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4 एक नायक जिसने Ram के लिए अपनी सरकार कर दी कुर्बान, BJP का बना

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admin

Apr 6, 2024

गुजरात यूनिवर्सिटी हिंसा मामले में 2 गिरफ्तार, 25 के खिलाफ FIR; जानें पूरा विवाद

गुजरात यूनिवर्सिटी के हॉस्टल कैंपस में शनिवार की रात विदेशी छात्रों से हुई मारपीट मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दोनों युवक अहमदाबाद के रहने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने अहमदाबाद के सोला के रहने वाले हितेश मेवाड़ा और वस्त्राल के भरत पटेल को गिरफ्तार किया है. आगे की कार्रवाई के लिए दोनों युवकों को क्राइम ब्रांच ने गुजरात यूनिवर्सिटी पुलिस को सौंप दिया. देखें ये वीडियो. गुजरात यूनिवर्सिटी के हॉस्टल कैंपस में शनिवार की रात विदेशी छात्रों से हुई मारपीट मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दोनों युवक अहमदाबाद के रहने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने अहमदाबाद के सोला के रहने वाले हितेश मेवाड़ा और वस्त्राल के भरत पटेल को गिरफ्तार किया है. आगे की कार्रवाई के लिए दोनों युवकों को क्राइम ब्रांच ने गुजरात यूनिवर्सिटी पुलिस को सौंप दिया. देखें ये वीडियो. गुजरात यूनिवर्सिटी के हॉस्टल कैंपस में शनिवार की रात विदेशी छात्रों से हुई मारपीट मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दोनों युवक अहमदाबाद के रहने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने अहमदाबाद के सोला के रहने वाले हितेश मेवाड़ा और वस्त्राल के भरत पटेल को गिरफ्तार किया है. आगे की कार्रवाई के लिए दोनों युवकों को क्राइम ब्रांच ने गुजरात यूनिवर्सिटी पुलिस को सौंप दिया. देखें ये वीडियो. गुजरात यूनिवर्सिटी के हॉस्टल कैंपस में शनिवार की रात विदेशी छात्रों से हुई मारपीट मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दोनों युवक अहमदाबाद के रहने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने अहमदाबाद के सोला के रहने वाले हितेश मेवाड़ा और वस्त्राल के भरत पटेल को गिरफ्तार किया है. आगे की कार्रवाई के लिए दोनों युवकों को क्राइम ब्रांच ने गुजरात यूनिवर्सिटी पुलिस को सौंप दिया. देखें ये वीडियो. गुजरात यूनिवर्सिटी के हॉस्टल कैंपस में शनिवार की रात विदेशी छात्रों से हुई मारपीट मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दोनों युवक अहमदाबाद के रहने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने अहमदाबाद के सोला के रहने वाले हितेश मेवाड़ा और वस्त्राल के भरत पटेल को गिरफ्तार किया है. आगे की कार्रवाई के लिए दोनों युवकों को क्राइम ब्रांच ने गुजरात यूनिवर्सिटी पुलिस को सौंप दिया. देखें ये वीडियो.

Neeraj Kushwaha

Apr 8, 2024

गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात

गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात   गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात गाम्बिया डेलिगेशन ने गुजरात यूनिवर्सिटी का किया दौरा, छात्रों से की मुलाकात      

Neeraj Kushwaha

Apr 8, 2024

एक साथ तीन देशों में हमले, इजरायल ने ईरान के अलावा इन देशों में भी बरसाईं मिसाइलें

बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  v बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.  बीते हफ्ते 13 अप्रैल की आधी रात ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि इजरायल जवाबी कार्रवाई जरूर करेगा और अब ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. लेकिन ये हमला सिर्फ ईरान पर नहीं हुआ बल्कि दो और देशों पर इजरायल ने अटैक किया.   

nishant

Apr 19, 2024

एक साथ तीन देशों में हमले, इजरायल ने ईरान के अलावा इन देशों में भी बरसाईं मिसाइलें

