइल* बेंजोइल पेरोक्साइड मुंहासे विरोधी घटक है जो जैल, क्लींजर और स्पॉट ट्रीटमेंट में पाया जाता है। इसका उपयोग हल्के से मध्यम स्तर के इलाज के लिए अलग-अलग मात्रा में किया जाता है। छिद्रों से बैक्टीरिया और मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने में प्रभावी होने के बावजूद इसकी सीमाएं हैं। ये मुंहासे के इलाज व मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया को कम करने और त्वचा को शुष्क व छिलने से बचाता है। बेहतर परिणामों के लिए इसका इस्तेमाल होता है। सीआरपीएफ स्कूल के पास धमाके की जांच प्रशांत विहार थाना पुलिस कर रही है। जांच में आतंकी वारदात व बम धमाका होने जैसी कोई बात सामने नहीं आई, इस कारण जांच स्पेशल सेल को नहीं दी गई। दूसरे धमाके के मामले में भी प्रशांत विहार थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई। हालांकि, बाकी एजेंसियां भी जांच कर रही हैं। *‘कोई शरारत नहीं धमाकों में है संदेश’* पूर्व पुलिस उपायुक्त एल न राव के मुताबिक, 40 दिनों में दो धमाकों से ऐसा लग रहा है कि यह कोई शरारत नहीं, बल्कि इसमें कोई संदेश हैं। शरारत करने वाला इतनी मेहनत नहीं करेगा। इन धमाकों के पीछे किसी आतंकी संगठन का हाथ हो सकता है। वे धमाका कर एजेंसियों को संदेश देना चाहते हैं कि हम बहुत कुछ कर सकते हैं। विस्फोटक को इस तरह से बनाया गया है जिससे लोगों में डर पैदा हो। विस्फोटक में जिस केमिकल या पाउडर आदि का उपयोग किया गया है, वह बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। पहले सीआरपीएफ स्कूल की दीवार पर धमाका किया। फिर कुछ मीटर की दूरी पर क्राइम ब्रांच के कार्यालय के सामने धमाका हुआ। *घटनास्थल पर आवाजाही रोकी * दिल्ली के प्रशांत विहार में धमाके के बाद शुक्रवार को घटनास्थल पर पुलिस ने आवाजाही रोक दी और सभी दुकानें आदि बंद रहीं। पुलिस ने दुकानों और घरों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच 20 अक्तूबर को सीआरपीएफ स्कूल की दीवार पर हुए धमाके से जोड़कर की जा रही है। धमाके की जांच पुलिस के साथ केंद्रीय एजेंसियां भी कर रही हैं, लेकिन अभी कुछ भी ऐसा हासिल नहीं हो सका है जिससे यह कहा जाए कि धमाका किसने और क्यों किया। पुलिस की स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच के अलावा एफएसएल रोहिणी, एनएसजी और एनआईए की टीमों ने नमूने आदि लिए हैं। पांच किलोमीटर के दायरे में जितने लोगों के मोबाइल संचालित हुए उन सभी का डंप डाटा लिया गया है। इससे जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है। जिस जगह पर धमाका हुआ है, वहां गाड़ियां खड़ी थीं और कूड़ा पड़ा था। इस बीच किसी ने विस्फोटक वहां पर रखा, कूड़े से ढंक दिया। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 1, 2024
कांग्रेस संगठन में बदलाव के संकेत! जब राहुल गांधी ने कहा-खरगे जी चाबुक चलाइए
नई दिल्ली, 30 नवंबर 2024 (यूटीएन)। विधानसभा चुनाव में लगे झटकों के बाद बुलाई गई कांग्रेस वर्किंग कमिटी में संगठन को लेकर मंथन हुआ साथ ही चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए. पार्टी ने ईवीएम समेत पूरी चुनावी प्रक्रिया को लेकर उठ रहे सवालों पर देशव्यापी आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया। इसके अलावा संगठन में सुधार के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही गई. सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से जवाबदेही के मद्देनजर चाबुक चलाने तक को कह दिया. *'हौसला ना खोने की अपील की'* सूत्रों के मुताबिक बैठक में राहुल गांधी ने नेताओं से हौसला ना खोने की अपील की. इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि केवल ईवीएम सवालों के घेरे में नहीं है, पूरी चुनावी व्यवस्था शक के दायरे में है और चुनाव आयोग निष्पक्ष भूमिका नहीं निभा रहा है. *'गुटबाजी और अनुशासन को लेकर दी नसीहत'* सीडब्लूसी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुटबाजी और अनुशासन को लेकर नसीहत दी. मल्लिकार्जुन खरगे ने कठोर फैसले लेने और संगठन में बदलाव की बातें की. बैठक में एक दिलचस्प वाक्या तब हुआ जब चुनावी जवाबदेही और संगठन के फैसलों में होने वाली देरी का जिक्र करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि व्यवस्था ठीक करने के लिए मुझे चाबुक चलाना पड़ेगा. समर्थन के अंदाज में राहुल गांधी तुरंत बोले, खरगे जी चाबुक चलाइए! *'चुनाव आयोग को भी घेरा'* वहीं, सीडब्लूसी के प्रस्ताव में कांग्रेस ने चुनाव आयोग को तो घेरा लेकिन ईवीएम बनाम बैलेट को लेकर साफ राय जाहिर नहीं की. जबकि कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा था कि हमें बैलेट से चुनाव चाहिए. बैठक में प्रियंका गांधी ने भी कहा कि ईवीएम या बैलेट को लेकर पार्टी का रुख स्पष्ट होना चाहिए. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. पार्टी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Nov 30, 2024
भोजन और स्वास्थ्य का भविष्य: नवाचार, स्वास्थ्य और सुरक्षा का सशक्तिकरण
नई दिल्ली, 30 नवंबर 2024 (यूटीएन)। एफएसएसएआई की ईट राइट इंडिया पहल के अनुरूप, हर्बललाइफ ने द ललित, नई दिल्ली में फूड सेफ्टी समिट 2024 का आयोजन किया है। इस कार्यक्रम का प्रबंधन द रेड कार्पेट वेंचर्स द्वारा किया गया था, जिसमें टेक्नोलॉजी, वर्कप्लेस वेलनेस और उपभोक्ता सशक्तिकरण के माध्यम से फूड सेफ्टी इकोसिस्टम को मजबूत करने पर विचार-विमर्श करने के लिए नियामकों, उद्योग के प्रमुखों, शिक्षाविदों और उपभोक्ता संगठनों सहित प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाया गया था। शिखर सम्मेलन की शुरुआत मुख्य अतिथि श्रीमती इनोशी शर्मा आईआरएस, कार्यकारी निदेशक, एफएसएसएआई के दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। उद्घाटन सत्र में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर आयकर आयुक्त श्रीमती शुभ्रता प्रकाश, आईआरएस और खाद्य-संबंधी रुझानों पर नवीनतम एनएसएसओ डेटा से अर्थशास्त्री डॉ. मुदित कपूर ने बहुमूल्य इनसाइट्स प्रदान किए। समिट में हर्बललाइफ इंडिया के एमडी अजय खन्ना ने कहा, "नेशनल फूड सेफ्टी समिट 2024 भारत की महत्वपूर्ण पोषण और खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने में सहयोग की शक्ति का एक उल्लेखनीय प्रमाण है। हर्बललाइफ में हम ‘ईट राइट इंडिया अभियान’ के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए एफएसएसएआई के साथ सहयोग पर गर्व करते हैं। हमारे संयुक्त प्रयासों के माध्यम से हमने कार्यस्थलों, परिसरों और संस्थानों को सेफ, सस्टेनेबल और न्यूट्रिशियस फूड प्रैक्टिसेस के मॉडल में सफलतापूर्वक बदल दिया है। इससे लाखों लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह समिट केवल एक सभा नहीं है, बल्कि इनोवेशन और प्रगति का उत्प्रेरक है। कार्यस्थल पर खाने-पीने की आदतों और फूड सेफ्टी में एआई का लाभ उठाने जैसी रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करके हमारा उद्देश्य सार्थक संवाद और कार्रवाई योग्य इसाइट्स को बढ़ावा देना है। समावेशिता, स्थिरता और व्यवहार परिवर्तन के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता स्वस्थ आहार आदतों के महत्व और हमारे देश के समग्र विकास में उनकी भूमिका को रेखांकित करती है। हर्बललाइफ एफएसएसएआई के