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○ एम्स में बच्चों के मायोपिया के इलाज के लिए स्पेशल क्लिनिक
○ पीएम मोदी ने जनजातीय संस्कृति से दुनिया को कराया रूबरू
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गायब है रातों की नींद तो चले जाएं दिल्ली के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान
संस्थान में आने वाले 100 मरीजों में से 30 नींद की बीमारी से संबंधित आ रहे हैं
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। यदि आप रात भर करवटें बदल बदल कर जागते रहते हैं या फिर खर्राटों की वजह या अन्य किसी वजह से आपकी नींद गायब है तो अब आपको इसकी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है सीधे चले आइए सरिता विहार स्थित एआईआईए (अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान) में वहां आपको निजी अस्पतालों की तरह अपनी नींद के इलाज के लिए हजारों रुपए खर्च करने की कोई जरूरत नहीं है। यहां आपकी जांच और इलाज न्यूनतम दर पर किया जाएगा। हाल ही में यहां पर पाली सोनोग्राफी यूनिट स्थापित की गई है। इसमें सस्ती दरों पर अनिंद्रा से जुड़ी बीमारियों की जांच शुरू होगी। इतना ही नहीं एआईआईए के डाक्टरों का प्रयास है कि पाली सोनोग्राफी के बाद बिना दवाईयों से मरीज का उपचार किया जा सके। मरीज को आयुर्वेद उपचार के माध्यम से ठीक करने का प्रयास किया जाएगा। मरीज की रिपोर्ट के आधार पर उसे बताया जाएगा कि उसे कैसे और कब सोना है। यदि दवाईयों की जरूरत पड़ेगी तो उसे आयुर्वेद औषधि ही दी जाएंगी।
एम्स की तरह से अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान भी प्रतिदिन नए मानक स्थापित कर रहा है आज यहां आयुर्वेद के क्षेत्र में नई नई खोज व अनुसंधान किए जा रहे हैं। यह भी इस लिए किया जा रहा है क्योंकि संस्थान में आने वाले 100 मरीजों में से 30 नींद की बीमारी से संबंधित आ रहे हैं। शहरों में ही नहीं गांवों में भी बहुत सारे लोग आजकल नींद न आने, नींद बीच-बीच में खुलने, अचानक नींद टूटने, रात के बजाय दिन में नींद आने आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि आयुर्वेद के सबसे बड़े अस्पताल में हर महीने करीब 1 हजार मरीज नींद संबंधी बीमारियों को लेकर आते हैं, ऐसे मरीजों की बढ़ती संख्या और समस्या को देखते हुए दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद में देश का पहला स्लीप सेंटर खोला गया है, जहां सिर्फ और सिर्फ नींद से जुड़ी बीमारियों का इलाज होगा. खास बात है कि यहां मरीज को रातभर सुलाकर पहले उसकी स्टडी की जाएगी और फिर उसके बाद डॉक्टर्स उसका इलाज करेंगे।
आयुर्वेद सेक्टर में एआईआईए पहला अस्पताल है जहां ऐसी यूनिट खोली गई है.
