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डेंटल इम्प्लांट से रोगियों का जीवन बदलेगा और अधिक सुलभ बनेगा: डॉ शंकर अय्यर

नई दिल्ली, 10 नवंबर 2024 (यूटीएन)। अमेरिकन एकेडमी ऑफ इम्प्लांट डेंटिस्ट्री के अध्यक्ष डॉ. शंकर अय्यर ने दिल्ली में आयोजित छठे ग्लोबल अमेरिकन एकेडमी ऑफ इम्प्लांट डेंटिस्ट्री और बारहवें वर्ल्ड कांग्रेस फॉर ओरल इम्प्लांटोलॉजी सम्मेलन में डेंटल इम्प्लांट टेक्नोलॉजी में हुए क्रांतिकारी उन्नयनों पर जोर दिया। इस सम्मेलन में इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में नवाचारों और तकनीकी प्रगति पर चर्चा के लिए प्रमुख विशेषज्ञ और पेशेवर एकत्रित हुए, जो रोगी देखभाल को नया आयाम देंगे और उनके जीवन को बेहतर बनाएंगे।   इन उन्नयनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. अय्यर ने कहा, "हम इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में हाल के उन्नयनों के बारे में उत्साहित हैं, जो हमारे रोगियों के लिए जीवन बदलने वाले साबित हुए हैं। डेंटल इम्प्लांट्स से आराम की अनुभूति होती है, खाने-पीने की क्षमता बढ़ती है और समग्र रूप से स्वास्थ्य में सुधार होता है। स्वस्थ दांतों के साथ मरीजों में आत्मविश्वास बढ़ता है और ठीक से चबाने से उनके रक्त की संरचना में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह वास्तव में एक क्रांतिकारी समय है जब हम रोगियों को फिक्स्ड समाधान प्रदान कर सकते हैं, जो रिमूवेबल प्रोस्थेसिस के बजाय अधिक स्थायी और आरामदायक हैं।"   डॉ. अय्यर ने इम्प्लांट थेरेपी में वर्तमान चुनौतियों पर भी चर्चा की, विशेष रूप से इसकी लागत और चिकित्सा स्थिति को लेकर, और इस देखभाल को अधिक सुलभ बनाने के लिए भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। "हालांकि इम्प्लांट थेरेपी महंगी हो सकती है, लेकिन हम इसे अधिक किफायती और सुलभ बनाने के लिए काम कर रहे हैं। नई डिज़ाइनों और तकनीकी सुधारों के साथ, हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में इम्प्लांट्स रूट कैनाल ट्रीटमेंट या सामान्य क्राउन जितने सस्ते हो जाएंगे," उन्होंने कहा और लोगों को अपने दंत स्वास्थ्य की देखभाल के लिए नियमित रूप से डेंटिस्ट के पास जाने की सलाह दी।   *डेंटल इम्प्लांट्स के लाभ* डेंटल इम्प्लांट्स कृत्रिम दांतों के लिए एक मजबूत आधार बनाते हैं, जो रूट का विकल्प बनते हैं। यह नवाचार उन रोगियों के लिए एक विकल्प है, जिनके दांत गुम हो गए हैं और जो पारंपरिक डेंचर्स के साथ होने वाली असुविधा का सामना कर रहे हैं। डेंटल इम्प्लांट्स से मरीजों को प्राकृतिक दिखने वाली मुस्कान और खाने-पीने में सुधार मिलता है, जो हटाने योग्य प्रोस्थेसिस की जगह लेता है।   डॉ. अय्यर ने जोर देकर कहा कि यद्यपि इम्प्लांट्स एक उत्कृष्ट विकल्प हैं, वे पूरी तरह से प्राकृतिक दांतों का स्थान नहीं ले सकते, और उन्होंने नियमित दंत चेकअप और रोकथाम की महत्वता पर बल दिया। "रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर है," उन्होंने सलाह दी, जिससे नियमित दंत देखभाल की आवश्यकता को बल मिला।   *सम्मेलन के बारे में* ग्लोबल अमेरिकन एकेडमी ऑफ इम्प्लांट डेंटिस्ट्री और वर्ल्ड कांग्रेस फॉर ओरल इम्प्लांटोलॉजी सम्मेलन एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है जो इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में ज्ञान, उन्नति और नवाचारों को साझा करने पर केंद्रित है। इस कार्यक्रम में इस क्षेत्र के विशेषज्ञ और अग्रणी शामिल होते हैं, जिससे सहयोग और चर्चाएं होती हैं, जो दुनिया भर में दंत चिकित्सा की देखभाल के भविष्य को आकार देंगी। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 10, 2024

