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चुनाव आयोग ने अब तक जब्त किए 8889 करोड़!

नई दिल्ली, 19 मई 2024  (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव 2024 के पांचवे चरण का चुनाव में 2 दिन बचे हैं. इस बीच चुनाव आयोग इलेक्शन के दौरान वोटरों को लुभाने के लिए होने वाले धनबल को रोकने के लिए सख्ती से निपट रहा है. इसी कड़ी में चुनाव आयोग ने आम चुनाव के दौरान अवैध धन, नशीले पदार्थों को जब्त करने का रिकॉर्ड बनाया है. आयोग ने बताया के अब तक चुनाव के समय जब्त की गई चीजों का आंकड़ा 8889 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जिसमें 45% जब्ती दवाओं की है. दरअसल, धनबल के खिलाफ चुनाव आयोग की कार्रवाई में 8889 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं. जिसमें चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव के समय जब्ती का आंकड़ा जल्द ही 9,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा. गौरतलब है कि 45 फीसदी जब्ती ड्रग्स और नशीले पदार्थों की है. जिन पर आयोग का विशेष ध्यान है.   *जब्त की गई चीजों में 45% नशीली दवाएं शामिल* चुनाव आयोग के मुताबिक, इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने लोकसभा चुनावों के प्रलोभन देने वालों पर सख्त से सख्त एक्शन ले रहा है. इस दौरान चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव अवैध धन, नशीले पदार्थ, फ्री बीज और बेशकीमती धातुओं को जब्त करने का रिकॉर्ड जब्ती की है. चुनाव आयोग ने इलेक्शन में काले धन और धनबल के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए आज 8889 करोड़ रुपए किए, जिसमें 45% जब्ती में नशीली दवाओं की मात्रा शामिल है.   *चुनाव आयोग करता रहेगा ऐसी कार्रवाई* चुनाव आयोग ने बताया कि लोकसभा चुनावों की तारीखों के ऐलान के बाद से यानी पांचवे चरण का मतदान शुरू होने से पहले ही 8889 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं. गौरतलब है कि ये रकम 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान हुई कुल जब्ती से भी काफी ज्यादा है. आयोग के मुताबिक, स्थानीय लोग, आयकर, आयकर खुफिया निगरानी विभाग, कस्टम, आबकारी, लोकल पुलिस, पैरामिलेट्री फोर्स के अधिकारियों के सतर्क और तालमेल से ही चुनाव आयोग आगे भी ऐसी ही कार्रवाई सख्ती के साथ करता रहेगा.   *धनबल से होता है चुनाव प्रभावित* पिछले कुछ सालों में गुजरात, पंजाब, मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा और मिजोरम में चुनावों के दौरान बड़ी मात्रा में जब्ती की गई है. आयोग ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पिछले महीने आम चुनाव की घोषणा करते हुए धन बल को एक प्रमुख चुनौती बताया था. उस दौरान चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार में राजनीतिक नेताओं की मदद करने वाले लगभग 106 सरकारी अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया गया है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 19, 2024

हमें संविधान को बचाना है दिल्ली में बीजेपी पर गरजे राहुल गांधी

नई दिल्ली, 19 मई 2024  (यूटीएन)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के चार उम्मीदवारों और कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों के लिए जनता से वोट मांगा. उन्होंने कहा कि इस बार दिलचस्प स्थिति है कि मैं आप पार्टी को वोट दूंगा और केजरीवाल कांग्रेस प्रत्याशी को वोट देंगे. कांग्रेस नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में दिल्ली में सभा की. इस सभा से राहुल गांधी ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोलते हुए आम लोगों से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को जीतने की अपील की. उन्होंने कहा कि हमारा मूल उद्देश्य संविधान को बचाना है.   राहुल गांधी ने चांदनी चौक के लिए जेपी अग्रवाल का विजन डॉक्यूमेंट रिलीज किया. राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सभी बब्बर शेर कार्यकर्ताओं का स्वागत है. इस अवसर पर राहुल गांधी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के चार उम्मीदवारों और कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों के लिए जनता से वोट मांगा. उन्होंने कहा कि इस बार दिलचस्प स्थिति है कि मैं आप पार्टी को वोट दूंगा और केजरीवाल कांग्रेस प्रत्याशी को वोट देंगे.   *चांदनी चौक के व्यापारियों से किया वादा* राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी ने 22-25 लोगों के लिए काम किया. चांदनी चौक के छोटे उद्यमी, व्यापारियों के लिए एक काम नरेंद्र मोदी ने किया तो बताइए? नोटबंदी से आपका नुकसान हुआ. हजारों दुकानें बंद हो गई. गलत जीएसटी से एक्सटॉर्शन बढ़ाया. उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने छोटे व्यापारियों का एक रुपया माफ नहीं किया. गरीब किसानों का एक पैसा माफ नहीं किया. अडानी-अंबानी को 17 हज़ार करोड़ माफ कर दिया. मोदी सरकार ने रेलवे से लेकर लाल किला तक प्राइवेट कर दिया.   *पीएम मोदी पर बोला हमला* राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि आपने शी जिनपिंग को झूला झुलाया, लेकिन वो दिल्ली जितनी जमीन हड़प गया, आपने क्या किया? उन्होंने सवाल किया कि अग्निवीर योजना क्यों लाये? राहुल गांधी ने कहा कि मैंने ठकाठक एक बार बोला अब मोदी अपने सभी भाषणों में ये बोलते हैं. उन्होंने कहा कि अगर आप 22 अरबपति बना सकते हो तो हम करोड़ों लखपति बना सकते हैं. महालक्ष्मी योजना मोदी को डिस्टर्ब कर रही है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 19, 2024

50 साल पहले छोड़ा परिवार, 140 करोड़ देशवासी ही मेरे वारिस', दिल्ली में बोले पीएम मोदी

