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भारतीय मसालों पर उठे सवाल तो ऐक्शन में आई सरकार, उठाए कई सख्त कदम

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। भारतीय मसालों को लेकर कई देशों में सवाल उठाए जाने के बाद सरकार ऐक्शन मोड में हैं. भारत से निर्यात होने वाले मसालों में कैंसरकारी रसायन ईटीओ (एथिलीन ऑक्साइड) से जुड़ी शिकायतों को दूर करने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए हैं. शिकायत सामने आने के बाद भारतीय मसालों के निर्यात को वैश्विक जांच का सामना करना पड़ रहा है. इसके साथ ही भारतीय मसालों को लेकर वाणिज्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि इसका रिजेक्शन रेट बेहद कम है. सैंपल्स की विफलता भी कम है.   *एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों पर सवाल* सरकार की तरफ से कहा गया है कि भारतीय मसालों में कैंसरकारी रसायन ईटीओ (एथिलीन ऑक्साइड) के संदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. भारतीय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसालों में ईटीओ अवशेषों की मौजूदगी के कारण सिंगापुर और हांगकांग में दो भारतीय मसाला ब्रांड के उत्पादों को वापस मंगाने की रिपोर्ट मिलने के बाद ये कदम उठाए गए.    *सरकार ने उठाए कई कदम* वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मसाला बोर्ड ने इन क्षेत्रों में भारतीय मसाला निर्यात की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं.’ बोर्ड ने इन दोनों देशों को भेजी जाने वाली ऐसी निर्यात खेपों का परीक्षण करना अनिवार्य कर दिया है. एक तकनीकी-वैज्ञानिक समिति ने मूल कारण विश्लेषण भी किया है, प्रसंस्करण सुविधाओं का निरीक्षण किया है, और मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में परीक्षण के लिए नमूने एकत्र किए हैं.    *सिंगापुर और हांगकांग ने उठाया मुद्दा* उन्होंने कहा, ‘समिति की सिफारिशों के जवाब में, सात मई, 2024 से सिंगापुर और हांगकांग के लिए सभी मसाला खेप के लिए ईटीओ अवशेषों के अनिवार्य नमूनाकरण और परीक्षण को लागू किया गया है.’ उन्होंने कहा कि सभी निर्यातकों के लिए ईटीओ उपचार के दिशानिर्देश भी दोहराए गए हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने ईटीओ के उपयोग की सीमा तय करने के लिए कोडेक्स समिति के समक्ष भी मामला उठाया है क्योंकि विभिन्न देशों की सीमाएं अलग-अलग हैं.    *ईटीओ परीक्षण के लिए कोई मानक नहीं* इसके अलावा, ईटीओ परीक्षण के लिए कोई मानक नहीं है. भारत ने इसके लिए प्रस्ताव दिया है. मसालों और पाक जड़ी-बूटियों के लिए विश्वव्यापी मानकों को विकसित और विस्तारित करने और मानक विकास प्रक्रिया में अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ परामर्श करने के लिए, सीसीएससीएच (मसालों और पाक जड़ी-बूटियों पर कोडेक्स समिति) का गठन वर्ष 2013 में 100 से अधिक देशों के समर्थन से किया गया था. खाद्य उत्पादों में कुछ हद तक नमूनों की विफलता होती रहती है और भारत में नमूना विफलता एक प्रतिशत से भी कम है.    *सरकार ने जारी की गाइडलाइन* इन वस्तुओं पर कुछ देशों द्वारा गुणवत्ता संबंधी चिंताएं जताए जाने के बीच मसाला बोर्ड ने भारत से भेजे जाने वाले उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड संदूषण को रोकने के लिए निर्यातकों के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं. वर्ष 2023-24 में, भारत का मसाला निर्यात कुल 4.25 अरब डॉलर का था, जो वैश्विक मसाला निर्यात का 12 प्रतिशत है. भारत से निर्यात किए जाने वाले प्रमुख मसालों में मिर्च पाउडर शामिल है, जो 1.3 अरब डॉलर के निर्यात के साथ सूची में सबसे ऊपर है. इसके बाद जीरा 55 करोड़ डॉलर, हल्दी 22 करोड़ डॉलर, इलायची 13 करोड़ डॉलर, मिश्रित मसाले 11 करोड़ डॉलर आदि शामिल हैं. अन्य उल्लेखनीय निर्यात होने वाले मसालेां में हींग, केसर, सौंफ, जायफल, जावित्री, लौंग और दालचीनी हैं.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 17, 2024

