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भाजपा के निमंत्रण पर 10 देशों के 187 राजनीतिक प्रतिनिधि आएंगे भारत

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव में शुरू हो चुके हैं। भाजपा इस चुनाव में 400 सीटों का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरी है। वहीं, कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। देशभर में चल रहे लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया को देखने और समझने के लिए पूरी दुनिया से लोग भारत आएंगे। भाजपा के विदेश विभाग के प्रभारी डॉ. विजय चौथाईवाले ने बताया कि भारत के चुनावी इतिहास में पहली बार 10 देशों के कई राजनीतिक दल भाजपा के निमंत्रण पर एक से पांच मई तक भारत दौरे पर रहेंगे।    *भाजपा नेताओं से करेंगे मुलाकात*   लोकसभा चुनाव का शुरुआती अनुभव लेने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी के निमंत्रण पर 10 देशों के 18 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भारत की यात्रा पर आएंगे। इस दौरान यह लोग भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित भाजपा के कई नेताओं से बातचीत करेंगे।    *इन देशों के प्रतिनिधि भारत आएंगे*   डॉ. विजय चौथाईवाले ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, मॉरीशस, नेपाल, रूस, श्रीलंका, तंजानिया, युगांडा और वियतनाम सहित 10 देशों से आने वाले प्रतिनिधि भारतीय चुनावी प्रक्रिया के साथ-साथ भाजपा की चुनाव अभियान रणनीतियों को समझने के लिए नई दिल्ली में वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ बातचीत करेंगे।    *इन राजनीतिक दलों के नेता करेंगे दौरा*   ऑस्ट्रेलिया की लिबरल पार्टी, वियतनाम की वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी, बांग्लादेश की अवामी लीग, इस्राइल की लिकुड पार्टी, युगांडा की नेशनल रेसिस्टेंस मूवमेंट, तंजानिया की चामा चा मापिनदुजी और रूस की यूनाइटेड रशिया पार्टी उन राजनीतिक दलों में शामिल हैं, जिनके प्रतिनिधि भारत आ रहे हैं। इसके अलावा, श्रीलंका के दो राजनीतिक दल श्रीलंका पोदुजना पेरामुना और यूनाइटेड नेशनल पार्टी के प्रतिनिधि भी इसका हिस्सा रहेंगे।   वहीं, मिलिटेंट सोशलिस्ट मूवमेंट, मॉरीशस लेबर पार्टी, मॉरीशस मिलिटेंट मूवमेंट और पार्टी मॉरिशियन सोशल डेमोक्रेट और नेपाली कांग्रेस, जनमत पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्क्सवादी-लेनिनवादी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी) और नेपाल से राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी उन अन्य दलों में शामिल हैं, जो भाजपा के निमंत्रण पर भारत के दौरा कर रहे।   *यह यात्रा 'भाजपा को जानो' का हिस्सा*   भाजपा के विदेश मामलों के विभाग के प्रभारी विजय चौथाईवाले ने कहा कि यह यात्रा पार्टी के वैश्विक संपर्क कार्यक्रम 'भाजपा को जानो' का हिस्सा है, जिसे नड्डा ने पिछले साल अपने 43वें स्थापना दिवस पर शुरू किया था।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 1, 2024

सुधार के नाम पर दुनियाभर में बदल दिए गए 44 फीसदी नदियों के मुहाने

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। वैश्विक स्तर पर बांधों और भूमि सुधार परियोजनाओं ने ढाई लाख एकड़ क्षेत्र में मौजूद मुहाने को शहरी क्षेत्रों या कृषि भूमि में बदल दिया है। यह क्षेत्र आकार में मैनहट्टन से करीब 17 गुना बड़ा है। भू-सुधार के तहत भूमि से पानी को सुखाना और तलछट जमा करना शामिल है। वैश्विक स्तर पर 44 फीसदी नदी मुहानों को बदल दिया गया है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित तेजी से विकसित होते देश हो रहे हैं। अध्ययन जर्नल अर्थ्स फ्यूचर में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर नदियों के 2,396 मुहानों का अध्ययन किया है, जिनका मुंह (अगला भाग) 90 मीटर से अधिक चौड़ा था। इसके लिए 1984 से 2019 तक लैंडसैट से प्राप्त रिमोट सेंसिंग आंकड़ों की मदद ली गई है। इन मुहानों के 1,027 वर्ग किलोमीटर यानी 2 लाख 50 हजार एकड़ क्षेत्र को शहरी या कृषि भूमि में बदल दिया। इनमें से करीब आधे यानी 47 फीसदी मुहाने एशिया में स्थित हैं।    विकासशील देशों ने खोई सबसे अधिक जमीन   शोध में पाया कि विकासशील देशों ने मुहानों के सबसे अधिक क्षेत्र को खोया, जो इस दौरान भूमि-उद्धार के करीब 90 फीसदी (923 वर्ग किलोमीटर) क्षेत्र के बराबर है। जब कोई देश मध्यम आय की राह पर अग्रसर होता है तो वह अक्सर विकास की गति को और तेज करना चाहता है।   *मुहाने जरूरी सुरक्षा दीवार*   अध्ययन के अनुसार मुहाने बेहद महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र होते हैं जहां मीठे पानी की नदियां खारे समुद्र से मिलती हैं। यह जमीन और समुद्र के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं जो न केवल वन्य जीवों को आवास प्रदान करते हैं साथ ही कार्बन के भण्डारण में भी मददगार होते हैं। इसके साथ ही यह परिवहन के केंद्र के रूप में काम करते हैं। खराब या खोए हुए मुहाने पानी की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं, वन्यजीवों के आवास भी कम हो गए हैं। इसके अलावा सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि तूफानों के खिलाफ तटीय सुरक्षा कमजोर हो गई है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 1, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए प्रमुख को फटकार: आप कैसे तय करेंगे कि अदालत क्या करेगी

