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हम एकमात्र देश हैं जिसने पिछले साल पेटेंट में 3 अंकों की वृद्धि दर्ज की: ट्रेडमार्क महानियंत्रक
नई दिल्ली,04 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 92,000 पेटेंट आवेदन दायर किए गए थे, यह बात भारत सरकार के पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक प्रो. (डॉ.) उन्नत पी. पंडित ने नई दिल्ली में एसोचैम आईपी उत्कृष्टता पुरस्कार और शिखर सम्मेलन में बोलते हुए कही। एसोचैम के एक कार्यक्रम में बोलते हुए पंडित ने कहा कि हर छह मिनट में, एक नया आविष्कार जो भारतीय अर्थव्यवस्था में आशाजनक दिखता है, भारत में बौद्धिक संपदा संरक्षण की मांग करता है। भारत एक आईपी-अनुकूल राष्ट्र है जो बौद्धिक संपदा को महत्व देता है और व्यवसायों का विस्तार करने और सामाजिक मांगों को पूरा करने के लिए आईपी-संचालित समाधानों को बढ़ावा देता है। कई उद्योगों में बोद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए, हम बोद्धिक संपदा दिशा-निर्देशों को अपडेट कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत में एक मजबूत बोद्धिक संपदा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए बोद्धिक संपदा विनियमन महत्वपूर्ण हैं। डॉ. पंडित ने भारत के भविष्य का निर्माण करने वाली आईपी प्रणाली पर प्रकाश डाला और कहा कि अब समय आ गया है कि हम ज्ञान आधारित प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक समाधान डिजाइन को बढ़ावा दें। शोध जमीनी स्तर की वास्तविकता को संबोधित करता है और विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए, हम पहले से ही वैश्विक प्लेटफार्मों में अपने आईपी प्रभाव को बढ़ाने के मार्ग पर हैं। हमें एक ऐसी आईपी प्रणाली बनाने की आवश्यकता है जो जीवंत हो और सबसे दूर की जरूरतों को पूरा करे। हम कुशल आईपी फाइलिंग की दिशा में काम कर रहे हैं। स्वीकृत पेटेंट में यह तीव्र वृद्धि भारत के पेटेंट कार्यालय की आवेदनों को संसाधित करने और आईपी अधिकार प्रदान करने की दक्षता को रेखांकित करती है। यह दायर किए जा रहे आवेदनों की बढ़ती गुणवत्ता को भी दर्शाता है, जिसमें कई नवाचार वैश्विक मानकों को पूरा करते हैं। यह प्रगति तकनीकी और वैज्ञानिक विकास के केंद्र के रूप में भारत की बढ़ती परिपक्वता को दर्शाती है। उन्होंने आगे कहा, भारत में निवासी पंजीकरणों में वृद्धि, विशेष रूप से पेटेंट और ट्रेडमार्क के क्षेत्रों में स्थानीय नवाचार की ओर एक कदम स्पष्ट है। आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा द्वारा समर्थित एक विकासशील घरेलू नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र भारत की बढ़ती निवासी फाइलिंग में देखा जा सकता है। सुरक्षा की मांग करने के अलावा, अधिक भारतीय व्यवसाय और व्यक्ति घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपनी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को बढ़ाने के साधन के रूप में पेटेंट और ट्रेडमार्क पंजीकृत कर रहे हैं। एसोचैम नेशनल काउंसिल ऑन आईपीआर के अध्यक्ष प्रवीण आनंद ने इनोवेशन इंडेक्स 2024 में भारत की स्थिति पर जोर देते हुए अपना स्वागत भाषण दिया, जो बढ़कर 39 हो गया। यह एक कुशल आईपी पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने वाली भारत सरकार की ताकत को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि भारत एसईपी मुकदमेबाजी के लिए एक जाना-माना देश है और कैसे जटिल मामलों को आसानी से निपटाया जाता है। हम न केवल गुणवत्ता पर बल्कि एक देश के रूप में मात्रा पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। भारत में बौद्धिक संपदा आईपी का परिदृश्य नाटकीय रूप से बदल रहा है, जो नवाचार की दुनिया में देश की बढ़ती प्रमुखता का संकेत है। भारत अपनी मजबूत कानूनी संरचना और हाल के संशोधनों के कारण वैश्विक पेटेंट पारिस्थितिकी तंत्र में एक प्रमुख भागीदार के रूप में खुद को स्थापित कर रहा है। जेट्रो के वरिष्ठ निदेशक बौद्धिक संपदा अधिकार और दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय बौद्धिक संपदा अताशे हिरोयुकी नाकानो ने कहा। एसोचैम और रेम्फ्री एवं सागर द्वारा भौगोलिक संकेतों पर एक संयुक्त ज्ञान रिपोर्ट जारी की गई। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 4, 2024
विकसित भारत के लिए छोटे किसानों की आय बढ़ाना जरूरी: पीके मिश्रा
नई दिल्ली,04 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने कहा, 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए कम जमीन वाले किसानों पर अधिक ध्यान देने और उनकी आय बढ़ाने की जरूरत है। पिछले दशक में केंद्र व राज्य दोनों स्तरों पर छोटे और सीमांत किसानों की सहायता के लिए सरकारों ने पहल की है। आरबीआई के एक कार्यक्रम में मिश्रा ने कहा, फसल विविधीकरण, टेक्नोलॉजी का उपयोग, फसल के बाद के नुकसान को कम करने व भंडारण जैसी समस्याओं को हल करने पर जोर दिया गया है। साथ ही, प्रत्यक्ष किसान-ग्राहक प्लेटफॉर्म, ग्रामीण औद्योगीकरण और किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना जैसे कई उपाय करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा, हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि छोटे जमीन धारकों पर अधिक ध्यान देने और उनकी आय बढ़ाने के लिए रणनीति बनानी होगी। छोटे किसानों के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर उनकी उत्पादकता बढ़ानी होगी। भारत की कृषि पर छोटे किसानों का वर्चस्व है। निकट भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। 16.8 करोड़ हेक्टेयर जमीन खेती के लायक है। इनमें से 88 फीसदी हिस्सा 2 हेक्टेयर से कम वाली जमीन हैं। *पांच दशकों में तेजी से बढ़ी खेती वाली जमीन* मिश्रा ने कहा, 1970 के बाद के पांच दशकों में अमेरिका और कनाडा में खेत का आकार क्रमशः 157 और 187 हेक्टेयर से बढ़कर 178 और 331 हेक्टेयर हो गया है। डेनमार्क, नीदरलैंड्स में इस दौरान खेत के आकार में तीन गुना वृद्धि हुई है। इसके विपरीत एशिया में छोटी खेती वाली जमीनें तेजी से घटी हैं। अधिक समावेशी और टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए आय में कृषक परिवारों की हिस्सेदारी ज्यादा होनी जरूरी है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 4, 2024