भारत सभी आवश्यक राष्ट्रीय शक्तियों का विकास करेगा :डॉ. एस. जयशंकर

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, “हमारा दृढ़ विश्वास है कि भारत सभी आवश्यक राष्ट्रीय शक्तियों का विकास करेगा जो आने वाले समय में इसे एक अग्रणी शक्ति बनाएगी”। मंत्री ने कहा कि यह दृष्टिकोण भारत के लोगों की रचनात्मकता और महत्वाकांक्षा की सराहना करता है और इसे आगे बढ़ाने के अवसरों का वादा करता है। डॉ. जयशंकर ने कहा, “वैश्विक स्तर पर भारत के विकास का एक प्रमुख स्रोत होने, आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक मूल्यवान अतिरिक्त और प्रतिभा का एक महत्वपूर्ण पूल होने के बारे में व्यापक सहमति है”। वे आज नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन 2024 के विशेष पूर्ण सत्र में बोल रहे थे, जिसका विषय था ‘भविष्य का जिम्मेदारी से सह-निर्माण: व्यवसाय की भूमिका’। कोविड-19 महामारी के बाद से भारत और दुनिया के सामने आने वाली कई वैश्विक चुनौतियों पर बोलते हुए, डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत ने व्यापक सुधारों और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान देने के साथ पूंजीगत खर्च पर तीव्र ध्यान देने की मदद से मजबूत विकास देखा है। उन्होंने कहा कि इसमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना, व्यापार करने में आसानी के सुधार, बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम, व्यापार वृद्धि के लिए अनुकूल माहौल और स्टार्ट-अप संस्कृति आदि शामिल हैं। दुनिया के सामने आज की कुछ भू-राजनीतिक वास्तविकताओं पर प्रकाश डालते हुए - जिसमें रूस-यूक्रेन संघर्ष, ईरान-इज़राइल संघर्ष का बढ़ना जो संभावित रूप से मध्य पूर्व तक फैल सकता है, ईंधन, खाद्य और उर्वरक के तीन एफ संकट आदि शामिल हैं, डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत का प्रयास इन संकटों के प्रभावों को कम करना होगा, जबकि दुनिया को स्थिर करना जारी रखना होगा। उन्होंने कहा कि यह 'भारत पहले' और 'वसुधैव कुटुम्बकम' का विवेकपूर्ण संयोजन है जो भारत की छवि को "विश्व बंधु" के रूप में परिभाषित करता है। डॉ. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल में भारत के सामने तीन महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं - रोज़गार, खास तौर पर एमएसएमई, तकनीक और राष्ट्रीय सुरक्षा। उन्होंने कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएँ, एमएसएमई के लिए वित्तीय सहायता, विनियामक बाधाओं को दूर करना, व्यवसायों के लिए अनुकूल माहौल बनाना और विनिर्माण को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जैसी नीतियाँ और पहल भारत सरकार द्वारा लगातार की जा रही हैं, जिससे भारत को 2047 तक 'विकसित भारत' या विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करने में मदद मिलेगी। डॉ. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि सुधारों पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने के लिए उद्योग के समर्थन की आवश्यकता है।  