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विदेश मंत्री एस जयशंकर जाएंगे पाकिस्तान, एससीओ की बैठक में होंगे शामिल

नई दिल्ली, 05 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान जाएंगे। यहां वह एससीओ की बैठक में शामिल होंगे। 15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में बैठक होगी। 2014 के बाद यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय मंत्री पाकिस्तान जाएगा। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर 9 साल बाद पाकिस्तान जाएंगे। एससीओ काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट की बैठक में जयशंकर हिस्सा लेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यह जानकारी दी। पाकिस्तान ने 29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बैठक का न्योता दिया था।   पाकिस्तान की विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा था, 'बैठक में भाग लेने के लिए सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा गया है।'इससे पहले जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की संभावनाओं को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था, 'पाकिस्तान से बातचीत करने का दौर अब खत्म हो चुका है। हर चीज का समय होता है, हर काम कभी ना कभी अपने अंजाम तक पहुंचता है।' जयशंकर ने आगे कहा था, 'जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है तो अब वहांआर्टिकल 370 खत्म हो गई है। यानी मुद्दा ही खत्म हो चुका है। अब हमें पाकिस्तान के साथ किसी रिश्ते पर क्यों विचार करना चाहिए।'   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 5, 2024

कैदियों को भी गरिमा के साथ जीने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 05 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 'सम्मान के साथ जीने का अधिकार कैदियों को भी है' और कैदियों को इससे वंचित करना उपनिवेशवादियों और उपनिवेश-पूर्व तंत्र दर्शाता है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले में यह टिप्पणी की। पीठ ने कैदियों के प्रति जाति आधारित भेदभाव, जैसे शारीरिक श्रम का विभाजन, बैरकों का विभाजन आदि पर रोक लगा दी।    *कोर्ट ने कई राज्यों के जेल मैनुअल नियमों को बताया असंवैधानिक* पीठ ने उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश सहित 10 राज्यों के कुछ आपत्तिजनक जेल मैनुअल नियमों को असंवैधानिक करार दिया। सीजेआई ने 148 पन्नों का फैसला लिखते हुए संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 15 (भेदभाव का निषेध), 17 (अस्पृश्यता का उन्मूलन), 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) और 23 (जबरन श्रम के खिलाफ अधिकार) के तहत मौलिक अधिकारों का जिक्र किया।   *कैदियों को सम्मान न देना उपनिवेश काल की पहचान* अपने फैसले में पीठ ने कहा कि, 'सम्मान के साथ जीने का अधिकार कैदियों का भी है। कैदियों को सम्मान न देना उपनिवेशवादियों और पूर्व-औपनिवेशिक तंत्रों का अवशेष है, जहां दमनकारी व्यवस्थाएं राज्य के नियंत्रण में रहने वाले लोगों को अमानवीय और अपमानित करने के लिए डिज़ाइन की गई थीं। संविधान से पहले के युग के सत्तावादी शासन ने जेलों को न केवल कारावास के स्थान के रूप में देखा, बल्कि वर्चस्व के उपकरण के रूप में भी देखा।   संविधान द्वारा लाए गए कानूनी ढांचे के आधार पर इस न्यायालय ने माना है कि कैदियों को भी सम्मान का अधिकार है।' फैसले में संविधान के अनुच्छेद 15 का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें जाति, धर्म, भाषा आदि के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। पीठ ने कहा कि अगर सरकार ही नागरिकों से भेदभाव करेगी तो यह सबसे बड़ा भेदभाव है, क्योंकि सरकार से उम्मीद की जाती है कि वह भेदभाव को खत्म करेगी।    'भेदभावपूर्ण कानूनों की पहचान की जानी चाहिए' पीठ ने कहा कि 'इतिहास में, ऐसी भावनाओं ने कुछ समुदायों के नरसंहार को जन्म दिया है। भेदभाव से भेदभाव किए जाने वाले व्यक्ति का आत्म-सम्मान भी कम होता है। इससे अवसरों का अनुचित हनन हो सकता है और लोगों के एक समूह के खिलाफ लगातार हिंसा हो सकती है। भेदभाव किसी ऐसे व्यक्ति का लगातार उपहास या अपमान करके भी किया जा सकता है, जो सामाजिक तौर से कमजोर है। यह किसी व्यक्ति को आघात पहुंचा सकता है।'   जिससे वह अपने पूरे जीवन प्रभावित हो सकता है। भेदभाव में हाशिए पर पड़े सामाजिक समूह की पहचान या उसके अस्तित्व को कलंकित करना भी शामिल है।' सीजेआई ने कहा, 'भारत के संविधान के लागू होने से पहले बनाए गए भेदभावपूर्ण कानूनों की जांच की जानी चाहिए और उन्हें खत्म किया जाना चाहिए।' पीठ ने कहा, 'मानव गरिमा मानवीय अस्तित्व का अभिन्न अंग है और इससे अविभाज्य है। यह जीवन के अधिकार में ही निहित है।'   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 5, 2024

केंद्रीय केबिनेट: किसानों से जुड़ी 1.01 लाख करोड़ रुपये से अधिक की योजनाएं स्वीकृत

