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साइबर क्राइम:अब तक 6 लाख से ज्यादा सिम और एक लाख से ज्यादा मोबाइल किए ब्लॉक

नई दिल्ली, 20 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। डिजिटल युग में पूरा विश्व इस समय साइबर अपराध से जूझ रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है. ऐसे में साइबर अपराधों से निपटने के लिए भारत सरकार कड़े कदम उठा रही है. राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में भारत सरकार ने जानकारी दी कि इस साल नवंबर तक सरकार ने 6 लाख 69 हजार से ज्यादा सिम कार्ड ब्लॉक किए हैं. सिम कार्ड के अलावा सरकार ने नवंबर तक 1 लाख 32 हजार से ज्यादा मोबाइल फोन को भी ब्लॉक किया है, जो साइबर अपराधों में शामिल थे.   *टेलीकॉम कंपनियों के साथ मिलकर सरकार कर रही कर्रवाई* महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सवित्री ठाकुर ने राज्यसभा में बताया कि साइबर अपराधों में शामिल सिम कार्ड और मोबाइल फोन ब्लॉक करने के अलावा फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल्स को रोकने के लिए भी सरकार टेलीकॉम कंपनियों के साथ मिलकर कार्रवाई कर रही है. उन्होंने बताया कि ऐसी कॉल्स, जो भारत से आती हुई प्रतीत होती हैं, लेकिन असल में अंतरराष्ट्रीय हैं, उन्हें अब ब्लॉक की जा रही हैं. केंद्र सरकार साइबर अपराध से निपटने और कानून प्रवर्तन एजेंसी की क्षमता को मजबूत करने के लिए भी ठोस कदम उठा रही है.   केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि साइबर अपराधों से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने सीवाई ट्रेन नामक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जो पुलिस और न्यायिक अधिकारियों को साइबर अपराध की जांच, फॉरेंसिक और अभियोजन से जुड़े आधुनिक कौशल सिखाता है.    *पुलिस को दी जा रही स्पेशल ट्रेनिंग* केंद्र सरकार के मुताबिक अब तक 98 हजार 698 से अधिक पुलिस अधिकारी ट्रेनिंग में शामिल हो चुके हैं और 75 हजार 591 को ट्रेनिंग पूरी होने पर प्रमाणपत्र भी दिए गए हैं. केंद्र सरकार के मुताबिक निर्भया फंड के तहत महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साइबर अपराध की रोकथाम योजना के जरिए 131.60 करोड़ रुपये की सहायता भी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रदान की है, जिससे देशभर में 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फॉरेंसिक और प्रशिक्षण लैब स्थापित की गई हैं। साथ ही अब तक 24 हजार 600 से अधिक पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध जागरूकता, जांच और फॉरेंसिक में प्रशिक्षित किया जा चुका है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Dec 20, 2024

