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○ एम्स में बच्चों के मायोपिया के इलाज के लिए स्पेशल क्लिनिक
○ पीएम मोदी ने जनजातीय संस्कृति से दुनिया को कराया रूबरू
○ आदिवासी समुदायों की प्रगति राष्ट्रीय प्राथमिकता: राष्ट्रपति
○ पर्यावरण प्रदूषण के कारण लगे प्रतिबंधों का कोई असर नहीं, वाहनों व उद्योगों में काम भवननिर्माण भी पूर्ववत्
○ धर्मावलंबियों ने देव दीपावली पर जलाए दीये, देवी- देवताओं की गई पूजा -अर्चना
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भ्रष्ट लोगों के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई बहुत ही जरूरी': राष्ट्रपति
नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि भ्रष्ट लोगों के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई बहुत ही जरूरी है, क्योंकि देरी से या कमजोर कार्रवाई से ऐसे लोगों को बढ़ावा मिलता है। राष्ट्रपति ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के सतर्कता जागरूकता सप्ताह समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वास सामाजिक जीवन का आधार है। *भ्रष्टाचार, समाज में विश्वास घटाता है'* राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, 'यह एकता का स्रोत है। सरकार के काम और कल्याणकारी योजनाओं में जनविश्वास शासन की शक्ति का स्रोत है। भ्रष्टाचार न केवल आर्थिक प्रगति में बाधा है, बल्कि यह समाज में विश्वास को भी घटाता है। यह लोगों में भाईचारे की भावना पर प्रतिकूल असर डालता है। इसका देश की एकता और अखंडता पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है।' राष्ट्रपति ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, 'कार्रवाई में देरी या कमजोर कार्रवाई अनैतिक व्यक्तियों को बढ़ावा देती है। लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि हर कार्रवाई और व्यक्ति को संदेह की नजर से न देखा जाए। हमें इससे बचना चाहिए। व्यक्ति की गरिमा को ध्यान में रखा जाना चाहिए एवं कोई भी कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित नहीं होनी चाहिए। किसी भी कार्रवाई का उद्देश्य समाज में न्याय और समानता स्थापित करना होना चाहिए।' *बीते 10 वर्षों में जब्त किए गए 12 अरब डॉलर* प्रत्यक्ष लाभ अंतरण और ई-निविदा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा कि 'पिछले दस वर्षों में धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत 12 अरब डॉलर की संपत्तियां जब्त की गयी हैं।' राष्ट्रपति ने कहा, 'मुझे विश्वास है कि भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकेगी।' केन्द्रीय सतर्कता आयोग हर साल सतर्कता सप्ताह मनाता है। इस साल 28 अक्टूबर से तीन नवंबर तक सतर्कता सप्ताह मनाया गया और उसका ध्येय वाक्य 'राष्ट्र की समृद्धि के लिए अखंडता की संस्कृति' रखा गया। सतर्कता सप्ताह के अलावा आयोग तीन महीने का एहतियाती सतर्कता अभियान चलाता है। इसके तहत केंद्र सरकार के मंत्रालय, विभाग/संगठन 16 अगस्त से 15 नवंबर तक यह अभियान चला रहे हैं। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
admin
Nov 8, 2024
तीन बीघा कॉरिडोर: इंदिरा गांधी की सरकार ने लीज पर दी थी जमीन, अब घुसपैठ के लिए सबसे बड़ा खतरा
नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। तीन बीघा कॉरिडोर भारत की जमीन का एक हिस्सा है, जो बांग्लादेश के दहग्राम-अंगरपोटा एनक्लेव को अपने देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ता है। केवल यही जगह है जहां से बांग्लादेशी नागिरक बिना पासपोर्ट और बिना वीजा के आना-जाना कर सकते हैं। यही नहीं इस कॉरिडोर में आने जाने वालों की जांच भारतीय सुरक्षा अधिकारी नहीं कर सकते। भारत ने बांग्लादेश को यह जमीन लीज पर दी है। इससे पहले बांग्लादेश के दहग्राम-अंगरपोटा के लोग अपने देश से सीधे जुड़े हुए नहीं थे। यह समस्या आजादी के समय से थी लेकिन असली कहानी बांग्लादेश के बनने के बाद शुरू हुई। 16 जून 1974 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर्रहमान के बीच पहली बार समझौता हुआ लेकिन विरोध के कारण कॉरिडोर खोला नहीं जा सका। बाद में कोर्ट के आदेश पर 1992 में पहली बार इसे खोला गया। समझौते के तहत भारत ने आधा बेरुबाड़ी संघ अपने पास रखा और इसके बदले में भारत ने बांग्लादेश को तीन बीघा जमीन देना तय किया। हालांकि विशेषज्ञ अब इस कॉरिडोर को घुसपैठ के लिए खतरनाक मानते हैं। *पूरी कॉरिडोर की फेंसिंग बीएसएफ का रहता है पहरा* 178 वर्ग मीटर लंबे और 85 वर्ग मीटर चौड़े इस कॉरिडोर की फेंसिंग की हुई है। बांग्लादेशियों को इसी रास्ते से आना-जाना होता है। इस कॉरिडोर के दोनों छोर पर दो गेट हैं। अंदर की तरफ बीएसएफ रहती है जबकि गेट के बाहर बांग्लादेश की तरफ बीजीबी रहती है। *इस तरह अस्तित्व में आया तीन बीघा कॉरिडोर* 16 जून, 1974 को पहली बार तीन बीघा कॉरिडोर का जिक्र हुआ। 