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पालीथीन छापा के विरोध में उतरे व्यापारी, सौंपा ज्ञान

पीलीभीत, 28 जून 2024 (यूटीएन)। नगर के छोटे व्यापारीयो की दुकानों व ठेले से पालीथीन की छापे मारी से आहत व्यापारियों ने नगर पंचायत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है उधोग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के नगर अध्यक्ष अरविंद अवस्थी व महिला मंडल अध्यक्ष की अगुआई में आज दर्जनों की संख्यां में व्यापारियों ने बिलसंडा नगर पंचायत कार्यालय पर पहुंच कर अधिशासी अधिकारी के नाम कार्यालय बाबू को ज्ञापन सौंपा ज्ञापन में बताया गया है आनलाइन खरीद से पहले ही व्यापारियों  महामंदी के दौर से गुजर रहे है ऐसे में वगैर किसी चेतावनी के पालीथीन के नाम पर छापामार कार्यवाही कर जुर्माना बसुलना व्यापारियों का शोषण है। छोटे व्यापारियों से छापा मारा कार्यवाही करने से क्या पॉलिथीन बंद हो जाएगी अगर प्रशासन को पालीथीन बंद ही करनी है तो पहले पालीथीन बनाने बाली फैक्ट्री को सील किया जाएं अगर नगर पंचायत द्वारा पालीथीन के नाम पर छोटे व्यापारियों पर जुर्मान कर शोषण किया जायेगा तो उधोग प्रतिनिधि व्यापार मंडल आंदोलन को बाध्य होगी। ज्ञापन देने बाली व्यापारियों में विक्रम नरेश जयसवाल, सुधीर सक्सेना एडवोकेट, रामराज शुक्ला,संदीप राठौर, रजीश गुप्ता, मुनीश त्रिवेदी, विकेश जयसवाल, धीरज जयसवाल,आलोक जयसवाल  महिला मंडल अध्यक्ष रानी वर्मा, साधना मिश्रा, शशिलता, शिखाराज, रेनू वर्मा, नीता समेत कई व्यापरी मौजूद रहे।   पीलीभीत- स्टेट ब्यूरो, (अरुण मिश्रा) |

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Jun 28, 2024

भारत बांग्लादेश के लिए एक बहुत बड़ा बाजार है: सीआई में शेख हसीना

नई दिल्ली, 23 जून 2024 (यूटीएन)। बांग्लादेश की माननीय प्रधानमंत्री महामहिम शेख हसीना ने कहा कि पूरे भारत में एक बहुत बड़ा बाजार है और भारत तथा बांग्लादेश दोनों को व्यापार करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। वह भारत की अपनी यात्रा के दौरान भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सदस्यों के साथ संवाद को संबोधित कर रही थीं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने कहा, "पूरे भारत में एक बहुत बड़ा बाजार है, इसलिए दोनों देश मिलकर काम कर सकते हैं और अपने अनुभव साझा कर सकते हैं। व्यापार करने का यह एक अच्छा अवसर है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यापार करना द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।   उन्होंने कहा कि लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत के साथ काम करने को बहुत महत्व दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश कृषि से आगे बढ़कर विशेष आर्थिक क्षेत्रों के माध्यम से अपने उद्योग को विकसित करना चाहता है। उन्होंने भारतीय व्यापारियों को इन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए भी आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश पड़ोसी पूर्वोत्तर भारत से परे भारत में एक बड़ा बाजार देखता है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि वह बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत तथा अधिक टिकाऊ बनाना चाहती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश बड़े बंदरगाहों, जलमार्गों, रेल और सड़क संपर्क पर काम करेगा।   सीआईआई के अध्यक्ष संजीव पुरी ने कहा कि बांग्लादेश दक्षिण-पूर्व एशिया के जीवंत क्षेत्रों के लिए भारत का भूमि पुल है, और बांग्लादेश और भारत ऐसे समय में एक साथ बाजार को संबोधित कर सकते हैं जब आपूर्ति श्रृंखलाएं बदल रही हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कृषि में, भारत और बांग्लादेश निजी क्षेत्रों के बीच संयुक्त उद्यम स्थापित कर सकते हैं।   सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि आर्थिक जुड़ाव को बढ़ाने के लिए सीआईआई इस साल के अंत में सीईओ प्रतिनिधिमंडल को बांग्लादेश ले जाने की योजना बना रहा है। उद्योग बातचीत के दौरान, भारत और बांग्लादेश के व्यापार सदस्यों ने संयुक्त सहयोग के कई क्षेत्रों पर प्रकाश डाला, जिसमें जलविद्युत पर विशेष जोर देने के साथ बांग्लादेश को ऊर्जा की आपूर्ति बढ़ाना और बांग्लादेश में अधिक ऊर्जा संचरण लाइनें बनाना शामिल है। उन्होंने दूरसंचार समाधानों के माध्यम से बांग्लादेश में शिक्षा और कौशल विकास के बारे में भी बात की। कृषि, व्यापार और आईटी जैसे सहयोग के अन्य क्षेत्रों पर भी चर्चा की गई।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 23, 2024