डेंटल इम्प्लांट्स दंत चिकित्सा में लाया क्रांतिकारी परिवर्तन: डॉ महेश वर्मा

नई दिल्ली, 10 नवंबर 2024 (यूटीएन)। इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में नए उन्नयन से रोगियों का जीवन बदलेगा और देखभाल को और अधिक सुलभ बनाएगा यह कहना है प्रख्यात दंत चिकित्सक एवं  गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद्मश्री डॉ महेश वर्मा का। वे यहां दिल्ली में आयोजित छठे ग्लोबल अमेरिकन एकेडमी ऑफ इम्प्लांट डेंटिस्ट्री और बारहवें वर्ल्ड कांग्रेस फॉर ओरल इम्प्लांटोलॉजी सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। डॉ वर्मा इस सम्मेलन के अध्यक्ष भी हैं। इस विशिष्ट कार्यक्रम में इम्प्लांट डेंटिस्ट्री और ओरल हेल्थकेयर के नेता, नीति निर्माता और विशेषज्ञ एक साथ आए, जिन्होंने प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण चर्चाओं से समृद्ध किया और अत्याधुनिक नवाचारों का प्रदर्शन किया।   सम्मेलन के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) महेश वर्मा ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि दंत चिकित्सा में बदलाव तेजी से हुआ है। इसमें सटीकता, दक्षता और पूर्वानुमानित परिणामों पर जोर दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि यह सम्मेलन पश्चिम की अग्रणी भावना और पूर्व की अभिनव भावना का संगम है। समारोह के विशिष्ट अतिथि, भारत के जी-20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि यह सम्मेलन नवाचार को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि यह देखना बहुत अच्छा है कि कैसे डॉक्टर मरीजों को बेहतर सौंदर्य और कार्यात्मक समाधान प्रदान कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि दंत चिकित्सा देखभाल सभी के लिए सस्ती और सुलभ हो। उन्होंने यह भी कहा कि दंत स्वास्थ्य के क्षेत्र में नीतियों के विस्तार की काफी गुंजाइश है और नए समाधान खोजने के लिए इस क्षेत्र में आवश्यक नवीन शोध पर जोर दिया।   पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक छलांग लगा रहा है। उन्होंने कहा कि देश भर में चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार हो रहा है, जिससे स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बढ़ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुश्री पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने स्वास्थ्य सेवा प्रगति को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि देश के समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिए मौखिक स्वास्थ्य पहलों को प्राथमिकता देना अनिवार्य है। समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा द्वारा एक विडियो संदेश दिया गया, जिसमें वैश्विक मंचों पर भारतीय दंत चिकित्सा के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला गया साथ ही एएआईडी के अध्यक्ष डॉ. एडवर्ड कुसेक का एक वीडियो संदेश दिया गया, जिसने चर्चाओं को और गहराई दी।6वें जीएएआईडी के मुख्य संरक्षक और अध्यक्ष तथा एएआईडी के भूतपूर्व अध्यक्ष डॉ. शंकर अय्यर ने अपने संबोधन में इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में वैश्विक प्रगति पर जोर दिया।   उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक मोर्चे पर अपनी पहचान बना रहा है, जिसमें 80% से अधिक भारतीय विशेषज्ञ सम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों के साथ अपना ज्ञान साझा कर रहे हैं। सभा को संबोधित करते हुए, डब्ल्यूसीओआई (जापान) के अध्यक्ष डॉ. शिगेओ ओसाटो ने कहा कि सम्मेलन के सभी प्रतिभागियों की जिम्मेदारी है कि वे दुनिया भर में मौखिक स्वास्थ्य में योगदान दें। उन्होंने यह भी कहा कि यह सम्मेलन राष्ट्रों के बीच संबंधों को भी मजबूत करेगा। इस अवसर पर  डेलीगेट बुक का विमोचन और प्रशंसा पुरस्कार वितरण भी किये गए।  दिन के दौरान आयोजित सम्मेलन पूर्व विशेष व्याख्यानों ने प्रमुख नवाचारों के बारे में अत्याधुनिक जानकारी के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया: डॉ. अपूर्व गुप्ता ने नरम ऊतक ग्राफ्ट विकल्पों के उपयोग पर प्रस्तुति दी, जिसमें दिखाया गया कि कैसे ये जैविक रूप से संगत सामग्री उपचार को बढ़ाती है, ऊतक स्थिरता में सुधार करती है।     और रोगी की असुविधा को कम करती है, जिससे प्राकृतिक-महसूस, स्थिर प्रत्यारोपण सुनिश्चित होता है। डॉ. विकास अग्रवाल ने डिजिटल ऑक्लूसल विश्लेषण पर प्रकाश डाला, जो काटने की ताकतों को सटीकता के साथ मापने और समायोजित करने में एक सफलता है, जिससे बेहतर अवरोधन और रोगियों के लिए एक आरामदायक, संतुलित फिट होता है। डॉ. कुबेर सूद ने मैग्नेटिक मैलेट का प्रदर्शन किया, जो न्यूनतम इनवेसिव प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं के लिए एक अभिनव उपकरण है जो उच्च परिशुद्धता बनाए रखते हुए कोमल हड्डी हेरफेर, शल्य चिकित्सा आघात और पोस्ट-ऑपरेटिव असुविधा को कम करने की अनुमति देता है। इन प्रगति ने इम्प्लांटोलॉजी में रोगी-केंद्रित देखभाल की ओर एक बदलाव को चिह्नित किया है, जो दंत प्रत्यारोपण में गुणवत्ता, आराम और दीर्घायु के लिए नए मानक स्थापित करता है। उपस्थित लोगों ने रोगी के परिणामों में सुधार और दीर्घकालिक दंत स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए इन नवाचारों की क्षमता के लिए उत्साह व्यक्त किया।\   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 10, 2024

