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उत्तराखंड राज्य अतिथि गृह ‘उत्तराखण्ड निवास’ का नई दिल्ली में पुष्कर सिंह धामी ने किया लोकार्पण

नई दिल्ली, 06 नवंबर 2024 (यूटीएन)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में उत्तराखण्ड राज्य अतिथि गृह ‘उत्तराखण्ड निवास’ का लोकार्पण किया। इस भव्य उत्तराखण्ड निवास का निर्माण लगभग 120 करोड़ 52 लाख की लागत से किया गया है। इस अवसर पर सबसे पहले मुख्यमंत्री ने अल्मोड़ा जनपद के मार्चुला बस दुर्घटना में दिवंगत आत्माओं की शांति और उनके परिवारजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की।    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज हम सब उत्तराखण्ड निवास के लोकार्पण के ऐतिहासिक पल के साक्षी बन रह हैं। उत्तराखण्ड निवास में राज्य की संस्कृति, लोक कला और वास्तुकला का समावेश किया गया है। उत्तराखण्ड की अद्वितीय कला की छाप उत्तराखण्ड निवास संजोये हुए है। इसकी दीवार पारंपरिक रूप से पहाड़ी शैली के सुंदर पत्थरों से निर्मित है, जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी जीवंत करने का का कार्य करती है। यह भवन हमारी समृद्ध सांस्कृतिक पंरपराओं को एक नई ऊंचाई प्रदान करने के साथ ही उत्तराखण्ड और देश-विदेश से आने वाले अतिथियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करेगा।    मुख्यमंत्री ने कहा कि आरामदायी आवास व्यवस्था तथा उत्तराखण्ड की संस्कृति की झलक को समेटे यह भवन राष्ट्रीय राजधानी में हमारे प्रदेश की गरिमा का प्रतीक बनेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड निवास में हमारे पारंपरिक व्यंजनों की व्यवस्था की जाए। अन्न उत्पादों और जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए भी यहां पर एक विशेष काउंटर की व्यवस्था की जाए। उत्तराखण्ड की पहचान टोपी, पिछोड़ा, शॉल, जैकेट एवं राज्य के प्रसिद्ध उत्पादों की बिक्री की भी व्यवस्था हो। राज्य की महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा उच्च गुणवत्ता के उत्पाद बनाये जा रहे हैं। यह हमारे आने वाले अतिथियों के लिए एक विशेष प्रकार का अनुभव होगा।   मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड भवन के निर्माण में योगदान देने वाले सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। सभी श्रमिकों के समर्पण भाव की भी उन्होंने सराहना की।  मुख्यमंत्री ने कहा कि  आगामी 09 नवम्बर को हम उत्तराखण्ड राज्य की रजत जयंती वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं। ऐसे में उत्तराखण्ड भवन का लोकार्पण श्रेष्ठ उत्तराखण्ड बनाने का हमारे संकल्प को मजबूती प्रदान करेगा और राज्य को आगे बढ़ाने में हम सबको प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के समग्र विकास के लिए पिछले सालों में कई महत्वपूर्ण योजनाएं और नीतियां लागू की गई हैं। यही कारण है कि नीति आयोग द्वारा इस वर्ष जारी सतत विकास के लक्ष्यों की रैंकिंग में उत्तराखण्ड को देश प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।   ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में राज्य को एचीवर्स और स्टार्टप में लीडर्स की श्रेणी प्राप्त हुई है। जीएसडीपी में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उत्तराखण्ड युवाओं को रोजगार देने में भी अग्रणी राज्य बना है। एक वर्ष में बेरोजगारी दर में 4.4 प्रतिशत कमी लाई गई है। फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी सबसे अनुकूल राज्य होने के लिए भी उत्तराखण्ड को देश में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने राज्यहित में अनेक निर्णय लिये हैं। समान नागरिक संहिता की दिशा में कदम उठाने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। जल्द ही यूसीसी राज्य में लागू करने की दिशा में कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में देश का सबसे प्रभावी नकल विरोधी कानून लागू किया गया है। जिससे प्रदेश के युवाओं में नया आत्मविश्वास जगा है।   हर जनपद से युवाओं का चयन हो रहा है। विगत तीन वर्षों में राज्य में 18500 सरकारी पदों पर नियुक्तियां दी गई हैं। राज्य में धर्मान्तरण को रोकने के लिए सख्त कानून लागू किया गया है। जो देवभूमि की पवित्रता और संस्कृति की रक्षा करेगा। 05 हजार से भी अधिक सरकारी जमीन जो गैरकानूनी रूप से कब्जे में थी, उसको अतिक्रमण से मुक्त कराया है। प्रदेश में लव जिहाद और थूक जिहाद जैसी घटिया मानसिकता के खिलाफ भी कड़ा रूख अपनाते हुए सख्त कार्रवाई की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले बजट सत्र में एक सख्त भू-कानून भी लाया जायेगा। जिसकी काफी लंबे समय से प्रतिक्षा है। राज्य सरकार उत्तराखण्ड के अंतिम छोर के व्यक्ति तक विकास की धारा से जोड़ने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 6, 2024