लोकसभा में अब 58 की जगह सीट नंबर 4 पर बैठेंगे नितिन गडकरी
नई दिल्ली,04 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। उपचुनाव में जीते नए सदस्यों के शपथ लेने के बाद 18वीं लोकसभा में सदस्यों की संख्या पूरी हो चुकी है. इसी कड़ी में अब लोकसभा में सीटों की व्यवस्था को भी अंतिम रूप दे दिया गया है. नए सांसदों के आने के बाद कुछ पुराने सदस्यों की सीटों के सीक्वेंस में बदलाव भी हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां सीट नंबर 1 पर बने रहेंगे तो वहीं अपनी प्रमुख सीट पर बने रहेंगे. पीएम मोदी के बगल में डिवीजन सीट नंबर 2 पर रक्षा मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता राजनाथ सिंह बैठेंगे. राजनाथ सिंह के बगल में सीट संख्या 3 पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बैठेंगे. *बदल गई नितिन गडकरी की सीट* नए सीटींग सिस्टम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की सीट बदल गई है. नितिन गडकरी, जिन्हें पहले सर्कुलर में सीट नंबर 58 दी गई थी, को अब संशोधित सीटिंग लिस्ट जारी होने के बाद सीट नंबर 4 पर आवंटित की गई है. सीट नंबर 4 और 5 को पहले खाली छोड़ दिया गया था, लेकिन अब नए निर्देश में इसे अपडेट किया गया है. *राहुल गांधी और अखिलेश यादव की सीट* वरिष्ठ विपक्षी नेताओं ने आगे की पंक्ति में अपना स्थान बरकरार रखा है. कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सीट नंबर 498 पर पहले की तरह ही बैठेंगे, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव सीट नंबर 355 पर बैठेंगे. लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय को सीट नंबर 354 आवंटित की गई है. कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल को राहुल गांधी के बगल में सीट नंबर 497 पर बैठाया गया है. नई व्यवस्था में सपा सांसद अवधेश प्रसाद की सीट बदल गई है. अब वह सीट नंबर 357 पर बैठेंगे. इनके बगल में डिंपल यादव सीट नंबर 358 पर बैठेंगी. *प्रियंका गांधी को मिली चौथी पंक्ति में सीट* वायनाड से पहली बार सांसद बनीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को चौथी पंक्ति में सीट दी गई है. वह सीट नंबर 517 पर बैठेंगी. इनके आसपास केरल से कांग्रेस सांसद अदूर प्रकाश और असम से प्रद्युत बोरदोलोई को सीट दी गई है. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 4, 2024
सरकारी बाबुओं' की पत्नियों को क्यों बनाया जा रहा समितियों का अध्यक्ष? सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली,04 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को टॉप नौकरशाहों की पत्नियों के समितियों के अध्यक्ष पदों पर रहने को लेकर बेहद अहम निर्देश दिया है. कोर्ट ने आपत्ति जताई है कि उत्तर प्रदेश के जिला मजिस्ट्रेट, सचिवों, जिलाधिकारियों और अन्य नौकरशाहों की पत्नियां सहकारी समितियों के अध्यक्ष पद पर नियुक्त हैं. सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के उपनियमों के तहत ऐसा करना आवश्यक है. कोर्ट ने राज्य सरकार को नियमों में संशोधन करने का निर्देश देते हुए कहा कि औपनिवेशक मानसिकता को दर्शाने वाली प्रथा को खत्म करें. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी. यह मामला बुलंदशहर की 1957 से कार्यरत जिला महिला समिति से संबंधित विवाद से जुड़ा है, जिसमें समिति को सरकार की ओर से पट्टे पर दी गई जमीन के लिए बुलंदशहर के कार्यवाहक डीएम की पत्नी को अध्यक्ष बनाया जाना आवश्यक था क्योंकि सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के उपनियमों में ऐसा प्रावधान है. समिति ने नियमों में संशोधन किया, जिसे पहले उप-रजिस्टरार ने रद्द कर दिया. और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी समिति की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. तो अब समिति ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इन नियमों को लेकर नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को भी बुलंदशहर के जिलाधिकारी की पत्नी को जिले में पंजीकृत सोसाइटी की अध्यक्ष के रूप में काम करने के लिए अनिवार्य करने वाले अजीबोगरीब नियम को मंजूरी देने पर राज्य सरकार की खिंचाई की और इसे राज्य की सभी महिलाओं के लिए अपमानजनक करार दिया. कोर्ट ने कहा था, 'चाहे वह रेड क्रॉस सोसाइटी हो या बाल कल्याण समिति, हर जगह जिलाधिकारी की पत्नी ही अध्यक्ष होती हैं. ऐसा क्यों होना चाहिए?' सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि ऐसे व्यक्ति को नेतृत्व कौशल या सामुदायिक भावना के आधार पर नहीं बल्कि उनके वैवाहिक संबंध के आधार पर समाज का मुखिया बनाने के पीछे क्या कारण है. बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एम नटराज की इस बात पर आपत्ति जताई कि राज्य को इन समितियों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'उन्हें इस औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आने की जरूरत है. राज्य को इस तरह की समिति और सोसाइटी के लिए आदर्श नियम बनाने होंगे.' बेंच ने कहा कि सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत, जिन सोसायटी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ दिया गया था, उन्हें राज्य सरकार की ओर से लागू आदर्श नियमों का पालन करना अनिवार्य है. कोर्ट ने कहा, 'संशोधित प्रावधान यह सुनिश्चित करेगा कि उप-नियमों/नियमों या नीति में ऐसा कोई प्रावधान न हो जो राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के परिवार के सदस्यों को ऐस पद देने की औपनिवेशिक मानसिकता को प्रतिबिंबित करता हो.' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे आदर्श उपनियमों का पालन न करने या उनकी अवहेलना करने की स्थिति में सोसाइटी अपनी वैधानिक दर्जा खो देगी. बुलंदशहर की जिला महिला समिति 1957 से कार्यरत है. समिति को विधवाओं, अनाथों और महिलाओं के अन्य वंचित वर्गों के कल्याण के लिए काम करने को लेकर जिला प्रशासन की ओर से नजूल भूमि (सरकार द्वारा पट्टे पर दी गई भूमि) दी गई थी. मूल उपनियमों के अनुसार बुलंदशहर जिले के कार्यवाहक जिलाधिकारी की पत्नी को अध्यक्ष के रूप में कार्य करना आवश्यक था, लेकिन समिति ने 2022 में उपनियमों में संशोधन करने का प्रयास किया, जिससे जिलाधिकारी की पत्नी को अध्यक्ष के बजाय समिति का संरक्षक बना दिया गया. हालांकि, उप रजिस्ट्रार ने कई आधार पर संशोधनों को रद्द कर दिया, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में समिति ने चुनौती दी, लेकिन समिति की याचिका को खारिज कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति सामान्य रूप से काम करती रहेगी, लेकिन जिलाधिकारी की पत्नी को सहकारी समिति का पदाधिकारी बनने या उसके काम में दखल देने से रोक दिया गया. बेंच ने याचिकाकर्ता समिति को निर्देश दिया कि वह नजूल भूमि या किसी अन्य संपत्ति पर कोई भी अतिक्रमण या किसी तीसरे पक्ष के अधिकार का सृजन न करे, जो सरकार ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उसे सौंपी हो. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 4, 2024
विश्व विकलांगता दिवस 2024: समावेशी भविष्य के लिए नेतृत्व और समावेशन पर केंद्रित ध्यान
नई दिल्ली,03 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। विकलांग व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 3 दिसंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय है "एक समावेशी और टिकाऊ भविष्य के लिए विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व को बढ़ावा देना।" यह विषय विकलांग व्यक्तियों द्वारा सभी के लिए अधिक समावेशी और टिकाऊ दुनिया बनाने में निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देता है। यह निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में विकलांग व्यक्तियों की भागीदारी के महत्व पर भी जोर देता है जो उनके जीवन को प्रभावित करते हैं। इस वर्ष का विषय वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक और नीतिगत संदर्भ को दर्शाता है, विशेष रूप से भविष्य के लिए समझौता और सामाजिक विकास के लिए आगामी 2025 विश्व शिखर सम्मेलन, और 2030 एजेंडा को प्राप्त करने के लिए गति बनाने की आवश्यकता। यह विषय वैश्विक से लेकर स्थानीय तक सभी प्रयासों में विकलांग व्यक्तियों की नेतृत्व भूमिका की केंद्रीयता को बढ़ाने का प्रयास करता है। इस वर्ष का थीम विकलांग व्यक्तियों को नेतृत्व करने और समाज, विशेष रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र, की प्रगति में योगदान करने का अधिकार देने के लिए प्रेरित करता है। विकलांग व्यक्ति दुनिया की 16% जनसंख्या का हिस्सा हैं, फिर भी उन्हें कलंक, भेदभाव, और शिक्षा या रोजगार में सीमित अवसरों का सामना करना पड़ता है। ये चुनौतियाँ उन्हें नेतृत्व भूमिकाओं में पहुंचने से रोकती हैं, खासकर स्वास्थ्य क्षेत्र में। विश्व स्वास्थ्य संगठन पर चर्चा करते हुए, यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि नेतृत्व भूमिकाओं में विकलांग व्यक्तियों का समावेश वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडों को प्राप्त करने और स्वास्थ्य समानता और समावेशी समाजों को बढ़ावा देने के लिए बहुत जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का समावेशन के लिए कार्य: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने "विकलांग व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य समानता: एक कार्य गाइड" लॉन्च किया है। यह एक रणनीतिक उपकरण है जो स्वास्थ्य मंत्रालयों को विकलांगता समावेशन को स्वास्थ्य शासकीय और योजना में एकीकृत करने में मदद कर सकता है, जिससे विकलांग व्यक्तियों से संबंधित निर्णयों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। मुख्य लक्ष्य और कार्रवाई का आह्वान जीवन के सभी क्षेत्रों में विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व को बढ़ावा देना। समाज के सभी पहलुओं में विकलांग व्यक्तियों का समावेश सुनिश्चित करना। निर्णय लेने की प्रक्रिया में विकलांग व्यक्तियों की भागीदारी बढ़ाना। विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना। विकलांग व्यक्तियों की उपलब्धियों का जश्न मनाना। आईडीपीडी 2024 को दुनिया भर में कई कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा। मुख्य कार्यक्रम न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में विकलांग व्यक्ति, सरकारी प्रतिनिधि और नागरिक समाज संगठन एक साथ आएंगे। यह विकलांग व्यक्तियों के योगदान का जश्न मनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह विकलांग व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार करने का भी समय है। *विकलांगताओं के प्रकार:* शारीरिक विकलांगताएँ: गतिशीलता या शारीरिक कार्य क्षमता में हानि। संवेदी विकलांगताएँ: दृष्टि, श्रवण, या दोनों में प्रभाव। बौद्धिक और विकासात्मक विकलांगताएँ : सीखने, दैनिक जीवन, और जिम्मेदारियों को पूरा करने में बाधाएं। मानसिक स्वास्थ्य स्थितियाँ: मानसिक विकार जो कार्यात्मक और भावनात्मक समस्याएं उत्पन्न करते हैं। दीर्घकालिक बीमारियाँ: ऐसी बीमारियाँ जो स्थायी होती हैं और शारीरिक या मानसिक विकलांगता उत्पन्न करती हैं। भारत में विकलांगता समावेशन के लिए नीतियाँ: भारत ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के लिए कई कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण प्रगति की है: विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016: विकलांगता की परिभाषा को 21 श्रेणियों तक विस्तारित करता है और सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 4% आरक्षण अनिवार्य करता है। सुलभ भारत अभियान: भौतिक, डिजिटल और परिवहन अवसंरचनाओं तक पहुँच को बढ़ावा देता है। राष्ट्रीय ट्रस्ट अधिनियम: ऑटिज़्म, सेरेब्रल पाल्सी और बौद्धिक विकलांगता वाले व्यक्तियों के जीवन यापन में निवेश करता है। विकलांगता पेंशन योजनाएँ: गंभीर विकलांगताओं वाले व्यक्तियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। समावेशी शिक्षा कार्यक्रम: विकलांग बच्चों के लिए समान शिक्षा अवसर प्रदान करता है। *वकालतकर्ताओं के संदेश* डॉ. सतेन्द्र सिंह, विश्वविद्यालय कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज और गुरु तेग बहादुर अस्पताल के निदेशक और विकलांगता वकालत के क्षेत्र में अग्रणी, कहते हैं: "हमें विकलांगता के चिकित्सा मॉडल से मानवाधिकार आधारित दृष्टिकोण की ओर बदलाव करना चाहिए, स्वास्थ्य शिक्षा में विकलांगता अधिकारों को समावेशित करना चाहिए। 