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अवैध व्यापार करने वालों के मन में कठोर दंड का भय पैदा करने की आवश्यकता

नई दिल्ली, 25 सितंबर 2024 (यूटीएन)। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने अवैध व्यापार और गतिविधियों में लगे लोगों के गठजोड़ पर कठोर दंड और कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया। फिक्की-कैस्केड के 10वें संस्करण - 'मैस्क्रेड 2024' को संबोधित करते हुए बिट्टू ने जोर देकर कहा कि विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय हमारे आर्थिक विकास को बर्बाद करने वाले नापाक तत्वों के खिलाफ लड़ाई पर काबू पाने की कुंजी है। उन्होंने कहा, "हम एक साथ मिलकर लचीली अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करते हैं, मजबूत पहलों के साथ इन खतरों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देते हैं। आइए हम सब मिलकर भारत के भविष्य की रक्षा करें।" उन्होंने आगे कहा कि फिक्की कैस्केड की रिपोर्ट की राय और विचार सरकार को अवैध व्यापार गतिविधियों पर कड़ी कार्रवाई करने में मदद करेंगे।    बिट्टू ने कहा, "दंड आवश्यक है, और अपराधियों के मन में यह डर पैदा करना महत्वपूर्ण है कि यदि वे अवैध व्यापार गतिविधियों में शामिल होते हैं तो उन्हें कठोर दंड दिया जाएगा।" भारत सरकार के विशेष सचिव और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के सदस्य (अनुपालन प्रबंधन) राजीव तलवार ने कहा, "सीबीआईसी नकली सामान और तस्करी के खिलाफ आंदोलन में आधार के रूप में काम कर रहा है। हमने बहुत व्यापक क्षमताओं के साथ एक प्रौद्योगिकी-संचालित जोखिम प्रबंधन पोर्टल बनाया है जो हमें संभावित तस्करी संचालन की भविष्यवाणी करने में मदद करता है। सीबीआईसी के फील्ड अधिकारी इस पोर्टल की मदद से औसतन प्रतिदिन 60 जांच कर रहे हैं।"तलवार ने कहा कि पिछले 15 महीनों में 3,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 40 करोड़ रुपये के विदेशी उत्पाद जब्त किए गए हैं। फिक्की कैस्केड के अध्यक्ष अनिल राजपूत ने कहा, कानूनी और अवैध दोनों ही तरह के कारोबारियों के लिए उपभोक्ता मुख्य फोकस समूह रहे हैं।   और आगे भी बने रहेंगे के प्रौद्योगिकी-प्रधान परिदृश्य में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने बहुत महत्व प्राप्त कर लिया है और वर्तमान में हम अपने व्यवसायों और समाज पर इस तकनीक के सकारात्मक प्रभाव को देख रहे हैं। हालाँकि, वह समय दूर नहीं है जब हम देखेंगे कि दुष्ट तत्व मैदान में उतर आएंगे और ऐसी चुनौती पैदा करेंगे जो उद्योग और समाज दोनों के लिए एक बड़ी आपदा बन सकती है। मेरा मानना ​​है कि 'सिक्योर' फ्रेमवर्क का मंत्र जिसका अर्थ है निगरानी, ​​प्रवर्तन, क्षमता निर्माण, अवैध व्यापार के खिलाफ संयुक्त मोर्चा, कठोर दंड, सादगी पर आधारित संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र - जब समग्रता में देखा जाता है, तो यह अवैध व्यापार के जटिल मुद्दे का 360-डिग्री समाधान प्रदान करेगा। विश्व सीमा शुल्क संगठन के अनुपालन एवं सुविधा निदेशालय के निदेशक प्रणब कुमार दास ने कहा, "वैध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विकास को प्रोत्साहित करने में विश्व सीमा शुल्क संगठन द्वारा निभाई गई।   महत्वपूर्ण भूमिका के अलावा, धोखाधड़ी गतिविधियों से निपटने के इसके प्रयासों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है, खासकर तस्करी और जालसाजी के खिलाफ। अवैध व्यापार के खिलाफ प्रवर्तन सीमा शुल्क के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र बना हुआ है, क्योंकि यह आपराधिक नेटवर्क को बाधित करने के लिए समाधान और उचित प्रतिक्रिया प्रदान करता है।" भारतीय मध्यस्थता परिषद के महानिदेशक और फिक्की के पूर्व महानिदेशक के थिंक टैंक सदस्य अरुण चावला ने कहा, "लचीली अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करने के लिए, निवारक और सक्रिय दोनों उपायों को अपनाना आवश्यक है जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, तकनीकी प्रगति और कड़े कानूनी ढांचे को एकीकृत करते हैं। इन अवैध गतिविधियों से निपटने के लिए सीमा पार साझेदारी को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि आर्थिक विकास निरंतर बना रहे और साथ ही वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की अखंडता को सुरक्षित रखा जाए।"   कार्यक्रम के दौरान, फिक्की कैस्केड ने थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर एक रिपोर्ट ‘अवैध उपभोग: उपभोग के बदलते कारक 5 प्रमुख उद्योगों में अवैध बाजारों को कैसे प्रभावित करते हैं’ लॉन्च की, जिसमें भारत में अवैध बाजार का आकार 2022-23 में 7,97,726 करोड़ रुपये आंका गया है। 5 प्रमुख उद्योगों-पैकेज्ड गुड्स, पर्सनल और हाउसहोल्ड केयर, शराब, तंबाकू और कपड़ा और परिधान- पर विचार करते हुए, जहाँ अवैध व्यापार वैध व्यवसायों को कमजोर कर रहा है, प्रतिस्पर्धा को विकृत कर रहा है और सरकारी कर राजस्व को काफी हद तक खा रहा है, रिपोर्ट अवैध बाजार के बढ़ते आकार को उच्च मूल्य वाले ब्रांडेड, लक्जरी, हाई-एंड, कर योग्य वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती खपत को जिम्मेदार ठहराती है, खासकर ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में बढ़ते आकांक्षी मध्यम वर्ग के बीच।   इन पाँच श्रेणियों में अवैध बाजार ग्रामीण भारत में तेजी से फैला है, खासकर मध्यम और निम्न आय वर्ग के बढ़ते वर्गों के बीच। संक्षेप में, जालसाजी और अवैध व्यापार की समस्या ने नई राह पकड़ी है, क्योंकि पहले यह उच्च आय वर्ग की घटना थी, जो देश के शहरी इलाकों में अधिक स्पष्ट थी। इसलिए, खर्च करने के बदलते पैटर्न-बढ़ती डिस्पोजेबल आय के साथ-साथ उपभोक्ताओं द्वारा ऐसे उत्पादों को चुनना अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, जिन पर अधिक कर लगाया जाता है, जैसे कि सौंदर्य और कॉस्मेटिक उत्पादों के मामले में 28 प्रतिशत की कर दर वाले उत्पाद और रेडीमेड परिधान जिन पर 12-18 प्रतिशत कर लगाया जाता है, जो अवैध खिलाड़ियों को आर्थिक लाभ के लिए मध्यस्थता का उपयोग करने का अवसर देता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 25, 2024