सेवानिवृत्ति से पहले बोले सीजेआई चंद्रचूड़- आत्म-चिंतन अहम

नई दिल्ली, 06 नवंबर 2024 (यूटीएन)। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीन पुस्तकों का विमोचन किया। इस दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी भी संस्थान की बेहतर के लिए आत्मचिंतन अहम है। सुप्रीम कोर्ट की तीन पुस्तकों का महत्व भी कुछ ऐसा है। इसे कम नहीं किया जा सकता। इसके अलावा मनोनीत न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ विद्वान व्यक्ति हैं। उन्होंने न्याय को सुलभ बनाने का प्रयास किया है।    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट की तीन पुस्तक 'राष्ट्र के लिए न्याय: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्षों पर चिंतन', 'भारत में कारागार: कारागार नियमावली का मानचित्रण और सुधार एवं भीड़भाड़ कम करने के उपाय' और  'विधि विद्यालयों के माध्यम से कानूनी सहायता: भारत में कानूनी सहायता प्रकोष्ठों की कार्यप्रणाली पर एक रिपोर्ट' का विमोचन किया।   *सुप्रीम कोर्ट कर रहा बेहतर काम: राष्ट्रपति* विमोचन समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं पुस्तकों के प्रकाशन में योगदान देने वाले सभी लोगों को बधाई देती हूं। मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट अपनी स्थापना के 75वें वर्ष में कई बेहतर काम कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में लोक अदालत का आयोजन, न्यायिक अधिकारियों का सम्मेलन इसके दो उदाहरण हैं।    *सर्वोच्च न्यायालय और कानून व्यवस्था के लिए आत्मचिंतन जरूरी: सीजेआई* सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आज जिन तीन पुस्तकों का विमोचन हुआ है, उसमें से एक न्यायालय की स्थापना के बाद से उसके न्यायशास्त्र का विश्लेषण करता है। जबकि शेष दो पुस्तकें विश्वविद्यालयों में कानूनी सहायता प्रकोष्ठ के कामकाज और जेलों की स्थिति को बता रहे हैं।   तीनों ही पुस्तकें सर्वोच्च न्यायालय और कानून व्यवस्था दोनों को आत्म-चिंतन का अवसर दे रही हैं। किसी भी संस्थान में उत्कृष्टता की खोज के लिए आत्म-चिंतन की जरूरत होती है। जमीनी हकीकत जाने बिना कानूनों और नीतियों का सीमित प्रभाव होगा और इससे समस्याएं और भी गहरी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने कैदियों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला था। उनके भाषण ने सर्वोच्च न्यायालय में चर्चा को बढ़ावा दिया।    *जस्टिस खन्ना बोले- न्याय तक पहुंच सुलभ हुई* मनोनीत मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि जिन मुद्दों पर पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है वह राष्ट्रपति की लगातार वकालत, जमीनी हकीकत की गहन समझ और सांवधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण से उपजी है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने न्याय तक पहुंच को सुलभ बनाया। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ न केवल एक विद्वान न्यायविद हैं, बल्कि तकनीकी और डाटा सुधारों को भी समझते हैं। हालांकि तीनों पुस्तकें न्यायालय के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं।   मगर मुद्दों की वर्तमान स्थिति को बताते हुए सुधार का आह्वान करती है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका आलोचनात्मक विश्लेषण को स्वीकार करती है क्योंकि यह विकास और सुधार के लिए जरूरी है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि पहली बार अपराध करने वाले को किसी एक कृत्य से परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए। उसके सुधार की शुरुआत न्याय तक पहुंच से होनी चाहिए और कानूनी सहायता उसका अविभाज्य अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी जेलों में लगभग 5.20 लाख कैदी हैं, जो अत्यधिक भीड़भाड़ से पीड़ित हैं। जिससे बुनियादी सम्मान और पुनर्वास प्रभावित हो रहा है। पूरे भारत में 91 खुली जेलों के साथ एक प्रगतिशील दृष्टिकोण आकार ले रहा है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 6, 2024