नई दिल्ली, 19 मई 2024  (यूटीएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजधानी दिल्ली में पहली जनसभा को संबोधित किया। उत्तर पूर्वी दिल्ली के करतार नगर इलाके में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की जनता के लिए मेरा पल-पल और कण-कण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी उम्मीदवार मनोज तिवारी, हर्ष मल्होत्रा एवं प्रवीण खंडेलवाल के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 50-60 साल पहले, मैं अपना घर छोड़कर निकला था, तब मुझे भी पता नहीं था कि एक दिन लाल किले पर तिरंगा फहराऊंगा. उन्होंने आगे कहा कि तब मुझे पता नहीं था कि 140 करोड़ भारतीय मेरा परिवार बन जाएंगे. पीएम ने कहा कि न अपने​ लिए मैं जिया हूं न ही अपने लिए मैं जन्मा हूं. मैं आपके लिए, आपके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए जी-जान से खप रहा हूं. पीएम ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में इंडी गठबंधन के नेता जेल जा रहे हैं।   पीएम ने दिल्ली की सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदावारों को वोट देने की अपील की। जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2024 का ये चुनाव भारत को टॉप 3 अर्थव्यवस्था में लाने के लिए है. 2024 का ये चुनाव भारत की अर्थव्यवस्था उन ताकतों से बचाने के लिए है जो अपनी आर्थिक नीतियों से भारत को दिवालिया कर देना चाहते हैं. पीएम ने कहा कि 2024 का ये चुनाव भारत के युवाओं के लिए नए अवसर बनाने के लिए हैं.   *नया संसद भवन हमारी शान बढ़ा रहा*  पीएम मोदी ने आगे कहा कि देश की राजधानी को दुनिया में प्रतिष्ठा मिले और देश की राजधानी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बने. इसलिए इस देश को फिर एक बार मोदी की सरकार चाहिए. पीएम ने कहा कि आपने G20 सम्मेलन के दौरान देखा है कि कैसे दुनिया के शीर्ष नेता दिल्ली को देखकर हैरान थे. उन्होंने कहा कि आज यहां भारत मंडपम और यशोभूमि जैसे आधुनिक कन्वेंशन सेंटर बन रहे हैं. साथ ही नया संसद भवन हमारी शान बढ़ा रहा है.   *जवानों को 70 साल करना पड़ा 'पुलिस मेमोरियल' का इंतजार* रैली में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के बाद देश के जवान 'नेशनल वार मेमोरियल' की मांग करते रहे. देश का दुर्भाग्य देखिए, जब तक मोदी नहीं आया, देश की सरकारों को देश के वीर जवानों के सम्मान में 'वार मेमोरियल' बनाने का महत्व समझ नहीं आया. पीएम ने कहा कि देश में लोगों की रक्षा करते-करते करीब 35 हजार पुलिस के जवान शहीद हुए हैं. इसके साथ ही पुलिस मेमोरियल' के लिए देश के पुलिस जवानों को 70 साल इंतजार करना पड़ा. मोदी आया तब बना.   *कांग्रेस की 4 पीढ़ियों ने दिल्ली पर किया राज* पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की 4 पीढ़ियों ने दिल्ली पर राज किया, लेकिन आज इनमें दिल्ली की 4 सीट पर लड़ने की ताकत नहीं रही. उन्होंने कहा कि  कांग्रेस वहां भी नहीं लड़ पा रही है, जहां इनका 10 जनपथ का दरबार है.   *इंडी गठबंधन पर पीएम ने साधा निशाना* दिल्ली की रैली में पीएम मोदी ने इंडी गठंबधन को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि  ये मौका परस्त गठबंधन तुष्टिकरण के लिए देश में हिंसा भी फैला सकता। याद कीजिए, जब सीएए कानून आया था, तब इन्होंने महीनों के लिए दिल्ली को बंधक बना दिया था। पहले रास्ते रोके, फिर दंगे कराए। लेकिन आज इनके झूठ का पर्दाफाश हो चुका हैा दिल्ली में वर्षों से रह रहे शरणार्थियों को नागरिकता मिल रही है।   *24x7 मोदी की गारंटी* पीएम मोदी ने कहा कि दिल्ली में आपके आशीर्वाद से हमारे सभी प्रत्याशी विजयी हों। आपका प्यार मेरे सिर आंखों पर है। 24x7 मोदी की गारंटी है। दिल्ली में हमारे उम्मीदवारों की विजय हो, इसके लिए वोट करिए। इस दौरान पीएम मोदी को भीड़ शांत करानी पड़ी। लोग ज्यादा उत्साह में दिखे। खंबे पर चढ़े लोगों को उतरने की अपील की गई।   *ये चुनाव भारत को टॉप तीन अर्थव्यवस्था में लाने का है* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2024 का ये चुनाव भारत को टॉप तीन अर्थव्यवस्था में लाने के लिए है। 2024 का ये चुनाव भारत की अर्थव्यवस्था उन ताकतों से बचाने के लिए है जो अपनी आर्थिक नीतियों से भारत को दिवालिया कर देना चाहते हैं। 2024 का ये चुनाव भारत के युवाओं के लिए नए अवसर बनाने के लिए हैं।   *मंच पर पीएम मोदी का हुआ स्वागत* उत्तर-पूर्वी दिल्ली से प्रत्याशी मनोज तिवारी ने मंच पर पीएम मोदी का स्वागत किया। पीएम के मंच पर पहुंचने के बाद वहां मौजूद लोगों ने मोबाइल की टॉर्च जलाकर पीएम मोदी का स्वागत भी किया। पहली बार पीएम मोदी इस क्षेत्र में पहुंचे हैं।    *अरविंदर सिंह लवली ने स्वाति मालीवाल मामले की टिप्पणी* मंच से भाजपा नेता अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि बात वहां भी यही होती है कि आएंगे तो मोदी ही। बड़े शर्म की बात है कि सीएम अरविंद केजरीवाल के घर के भीतर एक महिला को मारा पीटा जाता है। केजरीवाल इस विषय में एक शब्द नहीं बोलते है। उन्होंने आगे कहा कि इस बार भी दिल्ली में भाजपा सातों सीटें जीत रही है। पीएम मोदी की रैली को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली से भाजपा उम्मीदवार और वर्तमान संसद मनोज तिवारी ने कहा कि यह पहली बार है जब देश के प्रधानमंत्री इस इलाके में आ रहे हैं। यह मेरे संसदीय क्षेत्र के लिए अच्छा है। उनके साथ विदेशी प्रतिनिधिमंडल भी आज आ रहा है।   *भाषण के दौरान विदेशी राजनयिक भी रहे मौजूद* ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, रूस, नेपाल, भूटान, इंडोनेशिया सहित 13 देशों के 25 विदेशी राजनयिकों ने आज 18 मई को भारतीय लोकतंत्र के पर्यवेक्षक के रूप में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की जन सभा में भाग लिया।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 19, 2024

डीयू कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने से पहले पिछले 5 वर्षों के आंकड़े मंगवाने की मांग

