Education

एक साथ तीन देशों में हमले, इजरायल ने ईरान के अलावा इन देशों में भी बरसाईं मिसाइलें

शेयर बाजार में एक स्‍टॉक ने निवेशकों को इतनी रकम दी है कि वो अबतक करोड़पति बन चुके होंगे. इसके शेयर कुछ साल पहले सिर्फ 173 रुपये पर कारोबार कर रहे थे, लेकिन अब इसके दाम बढ़कर 13000 रुपये के पार पहुंच चुके हैं. इस स्‍टॉक ने आज यानी मंगलवार को 52 वीक का हाई लेवल टच किया है. वहीं इसका 52 सप्‍ताह का सबसे निचला स्‍तर 8,420 रुपये प्रति शेयर है.  शेयर बाजार में एक स्‍टॉक ने निवेशकों को इतनी रकम दी है कि वो अबतक करोड़पति बन चुके होंगे. इसके शेयर कुछ साल पहले सिर्फ 173 रुपये पर कारोबार कर रहे थे, लेकिन अब इसके दाम बढ़कर 13000 रुपये के पार पहुंच चुके हैं. इस स्‍टॉक ने आज यानी मंगलवार को 52 वीक का हाई लेवल टच किया है. वहीं इसका 52 सप्‍ताह का सबसे निचला स्‍तर 8,420 रुपये प्रति शेयर है.  शेयर बाजार में एक स्‍टॉक ने निवेशकों को इतनी रकम दी है कि वो अबतक करोड़पति बन चुके होंगे. इसके शेयर कुछ साल पहले सिर्फ 173 रुपये पर कारोबार कर रहे थे, लेकिन अब इसके दाम बढ़कर 13000 रुपये के पार पहुंच चुके हैं. इस स्‍टॉक ने आज यानी मंगलवार को 52 वीक का हाई लेवल टच किया है. वहीं इसका 52 सप्‍ताह का सबसे निचला स्‍तर 8,420 रुपये प्रति शेयर है.  शेयर बाजार में एक स्‍टॉक ने निवेशकों को इतनी रकम दी है कि वो अबतक करोड़पति बन चुके होंगे. इसके शेयर कुछ साल पहले सिर्फ 173 रुपये पर कारोबार कर रहे थे, लेकिन अब इसके दाम बढ़कर 13000 रुपये के पार पहुंच चुके हैं. इस स्‍टॉक ने आज यानी मंगलवार को 52 वीक का हाई लेवल टच किया है. वहीं इसका 52 सप्‍ताह का सबसे निचला स्‍तर 8,420 रुपये प्रति शेयर है. 

Neeraj Kushwaha

Apr 23, 2024

सीसीएस विश्वविद्यालय से मान्य स्ववित्तपोषित बोर्ड के कालेजों की बैठक: महाविद्यालय पर समस्याओं के समाधान व सुझावों पर ध्यान न देने का आरोप