प्रौद्योगिकी उन्नति के साथ करदाताओं का समर्थन बढ़ाना: शशांक प्रिया

नई दिल्ली, 25 सितंबर 2024 (यूटीएन)। एसोचैम द्वारा जीएसटी पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि शशांक प्रिया विशेष सचिव एवं सदस्य -जीएसटी, सीबीआईसी ने कहा कि ''हमने जीएसटी के क्रियान्वयन के सात वर्ष पूरे कर लिए हैं। हमने अच्छा प्रदर्शन किया है। हर साल सर्वेक्षण हुए हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं द्वारा जीएसटी की संतुष्टि रेटिंग में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। राजस्व में वृद्धि देखी जा रही है। हमने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि प्रौद्योगिकी और स्वचालन का उपयोग करदाताओं के लिए जीवन को आसान बनाए। समिट के दौरान उन्होंने कहा कि उद्योग ने एक ही पैन वाले जीएसटी के लिए विभिन्न राज्यों के बीच पूर्ण जीएसटी हस्तांतरण की मांग की है। ऐसी भी मांगें हैं कि आपूर्तिकर्ताओं द्वारा जीएसटी जमा न करने के लिए प्राप्तकर्ता को जिम्मेदार नहीं बनाया जाना चाहिए।   उन्होंने आगे कहा, ''हमें यह याद रखना होगा कि जीएसटी एक बहुत ही सावधानी से बनाया गया स्थानीय रूप से संतुलित कानून है, जो राज्य और केंद्र के अधिकारियों के बीच बहुत गहन और लंबे विचार-विमर्श के बाद हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद बना है। इसलिए, यह संघीय ढांचे को संतुलित करता है। हमें यह पहचानना होगा कि कर की शक्ति केंद्र और राज्यों दोनों के पास है। और इसीलिए हमें सावधान रहना होगा, दोनों समान हितधारक हैं और जीएसटी के लिए दोनों को एक साथ आने की जरूरत है। इस बारे में कुछ लगातार समस्याएं रही हैं कि कैसे छोटे करदाताओं को अनुपालन आवश्यकताओं के बारे में पता नहीं था, जिसके परिणामस्वरूप उनमें से बहुत से समय पर अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर सके, इनपुट टैक्स क्रेडिट गलत तरीके से लिया गया।    जैसे-जैसे हमने रिटर्न दाखिल करने की समय अवधि बढ़ाई, हमने रिटर्न दाखिल करने में देरी के लिए कुछ माफी दी, सीजीएसटी अधिनियम की धारा 73 के तहत जो मांगें उठाई गईं, हमने उस पर जुर्माना और ब्याज में छूट दी। इसलिए, उन सभी मुद्दों को हमने 54वीं जीएसटी परिषद की बैठक में आगे बढ़ाया है। परिषद ने 31 मार्च, 2025 को वह तिथि निर्धारित की है जिस दिन या उससे पहले करदाताओं को कर का भुगतान करना होगा, यदि वे इस विशेष छूट का लाभ उठाना चाहते हैं। अपने विशेष संबोधन में जीएसटीएन के सीईओ मनीष कुमार सिन्हा ने जीएसटी में मौजूदा रुझानों को साझा किया, जैसे कि विसंगतियां, जहां उन्होंने स्वचालन लागू किया है, जिसमें करदाता और कर प्रशासक दोनों ही परिणाम देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि तरीकों और अंतरों को मानकीकृत किया जा सकता है।   इनवॉयस मैनेजमेंट सिस्टम (आईएमएस) एक लंबे समय से प्रतीक्षित कदम है। सरकार उद्योग की चिंताओं को समायोजित कर रही है। स्वागत भाषण में एसोचैम की राष्ट्रीय अप्रत्यक्ष कर परिषद के अध्यक्ष प्रतीक जैन ने जीएसटी की उल्लेखनीय तकनीकी प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे एआई उपकरण अब जटिल कानूनी निर्णयों को तुरंत सारांशित करने में सक्षम हैं और कहा कि विशाल जीएसटी डेटा सरकार और उद्योग के लिए बेहतर निर्णय लेने में सहायक हो सकता है। एसोचैम की राष्ट्रीय अप्रत्यक्ष कर परिषद के सह-अध्यक्ष नवीन जैन ने इस बात पर जोर दिया कि जीएसटी परिषद और प्रशासन उद्योग के साथ सक्रिय जुड़ाव और सहयोग के माध्यम से प्रणाली की निरंतर सफलता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।   उन्होंने जीएसटी प्रक्रियाओं को सरल बनाने की प्राथमिकता पर प्रकाश डाला और उद्योग के सदस्यों को प्रमुख चुनौतियों पर प्रतिक्रिया साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया। जैन ने इस बात पर भी जोर दिया कि जीएसटी ढांचे के भीतर मूल्य को अनलॉक करने और प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के साथ निरंतर सहयोग आवश्यक है। एसोचैम की राष्ट्रीय अप्रत्यक्ष कर परिषद के सह-अध्यक्ष नितिन गोयल ने यह कहते हुए अपना समापन भाषण दिया कि पिछले सात वर्षों में जीएसटी का विकास कर परिदृश्य को परिष्कृत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अब 13 मिलियन से अधिक इकाइयाँ जीएसटी-पंजीकृत हैं और लगातार रिटर्न दाखिल कर रही हैं, जो पिछले वर्ष के संग्रह से उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 25, 2024

जीरो प्रोजेक्ट, वियना के साथ मिलकर दिव्यांगता सशक्तिकरण में नवाचार और समावेशन को बढ़ावा देगा

नई दिल्ली, 21 सितंबर 2024 (यूटीएन)। जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस 2024, नवाचार के माध्यम से दिव्यांगता समावेशन को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम, 19-20 सितंबर को गुरुग्राम के लीला होटल में होने वाला है। यूथ4जॉब्स फाउंडेशन द्वारा वैश्विक जीरो प्रोजेक्ट के साथ आयोजित यह कॉन्फ्रेंस भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक - दिव्यांग लोगों - की जरूरतों को संबोधित करने के लिए अग्रणी समाधानों का प्रदर्शन करके और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देकर एक महत्वपूर्ण मंच का प्रतिनिधित्व करती है। जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस का यह दूसरा संस्करण उद्घाटन कार्यक्रम की सफलता पर आधारित है, जिसमें इस क्षेत्र में प्रणालीगत बदलाव लाने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है।   एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण से आईसीएमआर के प्रकाशन के अनुसार, भारत में लगभग 63.28 मिलियन लोग या आबादी का 4.52% दिव्यांग हैं। जनसंख्या का यह महत्वपूर्ण हिस्सा देश में सबसे बड़े अल्पसंख्यक का प्रतिनिधित्व करता है, जो उनकी अनूठी चुनौतियों का समाधान करने वाली समावेशी पहलों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है। जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस 2024 का उद्देश्य प्रौद्योगिकी, शिक्षा और नीति में नवाचारों को उजागर करके इस आवश्यकता को पूरा करना है जो लाखों लोगों के लिए पहुँच और समावेश को बदल सकता है। यूथ4जॉब्स फाउंडेशन की संस्थापक और सीईओ मीरा शेनॉय ने सम्मेलन के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस सिर्फ एक आयोजन से कहीं अधिक है; यह बदलाव का उत्प्रेरक है, जो समावेशी भविष्य बनाने के लिए विविध विचारों को एक साथ लाता है। यूथ4जॉब्स में, हम विकलांग लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध हैं।   जो भारत में सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं। यह सम्मेलन हमें बाधाओं को तोड़ने और एक ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए नवाचार और सहयोग का लाभ उठाने की अनुमति देता है, जहाँ हर कोई, क्षमता की परवाह किए बिना, फल-फूल सकता है। जमीनी स्तर के नवाचारों और विकलांग महिलाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करके, हम न केवल वर्तमान चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं, बल्कि अधिक न्यायसंगत भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त कर रहे हैं।" सम्मेलन का एजेंडा प्रभावशाली सत्रों से समृद्ध होगा, जिसमें भारतीय जमीनी स्तर के समाधानों की वैश्विक क्षमता पर चर्चा भी शामिल होगी। यह पैनल इस बात पर विचार करेगा कि समुदाय की जरूरतों से प्रेरित स्थानीय नवाचारों को वैश्विक प्रभाव बनाने के लिए कैसे बढ़ाया जा सकता है। विषयों में एआई से लेकर जमीनी स्तर, महिलाएं, सहायक तकनीक, शुरुआती हस्तक्षेप, अफ्रीका के साथ पुल बनाना आदि शामिल हैं।    इस कार्यक्रम में विकलांग महिला उद्यमियों पहल पर एक समर्पित सत्र भी होगा, जो एक महत्वपूर्ण यूथ4जॉब्स कार्यक्रम है जो महिलाओं को अपने समुदायों में नेता बनने के लिए सशक्त बनाता है। ये चर्चाएँ न केवल विकलांग लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए सम्मेलन की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं, बल्कि समाधान बनाने में नेतृत्व करने के लिए उन्हें सशक्त बनाती हैं। "जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस के साथ, हमारे पास विशेषज्ञों के हमारे व्यापक वैश्विक नेटवर्क और भारत और उससे आगे के अविश्वसनीय, घरेलू नवाचारों के बीच संबंध बनाने का एक अनूठा और शक्तिशाली अवसर है। यह मंच केवल ज्ञान साझा करने के बारे में नहीं है, बल्कि एक सहयोगी वातावरण को बढ़ावा देने के बारे में है जहाँ अंतर्राष्ट्रीय नेता और स्थानीय परिवर्तनकर्ता पहुँच, समावेश और सामाजिक विकास में कुछ सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। इन पुलों का निर्माण करके, हमारा लक्ष्य अग्रणी समाधानों के प्रभाव को बढ़ाना है जो वैश्विक स्तर पर समाजों को बदलने की क्षमता रखते हैं।"   जीरो प्रोजेक्ट के सीईओ माइकल फेमबेक ने कहा। इस सम्मेलन को हंस फाउंडेशन और एक्सिस बैंक फाउंडेशन का समर्थन प्राप्त है, दोनों ही भारत में विकलांगता समावेशन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी भागीदारी सार्थक परिवर्तन लाने में बहु-क्षेत्रीय सहयोग के महत्व को रेखांकित करती है। जैसे-जैसे भारत नवाचार के केंद्र के रूप में विकसित होता जा रहा है, जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस जैसी पहलों की भूमिका लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। वैश्विक और स्थानीय हितधारकों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देकर, इस आयोजन का उद्देश्य उन नवीन प्रथाओं को अपनाने में तेजी लाना है जो पूरे देश में विकलांग लोगों के जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार कर सकती हैं। यूथ4जॉब्स फाउंडेशन, अपने भागीदारों के साथ, इस मिशन का नेतृत्व कर रहा है, एक ऐसे भविष्य के लिए मंच तैयार कर रहा है जहाँ समावेशिता केवल एक आकांक्षा नहीं बल्कि एक वास्तविकता है। जीरो प्रोजेक्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस 2024 एक अधिक समावेशी और सुलभ दुनिया की ओर चल रही यात्रा में एक ऐतिहासिक आयोजन बनने के लिए तैयार है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Sep 21, 2024

