Education

गेटवे स्कूल में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर हुई मास्क मेकिंग प्रतियोगिता

बागपत, 31 जुलाई  2024 (यूटीएन)। गेटवे इंटरनेशनल स्कूल बागपत में  अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के उपलक्ष्य में मास्क मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य बच्चों को हमारे राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के महत्व को बताना है। विद्यालय में इस प्रतियोगिता के अंतर्गत सभी बच्चों ने हिस्सा लिया तथा अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न प्रकार के टाइगर मास्क बनाए। इस प्रतियोगिता का आयोजन पर प्री-प्राइमरी, प्राइमरी तथा जूनियर विभिन्न स्तरों पर किया गया। जिसके अंतर्गत बच्चों ने बढ़-चढ़कर प्रतिभा किया। प्री प्राइमरी वर्ग से कक्षा एलकेजी से कीशा तथा अनायशा ने संयुक्त रूप से प्रथम स्थान प्राप्त किया तथा यूकेजी से राव रुहान व नर्सरी से राव फरहान ने संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा तृतीय स्थान पर यूकेजी के नभ तथा इशिता संयुक्त रूप से रहे।   प्राइमरी वर्ग में आदित्य तथा यशस्वी प्रथम, अर्श आराध्य तथा भविष्य द्वितीय तथा रीतिका भूमिका व संस्कृति तृतीय स्थान पर रहे। जूनियर वर्ग कक्षा 4 में अनिरुद्ध, सिया ने संयुक्त रूप से प्रथम स्थान प्राप्त किया तथा ध्रुव व आराध्या ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा तृतीय स्थान पर गौरी गरिमा और एकता नैन रहे। इस अवसर पर विद्यालय के प्रबंधक कृष्णपाल व प्रधानाचार्य अमित चौहान ने कहा कि आज हम सबको पर्यावरण सुरक्षा हेतु संकल्पित होने की आवश्यकता है तथा आने वाली पीढ़ी के लिए बाघ जैसे अन्य वन्य जीव इतिहास न बन जाए, इसके लिए हम सबको प्रकृति दोहन को रोकना होगा। उनकी सुरक्षा हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को कारगर करने का पूरा प्रयास करना होगा। सभी बच्चों ने प्रतियोगिता में पूरे उत्साह के साथ भाग लिया व विजेता छात्र-छात्राओं को पुरुस्कृत करने की घोषणा की गई। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में संध्या, गरिमा, नताशा, शताक्षी, पुष्पा, पूजा  रानी, शिल्पी, गीता, पारुल, ज्योति, अंजू, आनंद आदि ने विशेष सहयोग दिया। इस अवसर पर संजय शर्मा, अजय राणा, प्रतिभा राज, सवेरा, मनोरमा, नदीम आदि मौजूद रहे।   बागपत-रिपोर्टर, (विवेक जैन)।