नई दिल्ली, 05 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। केंद्र सरकार ने किसानों और इन्फ्रास्ट्र्कचर विकास से जुड़ी कई परियोजनाओं के लिए हजारों करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इन योजनाओं को मंजूरी दी गई। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया कि सरकार ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और कृषि उन्नति योजना को मंजूरी दी है। इन योजनाओं के लिए 1 लाख 1321 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा 63 हजार करोड़ रुपये से अधिक की चेन्नई मेट्रो फेज-2 परियोजना को भी मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि किसानों की आय बढ़ाने के मकसद से सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं।   *किसानों से जुड़ी 1.01 लाख करोड़ रुपये की योजना* वैष्णव ने बताया कि एक तरह से किसानों की आय से जुड़े लगभग हर बिंदु को 1,01, 321 करोड़ रुपए के कार्यक्रम के तहत कवर किया गया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ा कार्यक्रम है जिसके कई घटक हैं। सभी घटकों को कैबिनेट ने अलग-अलग योजनाओं के रूप में मंजूरी दी है। बकौल अश्विनी वैष्णव, 'अगर कोई राज्य किसी एक योजना से जुड़ी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) लेकर आता है, तो उसे इस योजना के तहत मंजूरी दी जाएगी।'   *चेन्नई मेट्रो के दूसरे चरण को मंजूरी* कैबिनेट ने चेन्नई मेट्रो के दूसरे चरण को भी स्वीकृति दी है। इस पर 63,246 करोड़ रुपये की लागत आएगी। दूसरे चरण की कुल लंबाई 119 किलोमीटर होगी। साथ ही कुल 120 स्टेशन होंगे। इस परियोजना में केंद्र और तमिलनाडु सरकार की 50-50 फीसदी हिस्सेदारी होगी। इसका निर्माण चेन्नई मेट्रो रेल लिमिटेड करेगी। चेन्नई में 2026 में 1.26 करोड़ और 2048 में 1.80 करोड़ जनसंख्या होने का अनुमान है।   *किसानों की आय बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की कवायद* अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट बैठक में सबसे बड़ा फैसला किसानों की आय बढ़ाने और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का है। इसके लिए 'पीएम राष्ट्र कृषि विकास योजना' और 'कृषोन्ति योजना' को मंजूरी दी गई है। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट ने कृषि मंत्रालय के तहत संचालित सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) को दो व्यापक योजनाओं में तर्कसंगत बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। पीएम-आरकेवीवाई टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देगा जबकि केवाई खाद्य सुरक्षा और कृषि आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने में सहायता करेगा।   उन्होंने बताया कि दोनों योजनाओं के तहत 9 अलग-अलग योजनाएं हैं। विभिन्न घटकों के कुशल और प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सभी घटक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाएंगे। ये दोनों योजनाएं राज्यों की ओर से कार्यान्वित की जाती हैं। 1,01,321.61 करोड़ रुपये के कुल प्रस्तावित व्यय में से कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के केंद्रीय हिस्से का अनुमानित व्यय 69,088.98 करोड़ रुपये है। साथ ही इसमें राज्यों का हिस्सा 32,232.63 करोड़ रुपये है। इसमें कृषि विकास योजना के लिए 57,074.72 करोड़ रुपये और कृषोन्नति योजना के लिए 44,246.89 करोड़ रुपये शामिल हैं।   *78 दिन का बोनस मिलेगा; 11.72 लाख रेल कर्मियों को होगा फायदा* केंद्रीय कैबिनेट ने लाखों रेलवे कर्मचारियों को 78 दिन के बराबर बोनस देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। त्योहारी सत्र से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को कैबिनेट की अहम बैठक में रेलवे कर्मचारियों को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 78 दिनों के लिए उत्पादकता से जुड़े बोनस (पीएलबी) को मंजूरी दी। इसका लाभ 11,72,240 रेलवे कर्मचारियों को होगा। इस पर 2028.57 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। पात्र रेलवे कर्मचारियों को देय अधिकतम राशि 78 दिनों के लिए 17,951 रुपये है।   इस राशि का भुगतान विभिन्न श्रेणियों के रेलवे कर्मचारियों जैसे ट्रैक मेंटेनर, लोको पायलट, ट्रेन मैनेजर (गार्ड), स्टेशन मास्टर, पर्यवेक्षक, तकनीशियन, तकनीशियन हेल्पर, पॉइंट्समैन, मंत्रालयिक कर्मचारी और अन्य ग्रुप सी कर्मचारियों को किया जाएगा। पात्र रेलवे कर्मचारियों को पीएलबी का भुगतान प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा/दशहरा की छुट्टियों से पहले किया जाता है। वर्ष 2023-2024 में रेलवे का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा। रेलवे ने 1588 मिलियन टन का रिकॉर्ड माल लोड किया और लगभग 670 करोड़ यात्रियों को सफर कराया।   *खाद्य तेल पर राष्ट्रीय मिशन-ऑयलसीड्स को मंजूरी* कैबिनेट ने 10,103 करोड़ रुपये की खाद्य तेल पर राष्ट्रीय मिशन ऑयलसीड्स को भी मंजूरी दी है। यह कृषोन्नति योजना के तहत आने वाली नौ योजनाओं में से एक है। इस योजना का लक्ष्य 2031 तक खाद्य तेलों का उत्पादन 1.27 करोड़ टन से बढ़ाकर 2 करोड़ टन करना है। इस मिशन का लक्ष्य तिलहन उत्पादन में भारत को सात वर्षों में आत्मनिर्भर बनाना है। मिशन साथी पोर्टल लॉन्च करेगा जिससे राज्य गुणवत्तापूर्ण बीजों की समय पर उपलब्धता के लिए हितधारकों के साथ समन्वय कर सकेंगे।   *अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता केंद्र में शामिल होने की मंजूरी* कैबिनेट ने लेटर ऑफ इंटेंट पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है ताकि भारत ऊर्जा दक्षता केंद्र में शामिल हो सके। यह दुनिया भर में ऊर्जा दक्षता और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक वैश्विक मंच है। यह कदम सतत विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के उसके प्रयासों के अनुरूप है। इस निर्णय से भारत को विशिष्ट 16 देशों के समूह की साझा रणनीतिक ऊर्जा प्रथाओं और नवीन समाधानों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 5, 2024

एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

नई दिल्ली, 05 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय से एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं कराने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि अगर आप एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे। कोर्ट ने एमसीडी स्थायी समिति के सदस्य के लिए चुनाव कराने में दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय के अत्यंत जल्दबाजी करने पर भी सवाल उठाए।   कोर्ट ने दिल्ली उपराज्यपाल कार्यालय से कहा कि अगर आप चुनाव कराने के लिए एमसीडी अधिनियम के तहत कार्यकारी शक्ति का उपयोग करना शुरू कर देंगे तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने एमसीडी स्थायी समिति के हालिया चुनाव के खिलाफ महापौर शैली ओबेरॉय की याचिका पर दिल्ली उपराज्यपाल कार्यालय से जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया है।    *'कोर्ट ने क्या कहा?* न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और आर महादेवन की पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय से कहा कि जब तक वह 27 सितंबर को होने वाले स्थायी समिति के चुनावों के खिलाफ मेयर शेली ओबेरॉय की याचिका पर सुनवाई नहीं कर लेती, तब तक स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव न कराए जाएं। पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन से कहा कि यदि आप एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष के लिए चुनाव कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे।   'आप चुनावी प्रक्रिया में कैसे बाधा डाल सकते हैं?'   पीठ ने कहा कि शुरू में वह इस याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं थी, लेकिन उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 487 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के फैसले के कारण उसे नोटिस जारी करना पड़ा। पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय से पूछा कि यदि आप डीएमसी अधिनियम की धारा 487 के तहत कार्यकारी शक्तियों का उपयोग करना शुरू करते हैं तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। आप चुनावी प्रक्रिया में कैसे बाधा डाल सकते हैं। पीठ ने उपराज्यपाल कार्यालय से दो सप्ताह में जवाब मांगा और मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत के दशहरा अवकाश के बाद तय की।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 5, 2024

दिल्ली देहात से जुड़े 360 गांवों के लोग जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना देंगे : चौधरी सुरेंद्र सोलंकी

नई दिल्ली, 05 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। दिल्ली देहात से जुड़े वर्षों से लंबित समस्याओं और मुद्दों के समाधान को लेकर लगातार चल रहे आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पालम 360 के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं के भयंकर अभाव और चौतरफ़ा बदहाली से लोगों में खासी नाराजगी है। दिल्ली के ग्रामीण कई वर्षों से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और अब दिल्ली देहात के लोग अपनी सभी समस्याओं का पूर्ण समाधान लेकर ही दम लेने का फैसला कर चुके हैं। 15 सितंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर हजारों की संख्या में एकजुट होकर हमने अपने हक और अधिकार के लिए हुंकार भरकर जिस लड़ाई का आगाज किया है उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही रहेंगे। चौ सोलंकी ने कहाँ कि दिल्ली सरकार दिल्ली के 360 गांवों के लोगों को हल्के में लेने का प्रयास न करें ये वो लोग हैं जिन्होंने इस दिल्ली को सुरक्षित रखने में और दिल्ली के विकास अहम भूमिका निभाई है। चौ सोलंकी ने कहाँ कि होमगार्ड के 8500 कर्मचारियों अचानक से निकालना दुर्भाग्यपूर्ण है ये सरकार दिल्ली के युवाओं को रोज़गार तो दे नहीं पाई उल्टा बेरोज़गारी के कगार पर लाने का प्रयास कर रही है होम गार्ड में ज़्यादातर जवान दिल्ली देहात के बच्चे हैं और हम इनकी लड़ाई मज़बूती से लड़ेंगे चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि दिल्ली को विकसित करने में यहाँ के ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया, मगर दिल्ली के ग्रामीण इलाके ही बदहाली का शिकार हैं।   टूटी सड़कें, जहां तहां भरा पानी, गंदी नालियां और बजबजाते सीवर चारों तरफ फैली गंदगी यही दिल्ली के गांवों की तस्वीर है। हालात ये हैं कि दिल्ली के गांव ना शहर रहे ना गांव बल्कि उनकी स्थिति स्लम इलाके जैसी हो गई है। इतनी गंदगी और बदहाली में रह रहे गांव के लोगों को हर समय बीमारियों के फैलने या किसी अनहोनी का डर बना रहता है। इसीलिए अब दिल्ली देहात के लोगों ने मन बना लिया है कि इस बार लड़ाई आर पार की है। हम इस बारे किसी के बहकावे में नहीं आने वाले, सिर्फ आश्वासन नहीं लिखित समाधान चाहिए। चौधरी सोलंकी ने कहा कि अभी जंतर मंतर पर उमड़े सैलाब और ग्रामीणों के बढ़ते आक्रोश के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल की तरफ से हमारी दो मांगे मानी गई हैं। जिसके तहत दिल्ली में लंबे समय से बंद पड़े म्यूटेशन की प्रक्रिया को दोबारा बहाल कर दिया गया है और दिल्ली के गांवों में बिजली के मीटर लगवाने पर लगी पाबंदी हटा ली गई है। दिल्ली के ग्रामीणों के हक में हुए इन दोनों फैसलों के लिए हम उपराज्यपाल महोदय को धन्यवाद देते हैं, साथ ही उम्मीद करते हैं कि एलजी साहब और केंद्र सरकार से संबंधित हमारी अन्य समस्याओं का समाधान भी जल्द से जल्द होगा। साथ ही हम दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी और मुख्यमंत्री आतिशी जी से भी अपील करते हैं कि उनकी पार्टी की मेयर और डिप्टी मेयर ने हमारे साथ प्रेस कांफ्रेंस करके स्पष्ट किया था कि दिल्ली के गांवों में कोई हाउस टैक्स नहीं लिया जाएगा, मगर उस घोषणा का नोटिफिकेशन जो तक नहीं किया गया है।    उसे जल्द से जल्द नोटिफाइड कराकर अपना वादा निभाएं। चौधरी सोलंकी ने बताया कि हमने पिछले साल भी जंतर मंतर पर प्रदर्शन के बाद अपनी तीन मांगें मनवायीं थीं और इस बार भी अब तक दो मांगें पूरी हुईं हैं। ये दिल्ली देहात के लोगों की एकजुटता की ताकत से ही संभव हुआ है। आगे भी हमारा इरादा साफ है, जब तक हमारी सभी समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता, ये आंदोलन रुकने वाला नहीं। उन्होंने बताया कि दिल्ली देहात के लोगों ने जंतर मंतर पर महापंचायत के जरिए ये फैसला लिया गया था कि कि अगर 15 दिन के भीतर हमारे सभी मुद्दों का पूर्ण समाधान नहीं कर दिया जाता है, तो फिर अनिश्चितकालीन धरना दिया जायेगा। और अब 15 दिन बीतने के बाद हमने 06 अक्टूबर से अनिश्चित क़ालीन धरने पर जाने का फ़ैसला लिया यह धरना जब तक जारी रहेगा जब तक हमारी सभी समस्याओं का लिखित रूप में समाधान नहीं मिल जाता इसके बाद इस आंदोलन का जो स्वरूप होगा उसके लिए दिल्ली के एलजी, दिल्ली सरकार और केंद्र की सरकार जिम्मेदार होगी। महापंचायत का यह भी फैसला है कि अगर हमारे मुद्दों के समाधान में लापरवाई की गई तो आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव का भी दिल्ली के ग्रामीण पूर्ण बहिष्कार करेंगे। किसी भी पार्टी के नेता दिल्ली के गांवों में वोट मांगने नहीं घुस पाएंगे। हमारी किसी पार्टी से कोई लड़ाई नहीं है, मगर जो पार्टी हमारी समस्याओं की अनदेखी करेगी उसका डट कर विरोध करेंगे और जो पार्टी हमारे मुद्दों का समाधान करेगी हम उसका स्वागत भी करेंगे।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 5, 2024

