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○ संविधान दिवस पर 'हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान' पदयात्रा
○ हाइपरटेंशन के इलाज के लिए एम्स के डॉक्टरों ने बनाई एक न्यू ड्रग कॉम्बिनेशन
○ राजस्थान मंडप में राजस्थानी मसालों और व्यंजनों के काउंटरों पर उमड़ी भीड़
○ आखिर हेमंत सोरेन का किला क्यों नहीं हिला पाई भाजपा ?
○ भारत में थैलेसीमिया देखभाल के लिए अग्रणी समाधान खोजने पर जोर
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National
सावी में सावित्री बन छा गई दिव्या खोसला, अनिल कपूर ने जमाई धाक
नई दिल्ली, 01 जून 2024 (यूटीएन)। अभिनय देव द्वारा निर्देशित दिव्या खोसला, अनिल कपूर और हर्षवर्धन राणे अभिनीत नवीनतम फिल्म सावी अब सिनेमाघरों में है, जिसे समीक्षकों और दर्शकों दोनों से अच्छी समीक्षा मिली है। पहले कभी न देखे गए अवतार में खोसला ने एक सफल प्रदर्शन किया है जिसने दर्शकों और आलोचकों को समान रूप से मंत्रमुग्ध कर दिया है। एक पत्नी क्या कर सकती है, सावित्री ने अपनी सत्यवान को यमराज तक से बचा लिया था लेकिन एक मॉडर्न सावित्री क्या कर सकती है, ये आपको इस फिल्म में देखने को मिलता है. सावित्री मॉडर्न है तो नाम सावी कर दिया गया है और दिव्या खोसला ने यारियां 2 के बाद फिर से दिखा दिया है कि वो अच्छी एक्ट्रेस बन चुकी हैं और बॉलीवुड को उन्हें अब सीरियसली लेना शुरू कर देना चाहिए. इन्हें अगर अच्छे रोल ऑफर किए जाएं तो ये आज की कई हीरोइनों से बेहतर एक्टिंग कर सकती हैं. *कहानी* इस फिल्म की कहानी अमेरिकन एक्शन थ्रिलर द नेक्स्ट थ्री डेज से ली गई है जो साल 2010 में आई थी और ये फिल्म भी 2008 में आई एक फ्रेंच थ्रिलर पोर एले की रीमेक थी. कहानी है लंदन के लिवरपुल शहर में रहने वाली सावी यानि दिव्या खोसला की जो अपने पति नकुल सचदेवा और बेटे के साथ रहती हैं. जिंदगी अच्छी चल रही होती लेकिन एक दिन सावी के पति को पुलिस पकड़कर ले जाती है और फिर ये मॉडर्न सावित्री जुट जाती है अपने पति के बेगुनाह साबित करने में. इसमें सावी की मदद करते हैं मिस्टर पॉल यानि अनिल कपूर, किस तरह से सावी अपने पति को बचाती है वो आपको फिल्म देखकर समझ आएगा. *कैसी है फिल्म* एक लाइन में कहें तो फिल्म अच्छी है, फिल्म आपको बांधे रखती है. जेल तोड़ने का सीन हो या फिर बीच में आए कई सारे ट्विस्ट और टर्न, आपको फिल्म से जुड़े रहते हैं और सावी की इस लड़ाई में उसके साथ हो लेते हैं. फिल्म कहीं ढीली नहीं पड़ती, जल्द मुद्दे पर आती है और आपको अच्छे से एंटरटेन करती है. *एक्टिंग* दिव्या खोसला ने इस फिल्म से खुद को अच्छे से साबित किया है, यारियां 2 में मुझे उनकी एक्टिंग अच्छी लगती थी और यहां कमाल लगती हैं. अब वक्त आ गया है उन्हें एक अच्छी अभिनेत्री के तौर पर देखा जाए और उन्हें अच्छे रोल दिए जाएं. अनिल कपूर का काम जबरदस्त है, वो फिल्म में एक नई जान डालते हैं. हर्षवर्धन राणे ने भी कमाल का काम किया है. *डायरेक्शन* अभिनय देव ने फिल्म को अच्छे से डायरेक्ट किया है. वो वैसे भी कहानियों को जरा अलग अंदाज में पेश करते हैं और यहां भी वैसा ही किया गया है. सही जगह पर ऐसे ट्विस्ट डाले गए हैं कि आप नजरें हटा नहीं पाते. फिल्म को लेकर प्रबल प्रत्याशा और सकारात्मक चर्चा को दर्शाते हुए, सावी को पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर लगभग ₹2 करोड़ की ओपनिंग मिलने की उम्मीद है। 31 मई को विश्व सिनेमा दिवस के साथ उत्साह और भी बढ़ गया है। यह उत्सव मूवी टिकटों की कीमत मात्र ₹99 है, जो सिनेमा प्रेमियों के लिए अतिरिक्त लाभ प्रदान करती है और दर्शकों को सिनेमाघरों में लौटने के लिए प्रोत्साहित करती है। एक जटिल और स्तरित चरित्र को चित्रित करते हुए, दिव्या खोसला ने अपने सम्मोहक प्रदर्शन से एक नया मानक स्थापित किया है। आलोचकों ने उनकी भूमिका में गहराई और प्रामाणिकता लाने की उनकी क्षमता की प्रशंसा की है, दिव्या खोसला ने खुद को भूमिका में डुबो दिया है, एक ऐसा प्रदर्शन दिया है जो कच्चा और दिलचस्प दोनों है। दर्शकों की प्रतिक्रिया भी उतनी ही उत्साहपूर्ण रही है। सोशल मीडिया पर प्रशंसकों द्वारा खोसला के चित्रण की प्रशंसा की जा रही है और इसे उनके करियर में गेम-चेंजर बताया जा रहा है। फिल्म की भावनात्मक गहराई और आकर्षक कथा गहराई से गूंजती है, जिससे सावी को अवश्य देखना चाहिए। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Ujjwal Times News
Jun 1, 2024
दिल्ली में पानी की किल्लत को लेकर बीजेपी ने सरकार को घेरा
नई दिल्ली, 31 मई 2024 (यूटीएन)। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा के नेतृत्व में आज आई.टी,ओ, स्थिति शहीदी पार्क के सामने भाजपा कार्यकर्ताओं ने अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार के कारण पैदा हुए दिल्ली में पानी संकट को लेकर केजरीवाल सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और अरविंद केजरीवाल एवं जलमंत्री सुश्री आतिशी के इस्तीफे की मांग की। धारा 144 लगी होने के कारण वीरेन्द्र सचदेवा एवं लगभग 100 कार्यकर्ताओं को आई.पी. स्टेट थाने ले गई जहां से उन्हे कुछ देर बाद चेतावनी दे कर छोड़ दिया। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली का जल संकट प्राकृतिक नही है यह अरविंद केजरीवाल द्वारा किए गए भ्रष्टाचार एवं अक्रमणयता से उत्पन्न हुआ है और इस बात को दिल्ली की जनता समझ चुकी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता आज अगर एक-एक बूंद पानी के लिए तड़प रही है तो उसके इकलौते जिम्मेदार अरविंद केजरीवाल हैं। वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि 2014 के बाद हरियाणा सरकार द्वारा सीएलसी का निर्माण किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य पानी की बर्बादी को रोकना था और पानी एक कैनल के माध्यम से होते हुए लोगों तक पहुंचे और उस वक्त मुनक नहर से 1049 क्यूसेक पानी हरियाणा सरकार द्वारा दिल्ली को दिया गया। दिल्ली सरकार द्वारा फिर उसे बवाना, हैदरपुर, द्वारका अलग अलग चैनल की तरफ डाइवर्ट किया जाता था और यही से शुरू हुआ भ्रष्टाचार का खेल। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि 1 मई से 29 मई तक प्रतिदिन 1049 क्यूसेक पानी हरियाणा सरकार ने दिल्ली को दिया है। जलमंत्री सुश्री आतिशी कोर्ट जाने की बात कह रही है लेकिन यह पहली बार नहीं है जब पानी की कमी को लेकर दिल्ली सरकार कोर्ट जाएगी। केजरीवाल सरकार इससे पहले भी 2021 में कोर्ट जा चुकी है जहां कोर्ट द्वारा फटकार लगाते हुए कहा गया कि पानी दिल्ली सरकार को पूरा मिल रहा है लेकिन केजरीवाल सरकार सिर्फ पानी की बर्बादी को रोकने मे असफल रही है। सचदेवा ने कहा कि दिल्ली का 53% पानी सप्लाई के दौरान चोरी हो जाता है या बर्बाद हो जाता है। अगर उस पूरे पानी को बर्बाद होने से रोक लिया जाता तो ही दिल्ली वालों को काफी पानी मिलेगा। सचदेवा ने आप विधायकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि टैंकर के माध्यम से आम आदमी पार्टी के विधायक पानी को बेचते हैं और पानी चोरी कर अपनी जेबे भरते हैं। मंच का संचालन कर रहे प्रदेश महामंत्री योगेंद्र चंदोलिया ने कहा कि वजीराबाद बैराज में पानी स्टोर किया जाता है पर उसमें 94% सिर्फ गाद होती है। 10 साल से वहाँ से गाद नही निकाली गई है। अगर वहाँ पूरी स्टोरेज हो पाती तो दिल्ली की आधी आबादी को पानी मिल सकता था लेकिन केजरीवाल सरकार ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि अब तो जल बोर्ड के अधिकारी भी कह रहे हैं कि जल बोर्ड में घोटाला हुआ है और इसकी जांच होनी चाहिए जो व्यक्ति दिल्ली को पानी नहीं दे सकता है उसे सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है। 2 दिन बाद वैसे भी केजरीवाल अपने होम टाऊन जाने वाले है। इसलिए अब केजरीवाल को कुछ करने की जरूरत नहीं है। बांसुरी स्वराज ने कहा कि इस झुलसती हुई गर्मी में दिल्ली पानी के लिए त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है। पानी की बूंद बूंद के लिए तरस रही है और यह पूरे का पूरा पानी का संकट सिर्फ केजरीवाल द्वारा बनाया गया है। वह दिल्ली जल बोर्ड जो 2013 में 600 करोड़ रुपए के मुनाफे में था आज 73000 करोड़ रुपए के घाटे में है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को इस बात का जवाब देना चाहिए क्योंकि यह इतनी निकम्मी सरकार है जो सिर्फ प्रचार और प्रचार के अलावा भ्रष्टाचार में लिप्त रहती है और पानी की किल्लत कराकर प्रोत्साहन देना चाहती है टैंकर माफियाओं को। यह तानाशाही नहीं चलेगी और भाजपा का एक एक कार्यकर्ता तब तक लड़ता रहेगा जब तक केजरीवाल इसका जवाब नहीं दे देते। आज अगर मार्च महीने में ऑल पार्टी मीटिंग बुलाकर जल वितरण एक्शन प्लान पर काम किया होता तो शायद आज दिल्ली बूंद बूंद पानी के लिए नहीं तड़पती। प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली के अंदर पानी संकट सिर्फ केजरीवाल की नाकामी और भ्रष्टाचार का प्रमाण है। जेल के अंदर से पानी की चिंता दिखाने वाले केजरीवाल लोगों को गुमराह करने के लिए वह चिट्ठी तक लिखा करते थे लेकिन जेल से बाहर आने के बाद वह पानी की संकट का समाधान करने की जगह वे चुनाव प्रचार में निकल गए। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सिर्फ झूठ बोलते हैं दिल्ली की जनता उनके इस छलावे में नहीं आने वाली है क्योंकि दिल्ली के अंदर गर्मियों में हमेशा जल संकट का सामना करना पड़ रहा है लेकिन पिछले 10 सालों से केजरीवाल सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
admin
May 31, 2024
जल संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार
नई दिल्ली, 31 मई 2024 (यूटीएन)। जल संकट से जूझ रही दिल्ली के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। शुक्रवार को दाखिल की गई याचिका में केजरीवाल सरकार ने अपील की है कि कोर्ट हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से एक महीने के लिए एक्स्ट्रा पानी देने के लिए निर्देश दे। दिल्ली सरकार ने कहा है कि गर्मी की वजह से शहर में पानी की मांग काफी बढ़ गई है और पड़ोसी राज्यों को एक महीने के लिए और ज्यादा पानी देने का निर्देश दिया जाना चाहिए। राजधानी में पानी की बहुत ज्यादा कमी है और जल मंत्री आतिशी ने हरियाणा पर दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं देने का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी भाजपा से अपील की है कि वह हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अपनी सरकारों से एक महीने के लिए पानी देने के लिए कहे। *केजरीवाल ने लिखा- इस वक्त राजनीति न करें* केजरीवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि भीषण गर्मी में पानी की डिमांड बहुत बढ़ गई है। जो पानी दिल्ली को पड़ोसी राज्यों से मिलता था, उसमें भी कमी कर दी गई है। यानी सप्लाई कम हो गई है। हम सबको मिलकर इसका निवारण करना है। मैं देख रहा हूं कि बीजेपी के साथी हमारे खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। यदि बीजेपी हरियाणा और उत्तर प्रदेश की अपनी सरकारों से बात करके एक महीने के लिए दिल्ली को कुछ पानी दिलवा दे तो दिल्ली वाले बीजेपी के इस कदम की खूब सराहना करेंगे। इतनी भीषण गर्मी किसी के हाथ की बात नहीं, लेकिन हम सब मिलकर। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
admin
May 31, 2024
अब देश के सैनिकों को मिलेगा बेस्ट टेक्नोलॉजी आधारित इलाज
