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बौड्ढा गाँव में माता मंदिर मार्ग पर गंदगी, दुर्गं, कीचड और जलभराव

बड़ौत, 27 सितंबर 2024 (यूटीएन)। तहसील क्षेत्र के बौड्ढा गाँव के प्रसिद्ध माता मन्दिर के मुख्य मार्ग पर लगा है गन्दगी का ढ़ेर। श्रद्धालुओं व गाँव के लोगों को हो रही है भारी परेशानी।करीब पांच दिन बाद शुरू होने वाले नवरात्र पर्व पर गंदगी, कीचड और दुर्गंध से निजात दिलाने तथा मार्ग को आवागमन के लिए उपयुक्त बनाने की उठी मांग। महिलाओं ने माता मन्दिर में दर्शन करने के लिए जाने में न हो परेशानी, इसके लिए जनप्रतिनिधियों से की मांग। दूसरी ओर समाजसेवी आरआरडी उपाध्याय ने ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए मन्दिर मार्ग में फैली गन्दगी हटाने व मार्ग को ठीक कराने के लिए जिलाधिकारी को पत्र भेजा है।वहीं ग्रामीणों ने मन्दिर मार्ग पर फैली गन्दगी को हटाकर मार्ग को ठीक कराने एवं बाधित निकासी के लिए नाले की सफाई के लिए आज प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का कहना है कि, भगवान की पूजा करने के लिए भी बहू बेटियों को नर्क से होकर जाना पड़े, यह शर्म की बात है। प्रदीप चौहान का कहना है कि, यह रास्ता गाँव के मुख्य मार्ग में से एक है ।   इस मार्ग के लोगों का जीवन गंदगी और दुर्गंध से बहुत ही नारकीय हो गया है। मन्दिर के पुजारी जयपाल कहते हैं कि, यह शक्ति पीठ है ,नवरात्रि आने वाली है तथा बेटियाँ स्नान करके माँ की आराधना करने के लिए इस गन्दगी से होकर मन्दिर पहुँचेंगीं, जो अत्यंत पीड़ा देने वाला है। बुजुर्ग रामफल कहते हैं कि, कई बार गन्दगी से निकलते हुए बुजुर्ग गिर चुके हैं और उन्हें चोट भी लग चुकी है। मन्दिर में आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं व ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए उनके दर्द को सम्बन्धित अधिकारियों तक पहुँचाकर मार्ग को ठीक कराने का आश्वासन देते हुए कहा ,जनप्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारी से नही बचना चाहिए, बल्कि उन्हें पूर्ण समर्पण भाव से अपने दायित्वों को निर्वाह करना चाहिए। प्रदर्शन करने वालो में मुख्य रूप से प्रदीप, श्याम सिंह, नरेश, कवरपाल, अरविन्द उपाध्याय, संजीव उपाध्याय  रविन्द्र, राम निवास, राजीव, मुलकी, आशकर्ण, जयपाल, रमेश, ब्रजपाल, रामकरण आदि उपस्थित रहे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Sep 27, 2024

इस्पात में आत्मनिर्भरता हासिल करना एक आर्थिक अनिवार्यता है: केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग राज्य मंत्री

