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विहिप ने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने का अभियान छेड़ा

तिरुपति मंदिर के चढ़ावे से धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं को राशि दी गई है

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Wed, Sep 25, 2024 1:57 PM

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admin

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नई दिल्ली, 25 सितंबर 2024 (यूटीएन)। हिंदू मन्दिरों का पूर्ण नियंत्रण हिन्दू समुदाय के हाथों में सौंपने के लिए विश्व हिन्दू परिषद एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाएगी। इस अभियान के अंतर्गत विहिप के सभी राज्य इकाई अपने यहां जनजागरण अभियान चलाएंगे। वे मुख्यमंत्री और राज्यपालों से मिलकर मन्दिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए ज्ञापन देंगे। विहिप का कहना है कि मन्दिरों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए धरना-प्रदर्शन और सामाजिक जनजागरण किया जाएगा।
 
यह भी आरोप है कि तिरुपति मंदिर के चढ़ावे से धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं को राशि दी गई है। विश्व हिंदू परिषद ने देशभर में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का संकल्प लिया। साथ ही कहा कि वह इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जल्द एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगी। विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकारें मंदिरों को हिंदू समाज को नहीं सौंपती हैं, तो संगठन अदालत का भी दरवाजा खटखटाएगा। 
 
मंदिरों के प्रबंधन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए विहिप ने कहा है कि सरकार द्वारा मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेना मुस्लिम आक्रमणकारियों और अंग्रेजों की मानसिकता को दर्शाता है। विहिप ने यह भी कहा है कि अब मंदिरों का सरकारीकरण नहीं समाजीकरण होना चाहिए।उन्होंने कहा, हमारा संकल्प है कि देशभर में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर समाज को सौंप दिया जाएगा। इसके लिए पहले हर राज्य में प्रदर्शन और आंदोलन किए जाएंगे और संबंधित मुख्यमंत्रियों के माध्यम से राज्यपालों को अपना ज्ञापन सौंपा जाएगा।'
 
*'कानूनी सहारा भी लिया जाएगा'*
उन्होंने कहा कि न्याय पाने के लिए जहां भी जरूरत होगी, कानूनी सहारा भी लिया जाएगा। जैन ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो भविष्य में आंदोलन भी शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा मंदिरों को अपने नियंत्रण में रखना संविधान का उल्लंघन है और अदालतें 'बार-बार कह रही हैं कि मंदिरों को चलाना सरकारों का काम नहीं है।'
 
*देश का सियासी पारा चढ़ा*
उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश का तिरुपति मंदिर ही एकमात्र ऐसा मंदिर नहीं है, जहां से प्रसादम बनाने में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल की खबरें आई हैं। उन्होंने दावा किया, 'इससे पहले केरल के सबरीमला मंदिर से भी शिकायत आई थी। वहां भी पायसम (पवित्र भोजन) में इसी तरह की अपवित्र चीजें मिलाई गई थीं।' उन्होंने कहा कि देश भर में राज्य सरकारों के नियंत्रण में मंदिरों की संपत्तियों के 'वित्तीय अनियमितताओं और दुरुपयोग' की भी खबरें आई हैं। जैन ने कहा कि इन सभी मामलों में देखा गया है कि ये वे मंदिर हैं, जिन्हें संबंधित राज्य सरकारों ने अपने नियंत्रण में ले लिया है।
 
*'नौकरशाही और नेता दोनों ही लूट में शामिल'*
उन्होंने आरोप लगाया, 'नौकरशाही और नेता दोनों ही लूट में लिप्त हैं और हिंदुओं की भावनाओं से खेल रहे हैं।' जैन ने कहा कि अकेले तमिलनाडु में 400 से अधिक मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं। उन्होंने कहा कि एक एनजीओ द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया था कि ये 400 मंदिर प्रति वर्ष 6000 करोड़ रुपये का राजस्व पैदा करते हैं, लेकिन वे केवल 200 करोड़ रुपये की आय और 270 करोड़ रुपये का व्यय दिखाते हैं।
 
*तिरुपति लड्डू विवाद में न्यायिक जांच की मांग*
तिरुपति लड्डू विवाद पर विहिप पदाधिकारी ने मांग की कि मामले की न्यायिक जांच की जाए और प्रसाद को अपवित्र करने में शामिल लोगों को कड़ी सजा दी जाए। जैन ने कहा कि मंदिरों पर राज्य सरकारों का नियंत्रण औपनिवेशिक मानसिकता और गुलामी का प्रतीक है। उन्होंने तर्क दिया, 'जब अल्पसंख्यक अपने संस्थान चला सकते हैं, तो हिंदू क्यों नहीं।'
 