मेट्रो में अफसर और 20 लाख का पैकेज... एक कहानी से फंसी 100 महिलाएं

नई दिल्ली, 19 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। दिल्ली मेट्रो में सीनियर ऑफिसर हूं। सालाना पैकेज भी 15 से 20 लाख का है। सबकुछ है, लेकिन एक ऐसे जीवनसाथी की तलाश में हूं, जिसके साथ सुकून से जिंदगी गुजार सकूं। वेस्ट दिल्ली के हरि नगर इलाके में रहने वाली चित्रा (बदला हुआ नाम) ने जब मनोज की ये बातें सुनीं, तो लगा कि अब उसकी तलाश खत्म हो गई है। अपनी शादी के लिए जैसा लड़का वो तलाश रही थी, मनोज बिल्कुल वैसा ही था। दोनों की मुलाकात एक मैट्रिमोनियल वेबसाइट पर हुई और इसके बाद फोन पर बातें होने लगीं। बातों का सिलसिला आगे बढ़ा, तो चित्रा और मनोज अक्सर मिलने भी लगे। दो-तीन मुलाकातों के बाद ही चित्रा को उसपर पूरा भरोसा हो गया और उसने शादी के बारे में बात की। मनोज तुरंत मान गया। उसने वादा किया कि बहुत जल्द वो उसके साथ अग्नि के सात फेरे लेकर उसे अपनी जीवन संगिनी बना लेगा। लेकिन, इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि चित्रा पुलिस थाने पहुंच गई और मनोज के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।   *100 महिलाओं की एक ही कहानी* दरअसल, जिस मनोज को चित्रा अपने सपनों का राजकुमार बनाना चाहती थी, वो एक ऐसा धोखेबाज निकला, जिसका काम ही भोली-भाली महिलाओं को अपने जाल में फंसाना था। चित्रा के अलावा उसे तकरीबन 100 महिलाओं को अपना शिकार बनाया था, लेकिन लोकलाज के डर से किसी ने पुलिस में उसकी शिकायत नहीं कराई। वो 23 नवंबर 2024 का दिन था, जब हरि नगर के साइबर पुलिस थाने में चित्रा अपनी शिकायत दर्ज कराने पहुंचीं। अपनी शिकायत में उसने बताया कि जिस आदमी से उसकी शादी होने वाली थी, उसने उसे धोखा दिया है। पुलिस को शुरुआत में यह एक सामान्य धोखाधड़ी का मामला लग रहा था। लेकिन, जब चित्रा ने पूरी कहानी बताई तो मनोज की हकीकत खुलकर सामने आ गई।   *क्रेडिट कार्ड लेते ही गायब* चित्रा ने पुलिस को बताया कि वह हाल ही में एक बड़ी मैट्रिमोनियल वेबसाइट के जरिए एक आदमी से मिली थी। उस आदमी ने खुद को दिल्ली मेट्रो का एक सीनियर ऑफिसर बताया और कहा कि उसकी सालाना कमाई लगभग 15 से 20 लाख रुपये है। जल्द ही दोनों ऑनलाइन चैटिंग करते हुए पर्सनल तौर पर मिलने लगे। चित्रा उसके साथ तीन या चार बार डेट पर गई। जैसे-जैसे उनका रिश्ता आगे बढ़ा, उसने चित्रा को भरोसे में लेकर उसके बैंक खाते और क्रेडिट कार्ड की डिटेल ले ली। चूंकि, चित्रा उसपर भरोसा करती थी, इसलिए उसने बिना डरे सारी डिटेल उसे दे दी। लेकिन, इसके बाद वो शख्स गायब हो गया। चित्रा को अपने साथ धोखाधड़ी का अंदाजा तब हुआ, जब उसके पास उसी के क्रेडिट कार्ड से हुई शॉपिंग के मेसेज आए।   *चौकीदार मनोज बन गया ठग* चित्रा की शिकायत मिलते ही पुलिस ने तफ्तीश शुरू की और थोड़ी मशक्कत के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली के उस्मानपुर इलाके से उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने बताया कि उसका नाम मनोज गहल्याण है और वह हरियाणा के पानीपत जिले में जोराशी खालसा इलाके का रहने वाला है। मनोज कभी चौकीदार के तौर पर काम किया करता था। पूछताछ हुई तो मनोज ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उसने चित्रा के क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर एक महंगा मोबाइल खरीदा था, जिसे पुलिस ने उसके पास से बरामद कर लिया। इसके अलावा मनोज के पास पांच डेबिट कार्ड और मिले। हालांकि, ये मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। पुलिस को पूछताछ में पता चला कि चित्रा अकेली महिला नहीं है, जिसे मनोज ने ठगा है।   *भरोसे में लेकर अकाउंट करा देता था डिलीट* मनोज ने पुलिस को बताया कि वो अभी तक तकरीबन 100 महिलाओं को अपना शिकार बना चुका है। वो हर महिला को एक ही कहानी सुनाता था और खुद को एक बड़ा अफसर बताता। वह इस तरह से बातें करता कि महिलाएं उसके झांसे में आ जातीं। किसी महिला को अपने झांसे में लेने के बाद वह मैट्रिमोनियल साइट से उसका अकाउंट भी डिलीट करा देता था। मनोज उनसे कहता कि जीवनसाथी के लिए अब उसकी तलाश खत्म हो गई है और इसलिए अब मैट्रिमोनियल साइट पर बने रहने का कोई मतलब नहीं है। उसकी इन बातों से महिलाएं भी उसपर भरोसा करने लगतीं। पुलिस के मुताबिक, मनोज पिछले सात साल से महिलाओं को इसी तरह अपने जाल में फंसा रहा था।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Dec 19, 2024