शेयर बाजार में एक स्‍टॉक ने निवेशकों को इतनी रकम दी है कि वो अबतक करोड़पति बन चुके होंगे. इसके शेयर कुछ साल पहले सिर्फ 173 रुपये पर कारोबार कर रहे थे, लेकिन अब इसके दाम बढ़कर 13000 रुपये के पार पहुंच चुके हैं. इस स्‍टॉक ने आज यानी मंगलवार को 52 वीक का हाई लेवल टच किया है. वहीं इसका 52 सप्‍ताह का सबसे निचला स्‍तर 8,420 रुपये प्रति शेयर है.  शेयर बाजार में एक स्‍टॉक ने निवेशकों को इतनी रकम दी है कि वो अबतक करोड़पति बन चुके होंगे. इसके शेयर कुछ साल पहले सिर्फ 173 रुपये पर कारोबार कर रहे थे, लेकिन अब इसके दाम बढ़कर 13000 रुपये के पार पहुंच चुके हैं. इस स्‍टॉक ने आज यानी मंगलवार को 52 वीक का हाई लेवल टच किया है. वहीं इसका 52 सप्‍ताह का सबसे निचला स्‍तर 8,420 रुपये प्रति शेयर है.  शेयर बाजार में एक स्‍टॉक ने निवेशकों को इतनी रकम दी है कि वो अबतक करोड़पति बन चुके होंगे. इसके शेयर कुछ साल पहले सिर्फ 173 रुपये पर कारोबार कर रहे थे, लेकिन अब इसके दाम बढ़कर 13000 रुपये के पार पहुंच चुके हैं. इस स्‍टॉक ने आज यानी मंगलवार को 52 वीक का हाई लेवल टच किया है. वहीं इसका 52 सप्‍ताह का सबसे निचला स्‍तर 8,420 रुपये प्रति शेयर है.  शेयर बाजार में एक स्‍टॉक ने निवेशकों को इतनी रकम दी है कि वो अबतक करोड़पति बन चुके होंगे. इसके शेयर कुछ साल पहले सिर्फ 173 रुपये पर कारोबार कर रहे थे, लेकिन अब इसके दाम बढ़कर 13000 रुपये के पार पहुंच चुके हैं. इस स्‍टॉक ने आज यानी मंगलवार को 52 वीक का हाई लेवल टच किया है. वहीं इसका 52 सप्‍ताह का सबसे निचला स्‍तर 8,420 रुपये प्रति शेयर है. 

Neeraj Kushwaha

Apr 23, 2024

सीआईआई ने स्टार्ट-अप के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस चार्टर लॉन्च किया

नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। भारतीय उद्योग परिसंघ ने स्टार्ट-अप्स के लिए कॉर्पोरेट गवर्नेंस चार्टर लॉन्च किया। सीआईआई चार्टर स्टार्टअप्स को संचालित करने की अनूठी बारीकियों को ध्यान में रखते हुए स्टार्टअप्स के लिए कॉरपोरेट गवर्नेंस पर स्वैच्छिक सिफारिशें सूचीबद्ध करता है और स्टार्टअप्स के जीवन चक्र के विशिष्ट चरणों के आधार पर स्टार्टअप्स के लिए उपयुक्त दिशानिर्देश निर्धारित करता है, जिनका उपयोग स्टार्टअप्स द्वारा रेडी रेकनर के रूप में किया जाता है। वे सुशासन के पथ पर आगे बढ़ते हैं। यह चार्टर केवल कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत निगमित संस्थाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है, और इसलिए 'स्टार्टअप' शब्द, हालांकि, ऐसी संस्थाएं जो एकल स्वामित्व, सीमित देयता भागीदारी, भागीदारी की प्रकृति में हैं, कॉर्पोरेट प्रशासन के लिए समान संरचनाओं/दिशानिर्देशों को अपना सकती हैं।   चार्टर स्टार्टअप्स के लिए उनकी अनुपालन यात्रा में एक स्वशासी कोड के रूप में काम कर सकता है जिसका वे सर्वोत्तम प्रयास के आधार पर पालन कर सकते हैं। इस चार्टर का उद्देश्य स्टार्टअप्स को जिम्मेदार कॉर्पोरेट नागरिक बनने में मदद करना है और उन्हें खुद को सुशासित होने के लिए स्थापित करने के लिए इसे अपने हितधारकों के साथ साझा करने में सक्षम बनाना है। चार्टर के बाद एक ऑनलाइन स्व-मूल्यांकन शासन स्कोरकार्ड होता है जिसे एक स्टार्टअप शासन के वर्तमान स्तर और इसकी प्रगति को समझने के लिए आंतरिक रूप से अपना सकता है। स्टार्टअप इसे अपनी शासन यात्रा में की गई प्रगति को मापने के लिए एक बेंचमार्क के रूप में उपयोग कर सकते हैं, जो बदलते स्कोर में दिखाई देगा क्योंकि समय-समय पर स्कोरकार्ड के आधार पर शासन प्रथाओं का मूल्यांकन किया जाता है।   चार्टर को स्टार्टअप्स को उनके जीवन चक्र के दौरान चार चरणों में विभाजित मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है, अर्थात शुरुआत, प्रगति, विकास और सार्वजनिक होना। प्रत्येक चरण के दौरान, शासन के सिद्धांतों की पहचान की गई है जिन पर अतिरिक्त ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। 'इंसेप्शन' चरण में, स्टार्टअप गवर्नेंस को बोर्ड के गठन, शीर्ष पर टोन सेट करने, अनुपालन निगरानी, लेखांकन, वित्त, बाहरी ऑडिट, संबंधित पार्टी लेनदेन के लिए नीतियों और संघर्ष समाधान तंत्र पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। 'प्रगति' चरण में, स्टार्टअप अतिरिक्त रूप से बोर्ड निरीक्षण के विस्तार, प्रमुख व्यवसाय मेट्रिक्स की निगरानी, ​​आंतरिक नियंत्रण बनाए रखने, निर्णय लेने के पदानुक्रम को परिभाषित करने, वित्त, खातों और बाहरी ऑडिट के केंद्रित अवलोकन, ऑडिट समिति की स्थापना और जोखिम और संकट पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।   जब कोई स्टार्टअप 'विकास' चरण में पहुंचता है, तो यह दृष्टिकोण, मिशन, आचार संहिता, संस्कृति, संगठन की नैतिकता, कार्यात्मक नीतियों और प्रक्रियाओं के प्रति हितधारक जागरूकता बनाने, बोर्ड समितियों का गठन करने, बोर्ड पर डीई और आई को सुनिश्चित करने, वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने पर भी ध्यान केंद्रित कर सकता है। कंपनी अधिनियम 2013 और अन्य सभी लागू कानूनों और विनियमों के अनुसार, फंड के उपयोग, निगरानी और समीक्षा पर ध्यान केंद्रित करें, सीएसआर और ईएसजी मानदंडों का अनुपालन करें, रणनीतिक प्रगति और मानव संसाधन से संबंधित पहलुओं की निगरानी करें। 'गोइंग पब्लिक' चरण में, स्टार्टअप विभिन्न समितियों के कामकाज की निगरानी, धोखाधड़ी की रोकथाम और पता लगाने, शिकायत निवारण तंत्र पर ध्यान केंद्रित करने, सूचना विषमता को कम करने, प्रभावी हितधारक प्रबंधन, उत्तराधिकार योजना, बोर्ड प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा के संदर्भ में अपने शासन का विस्तार कर सकता है। कंपनी अधिनियम 2013, सेबी एलओडीआर और स्टॉक एक्सचेंज नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने और समय पर वैधानिक फाइलिंग और प्रकटीकरण सुनिश्चित करने के लिए शासन नीतियों, आंतरिक नियंत्रण, सोशल मीडिया नीति, अनुपालन कार्यक्रम।   लॉन्च पर बोलते हुए, सीआईआई के अध्यक्ष आर दिनेश ने कहा कि सुशासन प्रथाओं को जल्दी अपनाने से स्टार्टअप को दीर्घकालिक मूल्य निर्माण, हितधारकों के विश्वास, बेहतर पहुंच सहित ठोस और अमूर्त लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है। निवेशकों और बैंकों से वित्त, प्रमोटरों पर कम निर्भरता, प्रभावी संगठनात्मक संरचना और व्यवसाय के दीर्घकालिक अस्तित्व की संभावनाओं में सुधार। उन्होंने आशा व्यक्त की कि स्टार्टअप्स के लिए गवर्नेंस चार्टर स्टार्टअप्स के बीच सुशासन प्रथाओं को शीघ्र अपनाने में सक्षम बनाएगा और उन्हें भविष्य के नेताओं के रूप में विकसित होने में मदद करेगा। संजीव बजाज, तत्काल पूर्व अध्यक्ष, सीआईआई एवं अध्यक्ष, सीआईआई कॉरपोरेट गवर्नेंस काउंसिल ने कहा कि स्टार्टअप्स को अपने संसाधनों और ऊर्जा का उपयोग सभी हितधारकों के लिए मूल्य बढ़ाने में करना चाहिए जो एक वृहद स्तर, दूरदर्शी है। लाभप्रदता के बजाय निरंतर सफलता के लिए दृष्टिकोण जो कि अल्पकालिक सफलता के लिए एक त्वरित दृष्टिकोण है। उन्होंने स्टार्टअप्स के लिए जिम्मेदार प्रशासन और आत्म-नियमन के माध्यम से जवाबदेही, निष्पक्षता और अखंडता के साथ नैतिक आचरण के साथ व्यावसायिक प्राथमिकताओं को पूरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया।   भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि स्टार्टअप भारतीय अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग बन गए हैं और उन्होंने नवाचार, प्रौद्योगिकी, बाजार और व्यापार रणनीति के मामले में भारतीय उद्योग को आगे बढ़ाया है और स्टार्टअप के लिए कॉर्पोरेट प्रशासन प्रथाओं पर एक चार्टर का समर्थन किया जा सकता है। स्टार्टअप अपनी शासन यात्रा में आगे हैं। उन्होंने बताया कि चार्टर में शासन और भविष्योन्मुखी अवधारणाओं के संदर्भ में स्टार्टअप्स के लिए फोकस क्षेत्र शामिल हैं - जिसका उद्देश्य चार्टर के अक्षरशः और मूल भाव से स्वैच्छिक पालन को प्रोत्साहित करके भारत में स्टार्टअप्स के समग्र शासन मानकों को बढ़ाना है।   सीआईआई नेशनल स्टार्टअप काउंसिल के अध्यक्ष कुणाल बहल ने कहा, "जहां स्टार्ट-अप नवाचार, व्यवधान और विकास के अवसरों की तेजी से खोज पर आगे बढ़ते हैं, वहीं मजबूत कॉर्पोरेट प्रशासन गुणवत्ता में सुधार करता है।" उनके निर्णय और दीर्घकालिक रणनीतिक सोच को बढ़ावा देते हैं, किसी स्टार्टअप के शुरुआती दिनों से ही अच्छे कॉर्पोरेट प्रशासन के सिद्धांतों को शामिल करना महत्वपूर्ण है ताकि समय के साथ, वे संगठन के डीएनए का हिस्सा बन जाएं और स्टार्टअप को मार्गदर्शन और संचालन करने में मदद करें। इसके विकास और विकास के विभिन्न चरणों के माध्यम से इसके हितधारकों को सीआईआई चार्टर को स्टार्टअप्स को शासन की आवश्यकताओं को समझने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिनका वे शुरुआत से लेकर सार्वजनिक कंपनी बनने तक विभिन्न चरणों में पालन कर सकते हैं।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