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Jul 31, 2024

उन आंखों में आईएएस बनने का सपना था...कहां हैं स्टार गुरु? लोग ढूंढ रहे

नई दिल्ली, 31 जुलाई  2024 (यूटीएन)। विश्वगुरु का ख्वाब संजोए देश की राजधानी। विश्वस्तरीय शहर होने का ढिंढोरा। उसी शहर में कोई होनहार स्टूडेंट राह चलते बिजली के करंट से मर जाता है तो कहीं कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में भरे पानी में डूबकर मर जाते हैं। ये सबकुछ हो रहा है विश्वस्तरीय शहर में। देश की राजधानी में। उन आंखों में आईएएस बनने का सपना था। उन सपनों को तो छोड़िए, उन आंखों को, उन जिंदगियों को विश्वस्तरीय शहर के सड़े सिस्टम ने लील लिया। ये तो शर्मनाक है ही, उससे तनिक भी शर्मनाक नहीं है, सपनों के सौदागर कथित स्टार गुरुओं की चुप्पी। प्रति स्टूडेंट हजारों-लाखों रुपये वसूलकर आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर आदि बनाने की 'फैक्ट्री' चलाने वाले विकास दिव्यकीर्ति, अवध ओझा, अलख पांडे जैसे सिलेब्रिटी गुरुओं की चुप्पी। कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में डूबकर 3 जिंदगियां खत्म हो गईं, लेकिन दुनिया-जहान के हर विषय पर ज्ञान देने वाले इन स्टार गुरुओं के मुंह से संवेदना का एक बोल तक नहीं फूटा। सोशल मीडिया के इस दौर में स्टार गुरु खुद को किसी सिलेब्रिटी से कम नहीं समझते। बात-बात पर ज्ञान।    बड़ी-बड़ी बातें। रील का चस्का। रील्स में टीचर कम, मॉटिवेशनल स्पीकर ज्यादा। हर मोबाइल में रील के रूप में देखे जाने की हसरत। यू-ट्यूब शॉर्ट्स में छा जाने की ललक। लेकिन ये सर्वज्ञानी स्टार गुरु छात्रों की मौत पर चुप हैं। उनके लिए जैसे ये कोई मुद्दा ही नहीं। भविष्य बनाने, करियर बनाने, कल संवारने की दुकानें सजाकर बैठने वाले ये सपनों के सौदागर उन स्टूडेंट्स की मौत पर चुप हैं जो हो सकता था कि कल आईएएस बनते, आईपीएस बनते, बड़े अफसर बनते। यूपीएससी की तैयारी कर रहे स्टूडेंट अपने साथियों की मौत से आक्रोशित हैं। विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सवाल उठा रहे हैं। उनके सवालों में एक सवाल ये भी है कि आखिर कहां हैं विकास दिव्यकीर्ति, अवध ओझा, अलख पांडे और बाकी स्टार गुरु। स्वयंभू सिलेब्रिटी। सपनों के सौदागर। उन्हें उम्मीद थी कि बड़ी-बड़ी बातें करने वाले ये सिलेब्रिटी कलाकार गुरु उनका साथ देने आएंगे। उन्हें समर्थन देने आएंगे। आना तो दूर, उनके मुंह से संवेदना के दो बोल तक नहीं फूट रहे। भारत में कोचिंग सेंटर का बाजार बहुत तेजी से फैल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, अभी कोचिंग इंडस्ट्री 58,000 करोड़ रुपये की है।   2018 तक अनुमान है कि ये बढ़कर 1.33 लाख करोड़ रुपये का विशाल बाजार हो जाएगा। द एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, देश के ग्रामीण इलाकों में पहली से आठवीं कक्षा के 31 प्रतिशत छात्र प्राइवेट कोचिंग क्लास अटेंड करते हैं। बिहार में तो ये आंकड़ा 71 प्रतिशत और बंगाल में 74 प्रतिशत, झारखंड में 45 प्रतिशत है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहली क्लास से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी तक, कोचिंग सेंटरों का बाजार कितना विस्तृत है। कई छोटे-छोटे कोचिंग सेंटर और प्राइवेट ट्यूशन सेंटर तो हैं हीं, बड़े कोचिंग सेंटर भी हैं। ये स्टूडेंट से मोटी फीस वसूलते हैं। गरीब मां-बाप के लिए अपने बच्चों को इन कोचिंग सेंटरों में पढ़ाना बहुत मुश्किल है। लेकिन वे अपने बच्चों के मुस्तकबिल के लिए कर्ज के बोझ तक में दब जाते हैं और उन्हें इन कोचिंग सेंटरों में भेजते हैं। इस हसरत के साथ कि मेरा बेटा या बेटी आगे चलकर बड़ा अफसर बनेगा, बड़ी अफसर बनेगी। जरा सोचिए, उन मां-बाप पर क्या गुजर रही होगी जिस क्षण उन्हें पता चला होगा कि उनका बेटा या बेटी कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में भरे पानी में डूब गए। भविष्य बताने वाले बाबाओं की तर्ज पर बिना किसी जवाबदेही के भविष्य बनाने का धंधा चला रहे इन स्टार गुरुओं को होनहारों की मौत से जैसे तनिक भी फर्क नहीं पड़ रहा। यही वजह है कि वे बेशर्मी चुप्पी की मोटी चादर ओढ़ चुके हैं। विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों के बीच कुछ गुरु समर्थन देने जरूर जा रहे हैं लेकिन बड़े नाम नदारद हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 31, 2024

ये गैस चेंबर से कम नहीं... उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कोचिंग सेंटर्स पर उठाए सवाल

नई दिल्ली, 31 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर तीन यूपीएससी कैंडिडेट्स की मौत का मुद्दा राज्यसभा में उठा। इस चर्चा में कोचिंग सेंटरों की भूमिका पर भी सवाल उठे। विपक्ष ने शिक्षा के निजीकरण और सरकारी स्कूलों की हालत पर भी चिंता जताई। राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए चर्चा की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि यह मामला हमारे युवाओं, शहरी ढांचे और शासन से जुड़ा है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने चर्चा के दौरान कोचिंग सेंटरों पर भी तीखी टिप्पणी भी की। उन्होंने कहा कि कोचिंग एक ऐसा उद्योग बन गया है जहां मुनाफा ही सब कुछ है। अखबारों में हर दिन कोचिंग सेंटरों के पूरे पन्ने के विज्ञापन छपते हैं। इन विज्ञापनों की जांच होनी चाहिए।   *कोचिंग फलता-फूलता उद्योग बन गया*   उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कोचिंग सेटर्स से जुड़े विज्ञापन पर खर्च होने वाला हर पैसा छात्रों से ही आता है। हर नई इमारत छात्रों के पैसों से बनती है। ऐसे में इस पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने कोचिंग सेंटर्स की तुलना गैस चैंबर से किया है। धनखड़ ने कहा कि कोचिंग एक फलता-फूलता उद्योग बन गया है जहां मुनाफा बहुत ज्यादा है। हम हर दिन अखबारों में कोचिंग सेंटरों के पूरे पन्ने के विज्ञापन देखते हैं और इस तरह के विज्ञापनों की जांच करने की जरूरत है। वास्तव में एक ऐसे दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो इसे दूर करने में एक लंबा रास्ता तय कर सके।   *बीजेपी-कांग्रेस ने क्या कहा*   राज्यसभा में बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि दिल्ली के कोचिंग संस्थान में हुई घटना में दिल्ली सरकार और एमसीडी की लापरवाही साफ दिखती है। उन्होंने सुझाव दिया कि दिल्ली सरकार को सभी कोचिंग सेंटरों की सूची बनाकर यह जांच करनी चाहिए कि वे नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने देश में बढ़ते कोचिंग उद्योग पर चिंता जताई। उन्होंने इसके लिए 10 साल के एनडीए शासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल से एक ऐसी सरकार सत्ता में है जिसने शिक्षा के पवित्र क्षेत्र का व्यवसायीकरण और निजीकरण कर दिया है।   *राज्यसभा में दिल्ली कोचिंग हादसे की गूंज*   सुरजेवाला ने इस दौरान पिछले 10 सालों में बंद हुए सरकारी स्कूलों और खुलने वाले निजी स्कूलों का आंकड़ा पेश किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का निजीकरण करने की कोशिश की जा रही है। टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि सदन को रेल हादसों, नीट, मणिपुर अशांति, असम बाढ़, किसान आत्महत्या और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी उतनी ही गंभीरता और तेजी से चर्चा करनी चाहिए जितनी कि विपक्ष की ओर से उठाए गए मुद्दों पर। आप नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया कि दिल्ली के उपराज्यपाल राज्य सरकार को ठीक से काम नहीं करने दे रहे हैं। उन्होंने हालिया घटना को उन कई वर्षों की चूक का नतीजा बताया जब एमसीडी में बीजेपी काबिज थी।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 31, 2024