2024 में एनएमसी द्वारा राष्ट्रीय चिकित्सा पाठ्यक्रम से विकलांगता कौशल को हटाना एक महत्वपूर्ण कदम पीछे की ओर है। गौतम डोंगरे, राष्ट्रीय थैलेसीमिया संगठन के सचिव, कहते हैं: सिकल सेल रोगियों को 14 मार्च 2024 को जारी किए गए संशोधित मानदंडों के तहत विकलांगता कार्ड के लिए पात्र माना गया है, लेकिन कई राज्य इन अद्यतन दिशानिर्देशों से अनजान हैं। प्रेम रूप अल्वा, हीमॉफिलिया फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, कहते हैं: हालाँकि, सामाजिक न्याय मंत्रालय ने रक्त विकारों को विकलांगता के रूप में मान्यता दी है, इनका अन्य विकलांगताओं की तुलना में अलग तरीके से उपचार किया जाता है। श्रीमती शोभा तुली, थैलेसीमिक्स इंडिया की संस्थापक सदस्य और सचिव, कहती हैं: "थैलेसीमिया, एक अदृश्य विकलांगता के रूप में, निरंतर रक्त आधान की आवश्यकता होती है। सरकार ने विशिष्ट विकलांगता पहचान पत्रकार्ड जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाने में सकारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी जागरूकता और कार्यान्वयन में चुनौतियाँ हैं। क्रियावली का आह्वान: यह विश्व विकलांगता दिवस 2024 विकलांग व्यक्तियों के लिए सभी रूपों में अन्याय और असमानताओं के खिलाफ खड़े होने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। नेतृत्व और निर्णय-निर्माण में उनके योगदान को बढ़ावा देकर हम एक समावेशी और सतत नागरिकता की ओर बढ़ सकते हैं। सरकारों, संगठनों और समुदायों को एक साथ मिलकर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार तक समान पहुँच सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि कोई भी पीछे न छूटे। *अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस का इतिहास* मौजूदा जानकारी के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा साल 1992 में की गई थी। यह तब हुआ जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 47/3 संकल्प पारित कर इसमें विकलांग व्यक्ति के अधिकारों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस आयोजित करने की पहल की। इसका दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य विकलांगों के अधिकार, उन्हें समान अधिकार दिलाने, उनकी शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, और सामाजिक समावेशन हेतु बढ़ावा देना रहा। इसे प्रभावी बनाने के लिए हर साल एक थीम सुनिश्चित की जाती है, जैसे इस बार भी कई गई है। हमें यह भी समझना ज़रूरी है कि विकलांगता का न तो कोई एक रूप होता है और न ही कोई एक परिभाषा। विकलांगता को समझने के लिए ज़रूरी है कि हम अपने हर तरह के विचार को एक किनारे कर सामने वाले के अनुभव को सुनें और वहां से सीखें। विकलांगों के प्रति सामाजिक सोच को बदलने और उनके जीवन के तौर-तरीकों को और बेहतर बनाने के लिये एवं उनके कल्याण की योजनाओं को लागू करने के लिये इस दिवस की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे न केवल सरकारें बल्कि आम जनता में भी विकलांगों के प्रति जागरूकता का माहौल बना है। समाज में उनके आत्मसम्मान, प्रतिभा विकास, शिक्षा, सेहत और अधिकारों को सुधारने के लिये और उनकी सहायता के लिये एक साथ होने की जरूरत है। विकलांगता के मुद्दे पर पूरे विश्व की समझ को नया आयाम देने एवं इनके प्रति संकीर्ण दृष्टिकोण को दूर करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विकलांगों को विकलांग नहीं कहकर दिव्यांग कहने का प्रचलन शुरू कर एक नयी सोच को जन्म दिया है। हमें इस बिरादरी को जीवन की मुस्कुराहट देनी है, न कि हेय समझना है। विकलांगता एक ऐसी परिस्थिति है जिससे हम चाह कर भी पीछा नहीं छुड़ा सकते। एक आम आदमी छोटी-छोटी बातों पर झुंझला उठता है तो जरा सोचिये उन बदकिस्मत लोगों का जिनका खुद का शरीर उनका साथ छोड़ देता है, फिर भी जीना कैसे है, कोई इनसे सीखे। कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने विकलांगता को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी ताकत बनाया है। ऐसे लोगों ने विकलांगता को अभिशाप नहीं, वरदान साबित किया है। पूरी दुनिया में एक अरब लोग विकलांगता के शिकार हैं। अधिकांश देशों में हर दस व्यक्तियों में से एक व्यक्ति शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग हैं। इनमें कुछ संवेदनाविहीन व्यक्ति भी हैं। विकलांगता एक ऐसा शब्द है, जो किसी को भी शारीरिक, मानसिक और उसके बौद्धिक विकास में अवरोध पैदा करता है। ऐसे व्यक्तियों को समाज में अलग ही नजर से देखा जाता है। यह शर्म की बात है कि हम जब भी समाज के विषय में विचार करते हैं, तो सामान्य नागरिकों के बारे में ही सोचते हैं। उनकी ही जिंदगी को हमारी जिंदगी का हिस्सा मानते हैं। इसमें हम विकलांगों को छोड़ देते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है? ऐसा किस संविधान में लिखा है कि ये दुनिया केवल पूर्ण मनुष्यों के लिए ही बनी है? बाकी वे लोग जो एक साधारण इंसान की तरह व्यवहार नहीं कर सकते, उन्हें अलग क्यों रखा जाता है? क्या इन लोगों के लिए यह दुनिया नहीं है? इन विकलांगों में सबसे बड़ी बात यही होती है कि ये स्वयं को कभी लाचार नहीं मानते। वे यही चाहते हैं कि उन्हें अक्षम न माना जाए। उनसे सामान्य तरह से व्यवहार किया जाए। पर क्या यह संभव है? प्रश्न यह भी है कि विकलांग लोगों को बेसहारा और अछूत क्यों समझा जाता है? उनकी भी दो आँखें, दो कान, दो हाथ और दो पैर हैं और अगर इनमें से अगर कोई अंग काम नहीं करता तो इसमें इनकी क्या गलती? यह तो नसीब का खेल है। इंसान तो फिर भी कहलायेंगे, जानवर नहीं। फिर इनके साथ जानवरों जैसा बर्ताव कहां तक उचित है? किसी के पास पैसे की कमी है, किसी के पास खुशियों की, किसी के पास काम की तो अगर वैसे ही इनके शारीरिक, मानसिक, ऐन्द्रिक या बौद्धिक विकास में किसी तरह की कमी है तो क्या हुआ है? कमी तो सब में कुछ-न-कुछ है ही, तो इन्हें