Apr 30, 2024

चिंताजनक: इंसानों की तरह बीमार पड़ रहीं दुनिया की लाखों झीलें

नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। दुनियाभर में 10 हेक्टेयर से बड़ी 5.9 फीसदी झीलें ऐसी हैं जो शैवालों के बढ़ने का जोखिम झेल रही हैं। इनमें 3,043 भारत में हैं। धरती पर 14 लाख से अधिक झीलें ऐसी हैं जो आकार में 10 हेक्टेयर या उससे ज्यादा बड़ी हैं। ये झीलें इंसानों की तरह सेहत संबंधित समस्याओं से जूझ रही हैं और बीमार पड़ रही हैं। जर्नल अर्थ फ्यूचर में इनके स्वास्थ्य को लेकर प्रकाशित एक शोध में कहा है कि इन समस्याओं को रोकने और इलाज के लिए हमें मानव स्वास्थ्य देखभाल में उपयोग की जाने वाली रणनीतियों की आवश्यकता है। इनमें समस्याएं उत्पन्न होने से पहले कार्रवाई करना, नियमित जांच करना और स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर तक उचित पैमाने पर समाधान लागू करना शामिल है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, दुनिया की 12 फीसदी से अधिक आबादी इन झीलों के तीन किमी के दायरे में बसी है।   ये झीलें न केवल पानी की जरूरतों को पूरा करती हैं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र संबंधी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। झीलें भी इन्सानों की तरह ही जीवित प्रणालियां हैं। इन्हें ऑक्सीजन, साफ पानी और संतुलित ऊर्जा के साथ-साथ पोषक तत्वों की आवश्यकता है। ऐसा न होने पर इनमें सांस और प्रवाह से जुड़ी समस्याएं, पोषक तत्वों में असंतुलन, तापमान, विषाक्तता और संक्रमण जैसी दिक्कतें आ रही हैं।   *14 लाख से ज्यादा झीलों का विश्लेषण*   अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लेकएटलस नामक डाटाबेस का उपयोग किया है। इसमें से उन्होंने 14,27,688 झीलों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है।   अध्ययन के अनुसार, जहां झीलों के आसपास की 75 फीसदी से अधिक जमीन का उपयोग खेती के लिए किया जा रहा है, वहां झीलों में बढ़ते पोषक तत्वों की वजह से हानिकारक शैवालों के बढ़ने का जोखिम बेहद ज्यादा है।   *सिकुड़ रही कश्मीर घाटी की झीलें*   रिपोर्ट के अनुसार जहां डल झील के आकार में 25 फीसदी तक की गिरावट आई है। वहीं, वुलर झील का जल क्षेत्र भी एक चौथाई सिकुड़ गया। कश्मीर घाटी में मौजूद झीलें पिछले कुछ वर्षों में तेजी से सिकुड़ रहीं हैं। साथ ही इन झीलों में मौजूद पानी की गुणवत्ता भी तेजी से गिर रही है। यह जानकारी नासा अर्थ ऑब्जर्वेटरी की ओर से साझा की गई रिपोर्ट में सामने आई है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