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद ने अपने माफीनामे में सह-संस्थापक बाबा रामदेव का नाम लेकर "सुधार" किया है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने पतंजलि आयुर्वेद की तरफ से जारी किए गए सार्वजनिक माफीनामे की जांच के बाद कहा, 'एक उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पहले सिर्फ पतंजलि का नाम था, अब नाम हैं। हम इसकी सराहना करते हैं। उन्होंने समझ लिया है।' इस दौरान कोर्ट ने इंडियन मेडिकल असोसिएशन के अध्यक्ष आर. वी. अशोकन के एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में दिए गए बयानों पर सख्त टिप्पणियां भी की। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि गंभीर नतीजों के लिए तैयार रहिए।   बेंच ने इंडियन मेडिकल असोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आर.वी. अशोकन के न्यूज एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में की गई टिप्पणियों पर भी कड़ी आपत्ति जताई। पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर ऐडवोकेट मुकुल रोहतगी ने इंटरव्यू में की गईं अशोकन की टिप्पणियों को अदालत में उठाया। रोहतगी ने कहा, 'वह (आईएमए अध्यक्ष) कहते हैं कि अदालत ने हम पर उंगली क्यों उठाई, अदालत की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है।' उन्होंने कहा कि यह अदालत की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप है। रोहतगी ने यह भी कहा कि वह आईएमए अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना की मांग करते हुए एक आवेदन दायर करेंगे।   इस पर बेंच ने मुकुल रोहतगी को एजेंसी के साथ आईएमए निदेशक के इंटरव्यू को रिकॉर्ड में लाने के लिए कहा। जस्टिस अमानुल्ला ने कहा, 'इसे रिकॉर्ड में लाइए। यह अब तक हो रही चीजों से ज्यादा गंभीर होगा। अधिक गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहें।' बेंच ने आईएमए के वकील से कहा, 'आपने कोई अच्छा काम नहीं किया और आप कैसे तय कर सकते हैं कि अदालत क्या करेगी, अगर यह सही है।   दरअसल समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में आईएमए प्रमुख ने कहा था कि यह 'दुर्भाग्यपूर्ण' है कि सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए और निजी डॉक्टरों के तौर-तरीकों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ‘अस्पष्ट और अति सामान्य बयानों’ ने निजी डॉक्टरों को हतोत्साहित किया है। डॉक्टर अशोकन ने इंटरव्यू में कहा था, 'हम ईमानदारी से मानते हैं कि उन्हें यह देखने की जरूरत है कि उनके सामने क्या सामग्री रखी गई है। उन्होंने शायद इस बात पर विचार नहीं किया कि यह वह मुद्दा नहीं है जो अदालत में उनके सामने था। कोर्ट ने शायद इस बात पर गौर नहीं किया कि उनका असल मुद्दा पतंजलि के विज्ञापनों से जुड़ा था, न कि पूरे मेडिकल क्षेत्र से।   आईएमए प्रमुख ने ये भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को पूरे देश के डॉक्टरों की तारीफ करनी चाहिए थी जिन्होंने कोविड के दौरान बहुत त्याग किया। अशोकन ने इंटरव्यू में कहा था, 'आप कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन अधिकतर डॉक्टर कर्तव्यनिष्ठ हैं...नैतिकता और सिद्धांतों के अनुसार काम करते हैं। देश के चिकित्सा पेशे के खिलाफ तल्ख रुख अपनाना न्यायालय को शोभा नहीं देता, जिसने कोविड युद्ध में इतनी कुर्बानी दी।' डॉ. अशोकन 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का जवाब दे रहे थे कि "पतंजलि की तरफ एक उंगली उठाने पर बाकी चार उंगलियां आईएमए की तरफ इशारा करती हैं।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 1, 2024

दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी एडमिशन में आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का कोटा पूरा न भरने पर एससी/एसटी कमीशन में याचिका दायर