नई दिल्ली, 31 मई 2024 (यूटीएन)। भारतीय सेना के जवानों और अधिकारियों को जल्द ही दुनिया की बेस्ट टेक्नोलॉजी आधारित इलाज मिल सकेगा। इसमें ड्रोन-आधारित रोगी परिवहन, टेलीमेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और नैनो टेक्नोलॉजी शामिल हैं। इन सभी नई पहल, रिसर्च और ट्रेनिंग में सहयोग के उद्देश्य से सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) ने आईआईटी हैदराबाद के साथ एक समझौता किया है। *सेना के जवानों को मिलेगा बेस्ट इलाज* इस एमओयू का उद्देश्य नए चिकित्सा उपकरणों के विकास में इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा देना है। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत सैनिकों के लिए विशिष्ट स्वास्थ्य सुविधाओं का समाधान के साथ विस्तार करना है। इसके अंतर्गत सशस्त्र बलों के सामने आने वाली विविध चिकित्सा चुनौतियों से निपटने के लिए आईआईटी हैदराबाद अपने जैव प्रौद्योगिकी, जैव चिकित्सा अभियांत्रिकी और जैव सूचना विज्ञान जैसे विभागों के साथ आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करेगा। *आईआईटी हैदराबाद के साथ किया समझौता* रक्षा मंत्रालय ने कहा कि समझौते के अनुसार, सहयोग के जिन प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की गई है, उनमें ड्रोन-आधारित रोगी परिवहन, टेलीमेडिसिन इनोवेशन, चिकित्सा क्षेत्र में एआई का अनुप्रयोग और नैनो टेक्नोलॉजी में प्रगति कार्यक्रम शामिल हैं। इनके अलावा एमओयू के अंतर्गत विद्यार्थी विनिमय कार्यक्रमों, स्नातक विद्यार्थियों के लिए अल्पकालिक पाठ्यक्रम और फैकल्टी विनिमय गतिविधियों की सुविधा दी जाएगी। सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह और आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रोफेसर बीएस मूर्ति ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए। लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह ने दूसरे और तीसरे स्तर की देखभाल यानी दोनों ही स्थितियों में सैनिकों को व्यापक चिकित्सा देखभाल देने के लिए सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा की प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि अपनी अत्याधुनिक तकनीक के लिए मशहूर आईआईटी हैदराबाद जैसे संस्थान के साथ साझेदारी करना रिसर्च और ट्रेनिंग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रोफेसर बीएस मूर्ति ने सशस्त्र बलों द्वारा बताई जाने वाली समस्याओं के निपटान के लिए आईआईटी हैदराबाद की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे उनके सामने आने वाली चुनौतियों का तत्काल और प्रभावी समाधान सुनिश्चित होगा। यह सहयोग सैन्य कर्मियों के स्वास्थ्य-कल्याण को बढ़ाने के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी और रिसर्च का लाभ उठाने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Ujjwal Times News
May 31, 2024
खाइए मगर स्वादानुसार, 5 ग्राम नमक, 25 ग्राम चीनी भी ज्यादा, आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस
नई दिल्ली, 31 मई 2024 (यूटीएन)। 5 ग्राम नमक, 10 ग्राम फैट और 25 ग्राम चीनी भी ज्यादा है। यह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की यह नई गाइडलाइंस हैं। अगर आप अपने खाने में नमक, चीनी, फैट को कंट्रोल कर लेते हैं, तो बहुत हद तक बीमारियों को टालने में सक्षम हो सकते हैं। वरना ज्यादा नमक, चीनी और फैट न केवल बीमारी की वजह बन सकते हैं, बल्कि यह मौत का भी कारण हो सकते हैं। इसी संदर्भ में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने हाल ही में गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसमें चीनी, नमक, फैट और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से होने वाले खतरे का संज्ञान लेते हुए रेगुलर खाने में 5 ग्राम नमक और 25 ग्राम चीनी को भी ज्यादा माना गया है। भारतीयों के लिए खाने संबंधी जारी गाइडलाइंस के हिसाब से हर दूसरा व्यक्ति अधिक चीनी नमक और तेल को भोजन में शामिल कर रहा है, जो उसे भविष्य में बहुत बीमार कर सकता है। चीनी, नमक, तेल और संरक्षित डिब्बा बंद खाने और कोल्ड ड्रिंक के भी खतरे कम नहीं हैं। फिट रहना है तो खाने में चीनी, नमक और तेल की मात्रा कम ही रखें। इसके साथ ही अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड जैसे सॉफ्ट ड्रिंक, कुकीज, पेस्ट्री आदि भी सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। खाने की यह सभी चीजें आपको बीपी, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियां दे रही हैं। *कितना नमक ज्यादा?* गाइडलाइंस में रेगुलर 5 ग्राम से अधिक नमक (2 ग्राम सोडियम) को भी ज्यादा बताया गया है। पैकेट बंद चिप्स, सॉस, स्नैक्स, नमकीन आदि मानक से कहीं अधिक नमक का प्रयोग करते हैं। *हाई सॉल्ट वाले फूड* प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड में नमक की मात्रा अधिक होती है। इनमें चिप्स, सॉस, बिस्किट, बेकरी प्रोडक्ट्स और पका कर पैक किए जाने वाले फूड आइटम्स जैसे नमकीन, स्नैक्स, पापड़, अचार में नमक की मात्रा ज्यादा होती है। इन्हें अधिकतर लोग अपने घरों में तैयार करते हैं और अपने अनुसार नमक मिलाते हैं। *ज्यादा चीनी खतरनाक* दिनभर में अगर दो हजार कैलरी ली जा रही है, तो उसमें 25 ग्राम कैलरी ही चीनी की होनी चाहिए। इससे अधिक चीनी नुकसानदेह हो सकती है। संभव हो तो एडेड शुगर (सिरप या तरल पेय के रूप में खाने में अलग से मिलाई जाने वाली शुगर) को खाने से बिल्कुल हटा दें। गाइडलाइंस के अनुसार, चीनी का सेवन, कुल एनर्जी के 5 पर्सेंट या 25 ग्राम प्रति दिन (2,000 किलो कैलरी प्रतिदिन के औसत सेवन के आधार पर) से अधिक होता है तो इसे हाई शुगर की श्रेणी में रखा जाता है। *सॉलिड (ठोस) खाने के लिए* *चीनी की लिमिट:* *5% एनर्जी एडेड शुगर से होती है, कुल चीनी से 10% से ज्यादा एनर्जी नहीं होना निर्धारित किया गया है।