Ujjwal Times News

Apr 30, 2024

एम्स की रिपोर्ट: वैक्सीन कोई भी लगवाई हो डरने की जरूरत नहीं

नई दिल्ली, 30 अप्रैल 2024 (यूटीएन)। कोविशील्ड वैक्सीन पर उठ रहे सवालों के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना महामारी के बाद अचानक मौतें हो रही हैं। लेकिन वैक्सीनेशन हर मौत की सीधी वजह नहीं है। विशेषज्ञ मानते हैं कि देश में वैक्सीनेशन को हुए लंबा समय गुजर गया है। यदि टीकाकरण के बाद कोई साइड इफेक्ट्स दिखता, तो अभी तक देश में बड़े स्तर पर केस सामने आ चुके होते। वहीं एम्स ने अचानक हुई मौतों की वजह जानने के लिए जो अध्ययन किया उसमें से 50 फीसदी मौतें हार्ट अटैक से नहीं हुईं। सांस समेत दूसरी बीमारियों से इनकी मौते हुई हैं। बचे 50 फीसदी को सीधे तौर पर हार्ट अटैक आया।   एम्स के विशेषज्ञों की राय है कि यदि खून में थक्का पड़ता तो सभी मौते हार्ट अटैक से होनी चाहिए थी। इससे पहले सोमवार को ब्रिटेन की कोर्ट में वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार माना था कि उनकी वैक्सीन से दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इसमें कहा गया था कि इसके कारण थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम हो सकता है जिससे शरीर में खून के थक्के जम सकते हैं। ऐसा होने पर पीड़ित हो स्ट्रोक, हृदयगति थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।   दो साल पहले भी कहा था, बुस्टर डोज की जरूरत नहीं   एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर संजय के राय का कहना है कि एस्ट्राजेनेका जो बात आज कर रही है, वहीं दो साल पहले मैंने कहा था। उस समय सलाह दी गई थी कि बूस्टर डोज फायदे से ज्यादा नुकसान कर सकती है। शुरुआत में जब अधिक लोग संक्रमित नहीं थे, तब लोगों में हर्ड इम्यूनिटी नहीं थी और वैक्सीन की जरूरत थी ताकि बीमारी की गंभीरता और मौत के आंकड़ों को कम किया जा सके। किसी भी वायरस से बचने के लिए नेचुरल इम्यूनिटी जरूरी होती है। रही बात वैक्सीन से धक्के जमने के बारे में तो इसके लिए शोध जरूरी है। अचानक मौत के पीछे नहीं दिखा कार्डियक अरेस्ट कारण   एम्स के फारेंसिक मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर गुप्ता ने कहा कि वैक्सीन के कारण किसी की मौत हुई हो ऐसा हमें नहीं लगता। कोरोना के बाद अचानक कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के कारण हो रही मौत का कारण जानने के लिए करीब 200 शवों पर शोध किया गया। इस शोध में पाया कि करीब आधे मरीजों की मौत कार्डियक अरेस्ट के कारण नहीं हुई थी। इनकी मौत के पीछे सांस की समस्या सहित दूसरे कारण मिले। जबकि अन्य 50 फीसदी मौत के पीछे कार्डियक अरेस्ट कारण पाया गया था। ऐसे में हम मान सकते हैं कि अचानक हो रही मौत के पीछे वैक्सीन का कोई रोल नहीं होगा। डॉ. गुप्ता ने कहा कि लंदन में किस आधार पर यह दावा किया जा रहा है कि वैक्सीन के कारण धक्का जम रहा है और इससे दिल का दौरा पड़ सकता है, इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता, लेकिन भारत में ऐसा कोई संकेत नहीं दिखा है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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Apr 30, 2024