नई दिल्ली, 27 सितंबर 2024 (यूटीएन)। इस्पात में आत्मनिर्भरता हासिल करना न केवल आर्थिक अनिवार्यता है, बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता भी है, खासकर वैश्विक अनिश्चितताओं के सामने” यह बात केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने कही। उन्होंने यह भी कहा कि अनुसंधान एवं विकास पर मजबूत फोकस न केवल दक्षता को बढ़ाएगा बल्कि नवाचार को भी बढ़ावा देगा, जिससे भारत अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने वाले उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात का उत्पादन कर सकेगा। नई सामग्रियों और टिकाऊ प्रथाओं की खोज करके, इस्पात उद्योग वैश्विक नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करते हुए विकसित बाजार की मांगों के अनुकूल हो सकता है। अनुसंधान एवं विकास पहल पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिस्पर्धात्मक रूप से स्थान बना सकेगा। वह नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) स्टील समिट 2024 को संबोधित कर रहे थे।   इस क्षेत्र के लिए स्थिरता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इस्पात मंत्रालय ने स्थिरता पर केंद्रित 14 टास्क फोर्स की स्थापना करके सक्रिय कदम उठाए हैं, जिसमें हाल की सिफारिशें शामिल हैं जो सीबीएएम जैसे अंतर्राष्ट्रीय नियमों के मद्देनजर इस क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया अधिक कड़े पर्यावरण मानकों की ओर बढ़ रही है, ऐसे में इस तरह के नियम अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं और भारत को भी इसके अनुसार खुद को ढालना चाहिए। इस्पात मंत्रालय के सचिव संदीप पौंड्रिक ने कहा कि जैसे-जैसे इस्पात उद्योग विकसित हो रहा है, तीन प्रमुख चुनौतियाँ सामने आ रही हैं: कच्चे माल की बढ़ती माँग को संबोधित करना, विविधीकरण के माध्यम से कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करना और हरित इस्पात उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करके स्थिरता को बढ़ाना। इन चुनौतियों से निपटना उद्योग के विकास और दीर्घकालिक व्यवहार्यता के लिए आवश्यक है।   उन्होंने कहा कि देश समग्र इस्पात क्षमता में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन विशेष इस्पात एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ हमें और अधिक करने की आवश्यकता है। योजना के पहले दौर में रुचि की कमी के कारण विशेष इस्पात व्यवसाय में अधिक रुचि प्राप्त करने के लिए सरकार पीएलआई का एक और दौर ला रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस्पात उद्योग को लौह अयस्क के लाभकारीकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए और भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए उच्च-गुणवत्ता और निम्न-गुणवत्ता दोनों प्रकार के लौह अयस्क का उपयोग करना चाहिए। ऐसा न करने पर भविष्य में लागत में भारी वृद्धि होगी। लाभकारीकरण संसाधन उपयोग को अधिकतम करने, लागत कम करने और आपूर्ति सुरक्षा को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। सीआईआई नेशनल कमेटी ऑन स्टील के चेयरमैन कौशिक चटर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत विकसित भारत का विजन एक परिवर्तनकारी पहल है जिसका उद्देश्य न केवल आर्थिक विकास बल्कि सामाजिक और ढांचागत विकास भी है।  इस विजन के मूल में स्टील सेक्टर है, जो एक आधारभूत उद्योग है।   जो बुनियादी ढांचे, विनिर्माण और औद्योगिक प्रगति का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सीआईआई नेशनल कमेटी ऑन स्टील के सह-अध्यक्ष जयंत आचार्य ने कहा, "भारत असाधारण रूप से तेज गति से बढ़ रहा है और हम इस आर्थिक यात्रा का हिस्सा बनने के लिए भाग्यशाली हैं। जैसा कि हम देख रहे हैं, कम से कम दो दशकों तक निरंतर विकास होना बाकी है, ठीक वैसे ही जैसे जापान, कोरिया, चीन, यूरोप और अमेरिका में विकास चक्र देखा गया है। यह एक निर्णायक क्षण है, जहां भारत का विकास संरचनात्मक सक्षमताओं जैसे कि बुनियादी ढांचे के निर्माण - भौतिक और डिजिटल दोनों - द्वारा संचालित है, जो मजबूत सरकारी पहलों द्वारा समर्थित है। भारत के लिए, भारत में विनिर्माण अब एक आवश्यकता है क्योंकि हमारा लक्ष्य सच्ची आत्मनिर्भरता हासिल करना है।" विश्व इस्पात संघ के महानिदेशक डॉ एडविन बैसन ने शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "इस्पात उद्योग में बनाए गए प्रत्येक $1 मूल्य के लिए, कच्चे माल से लेकर सेवाओं तक के सहायक क्षेत्रों में $4 और उत्पन्न होते हैं और इसी तरह इस क्षेत्र में प्रत्येक 1 नौकरी के लिए, आपूर्ति श्रृंखला में 13 नौकरियां पैदा होती हैं।   यह इस्पात उद्योग की सक्षम प्रकृति को उजागर करता है। न केवल भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की रीढ़ के रूप में, बल्कि व्यापक अर्थव्यवस्था में विकास और मूल्य सृजन के चालक के रूप में।" शिखर सम्मेलन में भारतीय हरित इस्पात गठबंधन के शुभारंभ पर बोलते हुए, भारत हरित इस्पात गठबंधन के अध्यक्ष आर के गोयल ने कहा कि भारतीय हरित इस्पात गठबंधन इस्पात उद्योग में उत्सर्जन को काफी कम करने के लिए अक्षय ऊर्जा और हरित प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने में विश्वास करता है। चाहे वह कार्बन कैप्चर के माध्यम से हो या हरित हाइड्रोजन का उपयोग करके, भारत-विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को नया रूप देने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जो इस्पात उद्योग के डीकार्बोनाइजेशन को आगे बढ़ाएंगे और 2070 तक भारत की शुद्ध-शून्य महत्वाकांक्षाओं में योगदान देंगे। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के महासचिव और सीईओ रवि सिंह ने शिखर सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि सीआईआई के साथ हमारी संयुक्त पहल के माध्यम से, हमारा लक्ष्य 2023 के स्तर की तुलना में 2030 तक इसकी कार्बन तीव्रता को कम से कम 30% कम करके भारत के इस्पात उत्पादन को डीकार्बोनाइज करना है। हमारा ध्यान हरित प्रौद्योगिकी को अपनाने को बढ़ावा देने तथा लगभग शून्य उत्सर्जन मार्ग की ओर बढ़ने के लिए विज्ञान आधारित वकालत पर है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 27, 2024