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के अर्थशास्त्र विभाग में एससी/एसटी के उम्मीदवारों को पीएचडी एडमिशन में यूजीसी व भारत सरकार की आरक्षण नीति की सरेआम उल्लंघन किए जाने पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग , अनुसूचित जाति के कल्याणार्थ संसदीय समिति व राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में एक विशेष याचिका दायर कर पीएचडी एडमिशन में हुई अनियमितताओं की उच्च स्तरीय कमेटी से जाँच कराने की मांग की है । फोरम के चेयरमैन डॉ.हंसराज सुमन ने आयोग व संसदीय समिति में दायर याचिका में बताया है कि अर्थशास्त्र विभाग ने अपने यहाँ पीएचडी में एडमिशन के लिए उम्मीदवारों से आवेदन मांगे । विभाग की अधिसूचना के अनुसार अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 11 सीटें , एससी 04 , एसटी --02 सीटें व ओबीसी कोटे  08 आरक्षित रखी गई थीं ।   लेकिन विभाग ने आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को पीएचडी एडमिशन में रोकने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमों को दरकिनार करते हुए अर्थशास्त्र विभाग ने अपने नियम बनाते हुए पीएचडी एडमिशन के लिए सीयूईटी में प्राप्त कटऑफ मार्क्स अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 55 प्रतिशत और एससी /एसटी के उम्मीदवारों के लिए 50 प्रतिशत कटऑफ रखी गई जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमानुसार पीएचडी एडमिशन के मानदंड  अनारक्षित उम्मीदवारों के लिए 50 प्रतिशत  और आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 45 प्रतिशत कटऑफ रखी गई है । डॉ.सुमन ने बताया है कि अर्थशास्त्र विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय ,यूजीसी व भारत सरकार की आरक्षण नीति का सरेआम उल्लंघन करते हुए पीएचडी एडमिशन में आरक्षित श्रेणी का कोटा पूरा न देते हुए पीएचडी एडमिशन का परिणाम घोषित कर दिया गया जिसमें अनारक्षित श्रेणी के 14 उम्मीदवारों को रखा गया जबकि एससी 01 व एसटी  01   सीट को खाली छोड़ दिया गया । उनका कहना है कि विभाग ने किस आधार पर अनारक्षित उम्मीदवारों को 03 अतिरिक्त सीटें दी ।    इतना ही नहीं विभाग ने आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों की सीटों को अनारक्षित में बदल दिया गया । जबकि होना यह चाहिए था कि एसटी उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है तो उसे एससी उम्मीदवार को वह सीट दे दी जाती है  लेकिन अर्थशास्त्र विभाग ने अनारक्षित श्रेणी की 11 सीटों के स्थान पर 14 सीटें किस नियम के तहत यह सीट दी है । उनका यह भी कहना है कि विभाग ने आरक्षित सीटों को अनारक्षित सीटों में बदल दिया गया ।   इतना ही नहीं विभाग में  एससी /एसटी सीटों को जानबूझकर खाली रखा जाता है । बाद में यह कह दिया जाता है कि योग्य उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हुए ? डॉ.हंसराज सुमन ने यह भी  चिंता जताई है कि दिल्ली  विश्वविद्यालय के 102 साल के इतिहास में और देश की आजादी के 76 साल से अधिक समय के बाद भी  समाज के कमजोर वर्गों के प्रति अभी तक दृष्टिकोण नहीं बदला है ? उन्होंने कहा है कि दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में यदि एससी/एसटी के छात्रों को  उच्च शिक्षा की अनुमति नहीं है  तो अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए उच्च विकास की सीढ़ी पर आगे बढ़ने का मार्ग कैसे प्रशस्त होगा यह सोचनीय विषय है ?  फोरम की  मांग हैं कि एससी/एसटी कमीशन डीयू के अर्थशास्त्र विभाग में पीएचडी एडमिशन में हुई अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जाँच तुरंत कराए और आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को न्याय दिलाए ।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 1, 2024

इस बार आईएमए की खड़ी होगी खाट? सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को दी मानहानि का मुकदमा करने की मंजूरी

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। इंडियन मेडिकल असोसिएशन के साथ कुछ ऐसा ही दिख रहा है। उसने पतंजली आयुर्वेद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आदेश की अवहेलना की याचिका डाली जिस पर फैसला आ गया। सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल दो जजों जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने मामले की सुनवाई के दौरान आईएमए को भी कुछ नसीहतें दीं।   पतंजलि आयुर्वेद को सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगी तो आईएमए को अच्छा लगा, लेकिन उसी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी कमियों की तरफ इशारा किया तो आईएमए तिलमिला उठा। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने तो एक इंटरव्यू में यहां तक कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने तो बेवजह ही नसीहत दे डाली क्योंकि उसके सामने यह मामला ही नहीं था।    पतंजलि आयुर्वेद का पक्ष रख रहे वकील ने जब सुप्रीम कोर्ट के आईएमए अध्यक्ष का यह बयान बताया तो शीर्ष अदालत ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और इसके लिए आईएमए को भुगतना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद से आईएमए अध्यक्ष के बयान को रिकॉर्ड पर रखने का आदेश देते हुए अदालत की अवमानना की याचिका दाखिल करने की भी मंजूरी दे दी। आईएमए प्रेसिडेंट डॉ. ने कहा कि आईएम और डॉक्टरों के तौर-तरीकों की आलोचना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने असल मुद्दा पतंजलि के विज्ञापनों से जुड़ा था, न कि पूरे चिकित्सा क्षेत्र से।   उन्होंने यहां तक कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह शोभा नहीं देता। डॉ. अशोकन ने कहा, 'आप कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन अधिकतर डॉक्टर कर्तव्यनिष्ठ हैं... नैतिकता और सिद्धांतों के अनुसार काम करते हैं।    देश के चिकित्सा पेशे के खिलाफ तल्ख रुख अपनाना न्यायालय को शोभा नहीं देता, जिसने कोविड युद्ध में इतनी कुर्बानी दी।' आईएमए अध्यक्ष के इस बयान को सुप्रीम कोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है। जस्टिस अमानुल्लाह ने तो आईएमए से कहा कि वह गंभीर नतीजों के लिए तैयार रहे। सुप्रीम कोर्ट बेंच ने आईएमए के वकील से कहा, 'आपने कोई अच्छा काम नहीं किया और आप कैसे तय कर सकते हैं कि अदालत क्या करेगी, अगर यह सही है।   उधर, पतंजलि आयुर्वेद के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि आईएमए अध्यक्ष का बयान अदालत की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप है। रोहतगी ने जब आईएमए अध्यक्ष के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की मांग की तो सुप्रीम कोर्ट बेंच ने इसकी इजाजत दे दी। बेंच का रुख देखकर लगता है कि आईएमए अध्यक्ष को पतंजलि आयुर्वेद के बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से ज्यादा ही लताड़ लगने वाली है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 1, 2024

