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अगेती धान से बदल रही किसानों की किस्म ,अप्रैल- मई में रोपाई , तो जुलाई में फसल तैयार!

खेकड़ा,09 मई 2024  (यूटीएन)। किसान अगेती धान की फसल लगाकर दोगुना मुनाफा कमाने में जुटे है। क्षेत्र में गेहूं कटाई के साथ ही साठा धान लगाने का क्रम शुरू हो गया है। हालांकि अधिक सिंचाई मांगने वाली साठा धान से कृषि वैज्ञानिक सहमत नही है। क्षेत्र में इन दिनों अनेक किसान अगेती धान की रोपाई में जुटे है। अप्रैल मई में रोपाई कर साठ दिन में जुलाई में फसल तैयार होकर काट ली जाती है। फिर से अगस्त में नई रोपाई के लिए खेत तैयार कर लेते हैं। इससे अगेती धान बोकर दो फसल लेना किसान के लिए वरदान बना हुआ है। साठ दिन में तैयार होने वाली गर्मी के मौसम की धान को किसान साठा धान के नाम से जाशते हैं।    हालांकि इस फसल को किसान बहुत कम लगाते हैं, क्योंकि इस फसल को लगाना एक चुनौती भरा है। किसान ब्रहम यादव, गजेन्द्र आदि ने बताया कि अगेती साठा धान मुनाफे के सौदा है। लेकिन इसकी रोपाई और कटाई दोनों में मुश्किलें आती हैं। अप्रैल में बीज की बुआई होती है। मई के शुरू में लगाते हैं। साठ दिन बाद जुलाई के अंत में काट लेते है। फिर अगस्त में दोबारा धान रोपाई की तैयारी हो जाती है। ऐसे में एक खेत में दो बार धान की फसल तैयार हो जाती है। इससे किसानों को अच्छी खासी आमदनी भी हो जाती है।   *क्या बोले कृषि वैज्ञानिक*   कृषि विज्ञान केन्द्र के सस्य वैज्ञानिक डा विकास मलिक ने बताया कि, साठा धान फायदे का सौदा तो है, सबकुछ सही तो एक खेत में दो बार फसल लेकर दोगुना मुनाफा होता है, लेकिन इसको लगाने की मेहनत भी बहुत है। सबसे पहले तो गर्मी को देखते हुए यह सर्द मौसम की धान के मुकाबले अधिक सिंचाई मांगती है।   दूसरे कीट नियंत्रण सही ना होने और तुरंत बाद अगली फसल लेने से उन कीटो को अनुकूल माहौल मिल जाता है ,जिससे फसल बर्बाद होने का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में सरकार की ओर से किसानों को साठा धान की रोपाई की लाभ हानि बता दी जाती है।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 9, 2024

दो दिन से मृत गौ माता के अंतिम संस्कार को नहीं आया कोई गौभक्त,उठती दुर्गंध से यात्री परेशान

