National

केपटाउन और बेंगलुरु की राह पर राजस्थान! अगले साल तक जयपुर, अजमेर, जोधपुर और जैसलमेर में भी होंगे ऐसे ही हालात?

नई दिल्ली, 18 मई 2024  (यूटीएन)। भारतीय विज्ञान संस्थान ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि भारत के कुछ शहर अपनी जल आपूर्ति का कुप्रबंधन जारी रखते हैं तो उन्हें जल्द ही दक्षिण अफ्रीकी शहर केपटाउन से भी बदतर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. दक्षिण अफ्रीकी शहर केपटाउन को 2015 से 2018 के बीच पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा था. लंबे समय तक औसत से भी कम बारिश होने के कारण केपटाउन में यह स्थिति उत्पन्न हुई. कम बारिश के कारण केपटाउन में सूखा पड़ गया. इसके परिणामस्वरूप केपटाउन के जलाशयों में जल स्तर काफी नीचे चला गया था. मार्च 2023 में भारत की सिलिकॉन वैली से मशहूर शहर बेंगलुरु को पानी की गंभीर कमी से जूझना पड़ा.    *क्या है केपटाउन संकट* दक्षिण अफ्रीकी शहर केपटाउन को 2015 से 2018 के बीच पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा था. इसका मुख्य कारण शहर के जलाशयों में पानी का निम्न स्तर था. पानी का जलस्तर इतना नीचे पहुंच गया था कि शहर की जल आपूर्ति पूरी तरह से ठप्प हो सकता था.   मजबूरन अधिकारियों को सख्त वाटर-रेशनिंग मेजर्स को लागू करना पड़ा. केपटाउन की हालत इतनी गंभीर हो गई थी कि डे जीरो की आशंका उत्पन्न हो गई थी. पूरे पश्चिमी केपटाउन में सूखा पड़ गया. हालांकि, सितंबर 2018 के बाद चीजें बेहतर होने लगी और 2020 तक पानी की आपूर्ति सामान्य हो गई.   *बेंगलुरु में पानी की किल्लत के कारण* बेंगलुरु में पानी संकट का मुख्य कारण कावेरी बेसिन में कम बारिश का होना है. शहर की कुल जल आपूर्ति का 60 प्रतिशत कावेरी बेसिन से होता है. लेकिन कम बारिश होने के कारण भूजल स्तर निचले स्तर पर पहुंच गया है. केपटाउन की तरह ही बेंगलुरु का जलस्तर भी अपने निम्न स्तर पर है. इसी इस तरह भी समझा जा सकता है कि जब केपटाउन में जल संकट था उस वक्त केपटाउन के थीवाटरस्क्लोफ बांध अपनी क्षमता का केवल 11.3 प्रतिशत ही भरा था. यही नहर केपटाउन शहर के लिए पानी का एकमात्र बड़ा स्त्रोत था. उसी तरह बेंगलुरु का केआरएस बांध अपनी क्षमता का 28 प्रतिशत से भी कम भरा है. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार का कहना है कि शहर के 13,900 सरकारी बोरवेल में से 6900 सूख गए है. शहर के कई जगह पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से पानी  के टैंकरों पर निर्भर हैं.    *राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है पानी की किल्लत* भूजल विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले साल यानी 2025 तक राजस्थान के जयपुर, अजमेर, जोधपुर समेत तमाम बड़े शहरों में पानी बचेगा ही नहीं. राजस्थान में प्रति वर्ष बारिश और अन्य स्रोतों से जितना पानी रिचार्ज होता है उससे 5.49 बिलियन क्यूबिक मीटर ज्यादा पानी इस्तेमाल हो रहा है. यानी भविष्य  की बचत को आज ही खर्च किया जा रहा है. केंद्रीय भू जल बोर्ड और राजस्थान के भूजल विभाग की डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स रिपोर्ट में जयपुर, अजमेर, जैसलमेर और जोधपुर में पानी की उपलब्धता का आकलन शून्य बताया गया है. मौजूदा हालात भी अच्छे नहीं हैं. भूजल विभाग के चीफ इंजीनियर सूरजभान सिंह का कहना है कि स्थिति काफी भयावह है. आने वाले दिनों में जल संकट और गंभीर होगी.   *संचय की तुलना में खपत ज्यादा* 2025 तक राजस्थान के इन शहरों में भूजल का गतिशील संसाधन शून्य हो जाएगा. यानी इन शहरों में जितना पानी संचय हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा हम जमीन से निकाल रहे हैं. इससे राजस्थान के 302 ब्लॉक्स में से 219 खतरे के निशान से बहुत ऊपर जा चुके हैं. इन्हें अति दोहन की श्रेणी में रखा गया है. शेष में से 22 को क्रिटिकल और 20 को सेमी क्रिटिकल श्रेणी है. सिर्फ 38 ब्लॉक्स जल उपलब्धता के लिहाज से सुरक्षित बताए गए हैं.   *गंभीर होती स्थिति* भूजल सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 40 साल में राजस्थान की स्थिति एकदम बदल गई है. साल 1984 में राजस्थान में 236 ब्लॉक्स में से 203 पीने के लिए सुरक्षित थे. सिर्फ 10 सेमी क्रिटिकल, 11 क्रिटिकल और 12 अति-दोहन वाले थे. उस समय राजस्थान में जितना पानी रिचार्ज होता था उसका 35.75% ही इस्तेमाल होता था. लेकिन 2023 में जितना रिचार्ज होता है, उसका 148.77% खपत हो रहा है.   *क्यों बन रही है ये स्थिति?* कम बारिश के अलावा तेजी और अनियोजित तरीके से हो रहे शहरीकरण जल संकट का एक प्रमुख कारण है. जैसे-जैसे शहर का विस्तार होता है. जल आपूर्ति के लिए बुनियादी ढांचे यानी जलाशय, पाइपलाइन और प्लांट की मांग को व्यवस्थित करने में दिकक्तें आने लगती हैं. इस कारण पानी का रिसाव और अन्य तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

