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गर्मी में घट रही है रोग निरोधक क्षमता,बीमारियां बढ़ी, 11-3 बजे तक धूप से बचें बुजुर्ग व बच्चे : डॉ विजय कुमार

बडौत,26 मई 2024  (यूटीएन)। तहसील क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में लू या हीटवेव अधिक चलने व तापमान बढने से गर्मी में बच्चे और बुजुर्ग बीमारी की चपेट में अधिक आ रहे हैं। चिकित्सकों का मानना है कि,गर्मी के कारण उनमें रोग निरोधक क्षमता कम होने से बीमारी का अधिक खतरा रहता है।साथ ही अधिक पसीना आने से सोडियम की कमी होने लगती है, जिसके कारण चक्कर आने की भी समस्या बढ़ जाती है। इसलिए उनको सुबह 11 से 3 बजे तक विशेष रूप से धूप से बचने की सलाह दी जा रही है।   नगर में स्थित सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार का कहना है कि, धूप के कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे सिर दर्द तथा अधिक देर तक धूप में रहने से चक्कर आने की समस्या आ जाती है। इसके साथ ही गर्मी के कारण अस्पताल में डायरिया के मरीज बढ़ रहे हैं, इनमें सबसे अधिक मरीज बच्चे और बुजुर्ग हैं।इस दौरान लोगों को दवा के साथ गर्मी से बचाव की सलाह दी जा रही है।    सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार लोगों को सुबह 11 बजे से 3 बजे तक घर से बाहर न निकलने और जरूरी होने पर सिर को गमछा अथवा अन्य किसी कपड़े से ढककर ही घर से बाहर निकलने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि, सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक गर्मी चरम पर होती है ,जिससे बीमारी होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।    सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि, इस समय लू की चपेट मैं आने से बचें।बताया कि, गर्मी में डायरिया के मरीज बढ़े हैं, इनमें बच्चे और बुजुर्ग अधिक हैं। लोगों को गर्मी से बचाव के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 26, 2024

बिजली विभाग: हटाए गए लाइनमैनों को फिर से ड्यूटी पर लेने के नाम पर अवैध वसूली का आरोप

बड़ौत, 26 मई 2024  (यूटीएन)। एक तरफ जनपद में बिजली संकट गहराया हुआ है और लोग सड़कों पर उतरकर बिजली विभाग के खिलाफ हंगामा-प्रदर्शन करने में लगे हैं, वहीं बिजली विभाग के अधिकारी, बिजली आपूर्ति को दुरस्त करने की बजाए लाइनमैनों को हटाने व लगाने की कार्रवाई में जुटे हैं।    आरोप है कि, शिकायतों के बाद हटाएं गए छह लाइनमैनों मेें से दो लाइनमैनों से मोटी रकम वसूलकर फिर से ड्यूटी पर बुला लिया गया है। बता दें कि, मुख्य शिकायत केंद्र पर तैनात अवर अभियंता गुलशन कन्नौजिया ने कुछ महीने पहले छह संविदा कर्मियों को उपभोक्ताओं से अवैध वसूली करने, ड्यूटी में लापरवाही व अनियमितता बरतने पर हटा दिया था।   अब फिर से उन 6 में से ही 2 लाइनमैनों को ड्यूटी पर रख लिया गया है।इस संबंध में उपभोक्ता बबलू मलिक, सोनू तोमर, हिमांशु, योगेश तोमर, विकास आदि का आरोप है कि, विभागीय अधिकारियों का बिजली आपूर्ति पर कोई ध्यान के बदले संविदा कार्मिको की नियुक्ति और निष्कासन में ध्यान ज्यादा है।    आरोप है कि,पहले लाइनमैनों को हटाया जाता है और फिर मोटी रकम वसूलकर ड्यूटी पर लगा दिया जाता है। पूरे शहर में इस समय बिजली संकट गहराया हुआ है। स्थानीय अधिकारी बिजली आपूर्ति को दुरस्त करने की बजाएं इस कार्रवाई में जुटे हैं। उन्होंने डीएम से मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई की मांग की है।    उधर इस संबंध में अवर अभियंता गुलशन कन्नौजिया ने बताया कि, उपभोक्ताओं से अवैध वसूली करने, ड्यूटी में लापरवाही करने व अन्य कारणों पर 6 लाइनमैनों को मेरे द्वारा हटाया गया था। अब फिर से बिना मेरी सहमति के 2 लाइनमैन ड्यूटी पर बुलाए गए हैं। यह किसका आदेश है, उनकी जानकारी में नहीं है।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 26, 2024