छपरौली,09 मई 2024  (यूटीएन)। क्षेत्र के लूम्ब गांव में टाडा- रमाल रोड पर एक गौमाता कूड़े के ढे पर विगत दो दिन से मृत पड़ी हुई है, लेकिन अभी तक कोई धर्म रक्षक उसके अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आया। इसबीच आवागमन कर रहे लोगों को उसमें से भयंकर बदबू परेशान करने लगी है । आने जाने वाले बड़ी मुश्किल से मुंह पर हाथ या नाक पर कपड़ा रखकर भागते हुए वहां से निकल रहे हैं । इस सबके बावजूद कोई भी उसको रोड किनारे से हटाने या अंतिम संस्कार के लिए आगे आने वाला नहीं मिल पाया है।   उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गोवंशों के रहने के लिए गौशाला बनवा रखी हैं, फिर भी गोवंश खुले आसमान में रहने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि  योगी सरकार  गोवंशो पर काफी पैसा खर्च कर रही है ,फिर भी इनकी व्यवस्था नहीं सुधर रही है । प्रदेश सरकार द्वारा गोवंश के लिए इतना पैसा खर्च किया जा रहा है फिर भी आए दिन कहीं ना कहीं रोड पर गाड़ियों से लड़खड़ाकर गोवंश मर रहे हैं कभी-कभी तो बाइक सवार भी दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।   अधिकारी भी इसको नजरअंदाज करते रहते हैं। ऐसा नहीं है कि अधिकारी उस रोड से नहीं गुजरते जहां मृत गोवंश पड़े रहते हैं लेकिनसब अधिकारी देखने के बाद भी पता नहीं क्यों इसे नजरअंदाज कर देते हैं।    गौशाला होने के बावजूद भी यह गोवंश खेतों व रोड पर खुलेआम घूमते रहते हैं यह कभी किसी भी रोड पर चलने वाले मनुष्य पर जानलेवा हमला भी कर देते हैं और कभी कोई वाहन भी इनको टक्कर मार कर फरार हो जाते हैं,लेकिन इस समस्या का समाधान फिर भी नहीं हो पा रहा है।    ऐसा ही एक मामला क्षेत्र के लूम्ब गांव का है, जहां पर टांडा- रमाला रोड पर स्थित अल्पाइन पब्लिक स्कूल के सामने कूड़े के ढेर पर एक मृत गाय दो दिन से पड़ी है।गाय को आवारा कुत्ते नोच नोच कर खा रहे हैं ,जिसमें से इतनी बदबू आ रही है कि स्कूल के बच्चों के साथ-साथ वहां से गुजरने वाले राहगीरों का निकलना भी बडा  मुश्किल हो रहा है।    मनोज , गौतम, मनीष, प्रदीप आदि ग्रामीणों ने बताया कि ,मृत पड़ी गाय की जानकारी कई बार अधिकारियों को दी, लेकिन किसी ने भी कोई सुनवाई नहीं की।इस बारे में ग्राम प्रधान बहादुर सिंह ने बताया कि, मामला जानकारी में नहीं था,जल्द ही मृत पड़ी गाय को जेसीबी मशीन से गड्ढा खुदवा कर अंतिम संस्कार करा दिया जाएगा।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 9, 2024

जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में बाढ़ स्टीयरिंग ग्रुप की तैयारियों के संबंध में बैठक संपन्न हुई

मथुरा,09 मई 2024  (यूटीएन)। जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में बाढ़ स्टीयरिंग ग्रुप की तैयारियों के संबंध में बैठक संपन्न हुई। जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता नहर, उप जिलाधिकारी मांट, महावन, सदर तथा छाता से विगत वर्षो का बाढ़ के दृष्टिगत यमुना के अधिकतम व न्यूनतम जल स्तर का तुलात्मक जानकारी लेते हुए विगत वर्षो में की गयी तैयारियों व प्रभाव क्षेत्र की जानकारी ली। मुख्य विकास अधिकारी ने अधिशासी अभियंता को निर्देश दिए कि बरसात से पहले सभी नालों की साफ सफाई कराना सुनिश्चित करे। जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी के बिना अनुमति के कोई भुगतान न हो पाए ये सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी ने देवरहा बाबा, केशीघाट, विश्राम घाट सहित यमुना नदी के किनारों की सुरक्षा से सम्बन्धित विभिन्न बिन्दुओं पर समीक्षा किया। जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता नहर को निर्देश दिए कि यमुना में बाढ़ की सम्भावना के दृष्टिगत आपस में सभी अधिकारियों से संपर्क करते रहें। उप जिलाधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि बाढ़ व्यवस्था को नियंत्रित रखने में किसी प्रकार की कोई भी कमी नहीं होनी चाहिए। राहत सामग्री आदि व्यवस्थाएं स्थानीय स्तर पर पूर्ण कराना सुनिश्चित करें। बाढ़ क्षेत्र के आस-पास वाले स्थान को भी चयनित कर लिया जाए। बाढ़ से जुड़े सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित रहे, इसके लिए भी स्थानीय स्तर पर समर सेबल पंप, वॉटर टैंकर आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करें। जहां नाव लगेगी वहां से शहर या गांव में जाने का रास्ता ठीक होना चाहिए। अगर ठीक नहीं है तो ठीक करा दिए जाएं, जिससे आवागमन बाधित न हो।  वैकल्पिक व्यवस्था में भवन जनरेटर व सोलर लाइट आदि की व्यवस्था पहले सुनिश्चित करें। नाव संचालकों की एक लिस्ट होनी चाहिए, जिससे आवश्यकता पड़ने पर नाव की व्यवस्था हो सके। बाढ़ नियंत्रण कक्ष गोताखोर भी चिन्हित कर लिए जाए।  जिला स्तर पर कन्ट्रोल रूम स्थापित किया जाए। नहर से कनेक्ट सभी तालाबों को पानी से भरा जाए। तालाब के लिए जाने वाले नालों की साफ सफाई पहले से ही रखी जाए। कृषि विभाग अपने स्तर से कृषि संबंधी सभी कार्य योजना बना लें, जिससे कृषकों को कोई परेशानी न हो सके।  बैठक में मुख्य विकास अधिकारी मनीष मीना, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व योगानंद पांडेय, अधिशासी अभियंता विकास कुमार, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रिंकू सिंह राही सहित सभी उप जिलाधिकारी मौजूद रहे।