नई दिल्ली, 19 मई 2024  (यूटीएन)। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस ( दिल्ली विश्वविद्यालय ) के चेयरमैन व पूर्व डीयू एडमिशन कमेटी के सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि शैक्षिक सत्र --2024 --25 में  दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में यूजी, पीजी , पीएचडी , बीएड , एमएड , बी.लिब , एम. लिब , बीएएलएड,  डिप्लोमा कोर्स , सर्टिफिकेट कोर्स आदि पाठ्यक्रमों में एससी, एसटी, ओबीसी ,पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस कोटे में  एडमिशन प्रक्रिया शुरू करने से पहले विश्वविद्यालय प्रशासन डीयू के विभागों व कॉलेजों के प्रिंसिपल / संस्थानों के निदेशकों को सर्कुलर जारी करके उनसे  पिछले पांच वर्षों के आंकड़े मंगवाकर उनकी जांच करवाएं , पता चलेगा कि कॉलेजों ने अपने यहां स्वीकृत सीटों से ज्यादा एडमिशन दिया लेकिन उन्होंने सामान्य सीटों की एवज में एससी/एसटी , ओबीसी , ईडब्ल्यूएस व पीडब्ल्यूडी कोटे की सीटों को नहीं भरा । बता दें कि  गत वर्ष भी नार्थ कैम्पस व साउथ कैम्पस के बेहतर कॉलेजों में बहुत से पाठ्यक्रमों में सीटें खाली रह गई ।   उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि कुछ कॉलेज यूजीसी व शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी  आरक्षण संबंधी दिशा निर्देशों का पालन नहीं करते । डॉ. सुमन ने पत्र में लिखा है और बताया है कि डीयू के विभागों में लगभग-80  विभाग जहां  स्नातकोत्तर डिग्री, पीएचडी, सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा कोर्स , डिग्री कोर्स आदि कराएं जाते हैं। इसी तरह से दिल्ली विश्वविद्यालय में तकरीबन 79  कॉलेज है जिनमे स्नातक, स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती है। इन कॉलेजों व विभागों में हर साल स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर  ईडब्ल्यूएस कोटा बढ़ने के बाद लगभग 72 हजार से अधिक  छात्र-छात्राओं के प्रवेश होते हैं। डॉ. सुमन ने बताया है कि डीयू कॉलेजों में हर साल  स्वीकृत सीटों से 10 फीसदी ज्यादा एडमिशन होते है ।  उन्होंने यह भी बताया है कि  कॉलेज अपने स्तर पर 10 फीसदी सीटें बढ़ा लेते हैं। बढ़ी हुई सीटों पर अधिकांश कॉलेज आरक्षित वर्गों की सीटें नहीं भरते। उन्होंने बताया है कि पिछले चार साल से  सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए 10 फीसदी आरक्षण दिया गया है। जो अब बढ़कर 25 फीसदी सीटों का इजाफा हो चुका है । इन वर्गों के छात्रों की सीटें भी खाली रह जाती है ।  इस तरह से विश्वविद्यालय के आंकड़ों की माने तो 72 हजार से ज्यादा सीटों पर हर साल एडमिशन होता है फिर भी एससी /एसटी , ओबीसी व पीडब्ल्यूडी छात्रों की सीटें खाली रह जाती है । बता दें कि आरक्षित सीटों को भरने के लिए विश्वविद्यालय के पास छात्र होते हैं लेकिन परसेंटेज कम नहीं की जाती जिसके कारण सीटें खाली रह जाती है ।    डॉ. सुमन ने यह भी बताया है कि डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर आरक्षित सीटों को भरने के लिए कई स्पेशल स्पॉट राउंड चलाते है लेकिन  उसमें भी जो कट ऑफ जारी की जाती है  मामूली छूट दी जाती है जिससे एससी, एसटी, ओबीसी कोटे की सीटें कभी पूरी नहीं भरी जाती । ये सीटें हर साल खाली रह जाती है। गत वर्ष भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आरक्षित सीटों को भरने के लिए कई "स्पेशल स्पॉट राउंड " चलाये गए  लेकिन कट ऑफ कम नहीं किए जाने के कारण आरक्षित वर्गो के विद्यार्थियों की सीटें खाली रह गई । उनका कहना है कि कॉलेज प्रशासन व डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर यदि चाहते तो कट ऑफ कम करके सीटों को भरा जा सकता था । उनका कहना है कि इस बार यदि विश्वविद्यालय प्रशासन इंट्रेंस टेस्ट से पूर्व कॉलेजों से स्वीकृत सीटों के आंकड़े मंगवा ले और हर लिस्ट के बाद सीटों का ब्यौरा रखें तो काफी हद तक समस्या का समाधान हो सकता है । यदि उसके बाद भी कॉलेज आरक्षित कोटा पूरा नहीं करते है तो उनका अनुदान बंद कर देना चाहिए । उनका यह भी कहना है कि एडमिशन लेने वाले तमाम छात्रों की सूची कॉलेज व विश्वविद्यालय वेबसाइट पर डाला जाए । उन्होंने यह भी बताया है कि एससी/एसटी व ओबीसी के बहुत से छात्र कॉलेज छोड़कर चले जाते है या बीच में ( ड्रॉप आउट ) छोड़कर चले जाते है उसके भी आंकड़े कॉलेज नहीं देते । डॉ.सुमन ने कॉलेजों से छात्रों की सीटों का बैकलॉग , शॉर्टफाल व ड्रॉप आउट स्टूडेंट्स का डाटा मंगवाने की भी मांग की है जिससे एडमिशन की प्रक्रिया आसान हो जाएगी ।    *कॉलेजों में बने सेल*    डॉ. सुमन ने यह भी बताया है कि यूजीसी के सख्त निर्देश है कि हर कॉलेज में एससी, एसटी और ओबीसी सेल की स्थापना की जाये। एडमिशन की प्रक्रिया को देखने के लिए मोनेटरिंग कमेटी बनाई जाए , इसके अलावा छात्रों , कर्मचारियों व शिक्षकों की समस्याओं के समाधान करने हेतु ग्रीवेंस कमेटी  बने । उन्होंने बताया है कि  कुछ कॉलेजों ने इन कमेटियों /सेल की स्थापना की है । इनको चलाने के लिए आरक्षित वर्ग से शिक्षकों की नियुक्ति भी की है लेकिन ये सेल कोई काम नहीं करते , केवल कागजों में कार्य कर रहे हैं। सेल में नियुक्त किए गए शिक्षकों का कहना है कि उन्हें किसी तरह की कोई पावर नहीं दी गई जिसके आधार पर विश्वविद्यालय को लिखा जाए। साथ ही सेल में प्रिंसिपलों द्वारा ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है जो उनके चहेते होते है ।  उन्होंने यह भी बताया है कि प्रत्येक कॉलेज में आरक्षित वर्गो के शिक्षकों/कर्मचारियों/छात्रों के लिए ग्रीवेंस सेल बनाया गया है। इस सेल का कार्य आरक्षित वर्ग के व्यक्तियों के साथ होने वाले  जातीय भेदभाव, नियुक्ति, पदोन्नति व प्रवेश आदि समस्याओं का समाधान समय--समय पर कराना है। साथ ही समय-समय पर यूजीसी को आरक्षित शिक्षकों/कर्मचारियों/ छात्रों की रिपोर्ट तैयार कर यूजीसी, शिक्षा मंत्रालय , संसदीय समिति व एससी/एसटी कमीशन को उनके आंकड़े भेजना आदि है ।   उनका कहना है कि यदि ग्रीवेंस सेल सही ढंग से अपनी भूमिका का निर्वाह करे तो कॉलेजों में होने वाले एडमिशन, अपॉइंटमेंट और प्रमोशन संबंधी कोई समस्या न हो लेकिन ये सेल प्रिंसिपलों के इशारों पर कार्य करते हैं। फोरम  ने वीसी को लिखे पत्र में मांग की है कि शैक्षिक सत्र 2024-25 की  एडमिशन प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व छात्रों के कॉलेजों/ विभागों से आंकड़े मंगवाये। उनका कहना है कि यदि संभव हो तो दिल्ली यूनिवर्सिटी अपने स्तर पर कॉलेजों के लिए अलग से एक मॉनिटरिंग कमेटी गठित करे। इस कमेटी में आरक्षित वर्गों के शिक्षकों को ही रखा जाए । कमेटी इन कॉलेजों का दौरा कर शिक्षकों/कर्मचारियों/छात्रों से उनकी समस्याओं पर बातचीत करे। उन्होंने बताया है कि इन कॉलेजों में सबसे ज्यादा समस्या शिक्षकों का रोस्टर, स्थायी नियुक्ति, पदोन्नति के अलावा कर्मचारियों की नियुक्ति, पदोन्नति, पेंशन के अतिरिक्त छात्रों के प्रवेश संबंधी समस्या, छात्रवृत्ति का समय पर ना मिलना, रिमेडियल क्लासेज न लगना , सर्विस के लिए स्पेशल क्लासिज , स्पेशल कोचिंग एससी, एसटी व ओबीसी के छात्रों के सामने आती है ।   इनके सामने आने वाली समस्याओं पर उन छात्रों से बातचीत करे साथ ही कॉलेजों में जिन सुविधाओं का अभाव है उस पर एक रिपोर्ट तैयार करे। कमेटी इस रिपोर्ट को यूजीसी, एमएचआरडी,, एससी, एसटी कमीशन, संसदीय समिति को भेजे। इसके अलावा इस रिपोर्ट को मीडिया में सार्वजनिक करे ताकि आम आदमी को पता चल सके कि विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में किस तरह से भेदभाव की नीति अपनाई जाती है। फोरम ने वीसी से यह भी मांग है कि यूजीसी व शिक्षा मंत्रालय द्वारा समय-समय पर  केंद्र सरकार की आरक्षण संबंधी सर्कुलर जारी करती है ताकि इन सुविधाओं का लाभ आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों को मिले इसके लिए उसे विश्वविद्यालय,कॉलेज,संस्था को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना होता है लेकिन कोई भी कॉलेज रोस्टर, छात्रों के प्रवेश संबंधी आंकड़े, शिक्षकों के खाली पदों की संख्या , कर्मचारियों के पदों की जानकारी आदि को वेबसाइट पर नहीं डालते जबकि यूजीसी हर साल आरक्षण संबंधी जानकारी को वेबसाइट पर अपलोड़ करने संबंधी सर्कुलर जारी करता है। इस संदर्भ में भी कॉलेज प्रिंसिपलों को सर्कुलर जारी किया जाये और उनसे कॉलेज का एडमिशन बुलेटिन व प्रोस्पेक्टस की कॉपी मंगवाई जाए ताकि कितने छात्रों का इस वर्ष एडमिशन होगा ।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 19, 2024

