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आईआईएम संबलपुर ने की ‘उद्भावनम’ की शुरुआत, फ्यूचर रेडी प्रॉडक्ट मैनेजमेंट के लिए कायम किया सेंटर फॉर एक्सीलैंस
आईआईएम संबलपुर इंटरनेशनल सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट मैनेजमेंट एसोसिएशन (आईएसपीएमए) का यूनिवर्सिटी चैप्टर कायम करने वाला भारत का पहला संस्थान बना
संबलपुर, 09 अक्टूबर 2024 (यूटीएन)। देश के प्रमुख प्रबंधन संस्थानों में से एक आईआईएम संबलपुर ने प्रॉडक्ट मैनेजमेंट के भविष्य को समर्पित एक अभिनव कार्यक्रम ‘उद्भावनम’ के उद्घाटन संस्करण की घोषणा की। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आईआईएम संबलपुर इंटरनेशनल सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट मैनेजमेंट एसोसिएशन (आईएसपीएमए) का विश्वविद्यालय अध्याय स्थापित करने वाला देश का पहला संस्थान भी बन गया है। अमेरिका स्थित प्रबंधन परामर्श फर्म, मैकिन्से एंड कंपनी का दावा है कि निर्णय लेने के बढ़ते महत्व और सॉफ्टवेयर पद्धतियों के भीतर डिजाइन पर बढ़ते जोर के कारण प्रबंधक की भूमिका का विस्तार हो रहा है। उत्पाद प्रबंधन में विशेषज्ञता की इसी बढ़ती मांग के जवाब में, आईआईएम संबलपुर ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसके परिणामस्वरूप अल्फाबीटा की अगुआई में इंटरनेशनल सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट मैनेजमेंट एसोसिएशन के सहयोग से उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना हुई है। इस कार्यक्रम का विषय ‘फ्यूचर रेडी प्रॉडक्ट्स-मास्टरिंग इनोवेशन इन द प्रॉडक्ट मैनेजमेंट’ है। उत्पाद प्रबंधन में विशेषज्ञता को बढ़ावा देने के लिए, विशेषज्ञ, शिक्षाविद और उद्योग के अग्रणी दिग्गज उत्पाद प्रबंधन में होने वाले तेजी से परिवर्तनों के बारे में चर्चा में जुटे हुए हैं। ये परिवर्तन तकनीकी प्रगति और विकसित उपभोक्ता मांगों पर आधारित हैं।
आईआईएम संबलपुर के डायरेक्टर प्रो. महादेव जायसवाल ने कहा, ‘‘हमारा देश प्रॉडक्ट मैनेजमेंट का केंद्र बनने के लिए तैयार है, जो प्लेटफॉर्म-आधारित मॉडल और एआई जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दे रहा है। इनोवेशन और समावेशिता के अपने मूल मूल्यों को अपनाकर, हम आईएसपीएमए और आईटी मंत्रालय के सहयोग से उत्कृष्टता के केंद्र कायम कर रहे हैं। हमारा विज़न शिक्षा और व्यवसाय से संबंधित ईको सिस्टम को बदलते हुए उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच सहज सहयोग को संभव बनाना और स्थानीय और वैश्विक दोनों चुनौतियों का समाधान करना है। इसके साथ ही हमारा लक्ष्य उद्यमी मानसिकता वाले जिम्मेदार अग्रणी लोगों को आगे बढ़ाना है और इस तरह हम एक संपन्न और समावेशी समाज का निर्माण करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं, जो वैश्विक नवाचार की अगली लहर को आगे बढ़ाए।’’ मुख्य अतिथि आईएसपीएमए के ग्लोबल चेयर प्रो हैंस-बर्न्ड किटलॉस ने ‘प्लेटफ़ॉर्म वर्सेज प्रॉडक्ट-व्हाट इज डिफरेंट फ्रॉम ए प्रॉडक्ट मैनेजर्स पर्सपेक्टिव’ विषय पर चर्चा की और कहा, ‘‘आधुनिक व्यावसायिक परिदृश्य में, प्लेटफ़ॉर्म अपने तकनीकी मूल से आगे बढ़कर उद्योगों में मूल्य सृजन के लिए मुख्य आधार बन गए हैं।
बैंकिंग से लेकर ऑटोमोटिव तक, सॉफ़्टवेयर-संचालित प्लेटफ़ॉर्म अब न केवल डिजिटल उत्पादों बल्कि नवीन तकनीकों से जुड़े भौतिक सामानों के प्रबंधन के लिए भी अभिन्न अंग हैं। ऐसी सूरत में प्रॉडक्ट मैनेजमेंट का दायित्व निभाते हुए इन प्लेटफ़ॉर्म का लाभ उठाने का तरीका समझना कंपनी की बाज़ार उपस्थिति को बढ़ाने और तकनीकी नेतृत्व को कायम रखने के लिए महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर मैं आईआईएम संबलपुर में अल्फाबीटा-आईएसपीएमए यूनिवर्सिटी चैप्टर के सदस्यों को इस कार्यक्रम के आयोजन में उनके उत्कृष्ट प्रयासों और आईएसपीएमए और आईटी मंत्रालय के सहयोग से उत्कृष्टता केंद्र बनाने के लिए अपना हार्दिक धन्यवाद देना चाहता हूँ।’’ कार्यक्रम के बाद ‘प्रॉडक्ट मैनेजमेंट इन द एज ऑफ एआई’ विषय पर प्रतिष्ठित हस्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए। मुख्य वक्ता के तौर पर सपना ग्रोवर, पार्टनर डायरेक्टर, प्रॉडक्ट मैनेजर, माइक्रोसॉफ्ट ने कहा, ‘‘डीआरडीओ से लेकर स्टार्टअप, पेगासिस्टम्स और अब माइक्रोसॉफ्ट तक की यात्रा करने वाले एक प्रॉडक्ट मेकर के रूप में, मैंने एआई की परिवर्तनकारी शक्ति को प्रत्यक्ष रूप से देखा है। एआई अर्थव्यवस्था प्रभावशाली गति से बढ़ रही है और सभी क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ा रही है। जनरेटिव एआई केवल एक चर्चा का विषय नहीं है; यह लोगों के जीवन पर गहराई से असर डाल रहा है।
और वास्तविक मूल्य पैदा कर रहा है। हालांकि फंडिंग में सामान्य गिरावट के बावजूद एआई स्टार्टअप में निवेश बढ़ता जा रहा है। हर कंपनी अपने उत्पादों में एआई को एकीकृत कर रही है, स्थानीय और विविध समस्याओं को हल करने का प्रयास कर रही है। एक प्रॉडक्ट मैनेजर के रूप में, मैं ग्राहकों की ज़रूरतों, व्यावसायिक लक्ष्यों और तकनीकी समाधानों को संतुलित करते हुए अपनी भूमिका को मिनी सीईओ के रूप में देखती हूँ। मेरा मानना है कि एआई को जिम्मेदारी से अपनाना एक सकारात्मक और समावेशी समाज के निर्माण के लिए आवश्यक है, जो हमें वास्तव में महत्वपूर्ण चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करने और इनोवेशन की अगली लहर को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाता है।’’इसके अलावा, मुख्य अतिथि प्रो. एस. सदा गोपाल (आईएसपीएमए इंडिया चैप्टर के अध्यक्ष) ने "स्टार्टअप्स के लिए सॉफ़्टवेयर प्रबंधन के अनिवार्य तत्व: दृष्टि से कार्यान्वयन तक" शीर्षक से एक कार्यशाला का संचालन किया। उन्होंने यह रेखांकित किया कि सॉफ़्टवेयर केवल एक उपकरण नहीं है; यह हमारे भविष्य की बुनियाद है। जब हम नवाचार को अपनाते हैं और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हैं, तो हमारे पास हर उद्योग को बदलने, ऐसे स्टार्टअप स्थापित करने और भविष्य को बेहतर बनाने की क्षमता है, जो कल के नेताओं को सशक्त बनाने वाले संस्थानों के माध्यम से संभव है।
उन्होंने यह भी बताया कि आईआईएम संबलपुर देश में अंतरराष्ट्रीय सॉफ़्टवेयर उत्पाद प्रबंधन संघ (आईएसपीएमए) का छात्र अध्याय स्थापित करने वाला पहला संस्थान बन गया है, जो यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले जैसे अन्य संस्थानों के साथ है। इसके बाद ‘ब्रिजिंग रियल एंड वर्चुअल- स्ट्रैटेजीज फॉर सीमलेस डिजिटल इंटीग्रेशन’ थीम पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। इसमें हाईरेडियस के सीनियर डायरेक्टर राहुल सिंह बाबू, वेसाहेड ग्लोबल के चेयरमैन और एमडी रूपम भट्टाचार्य, उत्पन की एंटरप्रेन्योर अंकिता परिहार, बीएफएसआई की प्रॉडक्ट लीड श्रीमोई भट्टाचार्य, सर्विस नाउ के डायरेक्टर सरजा कुमार पांडा और एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी की वाइस प्रेसिडेंट और जोनल हैड-ईस्ट श्रेष्ठा साहनी ने अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का समापन ‘पर्सपेक्टिव- टास्कमास्टर टू ट्रेलब्लेज़र’ सत्र के साथ हुआ, जिसमें वेंकी महादेवन, स्वतंत्र निदेशक (बोर्ड सदस्य), फेलो-ब्रिटिश कंप्यूटर सोसाइटी, फेलो-आईएसपीएमए; दीपक एचपी, डायरेक्टर ऑफ प्रॉडक्ट मैनेजमेंट, एसएपी लैब्स; नीरव पालन, प्रॉडक्ट मैनेजर, आईसीआईसीआई बैंक; डॉ. ग्रेगरी डन (डीन - हरि शंकर सिंघानिया स्कूल ऑफ बिजनेस); और अभिजीत बेंडीगिरी, डायरेक्टर ऑफ प्रॉडक्ट मैनेजमेंट, ओरेकल (मॉडरेटर) ने भाग लिया। इस सत्र में समकालीन मुख्य सूचना अधिकारियों (सीआईओ) की उभरती भूमिका की जांच की गई, क्योंकि वे कार्य-उन्मुख प्रबंधकों से ऐसे नेता बन रहे हैं जो टैक्नोलॉजी से संबंधित परिवर्तन को सुगम बनाते हैं और अपने प्रॉडक्ट्स मंे इनोवेशन को बढ़ावा देते हैं।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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