May 18, 2024

इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाने की जरूरत: अमिताभ कांत

नई दिल्ली, 18 मई 2024  (यूटीएन)। भारत के लिए जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सरकार की पहल और परिवर्तन के साथ-साथ क्षेत्र में निजी कंपनियों के योगदान को भी महत्वपूर्ण माना। बता दें, कांत आज नई दिल्ली में सीआईआई द्वारा आयोजित वार्षिक बिजनेस समिट में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि आने वाले पांच वर्षों में कई कार्रवाई होगी।   *इलेक्ट्रिक वाहनों की गति में तेजी लाएं*     कार्यक्रम में अमिताभ ने बताया कि यह बहुत जरूरी है कि हम दोपहिया और तिपहिया वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की गति में तेजी लाएं। सरकार ने पहले ही 10 हजार इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए 57,613 करोड़ रुपये आवंटित कर दिया है। उन्होंने इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और बसों के निर्माण में उछाल की भविष्यवाणी की।     *बैटरी निर्माण में भारत होगा मजबूत*   कांत ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मुझे लगता है कि यह अगली बड़ी चीज होगी। बैटरी निर्माण के लिए प्रोडक्शन इंसेंटिव स्कीम की बोली लगाई है। आपको भारत में टाटा से लेकर रिलायंस और मारुति से लेकर एक्साइड तक कई कंपनियां बैटरी बनाती दिखेंगी।   उन्होंने कहा कि कई कंपनियां बैटरी निर्माण कर रही हैं। यह विकास अगला बड़ा घटक होगा। कांत ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि 2030 तक भारत दोपहिया, तिपहिया और बसों के मामले में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक हो जाए। हमें सुनश्चित करना आवश्यक है कि भारत एक इलेक्ट्रिक वाहन राष्ट्र बन जाए।   *चार वाहनों में विनिर्माण के लिए भारत की नीति*   जी20 शेरपा ने आगे कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन भारत को हरित प्रौद्योगिकी और सतत विकास में अग्रणी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने ईवी उत्पादन में भूमिका निभाने वाली कंपनियों की भी प्रशंसा की। उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को चार पहिया वाहन विनिर्माण करने की नीति भी कम शुल्क दरों के साथ खोली गई है लेकिन वे भारत में निवेश करें।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

May 18, 2024

हम रविवार को आपके मुख्यालय आ रहे हैं, जिसे चाहें, जेल में डाल दें: केजरीवाल

नई दिल्ली, 18 मई 2024  (यूटीएन)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शनिवार को शाम पांच बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोला। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कल दोपहर 12 बजे भाजपा मुख्यालय अपने सभी विधायकों और एमपी व पार्टी के सभी बड़े नेताओं के साथ आ रहे हैं। पीएम मोदी जिस-जिस नेता को गिरफ्तार करना चाहते हैं उन्हें गिरफ्तार कर सकते हैं। यह आप के सभी नेताओं को जेल में डालना चाहते हैं। अब सौरभ, आतिशी और मेरे पीए को जेल में डालना चाहते हैं। प्रधानमंत्री, एक-एक करके क्या आप हम लोगों को गिरफ्तार कर रहे हैं? एक साथ सभी को गिरफ्तार कर लीजिए।   आप देख सकते हैं कि वे किस तरह से 'आप' के पीछे पड़े हैं। मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहूंगा। आप यह 'जेल का खेल' खेल रहे हैं। कल मैं अपने सभी शीर्ष नेताओं, विधायकों, सांसदों के साथ दोपहर 12 बजे भाजपा मुख्यालय आ रहा हूं। आप जिसे चाहें जेल में डाल सकते हैं। हालांकि अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्वाति मालीवाल को लेकर कुछ भी नहीं कहा। इससे पहले माना जा रहा था कि केजरीवाल अपने निजी सचिव बिभव कुमार को लेकर अपनी देश के सामने रखेंगे।   बता दें कि आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी के मामले में बिभव कुमार को आज ही दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद बिभव ने तीस हजारी कोर्ट ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर की जहां से उन्हें राहत नहीं मिली। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।   *कौन है बिभव कुमार* केजरीवाल और बिभव की दोस्ती वर्षों पुरानी है। साल 2015 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बने बिभव कुमार लंबे समय से सीएम के साथ हैं। बिभव का ताल्लुक बिहार से है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल के साथ बिभव की दोस्ती वर्षों पुरानी है।   *बतौर पत्रकार के तौर पर कर चुके हैं काम* बिभव कुमार वीडियो जर्नलिस्ट के तौर पर काम किया करते थे। उनकी मुलाकात अरविंद के साथ हुई और वह इंडिया अगेंस्ट करप्शन मैग्जीन के लिए काम करने लगे। इंडिया अगेंस्ट करप्शन संस्था ने ही साल 2011 में देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था। बिभव शुरू से ही अरविंद के रोजाना के कार्यक्रम व दूसरे काम को देख रहे थे। सरकार बनने के बाद भी वह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दैनिक काम देखा करते थे। हालांकि सतर्कता विभाग ने कुछ सप्ताह पहले ही उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया था।   *बिभव ने की थी स्वाति की शिकायत* बिभव कुमार ने भी शुक्रवार को स्वाति मालीवाल के खिलाफ ई-मेल से शिकायत दी थी। उन्होंने सिविल लाइंस के एसएचओ और उत्तरी जिले के डीसीपी को शुक्रवार को ई-मेल किया। इसमें उन्होंने स्वाति मालीवाल पर उनके और सुरक्षाकर्मियों के साथ बदसलूकी करने को लेकर शिकायत दर्ज करवाई है। बिभव का कहना है कि स्वाति मालीवाल बिना किसी की अनुमति के जबरदस्ती मुख्यमंत्री आवास में घुस गई थीं।   जब उनको आवास में मौजूद पुलिसकर्मियों ने रोका तो उन्होंने उन सभी को धमकी दी। उनसे ऊंची आवाज में बहस की। मालीवाल के सभी आरोप निराधार हैं। शिकायत में यह भी लिखा कि स्वाति सीएम के ड्राइंग रूम में जबरदस्ती घुसी थीं। उन्होंने ने इसका विरोध किया और सामने खड़े हो गए। इस पर स्वाति ने उन्हें धक्का देने की कोशिश की। उनका इरादा मुख्यमंत्री केजरीवाल को फंसाने का था। हालांकि बताया जा रहा है कि बिभव की शिकायत पर अभी तक दिल्ली पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