अर्थव्यवस्था में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ाने का अवसर और आवश्यकता है:डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन

नई दिल्ली, 18 मई 2024  (यूटीएन)। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन ने कहा, "अर्थव्यवस्था में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ाने और इसके परिणामस्वरूप कम और अर्ध-कुशल नौकरियों के सृजन के साथ-साथ समग्र रोजगार सृजन को सुविधाजनक बनाने का अवसर और आवश्यकता है।" वे आज नई दिल्ली में सीआईआई के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन में "भविष्य का जिम्मेदारी से सह-निर्माण: व्यापार की भूमिका" विषय पर आयोजित सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, ऐसे महत्वपूर्ण मील के पत्थर के साथ-साथ आकांक्षाएं भी बढ़ रही हैं। उन्होंने आगे कहा, "इन आकांक्षाओं को पहचानना और बेहतर जीवन स्तर के लिए उन्हें पूरा करने का प्रयास करना महत्वपूर्ण है।" विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने के लिए भारत के कुछ प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर विस्तार से चर्चा करते हुए डॉ. नागेश्वरन ने कहा कि उच्च आर्थिक विकास संभावनाओं को प्राप्त करने के लिए मानव संसाधन विकास में सुधार महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में शहरों के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि चूंकि शहर उद्यमशीलता, नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं, इसलिए भारत के टियर 2 और टियर 3 शहरों को विकास के इंजन में बदलना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सीखने के परिणामों में सुधार, देश के युवाओं को एआई अपनाने के लिए तैयार करना और साथ ही युवा समूह के शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी प्रमुख फोकस क्षेत्र थे। डॉ. नागेश्वरन ने कहा कि 'मिटलस्टैंड' या जीवंत लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र का निर्माण अनिवार्य है। उन्होंने इस संबंध में एमएसएमई के लिए विनियमन या हल्के अनुपालन बोझ के महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही, उन्होंने कहा कि भूमि और श्रम बाजार जैसे उत्पादन के कारकों को संबोधित करने और तेजी से ऊर्जा संक्रमण के लिए बिजली उत्पादन और वितरण को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने की आवश्यकता है। डॉ. नागेश्वरन ने कहा कि चूंकि भू-राजनीतिक विखंडन और जलवायु परिवर्तन से विभिन्न चुनौतियां उत्पन्न होती हैं, इसलिए अगली पीढ़ी के सुधारों को लागू करने के लिए सभी संबंधित हितधारकों के साथ संवाद और आम सहमति बनाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने वृहद आर्थिक स्थिरता के महत्व और बेहतर क्रेडिट रेटिंग के लिए विवेकपूर्ण और टिकाऊ सामान्य सरकारी वित्त की महत्वपूर्णता पर भी जोर दिया, खासकर ऐसे समय में जब भू-राजनीतिक जोखिम अपने उच्चतम स्तर पर हैं। डॉ. नागेश्वरन ने कहा कि भारत अपनी विकास संभावनाओं को देखते हुए वैश्विक वातावरण को हल्के में नहीं लिया जा सकता। वैश्विक जोखिमों के कई उदाहरण लेते हुए जैसे कि भू-राजनीतिक विखंडन और अनिश्चितता में वृद्धि, अमेरिकी राजकोषीय नीति और ब्याज दरों का प्रभाव, वैश्विक विनिर्माण में चीन की सर्वव्यापी उपस्थिति, वैश्विक वित्तीय स्थिरता, आदि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को इन चुनौतियों का समाधान करने के तरीके खोजने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार इन चुनौतियों का अकेले समाधान नहीं कर सकती है और समाज को आगे बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र का समर्थन महत्वपूर्ण होगा। डॉ. नागेश्वरन ने एआई के प्रभाव सहित हमारे कई नवाचारों के लिए सामाजिक जिम्मेदारी स्वीकार करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने दोहराया कि कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी कॉर्पोरेट जिम्मेदारी से अलग नहीं है और भविष्य को जिम्मेदारी से सह-निर्माण करने के लिए सभी क्षेत्रों में सार्थक और ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता महत्वपूर्ण है। गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक  नादिर गोदरेज, बजाज फिनसर्व लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक संजीव बजाज, टाटा स्टील लिमिटेड के सीईओ एवं प्रबंध निदेशक टी वी नरेंद्रन तथा अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज लिमिटेड की प्रबंध निदेशक सुश्री सुनीता रेड्डी ने भी सत्र को संबोधित किया। सीआईआई के अध्यक्ष आर. दिनेश ने सत्र का संचालन किया तथा कहा कि रोजगार पर नज़र रखना सीआईआई की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी रहेगी। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 18, 2024

केपटाउन और बेंगलुरु की राह पर राजस्थान! अगले साल तक जयपुर, अजमेर, जोधपुर और जैसलमेर में भी होंगे ऐसे ही हालात?

नई दिल्ली, 18 मई 2024  (यूटीएन)। भारतीय विज्ञान संस्थान ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि भारत के कुछ शहर अपनी जल आपूर्ति का कुप्रबंधन जारी रखते हैं तो उन्हें जल्द ही दक्षिण अफ्रीकी शहर केपटाउन से भी बदतर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. दक्षिण अफ्रीकी शहर केपटाउन को 2015 से 2018 के बीच पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा था. लंबे समय तक औसत से भी कम बारिश होने के कारण केपटाउन में यह स्थिति उत्पन्न हुई. कम बारिश के कारण केपटाउन में सूखा पड़ गया. इसके परिणामस्वरूप केपटाउन के जलाशयों में जल स्तर काफी नीचे चला गया था. मार्च 2023 में भारत की सिलिकॉन वैली से मशहूर शहर बेंगलुरु को पानी की गंभीर कमी से जूझना पड़ा.    *क्या है केपटाउन संकट* दक्षिण अफ्रीकी शहर केपटाउन को 2015 से 2018 के बीच पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा था. इसका मुख्य कारण शहर के जलाशयों में पानी का निम्न स्तर था. पानी का जलस्तर इतना नीचे पहुंच गया था कि शहर की जल आपूर्ति पूरी तरह से ठप्प हो सकता था.   मजबूरन अधिकारियों को सख्त वाटर-रेशनिंग मेजर्स को लागू करना पड़ा. केपटाउन की हालत इतनी गंभीर हो गई थी कि डे जीरो की आशंका उत्पन्न हो गई थी. पूरे पश्चिमी केपटाउन में सूखा पड़ गया. हालांकि, सितंबर 2018 के बाद चीजें बेहतर होने लगी और 2020 तक पानी की आपूर्ति सामान्य हो गई.   *बेंगलुरु में पानी की किल्लत के कारण* बेंगलुरु में पानी संकट का मुख्य कारण कावेरी बेसिन में कम बारिश का होना है. शहर की कुल जल आपूर्ति का 60 प्रतिशत कावेरी बेसिन से होता है. लेकिन कम बारिश होने के कारण भूजल स्तर निचले स्तर पर पहुंच गया है. केपटाउन की तरह ही बेंगलुरु का जलस्तर भी अपने निम्न स्तर पर है. इसी इस तरह भी समझा जा सकता है कि जब केपटाउन में जल संकट था उस वक्त केपटाउन के थीवाटरस्क्लोफ बांध अपनी क्षमता का केवल 11.3 प्रतिशत ही भरा था. यही नहर केपटाउन शहर के लिए पानी का एकमात्र बड़ा स्त्रोत था. उसी तरह बेंगलुरु का केआरएस बांध अपनी क्षमता का 28 प्रतिशत से भी कम भरा है. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार का कहना है कि शहर के 13,900 सरकारी बोरवेल में से 6900 सूख गए है. शहर के कई जगह पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से पानी  के टैंकरों पर निर्भर हैं.    *राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है पानी की किल्लत* भूजल विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, अगले साल यानी 2025 तक राजस्थान के जयपुर, अजमेर, जोधपुर समेत तमाम बड़े शहरों में पानी बचेगा ही नहीं. राजस्थान में प्रति वर्ष बारिश और अन्य स्रोतों से जितना पानी रिचार्ज होता है उससे 5.49 बिलियन क्यूबिक मीटर ज्यादा पानी इस्तेमाल हो रहा है. यानी भविष्य  की बचत को आज ही खर्च किया जा रहा है. केंद्रीय भू जल बोर्ड और राजस्थान के भूजल विभाग की डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स रिपोर्ट में जयपुर, अजमेर, जैसलमेर और जोधपुर में पानी की उपलब्धता का आकलन शून्य बताया गया है. मौजूदा हालात भी अच्छे नहीं हैं. भूजल विभाग के चीफ इंजीनियर सूरजभान सिंह का कहना है कि स्थिति काफी भयावह है. आने वाले दिनों में जल संकट और गंभीर होगी.   *संचय की तुलना में खपत ज्यादा* 2025 तक राजस्थान के इन शहरों में भूजल का गतिशील संसाधन शून्य हो जाएगा. यानी इन शहरों में जितना पानी संचय हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा हम जमीन से निकाल रहे हैं. इससे राजस्थान के 302 ब्लॉक्स में से 219 खतरे के निशान से बहुत ऊपर जा चुके हैं. इन्हें अति दोहन की श्रेणी में रखा गया है. शेष में से 22 को क्रिटिकल और 20 को सेमी क्रिटिकल श्रेणी है. सिर्फ 38 ब्लॉक्स जल उपलब्धता के लिहाज से सुरक्षित बताए गए हैं.   *गंभीर होती स्थिति* भूजल सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 40 साल में राजस्थान की स्थिति एकदम बदल गई है. साल 1984 में राजस्थान में 236 ब्लॉक्स में से 203 पीने के लिए सुरक्षित थे. सिर्फ 10 सेमी क्रिटिकल, 11 क्रिटिकल और 12 अति-दोहन वाले थे. उस समय राजस्थान में जितना पानी रिचार्ज होता था उसका 35.75% ही इस्तेमाल होता था. लेकिन 2023 में जितना रिचार्ज होता है, उसका 148.77% खपत हो रहा है.   *क्यों बन रही है ये स्थिति?* कम बारिश के अलावा तेजी और अनियोजित तरीके से हो रहे शहरीकरण जल संकट का एक प्रमुख कारण है. जैसे-जैसे शहर का विस्तार होता है. जल आपूर्ति के लिए बुनियादी ढांचे यानी जलाशय, पाइपलाइन और प्लांट की मांग को व्यवस्थित करने में दिकक्तें आने लगती हैं. इस कारण पानी का रिसाव और अन्य तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 18, 2024

इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाने की जरूरत: अमिताभ कांत

नई दिल्ली, 18 मई 2024  (यूटीएन)। भारत के लिए जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सरकार की पहल और परिवर्तन के साथ-साथ क्षेत्र में निजी कंपनियों के योगदान को भी महत्वपूर्ण माना। बता दें, कांत आज नई दिल्ली में सीआईआई द्वारा आयोजित वार्षिक बिजनेस समिट में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि आने वाले पांच वर्षों में कई कार्रवाई होगी।   *इलेक्ट्रिक वाहनों की गति में तेजी लाएं*     कार्यक्रम में अमिताभ ने बताया कि यह बहुत जरूरी है कि हम दोपहिया और तिपहिया वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की गति में तेजी लाएं। सरकार ने पहले ही 10 हजार इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए 57,613 करोड़ रुपये आवंटित कर दिया है। उन्होंने इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और बसों के निर्माण में उछाल की भविष्यवाणी की।     *बैटरी निर्माण में भारत होगा मजबूत*   कांत ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मुझे लगता है कि यह अगली बड़ी चीज होगी। बैटरी निर्माण के लिए प्रोडक्शन इंसेंटिव स्कीम की बोली लगाई है। आपको भारत में टाटा से लेकर रिलायंस और मारुति से लेकर एक्साइड तक कई कंपनियां बैटरी बनाती दिखेंगी।   उन्होंने कहा कि कई कंपनियां बैटरी निर्माण कर रही हैं। यह विकास अगला बड़ा घटक होगा। कांत ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि 2030 तक भारत दोपहिया, तिपहिया और बसों के मामले में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक हो जाए। हमें सुनश्चित करना आवश्यक है कि भारत एक इलेक्ट्रिक वाहन राष्ट्र बन जाए।   *चार वाहनों में विनिर्माण के लिए भारत की नीति*   जी20 शेरपा ने आगे कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन भारत को हरित प्रौद्योगिकी और सतत विकास में अग्रणी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने ईवी उत्पादन में भूमिका निभाने वाली कंपनियों की भी प्रशंसा की। उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को चार पहिया वाहन विनिर्माण करने की नीति भी कम शुल्क दरों के साथ खोली गई है लेकिन वे भारत में निवेश करें।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 18, 2024