केंद्र की आदतन लेटलतीफ कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी

नई दिल्ली, 18 जून 2024 (यूटीएन)। केंद्र सरकार ने लेटलतीफी करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। केंद्र ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि देर से कार्यालय आकर जल्दी जाने जाने वाले कर्मचारियों के मामलों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।  दरअसल इस बात की शिकायत मिली है कि कई कर्मचारी बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीएएस) में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कर रहे। इसके अलावा यह भी शिकायत मिली थी कि कुछ कर्मचारी नियमित आधार पर देरी से आ रहे हैं।   *कार्मिक मंत्रालय ने जारी किया आदेश*    कार्मिक मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर मोबाइल फोन-आधारित प्रमाणीकरण प्रणाली का उपयोग करने का सुझाव दिया है। आदेश में बताया गया है कि एईबीएएस के सख्त कार्यान्वयन के मामले की समीक्षा की गई। मंत्रालय ने पाया कि एईबीएएस के कार्यान्वयन में ढिलाई बरती जा रही है। इसे गंभीरता से लेते हुए मंत्रालय ने कहा कि सभी विभाग नियमित रूप से उपस्थिति रिपोर्ट की निगरानी करेंगे।   *लेटलतीफी करने वाले कर्मचारियों की लगेगी आधे दिन की छुट्टी*   आदेश में आगे कहा गया ‘आदतन देर से आने और जल्दी कार्यालय छोड़ने वाले कर्मचारियों के मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ अनिवार्य रूप से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।’ कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि देर से आने पर कर्मचारियों की आधे दिन की आकस्मिक छुट्टी (सीएल) लगनी चाहिए यानी ऐसे कर्मचारियों की आधे दिन की छुट्टी लगनी चाहिए। यह भी कहा गया है कि एक महीने में एक या बार उचित कारणों से देरी की वजह से उपस्थिति को अधिकारियों द्वारा माफ किया जा सकता है।   सभी विभागों को निर्देश दिया गया है कि कर्मचारियों की उपस्थिति एईबीएएस पर हर हाल में दर्ज होनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कौन कर्मचारी कार्यलय पहंचने में लगातार लेटलतीफी कर रहा है। सभी विभागों के अपने कर्मचारियों को कार्यालय समय और देर से उपस्थिति से संबंधित निर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 18, 2024

