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पीएम विश्वकर्म योजना के अंतर्गत हुनरमंदों को दिया गया प्रशिक्षण

बागपत, 19 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने आईटीआई खेकड़ा में स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के तहत आईटीआई के 64 प्रशिक्षणर्थियों को टेबलेट वितरण किये एवं पीएम विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 17 सितंबर 2023 को कारीगरों और शिल्पकारों को संपूर्ण समर्थन प्रदान करने के लिए किया गया था ।   बता दें कि, यह योजना 18 ट्रेड के उन कारीगरों को सहायता प्रदान करती है जो अपने हाथों और औजारों से काम करते हैं, जिनमें बढ़ई, नाव निर्माता, हथियार बनाने वाला,लोहार, हथौड़ा और औजार किट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला, मोची जूता बनाने वाला पादुकाशिल्पी,राजमिस्त्री टोकरी चटाई/झाडू निर्माता/नारियल रस्सी बुनकर, गुड़िया एवं खिलौना निर्माता, नाई, माला बनाने वाला, धोबी, दर्जी और मछली जाल निर्माता आते हैं।    पीएम विश्वकर्म योजना के अंतर्गत कारीगर और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र द्वारा मान्यता प्रदान की जाती है। चयनितों को 5-7 दिन का बेसिक प्रशिक्षण और 15 दिन या अधिक का ऑनलाइन प्रशिक्षण ₹ 500 प्रतिदिन के स्टाइपेंड और ₹1000 की यात्रा भत्ता के साथ दिया जाता है । उपकरण प्रोत्साहन के लिए यह वाउचर के माध्यम से ₹15000 तक का उपकरण प्रोत्साहन दिया जाता है, जिससे कि कारीगर कहीं से भी खरीद कर सकता है। आईटीआई खेकड़ा में दो लोहार व राजमिस्त्री के बैच को प्रशिक्षण दिया गया।    यह प्रशिक्षण 5 दिन चलेग जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने पीएम विश्वकर्म योजना के पात्र लाभार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए तथा कहा कि, हुनर से देश का नया निर्माण हो रहा है। व्यक्ति के अंदर इच्छा शक्ति होनी चाहिए जिससे वह कुछ भी बड़ा कर सकता है।कहा कि, सीखने की ललक अगर व्यक्ति में है, तो वह अवश्य ऊंचाइयों पर जा सकता है। इस दौरान उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और प्रशंसा की। इस अवसर पर आईटीआई प्रधानाचार्य परवेज खान, जीएमडीआईसी अर्चना तिवारी सहित आदि उपस्थित रहे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Oct 19, 2024

शिक्षा, शिक्षक और शिक्षार्थी के हितचिंतक शिक्षाविद् प्रो बलजीत सिंह आर्य का निधन

बडौत, 19 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। आजीवन शिक्षा,शिक्षक और शिक्षार्थी समाज के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले, आर्य समाज के प्रख्यात विद्वान, अखिल भारतीय वेद प्रचार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, महान शिक्षाविद्, गुरुकुल इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक प्रो बलजीत सिंह आर्य का निधन। क्षेत्र में शोक की लहर। गुरुवार को सुबह 87 वर्ष की आयु में प्रो बलजीत सिंह आर्य ने अंतिम सांस ली, जिससे आर्य समाज सहित बुद्धिजीवी वर्ग और राजनीतिक हल्कों  में शोक की लहर दौड़ गई। प्रो आर्य अपने पीछे भरा पूरा, जिसमें दो पुत्र डा अनिल आर्य क्षेत्रीय महासचिव राष्ट्रीय लोक दल, डा सुनील आर्य व दो पुत्रियाँ हैं।   प्रो आर्य को अंतिम विदाई देने क्षेत्र से सामाजिक, धार्मिक एवं राजनैतिक दलों से जुड़े प्रमुख लोगों ने पहुंच कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उनका आर्य समाज विधि से अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान सांसद डॉ राजकुमार सांगवान, विधायक डा अजय कुमार, रालोद के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व विधायक राजेन्द्र शर्मा वीरपाल राठी, राष्ट्रीय महासचिव सुखबीर सिंह गठीना, अश्विनी तोमर, विश्वास चौधरी, सुरेश मलिक, सुशील वत्स, यतेश चौधरी, जमीरुद्दीन अब्बासी, नीरज पंडित, देवेंद्र धामा, वेदपाल धामा, अमित सोलंकी, भाजपा नेता डा कुलप्रकाश, डा राजीव खोखर सहित गणमान्य लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Oct 19, 2024