हम रविवार को आपके मुख्यालय आ रहे हैं, जिसे चाहें, जेल में डाल दें: केजरीवाल

नई दिल्ली, 18 मई 2024  (यूटीएन)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शनिवार को शाम पांच बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोला। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कल दोपहर 12 बजे भाजपा मुख्यालय अपने सभी विधायकों और एमपी व पार्टी के सभी बड़े नेताओं के साथ आ रहे हैं। पीएम मोदी जिस-जिस नेता को गिरफ्तार करना चाहते हैं उन्हें गिरफ्तार कर सकते हैं। यह आप के सभी नेताओं को जेल में डालना चाहते हैं। अब सौरभ, आतिशी और मेरे पीए को जेल में डालना चाहते हैं। प्रधानमंत्री, एक-एक करके क्या आप हम लोगों को गिरफ्तार कर रहे हैं? एक साथ सभी को गिरफ्तार कर लीजिए।   आप देख सकते हैं कि वे किस तरह से 'आप' के पीछे पड़े हैं। मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहूंगा। आप यह 'जेल का खेल' खेल रहे हैं। कल मैं अपने सभी शीर्ष नेताओं, विधायकों, सांसदों के साथ दोपहर 12 बजे भाजपा मुख्यालय आ रहा हूं। आप जिसे चाहें जेल में डाल सकते हैं। हालांकि अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्वाति मालीवाल को लेकर कुछ भी नहीं कहा। इससे पहले माना जा रहा था कि केजरीवाल अपने निजी सचिव बिभव कुमार को लेकर अपनी देश के सामने रखेंगे।   बता दें कि आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी के मामले में बिभव कुमार को आज ही दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद बिभव ने तीस हजारी कोर्ट ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर की जहां से उन्हें राहत नहीं मिली। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।   *कौन है बिभव कुमार* केजरीवाल और बिभव की दोस्ती वर्षों पुरानी है। साल 2015 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बने बिभव कुमार लंबे समय से सीएम के साथ हैं। बिभव का ताल्लुक बिहार से है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल के साथ बिभव की दोस्ती वर्षों पुरानी है।   *बतौर पत्रकार के तौर पर कर चुके हैं काम* बिभव कुमार वीडियो जर्नलिस्ट के तौर पर काम किया करते थे। उनकी मुलाकात अरविंद के साथ हुई और वह इंडिया अगेंस्ट करप्शन मैग्जीन के लिए काम करने लगे। इंडिया अगेंस्ट करप्शन संस्था ने ही साल 2011 में देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था। बिभव शुरू से ही अरविंद के रोजाना के कार्यक्रम व दूसरे काम को देख रहे थे। सरकार बनने के बाद भी वह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दैनिक काम देखा करते थे। हालांकि सतर्कता विभाग ने कुछ सप्ताह पहले ही उनकी नियुक्ति को रद्द कर दिया था।   *बिभव ने की थी स्वाति की शिकायत* बिभव कुमार ने भी शुक्रवार को स्वाति मालीवाल के खिलाफ ई-मेल से शिकायत दी थी। उन्होंने सिविल लाइंस के एसएचओ और उत्तरी जिले के डीसीपी को शुक्रवार को ई-मेल किया। इसमें उन्होंने स्वाति मालीवाल पर उनके और सुरक्षाकर्मियों के साथ बदसलूकी करने को लेकर शिकायत दर्ज करवाई है। बिभव का कहना है कि स्वाति मालीवाल बिना किसी की अनुमति के जबरदस्ती मुख्यमंत्री आवास में घुस गई थीं।   जब उनको आवास में मौजूद पुलिसकर्मियों ने रोका तो उन्होंने उन सभी को धमकी दी। उनसे ऊंची आवाज में बहस की। मालीवाल के सभी आरोप निराधार हैं। शिकायत में यह भी लिखा कि स्वाति सीएम के ड्राइंग रूम में जबरदस्ती घुसी थीं। उन्होंने ने इसका विरोध किया और सामने खड़े हो गए। इस पर स्वाति ने उन्हें धक्का देने की कोशिश की। उनका इरादा मुख्यमंत्री केजरीवाल को फंसाने का था। हालांकि बताया जा रहा है कि बिभव की शिकायत पर अभी तक दिल्ली पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 18, 2024

डीयू के पूर्व छात्रों ने आधुनिक सुविधाओं से लैस अध्ययन कक्ष एवं पुस्तकालय विकसित कराया

नई दिल्ली, 18 मई 2024  (यूटीएन)। दिल्ली  विश्वविद्यालय के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के छह पूर्व छात्र व शिक्षकों ने मिलकर पदमश्री डॉ.एस.आर.रंगनाथन के नाम पर डीयू के उत्तरी परिसर में आधुनिक सुविधाओं से लैस अध्ययन कक्ष एवं पुस्तकालय को गोद लिया है , जो पूरी तरह से डिजिटल होगी । विश्वविद्यालय में इस तरह का पहला अध्ययन कक्ष होगा जिसमें 100 छात्र एक साथ बैठकर अध्ययन कर सकेंगे । इस अध्ययन कक्ष में एक ओपन लाइब्रेरी ,10 से अधिक कंप्यूटर वर्क स्टेशन, इंटरनेट के अतिरिक्त ऑडियो -वीडियो की सुविधाएं उपलब्ध कराई है। दिल्ली विश्वविद्यालय की ट्यूटोरियल बिल्डिंग में बनाए गए अध्ययन कक्ष का उद्घाटन डीयू के  कुलपति, प्रोफेसर योगेश सिंह ने किया ।   इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि ,दक्षिणी परिसर निदेशक ,प्रोफेसर श्रीप्रकाश सिंह थे । कार्यक्रम में डीन, प्रोफेसर अमिताव चक्रवर्ती , प्रोफेसर रजनी अब्बी , प्रोफेसर गीता भट्ट ,प्रोफेसर अनिल राय , प्रो.