सुप्रीम कोर्ट की देश के युवाओं से अपील: 'ड्रग्स वाली दोस्ती जीवन के लिए नुकसानदेह

नई दिल्ली, 18 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ड्रग्स को 'कूल' समझना गलत है. दोस्तों के दबाव में आकर इसके इस्तेमाल से युवाओं को बचना चाहिए. युवा अपनी समझ का इस्तेमाल करें, न कि दूसरों की देखा-देखी नशीली दवाओं का सेवन शुरू कर दें. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी नशीले पदार्थों की तस्करी के एक आरोपी की याचिका खारिज करते हुए की है. अंकुश विपन कपूर नाम के व्यक्ति पर पाकिस्तान से भारत मे हेरोइन की तस्करी कर भारत लाने वाले नेटवर्क का हिस्सा होने का आरोप है. पंजाब और गुजरात में इस नेटवर्क का जाल फैला है. केंद्र सरकार ने 500 किलोग्राम हेरोइन भारत लाने के आरोप की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए को सौंप दी थी. अंकुश ने इस जांच को चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने एनआईए की जांच को सही ठहराया है.   *परिवार पर भी पड़ता है असर* जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस फैसले में एक अभिभावक की तरह देश के युवाओं को नसीहत दी है. बेंच ने कहा है कि नौजवानों को यह समझना चाहिए कि नशीली दवाओं के इस्तेमाल से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. इसका असर सिर्फ उन पर नहीं, बल्कि उनके परिवार पर भी पड़ता है. कोर्ट ने युवाओं से अपील की है कि वह दोस्तों के उकसाने पर या पढ़ाई के दबाव में या किसी भावनात्मक तनाव में ड्रग्स का रुख न करें. ड्रग्स का इस्तेमाल बहुत जल्दी एक लत में बदल जाता है और जीवन को तबाह कर देता है. कोर्ट ने कहा है कि युवा उन लोगों के जैसे कभी न बनें, जिन्हें नशे की आदत लग चुकी है.   *अभिभावक, स्कूल/कॉलेज, एनजीओ की क्या है जिम्मेदारी* इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने समाज को भी अपने नज़रिए में बदलाव की सलाह दी है. कोर्ट ने कहा है कि परिवार और समाज को ड्रग्स की लत के शिकार लोगों के लिए नकारात्मक रवैया नहीं अपनाना चाहिए. कोशिश करनी चाहिए कि वह व्यक्ति सुधर सके. अभिभावक, स्कूल/कॉलेज, एनजीओ और सरकारी संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि वह ड्रग्स के चंगुल से युवाओं को बाहर लाने में अपनी भूमिका निभाएं. साथ ही, नशीली दवाओं के जाल को खत्म करने के लिए अपने स्तर पर हर संभव प्रयास करें.   *एक्शन प्लान बनाए एनसीबी*  सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में नेशनल लीगल सर्विस ऑथोरिटी से कहा है कि वह नारकोटिक्स (नशीली दवाओं) के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए. कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से भी कहा है कि वह बच्चों को ड्रग्स से बचाने के लिए मिल कर एक्शन प्लान बनाएं.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Dec 18, 2024

40 गोवंश मृत मिलने पर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ जैंत पुलिस ने 37 नामजद और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज

मथुरा,15 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। मथुरा-वृंदावन मार्ग स्थित पीएमवी कॉलेज के सामने धौरेरा के जंगल में 40 गोवंश मृत मिलने पर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ जैंत पुलिस ने 37 नामजद और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। वहीं 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। शुक्रवार को धौरेरा गांव के जंगल में लगभग 40 गोवंश के मरने की सूचना पर गोरक्षक दल के सैकड़ों कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए थे। उन्होंने मृत गोवंश के अवशेष सड़क पर रखकर मथुरा-वृंदावन रोड पर जाम लगाकर साढ़े चार घंटे तक हंगामा और प्रदर्शन किया। बाद में पुलिस ने लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा और जाम खुलवाया। साथ ही पुलिस ने 4 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया था। शनिवार को दो और आरोपियों को गिरफ्तार कर जैंत पुलिस ने सभी को जेल भेज दिया है। एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय ने बताया है कि मामले में पुलिस की तरफ से 37 नामजद और 60 अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। 6 आरोपियों को जेल भेज दिया है। अन्य की सीसीटीवी कैमरे और वीडियो के माध्यम से शिनाख्त की जा रही है। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। हाईवे थाना क्षेत्र के गांव बाकलपुर निवासी पवन कुमार, गोवर्धन के जतीपुरा निवासी हिमांशु उर्फ हेमानंद, बुलंदशहर के शिकारपुर क्षेत्र के गांव देवराला निवासी धर्मेंद्र, कोतवाली के चौबियापाड़ा निवासी पुनीत, गोविंद नगर के आजमपुर कॉलोनी निवासी कपिल उर्फ बाबा और छाया गौतम को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इस मामले में थाना जैंत में मुकदमा दर्ज कराया है। थाना जैंत के उपनिरीक्षक महावीर सिंह ने पवन दुबे, हिमांशु तिवारी, संत धर्मेंद्र गिरी, छाया गौतम, पुनीत चतुर्वेदी, कपिल शर्मा उर्फ बाबा सहित 37 नामजद और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। दर्ज रिपोर्ट में कहा गया है कि जाम लगा रहे लोगों को समझाया उनसे कहा जिले में धारा 163 लागू है। जाम खोल दिया जाए, लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने। फिर उग्र प्रदर्शन करने लगे। इसलिए प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करनी पड़ी।इस पूरे प्रकरण की जांच करने के लिए प्रदेश के पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह को निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारी ने सिटी मजिस्ट्रेट राकेश कुमार, अपर नगर आयुक्त सीपी पाठक, सीओ सदर संदीप कुमार, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी विपिन गर्ग की संयुक्त टीम गठित की है। यह टीम घटना की बारीकी से जांच करेगी। साथ ही एक सप्ताह के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी। जिलाधिकारी ने बताया है कि गठित टीम अपने स्तर से मामले की जांच की जा रही है। मथुरा, रिपोर्टर-(दुर्गा प्रसाद)।

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Dec 15, 2024

सिरसलगढ़ के युवक की जंगल में गोली मारकर हत्या,फजलपुर के जंगल में गन्ने के खेत में पड़ा मिला शव

बिनौली, 14 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। सिरसलगढ़ गांव के एक युवक की गांव के ही दो युवकों ने घर से बुलाकर गुरुवार रात फजलपुर के जंगल में गोली मारकर हत्या कर दी। युवक के भाई ने गांव के दो युवकों व एक अज्ञात सहित तीन के खिलाफ थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई है। सिरसलगढ़ गांव निवासी अमीर पुत्र महक सिंह बाल्मीकि, अपने तीन भाइयों में सबसे छोटा था। वह ईंट भट्टे पर मजदूरी करता था। शुक्रवार सुबह अपने खेत पर नलकूप चलाने गए.   किसान फजलपुर निवासी महेंद्र पुत्र रणजीत सिंह ने अपने गन्ने के खेत में थोड़े अंदर एक युवक का गोली लगा शव पड़ा देखा,जबकि नलकूप के सामने एक बाइक व शराब की एक भरी हुई बोतल मिली। किसान ने थाना पुलिस को सूचना दी। जिसके बाद इंस्पेक्टर कुलदीप सिरोही  पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे तथा शव को कब्जे में लेकर आसपास काम कर रहे किसानो को बुलाकर शव की शिनाख्त का प्रयास किया। कुछ देर बाद एसपी अर्पित विजय वर्गीय व सीओ हरीश भदोरिया भी वहां पहुंच गए।    इसी दौरान खेत में पानी में पड़ा मृतक का मोबाईल मिल गया। जिसका सिम निकालकर दूसरे फोन में डालकर कुछ नंबरों पर काल की गई ,तो परिजन ने काल रिसीव कर अमीर के रात से गायब होने की जानकारी दी। मौके पर पहुंचे बड़े भाई अनुज उर्फ अन्नू ने अपने भाई की शिनाख्त की। इसके बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।   अमीर के भाई अनुज ने गांव के ही नीरज पुत्र गुल्लू,मोंटू पुत्र तेजपाल व एक अज्ञात सहित तीन के खिलाफ थाने पर मुकदमा दर्ज कराया है,जिसमें पुरानी रंजिश के चलते आरोपितों द्वारा हत्या करना बताया है।उधर आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए एसओजी सहित पुलिस की दो टीमे दबिशें दे रही हैं। एएसपी एनपी सिंह का कहना है कि, युवक की हत्या गांव के दो युवकों द्वारा रंजिशन किए जाने की स्वजन द्वारा जानकारी दी गई है। जल्द घटना का राजफाश किया जायेगा।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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Dec 14, 2024