प्रवीण हिंगोनिया की फ़िल्म 'नवरस कथा कोलाज' अब 25 अक्टूबर 2024 को होगी रिलीज़

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। कश्मीर से कन्याकुमारी तक सड़क के रास्ते से प्रचार करके फ़िल्म 'नवरस कथा कोलाज' की टीम ने बॉलीवुड के इतिहास में नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। इस फ़िल्म की रिलीज़ को लेकर नया अपडेट सामने आया है, जी हां अब यह फ़िल्म सिनेमाघरों में 25 अक्टूबर 2024 को रिलीज़ होगी, पहले इसका रिलीज़ डेट 18 अक्टूबर था। एसकेएच पटेल और प्रवीण हिंगोनिया द्वारा निर्मित, अभिषेक मिश्रा द्वारा सह-निर्मित, नवरस कथा कोलाज समाज के कई महत्वपूर्ण मुद्दों को छूती है।   निर्माता, अभिनेता और निर्देशक प्रवीण हिंगोनिया इस फ़िल्म को लेकर काफी उत्साहित हैं। उनका मानना है कि लोगों ने हमारी फ़िल्म के ट्रेलर को जितना प्यार दिया है उम्मीद है कि वही प्यार रिलीज़ पर थेटर्स में दर्शक देंगे। उत्तर से लेकर दक्षिण तक अपने शहरों में ग्रुप बनाकर हमारी फिल्म के सामाजिक संदेश के बारे में लोगों ने जागरूकता फैलाई है। 58 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुकी फ़िल्म की टीम ने कश्मीर से यात्रा शुरू की, फिर पंजाब गए, फिर हिमाचल प्रदेश, उसके बाद हरियाणा, पंजाब फिर दिल्ली गए, दिल्ली से उत्तरप्रदेश, यूपी से मध्यप्रदेश गए, फिर राजस्थान गए।   वहां से  गुजरात गए, वहां से महाराष्ट्र आए, फिर तमिलनाडु गए और कन्याकुमारी में कम्पैन खत्म किया। इस दौरान टीम वाघा बॉर्डर, गोल्डन टेंपल, जलियांवाला बाग, खटकर कलां, शहीद भगत सिंह के गांव, ताजमहल सहित कई महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा किया। प्रवीण हिंगोनिया ने लोगों से बात की और दर्शकों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। लेखक, निर्देशक और अभिनेता प्रवीण हिंगोनिया ने इस फिल्म में नौ चुनौतीपूर्ण किरदार निभाए हैं। इस फिल्म के अन्य कलाकार हैं शाजी चौधरी, दयानंद शेट्टी, रेवती पिल्लई, सुनीता जी, महेश शर्मा, प्राची सिन्हा, अमरदीप झा, श्रेया झा, जय शंकर त्रिपाठी, ईशान शंकर और स्वर हिंगोनिया।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 19, 2024

वन्य जीवन सप्ताह के अंतर्गत गिद्धों के संरक्षण पर व्याख्यान

पंचकूला, 19 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। राजकीय महाविद्यालय कालका की प्राचार्या प्रोमिला मलिक के कुशल नेतृत्व में वन्य जीवन सप्ताह के अंतर्गत गिद्धों के संरक्षण के लिए एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कालका महाविद्यालय के एसडीजी क्लब, प्राणी शास्त्र विभाग और जटायु कंजर्वेशन एंड ब्रीडिंग सेंटर के सौजन्य से विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए व्याख्यान का आयोजन किया गया। जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक प्रकाश मेहता ने विद्यार्थियों को गिद्धों के महत्व और उनकी घटती संख्या के बारे में बताया।    प्रकाश मेहता ने बताया कि गिद्धों की पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका और उनकी आबादी में अत्यधिक गिरावट के कारण संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता अनिवार्य हो गई है।त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए बी एन एच एस और हरियाणा वन और वन्य जीव विभाग में पहला संरक्षण अभियान शुरू किया था। इस पहल ने इन-सिट् और एकस-सिट् संरक्षण कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया और गिद्ध संरक्षण के एक प्रमुख घटक के रूप में जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र की स्थापना की।   उन्होंने कहा कि गिद्धों का उल्लेख भारतीय इतिहास में प्राचीन काल से मिलता है जो रामायण के युग तक जाता है। 1980 के दशक तक सफेद पीठ वाले गिद्ध को दुनिया का सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला शिकार पक्षी माना जाता था। 1980 के दशक के अंत तक भारत में लगभग चार करोड़ गिद्धों की आबादी थी। 1990 के दशक की शुरुआत से ही गिद्धों की आबादी में बाहरी गिरावट देखी गई खासकर सफेद पीठ वाले गिद्ध और अन्य प्रजातियों में भी कमी आई।   इस गिरावट का मुख्य कारण मवेशियों में डाइक्लोफिनेक सोडियम और अन्य एन एस ए आई डी एस दवाओं का व्यापक उपयोग था।  प्रस्तुत कार्यक्रम एसडीजी क्लब की प्रभारी प्रोफेसर डॉक्टर नीरू सदस्या डॉ बिंदु रानी, विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर डॉ रामचंद के मार्गदर्शन और दिशा निर्देशन में किया गया। प्रस्तुत कार्यक्रम में डॉ अजीत, डॉक्टर गुरप्रीत, प्रोफेसर डॉक्टर बिंदु, डॉ सरिता और प्रोफेसर डॉ प्रदीप कुमार वैदिक रिसर्चर भी उपस्थित रहे।   हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

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Oct 19, 2024

योगासनों पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन

पंचकूला, 19 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। राजकीय महाविद्यालय कालका की प्राचार्या प्रोमिला मलिक के कुशल नेतृत्व में योग क्लब द्वारा योगासनों पर पोस्टर निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन करवाया गया। प्राचार्या प्रोमिला मलिक ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा की योग आत्म जागरूकता और आत्म अनुशासन को बढ़ावा देता है और हमें जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है।   योग क्लब का उद्देश्य योग मुद्राओं का अभ्यास करते हुए यह सीखना है कि योग का उपयोग तनाव को प्रबंधित करने, मन- शरीर के संबंध में सुधार करने और ताकत और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए कैसे किया जा सकता है। योगासनों पर बनाए गए पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता के परिणाम में प्रथम स्थान पर बी.ए. प्रथम वर्ष के छात्र मोनू रहे।  द्वितीय स्थान पर बी.ए. प्रथम वर्ष से राघव तथा तृतीय स्थान पर बीएससी की छात्रा शिवानी तथा बीए प्रथम वर्ष की छात्रा हरप्रीत कौर रही।   बीए तृतीय वर्ष के छात्र विधान को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रतियोगिता को निष्पक्षता पूर्ण संपन्न कराने का श्रेय निर्णायक मंडल के सदस्य अंग्रेजी विभाग अध्यक्षा प्रोफेसर डॉ मीनू खयालिया और गणित विभाग के डॉक्टर आशीष कुमार को जाता है। प्रतियोगिता को अर्थपूर्ण बनाने और विद्यार्थियों में योग के प्रति जागरूकता लाने में योग क्लब की प्रभारी डॉक्टर गीता कुमारी सदस्य डॉक्टर सुरेश कुमार, डॉक्टर प्रदीप तथा डॉक्टर हरदीप का विशेष योगदान रहा।   हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