जिलाधिकारी की अपील का असर, गौ संरक्षण के लिए भूसा दान हेतु दानदाताओं के बढते कदम

बागपत,26 मई 2024  (यूटीएन)। जनपद में निराश्रित बेसहारा गोवंश के संरक्षण की महत्ता के दृष्टिगत जनपद में स्थापित 27  गौशालाओ , वृहद गौ संरक्षण केंद्र ,अस्थाई गोआश्रय स्थल एवं कान्हा उपवन में कुल 5983 गोवंश संरक्षित हैं। गौ संरक्षण हेतु भूसा, हरा चारा चोकर व अन्य जरूरी सामान की पर्याप्त उपलब्धता हेतु जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह व्यक्तिगत रूप से रुचि ले रहे हैं। इसी क्रम में उनके द्वारा जनपद में एक अच्छी नई पहल प्रारंभ की गई है ,जिससे गोवंश के संरक्षण के लिए जनपद में ग्राम प्रधान ,किसान व अन्य नागरिक दानवीर के रूप में भूसा दान कर रहे हैं ।   मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अरविंद कुमार त्रिपाठी ने बताया कि, गौशालाओं की व्यवस्था हेतु 18 क्यूआर कोड के माध्यम से दानवीरों द्वारा गौशालाओं को अच्छी तरीके से क्रियान्विति कराई जाने के लिए संकल्पित हैं, जिसमें दानवीरों द्वारा गौशालाओं की व्यवस्था में चारा, चौकर आदि के लिए दान दिया जा रहा है। जिलाधिकारी की पहल से लोग प्रेरित हो रहे हैं तथा क्यूआर कोड के माध्यम से अभी तक ₹ 31500 की धनराशि भी प्राप्त हुई है ,जो गौशालाओं में भूसा आदि के काम आएगी। अभी तक चार गौशालाओं में यह कलेक्शन हुआ है ,जो रमाला, किरठल,लुम्व व बदरखा में हैं। इसके साथ ही अब तक जनपद को 5100 कुंतल भूसा भी दान में प्राप्त हुआ है।    इस संबंध में जनपदवासियों से पुनः अपील की गई है कि, भूसा दान ,हरा चारा व अन्य जरूरत का पदार्थ दान करने के लिए आगे आएं और भूसा दान अभियान से जुड़ें तथा भूसा दान करने में अपनी सहभागिता दें। कहा गया है कि, गौ संरक्षण के लिये किया गया दान बहुत ही पुण्य कार्य है।गौ संरक्षण के लिए जिलाधिकारी के निर्देशन में भूसा क्रय करने हेतु 61146 कुंतल का लक्ष्य प्राप्त हुआ था  जिसके क्रम में जनपद बागपत में 49534 कुंतल भूसा अब तक ट्रैक कर लिया है।   बता दें कि, जनपद में तीन बृह्द गो संरक्षण केंद्र काकोर कला, विजवाड़ा, भगोट ग्राम पंचायत के अंतर्गत तथा नगला  में बृहद गोसंरक्षण केंद्र बनाए जा रहे हैं जो जल्द ही क्रियान्वित कर दिए जाएंगे ,जिससे गोवंशों को इनका लाभ प्राप्त होगा । भूसा दान अभियान जनपद में 31 मई तक चलेगा । उन्होंने कहा ,ऐसे भूसा दानवीर व दानदाता, भूसा दान या क्यूआर कोड के माध्यम से आर्थिक सहायता में अपनी सहभागिता और जन सहयोग कर रहे हैं, उनके द्वारा यह एक सराहनीय पहल है और उनके द्वारा यह एक पुण्य कार्य है ।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