* *फैट की लिमिट:* *15% एनर्जी एडेड फैट से होती है, कुल फैट से 30% से ज्यादा एनर्जी नहीं होना निर्धारित किया गया है।* *ड्रिंक्स (लिक्विड) के लिए:* *चीनी की लिमिट: 10% एनर्जी जोड़ी गई चीनी से और कुल चीनी (फलों के रस/दूध में मौजूद चीनी सहित) से 30% एनर्जी से अधिक नहीं होना निर्धारित किया गया है।* *फैट की लिमिट:* *15% एनर्जी जोड़ी गई फैट से और कुल फैट से 30% ऊर्जा से अधिक नहीं हो, यह निर्धारित किया गया है।* विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी सिफारिश को संशोधित करने पर विचार कर रहा है और चीनी से कैलरी को 5 पर्सेंट से कम करने की योजना बना रहा है। चीनी को 25 ग्राम तक रोजाना तक सीमित करना स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। अगर संभव हो, तो ऊपर से ली जाने वाली चीनी को पूरी तरह से अपने डाइट में खत्म कर सकते हैं। जो चीनी स्वाभाविक रूप से खाने-पीने की चीजों में होती है, उसे प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाले शुगर यानी चीनी कहा जाता है, जैसे मोनोसैकेराइड सिंपल शुगर है, जिसमें सिंगल शुगर मॉलीक्यूल होते हैं, जैसे फलों में ग्लूकोज या फ्रुक्टोज। डिसैकेराइड्स दो सिंपल शुगर मॉलीक्यूल होते हैं, जैसे सुक्रोज (चीनी) या दूध में लैक्टोज। *अलग से मीठा नुकसानदायक* एडेड या अतिरिक्त शुगर उसे कहा जाता है, जिसमें एक्स्ट्रा मिलाया जाता है। इसका सोर्स टेबल शुगर भी है। इसके अलावा गुड़, शहद, ग्लूकोज, फ्रूटोज आदि का एडेड शुगर के तौर पर इस्तेमाल होता है। इससे कैलरी की मात्रा बढ़ जाती है। चिंता की बात यह है कि इनसे कैलरी के अलावा कोई न्यूट्रिशयन नहीं मिलता है। कैलरी केवल तभी हेल्दी होती है, जब उसके साथ विटामिन, खनिज और फाइबर भी हों। रिसर्च के अनुसार, नियमित रूप से ली जाने वाले शुगर के विकल्प जैसे स्पाटम, सैकरीन, शुगर अल्कोहल आदि का भी लंबे समय तक प्रयोग से मोटापा, डायबिटीज और हाइपरटेंशन हो सकते हैं। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों को कृत्रिम शुगर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह पेट के लाभदायक वायरस फ्लोरा को डैमेज करती है। *खाने में तेल पर रखें नज़र* विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, खाने में कुल एनर्जी में फैट या वसा की मात्रा 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्राकृतिक रूप से खाने की सभी चीजों मे 15 प्रतिशत तेल मौजूद रहता है, जिसके कई तरह के लाभ होते हैं। इसके अतिरिक्त केवल 15 प्रतिशत वसा या तेल और प्रयोग किया जा सकता है, इससे अधिक नहीं। *हाई इन फैट, सुगर एंड सॉल्ट क्या है* हाई इन फैट, सुगर एंड सॉल्ट हैं। इसलिए एच एफ एस एस ऐसे फूड प्रोडक्ट को कहा जाता है, जिनमें किसी भी खाना पकाने वाले वनस्पति तेल, घी, मक्खन (दिखाई देने वाली या जोड़ी गई तेल/ वसा) आदि से 15 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा मिलती है। दूसरे शब्दों में, वे खानपान, जो 2000 किलो कैलरी के आहार के लिए हर दिन 30 ग्राम से अधिक दिखाई देने वाली या ऐड की गई तेल या फैट होता है। हाई फैट वाले फूड प्रोडक्ट्स को सभी डीप-फ्राइड करके तैयार किया जाता है। इनमें फ्रेंच फ्राइज, समोसा, कचौड़ी, पूरी, नमकीन, मिठाई, बिस्किट, कुकीज, केक, परांठे या यहां तक कि कुछ करी शामिल हैं। जब रोजाना 10 ग्राम से अधिक विजुअल सैचुरेटेड फैट (2000 किलो कैलरी आहार के लिए) घी, मक्खन के रूप में या स्नैक्स या मिठाई की तैयारी में ताड़ के तेल, नारियल तेल के अत्यधिक उपयोग के कारण सेवन किया जाता है, तो एस एफ का उपयोग उच्च माना जाता है। *पैकेट वाला खाना भी ठीक नहीं* डिब्बाबंद खाने को अधिक दिन तक चलाने के लिए उसे अल्ट्रा प्रोसेस्ड किया जाता है। इसे कई तरह से प्रोसेस किया जाता है। प्राइमरी, सेकंडरी, मिनिमम प्रोसेस्ड और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड, प्राइमरी प्रोसेसिंग में बेसिक क्लिनिंग, ग्रेडिंग और पैकिंग को शामिल किया जाता है। सेकंडरी प्रोसेसिंग खाद्य पदार्थों के प्रयोग से ठीक पहले की अवस्था होती है। चावल के खेतों को सेकंडरी प्रोसेसिंग के तहत पैक किया जाता है। वहीं रेडी टु ईट खाने की चीजें टेरिटरी प्रोसेसिंग की श्रेणी में आती हैं। बेकरी प्रोडक्ट्स, इंस्टेंट फूड और हेल्थ ड्रिंक इसी श्रेणी में आते हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को एक प्रक्रिया के तहत कई तरह के संरक्षित चीजों (कृत्रिम शुगर, रंग और फ्लेवर) के साथ पैक किया जाता है, ताकि अधिक दिन तक खराब न हों। इससे खाद्य पदार्थों की सेल्फ लाइफ को बढ़ जाती है, लेकिन वे सेहत के लिए हानिकारक हो जाते हैं। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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May 31, 2024
गृह मंत्रालय में हुई बड़ी बैठक, वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा से मुक्त हुई एनएसजी तो सीआरपीएफ को मिली बड़ी जिम्मेदारी