बागपत,01 मई 2024  (यूटीएन)। स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संघ के बोर्ड ऑफ़ कॉलेजेज की बैठक में प्रवेश संबंधी मुद्दों पर चौ चरण सिंह विश्वविद्यालय की एकतरफा नीति का विरोध किया गया। कहा गया कि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके द्वारा पूर्व में उठाई गई समस्याओं का समाधान न करके बंद कमरे में प्रवेश प्रक्रिया के नियम तैयार किए गए, जिससे  बैठक की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष एडवोकेट नितिन यादव ने बैठक में प्रवेश संबंधी मुद्दों पर विवि की एकतरफा नीति का विरोध किया और कहा कि,  बंद कमरे में नियमों को बनाता है और उसका नुकसान सेल्फ फाइनेंस संस्थानों के साथ ही छात्रों को भी उठाना पड़ता है।    29  जनवरी को संघ ने पत्र लिखकर प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने से पहले एक बैठक सभी संस्थानों के साथ करने का सुझाव दिया ,लेकिन विवि ने ना तो बैठक ही आयोजित की और ना ही समस्याओं को समझने की पहल ही की। कहा कि, विवि ने जो प्रवेश नियम जारी किए हैं, उसमें आज भी कोविड -19  के समय कैसे प्रवेश करें- इसको भी सूचीबद्ध किया गया है, जबकि कोविड-19 के हालात अब नहीं हैं,  जिससे साफ है कि, प्रवेश समिति ने बंद कमरे में नियमों को बनाकर कॉलेजो और छात्रों पर थोप दिया है और समस्याओ को समझने और हल करने से उसका कोई सरोकार नहीं है।     संघ के महासचिव एवं ग्वालीखेडा स्थित महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राजीव गुप्ता ने बताया कि, सहारनपुर विवि ने अपने संस्थानों के साथ बैठक की और उनकी समस्याओं को जानने के बाद प्रवेश की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया, लेकिन सीसीएस विवि ने कॉलेजो का सुझाव लेना ही बंद कर दिया ,जबकि पूर्व में विवि पहले समस्याओं को सुनता था ,उसके बाद परीक्षा या प्रवेश के मुद्दो पर आगे बढ़ता था ,लेकिन अब विवि ,कालिजों से बिना विचार विमर्श किए ही काम कर रहा है ,जिससे कालिजों ओर छात्रों को अनेक कठिनाई का सामना करना पड़ता है।   वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ अनिल शर्मा ने कहा कि, प्रवेश में मेरिट पर मेरिट लगने से छात्र हतोत्साहित होता है और मेरिट के बाद भी विवि पूरी प्रक्रिया को बाद में ओपन करता है और सीट उसके बाद भी खाली रहती हैं, तो इस तरह की प्रक्रिया को लागू करने का क्या लाभ ,जिसमे समय और संसाधन दोनों ख़राब हों।  स्ववित्तपोषित संस्थानों में पंजीकरण को अनिवार्य करते हुए सीधे प्रवेशलागू करे ,इससे सीट भी अधिकतम भरी जा सकेंगी साथ ही समय से प्रवेश प्रक्रिया भी पूर्ण होगी।   अभिनव राघव ने एलएलएम प्रवेश को लेकर विवि की नीतियों पर सवाल खड़े किये और कहा कि, जब हम अन्य कोर्स में पंजीकरण के बाद सीधे मेरिट से प्रवेश देते हैं, तो एलएलएम में प्रवेश परीक्षा की लम्बी प्रक्रिया से छात्रों को परेशान करने का क्या औचित्य है।  विवि अक्टूबर से नवंबर तक इस प्रक्रिया को लेकर जाता है ,ऐसे में एलएलएम में इच्छुक छात्र अन्य विवि में प्रवेश ले लेते हैं और इसका सीधा नुकासन स्ववित्तपोषित संस्थानों को उठाना पड़ता है।मांग की कि, विवि एलएलएम में भी सीधे पंजीकरण कराते हुआ अन्य कोर्स की तरह प्रवेश दे ,इससे कॉलेजो को समय से छात्र मिल सकेंगे।    बैठक में विवि द्वारा बिना समस्या व सुझाव  सुने ,सीधे प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने पर संघ अपनी आपत्ति राजभवन के साथ साथ शासन में भी दर्ज कराएगा और एकतरफा नीति से कॉलेजो को होने वाले नुकसान के साथ ही छात्रों के भविष्य को लेकर की जा रही अनदेखी पर कॉलेजों और  छात्रों की बात रखेगा। बैठक में 141  कॉलेजो के प्राचार्य, प्रबंधक एवं शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। बैठक में डॉ सुमित नागर, डॉ मोनिका त्यागी, डॉ अनुज कुमार, डॉ अजय, डॉ अनिल शर्मा, डॉ ललित मोहन, डॉ नितिन राज वर्मा, डॉ प्रवीण कुमार,डॉ सीमा, डॉ अनुराग मांगलिक, आशा आदि ने अपने विचार रखे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