भारत के बाहरी जुड़ाव प्रयासों के बारे में विस्तार से बताते हुए, डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत के निर्यात संवर्धन प्रयास मजबूत साझेदारी निर्माण के साथ जारी रहेंगे, लेकिन वर्तमान समय में व्यापार-सामान्य से कहीं अधिक की आवश्यकता है जहाँ 'विश्वास' और 'विश्वसनीयता' महत्वपूर्ण कारक बन जाएँगे। ये आपूर्ति स्रोतों को जोखिम मुक्त करने और संवेदनशील, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग बढ़ाने के क्षेत्रों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होंगे। मंत्री ने कहा कि भारत की आर्थिक प्राथमिकताओं को रणनीतिक हितों के साथ जोड़ना महत्वपूर्ण है, चाहे वह नए बाजारों, प्रौद्योगिकी, निवेश शिक्षा और पर्यटन तक पहुंच के मामले में हो। उन्होंने भारत के लिए लॉजिस्टिक कॉरिडोर बनाने के महत्व पर भी जोर दिया क्योंकि दुनिया भर में नए उत्पादन और उपभोग केंद्र उभर रहे हैं, साथ ही घर पर कौशल के पैमाने और गुणवत्ता का विस्तार करने की आवश्यकता है, क्योंकि एक नया वैश्विक कार्यबल उभर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इसका लक्ष्य भारत को नवाचार, अनुसंधान और डिजाइन का केंद्र बनाना है। सीआईआई के अध्यक्ष श्री आर दिनेश ने कहा कि "विश्वास आधारित साझेदारी को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीयकरण और वैश्वीकरण उद्योग के लिए शीर्ष प्राथमिकताएं बनी रहेंगी"। सत्र में बोलते हुए, सीआईआई के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि विश्वास का निर्माण सीआईआई के लिए इस वर्ष से अगले वर्ष तक शीर्ष प्राथमिकता बनी रहेगी, साथ ही रणनीतिक साझेदारी बनाने और विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।  विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 17, 2024

सरकार-उद्योग भागीदारी के माध्यम से राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर अवसरों का लाभ उठाएँ :निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली, 17 मई 2024  (यूटीएन)। सरकार 2047 तक विकसित देश के रूप में उभरने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक विजयी छलांग लगाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी करने की ओर देख रही है। केंद्रीय वित्त और मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इसे साकार करने में निजी क्षेत्र की बड़ी भूमिका है और सरकार इस प्रक्रिया में एक सुविधाकर्ता और सक्षमकर्ता की भूमिका निभाएगी। वह आज नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन 2024 में बोल रही थीं, जिसका विषय था ‘भविष्य का जिम्मेदारी से सह-निर्माण: व्यवसाय की भूमिका’। नए भारत के लिए दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि देश विकास के लिए अपार अवसर प्रस्तुत करता है जो अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों तक फैला हुआ है। एक बात यह है कि भारत की विकास कहानी सम्मोहक है और देश वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा, एक ऐसी विशेषता जिसे आईएमएफ और एसएंडपी जैसी वैश्विक एजेंसियों ने भी मान्यता दी है और पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि बड़े उपभोक्ता बाजार, जिसके 2031 तक दोगुना होने की उम्मीद है, उपभोग व्यय में वृद्धि और वित्तीय सेवाओं पर व्यय में लगातार वृद्धि यह सुनिश्चित करेगी कि देश भविष्य में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा।   