IIM रायपुर: पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट प्रोग्राम की पहली बैच का समापन समारोह

रायपुर, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। भारतीय प्रबंधन संस्थान रायपुर (IIM रायपुर), जो एक शीर्ष रैंकिंग वाला बिजनेस स्कूल है, ने डिजिटल हेल्थ प्रोफेशनल (CDHP) की पहली पोस्ट-ग्रेजुएट सर्टिफिकेट प्रोग्राम के स्नातक समारोह का आयोजन किया। इस समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल (भारत) थे। इस कोर्स को IIM रायपुर और डिजिटल हेल्थ साइंसेज अकादमी (ADHS) ने संयुक्त रूप से पेश किया था। IIM रायपुर के निदेशक प्रो. राम कुमार ककानी ने सभी स्नातक छात्रों का स्वागत किया। ADHS के संस्थापक डॉ. राजेंद्र प्रताप गुप्ता ने छात्रों और शिक्षकों को सम्मानित किया।ADHS के साथ साझेदारी में, IIM रायपुर ने स्वास्थ्य नवाचार नीति और डिजिटल हेल्थ के लिए एक केंद्र स्थापित किया है। इस पहल का उद्देश्य क्षमता निर्माण, नवाचार और नीति विकास के माध्यम से भारत को डिजिटल हेल्थ में एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित करना है। कुल 41 छात्रों ने 20 जुलाई 2024 को स्नातक किया, जिनमें से 12 महिलाएं और 29 पुरुष हैं। डॉ. आशीष कुमार गुप्ता को सर्वोच्च अंक के लिए निदेशक प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ। ये छात्र स्वास्थ्य क्षेत्र में विभिन्न पेशेवर पृष्ठभूमियों से आते हैं, जिनमें वरिष्ठ डॉक्टर, सर्जन, दंत चिकित्सक, फिजियोथेरेपिस्ट, नर्स, फार्मास्युटिकल, मेड-टेक और डिजिटल हेल्थ क्षेत्रों के वरिष्ठ पेशेवर, सरकारी अधिकारी और वरिष्ठ अकादमिक शामिल हैं। जिनके पास औसतन 20 वर्षों का कार्य अनुभव है। यह कार्यक्रम एक वैश्विक दृष्टिकोण को शामिल करता है, जिसमें डिजिटल हेल्थ के विश्व-प्रसिद्ध नेताओं और प्रैक्टिशनर्स के साथ सहयोग किया जाता है और दुनिया भर से डिजिटल हेल्थ पर व्यापक दृष्टिकोण और अंतर्दृष्टि प्रदान की जाती है। दुनिया के शीर्ष नेताओं के साथ लाइव इंटरैक्शन सुनिश्चित करते हैं कि शिक्षार्थी न केवल सही ज्ञान से लैस हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर नेतृत्व करने के लिए प्रेरित भी हैं। ऑनलाइन डिलीवरी प्रारूप पेशेवरों को विश्व स्तर पर भाग लेने की अनुमति देता है, जिससे एक विविध सीखने का वातावरण बनता है। इस कोर्स के चेयर विश्व के प्रमुख डिजिटल हेल्थ विशेषज्ञ हैं। डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने ग्रामीण भारत की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता पर जोर दिया। अब समय है कि डिजिटल तकनीकों और चिकित्सा विज्ञान का संगम हर समाज के वर्ग को लाभान्वित करे। आइए हम राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित हों। IIM रायपुर के निदेशक डॉ. राम कुमार ककानी ने कहा, “इस कार्यक्रम का उद्देश्य कामकाजी पेशेवरों को डिजिटल हेल्थ में आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करना है। हमारा दृष्टिकोण दुनिया के सर्वश्रेष्ठ नेताओं को तैयार करना है, जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में स्वास्थ्य सेवा के डिजिटल परिवर्तन का नेतृत्व करेंगे। हम डिजिटल हेल्थ में दुनिया का सबसे अच्छा कार्यक्रम बने रहने और डिजिटल हेल्थ में वैश्विक नेताओं को बनाने की इच्छा रखते हैं। इस कार्यक्रम में प्रशिक्षित नेता डिजिटल उपकरणों के साथ परामर्श कंपनियों, फार्मास्युटिकल कंपनियों, मेड-टेक कंपनियों और। अस्पतालों के साथ काम करते हुए स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देंगे। छात्रों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अभिनव उत्पाद, परियोजनाएं और कार्यक्रम विकसित करें जो स्वास्थ्य सेवा को पारदर्शी, जवाबदेह और सुलभ बनाएं।” ADHS के संस्थापक डॉ. राजेंद्र प्रताप गुप्ता ने कहा, “भारत ने डिजिटल हेल्थ लीडर्स की पहली बैच तैयार की है, जिनके पास स्वास्थ्य सेवा के डिजिटल परिवर्तन का नेतृत्व करने की क्षमता है। यह डिजिटल हेल्थ साइंसेज अकादमी ने IIM रायपुर के सहयोग से एक अद्वितीय कोर्स के माध्यम से वैश्विक रूप से ऑनलाइन पेश किया - पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन डिजिटल हेल्थ। यह कार्यक्रम पहले बैच के सर्टिफाइड डिजिटल हेल्थ प्रोफेशनल्स (R) को तैयार करता है।”कार्यक्रम निदेशक डॉ. संजीव प्रसाद, डॉ. जिघ्यासु गौर, डॉ. संदीप एस और सुश्री मेविश वैष्णव ने सभी स्नातक छात्रों को बधाई दी।      