नई दिल्ली, 31 मई 2024 (यूटीएन)। देश में अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नया खाका खींचा जा रहा है। इस बाबत बुधवार को नॉर्थ ब्लॉक में एक अहम बैठक हुई। कई घंटे तक चली इस बैठक में सीआरपीएफ डीजी अनीश दयाल सिंह, एनएसजी के डीजी नलिन प्रभात और आईबी से जुड़े अधिकारियों ने भाग लिया। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, संसद की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप 'पीडीजी' को हटाए जाने के बाद अब वीवीआईपी सुरक्षा घेरे में बड़ा बदलाव किया जाएगा। जो नई व्यवस्था तैयार हो रही है, उसमें एनएसजी को वीआईपी सुरक्षा से पूरी तरह हटा लिया जाएगा। एनएसजी की वीआईपी सिक्योरिटी यूनिट, स्पेशल रेंजर ग्रुप (एसआरजी) की ड्यूटी, पूरी तरह से सीआरपीएफ की वीआईपी सिक्योरिटी इकाई को सौंप दी जाएगी। सूत्रों ने बताया, गृह मंत्रालय में हुई बैठक में कई बातों पर विचार हुआ है। सीआरपीएफ के अलावा दूसरे ऐसे केंद्रीय बल, जो वीआईपी सुरक्षा में तैनात हैं, उन्हें लेकर भी एक संयुक्त पॉलिसी तैयार करने पर चर्चा हुई है। अभी तक वीआईपी सुरक्षा में ज्यादातर एनएसजी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ व आईटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा का दायित्व 'एसपीजी' के कंधों पर है। एसपीजी में अधिकांश जवान, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से आते हैं। पांच वर्ष पहले कई अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप 'एसपीजी' के पास थी, उनकी सुरक्षा भी सीआरपीएफ को सौंपी गई थी। अब राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) से वीआईपी सुरक्षा की जिम्मेदारी वापस ली जा रही है। अब सीआरपीएफ के पीडीजी दस्ते का दायरा बढ़ाया जा सकता है। वजह, संसद की ड्यूटी से अब पीडीजी को मुक्त कर दिया गया है। एनएसजी की वीआईपी सिक्योरिटी यूनिट, स्पेशल रेंजर ग्रुप (एसआरजी) की ड्यूटी, पूरी तरह से सीआरपीएफ की वीआईपी सिक्योरिटी इकाई को सौंप दी जाएगी। एनएसजी को उसके मूल काम यानी आतंकवाद विरोधी और अपहरण रोधी अभियानों का विशिष्ट दायित्व सौंपा जाएगा। एनएसजी अपने मूल चार्टर और उच्च जोखिम वाले वीआईपी की सुरक्षा के कार्य पर ध्यान केंद्रित करेगी। अमित शाह द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद इस प्रपोजल पर विचार शुरू हुआ था कि एनएसजी के ब्लैक कैट कमांडो को वीवीआईपी सुरक्षा से मुक्त कर दिया जाए। जिन वीवीआईपी की सुरक्षा, एनएसजी को सौंपी गई थी, उसे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हवाले कर दिया जाए। पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप की ट्रेनिंग एवं उपकरणों पर बहुत पैसा खर्च हुआ है। पीडीजी एक स्पेशल फोर्स रही है। ऐसे में अब इस फोर्स को क्या जिम्मेदारी दी जाए। यह तय हुआ कि पीडीजी को वीआईपी सुरक्षा में तैनात किया जाए। सीआरपीएफ के पास, तो पहले से ही अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा के लिए एक खास विंग है। इस प्रस्ताव के साथ ही कई वर्षों से फाइलों में चल रहा 'एनएसजी' का मसला भी आगे बढ़ गया। इस बाबत कई माह पहले एक अहम बैठक हो चुकी है। उसमें आईबी चीफ, सीआरपीएफ डीजी और एनएसजी डीजी मौजूद रहे थे। सूत्रों के अनुसार, नॉर्थ ब्लॉक में हुई बैठक में इस बात पर चर्चा हुई है कि एनएसजी सुरक्षा प्राप्त लोगों की हिफाजत का काम अब सीआरपीएफ को सौंप दिया जाए। पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला और गुलाम नबी आजाद, बसपा प्रमुख मायावती, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू व छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह के पास एनएसजी सुरक्षा है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
admin
May 31, 2024
एम्स में ट्विन स्पिन तकनीक के साथ बाइप्लेन फ्लैट पैनल डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी
नई दिल्ली, 31 मई 2024 (यूटीएन)। एम्स, नई दिल्ली के न्यूरोसाइंसेज सेंटर के न्यूरोइमेजिंग और इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजी विभाग ने ‘ट्विन स्पिन तकनीक के साथ बाइप्लेन फ्लैट पैनल डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी’ में सबसे उन्नत तकनीक स्थापित करके एक नया मानदंड स्थापित किया है। एम्स, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने इस नई सुविधा का उद्घाटन किया। वर्तमान में इसमें दोनों विमानों में 3डी रोटेशनल एंजियोग्राफी (ट्विन स्पिन) प्राप्त करने की एक अनूठी सुविधा है; यह तकनीक अन्य प्रतिस्पर्धियों के पास उपलब्ध नहीं है। ट्विन स्पिन तकनीक के साथ, ऑपरेटर पार्श्व विमान को पार्क स्थिति में ले जाए बिना 2डी बाइप्लेनर इमेजिंग और 3डी इमेजिंग के बीच सहजता से स्विच कर सकते हैं। यह स्ट्रोक केंद्रों को अधिक रोगियों का तेजी से और अधिक सटीक रूप से इलाज करने की चुनौती से निपटने में मदद करता है। इसके अलावा, यह सबसे उन्नत "कोन बीम सीटी तकनीक" से लैस है जो डायरेक्ट-टू-एंजियोग्राफी सूट वर्कफ़्लो के साथ तीव्र स्ट्रोक रोगियों की सबसे तेज़ ट्राइएजिंग की अनुमति देता है, जो देरी को काफी कम करता है और इस तरह मस्तिष्क को और अधिक नुकसान से बचाता है, जो "समय मस्तिष्क है" की अवधारणा का पूरी तरह से समर्थन करता है। इसे एक ही इंटरवेंशनल सूट में न्यूरो-इंटरवेंशनल प्रक्रियाओं की एक विस्तृत श्रृंखला की पेशकश करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह नया उपकरण बेजोड़ छवि गुणवत्ता सुनिश्चित करता है जो सी-आर्म एंगुलेशन और रोगी के वजन की एक विस्तृत श्रृंखला में लगातार उच्च बनी रहती है, जो विकिरण खुराक में महत्वपूर्ण बचत की अनुमति देती है, जिससे रोगियों और ऑपरेटरों की सुरक्षा को लाभ होता है। चूंकि पिक्सेल रिज़ॉल्यूशन सबसे अच्छा है, इसलिए यह सुविधा छोटी संरचनाओं के बेहतर विज़ुअलाइज़ेशन की सुविधा देती है जिन्हें अन्यथा चित्रित करना मुश्किल होता है। 2डी और 3Dडी इमेजिंग तकनीक में प्रगति के साथ, छवि गुणवत्ता और विकिरण खुराक में कमी अगले स्तर पर पहुंच गई है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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May 31, 2024
अगर मोदी सरकार की हुई वापसी तो कौन होगा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार?