अलग नजराें से क्यों देखा जाए? परिपूर्ण यानी सामान्य मनुष्य समाज की यह विडम्बना है कि वे अपंग एवं विकलांग लोगों को हेय की दृष्टि से देखते हैं। लेकिन विकलांग लोगों से हम मुंह नहीं चुरा सकते क्योंकि आज भी कहीं-न-कहीं हम जैसे इन्हें हीन भावना का शिकार बना रहे हैं, उनकी कमजोरी का मजाक उड़ा कर उन्हें और कमजोर बना रहे हैं। उन्हें दया से देखने के बजाय उनकी मदद करें, आखिर उन्हें भी जीने का पूरा हक है और यह तभी मुमकिन है जब आम आदमी इन्हें आम बनने दें। जीवन में सदा अनुकूलता ही रहेगी, यह मानकर नहीं चलना चाहिए। परिस्थितियां भिन्न-भिन्न होती हैं और आदमी को भिन्न-भिन्न परिस्थितियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। कहते हैं जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो भगवान एक खिड़की खोल देता है, लेकिन अक्सर हम बंद हुए दरवाजे की ओर इतनी देर तक देखते रह जाते हैं कि खुली हुई खिड़की की ओर हमारी दृष्टि भी नहीं जाती। ऐसी परिस्थिति में जो अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से असंभव को संभव बना देते हैं, वो अमर हो जाते हैं। दृढ़ संकल्प वह महान शक्ति है जो मानव की आंतरिक शक्तियों को विकसित कर प्रगति पथ पर सफलता की इबारत लिखती है। मनुष्य के मजबूत इरादे दृष्टि दोष, मूक तथा बधिरता को भी परास्त कर देते हैं। अनगिनत लोगों की प्रेरणास्रोत, नारी जाति का गौरव मिस हेलेन केलर शरीर से अपंग थी, पर मन से समर्थ महिला थीं। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने दृष्टिबाधिता, मूक तथा बधिरता को पराजित कर नई प्रेरणा शक्ति को जन्म दिया। सुलिवान उनकी शिक्षिका ही नही, वरन् जीवन संगनी जैसे थीं। उनकी सहायता से ही हेलेन केलर ने टालस्टाय, कार्लमार्क्स, नीत्शे, रविन्द्रनाथ टैगोर, महात्मा गाँधी और अरस्तू जैसे विचारकों के साहित्य को पढ़ा। हेलेन केलर ने ब्रेल लिपि में कई पुस्तकों का अनुवाद किया और मौलिक ग्रंथ भी लिखे। उनके द्वारा लिखित आत्मकथा ‘मेरी जीवन कहानी’ संसार की 50 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। अल्प आयु में ही पिता की मृत्यु हो जाने पर प्रसिद्ध विचारक मार्कट्वेन ने कहा कि, केलर मेरी इच्छा है कि तुम्हारी पढ़ाई के लिए अपने मित्रों से कुछ धन एकत्रित करूँ। केलर के स्वाभिमान को धक्का लगा। सहज होते हुए मृदुल स्वर में उन्हाेंने मार्कट्वेन से कहा कि यदि आप चन्दा करना चाहते हैं तो मुझ जैसे विकलांग बच्चों के लिए कीजिए, मेरे लिए नहीं। एक बार हेलेन केलर ने एक चाय पार्टी का आयोजन रखा, वहाँ उपस्थित लोगों को उन्होंने विकलांग लोगों की मदद की बात समझाई। चन्द मिनटों में हजारों डॉलर सेवा के लिए एकत्र हो गया। हेलेन केलर इस धन को लेकर साहित्यकार विचारक मार्कट्वेन के पास गईं और कहा कि इस धन को भी आप सहायता कोष में जमा कर लीजिये। इतना सुनते ही मार्कट्वेन के मुख से निकला, संसार का अद्भुत आश्चर्य। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि हेलेन केलर संसार का महानतम आश्चर्य हैं। स्टीफन होकिंग का नाम भी दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम है। चाहे वह कोई स्कूल का छात्र हो, या फिर वैज्ञानिक, सभी इन्हें जानते हैं। उन्हें जानने का केवल एक ही कारण है कि वे विकलांग होते हुए भी आइंस्टाइन की तरह अपने व्यक्तित्व और वैज्ञानिक शोध के कारण हमेशा चर्चा में रहे। विज्ञान ने आज भले ही बहुत उन्नति कर ली हो, लगभग सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर ली हो किन्तु वे अभी भी सबसे खतरनाक शत्रु पर विजय पाने में असमर्थ है, वह शत्रु है मनुष्य की उदासीनता। विकलांग लोगों के प्रति जन साधारण की उदासीनता मानवता पर एक कलंक है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 3, 2024
संक्रमण के लिए भंडारण महत्वपूर्ण; बैटरी, पंप स्टोरेज में भारी क्षमता की उम्मीद
नई दिल्ली,03 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। नवीकरणीय ऊर्जा की परिवर्तनशील प्रकृति को देखते हुए, भारत को ऊर्जा संक्रमण के लिए भंडारण को एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखना चाहिए, भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव प्रशांत कुमार सिंह ने कहा वे आज यहां नई दिल्ली में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के साथ साझेदारी में भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित 29वें सीआईआई भागीदारी शिखर सम्मेलन में ‘सहयोगी जलवायु समाधान: स्वच्छ प्रौद्योगिकी एवं वित्त को जोड़ना’ विषय पर सत्र में बोल रहे थे। सिंह ने कहा कि भारत अगले सात वर्षों में बैटरी और पंप स्टोरेज में भारी क्षमता की उम्मीद कर रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा में संक्रमण में चुनौतियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगले 7-8 वर्षों में 30 लाख करोड़ रुपये के वित्तपोषण की आवश्यकता है। श्री सिंह ने कहा कि 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। “2014 में सौर क्षमता 2 गीगावाट थी। आज हम 92 गीगावाट पर हैं। 500 गीगावाट के हमारे लक्ष्य में सौर ऊर्जा की अहम भूमिका होने की उम्मीद है, जिसके 2030 तक लगभग 290 गीगावाट हो जाने की उम्मीद है। सचिव ने इस क्षेत्र के लिए बैंक वित्तपोषण बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस क्षेत्र में सब्सिडी, प्रोत्साहन, बहुपक्षीय संस्थानों से वित्तपोषण, ग्रीन बॉन्ड और बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट सहित सभी वित्तीय साधनों का लाभ उठाने का भी आग्रह किया। इंडोनेशिया के आसियान और पूर्वी एशिया के लिए आर्थिक अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष प्रोफेसर टेटसुया वतनबे ने कहा कि कार्बनीकरण को अलग-अलग नहीं किया जा सकता। “हमें एक एकीकृत रणनीति की आवश्यकता है जो वित्त, प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे और आपूर्ति श्रृंखला को एकीकृत ढांचे में संरेखित करे। स्वच्छ प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन और कार्बन कैप्चर को बढ़ाया जाना चाहिए,” उन्होंने कहा। प्रोफेसर वतनबे ने ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ पहल की सराहना