अब तो बड़ी कंपनियों के सीइओ को भी नहीं छोड़ रहे साइबर क्रिमिनल

नई दिल्ली, 18 जून 2024 (यूटीएन)। हाल ही में पुणे स्थित एक रियल एस्टेट फर्म को ₹4 करोड़ का चूना लगा, जब साइबर अपराधियों ने कंपनी के चेयरमैन के रूप में एक अकाउंट अधिकारी को धोखा देकर कंपनी के फंड को फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी की लोकल यूनिट में में फाइनेंस कंट्रोलर करोड़ों रुपये के इसी तरह के घोटाले का शिकार हो गया, जब चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर छुट्टी पर थे।   *एडवांस हुए फिशिंग अटैक*   फिशिंग हमले अधिक एडवांस हो गए हैं। साइबर अपराधी ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए बड़े लोगों पर नजर रख रहे हैं। एक्सपर्ट्स ने कहा कि पिछले एक साल में, उन्होंने तथाकथित व्हेलिंग अटैक या सीईओ धोखाधड़ी की घटनाओं में कम से कम दो से तीन गुना वृद्धि देखी है। इसमें घोटालेबाज सोशल इंजीनियरिंग का यूज करके टॉप कॉर्पोरेट अधिकारी बन जाते हैं। इसके बाद वे कर्मचारियों को पैसे भेजने, संवेदनशील डेटा प्रदान करने, गिफ्ट कार्ड खरीदने या नेटवर्क एक्सेस की अनुमति देने के लिए धोखा देते हैं। इन घटनाओं से अक्सर वित्तीय नुकसान, डेटा ब्रीच और कुछ मामलों में कंपनियों के लिए ऑर्गनाइजेशन रेपुटेशन को नुकसान होता है।   *सीइओ लेवल अधिकारियों के साथ बढ़ी घटनाएं*   ईवाई इंडिया के फोरेंसिक एंड इंटीग्रिटी सर्विसेज के पार्टनर रंजीत बेल्लारी ने कहा कि यह एक बड़ा नेक्सस है; संगठित आपराधिक गिरोह इसमें सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि हम पिछले सात-आठ सालों से सोशल इंजीनियरिंग धोखाधड़ी की जांच कर रहे हैं, लेकिन सीईओ/सीएक्सओ-स्तर के अधिकारियों को निशाना बनाने वालों की संख्या में हाल ही में बढ़ोतरी हुई है। बेल्लारी का कहना है कि धोखेबाज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे बॉट-आधारित अटैक कर रहे हैं। इसमें अधिकारियों के सोशल मीडिया प्रोफाइल और अन्य उपलब्ध कंटेंट की स्टडी करके बहुत ही विश्वसनीय मेल तैयार कर रहे हैं जो वैलिड लगते हैं।   *किसी पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं*   बेल्लारी ने कहा कि ये हमले आंशिक रूप से कम अवेयरनेस के कारण प्रभावी हैं। इसलिए भी क्योंकि धोखेबाजों को एहसास हो गया है कि सीनियर अधिकारियों से मिले ईमेल पर कर्मचारियों से ऐक्शन करवाना आसान है। धोखे से बचने की पहली लाइन है कि आपको किसी व्यक्ति पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। कंपनियां अब कर्मचारियों के लिए अवेयरनेस सेशन भी करवा रही हैं। हालांकि, अधिकत मामलों में, यह रिएक्विट होने के बजाय प्रोएक्टिव होता है।   *अधिकांश मामलों की रिपोर्ट नहीं*   कई मामलों में, कंपनियां और व्यक्ति इस फैक्ट को छिपाने की कोशिश करते हैं कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है। इसका अर्थ है कि मामलों की वास्तविक संख्या रिपोर्ट की गई संख्या से कई गुना अधिक होने की संभावना है। केवल कॉर्पोरेट कर्मचारी ही नहीं, बल्कि आईआईएम जैसे इंस्टीट्यूट के फैकल्टी को भी हैकर्स से निदेशक या शीर्ष अधिकारियों के रूप में ईमेल या व्हाट्सएप मैसेज मिले। एक आईआईएम निदेशक ने को बताया कि कथित तौर पर उनकी तरफ से भेजे गए मेल कई फैकल्टी मेंबर्स को भेजे गए थे। इसमें गिफ्ट कार्ड खरीदने और डिटेल भेजने के लिए कहा गया था। निदेशक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि यह एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ है। हमने अब और अधिक सख्त सिस्टम लागू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे फिर से निशाना बनाए जाने की आशंका है। उन्होंने बताया कि अन्य संस्थानों में उनके कई साथियों को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ा है।   *ब्रांड की बदनामी नहीं चाहते*   ग्रांट थॉर्नटन भारत में पार्टनर और लीडर-साइबर अक्षय गार्केल के अनुसार, कभी-कभी किसी बड़ी कंपनी (जिसका सालाना रेवेन्यू 50,000-100,000 करोड़ रुपये होता है) के लिए यह सोचना बेहतर होता है कि नियोक्ता ब्रांड को नुकसान पहुंचाने के बजाय छोटी रकम, जैसे कि 3-4 करोड़ रुपये तक, को राइटऑफ कर देना बेहतर है। उन्होंने कहा कि ऐसा कहने के बाद, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सभी मामलों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।   गार्केल ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे विशुद्ध रूप से फाइनेंशियल मोटिव छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने आने वाले मामलों में सुरक्षा जागरूकता के स्तर में सुधार की आवश्यकता है। ऐसी घटनाओं की निगरानी और उन्हें रोकने में और अधिक बेहतर तरीके से काम करने की आवश्यकता है।   *साइबर अटैक का खतरा*   लगभग हर कोई साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील है। इसकी वजह है कि ऐप्स और वेब साइट्स की तरफ से जुटाई गई पर्सनल जानकारी लीक हो सकती है। इससे घोटालेबाजों को कॉन्फिडेंशियल जानकारी तक एक्ससे मिल सकता है। धोखाधड़ी का पता लगाने वाली कंपनी आईडीएफवाई के सीईओ अशोक हरिहरन ने कहा कि उनकी कंपनी को भी निशाना बनाया गया था। एक महीने पहले ही, कंपनी के 650 कर्मचारियों में से 50-60 को हरिहरन से एक ईमेल मिला था। उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी का पता लगाने के बिजनेस में होने के कारण, कोई भी इसके झांसे में नहीं आया, लेकिन ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।   हरिहरन कहते हैं कि पर्सनल डिटेल आसानी से उपलब्ध है। यह ऐप या डेटा ब्रोकर से हो सकता है जो इसे बेच रहे हैं। यह डार्क वेब पर सिर्फ 100-200 रुपये में उपलब्ध है। इसके अलावा, फैक्ट यह है कि यूपीआई के माध्यम से पैसे का ट्रांसफर बेहद आसान हो गया है। इसने, इसे अधिकांश धोखाधड़ी का आधार बना दिया है।   