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May 9, 2024

कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में, अब 15 मई को होगी सुनवाई होगी

मथुरा, 09 मई 2024  (यूटीएन)।  कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हिंदू पक्ष की ओर से रीना एन. सिंह ने मंगलवार को दलील दी कि किसी भी संपत्ति पर अतिक्रमण करना, उसकी प्रकृति बदलना और बिना स्वामित्व के उसे अपनी संपत्ति बताना वक्फ का चरित्र रहा है.  इस व्यवस्था की अनुमति नहीं दी जा सकती है। वाद की पोषणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति उठाते हुए मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि 1968 में एक समझौते के तहत यह संपत्ति उनके पक्ष में आई, लेकिन उस समझौते में स्वामी पक्षकार नहीं था।  संपत्ति का स्वामी देवता हैं, लेकिन देवता को पक्षकार नहीं बनाया गया। पूजा स्थल अधिनियम और वक्फ अधिनियम के प्रावधान यहां लागू नहीं होते और यह वाद पोषणीय (सुनवाई योग्य) है। गैर पोषणीयता के संबंध में अर्जी पर साक्ष्यों को देखने के बाद ही निर्णय किया जा सकता है। इस मामले में सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत द्वारा की जा रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में  बहस पूरी हो गई है। अब 15 मई को सुबह 11.30 बजे होगी मामले की सुनवाई होगी । अगली सुनवाई में हिंदू पक्ष बची हुई दलीलें पेश करेगा। मंगलवार की सुनवाई में हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में सिविल वाद को एक्सप्लेन किया गया। दलील दी गई है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद का अवैध कब्जा चला आ रहा है। जमीन पर मस्जिद का कोई विधिक अधिकार नहीं है। कोर्ट में कहा गया कि साल 1669 से लगातार चली आ रही नमाज श्रद्धालुओं की आस्था पर चोट है। महिला अधिवक्ता रीना सिंह ने मंदिर पक्ष की तरफ से आने लाइन पक्ष रखा.कहा गया कि मंदिर तोड़कर उसी की दीवार पर मस्जिद बनाईं गई है। वक्फ बोर्ड ने बिना स्वामित्व के वक्फ संपत्ति घोषित किया है। दलील में पूछा गया कि क्या प्रक्रिया अपनाई गई कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया जा रहा कि किस प्रक्रिया व कानून के तहत वक्फ घोषित किया गया? दलील दी जा रही है कि ए एस आई ने नजूल भूमि कहा है इसलिए इसे वक्फ संपत्ति नहीं घोषित कर सकते हैं। संपत्ति पर विरोधी पक्ष को कोई हक नहीं है विवादित स्थल ऐतिहासिक धरोहर घोषित है।राष्ट्रीय महत्व की है, वाद भी राष्ट्रीय महत्व का होगा। कोर्ट में कहा गया कि संरक्षित क्षेत्र में किसी को  केंद्र सरकार की अनुमति बगैर किसी प्रकार का निर्माण करने का अधिकार नहीं है। दो पक्षों में इससे पहले हुए समझौते का संपत्ति अधिकार से कोई सरोकार नहीं है. समझौता संपत्ति के स्वामी के साथ नहीं किया गया है इसलिए समझौते का कोई मतलब नहीं है। दावा किया गया कि योगिनी माता मंदिर स्थल पर शाही ईदगाह मस्जिद है. दलील दी गई है भवन वास्तव में मस्जिद नहीं है और 15 वीं सदी में मस्जिद का ऐसा स्ट्रक्चर नहीं होता था। कोर्ट में कहा गया कि  हिंदू मंदिर पर कब्जा कर मस्जिद का रूप दिया गया। बज्रनाभ भगवान कृष्ण के प्रपौत्र ने मंदिर बनवायाऔर चार बीघा जमीन में मंदिर केशव देव‌ मंदिर का निर्माण हुआ। पहले परिक्रमा होती थी, मंदिर ध्वस्त किया गया. कोर्ट में कहा गया कि विष्णु पुराण कहता है कृष्ण के जाने के बाद कलियुग शुरू हुआ।मुस्लिम पक्ष ने क्या कहा? मुस्लिम पक्ष ने इन याचिकाओं की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए इन्हें खारिज किए जाने की अपील की है। अदालत में अभी मुकदमों की पोषणीयता पर ही बहस चल रही है। मुस्लिम पक्ष ने ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत याचिकाओं की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए इन्हें खारिज किए जाने की मांग की है।मुस्लिम पक्ष ने मुख्य रूप से प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील पेश की है।  हिंदू पक्ष की याचिकाओं में शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं की बताकर वहां पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की गई है। इससे पूर्व, दो मई को, हिंदू पक्ष की ओर से दलील दी गई थी कि पूजा स्थल कानून, 1991 के प्रावधान इस मामले में लागू नहीं होंगे क्योंकि इस कानून में धार्मिक चरित्र परिभाषित नहीं किया गया है। उसने कहा कि किसी स्थान या ढांचे का धार्मिक चरित्र केवल साक्ष्य से ही निर्धारित किया जा सकता है जिसे दीवानी अदालत द्वारा ही तय किया जा सकता है।