Ujjwal Times News

May 1, 2024

दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी एडमिशन में आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का कोटा पूरा न भरने पर एससी/एसटी कमीशन में याचिका दायर

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के अर्थशास्त्र विभाग में एससी/एसटी के उम्मीदवारों को पीएचडी एडमिशन में यूजीसी व भारत सरकार की आरक्षण नीति की सरेआम उल्लंघन किए जाने पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग , अनुसूचित जाति के कल्याणार्थ संसदीय समिति व राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में एक विशेष याचिका दायर कर पीएचडी एडमिशन में हुई अनियमितताओं की उच्च स्तरीय कमेटी से जाँच कराने की मांग की है । फोरम के चेयरमैन डॉ.हंसराज सुमन ने आयोग व संसदीय समिति में दायर याचिका में बताया है कि अर्थशास्त्र विभाग ने अपने यहाँ पीएचडी में एडमिशन के लिए उम्मीदवारों से आवेदन मांगे । विभाग की अधिसूचना के अनुसार अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 11 सीटें , एससी 04 , एसटी --02 सीटें व ओबीसी कोटे  08 आरक्षित रखी गई थीं ।   लेकिन विभाग ने आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को पीएचडी एडमिशन में रोकने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमों को दरकिनार करते हुए अर्थशास्त्र विभाग ने अपने नियम बनाते हुए पीएचडी एडमिशन के लिए सीयूईटी में प्राप्त कटऑफ मार्क्स अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 55 प्रतिशत और एससी /एसटी के उम्मीदवारों के लिए 50 प्रतिशत कटऑफ रखी गई जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमानुसार पीएचडी एडमिशन के मानदंड  अनारक्षित उम्मीदवारों के लिए 50 प्रतिशत  और आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 45 प्रतिशत कटऑफ रखी गई है । डॉ.सुमन ने बताया है कि अर्थशास्त्र विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय ,यूजीसी व भारत सरकार की आरक्षण नीति का सरेआम उल्लंघन करते हुए पीएचडी एडमिशन में आरक्षित श्रेणी का कोटा पूरा न देते हुए पीएचडी एडमिशन का परिणाम घोषित कर दिया गया जिसमें अनारक्षित श्रेणी के 14 उम्मीदवारों को रखा गया जबकि एससी 01 व एसटी  01   सीट को खाली छोड़ दिया गया । उनका कहना है कि विभाग ने किस आधार पर अनारक्षित उम्मीदवारों को 03 अतिरिक्त सीटें दी ।    इतना ही नहीं विभाग ने आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों की सीटों को अनारक्षित में बदल दिया गया । जबकि होना यह चाहिए था कि एसटी उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है तो उसे एससी उम्मीदवार को वह सीट दे दी जाती है  लेकिन अर्थशास्त्र विभाग ने अनारक्षित श्रेणी की 11 सीटों के स्थान पर 14 सीटें किस नियम के तहत यह सीट दी है । उनका यह भी कहना है कि विभाग ने आरक्षित सीटों को अनारक्षित सीटों में बदल दिया गया ।   इतना ही नहीं विभाग में  एससी /एसटी सीटों को जानबूझकर खाली रखा जाता है । बाद में यह कह दिया जाता है कि योग्य उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हुए ? डॉ.हंसराज सुमन ने यह भी  चिंता जताई है कि दिल्ली  विश्वविद्यालय के 102 साल के इतिहास में और देश की आजादी के 76 साल से अधिक समय के बाद भी  समाज के कमजोर वर्गों के प्रति अभी तक दृष्टिकोण नहीं बदला है ? उन्होंने कहा है कि दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में यदि एससी/एसटी के छात्रों को  उच्च शिक्षा की अनुमति नहीं है  तो अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए उच्च विकास की सीढ़ी पर आगे बढ़ने का मार्ग कैसे प्रशस्त होगा यह सोचनीय विषय है ?  फोरम की  मांग हैं कि एससी/एसटी कमीशन डीयू के अर्थशास्त्र विभाग में पीएचडी एडमिशन में हुई अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जाँच तुरंत कराए और आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को न्याय दिलाए ।    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