यहां पर निद्रा संबंधी जो भी बीमारियां हैं, जैसे अनिद्रा, हाइपरसोम्निया, स्लीप सार्काडियन रिदम डिसऑर्डर्स, खर्राटे की वजह से नींद न आना आदि डिसऑर्डर्स का यहां भी इलाज किया जाएगा. यहां पर लेवल वन सोनोग्राफी मशीन है, इसमें रातभर वीडियो रिकॉर्डिंग होगी. उसके एक्सपर्ट और डॉक्टर्स दोनों मिलकर उसकी रातभर स्टडी करेंगे. इससे डायग्नोसिस होगा, फिजियोलॉजी की रिसर्च भी हो सकेंगी. फिर उन्हें नॉर्मल स्लीप साइकिल पर आने के लिए काउंसलिंग के अलावा थेरेपीज और आयुर्वेदिक दवाएं भी दी जाएंगी।
इस मशीन से रातभर नींद की स्टडी होगी. स्लीप की दोनों स्टेज और सब स्टेज, जिनमें धीरे-धीरे नींद में जाना, गहरी नींद में जाना, नींद को रिस्टोर करना, थकावट या हानिकारक केमिकल्स न्यूरोंस में जमा हुए हैं, तो नींद कैसे डीटॉक्सिफाई करती है, ये सभी चीजें इसमें रिकॉर्ड होंगी. इस दौरान जब मरीज सोएगा तो लाइट जलाई भी जाएंगी और लाइट बंद भी की जाएंगी. इतना ही नहीं दिन में भी सुलाकर कुछ चीजें देखी जाती हैं।
नींद एक ऐसी चीज है, जिसकी समस्या को लोग अक्सर इग्नोर कर रहे होते हैं. बहुत सारे लोग स्लीप डिसऑर्डर्स को लेकर अस्पतालों में आते ही नहीं हैं, लेकिन डायबिटीज, मेटाबोलिक डिजीज, मोटापा, ज्वॉइंट प्रॉब्लम्स हैं और वे रातभर दर्द से सो नहीं पाते तो ऐसे लोगों की नींद भी प्रभावित होती है. उनकी हिस्ट्री देखकर फिर उनके स्लीप डिसऑर्डर्स को लेकर भी इलाज करना संभव हो सकता है. ऐसे में जितना प्रिवलेंस डायबिटीज, रूमेटाइड अर्थराइटिस या स्लीप एपनिया का है, उन सभी मरीजों को यहां फायदा मिल सकता है. इसके अलावा जिन्हें स्लीप डिसऑर्डर्स हैं, उनके लिए तो ये यूनिट बनाई ही गई है। मशीन के अलावा आयुर्वेद में इस तरह की बीमारियों के लिए प्राणायाम, योग निद्रा, योग के कई प्रकार, औषधियां आदि भी हैं, कुछ थेरेपीज हैं, कुछ कस्टमाइज्ड इलाज हैं, जो मरीजों को दिए जाएंगे।
देश के सबसे बड़े आयुर्वेद संस्थान की विशेषता यह भी है कि यहां जटिल से जटिल बीमारियों का इलाज आयुर्वेदिक दवाओं से तो किया जाता ही है इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर आयुर्वेदिक प्रक्रिया के माध्यम से शल्य क्रिया कर उपचार भी किया जाता है। अब तक यहां अनेक रोगियों की सर्जरी की गई। इन मरीजों को अलग-अलग तरह की बीमारियां थीं। जिनका आयुर्वेदिक प्रक्रिया के माध्यम से शल्य क्रिया कर उपचार किया गया। संस्थान के डाक्टरों का मानना है कि आयुर्वेद के माध्यम से गंभीर से गंभीर बीमारियों का बेहतर इलाज संभव है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से गंभीर बीमारियों को भी दूर किया जा सकता है।
खासतौर से जिस तरह से इस संस्थान में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से शल्य क्रिया की जा रही है, वह अपने में एक बेहतरीन पद्धति को आगे बढ़ा रही है। इस संस्थान में जटिल शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं से मरीजों को न सिर्फ नया जीवन मिला है, बल्कि संस्थान में हो रही इस चिकित्सा पद्धति से मरीजों में भरोसा भी बढ़ा है। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में भगंदर (फिस्टुला-इन-एनो), अर्श (बवासीर), पिलोनिडल साइनस, पित्ताशय की पथरी, हार्निया के रोगियों पर वीएएएफटी, लेप्रोस्कोपी तथा लेजर जैसी नई तकनीकों समेत पारंपरिक शल्य विधियों का उपयोग करके ऑपरेशन किए गए। वह कहते हैं कि पिछले एक वर्ष में उनके संस्थान में शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के माध्यम से डेढ़ हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज किया गया है। इस संस्थान में इस वक्त देश के अलग-अलग राज्यों से मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं।
मरीज के बढ़ते भरोसे के चलते ही वह नई-नई तकनीकों के माध्यम से अपने संस्थान में मरीजों का बेहतर इलाज भी हो रहा है। जिस तरह से देश का सबसे बड़ा आयुर्वेद अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान दिन प्रतिदिन नए आयाम और किर्तिमान स्थापित कर रहा है। उसे देखते हुए तो लगता है कि आने वाले समय में भारत की मूल चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास और रुझान निश्चित रूप से बढ़ेगा और हमारे देश की यह मूल चिकित्सा पद्धति पुनः स्थापित होगी।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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