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May 9, 2024

राजस्थान में स्थित आईआईएचएमआर फाउंडेशन की एक प्रमुख इकाई ने हाल में सामर्थ्य 2.O: 'एन एक्सक्लूसिव ग्रोथ इनक्यूबेशन प्रोग्राम' लॉन्च किया

जयपुर, 07 मई 2024  (यूटीएन)। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के स्वास्थ्य देखभाल पर केंद्रित आईआईएचएमआर स्टार्ट-अप्स जयपुर, राजस्थान में स्थित आईआईएचएमआर फाउंडेशन की एक प्रमुख इकाई ने हाल में सामर्थ्य 2.O: 'एन एक्सक्लूसिव ग्रोथ इनक्यूबेशन प्रोग्राम' लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य पोस्ट—एमवीपी के बाद स्टार्ट-अप का समर्थन करने या उनके विकास पथ के साथ राजस्व जुटाने में योगदान करना है। दूसरे संस्करण में 15 अत्यधिक नवीन स्टार्ट-अप को मान्यता दी गई, जो सामर्थ्य 1 की तुलना में लगभग 114% की वृद्धि दर्शाता है। चयनित स्टार्ट-अप को इनक्यूबेशन कार्यक्रम के पूरा होने के बाद प्रदान की जाने वाली 15 लाख तक की वित्तीय सहायता से लाभ होगा। आईआईएचएमआर स्टार्ट-अप्स द्वारा बड़े स्तर पर इनक्यूबेशन समर्थन उपलब्ध करवाया जाता है, जिसमें ध्यान जीतने, स्वास्थ्य सेवा और व्यावसायिक ज्ञान बढ़ाने, क्लाइंट कनेक्ट, फंडिंग और आईआईएचएमआर के सहायक नेटवर्क तक पहुंचने पर मार्गदर्शन शामिल है, जिसे संगठन ने अपने अस्तित्व के 40 वर्षों में हासिल किया है। उल्लेखनीय रूप से, पूरे भारत से 200 से अधिक महत्वाकांक्षी स्टार्ट-अप ने इनक्यूबेशन समर्थन के लिए आवेदन किया था। कार्यक्रम ने एप्लीकेशन की एक विविध शृंखला को लुभाया, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल में तकनीकी-आधारित नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करने वाले उद्यम, स्वास्थ्य देखभाल के लिए एसएएएस-आधारित समाधान, स्वास्थ्य देखभाल में एआर/वीआर अनुप्रयोग, स्वास्थ्य देखभाल में फिनटेक समाधान, मानसिक स्वास्थ्य के लिए वियरेकबल गैजेट और विभिन्न अन्य डोमेन शामिल हैं। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट डॉ. पी आर सोडानी ने अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य सेवा अग्रदूतों को प्रोत्साहित करने में कार्यक्रम के महत्व पर जोर देते हुए कहा, 'हम सामर्थ्य 2.0 लॉन्च करते हुए इन दूर तक की सोच रखने वाले स्टार्टअप निर्माताओं को सशक्त बनाते हुए रोमांचित हैं। ये ऐसे स्टार्टअप हैं, जो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को नया आकार दे रहे हैं। निरंतर बदलते माहौल के बीच ऐसे आविष्कारशील स्टार्ट-अप का समर्थन करने से देश को स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में महत्वपूर्ण कमियों से निपटने के लिए सशक्त बनाया जा सकेगा।  आईआईएचएमआर स्टार्ट-अप्स ने अब तक 53 नए उद्यमों को सहायता प्रदान की है, जो स्वास्थ्य देखभाल इकोसिस्टम में नवाचार को बढ़ावा देने और सभी के लिए मजबूत आधार बनाने के लिए आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।" स्टार्ट-अप्स ने प्रभावशाली समाधानों की एक विस्तृत शृंखला प्रस्तुत की, जिसमें भारत के दूरदराज के क्षेत्रों के लिए सस्ती डायग्नोस्टिक सेवाओं से लेकर आंखों के उपचार के लिए अत्याधुनिक एआर/वीआर तकनीक और कार्डियोलॉजी में उन्नत एआई-संचालित डायग्नोस्टिक्स, स्मार्ट गर्भावस्था देखभाल और बच्चों में कान से संबंधित समस्याओं का पता लगाने जैसे उपाय शामिल हैं। इसलिए, बहुत सोचसमझ कर तैयार की गई चयन प्रक्रिया के बाद, सबसे अधिक उम्मीद जगाने वाले स्टार्ट-अप को फाइनल पिचिंग राउंड में भाग लेने के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। चार दिनों तक चले फाइनल पिचिंग राउंड के दौरान एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल ने स्टार्ट-अप का सख्ती से मूल्यांकन किया। भाग लेने वाले स्टार्ट-अप की क्षमता और विविधता वास्तव में असाधारण थी, जो महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों के लिए अभिनव समाधान प्रदर्शित कर रही थी। आईआईएचएमआर स्टार्ट-अप्स के सीईओ पुनीत दत्ता ने दूरदर्शी उद्यमियों का समर्थन करने में उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, 'आईआईएचएमआर स्टार्ट-अप्स के माध्यम से इस उभरती शक्ति का समर्थन करने की आईआईएचएमआर फाउंडेशन की यह पहल बहुत महत्वपूर्ण है। यह पहल स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रभावशाली सकारात्मक बदलाव लाने के यूनिवर्सिटी के मिशन के अनुकूल है। मैं डॉ. पी आर सोडानी और आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के पूरे स्टाफ के मजबूत प्रयासों के लिए आभार व्यक्त करता हूं।