इस विषय पर आगे विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि आरबीआई और आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत अतीत की दोहरी बैलेंस शीट की समस्या से निकलकर दोहरी बैलेंस शीट के लाभ की ओर बढ़ गया है, जिससे बाजार में जीवंतता आई है, जिससे एक तरफ कॉरपोरेट द्वारा निवेश विस्तार को बढ़ावा मिला है और दूसरी तरफ बैंकों की ऋण देने की इच्छा और क्षमता बढ़ी है। दूसरे, जनसांख्यिकीय लाभांश अगले 30 वर्षों तक देश के पास रहेगा और निर्भरता का स्तर ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर है। जब इसे सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से कौशल विकास के साथ पूरक बनाया जाता है, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बड़ा डेटा आदि जैसे क्षेत्र शामिल हैं, तो यह समृद्धि लाने और उपभोक्ता मांग बढ़ाने का एक निश्चित उपाय है। तीसरा, हरित ऊर्जा और संधारणीय भविष्य की ओर भारत का संक्रमण निश्चित रूप से नए बाजार और नई मांग पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ-साथ हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया को बढ़ावा देने से युवाओं को रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर मिलेंगे।   वित्त मंत्री ने विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता का भी उल्लेख किया और अधिक परिष्कार और बेहतर उत्पादकता का आह्वान किया। सरकार भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनने के लिए सहायक नीतियां प्रदान करेगी। भारत शीर्ष निवेश स्थलों में से एक है और वैश्विक निवेशकों का लाभ उठाने के लिए एक लाभप्रद स्थिति में है जो चीन प्लस वन नीति के परिणामस्वरूप अपने परिचालन को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। इससे देश को आत्मनिर्भर बनने में भी मदद मिलेगी। पीएलआई योजना ने इस प्रयास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उदाहरण के लिए, पीएलआई योजना ने मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्रों को बदल दिया है और स्मार्ट फोन में मूल्यवर्धन में जबरदस्त वृद्धि हुई है, उन्होंने कहा। और सेवाओं के बीच, भारत एक पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है, जिसमें 50 प्रतिशत से अधिक वैश्विक क्षमता केंद्र देश में अपना परिचालन आधारित करते हैं।   वित्त मंत्री के अनुसार, नीतिगत स्थिरता, भ्रष्टाचार मुक्त निर्णय लेना, सुविधाजनक सरकारी नीतियां और मजबूत कानूनी ढांचा भारत को व्यापार के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाने के लिए मिलकर काम करते हैं। सीआईआई के अध्यक्ष आर. दिनेश ने कई मुद्दों पर बात की, जिन पर सीआईआई ने सरकार के साथ काम किया है, जैसे कि कॉर्पोरेट टैक्स दरों में कमी, कोविड अवधि के दौरान जीएसटी अनुपालन तिथि को आगे बढ़ाना, पूंजीगत व्यय आधारित विकास रणनीति अपनाना, अन्य बातों के अलावा और सीआईआई के सुझावों को ग्रहण करने के लिए वित्त मंत्री की सराहना की, जबकि राजकोषीय घाटे पर पूरी तरह से लगाम लगाई जा रही है।   उन्होंने कहा कि सीआईआई सरकार के साथ विश्वास आधारित संबंध बनाने की दिशा में काम कर रहा है। सीआईआई के अगले अध्यक्ष संजीव पुरी ने कहा कि उद्योग अपनी सामूहिक जिम्मेदारी के प्रति उत्तरदायी रहा है और भारत की विकास प्राथमिकताओं को पूरा करने और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए सरकार के साथ अपनी भागीदारी जारी रखने के लिए तत्पर है। आईसीआईसीआई के पूर्व अध्यक्ष और नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट के अध्यक्ष के.