1982 में एक बार फिर बांग्लादेश ने भारत से तीन बीघा कॉरिडोर की मांग की। इस पर स्थानीय भारतीय लोग भड़क गए और विरोध-प्रदर्शन हुआ। इस दौरान हुई फायरिंग में कई लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इस बीच, मामला कोर्ट में पहुंच गया। क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय समझौता था, इसलिए 1992 में कोर्ट ने समझौते को बहाल रखा। इसके बाद 26 जून 1992 में पहली बार ‘तीन बीघा कॉरिडोर’ को खोला गया। इसके बाद भी समझौते में कई संशोधन होते रहे। ‘तीन बीघा गलियारा या कॉरिडोर’ को लेकर सबसे बड़ा समझौता सितंबर 2011 में ढाका में हुआ। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच एक समझौता हुआ। निर्णय लिया गया कि भारत के द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में पड़ने वाले 178 वर्ग मीटर लंबा 85 वर्ग मीटर चौड़ा भूखंड बांग्लादेश को लीज पर देगा। *भारत की सिरदर्दी बढ़ाएगा* यह तो घुसपैठ का कॉरिडोर बन गया है। यह कॉरिडोर भविष्य में देश के लिए सिर दर्द बन सकता है। क्योंकि एनक्लेव भारत के साथ सीमा साझा करता है। कई जगह ओपन बॉर्डर है। कोई भी घुसपैठिया किसी भी समय भारत में दाखिल हो सकता है। *भारत को सतर्क रहना चाहिए* बागडोगरा जीपी के उपाध्यक्ष धरेंद्र नाथ कहते हैं, भारत तो बड़े भाई की तरह है लेकिन बांग्लादेश है कि मानता ही नहीं। पहले सीमा से तस्करी होती थी। लेकिन बीएसएफ ने इस पर लगभग पर अंकुश लगा दिया है। बीएसएफ के होते हुए हालांकि कोई चिंता नहीं है फिर भी सीमाओं तारबंदी जरूरी है। साथ ही प्रकाश की व्यवस्था भी होनी चाहिए। क्योंकि इस समय बांग्लादेश के हालात अच्छे नहीं हैं। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
admin
Nov 8, 2024
दिल्ली में जुटेंगे दुनियाभर के दंत विशेषज्ञ -दंत चिकित्सा में परिवर्तनकारी उपलब्धियों पर करेंगे चर्चा
नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। राजधानी के द लीला एम्बियंस कन्वेंशन हाल में आयोजित छठें जीएए आईडी ग्लोबल अमेरिकन एकेडमी ऑफ इम्प्लांट डेंटिस्ट्री और 12वें र्वड कांग्रेस फॉर ओरल इम्प्लांटोलॉजी कांफ्रेंस की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन के चेयरमैन एवं गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विविद्यालय के कुलपति प्रो. महेश वर्मा और आयोजन सचिव डा. वृज सभरवाल ने इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में हुई महत्वपूर्ण प्रगति और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। ग्लोबल अमेरिकन एकेडमी ऑफ इम्प्लांट डेंटिस्ट्री सम्मेलन एवं ओरल इम्प्लांटोलॉजी विश्व कांग्रेस के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए डॉ महेश वर्मा ने बताया कि इस सम्मेलन में 14 देशों के आठ सौ से अधिक प्रतिनिधि भाग लेंगे तथा 65 भारतीय दंत चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ साथ 70 स्टूडेंट जो दंत चिकित्सा में विशेषज्ञता हासिल कर रहे हैं भी भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन में 45 विशेषज्ञ अपने शौध पत्र प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा विश्व की 60 से भी अधिक जानी मानी कंपनियां अपने उत्पादों का प्रदर्शन भी करेंगी। डॉ महेश वर्मा ने बताया कि सम्मेलन के दौरान अनेक वर्कशॉप एवं शैक्षणिक सैशन भी आयोजित किए जाएंगे तथा वर्कशॉप व शैक्षणिक सैशनों को सफलता पूर्वक पूरे करने वाले विद्यार्थियों को डिप्लोमा सर्टिफिकेट भी दिए जाएंगे। सम्मेलन के अध्यक्ष ने बताया कि यह आयोजन दुनिया भर के इम्प्लांटोलॉजी विशेषज्ञों और इनोवेटर्स को एक मंच पर एकसाथ मिलने का एक एतिहासिक अवसर है। उन्होंने बताया कि इसमें व्यावहारिक कार्यशालाएँ, लाइव सर्जरी और व्यापार प्रदर्शनी में इम्प्लांट तकनीक की नवीनतम जानकारी शामिल होगी। साथ ही शीर्ष वैश्विक इम्प्लांटोलॉजिस्ट के साथ नई नई जानकारी एवं खोज को साझा करने का एक सुनहरा अवसर भी मिलेगा। सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. महेश वर्मा के अनुसार, यह कार्यक्रम अद्वितीय है क्योंकि यह इम्प्लांट दंत चिकित्सा में ज्ञान और जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए पूर्व और पश्चिम के शीर्ष विशेषज्ञों को एक साथ लाने का एक एतिहासिक एवं अद्भुत प्रयास है। उन्होंने इस आयोजन के व्यावहारिक, साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण पर जोर दिया, खासकर दक्षिण एशिया जैसे उभरते बाजारों में चिकित्सकों के लिए। आयोजन सचिव डॉ. बृज सभरवाल ने सुनिश्चित किया कि