भारत में कई संघों और पहलों द्वारा हरित ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है: शांतनु मित्रा

नई दिल्ली, 05 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। पर्यावरण, सामाजिक और शासन के पास अब प्रत्यक्ष व्यावसायिक समझ माने जाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। इससे  पर्यावरण, सामाजिक और शासन सिद्धांतों को लागू करने की आवश्यकता के बारे में सभी प्रकार के हितधारकों के बीच सहमति बढ़ी है, शांतनु मित्रा, वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार, कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, ने नई दिल्ली में एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) द्वारा आयोजित ग्लोबल पर्यावरण, सामाजिक और शासन कॉन्क्लेव 3.0 में कहा। अनुमानों के अनुसार, ईएसजी के नेतृत्व वाले परिवर्तन से 40 ट्रिलियन डॉलर के अवसर पैदा होने जा रहे हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद के बराबर है। इसके अलावा, 2022 में, दुनिया भर के नियोक्ताओं ने 2.4 मिलियन ईएसजी नौकरियों की पेशकश की। 2030 तक, यह संख्या बढ़कर 24 मिलियन नौकरियों तक पहुँचने का अनुमान है, जो केवल सात वर्षों में दस गुना वृद्धि है, श्री शांतनु मित्रा, वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार ने इस बात पर प्रकाश डाला।   संगठनों को पर्यावरण के संरक्षक के रूप में काम करना चाहिए और जलवायु परिवर्तन, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (जीएचजी), वनों की कटाई, जैव विविधता, कार्बन उत्सर्जन, अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय मुद्दों को कवर करना चाहिए। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जीवाश्म ईंधन - कोयला, तेल और गैस - वैश्विक जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़े योगदानकर्ता हैं, जो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 75 प्रतिशत से अधिक और सभी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लगभग 90 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं। नेट जीरो बिल्कुल यही है। यह प्रदूषण को व्यापार योग्य बना रहा है। हमें प्रदूषण के लिए पूर्ण प्रदूषण-तटस्थता, इन-सीटू समाधान की आवश्यकता है। किसी भी इकाई को इकाई के चारों कोनों से किसी भी नकारात्मक बाहरी प्रभाव को बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। दूसरे शब्दों में, प्रत्येक इकाई को अपनी वास्तविक लागत में सामाजिक लागत को शामिल करना होगा। अन्यथा, इसे बाजार से बाहर होना चाहिए। हितधारकों की भागीदारी ESG सफलता का एक और प्रमुख स्तंभ है।   हितधारकों - कर्मचारियों, ग्राहकों, आपूर्तिकर्ताओं और निवेशकों को सक्रिय रूप से शामिल करना सुनिश्चित करता है कि ESG रणनीतियाँ व्यापक सामाजिक आवश्यकताओं को दर्शाती हैं। उल्लेखनीय रूप से, भारत एक निश्चित वर्ग की कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) को अनिवार्य बनाने वाला पहला देश है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए, 24392 कंपनियों ने सीएसआर किया है, जिसमें वर्ष में लगभग 29,986 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार ने कहा कि शीर्ष तीन राज्य महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक हैं। जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं के महत्व को स्वीकार करने में भारत सबसे आगे रहा है और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए कई नीति और नियामक पहलों को लागू किया है। संस्थागत रूप से, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने भारत में जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाई है और कॉर्पोरेट संस्थाओं की ईएसजी जिम्मेदारियों के महत्व और उन्हें व्यावसायिक प्रथाओं और निवेश निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में एकीकृत करने की आवश्यकता को निर्धारित करते हुए 'व्यवसाय की सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक जिम्मेदारियों पर राष्ट्रीय स्वैच्छिक दिशानिर्देश, 2011' के दिशानिर्देश पेश किए हैं।   कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार ने कहा। शसोरेन नोरेलंड कन्निक-मार्क्वार्डसेन, मंत्री परामर्शदाता-व्यापार, वाणिज्यिक और आर्थिक मामले, रॉयल डेनिश दूतावास- नई दिल्ली और निदेशक- व्यापार परिषद दक्षिण एशिया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है, खासकर जब बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास की बात आती है। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की राह पर है। इसलिए, उन्होंने समझाया कि भारत ईएसजी डोमेन में वैश्विक प्रभाव डाल सकता है। उन्हें उम्मीद थी कि भारत और डेनमार्क के बीच सहयोग एक स्थायी वर्तमान और भविष्य बनाने में फलदायी साबित होगा। सम्मेलन के दौरान बोलने वाले अन्य लोगों में मनोज रुस्तगी, मुख्य स्थिरता और नवाचार अधिकारी, जेएसडब्ल्यू सीमेंट; एससी अग्रवाल, सदस्य, एसोचैम और सीएमडी, एसएमसी समूह; सुश्री दीपाली धूलिया, निदेशक-रणनीतिक परामर्श, कुशमैन सुश्री अपराजिता अग्रवाल, वरिष्ठ प्रबंधक- नियामक मामले, टाटा स्टील लिमिटेड और फैजल अल शिमरी, प्रमुख- ईएसजी, मशरेक बैंक।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 5, 2024