वी. कामथ को उद्योग और समाज में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए 2024 के लिए सीआईआई अध्यक्ष पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वित्त मंत्री ने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान जमीनी स्तर पर समाज में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली योग्य महिलाओं को महिला अनुकरणीय पुरस्कार प्रदान किया।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

May 17, 2024

देश बन गया आत्मनिर्भर, अब विदेशों से हथियार नहीं मंगाएगी सेना

नई दिल्ली, 10 मई 2024  (यूटीएन)। सेना अगले वित्त वर्ष से गोला-बारूद का आयात पूरी तरह बंद करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि घरेलू उद्योगों ने सभी मांगों को पूरा करने के लिए अपनी क्षमता बढ़ा ली है। वो वैश्विक बाजार का एक बड़ा हिस्सा हासिल करने के लिए भी तैयार है। इस बात की जानकारी वरिष्ठ खरीद अधिकारी ने दी है। सेना, जो कुछ साल पहले तक सालाना जरूरतों को पूरा करने के लिए एक्सपोर्ट पर बहुत अधिक निर्भर थी। अब उन्होंने अपने इस्तेमाल किए जाने वाले 175 प्रकार के गोला-बारूद में से करीब 150 के लिए स्वदेशी सोर्स ढूंढ लिए हैं। इस कदम के पीछे अहम लक्ष्य यही है कि 2025-26 तक हथियारों के एक्सपोर्ट को पूरी तरह से बंद करना है।   *अब गोला-बारूद का आयात नहीं* भारतीय सेना के एडीजी (खरीद) मेजर जनरल वीके शर्मा ने कहा, 'अगले वित्त वर्ष में हम गोला-बारूद का कोई आयात नहीं करेंगे। सिवाय उन मामलों के जहां मात्रा बहुत कम है और उद्योग के लिए उनका निर्माण करना किफायती नहीं है।' पीएचडी चैंबर की ओर से गोला-बारूद उत्पादन पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे सेना के अधिकारी ने बताया कि आर्मी वर्तमान में सालाना 6000-8000 करोड़ रुपये का गोला-बारूद खरीद रही है। अब इनकी आपूर्ति भारतीय सोर्स से आएगा।   *ऐसे स्वदेश में होगी हथियारों की आपूर्ति* सेना के अधिकारी ने कहा कि निगेटिव लिस्ट के जरिए गोला-बारूद के आयात पर धीरे-धीरे अंकुश लगाया जाएगा। इसके साथ ही अब विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से केवल 5 से 10 फीसदी आवश्यकताएं पूरी की जा रही हैं। ऑर्डनेंस फैक्ट्री के अलावा, पिछले कुछ वर्षों में कई प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों भी इस क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी हैं। इन्हें अब निगमीकृत किया गया है। इनके जरिए देश के विभिन्न हिस्सों में नए गोला-बारूद के प्लांट आ रहे हैं।   *भारतीय कंपनियों का वैश्विक स्तर पर भी बढ़ेगा असर* सेना का मानना है कि आगामी क्षमता को देखते हुए, भारतीय कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी एक मेजर प्लेयर बन सकती हैं। मेजर जनरल शर्मा ने कहा कि जहां तक दुनिया की डिमांड का सवाल है, 30 बिलियन डॉलर से अधिक का बाजार उपलब्ध है। वर्तमान में भारतीय स्रोतों से 1 फीसदी भी नहीं आ रहा है। हमारे पास अगले 4-5 वर्षों में ये 5 से 10 फीसदी और शायद भविष्य में 25-30 फीसदी तक आने की क्षमता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 10, 2024

राजस्थान में स्थित आईआईएचएमआर फाउंडेशन की एक प्रमुख इकाई ने हाल में सामर्थ्य 2.O: 'एन एक्सक्लूसिव ग्रोथ इनक्यूबेशन प्रोग्राम' लॉन्च किया