एसोचैम ने विश्व आईपी दिवस पर भारत के गेमिंग उद्योग के लिए मजबूत आईपी कानूनों पर चर्चा शुरू की

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। भारतीय गेमिंग उद्योग की पर्याप्त वृद्धि को स्वीकार करते हुए, जिसका मूल्य अब $3.49 बिलियन है, चर्चा का उद्देश्य गेम डेवलपर्स और हितधारकों को उनकी मूल रचनाओं की सुरक्षा में आने वाली चुनौतियों से निपटना था। बढ़ती मांग के जवाब में, उद्योग ने 900 से अधिक एमएसएमई सहित कई स्टार्टअप और गेम डेवलपर्स के उद्भव को देखा है, जिन्होंने नए और अद्वितीय इंटरैक्टिव इलेक्ट्रॉनिक गेम तैयार करने में महत्वपूर्ण संसाधनों, समय और प्रयास का निवेश किया है। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि भारत में 41% गेमर्स महिलाएं हैं, जो इंटरैक्टिव इलेक्ट्रॉनिक गेम्स के विविध दर्शकों को रेखांकित करता है।   एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने विश्व आईपी दिवस पर इंटरएक्टिव इलेक्ट्रॉनिक गेम्स से संबंधित बौद्धिक संपदा पर एक गोलमेज सम्मेलन की मेजबानी की। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्रीमती प्रथिबा एम. सिंह, वरिष्ठ अधिवक्त अमित सिब्बल, पार्टनर और राष्ट्रीय प्रैक्टिस प्रमुख देव रॉबिन्सन सहित सम्मानित अतिथि उपस्थित थे। - आईपीआर, शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी, और श्री साईकृष्ण राजगोपाल, मैनेजिंग पार्टनर, साईकृष्णा एंड एसोसिएट्स। इस कार्यक्रम में राजशेखर राव वरिष्ठ अधिवक्ता, हरीश वैद्यनाथन शंकर, केंद्र सरकार के स्थायी वकील, प्रोफेसर डॉ. अलका चावला, डॉ. अजय गर्ग और राकेश माहेश्वरी, पूर्व-एमईआईटीवाई और संबंधित मंत्रालयों के प्रतिष्ठित अधिकारियों ने भी भाग लिया। , सरकारी विभाग, डीपीआईआईटी, आईपीओ, बौद्धिक संपदा कानून (आईपी) बार और बिरादरी के कई प्रमुख सदस्य, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल इंटरैक्टिव गेम उद्योग के सदस्य और अन्य संबंधित हितधारकों के प्रतिनिधि।   भारत में ऐसे इंटरैक्टिव इलेक्ट्रॉनिक ऑनलाइन गेम के लिए सबसे बड़ा उपभोक्ता आधार होने और इसके परिणामस्वरूप ऐसे गेम और गेमर्स की संख्या में वृद्धि के बावजूद, यह तेजी से स्पष्ट हो गया है कि भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, फ्रांस आदि जैसे विभिन्न देशों से पीछे है। ., ऐसे इंटरैक्टिव इलेक्ट्रॉनिक ऑनलाइन गेम के नए और मूल तत्वों की सुरक्षा के संदर्भ में। सुरक्षा की इस स्पष्ट कमी के पीछे एक आम विषय, और उद्योग हितधारकों के लिए एक निरंतर दर्द बिंदु, धारणा की लड़ाई लड़ना रहा है जहां कौशल-आधारित इंटरैक्टिव इलेक्ट्रॉनिक गेम्स को ऑनलाइन जुआ या सट्टेबाजी गेम के साथ जोड़ा जाता है।   विचार-विमर्श विभिन्न कानूनी पहलुओं पर केंद्रित था, सभी एक सामान्य लक्ष्य की ओर अग्रसर थे: मूल इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल इंटरैक्टिव गेम्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आदर्श तरीके को आगे बढ़ाना और मैप करना। हालांकि इस बात पर विवाद करने की बहुत कम गुंजाइश है कि किसी खेल के नियम सुरक्षा के लिए अक्षम हैं, इस चर्चा के दौरान बार-बार जोर देने का मुद्दा अद्वितीय तत्वों और पहले से अनदेखे तरीके या इंटरैक्टिव गेम की अभिव्यक्ति की रक्षा करने की सख्त जरूरत थी, जो इन मौलिक गेम से परे हैं। इंटरैक्टिव इलेक्ट्रॉनिक गेम के संबंध में विचारों को साकार करने और इसकी रचनात्मक विशेषताओं की रक्षा करने के महत्व पर सहमति प्राप्त की गई। पैनलिस्टों और उपस्थित लोगों ने इस बात पर बहस की कि ऐसी सुरक्षा कैसे लागू की जा सकती है।    कुछ लोगों का तर्क है कि मौजूदा बौद्धिक संपदा नियम पहले से ही ऐसी सुरक्षा के विकल्प देते हैं। उदाहरण के लिए, यह दावा किया गया था कि ऑनलाइन इंटरैक्टिव गेम को 1957 के कॉपीराइट अधिनियम के तहत 'कंप्यूटर प्रोग्राम' के रूप में संरक्षित किया जाना चाहिए। यह भी सिफारिश की गई थी कि गेम खेलने के अलावा अन्य पहलुओं को 1970 के पेटेंट अधिनियम के तहत कवर किया जा सकता है। कानूनी मिसालों का इस्तेमाल किया गया था सुरक्षा योग्य अभिव्यक्तियों और ऑनलाइन इंटरैक्टिव गेम के तत्वों और असुरक्षित गेम नियमों के बीच अंतर स्थापित करें। चर्चा में इस बात पर जोर दिया गया कि मौका-आधारित खेल अस्वीकार्य हैं, और कानून द्वारा केवल कौशल-आधारित खेलों की अनुमति है। यह नोट किया गया कि आईटी मंत्रालय द्वारा जारी ऑनलाइन गेमिंग नियम अनुमत गेम के संबंध में बहुत जरूरी विधायी स्पष्टता प्रदान करते हैं।   इन नियमों को लागू करना कौशल-आधारित गेम के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने और उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन गेमिंग, विशेष रूप से अवैध गेमिंग प्लेटफार्मों से जुड़े जोखिमों से बचाने के लिए आवश्यक माना जाता है। यह चर्चा एक आवश्यक चर्चा की शुरुआत का प्रतीक है और अभिनव और मूल ऑनलाइन, इलेक्ट्रॉनिक इंटरैक्टिव गेम की सुरक्षा के लिए उद्योग की अत्यधिक आवश्यकता को रेखांकित करती है। हालांकि चल रही तकनीकी प्रगति के लिए भारत में गेम डेवलपर्स के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए नए कानून की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन इस बात पर आम सहमति है कि न्यायिक मान्यता और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।   इस आकर्षक चर्चा से मुख्य बात यह है कि सामग्री के सार्वजनिक प्रसार और इसके निर्माण को प्रोत्साहित करने के बीच न्यायपालिका और विधायिका के ठोस प्रयासों के माध्यम से हासिल किया गया संतुलन बनाने का महत्व है। अंततः, जो नकल करने लायक है वह बचाने लायक है!    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 1, 2024