सम्मेलन सभी विशेषज्ञता स्तरों के पेशेवरों को पूरा करेगा, जिसमें सभी के लिए शैक्षिक ट्रैक होंगे। डॉ वर्मा ने बताया कि सम्मेलन के दौरान अत्याधुनिक तकनीकें: डिजिटल इम्प्लांट प्लानिंग, 3डी इमेजिंग और न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों के बारे में इम्प्लांटोलॉजी के वैश्विक नेताओं से सीखने का मौका मिलेगा। डॉ. महेश वर्मा ने कहा कि यह सम्मेलन सहयोग के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में काम करेगा, जिसमें दुनिया भर के विशेषज्ञ, शोधकर्ता और चिकित्सक विचारों और अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिए एक साथ आएंगे। यह मौखिक सर्जरी, प्रोस्थोडोन्टिक्स और पीरियोडोंटोलॉजी को मिलाकर एक अंतःविषय दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, जो जटिल मुद्दों से निपटने और रोगी के परिणामों को बेहतर बनाने में मदद करेगा। व्यावहारिक सत्रों, विशेषज्ञ व्याख्यानों और कार्यशालाओं के माध्यम से, उपस्थित लोग अपने नैदानिक कौशल को निखारने और नवीनतम तकनीकों पर अपडेट रहने में सक्षम होंगे। यह कार्यक्रम भविष्य के शोध और विकास को भी बढ़ावा देगा, प्रतिभागियों को मौजूदा चुनौतियों के नए समाधान तलाशने के लिए प्रोत्साहित करेगा। यह सम्मेलन डिजिटल इंप्रेशन से लेकर सामग्री के चुनाव तक चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि उपस्थित लोग इम्प्लांट देखभाल के भविष्य के लिए सुसज्जित हैं। डॉ. महेश वर्मा कहते हैं कि एएआईडी और डब्ल्यूओसीआई का संयुक्त सम्मेलन वास्तव में एक अनूठा आयोजन है, जहाँ पूरब और पश्चिम का मिलन होगा। यह सम्मेलन दशकों के अनुभव और इम्प्लांटोलॉजी में नवीनतम नवाचारों को एक साथ लाने का एक प्रयास है, जो प्रतिभागियों को नवीनतम प्रगति में खुद को डुबोने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि दंत चिकित्सा में डिजिटाइजेशन और एआई का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है। पहले दंत चिकित्सा काफी तकलीफ देय और दर्द भरी होती थी वहीं अब ऐसी अत्याधुनिक तकनीक आ गई है कि जैसे कि थ्री डी,स्टैमसैल, लेजर एवं नैनोटैक्चर आदि के माध्यम से दंत चिकित्सा काफी आरामदायक और सुगम हो गई है। वे कहते हैं कि दंत प्रत्यारोपण में टाईटेनियम मैटल का इस्तेमाल होने के कारण दांतों को ताकत मिलती है जिससे वे लंबे समय तक काम करते हैं। पहले जहां दंत प्रत्यारोपण के बाद रोगी को कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता था वहीं अब ऐसी अत्याधुनिक तकनीक आ गई है जिसके चलते दंत प्रत्यारोपण के बाद रोगी तुरंत घर जा सकता है। सम्मेलन के आयोजन सचिव डॉ. ब्रिज सब्बरवाल ने कहा कि ग्लोबल एएआईडी और डब्ल्यूसीओआई सम्मेलन के लिए हमारा दृष्टिकोण अत्याधुनिक शिक्षा प्रदान करना, वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना और सार्थक नेटवर्किंग अवसर बनाना है। मुख्य आकर्षणों में नवीनतम रुझानों को साझा करने वाले मुख्य वक्ता, नई तकनीकों में महारत हासिल करने के लिए व्यावहारिक कार्यशालाएँ, शोध प्रस्तुतियाँ, विविध पैनल चर्चाएँ, प्रदर्शनी हॉल में नवीनतम उपकरणों और तकनीकों का प्रदर्शन और पेशेवर संबंध बनाने के लिए नेटवर्किंग कार्यक्रम शामिल हैं। हमने सभी उपस्थित लोगों के लिए समावेशिता और प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विशेषज्ञता स्तरों के लिए शैक्षिक ट्रैक तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों संगठनों की ताकतों को मिलाकर और ज्ञान-साझाकरण के लिए एक वैश्विक मंच बनाकर सीखने के अनुभव को समृद्ध किया है। यह साझेदारी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक विविध श्रेणी को एक साथ लाती है, जो अद्वितीय अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण प्रदान करती है। पश्चिम में एएआईडी का प्रभाव, पूर्व में डब्ल्यूसीओआई के प्रभाव के साथ मिलकर एक गतिशील वातावरण बनाता है जहाँ प्रतिभागी सर्वश्रेष्ठ से सीख सकते हैं। मेजबान के रूप में भारत की भूमिका इम्प्लांट डेंटिस्ट्री में देश की बढ़ती प्रमुखता को उजागर करती है, और डिप्लोमैट और मास्टर फ़ेलोशिप परीक्षाओं के लिए भारी प्रतिक्रिया युवा चिकित्सकों के समर्पण को दर्शाती है। यह सहयोग सुनिश्चित करता है कि उपस्थित लोगों को अत्याधुनिक ज्ञान, कार्रवाई योग्य रणनीतियाँ और नेटवर्किंग के अवसर मिलें, जिससे वे इम्प्लांटोलॉजी में चुनौतियों का आत्मविश्वास के साथ सामना कर सकें। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
admin
Nov 8, 2024
एमसी कार्यालयों में आई 6 शिकायतों में से चार का मौके पर हुआ निपटान