तस्करी, जालसाजी से भारी आर्थिक और सामाजिक नुकसान हो रहा है: न्यायमूर्ति संजय करोल

नई दिल्ली, 27 सितंबर 2024 (यूटीएन)। न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय ने तस्करी और जालसाजी के कारण देश के आर्थिक और सामाजिक पहलुओं पर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला। फिक्की-कैस्केड द्वारा आयोजित ‘.मास्क्रेड’ के 10वें संस्करण के दूसरे दिन समापन भाषण देते हुए न्यायमूर्ति करोल ने कहा, “तस्करी और जालसाजी देश की आर्थिक स्थिरता, सामाजिक सुरक्षा और अखंडता को खतरे में डाल रही है। तस्करी और जालसाजी अक्सर कई अन्य आर्थिक और सामाजिक समस्याओं के बीच छिपी रहती है, लेकिन वैध व्यवसायों के बड़े हिस्से को नष्ट करती रहती है, जिसके परिणामस्वरूप काफी आर्थिक और सामाजिक नुकसान होता है।” न्यायमूर्ति करोल ने इस बात पर जोर दिया कि इस खतरे से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग आवश्यक है और उन्होंने मजबूत अंतर-राज्यीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "क्यूआर कोड का उपयोग उपभोक्ताओं की सुरक्षा करने और तस्करी और जालसाजी के मुद्दों को हल करने में मदद करेगा। इस लड़ाई में सोशल मीडिया मध्यस्थ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।   हमें अपने अंतर-राज्यीय सहयोग को मजबूत करना चाहिए और मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि पिछले दस वर्षों में, ये सहयोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हुए हैं।" दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति नवीन चावला ने कहा, "तस्करी और जालसाजी नागरिकों के दैनिक जीवन को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करते हैं। ये गतिविधियाँ $2 ट्रिलियन की छाया अर्थव्यवस्था का निर्माण करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्र को महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान होता है। इस खतरे को विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका द्वारा समान रूप से संबोधित करने की आवश्यकता है। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि तीनों शाखाएँ इस मुद्दे से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।" न्यायमूर्ति चावला ने कहा कि उपभोक्ताओं को यह पता होना चाहिए कि अवैध उत्पाद खरीदने से उन्हें अल्पकालिक लाभ हो सकता है, लेकिन यह उनके साथ-साथ राष्ट्र के लिए दीर्घकालिक नुकसान है।  विधि एवं न्याय मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव डॉ. अंजू राठी राणा ने कहा, "अवैध व्यापार में नशीली दवाओं की तस्करी, तस्करी, जालसाजी और मानव तस्करी जैसी कई तरह की गतिविधियाँ शामिल हैं।   संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ये गतिविधियाँ वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो एक चिंताजनक आंकड़ा है और इस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। अवैध व्यापार से निपटने के लिए भारत को व्यापक रणनीति अपनानी होगी। इन रणनीतियों में मुख्य रूप से जन जागरूकता को बढ़ावा देने और अवैध व्यापार करने वालों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई के लिए संयुक्त कार्य बलों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।" मास्क्रेड के 10वें संस्करण में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन , संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स एवं अपराध कार्यालय , यूरोपीय संघ बौद्धिक संपदा कार्यालय , अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध वैश्विक पहल , अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग और डेनिश पेटेंट एवं ट्रेडमार्क कार्यालय जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भाग लिया। दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान, भारत और विदेश के विशेषज्ञों ने अत्यधिक जानकारीपूर्ण प्रस्तुतियाँ दीं और कई व्यावहारिक पूर्ण सत्रों में बात की, जिसमें तस्करी और नकली सामानों का बहिष्कार करके अवैध व्यापार के खिलाफ़ लड़ाई में उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला गया। मास्क्रेड के 10वें संस्करण के समापन से पहले, जालसाजी विरोधी और तस्करी विरोधी पुरस्कार समारोह में प्रवर्तन अधिकारियों, स्कूली बच्चों और पत्रकारों को सम्मानित किया गया।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 27, 2024

पीएचडीसीसीआई और स्त्री शक्ति - द पैरेलल फोर्स जम्मू कश्मीर में आयोजित करेंगे महिला लीडर्स कॉन्क्लेव