हरे कृष्ण-हरे कृष्ण के जयकारों से गूंज उठा लालकिला

नई दिल्ली, 10 नवंबर 2024 (यूटीएन)। शनिवार को लालकिला और पुरानी दिल्ली में एक अलग ही भक्ति का माहौल था। जगह-जगह हरे कृष्णा हरे कृष्णा की मधुर धुनों पर थिरकते और झूमते हजारों श्रद्धालु दिखाई दे रहे थे। बीच-बीच में हरे कृष्णा के जयकारे पूरे वातावरण को गुंजायमान कर भक्तिमय बना रहे थे। मौका था इस्कॉन द्वारा आयोजित भगवान श्री कृष्ण और बलराम की रथयात्रा का जिसमें भाग लेने के लिए हजारों की तादाद में श्रद्धालु आए थे। इस्कान' की ओर से निकाली गई श्री कृष्ण और बलराम रथयात्रा में 'हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे' के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। रथ में भगवान श्री कृष्ण और बलराम  के दर्शनों को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ था। रथयात्रा  की अगुवाई इस्कॉन गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन पूज्य श्री गुरुपाद स्वामी सहित अनेक संतों ने की।   इस अवसर पर श्री गुरुपाद स्वामी ने कहा कि इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद ने वैष्णव परंपरा के प्रचार-प्रसार के लिए अपनी संघर्षपूर्ण यात्रा इसी क्षेत्र से आरंभ की थी। उन्होंने कहा कि यही वजह है देश-विदेश में बने आठ सौ से भी अधिक क्षेत्रों इस्कॉन भक्त हरिनाम संकीर्तन करते हुए इस यात्रा में शामिल होते हैं। गुरुपाद स्वामी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के सबसे प्रिय कार्तिक मास में भगवान श्री कृष्ण की जितनी भी सेवा पूजा की जाए उसका कई गुना फल हमें मिलता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में भगवान श्री कृष्ण की रथयात्रा में भाग लेना श्रेयस्कर माना जाता है। इसी के मद्देनजर यह रथयात्रा निकाली जाती है। चांदनी चौक के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने इस अवसर पर कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मेरा संसदीय क्षेत्र चांदनी चौक इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद की जन्म एवं कर्मस्थली रहा है। उन्होंने कहा कि जल्दी ही श्रील प्रभुपाद के घर को एक स्मारक के रूप में विकसित किया जाएगा।   तथा वहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को उनके जीवन, संघर्ष एवं उनके द्वारा सम्पूर्ण विश्व में सनातन धर्म जो स्थापना व प्रतिष्ठा की गई है उसके वारे में भी जानकारी दी जाएगी।  सुबह भगवान श्रीकृष्ण बलराम का भव्य स्वागत किया गया उसके पश्चात प्रभू को 56 भोग अर्पित किए गए। साथ ही भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी की महाआरती की गई।  इसके बाद विभिन्न स्थानों से आए हुए हजारों श्रद्धालुओं को भोजन एवं प्रसाद वितरित किया गया। दोपहर 12 बजे भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी की यात्रा प्रारम्भ की गई जैसे ही यात्रा प्रारम्भ हुई वहां मौजूद हजारों श्रद्धालु जोर जोर से जयकारे लगा कर वातावरण को भक्तिमय बना रहे थे। सभी में भगवान के रथ को खिंचकर लेजाने की होड़ लगी हुई थी।    हर कोई चाहता था कि एक बार भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी के रथ की रस्सी को हाथ ज़रूर लगाएं। जयकारों के बीच हाथ द्वारा खींचकर धीरे धीरे आगे बढ़ता रथ तथा उसके आगे हाथ में झाड़ू लेकर रास्ते को साफ करते हुए श्रद्धालु एक अलग ही नजारा पेश कर रहे थे। इस्कॉन प्रचार प्रसार समिति के सदस्य अनिल गुप्ता ने बताया कि रथयात्रा लालकिला के विशेष उद्यान से प्रारंभ होकर दरियागंज, दिल्ली गेट,आसफ अली रोड, अजमेरी गेट, श्रद्धानंद मार्ग, लाहौरी गेट, फतेहपुरी चांदनी चौक, टाऊन हॉल एवं शीशगंज गुरुद्वारा से होते हुए वापस लालकिला पहूंची वहां पर भगवान की आरती की गई तथा भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया। उन्होंने बताया कि रास्ते में अनेक स्थानों पर भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी की आरती की गई तथा रथयात्रा का स्वागत किया गया। साथ ही रथयात्रा में शामिल श्रद्धालुओं को प्रसाद व शर्बत पानी आदि भी दिये गए।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 10, 2024

जब भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कल से मैं न्याय नहीं कर सकूंगा, दिल दुखाया हो तो मिच्छामि दुक्कड़म

नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़  का शुक्रवार को अंतिम कार्यदिवस था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ रविवार, 10 नवंबर को सीजेआई के पद से रिटायर हो जाएंगे. उनकी जगह जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस होंगे. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शुक्रवार को कोर्ट में अपनी आखिरी बात बोलकर विदा हुए. उन्होंने कहा, "कोर्ट में कभी मेरे से किसी का दिल दुखा हो तो उसके लिए मुझे क्षमा कर दें. मिच्छामि दुक्कड़म, क्योंकि कोर्ट में मेरी ऐसी कोई भावना नहीं रही."     सीजेआई चंद्रचूड़ ने 'मिच्छामि दुक्कड़म' वाक्यांश का उपयोग किया. इसका अर्थ है- "जो भी बुरा किया गया है वह व्यर्थ हो जाए." यह एक प्राचीन भारतीय प्राकृत भाषा का वाक्यांश है. इसका संस्कृत में अनुवाद है- "मिथ्या मे दुष्कृतम्.".जैन धर्म में इस वाक्यांश का इस्तेमाल कई मौकों पर किया जाता है. जस्टिस संजीव खन्ना वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं. जस्टिस खन्ना भारत के 51वें चीफ जस्टिस होंगे. जस्टिस खन्ना सोमवार, 11 नवंबर को कार्यभार संभालेंगे. चीफ जस्टिस ने अपनी विदाई के लिए आयोजित समारोहिक पीठ से बार के सदस्यों से कहा कि.   ''कल से मैं ऐसे न्याय नहीं कर पाऊंगा, लेकिन मुझे काफी संतुष्टि है. मेरे बाद सोमवार से यह जिम्मेदारी संभालने आ रहे जस्टिस संजीव खन्ना के अनुभव काफी विस्तृत हैं. वे काबिल और प्रतिभावान हैं.''  जस्टिस चंद्रचूड़ का दो साल का कार्यकाल समाप्त सीजेआई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर, 2022 को पदभार ग्रहण किया था. उन्होंने आज अपने दो साल के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद अपने पद से विदाई ली. पिछली शाम को अपने रजिस्ट्रार न्यायिक के साथ एक हल्के-फुल्के पल को याद करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने सोचा कि शुक्रवार को दोपहर 2 बजे इस कोर्ट में कोई होगा या नहीं.   या मैं स्क्रीन पर खुद को देखूंगा. जब मैं छोटा था तो मैं देखता था कि कैसे बहस करनी है और कोर्ट क्राफ्ट सीखना है. हम यहां काम करने के लिए तीर्थयात्री के रूप में हैं और हम जो काम करते हैं वह मामलों को बना या बिगाड़ सकता है. ऐसे महान न्यायाधीश हुए हैं जिन्होंने इस न्यायालय को सुशोभित किया है और इसकी गरिमा को आगे बढ़ाया है. जब मैं इस कोर्ट को छोड़ता हूं तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि जस्टिस खन्ना जैसे स्थिर और बहुत सम्मानित व्यक्ति कार्यभार संभालेंगे."   वकीलों ने जस्टिस चंद्रचूड़ को रॉक स्टार, चार्मिंग और हैंडसम जज बताया. उन्होंने उनके धैर्य, विवेकशील और शांत व्यक्तित्व की तारीफ की. चीफ जस्टिस नामित जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि, ''मुझे कभी जस्टिस चंद्रचूड़ की अदालत में पेश होकर कुछ कहने का कभी मौका नहीं मिला. इन्होंने वंचित युवाओं और जरूरतमंदों के लिए जो किया वह अतुलनीय है. इन्होंने इसके अलावा मिट्टी कैफे, महिला वकीलों के लिए बार रूम, सुप्रीम कोर्ट के सौंदर्यीकरण जैसे कई ऐतिहासिक काम किए. समोसे इनके प्रिय हैं. हर एक मीटिंग में हमें उनका स्वाद मिला है लेकिन वे खुद मीटिंग में नहीं खाते.''   *हमारी बातें धैर्य के साथ पूरी सुनी गईं : तुषार मेहता* सेरेमोनियल बेंच में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, ''हमें ही पता है कि आपकी विदाई कितनी दुखद है. आपके दोनों  बेटे कभी नहीं जान पाएंगे कि उन्होंने क्या हासिल किया और हमने क्या खोया. सरकार ने कई मुकदमे जीते और कई हारे, लेकिन इस बात की हमें संतुष्टि है कि हमारी बातें धैर्य के साथ पूरी सुनी गईं.''   *असाधारण पिता के असाधारण बेटे : कपिल सिब्बल* सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट कपिल सिब्बल ने कहा कि, ''आप एक असाधारण पिता के असाधारण बेटे हैं. हमेशा मुस्कुराते रहने वाले डॉ चंद्रचूड़, आपका चेहरा हमेशा याद रहेगा. एक जज के रूप में आपका आचरण अनुकरणीय था. आपने समुदायों तक पहुंच बनाई और दिखाया कि उनके लिए सम्मान का क्या मतलब है. हम संविधान के मूल्यों से बंधे हुए हैं.''   *हमें आईपैड के करीब पहुंचाया : डॉ एएम सिंघवी* सीनियर एडवोकेट डॉ एएम सिंघवी ने कहा कि, ''पिछले 42 सालों में आपकी ऊर्जा और भी बढ़ गई है. आप धैर्य की सीमा को लांघ जाते हैं. आप हमेशा समय से परे हमारी बात सुनते हैं. आपने तकनीक और कोर्ट के आधुनिकीकरण के लिए बहुत कुछ किया है, जैसा किसी और ने नहीं किया.    मैंने जो काम चल रहा था (कॉरिडोर एसी के लिए) उसकी आलोचना की थी और फिर उसकी प्रशंसा की थी. आपने हमें आईपैड के करीब भी पहुंचाया. आपने कई संविधान पीठों, 7 जजों, 9 जजों की अध्यक्षता की और फैसले लिखे.'' पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दशकों पहले जस्टिस चंद्रचूड़ के साथ गुजारा जमाना याद करते हुए कहा कि, ''जब मैं दिल्ली में और चंद्रचूड़ बॉम्बे में एएसजी थे तब हम अप्सरा पेन मार्ट के पीछे खाना खाने जाते थे. उम्मीद है कि आगे भी आपके साथ भोजन करने जाने के अवसर मिलते रहेंगे.''   *रिटायरमेंट के बाद वकालत नहीं कर सकते सुप्रीम कोर्ट के जज* भारत के मुख्य न्यायाधीश की भूमिका न्याय को बनाए रखने और संविधान की रक्षा करने में महत्वपूर्ण है. संविधान के अनुच्छेद 124(7) के अनुसार, एक बार उनका कार्यकाल समाप्त हो जाने पर सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों को किसी भी भारतीय न्यायालय में वकालत करने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है. यह प्रतिबंध महत्वपूर्ण नैतिक विचारों को दर्शाता है, यह सुनिश्चित करता है कि न्यायाधीश अपने कार्यकाल से परे भी निष्पक्षता बनाए रखें.   *प्रैक्टिस पर रोक के पीछे नैतिक आधार* रिटायरमेंट के बाद प्रैक्टिस पर प्रतिबंध का एक मजबूत नैतिक आधार है, जिसका उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अखंडता में जनता के विश्वास को बनाए रखना है. न्यायपालिका लोकतंत्र का एक स्तंभ है और इसकी विश्वसनीयता कथित और वास्तविक निष्पक्षता पर निर्भर करती है. सेवा के बाद किसी न्यायाधीश को वकालत करने की इजाजत देने से उनके कार्यकाल के दौरान कैरियर-संचालित फैसलों के बारे में संदेह पैदा हो सकता है.   *वकालत पर रोक के मुख्य कारण* *संघर्षों से बचाव:* सेवानिवृत्ति के बाद की प्रैक्टिस को प्रतिबंधित करके, न्यायपालिका संभावित पूर्वाग्रहों से उत्पन्न होने वाले संघर्षों को कम करती है। *न्यायिक गरिमा बनाए रखना:* सेवानिवृत्ति के बाद कानून की प्रैकिटिस करने से सुप्रीम कोर्ट स्तर पर सेवा करने वालों के अधिकार और गरिमा को नुकसान पहुंच सकता है. अनुचित प्रभाव को रोकना: सेवा करते समय संवेदनशील जानकारी तक पहुंच बाद के कानूनी मामलों में उपयोग किए जाने पर नैतिक चिंताएं पैदा कर सकती हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 8, 2024

भ्रष्ट लोगों के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई बहुत ही जरूरी': राष्ट्रपति

नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि भ्रष्ट लोगों के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई बहुत ही जरूरी है, क्योंकि देरी से या कमजोर कार्रवाई से ऐसे लोगों को बढ़ावा मिलता है। राष्ट्रपति ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के सतर्कता जागरूकता सप्ताह समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वास सामाजिक जीवन का आधार है।   *भ्रष्टाचार, समाज में विश्वास घटाता है'* राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, 'यह एकता का स्रोत है। सरकार के काम और कल्याणकारी योजनाओं में जनविश्वास शासन की शक्ति का स्रोत है। भ्रष्टाचार न केवल आर्थिक प्रगति में बाधा है, बल्कि यह समाज में विश्वास को भी घटाता है। यह लोगों में भाईचारे की भावना पर प्रतिकूल असर डालता है। इसका देश की एकता और अखंडता पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है।' राष्ट्रपति ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई बेहद जरूरी है।   उन्होंने कहा, 'कार्रवाई में देरी या कमजोर कार्रवाई अनैतिक व्यक्तियों को बढ़ावा देती है। लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि हर कार्रवाई और व्यक्ति को संदेह की नजर से न देखा जाए। हमें इससे बचना चाहिए। व्यक्ति की गरिमा को ध्यान में रखा जाना चाहिए एवं कोई भी कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित नहीं होनी चाहिए। किसी भी कार्रवाई का उद्देश्य समाज में न्याय और समानता स्थापित करना होना चाहिए।'   *बीते 10 वर्षों में जब्त किए गए 12 अरब डॉलर* प्रत्यक्ष लाभ अंतरण और ई-निविदा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा कि 'पिछले दस वर्षों में धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत 12 अरब डॉलर की संपत्तियां जब्त की गयी हैं।' राष्ट्रपति ने कहा, 'मुझे विश्वास है कि भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकेगी।' केन्द्रीय सतर्कता आयोग हर साल सतर्कता सप्ताह मनाता है। इस साल 28 अक्टूबर से तीन नवंबर तक सतर्कता सप्ताह मनाया गया और उसका ध्येय वाक्य 'राष्ट्र की समृद्धि के लिए अखंडता की संस्कृति' रखा गया। सतर्कता सप्ताह के अलावा आयोग तीन महीने का एहतियाती सतर्कता अभियान चलाता है। इसके तहत केंद्र सरकार के मंत्रालय, विभाग/संगठन 16 अगस्त से 15 नवंबर तक यह अभियान चला रहे हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 8, 2024

तीन बीघा कॉरिडोर: इंदिरा गांधी की सरकार ने लीज पर दी थी जमीन, अब घुसपैठ के लिए सबसे बड़ा खतरा

नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। तीन बीघा कॉरिडोर भारत की जमीन का एक हिस्सा है, जो बांग्लादेश के दहग्राम-अंगरपोटा एनक्लेव को अपने देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ता है। केवल यही जगह है जहां से बांग्लादेशी नागिरक बिना पासपोर्ट और बिना वीजा के आना-जाना कर सकते हैं। यही नहीं इस कॉरिडोर में आने जाने वालों की जांच भारतीय सुरक्षा अधिकारी नहीं कर सकते। भारत ने बांग्लादेश को यह जमीन लीज पर दी है। इससे पहले बांग्लादेश के दहग्राम-अंगरपोटा के लोग अपने देश से सीधे जुड़े हुए नहीं थे।   यह समस्या आजादी के समय से थी लेकिन असली कहानी बांग्लादेश के बनने के बाद शुरू हुई।  16 जून 1974 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान के बीच पहली बार समझौता हुआ लेकिन विरोध के कारण कॉरिडोर खोला नहीं जा सका। बाद में कोर्ट के आदेश पर 1992 में पहली बार इसे खोला गया। समझौते के तहत भारत ने आधा बेरुबाड़ी संघ अपने पास रखा और इसके बदले में भारत ने बांग्लादेश को तीन बीघा जमीन देना तय किया। हालांकि विशेषज्ञ अब इस कॉरिडोर को घुसपैठ के लिए खतरनाक मानते हैं।   *पूरी कॉरिडोर की फेंसिंग  बीएसएफ का रहता है पहरा* 178 वर्ग मीटर लंबे और 85 वर्ग मीटर चौड़े इस कॉरिडोर की फेंसिंग की हुई है। बांग्लादेशियों को इसी रास्ते से आना-जाना होता है। इस कॉरिडोर के दोनों छोर पर दो गेट हैं। अंदर की तरफ बीएसएफ रहती है जबकि गेट के बाहर बांग्लादेश की तरफ बीजीबी रहती है।   *इस तरह अस्तित्व में आया तीन बीघा कॉरिडोर* 16 जून, 1974 को पहली बार तीन बीघा कॉरिडोर का जिक्र हुआ। 1982 में एक बार फिर बांग्लादेश ने भारत से तीन बीघा कॉरिडोर की मांग की। इस पर स्थानीय भारतीय लोग भड़क गए और विरोध-प्रदर्शन हुआ। इस दौरान हुई फायरिंग में कई लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इस बीच, मामला कोर्ट में पहुंच गया। क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय समझौता था, इसलिए 1992 में कोर्ट ने समझौते को बहाल रखा।   इसके बाद 26 जून 1992 में पहली बार ‘तीन बीघा कॉरिडोर’ को खोला गया। इसके बाद भी समझौते में कई संशोधन होते रहे। ‘तीन बीघा गलियारा या कॉरिडोर’ को लेकर सबसे बड़ा समझौता सितंबर 2011 में ढाका में हुआ। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच एक समझौता हुआ। निर्णय लिया गया कि भारत के द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में पड़ने वाले 178 वर्ग मीटर लंबा 85 वर्ग मीटर चौड़ा भूखंड बांग्लादेश को लीज पर देगा।   *भारत की सिरदर्दी बढ़ाएगा*  यह तो घुसपैठ का कॉरिडोर बन गया है। यह कॉरिडोर भविष्य में देश के लिए सिर दर्द बन सकता है। क्योंकि एनक्लेव भारत के साथ सीमा साझा करता है। कई जगह ओपन बॉर्डर है। कोई भी घुसपैठिया किसी भी समय भारत में दाखिल हो सकता है।   *भारत को सतर्क रहना चाहिए* बागडोगरा जीपी के उपाध्यक्ष धरेंद्र नाथ कहते हैं, भारत तो बड़े भाई की तरह है लेकिन बांग्लादेश है कि मानता ही नहीं। पहले सीमा से तस्करी होती थी। लेकिन बीएसएफ ने इस पर लगभग पर अंकुश लगा दिया है। बीएसएफ के होते हुए हालांकि कोई चिंता नहीं है फिर भी सीमाओं तारबंदी जरूरी है। साथ ही प्रकाश की व्यवस्था भी होनी चाहिए। क्योंकि इस समय बांग्लादेश के हालात अच्छे नहीं हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 8, 2024