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Oct 19, 2024

भारत का पर्यटन और विवाह क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ा सकता है

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने पीएचडीसीसीआई के पहले विवाह पर्यटन शिखर सम्मेलन और एक्सपो का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री मोदी की पहल की बदौलत भारत में लगभग 25-30 करोड़ लोग गरीबी से मध्यम वर्ग में आ गए हैं। 54% आबादी 30 वर्ष से कम आयु की है, घरेलू आय का एक बड़ा हिस्सा शादियों पर खर्च होता है। अगर हम 25 वर्ष और उससे कम आयु वालों पर विचार करें, तो भारत में अगले कुछ वर्षों में लगभग 68 करोड़ लोग विवाह करेंगे, जिससे विवाह उद्योग के लिए अपार संभावनाएं पैदा होंगी, ऐसा केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पीएचडीसीसीआई के पहले वेडिंग टूरिज्म समिट एंड एक्सपो में बोलते हुए कहा, जो 18-19 अक्टूबर 2024 तक आयोजित होने वाला दो दिवसीय कार्यक्रम है।   उन्होंने आगे हेमंत जैन को नया अध्यक्ष बनने के लिए बधाई दी और इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन के लिए पीएचडीसीसीआई की सराहना की। उन्होंने कहा कि हालांकि भारत पर्यटन सूचकांक में 24वें स्थान पर है, लेकिन यह डेटा बड़े पैमाने पर 3-सितारा और उससे ऊपर के होटलों को दर्शाता है। असंगठित क्षेत्र के आंकड़ों को आंकड़ों में नहीं गिना जाता है, इसी तरह हम अक्सर अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को गिनते हैं, लेकिन हर हफ्ते काशी, तिरुपति और उज्जैन आने वाले 10-12 लाख घरेलू तीर्थयात्रियों को नजरअंदाज कर देते हैं माननीय मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत का पर्यटन क्षेत्र, जो सकल घरेलू उत्पाद में 7% और रोजगार में 10-12% का योगदान देता है, में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है। अन्य आयोजनों के लिए विवाह संबंधी बुनियादी ढांचे के उचित उपयोग से, हम विवाह सीजन के 70-75 दिनों से आगे भी इसका उपयोग बढ़ा सकते हैं।   यदि हम इस वृद्धि के साथ-साथ अपने देश की भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता का दोहन करते हैं, तो पर्यटन और विवाह उद्योग 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में प्रमुख चालक हो सकते हैं।पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष हेमंत जैन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत, अपने परिदृश्यों, संस्कृतियों और ऐतिहासिक स्थलों की समृद्ध विविधता के साथ लंबे समय से एक स्वप्निल विवाह स्थल रहा है। भारतीय शादियों की भव्यता, गंतव्य शादियों के बढ़ते चलन के साथ मिलकर पर्यटन के लिए अपार संभावनाएँ प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक विवाह उद्योग का मूल्य 300 बिलियन डॉलर है, जिसमें अकेले भारत का बाजार 50 बिलियन डॉलर का है, जो सालाना 20-25% की दर से बढ़ रहा है। पर्यटन और समारोहों को मिलाकर गंतव्य शादियाँ अब एक बहु-बिलियन डॉलर का उद्योग बन गया है।    जो आतिथ्य और विमानन जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा दे रहा है। पीएचडीसीसीआई का पहला वेडिंग टूरिज्म समिट और एक्सपो अपनी तरह का पहला आयोजन है और इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि सही नीतियों, बुनियादी ढांचे और प्रचार के माध्यम से भारत कैसे एक अग्रणी वैश्विक विवाह स्थल बन सकता है। पीएचडीसीसीआई के पर्यटन और आतिथ्य समिति के वरिष्ठ सदस्य अनिल पाराशर ने चर्चा की कि भारत का पर्यटन उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है। 2023 में, भारत ने 15 मिलियन से अधिक विदेशी पर्यटकों का स्वागत किया, जिससे 30 बिलियन डॉलर से अधिक विदेशी मुद्रा आय हुई। साथ ही, घरेलू पर्यटन भी फल-फूल रहा है, जिसमें सालाना 1.8 बिलियन से अधिक घरेलू यात्राएँ की जाती हैं। यह जीवंत उद्योग समावेशी विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।    क्योंकि यह शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लोगों के जीवन को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि इस व्यापक परिदृश्य में, विवाह पर्यटन विकास और विविधीकरण के एक प्रमुख चालक के रूप में उभरा है। इकोनॉमिस्ट द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, विवाह उद्योग भारत का चौथा सबसे बड़ा उद्योग है, जिसमें प्रति वर्ष 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर का भारी खर्च होता है। उन्होंने कहा कि इसका पर्याप्त पैमाना लाखों लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है। पीएचडीसीसीआई के सीईओ और महासचिव डॉ रणजीत मेहता ने कहा, भारत सरकार की पहल, जैसे वीजा प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने से पिछले साल पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो देश में बेहतर पहुंच और बुनियादी ढांचे के विकास से प्रेरित है। राजस्थान जैसी जगहें पहले से ही शीर्ष विवाह स्थलों की सूची में हैं।    भारत की समृद्ध विरासत, संस्कृति और विविध राज्य इसे पर्यटन के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं। लोगों की सक्रिय भागीदारी के साथ, हम सुझावों, सरकार के फोकस और देश में विवाह पर्यटन पर बढ़ते महत्व की प्रतीक्षा कर रहे हैं, डॉ मेहता ने कहा। इवेंट एंड एंटरटेनमेंट मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष समित गर्ग ने बताया कि भारत के विवाह पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने के लिए ईईएमए की प्रतिबद्धता अतुल्य भारत अभियान यह इस उद्योग की वास्तविक क्षमता को उजागर करने और भारत को शादियों के लिए एक अग्रणी वैश्विक गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए नीति, उद्योग प्रथाओं और नवाचार को संरेखित करने के लिए एक शक्तिशाली मंच है। धन्यवाद ज्ञापन पीएचडीसीसीआई के पर्यटन और आतिथ्य समिति के वरिष्ठ सदस्य राजन सहगल ने दिया। उद्घाटन सत्र के बाद मुख्य अतिथि द्वारा प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 19, 2024