लाइलाज बीमारियों का उपचार ढूंढ़ेंगे भारतीय वैज्ञानिक

नई दिल्ली, 06 नवंबर 2024 (यूटीएन)। चंद्रयान 3 की सफलता के बाद केंद्र सरकार ने अब स्वास्थ्य क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों को नया टास्क सौंपा है। जो दुनिया में पहले कभी किसी ने नहीं किया हो, वह अब भारत इस टास्क के जरिये पूरा करेगा। यानी जिन बीमारियों का इलाज कोई नहीं ढूंढ़ पाया उसे भारतीय वैज्ञानिक ढूंढेंगे। इसके लिए सरकार ने विश्व में प्रथम चुनौती लक्ष्य भी तय किया है जिसकी जिम्मेदारी नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आईसीएमआर) को सौंपी है।   सरकार की इस नई पहल में देश के सभी सरकारी शोध और चिकित्सा संस्थान को साथ मिलकर काम करना होगा। बीते सप्ताह आईसीएमआर ने सभी संस्थान के लिए एक पत्र भी जारी किया है जिसमें कहा है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरे चंद्रयान 3 से प्रेरित होकर दुनिया में पहली बार भारत एक ऐसी पहल करने जा रहा है जिसके तहत वैज्ञानिकों को नए और लीक से हटकर विचारों पर काम करने का मौका मिलेगा।     *हर शोध पर 30 करोड़ तक खर्च की योजना* इस पहल में उच्च जोखिम हो सकता है, लेकिन सफलता मिली तो यह पुरस्कार भी काफी बड़ा होगा। विश्व में प्रथम चुनौती नामक इस पहल को लेकर आईसीएमआर ने यहां तक कहा है कि सफलता की संभावनाएं परिवर्तनशील हो सकती हैं, लेकिन आईसीएमआर इसे जोखिम लेने लायक मानता है। शोध संस्थानों से मांगे प्रस्ताव में आईसीएमआर ने प्रत्येक शोध पर करीब 30 करोड़ रुपये तक खर्च करने की योजना बनाई है जिसमें बीमारी के इलाज से लेकर जांच तकनीक और टीका की खोज तक शामिल है।   *लीक से हटकर होगी खोज* आईसीएमआर का कहना है कि यह हमारे वैज्ञानिकों को जटिल बीमारियों के समाधान खोजने के लिए नवीन विचारों को प्रेरित करेगा। इस पहल का उद्देश्य लीक से हटकर, भविष्यवादी विचारों, नए ज्ञान सृजन और खोज को बढ़ावा देना है जिनके टीके, औषधियां-उपचार, निदान मिलेंगे जिनके बारे में दुनिया में आज तक न सोचा और न ही आजमाया गया है।   आईसीएमआर के मुताबिक, अगले कुछ सप्ताह में सभी प्रस्तावों को एकत्रित करने के बाद समिति इनका मूल्यांकन करेगी और उसके बाद अंतिम प्रस्तावों पर शोध शुरू होंगे जिन्हें अधिकतम तीन वर्ष में पूरा करना होगा। इस पहल में सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज, देश के शीर्ष चिकित्सा संस्थानों के साथ साथ दिल्ली सहित सभी एम्स, आईसीएमआर के सभी संस्थान के अलावा यूजीसी, एआईसीटीई और एनएमसी में पंजीकृत संस्थानों के शोधकर्ता शामिल हो सकते हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 6, 2024

डायग्नोस्टिक्स उद्योग के 2028 तक 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना

नई दिल्ली, 06 नवंबर 2024 (यूटीएन)। फिक्की-बीडीओ इंडिया ने दो दिवसीय ‘फिक्की हील 2024’ के दौरान ‘डायग्नोस्टिक्स की पहुंच का विस्तार: डिजिटल लाभ’ जारी किया। रिपोर्ट में भारतीय डायग्नोस्टिक उद्योग की वर्तमान स्थिति का पता लगाया गया है, जिसमें डायग्नोस्टिक सेवाओं की पहुंच, सामर्थ्य और स्थिरता की चुनौतियों और विनियामक सुधारों की तत्काल आवश्यकता को संबोधित करने में डिजिटल नवाचारों के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि डायग्नोस्टिक्स प्रभावी स्वास्थ्य सेवा वितरण का आधार है और उद्योग की अनुमानित वृद्धि इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है।    इस क्षेत्र के वर्तमान 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 2028 तक 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। हालांकि, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच महत्वपूर्ण असमानताओं के साथ विकास असमान रहा है। फिक्की-बीडीओ रिपोर्ट में कहा गया है कि आबादी के एक बड़े हिस्से को अभी भी गुणवत्तापूर्ण निदान सेवाओं तक पहुँच नहीं है, इस अंतर को पाटने के लिए अभिनव दृष्टिकोणों की आवश्यकता पर बल दिया गया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जैसे-जैसे भारत सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) की दिशा में प्रयास कर रहा है, डिजिटल और टेली-डायग्नोस्टिक्स विशेष रूप से ग्रामीण और कम सेवा वाले क्षेत्रों में निदान सेवाओं तक बेहतर पहुँच को सक्षम कर सकते हैं, लागत कम कर सकते हैं और उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान कर सकते हैं।   ये संवर्द्धन भारत में स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने और स्वास्थ्य असमानताओं को कम करने के लक्ष्य तक पहुँचने में सहायता करेंगे। अधिक महत्वपूर्ण रूप से, डिजिटल और टेली-डायग्नोस्टिक्स के उपयोग को स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में एकीकृत करने के लिए, सरकारी एजेंसियों, स्वास्थ्य संस्थानों, प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ और उनके बीच समन्वय आवश्यक है। इन हितधारकों को मुद्दों को हल करने, विशेषज्ञता प्रदान करने और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के ताने-बाने में डिजिटल डायग्नोस्टिक्स के सफल एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है, जिससे एक निर्बाध पारिस्थितिकी तंत्र सक्षम हो सके।   आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में डिजिटल डायग्नोस्टिक्स के एकीकरण की सुविधा के लिए एक केंद्रीकृत मंच प्रदान करता है; रोगी के स्वास्थ्य रिकॉर्ड को संग्रहीत और प्रबंधित करता है; डेटा सुरक्षा और पहुँच सुनिश्चित करता है। एबीडीएम विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के बीच अंतर-संचालन सुनिश्चित करने के लिए तैयार है, जो प्रभावी डेटा साझाकरण और उपयोग के लिए आवश्यक है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और रोगियों के बीच एबीडीएम के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उसे अपनाना इसकी पूरी क्षमता का एहसास कराने के लिए महत्वपूर्ण है। फिक्की स्वास्थ्य सेवा समिति के अध्यक्ष डॉ. ओम मनचंदा ने कहा, “डायग्नोस्टिक्स का भविष्य डिजिटल तकनीकों को अपनाने की हमारी क्षमता में निहित है।    यह पेपर हमारे सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान करता है और कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है जो नीति निर्माताओं और उद्योग के हितधारकों को डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को अपनाने के लिए मार्गदर्शन कर सकता है।” बीडीओ इंडिया में पार्टनर डॉ. ध्रुबा घोष ने कहा, “यह ज्ञान पत्र भारत में वर्तमान डायग्नोस्टिक परिदृश्य को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करता है। डिजिटल नवाचारों का लाभ उठाकर, हम गुणवत्तापूर्ण डायग्नोस्टिक सेवाओं तक पहुँच में उल्लेखनीय सुधार कर सकते हैं, जिससे देश भर में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए रोगी परिणामों और दक्षता में सुधार करके सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को बढ़ाया जा सकता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 6, 2024

एलएमवी लाइसेंस धारक 7500 किलो तक वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने के हकदार': सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 06 नवंबर 2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने हल्के मोटर वाहन (एलएमवी) का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले व्यक्तियों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि एलएमवी का ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले परिवहन वाहन को चलाने के हकदार हैं।    कोर्ट ने कहा कि ऐसे कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, जिससे यह साबित हो सके कि देश में सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि के लिए एलएमवी लाइसेंस धारक जिम्मेदार हैं। न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय ने प्रधान न्यायाधीश सहित चार न्यायाधीशों की ओर से फैसला लिखते हुए कहा कि यह मुद्दा हल्के मोटर वाहन लाइसेंस धारकों वाले चालकों की आजीविका से संबंधित है।   *पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनाया फैसला* मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ इस पर फैसला सुनाया। यह कानूनी सवाल दुर्घटना मामलों में बीमा कंपनियों की तरफ से मुआवजे के दावों के विवादों का कारण बन रहा था, जिनमें एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस धारकों की तरफ से ट्रांसपोर्ट वाहन चलाए जा रहे थे।   *बीमा कंपनियों का क्या है तर्क?* बीमा कंपनियों का कहना है कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) और अदालतें उनके आपत्तियों की अनदेखी करते हुए उन्हें बीमा दावे का भुगतान करने के आदेश दे रही हैं। बीमा कंपनियों का कहना है कि अदालतें बीमा विवादों में बीमाधारकों के पक्ष में फैसला ले रही हैं।   *तीन जजों की पीठ ने सुरक्षित रखा था फैसला* जस्टिस हृषिकेश रॉय, पी एस नरसिम्हा, पंकज मिथल और मनोज मिश्रा वाली पीठ ने इस मुद्दे पर 21 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जब केंद्र के वकील, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा था कि मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम, 1988 में संशोधन पर विचार-विमर्श लगभग पूरा हो चुका है।उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है, और इसलिए अदालत ने इस मामले को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।    क्या लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) के ड्राइविंग लाइसेंस धारक को 7,500 किलोग्राम तक वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहन को चलाने का अधिकार है, यही कानूनी सवाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। यह सवाल 8 मार्च 2022 को तीन-सदस्यीय पीठ की तरफ से संविधान पीठ को भेजा गया था, जिसमें जस्टिस यूयू ललित (अब सेवानिवृत्त) शामिल थे। यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के 2017 के मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मामले से उठा था। मुकुंद देवांगन मामले में, अदालत ने कहा था कि 7,500 किलोग्राम तक वजन वाले ट्रांसपोर्ट वाहन को एलएमवी की परिभाषा से बाहर नहीं किया गया है।   *बजाज आलियांज की तरफ से मुख्य याचिका दायर* इस फैसले को केंद्र सरकार ने स्वीकार किया और मोटर वाहन अधिनियम के नियमों को इस निर्णय के अनुरूप संशोधित किया गया। 18 जुलाई को संविधान पीठ ने इस कानूनी सवाल पर 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। मुख्य याचिका बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की तरफ से दायर की गई थी। मोटर वाहन अधिनियम कई प्रकार के वाहनों के लिए अलग-अलग लाइसेंस देने के प्रावधान करता है। मामले को बड़ी पीठ को भेजते समय कहा गया कि कुछ कानूनी प्रावधानों को मुकुंद देवांगन निर्णय में ध्यान नहीं दिया गया था और इस विवाद का पुनः विचार आवश्यक है   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 6, 2024