नई दिल्ली, 27 सितंबर 2024 (यूटीएन)। महिलाओं को सशक्त बनाने के अपने प्रयासों में एक और कदम बढ़ाते हुए पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने यहां गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) स्त्री शक्ति - द पैरेलल फोर्स (एसएसपीएफ) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। एमओयू का उद्देश्य महिला लीडर्स कॉन्क्लेव 2025 के बारे में जागरूकता फैलाना है जो 7-9 अप्रैल, 2025 को जम्मू और कश्मीर में आयोजित होने जा रहा है। कॉन्क्लेव महिलाओं के बीच नेतृत्व और क्षमता विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेगा, साथ ही आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में उनकी भागीदारी पर जोर देगा। इस समझौता ज्ञापन पर पीएचडीसीसीआई के सीईओ और महासचिव डॉ. रंजीत मेहता और एसएसपीएफ की संस्थापक और अध्यक्ष सुश्री रेखा मोदी ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर पीएचडीसीसीआई की प्रबंध समिति के सदस्य और उद्योग एवं नीति मामलों की समिति के अध्यक्ष  विवेक अग्रवाल, एसएसपीएफ की सह-प्रमुख डॉ. निरजा मट्टू और दोनों संगठनों के नेटवर्क भागीदार उपस्थित थे।   इस साझेदारी का उद्देश्य महिला नेताओं के लिए एक मजबूत समर्थन प्रणाली का निर्माण करना है, जिससे उन्हें अपने संबंधित क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए कौशल और संसाधन प्रदान किए जा सकें। इस पहल के महत्व पर जोर देते हुए डॉ. मेहता ने कहा, "पीएचडीसीसीआई महिला उद्यमियों और नेताओं के लिए अवसर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्त्री शक्ति के साथ यह साझेदारी सार्थक संवाद और सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगी, जो बहुत जरूरी नीतिगत बदलाव ला सकती है।" साझेदारी के माध्यम से अपना समर्थन देने के लिए पीएचडीसीसीआई को धन्यवाद देते हुए सुश्री मोदी ने कहा, "पीएचडीसीसीआई के साथ हमारा सहयोग सभी क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। महिला नेताओं का सम्मेलन आशा और प्रगति की किरण के रूप में काम करेगा, खासकर जम्मू और कश्मीर के संदर्भ में, जहाँ महिला नेतृत्व सामाजिक विकास में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाएगा।" सम्मेलन में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मंचों से महिला नेताओं, हितधारकों और संगठनों के साथ संवादात्मक सत्र होंगे। यह महिलाओं की नेतृत्व भूमिकाओं, संसाधनों और कौशल तक पहुँच को बेहतर बनाने पर चर्चा के लिए एक मंच भी प्रदान करेगा, जो उनके समग्र सशक्तिकरण में योगदान देगा।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 27, 2024

पंचकूला कोर्ट में पार्किंग की समस्या काफी गंभीर शीघ्र होगा इसका समाधान

पंचकुला, 26 सितंबर 2024 (यूटीएन)। पंचकूला जिला बार एसोसिएशन में चन्द्रमोहन ने वकीलों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। जिसमें उन्होंने बार एसोसिएशन की मांगो और समस्याओं को लेकर चर्चा की। चंद्रमोहन ने बार एसोसिएशन के सदस्यों को भरोसा दिलाया कि कांग्रेस की सरकार आते ही उनकी सभी समस्याओं और मांगों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा। पंचकूला बार एसोसिएशन के वकीलों ने चंद्रमोहन को समर्थन और सहयोग देने का वादा किया।बार एसोसिएशन के सदस्यों को संबोधित करते हुए चंद्रमोहन ने कहा कि किसी भी शहर में शांति और सुरक्षा बनाने और जरूरतमंद लोगों को न्याय दिलवाने में वकीलों का अहम योगदान रहता है।   वकील किसी भी शहर की तरक्की का मुख्य आधार है। बार एसोसिएशन के वकीलों ने चंद्रमोहन द्वारा जिला पंचकुला बनाने और जिला कोर्ट पंचकुला में बनवाने से लेकर बार को समय समय पर आर्थिक मदद देने के साथ साथ वकीलों के हित में कार्य करने को लेकर आभार प्रकट किया तथा उन्हें विजयी बनाने का समर्थन देने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम में एडवोकेट अमन दत्त शर्मा के प्रयासों द्वारा जसबीर ठोल ने अपने साथियों के साथ भाजपा छोड़ कर चंद्रमोहन की मोजूदगी मे काँग्रेस पार्टी मे शामिल हुए। चन्द्रमोहन ने बार एसोसिएशन के कुछ प्रमुख मुद्दों जैसे पार्किंग की समस्या को हल करने का आश्वासन दिया। इसके साथ चंद्रमोहन ने कहा कि वह वकीलों की समस्याओं से भली भांति परिचित है।   और विधानसभा चुनाव जीतने के पश्चात वकीलों के मुद्दो को पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विजय बंसल पूर्व चेयरमैन, संतोष शर्मा, केसी भाटिया, दिनेश जांगड़ा, सुनीत सिंगला पार्षद, एडवोकेट नवीन बंसल, मुनीष छाछिया आदि कांग्रेस प्रत्याशी के साथ पहुंचे। जिला बार एसोसिएशन के प्रधान जगपाल सिंह, महासचिव अमन दत्त शर्मा, उदित मेंहदीरत्ता, दीपांशु बंसल, सतीश कादियान, जसवंत सिंह, संदीप बूरा, अंकित मलिक, हिमांशु सिंह, केतन खुराना, गौरव शर्मा, यवनीत ढाकला, मान सिंह चंदेल, अजय चैधरी,राज सिंह चैहान,अमित मोर,पीसी शर्मा, तरण प्रीत कौर, कंचन बाला, शेलेन्द्र कौर, निशा मलिक, कोमल तमक आदि अधिवक्ताओं ने चंद्रमोहन का गर्मजोशी से स्वागत किया।    और चंद्रमोहन को अपना समर्थन दिया। कांग्रेस प्रत्याशी चंद्र मोहन को पंचकूला विधानसभा के हर गांव शहर में भारी जन समर्थन प्राप्त हो रहा है। लोग हजारों की संख्या में उनकी नुक्कड़ जनसभाओं में उनके विचार सुनने पहुंच रहे हैं। वीरवार को भारी बरसात के बावजूद सेक्टर 5, सेक्टर 16, सेक्टर 6, बुढ़नपुर, राजीव कालोनी, सकेतड़ी, सेक्टर 18, सेक्टर 17 व सेक्टर 25, की जनसभाओं में शिरकत की। वहीं उनके पुत्र सिद्धार्थ ने डोर टू डोर प्रचार करते हुए सेक्टर 9, खटौली व सेक्टर 31 में अभियान जारी रखा। इन नुक्कड़ सभा में विभिन्न पार्टियों से भारी संख्या में लोगों ने चंद्र मोहन के नेतृत्व में कांग्रेस को ज्वाइन किया। इस अवसर पर चंद्र मोहन ने सभी को कांग्रेस में पूरे मान सम्मान का भरोसा दिया।   हरियाणा-स्टेट ब्यूरो, (सचिन बराड़)।