मंदिर-मस्जिद पर कोई नया मुकदमा नहीं.. प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

नई दिल्ली, 13 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (1991) से जुड़े मामलों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने स्पष्ट किया है कि जब तक इस कानून को लेकर शीर्ष अदालत में मामला पेंडिंग है, तब तक कोई भी नया मुकदमा देश की किसी भी अदालत में दर्ज नहीं किया जाएगा.   *अदालत में 18 मामले लंबित* मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह जानकारी दी कि वर्तमान में धार्मिक स्थलों से संबंधित 18 मुकदमे देशभर में अदालतों में लंबित हैं. सीजेआई ने इस संदर्भ में कोर्ट का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इन मामलों पर कोई निर्णय नहीं देता, तब तक नया मुकदमा दायर नहीं होगा. मुस्लिम पक्ष की मांग.. सभी मामलों पर रोक लगाई जाए सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने यह अपील की कि अभी जो मामले लंबित हैं, उन पर भी रोक लगाई जाए. बेंच के सदस्य जस्टिस के वी विश्वनाथन ने इस पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे मामलों पर रोक लगाना आवश्यक है ताकि कोई विवाद न बढ़े.   *1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट विवादों के केंद्र में* प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991, जो धार्मिक स्थलों की स्थिति को 15 अगस्त 1947 की स्थिति में बनाए रखने का प्रावधान करता है, हाल के वर्षों में विवाद का विषय बना हुआ है. इसके तहत किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति में बदलाव को अवैध घोषित किया गया है.   *एक्ट में बदलाव की मांग और विपक्ष का रुख* कुछ समूहों का कहना है कि इस कानून में बदलाव करना जरूरी है क्योंकि यह हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख समुदायों को उनके धार्मिक स्थलों को पुनर्स्थापित करने के अधिकार से वंचित करता है. वहीं, कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इस कानून को भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया है. उनका मानना है कि इस कानून में बदलाव से सामाजिक सद्भावना बिगड़ सकती है.   *केंद्र सरकार का जवाब लंबित* मार्च 2021 में तत्कालीन सीजेआई एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस एक्ट की कुछ धाराओं को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. यह याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि यह कानून "सार्वजनिक व्यवस्था" के नाम पर बनाया गया है, जो राज्य का विषय है.   *सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य* सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सामाजिक सद्भाव और शांति बनाए रखने के उद्देश्य से लिया है. कोर्ट का कहना है कि इस दौरान किसी भी नए मामले के दर्ज होने से विवाद बढ़ सकता है, जिससे राष्ट्रीय एकता और धर्मनिरपेक्षता पर असर पड़ सकता है.   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Pradeep Jain

Dec 13, 2024

सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बने कट्टरपंथी, इंटरनेट के जरिए हो रही है आतंकियों भर्ती