Ujjwal Times News

May 26, 2024

पांच साल के अंदर देशभर में लागू होगा यूसीसी:अमित शाह

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि मोदी सरकार के अगले कार्यकाल में ही देशभर में समान नागरिक संहिता लागू कर दी जाएगी। शाह ने कहा कि अगर भाजपा की सत्ता में वापसी होती है तो सभी हितधारकों से व्यापक चर्चा के बाद यूसीसी को लाया जाएगा। एक इंटरव्यू के दौरान अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार का अगला कार्यकाल कई मायनों में अहम होगा क्योंकि इसी दौरान एक देश-एक चुनाव को भी लागू किया जाएगा। शाह ने कहा कि अब समय आ गया है, जब देशभर में एक साथ चुनाव हों।    *यूसीसी लागू करना हमारी जिम्मेदारी* शाह ने कहा 'समान नागरिक संहिता हम पर एक जिम्मेदारी है, जिसे हमारे संविधान निर्माता हम पर, हमारी संसद पर और राज्य विधानसभाओं पर छोड़कर गए हैं। संविधान सभा ने हमारे लिए जो मार्गदर्शक सिद्धांत तय किए थे, उनमें समान नागरिक संहिता भी शामिल है। यहां तक कि उस समय भी कानूनी विद्वानों जैसे केएम मुंशी, राजेंद्र बाबू, आंबेडकर जी ने कहा था कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर कानून नहीं होने चाहिए। समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।'   शाह ने कहा 'समान नागरिक संहिता हम पर एक जिम्मेदारी है, जिसे हमारे संविधान निर्माता हम पर, हमारी संसद पर और राज्य विधानसभाओं पर छोड़कर गए हैं। संविधान सभा ने हमारे लिए जो मार्गदर्शक सिद्धांत तय किए थे, उनमें समान नागरिक संहिता भी शामिल है। यहां तक कि उस समय भी कानूनी विशेषज्ञों जैसे केएम मुंशी, राजेंद्र बाबू, अंबेडकर जी ने कहा था कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर कानून नहीं होने चाहिए। समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।   *'हमारे एजेंडे में 1950 से ही है समान नागरिक संहिता'* गृह मंत्री ने कहा कि 'भाजपा ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करके एक प्रयोग किया है क्योंकि यह राज्यों और केंद्र दोनों का विषय है। समान नागरिक संहिता हमारे एजेंडे में साल 1950 से ही है और हाल ही में भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड में इसे लागू भी कर दिया गया है।' अमित शाह ने कहा 'मुझे लगता है कि समान नागरिक संहिता एक बड़ा सामाजिक, कानूनी और धार्मिक सुधार होगा। उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाए कानून की भी सामाजिक और कानूनी जांच भी होनी चाहिए और धार्मिक नेताओं से भी सलाह ली जानी चाहिए।   उन्होंने कहा 'मेरा मतलब है कि इस मुद्दे पर व्यापक बहस होनी चाहिए और अगर कुछ भी बदलाव की जरूरत महसूस होती है तो उत्तराखंड सरकार को वह बदलाव करना चाहिए। यह मामला कोर्ट में भी जरूर जाएगा और न्यायपालिका भी इस पर अपना विचार देगी। इसके बाद राज्य विधानसभाओं और संसद को भी इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और कानून को लागू करना चाहिए। यही वजह है कि हमने अपने संकल्प पत्र में भी लिखा है कि भाजपा पूरे देश में समान नागिरक संहिता लागू करेगी। क्या देश में अगले पांच वर्षों में समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी? इसके जवाब में अमित शाह ने कहा 'यह अगले कार्यकाल में हो सकता है। पांच साल इसके लिए पर्याप्त समय है।   *'एक देश एक चुनाव' भी अगले कार्यकाल से ही लागू करने की तैयारी* एक देश एक चुनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर अमित शाह ने कहा 'पीएम मोदी ने रामनाथ कोविंद समिति का गठन किया था। मैं भी उसका सदस्य था। यह रिपोर्ट जमा कर दी गई है और अब समय भी आ गया है, जब देश में चुनाव एक साथ कराए जाएं।' उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में ही इसे लागू करने की कोशिश की जाएगी।   केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा एक साथ चुनाव कराने से चुनाव की लागत भी कम होगी। इन आम चुनाव में मतदाता भीषण गर्मी से परेशान हैं और इसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ा है। ऐसे में क्या चुनाव गर्मी के बजाय सर्दियों के मौसम में कराए जा सकते हैं? इसके जवाब में शाह ने कहा कि हम इस पर विचार कर सकते हैं। ऐसा हो सकता है। अभी स्कूली छात्रों की छुट्टियां चल रही हैं, जिसके चलते काफी परेशानी होती है। समय के साथ चुनाव होते होते गर्मियों के मौसम में होने लगे हैं।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