अनुशासन से होगी कानून व्यवस्था दुरूस्त, ड्यूटी में लापरवाही करने पर होगी सख्त कार्रवाई

पंचकूला, 06 नवंबर 2024 (यूटीएन)। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि आज पुलिस लाईन पंचकूला में नवनियुक्त पुलिस कमिश्नर राकेश कुमार आर्य के नेतृत्व में पुलिस उपायुक्त हिमाद्रि कौशिक व पुलिस उपायुक्त अपराध एवं यातायात की मौजूदगी में सभी एसीपी, थाना प्रभारी, चौकी इन्चार्ज,अपराध शाखाओं के इन्चार्ज व अन्य शाखाओं के महत्वपूर्ण अधिकारियों के साथ कानून व्यवस्था को सुचारू रुप से चलाने हेतु महत्वपूर्ण मीटिंग आयोजित की गई। चूंकि यह नवनियुक्त पुलिस कमिश्नर की यह पहली मीटिंग थी इसलिए मीटिंग की शुरूआत परिचय से हुई जिसमें पुलिस कमिश्नर ने सभी अधिकारियों से उनकी मौजूदा तैनाती एवं अनुभव बारे जानकारी ली।    मीटिंग के दौरान पुलिस कमिश्नर राकेश कुमार आर्य ने सभी थानों के आपराधिक आंकड़ों की समीक्षा करते हुए उनमें सूधार हेतू जरूरी दिशा निर्देश दिए। इसके अलावा पुलिस कमिश्नर ने सभी थाना प्रभारियों व इन्चार्ज को उनके अधीन वाहनों व पुलिस कर्मचारियों की तैनाती हेतू जानकारी होना जरूरी बताया। जानकारी ना होने की सूरत में संबंधित अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा पुलिस कमिश्नर ने सभी थाना प्रभारियों व शाखाओं के इन्चार्ज को काम में निरंतरता बनाए रखने की हिदायत देते हुए कहा कि सभी एकजुट होकर आपसी तालमेल रखें जिससे कार्यप्रणाली में तेजी व सुधार लाया जा सकेगा।   इसके अलावा पुलिस कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान उचित पैटर्न की वर्दी पहनने व वीआईपी ड्यूटी के दौरान सभी जरूरी उपकरणों के साथ तैनात होने की हिदायत दी। इस प्रकार की लापरवाही की सूरत में दंडात्मक कार्रवाई करने की बात कही। इस दौरान पुलिस कमिश्नर ने यातायात पुलिस के अधिकारियों को ट्रैफिक जाम की समस्या से निपटने के लिए जरूरी दिशा निर्देश देते हुए कहा कि सभी यातायात पुलिस में तैनात कर्मी रिफ्लेक्टर जैकेट के साथ मौजूद होंगे व जाम की स्थिति में तुरंत एक्शन लेंगे। पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा कि सभी पुलिस अधिकारी व कर्मचारी सभी शिकायतकर्ता व आमजन से सौहार्दपुर्ण व्यवहार करेंगे व मामले का जल्द से जल्द निपटारा कर बेहतर कानून व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। इस अवसर पर एसीपी मनप्रीत सिंह सूदन आईपीएस, एसीपी कालका जोगिन्द्र शर्मा, एसीपी क्राइम अरविंद कम्बोज, एसीपी सुरेन्द्र सिंह, एसीपी शुकरपाल सिंह, एसीपी आशीष कुमार तथा अन्य कार्यालय से सभी पुलिस कर्मचारी व अधिकारी मौजूद रहे ।   हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