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Sep 26, 2024

ज्ञान फाउंडेशन "अंबेडकर के विचार को पूर्ण करती मोदी सरकार" विषय पर थिएटर फेस्टिवल आयोजित करेगा

नई दिल्ली, 26 सितंबर 2024 (यूटीएन)। ज्ञान फाउंडेशन ने अंत्योदय थिएटर फेस्टिवल 2024 की घोषणा की है, जो डॉ. बी. आर. अंबेडकर के आदर्शों पर आधारित एक असाधारण उत्सव है, जिसका आयोजन "बाबा साहब अंबेडकर के विचार को पूर्ण करती मोदी सरकार" थीम के तहत किया जाएगा। नई दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान ज्ञान फाउंडेशन के संस्थापक सदस्य डॉ. सुमीत भसीन ने इस प्रतिष्ठित महोत्सव के पोस्टर का आधिकारिक रूप से अनावरण किया। उनके साथ ज्ञान फाउंडेशन के अध्यक्ष सुबोध कुमार और ज्ञान फाउंडेशन के महासचिव डॉ. रविंदर कुमार भी मौजूद रहे। अंत्योदय थिएटर फेस्टिवल 2024 का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शासित एनडीए सरकार द्वारा डॉ. बी. आर. अंबेडकर के सामाजिक न्याय, समानता और हाशिए पर पड़े लोगों के उत्थान के मूल आदर्शों के अनुरूप की गई विभिन्न पहलों और नीतियों को उजागर करना है।   इस थिएटर फेस्टिवल के माध्यम से, ज्ञान फाउंडेशन यह दर्शाने का प्रयास कर रहा है कि कैसे मोदी सरकार ने समाज के सबसे वंचित समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है तथा डॉ बी. आर. अंबेडकर के समावेशी भारत के सपने को पूर्ण करने पर जोर दिया है। अंत्योदय थिएटर फेस्टिवल 2024 कलाकारों को अंबेडकर के विचारों और मोदी सरकार के परिवर्तनकारी शासन के बीच तालमेल को तलाशने और व्यक्त करने का एक मंच प्रदान करता है। दर्शक कला और महत्वपूर्ण सामाजिक विषयों को जोड़ने वाले प्रदर्शनों के एक प्रभावशाली मिश्रण की अपेक्षा कर सकते हैं। इस महोत्सव में देश भर के थिएटर समूहों से भागीदारी आमंत्रित की गई है, जिसके लिए आवेदन की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर 2024 निर्धारित की गई है, तथा स्क्रिप्ट प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2024 निर्धारित की गई है। चयनित टीमें दिसंबर 2024 में प्रदर्शन करेंगी, जिसमें शीर्ष प्रदर्शनों को मान्यता देते हुए पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया जाएगा।   पोस्टर लॉन्च के अवसर पर, डॉ. सुमीत भसीन ने अंबेडकर जी के विज़न के बारे में कहा कि "बाबा साहेब अंबेडकर का भारत को संविधान देने का मुख्य उद्देश्य यह था कि देश के वंचित और पीड़ित समाज को इसके माध्यम से सीधा लाभ मिल सके। मोदी सरकार ने उसी वंचित और पीड़ित समाज को सरकारी सुविधाएं बिना किसी सुविधाशुल्क के उपलब्ध कराने का सराहनीय कार्य किया है।" सुबोध कुमार ने कहा कि, "यह उत्सव सिर्फ़ रंगमंच का जश्न मनाने के बारे में नहीं है, बल्कि यह समाज के ज्वलंत मुद्दों को समझने और उन पर संवाद करने का एक प्रभावी माध्यम है। यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को अपने कौशल विकसित करने और सामाजिक बदलाव को बढ़ावा देने वाली बातचीत को बढ़ावा देने के लिए सशक्त बनाता है।" अंत्योदय नाट्य महोत्सव के लिए चयन प्रक्रिया और नियम व शर्तों के बारे में बताते हुए डॉ. रविंदर कुमार ने कहा, "इस प्रतियोगिता के लिए चयन एक उच्चस्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा, जो उपयुक्त पटकथाओं को सूचीबद्ध करेगी।   नाट्य महोत्सव के लिए चयनित विषयों में हाशिए के समुदायों का सशक्तिकरण, शैक्षिक सुधार, ढांचागत विकास, डिजिटल इंडिया, सामाजिक न्याय व आर्थिक उत्थान, और केंद्र सरकार की सामाजिक कल्याण योजनाएं जैसे आयुष्मान भारत, आवास योजना और जन औषधि केंद्र जैसे विषय शामिल हैं। शॉर्टलिस्ट की गई पटकथा वाली टीमें तीन दिनों तक प्रदर्शन करेंगी और उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन निर्णायक मंडल द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार किया जाएगा। अभिनय और निर्देशन के लिए 30-30 अंक होंगे, जिसमें पटकथा के लिए 20 अंक होंगे। जहां सेट डिजाइन और प्रॉप्स का मूल्यांकन रचनात्मकता और उनके दृश्य प्रभाव के आधार पर किया जाएगा, वहीं प्रदर्शन की सुसंगतता का भी आकलन किया जाएगा, जिसमें समय सीमा से अधिक होने और महोत्सव के किसी भी दिशानिर्देश का उल्लंघन करने पर अंक काटे जाएंगे। विजेताओं के लिए पुरस्कार राशि इस प्रकार है: प्रथम स्थान के लिए ₹1,25,000, दूसरे स्थान के लिए ₹1,00,000, तथा तीसरे स्थान के लिए ₹75,000। इसके अतिरिक्त, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, अभिनेत्री, निर्देशक, पटकथा, तथा सेट और पोशाक डिजाइन की श्रेणियों के लिए भी पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 26, 2024