एम्स समेत कई मेडिकल संस्थानों में बन रहे 'चलने वाले अस्पताल

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आरोग्य मैत्री प्रोजेक्ट के तहत पहले पोर्टेबल अस्पताल को तैयार किया गया है ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में पीड़ितों का तुरंत इलाज शुरू हो सके। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अगले दो से तीन महीनों में देश के अलग- अलग हिस्सों में स्थित ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस समेत सभी बड़े मेडिकल संस्थानों में पोर्टेबल अस्पताल होंगे। प्रोजेक्ट भीष्म (सहयोग, हित और मैत्री के लिए भारत की स्वास्थ्य पहल) के साथ स्वदेशी रूप से इसे डिज़ाइन किया गया है। प्राकृतिक आपदाओं समेत किसी भी संकट की स्थिति में 200 पीड़ितों का इलाज किया जा सकता है।   72 क्यूब को जोड़कर एक पोर्टेबल अस्पताल तैयार किया जाता है, इसे हवाई, जल या फिर सड़क किसी भी मार्ग से ले जा सकते हैं। पहाड़ी इलाकों, दूर- दराज के इलाकों, नॉर्थ ईस्ट समेत ऐसे क्षेत्रों में अगर कोई आपदा आती है तो इन पोर्टेबल अस्पतालों को एम्स व दूसरे संस्थानों से तुरंत उन जगहों पर भेजा जाएगा और पीड़ितों का इलाज शुरू होगा। इस अस्पताल में बुलेट इंजरी, स्पाइनल, चेस्ट, इंजरी के साथ ही बर्न और स्नेक बाइट के मरीजों का भी इलाज हो सकता है।   *वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में दिखाया जाएगा मॉडल* देश में पिछले दस वर्षों में एम्स की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। हाल ही में एम्स राजकोट, एम्स बठिंडा, पश्चिम बंगाल में एम्स कल्याणी, आंध्र प्रदेश में एम्स मंगलागिरी और एम्स रायबरेली देशवासियों को समर्पित किया गया है। वहीं एम्स रायबरेली, एम्स बठिंडा भी तैयार हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जिनीवा में 27 मई से शुरू होने वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में भी भारत द्वारा तैयार किए गए पोर्टेबल अस्पताल के मॉडल को दिखाया जाएगा।   इससे जुड़ी वीडियो को एक सेशन में दिखाया जाएगा और अलग- अलग देशों को बताया जाएगा कि भारत ने आपात स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कैसे नए प्रयोग किए हैं। विभिन्न देशों को बताया जाएगा कि भारत ने सबसे कम दामों में, सबसे उपयुक्त आपातकालीन मेडिकल रिस्पांस सिस्टम-भिष्म तैयार कर लिया है। इससे दूसरे देश भी अपने यहां इस मॉडल को लागू कर सकते हैं। इस क्यूब अस्पताल में वेंटिलेटर, एक्सरे और अल्ट्रासाउंड सहित सभी आवश्यक उपकरण शामिल हैं।   *कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स वाली स्टडी का मॉडल केवल फोन पर आधारित* स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट्स को लेकर की गई स्टडी केवल टेलिफोन पर की गई बातचीत पर आधारित थी और कोई साइंटिफिक आधार नहीं था। ऐसे में इस स्टडी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि किसी भी रिसर्च करने का एक तरीका होता है लेकिन इस रिसर्च की कार्यप्रणाली का कोई आधार ही नहीं था। बस लोगों से फोन किया गया और उसके आधार पर ही रिपोर्ट तय कर दी गई। इलाज के डॉक्युमेंट्स भी नहीं देखे गए। बीएचयू के रिसचर्स ने यह स्टडी की थी और एक विदेशी जर्नल में यह स्टडी (रिसर्च पेपर) प्रकाशित हुआ था। जिसके बाद आईसीएमआर ने इस स्टडी को भ्रामक और गलत तथ्यों पर आधारित बताया था।   दरअसल बीएचयू के रिसचर्स द्वारा जनवरी 2022 से अगस्त 2023 के बीच की गई इस स्टडी में दावा किया गया था कि 926 प्रतिभागियों में से लगभग 50 प्रतिशत ने संक्रमण की शिकायत की थी और स्ट्रोक और गुइलिन-बैरे सिंड्रोम के दुर्लभ जोखिम को बढ़ाया है। इस मुद्दे पर ICMR के डायरेक्टर जनरल ने बीएचयू में यह रिसर्च करने वाले लेखकों और न्यूजीलैंड स्थित ड्रग सेफ्टी जर्नल के संपादक को पत्र लिखा था। सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर रिसर्च करने वालों ने आईसीएमआर को जवाब भेजा है और सूत्रों का दावा है कि उन्होंने माफी भी मांगी है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