May 18, 2024

डीयू के पूर्व छात्रों ने आधुनिक सुविधाओं से लैस अध्ययन कक्ष एवं पुस्तकालय विकसित कराया

नई दिल्ली, 18 मई 2024  (यूटीएन)। दिल्ली  विश्वविद्यालय के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के छह पूर्व छात्र व शिक्षकों ने मिलकर पदमश्री डॉ.एस.आर.रंगनाथन के नाम पर डीयू के उत्तरी परिसर में आधुनिक सुविधाओं से लैस अध्ययन कक्ष एवं पुस्तकालय को गोद लिया है , जो पूरी तरह से डिजिटल होगी । विश्वविद्यालय में इस तरह का पहला अध्ययन कक्ष होगा जिसमें 100 छात्र एक साथ बैठकर अध्ययन कर सकेंगे । इस अध्ययन कक्ष में एक ओपन लाइब्रेरी ,10 से अधिक कंप्यूटर वर्क स्टेशन, इंटरनेट के अतिरिक्त ऑडियो -वीडियो की सुविधाएं उपलब्ध कराई है। दिल्ली विश्वविद्यालय की ट्यूटोरियल बिल्डिंग में बनाए गए अध्ययन कक्ष का उद्घाटन डीयू के  कुलपति, प्रोफेसर योगेश सिंह ने किया ।   इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि ,दक्षिणी परिसर निदेशक ,प्रोफेसर श्रीप्रकाश सिंह थे । कार्यक्रम में डीन, प्रोफेसर अमिताव चक्रवर्ती , प्रोफेसर रजनी अब्बी , प्रोफेसर गीता भट्ट ,प्रोफेसर अनिल राय , प्रो.बीपी सिंह , प्रो.एन के. कक्कड़ , प्रो.रविंद्र कुमार ,प्रो.रूपम कपूर , प्रो.ममता शर्मा , प्रो.विजय लक्ष्मी सिंह , प्रो.अमित कुमार सिंह ,प्रो.रंजन त्रिपाठी ,प्रो.नीरा अग्निमित्र ,डॉ. केपी चिन्दा ,डॉ.हंसराज सुमन ,डॉ. मनोज कुमार केन,आदि के अलावा डीन ,कॉलेजों के प्रिंसिपल , विभागों के प्रोफेसर व पीएचडी शोधार्थी भी उपस्थित थे ।    अध्ययन कक्ष के उद्घाटन अवसर पर कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी संस्थान में अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस अध्ययन कक्ष एवं पुस्तकालय एक महत्वपूर्ण संसाधन है, पुस्तकालय के बिना छात्र का ज्ञान अधूरा है उसके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास पुस्तकालय के माध्यम से ही होता है ।   उन्होंने बताया कि नई डिजिटल पुस्तकालय के खुलने से ऐसे लोगों को अवसर मिलेगा जो इस विश्वविद्यालय से शिक्षा  ग्रहण कर रहे हैं या करके चले गए और अब वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं , वे इस अध्ययन कक्ष में बैठकर अध्ययन कर सकेंगे । प्रोफेसर सिंह ने पूर्व छात्रों द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि हमारे बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए इस तरह की  की संस्कृति को बढ़ाने के लिए हर कॉलेज / विभाग के पूर्व छात्रों को आगे आना चाहिए ।   उन्होंने यह आह्वान किया कि जिस तरह से हमारे छह पूर्व छात्रों ने आधुनिक सुविधाओं से अध्ययन कक्ष एवं पुस्तकालय विकसित कराके इसे गोद लिया है , मुझे आशा है कि भविष्य में इस तरह के नेक कार्य से अवश्य कुछ लोग प्रेरणा लेंगे और विकसित भारत बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे । उन्होंने कहा कि आज हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि पढ़ने वाले लोगों के लिए अपने आसपास लाइब्रेरी का निर्माण अवश्य कराए और उस लाइब्रेरी में पुस्तकें दान करें ताकि ज्ञान का ज्यादा से ज्यादा विस्तार हो ।    पुस्तकालय विज्ञान विभाग के प्रोफेसर के.पी. सिंह ने कहा कि पुस्तकालय एक ऐसी संस्था है जिसके माध्यम से छात्रों को सूचना और संसाधनों को सभी तक पहुंचाना है । पुस्तकें छात्र को पढ़ने के लिए तैयार करती है जिससे ज्ञान का विकास होता है , पुस्तकों के बिना छात्रों का कोई अस्तित्व नहीं है । पुस्तकें ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण कर उसे अपनी भाषा , साहित्य , संस्कृति व जन सरोकारों से जोड़ती है ।  वर्तमान पुस्तकालय में भौतिक और डिजिटल रूप में विभिन्न सेवाएं प्रदान की जायेगी । पुस्तकें , पत्र -पत्रिकाएं , ईबुक , ऑडियो बुक ही नहीं बल्कि लाइब्रेरी में कम्प्यूटर , स्मार्ट डिजिटल बोर्ड , डिजिटल पोडियम आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेगी ।   प्रोफेसर सिंह ने बताया है कि दिल्ली  विश्वविद्यालय के किसी  विभाग ने / विश्वविद्यालय के इतिहास में यह पहली बार है कि अपने अल्मा मेटर के ऋृण चुकाने और छात्रों और शोधार्थियों  के लिए बुनियादी ढांचे का एक आत्मनिर्भर मॉडल बनाने के लिए इस तरह की नई पहल की शुरुआत की है । इसमें लेक्चर हॉल अत्याधुनिक सुविधाओं जैसे एयर-कंडीशन, ओपन लाइब्रेरी, वर्कस्टेशन, हाई कॉन्फ़िगरेशन स्मार्ट बोर्ड और शिक्षण और अनुसंधान के लिए अन्य आवश्यक सेवाओं से सुसज्जित बनाया है । उन्होंने यह भी बताया है कि इस अध्ययन कक्ष में किसी भी संकाय से  स्नातकोत्तर व पीएचडी शोधार्थी आकर अध्ययन कर सकेंगे ।   प्रोफेसर के.पी. सिंह ने  बताया कि डॉ. एस.आर. रंगनाथन व्याख्यान कक्ष एवं पुस्तकालय को पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के छह पूर्व छात्रों एवं शिक्षकों ने मिलकर इस अध्ययन कक्ष का निर्माण कर उन्हें समर्पित किया है । प्रोफेसर सिंह ने बताया है कि हम छह छात्र व शिक्षकों का सपना था कि हमारी आने वाली पीढ़ी को विश्व स्तरीय शिक्षण सुविधाएं मिले ताकि वे यहाँ पर अध्ययन करके राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देकर भारत को विकसित भारत बनाने में मदद करें । यह अध्ययन कक्ष प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को भी प्लेटफार्म पर आने का अवसर देगा ।जिसमें 100 छात्र एक साथ बैठकर अध्ययन कर सकेंगे ।   अध्ययन  कक्ष को गोद लेने वालों में पुस्तकालय विज्ञान के छह पूर्व छात्र व शिक्षकों में प्रोफेसर के.पी.सिंह , प्रो.मीरा , डॉ.ज्ञानेन्द्र नारायण सिंह , डॉ. विजय गौतम , डॉ. मनीष कुमार एवं डॉ.पिंकी शर्मा आदि है । पुस्तकालय विज्ञान विभाग के प्रोफेसर ने कुलपति को एक मांग पत्र भी दिया जिसमें नवीन सूचनाओं से जोड़कर लाइब्रेरी के अध्ययन कक्ष को ओर बेहतर बनाने की अपील की । कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का धन्यवाद विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राकेश कुमार भट्ट ने किया ।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