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Jul 24, 2024

खेकड़ा में 35 शिक्षकों ने दिया सामूहिक त्यागपत्र, खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपे इस्तीफे

खेकड़ा,18 जुलाई 2024 (यूटीएन)। शिक्षक शिक्षामित्र अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा बागपत के नेतृत्व में प्रांतीय आह्वान पर जिले में ऑनलाइन अटेंडेंस, डिजिटलाइजेशन के विरोध में सामूहिक रूप से ब्लॉक खेकड़ा के 35 शिक्षक संकुल अध्यापकों ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। बीआरसी कार्यालय पर खंड शिक्षा अधिकारी को त्यागपत्र भी सोंपा गया।   बता दें कि, प्रदेश सरकार ने मंगलवार को ऑनलाइन अटेंडेंस का निर्णय दो माह के लिए वापिस लेते हुए कमेटी गठित कर दी है,लेकिन अभी भी शिक्षकों का आंदोलन चल रहा है। मंगलवार को 35 शिक्षक संकुल ने अपना त्यागपत्र खंड शिक्षा अधिकारी सुभाष चंद को सोंप दिया।   इस दौरान संयुक्त मोर्चा से अतुल आत्रेय ने बताया कि ,ऑनलाइन अटेंडेंस और डिजिटलाइजेशन का आदेश केवल दो माह के लिए स्थगित हुआ है। शिक्षकों की मांग टाइम एंड मोशन स्टडी शासनादेश जो कि 14 अगस्त 2020 को जारी हुआ था, जिसमें समस्त प्रकार के अभिलेख डिजिटलाइजेशन करने का था, उसे निरस्त कराने की है। इसलिए संघर्ष अभी जारी है और संघर्ष चलता रहेगा।    इस दौरान प्रदीप दीक्षित, रुपेश चौधरी, हरेंद्र कुमार, विपिन कुमार शर्मा, पूनम, शिवकुमार, हुकम सिंह भूप, नूतन बंसल, ब्रजराज त्यागी, सुमित कुमार, विपिन कुमार, भूपेंद्र कुमार कपिल, अरविंद कुमार चौहान लीना शर्मा, आर्यावर्त, रूबी चौधरी आदि शिक्षण संकुल उपस्थित रहे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