खत्म हुआ 'दिल्ली का दंगल' 54.32 फीसदी मतदान

नई दिल्ली, 26 मई 2024  (यूटीएन)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शनिवार को सभी 7 लोकसभा सीटों पर मतदान समाप्त हो गया. दिल्ली में शाम 6 बजे तक सभी सात सीटों पर औसत मतदान 54.32 फीसदी दर्ज किया गया. शाम 6 बजे तक दिल्ली की चांदनी चौक सीट पर 53.27 फीसदी, ईस्ट दिल्ली में 54.37 प्रतिशत जबकि न्यू दिल्ली लोकसभा सीट पर 51.05 फीसदी मतदान हुआ. इसके साथ ही नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली लोकसभा 58.30 फीसदी, नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट पर 53.81 प्रतिशत मतदान, साउथ दिल्ली सीट पर 52.83 फीसदी और वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट पर 54.90 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.   *दिल्ली में शाम 5 बजे तक कितना मतदान?* दिल्ली में शाम पांच बजे तक सभी सात सीटों पर औसत मतदान 53.73 फीसदी दर्ज किया गया. शाम पांच बजे तक दिल्ली की चांदनी चौक सीट पर 53.27 फीसदी, ईस्ट दिल्ली में 53.69 प्रतिशत जबकि न्यू दिल्ली लोकसभा सीट पर 50.44 फीसदी मतदान हुआ. इसके साथ ही नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली लोकसभा 57.97 फीसदी, नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट पर 53.17 प्रतिशत मतदान, वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट पर 54.15 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.   *दिल्ली में दोपहर 3 बजे तक कितना मतदान?* दिल्ली में दोपहर तीन बजे तक 44.58 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के ऑफिस ने कहा कि सबसे अधिक मतदान उत्तर पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में 47.85 प्रतिशत दर्ज किया गया, जबकि नई दिल्ली सीट पर सबसे कम मतदान प्रतिशत 42.17 था. पूर्वी दिल्ली में मतदान प्रतिशत 44.70 प्रतिशत था, चांदनी चौक पर 43.24 प्रतिशत, उत्तर पश्चिम दिल्ली में 44.78 प्रतिशत, दक्षिणी दिल्ली में 42.96 प्रतिशत और पश्चिमी दिल्ली में 44.91 प्रतिशत मतदान हुआ.   चुनाव अधिकारियों ने कहा कि किसी भी मतदान केंद्र पर तकनीकी खराबी या मतदान शुरू होने में देरी की कोई रिपोर्ट नहीं है. नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के सेंट कोलंबा स्कूल में वोट डालने गईं सीपीआई (एम) नेता बृंदा करात ने आरोप लगाया कि उन्हें अपना वोट डालने के लिए लगभग एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा क्योंकि ईवीएम कंट्रोल यूनिट की बैटरी खराब हो गई थी. दिल्ली की मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया कि गवर्नमेंट स्कूल नंबर 3 कालकाजी में अभी एक चुनाव अधिकारी ने आकर निर्देश दिए हैं कि पोलिंग एजेंट कोई भी डेटा नोट नहीं कर सकते.   *दिल्ली में कई दिग्गज नेताओं ने डाला वोट* केंद्रीय मंत्री एस जयशंकर और हरदीप सिंह पुरी, आप नेता और मंत्री आतिशी, निवर्तमान पूर्वी दिल्ली सांसद गौतम गंभीर और अलग-अलग दलों के उम्मीदवारों ने सुबह-सुबह वोट डाला. अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में अपना वोट डाला. मतदान केंद्रों पर वोटर्स के लिए चिलचिलाती गर्मी से बचने के लिए कई इंतजाम किए गए थे.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 26, 2024

गजरौला श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के इकाई का गठन कार्यक्रम किया गया