May 18, 2024

बढ़ती उम्र के साथ होने वाले बदलाव पर एम्स रखेगा नजर

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। बढ़ती उम्र के साथ शरीर में होने वाले बदलाव सहित दूसरे कारणों का पता लगाने के लिए एम्स शोध शुरू करेगा। इस शोध के लिए 10 साल से 80 साल की उम्र के लोगों का चयन किया जाएगा। शोध के दौरान इन चयनित लोगों के दिल, दिमाग, मन समेत शरीर के दूसरे अंगों की बनावट और उसमें होने वाले बदलाव का सूक्ष्म स्तर पर अध्ययन किया जाएगा। इसमें देखा जाएगा कि उम्र बढ़ने के साथ इनमें क्या बदलाव होता है।   शोध के लिए कुल 200 लोगों का चयन होगा। इन 200 लोगों को उम्र के आधार पर पांच अलग-अलग ग्रुप में बांटा जाएगा। ग्रुप बनाने के दौरान एक ही परिवार के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि अध्ययन के दौरान पूरी पीढ़ी के कारकों का अध्ययन किया जा सके। यह अध्ययन तीन साल तक चलेगा। अध्ययन के बाद पता चलेगा कि बुजुर्ग होने के साथ शरीर की बनावट व दूसरे हिस्सों में क्या बदलाव आते हैं। इससे भविष्य में होने वाले रोग की पहले ही पहचान हो सकेगी। साथ ही उक्त रोग के कारणों का भी पता चल सकेगा।    विशेषज्ञ बताते हैं कि हर पीढ़ी में कोई न कोई कारण होते हैं जो उम्र बढ़ने के साथ शरीर को कमजोर बनाते हैं। साथ ही शरीर को रोगी भी बनाता है। कारण पता चलने पर उक्त कारकों को पहले ही सुधारा जा सकेगा। राष्ट्रीय वृद्धावस्था केंद्र के अतिरिक्त प्रो. डॉक्टर प्रसून चटर्जी ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ पीढ़ी में होने वाली जटिलताओं को सुलझाने में मदद मिलेगी। शोध के लिए अत्याधुनिक तकनीकों और बहु-विषयक दृष्टिकोण को चुना गया है। शोध के बाद कारणों का पता चल जाएगा। भविष्य में उन कारणों के आधार पर जांच की सुविधा विकसित की जाएगी। साथ ही वैज्ञानिक और स्वास्थ्य देखभाल को भी तैयार किया जा सकेगा।     *शोध में मिलेगा अंतर*    तीन साल तक चलने वाले शोध के दौरान जवान और बुजुर्ग के जीन में बदलाव को देखा जाएगा। साथ ही पता लगाया जाएगा कि किन जीन के कारण भविष्य में रोग हुए हैं और इन रोग के लिए क्या कारक जिम्मेदार हैं। इनका पता चलने के बाद युवावस्था में ही उसका इलाज किया जा सकेगा।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 17, 2024