पंचकूला,08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। उपायुक्त मोनिका गुप्ता के मार्गदर्शन में आज सेक्टर-4 स्थित नगर निगम पंचकूला के कार्यालय व नगर परिषद कालका में समाधान शिविर का आयोजन किया गया। समाधान शिविर में शहरवासियों द्वारा छह समस्याएं अधिकारियों के सामने रखी गई, इनमें से मौके पर ही चार समस्याओं का समाधान किया गया। अतिरिक्त उपायुक्त एवं नगर निगम कमीश्नर अपराजिता ने बताया कि शिविर में 5 शिकायतें प्राप्त हुई। प्रॉपर्टी आईडी से सम्बन्धित तीन शिकायों का मौके पर ही निपटान कर दिया गया। नाडा साहित निवासी शिव कुमार ने प्रॉपर्टी आईडी की लॉकेशन ठीक करने की अपील की। सेक्टर-25 निवासी सुधीर ने प्रॉपर्टी आईडी में मोबाइल नंबर जोड़ने की गुहार लगाई। बिल्ला गांव निवासी गुलजार ने प्रॉपर्टी आईडी का खसरा नंबर ठीक करवाने की शिकायत दी। सेक्टर-16 निवासी कुलवंत सिंह ने नई प्रॉपर्टी आईडी को तैयार करवाने की आवेदन किया है। इसके अलावा कालका नगर परिषद में भी एक व्यक्ति ने प्रॉपर्टी आईडी को ठीक करवाने की गुहार लगाई है। उन्होंने बताया कि सेक्टर-4 स्थित नगर निगम के कार्यालय व नगर परिषद कालका परिसर में प्रत्येक कार्यदिवस पर सुबह 9 बजे से 11 बजे तक समाधान शिविर का आयोजन कर शहर के लोगों की समस्याओं व शिकायतों को सुना जाएगा। शिविर में आने वाली शिकायतों के समाधान को जल्द से जल्द निपटान किया जाएगा। उन्होंने शहरवासियों से अपील की कि वो सुबह 9 से 11 बजे के बीच नगर निगम से सम्बन्धित शिकायतों और समस्याओं को रख सकते हैं। हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।
Ujjwal Times News
Nov 8, 2024
आपदा प्रबंधन को लेकर एनडीआरएफ और सेना ने पंचकूला पुलिस की मदद से किया मॉक ड्रिल
पंचकूला,08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस कमिश्नर राकेश कुमार आर्य के मार्गदर्शन में पुलिस उपायुक्त हिमाद्रि कौशिक व पुलिस उपयुक्त अपराध एवं यातायात विरेन्द्र सांगवान के नेतृत्व में पंचकूला पुलिस द्वारा एसीपी कालका जोगेन्द्र शर्मा व पिंजौर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सोमबीर ढ़ाका की उपस्थिति में प्राकृतिक व मानव निर्मित आपदाओं से निपटने के लिए एनडीआरएफ व भारतीय सेना की मदद से मॉक ड्रिल की जा रही है। यह मॉक ड्रिल पंचकूला जिला के पिंजौर क्षेत्र में कौशल्या नदी के किनारे अमरावती बांध पर की जा रही है। जानकारी के मुताबिक इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य प्रमुख रूप से तीन तरह की प्राकृतिक व मानव निर्मित आपदाओं से निपटना है जिनमें फैक्टरी परिसर में गैस रिसाव व अन्य कारणों से आगजनी से होने वाले नुकसान, भूकंप व बाढ़ आदि की स्थिति फँसे लोगों को रेस्क्यू कर उन तक रिलीफ पहुँचाना, चिकित्सीय सुविधा पहुँचाना तथा सभी विभागों को आपस में समन्वय बनाकर राहत एवं बचाव कार्य करना है। इस मौके एसीपी कालका जोगेन्द्र शर्मा व असिस्टेंट कमांडेंट एनडीआरएफ डी.एल. जाखड़ ने मॉक ड्रिल की व्यवस्थाओं का जायजा लिया और उनकी तैयारियों को लेकर चर्चा की। राहत और बचाव कार्यों के लिए उपकरणों की उपलब्धता, रिसोर्स मैनेजमेंट, स्वास्थ्य, सेना, पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ तथा पैरामेडिकल टीमों की तैनाती तथा आपदा प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही बैकअप प्लान पर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि हास्पिटलों में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं होनी चाहिए। इसके अलावा भारतीय सेना का नेतृत्व कर रहे मेजर विनय प्रताप सिंह व मेजर गिरधर सिंह की अगुवाई में सेना ने जवानो नें मॉक ड्रिल में हिस्सा लिया। मॉक ड्रिल के दौरान सभी सुरक्षा उपकरणों व जरूरी दिशा निर्देशों की पालना की गई है। हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।
Ujjwal Times News
Nov 8, 2024
अवैध हथियार रखने के मामले में 2 आरोपी गिरफ्तार, .32 बोर पिस्टल बरामद
पंचकूला, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस कमिश्नर राकेश कुमार आर्य के मार्गदर्शन में पुलिस उपायुक्त हिमाद्रि कौशिक व पुलिस उपायुक्त अपराध एवं यातायात विरेन्द्र सांगवान के नेतृत्व में जिला में अवैध हथियार रखने वाले अपराधियों पर कडी नजर व सख्त कार्रवाई की जा रही है जिस कार्रवाई में एसीपी क्राइम अरविंद कंबोज के नेतृत्व में इन्चार्ज एंटी नारकोटिक्स सेल उप निरीक्षक भीम सिंह व उसकी टीम नें अवैध हथियार की तस्करी के मामले में 2 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किये गये आरोपियो की पहचान अनमोल पुत्र जगदीप सिंह वासी विश्वकर्मा कालोनी पिंजौर उम्र 19 वर्ष व अंकुश कुमार उर्फ अंकुश सोलंकी पुत्र सुनीत कुमार वासी चावला कॉलोनी मानकपुर ठाकुर दास पंचकूला के रुप में हुई है। एंटी नारकोटिक्स सेल टीम