संगठन द्वारा तिरुपति में संतों का एक सम्मेलन आयोजित करने और मंदिर बोर्ड द्वारा प्रसाद की पवित्रता को बहाल करने के लिए "शुद्धिकरण अनुष्ठान" किए जाने के एक दिन बाद विहिप ने यह घोषणा की है विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा, "सरकारें मंदिरों का इस्तेमाल उनकी संपत्ति लूटने और उन राजनेताओं को जगह देने के लिए कर रही हैं जिन्हें सरकार में जगह नहीं मिल पाई।" सुरेंद्र जैन ने कहा कि प्रसाद में जानवर की चर्बी के साथ मिलावट ने पूरे हिंदू समाज को नाराज कर दिया है।
 
*'संतों के मार्गदर्शन में मंदिरों का प्रबंधन करेगा समाज'*
इस मौके पर विहिप ने दावा किया कि केरल के सबरीमाला जैसे कई अन्य मंदिरों से भी इस तरह की मिलावट की खबरें आ रही हैं। उन्होंने इसे हिंदू समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया। सुरेंद्र जैन ने कहा, "इन सभी घटनाओं के बीच एक आम कड़ी यह है कि ये सभी मंदिर सरकारों के नियंत्रण में हैं। समस्या का एकमात्र स्थायी समाधान मंदिरों को सरकारों के नियंत्रण से मुक्त करना और उन्हें समाज को सौंपना है। संतों के मार्गदर्शन में समाज मंदिरों का प्रबंधन करेगा।"
 
*अल्पसंख्यक अपने संस्थान चला सकते हैं तो हिंदू क्यों नहीं*
सुरेंद्र जैन ने मंदिरों को सरकारों द्वारा चलाने को असंवैधानिक करार देते हुए कहा, "अनुच्छेद 12 कहता है कि राज्य का कोई धर्म नहीं है। फिर उन्हें मंदिर चलाने का अधिकार किसने दिया? अनुच्छेद 25 और 26 हमें अपने संस्थान चलाने का अधिकार देते हैं। अगर अल्पसंख्यक अपने संस्थान चला सकते हैं तो हिंदू क्यों नहीं। ऐसा लगता है कि एक पैटर्न है। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिरों को नष्ट कर दिया और उन्हें लूट लिया। अंग्रेज चालाक थे और उन्होंने मंदिरों पर नियंत्रण कर लिया। इस तरह उन्होंने मंदिरों को लूटने के लिए एक संस्थागत व्यवस्था स्थापित की। दुर्भाग्य से आजादी के बावजूद हमारे राजनेता खुद को इस औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त नहीं कर पाए। मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण उसी मानसिकता को दर्शाता है। यह लूट अब बंद होनी चाहिए।”
 
*सभी राज्यों में रैलियां आयोजित करेगी विहिप*
भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सुरेंद्र जैन ने कहा कि अकेले तमिलनाडु सरकार के अधीन 400 से अधिक मंदिर हैं और आरोप लगाया कि पिछले 10 सालों में राज्य ने इन मंदिरों में 50,000 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया है। विहिप के मुताबिक अभियान के पहले चरण में संगठन सभी राज्यों की राजधानियों में विरोध में रैलियां आयोजित करेगी और मुख्यमंत्रियों को मांगों का ज्ञापन देगी। उन्होंने कहा, "अगर जरूरत पड़ी तो उसके बाद कानूनी कदम भी उठाए जाएंगे। और अगर यह पर्याप्त नहीं है तो हम भविष्य में और आंदोलन भी शुरू कर सकते हैं।"
 
डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि न्यायालयों ने अपने कई निर्णयों में यह स्पष्ट कहा है कि मंदिरों का प्रशासन चलाना सरकार का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से तिरुपति विवाद सामने आए हैं, उससे यह साफ हो जाता है कि अब हिन्दू मंदिरों का प्रशासन हिन्दू समाज को सौंप देनी चाहिए। विहिप के अनुसार हिन्दू मंदिरों का धन हिन्दू समाज के गरीब लोगों के हितों के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। इसे देखते हुए संगठन 'हिन्दू समाज का धन हिंदुओं के लिए' नाम से अभियान चलाएगी। इसकी शुरुआत आंध्रप्रदेश में तिरुपति मन्दिर से शुरू हो चुकी है।
 
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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