पीलीभीत,26 मई 2024  (यूटीएन)। गजरौला श्रम जीवी पत्रकार यूनियन पंजी. का बीसलपुर, पूरनपुर, बिलसंडा के बाद आज गजरौला में इकाई का गठन किया गया। जिसमें सर्वसहमति से सर्वेश शर्मा को अध्यक्ष बनाया गया व योगेश को महामंत्री साथ ही सर्वेश शर्मा को संगठन मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है । जिलाध्यक्ष हरिपाल सिंह ने सभी पत्रकार साथियों को पत्रकारो के हितो में मजबूती में कार्य करने और आपस में एकजुट होकर जिले एकता के संदेश को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया । श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के नवनिर्वाचित जिलाध्यक्ष हरिपाल सिंह के नेतृत्व में गजरौला श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के इकाई का गठन कार्यक्रम किया गया। पत्रकारों ने जिलाध्यक्ष हरिपाल सिंह, जिला मीडिया प्रभारी करन सिंह चौहान को माला पहनाकर उनका जोरदार स्वागत किया। जिलाध्यक्ष हरिपाल सिंह ने कहा पत्रकारिता एक चुनौतीपूर्ण पेशा है. जिसमें सभी को संगठित होकर कार्य करने की जरूरत है। हरिपाल सिंह ने कहा पत्रकारों की एकजुटता के संदेश के साथ वह जिले के आखिरी छोर तक संगठन को मजबूत करेंगे ताकि एकता की मजबूत शक्ति के सामने किसी पत्रकार के उत्पीड़न की किसी की हिम्मत न पड़ सके ।  जिलाध्यक्ष ने कहा संगठन का मकसद पत्रकारों के हितों की रक्षा और आपसी मतभेद खत्म कर सभी को एक धागे में पोने के लिए लगातार सभी प्रयासरत रहेंगे । पत्रकारिता के क्षेत्र में आज युवाओं की काफी मांग और युवा पत्रकारिता की कमान संभाले हुए है मौका है सभी युवा पत्रकारों को साथ आना चाहिए और यह संकल्प लेना चाहिए कि अगर हमारे किसी पत्रकार भाई का उत्पीड़न या कोई कठिनाई आयेगी तो सब मिलकर उसका मुकाबला करेगे । आपको बता दे इस दौरान कार्यक्रम में महेंद्रपाल शर्मा बंटी, इंद्रजीत, सर्वेश कुमार, अवधेश वर्मा, राही मोहम्मद रजा, राकेश बाबू समेत कई पत्रकार साथी मौजूद रहे । पीलीभीत- स्टेट ब्यूरो, (अरुण मिश्रा) |

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May 26, 2024

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मुजरा’ वाली टिप्पणी पर बवाल

नई दिल्ली, 25 मई 2024  (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव 2024 अपने आखिरी दौर से गुजर रहा है. आज शनिवार (25 मई) को छठे चरण की वोटिंग होने के बाद सातवें और आखिरी चरण की वोटिंग 1 जून को होगी. इससे पहले बयानों के बाणों की बौछार हो रही है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुजरा वाले बयान पर बवाल मच गया. विपक्षी दलों ने पीएम मोदी को घेरने की कोशिश की. प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “'आज मैंने प्रधानमंत्री के मुंह से 'मुजरा' शब्द सुना. मोदीजी, ये कैसी मनःस्थिति है? आप कुछ लेते क्यों नहीं? अमित शाह और जेपी नड्डा जी को तुरंत उनका इलाज कराना चाहिए. शायद सूरज के नीचे भाषण देने से उनके दिमाग पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है.   वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने भी पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा, "नारी शक्ति' से, आदमी अब 'मुजरा' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने पर उतर आया है." उन्होंने आगे कहा, “10 साल के पीआर और सावधानीपूर्वक तैयार की गई छवि के बाद, मोदी अब अपना असली रूप नहीं छिपा सकते. इतनी घटिया भाषा. यह सोच के भी डर लगता है कि प्रधानमंत्री के रूप में अपनी विदेश यात्राओं के दौरान वह क्या-क्या कहते होंगे.   *‘क्या ये एक प्रधानमंत्री की भाषा है?’* मनोज झा के हवाले ने कहा, ''वह (पीएम मोदी) जो कह रहे हैं उससे चिंतित हैं. मैं अब उसके बारे में चिंतित हूं. कल तक हम उनसे असहमत थे, अब हमें उनकी चिंता हो रही है. मैंने हाल ही में कहा था कि वह भव्यता के भ्रम का शिकार हो रहे हैं. 'मछली', मटन, मंगलसूत्र और 'मुजरा'... क्या यह एक पीएम की भाषा है?” उन्होंने आगे कहा, "मैं पहले प्रधानमंत्री से असहमत होता था. अब मुझे प्रधानमंत्री की चिंता हो रही है. वे मेरे देश के प्रधानमंत्री हैं, दुनिया में क्या सोचा जा रहा होगा कि मेरे देश के प्रधानमंत्री की राजनीतिक जुबान कैसी है. कौन सी फिल्में देख देख कर ये डायलॉग लिखे जा रहे हैं? अगर कोई ये कहने लगे कि मैं दैव्य रास्ते से आया हूं, मेरा जन्म बायोलॉजिकल तरीके से नहीं हुआ है, अगर हम और आप ये बात कहें तो लोग कहेंगे कि इसे डॉक्टर के पास ले चलो."   *क्या कहा था पीएम मोदी ने?* दरअसल, बिहार में काराकाट और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्रों में बैक-टू-बैक रैलियों को संबोधित करते हुए, पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “बिहार वह भूमि है जिसने सामाजिक न्याय की लड़ाई को एक नई दिशा दी है. मैं इसकी धरती पर घोषणा करना चाहता हूं कि मैं एससी, एसटी और ओबीसी को उनके अधिकारों से वंचित करने और उन्हें मुसलमानों की ओर मोड़ने की इंडिया ब्लॉक की योजनाओं को विफल कर दूंगा. गुलाम बने रह सकते हैं और अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए 'मुजरा' कर सकते हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 25, 2024