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May 7, 2024

Nidhi Parmar Hiranandani Carving Her Own Path in Bollywood Production!

Mumbai- 07 May 2024 (UTN). Nidhi Parmar Hiranandani's journey in Bollywood production epitomizes the essence of carving one's own path amidst the challenges of the industry. As the producer behind Chalk N Cheese Films Production LLP, she has not only delivered compelling narratives but is also part of a new era in Bollywood, having navigated the complex landscape of Bollywood production without any prior connections or insider knowledge.   Through films like "Saand Ki Aankh" and the upcoming "Srikanth - Aa Raha Hai Sabki Aankhein Kholne," the producer has demonstrated a keen eye for compelling content and a commitment to bringing important stories to the forefront. Her emphasis on budgeting and sticking to financial targets showcases her pragmatic approach to production, ensuring that her films not only resonate with audiences but also make economic sense in an industry driven by both artistry and commerce.   Says Nidhi Parmar Hiranandani, “I'm not a crusader. I’m busy making my own way. It’s a tough industry to crack.  I have only one strategy and that is to make good cinema. I want chalk n cheese to be synonymous with a great experience in the theatre and be a big enough name to draw people in. Every film we make might not land but it should always be an effort to present something important or interesting."   Nidhi's partnership with Tushar Hiranandani, her husband and co-founder of Chalk N Cheese Films, exemplifies a shared vision for creating impactful cinema. Together, they prioritize subjects that are not only important but also interesting, striving to present narratives that leave a lasting impression on viewers.   Through perseverance, creativity, and a steadfast commitment to quality, Nidhi Hiranandani is not only part of those shaping the future of Bollywood but also redefining what it means to succeed in an industry as dynamic and competitive as filmmaking.   Mumbai-Reporter,( Hitesh Jain ).    