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Nov 6, 2024

हरियाणा पुलिस ने छात्रों से सेवा सुरक्षा व सहयोग पर की चर्चा

पंचकूला, 06 नवंबर 2024 (यूटीएन)। शहीद मेजर अनुज राजपूत राजकीय आदर्श संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेक्टर 20 पंचकूला में हरियाणा पुलिस के पुलिस स्टेशन सेक्टर 20 से एसएचओ मलकीत सिंह अपने कर्मचारियों ने विशेष सभा में छात्रों को जागरूक किया । विद्यालय प्राचार्या नीलू कत्याल ने बताया कि एक विशेष जागरूकता अभियान के तहत मलकीत सिंह ने छात्रों को संबोधित किया। अपने सहकर्मियों साथ सभी छात्रों को संबोधित करते हुए उन्हें नियमों की विशेष जानकारी दी । छात्रों को अपराध के विरुद्ध सूचना एवं आवाज उठाने की बात कही । ज़रा सी सावधानी से होने वाले अपराध को रोक कर अपराधी को पकडा जा सकता है । सब इंस्पेक्टर ने साइबर क्राइम के बारे में भी बच्चों को आगाह किया कि आजकल साइबर क्राइम तथा डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराध हो रहे हैं उन अपराधों से हम सावधानी तथा जानकारी से बच सकते हैं । उन्होंने बताया कि छात्र अपने अभिभावकों को भी जागरूक करें कि वह किसी भी अपराध की सूचना देने में ना घबराए हरियाणा पुलिस सदैव उनके साथ है । अपनी निजी जानकारी किसी भी अनजान व्यक्ति को तथा किसी भी सोशल मीडिया पर देने से बचें क्योंकि यही लापरवाही उनके लिए बड़े नुकसान का कारण बन सकती है । साथ ही साथ उन्होंने बच्चों को भी कहा कि उन्हें भी यदि किसी प्रकार का कोई किसी प्रकार का कोई अपराध होते हुए दिखता है तो वह तुरंत अपने किसी सीनियर साथी को किसी अध्यापक को या प्रिंसिपल को बताएं । अगर वह उन्हें नहीं बता सकते तो वह पुलिस को कभी भी सूचित कर सकते हैं ताकि समय रहते हुए कि अपराधियों को पकड़ा जा सके और अपराध को होने से रोका जा सके । नशे तथा ड्रग्स के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने छात्रों से कहा कि इन बुरी आदतों से स्वयं को तथा अपने साथियों को दूर रखें और यदि कोई उनके आसपास अवैध नशे का या ड्रग्स का आदान-प्रदान करता है तो अपने अध्यापक को तथा पुलिस को समय रहते बताएं । प्राचार्य  नीलू कत्याल ने हरियाणा पुलिस के द्वारा दी गई इस जानकारी तथा इस जागरूकता को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया इस प्रकार के कारण कम से छात्रों को नई जानकारियां मिलती हैं तथा भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध को रोकने के लिए छात्र स्वयं को सक्षम बना सकते हैं । हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

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Nov 6, 2024

आपकी निजी संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सरकार से छीना अधिग्रहण का अधिकार

नई दिल्ली, 06 नवंबर 2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्तियों और सार्वजनिक भलाई के लिए इसके अधिग्रहण और इस्तेमाल को लेकर राज्य की शक्ति के संबंध में अहम फैसला सुनाया है. सीजेआई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने बहुमत से फैसला देते हुए कहा कि सभी निजी संपत्ति को राज्य सरकार अधिग्रहित नही कर सकती है, केवल कुछ संपत्ति को ही अधिग्रहित कर सकती है. इस फैसले के साथ ही 9 जजों की पीठ ने 1978 के सुप्रीम कोर्ट के ही ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह जजमेंट संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के दायरे से संबंधित एक मामले में सुनाया है. यह अनुच्छेद निजी संपत्तियों और ‘सार्वजनिक भलाई’ के लिए संपत्ति के अधिग्रहण और पुनर्वितरण पर राज्य की शक्ति से संबंधित है.   *सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा* सीजेआई ने कहा कि– हमारा मानना ​​है कि केशवानंद भारती में जिस हद तक अनुच्छेद 31(सी) को बरकरार रखा गया है, वह लागू रहेगा और यह सर्वसम्मत है. सीजेआई ने कहा कि 42वें संशोधन की धारा 4 का उद्देश्य एक ही समय में अनुच्छेद 39(बी) को निरस्त करना और प्रतिस्थापित करना था. हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि असंशोधित अनुच्छेद 31सी लागू रहेगा. हम स्पष्ट करते हैं कि ना केवल उत्पादन के साधन, बल्कि सामग्री भी अनुच्छेद 39(बी) के दायरे में आते हैं.   सीजेआई ने कहा, “हमारा मानना ​​है कि किसी व्यक्ति के मालिकाना हक वाले प्रत्येक संसाधन को केवल इसलिए समुदाय का भौतिक संसाधन नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भौतिक आवश्यकताओं की योग्यता को पूरा करता है. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर का 1978 का फैसला, जिसमें निजी व्यक्तियों की सभी संपत्तियों को सामुदायिक संपत्ति कहा जा सकता है, लेकिन उन्नत समाजवादी आर्थिक विचारधारा में यह फैसला अस्थिर है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 6, 2024