May 1, 2024

रैगिंग रोकने के लिए यूजीसी और दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस को लागू कर रहे हैं कॉलेज

नई दिल्ली, 04 मई 2024  (यूटीएन)। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) व दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए कॉलेजों/संस्थानों ने यूजी, पीजी पाठ्यक्रमों में शैक्षिक सत्र-2024-25 में एडमिशन प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व विद्यार्थियों के लिए कॉलेजों ने अपने-अपने स्तर पर कमेटियाँ बनानी शुरू कर दी हैं। कमेटी में शिक्षकों , छात्रों व कर्मचारियों को प्रतिनिधित्व दिया गया है । इसी कड़ी में अरबिंदो कॉलेज ने यूजीसी द्वारा जारी की गई।    गाइडलाइंस का पालन करते हुए कॉलेज को रैगिंग मुक्त बनाने के लिए उचित कदम उठाए हैं। अरबिंदो कॉलेज एंटी रैगिंग कमेटी के सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि किसी भी छात्र द्वारा कॉलेज में किसी अन्य छात्र को बोले गए शब्दों या लिखित अथवा किसी अन्य प्रकार से अपने से जूनियर छात्र को परेशान करने के उद्देश्य से उसके साथ अशिष्टता या दुर्व्यवहार करता है तो वह रैगिंग की श्रेणी में आएगा। कॉलेज में रैगिंग रोकने के लिए कमेटी गठित की गई और छात्र हित में कई निर्णय लिए गए । इसके अलावा स्टूडेंट्स ग्रीवेंस कमेटी , इंटरनल कम्पलेंड कमेटी तथा स्कॉलरशिप सेल आदि की कमेटियों का बोर्ड सूचनापट्ट पर लगाया गया है।    कमेटी के सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि रैगिंग रोकने के लिए विद्यार्थियों को कॉलेज खुलने के पहले ही दिन ओरिएंटेशन प्रोग्राम के माध्यम से जानकारी दी जाती है, साथ ही एंटी रैगिंग कमेटी द्वारा यूजीसी की गाइडलाइंस को छात्रों में वितरित भी किया जाता है। फिर भी कोई छात्र रैगिंग करता हुआ पकड़ा जाता है तो कॉलेज उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करता है। उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि यूजीसी ने डीयू समेत सभी शिक्षण संस्थानों / कॉलेजों को सख्त निर्देश जारी किए हैं जिसमें रैगिंग रोकने के उपायों को आवश्यक रूप से लागू करने पर जोर दिया गया है। इसके लिए कॉलेज में एंटी रैगिंग सेल बनाने, वर्कशाप करने, कैम्प लगाकर कानूनी पहलुओं के विषय में बताने का निर्देश दिया गया है।   उनका कहना है कि यूजीसी की गाइडलाइंस में स्पष्ट है कि शिक्षण संस्थानों / कॉलेजों में रैगिंग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। इसका उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी।डॉ.हंसराज सुमन ने यह भी बताया है कि रैगिंग को रोकने के लिए एंटी रैगिंग कमेटी दस्तों की स्थापना, एंटी रैगिंग सेल का गठन करने के अलावा कमेटी कॉलेज की महत्वपूर्ण जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने, समय-समय पर विद्यार्थियों के साथ बातचीत करने आदि कार्य करेगी।    उन्होंने यह भी बताया है कि यूजीसी व डीयू ने रैगिंग की घटनाओं से प्रभावित विद्यार्थियों के लिए हेल्पलाइन नंबर, विद्यार्थी टोल फ्री नंबर व एंटी रैगिंग हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करने की सुविधा दी है इसमें छात्र अपनी पहचान छिपाकर भी शिकायत कर सकते हैं । उनका कहना है कि हमें अपने कॉलेज में अनुशासन की एक स्वस्थ परम्परा का निर्वाह करते हुए रैगिंग मुक्त बनाना है । डॉ.सुमन ने बताया है कि रैगिंग को लेकर इस साल यूजीसी ने सख्त कदम उठाए है , यूजीसी ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव और कॉलेज प्रिंसिपल की भी जवाबदेही तय की है। यदि कार्यवाही में देरी होती है और नियमों के मुताबिक एक्शन नहीं लेते है तो अधिकारियों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए ।   उनका कहना है कि लोगों के बीच सख्त संदेश जाए तभी रैगिंग के मामलों को कम किया जा सकता है और कुछ हद तक इसे रोका जा सकता है । यह तभी संभव है जब हर व्यक्ति अपनी ड्यूटी समझकर रैगिंग जैसी बीमारी की रोकथाम करें । डॉ.सुमन ने बताया है कि हाल ही में यूजीसी ने पिछले साल रैगिंग संबंधी छात्रों की 1240 शिकायतें मिली थीं जिसमें से 1113 का निपटारा किया गया है । यूजीसी का कहना है कि अभी रैगिंग के 127 केस पेंडिंग है जिनकी जांच चल रही है। कॉलेजों में रैगिंग के केस न आएं इसके लिए छात्रों को वर्कशाप व सेमिनार के माध्यम से जागरूक करने की आवश्यकता है ।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