इंडिया इंक ने उद्योग में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और बिजनेस काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया (बीसीए) ने नई दिल्ली, भारत में भारत-ऑस्ट्रेलिया महिला नेतृत्व फोरम लॉन्च किया है। भारत-ऑस्ट्रेलिया महिला नेतृत्व फोरम की सह-अध्यक्षता टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के स्केलअप बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन के प्रमुख विजी मुरुगेसन और डीकिन यूनिवर्सिटी के एशिया सीईओ रवनीत पावहा द्वारा की जाएगी। भारत-ऑस्ट्रेलिया सीईओ फोरम में भागीदार के रूप में, सीआईआई और बीसीए का लक्ष्य संबंधों को मजबूत करने, अंतर्दृष्टि साझा करने और कंपनियों और नेताओं के बीच आगे के जुड़ाव के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए साझेदारी में महिला नेताओं की भागीदारी बढ़ाना है। "जैसा कि हम ऑस्ट्रेलिया के साथ लोगों के बीच संबंधों को गहरा करने पर जोर दे रहे हैं, यह मंच हमारे आर्थिक और सामाजिक संबंधों को प्रसारित करने में एक रणनीतिक भूमिका निभाएगा" सुश्री परिमिता त्रिपाठी, संयुक्त सचिव - ओशिनिया, विदेश मंत्रालय ने कहा।   “इस साल की शुरुआत में दावोस में घोषित वैश्विक भलाई-लैंगिक समानता और समानता गठबंधन को आगे बढ़ाते हुए, सीआईआई को भारत-ऑस्ट्रेलिया महिला नेतृत्व फोरम लॉन्च करते हुए खुशी हो रही है। यह पहला मंच है जो विशेष रूप से द्विपक्षीय संबंधों में महिलाओं की ताकत का उपयोग करने पर केंद्रित है। भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में महिला नेताओं का समर्थन करना सीआईआई के लिए प्राथमिकता है।  बनर्जी ने कहा, "कार्यस्थल पर महिलाएं बढ़ती अर्थव्यवस्था के पीछे प्रेरक शक्ति हैं और भारत-ऑस्ट्रेलिया महिला नेतृत्व मंच के माध्यम से, हम एक ऐसे माहौल की वकालत कर रहे हैं जो भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों में महिलाओं के लिए महिला नेतृत्व और बेहतर आर्थिक अवसरों को बढ़ावा दे।   बिजनेस काउंसिल के मुख्य कार्यकारी ब्रैन ब्लैक ने कहा कि लैंगिक समानता को ऑस्ट्रेलिया-भारत सीईओ फोरम के ढांचे का हिस्सा बनाने की जरूरत है और यह दोनों सरकारों को सिफारिशें देगा। श्री ब्लैक ने कहा, "बीसीए को ऑस्ट्रेलिया-भारत महिला नेतृत्व फोरम की स्थापना का समर्थन करने पर गर्व है, और हमारे सदस्य अपनी कंपनियों और आपूर्ति श्रृंखलाओं के भीतर लैंगिक समानता में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं।" "जैसे-जैसे यह साझेदारी बढ़ती है, महिलाओं को नेतृत्व की स्थिति में प्रोत्साहित करना प्राथमिकता होनी चाहिए और इससे ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय दोनों अर्थव्यवस्थाओं की उत्पादकता में सहायता मिलेगी।   सीआईआई का भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने पर एक सक्रिय एजेंडा है। 29 दिसंबर 2022 को लागू हुए ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) ने इस महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदारी को आवश्यक प्रोत्साहन दिया है। भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई कंपनियां लगभग नगण्य से शून्य टैरिफ शुल्क पर व्यापार करके इस व्यापार समझौते का लाभ उठाने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई आर्थिक परिदृश्य के बीच बहुत सारी पूरकताएँ मौजूद हैं और दोनों पक्षों के व्यवसाय व्यापार समझौते द्वारा सक्षम इस अवसर का लाभ उठा रहे हैं।   इस एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए, यह महसूस किया गया है कि महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है और भारत-ऑस्ट्रेलिया गलियारे में उनके आर्थिक योगदान को बढ़ावा देने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की आवश्यकता है। विशिष्ट भारत-ऑस्ट्रेलिया महिला नेतृत्व मंच को बाद में दोनों देशों के प्रमुख नियोक्ताओं और सबसे बड़े व्यवसायों के समर्थन से स्थापित किया गया है। फोरम का उद्देश्य संबंधों को मजबूत करने, अंतर्दृष्टि साझा करने और ऑस्ट्रेलिया-भारत गलियारे में भविष्य की महिला नेताओं के मार्गदर्शन के लिए एक मंच प्रदान करने के लिए ऑस्ट्रेलिया और भारत दोनों की महिला नेताओं को एक साथ लाना है। फोरम के सदस्य पूरे गलियारे में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए विचार-विमर्श करेंगे और रणनीति तैयार करेंगे। ये बड़े पैमाने पर कार्यशालाओं, परामर्श कार्यक्रमों, सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने और सरकार की नीति निर्माण प्रक्रिया में भागीदारी के माध्यम से हो सकता है।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 1, 2024