साथ इस महत्वपूर्ण मिशन को आगे बढ़ाने के लिए अपने समर्पण में दृढ़ है, जिससे एक स्वस्थ, अधिक जागरूक भारत सुनिश्चित होता है।” जूलियन कैचियोली, ग्लोबल कॉर्पोरेट अफेयर्स के वाइस प्रेसिडेंट - ईएमईए और भारत - हर्बललाइफ ने भारत में खाद्य सुरक्षा पहलों का समर्थन करने के लिए संगठन की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। शिखर सम्मेलन में खाद्य क्षेत्र में स्वास्थ्य, नवाचार और उपभोक्ता सशक्तिकरण पर महत्वपूर्ण चर्चाएँ हुईं। सुश्री भुवनेश्वरी बालासुब्रमण्यम के नेतृत्व में "माइंडफुल ईटिंग एट वर्क" पर एक सेशन में कर्मचारी उत्पादकता को बढ़ाने में कार्यस्थल पर पौष्टिक भोजन और जागरुकता अभियानों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। श्री एस. शरद राव द्वारा संचालित एक अन्य सत्र "अनलीशिंग द पोटेंशियल ऑफ एआई इन द फूड सेक्टर" ने बढ़ी हुई ट्रेसबिलिटी और अनुपालन के माध्यम से खाद्य सुरक्षा पर एआई के परिवर्तनकारी प्रभाव की खोज की, जिसमें सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर जोर दिया गया। अंत में श्री राकेश कुमार ने "एम्पॉवरिंग कंज्यूमर्स" पर एक सत्र का नेतृत्व किया, जिसमें स्पष्ट फूड लेबलिंग, उपभोक्ता शिक्षा और उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए विपणन दावों को नियामक मानकों के साथ संरेखित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। लोगों में राजनीतिक नेता, खाद्य नियामक, एफबीओ और एआई प्रदाता, उद्योग पेशेवर, शैक्षणिक पेशेवर और छात्र शामिल थे। फूड सेफ्टी समिट 2024 ज्ञान के आदान-प्रदान और सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है। यह कार्यक्रम कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि के साथ संपन्न हुआ और एक सुरक्षित, स्वस्थ और अधिक पारदर्शी खाद्य पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में सहयोग को मजबूत किया। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Nov 30, 2024
छुट्टा पशुओं के आतंक से राहगीरों का निकलना हुआ मुश्किल, जिम्मेदार मौन
पीलीभीत /बिलसंडा,30 नवंबर 2024 (यूटीएन)। सरकार के लाख प्रयास के बावजूद छुट्टा पशुओं का आतंक रुकने का नाम नहीं ले जबकि सरकार द्वारा जगह-जगह पर गौशाला खोले गए हैं जिसमें छुट्टा पशुओं के रहने की व्यवस्था की गई है लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से नगर में छुट्टा पशुओं की भरमार आए दिन यह पशु तिराहे चौराहा पर लड़ते दिखाई देते हैं जिसे राहगीरों का निकलना मुश्किल हो गया है पीलीभीत के बिलसंडा नगर में छुट्टा पशुओं की भरमार है ये पशु झुंड में नगर के कमल पार्क तिराहे के पास घूमते है और आपस में लड़ते रहते है कई बार तो तिराहे पर लगे चाट व फल के ठेले को भी पलट दिया है जिससे उनका बहुत नुकसान हो गया. . वही दूसरी तरफ नगर वासियों का निकलना मुस्किल हो रहा है लोगो ने शाम के बाद बिलसंडा के कमल पार्क पर जाना ही छोड़ दिया है और व्यापारी भी जल्द ही अपनी दुकानें बंद कर चले जाते है। क्योंकि तिराहे पर छुट्टा पशुओं को हिंसक होते देखा है आए दिन में छुट्टा पशु से टकराने से कई क्षेत्र वासियों को मौत भी हो चुकी है लेकिन जिम्मेदार छुट्टा पशुओं पकड़ने की कोई दिलचबी नही दिखा रहे है।सरकार द्वारा गौशालाओं में लाखो रुपया खर्च करने के बाद भी जिम्मेदारी की लापरवाही के कारण नगर में छुट्टा पशुओं का आतंक जारी है जब तक कोई बड़ा हादसा नही हो जाता तबतक जिम्मेदार की नीद नही खुलेगी वही हिंसक छुट्टा पशुओं के आतंक की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। पीलीभीत- स्टेट ब्यूरो, (अरुण मिश्रा) |
admin
Nov 30, 2024