भारतीय मक्का क्षेत्र - सतत विकास के लिए रुझान, चुनौतियाँ और अनिवार्यताएँ

नई दिल्ली, 25 सितंबर 2024 (यूटीएन)। मक्का एक बहुआयामी फसल है जिसका उपयोग कई तरह से किया जाता है, जिसमें भोजन, चारा, औद्योगिक अनुप्रयोग, ऊर्जा और फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं। खाद्य स्रोत के रूप में, मक्का का सेवन विभिन्न रूपों जैसे कॉर्नमील, आटा और स्वीट कॉर्न में किया जाता है। अपने खाद्य मूल्य के अलावा, मक्का पशु आहार में एक आवश्यक घटक है, विशेष रूप से मुर्गी और पशुधन के लिए। इसके औद्योगिक अनुप्रयोग विविध हैं, मक्का स्टार्च, तेल और अन्य डेरिवेटिव का उपयोग भोजन, बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक, कपड़ा, कागज और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन में किया जाता है।    मक्का का उपयोग इथेनॉल बनाने के लिए भी किया जाता है, जो एक जैव ईंधन है जिसे पेट्रोल के साथ मिलाया जाता है। 2022 में, लगभग 1.17 बिलियन मीट्रिक टन (MT) मक्का का उत्पादन किया गया, जो गेहूं (0.81 बिलियन मीट्रिक टन) की तुलना में 30.9% अधिक और चावल (0.78 बिलियन मीट्रिक टन) की तुलना में 33.8% अधिक था। वैश्विक मक्का उत्पादन 2012 में 0.89 बिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर 2022 में 1.17 बिलियन मीट्रिक टन हो गया है, जो 2.9% की दशकीय सीएजीआर से बढ़ रहा है। 2022 में, संयुक्त राज्य अमेरिका मक्का का सबसे बड़ा उत्पादक था, जिसने वैश्विक उत्पादन में लगभग 30% का योगदान दिया, उसके बाद चीन (24%) और ब्राजील (9%) का स्थान रहा।   मक्का की वैश्विक खपत 10 वर्षों की अवधि में 2.3% की सीएजीआर से बढ़ी है, जो 2013 में 988.6 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर 2023 में 1236.8 मिलियन मीट्रिक टन हो गई है। वैश्विक निर्यात 5.1% की दशकीय सीएजीआर (2013-2023) से बढ़ा है, जो 2013 में 122.8 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर 2023 में 202.1 मिलियन मीट्रिक टन हो गया है। 2023 में, मक्का की कीमतें 2021 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर 223 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन पर पहुंच गईं। ब्राजील से पर्याप्त आपूर्ति और निर्यातकों के बीच प्रतिस्पर्धा ने गिरावट की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया। 2022 में, भारत वैश्विक मक्का रकबे में 4वें और वैश्विक उत्पादन में 5वें स्थान पर रहा, जो क्रमशः लगभग 4.9% रकबे और 2.9% उत्पादन में योगदान देता है। भारत में, लगभग 22% मक्का सीधे भोजन के रूप में खाया जाता है।   जबकि उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा मुख्य रूप से पशु चारा और स्टार्च के लिए औद्योगिक उपयोग के लिए खपत किया जाता है। भारत में मक्का की उत्पादकता 2.6 मीट्रिक टन/हेक्टेयर से बढ़कर 3.5 मीट्रिक टन/हेक्टेयर हो गई है, जो 3.3% (2012-13 से 2022-23) की दशकीय सीएजीआर की दर से बढ़ रही है। मक्का मुख्य रूप से दो मौसमों में उगाया जाता है: खरीफ (75% क्षेत्र) और रबी (20% क्षेत्र), खरीफ मक्का की औसत उत्पादकता 2.94 मीट्रिक टन/हेक्टेयर और रबी मक्का की 5.36 मीट्रिक टन/हेक्टेयर है। भारत का मक्का निर्यात पिछले कुछ वर्षों में स्थिर नहीं रहा है, जो बदलते उत्पादन पैटर्न और उच्च घरेलू कीमतों के कारण 2013 में 4.75 मिलियन मीट्रिक टन से 2023 में 2.31 मिलियन मीट्रिक टन के बीच उतार-चढ़ाव करता रहा है।   