नई दिल्ली, 13 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। दुनिया भर के कट्टरपंथी संगठन, अपनी तोड़फोड़ की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए इंटरनेट की 'काली दुनिया' का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस काली दुनिया के प्लेटफॉर्म पर काम करने की वजह से आतंकी संगठन, अब सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। इन कट्टरपंथी संगठनों तक पहुंचना, सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों के लिए आसान नहीं है। इन संगठनों द्वारा मेटावर्स, डार्कनेट और वाइबर सहित दूसरे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर आतंकियों की ऑनलाइन भर्ती की जा रही है। उक्त प्लेटफार्म के जरिए कट्टरपंथी संगठन, भोले-भाले/उदास/अलग-थलग युवाओं को लक्षित कर रहे हैं। भारत की संप्रभुता व अखंडता को प्रभावित करने वाले सांप्रदायिक और भारत विरोधी प्रचार में शामिल वेबसाइटों/खातों की पहचान की गई है। ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) को केस भेजा जाता है। एमईआईटीवाई ने 9845 यूआरएल ब्लॉक कर दिए हैं। एनआईए द्वारा ऑनलाइन कट्टरपंथ से संबंधित 67 मामलों की जांच की जा रही है। ऐसे मामलों में अब तक जांच एजेंसी 'एनआईए' ने 325 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।   *इंटरपोल ने मेटावर्स पर जारी किया श्वेतपत्र*   बता दें कि फ्रांस के ल्योन में 19वें इंटरपोल प्रमुखों के एनसीबी सम्मेलन के पूर्ण सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल सहित सभी प्रतिनिधिमंडलों ने इस बात पर जोर दिया था कि ऑनलाइन कट्टरपंथ, वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस खतरे से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग और बहु-सार्वजनिक सहयोग की आवश्यकता है। पहलूबद्ध रणनीति, जो चरमपंथी सामग्री की आपूर्ति और मांग, दोनों को संबोधित करती है। भारत के लिए सीबीआई, ऑनलाइन कट्टरपंथ से निपटने के लिए इंटरपोल के साथ लगातार जुड़ी हुई है। 18-21 अक्टूबर, 2022 तक नई दिल्ली में आयोजित 90वीं इंटरपोल महासभा के दौरान, इंटरपोल ने पहली बार मेटावर्स का जिक्र किया था। इसके बाद, जनवरी 2024 में, इंटरपोल ने मेटावर्स को लेकर कानून प्रवर्तन परिप्रेक्ष्य पर एक श्वेतपत्र जारी किया था। उसमें कट्टरपंथ के मुद्दे की पहचान की गई। साथ ही यह भी नोट किया गया कि आतंकवादी ऑनलाइन भर्ती, कट्टरपंथ, प्रशिक्षण और व्यक्तियों की शिक्षा के लिए मेटावर्स का फायदा उठा सकते हैं।    *सिग्नल व टेलीग्राम जैसे सुरक्षित मैसेजिंग एप्लिकेशन*   इस संबंध में, समग्र और समन्वित तरीके से कट्टरपंथ से जुड़े कई जोखिम कारकों को सामूहिक रूप से पहचानने, काउंटर करने और कट्टरपंथ से निपटने के लिए प्रभावी तंत्र एवं रणनीति स्थापित करने के लिए कट्टरपंथी संगठनों पर इनपुट सहित अन्य जानकारी साझा करने के लिए सभी हितधारकों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ नियमित बैठकें आयोजित की जा रही हैं। समान विचारधारा वाले तत्वों से जुड़ने के लिए कट्टरपंथी संगठनों द्वारा एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के साथ व्हाट्सएप के अलावा सिग्नल, टेलीग्राम, वाइबर और डार्क वेब जैसे अधिक सुरक्षित मैसेजिंग एप्लिकेशन का उपयोग किया जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हुआ है। व्यक्तियों को ऑनलाइन कट्टरपंथी बनाया जा रहा है।    *नियमित आधार पर हो रही साइबर गश्त* चूंकि साइबर प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग, कट्टरपंथी विचारधारा के प्रचार-प्रसार में किया जा रहा है, इसलिए साइबर स्पेस की लगातार निगरानी की जा रही है। ऐसी सामग्री और संस्थाओं की पहचान और निगरानी करने के लिए नियमित आधार पर साइबर गश्त की जाती है। भोले-भाले/उदास/अलग-थलग युवाओं को लक्षित करने वाले कट्टपंथी संगठनों पर नजर रहती है। उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है। भारत की संप्रभुता और अखंडता को प्रभावित करने वाले सांप्रदायिक और भारत विरोधी प्रचार में शामिल वेबसाइटों/खातों की पहचान की जा रही है। ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) को भेजा जा रहा है। यह मंत्रालय, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 की धारा 69ए के तहत निर्देश जारी करता है। इसके जरिए सरकार को विशिष्ट परिस्थितियों में सार्वजनिक पहुंच से जानकारी को अवरुद्ध करने का अधिकार मिल जाता है।   *एक्ट के तहत ये सब शामिल है* भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध और सार्वजनिक व्यवस्था, अगर इनके लिए कोई खतरा पैदा करता है तो सूचना प्रौद्योगिकी में प्रदान की गई उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद उपरोक्त से संबंधित किसी भी संज्ञेय अपराध के लिए उकसावे को रोकने के लिए मंत्रालय (जनता द्वारा सूचना तक पहुंच को अवरुद्ध करने की प्रक्रिया और सुरक्षा) नियम, 2009 के तहत दिशा निर्देश जारी कर सकता है। इसके अलावा, आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79(3) (बी) के तहत, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4सी), गृह मंत्रालय को भी 'टेक डाउन नोटिस' जारी करने के लिए एक एजेंसी के रूप में अधिकृत/नामित किया गया है।   *336 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल* गैरकानूनी सामग्री को हटाने के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र भी मध्यस्थ/मंच की भूमिका निभाता है। वर्तमान में, राज्य पुलिस के अलावा, एनआईए ऑनलाइन कट्टरपंथ से संबंधित 67 मामलों की जांच कर रही है। इन मामलों में अब तक 325 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, 336 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। 63 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। एमईआईटीवाई ने अक्टूबर, 2024 तक 9845 यूआरएल (जिसमें कट्टरपंथी सामग्री भी शामिल है) को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए हैं। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद सत्र के दौरान यह जानकारी दी है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Dec 13, 2024