मुझे सात-आठ थप्पड़ मारे, शरीर के निचले हिस्से पर लात मारी':स्वाति मालीवाल के आरोप

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल ने कुछ दिनों पहले आरोप लगाए थे कि उनके साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास पर सीएम के सहयोगी बिभव कुमार ने मारपीट और बदसलूकी की थी। इस मामले पर आज शुक्रवार को पुलिस ने स्वाति मालीवाल के मजिस्ट्रेट के समाने कलमबंद बयान दर्ज कराए। स्वाति मालीवाल ने एफआईआर में बिभव कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।    स्वाति मालीवाल की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार ने स्वाति मालीवाल को कई बार लात और करीब सात-आठ थप्पड़ मारे। स्वाति जब मदद के लिए चिल्लाने लगीं तब भी बिभव नहीं रुके।   स्वाति ने बताया कि वह लगातार मदद के लिए चिल्ला रही थीं लेकिन बिभव नहीं रुका। आरोप लगाया कि बिभव ने उनकी छाती, पेट और शरीर के निचले हिस्सों पर लात से हमला किया। स्वाति की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें उन्होंने बिभव कुमार को आरोपी बनाया था।    *एफआईआर में स्वाति मालीवाल ने बताई घटना की सच्चाई* दिल्ली पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, मालीवाल ने 13 मई की घटनाओं का जिक्र किया है। जब वह मुख्यमंत्री केजरीवाल के सिविल लाइंस स्थित आवास पर गई थीं। उन्होंने कहा कि मैं कैंप कार्यालय के अंदर गई। सीएम के पीए बिभव कुमार को फोन किया। लेकिन मैं अंदर नहीं जा सकी। फिर मैंने उनके मोबाइल नंबर पर एक मैसेज भेजा था। हालांकि, कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद मैं उनके आवास के परिसर में गई। जहां मैं अक्सर जाती थी।   वहीं बिभव कुमार मौजूद नहीं थे। इसलिए मैंने आवास परिसर में एंट्री की और वहां मौजूद कर्मचारियों को जानकारी दी कि वे यहां सीएम से मिलने के लिए आई हैं। यह सब बातें एफआईआर में लिखी गई हैं। उन्होंने आगे बताया कि मुझे बताया गया कि वह घर में मौजूद हैं और मुझे ड्राइंग रूम में इंतजार करने के लिए कहा है। मैं ड्राइंग रूम में गई और सोफे पर बैठ गई और उनके मिलने का इंतजार किया। मुझे पता चला की सीएम मिलने के लिए आ रहे हैं। लेकिन अचानक पीए बिभव कुमार कमरे में घुस आए।   उन्होंने बिना किसी उकसावे के चिल्लाना शुरू कर दिया। मुझे गालियां भी दीं। मैं स्तब्ध रह गई। इतना ही नहीं मुझे थप्पड़ मारना शुरू कर दिया।   जब मैं लगातार चिल्लाती रही तो मुझे कम से कम सात से आठ बार थप्पड़ मारा। मैं वहां मदद के लिए भी चिल्लाई थी। जानबूझकर मेरी शर्ट ऊपर खींची। उन्होंने बताया कि मैंने उनसे बार-बार कहा कि मैं मासिक धर्म के दौर से गुजर रही हूं। कृपया मुझे जाने दें। लेकिन जाने नहीं दिया। फिर मैं वहीं बैठ गई। मैं ड्राइंग रूम के सोफे पर गई और हमले के दौरान जमीन पर गिरे अपने चश्मे को उठाया। इसके बाद 112 नंबर पर फोन किया और पुलिस को सूचना दी।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