Ujjwal Times News

Jul 18, 2024

जेएनयू में हिन्दू, बौद्ध, जैन अध्ययन के लिए केंद्र स्थापित होंगे

नई दिल्ली, 12 जुलाई  2024 (यूटीएन)। एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय हिंदू अध्ययन केंद्र के साथ-साथ बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्र भी खोलेगा। इसमें कहा गया है कि तीन नए केंद्र स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज के तहत स्थापित किए जाएंगे। नए केंद्र स्थापित करने के निर्णय को जेएनयू की कार्यकारी परिषद ने 29 मई को एक बैठक में मंजूरी दी थी। विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और भारतीय ज्ञान प्रणाली को लागू करने का पता लगाने और सिफारिश करने के लिए जेएनयू द्वारा एक समिति का गठन किया गया था। बता दें कि कांग्रेस का आरोप कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को आरएसएस के एजेंडे के तहत तैयार किया गया है। नई शिक्षा नीति का ही हवाला देकर दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी में मनुस्मृति पढ़ाने का प्रस्ताव लाया जा रहा था लेकिन सरकार के संकेत पर अब इसे रोक दिया गया है।   जेएनयू में तीन केंद्र स्थापित करने से संबंधित अधिसूचना में कहा गया है कि "कार्यकारी परिषद ने 29.05.2024 को आयोजित अपनी बैठक में नई शिक्षा नीति एनईपी-2020 और भारतीय ज्ञान प्रणाली और इंडिक स्टडीज का पता लगाने और विश्वविद्यालय में इसके आगे कार्यान्वयन और संस्कृत स्कूल के भीतर निम्नलिखित केंद्रों की स्थापना के लिए गठित समिति की सिफारिश को मंजूरी दे दी है।'' दरअसल, ये अधिसूचना 9 जुलाई को ही जारी हो गई थी लेकिन मीडिया के सामने यह 12 जुलाई शुक्रवार को सामने आई। हालांकि तमाम केंद्रीय विश्वविद्यालय इन्फ्रास्ट्रक्चर, टीचरों और अन्य स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने कभी उनका बजट बढ़ाने या अतिरिक्त सहायता इन मदों में नहीं की। लेकिन जैसे ही संस्कृत अध्ययन की बात आती है, सरकार खुश होकर ग्रांट जारी कर देती है। हालांकि देश में संस्कृति हिन्दी या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की तरह नही बोली जाती।   *नये एकेडमिक सेशन से हो सकते हैं शुरू* अकादमिक परिषद् की हुई बैठक में ये तय हुआ था कि नई सेंटर एकेडमिक सेशन 2025-26 से इन तीनों सेंटर्स की शुरुआत होगी. इनके नाम हैं - फॉर हिंदू स्टडीज, सेंटर फॉर बुद्धिस्ट स्टडीज और सेंटर फॉर जैन स्टडीज.   *कैसे मिलेगा एडमिशन* इन तीनों सेंटर्स द्वारा कराए जाने वाले कोर्सेस में एडमिशन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होगा. इसके लिए कैंडिडेट्स को कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट यानी सीयूईटी पास करना होगा. सीयूईटी स्कोरी को जेएनयू एडमिशन के लिए आधार बनाएगा.   *इसके अंतर्गत होंगे स्थापित* ये तीनों ही सेंटर स्कूल और संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज के अंतर्गत स्थापित किए जाएंगे. इस बाबत जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग 29 मई के दिन हुई थी इस प्रस्ताव पर मुहर लग गई थी. जेएनयू ने एक कमेटी स्थापित की थी जिसका काम नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 और इंडियन नॉलेज सिस्टम को यूनिवर्सिटी में कैसे लागू करें, इस पर काम करना था.   *‘विकसित भारत’ की तरफ एक कदम* इस बारे में जेएनयू वीसी का कहना है कि ये कदम हमें परंपरा के साथ आधुनिकता की और ले जाएगा. मिथ और रिएलिटी के बीच के अंतर को बताएगा और विकसित भारत के मसौदे की ओर एक नया कदम बढ़ाएगा. यूनिवर्सिटी ने इस बारे में ये भी जानकारी दी कि इस बारे में सभी संबंधित विभागों और अधिकारियों को सूचना दे दी गई है. ये एनईपी 2020 के विजन को पूरा करने की ओर यूनिवर्सिटी का एक प्रयास है जहां पारंपरिक भारतीय ज्ञान को मॉडर्न एकेडमिक्स के साथ जोड़ा जाएगा.   *शुरुआत में होंगी इतनी सीटें* इस बाबत अभी बहुत से काम प्लानिंग लेवल पर हैं जिनका इम्प्लिमेंटेशन होना बाकी है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शुरुआत में इन तीनों सेंटरों में 20-20 सीटें होंगी. बाद में इनकी संख्या बढ़ायी जा सकती है. इन सेंटरों में एडवांस्ड स्टडी करायी जाएगी. सिलेबस से लेकर कार्यक्रम की बाकी रूपरेखा जल्द ही तैयार होगी. बेहतर होगा इस बारे में डिटेल में जानकारी पाने और अपडेट से रूबरू रहने के लिए समय-सयम पर आधिकारिक वेबसाइट विजिट करते रहें.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 12, 2024