भाजपा प्रत्याशी योगेन्द्र चंदोलिया और प्रवीण खंडेलवाल ने जारी किया अपना संकल्प पत्र

नई दिल्ली, 02 मई 2024  (यूटीएन)। आज दिल्ली में भाजपा के उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा प्रत्याशी योगेन्द्र चंदोलिया और चांदनी चौक के प्रत्याशी प्रवीण खंडेलवाल ने अपना अपना संकल्प पत्र व 2029 के लिए विज़न पेश किया। भाजपा प्रत्याशी योगेंद्र चंदोलिया ने उत्तर-पश्चिम लोकसभा में विकास का खाका खींचते हुए कहा कि मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में महिलाओं के लिए 14 करोड़ इज्जतघर बने तथा उज्ज्वला योजना के 10 करोड़ लाभार्थी हैं। किसान सम्मान निधि योजना में सीधे खाते में रुपए आ रहे हैं।   * 4 करोड़ लखपति दीदी बनाने की योजना है। 140 करोड़ जनता को कोविड के टीके की दोहरी डोज दिलवाई और डोज विदेश भी भेजी। * इसके साथ ही विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट,मजबूत विदेश नीति,सेना की मजबूती और सीमाओं की सुरक्षा जैसे बहुत से कार्य किए जो कांग्रेस की सरकारें नहीं कर पाई। * गरीब,महिला,युवा और किसान चार जातियां देश में हैं जिन्हें सशक्त करने की आवश्यकता है। मोदीजी का विजन ऐतिहासिक और दूरदर्शी है। *  दिल्ली सरकार की नाकामियों गिनवाते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि जब दिल्ली की जनता कोरोना से त्राहि-त्राहि कर रही थी तब दिल्ली के मुख्यमंत्री भ्रष्ट शराब नीति बनाने में व्यस्त थे।   * केजरीवाल जी पूर्व की कॉग्रेस सरकार पर टैंकर माफिया को बढ़ावा देने का आरोप लगाते थे।लेकिन वह खुद टैंकर माफिया को खत्म नहीं कर पाए। जलबोर्ड घाटे में चला गया। 82 हजार करोड़ रुपए का घोटाला जल बोर्ड में हुआ है। * जिस शिक्षा का ढिढोरा दिल्ली सरकार पीटती है। उसमें स्कूल और कमरे बनाने के नाम पर घोटाला हुआ। * दिल्ली सरकार ने एक भी नया राशन कार्ड नहीं बनाया। करीब 8 लाख फार्म पेंडिंग पड़े हैं। * अब नगर निगम में कोई कार्य नहीं हो पा रहा। * केंद्र की योजना से डीडीए के माध्यम से दिल्ली में पीएम उदय योजना के अंतर्गत अनधिकृत कालोनियों में रजिस्ट्री हो रही है। * मोदीजी ने दिल्ली के 70 वर्ष के ऊपर के बुजुर्गों के लिए प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान योजना लागू कर दी है। चुनाव जीतने पर उत्तर पश्चिम लोकसभा के लिए योगेंद्र चंदोलिया ने अपना विजन बताते हुए कहा कि  * दिल्ली सरकार ने डीएसआईडीसी के द्वारा बवाना में टोल टैक्स लगाया। उसे खत्म करेंगे। * औद्योगिक क्षेत्र का विकास करके उन्हें सुविधाएं दी जायेंगी। * इंडस्ट्रियल हब बनाया जाएगा। * गांवों में पानी के लिए वाटर बाड़ी को दुरुस्त करेंगे। * केंद्रीय शहरी विकास मंत्री श्री हरदीप पुरी जी ने 200 करोड़ रुपए सांसद हंसराज हंस जी के लिए दिए थे,वह कार्य अभी चल रहा है। उसको तेजी से करवाएंगे। * किराड़ी के रेलवे फाटक  और किराड़ी में जल भराव की समस्या को प्राथमिकता से हल करेंगे। * मुंडका और बेगमपुर में डीडीए के जलभराव को खत्म करेंगे। * घेवरा के पास 28 एकड़ जमीन में बन रही स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी को शीघ्र बनाएंगे। * दिल्ली में केंद्र द्वारा इतनी कार्यकुशलता से कार्य हो रहा है कि सोनीपत से इंदिरा गांधी एयरपोर्ट 27 मिनट में पहुंच जायेंगे। * उत्तर-पश्चिम लोकसभा में जनता के बीच मेरी उपस्थिति शत प्रतिशत रहेगी।   *चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र नही मेरी जन्मभूमी कर्मभूमि है: प्रवीण खंडेलवाल*   वहीं चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी प्रवीन खंडेलवालकहा  कि चांदनी चौक मेरे लिए एक चुनाव क्षेत्र नही है, यह मेरी जन्म भूमी है मेरी व्यवसायिक कर्म भूमी है, मेरी सामाजिक राजनीतिक है और आज मै जो कुछ हूँ चांदनी चौक के निवासियों एवं व्यवसायियों से मिले प्रेम एवं सहयोग के बल पर हूँ। प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जो संकल्प पत्र जारी किया है वह गरीब को, महिलाओं को, वंचितों को, किसानों को समर्पित संकल्प है और सबके समग्र विकास के लिए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प पत्र है। मैं उस संकल्प पत्र के अक्षरश लाभ चांदनी चौक की जनता को दिलवाने को कृतसंकल्प रहूंगा। चांदनी चौक संसदीय क्षेत्र के मटिया महल, बल्लीमारान एवं चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र इसको परम्पराओं का सभ्यता का क्षेत्र बनाते हैं तो वहीं यहाँ की व्यवसायिक गतिविधियों ने भी इसको विश्व प्रसिद्ध बनाया है।   उपराज्यपाल महोदय का हस्तक्षेप करवा कर 60 दिन में शाहजहाँनाबाद रीडिवेलपमेंट कार्पोरेशन पुनर्गठित होगा, उसमे रिहायशी एवं व्यवसायिक प्रतिनिधि होंगे और मटिया महल, बल्लीमारान एवं चांदनी चौक विधानसभाओं का समग्र विकास होगा। इस क्षेत्र में 2025 से रोज़ाना 4 घंटे पेयजल सप्लाई लाना मेरा संकल्प है। मटिया महल विधानसभा क्षेत्र एक एतिहासिक क्षेत्र है जहाँ भारतीय लोकतंत्र का प्रतिक स्थल "रामलीला मैदान" है। मैं इसको लाल किला मैदान की तर्ज पर विकसित करूंगा, इसकी दीवार के साथ साथ हरियाली होगी मैदान में घास, यह आस पास रहने वालों के लिए आक्सीजन स्थल होगा। यहाँ बड़ी रैली भी होंगी, पारम्परिक रामलीला भी होगी और यह रोजमर्रा में सुबह शाम सैर का मैदान भी होगा।    दिल्ली गेट स्थित पारसी केन्द्र से लेकर ईदगाह मैदान एवं मजनू का टीला तक इस क्षेत्र में सभी धर्मों के धर्मस्थल हैं और शाहजहाँनाबाद रीडिवेलपमेंट कार्पोरेशन इन सभी के आसपास सौन्दर्यीकरण पर ध्यान देकर इनको टूरिस्ट स्पाट बनायेगा।    सदर बाजार एवं मॉडल टाउन विधानसभाओं के क्षेत्र भी बड़े रिहाइश एवं व्यवसाय केन्द्र है। बारा टूटी चौक, कमला नगर गोल चक्कर मार्किट, मॉडल टाउन मार्किट का सामायिक सौन्दर्यीकरण होगा।   रोशनारा बाग में 2027 तक झील के साथ पूरे 52 एकड़ का सौन्दर्यीकरण होगा। बंदरवाला पार्क जैसे सभी ऐसे भूखंड पर 2027 तक पार्क विकसित होंगे। सदर बाजार - मॉडल टाउन के साथ ही त्रिनगर एवं वजीरपुर विधानसभा क्षेत्रों में गुजरने वाले नजफगढ़ ड्रेन के हिस्से की 2 वर्ष में पूरी सफाई और किनारों का सौन्दर्यीकरण मेरी वरियता रहेगी। सदर बाजार से आजादपुर के बीच एक 200 बैड का भारत सरकार के एम्स से जुड़ा अस्पताल 2027 तक बनवा कर चालू करवाना हमारा संकल्प रहेगा। वजीरपुर विधानसभा क्षेत्र के औधोगिक क्षेत्र में सांसद निधी एवं डी.एस.आई.डी.सी. के सहयोग से सोलर पावर प्लांट लगेगा जो पूरे क्षेत्र को जगमगायेगा। वजीरपुर विधानसभा क्षेत्र के अशोक विहार के सभी नालों की 2025 के मॉनसून से पहले पूरी सफाई एवं किनारों पर हरित पट्टी लायेंगे। वजीरपुर विधानसभा में सरकारी पैट्रोल पंप लाऊंगा।  शालीमार बाग विधानसभा क्षेत्र को दो वर्ष में विश्व स्तरीय सरकारी समुदाय भवन एवं वरिष्ठ नागरिक केन्द्र मिलेगा और मुनक नहर पर सड़क की मांग को संसद में जून-जुलाई 2024 में ही उठाऊंगा।   प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की आदर्श नगर विधान सभा के धीरपुर में भूमी उपलब्ध है और हम वहाँ सेंट्रल स्कूल एवं 100 बैड अस्पताल लायेंगे एवं आजादपुर मंडी की अव्यवस्था के चलते केन्द्रीय हस्तक्षेप आवश्यक है उसकी आवाज़ जून-जुलाई 2024 में संसद में उठेगी। शकूरबस्ती विधानसभा का रखरखाव विकास एवं रेलवे-स्टेशन को आनंद विहार रेलवे-स्टेशन की तर्ज पर करवाना वरियता रहेगा और त्रिनगर विधानसभा के लोगों में सुरक्षा का भाव बढ़ाने के लियें पुलिस स्टेशन मिलेगा। पश्चिम विहार का जो क्षेत्र चाँदनी चौक संसदीय क्षेत्र में आता है वहाँ ट्रैफिक की समस्या है उसे उत्तर पश्चिम क्षेत्र के सांसद के साथ मिलकर हल करेंगे। यह 2024-26 कालखण्ड की वरियता मे रहेगा।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |  