बीपी सिंह , प्रो.एन के. कक्कड़ , प्रो.रविंद्र कुमार ,प्रो.रूपम कपूर , प्रो.ममता शर्मा , प्रो.विजय लक्ष्मी सिंह , प्रो.अमित कुमार सिंह ,प्रो.रंजन त्रिपाठी ,प्रो.नीरा अग्निमित्र ,डॉ. केपी चिन्दा ,डॉ.हंसराज सुमन ,डॉ. मनोज कुमार केन,आदि के अलावा डीन ,कॉलेजों के प्रिंसिपल , विभागों के प्रोफेसर व पीएचडी शोधार्थी भी उपस्थित थे ।    अध्ययन कक्ष के उद्घाटन अवसर पर कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी संस्थान में अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस अध्ययन कक्ष एवं पुस्तकालय एक महत्वपूर्ण संसाधन है, पुस्तकालय के बिना छात्र का ज्ञान अधूरा है उसके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास पुस्तकालय के माध्यम से ही होता है ।   उन्होंने बताया कि नई डिजिटल पुस्तकालय के खुलने से ऐसे लोगों को अवसर मिलेगा जो इस विश्वविद्यालय से शिक्षा  ग्रहण कर रहे हैं या करके चले गए और अब वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं , वे इस अध्ययन कक्ष में बैठकर अध्ययन कर सकेंगे । प्रोफेसर सिंह ने पूर्व छात्रों द्वारा लिए गए निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि हमारे बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए इस तरह की  की संस्कृति को बढ़ाने के लिए हर कॉलेज / विभाग के पूर्व छात्रों को आगे आना चाहिए ।   उन्होंने यह आह्वान किया कि जिस तरह से हमारे छह पूर्व छात्रों ने आधुनिक सुविधाओं से अध्ययन कक्ष एवं पुस्तकालय विकसित कराके इसे गोद लिया है , मुझे आशा है कि भविष्य में इस तरह के नेक कार्य से अवश्य कुछ लोग प्रेरणा लेंगे और विकसित भारत बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे । उन्होंने कहा कि आज हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि पढ़ने वाले लोगों के लिए अपने आसपास लाइब्रेरी का निर्माण अवश्य कराए और उस लाइब्रेरी में पुस्तकें दान करें ताकि ज्ञान का ज्यादा से ज्यादा विस्तार हो ।    पुस्तकालय विज्ञान विभाग के प्रोफेसर के.पी. सिंह ने कहा कि पुस्तकालय एक ऐसी संस्था है जिसके माध्यम से छात्रों को सूचना और संसाधनों को सभी तक पहुंचाना है । पुस्तकें छात्र को पढ़ने के लिए तैयार करती है जिससे ज्ञान का विकास होता है , पुस्तकों के बिना छात्रों का कोई अस्तित्व नहीं है । पुस्तकें ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण कर उसे अपनी भाषा , साहित्य , संस्कृति व जन सरोकारों से जोड़ती है ।  वर्तमान पुस्तकालय में भौतिक और डिजिटल रूप में विभिन्न सेवाएं प्रदान की जायेगी । पुस्तकें , पत्र -पत्रिकाएं , ईबुक , ऑडियो बुक ही नहीं बल्कि लाइब्रेरी में कम्प्यूटर , स्मार्ट डिजिटल बोर्ड , डिजिटल पोडियम आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेगी ।   प्रोफेसर सिंह ने बताया है कि दिल्ली  विश्वविद्यालय के किसी  विभाग ने / विश्वविद्यालय के इतिहास में यह पहली बार है कि अपने अल्मा मेटर के ऋृण चुकाने और छात्रों और शोधार्थियों  के लिए बुनियादी ढांचे का एक आत्मनिर्भर मॉडल बनाने के लिए इस तरह की नई पहल की शुरुआत की है । इसमें लेक्चर हॉल अत्याधुनिक सुविधाओं जैसे एयर-कंडीशन, ओपन लाइब्रेरी, वर्कस्टेशन, हाई कॉन्फ़िगरेशन स्मार्ट बोर्ड और शिक्षण और अनुसंधान के लिए अन्य आवश्यक सेवाओं से सुसज्जित बनाया है । उन्होंने यह भी बताया है कि इस अध्ययन कक्ष में किसी भी संकाय से  स्नातकोत्तर व पीएचडी शोधार्थी आकर अध्ययन कर सकेंगे ।   प्रोफेसर के.पी. सिंह ने  बताया कि डॉ. एस.आर. रंगनाथन व्याख्यान कक्ष एवं पुस्तकालय को पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के छह पूर्व छात्रों एवं शिक्षकों ने मिलकर इस अध्ययन कक्ष का निर्माण कर उन्हें समर्पित किया है । प्रोफेसर सिंह ने बताया है कि हम छह छात्र व शिक्षकों का सपना था कि हमारी आने वाली पीढ़ी को विश्व स्तरीय शिक्षण सुविधाएं मिले ताकि वे यहाँ पर अध्ययन करके राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देकर भारत को विकसित भारत बनाने में मदद करें । यह अध्ययन कक्ष प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को भी प्लेटफार्म पर आने का अवसर देगा ।जिसमें 100 छात्र एक साथ बैठकर अध्ययन कर सकेंगे ।   अध्ययन  कक्ष को गोद लेने वालों में पुस्तकालय विज्ञान के छह पूर्व छात्र व शिक्षकों में प्रोफेसर के.पी.सिंह , प्रो.मीरा , डॉ.ज्ञानेन्द्र नारायण सिंह , डॉ. विजय गौतम , डॉ. मनीष कुमार एवं डॉ.पिंकी शर्मा आदि है । पुस्तकालय विज्ञान विभाग के प्रोफेसर ने कुलपति को एक मांग पत्र भी दिया जिसमें नवीन सूचनाओं से जोड़कर लाइब्रेरी के अध्ययन कक्ष को ओर बेहतर बनाने की अपील की । कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का धन्यवाद विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राकेश कुमार भट्ट ने किया ।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 18, 2024