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May 7, 2024

Anupamaa Producer Rajan Shahi Extends Support to Rupali Ganguly in Political Endeavor

Mumbai- 07 May 2024 (UTN). Actress Rupali Ganguly, known for her role in 'Anupamaa', has entered the realm of politics by joining the Bharatiya Janta Party (BJP). The news was confirmed by the actress during a press conference on Wednesday, held at the party's headquarters in New Delhi.    In response to Ganguly's decision, 'Anupamaa' producer Rajan Shahi expressed his support and congratulations. He praised Ganguly as "very hardworking and dedicated" and assured her of the production house's backing in her new political journey. Shahi also encouraged Ganguly to draw inspiration from the path taken by actor-turned-politician Smriti Irani.   Rajan Shahi said , "I’m extremely proud of the fact that Rupali joined BJP. She is a very hardworking and dedicated person. She’s a good soul and we need people like her to join active politics.   Knowing the fact that she is so dedicated, she will work really hard and the kind of impact she has as Anupamaa, she will use it to her advantage. I know she will do really well .'' He further remarked, ''Smriti Irani ji has already made all of us proud when she joined BJP. She should take inspiration from that. Rupali is very committed to her work so I don’t see any problem. We are there to support her in all endeavours, he ends”.   Mumbai-Reporter,( Hitesh Jain ).

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May 7, 2024

इन समयों में, लंबे पारिवारिक अवकाश के बारे में सोचना भी लगभग असंभव है: हेरुंब खोट

मुंबई- 07 मई 2024 (UTN)। मशहूर निर्माता हेरुंब खोट, जिन्होंने नीलांजना पुरकायस्थ के साथ इनविक्टस टी मीडियावर्क्स की सह-स्थापना की, को लगता है कि ब्रेक लेना बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि, उनका मानना है कि मौजूदा समय में हर किसी के लिए लंबी छुट्टियां लेना संभव नहीं है।   “इस समय में दिनचर्या से छुट्टी लेना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन जहां चाह है, वहां राह है। ब्रेक में निचोड़ना बहुत आसान है। एक अच्छा ब्रेक ताज़ा और प्रभावी ढंग से व्यथित होता है। हम भूल गए हैं कि हम इंसान हैं, मशीन नहीं।''   “गर्मियों में छुट्टी लेते समय हमारी पिछली पीढ़ियों ने कुछ सही किया था। मुझे लगता है कि उस समय में माता-पिता के साथ छुट्टी लेना आसान होता था। हाँ, ये तो अभी बचपन की बात है. लेकिन इन समयों में, लंबे पारिवारिक ब्रेक के बारे में सोचना भी लगभग असंभव है, ”उन्होंने कहा।   हेरुंब ने उल्लेख किया कि, हालांकि उनका काम प्राथमिकता है, लेकिन ब्रेक उनके लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि वह नियमित रूप से ब्रेक लेते हैं और आगे कहा, “मैं काम के लिए नीचे गाड़ी चलाने या सवारी करने का ध्यान रखता हूं। तो या तो यह उत्तर या दक्षिण है जहां मैं काम के लिए यात्रा करता हूं; मैं हवाई यात्रा करने के बजाय गाड़ी चलाता हूं और पूरा दिन खाली रखता हूं, इसलिए यह एक तरह का ब्रेक बन जाता है।   और इस दौरान गैजेट्स से ब्रेक लेना कितना ज़रूरी है? “मुझे लगता है कि ब्रेक पूर्ण और सम्पूर्ण होना चाहिए। यह हमें ब्रह्मांड से जुड़ने में मदद करता है। लेकिन हमारे व्यस्त कार्य शेड्यूल में, यह कठिन है, इसलिए मैं सुबह और शाम को एक विशेष समय निर्धारित करता हूं जब मैं फोन पर उपलब्ध रहता हूं; बाकी, मैं अपना फोन दूर रखता हूं,'' हेरुम्ब ने बात समाप्त की।   मुंबई-रिपोर्टर,(हितेश जैन)।

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May 7, 2024

अपनी मानसिक दृढ़ता को बरकरार रखने के लिए ध्यान जैसी माइंडफुलनेस प्रथाओं पर बहुत अधिक भरोसा करता हूं: रात की शूटिंग पर अनुज कोहली