नेपरविले में हुआ 4 दिवसीय भारतीय अमेरिकी व्यापार मेले का आयोजन

शिकागो, 04 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। इलिनोइस के नेपरविले मे भारतीय मूल के प्रमुख व्यवसायी और इंडियन अमेरिकन बिजनेस काउंसिल के चेयरमेन अजित सिंह व डीट्राइबल्स फाउंडेशन के संयुक्त प्रयासो से भारत के कारीगरों को अमेरिका में बढ़ावा देने के उद्देश्य से 4 दिवसीय स्वदेशी मेले का भव्य आयोजन किया। भारतीय अमेरिकी व्यापार मेले में विभिन्न भारतीय कलाकृतियों, हथकरघा उत्पादों, हस्तशिल्प और पारंपरिक वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की गयी और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया गया।   छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साओ, भारत के महावाणिज्य दूत सोमनाथ घोष, राष्ट्रीय भारत हथकरघा संवर्धन परिषद की विकास आयुक्त डाक्टर एम बीना, नेपरविले के मेयर स्कॉट वेहरली, कांग्रेसमैन बिल फोस्टर, कांग्रेसमैन राजा कृष्णमूर्ति, शिकागो के एल्डरमैन डेविड मूर, इलिनोइस राज्य की सीनेटर लॉरा एलमैन, ऑरोरा की एल्डरवुमेन श्वेता बैद और ड्यूपेज काउंटी बोर्ड की सदस्य पैटी गुस्टिन सहित कई गणमान्य अतिथियों ने मेले में भाग लिया। पद्मश्री कैलाश खेर को भारतीय स्वदेशी मेले का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया। मेले में भारत के पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते आदर्श शास्त्री की उपस्थिति ने इस आयोजन को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व दिया।   मेले में पद्मश्री कैलाश खेर द्वारा प्रस्तुत संगीत, हथकरघा प्रदर्शनी, गरबा और डांडिया नृत्य आदि मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहे। डीट्राइबल्स फाउंडेशन की संस्थापक दीपाली सरावगी ने मेले में आने वाले स्वयंसेवकों, प्रायोजकों और आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। अजित सिंह ने बताया कि 4 दिवसीय मेले में 30 हजार से अधिक लोगों ने विजिट किया और 105 से अधिक विक्रेताओं ने भाग लिया। कहा कि वे भविष्य में भी भारतीय और अमेरिकी व्यापार को बढ़ावा देने और दोनों देशों की संस्कृतियों का आदान-प्रदान करने और आपसी भाईचारा बढ़ाने के लिए भविष्य में भी इस प्रकार के मेलों का आयोजन करते रहेंगे। इस अवसर पर भारतीय और अमेरिकी समुदाय के हजारों लोग उपस्थित थे।   बागपत-रिपोर्टर, (विवेक जैन)।