पत्नी के सिर पर कुल्हाडी प्रहार कर की हत्या

मथुरा,12 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। थाना हाइवे के अंतर्गत मोतीकुंज कॉलोनी निवासी युवक ने कुल्हाड़ी से पत्नी के सिर पर प्रहार कर उसकी हत्या कर दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मौका मुआयना करते हुए शव पोस्टमार्टम को भेज मायके पक्ष को सूचना दे दी। घटना से परिवार में कोहराम मच गया। हालांकि अभी तक इस मामले में पुलिस को कोई तहरीर प्राप्त नहीं हुई है। बुधवार दोपहर मोतीकुंज निवासी सुनील का अपनी पत्नी आरती (26) से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। इस पर सुनील पत्नी से मारपीट करने लगा। पत्नी द्वारा विरोध करने पर आक्रोशित सुनील ने पत्नी के सिर पर कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ प्रहार कर दिये। उसकी चीखपुकार सुन आसपास के लोग मौके पर पहुंचे तो देखा कि आरती खून से लथपथ पड़ी थी। लोगों ने तत्काल इसकी सूचना हाइवे पुलिस को दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मौके पर पहुंच आरती को तत्काल उपचार को अस्पताल भिजवाया। वहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम को भेज मायके वालों को सूचना दे दी है। मथुरा-रिपोर्टर, (आबिद अली)।