भारत ने 2023 में 8.0 मिलियन अमरीकी डॉलर का मक्का आयात किया, मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीका (74%), संयुक्त राज्य अमेरिका (15%) और अर्जेंटीना (6%) से। मक्का पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को आगे बढ़ाने वाले प्रमुख कारकों में पोल्ट्री और पशुधन क्षेत्रों से बढ़ती मांग के साथ-साथ इथेनॉल उत्पादन जैसे बढ़ते औद्योगिक उपयोग शामिल हैं। खेत स्तर पर चुनौतियों में हाइब्रिड बीजों को कम अपनाना शामिल है, जिसमें केवल 30% खेती योग्य क्षेत्र सिंगल क्रॉस हाइब्रिड के अंतर्गत है। कटाई के बाद की चुनौतियों में खराब गुणवत्ता प्रबंधन शामिल है, जिससे नमी की मात्रा 18% तक बढ़ जाती है, जिससे उपज फंगल संक्रमण और उच्च एफ़्लैटॉक्सिन स्तरों के प्रति संवेदनशील हो जाती है।   मक्का प्रसंस्करण उद्योग में चुनौतियों में मूल्य में उतार-चढ़ाव, किस्मों और गुणवत्ता में अंतर और जीएम विनियमों के कारण मक्का के आयात पर प्रतिबंध के कारण कच्चे माल की उच्च लागत शामिल है। रिपोर्ट में पहचाने गए मक्का क्षेत्र के विकास को बनाए रखने के लिए मुख्य अनिवार्यताएँ नीचे सूचीबद्ध हैं मक्का उत्पादन और रकबे को बढ़ाने के लिए एक रोडमैप विकसित करें। नई प्रौद्योगिकियों को तेजी से और व्यापक रूप से अपनाना सुनिश्चित करें। अच्छी कृषि पद्धतियों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी विस्तार कार्यक्रम तैयार करें। एक मजबूत मक्का आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण के लिए कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे को मजबूत करें। विविध उद्योग के लिए मक्का आपूर्ति सुरक्षा की सुविधा प्रदान करें। विभिन्न प्रोत्साहनों और योजनाओं के माध्यम से मक्का मूल्य श्रृंखला में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा दें।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 25, 2024

प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी ओमप्रकाश के घर प्रभारी मंत्री ने किया भोजन

बागपत, 25 सितंबर 2024 (यूटीएन)। संसदीय कार्य एवं औद्योगिक विकास राज्यमंत्री व जनपद प्रभारी मंत्री जसवंत सिंह सैनी ने बागपत नगर पालिका के वार्ड नंबर 1 मलिन बस्ती मोहल्ले का निरीक्षण किया और उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थी ओम प्रकाश के घर रात्रि सहभोज किया।    बता दें कि, ओम प्रकाश को सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास प्राप्त हुआ है जिसको लेकर वह अत्यंत प्रसन्न है और उसके आवास में आज सौभाग्य से प्रभारी मंत्री ने भोजन भी किया। इस दौरान उसने भोजन में लोकी की सब्जी, दाल, रोटी सलाद खीर आदि बनाई थी।   खाने की गुणवत्ता को देखकर प्रभारी मंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की। ओमप्रकाश ने प्रभारी मंत्री व सरकार का का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी नीरज कुमार श्रीवास्तव, अपर जिलाधिकारी न्यायिक सुभाष सिंह, डिप्टी कलेक्टर परियोजना अधिकारी मनीष कुमार यादव अधिशासी अधिकारी हरिलाल पटेल पूर्व जिला अध्यक्ष सूरजपाल गुर्जर सहित आदि उपस्थित रहे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Sep 25, 2024