हाइपरटेंशन के शिकार डॉक्टरों ने बताया कैसे करें बचाव

नई दिल्ली, 25 मई 2024  (यूटीएन)। जब कभी आप डॉक्टर के पास किसी बीमारी के इलाज या परामर्श के लिए जाते हैं तो वह सबसे पहले आपका बीपी चेक करते हैं. क्योंकि आजकल ज्यादातर लोगों में हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) की परेशानी आम है. हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर माना जाता है जो व्यक्ति के शरीर को अंदर ही अंदर काफी नुकसान पहुंचाता है. हाइपरटेंशन से बचाव के लिए दिल्ली स्थित एम्स 17 मई से 25 मई तक हाइपरटेंशन सप्ताह मना रहा है. जिसके तहत अस्पताल में आए मरीज और उनके परिजनों को इस घातक बीमारी के बारे में जागरूक किया जा रहा है. एम्स की तरफ से हाइपरटेंशन को लेकर जागरूकता लाने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.   जिसमें डॉक्टरों ने इस बीमारी के कारण, लक्षण और इससे बचाव के बारे में काफी विस्तार से बताया. डॉक्टरों ने बताया कि देश में हाइपरटेंशन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसको ध्यान में रखते हुए एम्स कई योजनाएं बना रहा है. आने वाले समय में लोग आसानी से हाइपरटेंशन का इलाज करवा सकेंगे. उन्होंने कहा कि हाइपरटेंशन बीमारी का इलाज काफी कम दाम पर किया जा सकता है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में लगभग 22 करोड़ वयस्कों को उच्च रक्तचाप है और युवाओं में हाई बीपी की बढ़ती प्रवृत्ति देखने को मिल रही है.   मीडिया से बात करते हुए एम्स की डॉक्टर किरण गोस्वामी ने बताया कि आज युवाओं में हाइपरटेंशन की बीमारी ज्यादा देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, अपने खाने में अधिक नमक का सेवन, शारीरिक गतिविधि की कमी, अधिक वजन, तला भुना भोजन, फल और सब्जियों का कम सेवन और तनाव जैसे कई मुख्य कारण हैं. भोजन में हरी सब्जियों और फलों को शामिल कर, रूटीन में व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों को शामिल कर व तनाव से बचने जैसी आदतें अपनाकर हाइपरटेंशन से बचा जा सकता है.   *इस नई व्यवस्था से डॉक्टरों का दबाव होगा कम*   राजधानी के बड़े और नामी अस्पताल एम्स में जल्द ही फ्लेबोटोमिस्ट की नियुक्तियां की जाएंगी. ये नियुक्तियां डॉक्टरों के काम के दबाव को कम करने के उद्देश्य से की जा रही है. एम्स दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों के काम के दबाव को कम करने के लिए फ्लेबोटोमिस्ट नियुक्त किए जाएंगे. फ्लेबोटोमिस्ट उस स्टाफ को कहते हैं जो मरीजों को ग्लूकोज चढ़ाने और इंजेक्शन देने तक का कम करते हैं. इनकी अनुपस्थिति में ये काम रेजिडेंट डॉक्टरों को ही करना पड़ता है.   इन कार्यों के दबाव के कारण वो मरीजों के इलाज पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पाते हैं. इसलिए एम्स के कई रेजिडेंट डॉक्टरों, फैकल्टी और अन्य कर्मचारियों की ओर से लंबे समय से इन नियुक्तियों की मांग की जा रही थी. फ्लेबोटोमिस्ट की नियुक्ति के लिए एम्स के डायरेक्टर से कई बार मांग की गई, क्योंकि इससे डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों के लिए पर्याप्त समय की बचत हो सकती है. इसलिए एम्स दिल्ली में आउट सोर्सिंग के आधार पर फेलोबॉमी सेवा लेने के लिए खुली निविदा आमंत्रित किया गया है.   इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया गया है. इस आउटसोर्स सेवा प्रदाता कंपनी से अपेक्षा की जाएगी कि वे निर्धारित रोगी क्षेत्रों से दिन में कम से कम एक बार नियमित रक्त नमूना संग्रह के लिए पर्याप्त संख्या में फ्लेबोटोमिस्टों की नियुक्ति करें. आपातकालीन विभागों में चौबीस घंटे आधार पर फ़्लेबोटॉमी सेवाएं प्रदान करें.   *फ्लेबोटोमिस्ट की गैरमौजूदगी में रेजिडेंट डॉक्टर करेंगे ये काम*   बारकोड करना और एकत्र किए गए नमूनों को एम्स के भीतर संबंधित प्रयोगशालाओं तक पहुंचाना फ्लेबोटोमिस्ट की मुख्य जिम्मेदारी है. हालांकि, फ्लेबोटोमी की कला और विज्ञान सीखना रेजिडेंट डॉक्टर के कर्तव्यों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, फ़्लेबोटोमिस्टों को शामिल करने का इरादा केवल रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों पर भार कम करना है ताकि वे अन्य रोगी देखभाल पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकें.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 25, 2024

गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कर्मचारी कल्याण की दिशा में सक्रिय कदम

नई दिल्ली, 25 मई 2024  (यूटीएन)। कर्मचारी कल्याण को प्राथमिकता देने वाले एक सराहनीय कदम में, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय ने हील फाउंडेशन के सहयोग से अपने द्वारका परिसर में एक मुफ्त निवारक स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया। शिविर का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. महेश वर्मा ने किया। विश्वविद्यालय के लगभग 600 कर्मचारी अत्याधुनिक हेल्थ पॉड (एटीएम) का इस्तेमाल करके व्यापक स्वास्थ्य मूल्यांकन से गुजरेंगे। मोबाइल स्वास्थ्य जांच शिविर की सुविधा हील फाउंडेशन द्वारा की गई थी। निवारक स्वास्थ्य जांच शिविर का उद्घाटन करते हुए, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. महेश वर्मा ने कहा, “निवारक स्वास्थ्य सेवा सर्वोपरि है।   यह पहल हमारे मूल्यवान संकाय/विभाग और कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारी इस पहल की बहुत सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं,  और हम निकट भविष्य में इस कार्यक्रम को अपने अन्य परिसरों और कॉलेजों में विस्तारित करने की योजना बना रहे हैं। आज का निवारक स्वास्थ्य जांच शिविर हमारे कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। संभावित स्वास्थ्य समस्याओं का शीघ्र पता लगाने और उनकी रोकथाम के लिए चयापचय स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण बातों की नियमित निगरानी बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण है।   एटीएम जैसे दिखने वाले हेल्थ पॉड्स 20 महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों के लिए एक नान-इनवेलिव स्क्रीनिंग (बिना चार-फाड़ वाली जांच) प्रदान करते हैं, जिनमें एसपीओ2, रक्तदाब, बीएमआई, कमर और कूल्हे का अनुपात, हड्डियों में खनिज की मात्रा, नाड़ी, तापमान, विसेरल फैट (आंतों के आसपास जमा होने वाली वसा), शरीर की कोशिकाओं का द्रव्यमान, शरीर में वसा का प्रतिशत, वजन और ईसीजी शामिल हैं। शरीर से संबंधित ये बातें अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने और पुरानी बीमारियों को रोकने के लिए आवश्यक हैं।   हील फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. स्वदीप श्रीवास्तव ने निवारक स्क्रीनिंग के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “व्यापक निवारक स्वास्थ्य जांच की पेशकश करके, हम एक स्वस्थ कार्य वातावरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक सक्रिय कदम उठा रहे हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए जीजीएसआईपी विश्वविद्यालय के सभी परिसरों में इस सेवा का विस्तार करने के लिए तैयार हैं ताकि कोई भी कर्मचारी इसका लाभ उठाने से वंचित न रह जाए।   यह पहल ऐसे समय में आई है जब निवारक स्वास्थ्य उपायों को विश्व स्तर पर महत्व मिल रहा है। जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की बढ़ती घटनाओं के साथ, नियमित स्वास्थ्य जांच जरूरी हो गई है। हेल्थ पॉड्स द्वारा प्रदान की जाने वाली जांचे त्वरित और नान-इनवेसिव (बिना चार-फाड़ वाली) हैं और रिपोर्ट भी तुरंत मिल जाती है। इन विशेषताओं से यह व्यस्त पेशेवरों के लिए एक व्यावहारिक उपाय बन जाता है।   यह स्वास्थ्य जांच शिविर निवारक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य जागरूकता की संस्कृति के निर्माण के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप है। जब संस्थाएं स्वास्थ्य संरक्षकों की भूमिका निभाएंगी, तब  इसका प्रभाव स्वस्थ समुदायों और अधिक मजबूत कार्यबल में देखने को मिलेगा।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 25, 2024