इसे बड़े पैमाने पर चलाना बहुत आसान है। हाल ही में पुणे स्थित एक रियल एस्टेट फर्म को ₹4 करोड़ का चूना लगा, जब साइबर अपराधियों ने कंपनी के चेयरमैन के रूप में एक अकाउंट अधिकारी को धोखा देकर कंपनी के फंड को फर्जी बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी की लोकल यूनिट में में फाइनेंस कंट्रोलर करोड़ों रुपये के इसी तरह के घोटाले का शिकार हो गया, जब चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर छुट्टी पर थे।   *एडवांस हुए फिशिंग अटैक*   फिशिंग हमले अधिक एडवांस हो गए हैं। साइबर अपराधी ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के लिए बड़े लोगों पर नजर रख रहे हैं। एक्सपर्ट्स ने कहा कि पिछले एक साल में, उन्होंने तथाकथित व्हेलिंग अटैक या सीईओ धोखाधड़ी की घटनाओं में कम से कम दो से तीन गुना वृद्धि देखी है। इसमें घोटालेबाज सोशल इंजीनियरिंग का यूज करके टॉप कॉर्पोरेट अधिकारी बन जाते हैं। इसके बाद वे कर्मचारियों को पैसे भेजने, संवेदनशील डेटा प्रदान करने, गिफ्ट कार्ड खरीदने या नेटवर्क एक्सेस की अनुमति देने के लिए धोखा देते हैं। इन घटनाओं से अक्सर वित्तीय नुकसान, डेटा ब्रीच और कुछ मामलों में कंपनियों के लिए ऑर्गनाइजेशन रेपुटेशन को नुकसान होता है।   *सीइओ लेवल अधिकारियों के साथ बढ़ी घटनाएं*   ईवाई इंडिया के फोरेंसिक एंड इंटीग्रिटी सर्विसेज के पार्टनर रंजीत बेल्लारी ने कहा कि यह एक बड़ा नेक्सस है; संगठित आपराधिक गिरोह इसमें सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि हम पिछले सात-आठ सालों से सोशल इंजीनियरिंग धोखाधड़ी की जांच कर रहे हैं, लेकिन सीईओ/सीएक्सओ-स्तर के अधिकारियों को निशाना बनाने वालों की संख्या में हाल ही में बढ़ोतरी हुई है। बेल्लारी का कहना है कि धोखेबाज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे बॉट-आधारित अटैक कर रहे हैं। इसमें अधिकारियों के सोशल मीडिया प्रोफाइल और अन्य उपलब्ध कंटेंट की स्टडी करके बहुत ही विश्वसनीय मेल तैयार कर रहे हैं जो वैलिड लगते हैं।   *किसी पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं*   बेल्लारी ने कहा कि ये हमले आंशिक रूप से कम अवेयरनेस के कारण प्रभावी हैं। इसलिए भी क्योंकि धोखेबाजों को एहसास हो गया है कि सीनियर अधिकारियों से मिले ईमेल पर कर्मचारियों से ऐक्शन करवाना आसान है। धोखे से बचने की पहली लाइन है कि आपको किसी व्यक्ति पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। कंपनियां अब कर्मचारियों के लिए अवेयरनेस सेशन भी करवा रही हैं। हालांकि, अधिकत मामलों में, यह रिएक्विट होने के बजाय प्रोएक्टिव होता है।   *अधिकांश मामलों की रिपोर्ट नहीं*   कई मामलों में, कंपनियां और व्यक्ति इस फैक्ट को छिपाने की कोशिश करते हैं कि उनके साथ धोखाधड़ी की गई है। इसका अर्थ है कि मामलों की वास्तविक संख्या रिपोर्ट की गई संख्या से कई गुना अधिक होने की संभावना है। केवल कॉर्पोरेट कर्मचारी ही नहीं, बल्कि आईआईएम जैसे इंस्टीट्यूट के फैकल्टी को भी हैकर्स से निदेशक या शीर्ष अधिकारियों के रूप में ईमेल या व्हाट्सएप मैसेज मिले। एक आईआईएम निदेशक ने को बताया कि कथित तौर पर उनकी तरफ से भेजे गए मेल कई फैकल्टी मेंबर्स को भेजे गए थे। इसमें गिफ्ट कार्ड खरीदने और डिटेल भेजने के लिए कहा गया था। निदेशक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि यह एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ है। हमने अब और अधिक सख्त सिस्टम लागू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे फिर से निशाना बनाए जाने की आशंका है। उन्होंने बताया कि अन्य संस्थानों में उनके कई साथियों को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ा है।   *ब्रांड की बदनामी नहीं चाहते*   ग्रांट थॉर्नटन भारत में पार्टनर और लीडर-साइबर अक्षय गार्केल के अनुसार, कभी-कभी किसी बड़ी कंपनी (जिसका सालाना रेवेन्यू 50,000-100,000 करोड़ रुपये होता है) के लिए यह सोचना बेहतर होता है कि नियोक्ता ब्रांड को नुकसान पहुंचाने के बजाय छोटी रकम, जैसे कि 3-4 करोड़ रुपये तक, को राइटऑफ कर देना बेहतर है। उन्होंने कहा कि ऐसा कहने के बाद, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सभी मामलों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।   गार्केल ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे विशुद्ध रूप से फाइनेंशियल मोटिव छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने आने वाले मामलों में सुरक्षा जागरूकता के स्तर में सुधार की आवश्यकता है। ऐसी घटनाओं की निगरानी और उन्हें रोकने में और अधिक बेहतर तरीके से काम करने की आवश्यकता है।   *साइबर अटैक का खतरा*   लगभग हर कोई साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील है। इसकी वजह है कि ऐप्स और वेब साइट्स की तरफ से जुटाई गई पर्सनल जानकारी लीक हो सकती है। इससे घोटालेबाजों को कॉन्फिडेंशियल जानकारी तक एक्ससे मिल सकता है। धोखाधड़ी का पता लगाने वाली कंपनी आईडीएफवाई के सीईओ अशोक हरिहरन ने कहा कि उनकी कंपनी को भी निशाना बनाया गया था। एक महीने पहले ही, कंपनी के 650 कर्मचारियों में से 50-60 को हरिहरन से एक ईमेल मिला था। उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी का पता लगाने के बिजनेस में होने के कारण, कोई भी इसके झांसे में नहीं आया, लेकिन ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।   हरिहरन कहते हैं कि पर्सनल डिटेल आसानी से उपलब्ध है। यह ऐप या डेटा ब्रोकर से हो सकता है जो इसे बेच रहे हैं। यह डार्क वेब पर सिर्फ 100-200 रुपये में उपलब्ध है। इसके अलावा, फैक्ट यह है कि यूपीआई के माध्यम से पैसे का ट्रांसफर बेहद आसान हो गया है। इसने, इसे अधिकांश धोखाधड़ी का आधार बना दिया है। इसे बड़े पैमाने पर चलाना बहुत आसान है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jun 18, 2024