पश्चिमी व्यापारी एकता व्यापार मंडल ने किया नेशनल अवार्डी विपुल जैन को सम्मानित

बागपत, 06 अगस्त 2024 (यूटीएन)। पश्चिमी व्यापारी एकता व्यापार मंडल के बागपत जिला अध्यक्ष अभिषेक जैन के नेतृत्व में बरनावा शिव मंदिर पर विशाल कावड़ सेवा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में वरिष्ठ पत्रकार एवं नेशनल अवार्डी विपुल जैन पहुंचे। उनका यहां पर पश्चिमी व्यापारी एकता व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष अभिषेक जैन व उनकी टीम ने पटका पहनाकर व पुष्प वर्षा कर सम्मान किया। विपुल जैन ने पश्चिमी व्यापारी एकता व्यापार मंडल द्वारा कांवड़ियो के लिए लगाए गए कावड़ सेवा शिविर की सराहना की। कहा कि यह बहुत अच्छा कार्य है और इसके लिए पश्चिमी व्यापारी एकता व्यापार मंडल की पूरी टीम बधाई की पात्र है।   शिविर में व्यापार मंडल के समस्त पदाधिकारियो ने शिव भक्त  कावड़ियों पर फूल वर्षा कर सभी भक्तों को आलू की सब्जी, पूरी, कढ़ी, चावल, ठंडे दूध की बोतल, जलजीरा, सेब व केले के प्रसाद का वितरण किया। जिला अध्यक्ष अभिषेक जैन ने सभी शिवभक्तों को महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं दी। कहा कि इसी प्रकार हर साल कावड़ यात्रा में शिव भक्तों की सेवा पश्चिमी व्यापारी एकता व्यापार मंडल के पदाधिकारियो द्वारा की जाएगी। इस अवसर पर राहुल जैन, अंकित गुप्ता, संजय वर्मा, जुबेर अहमद, अजीत जैन एडवोकेट, विकास गुप्ता, सचिन खोखर, भूपेंद्र दांगी, अंकुज खोकर, आदित्य, प्रिंस जैन जनता दल यूनाइटेड प्रदेश महासचिव , अंजू खोखर भाजपा नेत्री एवं अखिल भारतीय जाट महासभा की प्रदेश महासचिव, वंदना गुप्ता, मधु धामा आदि जिले एवम नगर कमेटी के समस्त पदाधिकारी मौजूद रहे।   बागपत-रिपोर्टर, (विवेक जैन)।

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Aug 6, 2024

कम होंगी वक्फ बोर्ड की शक्तियां, संसद में जल्द संशोधन बिल पेश करेगी मोदी सरकार

नई दिल्ली, 05 अगस्त 2024 (यूटीएन)। केंद्र सरकार इस हफ्ते संसद में वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उसकी कार्यप्रणाली में संशोधन से संबधित बिल ला सकती है. सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' बनाने की शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है. सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार शाम कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम में करीब 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी है. प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, वक्फ बोर्ड की ओर से किए गए संपत्तियों पर दावों का अनिवार्य रूप से सत्यापन का प्रस्ताव दिया जाएगा. इसी तरह, वक्फ बोर्ड की विवादित संपत्तियों के लिए अनिवार्य सत्यापन का प्रस्ताव किया गया है. सूत्रों ने बताया कि वक्फ अधिनियम में संशोधन करने वाला विधेयक अगले सप्ताह संसद में पेश किए जाने की संभावना है.   *क्या होगा संशोधन का असर* जानकारों का मानना है कि इस संशोधन का सीधा असर उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में होगा, जहां वक्फ बोर्ड काफी सक्रिय है और उसके पास जमीन भी बहुत है. 2013 में यूपीए सरकार ने मूल अधिनियम में संशोधन लाकर वक्फ बोर्ड को और अधिक शक्तियां दी थीं. वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है. वक्फ अधिनियम, 1995 को वक्फ की ओर से 'औकाफ' (वक्फ के रूप में दान की गई और अधिसूचित संपत्ति) को विनियमित करने के लिए अधिनियमित किया गया था. वह व्यक्ति जो मुस्लिम कानून के जरिये पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के रूप में मान्यता प्राप्त किसी भी उद्देश्य के लिए संपत्ति समर्पित करता है.   *अपील प्रक्रिया में खामियां भी जांच के दायरे में* इससे पहले सरकार ने राज्य वक्फ बोर्डों को किसी भी संपत्ति पर दावा करने के लिए व्यापक अधिकार दिए जाने और अधिकांश राज्यों में ऐसी संपत्ति के सर्वेक्षण में देरी का संज्ञान लिया था. सरकार ने वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों को निगरानी में शामिल करने की संभावना पर भी विचार किया था. सूत्रों ने कहा कि अपील प्रक्रिया में खामियां भी जांच के दायरे में हैं. उदाहरण के लिए, बोर्ड के किसी निर्णय के खिलाफ अपील न्यायाधिकरण के पास होती है, लेकिन ऐसी अपीलों के निपटान के लिए कोई समयसीमा नहीं होती. न्यायाधिकरणों का निर्णय अंतिम होता है और उच्च न्यायालयों में रिट क्षेत्राधिकार के अलावा अपील का कोई प्रावधान नहीं है.   *इन संशोधन का प्रस्ताव ला सकती है सरकार* बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद में संशोधन से जुड़ा जो बिल पेश करने की तैयारी में है उसमें करीब 40 बदलावों का प्रस्ताव है. इन 40 बदलावों में कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं. विधेयक में वक्फ अधिनियम की धारा 9 और धारा 14 में संशोधन का प्रस्ताव. वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करना, बोर्ड की संरचना में परिवर्तन का प्रस्ताव, निकायों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव, बोर्ड की ओर से भूमि को वक्फ की संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन सुनिश्चित किया जाना चाहिए. राज्य वक्फ बोर्डों की ओर से दावा किए गए विवादित भूमि का नए सिरे से सत्यापन करने का प्रस्ताव.   *क्या है वक्फ बोर्ड?* वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है वक्फ को दान का एक रूप माना जाता है वक्फ मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए दी गई संपत्ति है संपत्ति और संपत्ति से हुए मुनाफे का हर राज्य के वक्फ बोर्ड प्रबंधन करते हैं 1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया सरकार ने 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की 1995 में प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन किया गया वक्फ बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि वक्फ संपत्ति से उत्पन्न आय का उपयोग मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए किया जाए बिहार जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड हैं वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है, देश भर में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 वक्फ बोर्ड हैं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Aug 5, 2024

सरकार 6 महीने में व्यापक समीक्षा के साथ संशोधित प्रत्यक्ष कर संहिता लाएगी: राजस्व सचिव

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। जय मल्होत्रा, सचिव राजस्व, वित्त मंत्रालय ने ‘संघीय बजट 2024-25 पर फिक्की के संवादात्मक सत्र’ को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार प्रत्यक्ष कर संहिता की व्यापक समीक्षा की दिशा में काम कर रही है, जिसे आंतरिक समिति द्वारा तैयार किया जाएगा और फिर अगले 6 महीनों के भीतर हितधारकों के परामर्श के लिए साझा किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारे पास परामर्श प्रक्रिया होगी और यह कैसे होगा, यह हम तय करेंगे। हम कार्यान्वयन के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहेंगे।” राजस्व सचिव ने आगे कहा कि सरकार करों के कार्यान्वयन के लिए परेशानी मुक्त, सरल और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रयास जारी रखेगी। “कराधान के प्रति हमारा दृष्टिकोण हमेशा सहयोग की शैली में रहा है और आगे भी रहेगा, टकराव की नहीं उन्होंने कहा कि नीतिगत और क्रियान्वयन दोनों ही दृष्टि से हमारे प्रस्तावों का उद्देश्य जहां से भी कर देय हैं।    वहां से कर एकत्र करना है, लेकिन ऐसा इस तरह से करना है कि करदाताओं को सम्मान और विश्वास मिले तथा उन्हें सहज और परेशानी रहित तरीके से एकत्र किया जा सके। केंद्रीय बजट के व्यापक विषयों पर प्रकाश डालते हुए मल्होत्रा ​​ने कहा कि बजट में पूरा प्रयास यह है कि करदाताओं के लिए कर प्रक्रिया को कैसे सरल बनाया जाए। अप्रत्यक्ष कर के मोर्चे पर एंजल टैक्स को समाप्त करना, कानूनों को अपराधमुक्त करना, शुल्कों में कमी करना कुछ ऐसे बजट प्रस्ताव हैं, जिनसे उद्योग जगत को लाभ होगा। वित्त मंत्रालय के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने कहा कि नई स्लैब और दरों वाली नई कर व्यवस्था सभी के लिए फायदेमंद है और रिटर्न दाखिल करने वाले कुल करदाताओं में से लगभग 2/3 ने नई कर व्यवस्था को चुना है। उन्होंने पूंजीगत लाभ पर कराधान को युक्तिसंगत बनाने, टीडीएस दरों में कमी के साथ-साथ मुकदमेबाजी और अपील के लाभों पर भी प्रकाश डाला। वित्त मंत्रालय के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि।   केंद्रीय बजट 2024-25 में अप्रत्यक्ष करों पर दिए गए संकेत स्पष्ट हैं कि आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारा उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रहे, हमें सरलीकृत कराधान और युक्तिसंगत दरों की आवश्यकता है। फिक्की के पूर्व अध्यक्ष और जेके पेपर लिमिटेड के सीएमडी हर्ष पति सिंघानिया ने कहा, "दीर्घावधि पर नज़र रखते हुए, निकट अवधि की चुनौतियों का समाधान करते हुए, सरकार ने आश्वासन दिया है कि यह बजट विकासोन्मुखी, समावेशी है और समाज के सभी वर्गों के लिए अवसर पैदा करेगा।" उन्होंने आगे कहा कि अप्रत्यक्ष कर प्रस्ताव घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने, व्यापार बाधाओं को कम करने, मुकदमेबाजी पर अंकुश लगाने और व्यापार करने में आसानी में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उन्होंने कहा, "प्रत्यक्ष कर मामलों के संबंध में विवाद से विश्वास योजना की शुरूआत सही दिशा में एक कदम है, लेकिन हमारा मानना ​​है कि सीमा शुल्क के तहत लंबित विवादों को हल करने के लिए इसी तरह की योजना की बहुत आवश्यकता है और यह सीमा शुल्क मामलों पर मुकदमेबाजी को कम करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी।"   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