तकनीक: बच्चों के मस्तिष्क से विकार दूर कर हाथ-पैरों में जान ला रहा एम्स

नई दिल्ली, 06 नवंबर 2024 (यूटीएन)। सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित बच्चों के मस्तिष्क से विकार दूर कर एम्स इनके हाथों-पैरों में नई जान ला रहा है। इन बच्चों में होने वाली जटिलता को दूर करने के लिए एम्स ने थ्रासथेनियल मैग्नेटिक सिमुलेशन मशीन की मदद ली है। पांच से 18 साल के 23-23 बच्चों पर इसका ट्रायल किया। परिणाम बेहतर मिले हैं। विशेषज्ञ का कहना है कि सेरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो मस्तिष्क की विकास में असामान्यताओं के कारण होता है। देश में यह रोग एक हजार में से तीन बच्चों में होने की आशंका रहती है। इसके लक्षण उम्र बढ़ने के साथ दिखने लगते हैं। विशेषज्ञ का कहना है कि सेरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो मस्तिष्क की विकास में असामान्यताओं के कारण होता है। देश में यह रोग एक हजार में से तीन बच्चों में होने की आशंका रहती है। इसके लक्षण उम्र बढ़ने के साथ दिखने लगते हैं।    ऐसे बच्चों के मस्तिष्क में हुए नुकसान को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन ट्रायल के परिणाम से उसमें सुधार की उम्मीद जगी है। इसकी मदद से बच्चों में होने वाली जटिलताएं कम होती है।  एम्स के बाल चिकित्सा विभाग में बाल न्यूरोलॉजी प्रभाग की प्रमुख प्रोफेसर डॉ. शेफाली गुलाटी ने बताया कि ट्रायल के दौरान बच्चे के मस्तिष्क के प्रभावित हिस्से की पहचान की जाती है। इसके बाद प्रभावित के विपरीत हिस्से के ऊपर थ्रासथेनियल मैग्नेटिक सिमुलेशन मशीन को लगाया जाता है। इससे मैग्नेटिक फिल्ड बनता है जो प्रभावित हिस्से में सुधार का कारण बनता है। ट्रायल के दौरान ऐसे बच्चों में सुधार देखा गया जो हाथ-पैर को हिला नहीं पाते थे।   *इस तरह से हुआ अध्ययन* शरीर के एक हिस्से में सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित 5 से 18 साल की आयु के 23-23 बच्चों पर ट्रायल हुआ। चार सप्ताह में वैकल्पिक कार्य दिवसों पर वास्तविक आरटीएमएस (हस्तक्षेप हाथ) या आरटीएमएस (नियंत्रण हाथ) के साथ एमसीआईएमटी के 10 सत्र दिए गए। प्राथमिक परिणाम ऊपरी अंग कौशल परीक्षण स्कोर की गुणवत्ता में औसत परिवर्तन देखा गया। द्वितीयक परिणाम डोमेन स्कोर, गति और शक्ति माप में सुधार दिखा। इस ट्रायल में एक को छोड़कर सभी 46 बच्चों ने परीक्षण पूरा किया। चार सप्ताह में बच्चों के वजन वहन और सुरक्षात्मक विस्तार डोमेन स्कोर में परिवर्तन काफी अधिक था। ये सुधार 12 सप्ताह तक बने रहे। स्कोर 12 सप्ताह में सुधरे। बच्चों में कोई गंभीर प्रतिकूल घटना नहीं देखी गई। अध्ययन में पता चला कि एमसीआईएमटी के साथ संयुक्त 6-एमजेड़ प्राइम्ड आरटीएमएस सुरक्षित, व्यवहार्य है। एकतरफा सीपी वाले बच्चों के ऊपरी अंग के कार्य को बेहतर बनाने में अकेले एमसीआईएमटी से बेहतर है।   *इन कारणों से हो सकता है रोग* गर्भावस्था के दौरान भ्रूण में संक्रमण, गर्भपात या गंभीर चिकित्सा समस्याएं, समय से पहले जन्म या कम वजन जन्म के दौरान ऑक्सीजन की कमी, कठिन जन्म या जन्म चोट, विकसित होते मस्तिष्क में चोट लगना, मस्तिष्क में रक्त का थक्का बनना या रक्तस्राव कुछ आनुवंशिक या विकासात्मक विकार.   *सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण*  मांसपेशियों की कमजोरी चलने, दौड़ने या संतुलन बनाने में परेशानी मांसपेशियों का कठोर होना या अनियंत्रित ऐंठन, चलने या खड़े होने में असामान्य स्थिति बोलने या संवाद करने में दिक्कत मानसिक विकास में देरी या सीखने में कठिनाई, अनियंत्रित हिलना या झूलना.