बढ़ती उम्र के साथ होने वाले बदलाव पर एम्स रखेगा नजर

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। बढ़ती उम्र के साथ शरीर में होने वाले बदलाव सहित दूसरे कारणों का पता लगाने के लिए एम्स शोध शुरू करेगा। इस शोध के लिए 10 साल से 80 साल की उम्र के लोगों का चयन किया जाएगा। शोध के दौरान इन चयनित लोगों के दिल, दिमाग, मन समेत शरीर के दूसरे अंगों की बनावट और उसमें होने वाले बदलाव का सूक्ष्म स्तर पर अध्ययन किया जाएगा। इसमें देखा जाएगा कि उम्र बढ़ने के साथ इनमें क्या बदलाव होता है।   शोध के लिए कुल 200 लोगों का चयन होगा। इन 200 लोगों को उम्र के आधार पर पांच अलग-अलग ग्रुप में बांटा जाएगा। ग्रुप बनाने के दौरान एक ही परिवार के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि अध्ययन के दौरान पूरी पीढ़ी के कारकों का अध्ययन किया जा सके। यह अध्ययन तीन साल तक चलेगा। अध्ययन के बाद पता चलेगा कि बुजुर्ग होने के साथ शरीर की बनावट व दूसरे हिस्सों में क्या बदलाव आते हैं। इससे भविष्य में होने वाले रोग की पहले ही पहचान हो सकेगी। साथ ही उक्त रोग के कारणों का भी पता चल सकेगा।    विशेषज्ञ बताते हैं कि हर पीढ़ी में कोई न कोई कारण होते हैं जो उम्र बढ़ने के साथ शरीर को कमजोर बनाते हैं। साथ ही शरीर को रोगी भी बनाता है। कारण पता चलने पर उक्त कारकों को पहले ही सुधारा जा सकेगा। राष्ट्रीय वृद्धावस्था केंद्र के अतिरिक्त प्रो. डॉक्टर प्रसून चटर्जी ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ पीढ़ी में होने वाली जटिलताओं को सुलझाने में मदद मिलेगी। शोध के लिए अत्याधुनिक तकनीकों और बहु-विषयक दृष्टिकोण को चुना गया है। शोध के बाद कारणों का पता चल जाएगा। भविष्य में उन कारणों के आधार पर जांच की सुविधा विकसित की जाएगी। साथ ही वैज्ञानिक और स्वास्थ्य देखभाल को भी तैयार किया जा सकेगा।     *शोध में मिलेगा अंतर*    तीन साल तक चलने वाले शोध के दौरान जवान और बुजुर्ग के जीन में बदलाव को देखा जाएगा। साथ ही पता लगाया जाएगा कि किन जीन के कारण भविष्य में रोग हुए हैं और इन रोग के लिए क्या कारक जिम्मेदार हैं। इनका पता चलने के बाद युवावस्था में ही उसका इलाज किया जा सकेगा।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 17, 2024