बजट समावेशी है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन और कौशल विकास पर जोर दिया गया है

नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। केंद्रीय बजट 2024-25 पर टिप्पणी करते हुए, फिक्की के अध्यक्ष डॉ. अनीश शाह ने कहा, "फिक्की माननीय वित्त मंत्री को विकासोन्मुखी बजट पेश करने के लिए बधाई देता है, जिसमें अल्पकालिक मांग प्रोत्साहन और मध्यम से दीर्घकालिक विकास अनिवार्यताओं पर केंद्रित कार्रवाई दोनों शामिल हैं, जबकि राजकोषीय अनुशासन बनाए रखा गया है। बजट समावेशी है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण रोजगार सृजन और कौशल विकास पर जोर दिया गया है। यह कृषि और विनिर्माण के बीच संतुलन बनाता है, जिसमें सेवाओं के तत्व भी शामिल हैं।" नीति घोषणाओं में निरंतरता है।   सरलीकरण और व्यापार करने में आसानी, विनिर्माण को बढ़ावा, अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान, सार्वजनिक पूंजीगत व्यय पर जोर, प्रौद्योगिकी का उपयोग, महिलाओं, किसानों और एमएसएमई को समर्थन और स्थिरता को बढ़ावा देना प्रमुख विषय हैं जो इस केंद्रीय बजट प्रस्तावों में एक बार फिर गूंजते हैं। उन्होंने कहा, "बजट के फोकस क्षेत्र उद्योग के लिए फिक्की की प्रमुख प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं और हमें यह जानकर खुशी हो रही है कि इस बजट में फिक्की के कई सुझावों पर विचार किया गया है, जैसा कि कृषि अनुसंधान में तेजी लाने, विनिर्माण में महिला कार्यबल की भागीदारी बढ़ाने, विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए कारक बाजार सुधारों के साथ-साथ हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उपायों के प्रस्तावों में देखा गया है।"   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 27, 2024