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May 2, 2024

केंद्र सरकार की अहम पहल, कर्नल की मानद उपाधि से सम्मानित किए गए 19 विश्वविद्यायलों के कुलपति

नई दिल्ली, 02 मई 2024  (यूटीएन)। देश के 19 विश्वविद्यालय के कुलपतियों को केंद्र सरकार ने कर्नल की मानद रैंक से सम्मानित करने का फैसला लिया है. इस संबंध में भारत सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. भारत सरकार की अधिसूचना में कहा गया है कि भारतीय विश्वविद्यालयों के 19 कुलपतियों को वीसी के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कर्नल के रूप में सेवा करने के लिए कर्नल की मानद रैंक प्रदान की है. बता दें कि ये सभी विश्वविद्यालय दिल्ली, गोवा, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, उत्तर पूर्वी क्षेत्र  के हैं.   *विशिष्ट एनसीसी और एमओडी पहल*   बता दें कि ये राष्ट्रीय कैडेट कोर के माध्यम से रक्षा मंत्रालय (एमओडी) द्वारा एक चार्टर है, जो रक्षा मंत्रालय का अंग है. जो भारतीय सेना की सिफ़ारिश या नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल नहीं है.   *पारंपरिक सम्मानों से अलग*   बता दें कि सेना में कर्नल की मानद उपाधि पारंपरिक सम्मानों से अलग है. क्रिकेटर एमएस धोनी (भारतीय सेना), सचिन तेंदुलकर (आईएएफ), कपिल देव (भारतीय सेना) जैसी खेल हस्तियों को भी इसी तरह की मानद रैंक दी जा चुकी हैं. यह नई नीति राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को मान्यता देते हुए शैक्षणिक पृष्टिभूमि से आने वाले लोगों को समान सम्मान प्रदान करती है.   *शैक्षणिक प्रभाव की मान्यता*   किसी भी विश्वविद्याल के कुलपतियों के लिए मानद रैंक उस महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है जो शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं के  अनुशासित, सर्वांगीण, देशभक्त और नैतिक रूप से मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है.   कर्नल कमांडेंट के रूप में कुलपतियों का एकीकरण राष्ट्रीय सेवा योजना के समान कॉलेजों में अधिक एनसीसी बटालियनों की स्थापना को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे छात्रों में अनुशासन के साथ राष्ट्रवाद के लिए उत्साह पैदा किया जा सके.   *सैन्य भर्ती में योगदान*   एनसीसी के माध्यम से सैन्य मूल्यों और अनुशासन को बढ़ावा दिया जा सकता है. इस पहले से सशख्त बलों में अधिकारियों की कमी को दूर करने में मदद मिलती है. जो आगे चलकर एक फीडर संगठन के रूप में काम कर सकते हैं.   *प्रेरणा देने की पहल*   सेना की वर्दी में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को देखना छात्रों के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करता है जो उन्हें राष्ट्रीय सेवा के विभिन्न रूपों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है, फिर चाहे वह वर्दी में हो या फिर आम जीवन में.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 2, 2024

फिक्की-बिजनेस काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने व्यापार और निवेश को मजबूत करने के लिए समझौता किया

नई दिल्ली, 03 मई 2024  (यूटीएन)। फिक्की और बिजनेस काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने आज दोनों देशों के बीच अधिक व्यावसायिक अवसरों की पहचान करने और बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। एमओयू का उद्देश्य लाभ के साझा क्षेत्रों पर सहयोग करके और उभरते बाजारों में विकास के नए क्षेत्रों की पहचान करके द्विपक्षीय व्यापार और निवेश साझेदारी को मजबूत करना होगा।   इंटरैक्टिव सत्र को संबोधित करते हुए, फिक्की के महासचिव एसके पाठक ने कहा, "भारत और ऑस्ट्रेलिया का वस्तुओं और सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार 45 बिलियन डॉलर से अधिक है, और हम अगले पांच वर्षों में इसे दोगुना करने की दिशा में काम कर रहे हैं।   बिजनेस काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी  ब्रैन ब्लैक ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने और निवेश के अवसरों की खोज करने की दिशा में काम करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "ऑस्ट्रेलिया-भारत संबंधों का विकास व्यवसाय आधारित है क्योंकि व्यवसाय विकास के लिए पारस्परिक अवसरों की पहचान करने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में हैं, विशेष रूप से शिक्षा और कौशल, नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल के क्षेत्रों में।   भारत ऑस्ट्रेलिया का पांचवां सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, और भारत में निर्यात (विशेषकर संसाधन, शिक्षा और कृषि उत्पाद) की अत्यधिक मांग है। 2022-23 में भारत को ऑस्ट्रेलियाई निर्यात 32.5 बिलियन डॉलर था, जबकि आयात 12.6 बिलियन डॉलर था। रक्षा, अंतरिक्ष, फार्मा, इस्पात, विनिर्माण, बुनियादी ढांचे, समुद्री, कृषि और आईटी क्षेत्र के फिक्की उद्योग प्रतिनिधियों ने भी बातचीत की और भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापार में सुधार पर अपने दृष्टिकोण साझा किए।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 3, 2024