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○ मेरे जीवन के संजीवनी की तरह है आयुर्वेद: भारत के मुख्य न्यायाधीश
○ राज लूंबा द्वारा लिखित “विधवा योद्धा: वह कारण जिसने मेरे जीवन को आकार दिया
○ भारत को वैश्विक मानकों को अपनाने की आवश्यकता है: एनएफआरए, अध्यक्ष
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मेरे जीवन के संजीवनी की तरह है आयुर्वेद: भारत के मुख्य न्यायाधीश
सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि करीब दो साल उनकी बेटी की तबीयत बिगड़ने पर पीजीआई चंडीगढ़ में एडमिट करना पड़ा था
नई दिल्ली, 18 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने आयुर्वेद को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि संस्कृत शब्द अयुर (जीवन) और वेद (ज्ञान) से आयुर्वेद का निर्माण हुआ है। यह चिकित्सा की एक पारंपरिक प्रणाली है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह और उनका परिवार काफी सालों से आयुर्वेद का पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह आयुर्वेद के प्रबल समर्थक रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने अपने से जुड़ा हुआ एक किस्सा भी सुनाया। इसमें उन्होंने कहा कि आयुष के साथ में मेरा जुड़ाव कोराना काल के दौरान शुरू हुआ था। जब मैं दूसरी और तीसरी बार कोरोना से संक्रमित हुआ था तो मैंने किसी भी एलोपैथिक दवा का इस्तेमाल नहीं किया।
*सीजेआई ने शेयर किया अनुभव*
सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि करीब दो साल उनकी बेटी की तबीयत बिगड़ने पर पीजीआई चंडीगढ़ में एडमिट करना पड़ा था। काफी लंबे टाइम तक एलोपैथी की दवाओं का कोई भी असर नजर नहीं आया था। इसके बाद उन्होंने अखिल भारतीय संस्थान की निदेशक डॉ तनुजा नेसारी से बातचीत की। इतना ही नहीं फिर बेटी के आहार में भी बदलाव किया गया था। सीजेआई ने कहा कि आहार में जब बदलाव किया तो 24 घंटे के अंदर ही काफी असर दिखाई दिया।
*सीजेआई ने किया एनएसएसओ की रिपोर्ट का जिक्र*
मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय की कुछ दिन पहले आई रिपोर्ट का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 95 फीसदी ग्रामीण और 96 फीसदी शहरी भारतीय अब हमारी पारंपरिक चिकित्सा एक करोड़ लोग कर रहे योग प्रणालियों से अच्छी तरह से परिचित हैं। यह बढ़ती हुई जागरूकता आयुष प्रणालियों की मांग को दिखाती है। यह भारत के स्वास्थ्य परिवेश में आयुर्वेंद की बढ़ती भूमिका को दिखाती है। सीजेआई ने आगे कहा कि इसकी एक तस्वीर यह है कि शहरी और गांव के इलाकों में एक करोड़ से ज्यादा घरों में योग किया जाता है।
*सभी जजों पर काम का काफी दबाव*
सीजेआई ने फरवरी के महीने में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में हमारे 2000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। सभी जजों पर भारी रोजाना के काम का काफी प्रेशर होता है। फाइलों को पढ़ रहे हैं और मुझे लगा कि यह जरूरी है कि हम गौर करें। इतना ही नहीं सीजेआई ने यह भी कहा था कि कर्मचारियों के जरिये हम आयुर्वेद की परंपरा के फायदे के बारे में देश के बाकी हिस्सों में प्रचार कर सकते हैं।
*चंद्रचूड़ ने पीएम मोदी के विजन की तारीफ की*
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री मोदी के विजन की भी तारीफ की। उन्होंने आयुष मंत्रालय की सराहना करते हुए कहा मंत्रालय आयुर्वेद की वैश्विक मान्यता को मजबूत कर रहा है। हमने जी 20, ब्रिक्स और बाकी सम्मेलनों में भी मंत्रालय की लीडरशिप देखी। यह प्राकृतिक इलाज और लोगों के स्वास्थ्य और विकास में योगदान दे रहा है। कार्यक्रम में बोलते हुए, आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, प्रतापराव जाधव ने आयोजकों, प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों को अपनी हार्दिक बधाई और समर्थन दिया।