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Oct 4, 2024

कंगना रनौत के देश के पिता नहीं होते लाल होते हैं वाले बयान से फिर फंसी भाजपा

नई दिल्ली, 04 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। अभिनेत्री-नेता कंगना रनौत ने बुधवार को महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के बारे में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर नया विवाद खड़ा कर दिया. इससे पहले, किसानों के आंदोलन पर अपनी टिप्पणियों के लिए आलोचना का सामना कर चुकीं रनौत ने शास्त्री को उनकी 120 वीं जयंती पर एक पोस्ट के माध्यम से श्रद्धांजलि दी, जो राष्ट्रपिता के रूप में महात्मा गांधी के कद को कम करने वाला प्रतीत हुआ.   *कंगना ने इंस्टा स्टोरी पर क्या लिखा* रनौत ने अपनी ‘इंस्टाग्राम स्टोरी' पर लिखा, “देश के पिता नहीं, देश के तो लाल होते हैं. धन्य हैं भारत के ये लाल.” एक अन्य पोस्ट में अभिनेत्री ने देश में स्वच्छता पर गांधीजी की विरासत को आगे बढ़ाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया. शास्त्री और गांधी पर पोस्ट ने हिमाचल प्रदेश के मंडी क्षेत्र से भाजपा सांसद के लिए एक और विवाद को जन्म दे दिया. कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने गांधी पर “भद्दे कटाक्ष” के लिए रनौत की आलोचना की.   *सुप्रिया श्रीनेत ने कंगना को घेरा* सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, “महात्मा गांधी की जयंती पर भाजपा सांसद कंगना ने यह भद्दा कटाक्ष किया। गोडसे के उपासक बापू और शास्त्री जी में भेद करते हैं। क्या नरेन्द्र मोदी अपनी पार्टी की नए गोडसे भक्त को दिल से माफ करेंगे? राष्ट्रपिता हैं, सपूत हैं, शहीद हैं, सभी का सम्मान होना चाहिए.” मार्च में, श्रीनेत खुद लोकसभा चुनाव से पहले अभिनेत्री के बारे में एक आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर विवादों में घिर गई थीं.   *बीजेपी का कंगना से फिर किनारा* पंजाब के वरिष्ठ भाजपा नेता मनोरंजन कालिया ने भी रनौत की नयी टिप्पणी की आलोचना की. कालिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट एक वीडियो में कहा, “मैं गांधी जी की 155वीं जयंती पर कंगना रनौत द्वारा की गई टिप्पणी की निंदा करता हूं. अपने छोटे से राजनीतिक जीवन में उन्हें विवादित बयान देने की आदत पड़ गई है.” उन्होंने कहा, “राजनीति उनका क्षेत्र नहीं है. राजनीति एक गंभीर मामला है। बोलने से पहले सोचना चाहिए... उनकी विवादास्पद टिप्पणी पार्टी के लिए परेशानी का कारण बनती है.”   पिछले महीने ही रनौत को 2021 में निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों की वापसी की वकालत करने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. जून में सांसद के रूप में चुने गए अभिनेता ने आरोप लगाया कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन “भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति” पैदा कर रहा है, उन्होंने दावा किया कि विरोध स्थलों पर “लाशें लटक रही थीं और बलात्कार हो रहे थे. बाद में रनौत ने अपने बयान को वापस लेते हुए स्वीकार किया कि उन्हें याद रखना चाहिए कि वह केवल एक कलाकार नहीं हैं, बल्कि भाजपा की सदस्य भी हैं.   *अपने बयानों से विवादों में घिरती रही हैं कंगना* बता दें कि इसके पहले कंगना रनौत ने किसानों और किसान बिल को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की थी. कंगना रनौत के उस बयान की विपक्षी पार्टियों से लेकर उनकी पार्टी के नेताओं ने आलोचना की थी.कंगना रनौत के बयान पर उस समय भी हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कंगना रनौत पर हमला बोला था और उन्होंने कहा था कि किसी भी पार्टी नेता द्वारा आत्म-प्रचार के लिए पार्टी के सिद्धांतों से समझौता नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा था कि हर सांसद रातों-रात पार्टी का नेता नहीं बन जाता है. किसी भी कार्यकर्ता को हमारी पार्टी के सिद्धांतों के साथ पूरी तरह से एकरूप होने के लिए वर्षों के समर्पण की आवश्यकता होती है. मैं पिछले 35 वर्षों से अधिक समय से भाजपा से जुड़ा हुआ हूं. उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान ने कंगना रनौत को उनकी टिप्पणी से नाराजगी जताई है.   *कंगना ने बाद में विवादित बयान पर दी सफाई* कंगना ने अपने अगले पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी ने महात्मा गांधी की स्वच्छता मुहिम को आगे बढ़ाया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका मकसद महात्मा गांधी का अपमान करना नहीं था, बल्कि वे शास्त्री जी को सम्मान देना चाहती थीं। हालांकि, कंगना के बयान के बाद से बीजेपी के अंदर भी इसे लेकर मतभेद उभर आए हैं। कंगना अपने विवादित बयानों की वजह से कंगना बार-बार चर्चा में रहती हैं, और यह मामला भी अब गरमा गया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 4, 2024

कुछ घंटे पहले भाजपा के साथ, फिर राहुल का थाम लिया हाथ... हरियाणा में अशोक तंवर की गजब पलटी

महेंद्रगढ़, 04 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के बीच भारतीय जनता पार्टी को करारा झटका लगा है. पूर्व सांसद अशोक तंवर ने चुनाव से ऐन वक्त पहले कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. हैरानी की बात ये है कि अशोक तंवर गुरुवार को जींद के सफीदों में भाजपा के लिए प्रचार कर रहे थे. इसके कुछ घंटे बाद वह महेंद्रगढ़ में राहुल गांधी से मिले. इसके बाद उनके कांग्रेस में शामिल होने की खबर आई. तंवर 5 साल में 4 राजनीतिक पार्टियां बदल चुके हैं. अशोक तंवर ने 5 साल पहले हुड्‌डा से मतभेद की वजह से ही कांग्रेस छोड़ी थी.    अशोक तंवर ने 1993 में अपनी राजनीतिक पारी कांग्रेस से ही शुरू की थी. 2003 में वह कांग्रेस पार्टी के छात्र विंग, एन एस यू आइ और 2005 में यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए थे. यूथ कांग्रेस में उन्होंने राहुल गांधी के साथ काम किया. राहुल गांधी ने ही 2014 में अशोक तंवर को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपी थी.अशोक तंवर सिरसा से कांग्रेस सांसद और 2014-2019 के बीच हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चीफ थे. इसी दौरान उन्होंने पार्टी छोड़ दी.   *2014-2019 के बीच रहे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के चीफ* फिर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. इसी साल 20 जनवरी को अशोक तंवर ने आम आदमी पार्टी  छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी. भाजपा ने उन्हें सिरसा लोकसभा सीट से टिकट दिया था. इस सीट पर उनका मुकाबला कांग्रेस की कुमारी शैलजा से था. लोकसभा चुनाव में शैलजा ने अशोक तंवर को 2,68,497 वोटों से हराया था.   *हुड्डा से हमेशा रहा मनमुटाव* हालांकि, तंवर और भूपेंद्र हुड्डा में हमेशा मनमुटाव बना रहा. कहा जाता है कि हुड्डा की वजह से ही अशोक तंवर ने हरियाणा प्रदेश कांग्रे कमेटी की कुर्सी छोड़ दी. फिर 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले टिकट बंटवारे से नाराज होकर उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी.   *कांग्रेस ने किया स्वागत* अशोक तंवर के कांग्रेस में शामिल होने पर कांग्रेस ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा- "कांग्रेस ने लगातार शोषितों, वंचितों के हक की आवाज़ उठाई है. संविधान की रक्षा के लिए पूरी ईमानदारी से लड़ाई लड़ी है. हमारे इस संघर्ष और समर्पण से प्रभावित होकर आज भाजपा के सीनियर नेता, पूर्व सांसद और हरियाणा में भाजपा की कैंपेन कमेटी के सदस्य अशोक तंवर कांग्रेस में शामिल हो गए. उनके आने से दलितों के हक की लड़ाई को और मज़बूती मिलेगी."   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 4, 2024