गश्त पर थी तभी टीम को गुप्त सूचना मिली की एक गाडी में सवार युवक सैक्टर 30 हुड्डा मोड नालागढ रोड पिंजौर के पास किसी के इंतजार में खड़ा है और उसके पास अवैध हथियार होने की सूचना है जिसके आधार पर एंटी नारकोटिक्स सेल इन्चार्ज की टीम ने बताए गए स्थान पर पहुंचकर युवक को घेरा ड़ालते हुए 1 युवक को काबू किया। तलाशी लेने पर युवक की जेब से 32 बोर पिस्टल बरामद की गई थी जिस बारे पूछने पर आरोपी को लाइसैंस आदि पेश नहीं कर पाया। जिसके बाद आरोपी के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा के तहत थाना पिंजौर में मामला दर्ज किया गया। जहां आरोपी को माननीय अदालत में पेश कर 3 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया था। रिमांड के दौरान आरोपी अनमोल की निशानदेही पर अन्य आरोपी अंकुश कुमार उर्फ अंकुश सोलंकी पुत्र सुनीत कुमार वासी चावला कॉलोनी मानकपुर ठाकुर दास पंचकूला को आज गिरफ्तार किया गया। हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।
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Nov 8, 2024
प्रदेश की नायब सैनी सरकार ने दिया धौली की जमीन का मालिकाना हक
पंचकूला,08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा की मुहिम आखिरकार रंग लाई.. सरकार ने धौली की जमीन का मालिकाना हक ब्राह्मण समाज को दे दिया है... इसके बाद अब ब्राह्मण धौली में मिली जमीन भी बेच सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 11 दिसंबर 2022 को करनाल में आयोजित भगवान परशुराम महाकुंभ में धौली की करीब 1700 एकड़ जमीन के मालिकाना हक की घोषणा की थी। जिसे प्रदेश के मोजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सिरे चढ़ा दिया है , वर्षों पहले दान में दी गई धौली की जमीन का मालिकाना हक और उसे बेचने का अधिकार ब्राह्मण समाज को मिल गया है। इस संदर्भ में वित्तायुक्त राजस्व एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा ने सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि सांसद कार्तिकेय शर्मा द्वारा यह मांग करनाल में उनके द्वारा आयोजित ब्राह्मण महाकुम्भ में पर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने रखी गयी थी जिस पर पूर्व सीएम ने 11 दिसंबर 2022 को करनाल में आयोजित भगवान परशुराम महाकुंभ में धौली की करीब 1700 एकड़ जमीन का मालिकाना हक देने की घोषणा की थी। इससे पहले हरियाणा सरकार के वित्तीय आयुक्त, राजस्व एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव ने उपायुक्तों को आदेश दिया था कि हरियाणा धौलीदार, बूटीमार, भोंडेदार और मुकररिदार (मालिकाना अधिकार निहित करना) अधिनियम में संशोधन किया गया है। इसके तहत किसी निजी व्यक्ति/संस्था की जमीन को धौलीदारों आदि में निहित कर दिया गया था. दान में दी गयी जमीन को बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा. सांसद कार्तिकेय शर्मा ने इस मांग को पूरा करने के लिए सीएम नायब सैनी का भी आभार व्यक्त किया है, सांसद कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि पूर्व सीएम ने करनाल में आयोजित महाकुंभ में इसकी घोषणा की थी अब प्रदेश के सीएम नायब सैनी ने इसे अमलीजामा पहनाने का काम किया है . सांसद कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि सांसद बनने के बाद ब्राह्मण समाज के लोग लगातार यह मांग उनके सामने रख रहे थे, जिसके बाद उन्होंने इस मांग को सरकार तक पहुंचाने का काम किया और आखिरकार करनाल में आयोजित ब्राह्मण महाकुंभ में पूर्व सीएम ने इस मांग पर अपनी मुहर लगा दी थी और अब मौजूदा नायब सैनी सरकार ने इसे लागू करने का जो अधिसूचना जारी की है उसके लिए में समस्त ब्राह्मण समाज की और से आभार और धन्यावाद प्रकट करता हूँ । उन्होंने कहा कि उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा ने इस बात के लिए संघर्ष किया था कि धौलीधारवासियों को उनकी जमीन का हक मिले, उन्हीं के नक्शेकदम पर आगे बढ़ते हुए एक सांसद के तौर पर मैंने इस मुद्दे को प्राथमिकता के साथ सरकार के समक्ष रखने का काम किया. मुझे खुशी है कि आज हमारी मेहनत रंग लाई, मैं सभी लाभार्थियों को भी बधाई देना चाहता हूं कि आज उन्हें उनका अधिकार मिल गया, और मैं हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी का भी आभारी हूं जिन्होंने इस बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा किया है। हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।
admin
Nov 8, 2024
नीतिगत निरंतरता और सुधारों से शानदार वृद्धि हुई है: सीईओ, नीति आयोग
नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। भारत वैश्विक क्षितिज पर चमकते सितारों में से एक है, नीतिगत निरंतरता और सुधारों से शानदार वृद्धि हुई है। हमने पिछले वित्तीय वर्ष को लगभग 8.2% की वृद्धि दर के साथ समाप्त किया और 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं। आज, वृद्धिशील वैश्विक वृद्धि में हमारा योगदान लगभग 20% है और यह और बढ़ेगा। बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम, सीईओ, नीति आयोग ने एसोचैम द्वारा आयोजित एक विशेष उद्योग संवाद में कहा। 90 के दशक में उदारीकरण के पहले प्रयास ने हमारे लोगों के भीतर छिपी हुई बहुत सी प्रतिभाओं को सामने ला दिया, जिसके परिणामस्वरूप विकास की पहली बड़ी लहर आई। पहले सुधार चुपके से किए जाते थे, लेकिन पिछले 10 वर्षों में सुधारों और सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता के मामले में नाटकीय बदलाव आया है। दिवाला बोर्ड की स्थापना, जीएसटी और डिजिटल बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने जैसे सुधारों ने, व्यापारिक दृष्टिकोण से, जीवन को बहुत आसान बना दिया है। हम दुनिया की सबसे बड़ी आबादी हैं। यह एक बड़ी संपत्ति है क्योंकि अगले 100 वर्षों में, वैश्विक जनसंख्या में कमी आने वाली है। हम दुनिया के कारखाने और सेवा केंद्र बन जाएंगे क्योंकि हमारे पास ऐसे लोग हैं जो काम करेंगे”, उन्होंने कहा। हम अपनी क्षमता के 10% पर हैं और हमें बहुत काम करना है। 2047 तक विकसित भारत को प्राप्त करने के लिए, भारत को एक निर्माण स्थल बनना होगा और वह भारत जिसे हम बनाते हैं, वैश्विक और घरेलू वित्त के लिए हरा और टिकाऊ होना चाहिए। मेरा मानना है कि हम निश्चित रूप से उस क्षमता पर खरा उतर सकते हैं। सरकार ने पारंपरिक 1.4 से पूंजीगत व्यय को जीडीपी अनुपात में 3.2 तक ले जाकर बहुत अच्छा काम किया है एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना को लंबे समय तक जारी रखा जाना चाहिए क्योंकि यह वास्तव में एक जीवन रेखा रही है, और इसने कोविड के बाद उद्योग को बहुत तेजी से उबरने में मदद की है। उन्होंने कहा कि सत्र में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, एसोचैम के अध्यक्ष श्री संजय नायर ने कहा कि नीतिगत स्थिरता और कई प्रभावशाली सुधारों ने आर्थिक प्रगति को बढ़ावा दिया है। उन्होंने व्यापक आर्थिक गति के संकेतक रियल एस्टेट सेक्टर में उल्लेखनीय वृद्धि की ओर इशारा किया। उन्होंने डिजिटलीकरण के लिए सरकार के सफल प्रयास पर भी जोर दिया, जिसने पूरे सिस्टम में सब्सिडी और सुधारों की गहरी पैठ को सक्षम किया है। उन्होंने वित्तीय संस्थानों, विशेष रूप से मजबूत बैंकों की बेहतर ताकत को रेखांकित किया और शेयर बाजार के मजबूत प्रदर्शन पर प्रकाश डाला, जिसमें विदेशी निवेशकों की भागीदारी में वृद्धि हुई है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Nov 8, 2024
पीएचडीसीसीआई प्रतिनिधिमंडल ने बजट-पूर्व ज्ञापन पर राजस्व सचिव से मुलाकात की
नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। पीएचडीसीसीआई के प्रतिनिधि मंडल ने अध्यक्ष हेमंत जैन के नेतृत्व में राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा से मुलाकात कर अगले बजट में व्यक्तियों और सीमित देयता भागीदारी फर्मों के लिए कराधान की दरों में कमी, वैधानिक अवधि शुरू करके फेसलेस अपीलों की तेजी से ट्रैकिंग; पेशेवरों के लिए अनुमानित कर योजना की सीमा में वृद्धि; 14 क्षेत्रों से परे पीएलआई योजना का विस्तार; एनपीए के लिए एमएसएमई के वर्गीकरण मानदंडों में बदलाव और एमएसएमई सेवा निर्यात के लिए शिपमेंट से पहले और बाद के निर्यात ऋण पर ब्याज समानीकरण योजना से संबंधित सुझाव प्रस्तुत किए। पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि पीएचडीसीसीआई को उम्मीद है कि वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट का आकार 48.2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2025-26 के लिए 51 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा और पूंजीगत व्यय का विस्तार वर्ष 2024-25 के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2025-26 के लिए 13 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा। उन्होंने आग्रह किया कि सितंबर 2019 में किए गए संशोधन द्वारा कॉर्पोरेट कर की दरों को अधिभार सहित 25% तक घटा दिया गया है। इस प्रकार, भागीदारी व्यक्तियों और सीमित देयता भागीदारी फर्मों के लिए अधिकतम नियमों को भी 25% पर कम किया जाना चाहिए। अध्यक्ष ने कहा कि हम असाधारण मामलों में भौतिक सीआईटी (ए) के विकल्प की अनुमति देने के लिए वैधानिक अवधि शुरू करके फेसलेस अपीलों को तेजी से ट्रैक करने का सुझाव देते हैं, जिसके भीतर अपील आदेश पारित किया जाना है। सूचीबद्ध शेयरों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ 10% से बढ़कर 12.5% हो गया है और यह अन्य परिसंपत्तियों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के बराबर हो गया है। अब, चूंकि शेयरों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ अन्य परिसंपत्तियों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के बराबर है, इसलिए अनुरोध है कि सुरक्षा लेनदेन कर को समाप्त किया जाए। उन्होंने उद्योग निकाय ने मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने और भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाने के साथ-साथ मुक्त व्यापार समझौतों की समीक्षा करने और देश में व्यापार करने में आसानी को प्राप्त करने के लिए प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और स्वचालित करने का सुझाव दिया। हेमंत जैन ने कहा कि उद्योग निकाय ने जीडीपी में विनिर्माण हिस्सेदारी को जीडीपी के मौजूदा 16% के स्तर से बढ़ाकर 2030 तक 25% करने के लिए और सुधार करने का सुझाव दिया। इसके अलावा, सुधारों में पूंजी की लागत, बिजली की लागत, रसद की लागत, भूमि की लागत और अनुपालन की लागत सहित व्यवसाय करने की लागत को कम करने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। पीएचडीसीसीआई ने औषधीय पौधों, हस्तशिल्प, चमड़ा और जूते, रत्न और आभूषण और अंतरिक्ष क्षेत्र सहित अन्य को शामिल करने के लिए 14 क्षेत्रों से परे पीएलआई योजना का विस्तार करने का सुझाव दिया। जैन ने एमएसएमई के एनपीए के लिए वर्गीकरण मानदंडों में बदलाव और एमएसएमई के लिए पुनर्गठन योजना को आरबीआई द्वारा अनुमोदित करने का सुझाव दिया, एमएसएमई के बकाया को वर्गीकृत करने के लिए 90 दिनों की सीमा को 180 दिन किया जाए। पूर्व और पश्चात शिपमेंट निर्यात ऋण पर ब्याज समतुल्यता योजना केवल एमएसएमई निर्माता और व्यापारी निर्यातकों के लिए ब्याज अनुदान के पात्र लाभार्थियों के रूप में है। एमएसएमई सेवा निर्यातकों को भी ब्याज समतुल्यता योजना के लिए विचार किया जाएगा, श्री हेमंत जैन ने कहा। उद्योग निकाय का कहना है कि एमएसई सुविधा परिषदों को मध्यम उद्यमों को कवर करना चाहिए क्योंकि केवल सूक्ष्म और लघु उद्यम ही अपने विलंबित भुगतानों को एमएसई सुविधा परिषदों को संदर्भित कर सकते हैं, खरीदारों से विलंबित भुगतानों के निपटान के लिए अधिकतम 45 दिनों के भीतर भुगतान के प्रावधान के साथ, यदि खरीद आदेश में कोई निर्दिष्ट भुगतान तिथि नहीं है। प्रतिनिधिमंडल में हेमंत जैन, अध्यक्ष;मुकुल बागला, अध्यक्ष, प्रत्यक्ष कर समिति; प्रमोद कुमार राय, अध्यक्ष, अप्रत्यक्ष कर समिति; डॉ रंजीत मेहता, सीईओ और महासचिव; डॉ एस पी शर्मा, मुख्य अर्थशास्त्री शामिल थे। उप महासचिव और नंदा मिश्रा, संयुक्त सचिव, पीएचडीसीसीआई ने राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय को बजट पूर्व ज्ञापन भी प्रस्तुत किया। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Nov 8, 2024
बौद्ध मूल्य एशियाई राष्ट्रों के लिए बंधन की शक्ति हैं: पहला एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन
नई दिल्ली, 08 नवंबर 2024 (यूटीएन)। एशियाई संस्कृति, परंपरा और मूल्य इतिहास के हमलों को सहते हुए भी अडिग रहें हैं, जो बुद्ध के अंतर्निहित मूल्यों का प्रमाण है। पहले एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि बुद्ध की शिक्षाएं दर्शन शास्त्र के साथ-साथ व्यवहारिक रूप से भी एशिआई राष्ट्रों और संस्कृतियों को संकट के समय में स्थिर रखने में मदद करती हैं। संस्कृति मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) द्वारा आयोजित पहले एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन का विषय था 'एशिया को मजबूत बनाने में बौद्ध धम्म की भूमिका', जिसमें 32 देशों के 160 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। महासंघ के सदस्य, विभिन्न मठवासी परंपराओं के प्रमुख, भिक्षु, भिक्षुणियां, राजनयिक समुदाय के सदस्य, बौद्ध अध्ययन के शिक्षक, विशेषज्ञ और विद्वान, लगभग 700 प्रतिभागियों ने इस विषय पर उत्साहपूर्वक चर्चा की। इसे ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन और महत्वपूर्ण आयोजन बताते हुए वियतनाम के राष्ट्रीय वियतनाम बौद्ध संघ के उपाध्यक्ष थिच थीएन टैम ने कहा कि इसने बौद्ध विरासत के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की है, जिसकी जड़ें यहां हजारों वर्षों से है और जो पूरे एशिया में सांस्कृतिक कूटनीति और आध्यात्मिक समझ को आकार देती रही है। उपाध्यक्ष महोदय ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में वर्तमान समय की वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में बौद्ध धम्म की स्थायी प्रासंगिकता को प्रदर्शित किया है तथा आध्यात्मिक