May 17, 2024

भारतीय मसालों पर उठे सवाल तो ऐक्शन में आई सरकार, उठाए कई सख्त कदम

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। भारतीय मसालों को लेकर कई देशों में सवाल उठाए जाने के बाद सरकार ऐक्शन मोड में हैं. भारत से निर्यात होने वाले मसालों में कैंसरकारी रसायन ईटीओ (एथिलीन ऑक्साइड) से जुड़ी शिकायतों को दूर करने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए हैं. शिकायत सामने आने के बाद भारतीय मसालों के निर्यात को वैश्विक जांच का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही भारतीय मसालों को लेकर वाणिज्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि इसका रिजेक्शन रेट बेहद कम है. सैंपल्स की विफलता भी कम है.   *एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों पर सवाल* सरकार की तरफ से कहा गया है कि भारतीय मसालों में कैंसरकारी रसायन ईटीओ (एथिलीन ऑक्साइड) के संदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. भारतीय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसालों में ईटीओ अवशेषों की मौजूदगी के कारण सिंगापुर और हांगकांग में दो भारतीय मसाला ब्रांड के उत्पादों को वापस मंगाने की रिपोर्ट मिलने के बाद ये कदम उठाए गए.    *सरकार ने उठाए कई कदम* वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मसाला बोर्ड ने इन क्षेत्रों में भारतीय मसाला निर्यात की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं.’ बोर्ड ने इन दोनों देशों को भेजी जाने वाली ऐसी निर्यात खेपों का परीक्षण करना अनिवार्य कर दिया है. एक तकनीकी-वैज्ञानिक समिति ने मूल कारण विश्लेषण भी किया है, प्रसंस्करण सुविधाओं का निरीक्षण किया है, और मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में परीक्षण के लिए नमूने एकत्र किए हैं.    *सिंगापुर और हांगकांग ने उठाया मुद्दा* उन्होंने कहा, ‘समिति की सिफारिशों के जवाब में, सात मई, 2024 से सिंगापुर और हांगकांग के लिए सभी मसाला खेप के लिए ईटीओ अवशेषों के अनिवार्य नमूनाकरण और परीक्षण को लागू किया गया है.’ उन्होंने कहा कि सभी निर्यातकों के लिए ईटीओ उपचार के दिशानिर्देश भी दोहराए गए हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने ईटीओ के उपयोग की सीमा तय करने के लिए कोडेक्स समिति के समक्ष भी मामला उठाया है क्योंकि विभिन्न देशों की सीमाएं अलग-अलग हैं.    *ईटीओ परीक्षण के लिए कोई मानक नहीं* इसके अलावा, ईटीओ परीक्षण के लिए कोई मानक नहीं है. भारत ने इसके लिए प्रस्ताव दिया है. मसालों और पाक जड़ी-बूटियों के लिए विश्वव्यापी मानकों को विकसित और विस्तारित करने और मानक विकास प्रक्रिया में अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ परामर्श करने के लिए, सीसीएससीएच (मसालों और पाक जड़ी-बूटियों पर कोडेक्स समिति) का गठन वर्ष 2013 में 100 से अधिक देशों के समर्थन से किया गया था. खाद्य उत्पादों में कुछ हद तक नमूनों की विफलता होती रहती है और भारत में नमूना विफलता एक प्रतिशत से भी कम है.    *सरकार ने जारी की गाइडलाइन* इन वस्तुओं पर कुछ देशों द्वारा गुणवत्ता संबंधी चिंताएं जताए जाने के बीच मसाला बोर्ड ने भारत से भेजे जाने वाले उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड संदूषण को रोकने के लिए निर्यातकों के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं. वर्ष 2023-24 में, भारत का मसाला निर्यात कुल 4.25 अरब डॉलर का था, जो वैश्विक मसाला निर्यात का 12 प्रतिशत है. भारत से निर्यात किए जाने वाले प्रमुख मसालों में मिर्च पाउडर शामिल है, जो 1.3 अरब डॉलर के निर्यात के साथ सूची में सबसे ऊपर है. इसके बाद जीरा 55 करोड़ डॉलर, हल्दी 22 करोड़ डॉलर, इलायची 13 करोड़ डॉलर, मिश्रित मसाले 11 करोड़ डॉलर आदि शामिल हैं. अन्य उल्लेखनीय निर्यात होने वाले मसालेां में हींग, केसर, सौंफ, जायफल, जावित्री, लौंग और दालचीनी हैं.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 17, 2024

मधुमेह, दिल, लिवर व एलर्जी की दवाएं सस्ती

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। मधुमेह, दर्द, दिल, लिवर, इन्फेक्शन व एलर्जी की दवाएं सस्ती हो गई हैं। केंद्र सरकार ने इनकी नई कीमतें तय कर दी हैं। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने 123वीं बैठक में 41 दवाओं तथा सात फॉर्मूलेशन की कीमतें घटाने का फैसला किया। इसके तहत अलग-अलग कंपनियों की दवाओं के खुदरा मूल्य तय किए गए। इनमें मल्टीविटामिन व एंटीबायोटिक दवाएं भी शामिल हैं। एनपीपीए ने अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी।   आमतौर पर इन्फेक्शन, एलर्जी के अलावा मल्टीविटामिन व एंटीबायोटिक दवाओं की कीमतें अधिक होती हैं। इससे सामान्य इलाज का खर्च भी अधिक हो जाता है। इसलिए दवाएं सस्ती होने से लोगों को राहत मिलेगी। फरवरी में एनपीपीए ने शुगर और बीपी सहित 69 दवाओं के दामों में संशोधन करते हुए नई कीमतें लागू की थीं, जिसमें 31 फॉर्मूलेशन वाली दवाएं भी हैं। आदेश में विटामिन डी3, पेंटाप्राजोल, टेल्मिसर्टन, आइसोनियाजिड के अलावा मेटफॉर्मिन, सीटाग्लिप्टिन, बिसोप्रोलोल जैसी दवाएं और फॉर्मूलेशन शामिल हैं।    *30 करोड़ से ज्यादा लोगों को मिलेगी राहत*    देश में 10 करोड़ से ज्यादा शुगर और आठ करोड़ से ज्यादा लोग बीपी से ग्रस्त हैं। इनके अलावा गैस, विटामिन डी या फिर अन्य विटामिन की कमी से इनकी दवाओं का कारोबार भी हर साल तेजी से बढ़ रहा है। अनुमान के मुताबिक, एनपीपीए के इस फैसले से 30 करोड़ से ज्यादा लोगों को सीधे तौर पर राहत मिलेगी।    *थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर किया संशोधन*   एनपीपीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दवाओं को लेकर सीमा मूल्य और खुदरा मूल्य में यह संशोधन थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर तय हुआ है। इसके तहत हाल ही में कोरोनरी स्टेंट की कीमत में बदलाव किया गया था। वर्ष 2013 में थोक मूल्य सूचकांक में 0.00551 फीसदी की वृद्धि हुई। उन्होंने यह भी बताया कि दवा और चिकित्सा उपकरणों की मूल्य निर्धारण सुधारों की देखरेख के लिए जिम्मेदार समिति के विस्तार का फैसला भी लिया है। सरकार पहली बार इस समिति में उद्योग क्षेत्र के प्रतिनिधियों को भी शामिल करेगी।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