admin

May 4, 2024

शिक्षा,सेवा और सौहार्द के प्रति समर्पित समाजसेवी मा सत्तार अहमद को मिला नीरा अमृत सम्मान

बागपत,05 मई 2024  (यूटीएन)। इंसानियत को गौरवान्वित करने वाले बसौद निवासी मा सत्तार अहमद को शिक्षा, समाजसेवा, देशभक्ति के प्रति जागरूकता सहित अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के लिए नीरा अमृत सम्मान से अलंकृत किया गया।    सम्मान के आयोजक डा हिमांशु शर्मा ने विदूषी और छात्राओं की शिक्षा के लिए समर्पित रही स्व नीरा अमृत अपने  मृदु व्यवहार और सौहार्द के लिए भी जानी जाती थी तथा उनके पति रामसेवक शर्मा आज भी ज्ञान की ज्योति जलाने में भरपूर सहयोग व निर्देशन में लगे रहते हैं। महान् विदूषी नीरा अमृत की स्मृति में शुरू किया गया यह सम्मान इसबार गांव बसौद निवासी मा सत्तार अहमद को दिया गया है, जिन्होंने बिजनौर में उर्दू टीचर के पद पर चयन को ठुकराते हुए मा- बाप की सेवा और समाज को सही राह दिखाने की ठानी तथा जीवन यापन के लिए खेती और दूध का व्यवसाय चुना।    मुस्लिम बाहुल्य गांव बसौद में बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के उद्देश्य से वर्ष 1983 में एसआर माउंटेसरी स्कूल की स्थापना की और कक्षा 5 तक के बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। वर्ष 2012 में स्कूल का नाम बदलकर एम अल अमन स्कूल रख दिया।    मा सत्तार का शगल है कि, उनके गांव में शादी होकर आयी बेटियों को इंटर और ग्रेजुएशन कराने और निर्धन बेटियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर उच्च शिक्षा दिलवाई जाए। मा सत्तार अहमद ने सम्मानित किये जाने के लिए आयोजनकर्त्ता डा हिमांशु शर्मा व उनके प्रतिनिधि विपुल जैन का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर उनकी पत्नी नौशाबा, पुत्र समीर अहमद, पुत्रवधू रूबीना त्यागी, पुत्री तरन्नुम, राशिद, रहमान आदि उपस्थित रहे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

admin

May 5, 2024