सीसीएस विश्वविद्यालय से मान्य स्ववित्तपोषित बोर्ड के कालेजों की बैठक: महाविद्यालय पर समस्याओं के समाधान व सुझावों पर ध्यान न देने का आरोप

बागपत,01 मई 2024  (यूटीएन)। स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संघ के बोर्ड ऑफ़ कॉलेजेज की बैठक में प्रवेश संबंधी मुद्दों पर चौ चरण सिंह विश्वविद्यालय की एकतरफा नीति का विरोध किया गया। कहा गया कि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके द्वारा पूर्व में उठाई गई समस्याओं का समाधान न करके बंद कमरे में प्रवेश प्रक्रिया के नियम तैयार किए गए, जिससे  बैठक की अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष एडवोकेट नितिन यादव ने बैठक में प्रवेश संबंधी मुद्दों पर विवि की एकतरफा नीति का विरोध किया और कहा कि,  बंद कमरे में नियमों को बनाता है और उसका नुकसान सेल्फ फाइनेंस संस्थानों के साथ ही छात्रों को भी उठाना पड़ता है।    29  जनवरी को संघ ने पत्र लिखकर प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने से पहले एक बैठक सभी संस्थानों के साथ करने का सुझाव दिया ,लेकिन विवि ने ना तो बैठक ही आयोजित की और ना ही समस्याओं को समझने की पहल ही की। कहा कि, विवि ने जो प्रवेश नियम जारी किए हैं, उसमें आज भी कोविड -19  के समय कैसे प्रवेश करें- इसको भी सूचीबद्ध किया गया है, जबकि कोविड-19 के हालात अब नहीं हैं,  जिससे साफ है कि, प्रवेश समिति ने बंद कमरे में नियमों को बनाकर कॉलेजो और छात्रों पर थोप दिया है और समस्याओ को समझने और हल करने से उसका कोई सरोकार नहीं है।     संघ के महासचिव एवं ग्वालीखेडा स्थित महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राजीव गुप्ता ने बताया कि, सहारनपुर विवि ने अपने संस्थानों के साथ बैठक की और उनकी समस्याओं को जानने के बाद प्रवेश की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया, लेकिन सीसीएस विवि ने कॉलेजो का सुझाव लेना ही बंद कर दिया ,जबकि पूर्व में विवि पहले समस्याओं को सुनता था ,उसके बाद परीक्षा या प्रवेश के मुद्दो पर आगे बढ़ता था ,लेकिन अब विवि ,कालिजों से बिना विचार विमर्श किए ही काम कर रहा है ,जिससे कालिजों ओर छात्रों को अनेक कठिनाई का सामना करना पड़ता है।   वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ अनिल शर्मा ने कहा कि, प्रवेश में मेरिट पर मेरिट लगने से छात्र हतोत्साहित होता है और मेरिट के बाद भी विवि पूरी प्रक्रिया को बाद में ओपन करता है और सीट उसके बाद भी खाली रहती हैं, तो इस तरह की प्रक्रिया को लागू करने का क्या लाभ ,जिसमे समय और संसाधन दोनों ख़राब हों।  स्ववित्तपोषित संस्थानों में पंजीकरण को अनिवार्य करते हुए सीधे प्रवेशलागू करे ,इससे सीट भी अधिकतम भरी जा सकेंगी साथ ही समय से प्रवेश प्रक्रिया भी पूर्ण होगी।   अभिनव राघव ने एलएलएम प्रवेश को लेकर विवि की नीतियों पर सवाल खड़े किये और कहा कि, जब हम अन्य कोर्स में पंजीकरण के बाद सीधे मेरिट से प्रवेश देते हैं, तो एलएलएम में प्रवेश परीक्षा की लम्बी प्रक्रिया से छात्रों को परेशान करने का क्या औचित्य है।  विवि अक्टूबर से नवंबर तक इस प्रक्रिया को लेकर जाता है ,ऐसे में एलएलएम में इच्छुक छात्र अन्य विवि में प्रवेश ले लेते हैं और इसका सीधा नुकासन स्ववित्तपोषित संस्थानों को उठाना पड़ता है।मांग की कि, विवि एलएलएम में भी सीधे पंजीकरण कराते हुआ अन्य कोर्स की तरह प्रवेश दे ,इससे कॉलेजो को समय से छात्र मिल सकेंगे।    बैठक में विवि द्वारा बिना समस्या व सुझाव  सुने ,सीधे प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने पर संघ अपनी आपत्ति राजभवन के साथ साथ शासन में भी दर्ज कराएगा और एकतरफा नीति से कॉलेजो को होने वाले नुकसान के साथ ही छात्रों के भविष्य को लेकर की जा रही अनदेखी पर कॉलेजों और  छात्रों की बात रखेगा। बैठक में 141  कॉलेजो के प्राचार्य, प्रबंधक एवं शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। बैठक में डॉ सुमित नागर, डॉ मोनिका त्यागी, डॉ अनुज कुमार, डॉ अजय, डॉ अनिल शर्मा, डॉ ललित मोहन, डॉ नितिन राज वर्मा, डॉ प्रवीण कुमार,डॉ सीमा, डॉ अनुराग मांगलिक, आशा आदि ने अपने विचार रखे।   स्टेट ब्यूरो,( डॉ योगेश कौशिक ) |