नई दिल्ली, 31 मई 2024 (यूटीएन)। देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल का कार्यकाल इस महीने के आखिर में 31 मई, 2024 को समाप्त हो रहा है। इस साल जनवरी में 79 वर्ष के हो चुके अजील डोभाल पिछले दस सालों से देश के एनएसए हैं। चार जून को चुनाव परिणाम घोषित होने हैं, जिसके बाद नई सरकार के गठन का रास्ता साफ होगा। अगर इंडिया गठबंधन की सरकार बनती है, तो ऐसे में जाहिर है कि एनएसए के पद के लिए वह अपनी पसंद को प्राथमिकता देगी। नौकरशाही के हलकों में इस बात को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं कि अगर फिर से भाजपा सरकार की वापसी होती है, तो मोदी सरकार 3.0 में देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कौन होगा? *2019 में पांच साल के लिए एनएसए बने थे अजीत डोभाल* 1968 बैच के केरल कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल को साल 2019 में कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 31-05-2019 को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर नियुक्ति को मंजूरी दी थी। उनका दूसरा कार्यकाल पांच साल के लिए बढ़ाया गया था। साथ ही उन्हें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मामलों के मंत्री एस जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समान कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया था। उस समय उनकी नियुक्ति के आदेश को लेकर कहा गया था कि उनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री के कार्यकाल के साथ-साथ या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, समाप्त होगी। वहीं उनका कार्यकाल इस साल 31 मई को समाप्त हो रहा है। हालांकि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वे केवल राज्य मंत्री के रैंक के साथ केवल एनएसए ही नियुक्त किए गए थे। तब उन्होंने पांचवे एनएसए के तौर पर 30 मई, 2014 को पदभार संभाला था। *नए उत्तराधिकारी के नाम पर कयास जारी* सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अजीत डोभाल ने अब रिटायर होने की इच्छा जताई है। चार जून के बाद नई सरकार के गठन के बाद उन्होंने पद छोड़ने के संकेत दिए हैं। उनके नजदीकी सूत्रों का कहना है कि अगर भाजपा सरकार लौट कर भी आती है, तो भी वे अपने तीसरे कार्यकाल को लेकर अनिच्छुक हैं। वहीं अब उनका उत्तराधिकारी कौन होगा, इसे लेकर कयासों के दौर जारी हैं। सूत्रों का कहना है कि डोभाल के उत्तराधिकारी के तौर पर कुछ नाम कैबिनेट की नियुक्ति समिति को भेजे गए हैं। लगभग 10 साल तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में सबसे सीनियर 'मंत्री-नौकरशाह' का खिताब हासिल अजील डोभाल के उत्तराधिकारी को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अगर तीसरी बार फिर भाजपा सत्ता में आती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताजपोशी होती है, तो वे पहले से तय कर चुके होंगे कि वह अजीत डोभाल के स्थान पर किसे नया एनएसए नियुक्त करेंगे। *रॉ में लगातार चार साल रह चुके हैं चीफ* वहीं नए एनएसए के नाम को लेकर फिलहाल कयास ही लगाए जा रहे हैं। नया एनएनए बनने की रेस में जो नाम सबसे आगे हैं, उनमें पूर्व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) चीफ सामंत गोयल का नाम भी है। अजीत डोभाल के करीबी सामंत गोयल को पहले 2021 में बतौर रॉ चीफ एक वर्ष का एक्सटेंशन दिया गया। उसके बाद 2022 में भी कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने उनका कार्यकाल एक साल यानी 30 जून 2023 तक बढ़ा दिया था। गोयल को खुफिया मामलों का खास जानकार बताया जाता है। लंबे समय बाद रॉ में किसी चीफ को चार साल तक सेवा करने का अवसर मिला है। खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की अमेरिका में हत्या की साजिश मामले में तत्कालीन रॉ प्रमुख सामंत गोयल का सामने आया था, और कहा गया था कि उन्होंने ही इसे मंजूरी दी थी। हालांकि भारत-अमेरिकी संबंधों को देखते हुए उनके नाम पर कम ही सहमति बन सकती है। सामंत गोयल के बाद जो नाम चर्चा में है वह राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में डिप्टी एनएसए आईपीएस पंकज सिंह है। पंकज सिंह पहले बीएसएफ के प्रमुख की निभा चुके हैं। वे अजीत डोभाल के करीबी भी हैं और उनके पास इंटरनल सिक्योरिटी का खासा अनुभव भी है। हालांकि उनके पास विदेश मामलों को लेकर ज्यादा अनुभव नहीं है, जो संभवतया उनके लिए वीक पॉइंट साबित हो सकता है। *गलवां घाटी में हिंसक संघर्ष के दौरान रहे चीन में राजदूत* इसके अलावा भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिसरी का नाम भी रेस में है। विक्रम मिसरी 1989 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे हैं। उनकी गिनती चीन मामलों के जानकार के तौर पर होती है। मिसरी को 2019 में बीजिंग में राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया था। जून 2020 में गलवां घाटी में भारत-चीनी सैनिकों के हिंसक संघर्ष के बाद मिसरी चीन के साथ हुईं कई वार्ताओं का हिस्सा रहे थे। उन्होंने विदेश मंत्रालय में, प्रधानमंत्री कार्यालय में, और यूरोप, अफ्रीका, एशिया और उत्तरी अमेरिका में कई भारतीय मिशनों में काम किया है। सूत्रों का कहना है कि उनके पास इंटरनल सिक्योरिटी को लेकर ज्यादा अनुभव नहीं है। इसलिए उनके नाम पर सहमति बनने के चांस कम ही हैं। *रूस में भारत के राजदूत रह चुके हैं पंकज सरन* 1982 बैच के भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रह चुके पंकज सरन पूर्व डिप्टी एनएसए भी रह चुके हैं और चार साल पहले ही इस पद से रिटायर हुए हैं। सरन को नवंबर 2015 में रूस में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया था। वह भारत और विदेश में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। पहले 1995 से 1997 तक उपसचिव, निदेशक के रूप में और फिर 2007 से 2012 तक संयुक्त सचिव के रूप में