भीषण गर्मी की मार आमजन के साथ-साथ रोडवेज पर भी पड़ रही यात्री बसों में सफर से परहेज

मथुरा,08 जून 2024  (यूटीएन)। भीषण गर्मी की मार आमजन के साथ-साथ रोडवेज पर भी पड़ रही है। यात्री बसों में सफर से परहेज कर रहे हैं। इसके चलते यात्री भार में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है। लू से बचने के लिए यात्री रोडवेज बसों की बजाय रेल में यात्रा को तरजीह दे रहे हैं। पुराने बस अड्डे से बेहद कम संख्या में यात्रियों को लेकर बसें गंतव्य को रवाना हुईं। मौसम की मार से मथुरा डिपो के अधिकारी परेशान हैं। बसों में यात्री भार 10 प्रतिशत कम होने से राजस्व पर असर पड़ रहा है। पुराने बस अड्डे से अलीगढ़, हाथरस, मेरठ, बरेली, हरिद्वार, मुरादाबाद, कासगंज समेत कई अन्य रूटों पर बसों का संचालन किया जाता है। वरिष्ठ स्टेशन प्रभारी गोपाल दास ने बताया कि बसों में यात्रियों की संख्या 10 प्रतिशत तक कम हो गई है।यात्री संख्या बढ़ाने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। चालक-परिचालकों को भी निर्धारित स्टॉप से सवारियां बैठाने के लिए निर्देशित किया गया है। उधर, भीषण गर्मी में यात्री बस की बजाय ट्रेन में सफर को अहमियत दे रहे हैं। वजह यह है की ट्रेन बस की बजाय जल्दी गंतव्य तक पहुंचा देती है। ट्रेन का किराया भी बस की तुलना में काफी कम है। सफर के दौरान ट्रेन में बस की अपेक्षा गर्मी कम लगती है। खिड़कियां टूटी, लू से नहीं हो रहा बचाव रोडवेज की अधिकतर बसों की हालत खराब है। दरवाजे अच्छी तरह से बंद नहीं होते। खिडकियों के शीशे ढीले हैं, जो बसों के चलने के दौरान खुल जाते हैं। इसकी वजह से यात्रियों को लू के थपेड़े झेलने पड़ते हैं। खिड़कियां सही भी है तो उनके ऊपरी हिस्से पर कलर पट्टी नहीं है ताकि सीधी धूप से बचाव हो सके। धूप से बचने के लिए लोग अपने तौलिये, साफी को खिड़कियों के आगे लगाते हैं।  मथुरा, रिपोर्टर-(दुर्गा प्रसाद)।