केन्‍द्रीय बजट 2024-25 की प्रमुख बातें

नई दिल्ली, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘केन्‍द्रीय बजट 2024-25’ पेश की। इस बजट की प्रमुख बातें निम्‍नलिखित हैं : *बजट अनुमान 2024-25:* o  ऋण को छोड़कर कुल प्राप्तियां: 32.07 लाख करोड़ रुपये  o  कुल व्‍यय: 48.21 लाख करोड़ रुपये o  सकल कर प्राप्ति: 25.83 लाख करोड़ o  वित्‍तीय घाटा: जीडीपी का 4.9 प्रतिशत। •  सरकार का लक्ष्‍य घाटे को अगले साल 4.5 प्रतिशत से नीचे लाना है। •  मुद्रास्‍फीति कम, स्‍थायी और 4 प्रतिशत के लक्ष्‍य की ओर जारी है। •  कोर मुद्रास्‍फीति (गैर-खाद्य, गैर-ईंधन) 3.1 प्रतिशत। •  बजट में रोजगार, कौशल, एमएसएमई और मध्‍य वर्ग पर विशेष ध्‍यान है.   *रोजगार और कौशल पर प्रधानमंत्री की पांच योजनाएं* •  4.1 करोड़ युवाओं के लिए पांच साल में रोजगार-कौशल और अन्य अवसरों के लिए प्रधानमंत्री की पांच योजनाएं और पहल। 1. योजना क- पहली बार वालों के लिए : ईपीएफओ में पंजीकृत पहली बार रोजगार पाने वाले कर्मचारियों को 15 हजार रुपये तक के एक महीने का वेतन जिसे तीन किस्तों में दिया जाएगा। 2. योजना ख- विनिर्माण में रोजगार सृजन : कर्मचारी और नियोक्‍ता दोनों को सीधे विनिर्दिष्‍ट स्‍केल पर प्रोत्‍साहन राशि उपलब्‍ध कराना जो नौकरी के पहले चार साल में दोनों के ईपीएफओ योगदान पर निर्भर है। 3. योजना ग- नौकरी देने वाले को मदद : सरकार नियोक्‍ता को उसके ईपीएफओ योगदान के लिए दो साल तक हर अतिरिक्‍त कर्मचारी पर 3000 हजार रुपये प्रत्‍येक महीना भुगतान करेगी। 4. कौशल के लिए नई केन्‍द्र प्रायोजित योजना •  अगले पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं का कौशल बढ़ाया जाएगा। •  1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थानों का उन्‍नयन किया जाएगा। 5. पांच साल में एक करोड़ युवाओं को पांच सौ टॉप कंपनियों में इंटर्नशिप के लिए  नई योजना।   *‘विकसित भारत’ की दिशा में नौ बजट प्राथमिकताएं :* 1. कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता 2. रोजगार और कौशल प्रशिक्षण 3. समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय 4. विनिर्माण और सेवाएं 5. शहरी विकास 6. ऊर्जा सुरक्षा 7. अवसंरचना 8. नवाचार, अनुसंधान और विकास, और 9. अगली पीढ़ी के सुधार  *प्राथमिकता 1: कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता* •  कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का आवंटन।  •  किसानों की खेतीबाड़ी के लिए 32 कृषि और बागवानी फसलों की नई 109 उच्च पैदावार वाली और जलवायु अनुकूल किस्में जारी की जाएंगी। •  प्रमाण-पत्र और ब्रांडिंग व्यवस्था के साथ अगले दो वर्षों में पूरे देश में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक कृषि से जोड़ा जाएगा। •  प्राकृतिक खेती के लिए 10,000 आवश्यकता आधारित जैव-आदान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे। •  तीन साल में किसानों और उनकी जमीन को शामिल करने हेतु कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को लागू किया जाएगा।   *प्राथमिकता 2: रोजगार और कौशल प्रशिक्षण* •  प्रधानमंत्री पैकेज के भाग के रूप में ‘रोजगार संबद्ध प्रोत्साहन’ के लिए निम्नलिखित 3 योजनाओं योजना क- पहली बार रोजगार पाने वाले, योजना ख- विनिर्माण  में रोजगार सृजन,  योजना ग- नियोक्‍ताओं को मदद। •  कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए o  औद्योगिक सहयोग से महिला छात्रावास और क्रेचों की स्‍थापना।  o  महिला केन्द्रित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन o  महिला स्‍वयं सहायता समूह उद्यम को बाजार तक पहुंच को बढ़ाना *कौशल विकास* o  प्रधानमंत्री के पैकेज के तहत पांच साल की अवधि में 20 लाख युवाओं के कौशल विकास के लिए केन्‍द्र प्रायोजित नई योजना। o  7.5 लाख रुपये तक के ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मॉडल कौशल ऋण योजना। o  सरकार की योजनाओं और नीतियों के तहत किसी लाभ के लिए पात्र नहीं होने वाले युवाओं को घरेलू संस्थानों में उच्चतर शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के ऋण हेतु वित्तीय सहायता। *प्राथमिकता 3: समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय* *पूर्वोदय* •  अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के साथ गया में औद्योगिक केंद्र का विकास। •  21,400 करोड़ रुपये की लागत से विद्युत परियोजनाएं आरंभ की जाएंगी जिसमें पिरपैंती में 2400 मेगावाट का नया विद्युत संयंत्र शामिल। *आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम* •  बहुपक्षीय विकास एजेंसियों के माध्यम से मौजूदा वित्त वर्ष में 15,000 करोड़ रुपये की  विशेष वित्तीय सहायता। •  विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे में कोप्पार्थी क्षेत्र और हैदराबाद–बेंगलुरु औद्योगिक गलियारे में ओरवाकल क्षेत्र में औद्योगिक केन्‍द्र। *महिलाओं के नेतृत्‍व विकास* महिलाओं और लड़कियों को फायदा पहुंचाने वाली योजनाओं के लिए कुल तीन लाख करोड़ रुपये का आवंटन। प्रधानमंत्री जनजातीय उन्‍नत ग्राम अभियान •  जनजातीय-बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में जनजातीय परिवारों का सामाजिक-आर्थिक विकास, इसमें 63,000 गांवों के 5 करोड़ जनजातीय लोग लाभार्थी होंगे।  *उत्‍तर-पूर्वी क्षेत्र में बैंक शाखाएं* उत्‍तर-पूर्वी क्षेत्र में इंडिया पोस्‍ट पेमेंट बैंक की 100 शाखाएं खोलना। प्राथमिकता 4: विनिर्माण और सेवाएं *विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना* •  गिरवी या तृतीय पक्ष गारंटी के बिना मशीनरी और उपकरण की खरीद के लिए एमएसएमई को आवधिक ऋण की सुविधा देने के लिए ऋण गारंटी योजना। *संकट की अवधि के दौरान एमएसएमई को ऋण सहायता* • एमएसएमई को उनके संकट अवधि के दौरान बैंक ऋण जारी रखने की सुविधा के लिए एक नई व्यवस्था। *मुद्रा लोन* •  ‘तरुण’ श्रेणी के अंतर्गत मुद्रा ऋणों की सीमा को उन उद्यमियों के लिए मौजूदा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया जाएगा जिन्होंने पहले के ऋणों को सफलतापूर्वक चुका दिया है। *ट्रेड्स में अनिवार्य रूप से शामिल होने के लिए और अधिक संभावना* •  खरीददारों को ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए कारोबार की सीमा को 500 करोड़ रुपये से घटाकर 250 करोड़ रुपये कर दिया गया।  *फूड इरेडिएशन, गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण के लिए एमएसएमई इकाइयां* •  एमएसएमई क्षेत्र में 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इरेडिएशन इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। *ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र* •  एमएसएमई तथा पारंपरिक कारीगरों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित किए जाएंगे। *महत्वपूर्ण खनिज मिशन* •  घरेलू उत्पादन, महत्वपूर्ण खनिजों की रिसाइक्लिंग और विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज संपदा का अधिग्रहण करने के लिए महत्वपूर्ण खनिज मिशन की स्थापना होगी। *खनिजों का अपतटीय खनन* •  पहले से किये गए खोज के आधार पर खनन के लिए अपतटीय ब्लॉकों के पहले भाग की नीलामी शुरू होगी। *डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) अनुप्रयोग* •  ऋण, ई-कॉमर्स, शिक्षा, स्वास्थ्य, विधि और न्याय, लॉजिस्टिक्स, एमएसएमई, सेवा प्रदायगी और शहरी शासन के क्षेत्र में डीपीआई अनुप्रयोगों का विकास। *प्राथमिकता 5: शहरी विकास* *आवागमन उन्मुखी विकास* •  30 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 14 बड़े शहरों के लिए कार्यान्वयन और वित्तपोषण रणनीति के साथ आवागमन उन्मुखी विकास योजनाएं तैयार की जाएंगी। *शहरी आवास* •  प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 2.0 के अंतर्गत, 2.2 लाख करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता सहित 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश से अगले पांच वर्ष में 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की आवास जरूरतों का समाधान किया जाएगा।  *स्ट्रीट मार्केट* •  अगले पांच वर्षों में प्रत्येक वर्ष चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक ‘हाट’ या स्ट्रीट फूड हब के विकास में सहायता के लिए नई योजना। *प्राथमिकता 6: ऊर्जा सुरक्षा* *ऊर्जा परिवर्तन* •  रोजगार, विकास और पर्यावरण स्थायित्व की आवश्यकता के बीच संतुलन कायम करने के लिए समुचित ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में एक नीतिगत दस्तावेज। *पम्प्ड स्टोरेज पॉलिसी* •  विद्युत भंडारण के लिए पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं को बढ़ावा देने की एक नीति। *छोटे तथा मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों का अनुसंधान और विकास* •  भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर के अनुसंधान एवं विकास तथा परमाणु ऊर्जा के लिए और भारत स्मॉल रिएक्टर की स्थापना के लिए नई प्रौद्योगिकियों के लिए सरकार निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करेगी। *उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट* •  उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल (एयूएससी) प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके परिपूर्ण 800 मेगावाट का वाणिज्यिक संयंत्र स्थापित करने के लिए एनटीपीसी और बीएचईएल के बीच एक संयुक्त उद्यम प्रस्‍तावित। ‘हार्ड टू एबेट’ उद्योगों के लिए रोडमैप • ‘हार्ड टू एबेट’ उद्योगों को वर्तमान के ‘परफॉर्म, एचीव एंड ट्रेड’ पद्धति से ‘इंडियन कार्बन मार्केट' पद्धति में परिवर्तित करने के लिए उपयुक्त विनियम। *प्राथमिकताः 7 अवसंरचना* *केंद्र सरकार द्वारा अवसंरचना में निवेश* पूंजीगत व्यय के लिए `11,11,111 करोड़ रुपये (जीडीपी का 3.4 प्रतिशत) का प्रावधान। राज्य सरकारों द्वारा अवसंरचना में निवेश •  राज्यों को उनके संसाधन आवंटन में सहायता करने के लिए इस वर्ष भी 1.5 लाख करोड़ रुपये के ब्याज रहित दीर्घावधि ऋण का प्रावधान। *प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना* (पीएमजीएसवाई) • 25,000 ग्रामीण बसावटों के लिए बारहमासी सड़क संपर्क उपलब्ध कराने हेतु पीएमजीएसवाई का चरण IV आरंभ किया जाएगा। *सिंचाई और बाढ़ उपशमन* • बिहार में कोसी-मेची अंतर्राज्यीय लिंक और अन्‍य योजनाओं जैसी परियोजनाओं के लिए 11,500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता। सरकार बाढ़, भूस्‍खलन और अन्‍य संबंधित परियोजनाओं के लिए असम, हिमाचल प्रदेश, उत्‍तराखंड और सिक्किम को सहायता प्रदान करेगी।  *पर्यटन* विष्णुपद मंदिर गलियारा, महाबोधि मंदिर गलियारा और राजगीर का व्‍यापक विकास।  •  ओडिशा के मंदिरों, स्मारक, शिल्प, वन्य जीव अभयारण्य, प्राकृतिक भू-दृश्य और प्राचीन समुद्री तट के विकास हेतु सहायता। *प्राथमिकता 8: नवाचार, अनुसंधान और विकास* • मूलभूत अनुसंधान और प्रोटोटाइप विकास के लिए अनुसंधान नेशनल रिसर्च फंड।  • वाणिज्यिक स्तर पर निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के वित्तीय पूल व्यवस्था। *अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था* • अगले 10 वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 5 गुणा बढ़ाने पर निरन्तर जोर देते हुए 1,000 करोड़ रुपये की उद्यम पूंजी निधि। *प्राथमिकता 9: अगली पीढ़ी के सुधार* *ग्रामीण भूमि संबंधी कार्य* • सभी भू-खण्डों के लिए अनन्य भूखंड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) अथवा भू-आधार • संवर्गीय मानचित्रों का डिजिटलीकरण, • वर्तमान स्वामित्व के अनुसार मानचित्र उप-प्रभागों का सर्वेक्षण • भू-रजिस्ट्री की स्थापना, और • कृषक रजिस्ट्री से जोड़ना। *शहरी भूमि संबंधी कार्य* • शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों को जीआईएस मैपिंग के साथ अंकीकृत किया जाएगा। *श्रमिकों के लिए सेवाएं* • ऐसे वन स्‍टॉप समाधान के लिए ई-श्रम पोर्टल को अन्‍य पोर्टलों से जोड़ना। • तेजी से बदलते श्रमिक बाजार,  कौशल संबंधी जरूरतों और उपलब्‍ध रोजगार की भूमिकाओं के लिए मुक्‍त आर्किटेक्‍चर डाटाबेस। • रोजगार के इच्‍छुक लोगों को संभावित नियोक्‍ताओं और कौशल प्रदाताओं के साथ जोड़ने के लिए प्रणाली। *एनपीएस वात्‍सल्‍य* • नाबालिगों के लिए माता-पिता और अभिभावकों द्वारा योगदान हेतु एक योजना के रूप में एनपीएस वात्‍सल्‍य। *अप्रत्‍यक्ष कर* *जीएसटी* • जीएसटी की सफलता से उत्‍साहित होकर, जीएसटी के शेष क्षेत्रों तक विस्‍तार हेतु सरलीकृत एवं तर्कसंगत कर संरचना। क्षेत्र विशेष के लिए सीमा शुल्‍क के प्रस्‍ताव *औषधियां एवं चिकित्‍सा उपकरण* • कैंसर की तीन दवाइयां- ट्रेस्‍टुजुमाब डिरूक्‍सटीकेन, ओसिमर्टिनिब और डुर्वालुमैब को सीमा शुक्‍ल से पूरी तरह छूट। • चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम के तहत एक्‍सरे ट्यूब और मेडिकल एक्‍सरे मशीनों में इस्‍तेमाल हेतु फलैट पैनल डिडेक्‍टरों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क में बदलाव। *मोबाइल फोन और संबंधित पुर्जे* • मोबाइल फोन, मोबाइल प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेम्‍बली (पीसीबीए) और मोबाइल चार्जर पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को घटाकर 15 प्रतिशत किया गया। *कीमती धातु* • सोने और चांदी पर सीमा शुल्‍क घटाकर 6 प्रतिशत किया गया और प्‍लेटिनम पर 6.4 प्रतिशत किया गया। *अन्‍य धातु* • लौह, निकेल और ब्लिस्‍टर तांबे पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया। • लौह स्क्रैप और निकेल कैथोड पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया। • तांबा स्‍क्रैप पर 2.5 प्रतिशत रियायती मूलभूत सीमा शुल्‍क। *इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स* • रेजिस्‍टरों के विनिर्माण हेतु ऑक्‍सीजन मुक्‍त तांबे पर कुछ शर्तों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क हटाया गया। *रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स* • अमोनियम नाइट्रेट पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया गया। *प्‍लास्टिक* पीवीसी फ्लैक्‍स बैनरों पर मूलभूत सीमा शुल्‍क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया। दूरसंचार उपकरण • विनिर्दिष्ट दूरसंचार उपकरण के पी.सी.बी.ए. पर बीसीडी को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। *व्यापार सुविधा* • घरेलू विमानन और नाव तथा जलयान के एमआरओ उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से मरम्मत के लिए आयात की गई वस्‍तुओं के निर्यात के लिए समयावधि को छह महीनों से बढ़ाकर एक वर्ष करने का प्रस्ताव। • वारंटी वाली वस्‍तुओं को मरम्मत के लिए पुनः आयात करने की समय-सीमा को 3 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष करने का प्रस्ताव। *महत्वपूर्ण खनिज* • 25 महत्वपूर्ण खनिजों को सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट। • 2 महत्वपूर्ण खनिजों पर बीसीडी को कम करने का प्रस्ताव। *सौर ऊर्जा* • सोलर सैल और पैनलों के विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाली पूंजीगत वस्तुएं सीमा शुल्‍क के दायरे से बाहर। *समुद्री उत्पाद* • कुछ ब्रूडस्टॉक, पॉलीकीट वॉर्म्स, श्रिम्प और फिश फीड पर बीसीडी को घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। • श्रिम्प और फिश फीड के विनिर्माण में इस्‍तेमाल होने वाले विभिन्‍न कच्‍चे माल को भी सीमा शुल्क से छूट देने का प्रस्ताव। *चमड़ा और कपड़ा* • बत्तख या हंस से मिलने वाले रियल डाउन फिलिंग मैटेरियल पर बीसीडी को कम करने का प्रस्ताव। • स्पैन्डेक्स यार्न के विनिर्माण के लिए मिथाइलेन डाईफिनाइल डाईआईसोसाएनेट (एमडीआई) पर बीसीडी को कुछ शर्तों के साथ 7.5 से घटाकर 5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। *प्रत्यक्ष कर* • करों को सरल बनाने, करदाता सेवाओं में सुधार करने, कर निश्चितता प्रदान करने और मुकदमेबाजी को कम करने के प्रयासों जारी रहेंगे। • सरकार की विकास और कल्याणकारी योजनाओं के वित्तपोषण के लिए राजस्व बढ़ाने पर जोर। • वित्त वर्ष 2022-23 में 58 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स सरलीकृत कर व्यवस्था द्वारा जमा हुआ। वित्त वर्ष 2023-24 में दो तिहाई से अधिक करदाताओं ने सरलीकृत कर व्‍यवस्‍था का लाभ उठाया। *धर्मार्थ संस्थाओं और टीडीएस का सरलीकरण* • धर्मार्थ संस्थाओं के लिए कर में छूट की दो व्यवस्थाओं को मिलाकर एक करने का प्रस्ताव। • विभिन्‍न भुगतानों पर 5 प्रतिशत टीडीएस दर को घटा कर 2 प्रतिशत टीडीएस दर किया जाएगा। • म्युचुअल फंडों या यूटीआई द्वारा यूनिटों की पुनः खरीद पर 20 प्रतिशत टीडीएस दर को समाप्त करने का प्रस्‍ताव। • ई-कॉमर्स ऑपरेटरों पर टीडीएस दर को 1 प्रतिशत से घटाकर 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। • टीडीएस के भुगतान में विलम्ब को टीडीएस के लिए विवरणी फाइल करने की नियत तारीख तक डिक्रिमिनलाईज करने का प्रस्ताव। *पुनः निर्धारण का सरलीकरण* किसी कर निर्धारण वर्ष के समाप्त होने के तीन से पांच वर्षों के बाद किसी कर निर्धारण को नए सिरे से केवल तभी खोला जा सकेगा जब कर से छूट प्राप्त आय 50 लाख या उससे अधिक हो। सर्च मामलों में समय सीमा को दस वर्षों की मौजूदा समय सीमा के स्थान पर सर्च के वर्ष से पहले छह वर्ष की समय सीमा करने का प्रस्ताव। कैपिटल गेन का सरलीकरण और युक्तिकरण • कुछ वित्तीय परिसंपत्तियों के संबंध में लघु अवधि के लाभ पर 20 प्रतिशत कर लगेगा। • सभी वित्तीय और गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर दीर्घ अवधि के लाभों पर 12.5 प्रतिशत की दर से कर लगेगा। • परिसंपत्तियों पर कैपिटल गेन के छूट की सीमा को बढ़ाकर 1.25 लाख प्रतिवर्ष करने का प्रस्ताव। *करदाता सेवाएं* • सीमा शुल्क और आयकर की सभी शेष सेवाओं जिनमें ऑर्डर गिविंग इफेक्ट व रैक्टिफिकेशन सम्मिलित हैं, को अगले दो वर्षों के दौरान डिजिटलीकरण किया जाएगा। *मुकदमेबाजी और अपील* • अपील में लंबित कतिपय आयकर विवादों के समाधान के लिए विवाद से विश्वास योजना, 2024 का प्रस्ताव। • टैक्स अधिकरणों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में प्रत्यक्ष करों, उत्पाद शुल्क और सेवा कर से संबंधित अपीलों को दायर करने के लिए मौद्रिक सीमाओं को क्रमशः 60 लाख रुपये, 2 करोड़ रुपये और 5 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव। • अंतरराष्ट्रीय कराधान में मुकदमेबाजी को कम करने और निश्चितता प्रदान करने के लिए सेफ हार्बर नियमों के दायरे का विस्तार। *रोजगार और निवेश* • स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को प्रोत्साहित करने के लिए सभी वर्गों निवेशकों के लिए एंजेल टैक्स को समाप्त करने का प्रस्ताव। • भारत में क्रूज पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए घरेलू क्रूज का संचालन करने वाली विदेशी शिपिंग कंपनियों के लिए कर व्यवस्था को सरल करने का प्रस्ताव। देश में अपरिष्कृत हीरा बेचने वाली विदेशी खनन कंपनियों के लिए सेफ हार्बर दरों का प्रावधान। •  विदेशी कंपनियों पर कारपोरेट कर दर को 40 प्रतिशत से घटाकर 35 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। *कर आधार का विस्तार* •  फ्यूचर्स और ऑप्सन्स के विकल्पों पर सिक्यूरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को बढ़ाकर क्रमशः 0.02 प्रतिशत और 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। • प्राप्तकर्ता के द्वारा शेयरों की पुनः खरीद पर प्राप्त आय पर कर लगेगा। *सामाजिक सुरक्षा लाभ* एनपीएस में नियोजनकर्ता द्वारा किए जा रहे योगदान को कर्मचारी के वेतन के 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का प्रस्ताव। •  20 लाख रूपये तक की चल परिसंपत्तियों की सूचना न देने को गैर-दांडिक बनाने का प्रस्ताव। *वित्त विधेयक के अन्य प्रमुख प्रस्ताव* • 2 प्रतिशत के इक्वलाइजेशन लेवी को वापस। *नई कर व्‍यवस्‍था के तहत व्यक्तिगत आयकर में बदलाव* • वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रूपये से बढ़ाकर 75,000 रूपये करने का प्रस्ताव। • पेंशनभोगियों के लिए पारिवारिक पेंशन पर कटौती को 15,000 रूपये से बढ़ाकर 25,000 रूपये करने का प्रस्ताव। *कर दरों का संशोधित संरचना:* 0-3 लाख रूपये   शून्य   3-7 लाख रूपये   5 प्रतिशत   7-10 लाख रूपये   10 प्रतिशत   10-12 लाख रूपये   15 प्रतिशत   12-15 लाख रूपये   20 प्रतिशत   15 लाख रूपये से अधिक   30 प्रतिशत   नई कर व्यवस्था में वेतनभोगी कर्मचारी को आयकर में ₹ 17,500/- तक की बचत होगी।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 24, 2024