मार्गदर्शक और सांस्कृतिक सेतु के रूप में धम्म की शक्ति को रेखांकित किया है, जो सीमाओं के पार शांति, करुणा और समझ को बढ़ावा देने में सक्षम है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले दो दिनों में हुई चर्चाओं की विविधता और गहराई ने राष्ट्रों को एकजुट करने में बौद्ध धम्म की महत्वपूर्ण भूमिका को सुदृढ़ किया है तथा अहिंसा, नैतिक अखंडता और सामूहिक कल्याण के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता को मजबूत किया है। श्रीलंका से अमरपुरा महानिकाय के महानायके, वासकादुवे महिंदावांसा महानायके थेरो, ने कहा कि यह तथ्य कि विभिन्न परंपराओं के महान गुरु यहां अहिंसा और शांति पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए हैं, जबकि बाहर जो दुनिया है वो बंदूकों और रॉकेटों से अपने और इस ग्रह को नष्ट कर रही है, यह दर्शाता है कि हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। "हमें अपने दिल में उस ऊर्जा को पैदा करना है, उसे फैलाते रहना है; एक दिन निश्चित रूप से हम अपना लक्ष्य प्राप्त करेंगे," उनके उत्साहवर्धक शब्द थे। नेपाल से लुम्बिनी विकास ट्रस्ट के उपाध्यक्ष खेंपो चिमेड ने सुझाव दिया कि इस सभा से पता चलता है कि संघ के कई विद्वान और जानकार सदस्य हैं, यह समय इस महान ज्ञान और ऐतिहासिक ज्ञान को युवा पीढ़ी तक पहुँचाने का है। उन्होंने कहा, "ज्ञान को हस्तांतरित करने के लिए मठवासी शिक्षा के लिए हिमालय में एक शैक्षणिक संस्थान स्थापित करके ऐसा किया जा सकता है।" अपने विशेष संबोधन में, धर्मशाला, भारत से ड्रेपुंग लोसेलिंग मठ के क्यबजे योंगज़िन लिंग रिनपोछे ने कहा कि यद्यपि तिब्बतियों को अपनी भूमि छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था, लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि वे पूरी दुनिया में फैल गए और दुनिया भर में सैकड़ों मठ बन गए। "अब बहुत से लोग बौद्ध धर्म के बारे में जानते हैं, हमें तिब्बती संस्कृति और मूल्यों को संरक्षित करना होगा, और जैसा कि दलाई लामा वकालत करते हैं, प्राचीन भारतीय नालंदा परंपरा को पुनर्जीवित करना होगा। अपने ज्ञान और विशेषज्ञता के साथ मजबूत संबंध बनाएं, आध्यात्मिक रूप से सहयोग करें और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें। आइए हम यहां मौजूद सभी लोगों द्वारा दिखाए गए समर्पण से प्रेरित होकर आगे बढ़ें, "उनके उत्साहवर्धक शब्द थे। अपने समापन भाषण में, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव शत्से खेंसुर जंगचुप चोएडेन ने सभा को आशीर्वाद देते हुए, बुद्ध धम्म की जन्मस्थली से विश्व से बौद्ध मूल्यों को बढ़ावा देने का आह्वान किया, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सद्भाव के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन के समापन पर दिल्ली घोषणापत्र पढ़ते हुए आईबीसी के महानिदेशक श्री अभिजीत हलदर ने कहा कि गहन विचार-विमर्श और साझा आकांक्षाओं का कुल निचोड़ जो सामने आया, उसका उद्देश्य एक दयालु, सामंजस्यपूर्ण और समावेशी एशिया को बढ़ावा देना था। भविष्य में जिन क्षेत्रों में काम करने की आवश्यकता है, वे हैं: बौद्ध धम्म के सिद्धांत के आधार पर एशियाई देशों के बीच संबंधों को मजबूत करना। बौद्ध साहित्य पर काम करना, विशेष रूप से पाली भाषा पर, जिसमें बुद्ध के मूल शब्द, दर्शन और उसको व्यवहारिक रूप देना शामिल है। बौद्ध समुदाय की आध्यात्मिक निरंतरता और आपसी मेलजोल के लिए पवित्र बौद्ध अवशेषों की प्रदर्शनी को और अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। समाज के सभी वर्गों, विशेषकर युवाओं को शामिल करते हुए एक नए मूल्य-आधारित समाज का निर्माण करना, युवाओं को अधिक सक्रिय रूप से शामिल करने की दिशा में कार्य करना। बौद्ध कला और विरासत (वास्तुकला सहित) की ऐतिहासिक यात्रा को बढ़ावा देना और साझा करना। बौद्ध तीर्थयात्रा और जीवंत विरासत के माध्यम से एशियाई बौद्ध सर्किट को जोड़ना। बुद्ध धम्म के वैज्ञानिक और चिकित्सीय पहलुओं की प्रासंगिकता को पहचानना। बुद्ध की शिक्षाएं हम सभी को एकजुट और एक साथ बांधती हैं, जो इसकी समकालीन प्रासंगिकता को सुदृढ़ करती हैं। इस शिखर सम्मेलन में नैतिक शासन, करुणामयी कार्रवाई और सजगता के साथ सतत विकास के लिए मार्गदर्शक ढांचे के रूप में बौद्ध धम्म की भूमिका की पुनः पुष्टि हुई। आईबीसी के महानिदेशक ने कहा कि बौद्ध राष्ट्रों और आईबीसी की सामूहिक प्रतिबद्धता यह सुनिश्चित करेगी कि बुद्ध धम्म का स्थायी संदेश एक सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध भविष्य की ओर एशिया की यात्रा को प्रेरित और समर्थन करना जारी रखे। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Nov 8, 2024