डीयू में शिक्षकों के वरिष्ठता क्रममें एकरूपता न होने पर वीसी ने कमेटी गठित की

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों व उससे संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों की सीनियरिटी को लेकर वाइस चांसलर के निर्देश पर कुलसचिव ने एक कमेटी गठित की है । डीन ऑफ कॉलेजिज को कमेटी का चेयरपर्सन बनाया गया है । इसके अलावा प्रोफेसर श्रीप्रकाश सिंह (निदेशक दक्षिणी परिसर )  प्रो.रमा शर्मा ( प्रिंसिपल हंसराज कॉलेज )  प्रो.अरुण कुमार अत्री ( प्रिंसिपल भगतसिंह कॉलेज ) प्रो.अजय अरोड़ा , ( प्रिंसिपल रामजस कॉलेज ) व डिप्टी रजिस्ट्रार , कॉलेजिज ( मेम्बर सेक्रेटरी ) बनाए गए है । कमेटी का कार्य हाल ही में सहायक प्रोफेसर के पदों पर हुई  लगभग 4600 स्थायी  नियुक्ति के बाद कॉलेजों में सीनियरिटी को लेकर विवाद हो रहा था ।   एससी, एसटी व ओबीसी के शिक्षकों को जहाँ बैकलॉग व शार्टफाल के पदों को भरने के बाद सीनियर माना जाना चाहिए था कॉलेज उन्हें जूनियर बना रहे थें , शिक्षकों की सीनियरिटी लिस्ट कैसे बनाया जाए , यह कमेटी गठित की गई है जो अपनी रिपोर्ट 31 जुलाई 2024 तक देगी । फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने  दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा गठित कमेटी में एससी, एसटी व ओबीसी कोटे के शिक्षकों को प्रतिनिधित्व न दिए जाने पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए कमेटी में आरक्षित श्रेणी के सदस्यों को रखे जाने की मांग की है ताकि इन वर्गो के साथ सही से सामाजिक न्याय हो । उन्होंने कमेटी में संसदीय समिति , डीओपीटी व एससी/एसटी कमीशन , ओबीसी कमीशन से भी सदस्यों को रखे जाने की मांग की । फोरम के चेयरमैन डॉ.हंसराज सुमन ने कमेटी को सुझाव दिए है और कहा है कि कमेटी जब भी सीनियरिटी लिस्ट तैयार करे तो यह देखें कि रोस्टर में यह पद किस वर्ष आया तथा पद बैकलॉग का है या शॉटफाल है । क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय में एक दशक बाद स्थायी प्रोफेसर पदों पर नियुक्ति हुई है ।   इनमें एससी/एसटी व ओबीसी के ज्यादातर उन लोगों की सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुई है जो पिछले एक दशक से अस्थाई तौर पर पढ़ा रहे थे। इनमें कुछ नियुक्तियाँ कॉलेजों के रोस्टर रजिस्टर में बैकलॉग पद आने पर विज्ञापित करके की गई हैं। विभिन्न विभागों और कॉलेजों में ये नियुक्तियाँ विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई चयन समिति के माध्यम से की गई थीं । लेकिन चयन समिति ने मिनट्स बनाते समय भारत सरकार की आरक्षण नीति के अंतर्गत भर्ती नीति व कॉलेजों द्वारा बनाए गए रोस्टर के अंतर्गत श्रेणीवार चयनित अभ्यर्थियों का नाम नहीं रखा। परिणामस्वरूप कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों के वरिष्ठता क्रम (Seniority) को लेकर एकरूपता नहीं है । बता दे कि वरिष्ठता क्रम को लेकर कॉलेजों में वाद-विवाद खड़ा हो गया था । शिक्षकों में तनाव की स्थिति बन गई है। इसमें आरक्षित वर्ग के शिक्षकों के साथ अधिक भेदभाव किया जा रहा है।   जूनियर शिक्षकों को वरीयता देकर वरिष्ठ बनाया जा रहा है। आरक्षित वर्गो के सहायक प्रोफेसरों के साथ हो रहे इस भेदभाव को लेकर फोरम आफ एकेडमिक फॉर सोशल जस्टिस ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, एससी/एसटी के कल्याणार्थ संसदीय समिति, शिक्षा मंत्रालय व यूजीसी व विश्वविद्यालय प्रशासन से गुहार लगाई थीं तथा अनियमितता की जाँच कराने की मांग की थीं । इस अनियमितता को देखकर ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने कमेटी गठित की है । डॉ. हंसराज सुमन ने कमेटी सदस्यों को बताया है कि कॉलेजों द्वारा  सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति करते समय चयन समिति में बतौर सदस्य एससी/एसटी व ओबीसी के ऑब्जर्वर को चयन समिति के मिनट्स बनाते समय रोस्टर रजिस्टर देखना चाहिए था तथा बैकलॉग पदों की क्रमवार वास्तविक स्थिति देखनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जिसके कारण यह समस्या पैदा हुई है ।    यदि एससी/एसटी के पदों का बैकलॉग था तो चयन समिति को मिनट्स बनाते समय नियमानुसार पहले एससी /एसटी के चयनित प्राध्यापक को क्रम में रखना चाहिए था। उसके बाद तीसरे स्थान पर ओबीसी के चयनित प्राध्यापकों को रखा जाता है। ज्ञात हो कि ओबीसी आरक्षण विश्वविद्यालयों / उच्च शिक्षण संस्थानों / कॉलेजों में सन् 2007 से लागू हुआ था । कॉलेजों को पहले ट्रांच के इन पदों को 2010 में भर लेना चाहिए था लेकिन इन पदों को नहीं भरने के कारण ओबीसी का बैकलॉग बढ़ता रहा। सन् 2010 के बाद अब जाकर इन पदों पर नियुक्ति की गई, इसलिए वरिष्ठता क्रम में उन्हें पहले रखा जाएगा। वरिष्ठता की सूची में भी उन्हें वरिष्ठ ही माना जाएगा।   लेकिन कॉलेजों में चयन समिति ने मिनट्स बनाते समय नियमों की अनदेखी की और सामान्य वर्ग को वरिष्ठता क्रम में पहले रखा, उसके बाद ओबीसी, एससी, एसटी, पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस को क्रमवार सूची में रखा गया । जबकि होना यह चाहिए था जिन कॉलेजों में एससी/एसटी का बैकलॉग है वहाँ पहले एससी/एसटी वरिष्ठता में आएंगे। जहाँ ओबीसी का बैकलॉग है, यानि 2010 के बाद कॉलेजों ने पदों को विज्ञापित कर नियुक्ति की है वहाँ ओबीसी के प्राध्यापकों को वरिष्ठतम माना जाएगा। उसके बाद एससी/एसटी, सामान्य वर्ग, पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस को रखा जाएगा। अब देखना यह है कि कमेटी किस तरह से सीनियरिटी लिस्ट बनाती है क्योंकि इसमें कोई भी सदस्य आरक्षित श्रेणी से नहीं है ।    डॉ. हंसराज सुमन ने कमेटी के सदस्यों को यह भी बताया कि चयन समिति ने  वरीयता देने में आरक्षित वर्गों के प्राध्यापकों के साथ घोर अन्याय किया है। उन्होंने आगे बताया है कि सहायक प्रोफेसर की चयन समिति ने मिनट्स बनाते समय पहले सामान्य वर्ग को रखा है उसके बाद ओबीसी फिर एससी/एसटी, पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस को क्रम में रखा है। जब की वैधानिक रूप से यह गलत है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार की आरक्षण नीति के अनुसार किसी भी चयन समिति को मिनट्स बनाते समय रोस्टर रजिस्टर व बैकलॉग पदों को चिन्हित कर पहले एससी/एसटी फिर ओबीसी के चयनित प्राध्यापकों को क्रमशः रखा जाता है, उसके बाद सामान्य वर्ग और अन्य श्रेणी के प्राध्यापकों को रखा जाता है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तय किए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अगले पांच वर्षों के रोड मैप पर मंथन शुरू