May 17, 2024

बार काउंसिल ऑफ इंडिया को न्यायालयों में जनरल काउंसल की उपस्थिति की अनुमति देनी चाहिए

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। एसोचैम भारत जीसी समागम में, मुख्य अतिथि पी के मल्होत्रा, पूर्व सचिव, विधि एवं न्याय मंत्रालय, "जनरल काउंसल: उचित परिश्रम से परे शासन को बढ़ाना" विषय पर चर्चा की, जिसमें भारत के विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक पहुँचने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए नए विनियमों की निगरानी और समायोजन, अनुपालन सुनिश्चित करने और जोखिम को कम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा, ''डिजिटल प्रौद्योगिकी के विकास के कारण अब जनरल काउंसल को डेटा गोपनीयता, साइबर सुरक्षा और बौद्धिक संपदा से संबंधित कानूनी मामलों से निपटना पड़ता है। व्यवसायों पर नैतिक और टिकाऊ प्रथाओं को लागू करने का दबाव बढ़ रहा है''।  उन्होंने मुकदमेबाजी और विवाद समाधान के परिदृश्य पर जोर दिया जो मध्यस्थता और मध्यस्थता जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तरीकों पर अधिक ध्यान देने के साथ विकसित हो रहा है। सामान्य परामर्शदाताओं को इन प्रक्रियाओं के प्रबंधन में निपुण होना चाहिए।   डॉ. रीता वशिष्ठ सदस्य सचिव विधि आयोग ने अपने अतिथि संबोधन में कहा कि वाणिज्यिक कानूनों में सुधार करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे देश के आर्थिक विकास में सहायक हों। विधि आयोग का उद्योग के साथ सहयोग परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 पर अपनी 11वीं रिपोर्ट में अच्छी तरह से परिलक्षित होता है, जिसमें आयोग द्वारा अपनी सिफारिशें करने से पहले विभिन्न वाणिज्यिक निकायों, वाणिज्य मंडलों और उद्योग संघों की राय मांगी गई और उन पर विचार किया गया।   उद्योग और आयोग के बीच ऐसा सहयोग वर्षों से जारी है। अपने विशेष संबोधन में भारत के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि जैसे-जैसे कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर फैलती हैं, सामान्य परामर्शदाताओं को जटिल अंतर्राष्ट्रीय कानूनों, व्यापार विनियमों और सीमा पार लेनदेन को समझना चाहिए। इसके लिए विभिन्न कानूनी प्रणालियों और संस्कृतियों की गहरी समझ की आवश्यकता होती है। एआई और अन्य कानूनी तकनीकों को अपनाने से कानूनी पेशे में बदलाव आ रहा है। सामान्य परामर्शदाताओं को अनुबंध प्रबंधन, अनुपालन, कानूनी शोध और अधिक कुशल सेवा वितरण के लिए इन उपकरणों का लाभ उठाना चाहिए। सेंट्रम लीगल के मैनेजिंग पार्टनर हितेंद्र मेहता ने उद्घाटन भाषण देते हुए बताया कि कॉरपोरेट्स और स्टेकहोल्डर्स ट्रस्ट में अनुपालन प्रबंधन व्यवसायिक संस्थाओं की मदद करने में कुशल है।   उन्होंने कहा कि एआई और अन्य कानूनी तकनीकों को अपनाने से कानूनी पेशे में बदलाव आ रहा है। जनरल काउंसल की भूमिका बहुआयामी है क्योंकि संबंधित व्यक्ति यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी सभी प्रासंगिक कानूनों और विनियमों का अनुपालन करती है। इसमें कानूनी परिवर्तनों पर अपडेट रहना और अनुपालन आवश्यकताओं पर बोर्ड और प्रबंधन को सलाह देना शामिल है। संकट प्रबंधन के बारे में बताते हुए, वेंकेट राव सदस्य, एसोचैम नेशनल काउंसिल ऑन लीगल अफेयर्स एंड रेगुलेटरी रिफॉर्म्स और संस्थापक और प्रबंध भागीदार, इंटिग्रेट लॉ ऑफिस ने कहा कि जी.सी. को मुकदमेबाजी, नियामक जांच और अन्य महत्वपूर्ण कानूनी चुनौतियों जैसे संकटों के दौरान कानूनी प्रतिक्रिया का नेतृत्व करना चाहिए।   जनरल काउंसल इन स्थितियों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए बाहरी कानूनी परामर्शदाताओं और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय करता है। राजिंदर कुमार सह-अध्यक्ष, एसोचैम नेशनल काउंसिल ऑन लीगल अफेयर्स एंड रेगुलेटरी रिफॉर्म्स ने जोर देकर कहा कि जी.सी. कॉरपोरेट गवर्नेंस में बदलाव और स्थिरता के लिए उत्प्रेरक है। उन्होंने शासन ढांचे को मजबूत, कानूनी रूप से अनुपालनीय तथा इसके रणनीतिक उद्देश्यों के अनुरूप बनाने पर जोर दिया।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