कार्यभार संभाल चुके हैं। उन्हें भी डोभाल का करीबी माना जाता है। लेकिन आंतरिक मामलों को लेकर उनके पास भी ज्यादा अनुभव नहीं हैं। सूत्रों का कहना है कि उनके नाम पर कोई विवाद नहीं है। स्वच्छ छवि वाले अधिकारी रहे हैं। लेकिन वे कुछ साल पहले ही रिटायर हुए हैं। अगर वे एनएसए बन भी जाते हैं तो ब्यूरोक्रेसी पर कितनी लगाम लगा पाएंगे ये बड़ा सवाल है। *उरी और बालाकोट जैसी सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका* रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख अनिल धस्माना 1981 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। धस्माना को सितंबर 2020 में ही दो साल के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) प्रमुख नियुक्त किया गया था। एनटीआरओ देश की तकनीकी संस्था है जो भू-स्थानिक खुफिया और उपग्रह इमेजरी की देखभाल करती है। धस्माना की काबिलियत यह है कि उरी और बालाकोट जैसी सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभा चुके हैं। उन्हें बलूचिस्तान, आतंकवाद और इस्लामी मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। उनके पास पाकिस्तान और अफगानिस्तान में काम करने का खासा अनुभव भी है। वे दुनिया भर के तमाम देशों की राजधानियों में सेवा भी दे चुके हैं, जिसमें लंदन और फ्रैंकफर्ट भी शामिल हैं और उन्होंने सार्क और यूरोप डेस्क भी संभाला है। माना जा रहा है कि मोदी 3.0 में धस्माना बतौर एनएसए पद के लिए पहली पसंद हो सकते हैं। खास बात यह है कि उन्हें अजीत डोभाल भी पसंद करते हैं, साथ ही वे उत्तराखंड से भी ताल्लुक रखते हैं। *खुद इनके सफल ऑपरेशनों की प्रधानमंत्री कर चुके हैं निगरानी* हिमाचल प्रदेश 1998 बैच काडर के आईपीएस अफसर तपन डेका को जून 2022 में इंटेलिजेंस ब्यूरो का नया डायरेक्टर नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल इस साल जून के आखिर तक है। तेजतर्रार अधिकारी तपन डेका ने अपना ज्यादातर करियर इंटेलिजेंस ब्यूरो में ही गुजारा है। वे केंद्र सरकार के सबसे भरोसेमंद अफसरों में से एक रहे हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद, खासकर टारगेटेड किलिंग के मामलों को संभाला है। वे कई एंटी टेररिस्ट अभियानों में भी शामिल रहे हैं। जम्मू कश्मीर में इंटेलिजेंस से जुटा महत्वपूर्ण डाटा जुटाने में उनकी अहम भूमिका रही है। उनके कई सफल ऑपरेशनों की खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बारीकी से निगरानी की है। वे भी नए एनएसए के पद के लिए कैबिनेट की नियुक्ति समिति की पसंद बन सकते हैं। *क्या कोई कैबिनेट मंत्री बनेगा एनएसए?* सूत्रों ने बताया कि नए एनएसए को लेकर एक अप्रत्याशित फेरबदल भी देखने को मिल सकता है। मोदी सरकार के सबसे खास मौजूदा कैबिनेट मंत्री और पूर्व ब्यूरोक्रेट को भी यह पद सौंपा जा सकता है। अगर चार जून को भाजपा सरकार की वापसी होती है और नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री का पद संभालते हैं, तो वे उनकी योग्य पसंद बन सकते हैं। इसकी वजह है कि न केवल उनके बाहरी राष्ट्रों से भी अच्छे संबंध हैं, बल्कि अमेरिका और रूस से भी उनके अच्छे रिश्ते हैं। पूर्व नौकरशाह रह चुके हैं। उनके दो जूनियर अफसर इस बार भाजपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ रहे हैं। संभव है कि नई सरकार में उनमें से एक को विदेश मंत्री का कार्यभार भी सौंपा जा सकता है। वहीं अगर वह पूर्व ब्यूरोक्रेट एनएसए बनते हैं, तो राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ विदेश मामलों पर भी उनकी गहरी नजर रहेगी और मार्गदर्शक की भूमिका भी बखूबी निभा सकेंगे। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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May 31, 2024
महिलाओं के हार्ट फेलियर प्रबंधन में अग्रणी प्रगति हेडलाइन ऐतिहासिक कार्डियो मेटाबोलिक सम्मेलन
नई दिल्ली, 30 मई 2024 (यूटीएन)। कोविड के बाद के युग में महिलाओं में हार्ट फेलियर के बढ़ते खतरे और अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, मोटापे और मधुमेह के उच्च प्रसार से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवा में “कार्डियो रेनो मेटाबोलिक नेविगेशन द्वारा महिलाओं में हार्ट फेलियर के नैदानिक प्रबंधन की संभावनाओं को बढ़ाने” पर प्रकाश डालने वाला ऐतिहासिक कार्डियो मेटाबोलिक सम्मेलन हाल ही में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, दिल्ली में आयोजित किया गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हेल्दी हार्ट सोसाइटी और मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के सहयोग से सम्मेलन की मेजबानी की। सम्मेलन में विचार-विमर्श करते हुए, डॉ. एच.के. चोपड़ा, मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार, आईएमए, एनडीबी ने हृदयाघात के प्रभाव को कम करने के लिए संरचित तरीके से शीघ्र निदान और उपचार की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, "महिलाओं में चयापचय संबंधी कारणों से संरक्षित इजेक्शन अंश (एचएफपीईएफ) के साथ हृदयाघात होने की अधिक संभावना होती है, जिसके लिए एक विशेष दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। महिलाओं में हृदयाघात को जागरूकता बढ़ाने और समय पर उपचार के माध्यम से काफी हद तक रोका जा सकता है, प्रतिवर्ती किया जा सकता है और प्रबंधित किया जा सकता है।" इस सम्मेलन का उद्देश्य वजन और रक्तचाप प्रबंधन, नमक का सेवन कम करना, नींद को प्राथमिकता देना, धूम्रपान से बचना और तनाव प्रबंधन, व्यायाम, ध्यान, योग और मन लगाकर खाने को शामिल करने सहित हृदय स्वास्थ्य के लिए निवारक रणनीतियों के साथ व्यक्तियों को सशक्त बनाना है। यह महिलाओं में हृदयाघात के प्रबंधन के लिए नवीन नैदानिक दृष्टिकोणों का भी पता लगाएगा, विशेष रूप से उच्च रक्तचाप, मोटापा और मधुमेह जैसी चयापचय स्थितियों के कारण, और परिणामों को बेहतर बनाने और हृदय