ऑस्कर विजेताओं के साथ बनी विनोद कापड़ी की नई फ़िल्म “पायर” का वर्ल्ड प्रीमियर यूरोप में

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। ऑस्कर विजेताओं के साथ बनी राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार विजेता विनोद कापड़ी की नई फ़िल्म “पायर” (चिता) का वर्ल्ड प्रीमियर, यूरोप के प्रतिष्ठित 28वें टैल्लिन ब्लैक नाइट्स अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म फ़ेस्टिवल में होगा। इस साल टैल्लिन में चुनी गई ये अकेली भारतीय फ़िल्म है। फ़िल्म को वर्ल्ड कंपीटिशन श्रेणी में रखा गया है और प्रीमियर की तारीख़ 19 नवंबर 2024 तय हुई है। टैल्लिन की तरफ़ से ही दुनिया भर से चुनी गई फ़िल्मों की सूची जारी हुई है। “पायर” उत्तराखंड के हिमालय की पृष्ठभूमि में रची 80 साल के दो बुजुर्गों की एक अद्भुत, अनोखी, कलेजा चीर देने वाली अविश्वसनीय प्रेम कहानी है। दिलचस्प बात ये है कि लेखक - निर्देशक विनोद कापड़ी ने फ़िल्म के लीड एक्टर के तौर उन दो बुजुर्ग लोगों पदम सिंह और हीरा देवी को कास्ट किया है, जिन्होंने फ़िल्म की शूटिंग से पहले जीवन ना कभी कोई कैमरा देखा है, ना ही कोई फ़िल्म।   पदम सिंह और हीरा देवी दोनों ही उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले के बेरीनाग तहसील के रहने वाले हैं। पदम सिंह पहले भारतीय सेना में थे और रिटायरमेंट के बाद खेतीबाड़ी करते हैं जबकि हीरा देवी घर में भैंस पालने और जंगल से लकड़ी और घास काटने का काम करती हैं।  डायरेक्टर विनोद ने पहले इस फ़िल्म के लिए नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह को कास्ट किया था। दोनों तैयार भी हो गए थे। लेकिन फिर नसीर साहब ने विनोद के सामने एक संशय रखा कि हिमालय की कहानी में नसीर/रत्ना की कास्टिंग से फ़िल्म की प्रमाणिकता पर असर पड़ सकता है।विनोद ने फिर नए सिरे से कासटिंग  शुरू की और हिमालय के दूर दराज़ के दो दर्जन से ज़्यादा गाँवों में तीन महीने तक भटकने के बाद विनोद को उनके पदम  सिंह और तुलसी देवी मिल ही गए। लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि दोनों ने अपनी ज़िंदगी में कभी भी कैमरे का सामना नहीं किया था।   नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के अनूप त्रिवेदी  के मार्गदर्शन में दो महीने तक चली वर्कशॉप के बाद दोनों कलाकार शूटिंग के लिए तैयार किए गए।  ख़ास बात ये भी है कि पायर की शूटिंग पूरी होने पर फ़िल्म की फ़ुटेज देखने के बाद ऑस्कर विजेता फ़िल्म संगीतकार माइकल डैन्ना  तुरंत “पायर”  के लिए संगीत करने को तैयार हो गए। माइकल को “लाइफ़ ऑफ पाई” के लिए 2012 में ऑस्कर मिला था। जर्मन एडिटर पैट्रिशिया रॉमेल ने फ़िल्म को एडिट किया है।पैट्रिशिया ने  ही “ दि लाइफ़ ऑफ अदर्स” फ़िल्म  को एडिट किया था, जिसे 2006 में सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म का ऑस्कर मिला था। भारत के विलक्षण गीतकार और  “जय हो” जैसे गीत लिख चुके गुलज़ार ने “पायर” के लिए एक गीत लिखा है। विनोद के मुताबिक़- ये उनका परम सौभाग्य है कि विश्व सिनेमा की इन तीन महान हस्तियों ने “पायर” में अपना योगदान दिया है। माइकल और पैट्रिशिया ने तो अपनी फ़ीस 90 फ़ीसदी तक कम कर दी और गुलज़ार साहब ने तो फ़ीस तक लेने से मना कर दिया।गुलज़ार सर ने यहाँ तक कहा कि जिस सिनेमा में उन्हें सत्यजीत राय के सिनेमा की झलक दिख रही हो, उसमें वो फ़ीस कैसे ले सकते हैं?   यह फ़िल्म “पायर”  उत्तराखंड में लगातार हो रहे पलायन के बाद वहाँ ख़ाली हो चुके गाँव , जिन्हें भूतिया गाँव भी कहा जाता है- की पृष्ठभूमि में एक बुजुर्ग दंपत्ति की सच्ची कहानी से प्रभावित है, जिनसे विनोद 2017 में मुनसयारी  के एक गाँव में मिले थे। मृत्यु का इंतज़ार कर रहे इस बुजुर्ग दंपति के एक दूसरे को लेकर प्यार ने विनोद के दिल में ऐसी गहरी छाप छोड़ी कि उन्होंने ये फ़िल्म बनाने का फ़ैसला किया। नॉन एक्टर की इस फ़िल्म को बनाने के लिए जब कोई निर्माता नहीं मिला तो विनोद ने अपने और पत्नी साक्षी जोशी ने खुद ये फ़िल्म बनाने का फ़ैसला किया । भागीरथी फ़िल्म्स की निदेशक साक्षी जोशी का कहना है कि कि “कहानियों और किरदारों को लेकर विनोद के संकल्प पर उन्हें हमेशा से भरोसा रहा है। भारत में स्टूडियो के सहयोग के बिना स्वतंत्र फ़िल्म बनाना मुश्किल काम होता है , लेकिन असंभव नहीं है।”टैल्लिन ब्लैक नाइट फ़िल्म फ़ेस्टिवल में वर्ल्ड प्रीमियर के बाद कम से कम 7-8 महीने तक “पायर” अलग अलग अंतराष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में चलेगा और उसी के बाद फ़िल्म को भारत में रिलीज़ किया जाएगा। निर्माताओं ने आज फ़िल्म का पहला पोस्टर भी जारी किया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 19, 2024