मुंबई- 07 मई 2024 (UTN)। अनुज कोहली, जिन्हें रवींद्र गौतम और रघुवीर शेखावत की दहेज दासी में सारांश के रूप में देखा जाता है, जो उनके बैनर दो दूनी 4 फिल्म्स के तहत निर्मित है, का कहना है कि उन्हें दिन के दौरान शूटिंग करने में मजा आता है। लेकिन एक अभिनेता होने के नाते, वह जानते हैं कि काम के साथ-साथ कभी-कभार रात की शूटिंग भी होती है और उस समय ध्यान उनके बचाव में आता है।   “हालाँकि कुछ लोग चाँद की चमक के नीचे पनप सकते हैं, मुझे स्वीकार करना होगा, मैं दिन के उजाले का व्यक्ति हूँ। सूरज की गर्मी में कुछ ऐसा है जो मेरी रचनात्मकता और उत्पादकता को बढ़ावा देता है। फिर भी, जब ड्यूटी के लिए रात्रि विश्राम की आवश्यकता होती है, तो मैं अपनी मानसिक दृढ़ता को बरकरार रखने के लिए ध्यान जैसी सचेतन प्रथाओं पर बहुत अधिक भरोसा करता हूं। इसमें कोई संदेह नहीं है, यह एक नाजुक संतुलन है, लेकिन हम अभिनेता लचीलेपन और हास्य के स्पर्श के साथ इसे अपनाते हैं, ”उन्होंने कहा।   वह स्वीकार करते हैं कि अभिनेता बनना एक पूर्णकालिक नौकरी है और इसका मतलब लंबे समय तक छुट्टियों के बिना रहना हो सकता है, लेकिन उनका कहना है कि चूंकि वह सहायक भूमिका निभा रहे हैं, इसलिए वह अपना समय अपने परिवार और दोस्तों के साथ बिता पाते हैं।   “व्यक्तिगत जीवन की झलक बनाए रखते हुए डेली सोप शेड्यूल की कठोरता को संभालना वास्तव में काफी कठिन कार्य हो सकता है, क्या आप सहमत नहीं हैं? इस दुनिया में डूबे एक अभिनेता के रूप में, मैंने पाया है कि हालांकि यह किसी के लिए पार्क में टहलना नहीं है, लेकिन तीव्रता अलग-अलग होती है, ”उन्होंने कहा।   “सहायक भूमिका में एक किरदार के रूप में, मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे हर महीने पूरे समय सेट से बंधा नहीं रहना पड़ता। इससे मुझे शूटिंग शेड्यूल की व्यस्तता के बीच अपने और अपने प्रियजनों के लिए अनमोल पल निकालने का मौका मिलता है। अनुज ने यह भी बताया कि सोप ओपेरा का दैनिक प्रदर्शन कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है, खासकर जब गर्मी की प्रचंड गर्मी के साथ जुड़ा हो। उन्होंने आगे कहा, “भौतिक क्षति निर्विवाद है, जो दूर-दराज के स्थानों पर लगातार आने-जाने की तार्किक चुनौतियों से जुड़ी है। बाधाओं के बावजूद, हम शिल्प के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और सम्मोहक प्रदर्शन देने की संतुष्टि के कारण आगे बढ़ते हैं।   मुंबई-रिपोर्टर,(हितेश जैन)।