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Nov 6, 2024

देश के हर जिले में होगी एक महिला हितैषी ग्राम पंचायत

नई दिल्ली, 06 नवंबर 2024 (यूटीएन)।  जमीनी स्तर से ही विकास योजनाओं में हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत मोदी सरकार का जोर महिलाओं को लेकर खास तौर पर है। इसी उद्देश्य के साथ ग्राम पंचायत विकास योजनाएं बनाने से पहले महिला सभाओं और बाल-बालिका सभाओं को अनिवार्य किया गया है। अब सरकार चाहती है कि देश के हर जिले में कम से कम एक ग्राम पंचायत महिला हितैषी ग्राम पंचायत के रूप में विकसित हो। पंचायतीराज मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह लक्ष्य सौंप दिया है और अब उन्हें इस दिशा में किस तरह काम करना है, इसके लिए 4 से 6 नवंबर तक पुणे में एक राष्ट्रीय कार्यशाला होने जा रही है, जिसमें देशभर से पंचायतों के अधिकारी-प्रतिनिधि शामिल होंगे।   *महिला-नेतृत्व विकास पर जोर* प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार महिला-नेतृत्व विकास पर जोर देते हैं। वह चाहते हैं कि विकास योजनाओं और कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी हो, लेकिन ग्रामीण स्तर पर अभी भी यह समस्या महसूस की जा रही है कि महिलाओं को वहां सक्रिय भागीदारी का माहौल पूरी तरह नहीं मिल पा रहा है। महिलाओं के भीतर बैठे इसी संकोच के कारण प्रधान पति या सरपंच पति जैसी कुव्यवस्था अभी तक चल रही है, जिसे समाप्त करने के लिए चिंतन चल रहा है।   *महिला हितैषी पंचायत सतत विकास के चिन्हित नौ लक्ष्यों में भी शामिल* ऐसे में पंचायतीराज मंत्रालय ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए तय किया है कि महिलाओं को सुरक्षित और अनुकूल वातावरण देने के लिए सबसे पहले देश के हर जिले में कम से कम एक ग्राम पंचायत को महिला हितैषी बनाकर उसे उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाए। महिला हितैषी पंचायत सतत विकास के चिन्हित नौ लक्ष्यों में भी शामिल है। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह लक्ष्य सौंप दिया गया है। महिला हितैषी ग्राम पंचायत कैसे बनेगी, इसका प्रशिक्षण देने के लिए राज्यों से कहा है कि राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज संस्थानों, राज्य पंचायत संसाधन केंद्रों और पंचायतीराज प्रशिक्षण संस्थानों से संकाय सदस्यों या अन्य प्रतिनिधियों को नामांकित करें।   *महिला सशक्तीकरण को बढ़ाए जाने का लक्ष्य* इन सभी को पुणे स्थित यशवंतराव चव्हाण एकेडमी आफ डेवलपमेंट एडमिनिस्ट्रेशन में 4 से 6 नवंबर तक प्रशिक्षित कर मास्टर ट्रेनर बनाया जाएगा। यह मास्टर ट्रेनर पंचायतों के अन्य प्रतिनिधियों को भी प्रशिक्षित करेंगे और माडल वूमन फ्रेंडली ग्राम पंचायत का नेतृत्व करेंगे। इन पंचायतों के आदर्श रूप में विकसित हो जाने के बाद उनकी कार्यपद्धतियों को अन्य पंचायतों में भी लागू कर महिला सशक्तीकरण को बढ़ाए जाने का लक्ष्य है।   *ऐसी होगी आदर्श महिला हितैषी ग्राम पंचायत* - सभी बालिकाएं स्कूल-कालेज जाती हों। - महिलाओं और युवतियों को रोजगार व जीवन के लिए उपयोगी कौशल से लैस किया जाएगा। - महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी संपूर्ण जानकारी मिले और स्वास्थ्य सेवाओं का पूरा लाभ मिले। - अधिक से अधिक महिलाओं-बालिकाओं की भागीदारी ग्राम सभाओं में हो। - महिलाओं के अधिकारों के प्रति सामाजिक जागरुकता बेहतर ढंग से हो। - ग्राम पंचायत पदाधिकारी और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को लिंग संबंधी कानूनों की पूरी जानकारी हो। - पंचायत समिति लिंग आधारित हिंसा सहित बाल विवाह और लैंगिंग भेदभाव रोकने के लिए सख्ती और सक्रियता से काम करें।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 6, 2024