फोर्टिस हॉस्पिटल वसंत कुंज में सबसे अधिक उम्र की भारतीय मरीज की घुटने की सफल रिप्लेसमेंट सर्जरी की गई

नई दिल्ली, 19 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। फोर्टिस हॉस्पिटल वसंत कुंज के चिकित्‍सकों ने 97 वर्षीया महिला के घुटने की सफलतापूर्वक टोटल रिप्‍लेसमेंट सर्जरी की, जिससे गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित होने के बावजूद वह बिना किसी सहारे के चलने-फिरने में सक्षम हुई हैं। फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज के ऑर्थोपेडिक, रिप्लेसमेंट और रिकंस्ट्रक्शन के डायरेक्‍टर डॉ. धनंजय गुप्ता के नेतृत्‍व में यह सर्जरी की गई, जिसमें विभिन्‍न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की टीम ने सहयोग किया और रोगी की सुरक्षित रिकवरी सुनिश्चित की। सफल सर्जरी के बाद रोगी की स्थिति में सुधार होने के बाद अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गई। यह वृद्ध आर्थोपेडिक देखभाल में एक कीर्तिमान है। वह अस्पताल में घुटनों की रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने वाली सबसे अधिक उम्र की भारतीय हैं। मरीज रेशम देवी, जो पिछले 30 वर्षों से वृंदावन के एक आश्रम में स्वतंत्र रूप से रह रही थीं, पिछले साल गिर गईं थीं, जिस की वजह से उनके बाएं कूल्हे में फ्रैक्चर और हड्डी खिसकने की समस्‍या हो गई थी। शुरू में उनकी कमजोर सेहत को देखते हुए उनका सामान्‍य उपचार किया गया, लेकिन कूल्हे में लचीलेपन की विकृति तथा दोनों घुटनों में एडवांस्‍ड ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण उन्हें चलने-फिरने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। बिना किसी की मदद और सम्मान के साथ जीने के लिए दृढ़ संकल्पित देवी ने अपनी मोबिलिटी को पूरी तरह से वापस पाने के लिए दोनों घुटनों की रिप्‍लेसमेंट कराने का निर्णय किया।   अस्‍पताल में भर्ती होने के समय देवी का चलना-फिरना काफी दुष्‍कर था और दोनों घुटनों तथा बाएं कूल्हे में गंभीर दर्द की शिकायत थी। छह महीने से ज्‍यादा समय तक उन्‍होंने व्यापक फिजियोथेरेपी कराई और सर्जरी से पहले की तैयारी की, जिसमें उनकी हड्डियों को मजबूत करने के लिए टेरीपैराटाइड, कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट के इंजेक्शन दिए गए थे। इसके बावजूद, उन्‍हें रोजमर्रा के कामकाज में दिक्कत आ रही थी और वह दूसरों की सहायता पर निर्भर थीं। उनकी उम्र और मामले की जटिलता को देखते हुए डॉ. गुप्ता और उनकी टीम ने शुरू में एक घुटने को रिप्‍लेस कराने की सलाह दी और तीन महीने बाद दूसरे घुटने की रिप्‍लेसमेंट का विकल्प सुझाया। लेकिन देवी ने दोनों घुटनों की रिप्‍लेसमेंट सर्जरी एक साथ कराने की इच्छा व्यक्त की। ब्‍लड, लिवर और किडनी की जांच तथा हृदय संबंधी जांच सहित एनेस्थीसिया-पूर्व गहन जांच के बाद, उन्‍हें दोनों सर्जरी एकसाथ कराने की मंजूरी दे दी गई।बाएं घुटने के सफल रिप्‍लेसमेंट के बाद, सर्जिकल टीम ने देवी के महत्वपूर्ण संकेतों की बारीकी से निगरानी की। कोई प्रतिकूल रीडिंग नहीं मिलने पर उन्होंने दाएं घुटने की रिप्‍लेसमेंट सर्जरी करने का निर्णय किया। सर्जरी के बाद, निगरानी और दर्द प्रबंधन के लिए उन्‍हें रात भर आईसीयू में रखा गया। अगले दिन, वह वॉकर के सहारे चलने-फिरने के लिए तैयार थीं, जो उसके स्वास्थ्य-लाभ के सफर का शुरुआत का संकेत था।    डॉ. धनंजय गुप्‍ता, डायरेक्‍टर, ऑर्थेपेडिक, रिप्‍लेसमेंट और रीकंस्‍ट्रक्‍शन, फोर्टिस हॉस्पिटल वसंत कुंज ने कहा, ‘‘यह काफी चुनौतीपूर्ण मामला था क्योंकि मरीज की उम्र काफी अधिक थी और उनकी स्थिति भी जटिल थी। अगर इस सर्जरी में देर होती, तो उन्‍हें गंभीर रूप से सीमित मोबिलिटी की समस्या बनी रहती, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता और भावनात्मक स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ सकता था। बुजुर्ग मरीजों में चलने-फिरने की समस्‍या चिंता, अवसाद और स्वास्थ्य में सामान्य गिरावट के बढ़ते जोखिम से काफी हद तक जुड़ी हुई है। शारीरिक गतिशीलता बुजुर्गों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हड्डियों और मांसपेशियों के साथ-साथ हृदय और श्वसन तंत्र के स्वास्थ्य को भी बनाए रखने में मदद करती है। हम आशा करते हैं कि देवी की सेहत में व्‍यापक सुधार और दृढ़ संकल्प अन्य लोगों को भी उन समस्‍याओं का समय पर उपचार कराने के लिए प्रेरित करेगा जो रोजमर्रा के कामकाज और जीवन की समग्र गुणवत्ता में बाधा डालती हैं।’’ डॉ. गुरविंदर कौर, फैसिलिटी डायरेक्‍टर, फोर्टिस हॉस्पिटल वसंत कुंज ने कहा, ‘‘यह विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण मामला था लेकिन हमारी समर्पित टीम ने इसे विशेषज्ञता और करुणा के साथ संभाला। फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज अनुभवी चिकित्सकों और एडवांस्‍ड टैक्‍नोलॉजी से लैस है, जो हमें जटिल मामलों को संभालने और उच्च गुणवत्ता वाले परिणाम देने में सक्षम बनाता है। देवी की कहानी प्रेरणादायी है, जो दर्शाती है कि इलाज पाने में उम्र बाधा नहीं बननी चाहिए।’’   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 19, 2024