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May 7, 2024

आयुष गुप्ता बॉलीवुड फिल्मों से प्रेरित होकर आध्यात्मिक वीडियो बनाएंगे

मुंबई- 07 मई 2024 (UTN)। आध्यात्मिक नेता - रेकी हीलर, अंकशास्त्री और टैरो कार्ड रीडर आयुष गुप्ता कहते हैं, भारतीय बॉलीवुड फिल्मों के दीवाने हैं और संदेश फैलाने का इससे बेहतर कोई माध्यम नहीं है। आयुष बॉलीवुड फिल्मों पर आध्यात्मिक वीडियो बनाएंगे और इस बारे में बात करेंगे कि हम कहानी से क्या सीख सकते हैं। ये वीडियो इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए जाएंगे । आज की दुनिया में, किसी फिल्म की गुणवत्ता, उसकी कहानी और अभिनेताओं के प्रदर्शन पर अक्सर चर्चा की जाती है। लोग फिल्मों के बारे में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की राय साझा करते हैं। कोई भी फिल्म अच्छी हो या बुरी, उसकी कहानी हमें कुछ न कुछ सिखाती है, यही बात मेरे मन में आई। फिल्में हमें विभिन्न तरीकों से प्रभावित करती हैं, हमारी हेयर स्टाइल और विचारधारा को आकार देती हैं। इसलिए, मैंने यह पता लगाने के बारे में सोचा कि हम कुछ फिल्मों से आध्यात्मिक रूप से कौन से सकारात्मक सबक सीख सकते हैं, जो जीवन पर एक नया और आशावादी दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, ”वे कहते हैं।   उन फिल्मों के बारे में बात करते हुए जिन पर वह पहले ही वीडियो बना चुके हैं, वे कहते हैं, “हम पहले ही मुन्ना भाई एमबीबीएस, 12वीं फेल और जिंदगी ना मिलेगी दोबारा जैसी प्रतिष्ठित फिल्मों के लिए वीडियो बना चुके हैं, और हम वर्तमान में और अधिक आगामी फिल्मों पर काम कर रहे हैं। यह विचार सिर्फ मनोरंजन के बारे में नहीं है बल्कि यह पता लगाना है कि लोग इन फिल्मों से क्या सबक सीख सकते हैं। हम चाहते हैं कि दर्शक मूल्यवान अंतर्दृष्टि खोजने की मानसिकता के साथ देखें जो उनके जीवन में मदद कर सकती है। यह केवल व्यापक मनोरंजन पहलू के बारे में नहीं है; फ़िल्में कभी-कभी सार्थक निष्कर्ष प्रस्तुत कर सकती हैं। हमारा लक्ष्य न केवल मौजूदा रिलीज को कवर करना है, बल्कि 90 और 20 के दशक की फिल्मों के सार और मुख्य संदेशों को भी शामिल करना है, जिन्हें इन फिल्मों ने उस समय इतनी खूबसूरती से चित्रित किया था।   वह आगे कहते हैं, “भारत में फिल्मों को लेकर जबरदस्त क्रेज है और लोग शिद्दत से उनसे जुड़ते हैं। लोग फिल्मी सितारों से प्रेरणा लेते हैं, उनका अनुकरण करने का प्रयास करते हैं, दृश्यों को दोबारा निभाते हैं, या मजबूत पात्रों में सांत्वना पाते हैं जो उनकी अपनी जीवन यात्रा से मेल खाते हैं। फिल्मों से यह गहरा संबंध और जुड़ाव एक शक्तिशाली प्रभाव डालता है, जो लोगों को विभिन्न तरीकों से प्रेरित करता है। इसे पहचानते हुए, हमने अद्वितीय और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध अंतर्दृष्टि का परिचय देते हुए, फिल्मों द्वारा बताई गई बातों से परे सबक प्रदान करने का निर्णय लिया। एक आध्यात्मिक नेता और खुद एक फिल्म प्रेमी के रूप में, मैं इसे फिल्मों में दिखाए गए संदेशों के साथ अपनी विशिष्ट दृष्टि को संरेखित करते हुए, दूसरों के साथ कुछ सार्थक सीखने और साझा करने का एक शानदार अवसर के रूप में देखता हूं।   वह इन फिल्मों का चयन कैसे करेंगे, इस बारे में बात करते हुए वह कहते हैं, 'आज के दौर में हर कोई फिल्म समीक्षक बन गया है। मुझे लगता है कि भले ही कोई फिल्म उतनी अच्छी न हो, आप कहानी से बहुत कुछ सीख सकते हैं। हमें फिल्मों को भी उस नजरिए से देखना चाहिए।' अगर आप मुन्ना भाई एमबीबीएस, 12वीं फेल और जिंदगी ना मिलेगी दोबारा जैसी फिल्मों को देखें, तो इन फिल्मों से सीखने के लिए बहुत कुछ है और हम उन फिल्मों से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं, जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। मुझे लगता है कि जब कोई फिल्म देख रहा होता है, तो मनोरंजन के अलावा, वह यह भी देख सकता है कि वह फिल्म से क्या सीख सकता है। जहां तक वीडियो की बात है, हम 90 के दशक में बनी फिल्मों को भी कवर करने पर विचार कर रहे हैं। ये फ़िल्में जिन विषयों पर बनीं वो बेहद मनोरंजक होने के साथ-साथ मनमोहक भी थे. हम बॉलीवुड फिल्मों के इतने दीवाने हैं कि मुझे यकीन है कि लोग इन वीडियो से बहुत कुछ सीखेंगे। हम इन फिल्मों के आध्यात्मिक पहलू पर ध्यान केंद्रित करेंगे और इस बारे में बात करेंगे कि वे क्या कहना चाहते हैं।   मुंबई-रिपोर्टर,(हितेश जैन)।

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