नई दिल्ली, 10 जुलाई  2024 (यूटीएन)। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तय किए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अगले पांच वर्षों के रोड मैप पर मंथन शुरू किया है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को हुई समीक्षा बैठक में कहा कि राज्यों और केंद्र दोनों को ही शिक्षा इकोसिस्‍टम को मजबूत बनाने और एक- दूसरे राज्यों में बेस्ट प्रैक्टिस को आगे बढ़ाने के लिए एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने पूरे देश में स्कूली शिक्षा के समग्र विकास के लिए अगले पांच वर्षों के रोडमैप के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के विजन का एक प्रमुख स्तंभ है और राज्यों को इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के करीब चार वर्षों में देश में शिक्षा इकोसिस्‍टम ने तेजी से प्रगति की है। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी भी मौजूद रहे।   *शिक्षा मंत्री ने की राज्यों के साथ समीक्षा बैठक* शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत एक युवा देश है। हमारी चुनौती 21वीं सदी की दुनिया के लिए वैश्विक नागरिक तैयार करना है, जो तेजी से बदल रही हैं क्‍योंकि यह सदी प्रौद्योगिकी की ओर से संचालित हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि एक ऐसी शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित की जाए, जो जमीनी और आधुनिक दोनों ही हो। स्कूलों में टेक्नोलोजी पर ध्यान देना होगा। हमें रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी कौशल क्षमताओं को भी बढ़ाना चाहिए। राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि एनईपी 2020 सबसे महत्वाकांक्षी और प्रगतिशील नीति दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को शत-प्रतिशत तक ले जाना होगा।   *पांच साल के एक्शन प्लान पर मंथन* शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने कहा कि समीक्षा बैठक का मुख्य उद्देश्य एनईपी 2020 की समीक्षा करना और इसका राज्यों में कार्यान्वयन करने के साथ-साथ मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं की प्रगति को देखना भी है। समग्र शिक्षा, पीएम श्री, पीएम पोषण, उल्लास जैसी योजनाओं को नीति के साथ समायोजन करना होगा। बैठक के दौरान पांच साल के एक्शन प्लान, 100 दिन के एक्शन प्लान, सभी राज्यों के लिए समग्र शिक्षा के तहत बुनियादी ढांचे पर चर्चा होगी। स्मार्ट क्लासेज समय की जरूरत हैं। स्कूलों परिसर को तंबाकू मुक्त बनाने की दिशा में मिलकर काम करना होगा।   *स्कूलों में बैगलैस डेज को लेकर तैयार गाइडलाइंस की समीक्षा* केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों में बिना स्कूल बैग को लेकर तैयार की गई गाइडलाइंस की समीक्षा की है। स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने एनसीईआरटी की यूनिट की ओर से तैयार गाइडलाइंस पर सीबीएसई, एनसीईआरटी, केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय संगठन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। यह तय किया गया है कि समीक्षा के बाद अब जल्द ही इन दिशा- निर्देशों को अंतिम रूप दिया जाएगा।   *जल्द फाइनल होंगी गाइडलाइंस* स्कूली शिक्षा के लिए जारी किए गए नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि क्लासरूम टीचिंग केवल किताबों की दुनिया ही नहीं है बल्कि छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स से भी मिलवाना चाहिए। स्कूलों के वार्षिक कैलेंडर में 10 दिन वगैर बैग होंगे यानी इन दस दिन छात्र बिना बैग और किताबों के स्कूल जाएंगे। इन दिनों में छात्रों को फील्ड विजिट करवाई जाएगी। यह सिफारिश की गई है कि इन दस दिनों में छात्रों को स्थानीय पारिस्थितिकी के बारे में जागरूक करने, उन्हें पानी की शुद्धता की जांच करना सिखाने, स्थानीय वनस्पतियों और जीवों को पहचानने और स्थानीय स्मारकों का दौरा करवाया जाए।   *शिक्षा के लिए तय लक्ष्यों को हासिल करने पर दिया जोर* शिक्षा नीति में यह कहा गया है कि कक्षा 6-8 के सभी छात्रों के लिए दस दिन बिना बैग के स्कूल जाना जरूरी होगा। इस दौरान छात्र लोकल स्किल एक्सपर्ट्स के साथ इंटर्नशिप करेंगे और पारंपरिक स्कूल व्यवस्था से बाहर की गतिविधियों में भाग लेंगे। बैगलेस डेज़ के दौरान कला, क्विज़, खेल और कौशल-आधारित शिक्षा जैसी विभिन्न गतिविधियां शामिल होंगी। छात्रों को कक्षा के बाहर की गतिविधियों से समय-समय पर अवगत कराया जाएगा, जिसमें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन स्थलों की यात्रा, स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों के साथ बातचीत और स्थानीय कौशल आवश्यकताओं के अनुसार उनके गांव, तहसील, जिले या राज्य के भीतर विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों का दौरा शामिल है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Jul 10, 2024

हमारी मांगें पूरी करो :माध्यमिक शिक्षकों द्वारा 19 जुलाई को धरने का ऐलान, विद्यालयों में संपर्क शुरू