भारतीय रियल एस्टेट बाजार में लचीलापन और बदलती प्राथमिकताएं दिख रही हैं: फिक्की-एनारोक रिपोर्ट

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) और एनारोक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स ने आज फिक्की रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट समिट के दूसरे संस्करण में अपनी बहुप्रतीक्षित "होमबॉयर सेंटीमेंट सर्वे - एच1 2024" रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में घर खरीदने वालों की प्राथमिकताओं और बाजार की गतिशीलता में महत्वपूर्ण बदलावों का खुलासा किया गया है।   रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों में शामिल हैं:   1. रियल एस्टेट निवेश के लिए सबसे पसंदीदा एसेट क्लास बना हुआ है, जिसमें 59% उत्तरदाताओं ने इसका समर्थन किया है।   2. 67% खरीदार अंतिम उपयोग के लिए संपत्ति चाहते हैं, जबकि 33% निवेश करते हैं।   3. तैयार घरों की मांग में काफी गिरावट आई है। तैयार घरों और नए लॉन्च का अनुपात अब 20:25 है, जबकि H1 2020 में यह 46:18 था।   4. 51% उत्तरदाताओं ने 3BHK इकाइयों को प्राथमिकता दी, जो बड़े घरों की बढ़ती मांग को दर्शाता है।   5. 45 से 90 लाख रुपये का बजट सबसे लोकप्रिय बना हुआ है (35% प्राथमिकता), लेकिन प्रीमियम संपत्तियों की ओर रुझान है। 28% अब 90 लाख और 1.5 करोड़ रुपये के बीच की कीमत वाले घरों को पसंद करते हैं।   6. अपार्टमेंट अभी भी सबसे पसंदीदा संपत्ति प्रकार (58%) हैं, लेकिन आवासीय भूखंड लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं, खासकर दक्षिणी शहरों में।   7. शीर्ष होमबॉयर मांगें समय पर परियोजना पूरी करना (98%), बेहतर निर्माण गुणवत्ता (93%), और अच्छी तरह से हवादार घर (72%) हैं।   8. 57% निवेशक शहरों में बढ़ती किराये की दरों से प्रेरित होकर किराये की आय अर्जित करने के लिए संपत्ति खरीद रहे हैं।   9. 53% से अधिक घर खरीदार मौजूदा किफायती आवास विकल्पों से असंतुष्ट हैं, उन्होंने स्थान, निर्माण गुणवत्ता और इकाई आकार से जुड़ी समस्याओं का हवाला दिया है।   10. 8.5% से कम होम लोन ब्याज दरों का 71% उत्तरदाताओं के लिए खरीद निर्णयों पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, 9% से अधिक की दरें 87% खरीदारों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेंगी।   व्यापक सर्वेक्षण में 14 शहरों के 7,615 प्रतिभागियों से प्रतिक्रियाएँ एकत्र की गईं, जिसमें घर खरीदारों की प्राथमिकताओं में महत्वपूर्ण बदलाव और भारतीय आवासीय रियल एस्टेट बाजार में उभरते रुझान का पता चला। मुख्य भाषण देते हुए, सेबी के कार्यकारी निदेशक प्रमोद राव ने रियल एस्टेट क्षेत्र में सतत विकास को आगे बढ़ाने में नियामक ढांचे के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "उद्योग की दीर्घकालिक सफलता के लिए निवेशकों का विश्वास महत्वपूर्ण है, और सेबी का पारदर्शिता और शासन पर ध्यान इस विश्वास को बनाने में महत्वपूर्ण रहा है।" राव ने जोर दिया कि संस्थागत निवेश को आकर्षित करने में मजबूत अनुपालन और बेहतर प्रकटीकरण महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने प्रक्रियाओं को सरल बनाने और रियल एस्टेट निवेशों को व्यापार योग्य वित्तीय साधनों में बदलने के प्रयासों के लिए एकल डैशबोर्ड डेटा बैंक सहित सेबी की पहलों पर भी प्रकाश डाला, जिससे तरलता और पहुंच को बढ़ावा मिला।   इस अवसर पर, फिक्की के पूर्व अध्यक्ष और शहरी विकास और रियल एस्टेट पर फिक्की समिति के मेंटर  संदीप सोमानी ने कहा, "भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र ने उल्लेखनीय विकास दिखाया है। उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं में तैयार घरों से हटकर निर्माणाधीन संपत्तियों की ओर महत्वपूर्ण बदलाव डेवलपर्स और नियामक वातावरण में बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। यह प्रवृत्ति एक परिपक्व बाजार और रेरा जैसे नियामक उपायों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाती है।" शहरी विकास और रियल एस्टेट पर फिक्की समिति के अध्यक्ष और आरएमजेड कॉरपोरेशन के पर्यवेक्षी बोर्ड के अध्यक्ष श्री राज मेंडा ने कहा, "भारत की आर्थिक वृद्धि रियल एस्टेट क्षेत्र में तेजी से विस्तार कर रही है, आवासीय बाजार के 2029 तक 1.04 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 25.6% सीएजीआर से बढ़ रहा है। यह वृद्धि अल्ट्रा-लक्जरी संपत्तियों और महत्वपूर्ण निवेशों की बढ़ती मांग से प्रेरित है।   वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र भी 1,600 वैश्विक क्षमता केंद्रों और उभरते द्वितीयक बाजारों द्वारा समर्थित है। जैसे-जैसे यह क्षेत्र विकसित होता है, तकनीकी प्रगति और आरईआईटी और संकटग्रस्त संपत्तियों जैसी वैकल्पिक संपत्तियों में रुचि विविधीकरण और वैश्विक रुझानों के साथ संरेखण की आवश्यकता को उजागर करती है, जिससे उद्योग को नए अवसरों के लिए तैयार किया जाता है। एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के अध्यक्ष और संस्थापक अनुज पुरी कहते हैं, "फिक्की-एनारोक उपभोक्ता भावना सर्वेक्षण समय पर और महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वर्तमान बाजार परिवेश में समकालीन घर खरीदारों की प्राथमिकताओं का आकलन करता है और भारतीय आवासीय रियल एस्टेट में वर्तमान में महत्वपूर्ण रुझानों को उजागर करता है। सर्वेक्षण उद्योग के सभी हितधारकों को उपभोक्ता के दृष्टिकोण से भारतीय संपत्ति बाजार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।    जनवरी और जून 2024 के बीच आयोजित, यह सर्वेक्षण उद्योग के सभी हितधारकों को उपभोक्ता के दृष्टिकोण से भारतीय संपत्ति बाजार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इसमें भौगोलिक वितरण, लिंग और आयु के संदर्भ में समग्र जनसंख्या जनसांख्यिकी का उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए सावधानीपूर्वक चुने गए 7,615 प्रतिभागी शामिल थे। टाटा रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रबंध निदेशक और सीईओ संजय दत्त ने रियल एस्टेट क्षेत्र के महत्वपूर्ण विकास पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से पारंपरिक आरईआईटी से छोटे पैमाने के आरईआईटी (एसएम आरईआईटी) में बदलाव के साथ। उन्होंने आंशिक स्वामित्व के लाभों पर जोर दिया, यह देखते हुए कि यह निवेशकों को कम पूंजी प्रतिबद्धताओं के साथ उच्च गुणवत्ता वाली परिसंपत्तियों तक पहुंचने की अनुमति देता है, जिससे रियल एस्टेट निवेश का लोकतंत्रीकरण होता है। दत्त ने सरकार के प्रगतिशील और दूरदर्शी दृष्टिकोण की भी सराहना की।   और इस क्षेत्र में नवाचार और विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के उसके प्रयासों की सराहना की। शहरी विकास और रियल एस्टेट पर फिक्की समिति के सह-अध्यक्ष गौरव पांडे ने कहा, "संस्थागत निवेशक रियल एस्टेट क्षेत्र में बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों के विकास के माध्यम से धन सृजन पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने विभिन्न शहरों की विशिष्ट विकास कहानियों पर प्रकाश डाला, और कहा कि इस संबंध में पुणे अग्रणी है। इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्थिरता सभी बड़े डेवलपर्स के लिए एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता बन गई है, जो जिम्मेदार और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है जो उद्योग के भविष्य को आकार देगी।" अपने संबोधन में, शहरी विकास और रियल एस्टेट पर फिक्की समिति के सह-अध्यक्ष विपुल रूंगटा ने प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए कुशल श्रम और कार्यबल विकास में निवेश के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने उद्योग में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए प्रभावशाली, स्केलेबल समाधान बनाने में निजी क्षेत्र की आवश्यक भूमिका को रेखांकित किया।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Oct 18, 2024