May 17, 2024

भारत सभी आवश्यक राष्ट्रीय शक्तियों का विकास करेगा :डॉ. एस. जयशंकर

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, “हमारा दृढ़ विश्वास है कि भारत सभी आवश्यक राष्ट्रीय शक्तियों का विकास करेगा जो आने वाले समय में इसे एक अग्रणी शक्ति बनाएगी”। मंत्री ने कहा कि यह दृष्टिकोण भारत के लोगों की रचनात्मकता और महत्वाकांक्षा की सराहना करता है और इसे आगे बढ़ाने के अवसरों का वादा करता है। डॉ. जयशंकर ने कहा, “वैश्विक स्तर पर भारत के विकास का एक प्रमुख स्रोत होने, आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक मूल्यवान अतिरिक्त और प्रतिभा का एक महत्वपूर्ण पूल होने के बारे में व्यापक सहमति है”। वे आज नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन 2024 के विशेष पूर्ण सत्र में बोल रहे थे, जिसका विषय था ‘भविष्य का जिम्मेदारी से सह-निर्माण: व्यवसाय की भूमिका’। कोविड-19 महामारी के बाद से भारत और दुनिया के सामने आने वाली कई वैश्विक चुनौतियों पर बोलते हुए, डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत ने व्यापक सुधारों और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान देने के साथ पूंजीगत खर्च पर तीव्र ध्यान देने की मदद से मजबूत विकास देखा है। उन्होंने कहा कि इसमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना, व्यापार करने में आसानी के सुधार, बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम, व्यापार वृद्धि के लिए अनुकूल माहौल और स्टार्ट-अप संस्कृति आदि शामिल हैं। दुनिया के सामने आज की कुछ भू-राजनीतिक वास्तविकताओं पर प्रकाश डालते हुए - जिसमें रूस-यूक्रेन संघर्ष, ईरान-इज़राइल संघर्ष का बढ़ना जो संभावित रूप से मध्य पूर्व तक फैल सकता है, ईंधन, खाद्य और उर्वरक के तीन एफ संकट आदि शामिल हैं, डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत का प्रयास इन संकटों के प्रभावों को कम करना होगा, जबकि दुनिया को स्थिर करना जारी रखना होगा। उन्होंने कहा कि यह 'भारत पहले' और 'वसुधैव कुटुम्बकम' का विवेकपूर्ण संयोजन है जो भारत की छवि को "विश्व बंधु" के रूप में परिभाषित करता है। डॉ. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल में भारत के सामने तीन महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं - रोज़गार, खास तौर पर एमएसएमई, तकनीक और राष्ट्रीय सुरक्षा। उन्होंने कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएँ, एमएसएमई के लिए वित्तीय सहायता, विनियामक बाधाओं को दूर करना, व्यवसायों के लिए अनुकूल माहौल बनाना और विनिर्माण को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जैसी नीतियाँ और पहल भारत सरकार द्वारा लगातार की जा रही हैं, जिससे भारत को 2047 तक 'विकसित भारत' या विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करने में मदद मिलेगी। डॉ. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि सुधारों पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने के लिए उद्योग के समर्थन की आवश्यकता है।  भारत के बाहरी जुड़ाव प्रयासों के बारे में विस्तार से बताते हुए, डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत के निर्यात संवर्धन प्रयास मजबूत साझेदारी निर्माण के साथ जारी रहेंगे, लेकिन वर्तमान समय में व्यापार-सामान्य से कहीं अधिक की आवश्यकता है जहाँ 'विश्वास' और 'विश्वसनीयता' महत्वपूर्ण कारक बन जाएँगे। ये आपूर्ति स्रोतों को जोखिम मुक्त करने और संवेदनशील, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग बढ़ाने के क्षेत्रों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होंगे। मंत्री ने कहा कि भारत की आर्थिक प्राथमिकताओं को रणनीतिक हितों के साथ जोड़ना महत्वपूर्ण है, चाहे वह नए बाजारों, प्रौद्योगिकी, निवेश शिक्षा और पर्यटन तक पहुंच के मामले में हो। उन्होंने भारत के लिए लॉजिस्टिक कॉरिडोर बनाने के महत्व पर भी जोर दिया क्योंकि दुनिया भर में नए उत्पादन और उपभोग केंद्र उभर रहे हैं, साथ ही घर पर कौशल के पैमाने और गुणवत्ता का विस्तार करने की आवश्यकता है, क्योंकि एक नया वैश्विक कार्यबल उभर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इसका लक्ष्य भारत को नवाचार, अनुसंधान और डिजाइन का केंद्र बनाना है। सीआईआई के अध्यक्ष श्री आर दिनेश ने कहा कि "विश्वास आधारित साझेदारी को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीयकरण और वैश्वीकरण उद्योग के लिए शीर्ष प्राथमिकताएं बनी रहेंगी"। सत्र में बोलते हुए, सीआईआई के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि विश्वास का निर्माण सीआईआई के लिए इस वर्ष से अगले वर्ष तक शीर्ष प्राथमिकता बनी रहेगी, साथ ही रणनीतिक साझेदारी बनाने और विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।  विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

May 17, 2024