इंतजार में गुजर गए माता-पिता, पत्नी और बेटा भी, 56 साल बाद तिरंगे में लौटा मलखान

नई दिल्ली, 04 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। सात फरवरी 1968 का वह दिन याद है, जब बड़े भाई मलखान सिंह (23) की विमान हादसे में निधन की सूचना मिली. उस समय मेरी उम्र करीब 12 साल होगी, लेकिन परिवार के हालातों से वाकिफ था. देखता रहता था कि माता-पिता और भाभी समेत परिवार के अन्य सदस्य किस तरह कोने में जाकर रोते-बिलखते थे. क्योंकि अंतिम समय में परिवार का कोई सदस्य उनका चेहरा भी नहीं देख सका और न ही अंत्येष्टी कर सके.   56 साल बाद जब सेना के जवानों ने आकर पार्थिव शरीर मिलने के जानकारी दी तो दर्द ताजा हो गया. समझ ही नहीं आया कि आखिर भाई के निधन पर अब दुख जताऊं या फिर यह सब्र करूं कि कम से कम अब अंत्येष्टी तो कर सकेंगे. यह कहते-कहते मलखान सिंह के छोटे भाई इसमपाल सिंह की आंखों से आंसू छलक पड़े. ये सिर्फ आंसू नहीं हैं, बल्कि एक परिवार का दर्द है. जो अपने भाई, बेटे, पति, पत्नी का चेहरा देखने के इंतजार में मर गया. अब जब मलखान का शव गांव आया तो नहीं हैं वह लोग, जो उन्हें दे पाते आखिरी विदाई.   *आखिर कौन हैं मलखान सिंह, जिनका 56 साल बाद मिला है शव*  1968 में शहीद हुए जवान मलखान सिंह का पार्थिव देह 56 साल बाद मिला है. विमान के क्रेश होने से मलखान सिंह शहीद हो गए थे. तब उनके शव का कोई पता नहीं चल पाया था.  56 साल बाद मलखान सिंह का शव प्राप्त होने की जानकारी मिलने के बाद परिवार के लोग हैरान हैं.  उन्हें यकीन नहीं हुआ कि आखिर इतने सालों के बाद कैसे शव मिल सकता है, लेकिन वायुसेना ने खुद अपनी तरफ से शव मिलने की आधिकारिक पुष्टि की है. परिजनों को यह समझ नहीं आया कि प्रतिक्रिया में क्या कहा जाए.   *परिवार में इंतजार करते हुए कई लोग मर गए* मंगलवार को मलखान सिंह के छोटे भाई इसमपाल सिंह को शव मिलने की जानकारी दी गई. मलखान की पत्नी और इकलौते बेटे की मौत हो चुकी है. वहीं बहू, पौत्र गौतम व मनीष और एक पौत्री है. 56 बाद शव मिलने की जानकारी के बाद परिवार का वर्षों पुराना गम हरा हो गया.    *पोते हैं अब जिंदा* पौते गौतम कुमार ने कहा, “हमें कल सुबह आठ-नौ बजे के करीब यह सूचना दी गई कि आपके दादाजी का शव मिल चुका है. मेरे दादाजी एयरफोर्स में थे. वो चंडीगढ़ से किसी मिशन के लिए निकले थे, तो उनका जहाज किसी बर्फ में समा गया, जिसके बाद उनका कोई पता नहीं चला. लेकिन, अब उनके शव मिलने की जानकारी मिली है. गांव में खुशी और गम दोनों का माहौल है.”    *पूरा गांव है गमगीन* मलखान सिंह का पार्थिव शरीर गांव लाए जाने के बाद लोग देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हैं. इस मौके पर गांव के हर शख्स की आंखें नम है. शहीद मलखान सिंह के परिवार की आर्थिक हालत भी ठीक नहीं है. परिवार को पूरी उम्मीद है कि शायद सरकार की ओर से किसी प्रकार की सहायता दी जाए या कोई ढंग की नौकरी दी जाए.   *ऑटो चलाकर पोते करते हैं गुजारा* मलखान सिंह के दोनों पोते सहारनपुर में ऑटो चलाकर जैसे-तैसे अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. पोते ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि वायु सेना की ओर से कोई आर्थिक सहायता दी जाएगी, लेकिन अफसोस कोई मदद नहीं दी गई. पोते गौतम ने बताया कि मदद एक तरफ, लेकिन कहीं ना कहीं उनके दिल में इस बात की खुशी है कि उनके दादा जी का शव मिल चुका है.    *56 साल पहले हुए थे शहीद* विश्व के सबसे ऊंचे तथा दुर्गम बर्फीले युद्ध क्षेत्र सियाचिन में 56 वर्ष पूर्व हवाई दुर्घटना में मौत का शिकार हुए जवान मलखान सिंह का पार्थिव शरीर लद्दाख से भारतीय वायुसेना के वायुयान से एयरफोर्स स्टेशन सरसावा लाया गया. जहां दोपहर सवा 12 बजे पार्थिव शरीर को वायुयान से उतार कर सशस्त्र जवानों ने अंतिम सलामी दी.    *अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़* इसके पश्चात पार्थिव शरीर को एक सैन्य वाहन में पूरे सम्मान के साथ रख कर शहीद सैनिक की अंतिम यात्रा काफिले के साथ वायुसेना स्टेशन से नानौता क्षेत्र में उनके पैतृक गांव फतेहपुर पहुंची. जहां भारत माता की जय और शहीद मलखान सिंह अमर रहे के नारों के बीच उनके पार्थिव शरीर को घर तक ले जाया गया. इस दौरान ग्रामीणों ने गांव के बाहर से घर तक पार्थिव श रीर पर पुष्प वर्षा की। बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे.   *2024 में बरामद हुआ शव* अपर पुलिस अधीक्षक (देहात क्षेत्र) सागर जैन ने बुधवार को बताया कि नानौता थाना क्षेत्र के फतेहपुर गांव के निवासी मलखान सिंह वायु सेना में थे. वह सात फरवरी 1968 को हिमाचल प्रदेश के सियाचिन ग्लेशियर के पास सेना के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना में शहीद हो गये थे. इस हादसे में 100 से अधिक जवान शहीद हुए थे. उन्होंने बताया कि बर्फीले पहाड़ होने के कारण घटना के फौरन बाद शवों की बरामदगी भी नहीं हो पाई थी. वर्ष 2019 तक पांच ही शव मिले थे और अभी हाल में चार शव और बरामद हुए थे. इन्हीं में एक जवान की पहचान मलखान सिंह के रूप मे हुई है.   *बर्फ में दबे होने की वजह से नहीं खराब हुआ शव* बर्फ में दबे होने के कारण उनका शव अभी तक पूरी तरह क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है. मलखान का शव गुरुवार को उनके पैतृक गांव पहुंचेगा. मलखान के छोटे भाई ईसम सिंह ने न्यूज एजेंसी भाषा को बताया कि मलखान 20 साल की उम्र में वायुसेना में चयनित हुए थे और 23 साल की आयु में शहीद हो गये थे. उनके परिवार में पत्नी शीला देवी और डेढ़ साल का बेटा राम प्रसाद थे. जब मलखान का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो उनकी पत्नी और बेटा दोनों ही उन्हें अंतिम बार देखने के लिए वहां नहीं थे क्योंकि दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं.   *पत्नी की करा दी गई देवर के साथ शादी* छोटे भाई ने बताया कि मलखान की पत्नी शीला का दूसरा विवाह मलखान की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई चंद्रपाल से कर दिया गया था और उनसे उनके दो बेटे सतीश, सोमप्रसाद और एक बेटी शर्मिला है. ईसम ने कहा, ''गांव के बुजुर्ग मलखान के बारे में किस्से और कहानियाँ सुनाते थे लेकिन अब वे उसे अंतिम श्रद्धांजलि देने का इंतज़ार कर रहे हैं.   *मलखान सिंह अब 79 साल के होते* यह भगवान का आशीर्वाद है कि हमें पितृ पक्ष में उनका शव बरामद होने की जानकारी मिली. पितृ पक्ष में दिवंगत आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं. अब जब हम अपनी धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं, तो उन्हें आखिरकार सच्ची मुक्ति मिलेगी.'' अपने बड़े भाई मलखान को याद करते हुए ईसम की आंखें नम हो जाती हैं.  उन्होंने कहा कि अगर मलखान जीवित होते तो अब 79 वर्ष के होते.   ईसम ने बताया कि मलखान के भाई सुल्तान सिंह और चंद्रपाल की भी मौत हो चुकी है. अब इस पीढ़ी में वह खुद और उनकी बहन चंद्रपाली जीवित हैं. उन्होंने बताया कि शहीद मलखान सिंह का अंतिम संस्कार परिवार द्वारा ही किया जाएगा. इसकी तैयारियां की जा रही हैं. पूरा परिवार, रिश्तेदार और उनके बच्चे जो अपने दादा-परदादाओं से मलखान की शहादत की कहानियां सुनते थे, उन्हें अब आखिरकार शहीद के दर्शन करने का मौका मिलेगा.   *1968 में विमान दुर्घटना में लापता हुए मलखान सिंह*  हिमाचल प्रदेश के रोहतांग क्षेत्र में बर्फ से ढके पहाड़ों पर 1968 में विमान दुर्घटना में लापता हुए मलखान सिंह का शव भारतीय सेना के डोगरा स्काउट्स और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के कर्मियों की एक संयुक्त टीम ने हाल ही में बरामद किया है. एएन-12 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के लगभग 56 साल बाद चार जवानों के पार्थिव अवशेष बरामद किए गए. यह 102 लोगों को ले जा रहा ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप परिवहन विमान सात फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरते समय लापता हो गया था.   *सैनिकों के शव खोज रही सेना* एक अधिकारी ने बताया, ''जवानों के शव और विमान का मलबा दशकों तक बर्फीले इलाके में दबा रहा. वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों ने मलबे की खोज की. इसके बाद भारतीय सेना, विशेष रूप से डोगरा स्काउट्स द्वारा कई वर्षों तक कई अभियान चलाए गए. खतरनाक परिस्थितियों और दुर्गम इलाका होने की वजह से साल 2019 तक केवल पांच शव ही बरामद किए गए थे.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 4, 2024