मेरे जीवन के संजीवनी की तरह है आयुर्वेद: भारत के मुख्य न्यायाधीश

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने आयुर्वेद को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि संस्कृत शब्द अयुर (जीवन) और वेद (ज्ञान) से आयुर्वेद का निर्माण हुआ है। यह चिकित्सा की एक पारंपरिक प्रणाली है।   मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह और उनका परिवार काफी सालों से आयुर्वेद का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह आयुर्वेद के प्रबल समर्थक रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने अपने से जुड़ा हुआ एक किस्सा भी सुनाया। इसमें उन्होंने कहा कि आयुष के साथ में मेरा जुड़ाव कोराना काल के दौरान शुरू हुआ था। जब मैं दूसरी और तीसरी बार कोरोना से संक्रमित हुआ था तो मैंने किसी भी एलोपैथिक दवा का इस्तेमाल नहीं किया।   *सीजेआई ने शेयर किया अनुभव* सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि करीब दो साल उनकी बेटी की तबीयत बिगड़ने पर पीजीआई चंडीगढ़ में एडमिट करना पड़ा था। काफी लंबे टाइम तक एलोपैथी की दवाओं का कोई भी असर नजर नहीं आया था। इसके बाद उन्होंने अखिल भारतीय संस्थान की निदेशक डॉ तनुजा नेसारी से बातचीत की। इतना ही नहीं फिर बेटी के आहार में भी बदलाव किया गया था। सीजेआई ने कहा कि आहार में जब बदलाव किया तो 24 घंटे के अंदर ही काफी असर दिखाई दिया।   *सीजेआई ने किया एनएसएसओ की रिपोर्ट का जिक्र* मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय की कुछ दिन पहले आई रिपोर्ट का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 95 फीसदी ग्रामीण और 96 फीसदी शहरी भारतीय अब हमारी पारंपरिक चिकित्सा एक करोड़ लोग कर रहे योग प्रणालियों से अच्छी तरह से परिचित हैं। यह बढ़ती हुई जागरूकता आयुष प्रणालियों की मांग को दिखाती है। यह भारत के स्वास्थ्य परिवेश में आयुर्वेंद की बढ़ती भूमिका को दिखाती है। सीजेआई ने आगे कहा कि इसकी एक तस्वीर यह है कि शहरी और गांव के इलाकों में एक करोड़ से ज्यादा घरों में योग किया जाता है।   *सभी जजों पर काम का काफी दबाव* सीजेआई ने फरवरी के महीने में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में हमारे 2000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। सभी जजों पर भारी रोजाना के काम का काफी प्रेशर होता है। फाइलों को पढ़ रहे हैं और मुझे लगा कि यह जरूरी है कि हम गौर करें। इतना ही नहीं सीजेआई ने यह भी कहा था कि कर्मचारियों के जरिये हम आयुर्वेद की परंपरा के फायदे के बारे में देश के बाकी हिस्सों में प्रचार कर सकते हैं।   *चंद्रचूड़ ने पीएम मोदी के विजन की तारीफ की*  चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री मोदी के विजन की भी तारीफ की। उन्होंने आयुष मंत्रालय की सराहना करते हुए कहा मंत्रालय आयुर्वेद की वैश्विक मान्यता को मजबूत कर रहा है। हमने जी 20, ब्रिक्स और बाकी सम्मेलनों में भी मंत्रालय की लीडरशिप देखी। यह प्राकृतिक इलाज और लोगों के स्वास्थ्य और विकास में योगदान दे रहा है। कार्यक्रम में बोलते हुए, आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, प्रतापराव जाधव ने आयोजकों, प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों को अपनी हार्दिक बधाई और समर्थन दिया।   "जैसा कि हम आयुर्वेद की विशाल क्षमता का पता लगाने के लिए एकत्र हुए हैं, मैं पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकृत करने के लिए आपके समर्पण की सराहना करता हूं, जो समय की मांग है। यह सम्मेलन समग्र स्वास्थ्य सेवा समाधानों की हमारी खोज में एक महत्वपूर्ण कदम है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, हम आयुर्वेद की वैश्विक मान्यता को मजबूत कर रहे हैं। उनके प्रोत्साहन के कारण आयुर्वेद को किसी भी अन्य चिकित्सा पद्धति से अधिक अपनाया जा रहा है। माननीय प्रधानमंत्री के प्रयासों के बाद, आयुर्वेद की विश्वसनीयता भी बढ़ी है, और मैं लाखों लोगों की सेवा करने के लिए आयुर्वेद मंत्रालय को मुझे सौंपने के लिए उनका बहुत आभारी हूं।   मैं प्रधानमंत्री मोदी के विजन के तहत आयुर्वेद मंत्रालय से जुड़ी सभी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हूं। आयुष मंत्रालय अनुसंधान, नवाचार और आयुर्वेद को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा में एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध है।" सम्मेलन के एजेंडे में आयुर्वेद, एथनोमेडिसिन, गुणवत्ता नियंत्रण, मानकीकरण, निदान, दवा वितरण, साक्ष्य-आधारित समझ और वैश्वीकरण सहित कई विषयों को शामिल किया गया। अनुभवी विशेषज्ञों ने आयुर्वेदिक प्रथाओं के व्यावहारिक और सैद्धांतिक ज्ञान को साझा किया। इसमें प्रमुख ब्रांडों और संस्थानों के स्टॉल प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी भी शामिल थी, जो हर्बल उत्पादों, कल्याण समाधानों, आयुर्वेदिक उपचारों, अनुसंधान नवाचारों और शैक्षिक अवसरों के बारे में जानकारी प्रदान करती थी।   हम वास्तव में भारत सरकार, आयुष मंत्रालय को अत्यधिक उदारता, नेतृत्व और पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक अच्छा बनाने की दृष्टि के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं जो दुनिया के सभी लोगों को लाभान्वित कर सकती है। पहले से ही, इस नेतृत्व का वैश्विक प्रभाव हो रहा है। हमने जी20, ब्रिक्स और अन्य क्षेत्रीय सम्मेलनों में नेतृत्व देखा है। पारंपरिक चिकित्सा और सभी लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए इसके योगदान पर ध्यान दें। यह अनुसंधान सहयोग, विधियों और दिशानिर्देशों की प्रगति के साथ तकनीकी प्रभाव भी डाल रहा है। “आयुष मंत्रालय अगले पांच वर्षों में आयुर्वेद की 5 प्रमुख वनस्पति विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम इन वनस्पतियों के लिए विश्व स्तर पर स्वीकृत पारंपरिक चिकित्सा के बराबर एक बेंचमार्क विकसित कर रहे हैं।   इसलिए हमने पहले ही इस पर काम करना शुरू कर दिया है, और यह कुछ बहुत ही नया है और यह है, हम प्रयास के लिए प्रतिबद्ध हैं,” आयुष मंत्रालय के सचिव वीडी राजेश कोटेचा ने कहा जो अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना के बाद से हमने एक साथ की गई अविश्वसनीय यात्रा का उत्सव है,” संस्थान की निदेशक प्रो। (डॉ) तनुजा नेसारी ने कहा। सम्मेलन में तीन दिवसीय कार्यशालाएं और 15 वैज्ञानिक सत्र शामिल हैं, जिसमें 400 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए हैं। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, एफआईजीजेड जर्मनी, एआईएसटी जापान, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया, यूएचएन कनाडा, और आईजीआईबी, एम्स, सीएसआईआर, आईआईटी और अन्य जैसे राष्ट्रीय संस्थानों जैसे प्रमुख संगठनों के साथ शैक्षणिक और वैज्ञानिक सहयोग के माध्यम से 74 से अधिक देशों में वैश्विक उपस्थिति है   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

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