से संबंधित मौतों को कम करने के लिए हाल ही में हुई सफलताओं पर चर्चा करेगा। डॉ. चोपड़ा ने हार्ट फेलियर के निदान में इको, एमआरआई और एनटी प्रो बीएनपी जैसी उन्नत तकनीकों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया, "डेपाग्लिफ्लोज़िन, एआरएनआई, बीटा ब्लॉकर्स, एमआरए, वेरिसिग्वेट जैसी क्रांतिकारी दवाओं और इंक्लिसिरन और स्टैटिन के साथ पीसीएसके 9 अवरोधकों जैसे नए लिपिड-कम करने वाले एजेंटों के प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता है। इन दवाओं को हार्ट फेलियर थेरेपी के लिए स्वर्ण मानक माना जाता है। इसलिए, हर अस्पताल में 'हार्ट फेलियर क्लीनिक' की स्थापना और टेलीविजन और समाचार पत्रों के माध्यम से जनता को शिक्षित करने, जागरूकता बढ़ाने और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए 'मिशन हार्ट फेलियर केयर' पहल का प्रस्ताव करना इस गंभीर समस्या को दूर करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।" आईएमए एनडीबी के अध्यक्ष और मैक्स हार्ट एंड वैस्कुलर इंस्टीट्यूट में कैथ लैब्स के प्रमुख डॉ. विवेका कुमार ने ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (टीएवीआई) के प्रभाव पर प्रकाश डाला, जो एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है, उन्होंने कहा, "टीएवीआई पारंपरिक सर्जरी के लिए अयोग्य गंभीर महाधमनी स्टेनोसिस वाले रोगियों के लिए जीवन रक्षक विकल्प प्रदान करता है, हृदय संबंधी देखभाल को बदलता है और उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है, जो चिकित्सा नवाचार की वैश्विक क्षमता को प्रदर्शित करता है। "आईएमए एनडीबी के सचिव डॉ. राजीव गर्ग कहते हैं, 'गैर-संचारी रोगों को रोकने में जीवनशैली में बदलाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अतिरिक्त, व्यापक पर्यावरणीय और व्यावसायिक स्वास्थ्य पहल आवश्यक हैं, क्योंकि वे समग्र स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। सम्मेलन का समापन "महिलाओं के लिए वार्षिक सम्मान समारोह" के साथ हुआ, जिसमें उन्नत चिकित्सा देखभाल में उनके योगदान के लिए 150 से अधिक महिला डॉक्टरों को सम्मानित किया गया। इस सशक्तिकरण इशारे ने महिला चिकित्सा पेशेवरों के महत्वपूर्ण प्रभाव को उजागर किया। वैज्ञानिक विचार-विमर्श में 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जो महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Ujjwal Times News
May 30, 2024
मनमोहन सिंह का पत्र: 'लो लेवल भाषा और हेट स्पीच मोदी जी आपने पीएम ऑफिस की मर्यादा गिराई
नई दिल्ली, 30 मई 2024 (यूटीएन)। पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा चुनाव 2024 के आखिरी चरण के मतदान से पहले एक तरफ वोटरों से खास अपील की तो दूसरी ओर पीएम नरेंद्र मोदी पर उनकी भाषा और नीतियों को लेकर जोरदार हमला भी किया. गुरुवार को एक लेटर जारी करते हुए मनमोहन सिंह ने पंजाब की जनता से कई और बातें भी कहीं. डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, मेरे प्यारे साथी नागरिकों, भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है. अंतिम चरण के मतदान में, हमारे पास लोकतंत्र और हमारे संविधान को सुरक्षित रखने का एक निरकुंश शासन को खत्म करने का एक अंतिम मौका है. पंजाब और पंजाबी योद्धा हैं. हम अपने बलिदान की भावना के लिए जाने जाते हैं. हमारा सद्भाव, सौहार्द और लोकतांत्रिक व्यवस्था में सहज विश्वास हमारे महान राष्ट्र की रक्षा कर सकता है. *'पीएम ने काफी असंसदीय भाषा का किया है इस्तेमाल'* अपने लेटर में मनमोहन सिंह ने कहा, "मैं इस चुनाव अभियान के दौरान राजनीतिक चर्चा को बहुत ध्यान से देख रहा हूं. मोदी जी ने काफी घृणास्पद भाषण दिए हैं, जो पूरी तरह से विभाजनकारी हैं. मोदी जी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने पद की गरिमा और उसके साथ ही प्रधानमंत्री पद की गंभीरता को कम किया है. इससे पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने किसी खास वर्ग या विपक्ष को निशाना बनाने के लिए इतनी घृणित, असंसदीय और निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया. उन्होंने मुझे लेकर भी कुछ गलत बयान दिए हैं. मैंने अपने जीवन में कभी भी एक समुदाय को दूसरे से अलग नहीं किया. यह भाजपा का विशेष अधिकार और आदत है. *'10 साल में बीजेपी ने पंजाब को बदनाम किया'* मनमोहन सिंह ने आगे लिखा, पिछले दस साल में भाजपा सरकार ने पंजाब और पंजाबियत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. पंजाब के 750 किसान शहीद हुए हैं. किसान लगातार महीनों तक दिल्ली की सीमाओं पर इंतजार करते रहे. इन पर सरकार ने हमले कराए. किसानों को संसद में आंदोलनजीवी और परजीवी कहा गया. *किसानों का मुद्दा भी उठाया* मोदी जी ने 2022 तक हमारे किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन उल्टा 10 साल में किसानों की आय कम हो गई है. हमारे खेत परिवारों की बचत को नष्ट कर दिया और उन्हें हाशिये पर छोड़ दिया. इस बार कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र में "किसान न्याय" के तहत 5 गारंटी हैं. कांग्रेस ने एमएसपी की कानूनी गारंटी, कृषि के लिए एक स्थिर निर्यात-आयात नीति, ऋण माफी और अन्य कई घोषणाएं की हैं. *नोटबंदी जैसे फैसलों को बताया गलत* मनमोहन सिंह ने अपने लेटर में मोदी सरकार की नीतियों पर की भी आलोचना की है. उन्होंने लिखा है कि पिछले 10 वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था में अकल्पनीय उथल-पुथल देखी गई है. नोटबंदी, गलत तरह से जीएसटी लागू, कोरोना में लॉकडाउन के फैसले ने दयनीय स्थिति उत्पन्न की है. भाजपा सरकार के कार्यकाल में औसत जीडीपी विकास दर 6 फीसदी से कम रही है, जबकि कांग्रेस-यूपीए के कार्यकाल में यह लगभग 8 प्रतिशत थी. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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May 30, 2024