बडौत, 09 जुलाई 2024 (यूटीएन)। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ का चेतनारायण गुट 19 जुलाई को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर देगा धरना। मांगों के संबंध में दिया जाएगा ज्ञापन। धरने की सफलता और तैयारी को लेकर विद्यालयों में संपर्क अभियान शुरू। शिक्षक संघ के प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर जनपद इकाई जिले के शिक्षकों की मांगों के समर्थन में 19 जुलाई को ज़िला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर अपराह्न 2 बजे से 5 बजे तक धरना देगी।धरने कार्यक्रम को सफ़ल बनाने के उद्देश्य से जनपद के शिक्षकों सहित शिक्षिकाओं को धरना किए जाने के कारणों को समझाते हुए,संगठन के पदाधिकारी विद्यालय दर विद्यालय भ्रमण कर रहे हैं।   संगठन के प्रांतीय संरक्षक मण्डल के सदस्य स्वराज पाल दुहूण के साथ संगठन ज़िलाध्यक्ष डा राजवीर सिंह तोमर व पूर्व जिला मंत्री जितेन्द्र तोमर ने मुस्लिम इण्टर कॉलेज असारा,गांधी विद्या निकेतन इंटर कॉलेज बूढ़पुर रमाला,डीएवी इण्टर कॉलेज किशनपुर बराल,चेतना इण्टर कॉलेज बराल व सर्वोदय विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज बावली का भ्रमण किया।   इस अवसर पर बताया गया कि, संगठन की प्रमुख मांगों में पुरानी पैंशन बहाली, स्ववित्तपोषित विद्यालयों में शिक्षक व शिक्षिकाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन ,राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों की भांति चिकित्सकीय सहायता, राजकीय कर्मचारियों की भांति 30 जून व 31दिसम्बर को सेवानिवृत्त शिक्षक व शिक्षिकाओं को एक अतिरिक्त वेतन-वृद्धि का लाभ सहित वर्ष 2000 के बाद नियुक्त तदर्थ शिक्षक व शिक्षिकाओं को मानदेय पर नियुक्त करने के स्थान पर उन्हें नियमित किया जाने की मांग भी शामिल हैं ।   बताया कि,जनपद के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य ,शिक्षक व शिक्षिकाओं को अभी तक जीपीएफ का भुगतान नहींं  किया गया,इसके लिए तुरंत भुगतान कराने की मांग को लेकर दबाव बनाया जाएगा तथा एनपीएस एकाउंट को नियमित करते हुए प्रत्येक शिक्षक व शिक्षिका को लेखा पर्ची उपलब्ध कराये जाने पर जोर दिया जाएगा । साथ ही जिला विद्यालय निरीक्षक बागपत के कार्यालय पर लम्बित अन्य सभी प्रकरणों का निस्तारण 15 दिन के अन्तर्गत किये जाने हेतु प्रयास होंगे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Jul 9, 2024

बीए बीएससी में प्रवेश हेतु विश्वविद्यालय के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन जरूरी, अन्यथा नहींं मिल पाएगा एडमिशन : बृजेश शर्मा

खेकड़ा,02 जुलाई 2024 (यूटीएन)।  इंटरमीडिएट कक्षा पास कर बीए या बीएससी करने के इच्छुक छात्र-छात्राओं के लिए डिग्री स्तर का अशासकीय सहायता प्राप्त एकमात्र महाविद्यालय ,खेकड़ा का एमएम कालेज बन रहा है पहली पसंद। बता दें कि, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में अभी रजिस्ट्रेशन का पोर्टल खुला हुआ है तथा ऐसे सभी छात्र-छात्राएं जो किसी भी कॉलेज में प्रवेश लेना चाहते हैं, वे सबसे पहले चौ चरण सिंह यूनिवर्सिटी के पोर्टल पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं ।   अंतिम तिथि के बाद विश्वविद्यालय विभिन्न कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया के लिए मेरिट जारी करेगा । जो छात्र जिस महाविद्यालय में अपनी पहली वरीयता भरेगा उसी महाविद्यालय में सीट होने पर उसे प्राथमिकता के साथ प्रवेश का मौका दिया जाएगा , लेकिन यदि वह उस महाविद्यालय की मेरिट लिस्ट में नहीं आता, तब उसे किसी दूसरे महाविद्यालय की मेरिट के अनुसार प्रवेश दिया जाएगा। बागपत जिले में राजकीय सहायता प्राप्त तथा  स्वावित्व पोषित प्रकार के अनेक कॉलेज हैं।   जिले में जनता वैदिक कॉलेज बड़ौत, जैन कॉलेज बड़ौत तथा महामना मालवीय डिग्री कॉलेज खेकड़ा , राज्य सरकार से सहाय्यित हैं। इन महाविद्यालय में प्रवेश के लिए सदैव मारामारी रहती है तथा विद्यार्थी प्रथम वरीयता इन्हीं महाविद्यालयों में देते हैं। वहीं खेकड़ा क्षेत्र में एकमात्र सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालय महामना मालवीय महाविद्यालय खेकड़ा मेंं बीए संकाय में 346 सीटें तथा बीएससी पीसीएम में 80 सीटें हैं बीए में । महाविद्यालय में ज्योग्राफी इकोनॉमिक्स संस्कृत, हिंदी इंग्लिश इतिहास पॉलिटिकल साइंस व फिजिकल एजुकेशन इत्यादि विषय हैं।  महाविद्यालय में युवाओं के आकर्षण, रोजगारपरक के साथ ही देशसेवा का जज्बा जागृत करने वाली एनसीसी,  एनएसएस तथा स्काउटिंग भी हैं।    खेकडा के महामना मालवीय कालेज प्रबंधन ने कहा कि, ऐसे छात्र-छात्राएं जिन्होंने अभी तक प्रवेश के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, वह स्वयं के मोबाइल से या साइबर कैफे पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन जरूर कराएं अन्यथा इस वर्ष में स्नातक कक्षाओं में प्रवेश से वंचित रह जाएंगे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

Ujjwal Times News

Jul 2, 2024