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Dec 12, 2024

कैंटीन र्क्लक के पिता-मां और चचेरा भाई गिरफ्तार

मथुरा, 12 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। सीएसडी कैंटीन के खाते से दो करोड़ से अधिक की रकम को अपने और पत्नी के खाते में ट्रांसफर करने के आरोप में फरार चल रहे कैंटीन क्लर्क के माता-पिता और चचेरे भाई को सदर बाजार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की विवेचना के दौरान मां सीसीटीवी में ज्वैलरी खरीदने, वहीं पिता और चचेरा भाई मुख्य आरोपी द्वारा खरीदे गये प्लॉट में गवाह बने थे। तीनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। अभी भी मुख्य आरोपी फरार है। बताते चलें कि थाना सदर बाजार क्षेत्र स्थित सीएसडी कैंटीन के क्लर्क नायक दीपक कुमार, निवासी लाल बहादुर शास्त्री नगर, रोहतक ने धोखाधड़ी कर आर्मी कैंटीन के खाता से दो करोड़ पांच लाख, 26 हजार 762 रुपये अपने व अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर कर दिये थे। इसकी रिपोर्ट सदर थाने में दर्ज करायी गई। शुक्रवार को पुलिस टीम ने आरोपी दीपक की पत्नी को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस टीमें मुख्य आरोपी दीपक की तलाश के साथ ही खाते से निकाली गयी रकम के बारे में भी जानकारी करने में जुटी हैं। पुलिस ने अभी तक की विवेचना के दौरान पाया कि मुख्य आरोपी दीपक ने हाल ही में एक क्रेटा कार, एक प्लॉट और लाखों रुपये का सोना खरीदा है। तभी से पुलिस टीम इस मामले की भी जांच में जुटी हुई थीं। सीओ सिटी प्रवीन मलिक ने बताया अब तक की विवेचना के दौरान मुख्य आरोपी दीपक ने मथुरा-रोहतक में 49 लाख रुपये का सोना खरीदा था। पुलिस टीमों द्वारा खंगाले सीसीटीवी में आरोपी की मां रोहतक और मथुरा स्थित ज्वैलर्स के यहां से करीब 49 करोड़ का सोना खरीदते नजर आयीं, वहीं दूसरी ओर आरोपी दीपक द्वारा रोहतक में खरीदे गये प्लॉट में उसके पिता व चचेरा भाई गवाह बना है। पुलिस टीम ने बुधवार को तीनों आरोपियों को जेल के समीप बने शौचालय के समीप से गिरफ्तार कर लिया। वे जेल में बंद आरोपी दीपक की पत्नी से मुलाकात करने आये थे। अभी भी पुलिस मुख्य आरोपी की संभावित स्थलों पर तलाश कर रही है। पुलिस की टीमें सर्विलांस व लोकल इंटेलीजेंस मुख्य आरोपी की संभावित स्थलों पर तलाश कर रही है। मथुरा-रिपोर्टर, (आबिद अली)।

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Dec 12, 2024

मनीष सिसोदिया को मिली राहत, सप्ताह में 2 बार जांच अधिकारी के सामने पेश होने की शर्त सुप्रीम कोर्ट ने हटाई

नई दिल्ली,11 दिसंबर 2024 (यूटीएन)। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. कोर्ट ने उन्हें जमानत की शर्त में रियायत दी है. अब तक सिसोदिया को सप्ताह में 2 बार जांच अधिकारी के सामने पेश होना पड़ता था. अब उन्हें ऐसा नहीं करना होगा.   *शराब घोटाले में मिली थी जमानत* सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त को शराब घोटाले से जुड़े सीबीआई और ईडी के मुकदमों में सिसोदिया को जमानत दी थी. कोर्ट ने मुकदमा शुरू होने में हो रही देरी को आधार बनाते हुए जमानत का आदेश दिया था. सिसोदिया को यह जमानत 10 लाख रुपए के 2 निजी मुचलकों पर मिली थी. कोर्ट ने यह शर्त भी रखी थी कि वह हर सोमवार और गुरुवार को सुबह 10 से 11 बजे के बीच जांच अधिकारी के सामने पेश होंगे.   *मनीष सिसोदिया ने किया शर्तों में ढील का अनुरोध* मनीष सिसोदिया ने खुद को एक प्रतिष्ठित नेता बताते हुए इस शर्त में ढील का अनुरोध किया था. उनका कहना था कि वह जांच और मुकदमे में सहयोग के लिए हमेशा उपलब्ध हैं इसलिए सप्ताह में 2 बार जांच अधिकारी के पास जाने की शर्त हटा ली जानी चाहिए. 22 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस आवेदन पर सीबीआई और ईडी  से जवाब मांगा था.   *बेंच ने लिया अहम फैसला* बुधवार को जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की बेंच ने माना कि इस शर्त को बनाए रखना जरूरी नहीं है. कोर्ट ने अपने संक्षिप्त आदेश में कहा कि सिसोदिया को अब हर सप्ताह जांच अधिकारी के पास जाने की जरूरत नहीं है, लेकिन वह मुकदमे के दौरान कोर्ट में नियमित रूप से मौजूद रहें.    विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

Dec 11, 2024

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