बडौत से सिनौली तक जुलूस के रूप में लाया गया सैनिक का शव, जन सैलाब और गगनभेदी नारों से सैनिक को सम्मान

छपरौली, 25 सितंबर 2024 (यूटीएन)। क्षेत्र के सिनौली गांव निवासी इंडियन आर्मी के 30 वर्षीय जवान अमित कुमार मान की पंजाब के गुरदासपुर में ड्यूटी के दौरान हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। शनिवार को सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। परिजन रात में ही शव लेने गुरदासपुर पहुंच गए थे। मां सुखबीरी पत्नी अन्नू बेहोश होकर गिर पड़ी, जिन्हें देखकर ग्रामीण एवं रिश्तेदार बिलख पड़े। सोमवार को शहीद जवान का शव बड़ौत से समस्त ग्रामवासी सैकड़ों टे्क्टर एवं मोटर साइकिल व गाड़ियों पर तिरंगे झण्डे सहित शहीद जवान के पार्थिव शरीर को डीजे के साथ भारत माता की जयकारे लगाते हुए लगभग 10 किलोमीटर तक पैदल गांव तक एक जुलूस के साथ लाया गया।    अंतिम यात्रा में जब तक सूरज चांद रहेगा,अमित मान तेरा नाम रहेगा, का नारा गूंजता रहा। बड़ौत से सिनौली तक सड़क किनारे खड़े होकर ग्रामीणों ने शहीद के ऊपर पुष्प वर्षा करते हुए नम आंखों से अंतिम विदाई दी। शहीद अमित मान के अंतिम यात्रा को लोगों ने अपने मोबाइल कैमरा में कैद कर अपने पास धरोहर के रूप में रख लिया। गांव में आने के बाद शहीद जवान के  घर पर एक झलक पाने के लिए घर पर जन सैलाब उमड़ पड़ा।वहीं सभी गांववासियों व पूर्व फोजियो एवं राजनीतिक लोगों ने नम आंखों से श्रद्धाजलि अर्पित की।   शहीद अमित के शव को खेत पर सैनिक सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार के लिए ले जाया गया। जहां पर राज्य मंत्री कृष्ण पाल मलिक, भाजपा जिलाध्यक्ष बेदपाल उपाध्याय, पूर्व विधायक वीरपाल राठी, पुलिस क्षेत्राधिकारी विजय चौधरी, एसडीएम बड़ौत, अरूण उर्फ़ बोबी, जनपद के तमाम सेवानिवृत्त फौजी ईंट भट्टा निर्माता समिति अध्यक्ष विक्रम सिंह राणा टिनु प्रधान गांव प्रधान जिला पंचायत सदस्य ने शव पर पुष्पांजलि अर्पित की और जाट रेजीमेंट के सुबेदार के नेतृत्व में जवानों ने गार्ड आफ आनर एवं सलामी दी।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Sep 25, 2024

आंगनबाड़ी पर महिला को थप्पड़ मारने का आरोप

खेकड़ा, 25 सितंबर 2024 (यूटीएन)। रटौल में एक आंगनबाड़ी केन्द्र पर राशन लेने गई महिला की आंगनबाडी से बहस हो गई। महिला ने आंगनबाडी पर थप्पड मारने का आरोप लगाते हुए परिजनों को बुलाकर हंगामा काटा। उधर आंगनबाडी कार्यकर्त्री ने आरोप को गलत बताया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले को शांत कराया।   रटौल की महिला साजरिन सोमवार को आंगनबाडी केन्द्र पर राशन लेने पहुंची थी। बताया जाता है कि ,वहां उसकी आंगनबाडी कार्यकर्त्री से राशन देने को लेकर बहस हो गई। इसके बाद साजरिन ने आंगनबाडी पर थप्पड मारने का आरोप लगाते हुए अपने परिजनों को बुला लिया। वहीं परिजनों ने केन्द्र के सामने जमकर हंगामा किया।   सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और लोगों को समझाकर मामला शांत कराया। महिला साजरीन ने आंगनबाडी के खिलाफ पुलिस को तहरीर दी। उधर हंगामा होता देख आंगनबाडी की तबीयत बिगड गई, उसको निजी चिकित्सक के यहां भर्ती कराया गया। शाम तक कस्बे के प्रबुद्ध लोग दोनों पक्षों के बीच फैसला कराने में जुटे थे।    स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Sep 25, 2024