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Jun 8, 2024

बाजार में बिक रहे खाद्य पदार्थों में से 50 फीसदी तक में मिलावट- खाद्य पदार्थ

मथुरा, 08 जून 2024  (यूटीएन)। बाजार में बिक रहे खाद्य पदार्थों में से 50 फीसदी तक में मिलावट है। दूध, मसाले, पनीर, मावा, घी, दूध से बनीं मिठाइयों, तेल में मिलावट के जरिये घर-घर रसोई में मिलावटखोर जहर घोल रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि सब्जियों में भी बड़ी मात्रा में रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है। मगर, इनकी सैंपलिंग के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता है। ऐसा ही कुछ बाजार में बिकने वाले बोतलबंद पानी और शीतल पेय पदार्थों के मामलों में भी है। इनकी भी कोई सैंपलिंग नहीं की जा रही है। सहायक आयुक्त खाद्य डाॅ. गौरी शंकर ने बताया कि विभागीय टीम ने मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है। उसी का नतीजा है कि अब मिलावट में कमी सामने आ रही है। छापे के दौरान खाद्य पदार्थों के सैंपल भरे जाते हैं, इनको लखनऊ प्रयोगशाला भेजा जाता है। वहां से रिपोर्ट आने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। मिलावटखोरों के खिलाफ विभाग ने सीजेएम व एडीएम कोर्ट में अपराध की प्रकृति के अनुसार वाद दायर कराए हैं। *मिर्च-हल्दी, काली मिर्च, हींग की ऐसे करें पहचान* खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अनुसा,र दालों में रंगों को मिलाया जा रहा है। मसाले के पाउडर में मिलावट करने के लिए कृत्रिम रंग, चाक पाउडर, स्टार्च और इसी तरह की चीजें मिलाई जाती हैं। लोग छोटे-छोटे उपाय कर खुद से ही इन खाद्य पदार्थों की पहचान कर सकते हैं। लाल मिर्च पाउडर और हल्दी में कृत्रिम रंगों की मिलावट की जाती है। एक गिलास पानी में एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर या हल्दी मिलाएं। शुद्ध लाल मिर्च पाउडर कांच के तले में डूब जाएगा, जबकि मिलावटी पानी तैर जाएगा।   शुद्ध हल्दी पानी में डूब जाएगी जबकि मिलावटी हल्दी पानी को पूरी तरह पीला कर देगी। काली मिर्च को पानी में मिलाते हैं, तो केवल वास्तविक शुद्ध काली मिर्च ही बर्तन के तल पर बैठेगी जबकि अन्य संदूषण पानी की सतह पर तैरेंगे। काली मिर्च को पानी में मिलाते हैं, तो केवल वास्तविक शुद्ध काली मिर्च ही बर्तन के तल पर बैठेगी, जबकि मिलावटी पानी की सतह पर तैरेगी। थोड़ी सी हींग को कूटकर पानी में घोल लें। अगर, हींग पानी में बिना कोई रंग छोड़े घुल जाए तो पानी शुद्ध है। पानी में शुद्ध नमक मिलाने से पानी में कोई तलछट या धुंधलापन नहीं रहेगा। यदि ऐसा नहीं है, तो नमक में चाक मिला हुआ है।    मथुरा, रिपोर्टर-(दुर्गा प्रसाद)।

Ujjwal Times News

Jun 8, 2024

मेरठ-बागपत हाइवे पर कल से सफर करना हो जायेगा महंगा, 5 से 10 तक की हुई बढोत्तरी*

बालैनी,06 जून 2024  (यूटीएन)। एनएचआई द्वारा टोल टैक्स में बढ़ोतरी के बाद मेरठ-बागपत हाइवे 334 बी पर सफर करना मंहगा हो गया है। नई टोल दरें 3 जून से लागू हो जाएंगी। सबसे कम टोल 45 और सबसे अधिक टोल 295 रुपये का रहेगा।   एनएचएआई द्वारा टोल टैक्स दरों में बढ़ोतरी की गई है ,जिसके चलते देशभर मे कार से सफर करने वाले लोगो की जेब पर इसका असर होगा। मेरठ बागपत हाइवे 334 बी पर बालैनी के समीप बने टोल प्लाजा पर भी 3 जून की सुबह से नई दरों से टोल टैक्स कटना शुरू हो जाएगा।    टोल मैनेजर दीपक ने बताया कि, नई रेट लिस्ट लगा दी गई है टोल टैक्स में 5 से 10 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है।    यह रहेगी वाहनों के लिये रेट लिस्ट।               एकल      वापसी कार-      45          70 केंटर-     75         110 चौपहिया टू एक्सल 155      230 थ्री एक्सल कमर्शियल 170   250 सिक्स एक्सल वाहन  240     365 7 एक्सल व बडे वाहन 295    440    स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