जयपुर, 07 मई 2024  (यूटीएन)। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के स्वास्थ्य देखभाल पर केंद्रित आईआईएचएमआर स्टार्ट-अप्स जयपुर, राजस्थान में स्थित आईआईएचएमआर फाउंडेशन की एक प्रमुख इकाई ने हाल में सामर्थ्य 2.O: 'एन एक्सक्लूसिव ग्रोथ इनक्यूबेशन प्रोग्राम' लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य पोस्ट—एमवीपी के बाद स्टार्ट-अप का समर्थन करने या उनके विकास पथ के साथ राजस्व जुटाने में योगदान करना है। दूसरे संस्करण में 15 अत्यधिक नवीन स्टार्ट-अप को मान्यता दी गई, जो सामर्थ्य 1 की तुलना में लगभग 114% की वृद्धि दर्शाता है। चयनित स्टार्ट-अप को इनक्यूबेशन कार्यक्रम के पूरा होने के बाद प्रदान की जाने वाली 15 लाख तक की वित्तीय सहायता से लाभ होगा। आईआईएचएमआर स्टार्ट-अप्स द्वारा बड़े स्तर पर इनक्यूबेशन समर्थन उपलब्ध करवाया जाता है, जिसमें ध्यान जीतने, स्वास्थ्य सेवा और व्यावसायिक ज्ञान बढ़ाने, क्लाइंट कनेक्ट, फंडिंग और आईआईएचएमआर के सहायक नेटवर्क तक पहुंचने पर मार्गदर्शन शामिल है, जिसे संगठन ने अपने अस्तित्व के 40 वर्षों में हासिल किया है। उल्लेखनीय रूप से, पूरे भारत से 200 से अधिक महत्वाकांक्षी स्टार्ट-अप ने इनक्यूबेशन समर्थन के लिए आवेदन किया था। कार्यक्रम ने एप्लीकेशन की एक विविध शृंखला को लुभाया, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल में तकनीकी-आधारित नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करने वाले उद्यम, स्वास्थ्य देखभाल के लिए एसएएएस-आधारित समाधान, स्वास्थ्य देखभाल में एआर/वीआर अनुप्रयोग, स्वास्थ्य देखभाल में फिनटेक समाधान, मानसिक स्वास्थ्य के लिए वियरेकबल गैजेट और विभिन्न अन्य डोमेन शामिल हैं। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट डॉ. पी आर सोडानी ने अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य सेवा अग्रदूतों को प्रोत्साहित करने में कार्यक्रम के महत्व पर जोर देते हुए कहा, 'हम सामर्थ्य 2.0 लॉन्च करते हुए इन दूर तक की सोच रखने वाले स्टार्टअप निर्माताओं को सशक्त बनाते हुए रोमांचित हैं। ये ऐसे स्टार्टअप हैं, जो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को नया आकार दे रहे हैं। निरंतर बदलते माहौल के बीच ऐसे आविष्कारशील स्टार्ट-अप का समर्थन करने से देश को स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में महत्वपूर्ण कमियों से निपटने के लिए सशक्त बनाया जा सकेगा।  आईआईएचएमआर स्टार्ट-अप्स ने अब तक 53 नए उद्यमों को सहायता प्रदान की है, जो स्वास्थ्य देखभाल इकोसिस्टम में नवाचार को बढ़ावा देने और सभी के लिए मजबूत आधार बनाने के लिए आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।" स्टार्ट-अप्स ने प्रभावशाली समाधानों की एक विस्तृत शृंखला प्रस्तुत की, जिसमें भारत के दूरदराज के क्षेत्रों के लिए सस्ती डायग्नोस्टिक सेवाओं से लेकर आंखों के उपचार के लिए अत्याधुनिक एआर/वीआर तकनीक और कार्डियोलॉजी में उन्नत एआई-संचालित डायग्नोस्टिक्स, स्मार्ट गर्भावस्था देखभाल और बच्चों में कान से संबंधित समस्याओं का पता लगाने जैसे उपाय शामिल हैं। इसलिए, बहुत सोचसमझ कर तैयार की गई चयन प्रक्रिया के बाद, सबसे अधिक उम्मीद जगाने वाले स्टार्ट-अप को फाइनल पिचिंग राउंड में भाग लेने के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। चार दिनों तक चले फाइनल पिचिंग राउंड के दौरान एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल ने स्टार्ट-अप का सख्ती से मूल्यांकन किया। भाग लेने वाले स्टार्ट-अप की क्षमता और विविधता वास्तव में असाधारण थी, जो महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों के लिए अभिनव समाधान प्रदर्शित कर रही थी। आईआईएचएमआर स्टार्ट-अप्स के सीईओ पुनीत दत्ता ने दूरदर्शी उद्यमियों का समर्थन करने में उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, 'आईआईएचएमआर स्टार्ट-अप्स के माध्यम से इस उभरती शक्ति का समर्थन करने की आईआईएचएमआर फाउंडेशन की यह पहल बहुत महत्वपूर्ण है। यह पहल स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रभावशाली सकारात्मक बदलाव लाने के यूनिवर्सिटी के मिशन के अनुकूल है। मैं डॉ. पी आर सोडानी और आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के पूरे स्टाफ के मजबूत प्रयासों के लिए आभार व्यक्त करता हूं।

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May 7, 2024

जनपद के 18 सरकारी खरीद केन्द्रों पर लक्ष्य के सापेक्ष मात्र तीन प्रतिशत आया गेहूं

खेकड़ा,06 मई 2024  (यूटीएन)। गेहूं खरीद केन्द्रों को खुले एक माह से अधिक समय होने के बाद भी लक्ष्य के सापेक्ष्य 3 प्रतिशत ही गेहूं की खरीद हो पाई है। इस समय जनपद के 18 केन्द्र किसानों की बाट जोह रहे हैं , जबकि किसान प्राइवेट मिलों पर जा रहे हैं।वहीं सरकारी केन्द्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ हैै।   बता दें कि, जनपद बागपत में एक अप्रैल से 18 गेहूं खरीद केन्द्र खोले गए हैं। इन पर प्रत्येक में करीब 10 हजार किवंटल गेहूं खरीद का लक्ष्य दिया गया है। भाव भी 2275 रूपये घोषित हुआ, लेकिन पूरा अप्रैल माह बीत जाने के बाद भी मात्र छह हजार दो सौ तीस क्विंटल गेहूं ही खरीदा जा सका , जो एक लाख 60 हजार किवंटल के लक्ष्य के सापेक्ष मात्र तीन प्रतिशत ही है। किसान सरकारी सस्थानों से विमुख होकर प्राइवेट आटा मिल या आढती को गेहूं दे रहे हैं , जिससे सरकारी तंत्र पिछडता जा रहा है। सरकारी रेट 2275, वहीं आटा मिल उन्हें 2300 रुपये दे रहा है।    पता यह भी चला है कि, किसान सरकारी तंत्र से खुश नही हैं। अधिक भाव, नगद पेमेंट और अन्य सुविधाओं के चलते किसान सरकारी केन्द्रों के बजाए प्राइवेट मिल को गेहूं दे रहे है। किसानों का कहना है कि ,सरकारी केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए पहले रजिस्ट्रेशन, फरद, खाता नम्बर आदि औपचारिकताएं और फिर आनलाइन पेमेंट का इंतजार करना पडता है। वहीं प्राइवेट मिल संचालक 25 रुपये प्रति कुंतल अधिक की खरीद के साथ में पेमेंट भी नकद दे रहे है।   *क्या बोले विपणन अधिकारी*   विपणन अधिकारी अरुण टेग ने बताया कि सभी केन्द्रों पर किसानों के लिए शीतल जल, छाया के लिए टेंट आदि व्यवस्थाएं की गई है। एक माह बीत जाने पर भी लक्ष्य के सापेक्ष मात्र तीन प्रतिशत ही गेहूं आया है। किसानों से वार्ता की जा रही है।जल्द ही गेहूं की खरीद बढेगी।   *किस केन्द्र पर कितने किवंटल आया गेहूं*   खेकड़ा ब्लाक के रटौल में 21 सिंघौली तगा- 197,लहचौड़ा- 24 फिरोजपुर- 0.2 मुबारिकपुर- 1411 क्रय विक्रय खेकड़ा- 153 एफसीएस खेकड़ा- 172 तथा पिलाना ब्लाक के मुकारी में 800 बालैनी में 121खट्टा प्रह्लादपुर में 52 कुंतल खरीद हो सकी है। वहीं बागपत ब्लाक के टटीरी में 312 ,सरूरपुर कलां 722 एफसीएस बागपत 122 ,एफसीआई बागपत 604 कुंतल के साथ ही बडौत ब्लाक के एफसीएस बडौत 358 एफसीआई बडौत-894 तथा बिनौली ब्लाक के दाहा में 65 कुंतल गेहूं खरीद हुई। छपरौली ब्लाक के कुरडी नांगल में 197 कुंतल की खरीद के साथ ही कुल 6230 किवंटल गेहूं खरीद हो सकी है।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 6, 2024