शाह, राजनाथ, शिवराज से गडकरी तक... बजट में किस मंत्री को मिला सबसे ज्यादा पैसा

नई दिल्ली, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट पेश कर दिया. सीतारमण के मुताबिक, बजट में गरीब, किसान, महिलाओं और युवाओं पर फोकस रखा गया है. हर बार की तरह इस बार भी आम बजट में मंत्रालय के लिए भी पैसा आवंटित किया गया है. आइए जानते हैं कि मोदी सरकार ने मंत्रालयों के लिए कितने पैसों का प्रावधान किया गया है. बजट 2024-25 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सबसे ज्यादा पैसा मिला है. यह मंत्रालय नितिन गडकरी के पास है. बजट में नितिन गडकरी के परिवहन मंत्रालय के लिए 544128 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.    *रक्षा मंत्रालय को 454773 करोड़ रु* इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर रक्षा मंत्रालय है, जो राजनाथ सिंह के पास है. बजट में रक्षा मंत्रालय के लिए 454773 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा अमित शाह के गृह मंत्रालय के लिए 150983 करोड़ का प्रावधान किया गया है.    *कृषि के लिए 151851 करोड़ का प्रावधान* वहीं, शिवराज सिंह चौहान के कृषि मंत्रालय के लिए बजट में 151851 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा हेल्थ मिनिस्ट्री के लिए 89287 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. यह मंत्रालय जेपी नड्डा के पास है.इसके अलावा धर्मेंद्र प्रधान के शिक्षा मंत्रालय के लिए 125638 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. वहीं, विदेश मंत्रालय के लिए 22155 करोड़ का प्रावधान किया गया है. शहरी विकास के लिए बजट में 82577 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इसके अलावा ऊर्जा मंत्रालय को 68769 करोड़ रुपये, आईटी और दूरसंचार मंत्रालय के लिए 116342 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. वहीं, ग्रामीण विकास के लिए 265808 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. वित्त मंत्री सीतारमण ने लोकसभा में 2024-25 के लिए बजट पेश करते हुए कहा, इस साल मैंने ग्रामीण अवसंरचना सहित ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.    *4 साल में सबसे कम हुआ साइज, वित्त मंत्री ने रक्षा बजट में की 1.67 लाख करोड़ की कटौती* बजट में उन्होंने कृषि से लेकर युवाओं के कौशल विकास तक कई सेक्टरों के लिए ऐलान किए. वहीं दूसरी ओर इस बजट में रेलवे और डिफेंस जैसे सेक्टरों को निराशा हाथ लगी. वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में जहां रेलवे का एक ही बार जिक्र किया, वहीं रक्षा क्षेत्र के बजट में भारी-भरकम कटौती कर दी गई.   *अंतरिम बजट की तुलना में इतनी बड़ी कटौती* वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 4.54 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इससे पहले फरवरी में आए अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र को 6.21 लाख करोड़ रुपये देने का ऐलान किया गया था. यानी चार महीने पहले आए अंतरिम बजट की तुलना में अब पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र का आवंटन 1.67 लाख करोड़ रुपये कम हो गया है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब डिफेंस सेक्टर के बजट में इस तरह की कटौती हुई है.   इस तरह बढ़ रहा था रक्षा क्षेत्र पर खर्च इससे पहले मोदी सरकार के कार्यकाल में रक्षा क्षेत्र का बजट लगातार बढ़ता गया था. इस बार के बजट से पहले पिछले चार साल में रक्षा बजट का आकार लगभग 30 फीसदी बढ़ा था. साल 2020 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए सरकार ने 4.71 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. उसके बाद 2021 के बजट में रक्षा क्षेत्र के खर्च को बढ़ाकर 4.78 लाख करोड़ रुपये किया गया था. *4 साल में सबसे कम हुआ रक्षा बजट* साल 2022 के बजट में पहली बार रक्षा बजट का आकर 5 लाख करोड़ रुपये के पार निकला था और 5.25 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. वहीं पिछले साल यानी 2023 के बजट में रक्षा क्षेत्र को मोदी सरकार ने 5.94 लाख करोड़ रुपये दिया था. चार महीने पहले आए अंतरिम बजट में तो रक्षा बजट का साइज बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गया था. हालांकि इस बार रक्षा क्षेत्र को 4.54 लाख करोड़ रुपये मिले हैं, जो 4 साल में सबसे कम हैं. साल 2019 में रक्षा क्षेत्र को इससे भी कम 3.19 लाख करोड़ रुपये मिले थे.   *6 लाख करोड़ से ज्यादा की थी उम्मीद* पिछले साल आए बजट तक देखें तो बीते 4 साल के दौरान रक्षा क्षेत्र के बजट में 6.5 फीसदी की सालाना दर (सीएजीआर) से बढ़ोतरी हो रही थी. मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की महात्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है. सरकार चाहती है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों का ज्यादा से ज्यादा सामान खुद तैयार करे और आयात पर निर्भरता कम हो. इसके साथ ही सरकार का जोर सेनाओं के आधुनिकीकरण पर है. ऐसे में लोग रक्षा क्षेत्र का बजट 6 लाख करोड़ रुपये से तो ऊपर ही रहने की उम्मीद कर रहे थे.   *रेलवे सेक्टर हो गया इग्नोर, वित्त मंत्री के भाषण में सिर्फ एक बार आया जिक्र* वित्त वर्ष 2024-25 के बजट से उम्मीद लगाए बैठे रेल यात्रियों के हाथ एक बार फिर निराशा आई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मंगलवार को संसद में नया बजट पेश किया. उनके बजट भाषण में रेलवे सेक्टर पूरी तरह से हााशिए पर खिसक गया और करीब डेढ़ घंटे के भाषण में सिर्फ एक बार रेलवे का जिक्र आया.   *साल 2016 में आया था आखिरी रेल बजट* कुछ साल पहले तक बजट के सीजन में रेल बड़ा आकर्षण हुआ करता था. अभी बहुत समय नहीं बीता है, जब अलग से रेल बजट आया करता था और उसे खूब सुर्खियां मिली करती थीं. हालांकि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान सितंबर 2016 में रेल बजट को आम बजट में शामिल करने की मंजूरी दे दी गई. उसके बाद 2017 में जब बजट पेश हुआ तो रेल बजट उसका एक हिस्सा बन चुका था.   *आंध्र प्रदेश के बहाने हुआ एक बार जिक्र* हालांकि अलग से रेल बजट समाप्त होने के बाद संयुक्त बजट में भी रेलवे की अच्छी-खासी हिस्सेदारी होती थी. बजट में रेलवे को लेकर कई बड़ी योजनाओं का ऐलान किया जाता था. ऐसा पहली बार हुआ है, जब बजट में रेलवे इस तरह से हाशिए पर खिसका हो और पूरे बजट भाषण में उसके हिस्से में सिर्फ एक बार का जिक्र आया हो. दिलचस्प है कि वह एक जिक्र भी सीधे-सीधे रेलवे के कारण नहीं हुआ. वित्त मंत्री ने वह एकमात्र जिक्र आंध्र प्रदेश में इंफ्रा प्रोजेक्ट के बारे में बोलने के दौरान किया.   *इन उम्मीदों पर बजट में फिरा पानी* बजट से पहले लोग रेलवे को लेकर काफी उम्मीद लगाए हुए थे. मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में रेलवे पर काफी काम भी किया है. हाल-फिलहाल में एक के बाद एक कई रेल दुर्घटनाएं सामने आई हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि बजट में रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने संबंधी उपायों का ऐलान किया जा सकता है. वहीं रेल यात्रा से जुड़ी सालों पुरानी टिकट नहीं मिलने की समस्या के समाधान की भी उम्मीद की जा रही थी. ऐसा माना जा रहा था को मोदी सरकार बजट में नई व आधुनिक ट्रेनों की सौगात रेल यात्रियों को दे सकती है.   *वरिष्ठ नागरिकों-महिलाओं को रियायत नहीं* रेल यात्रियों में वरिष्ठ नागरिकों को महिलाओं को कोविड के बाद से समाप्त रियायत बहाल होने की भी उम्मीद थी. कोविड से पहले तक वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को रेल टिकट पर विशेष रियायत मिलती थी. लॉकडाउन के बाद जब दोबारा ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ तो इस रियायत को समाप्त कर दिया गया. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस बजट में रियायतें दोबारा चालू हो सकती हैं. हालांकि सरकार ने इस मुद्दे पर अपना रुख हमेशा साफ रखा था कि उसका इरादा इन रियायतों को फिर से शुरू करने का नहीं है.   *जानिए किसे-कितनी राशि आवंटित की गई?* मंत्रालय। ** राशि (करोड़ रुपए में) वित्त मंत्रालय 1858158.52 रक्षा मंत्रालय 621940.85 सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय 278000.00 रेल मंत्रालय 255393.00 उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय 223323.36 गृह मंत्रालय 219643.31 ग्रामीण विकास मंत्रालय 180233.43 रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय 168499.87 संचार मंत्रालय 137293.90 कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय 132469.86 शिक्षा मंत्रालय 120627.87 जल शक्ति मंत्रालय 98713.78 स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय 90958.63 आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय 82576.57 महिला एवं बाल विकास मंत्रालय 26092.19 परमाणु ऊर्जा विभाग 24968.98 श्रम और रोजगार मंत्रालय 22531.47 विदेश मंत्रालय 22154.67 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय 22137.95 इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 21936.90 ऊर्जा मंत्रालय 20502.00 नवीन और नवीकरणीय मंत्रालय ऊर्जा 19100.00 विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय 16628.12 पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय 15930.26 सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता 14225.47 अंतरिक्ष विभाग 13042.75 आदिवासी मामलों का मंत्रालय 13000.00 वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय 11469.14 भारी उद्योग मंत्रालय 7242.00 मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय 7137.68 कानून और न्याय मंत्रालय 6788.33 पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय 5900.00 सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय 5453.83 कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय 4520.00 वस्त्र मंत्रालय 4417.03 सूचना और प्रसारण मंत्रालय 4342.55 आयुष मंत्रालय 3712.49 युवा मामले एवं खेल मंत्रालय 3442.32 पर्यावरण, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय जलवायु परिवर्तन 3330.37 खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय 3290.00 संस्कृति मंत्रालय 3260.93 अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय 3183.24 पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय 3064.80 कॉर्पोरेट मामले मंत्रालय 2667.06 पर्यटन मंत्रालय 2479.62 कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय 2379.87 बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय 2377.49 नागरिक उड्डयन मंत्रालय 2357.14 खान मंत्रालय 1941.06 राष्ट्रपति, संसद, संघ लोक सेवा आयोग और उपराष्ट्रपति का सचिवालय 1884.92 पंचायती राज मंत्रालय 1183.64 सहकारिता मंत्रालय 1183.39 योजना मंत्रालय 837.26 इस्पात मंत्रालय 325.66 कोयला मंत्रालय 192.55 संसदीय मामलों का मंत्रालय 64.00 कुल योग 4820512.08.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 24, 2024