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May 1, 2024

सुधार के नाम पर दुनियाभर में बदल दिए गए 44 फीसदी नदियों के मुहाने

नई दिल्ली, 01 मई 2024  (यूटीएन)। वैश्विक स्तर पर बांधों और भूमि सुधार परियोजनाओं ने ढाई लाख एकड़ क्षेत्र में मौजूद मुहाने को शहरी क्षेत्रों या कृषि भूमि में बदल दिया है। यह क्षेत्र आकार में मैनहट्टन से करीब 17 गुना बड़ा है। भू-सुधार के तहत भूमि से पानी को सुखाना और तलछट जमा करना शामिल है। वैश्विक स्तर पर 44 फीसदी नदी मुहानों को बदल दिया गया है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित तेजी से विकसित होते देश हो रहे हैं। अध्ययन जर्नल अर्थ्स फ्यूचर में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर नदियों के 2,396 मुहानों का अध्ययन किया है, जिनका मुंह (अगला भाग) 90 मीटर से अधिक चौड़ा था। इसके लिए 1984 से 2019 तक लैंडसैट से प्राप्त रिमोट सेंसिंग आंकड़ों की मदद ली गई है। इन मुहानों के 1,027 वर्ग किलोमीटर यानी 2 लाख 50 हजार एकड़ क्षेत्र को शहरी या कृषि भूमि में बदल दिया। इनमें से करीब आधे यानी 47 फीसदी मुहाने एशिया में स्थित हैं।    विकासशील देशों ने खोई सबसे अधिक जमीन   शोध में पाया कि विकासशील देशों ने मुहानों के सबसे अधिक क्षेत्र को खोया, जो इस दौरान भूमि-उद्धार के करीब 90 फीसदी (923 वर्ग किलोमीटर) क्षेत्र के बराबर है। जब कोई देश मध्यम आय की राह पर अग्रसर होता है तो वह अक्सर विकास की गति को और तेज करना चाहता है।   *मुहाने जरूरी सुरक्षा दीवार*   अध्ययन के अनुसार मुहाने बेहद महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र होते हैं जहां मीठे पानी की नदियां खारे समुद्र से मिलती हैं। यह जमीन और समुद्र के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं जो न केवल वन्य जीवों को आवास प्रदान करते हैं साथ ही कार्बन के भण्डारण में भी मददगार होते हैं। इसके साथ ही यह परिवहन के केंद्र के रूप में काम करते हैं। खराब या खोए हुए मुहाने पानी की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं, वन्यजीवों के आवास भी कम हो गए हैं। इसके अलावा सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि तूफानों के खिलाफ तटीय सुरक्षा कमजोर हो गई है।   विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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May 1, 2024