की और कहा कि हरित और संक्रमणकालीन प्रौद्योगिकियां एशियाई देशों में डीकार्बोनाइजेशन हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा, “स्मार्ट ग्रिड तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स को एकीकृत करने से ऊर्जा की खपत का अनुकूलन होगा और दक्षता बढ़ेगी, जिससे वे कम कार्बन वाले भविष्य के आवश्यक घटक बन जाएंगे।” जान टेचमैन, वरिष्ठ उपाध्यक्ष और अध्यक्ष-एपीएसी, फ्लुएंस एनर्जी, यूएसए ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भंडारण का स्थानीयकरण, स्थानीय स्तर पर विनिर्माण और भारत में नवीकरणीय ऊर्जा को अधिक उपयोगी बनाने के संदर्भ में भंडारण करना ऊर्जा संक्रमण को अधिक लागत प्रभावी बनाएगा। नीरो सोमसेकरन, संसाधन प्रमुख, ऊर्जा और अवसंरचना अंतर्राष्ट्रीय और कॉर्पोरेट वित्त दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया, एएनजेड, सिंगापुर ने कहा कि एशियाई देशों में ऊर्जा की मांग बढ़ रही है सरकार के नेतृत्व वाले संगठन या बहुपक्षीय संस्थान; ट्रांसमिशन के लिए राज्य निधि; निजी इक्विटी हाउस और परोपकारी निधि। सीआईआई के अध्यक्षसंजीव पुरी ने कहा कि वित्त की उपलब्धता, सही वर्गीकरण बनाना और प्रौद्योगिकी की पहुंच ऊर्जा संक्रमण को सुविधाजनक बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह देखते हुए कि प्रौद्योगिकियां महंगी हैं, उन्होंने कहा कि इस संक्रमण में निजी निवेश की भूमिका निभाने के लिए आर्थिक व्यवहार्यता महत्वपूर्ण है। उन्होंने विकासशील देशों के लिए इन प्रौद्योगिकियों तक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आवश्यकता को रेखांकित किया। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 3, 2024
नहीं करेंगे गठबंधन, अकेले लड़ेंगे चुनाव', दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर आप का बड़ा ऐलान
नई दिल्ली,02 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। दिल्ली के उत्तर नगर से दो बार के आम आदमी पार्टी से विधायक नरेश बाल्यान की गिरफ्तारी के एक दिन बाद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अलायंस को लेकर कहा कि हम कोई गठबंधन नहीं कर रहे. दिल्ली में सभी सीटों पर आप अकेले चुनाव लड़ेगी. *'शिकायत करने वाले को ही कर लिया गिरफ्तार'* इससे पहले आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि उत्तम नगर से मेरे विधायक नरेश बाल्यान को 30 नवंबर 2024 को गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि वो गैंगस्टर के खिलाफ लगातार शिकायत करते आये हैं. अब उनके बच्चे को टारगेट किया गया है. गैंगस्टर्स कपिल सांगवान की तरफ से कहा गया कि तुम इन लोगों से पैसे लेकर हमें दो. इस धमकी की शिकायत नरेश बालियान ने दिल्ली पुलिस से की है. उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय, दिल्ली पुलिस ने उल्टे उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया. दिल्ली में फरवरी 2025 में विधानसभा की कुल 70 सीटों पर चुनाव होने वाला है. इस चुनाव में आप चौथी बार दिल्ली की सत्ता में चौथी बार वापसी करने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटी है. दूसरी तरफ इस बार बीजेपी और कांग्रेस के नेता भी आप के खिलाफ आक्रामक तेवर में दिखाई दे रहे हैं. साल 2020 विधानसभा चुनाव में विधानसभा की 70 सीटों में से 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी के प्रत्याशी आठ सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 2, 2024
सरकार खेल नीति और राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक को अंतिम रूप देने पर काम कर रही है
नई दिल्ली,02 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के संयुक्त सचिव कुणाल ने 14वें वैश्विक खेल शिखर सम्मेलन 'फिक्की टर्फ 2024' को संबोधित करते हुए कहा कि खेल अर्थव्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, "सरकार को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि खेलों का प्रशासन उचित, न्यायसंगत और समतापूर्ण हो ताकि जो लोग खेलना चाहते हैं उन्हें अवसर मिले और साथ ही संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो। कुणाल ने आगे कहा कि भारत ने 2036 में ओलंपिक की मेजबानी करने की घोषणा की है और सभी हितधारकों को न केवल 2036 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बल्कि 2047 में भारत के विजन को प्राप्त करने के लिए भी मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दो दस्तावेज - खेल नीति 2024 और राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक का मसौदा, वर्तमान में आगे के परामर्श के लिए सार्वजनिक डोमेन में हैं। "बहुत जल्द हम इन दोनों दस्तावेजों को अंतिम रूप देने जा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन दस्तावेजों की आवश्यकता है क्योंकि खेल केवल खेलों के बारे में नहीं है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करता है। कुणाल ने यह भी कहा कि हमारे पक्ष में बहने वाली हवा में हमारी अर्थव्यवस्था, लोकतंत्र और संस्थाएं, स्थिर सरकार के साथ जीवंत कॉर्पोरेट क्षेत्र शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्र में खेलो-इंडिया केंद्र स्थापित किए जाने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर कई मौन क्रांतियां भी हो रही हैं। फिक्की खेल समिति के अध्यक्ष पीकेएसवी सागर ने कहा कि भारतीय खेलों का भविष्य सरकारों, निजी उद्यमों, खेल संगठनों और व्यक्तियों के बीच निर्बाध सहयोग पर निर्भर करता है। तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अतुल्य मिश्रा ने राज्य सरकार के लिए खेलों की भूमिका पर बोलते हुए कहा कि खेलों का स्वामित्व संघों, खिलाड़ियों के पास है और हम नियामक नहीं बल्कि सक्षमकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि हमारा राज्य खेलों को बढ़ावा देगा और यह हमारा छोटा विषय नहीं बल्कि मुख्यधारा का विषय होगा। श्री मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार कोयंबटूर और चेन्नई में नए क्रिकेट स्टेडियम बनाने जा रही है। उन्होंने कहा, तमिलनाडु में सभी सरकारी नौकरियों में से 3 प्रतिशत पूर्व खिलाड़ियों