रोजगार से आयकर तक बजट के दस बड़े एलान

नई दिल्ली, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवर को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। इस बार के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने एंजल टैक्स समाप्त करने और नई कर प्रणाली के तहत कर दरों में बदलाव करने का भी एलान किया है। वित्त मंत्री ने पहली बार नौकरी करने वालों को भी राहत देने से जुड़ी घोषणाएं की हैं। आइए 10 बिंदुओं में समझते हैं बजट से जुड़ी खास बातें।   *1. पहली बार नौकरी पाने वालों को तोहफा* सरकार की नौ प्राथमिकताओं में से एक है रोजगार और कौशल विकास। इसके तहत पहली बार नौकरी करने वालों को बड़ी मदद मिलने जा रही है। फॉर्मल सेक्टर में पहली बार नौकरी की शुरुआत करने वालों को एक महीने का वेतन दिया जाएगा। यह वेतन डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए तीन किस्तों में जारी होगा। इसकी अधिकतम राशि 15 हजार रुपये होगी। ईपीएफओ में पंजीकृत लोगों को यह मदद मिलेगी। योग्यता सीमा एक लाख रुपये प्रति माह होगी। इससे 2.10 करोड़ युवाओं को फायदा होगा।   *2. पीएफ में एक महीने का योगदान सरकार देगी* सरकार रोजगार में प्रवेश करने वाले 30 लाख युवाओं को भी फायदा देने जा रही है। यह फायदा भविष्य निधि यानी पीएफ में एक महीने के योगदान के रूप में होगा।   *3. एक करोड़ युवाओं को टॉप-500 कंपनियों में 12 महीने इंटर्नशिप और हर महीने भत्ता* वित्त मंत्री निर्मण सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार एक करोड़ युवाओं को अगले पांच साल में टॉप-500 कंपनियों में इंटर्नशिप का मौका देगी। यह इंटर्नशिप 12 महीने की होगी। इसमें युवाओं को कारोबार के वास्तविक माहौल को जानने और अलग-अलग पेशे की चुनौतियों से रूबरू होने का मौका मिलेगा। इसके तहत युवाओं को हर महीने पांच हजार रुपये का भत्ता भी दिया जाएगा। यही नहीं, उन्हें एकमुश्त मदद के रूप में छह हजार रुपये दिए जाएंगे। कंपनियों को अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत प्रशिक्षण का खर्च और इंटर्नशिप की 10 फीसदी लागत को वहन करना होगा।   *4. नई कर प्रणाली के तहत टैक्स स्लैब में बदलाव* नई कर प्रणाली में स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार रुपये कर दिया गया है। पारिवारिक पेंशन पर छूट की सीमा 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रुपये की जा रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि इन दोनों बदलावों से चार करोड़ नौकरीपेशा और पेंशनरों को फायदा मिलेगा। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि टैक्स स्लैब में बदलाव से 10 लाख से ज्यादा वेतन पाने वालों को 17,500 रुपये की बचत होगी। नई कर प्रणाली में टैक्स स्लैब इस तरह से तैयार किया गया है। शून्य - 3 लाख रुपये - 0 3 से 7 लाख रुपये - 5% 7 से 10 लाख रुपये - 10% 10 से 12 लाख रुपये - 15% 12 से 15 लाख रुपये - 20% 15 लाख से ज्यादा - 30%  *5. म्यूच्युअल फंड्स या यूटीआई के री-पर्चेस पर अब नहीं लगेगा टीडीएस* चैरिटी के मामलों में दो अलग-अलग व्यवस्थाओं की जगह एक कर छूट व्यवस्था होगी।  विभिन्न भुगतान के लिए पांच फीसदी टीडीएस की जगह दो फीसदी टीडीएस की व्यवस्था होगा। म्यूच्युअल फंड्स या यूटीआई के री-पर्चेस पर 20 फीसदी टीडीएस को वापस ले लिया गया है। ईकॉमर्स ऑपरेटर्स के लिए टीडीएस को एक फीसदी से घटाकर 0.1 फीसदी कर दिया गया है। *6. पीएम गरीब कल्याण योजना 5 साल के लिए बढ़ी* हमने पीएम गरीब कल्याण योजना को 5 साल के लिए बढ़ाया। इससे 80 करोड़ से अधिक गरीबों को लाभ हो रहा। रोजगार, कौशल प्रशिक्षण के लिए पीएम की पांच योजनाओं के पैकेज की घोषणा। इससे पांच साल में 4 करोड़ 10 लाख युवाओं को लाभ होगा। इन योजनाओं पर दो लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। अंतरिम बजट में हमने विकसित भारत को रोडमैप को देने का वादा किया था। *7. मोबाइल फोन और उपकरण सस्ते होंगे* वित्त मंत्री ने मोबाइल फोन और उपकरणों के सस्ते होने से जुड़े एलान किए हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू उत्पादन में इजाफा हुआ है। इस कारण मोबाइल फोन, मोबाइल चार्जर पर सीमा शुल्क घटाया जाएगा। घरेलू उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने की कोशिश की जाएगी। इसकी समग्र समीक्षा की जाएगी ताकि इसे और आसान किया जा सके।    *8. कैंसर की तीन और दवाओं को पूरी तरह से सीमा शुल्क से मुक्त किया गया* वित्त मंत्री ने कैंसर के मरीजों के लिए तीन और दवाओं को पूरी तरह सीमा शुल्क से मुक्त करने का एलान किया है। इसके साथ ही एक्सरे ट्यूब, फ्लैट पैनल डिटेक्टर में भी सीमा शुल्क घटाने का एलान किया गया है। सोने और चांदी पर सीमा शुल्क छह फीसदी और प्लेटिनम पर 6.4 फीसदी घटाया गया।   *9. बिहार की सड़क-संपर्क परियोजनाओं के लिए 26 हजार करोड़ रुपये* बिहार की सड़क-संपर्क परियोजनाओं के लिए 26 हजार करोड़ रुपये देने का एलान। इससे पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे का विकास होगा। बोधगया, राजगीर, वैशाली और दरभंगा सड़क संपर्क परियोजनाओं का भी विकास होगा। बक्सर में गंगा नदी पर दो लेना वाला एक अतिरिक्त पुल बनाने में भी मदद होगी। बिहार में 21 हजार 400 करोड़ रुपये की लागत से विद्युत परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। इसमें पिरपैंती में 2400 मेगावॉट के एक नए संयंत्र की स्थापना भी शामिल है। बिहार में नए एयरपोर्ट, मेडिकल कॉलेजों और खेलकूद की अवसंरचना का भी निर्माण होगा। पूंजीगत निवेशों में सहायता के लिए अतिरिक्त आवंटन उपलब्ध कराया जाएगा। बिहार सरकार के बहुपक्षीय विकास बैंकों से बाह्य सहायता के अनुरोध पर तेजी से कार्यवाही होगी।   *10. वित्त मंत्री ने पर्यटन क्षेत्र से जुड़े जरूरी एलान किए* वित्त मंत्री ने पर्यटन के विकास पर केंद्र सरकार का विशेष ध्यान रहने ही बात अपने बजट भाषण में कही है। उन्होंने महाबोधि मंदिर के लिए कॉरिडोर निर्माण के एलान की बात कही है। गया के विष्णुपद मंदिर में भी कॉरिडौर बनाया जाएगा। यह काशी विश्वनाथ मंदिर के कॉरिडोर जैसे ही होंगे राजगीर भी बौद्ध और जैन श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है। राजगीर के तीर्थ क्षेत्रों का भी विकास होगा। नालंदा को भी पर्यटन केंद्र के रूप में मजबूत करने के लिए वहां विकास जाएगा। इसके अलावा वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए समन्वित प्रयास करेगी। बहुपक्षीय विकास एजेंसियों के माध्यम से आंध्र प्रदेश को वित्तीय सहायता की सुविधा प्रदान करेंगे। चालू वित्त वर्ष में 15 हजार करोड़ और आगामी वर्षों में अतिरिक्त धनराशि की व्यवस्था की जाएगी। पोलावरम सिंचाई परियोजना को जल्दी पूरा कराने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इससे हमारे देश को खाद्य सुरक्षा में भी सहायता मिलेगी।   *आम बजट में सरकार ने नौ प्राथमिकताएं गिनाईं, ये हैं* 1. खेती में उत्पादकता  2. रोजगार और क्षमता विकास 3. समग्र मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय  4. विनिर्माण और सेवाएं  5. शहरी विकास 6. ऊर्जा सुरक्षा 7. अधोसरंचना 8. नवाचार, शोध और विकास 9. अगली पीढ़ी के सुधार.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 24, 2024