Ujjwal Times News

Jun 6, 2024

आचार संहिता हटने का इंतजार, जिला पंचायत द्वारा आएगी विकास कार्यों से बहार

बागपत,27 मई 2024  (यूटीएन)। लोकसभा चुनाव हेतु लगी आचार संहिता हटाए जाने के साथ ही जिला पंचायत करीब पांच करोड़ रुपये से वार्डों में विकास कार्य कराएगी।इसके लिए कार्य योजना भी लगभग तैयार बताई गई है। इस धनराशि से सड़क, गलियों व पानी निकासी के लिए नालों के कार्य होंगे, साथ ही अन्य स्वीकृत कार्य भी कराए जाएंगे।    बता दें कि, जिला पंचायत को लोकसभा चुनाव से पहले एक साल में करीब 15 करोड़ से ज्यादा का बजट मिला था, जिसे बैठक न होने के कारण खर्च नहीं किया जा सका था । बाद में लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बैठक कराई गई और उसमें विकास कार्य स्वीकृत कराकर उनकी निविदा जारी की गई।   इसके बावजूद भी दस करोड़ से कम के कार्य ही शुरू कराए जा सके थे।समझा जाता है कि ,अब जिला पंचायत के पास करीब पांच करोड़ रुपये बाकी रह गए हैं। इस बजट को विकास कार्यों पर खर्च करने के लिए योजना बनाई गई है।    जिला पंचायत अध्यक्ष के करीबी सूत्र बताते हैं कि, इसबार उन कार्यों को शामिल किया गया है, जिनको जिला पंचायत के सदस्यों ने पहले दिया हुआ था और वह पहली कार्य योजना में शामिल नहीं हो सके थे। इसके अलावा कोई अन्य कार्य की जरूरत पड़ेगी ,तो उनको भी शामिल किया जाएगा।   इनमें सड़क, गलियां, नालियां, लाइट आदि कार्य शामिल हैं। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होते ही विकास कार्य शुरू कराने की प्रक्रिया चालू कर दी जाएगी।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

Ujjwal Times News

May 27, 2024

सऊदी अरब, कुवैत, ओमान समेत कई देशों से आप को हुई फंडिंग

नई दिल्ली, 22 मई 2024  (यूटीएन)। दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से चार्जशीट में आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाया गया है. इस चार्जशीट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी नाम शामिल है. इस बीच आप और सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं. दरअसल, ईडी ने अगस्त 2022 में गृह मंत्रालय को बताया था कि आम आदमी पार्टी को साल 2014 से 2022 के दौरान एफसीआरए, आरपीए का उल्लंघन करते हुए विदेशों से फंडिंग मिली. गौरतलब है कि राजनीतिक दल विदेशी चंदा नहीं ले सकते हैं.   आम आदमी पार्टी को कनाडा, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, सऊदी अरब, यूएई, कुवैत, ओमान और कई दूसरे देशों से फंडिंग मिली है. ईडी ने गृह मंत्रालय को बताया कि सियासी दलों पर विदेशी चंदे पर लगे प्रतिबंधों से बचने के लिए आम आदमी पार्टी ने अपने अकाउंट में पैसा देने वालों की पहचान को छुपाया. ये विदेशी फंडिंग सीधा आम आदमी पार्टी के आईडीबीआई बैंक में खुले अकाउंट में आया था.   *आप विधायक के खाते में ट्रांसफर हुए पैसे* ईडी के मुताबिक आम आदमी पार्टी के नेताओं में शामिल विधायक दुर्गेश पाठक का भी नाम शामिल है, जिन्होंने इस विदेशी फंडिंग को अपने पर्सनल अकाउंट में ट्रांसफर किया. विदेशों से फंड भेजने वाले अलग-अलग लोगों ने एक ही पासपोर्ट नंबर, क्रेडिट कार्ड, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया था. बता दें कि फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट और रिप्रेसेंटशन ऑफ पीपल एक्ट के तहत सियासी दलों के लिए विदेशी फंडिंग लेने पर प्रतिबंध है और ये एक अपराध का श्रेणी में आता है.    *कनाडा में इवेंट के जरिए इकट्ठा की फंडिंग* प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में पाया कि साल 2016 में आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक ने कनाडा में हुए एक इवेंट के जरिए फंडिंग इकठ्ठा की और इन पैसों का निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया.    *कैसे हुआ था ये खुलासा?* दरअसल ये सभी खुलासे पंजाब के फाजिल्का में दर्ज स्मगलिंग के एक मामले के दौरान हुए थे. इस मामले में पाकिस्तान से भारत में ड्रग्स तस्करी करने वाले ड्रग कार्टेल पर एजेंसीज काम कर रही थी. इस मामले में फाजिल्का की स्पेशल कोर्ट ने पंजाब के भोलानाथ से आप एमएलए सुखपाल सिंह खैरा को आरोपी बनाते हुए समन किया था. ईडी ने जांच के दौरान खैरा और उसके एसोसिएट्स के यहां जब सर्च ऑपरेशन चलाया था तो खैरा और उसके साथियों के यहां से कई संदिग्ध कागज़ात मिले थे, जिनमें आम आदमी पार्टी को विदेशी फंडिंग कि पूरी जानकारी थी. बरामद कागज़ातों में 4 टाइप रिटेन पेपर और 8 हाथ से लिखे डायरी के पेज थे, जिनमें अमेरिका के डोनर की पूरी जानकारी थी. इन कागज़ों कि जांच के दौरान ईडी को यूएसए से आम आदमी पार्टी को 1 लाख 19 हजार डॉलर की फंडिंग का पता चला था. खैरा ने भी अपने बयान में बताया था कि 2017 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने यूएसए में फंड रेजिंग कैंपेन चलाकर चंदा इकट्ठा किया था.    *पासपोर्ट नंबर से 404 बार किया पैसा ट्रांसफर* इस मामले में ईडी ने आम आदमी पार्टी के नेशनल सेक्रेटरी पंकज गुप्ता को समन किया था, जिन्होंने कबूल किया था कि आम आदमी पार्टी चेक और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए विदेशी फंडिंग ले रही है. जो डेटा पंकज गुप्ता ने ईडी को उपलब्ध कराया था, उसकी पड़ताल से पता चला कि फॉरेन डोनेशन लेने में एफसीआरए का उल्लंघन किया गया था.  उस दौरान ईडी को पता चला था कि विदेश में बैठे 155 लोगों ने 55 पासपोर्ट नंबर इस्तेमाल कर 404 बार में 1.02 करोड़ रुपये डोनेट किए गए थे. 71 डोनर ने 21 मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर 256 बार में कुल 9990870 रुपये डोनेट किए. 75 डोनर ने 15 क्रेडिट कार्ड के जरिए 148 बार में 19,92,123 रुपये डोनेट किए. जिससे साफ है कि डोनर की आइडेंटिटी और नेशनलिटी को छुपाया गया, जो एफसीआरए का उल्लंघन है.   *विदेशी फंड के लिए आप ने बनाया ओवरसीज संगठन* ईडी को जांच के दौरान पता चला कि आम आदमी पार्टी की तरफ से आप ओवरसीज इंडिया का गठन किया गया था. आम आदमी पार्टी ओवरसीज इंडिया को वॉलिंटियर्स यूएसए, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे अलग-अलग देश में चलाते थे. जिनका काम आम आदमी पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करना था. इस बात का भी खुलासा हुआ कि साल 2016 में इन वालंटियर्स को 50 करोड़ रुपए की डोनेशन इकट्ठी करने का टारगेट दिया गया था.    कनाडा नागरिकता के 19 मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी का इस्तेमाल करके 51 लाख 15 हजार 44 रुपये की फंडिंग प्राप्त की गई. ईडी जांच के दौरान पता चला कि इन कनाडा नेशनल के नाम और उनकी नागरिकता को छुपाने की कोशिश की गई, जिन्हें रिकॉर्ड्स में दर्ज नहीं किया गया. वहीं इस डोनेशन के बदले में अलग-अलग नाम लिख दिए गए और यह सब जानबूझकर फॉरेन नेशनल की नागरिकता को छुपाने के लिए किया गया, जो सीधा-सीधा एफसीआरए 2010 के कनेक्शन 3 और आरपीए के सेक्शन 298 का उल्लंघन है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 22, 2024

इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी लाने की जरूरत: अमिताभ कांत

नई दिल्ली, 18 मई 2024  (यूटीएन)। भारत के लिए जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में तेजी लाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सरकार की पहल और परिवर्तन के साथ-साथ क्षेत्र में निजी कंपनियों के योगदान को भी महत्वपूर्ण माना। बता दें, कांत आज नई दिल्ली में सीआईआई द्वारा आयोजित वार्षिक बिजनेस समिट में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि आने वाले पांच वर्षों में कई कार्रवाई होगी।   *इलेक्ट्रिक वाहनों की गति में तेजी लाएं*     कार्यक्रम में अमिताभ ने बताया कि यह बहुत जरूरी है कि हम दोपहिया और तिपहिया वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की गति में तेजी लाएं। सरकार ने पहले ही 10 हजार इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए 57,613 करोड़ रुपये आवंटित कर दिया है। उन्होंने इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और बसों के निर्माण में उछाल की भविष्यवाणी की।     *बैटरी निर्माण में भारत होगा मजबूत*   कांत ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मुझे लगता है कि यह अगली बड़ी चीज होगी। बैटरी निर्माण के लिए प्रोडक्शन इंसेंटिव स्कीम की बोली लगाई है। आपको भारत में टाटा से लेकर रिलायंस और मारुति से लेकर एक्साइड तक कई कंपनियां बैटरी बनाती दिखेंगी।   उन्होंने कहा कि कई कंपनियां बैटरी निर्माण कर रही हैं। यह विकास अगला बड़ा घटक होगा। कांत ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि 2030 तक भारत दोपहिया, तिपहिया और बसों के मामले में पूरी तरह से इलेक्ट्रिक हो जाए। हमें सुनश्चित करना आवश्यक है कि भारत एक इलेक्ट्रिक वाहन राष्ट्र बन जाए।   *चार वाहनों में विनिर्माण के लिए भारत की नीति*   जी20 शेरपा ने आगे कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन भारत को हरित प्रौद्योगिकी और सतत विकास में अग्रणी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने ईवी उत्पादन में भूमिका निभाने वाली कंपनियों की भी प्रशंसा की। उन्होंने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को चार पहिया वाहन विनिर्माण करने की नीति भी कम शुल्क दरों के साथ खोली गई है लेकिन वे भारत में निवेश करें।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 18, 2024