तिरुपति लड्डू विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका

नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति लड्डू विवाद की सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। दरअसल, याचिका में पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान तिरुमाला तिरुपति मंदिर में लड्डू बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के संबंध में टीडीपी वाली आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच कराने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन 'ग्लोबल पीस इनीशिएटिव' के अध्यक्ष केए पॉल की याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा, 'आपकी प्रार्थना के अनुसार हमें सभी मंदिरों, गुरुद्वारों आदि के लिए अलग-अलग राज्य बनाना होगा। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि किसी विशेष धर्म के लिए एक अलग राज्य बनाया जाए। इसलिए हम इस याचिका को खारिज करते हैं।'पॉल ने अपनी याचिका में लड्डू प्रसादम की खरीद और इसकी तैयारी में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से व्यापक जांच कराने की मांग की थी।   *इससे पहले शीर्ष अदालत ने दिया था यह आदेश* शीर्ष अदालत ने करोड़ों लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए तिरुपति के लड्डू बनाने में इस्तेमाल किए गए पशुओं की चर्बी के आरोपों की जांच के लिए चार अक्तूबर को पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था। पीठ ने निर्देश दिया था कि स्वतंत्र एसआईटी में सीबीआई और आंध्र प्रदेश पुलिस के दो-दो अधिकारी तथा भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।   *प्रसाद की पवित्रता धूमिल हुई: याचिकाकर्ता* पॉल ने अपनी जनहित याचिका में कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा लगाए गए आरोपों से श्रद्धालुओं में गंभीर चिंता पैदा हो गई है और इस प्रसाद की पवित्रता धूमिल हुई है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और मौलिक धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन पर प्रकाश डाला गया है, जो धर्म का अभ्यास और प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। उन्होंने कहा, 'इसकी पवित्रता के साथ कोई भी समझौता न केवल लाखों भक्तों को प्रभावित करता है, बल्कि इस संस्थान की प्रतिष्ठा को भी धूमिल करता है। मैंने श्रद्धालुओं के हित में और यह सुनिश्चित करने के लिए याचिका दायर की है कि राजनीतिक जोड़तोड़ और भ्रष्टाचार हमारी पवित्र परंपराओं को कमजोर न करे।'    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 8, 2024

दिल्ली में जुटेंगे दुनियाभर के दंत विशेषज्ञ -दंत चिकित्सा में परिवर्तनकारी उपलब्धियों पर करेंगे चर्चा

नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। राजधानी के द लीला एम्बियंस कन्वेंशन हाल में आयोजित छठें जीएए आईडी ग्लोबल अमेरिकन एकेडमी ऑफ इम्प्लांट डेंटिस्ट्री और 12वें र्वड कांग्रेस फॉर ओरल इम्प्लांटोलॉजी कांफ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन के चेयरमैन एवं गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विविद्यालय के कुलपति प्रो. महेश वर्मा और आयोजन सचिव डा. वृज सभरवाल ने इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में हुई महत्वपूर्ण प्रगति और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। ग्लोबल अमेरिकन एकेडमी ऑफ इम्प्लांट डेंटिस्ट्री सम्मेलन एवं ओरल इम्प्लांटोलॉजी विश्व कांग्रेस के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए डॉ महेश वर्मा ने बताया कि इस सम्मेलन में 14 देशों के आठ सौ से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे तथा 65 भारतीय दंत चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ साथ 70 स्टूडेंट जो दंत चिकित्सा में विशेषज्ञता हासिल कर रहे हैं भी भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में 45 विशेषज्ञ अपने शौध पत्र प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा विश्व की 60 से भी अधिक जानी मानी कंपनियां अपने उत्पादों का प्रदर्शन भी करेंगी। डॉ महेश वर्मा ने बताया कि सम्मेलन के दौरान अनेक वर्कशॉप एवं शैक्षणिक सैशन भी आयोजित किए जाएंगे तथा वर्कशॉप व शैक्षणिक सैशनों को सफलता पूर्वक पूरे करने वाले विद्यार्थियों को डिप्लोमा सर्टिफिकेट भी दिए जाएंगे।   सम्मेलन के अध्यक्ष ने बताया कि यह आयोजन दुनिया भर के इम्प्लांटोलॉजी विशेषज्ञों और इनोवेटर्स को एक मंच पर एकसाथ मिलने का एक एतिहासिक अवसर है। उन्होंने बताया कि इसमें व्यावहारिक कार्यशालाएँ, लाइव सर्जरी और व्यापार प्रदर्शनी में इम्प्लांट तकनीक की नवीनतम जानकारी शामिल होगी। साथ ही शीर्ष वैश्विक इम्प्लांटोलॉजिस्ट के साथ नई नई जानकारी एवं खोज को साझा करने का एक सुनहरा अवसर भी मिलेगा। सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. महेश वर्मा के अनुसार, यह कार्यक्रम अद्वितीय है क्योंकि यह इम्प्लांट दंत चिकित्सा में ज्ञान और जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए पूर्व और पश्चिम के शीर्ष विशेषज्ञों को एक साथ लाने का एक एतिहासिक एवं अद्भुत प्रयास है। उन्होंने इस आयोजन के व्यावहारिक, साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण पर जोर दिया, खासकर दक्षिण एशिया जैसे उभरते बाजारों में चिकित्सकों के लिए। आयोजन सचिव डॉ. बृज सभरवाल ने सुनिश्चित किया कि सम्मेलन सभी विशेषज्ञता स्तरों के पेशेवरों को पूरा करेगा, जिसमें सभी के लिए शैक्षिक ट्रैक होंगे। डॉ वर्मा ने बताया कि सम्मेलन के दौरान अत्याधुनिक तकनीकें: डिजिटल इम्प्लांट प्लानिंग, 3डी इमेजिंग और न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों के बारे में इम्प्लांटोलॉजी के वैश्विक नेताओं से सीखने का मौका मिलेगा। डॉ. महेश वर्मा ने कहा कि यह सम्मेलन सहयोग के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में काम करेगा, जिसमें दुनिया भर के विशेषज्ञ, शोधकर्ता और चिकित्सक विचारों और अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिए एक साथ आएंगे।   यह मौखिक सर्जरी, प्रोस्थोडोन्टिक्स और पीरियोडोंटोलॉजी को मिलाकर एक अंतःविषय दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, जो जटिल मुद्दों से निपटने और रोगी के परिणामों को बेहतर बनाने में मदद करेगा। व्यावहारिक सत्रों, विशेषज्ञ व्याख्यानों और कार्यशालाओं के माध्यम से, उपस्थित लोग अपने नैदानिक ​​कौशल को निखारने और नवीनतम तकनीकों पर अपडेट रहने में सक्षम होंगे। यह कार्यक्रम भविष्य के शोध और विकास को भी बढ़ावा देगा, प्रतिभागियों को मौजूदा चुनौतियों के नए समाधान तलाशने के लिए प्रोत्साहित करेगा। यह सम्मेलन डिजिटल इंप्रेशन से लेकर सामग्री के चुनाव तक चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि उपस्थित लोग इम्प्लांट देखभाल के भविष्य के लिए सुसज्जित हैं। डॉ. महेश वर्मा कहते हैं कि एएआईडी और  डब्ल्यूओसीआई का संयुक्त सम्मेलन वास्तव में एक अनूठा आयोजन है, जहाँ पूरब और पश्चिम का मिलन होगा। यह सम्मेलन दशकों के अनुभव और इम्प्लांटोलॉजी में नवीनतम नवाचारों को एक साथ लाने का एक प्रयास है, जो प्रतिभागियों को नवीनतम प्रगति में खुद को डुबोने का अवसर प्रदान करता है।   उन्होंने बताया कि दंत चिकित्सा में डिजिटाइजेशन और एआई का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। पहले दंत चिकित्सा काफी तकलीफ देय और दर्द भरी होती थी वहीं अब ऐसी अत्याधुनिक तकनीक आ गई है कि जैसे कि थ्री डी,स्टैमसैल, लेजर एवं नैनोटैक्चर आदि के माध्यम से दंत चिकित्सा काफी आरामदायक और सुगम हो गई है। वे कहते हैं कि दंत प्रत्यारोपण में टाईटेनियम मैटल का इस्तेमाल होने के कारण दांतों को ताकत मिलती है जिससे वे लंबे समय तक काम करते हैं। पहले जहां दंत प्रत्यारोपण के बाद रोगी को कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता था वहीं अब ऐसी अत्याधुनिक तकनीक आ गई है जिसके चलते दंत प्रत्यारोपण के बाद रोगी तुरंत घर जा सकता है। सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. ब्रिज सब्बरवाल ने कहा कि ग्लोबल एएआईडी और डब्ल्यूसीओआई सम्मेलन के लिए हमारा दृष्टिकोण अत्याधुनिक शिक्षा प्रदान करना, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना और सार्थक नेटवर्किंग अवसर बनाना है।   मुख्य आकर्षणों में नवीनतम रुझानों को साझा करने वाले मुख्य वक्ता, नई तकनीकों में महारत हासिल करने के लिए व्यावहारिक कार्यशालाएँ, शोध प्रस्तुतियाँ, विविध पैनल चर्चाएँ, प्रदर्शनी हॉल में नवीनतम उपकरणों और तकनीकों का प्रदर्शन और पेशेवर संबंध बनाने के लिए नेटवर्किंग कार्यक्रम शामिल हैं। हमने सभी उपस्थित लोगों के लिए समावेशिता और प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विशेषज्ञता स्तरों के लिए शैक्षिक ट्रैक तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों संगठनों की ताकतों को मिलाकर और ज्ञान-साझाकरण के लिए एक वैश्विक मंच बनाकर सीखने के अनुभव को समृद्ध किया है। यह साझेदारी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक विविध श्रेणी को एक साथ लाती है, जो अद्वितीय अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण प्रदान करती है।   पश्चिम में एएआईडी का प्रभाव, पूर्व में डब्ल्यूसीओआई के प्रभाव के साथ मिलकर एक गतिशील वातावरण बनाता है जहाँ प्रतिभागी सर्वश्रेष्ठ से सीख सकते हैं। मेजबान के रूप में भारत की भूमिका इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में देश की बढ़ती प्रमुखता को उजागर करती है, और डिप्लोमैट और मास्टर फ़ेलोशिप परीक्षाओं के लिए भारी प्रतिक्रिया युवा चिकित्सकों के समर्पण को दर्शाती है। यह सहयोग सुनिश्चित करता है कि उपस्थित लोगों को अत्याधुनिक ज्ञान, कार्रवाई योग्य रणनीतियाँ और नेटवर्किंग के अवसर मिलें, जिससे वे इम्प्लांटोलॉजी में चुनौतियों का आत्मविश्वास के साथ सामना कर सकें।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 8, 2024