"जैसा कि हम आयुर्वेद की विशाल क्षमता का पता लगाने के लिए एकत्र हुए हैं, मैं पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ एकीकृत करने के लिए आपके समर्पण की सराहना करता हूं, जो समय की मांग है। यह सम्मेलन समग्र स्वास्थ्य सेवा समाधानों की हमारी खोज में एक महत्वपूर्ण कदम है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, हम आयुर्वेद की वैश्विक मान्यता को मजबूत कर रहे हैं। उनके प्रोत्साहन के कारण आयुर्वेद को किसी भी अन्य चिकित्सा पद्धति से अधिक अपनाया जा रहा है। माननीय प्रधानमंत्री के प्रयासों के बाद, आयुर्वेद की विश्वसनीयता भी बढ़ी है, और मैं लाखों लोगों की सेवा करने के लिए आयुर्वेद मंत्रालय को मुझे सौंपने के लिए उनका बहुत आभारी हूं।
मैं प्रधानमंत्री मोदी के विजन के तहत आयुर्वेद मंत्रालय से जुड़ी सभी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हूं। आयुष मंत्रालय अनुसंधान, नवाचार और आयुर्वेद को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा में एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध है।" सम्मेलन के एजेंडे में आयुर्वेद, एथनोमेडिसिन, गुणवत्ता नियंत्रण, मानकीकरण, निदान, दवा वितरण, साक्ष्य-आधारित समझ और वैश्वीकरण सहित कई विषयों को शामिल किया गया। अनुभवी विशेषज्ञों ने आयुर्वेदिक प्रथाओं के व्यावहारिक और सैद्धांतिक ज्ञान को साझा किया। इसमें प्रमुख ब्रांडों और संस्थानों के स्टॉल प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी भी शामिल थी, जो हर्बल उत्पादों, कल्याण समाधानों, आयुर्वेदिक उपचारों, अनुसंधान नवाचारों और शैक्षिक अवसरों के बारे में जानकारी प्रदान करती थी।
हम वास्तव में भारत सरकार, आयुष मंत्रालय को अत्यधिक उदारता, नेतृत्व और पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक अच्छा बनाने की दृष्टि के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं जो दुनिया के सभी लोगों को लाभान्वित कर सकती है। पहले से ही, इस नेतृत्व का वैश्विक प्रभाव हो रहा है। हमने जी20, ब्रिक्स और अन्य क्षेत्रीय सम्मेलनों में नेतृत्व देखा है। पारंपरिक चिकित्सा और सभी लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए इसके योगदान पर ध्यान दें। यह अनुसंधान सहयोग, विधियों और दिशानिर्देशों की प्रगति के साथ तकनीकी प्रभाव भी डाल रहा है। “आयुष मंत्रालय अगले पांच वर्षों में आयुर्वेद की 5 प्रमुख वनस्पति विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम इन वनस्पतियों के लिए विश्व स्तर पर स्वीकृत पारंपरिक चिकित्सा के बराबर एक बेंचमार्क विकसित कर रहे हैं।
इसलिए हमने पहले ही इस पर काम करना शुरू कर दिया है, और यह कुछ बहुत ही नया है और यह है, हम प्रयास के लिए प्रतिबद्ध हैं,” आयुष मंत्रालय के सचिव वीडी राजेश कोटेचा ने कहा जो अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना के बाद से हमने एक साथ की गई अविश्वसनीय यात्रा का उत्सव है,” संस्थान की निदेशक प्रो। (डॉ) तनुजा नेसारी ने कहा। सम्मेलन में तीन दिवसीय कार्यशालाएं और 15 वैज्ञानिक सत्र शामिल हैं, जिसमें 400 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए हैं। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, एफआईजीजेड जर्मनी, एआईएसटी जापान, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया, यूएचएन कनाडा, और आईजीआईबी, एम्स, सीएसआईआर, आईआईटी और अन्य जैसे राष्ट्रीय संस्थानों जैसे प्रमुख संगठनों के साथ शैक्षणिक और वैज्ञानिक सहयोग के माध्यम से 74 से अधिक देशों में वैश्विक उपस्थिति है
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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