के लिए आरक्षित हैं और अगले सप्ताह मुख्यमंत्री द्वारा 100 नौकरियां दी जाएंगी। हम वह राज्य हैं जो खेलों में सबसे अधिक राशि खर्च कर रहा है और हमने तमिलनाडु चैंपियन फंड बनाया है जिसमें सीएसआर की बहुत बड़ी राशि आ रही है।" भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अजय जडेजा ने कहा कि अगर हम युवा बच्चों के जीवन में खेलों को शामिल करने के लिए काम कर सकें तो 2036 का लक्ष्य निश्चित रूप से हासिल किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि खेलों का विकास अब जमीनी स्तर पर भी दिखाई दे रहा है और हमें खो-खो खेल को भी बढ़ावा देना चाहिए। रग्बी इंडिया के निदेशक, और अध्यक्ष राहुल बोस ने कहा कि खेलों में भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है और जबकि हम जीतने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, हमें इसे सही तरीके से करना चाहिए। "नैतिकता, पारदर्शिता, जवाबदेही और विश्वास ही जीतने के एकमात्र तरीके हैं। आज मैं हर जगह ऐसे चेहरे देख रहा हूँ जिनके बारे में आपने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वे भारतीय खेलों का हिस्सा होंगे - कुछ सबसे अच्छे, सबसे प्रतिभाशाली और सबसे नैतिक दिमाग जो मुझे मिल सकते हैं। उन्होंने कहा, "हमें इस अवसर को नहीं गंवाना चाहिए। ओलंपियन और भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी सुश्री मनिका बत्रा ने कहा, "मैंने खेल क्षेत्र में बदलाव होते देखा है और मैं सरकार और विशेष रूप से खेल मंत्रालय से मिल रहे समर्थन के लिए आभारी हूं। इसके अलावा, कॉर्पोरेट क्षेत्र से मिलने वाला समर्थन इस क्षेत्र और खिलाड़ियों के लिए फायदेमंद होगा।" पैरालिंपिक पदक विजेता हरविंदर सिंह ने कहा, "माता-पिता अब अपने बच्चों को खेलों में जाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। यह बदलाव हमें आगामी ओलंपिक और पैरालिंपिक में पदक तालिका बढ़ाने में मदद करेगा।" वर्ड्सवर्क कम्युनिकेशंस कंसल्टिंग की संस्थापक सुश्री नेहा माथुर रस्तोगी ने कहा, "खेल एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें एक समान लक्ष्य, एक समान दृष्टि के लिए निजी और सार्वजनिक संस्थाओं के सफल एक साथ आने की वास्तव में आवश्यकता है और वह है खेल की भाषा और खेल की संस्कृति के साथ हमारे राष्ट्र का निर्माण करना।" नांगिया नेक्स्ट के मैनेजिंग पार्टनर सूरज नांगिया ने कहा, "भारत में खेल सामाजिक-आर्थिक बदलाव को प्रेरित करने और आगे बढ़ाने के लिए खेल की शक्ति का प्रतीक है। हमारी रिपोर्ट आगे का रास्ता दिखाती है-सफलता का जश्न मनाना, मुद्दों से निपटना और प्रौद्योगिकी, समावेशन और स्थिरता में अवसर खोलना। यह एक साथ आने और एक विश्व स्तरीय खेल पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने का समय है जो खिलाड़ियों को सशक्त बनाता है और भारत को खेलों में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने में मदद करता है।" सत्र के दौरान फिक्की-नांगिया नेक्स्ट नॉलेज रिपोर्ट - 'भारत में खेलों का भविष्य' जारी की गई। *रिपोर्ट के मुख्य अंश:* भारतीय खेल उद्योग गतिशील विकास के दौर से गुज़र रहा है, जिसके 2020 में 27 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2027 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। यह परिवर्तन विभिन्न कारकों से प्रेरित है, जिसमें खेल लीगों का व्यावसायीकरण, तकनीकी प्रगति और विविध खेल विषयों पर बढ़ता ज़ोर शामिल है। खेल के सामान, परिधान और मीडिया अधिकार जैसे क्षेत्र इस वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, अकेले खेल मीडिया बाज़ार के 2020 में $1 बिलियन से बढ़कर 2027 तक $13.4 बिलियन तक पहुँचने की उम्मीद है। इसके अलावा, 2023 एशियाई खेलों और 2024 पेरिस ओलंपिक में भारतीय एथलीटों की ऐतिहासिक उपलब्धियाँ वैश्विक मंच पर देश की बढ़ती प्रतिस्पर्धात्मकता को उजागर करती हैं। अकेले खेल के सामान का बाजार, जिसका मूल्य 2020 में 4.5 बिलियन डॉलर था, 2027 तक 6.6 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है, जबकि खेल परिधान क्षेत्र 2020 में 14 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2023 तक 21 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जो मुख्य रूप से पुरुषों के खेल उत्पादों द्वारा संचालित है। खेल से संबंधित व्यवसायों में वृद्धि प्रायोजन, मीडिया अधिकार और बिक्री तक फैली हुई है, जो इस क्षेत्र के समग्र पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करती है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Dec 2, 2024
स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए संपूर्ण कृषि-खाद्य प्रणाली को बदलने की आवश्यकता है
नई दिल्ली,02 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। चौथे सतत कृषि पुरस्कार 2024 को संबोधित करते हुए, भारत में एफएओ प्रतिनिधि ताकायुकी हागीवारा ने कल इस बात पर जोर दिया कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है, जो 60 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण आजीविका का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि एफएओ न केवल कृषि बल्कि भारत में संपूर्ण कृषि-खाद्य प्रणाली को बदलने की वकालत करता है। इस परिवर्तन को प्राप्त करने के लिए, उन्होंने उत्पादन से लेकर उपभोग तक संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में सतत प्रथाओं पर सहयोग के महत्व पर जोर दिया। हागीवारा ने कहा, "भारत अपनी आईटी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध है और इसमें डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस परिवर्तन के लिए कृषि के भविष्य और एक सतत अर्थव्यवस्था में इसके योगदान को सुनिश्चित करने के लिए सरकार, उद्योग और समुदायों में एकीकृत प्रयास की आवश्यकता है। फिक्की के खाद्य प्रसंस्करण सलाहकार और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पूर्व सचिव सिराज हुसैन ने कहा कि ऐसी तकनीकें विकसित करने की आवश्यकता है जो कृषि, बागवानी, मत्स्य पालन, मुर्गीपालन और डेयरी सहित विभिन्न क्षेत्रों में पैदावार को संरक्षित और बढ़ा सकें। उन्होंने कहा, ये नवाचार संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देंगे और संबद्ध क्षेत्रों का समर्थन करेंगे।" एफपीओ पर फिक्की टास्कफोर्स के अध्यक्ष प्रवेश शर्मा ने संधारणीयता के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया, जिसमें कृषि में संधारणीयता को तीन-आयामी दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता पर बल दिया- आर्थिक संधारणीयता, पर्यावरणीय संधारणीयता और सामाजिक संधारणीयता। खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा पर ब्रिक्स डब्ल्यूबीए कार्य समूह की भारत अध्यक्ष और संधारणीय कृषि पर फिक्की टास्कफोर्स की अध्यक्ष सुश्री अनुजा कादियान ने कहा, "ऐसे समय में जब भारत वैश्विक स्तर पर संधारणीय कृषि विकास का नेतृत्व कर रहा है, संधारणीय उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के साथ किसानों को सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है। कृषि के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में तेजी से काम करने का समय आ गया है, ताकि विकसित भारत के एजेंडे में योगदान दिया जा सके। इस कार्यक्रम में फिक्की-यस बैंक की रिपोर्ट भी जारी की गई, जिसका शीर्षक था “भारतीय कृषि में स्थिरता को बढ़ावा देना: निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाली प्रभावशाली पहलों का एक संग्रह”। यस बैंक इस कार्यक्रम का ज्ञान भागीदार था और रिलीज के बाद संग्रह के निष्कर्षों पर प्रस्तुति दी। इस कार्यक्रम के दौरान फिक्की सतत कृषि पुरस्कारों की घोषणा की गई। 2021 में शुरू किए गए फिक्की सतत कृषि पुरस्कार, ऐसे प्रभावशाली किसान जुड़ाव कार्यक्रमों को मान्यता देते हैं, जो स्थिरता को बढ़ावा देते हैं, आय बढ़ाते हैं, सतत सोर्सिंग करते हैं और जलवायु लचीलेपन को संबोधित करते हैं। पिछले चार वर्षों में, कृषि में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए 80 संगठनों को सम्मानित किया गया है। शिखर सम्मेलन के चौथे संस्करण में, इन पुरस्कारों ने ऐसे अभिनव समाधानों का जश्न मनाया, जो टिकाऊ प्रथाओं को आगे बढ़ा रहे हैं और भारतीय कृषि के भविष्य को आकार दे रहे हैं। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Ujjwal Times News
Dec 2, 2024
पंचकल्याणक में हुआ गर्भकल्याणक का पूजन ,56 कुमारियों ने की माता वामादेवी की सेवा ,महाराजा अश्वसैन का लगा दरबार
खेकड़ा,01 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। धर्मनगरी बड़ागांव के त्रिलोक तीर्थ धाम में चल रहे पंचकल्याणक महामहोत्सव में शुक्रवार को गर्भकल्याणक का पूजन हुआ। माता की गोद भराई की गई, 56 कुमारियों ने माता की सेवा की तथा महाराजा अश्वसैन का राजदरबार लगा। इस दौरान बडी संख्या में श्रद्धालु पूजन में शामिल हुए। ज्ञेयसागर महाराज के सानिध्य में अनुष्ठान सुबह साढे छह बजे श्रीजी की मंत्र आराधना और जाप के साथ शुरू हुआ, प्रभु का नित पूजन किया व अभिषेक किया गया। शांतिधारा की गई तथा गर्भकल्याणक का पूजन किया गया। पूजन प्रतिष्ठाचार्य श्रेयांश कुमार जैन और जय कुमार निशांत ने मंत्रोच्चार के जरिए कराया। दोपहर में सीमांतनी क्रिया की गई। माता की गोद भराई की गई। शाम के समय त्रसनाली वेदी की शुद्धि की गई। मंगल आरती की गई। शास्त्र सभा हुई। महाराजा अश्वसैन का राजदरबार लगा। उसमें राज्य की व्यवस्था का मंचन हुआ। राजदरबार के बाद माता को स्वप्न दिखाई देने की क्रिया हुई। उन्हें स्वप्न के फल का वर्णन सुनाया गया। गर्भ में प्रभु के आने की जानकारी मिलते ही अयोध्या नगरी में हर्षाेल्लास का माहौल बन गया। श्रद्धालु झूमने लगे। 56 कुमारियां माता की सेवा में जुट गई। अष्ट कुमारियों ने तत्व चर्चा की। समारोह में जैन संत आचार्य ज्ञेयसागर महाराज ने माता और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। अनुष्ठान में त्रिलोक चंद जैन आदि ने सहयोग दिया। गोद भराई रस्म में छाया श्रद्धा का उल्लास पंचकल्याणक महामहोत्सव का पंडाल श्रीजी की माता की गोद भराई की रस्म के समय जयकारों से गूंज उठा। ढोलक की थाप पर मंगल गीत गाए गए। जैन साध्वियों के सानिध्य में श्रद्धालु महिलाओं ने श्रीजी की माता की गोद भराई की। गोला, बादाम, अखरोट और मखाने से उनकी गोद भर दी। उन्होंने मंगल गीत गाते हुए नृत्य भी किया। श्री जी के माता-पिता का साफा व माला पहनाकर और तिलक लगाकर स्वागत किया गया। *संस्कृति के लिए बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण जरूरी* अनुष्ठान में प्रवचन करते हुए जैन संत ज्ञेयसागर ने कहा कि ,धन कमाने से ज्यादा जरूरी बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण जरूरी है। संस्कारों से ही संस्कृति की रक्षा होगी। मन वचन व काया हमे शरीर के साथ प्राप्त हुए है। इन्ही से नरक, त्रियंच, मनुष्य और देव गति में जहां जाना चाहे वहां जाया जा सकता है। इनसे परमात्मा पद तक प्राप्त किया जा सकता हैं। जितनी भी आत्मा अरिहंत बनी है वे भविष्य में भी बनेगी, वे भी मन वचन काया को परम विशुद्ध बनाकर बनी हैं। मानव को आज भी यही तीनों साधन प्राप्त हैं। हमने इनका महत्व नहीं समझा। हम सोचते हैं ये तो सहज में प्राप्त हो गए हैं,कितु अनंत पुण्य के उदय से ही ये साधन हमें उपलब्ध होते हैं। मानव रूपी संसार सागर के किनारे आकर भी इसका सदुपयोग नहीं किया तो जीती बाजी हम हार जाते हैं। *घट यात्रा में श्रद्धालु झुमे* अनुष्ठान में दोपहर के समय घट यात्रा निकली। यात्रा अनुष्ठान पंडाल से पूजा अर्चना के साथ शुरू हुई। बैंड बाजा के साथ यात्रा ने समूचे अतिशय क्षेत्र में भ्रमण किया। यात्रा में शामिल श्रद्धालु प्रभु के भजनों पर झूमते रहे। अबीर गुलाल उड़ते रहे। करीब एक घंटे के भ्रमण के बाद यात्रा वापस पंडाल पर पहुंचकर संपन्न हुई।वहीं राज्यमंत्री संजीव गोयल ने लिया संतो का आशीर्वाद लिया तथा विश्व की अलौकिक कृति त्रिलोक मंदिर का अवलोकन कर श्रीजी के दर्शन किए व आचार्य संमति सागर महाराज की समाधि पर पुष्प अर्पित किए। इस दौरान मंदिर समिति के गजराज जैन गंगवाल, राजेन्द्र प्रसाद जैन, त्रिलोक चंद जैन आदि ने उनका फूल मालाओं से स्वागत किया। स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |
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Dec 1, 2024