सड़क प्रबंधन पर दिल्ली में भारत-ऑस्ट्रेलिया भागीदारी संगोष्ठी आयोजित

नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। नई दिल्ली में ‘भारत-ऑस्ट्रेलिया भागीदारी’ शीर्षक से एक संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें सड़क परिसंपत्ति प्रबंधन में दुनिया की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के माध्यम से बुनियादी ढांचे के प्रबंधन के नए तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिन्हें भारत की सड़कों और राजमार्गों पर लागू किया जा सकता है ताकि सर्वोत्तम परिसंपत्ति प्रबंधन परिणाम प्राप्त किए जा सकें। इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय परिवहन अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ), पूर्व में ऑस्ट्रेलियाई सड़क अनुसंधान बोर्ड (एआरआरबी) द्वारा भारतीय सड़क सर्वेक्षण और प्रबंधन प्राइवेट लिमिटेड (आईआरएसएम) के रसद समर्थन के साथ किया गया था। एनटीआरओ एक ऑस्ट्रेलियाई सरकार के स्वामित्व वाला अनुसंधान संगठन है, जिसके पास परिवहन प्रौद्योगिकी, परिसंपत्ति प्रबंधन (सामग्री विज्ञान और रखरखाव सहित) और सड़क सुरक्षा में 64 वर्षों से अधिक की विशेषज्ञता है।   आईआरएसएम, एनटीआरओ का भारतीय संयुक्त उद्यम भागीदार है, जिसकी स्थापना 2009 में हुई थी और यह देश में उन्नत सड़क अवसंरचना माप और मूल्यांकन शुरू करने वाली भारत की पहली कंपनी है।  इस कार्यक्रम में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, एनएचएआई, सीआरआरआई, राज्य पीडब्ल्यूडी, ऑस्ट्रेलियाई व्यापार और निवेश आयोग (ऑस्ट्रेड), ऑस्ट्रेलियाई विदेश मामलों और व्यापार विभाग (डीएफएटी) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ निजी सलाहकारों और क्यूब हाईवेज और ऑस्ट्रेड जैसे निवेशकों ने भाग लिया।   सेमिनार का नेतृत्व कर रहे एनटीआरओ के सीईओ माइकल कैल्टाबियानो ने एनटीआरओ द्वारा विकसित और ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूएसए और यूरोपीय संघ के देशों में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली सड़क परिसंपत्ति प्रबंधन पर अत्याधुनिक तकनीकों से श्रोताओं को परिचित कराया। सेमिनार का फोकस इंटेलिजेंट पेवमेंट असेसमेंट व्हीकल (आईपेव) पर था जिसे जल्द ही भारत में पेश किया जाना है। देश की 3 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति के समय पर रखरखाव पर जोर दिया गया ताकि समुदाय को बेहतर मूल्य दिया जा सके।   इस वाहन में सतह और संरचनात्मक स्थिति दोनों के डेटा को एक ही बार में इकट्ठा करने की क्षमता है, जो तेज गति से यात्रा करता है। यह तकनीक सड़क बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में निजी निवेशकों को बहुमूल्य जानकारी प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो सूचित निवेश निर्णय लेने में सहायता करता है।  एनटीआरओ के प्रमुख प्रौद्योगिकी प्रमुख रिचर्ड विक्स ने दर्शकों को आई-पीएवीई की बारीकियों के बारे में बताया।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

Nov 8, 2024

पीएम विद्यालक्ष्मी योजना:स्टूडेंट्स को बिना गारंटर के मिलेगा 10 लाख तक का लोन

नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। अब पैसों की कमी के चलते देश के होनहार छात्रों को अपनी पढ़ाई बीच में नहीं छोड़नी पड़ेगी. दरअसल, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में एक नई योजना पीएम विद्यालक्ष्मी को मंजूरी दे दी गई है, जिसका उद्देश्य मेधावी छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है. इस योजना के जरिए योग्य छात्रों को 10 लाख रुपये तक का लोन आसानी से उपलब्ध कराया जाएगा. इस योजना के तहत सालाना 8 लाख से कम आय वाले परिवारों के छात्रों को 10 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन दिया जाएगा. कैबिनेट मीटिंग में लिए गए इस फैसले की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विणी वैष्णव द्वारा दी गई है. उन्होंने बताया कि सरकार इस पर 3 फीसदी ब्याज की सब्सिडी भी उपलब्ध कराएगी. अश्विणी वैष्णव ने बताया कि इस योचना का लाभ हायर एजुकेशन के लिए एडमिशन लेने वाले कई स्टूडेंट्स को मिलेगा. साथ ही इस योजना के तहत लोन लेने के लिए छात्रों को किसी गारंटर की भी जरूरत नहीं है.    *प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना की योग्यता* हायर स्टडीज के लिए छात्र को जिस इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेना है वो एनआरआईएफ रैंकिंग में ऑल इंडिया 100 और स्टेट में 200 में आना चाहिए और वो सरकारी इंस्टीट्यूट होना चाहिए.  छात्र के परिवार की आय सालाना 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए. हर साल 1 लाख स्टूडेंट्स को इस योजना का लाभ मिलेगा. भारत सरकार 7.5 लाख रुपये तक के लोन के लिए 75 प्रतिशत की क्रेडिट गारंटी देगी.    इस तरह से कर सकेंगे आवेदन प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना के लिए स्टूडेंट्स ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. अश्विणी वैष्णव ने बताया कि इस लोन प्रक्रिया के लिए डिजीलॉकर जैसे माध्यम से किया जाएगा. उन्होंने कहा कि 1 लाख स्टूडेंट्स इस योजना के तहत एजुकेशन लोन ले पाएंगे. इसके लिए https://www.vidyalakshmi.co.in/ पर अप्लाई करना होगा.    *22 लाख छात्र इसके दायरे में आएंगे* प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना के दायरे में प्रमुख 860 हायर इंस्टीट्यूट के 22 लाख से ज्यादा स्टूडेंटस आएंगे. इस योजना के तहत 4.5 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले परिवार के छात्रों को पूर्ण ब्याज अनुदान भी मिलेगा. पीएम विद्यालक्ष्मी योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीती 2020 का ही विस्तार है.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Nov 8, 2024